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maa ko kya pela h bs ab maasi ko bhi sath me pelo maja hi aaa jayegaUpdate 43
अब तक
मै - मा इसिलिए तो मै अपना खड़ा लण्ड लेके जाऊंगा उन्के सामने ताकि वो मेरे ऑफ़र को चाह के भी नही मना करेगी ।
मा - अरे वाह तुने तो बड़ी कमजोर नस पकड़ी
मै - बेटा किसका हू मा , मा की चुचियो को दबाते हुए बोला
अब आगे
मेरे हाथो का स्पर्श अपनी नरम चुचियो पर पाकर मा सिहर उठी । मैने वापस मा की आँखो मे देखते हुए अपना मुह खोला और मैक्सि के उपर हल्के से दात लगाते हुए उनकी एक चुची को मुह मे भर लिया ।
मा मेरी आँखो मे देखते हुए सारे हरकतो पर नजर रखे हुए थी ,,,जैसे ही मेरे मुह मे चुची आई वो आखे बंद कर सिहरने लगी
मा -आह्हह बेटा उम्म्ंम्म्ं
मैने हाथ आगे कर मा की दुसरी चुची के निप्प्ल को खोज कर उस्की घुंडी न्चाने लगा
मा - इह्ह्ह ओह्ह्ह बेटा अह्ह्ह्ज इस्स्स इम्म्ं उम्म्ंम आह्हह
मा ने अपने दोनो हाथ मेरे सर पर फेरते हुए हल्का हल्का चुची की तरफ दबा रही थी ।
फिर मैने मा को छोडा और मा के होठो की तरफ गया
मा ने मेरे होठो को चूम लिया ,, फिर मै भी आगे बढ़ कर मा के होठो को चूसने लगा जिसमे मा भी मेरा साथ देने लगी और मैने अपने हाथ उसकी चुचियो पर मैक्सि के उपर से रख कर मिजने ल्गा ,,,अह्ह्ह्ह मा ने अंदर कुछ नही पहना था ,,,मेरा लंड अंगड़ाई ले चूका था और अब तक मा मेरे लण्ड को खोजते हुए मेरे जांघो को सहलाने लगी थी।
जल्द ही मा को इसमे कामयाबी मिली और उसने लोवर से मेरा खड़ा लण्ड निकाला और उसे हिलाते हुए मेरी आँखो मे देखने लगी ।
मा की आखो मे हवस साफ नजर आ रही थी और जैसे जैसे मा मेरे लण्ड पर कसाव बढाती मा के चेहरे के भाव बदलते ,, और इधर मा के हाथो मे लण्ड पाकर मै सिहर उठा और चमडी उपर निचे होने से मेरी आंखे बंद होने लगी मै एक बेहद खूबसूरत नशे मे डूबने ल्गा और मेरे मुह से आह्हह मा आह्ह मा निकलने ल्गा । जल्द ही मेरे सुपाडे पर से चमडी की तरफ कुछ रिस्ता हुआ मह्सूस हुआ ,,, मैने आंखे खोली तो देखा मा अपने मुह से लार की एक मोटी धार मेरे सुपाडे पर चूआ रही थी और जल्दी ही उसी लार को मेरे लण्ड पर लिपने लगी जिससे मेरा लण्ड और आसानी से मा के हाथ मे सरकाने ल्गा ।
मा के उंगलियो का मेरे सुपाडे पर स्पर्श मुझे हिला कर रख देता था और मेरी आह्हह भी सिहर जाती थी ।
मा ने जब मुझे देखा तो वापस से मेरे होठो को चूसा और फिर बेड से उतर कर मेरे पैरो के पास बैठ गयी और गप्प से लण्ड को मुह ने भर लिया ।
मै - अह्ह्ह्ह मा उफ्फ्फ्फ अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ
मा मे लंड को मुह मे भरे भरे ही मेरे लोवर को निचे करना चाहा और मैने भी उनका साथ देते हुए लोवर पुरा निकाल दिया और अपनी जन्घे चौडी कर दी ।
मा ने अब मेरे आड़ो को सहलाते हुए लण्ड को चूसने लगी और लगातार नजरे उठाए मेरे तरफ देखती रही ।
मा का ये रूप मुझे बहुत पन्सद आ गया और मै उसके बालो मे हाथ फेरने लगा । वो आन्खे बन्द किये गले तक मेरे लण्ड को भरने लगी ।
मैने अपना टीशर्ट निकाल दिया और मा मेरे पेट पर हाथ फेरते हुए मेरे सुपादे पर जीभ न्चाने लगी ,,,ओह्ह्ह क्या मज़ा मिल रहा था ,,,मेरा लन्द अब कडक हो चुका था और मै झड़ना नही मा को चोदना चाहता था क्योकि सुबह से दो बार मै मुह पेलाई से ही झड़ा था इसी लिये चुत की तलब ज्यादा थी । इसिलिए मैने मा को अलग किया और उठा कर मैने उनको लिटा कर झट से मैकसी कमर तक चढा दी ,,,मा की गदरायी जांघ के बीच उनकी चुत मेरे सामने थी ,,,और मै बेकाबू हो कर झट से मा की जांघो को चौड़ा किया और लपालप उनकी चुत पर जीभ से चाटने ल्गा ।
मा - इस्स्स्स आह्हह बेटा ये क्याआह्ज्ज उम्म्म्म्म्मफ्फ्फ उईई माआआह्ह्ह अस्स्स्स उम्म्ंमममं रुक्क्क जाआअह्ह मेरे लाल अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हाय्य्य खा जायेगा क्या आआ उम्म्ं इस्स्स्सी सीई उह्ह्ह
मैने मा की जांघो को थामे हुए तेज़ी से अपने होठो मे मा चुत के होठो को चुबला रहा था और बिच बिच मे उनकी गर्म चुत मे जीब को भी डुबो कर उपर की तरफ दाने के पास ले जाता ,,,जिससे मा और सिहर जाती ,, धीरे धीरे मा की ना ना , अब हा हा मे बदल गयी
मा - ह्य्य्य्य मेरे लाल और चुस आह्हह अह्ह्ज हा बेटा आह्हह और घुसा जीभ आह्हह अजज कितना मस्त चाट रहा है रे तू आह्हह इमम्म्ं
मै मा की चुत से उठ कर मा को देख्ते हुए - मा मुझे मौसी की चुत भी चाटनी
मा - आह्ह हा बेटा जिसका कहेगा उसकी चुत दिलाऊंगी तुझे ,,तु ही तो मेरा राजा बेटा है इस्स्स
इधर मै मसती से चुत चूसने मे मगन था और मा आंखे बंद कर सिसकियाँ ले रही थी।
करीब 5 मिंट की चुसाई से मा का जिस्म अब अक्ड्ना शुरू हो चुका था और मेरा लण्ड तो मा की आअहो से क्ब्से कडक होकर फुदक रहा था ,,,मै झट से उठा और मेरा खड़ा लण्ड मेरे झुलाते आड़ो के साथ मा के सामने था जिसे मा सर उठाए देखते हुए चुत को मसले जा रही थी और बेड पर चढ़ गया । मुझे लण्ड को गिला करने की जरुरत नही थी ,,,मा की चुत पूरी तरह से भीग चुकी थी मैने मा की जांघो को अपने कंधो पर डाला और लण्ड को उनकी चुत पर सेट करते हुए पुरा लण्ड एक साथ मा की चुत उतार दिया ।
मा - अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लल्ल्ल्ल्लाआआआह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं बहुत गरम है रे तेरा लण्ड बेटा अब चोद दे मुझे रहम मत कर ,,,मुझे बहुत चुदना है आज्ज्ज और तेज अहह्ह हा आह्हह आह्हह
मैने तेज़ी से घ्प्प्प घ्प्प्प्प घ्प्प्प पुरा का पुरा लण्ड मा के चुत की जड़ो मे पेले जा रहा था और मेरा सुपाडा मा के चुत की दिवारो को रगडता हू गोते लगा रहा था । कुछ ही पलो मे मा की चुत ने मेरे धक्के के साथ पिचकारी छोडनी शुरु कर दी , क्योकि मा झडने लगी थी और मैने उसके जांघो को अपने कन्धो पर रख था तो सारा माल चुत मे ही भर रहा था,, जैसे ही मेरा लण्ड मा की गहराई मे जाता तो मा की चुत फचचचछ्चच्च की आवाज के साथ माल बाहर की तरफ उडेल देती
मा - आह्हह बेटा तेरे साथ तो झडने के बाद भी चुदने मे मज़ा आ रहा है ,,, आह्हह और पेल अपनी मा को और तेज पेल और चोद और चोद बेटा अह्ज्ज आह्हह आउर झड़ जा मेरी चुत मे अज्ज्ज और तेज और तेज
मै मा की कामुक बातो से जल्द ही पिघलने ल्गा और तेज़ी से धक्के मारने लगा और मा ने समझ लिया की मै भी जल्द से जल्द निकालना चाहता हू तो उन्होने ने वापस चुत से मेरे लण्ड को कसने लगी ,, फच्चफचच्च फच्च और थप्प त्प्प्प्प की आवाज से कमरा गुजने लगा
मा कमाल की औरत थी मर्दो को खुश करने के उसके पास नायाब तरीके थे ।
मा की चुत का मेरे लण्ड पर कसाव पडते ही मेरी उत्तेजना और बढ़ गई थी मेरा लंड अब लावे से भरने लगा जिससे मेरे नसो मे दर्द होने लगा ,, और मैने आखिरी कुछ धक्को का जोर मा की चुत मे लगाते हुए अपने सुपाडे को छेद मा की चुत के अंदर ही खोल दिया और थमते हुए धक्को के साथ मा की चुत मे झडने लगा ,, मेरी लण्ड का झड़ता हर झटका मुझे निढ़ाल किये जा रहा था और आखिरी बुन्दे मा की चुत की गहरायी मे गिराने के बाद मै उन्के जांघो को छोड दिया और मा के पेट पर ढह गया ।
मा मेरे माथे पर हाथ फेरने लगी । मेरी तेज सांसो की धक-धक से मा का पुरा बदन हिल रहा था । कुछ पल सांसे बराबर करने के बाद मैने मा के गाल पर किस्स किया और चुत से अपना सना हुआ आधा खड़ा लण्ड बाहर निकाला ,,, मा मे मुझे इशारे से अपने पास बुलाया और अच्छे से मेरे लण्ड को चाट कर साफ किया जिसमे उनकी खुद की चुत का स्वाद भी सामिल था ।
फिर हमने अपने कपडे सही किये और मा बाहर चली गयी ।
मै कुछ देर आराम करता रहा और मोबाइल को चार्ज मे लगा दिया । रात 9 बजे मेरी निद मा के जगाने से खुली तो मा मुस्कुराते बोली की चल खाना खा ले ।
फिर मै उथा और फ्रेश हुआ फिर मा मौसी गीता बबिता के साथ मै भी खाना खाने बैठ गया । मौसी नाना को खाना खिला कर दवा दे के सुला चुकी थी ।
फिर हम लोगो ने खाना खाया और फिर मा बोली - राज मै दीदी के साथ सोऊंगी आज ठीक है
मै प्लान के मुताबिक मुस्करा कर बोला - ठीक है मा कोई बात नही
इसी बीच गीता बोली - फिर हम दोनो भैया के साथ सोयेंगे हिहिहिही
मेरा माथा ठनका अरे यार इन दोनो को तो मै भूल ही गया अब कैसे क्या करू ,,, एक तरफ तो मोटी मोटी गदरायी रान्ड जैसी माल है जिनको एक साथ चोदने को मिलता पूरी रात
वही दुसरी तरफ गीता बबिता दो भुखी जवान बाकी चुत वाली हसीनये । मज़ा तो दोनो तरफ था लेकिन क्या करता । अब जो होता देखना ही था ।
फिर हमने खाना खाया और मै मोबाईल लेकर छत पर निकल गया टहलने ।
मोबाईल चेक किया तो देखा दीदी और कोमल दोनो के मिस्काल और मैसेज थे ।
फिर मैने पहले दीदी को कॉल किया । रिंग जा रही थी और दुसरे ही रिंग मे कॉल उठ गया । फोन उठते ही स्वागत तेज डाट से हुआ
फोन पर
दीदी - कहा था तू कबसे फोन लगा रही हू पता है ना परेसान हो जाती हू ,,,,तुझे तो मेरी फ़िकर ही नही हैं बस खुद मे मस्त है । मिल गयी होगी ना कोई वहा नयी । लगा रह तू उसी के साथ मै फोन रखती हू ।
दीदी ने एक साथ इतने सवाल दागे की क्या बोलता और बोलता भी कैसे जब वो बोल्ने का मौका देती तब ना
मै - अरे दीदी मोबाइल चार्ज मे लगा था और मै सो गया था ।
सॉरी ना प्लीज
दीदी - तुझे मेरी याद नही आती की शाम हो गयी है और दीदी से बात कर लू
मै - आती है ना दीदी लेकिन क्या करू आपसे बात करके और तडपता हू
दीदी - रहने दे तू फेक मत ,, अच्छे से जानती हू कि तू लपेटेने मे आगे है
मै - अच्छा वो कैसे
दिदि - हा तो लपेटा ही है ना मुझे ,, अच्छी भली मै अमन के साथ खुश थी , क्या जरुरत थी मुझे अपने प्यार का अह्सास दिलाने की
मै समझ गया दीदी भावुक है अभी - दीदी मै तो हमेशा आपको चाहता हू मेरी जानू दीदी,,,उम्म्ंंम्म्माआआह्ह्ह्ह्ह
दीदी - बस बस ज्यादा मक्खन ना लगाओ
मै - अभी कहा दीदी वो मिलने के बाद ही आपको मक्खन लगाउन्गा ना अच्छे से और आपके मलाई को भी चखना है अभी
दिदी - धत्त बदमाश बहुत पितुंगी तुझे ,,, मुझे समझ कर क्या रखा तुने ।
मै - अपनी माल हिहिहिहिही
दीदी - तू आ इस बार पितेगा मुझसे
दीदी - चल मै रखती हू सबको खाना देदू
मै - ठीक है दीदी लव यू
दिदी हस्ते हुए - हा लव यू टू मेरे भाई बाय ।
फिर मै हस्ते हुए फोन रख दिया और चैन ही सास ली ।
फिर मुझे कोमल का ध्यान आया तो उसे भी कॉल किया लेकिन उसने कॉल कट कर दिया ।
मुझे ल्गा शायद कोई रहा होगा साथ मे इसिलिए बात नही कर रही है । फिर मै मोबाईल मे एक भोजपुरी गाना चालू करके टहलने लगा ।
मै टहल ही रहा था की मैसेज की एक बिप आई जिससे गाना रुक कर प्ले हुआ ,,फिर मैने मोबाइल देखा तो कोमल का व्हाटसअप पर मैसेज था ।
कोमल - अरे यार मै वॉशरूम मे हू अभी बात करती हू
मुझे कोमल का मैसेज देखकर एक शरारत सुझी तो मैने तुरंत एक वीडियो कॉल किया जिसे उसने तुरन्त काट दिया ।
मैने तुरंत उसे हसने वाली एमोजी सेंड कर दी । बदले मे कोमल ने गुस्से वाली इमोजी सेंड की ।
मै - क्या यार कबसे कर क्या रही हो वॉशरूम मे
कोमल - तुमसे मतलब
मै - हा दोस्त हू अगर कोई मेरे दोस्त को परेशानी होगी तो मुझे भी तकलीफ होगी ना
कोमल - हा लेकिन मुझे तुम ही परेशान कर रहे हो फिल्हाल ,,
मै - ओह्ह सॉरी अब कभी नही करूंगा तुम खुश रहो
और फिर डाटा बंद कर दिया करीब 5 मिंट बाद ही कोमल का कॉल आया
फोन पर -
कोमल - यार तुम तो बुरा मान गये
मै - मै क्यू बुरा मानू, मै हू कौन
कोमल हस्ते हुए - अच्छा सॉरी बाबा माफ कर दो
और बताओ डिनर हुआ
मै -हा मेरा हो गया और तुम्हारा
कोमल - हा खाया भी और पचाया भी हिहिहिही
मै - ऐसा क्या खा लिया जो पचा नही
कोमल - वो केले की सब्जी बनी थी
मै - अच्छा तो केला बहुत पसंद है तुम्हे क्या
कोमल - हा उतना नहीं कभी कभी खा लेती हू
मै - कभी कभी या रोज हिहिहिह
कोमल - नही यार एक ही सब्जी कौन रोज रोज खाता है
मै - अरे मै सब्जी की नही केले की बात कर रहा हू हाहाहाहा
कोमल हस्ते हुए - मै समझ रही हू तुम कहा से बोल रहे हो ,,,, मिलो अगली बार बताती हू तुम्हे अच्छे से
मै - क्या समझ रही हो जरा मुझे भी समझाओ ना
कोमल हस्ते हुए - राज अब बस करो यार मै एक लड्की हू कुछ तो लिहाज करो
मै - तो मैने क्या गलत बोला
कोमल - क्यू तुमने नही अभी कहा की कभी कभी या रोज खाती हो केला
मै - हा इसमे क्या गलत है बताओ जरा
कोमल हस्ते हुए - चुप रहो तुम मै सब समझती हू , तुम बस दिखने मे सीधे और अंदर से कुछ और ही हो
मै - अजीब है यार तुम क्या बात कर रही हो मेरी समझ से बाहर है
कोमल - हा हा तुम्हे क्यू समझ आयेगा , मज़े लेकर बात घुमा दिये ना
मै - कोमल सच मे मै नही समझा की तुम क्या कहना चाहती हो
कोमल - क्या सच मे नही
मै - हा यार
कोमल - ठीक है फिर जाने दो हिहिहिही
मै - नही बताओ पहले
कोमल - अब जाने भी दो
मै - ऐसे कैसे ,, ना जाने तुमने क्या समझ कर मेरे बारे गलतफहमी पाल ली उसे दुर करना जरुरी है ,,बताओ क्या बात है
कोमल - सॉरी राज वो जब तुम मुझसे पुछे की तुम कभी कभी केला खाती हो या रोज । तो मुझे ल्गा की तुम मुझसे मज़ाक मे वो सब बाते करना चाहता हो
मै - कैसी बात बताओ
कोमल - अरे वही सेक्स से जुडी
मै - हा हा हा हा हा हा ,,,, अरे पागल अगर मुझे अपने दोस्त से सेक्स की कोई बात करनी होगी तो मै सीधा नही कहुन्गा ,,, तुमसे क्या शर्माना हीहीहि
कोमल हस्ते हुए - धत्त पागल,,, तुमको नही आयेगी लेकिन मुझे आयेगी ना ,मै लड्की हू ना
मै - हिहिहिहिही क्या यार तुम भी ये सब बातें दोस्तो मे कामन है इसमे शर्माना कैसा
कोमल - फिर भी यार
मै - अच्छा मान लो तुमको बुखार हुआ तो क्या मुझे अपनी प्रोब्लम नही बताओगी
कोमल - हा क्यू नही
मै - ठीक वैसे ही बॉडी के बाकी पार्ट से जुडी बाते करने मे क्या शर्म
कोमल - ठीक है बाबा ठीक है ,,अब बस करो बहुत हुआ ज्ञान , तुमको जो करना करो मै चली
मै - किधर
कोमल - अरे यार सोने कबसे छत पर आई हू टोइलेट के लिए मा पुछने लगी तो हिहिहिही
मै - हा ठीक है चलो बाय गूड़ नाइट
कोमल - हा गूड़ नाइट
फिर मै हस्ते हुए थोडा देर टहला और फिर वापस निचे चला आया ,,, किचन मे देखा तो कोई नही था ।
फिर शायद सब कोई काम खतम करके अपने अपने रूम मे चला गया होगा तो मै भी अपने कमरे मे गया तो वहा कोई नही था ,,,
सोचा ये गीता बबिता तो आज मेरे साथ ही सोने वाली थी कहा गयी ,, कही अपने कमरे मे ना हो । फिर मै उनके कमरे की तरफ चला गया जो गेस्टरूम के बगल मे था ।
कमरा अंदर से बंद था तो मैने खटखटाया , अन्दर से तेज़ी और हडबडी जैसी आवाजे आई और 2 मिंट बाद बबिता ने दरवाजा खोला
बबिता - अरे भैया आप हो
मै बबिता के ऐसे सवाल से हैरान हो गया
मै - हा क्यू ,, क्या हुआ मै नही आ सकता । ये दरवाजा क्यू लेट खोला सो गयी थी क्या
बबिता मुझे अन्दर खीचकर दरवाजा बन्द की
बबिता - अरे भैया वो हम लोग वो शाम वाला खेल खेल रहे थे ना , तो मुझे लगा बुआ लोग तो नही न है इसिलिए थोडा टाईम लग गया कपडा पहनने मे हिहिहिही
मुझे आभास हुआ ये दोनो सेक्स की ओर कुछ ज्यादा ही उतेजीत है और मज़े लेने का चस्का जोरो पर है । क्या अभी इन दोनों को लण्ड का च्स्का लगाना ठीक रहेगा ?? ,, कही नादानी मे कोई गलती कर बैठी तो ,,,नही नही मै ये रिस्क नही ले सकता अभी इनके लिए यही मज़े ठीक रहेंगे और धीरे धीरे आगे बढ़ने से ही सही भी होगा । लेकिन उससे पहले इनको अपने हिसाब से समझा बुझा कर ही रखना होगा ताकि कोई बाहरी इनकी बेकाबू खिलती जवानी के रस को निचोड ना ले और मुझे घन्टा कुछ ना मिले ।
मै इसी सब मे खोया था कि बबिता ने मुझे हिलाया
बबिता - क्या हुआ भैया क्या सोच रहे हो
मै - हा हा ,, गीता कहा है लेकिन
बबिता - अरे वो नंगी ही थी बिस्तर के निचे घुस गयी है ,,,गीता आजाओ बाहर वो भैया आये है और कोई नही हिहिहिहिही
तभी गीता बेड के निचे से निकाली उसकी झुल्ती आम जैसी मुलायम गोरी चुची को देख कर उत्तेजित होने लगा और लण्ड टनाटनाने लगा ।
गीता - अरे भैया आप आ गये चलो हम सब मिल कर मस्ती करते है
मै - नही आज कोई मस्ती नही होगी
गीता बबिता का चेहरा उतर गया एकदम
मै - देखो गुडिया मीठी ध्यान से सुनो , ये खेल बड़ो का है और अभी तुम दोनो छोटे हो तो रोज रोज नही खेल सकते नही तो तबीयत खराब हो जायेगी
बबिता - वो कैसे भैया हमे तो मज़ा आता है
मै - अच्छा मज़ा आता है लेकिन जब चुत से वो पानी निकलता तो थक भी जाते हो ना बहुत
गिता - हा भैया और जांघ भी दर्द करता है
मै - हा वही और अगर डॉक्टर के पास गये तो उसे पता चल जायेगा कि तुम लोग कैसे बीमार हुए हो । फिर वो मामा मामी को बता देगा की तुम लोग कैसे बिमार हुए फिर तुम ही सोचो वो लोग कितना पीटेंगे तुम दोनो
गीता - तो क्या हम लोग नही खेलेंगे अब ये ,
बबिता - हा भैया कितना मज़ा आता था इसमे
मै - खेलो लेकिन हफ्ते मे जब छूटी का दिन हो तब , जैसे रविवार को या कोई त्योहार का छुट्टी हो तब समझे
गीता बबिता खुश होते हुए - जी भैया थैंक यू
मै - चलो अब तुम कपडे पहन लो मीठी आज रात मै तुमको कुछ सिखाने वाला हू
गीता - क्या भैया
मै - वही जो खेल है वो कैसे कैसे सही तरीके से खेल सकते हो
बबिता - ठीक है भैया
फिर गीता ने अपने कपडे पहने और हम लोग एक साथ बिस्तर पर चले गये ।
फिर मैने उनको डाउनलोड की हुई पोर्न वीडियो दिखाई जिसमे लण्ड चूसने के तरीके , कुछ लेसबन वीडियो थे जिसमे दो लडकिया आपस मे एक दुसरे के बदन के खेल्ती है ।
इस दौरान मै बहुत उत्तेजित होता रहा और गीता बबिता पर भी वीडियो का नशा था लेकिन मेरे सामने उन लोगो ने भी खुद को रोका ।
ऐसे ही करीब एक घन्टा समय बीता और वो दोनो मेरे उपर ही सो गयी । फिर मैने उन दोनो को सुला कर मोबाइल लिया और निकल गया मौसी की रूम की तरफ ।
देखते है दोस्तो आगे क्या होने वाला है ।
आप सभी की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा ।
Dono Puri Randiyaan H..Update 44
मै गीता बबिता को सुला कर मौसी के रूम की तरफ निकल गया । मौसी का रूम हमारे रूम के बगल वाला ही था और प्लान के मुताबिक मा को जैसा बोला था दरवाजा खुला छोडने को वो वैसे ही था ।
जैसे ही मै अपने कमरे के पास पहुचा तो मौसी के कमरे के अंदर से कमरे की लाईट की हल्की रोशनी दरवाजे और गेट के गैप से बाहर की तरफ आ रही थी ।
जैसे जैसे मै कमरे की तरफ जा रहा था वैसे वैसे मुझे कुछ खुसफूसाहट की आवाजे आ रही थी । अब मैं कमरे के दरवाजे तक पहुचा और कान उस गैप मे लगा के सुना तो हल्की सिसकियाँ आ रही थी । मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आई और मै घूटनो के बल बैठा फिर हल्का सा धीरे धीरे से दरवाजा और खोला,,,,
अहाआ कमरे मे मेरे और मा के प्लान के हिसाब से ही सारा काम चल रहा था,, मा ने मौसी को पूरी नंगी कर उनकी चुत मे मुह डाले चाट रही थी और वो खुद भी नंगी थी ,,, उनकी गाड़ फैल कर मेरे सामने दिख रही थी , मा की जन्घे और वो हल्के बालो वाली चुत अह्ह्ह देख कर ही लंड खड़ा था वही मौसी बेड पर लेती हुई अपनी चुचिया मिजते हुए सीसक रही थी।
ये देख कर उत्तेजित हो गया था मै पूरी तरह से । तो मैने जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाले और मोबाईल का रिकॉर्डिंग ऑन किया और धीरे से कमरे मे गया ,,,, फिर मा और मौसी के बगल मे खड़ा होकर रिकॉर्डिंग करते हुए लण्ड हिलाने लगा ।
जैसे ही मौसी की नजर मुझ पर पडी तो जो उन्होने बोला उससे मै चौक गया ।
मौसी - आह्ह्ह आ गयाआआ बेटा अह्ह्ह कहा था इतनी देर अह्ह्ज
मुझे शौक लगा कि मै तो यहा एक नाटक करके बिना बताये सबको अपने प्लान मे मिलाना चाहता था,, मतलब मा ने मेरा प्लान मौसी से शेयर कर दिया और मौसी ने हमारी बाते मा को बता दी होगी ।
मौसी - अरे सोच क्या रहा है बेटा , छोटी ने मुझे सब बता दिया और मै भी उसे हमारे बारे मे ,,,,हम एक दुसरे से कुछ नही छिपाते सीई श्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
मा मौसी के चुत से अलग होती हुई बोली - तू क्या सोच रहा था कि तू नही बतायेगा तो मुझे पता नही चलेगा
मै - सॉरी मा
मा - अरे मै नाराज नही हू बेटा
अब मुझे थोडा हल्का फुल्का मह्सूस हुआ । अब भी मेरे एक हाथ मे मोबाइल और दुसरे हाथ मे लण्ड थामे हुए था
मौसी - अब क्या वीडियो ही बनाएगा
मै - हा आज पूरी वीडियो ब्नाते हुए सब करना है
मा - किसको दिखायेगा
मै - आप दोनो ,,,की लण्ड चुसते हुए दोनो किसी रन्डी से कम नही लगती हो
मा शर्माते हुए - धत्त बदमाश अपनी मा को रन्डी बोल रहा है
मै - पापा भी तो आपको चोदते समय बोल्ते है ना
मा बिस्तर पर बैठे बैठे एक हाथ आगे कर मेरे लण्ड को थामा और चमडी को आगे की तरफ खीछते हुए बोली - अच्छा और क्या बनाना चाहता है तू मुझे हा
मै मा के हाथ का स्पर्श अपने लण्ड पर पाकर सिहर उठा- अह्ह्ह मा उम्म्ंम्ं
मा - बोल ना मेरे राजा क्या क्या बनाना चाहता है तू अपनी मा को ,,मा लगातार लण्ड को आगे की तरफ खिचे जा रही थी ।
मै - हा मा मेरे बहुत सारे अह्ह्ह्ह आराम से मा इसस्स्स्स उम्म्ंम्ं मेरे बहुत सारे सपने है आपको लेके
मा ने वापस चमडी को पीछे सुपाडे से पीछे किया ,,,सुखी चमडी पीछे जाने से हल्का दर्द हुआ मुझे और मेरी अह्ह्ह निकल गयी
मा ने चमडी को पीछे कर सुखे सुपाडे के सिरे को अपने अंगूठे से सहलाते हुए बोली - बता ना बेटा क्या क्या सपना है तेरा
मै - सीईई अह्ह्ह मा वो मै मै अह्ह्ह उम्म्ंम
मा - हा बोल न बेटा , मा मेरे सुपाडे को अपनी हथेली मे घूमाते हुए बोली , मुलायम लेकिन खुरदरी हथेली का स्पर्श अपने सुपादे पर पाते ही मेरा रोम रोम सिहर गया
मै - अह्ह्ह इमम्म्ं उफ्फ्फ्फ मा मुझे आपको ना अह्ह्ह आपको ना पापा के अह्ह्ह उह्ह्ह्ह ऊहह अह्ह्ह मा मुह मे लेलो ना क्यू तडपा रही हो अह्ह्ह
मा मुस्कुराई और मुझे लण्ड से पकड कर आगे खीचा और जीभ निकाल कर मेरे सुपाडे को चाटा और फिर दोनो होठो से उसको अच्छे से चुबलाया और फिर मुह खोल कर आधा लण्ड मुह मे ले लिया ,,,
अह्ह्ह्ह एक सुकून सा मिला मा के मुह मे लण्ड जाते ही और मै इस दौरान लगातार मोबाइल चालू किये रिकॉर्डिंग कर रहा था ,, इधर मा ने मेरे लण्ड को चूसना सुरु कर दिया जिससे उनकी नंगी चुचिया हिलने लगी ,,,वही मैने जब कैमरा मौसी की तरफ किया तो देखा मौसी अपनी चुचो के दोनो घुंडीदार काले निप्प्ल को पकडे घुमा रही थी और आंखे बंद किये सिस्क रही थी ।
मै - अह्ह्ह मा उम्म्ंम उद्फ्फ क्या मस्त चुस रही हो जैसे कोई अह्ह्ह कोई रन्डी चुस रही हो आह्ह उम्म्ंम
मै - मौसी आप भी आओ ना चुसने अह्ह्ज उम्म्ंम उफ्फ्फ
मेरी बात सुन कर मा मुह से लंड को बाहर निकालते हुए बोली - हा दीदी अप भी आओ ना
मौसी उठी तो उनकी मोटी मोटी थन वाली चुचिया लटक गयी आह्ह मन तो कर रहा था की दोनो को लिटा कर खुब चुसू उनकी चुचिया
फिर मौसी मुस्कुराआते हुए मेरे पैरो मे बैठ गयी और उपर मोबाइल के कैमरा मे देख्ते हुए अपनी दोनो चुची को हाथो मे उठा कर हिलाते हुए दिखाने लगी ।
मै - आह्ह मौसी सच मे आप तो एक नं की रन्डी हो
उधर मा भी निचे आकर मौसी को देख अपनी चुचियो को हाथ मे उठा कर हिलाते हुए उपर देखने लगी
अह्ह्ह क्या सिन था ,,,जैसे कोई पोर्न वीडियो की शूटिंग चल रही थी और मेरी दोनो गदरायी रन्ड़िया किसी पोर्नस्टार से कम नही लग रही थी ।
मैने भी कैमरा चालू किये ही अपना लण्ड आगे किया
मा और मौसी दोनो ने अपनी चुचियो को मसलते एक साथ अपनी जीभ को बाहर निकाल कर मेरे सुपाडे को दोनो तरफ से चाटा और मेरे सुपाडे पर जीभ घुमाने लगी ,,,दोनो के जीभ आपस मे रगड़ कर मुझे और उत्तेजित करते । जल्द ही मेरा लंड गिला होने लगा क्योकि एक तरफ जहां मौसी ने मेरे लण्ड को मुह भर लिया था वही मा ने मेरे आड़ो को चाटने लगी
एक साथ हुआ ये हमला मुझे कमजोर किये जा रहा था और मेरे पैर काप रहे थे ।
मै - मा मै गिर जाउगा ऐसे अह्ह्ह इमम्म्ंं उम्म्ंम
मौसी लण्ड मुह् से बाहर निकाल कर बोली बेटा तू सोफे पर बैठ जा
मै भी खुश हुआ और जल्दी से पीछे सोफे पर जांघो को फैला कर बैठ गया और वो दोनो हसिनाये अपनी चुचियो को झुलाती हुई बिल्ली बनी घुटनो के बल चलते हुए मेरे जांघो के बीच मे आ गई । फिर दोनो ने एक एक हाथ मे मेरे लण्ड को थामा और मुह से मेरे लण्ड पर थूक की लार गिराने लगी
मै ये नजारा पहले ही मा के साथ देख चुका था लेकिन मौसी और मा को एक साथ ऐसा करते देख कर उत्तेजित हो गया मेरा लंड और कडक हो रहा था ,,,जैसे लार मेरे लण्ड के सुपाडे पर गिरती दोनो अपने हाथ से उसे अच्छे से लण्ड पर लीपती थी । मेरा लण्ड अब बहुत ही उत्तेजना से भर गया था लेकिन इन दोनो को रहम कहा
ये उसे आपस मे मुस्कुराते हुए हिलाये जा रही थी
फिर मा झुकी और पहले मेरे लण्ड को चूसा और फिर वापस मौसी की तरफ लण्ड किया , मौसी ने भी लण्ड गले तक लिया और मुह मे बनी लार को वापस लण्ड पर उडेल दिया जिसे मा ने अच्छे से आड़ो तक मल रही थी ।
इस दौरान मै लगातार आहे भरते हुए वीडियो बनाये जा रहा था ,,, सच कितनी चुद्क्क्ड बहने थी दोनो ।
दोनो ने अच्छे से भर भर कर मेरे लण्ड को चूसना सुरु कर दिया और मेरे लण्ड की नशे फटने को आ गयी
कभी मा मेरे लण्ड को चुस्ती तो मौसी मेरे आड़ो को
तो कभी मौसी मेरे लण्ड को चुसती तो मा मेरे आड़ो को
इसी दौरान मेरे लण्ड मे खुन भरने और सुपादा पूरी तरह से लाल होने लगा मुझे आभास होने ल्गा की मै जल्द ही झड़ जाऊंगा ।
मै - अह्ह्ह मा उह्ह्ह मौसी उम्म्ंम्ं और चुसो औह्ह्ब निकलेगा मेरा अह्ह्ह्ह औम्म्ंंं औह्ह्ह और और और हा अहा हा हा ऐसे ही मेरी रन्डीयो अह्ह्ह
जैसे ही मेरे मुह मे दोनो ने सुना की मै झडने को हू दोनो एक साथ मेरे आड़ो पर हमला किया और दोनो बॉल को मुह मे लेके चुसते हुए मेरे लण्ड की चमडी को तेज़ी से उपर निचे करने लगी ,,,ये मेरे लिये एक नया और अत्यंत हवस से भरा कामुक अह्सास था जल्द ही मेरे सुपाडे ने बीर्य को उगल्ना सुरु कर दिया तेजी मेरा गर्मा गर्म माल लण्ड के सुपाडे से निकल कर बहने ल्गा और दोनो के हाथ से रिस्ते हुए मेरे आड़ो तक जाने लगा ।वीर्य निकल्ते ही मै निढ़ाल हो गया लेकिन मोबाइल को कोसिस करके अच्छे से थामे रहा
यहा मा और मौसी मेरे वीर्य निकल्ते हुए वीर्य भुखी रन्ड़ियो के जैसे टुट पडी। मा ने जहा झट से मेरे सुपाडे को मुह मे भर लिया वही मौसी मेरे आड़ो और लण्ड के बाकी हिस्से पर रिस्ते गर्म वीर्य को चाटने लगी
जल्दी ही मा मेरे लण्ड से अलग हुई तो मौसी ने सुपाडे को सुरुरना चालू कर दिया लेकिन तब तक मा ने मेरे माल को अपने मुह मे भर लिया जो उन्के होठो से रिस रहा था ,,जिसे देख कर मौसी मा पर झपती और उन्के मुह मे जीभ डाल कर अपने मुह मे माल लेने लगी । दोनो एक दुसरे के मुह से वीर्य का लेन देन करने लगी ।अच्छे से एक दुसरे को चाटना शुरु कर दिया और एक दुसरे को मसलने लगी थी ।
यहा बैठे हुए मै ये नजारा देख कर ताजुब मे था की दोनो एक दूसरे से कितना खुल कर है और एक दुसरी को अच्छे से मज़े देने लगी । ये सब देख कर मै खड़ा हुआ और मोबाईल को एक जगह सेट कर दिया और उन दोनो के पास चला गया
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Kya Choda H Nana Ne Maja Hi Aa GyaUPDATE 100नाना बिस्तर के किनारे टेक लगाये पैर खोल कर बैठे थे ।
MEGA
उनका खड़ा लण्ड धोती के निचे सांस ले रहा था ।
मा मुस्कुरा कर थोडा शर्मा कर खुद के भाव को स्थिर रखने की कोसिस करते हुए नाना के बगल मे आ गयी ।
फिर उसने बाये हाथ से धोती उठाकर बिना निचे देखे दुसरे हाथ से वो ठण्डा सेकाई का पैकेट नाना के लण्ड के उपर रख दिया ,,, ठन्दक आ एहसास होते ही नाना की चिहुक उठे और मा थोडी मुह मे ही खिलखिलाई
मा मुह फेरे हुए दीवाल को देखते हुए अंदाजे से नाना के लण्ड पर सेकाई वाला पैकेट दबा रही थी
मा मुस्कुरा कर - आराम से बैठे रहिये बाऊजी नही तो ,,,,
नाना हस कर गुदगुदी मह्सूस करते हुए - हाह्हहहा बेटी वो गुदगुदी सी हो रही है वहा
अन्दर कमरे का हाल देख कर मुझे भी हसी छूट रही थी
मा - अभी थोडी देर मे सब सामान्य हो जायेगा बाऊजी
फिर मा ने धोती के अन्दर से उस पैकेट को नाना के लण्ड के निचले हिससे पर ले आई ।
गर्म आड़ो पर बर्फ सी गुदगुदाती ठन्डक पाते ही नाना जी उछल पड़े और मा के हाथ से वो पैकेट छितक गया ।
मा नाना के लण्ड की ओर देखते हुए - अरररे बाऊजी आराम से ,,,वो पैकेट गिर गया
फिर मा ने अपना हाथ निचे ले जाकर नाना जी जांघ के निचे अंदाजे से टटोला या जानबुझ कर लेकिन नाना जी के आड़ उनके हाथ मे आ गये ।
नाना - अह्ह्ह बेटी वो नही है मा ने तुंरत हाथ बाहर खिच लिया और शर्मा कर - सॉरी बाऊजी
फिर नाना ने धोती ह्टाई और पैकेट को उठा कर अपने लण्ड के उपर रख दिया ।
मा ने कनअखियो से नाना के लण्ड को देखा और एक नजर नाना की नजर मे देखा जो इस समय मा के गीले निप्प्ल को निहार रहे थे और वही वो पैकेट नाना के लण्ड पर पडा झूल रहा था ।
मा थोडी मुस्कुराई और वापस से उस पैकेट को पकड कर लण्ड के निचे ले गयी और फिर से आड़ो पर लगाया ,,,
पैकेट को दबा कर अच्चे से उसकी सेकाई करने लगी ।
मगर मा के हाथो से पैकेट से ही सही लेकिन अपना लण्ड मथे जाने पर नाना जी को बहुत मजा आ रहा था वो आंखे बंद कर हल्के हल्के मादक होने लगे ।
नाना को आंख बन्द किया देख मा ने धीरे से उनके लण्ड को पकड कर सीधा किया और लण्ड के निचली नस पर वो पैकेट टिका दिया ।
इधर मा के हाथो का स्पर्श पाकर नाना की आन्खे खुली और देखा कि मा उनके सुपाडे वाले हिस्से को अपनी अंगूठे और तर्जनी से पकडे सेकाई कर रही है
वो और उत्तेजित हो गये और उनकी नजर मा के ब्लाउज मे उस निप्प्ल पर जाने लगी जो अब धीरे धीरे सुखने लगा था लेकिन निप्प्ल का कड़ापन अब भी था ।
नाना जी ने एक नजर मा के पेतिकोट मे उभरे हुए कूल्हो पर डाली जिससे उनका लण्ड ने झटका दिया और वो मा के उंगलियो की पकड से छिटक गया ।
मा अपने ऊँगलीयो से लण्ड छिटक जाने पर चिहुकी - अरे हिहिहिही
नाना मुस्कुराये और मा भी थोडी शर्म से मुस्कुरा कर वापस से लण्ड को इस बार मुठ्ठि मे पकड ली और दोनो की धडकनें तेज हो गयी ।
इस बार मा के लण्ड को उपर अच्छे से पकड कर उन्के आड़ो को अच्छे से दबाया और नाना सिस्क उठे ।
सेकाई का असर कुछ खास नही हो रहा था ,,,उपर से नाना जी के लण्ड के कसाव बढता ही जा रहा था ,,बार बार आड़ो के मसले जाने से और मा के हाथो का स्पर्श अपने लण्ड पर पाकर नाना जी बहुत उत्तेजित हो गये थे ।
इतना खुलने के बाद भी नाना जी के मन मे अभी भी संकोच था कि कही वो आगे बढ़े तो मा कुछ गलत प्रतिक्रिया ना दे ,,,मगर इस समय वो हवस से घिरे थे और मा के जिस्म की महक उनको और भी मादक कर रही थी ।
तभी मा ने कुछ ऐसा किया कि नाना को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी ।
मा ने नाना के बगल मे उनकी ओर पीठ कर बैठ गयी
मा - खडे खडे पैर दर्द करने लगा था
हालाँकि मा बहुत थोडे ही जगह पर बैठी उसके भारी चुतडो का एक हिस्सा अभी भी बिस्तर से लटका था और नाना को मानो इसी मौके की तालाश थी ।
वो लपक कर मा के दुसरे तरह हाथ डाल कर कूल्हो को पकड़ अपनी तरफ खिचते हुए खुद थोडा बिसतर पर खिसक गये
नाना - आजाओ बेटी आराम से बैठ जाओ
मा सिहर सी गयी उसके बदन मे बिजली सी कौंध गयी और वो शर्मा कर वापस से सेकाई करने लगी ।
लेकिन नाना का हाथ अभी भी वही मा के कुल्हे पर था ।
यहा मेरा लण्ड फटने को आ गया था ।
थोडी देर सेकाई के बाद मा बोली - बाऊजी लग रहा है इसकी ठंडई कम हो गयी है
और उसने वो पैकेट लण्ड से उठा कर अपने गाल पर लगाया और चेक किया
नाना जी ने सिहर गये और धीरे धीरे मा के कुल्हे सहलाने का कार्य जारी रखा
मा उठने को हुई तो वापस मा के कुल्हे दबा कर उनहे मानो रोक रहे हो
मा को इसका आभास होते ही बोली - बाऊजी मै बर्फ बदल कर लाती हू
और फिर खड़ी हो गयी ।
नाना - नही बेटा रहने दे उससे फायदा नही होगा ,,,मै जानता हू क्या करना है
मा - क्या बाऊजी
नाना मुस्कुरा कर - अब क्या बताऊ बेटा,,,तू बस कटोरी मे सरसो का तेल लेते आ
मा शर्मा गयी - लेकिन बाऊजी उससे आपको फिर थकान,,,,
नाना मा की बात काटते हुए - नही मुझे कोई दिक्कत नही होगी तू लेके आ बस
मा ने हा मे सर हिलाया और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर गयी ।
बाहर आते ही मैने लपक कर मा को हाल मे रोक लिया और उनका हाथ अपने लण्ड पर जमा कर उन्के होठ चुस लिये ।
मा मुझसे अलग होकर -क्या कर रहा है दरवाजा खुला है
मैने अपने लण्ड की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसका क्या
मा मुस्कुरा कर धीरे से मेरे गाल चूम कर मेरे लण्ड सहलाते हुए - अभी मै आउन्गी तेरे कमरे मे
फिर मा फौरन किचन मे गयी और वापस से सरसो का तेल एक कचौरी मे लेके अपने कमरे मे आ गयी और वापस उसी तरह दरवाजा भिडका दिया ताकी बारीक दरारो से मै देख सकू
कमरे मे नाना जी वैसे ही बैठे कुछ सोच रहे थे कि मा आ गयी।
मा मुस्कुरा कर - हा बाऊजी
नाना - बस यही रख दे बेटी मै कर लूंगा ,,जा तू भी आराम कर
मा शर्मा कर - जी नही बाऊजी ,,, आपको तकलीफ है और मै आराम कैसे कर लू
मा - लाईये वो धोती दीजिये इसका पानी पोछना पडेगा ।
फिर मा वापस उसी जगह उसी पोजिसन मे नाना के बगल बैठ गयी और धोती से अच्छे से मल मल कर नाना के लण्ड उनके जांघो और आड़ो को साफ किया और फिर वो तेल की कटोरी से हल्का सा तेल लेके नाना के आड़ो मे लगाया और सह्लाया जिससे नाना गनगना गये ।
मा ने वापस से थोडी तेल को उंगलियो मे चपेड़ा लण्ड कर लगायी इस बार कुछ बुन्दे बेडशिट पर गिर गयी ।
नाना - अरे बेटी रहने दे ,, बिस्तर खराब हो जायेगा
मा - कोई बात नही बाऊजी मै बदल दूँगी
नाना - नही बेटा कितना परेशान होगी तू
मा कुछ ध्यान आया और उन्होने सोचा क्यू ना दीदी यानी रज्जो मौसी वाला आइडिया यूज़ किया जाय
मा - अच्छा ठीक है फिर आप पैर लटका के बैठ जाईये बेड पर मै निचे बैठकर कर देती हू
नाना जी मा की जिद पर मुस्कुराये और मा खड़ी हो गयी ।
नाना जी भी खसक कर बेड के बिच से एक तरफ पैर लटका कर बैठ गये और मा भी उन्के सामने ठीक एक अपना सृंगार टेबल का स्टूल लेके बैठ गयी ।
इस समय नाना जी का लण्ड मा के ठीक सामने था और मा ने अच्छे से तेल चभोड़ कर नाना के लिंग की मालिश करनी शुरु की और तेल से पूरी तरह लिंग को च्भोड़ दिया और इधर नाना जी आंखे बंद किए आहे भर रहे थे । जब कभी आंखे खुलती तो मा की हिलती चुचिया नजर आई और वो चरम पर जाने लगे ।
उन्के आड़ो से वीर्य उन्के सुपाडे मे भर गया था ।
मा को भी इसका आभास था क्योकि उन्के हथेलियों मे लण्ड कसने लगा था और तभी अचानाक से नाना जी का फब्बारा फुट पडा ।
मा और नाना एक साथ चिहुके , दोनो के मुह से एक समान रूप से सम्बोधन हुआ
मा - अरे बाऊजी , नाना - अरे बेटी
तब तक देरी हो चुकी थी
नाना जी का माल मा के जिस्मो पर फैल चुका था ,, उन्के चुचो , पेट और कुछ एक दो छीटे गालो पर
नाना ने फौरन मा का हाथ हटा कर लण्ड का मुहाना पकड लिया - ओह्ह्ह माफ करना बेटी ,,,मुझे पता ही नही चला ,,, लेकिन अभी भी उनका लण्ड झटके खा कर उन्के हथेली मे ही वीर्य उगल रहा था
मा अंदर ही अंदर बहुत संतुष्ट थी मगर सामने से थोडा झेपने के भाव मे - कोई नही बात नही बाऊजी मै साफ कर लेती हू जाकर ,,,
नाना जी एक बार फिर से माफी मांगी और मा ने उन्हे तसल्ली दी कोई बडी बात नही है ।
इधर मेरे लण्ड का बुरा हाल था ,,,अन्दर कमरे मे मेरा प्लान फेल होता नजर आ रहा था , क्योकि मेरे प्लान के मुताबिक रज्जो मौसी के जैसे नाना मा से भी पहल करते या उन्हे रिझाते मगर अन्दर सब छिछालेदर हुआ पडा था । अब आगे जो कुछ भी हो सकता था वो संयोग या मा के फैसले पर था । या तो वो कुछ अपने तरफ से करे या फिर साफ सफाई कर मेरे पास सोने आ जाये ।
मै इधर उलझा हुआ था
वही कमरे मे नाना खुद को कोसते हुए बडब्डा रहे थे और जल्दी मे अपने जान्घिये से ही अपने लण्ड का वीर्य और फिर फर्श पर छिटका हुआ माल साफ करने लगे ।
मगर मा भी कम नही थी मेरे मोटीवेशन का और थोडी बहुत जीत से उसे बहुत हिम्मत आई और उनसे बाथरूम मे जाकर अपने ब्लाउज पेतिकोट निकाल कर धुल दिये और नहाने लगी ।
थोडी देर बाद मा की आवाज आई
मा बाथरूम के दरवाजे से ओट लेके - बाऊजी वो सोफे के पास हैंगर पर तौलिया होगा दे देंगे क्या
नाना जी एक नजर मा को देखा और मुह फेर लिया और फिर मा के बताये जगह पर देखा तो वहा तौलिया था ही नही ।
नाना - नही बेटी नही है वहा तौलिया
मा - ओह्ह अच्छा फिर वो मेरे टेबल मे एक चाबी होगी उससे इस आल्मारि से मेरा कोई कपडा निकाल देंगे ।
नाना जी जो ग्लानि मे थे वो फटाफट से धोती को लूंगी सा लपेट कर ,,,ड्रावर मे चाबी खोजी लेकिन मिली नही ,,,
चाभी मिलती कैसे , चाभी तो मा हमेशा बेड के सिरहाने रखा करती थी बिसतर के गद्दे के निचे ।
निराश मुह से नाना - नही मिल रहा है बेटी
मा थोडा संकोच दिखा कर - अच्छा फिर आप वो जांघिया पहन लिजिए और मुझे अपना धोती दे दीजिये
नाना एक पल को चहके पर जल्द ही उनकी खुशी धूमिल हो गयी जब उनकी नजर उनके जान्घिये पर गयी जो फर्श पर वीर्य से चख्टी लतीयायि - सिकुडी हुई पड़ी थी ,,,मगर बेटी को और निराश ना करते हुए वो दरवाजे तक गये और अपनी धोती खोल कर उसे देदी ।
मा ने लपक कर धोती ली और दरवाजा बंद कर दिया
नाना जी वापस निराश होकर बाथरूम की ओर मुह किये बेड पर वैसे ही बैठ गये ।
थोडी ही देर मे दरवाजा खुला और मा नाना जी की पतली धोती लपेटे बाहर आई जिसमे उसके जिस्म से धोती ऐसे चिपकी थी मानो उसे ही पहन कर मा ने उपर से ही नहाया हो ।
धोती की चौड़ाई कम थी इसिलिए मा के आधे चुचे और आधी गाड़ तक की धोती लिपटी थी उपर से निप्प्ल , नाभि और चुत का शेप सब कुछ साफ साफ उभरा हुआ था ।
नाना जी की नजर मा पर पडते ही वो वापस से उत्तेजित हो गये और उनका लण्ड फनफना उठा ।
मा बडी शर्मीन्दगी से नजर झुकाये बाहर आई और फिर नाना के सामने की चल कर बाथरूम के बाहर जस्ट बगल मे लगे ड्रावर को खोलने के झुकी ।
जिससे मा के गाड़ फैल कर और नंगी ,नाना के सामने आ गयी और उनकी गाड़ के भूरे छेद के साथ उनकी चाकलेटी चुत का चीरा भी साफ साफ दिख गया ।
नाना क्या , ऐसे मादक नजारे को देख कर मै मेरे लण्ड ने कुछ बुन्दे निचोड़ दी । मुझे अन्दाजा लग गया कि मा इतने जल्दी हार नही मानने वाली है और हमारा प्लान जरुर पुरा होगा ।
नाना का बुरा हाल हो गया ।
कुछ देर तक वैसे ही झुक कर मा ने नाना को अपना दिदार कराते हुए चाबी खोजती रही लेकिन नही मिली तो खड़ी होकर ,,,नाना को नजरअंदाज करते हुए और चेहरे पर परेशानी का भाव लाकर इधर उधर चाभी खोजने लगी ,,,ताकि नाना को लगे कि सब सामान्य है
और तभी मा की नजर बेड के दुसरी तरफ पड़ी नाना के जन्घिये पर गयी और वो उसे उठा कर नाना के सामने लाते हुए
मा - आपने इसे पहना नही क्या
नाना नजर उठा कर एक बार सामने मा का दिदार किया और बोले - वो बेटी मैने उसी से वो फर्श साफ कर दिया था
मा परेशान होकर- ठीक है कोई बात नही,,,मगर ये चाभी नही मिल रही है ,,,रुकिये मै इसे बाथरूमे डाल के आती ही हू ,
फिर मा अपने चुतड मटकाते हुए बाथरूम में गयी और नाना का जांघिया बालटी मे डाल कर बाहर आई
मा परेशान होकर - लग रहा है मै तौलिया आज उपर से बाथरूम मे ही भूल आई हू ,,,बाऊजी जी आप लेते आयेन्गे क्या ,,तब तक मै चाबी खोजती हू
नाना जी हड़ब्डाये - अब ब ब हा हा ठीक है लेकिन ऐसे कैसे जाऊ
मा - अरे हा ,,,कोई देख लेगा तो ,,वैसे तो सब सोये है लेकिन फिर भी डर है
नाना चिन्ता के भाव मे - फिर बेटी
मा थोडा संकोच कर - मै आपको ये धोती देती हू आप लपेट कर चले जाईये और बाथरूम मे तौलिया और मेरे कुछ कपडे होने आप लेते आईये ,,,
नाना ने थुक गटका और बोले - लेकिन बेटी तू मेरे सामने ,,,
मा को ध्यान आया या उसने नाटक किया ये वो ही जाने
मा - हा लेकिन ऐसे कब तक हम लोग रहेंगे ,,, अभी रात का समय है और सुबह मे दिक्कत ज्यादा हो जायेगी ना
नाना नजरे निचे किये मा के जांघो को निहार रहे थे और उनका लण्ड अभी भी कसा हुआ था ।
नाना - हमम बात तो सही है बेटी
लेकिन
मा तो मानो तय कर चुकी थी आज कयामत ढाने की
उसने फटाक से नाना के तरफ पीठ कर घूम गयी और धोती निकाल कर उनकी तरफ कर दी ।
नाना की नजर मा के खुले तरासे बदन पर जाते ही उन्के मन मे बिजली सी कौंध गयी और उनकी नजर मा की ब्ड़ी गोल गोल गाड़ पर गयी जिसके रोये किसी रोमांच से एक दम तन कर नोक के समान खडे हो गये थे ।
मा तेज सांसे ले रही थी और नाना चित होकर मा के कुल्हे और गाड़ की लकीर का अवलोकन कर अपनी लन्ड़ को थामे हुए थे ।
मा - अब जाईये बाऊजी ,,
नाना चौके - हा हा बेटी
वो फटाक से धोती को लुन्गी के जैसे लपेटा जो की काफी भीग चुकी थी और बिना मा को देखे निकल गये बाहर
मै फटाक से हाल के दीवाल की ओर हो गया और नाना सीधा उपर की ओर सीढी से चले गये ।
नाना के जाते ही मा लपक कर बाहर गलियारे मे आई तो मैने उन्हे अपनी बाहो मे भर लिया
,,, नहाने के बाद उनका मखमली सा बदन मे ताजगी की खुस्बु थी और ह्मारे होठ जुड़ गये ।।मैने उनके नंगे गाड़ के पाटो को फैलाया जिसपे उन्के खडे रोए का खुरदरापन मेरे स्पर्श से शिथिल होने लगा और मा मेरी बाहो मे पिघलने लगी ।
मै - मा तुमने तो अच्छे से सम्भाल लिया है सब
मा हस कर - आखिर मा किसकी हू
मैने झुक कर एक निप्प्ल को चुबलाया और बोला - तो फिर आगे क्या प्लान है
मा - तू बस देखते जा अपनी मा का जलवा ,,बहुत हो गया तेरा प्लान और चालबाजी हिहिहिही
मै मा को अपने जिस्म से चिपका कर - बाप के बाद इस बेटे का भी ध्यान रखना ,,,भूल ना जाना
मा मुस्कुरा कर मेरे होठ चूम लेती है और तभी उपर से किसी के आने की आहट होती है और मै फटाक से अपने कमरे मे जाता हू और मा अपने कमरे मे दरवाजे का ओट लेके खड़ी हो जाती है ।
तभी सीढियो से नाना के उतरने की आहट आती है और वो कुछ कहते हुए कमरे मे घुस जाते है और मा वैसे ही हल्का दरवाजा भिडका कर कमरे मे नाना के सामने घूम जाती है ।
यहा मै फटाक से अपने कमरे से बाहर आता हू और मा के कमरे मे झाकत हू जहा सिर्फ नाना ही दिख रहे होते है और उनका मुह खुला हुआ रहता है धोती मे लण्ड तना हुआ
कमरे मे मा सीधा नाना के सामने आ गयी थी और उसकी नंगी चुचिया और चुत सब कुछ नाना के सामने था ।
मा को एहसास होते ही वो नाना के हाथ से तौलिया लेके उनकी ओर पीठ कर उसे लपेट लेती है। जो की लगभग नाना की धोती के नाप का ही था ।
बल्कि उससे भी छोटा ,,,लम्बाई कम होने से पुरा नही लिपटा था ।
मा घूमी और नाना से - मेरे कपडे नही लाये क्या बाऊजी
नाना हड़ब्डा कर - हा हा बेटी ये लो ,,,यही था
नाना के हाथ इस समय मा की एक मैरून ब्रा और पैंटी थी ।
मा ह्स कर - ब्स यही था
नाना मा को हस्ता देख बोले - हा यही था
मा - ओहहह फिर ये चाभी भी नही मिल रही है ,, लग रहा है कि यही पहनना पडेगा
नाना कुछ नही बोले और मा की नजर नाना के जांघो मे लिपटी गीली धोती पर गयी ।
मा - ओह्ह ये धोती भी भीग गयी है ,,,ऐसे तो आपको भी दिक्कत होगी
मा कुछ सोच कर
- लाईये वो कपडे दीजिये मै बदल कर आती हू फिर आप ये तौलिया लपेट लिजिएगा
नाना कुछ प्रतिक्रिया देते उससे पहले ही मा ने उन्के हाथ से ब्रा पैंटी लेके बाथरुम मे चली गयी और इस बार 10 मिंट बाद आई ।
मा का नया कातिलाना रूप और भी कामुक था ।
मरून लेस वाली ब्रा मे मा के चुचे कसे और उभरे हुए थे और वही पैंटी पूरी तरह से चुत और गाड़ से चिपकी हुई थी ।
मा का ये रूप देख कर नाना जी के साथ मै भी गनगना गया ।
मा मुस्कुरा कर नाना के सामने आई और शर्मा कर नाना को तौलिया दिया
नाना ने मा के जिस्मो को निहारते हुए अपनी धोती निकाल दी और वापस उनका लण्ड भन्नाकर तन गया ।
मा परेशान होकर - ओह्ह मतलब अभी तक आपको आराम नही मिला
नाना मुस्कुराये और मा के हाथ से तौलिया लेके लपेटते हुए बोले - बेटी छोडो उसे वो मनमौजी है ,,,
मा खिलखिलाई - क्या बाऊजी आप भी ,, तकलीफ मे भी आप मजाक नही भूलते
नाना हस कर - सच मे वो ऐसा ही होता है ,,,तेरी मा तो परेशान हो जाती थी इससे
मा शर्मा कर हसी और बिस्तर पर बैठ गयी ।
फिर नाना जी बैठ गये ।
मा - बाऊजी मैने मेरे कपडे और आपके जान्घिये को धुल दिया है ,,सुबह तक सुख जायेगा ।
आईये लेट जाते है ,,काफी समय हो गया है ।
नाना थोडा संकोच कर - ठीक है बेटी मै सोफे पर
मा - अरे कोई बात नही ,,आप कोई गैर थोडी है ,, भूल गये कैसे बचपन मे मै तो आपके उपर सोती थी ,,,हा अब मोटी हो गयी हू तो शायद आप ना सुला पाओ हिहिहिही
नाना खिलखिलाए - हाहहह तू अभी भी वैसे ही नटख्त है ।
फिर नाना जी और मा बिस्तर पर टेक लगाये बैथ गये ।
नाना - बेटी लाईट बुझा दू अगर तू कहे तो
इधर मेरे पैर दर्द करने लगे थे और लाईट बुझाने का मतलब यहा खड़ा होना बेकार था ।
तभी मा खड़ी हुई और नाना के सामने पैंटी मे गाड मटका चलते हुए मेन बलब बुझा कर नाइट बलब जला दी ।
मन को बहुत तसल्ली हुई और मैने फटफट लपक कर हाल और गलियारे की बलब को बन्द कर दिया और दरवाजा थोडा सा और खोला ताकि अन्दर दिखे ।
मै बगल मे हाल से एक स्टूल टटोल कर लेके आ गया और अपना आसन जमा लिया ।
अंदर कमरे मे दोनो लोग थोडा जगह लेके लेट गये ।
लेकिन अन्दर का नजारा और भी कामुक हो गया था ।
मा का जिस्म और खिल रहा था उस गुलाबी रौशनी मे ।
मा - बाऊजी आपको याद है बचपन मे आप मुझे और जीजी दोनो को एक साथ उठा अपने कन्धे पर बिठा कर घुमाते थे
नाना जी मा की ओर करवट लेके - हा बेटी ,, और तुम दोनो तो अक्सर मेरे उपर ही सो जाती थी ।
मा ह्स कर - हा बाऊजी ,,,कितने अच्छे थे वो दिन
मा भी हमारे साथ थी
नाना एक गहरी आह भर कर - हा बेटी ,,, वो दिन बहुत अच्छे थे ।
मा नाना को देखती है जो कनअखियो से उसे ही निहार रहे होते है और उनका हाथ तौलिये पर से लण्ड को सहला रहा होता है ।
मा - मा की बहुत याद आती है ना बाऊजी
नाना चुप से हो गये
मा उनकी चुप्पी देख कर उन्के करीब आ गयी और बोली - क्या हुआ हुआ बाऊजी
नाना - कुछ नही बेटा,,,तेरी मा तो मेरे सामने ही है वो कही नही गयी ।
मा - मतलब
नाना - तेरी मा बिलकुल तेरे जैसी ही तो थी । रंग रूप , देह और तिल भी
मा हस कर अचरज से - तिल ,,कौन सा तिल बाऊजी
मेरे देह पर कही कोई तिल नही है ।
नाना मुस्कुरा कर - है बेटी वो तुझे नही दिखेगा
मा ह्स कर - क्या बाऊजी आप भी ,,,मैने बचपन से कोई तिल नही देखा अपने देह पर
नाना - बेटा वो तेरे पीछे के हिस्से पर है ना इसिलिए नही दिखा
मा अचरज से - लेकिन कहा
नाना हस के - लग रहा है कि जमाई बाबू ने तुझे सही से देखा नही
मा शर्मायी - ये क्या कह रहे हैं बाऊजी आप
नाना हस कर- तभी तो तुझे पता नही है ,,, वो दरअसल तेरे नितंब पर है वो तिल
मा पूरी तरह झेप सी गयी
नाना को इसका अह्सास होते ही - माफ करना बेटी मैने तो बचपन मे ही देखा था तेरे जन्म से ही ,,,मगर आज फिर से दिख गया तो तेरे मा की याद आ गई
ये बोल कर नाना ने एक गहरी सास ली और सीधा लेट गये
मा थोडा संकोच कर - तो क्या मा को भी वही पर तिल था
नाना मुस्कुरा कर - हा बेटी ,,, और उसे बहुत पसन्द आता था जब मै
ये बोल कर नाना रुक गये
मा बडी जिज्ञासा से - क्या हुआ बाऊ जी बताओ ना और मा के बारे मे
मा के साथ मेरी भी जिज्ञासा बढ गयी ।
नाना एक गहरी सास लेके मुस्कुराये - नही बेटी छोड जाने दे वो सब
मा इतरा कर - आप जान्ते है ना मै कितनी जिद्दी हू तो बतायीये ना
नाना ह्स कर - हा भई जानता हू ,, लेकिन बेटी
मा - बताओ ना बाऊजी मा के बारे मे,, क्या पसन्द था उनको
नाना थोडा संकोच करते हुए - बेटी उसे मेरा उसकी उस तिल पर चुम्बन बहुत पसन्द था
मा शर्मा कर थोडी खिलखिलाई और बोली - और आपको हिहिही
नाना शर्म और मुस्कुराहत से - हा भई मुझे भी ,,,तू तो ऐसे बोल रही है कि मानो जमाई जी तेरे वहा पर कभी चुंबन नही किया हो हाहाहाहा
मा शर्मा कर - क्या बाऊजी आप भी ,,
नाना मा को निहारते हुए - तो क्या सच मे जमाई बाबू ने वहा
मा ने ना मे सर हिला कर मुस्कराई
मै मा के अदा को मान गया,,,जो रोज अपने पति से गाड फड्वाये सोती नही थी वही बोल रही थी कि उसका पति कभी उसके गाड को चूमा नही ।
नाना - तो तुने सच मे वो अद्भूत अह्सास नही किया कभी
मा ना मे सर हिलाया और शर्मा कर बोली - क्या वो सच मे अच्छा अह्सास होता है बाऊजी
नाना तौलिये के उपर से ही लण्ड को सहलाया और थोडा मा के भाव को पढ कर हिम्मत कर बोले - तू कहे तो , मै
मा मुस्कुरा कर - क्यू आपको भी याद आ रही है क्या मा की
नाना एक गहरी सास ली - हा बेटी आज तो बहुत ही ज्यादा ही
मा मुस्कुरा कर - अगर आपकी इच्छा है तो आप कर सकते है बाऊजी
नाना को मा के ऐसे प्रस्ताव की उम्मिद नही थी
नाना - मगर बेटी मै तुम्हे ,,,
मा मुस्कुरा कर बिना कुछ बोले घूम गयी और नाना के सामने उसकी फैली हुइ गाड थी
इधर मेरे मन मे भी कौतूहल मचा था कि आगे क्या होगा
इधर नाना के दिल की धड़कन बढ गयी थी और वो हिम्मत कर उठ कर बैठ गये ।
उन्के बैठते ही मा पेट कर बल हो गयी और उन्के गाड गोल फुटबाल जैसे उभर गये
नाना को मानो मौका मिल गया हो और वो पहल कर बोले
नाना - बेटा वो तुझे ये कच्छी निकाल्नी पड़ेगी
मा ने मुस्कुरा कर हाथ पीछे ले गयी और पैंटी को निचे सरका दी
अब उसके दोनो पाट खुले थे
नाना ने हिम्मत कर हाथ बढ़ाया और मा के दाये गाड़ के पाट पर लकीर से सटे हुए हिस्से एक तिल को सह्लाया
नाना के हाथ का स्पर्श पाकर मा सिहर गयी
वही नाना जी झुक कर अपनी जीभ से एक बार उस तिल पे फिराया और होठो से चूम लिया ।
मा पूरी तरह गनगना गयी और उसके मुह से निकल गया - उम्म्ंम्ं बाऊजी
नाना तो मानो मादकता की परिभाषा से परिचित थे और उन्हे आभास हो गया कि मा को उन्का स्पर्श भा गया और अगर वो आगे बढ़े तो वो उन्हे रोकेगी भी नही
नाना ने मा के कूल्हो को थामा और लकीर के किनारे ही गाड के पाट को मुह मे भर लिया और चूबलाने लगे
मा सिस्क उठी और यहा मेरे लण्ड मे कसाव और बढ गया ।
मा - बस करिये बाऊजी ,, हो गया ना
नाना को ध्यान आया और वो उठ कर लेट गये ।
मा वैसे ही लेती रही ब्स मुह नाना की ओर करके मुस्करा कर बोली - बस यही पसंद था क्या मा को हिहिही
नाना मा को समान्य देख कर बोले - अब बेटी पसंद तो उसे बहुत कुछ था ,,अब वो सब नही ना कर सकती है तू
मा उत्सुकता से नाना के करिब आकर करवट लेके बोली - बताओ ना बाऊजी और क्या क्या पसंद था मा लो
नाना मा के साथ अब खुल चुके थे वो उन्के सामने ही तौलिये के उपर से लण्ड को मसल रहे थे
नाना - बेटी , तेरी मा बहुत ही कामुक औरत थी और उसे मेरे लिंग से बहुत लाड था ,, वो इससे छोटे बच्चे से चूमती खेलती थी
मा हस कर - हिहिहिही , सच मे बाऊजी
नाना - हा बेटी, मुझे बहुत शान्ति मिलती थी जब उसके मुह की ठण्डक से मेरा वो गिला होता था ।
मा शर्माने की अदा से - ओह्ह और बाऊजी
नाना मा को अपने पाले मे आता देख मा के गाल सहला कर बोले - मै आज जब तुझे देख रहा हू तो लग रहा है कि तेरी मा मेरे सामने है और अभी तेरी मा उठ कर मेरे लिंग को लाड करेगी ।
मा शर्मा कर मुह निचे कर ली
और हाथ आगे बढ़ाकर नाना के तौलिये का गांठ खोल दिया और उनका लण्ड फनफना कर सामने आ गया ।
नाना - ये क्या कर रही है तू बेटी
मा उठ कर बैठ गयी और एक हाथ मे नाना जी का लण्ड थाम लिया ।
मा - मै जानती हू बाऊजी आज आपको मा की बहुत याद आ रही है और इसिलिए आपको इतनी तकलिफ हो रही है ।
नाना - बेटी तू ये
मा - मै जानती हू बाऊजी कि मै मा की जगह नही ले सकती हूँ लेकिन एक बेटी होने के नाते आपकी इच्छा का ख्याल तो रख सकती हू ना
नाना - मगर बेटी ये गलत
मा नाना के लण्ड को जड़ से पकडे हुए हल्का हल्का सहला रही थी और बोली - क्या आपका मुझपर कोई हक नही है बाऊजी
नाना - वो बात नही है बेटा
मा - फिर आज ये समझ लिजिए ये मै नही मेरी मा कर रही है
नाना जी एक गहरी सास ली और चुप हो गये
इधर मा हिम्मत कर धीरे से झुकी और नाना के लण्ड के चमडी को निचे खिच कर उसके सुपाडे को मुह मे भर लिया
नाना जी को एक गहरी आनन्द की अनुभूति हुई और सिहर उठे
इधर मा ने लण्ड को गले तक ले जाते हुए नाना के आड़ो को मसल दिया जिस्से वो और मचल उठे
नाना - अह्ह्ह बेटी तू तो सच मे रुपा के जैसे ही उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह्ह
मा ने लण्ड चूसना जारी रखा और सुपाडे के छेद पर एक बार जीभ को नुकीला कर चुबोया ,,,नाना गनगना गये
नाना - अह्ह्ह रुपा उम्म्ंमममं
मा नाना को बार बार नानी का नाम लेते देख मुस्कुराई और अब उनकी आंखो मे देखते हुए लंड को गले तक लेने लगी ।
थोडा समय बिट जाने पर नाना ने कुछ हिम्मत करके कहा - बेटी तू जानती है ,,, तेरी मा अंडर के कपडे नही पहनती थी
मा नाना की बात सुन कर रुक गयी और समझ गयी कि अब नाना पूरी तरह से पाले मे है और उन्हे नंगा देखना चाहते हैं
मा बिना कुछ बोले बिस्तर से उतर गयी तो नाना भी उठकर बिस्तर के एक तरफ टेक लेके पैर पसार कर बैठ गये और लण्ड हाथो मे थाम कर उसे हिलाते हुए मा को निहारने लगे ।
वही मा ने हाथ पीछे ले जा कर पहले ब्रा का हुक खोल कर ढिला किया और बडी कामुकता से उसे उतार दिया ।
मा की चुचिय नंगी होती देख नाना जी और गर्म होने लगे
वही मा ने उनकी तरफ पीठ कर झुकते हुए अपनी आधी उतरी हुई पैंटी भी निकाल दी और झुकते हुए उनकी गाड़ का भरपूर दिदार कर नाना ने अपने लण्ड को मसला ।
मा पूरी नंगी होकर थोडी शर्मा कर मुस्कुराते हुए नाना के बगल मे बैठ गयी और फिर से लण्ड को थाम लिया ।
नाना - आह्ह बेटी आज सच मुझे तेरी मा का अह्सास मिल रहा है
मा मुस्कुराइ और झुक कर लण्ड को मुह मे भर लिया ।
नाना ने हिम्मत कर मा के कन्धो पर हाथ रख कर हल्का हल्का सहलाना शुरु कर दिया मगर उनकी इच्छा थी कि कैसे करके मा के चुचे को पकड़ सके ,,,लेकिन इतनी भी हिम्मत नही थी कि खुल कर अपनी बेटी से कह सके ।
इधर मा लण्ड चूसे जा रही थी और नाना हाथ बढा कर मा की कांख तक ही अपनी उंगलियाँ ले जा पाते ।
मा को इसका अन्दाजा था , मगर नाना ज्यादा तडपता देख वो मुस्कुरा निचे फर्श पर खड़ी हुई और नाना के बगल मे आ गयी । उसके हाथ मे अभी भी उन्का लण्ड भरा हुआ था और मुठीयाना जारी था ।
मा को अपने बगल मे पाकर नाना एक नजर मा को देखे और फिर अपना एक हाथ बढा कर मा की एक चुची को थाम लिया बहुत ही हल्के हाथ से
मा सिहर गयी और तभी नाना ने अभी जीभ निकाली और निप्प्ल को चाटते हुए उसे होठो मे भर कर चुबलाने लगे ।
मा सिस्क कर - अह्ह्ह बाऊजी
नाना को तो जैसे जोश ही आ गया था वो मा की कमर मे हाथ डाल कर उन्के मुलायम कूल्हो को मस्लते हुए मा की चुचियॉ को मुह मे भरने लगे ।
नाना के मोटे खुरडरे जीभ और मोटे होठ से मानो मा की चुचिया छील डालेंगी ।
मा ने भी नाना का लण्ड छोड कर उनका सर अपने चुचो पर दबाते हुर सिस्क रही थी ।
नाना ने अब दोनो हाथो मे मा की दोनो चुचे पकड लिये और उन्हे दबाते मसल्ते गारते हुए निप्प्ल पर जीभ नचाने लगे ।
कभी पीठ तो कभी मा की मासल भरी हुई मोटी गाड,,मुह मे चुची को भरे मा के जिस्म को मसलने लगे
मा - अह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम्म्ं अराम से अओह्ह्ह माआआ उफ्फ़फ्फ
नाना पर हवस पूरी तरह हावी हो चूका था और वो वैसे ही मा की चुचिया चुस्ते हुए अपने पैर को बेड से निचे लटकाया और मा को अपने पैरो के बिच मे लाकर जकड़ लिया और उन्के गाड़ के पाटो को फैलाने लगे ।।कभी कभी मा के गाड की दरारो मे अपनी मोटी ऊँगली भी घुसा देते ।
इधर मा भी पागल हो रही थी
मै वही दरवाजे पर खड़ा खड़ा झड़ चूका था और दुबारा से लण्ड सहलाना जारी था ।
नाना ने फटाक से मा को घुमाया और पीछे से मा की दोनो मोटी चुचिया पकड ली और उन्हे मिजने लगे ।
मा - ओह्ह्ह बाऊजी आराम दे दर्द अह्ह्ज उह्ह्ह माआ अह्ह्ह बाऊजी
नाना बिना कोई रहम के अपने एक हाथ से मा के जांघो को खोला और हथेली से मा के चुत मे रगड़ दिया ।
मा की गीली चुत ने नाना जी के हथेली का स्पर्श पाते ही तुरंत उन्के हाथ मे पिचपीचा गयी और गिली चुत का अह्सास पाते ही नाना ने फौरन एक ऊँगली मा की चुत मे घुसा दी ।
मा की सांसे रुक गयी और वो अकड गयी ।
नाना ने वापस मा को खीचा और दुसरे हाथ से मा के चुचो को मसल कर ऊँगली को चुत मे घुमाया और निकाल कर मुह मे ले लिया ।
मा - ओह्ह्ह बाऊजी आराम से अह्ह्ह्ह मा सीईई उह्ह्ह्ह
नाना ने मा की प्रतिक्रिया का एक भी जवाब नही दिया बस मा को लेके खडे हुए और उन्हे घुमा कर घोड़ी बनाते हुए बेड पर झुका दिया ।
मा कोहनी के बल बेड पे झुकी हुई खड़ी थी और तेज सासे ले रही थी ।
नाना हाथ मे लेके मा के मुलायम बडे गाड के पाटो को सहलाया और फिर दो ऊँगली से चुत वाले हिस्से को फैलाया ताकि उसका छेद दिख सके ।
फिर थोडा अपनी घुटने को फ़ोल्ड कर नाना झुके और अपना सुपादा मा के चुत के छेद पर लगा दिया और गचच से लण्ड को एक बार मे ही आधा मा की चुत मे पेल दिया ।
नाना का मोटा लण्ड अन्दर घुस्ते ही मा चिखी - अह्ह्ह बाऊजी उह्ह्ह माआआ
नाना ने रहम थोडी भी नही दिखाई और मा के कूल्हो को दोनो हाथो से थाम कर उसी जगह से एक और धक्के मे मा की चुत मे लण्ड को उतार दिया और उनकी जान्घे मा के चुतड़ से सट गयी ।
मा की आंखे ब्ड़ी हो गयी और वो गहरी सासे ले रही थी ,,,,नाना का लण्ड जड़ तक पुरा का पुरा 8 इन्च मा के चुत मे घुस चूका था ।
दवा का असर इतना हो चूका था कि नाना मे जोश बहुत ही था और मा के कामुक गदराये बदन को देख कर उनकी उत्तेजना बहुत बढ रही थी ।
नाना ने मा के कुल्हो को थामा और धक्के लगाने शुरु किये ।
उनका लण्ड पूरी तरह से मा के चुत को ढिला करता हुआ तेजी से अन्दर बाहर होने लगा था ।वही मा की पिचपिचाती बुर ने अपना रस छोड़ना शुरु कर दिया था ,,,मा थकने लगी थी ऐसे मे नाना बिना रुके घपाघप तेज धकके पेले जा रहे थे ।
मा दर्द और मजे से सिस्कती रही - अह्ह्ह्ह आह्ह बाऊजी उम्म्ंम्ं उम्म्ंं ऐसे ही अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ माआ जल रहा है अह्ह्ह बाऊजीईईई अह्ह्ह
नाना मा की तडप देख कर और पागल होने लगे और वो खुद झडने के करीब थे उनका लण्ड और भी तपने लगा था
नाना इत्नी देर पहली बार कुछ हाफ्ते हुए बोला - अह्ह्ह बेटी बस थोडा और ,,बसस्स्स थोडा
फिर नाना ने अपनी सासो को थामा और जोर के धक्के ल्गाने लगे । जिससे मा का पुरा जिस्म हिल्कोरे मा रहा था और तेज एक सुर की थपथप से कमरा गूजने ल्गा
तभी नाना चिखे और फटाक से लण्ड मा की चुत से बाहर निकालते हुए - ओह्ह्ह बेटी मै आ रहा हू , मै आ रहा हू
मा का मानो पुरा बदन ही टुट रहा था और वो नाना के छोडते ही पेट के बल बिसतर पर गिर गयी
वही नाना भी एक कदम आगे बढे - अह्ह्ह बेटी अह्ह्ह मेरी रागु अह्ह्ह मै आ रहा हू
नाना ने तेजी से अपना लण्ड मुठियाना शुरु किया और सारा माल मा की गाड और कमर पर गिराने लगे और अच्छे से झाड़ कर हाफते हुए मा के बगल मे बैठ गये ।
मा अभी भी वैसे ही लेटी रही जबकि नाना एक हाथ से मा के पीठ को सहला कर मुस्कुराते हुए अपना दुलार दिखा रहे थे ।
मै भी यहा दुबारा झड़ गया था और मा की स्थिति देख कर मुझे नही लग रहा था कि वो उठ कर मेरे पास आयेगी और मेरे साथ फिर से चुदवा पायेगी ।
मैने किचन से एक खराब कपडा लिया और दरवाजे के पास गिरे माल को पैर से रगड़ कर साफ किया और स्तूल को उसकी जगह रखा ।
फिर एक नजर कमरे मे मारा तो देखा कि मा ने वो तौलिया कमर मे लपेट लिया है और नाना के कन्धे पर सर रख कर बैठी है और नाना भी उन्के कन्धे मे हाथ डाल कर दुलार कर रहे है ।
मै अपनी योजना की कामयाबी और मा की खुसी पर मुस्कुराया और आ गया अपने कमरे मे ।
जारी रहेगी
Bhai main to बिमल, पानमसला, ....insab ka film hii dekhna chor diya ....aaj update aayega kya
M
maa ko kya pela h bs ab maasi ko bhi sath me pelo maja hi aaa jayega
Dono Puri Randiyaan H..
Badi tezi se aage bdh hoKya Choda H Nana Ne Maja Hi Aa Gya
Kahani Hi Itni Gajab Likhe Ho Padhna To Padega NaBadi tezi se aage bdh ho
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