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Incest सबकी प्यारी..गरिमा हमारी

arushi_dayal

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नमस्ते दोस्तों... मैं गरिमा हूँ और यह कहानी मेरे बचपन से लेकर युवावस्था तक के सफर और इस यात्रा के दौरान मेरे अनुभवों के बारे में है।

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तो सबसे पहले मैं अपना और अपने परिवार का परिचय करा दूं।
शुरूआत मैं अपनी ससुराल से करती हूं।

मेरे ससुराल में कुल चार लोग हैं:
मैं गरिमा, उम्र 24 साल
मेरे पति रोहित, उम्र 27 वर्ष
मेरी ननद पायल, उम्र 21 साल
और मेरे ससुर- उम्र- 50 साल।
मेरी सास की मौत मेरी शादी से पहले ही हो चुकी थी।

ये तो रहा मेरे ससुराल का परिचय।
अब मैं आपको अपने घर यानि अपने घर का परिचय दे दूँ।
वह इसलिए कि मैं अपनी कहानी अपने घर से ही शुरू करूंगी क्योंकि अपनी पहली चुदाई का अनुभव मैंने वहीं लिया था।

मैं एक छोटे से शहर की एक बेहद मध्यम वर्गीय परिवार से हूं।
मेरे घर में मुझे छोड़ कर कुल तीन लोग ही हैं।



मेरे पापा, उम्र 49 वर्ष
मेरी मम्मी, उम्र 47 वर्ष
और मेरा छोटा भाई सोनू, उम्र 23 वर्ष

इसके अलावा कहानी में और भी किरदार आएंगे जिनका मैं आपसे समय-समय पर परिचय कराती रहूंगी।

तो चलिए अब शुरू करते हैं कहानी का सफर जिसकी शुरुआत मैं अपने घर से करूंगी।

जब मैं 19 साल की थी, 12वीं में थी, तभी मैंने पहली चुदाई का पहला आनंद उठाया था।
और मेरी पहली चुदाई का सौभाग्य मिला था मेरे छोटे भाई सोनू को।

सबसे पहले मैं अपने बारे में आप लोगों को बता दूं।
मैं एक गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थी।
मैं तब तक चूत और लंड के रिश्ते के बारे में मुझे अच्छी तरह जान चुकी थी।

जवानी का रंग भी मेरे ऊपर तेजी से चढ़ रहा था।
स्कूल जाते वक्त जब मैं स्कर्ट पहन कर घर से निकलती थी तो अक्सर आने जाने वालों की निगाहें मेरे गोरी-गोरी जांघों पर ठहर जाती थी।
छोटा शहर होने की वजह से स्कूल के लिए कोई बस नहीं थी इसलिए मैं रिक्शे से स्कूल जाती थी।

जब मैं रिक्शे पर बैठती थी तो जानबूझ कर कभी-कभी अपनी टांगों को थोड़ा सा फैला देती थी जिससे मेरी गोरी-गोरी मांसल जांघें दिखाई देने लगती थी।
जिसके बाद सामने से आने वाले या खड़े हुए लोग लार टपकते हुए मेरी जांघों को घूरते रहते थे।
जिसमें मुझे बड़ा मजा आता था।

मेरी एक बहुत अच्छी सहेली ज्योति थी जो हमारे पड़ोस में रहती थी.
हम एक स्कूल और एक ही क्लास में पढ़ती थी।

मैं उसके घर जाया करती थी.
उसके घर ज्यादा जाने की एक वजह यह भी थी कि उसके पास लैपटॉप था जिसमें हम दोनों अक्सर पॉर्न मूवी देखती थी।

मूवी देखते समय हम एक दूसरे की छोटी-छोटी चूचियां जो धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी, भी हंसी मजाक में दबा देती थी।
इतना ही नहीं, हम कभी-कभी एक दूसरे को अपनी चूत दिखाती थी और सहलाती भी थी।
इसमें बहुत मजा आता था।

घर में मेरे छोटे भाई सोनू से भी मेरी बहुत अच्छी दोस्ती थी।
चूंकि वह मुझसे सिर्फ डेढ़ साल ही छोटा था तो हम दोनों दोस्तों की तरह रहते थे और एक दूसरे से हंसी मज़ाक भी खूब करते थे।
हम दोनों अपने हर बात एक-दूसरे से साझा करते हैं जिसमें स्कूल, दोस्त और अपनी कॉलोनी के लड़के लड़कियों की बातें भी शामिल रहती थीं जैसे कौन लड़का किस लड़की पर लाइन मार रहा है या कौन लड़की किसके साथ पटी है।

हम एक-दूसरे को लेकर भी अक्सर मजाक करते थे।
जैसे वह मुझसे पूछता- कॉलोनी में कौन-कौन लड़के तुझे लाइन मारते हैं.
तो मैंने कहा था- तू कौन-कौन सी लड़कियों को लाइन मारता है?
उन लड़कियों में मेरी दोस्त ज्योति भी शामिल थी।

सोनू अक्सर मुझसे पूछता था- दीदी, तुम इतनी देर-देर तक ज्योति दीदी से उसके घर जाकर क्या बात करती हो?
मैं बात को हंसी में टाल दिया करती थी और कह देती थी- हम दोनों साथ पढ़ती हैं और मजे भी करती हैं।

तो वह पूछता- पढ़ाई के साथ कौन से मजे किये जाते हैं, मुझे भी बताओ।
मैं भी हंस कर जवाब देती- कुछ भी करती हूंगी तो तुझे क्या!

वह कहता- ज्योति दीदी (ज्योति मेरी दोस्त थी इसलिए सोनू उसे भी दीदी कहता था) से कह दो कि कभी मुझे भी बुला लिया करे, साथ में मजे करेंगे।
तो मैं कहती- तू उसे दीदी भी कहता है और लाइन भी मारता है।
इस पर सोनू हंसते हुए कहता- अरे वो तो दीदी तुम्हारी वजह से कहता हूं. नहीं तो मैं कौन सा उसे अपनी बहन मानता हूं. तुमसे इतनी बार कहा है कि ज्योति से मेरी बात करो. तुम अपने भाई की इतनी सी मदद भी नहीं कर पाती।
इस पर मैं कहती- कि तुम खुद ही पटा लो।

मैं कहती- तुम कौन सा कोई लड़का मुझे पटा कर देते हो जो मैं तुम्हें ज्योति को पटा कर दूं।
तो वह कहता है- तू क्या करेगी लड़का पटा कर?
मैं कहती- जो तू करेगा लड़की पटा कर!
फ़िर हम हंस देते थे।
 

arushi_dayal

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हालांकि हम दोनों ने कभी सेक्स किया या इस तरह की कोई बात एक दूसरे से नहीं करते थे.
लेकिन अपने दोस्तों को लेकर इस तरह के मजाक एक दूसरे से कर लेते थे।

वैसे मैं गौर करती थी कि सोनू अक्सर निगाह बचा कर मेरी चूचियों पर निगाह मार लेता था.
जैसा ही मैं देखती, वह इधर उधर देखने लगता था.
जिस पर मैं मन ही मन हंस पड़ती थी।

मैंने यह भी महसूस किया था कि वह किसी ना किसी बहाने से अपने शरीर को मुझसे टच करने की कोशिश भी करता था।
मैं भी जानबूझ कर उसके सामने ऐसी खड़ी होती थी कि मेरी दोनों गोल मटोल चूचियां टी-शर्ट में उभर आती थीं।

हम जब बालकनी में बात करते थे तो मैं भी जानबूझकर बात करते-करते कभी-कभी अपने शरीर को सोनू से टच करा देती थी जिसमें मुझे बड़ा मजा आता था।

मुझे लगता था कि सोनू भी इस बात को समझता था, तभी वह कभी-कभी घर में अगल बगल से गुज़रते हुए जानबूझकर अपना हाथ मेरी गांड से टकरा देता था।
मैं भी कुछ नहीं कहती थी जिससे उसका हौसला और बढ़ जाता था।

बात उन दिनों की है 12वीं में पढ़ती थी।
हमारे छोटे मामा की शादी पड़ी थी।
शादी दिसंबर के महीने में थी.

हमारा ननिहाल गांव में था और शादी भी वहीं से होनी थी।

दिसंबर में परीक्षा होने की वजह से शादी की तारीख ऐसी रखी गई थी कि हमारी परीक्षा खत्म हो जाए ताकि मैं और सोनू भी शादी में जा सकें।

तो जिस दिन हमारी परीक्षा ख़त्म होनी थी, शादी उसके ही अगले दिन थी।
जिस वजह से मैं और सोनू तो पहले नहीं जा सके मगर मम्मी कुछ दिन पहले ही चली गई।

पापा को ऑफिस से ज्यादा छुट्टी नहीं मिली थी तो उन्हें शादी के दिन ही पहुंचाना था।
खैर हमारा एग्जाम ख़त्म होते ही मैं और सोनू उसी दिन शाम को अपने ननिहाल के लिए जाने लगे।

जैसा मैंने बताया था कि हमारा ननिहाल शहर से दूर गांव में था तो हमें ट्रेन से जाना था।

मैं और सोनू तैयार होकर रेलवे स्टेशन आ गए।
वहां से शाम 6 बजे ट्रेन थी।

पापा हमें स्टेशन हमें स्टेशन पर छोड़ने आये थे।

हमारे गाँव के पास ज्यादा गाड़ियाँ नहीं रुकती थी।
बस एक पैसेंजर ट्रेन रुकती थी।

खैर ट्रेन आ गयी.
लेकिन शादी और छुट्टियों की वजह से ट्रेन में भीड़ बहुत थी।
मगर एक डिब्बे में हम दोनों चढ़ गए।

डिब्बे में भीड़ होने की वजह से बैठने की कोई जगह तो थी नहीं, इसलिए मैं और सोनू दरवाजे के पास ही एक जगह खड़े हो गए.
हमारे पास केवल एक बैग था।

जिस दरवाजे के पास हम खड़े थे, वहां किसी ने अपना बड़ा सा लोहे का एक बॉक्स रखा था जिस पर दो बड़ी-बड़ी अटैची और बैग एक के ऊपर एक रखे थे। जिस वजह से उसने दूसरी तरफ का दरवाजा बंद कर दिया था।
हमने भी उसी के ऊपर अपना बैग रखा और खड़े हो गए।

बॉक्स के इस तरफ बहुत ज्यादा भीड़ होने की वजह सोनू ने मुझे कहा- दीदी, तुम बॉक्स के दूसरी तरफ दरवाजे के पास चली जाओ।
मैंने भी देखा तो बॉक्स और दरवाजे के बीच खड़े होने लायक जगह थी तो मैं जाकर दरवाजे की तरफ खड़ी हो गई और आराम से बैग का सहारा लेकर खड़ी हो गई।

चूंकि दूसरा दरवाजा बंद था तो मैं आराम से वहां खड़ी हो गयी।

जिस स्टेशन पर उतरना था, वह हमारे शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर एक छोटा सा स्टेशन था।

पैसेंजर ट्रेन होने की वजह से करीब दो घंटे लग जाते थे और वहां 7.30 बजे तक ट्रेन पहुंच जाती थी।
फिर वहां से हमारे मामा का गांव चार किलोमीटर दूर था और वहां से गांव तक जाने के लिए किसी को हमें लेने के लिए स्टेशन तक आना पड़ता था।

स्टेशन एकदम वीरान जगह था, वहां आस-पास कोई भी बस्ती नहीं थी और स्टेशन पर इक्का-दुक्का ही कोई उतरता था इसलिए वहां कोई गाड़ी भी नहीं मिलती थी।

इसलिए पापा ने मां को फोन कर बता दिया कि स्टेशन पर कोई हम लोगों को लेने आ जाए।
पापा ने हम दोनों को कहा- जब स्टेशन आने में आधा घंटा रह जाए तो मां को फोन कर देना. कोई ना कोई तुम लोगों को लेने चला जाएगा।

खैर थोड़ी देर में ट्रेन चल दी।
 

Rakhs_ KINGDOM

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arushi_dayal
tumhari aankhon mein
woh jaadu hai,
jo mere dil ko
behka deta hai.

Har raat mein
tumhari yaad aati hai,
badan ki har angdai
tumse hi saji hai.

Tumhare honthon ki
mithaas chakhne ko
ji chahta hai,
choom loon main
tumhe baar baar.

Arushi, tumhari
zulfon ki khushboo
mere saanson mein
ghul jaati hai,
main kho jaata hoon
tumhare ishq mein.

Tumhare jism ki
woh garmi,
jo mere tan ko
jalati hai,
longing itni gehri,
ki ruk nahi paati.

Dayal si daya karo,
aa jao mere paas,
choo loon tumhe,
bana loon apna.

Tumhari har ada
sexy hai,
jaise chandni raat
mein nangi nadiya.

Main pyaasa hoon
tumhare badan ka,
har inch ko
choomna chahta hoon.

Arushi, tumhari
aahen sunne ko
betaab hoon,
mil jao mujhe,
bana do yeh raat
jaadui.

Tumhare seene ki
dhadkan sunni hai,
apne seene se
laga kar,
feel karoon woh ehsaas.

Longing teri
har cheez ke liye,
sexy curves,
woh nazuk haath,
sab mera kar do.

Arushi Dayal,
tum ho meri fantasy,
har sapne mein
tum hi ho nangi,
pyar bhari.

Aa jao ab,
mat tadpao mujhe,
milkar bana len
ek dusre ko
apna forever.

Tumhari skin ki
silkiness,
choone ko jee chahe,
slide karoon haath,
feel karoon gehraai.

Sexy Arushi,
tumhari moaning
mere kaanon mein
gunjti hai,
longing badhti jaati.

Dayal, daya karo,
aa milo mujhe,
bana do yeh zindagi
pyar aur lust ki.

Har pal tumhari
yaad mein
jalta hoon main,
tumhare bina
jeena mushkil hai.

Arushi, tum ho
meri addiction,
sexy aur irresistible,
long for you every second.

Tumhare badan se
chipak jaana chahta hoon,
feel karoon woh heat,
lose myself in you.

Yeh shayari hai
meri longing ki,
Arushi Dayal,
tum ho meri queen,
sexy aur divine.

Rakhs_ KINGDOM
 
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woh jaadu hai,
jo mere dil ko
behka deta hai.

Har raat mein
tumhari yaad aati hai,
badan ki har angdai
tumse hi saji hai.

Tumhare honthon ki
mithaas chakhne ko
ji chahta hai,
choom loon main
tumhe baar baar.

Arushi, tumhari
zulfon ki khushboo
mere saanson mein
ghul jaati hai,
main kho jaata hoon
tumhare ishq mein.

Tumhare jism ki
woh garmi,
jo mere tan ko
jalati hai,
longing itni gehri,
ki ruk nahi paati.

Dayal si daya karo,
aa jao mere paas,
choo loon tumhe,
bana loon apna.

Tumhari har ada
sexy hai,
jaise chandni raat
mein nangi nadiya.

Main pyaasa hoon
tumhare badan ka,
har inch ko
choomna chahta hoon.

Arushi, tumhari
aahen sunne ko
betaab hoon,
mil jao mujhe,
bana do yeh raat
jaadui.

Tumhare seene ki
dhadkan sunni hai,
apne seene se
laga kar,
feel karoon woh ehsaas.

Longing teri
har cheez ke liye,
sexy curves,
woh nazuk haath,
sab mera kar do.

Arushi Dayal,
tum ho meri fantasy,
har sapne mein
tum hi ho nangi,
pyar bhari.

Aa jao ab,
mat tadpao mujhe,
milkar bana len
ek dusre ko
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Tumhari skin ki
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choone ko jee chahe,
slide karoon haath,
feel karoon gehraai.

Sexy Arushi,
tumhari moaning
mere kaanon mein
gunjti hai,
longing badhti jaati.

Dayal, daya karo,
aa milo mujhe,
bana do yeh zindagi
pyar aur lust ki.

Har pal tumhari
yaad mein
jalta hoon main,
tumhare bina
jeena mushkil hai.

Arushi, tum ho
meri addiction,
sexy aur irresistible,
long for you every second.

Tumhare badan se
chipak jaana chahta hoon,
feel karoon woh heat,
lose myself in you.

Yeh shayari hai
meri longing ki,
Arushi Dayal,
tum ho meri queen,
sexy aur divine.

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Bahut khoob. Thank you very much for this lovely shayari and your tributes. I am impressed and obliged
 

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Rajizexy

❣️and let ❣️
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Very nice start aru sis.Tumari story ke naam ne hi garm kar diya.So hot 🔥 🔥 🔥 🔥 🔥 🔥 🔥 Aru sis.
Tumari story ko introductory pic 👇

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ne aur garam bna diya hai behn.
 
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arushi_dayal

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Update 3

ट्रेन चलने के बाद सब अपनी-अपनी जगह आराम से एडजस्ट हो गए।

ट्रेन चले करीब आधा घण्टा हो गया.
अँधेरा गहरा हो चुका था।

जहां हम खड़े थे, वहां एक छोटा सा बल्ब था जिसमें बस एक दूसरे को देख पाने भर की रोशनी आ रही थी।
कोहरा होने की वजह से ट्रेन की स्पीड अब धीमी हो गई थी।
ट्रेन में हवा लगने की वजह से ठंड ज्यादा लग रही थी इसलिए जो जहां खड़ा था वहां धीरे-धीरे जगह बना कर नीचे बैठ गया था।

ठंडी हवा की वजह से सबने दूसरा दरवाजा भी बंद कर दिया था और सब उंघ रहे थे सिर्फ मैं और सोनू खड़े थे।
सोनू बॉक्स के दूसरे साइड में टॉयलेट के पास खड़ा था।

थोड़ी देर बाद सोनू ने मुझसे कहा- दीदी, मैं तुम्हारी तरफ आ जाऊं?
जहां मैं खड़ी थी वहां एक आदमी और खड़ा हो सकता था।

मैंने कहा- अगर वहां दिक्कत है तो इधर आ जाओ।
तो सोनू बॉक्स के ऊपर चढ़ के मेरे पास आकर खड़ा हो गया।

मगर जगह थोड़ी होने की वजह से हम एक दूसरे से सट कर खड़े थे।

धीरे-धीरे सोनू मेरे बगल से हटकर मेरे एकदम के पीछे आ गया।
थोड़ी देर तक तो सब ठीक रहा।

मगर थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि सोनू ट्रेन के हिलने का बहाना लेकर मुझसे बार-बार कुछ ज्यादा ही चिपक जा रहा था।
मेरे पीछे खड़ा होने की वजह से वह मेरी गांड से चिपका हुआ था।

अब मैं समझ गई कि सोनू मेरे पास आकर क्यों खड़ा हुआ है।
मैंने भी कुछ नहीं कहा और आराम से ऐसी खड़ी रही जैसे मुझे कुछ पता नहीं चल रहा है।

धीरे-धीरे मेरे कुछ ना बोलने से सोनू की हिम्मत बढ़ती जा रही थी और अब उसने अपने आप को पूरी तरह मेरी गांड से चिपका दिया था।

मैं उसके लंड का उभार अपनी गांड पर हल्का-हल्का महसूस कर रही थी।
मैंने कुर्ती और लेगिंग पहन रखी थी और ऊपर एक जैकेट डाली हुई थी।

सोनू ने स्पोर्ट्स वाली लोअर-फुल टी-शर्ट और ऊपर से जैकेट पहना हुआ था।

सोनू का दबाव मेरी गांड पर बढ़ता रहा.
लेकिन अब मैंने महसूस कर लिया था कि सोनू का लंड खड़ा हो गया है।

अपनी गांड पर अपने भाई के लंड को महसूस कर मुझे भी अलग फीलिंग हो रही थी … सच कहूँ तो अजीब सा मज़ा आ रहा था।

वहां बैठे सब दुबक कर बैठे ऊंघ रहे थे।
ट्रेन की खिड़की से ठंडी-ठंडी हवा आ रही थी।
और गांड पर लंड की हल्की-हल्की चुभन से माहौल सेक्सी हो रहा था।

अब मुझे भी मजा आने लगा था.
मैंने भी अपनी गांड से सोनू के लंड पर हल्का सा दबाव बनाया।

अब सोनू भी समझ चुका है कि मुझे उसकी हरकतों का पता चल चुका है और मेरी मौन सहमति उसे मिल चुकी है।

हम दरवाजे के पास खड़े थे हमारे सामने एक बड़ा बॉक्स उसके ऊपर दो बड़े-बड़े बैग फिर उसके ऊपर हमारा बैग होने की वजह से हम दोनों के सीने से नीचे का हिसा छिपा हुआ था। जिसका फ़ायदा हमें मिल रहा था और हमारी हरकतों को कोई देख नहीं पा रहा था।

ट्रेन के हिलने के साथ ही सोनू अब खुल कर अपना लण्ड लोअर के अंदर से मेरी गांड पर रगड़ रहा था।
मैं भी हल्के-हल्के अपनी गांड को हिला कर मजे लेने लगी।

थोड़ी देर तो ऐसा ही चलता रहा।
फिर सोनू थोड़ा पीछे हुआ और अपना लंड मेरी गांड से हटा लिया.
मुझे कुछ समझ नहीं आया.

तभी दोबारा वह मेरी गांड से चिपक गया।
लेगिंग के ऊपर से मुझे ऐसा लगा जैसे कोई कड़ी देख चीज़ मेरी गांड से रगड़ी जा रही हो।

मैं समझ गई कि सोनू ने अपना लण्ड लोअर से बाहर निकाल लिया है।
यह समझते ही कि सोनू लण्ड बाहर निकाल कर रगड़ रहा है, मेरी चूत पनिया गयी।

अब मैं एकदम चुदासी होती जा रही थी और खुलकर मजे लेने के मूड में आ गयी थी।
मैं अपने सामने रखे बैग का सहारा लेकर हल्का सा आगे झुक गई और अपनी गांड को थोड़ा सा पीछे कर दिया।

अब मेरी गांड और सोनू लंड के बीच में सिर्फ मेरी लेगिंग थी।

सोनू ने धीरे से अपने हाथ से मेरी कमर को पकड़ लिया और लेगिंग के ऊपर से ही अपने लंड को मेरी गांड से सटा कर हिलाने लगा।
मैं भी मस्त हो कर हल्के हल्के अपनी गांड हिला रही थी।

उधर मेरी चूत एक दम गीली हो चुकी थी।
सोनू समझ रहा था कि मैं भी अब खुल कर मजे ले रही हूं क्योंकि उसके अन्दर का डर भी निकल चुका है और वह भी खुल कर मजे ले रहा था।

सोनू अचानक धीमा हुआ, उसने अपने दोनों हाथ जो मेरी कमर पर रखे धीरे-धीरे आगे की तरफ सरकाया।
पहले तो मैं समझ नहीं पाई मगर तभी उसके इरादे सोच कर मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

दरअसल सोनू ने अपना हाथ आगे लाकर मेरी लेगिंग पर रख दिया।
पहले तो मैंने सोचा कि उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक दूं … मगर मैं इतनी मदहोश हो चुकी थी कि मना करने की स्थिति में नहीं थी।

सच कहूं तो मेरा तो मन ये कर रहा था कि मैं खुद ही अपनी लेगिंग उतार कर अपनी गांड को नंगी कर दूं।

तभी सोनू ने अपना हाथ मेरी कमर पर रखा और दोनों तरफ से उसके हाथों की उंगलियां मेरी लेगिंग के अंदर चली गईं।

मैं समझ गई कि सोनू मेरी लेगिंग नीचे खिसकाने वाला है।
मेरे दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गयी।

फिर वही हुआ जो मैंने सोचा था।
सोनू थोड़ा सा पीछे हटा और धीरे-धीरे मेरी लेगिंग और पैंटी डोनो को एक साथ नीचे खिसकाने लगा।

लेगिंग टाइट होने की वजह से थोड़ा जोर लगाना पड़ा और आखिर उसने लेगिंग और पैंटी को खींच कर घुटनों तक कर दिया।
अब मेरी गांड एकदम नंगी हो चुकी थी।

सोनू ने अपने हाथ से मेरी नंगी गांड के दरार में हल्का फैलाया और अपने लंड को दरार के बीच में डाल दिया।

जैसे ही सोनू का गर्म-गर्म लंड मेरी गांड से टकराया मेरे शरीर में हल्की सी सिहरन दौड़ गई।
सोनू ने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ा और झुक कर हल्का-हल्का अपने कमर को हिलाने लगा उसका लंड मेरी गांड से होते हुए मेरी पनिया चुकी चूत से टकराने लगा।
मैं तो जैसे सातवें आसमान में थी।

हालांकि मैं कई बार बैगन और मूली अपनी चूत में डाल कर मुठ मार चुकी थी मगर आज पहली बार कोई लंड मेरी चूत से टकरा रहा था।
और वो भी मेरे सगे भाई का लंड।

मैं भी आगे झुक कर अपना सर बैग पर रख दिया और अपनी गांड को उठा कर हिलाने लगी।

अब सोनू ने मेरी कमर को पकड़ कर अपने लंड को मेरी चूत से रगड़ना शुरू कर दिया था और तेजी से अपने कमर को हिला रहा था।
मैं भी अपनी गांड को तेजी से हिला-हिला कर उसका साथ दे रही थी।

मुझे लगा जैसे मेरी नसें फटने जा रही हैं।
मैं और तेजी से अपनी गांड हिलाने लगी.

वहीं सोनू ने भी अचानक अपनी स्पीड बढ़ा दी और मेरी गांड को अपनी कमर से पूरा चिपका लिया.
वह तेज झटके लेने लगा तभी उसका गर्म-गर्म वीर्य मेरी चूत और जांघों पर निकलने लगा।

मुझे भी लगा जैसे मेरा शरीर अकड़ गया है और मेरी नसें फट गई हैं.
और मेरी चूत ने भी उसका वक्त पानी छोड़ दिया।
हम दोनों साथ झड़ गये।

सोनू अपना सर मेरी पीठ पर रख तेजी से सांस ले रहा था.

मैं भी निढाल होकर बैग पर अपने सर रख कर अपनी सांसों को काबू में करने की कोशिश कर रही थी।

उधर सोनू के लंड का रस और मेरी चूत का रस दोनों मेरी जाँघों पर बह रहे थे।

करीब पांच मिनट बाद सोनू खड़ा हुआ और उसने अपने रुमाल से धीरे से मेरी चूत और जांघों को साफ किया।
 

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Update 3

ट्रेन चलने के बाद सब अपनी-अपनी जगह आराम से एडजस्ट हो गए।

ट्रेन चले करीब आधा घण्टा हो गया.
अँधेरा गहरा हो चुका था।

जहां हम खड़े थे, वहां एक छोटा सा बल्ब था जिसमें बस एक दूसरे को देख पाने भर की रोशनी आ रही थी।
कोहरा होने की वजह से ट्रेन की स्पीड अब धीमी हो गई थी।
ट्रेन में हवा लगने की वजह से ठंड ज्यादा लग रही थी इसलिए जो जहां खड़ा था वहां धीरे-धीरे जगह बना कर नीचे बैठ गया था।

ठंडी हवा की वजह से सबने दूसरा दरवाजा भी बंद कर दिया था और सब उंघ रहे थे सिर्फ मैं और सोनू खड़े थे।
सोनू बॉक्स के दूसरे साइड में टॉयलेट के पास खड़ा था।

थोड़ी देर बाद सोनू ने मुझसे कहा- दीदी, मैं तुम्हारी तरफ आ जाऊं?
जहां मैं खड़ी थी वहां एक आदमी और खड़ा हो सकता था।

मैंने कहा- अगर वहां दिक्कत है तो इधर आ जाओ।
तो सोनू बॉक्स के ऊपर चढ़ के मेरे पास आकर खड़ा हो गया।

मगर जगह थोड़ी होने की वजह से हम एक दूसरे से सट कर खड़े थे।

धीरे-धीरे सोनू मेरे बगल से हटकर मेरे एकदम के पीछे आ गया।
थोड़ी देर तक तो सब ठीक रहा।

मगर थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि सोनू ट्रेन के हिलने का बहाना लेकर मुझसे बार-बार कुछ ज्यादा ही चिपक जा रहा था।
मेरे पीछे खड़ा होने की वजह से वह मेरी गांड से चिपका हुआ था।

अब मैं समझ गई कि सोनू मेरे पास आकर क्यों खड़ा हुआ है।
मैंने भी कुछ नहीं कहा और आराम से ऐसी खड़ी रही जैसे मुझे कुछ पता नहीं चल रहा है।

धीरे-धीरे मेरे कुछ ना बोलने से सोनू की हिम्मत बढ़ती जा रही थी और अब उसने अपने आप को पूरी तरह मेरी गांड से चिपका दिया था।

मैं उसके लंड का उभार अपनी गांड पर हल्का-हल्का महसूस कर रही थी।
मैंने कुर्ती और लेगिंग पहन रखी थी और ऊपर एक जैकेट डाली हुई थी।

सोनू ने स्पोर्ट्स वाली लोअर-फुल टी-शर्ट और ऊपर से जैकेट पहना हुआ था।

सोनू का दबाव मेरी गांड पर बढ़ता रहा.
लेकिन अब मैंने महसूस कर लिया था कि सोनू का लंड खड़ा हो गया है।

अपनी गांड पर अपने भाई के लंड को महसूस कर मुझे भी अलग फीलिंग हो रही थी … सच कहूँ तो अजीब सा मज़ा आ रहा था।

वहां बैठे सब दुबक कर बैठे ऊंघ रहे थे।
ट्रेन की खिड़की से ठंडी-ठंडी हवा आ रही थी।
और गांड पर लंड की हल्की-हल्की चुभन से माहौल सेक्सी हो रहा था।

अब मुझे भी मजा आने लगा था.
मैंने भी अपनी गांड से सोनू के लंड पर हल्का सा दबाव बनाया।

अब सोनू भी समझ चुका है कि मुझे उसकी हरकतों का पता चल चुका है और मेरी मौन सहमति उसे मिल चुकी है।

हम दरवाजे के पास खड़े थे हमारे सामने एक बड़ा बॉक्स उसके ऊपर दो बड़े-बड़े बैग फिर उसके ऊपर हमारा बैग होने की वजह से हम दोनों के सीने से नीचे का हिसा छिपा हुआ था। जिसका फ़ायदा हमें मिल रहा था और हमारी हरकतों को कोई देख नहीं पा रहा था।

ट्रेन के हिलने के साथ ही सोनू अब खुल कर अपना लण्ड लोअर के अंदर से मेरी गांड पर रगड़ रहा था।
मैं भी हल्के-हल्के अपनी गांड को हिला कर मजे लेने लगी।

थोड़ी देर तो ऐसा ही चलता रहा।
फिर सोनू थोड़ा पीछे हुआ और अपना लंड मेरी गांड से हटा लिया.
मुझे कुछ समझ नहीं आया.

तभी दोबारा वह मेरी गांड से चिपक गया।
लेगिंग के ऊपर से मुझे ऐसा लगा जैसे कोई कड़ी देख चीज़ मेरी गांड से रगड़ी जा रही हो।

मैं समझ गई कि सोनू ने अपना लण्ड लोअर से बाहर निकाल लिया है।
यह समझते ही कि सोनू लण्ड बाहर निकाल कर रगड़ रहा है, मेरी चूत पनिया गयी।

अब मैं एकदम चुदासी होती जा रही थी और खुलकर मजे लेने के मूड में आ गयी थी।
मैं अपने सामने रखे बैग का सहारा लेकर हल्का सा आगे झुक गई और अपनी गांड को थोड़ा सा पीछे कर दिया।

अब मेरी गांड और सोनू लंड के बीच में सिर्फ मेरी लेगिंग थी।

सोनू ने धीरे से अपने हाथ से मेरी कमर को पकड़ लिया और लेगिंग के ऊपर से ही अपने लंड को मेरी गांड से सटा कर हिलाने लगा।
मैं भी मस्त हो कर हल्के हल्के अपनी गांड हिला रही थी।

उधर मेरी चूत एक दम गीली हो चुकी थी।
सोनू समझ रहा था कि मैं भी अब खुल कर मजे ले रही हूं क्योंकि उसके अन्दर का डर भी निकल चुका है और वह भी खुल कर मजे ले रहा था।

सोनू अचानक धीमा हुआ, उसने अपने दोनों हाथ जो मेरी कमर पर रखे धीरे-धीरे आगे की तरफ सरकाया।
पहले तो मैं समझ नहीं पाई मगर तभी उसके इरादे सोच कर मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

दरअसल सोनू ने अपना हाथ आगे लाकर मेरी लेगिंग पर रख दिया।
पहले तो मैंने सोचा कि उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक दूं … मगर मैं इतनी मदहोश हो चुकी थी कि मना करने की स्थिति में नहीं थी।

सच कहूं तो मेरा तो मन ये कर रहा था कि मैं खुद ही अपनी लेगिंग उतार कर अपनी गांड को नंगी कर दूं।

तभी सोनू ने अपना हाथ मेरी कमर पर रखा और दोनों तरफ से उसके हाथों की उंगलियां मेरी लेगिंग के अंदर चली गईं।

मैं समझ गई कि सोनू मेरी लेगिंग नीचे खिसकाने वाला है।
मेरे दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गयी।

फिर वही हुआ जो मैंने सोचा था।
सोनू थोड़ा सा पीछे हटा और धीरे-धीरे मेरी लेगिंग और पैंटी डोनो को एक साथ नीचे खिसकाने लगा।

लेगिंग टाइट होने की वजह से थोड़ा जोर लगाना पड़ा और आखिर उसने लेगिंग और पैंटी को खींच कर घुटनों तक कर दिया।
अब मेरी गांड एकदम नंगी हो चुकी थी।

सोनू ने अपने हाथ से मेरी नंगी गांड के दरार में हल्का फैलाया और अपने लंड को दरार के बीच में डाल दिया।

जैसे ही सोनू का गर्म-गर्म लंड मेरी गांड से टकराया मेरे शरीर में हल्की सी सिहरन दौड़ गई।
सोनू ने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ा और झुक कर हल्का-हल्का अपने कमर को हिलाने लगा उसका लंड मेरी गांड से होते हुए मेरी पनिया चुकी चूत से टकराने लगा।
मैं तो जैसे सातवें आसमान में थी।

हालांकि मैं कई बार बैगन और मूली अपनी चूत में डाल कर मुठ मार चुकी थी मगर आज पहली बार कोई लंड मेरी चूत से टकरा रहा था।
और वो भी मेरे सगे भाई का लंड।

मैं भी आगे झुक कर अपना सर बैग पर रख दिया और अपनी गांड को उठा कर हिलाने लगी।

अब सोनू ने मेरी कमर को पकड़ कर अपने लंड को मेरी चूत से रगड़ना शुरू कर दिया था और तेजी से अपने कमर को हिला रहा था।
मैं भी अपनी गांड को तेजी से हिला-हिला कर उसका साथ दे रही थी।

मुझे लगा जैसे मेरी नसें फटने जा रही हैं।
मैं और तेजी से अपनी गांड हिलाने लगी.

वहीं सोनू ने भी अचानक अपनी स्पीड बढ़ा दी और मेरी गांड को अपनी कमर से पूरा चिपका लिया.
वह तेज झटके लेने लगा तभी उसका गर्म-गर्म वीर्य मेरी चूत और जांघों पर निकलने लगा।

मुझे भी लगा जैसे मेरा शरीर अकड़ गया है और मेरी नसें फट गई हैं.
और मेरी चूत ने भी उसका वक्त पानी छोड़ दिया।
हम दोनों साथ झड़ गये।

सोनू अपना सर मेरी पीठ पर रख तेजी से सांस ले रहा था.

मैं भी निढाल होकर बैग पर अपने सर रख कर अपनी सांसों को काबू में करने की कोशिश कर रही थी।

उधर सोनू के लंड का रस और मेरी चूत का रस दोनों मेरी जाँघों पर बह रहे थे।

करीब पांच मिनट बाद सोनू खड़ा हुआ और उसने अपने रुमाल से धीरे से मेरी चूत और जांघों को साफ किया।

Train me behan ki gaand ko niharta hua sonu

IMG-5613
Haiiiii kya mazedar.. sexual encounter hua dono ka train mein... bohot kamuk..... Aagey dekhte hain ye dono mil kar kya gul khilaate hain....

keep writing Arushi....
 
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