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नमस्ते दोस्तों... मैं गरिमा हूँ और यह कहानी मेरे बचपन से लेकर युवावस्था तक के सफर और इस यात्रा के दौरान मेरे अनुभवों के बारे में है।

तो सबसे पहले मैं अपना और अपने परिवार का परिचय करा दूं।
शुरूआत मैं अपनी ससुराल से करती हूं।
मेरे ससुराल में कुल चार लोग हैं:
मैं गरिमा, उम्र 24 साल
मेरे पति रोहित, उम्र 27 वर्ष
मेरी ननद पायल, उम्र 21 साल
और मेरे ससुर- उम्र- 50 साल।
मेरी सास की मौत मेरी शादी से पहले ही हो चुकी थी।
ये तो रहा मेरे ससुराल का परिचय।
अब मैं आपको अपने घर यानि अपने घर का परिचय दे दूँ।
वह इसलिए कि मैं अपनी कहानी अपने घर से ही शुरू करूंगी क्योंकि अपनी पहली चुदाई का अनुभव मैंने वहीं लिया था।
मैं एक छोटे से शहर की एक बेहद मध्यम वर्गीय परिवार से हूं।
मेरे घर में मुझे छोड़ कर कुल तीन लोग ही हैं।
मेरे पापा, उम्र 49 वर्ष
मेरी मम्मी, उम्र 47 वर्ष
और मेरा छोटा भाई सोनू, उम्र 23 वर्ष
इसके अलावा कहानी में और भी किरदार आएंगे जिनका मैं आपसे समय-समय पर परिचय कराती रहूंगी।
तो चलिए अब शुरू करते हैं कहानी का सफर जिसकी शुरुआत मैं अपने घर से करूंगी।
जब मैं 19 साल की थी, 12वीं में थी, तभी मैंने पहली चुदाई का पहला आनंद उठाया था।
और मेरी पहली चुदाई का सौभाग्य मिला था मेरे छोटे भाई सोनू को।
सबसे पहले मैं अपने बारे में आप लोगों को बता दूं।
मैं एक गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थी।
मैं तब तक चूत और लंड के रिश्ते के बारे में मुझे अच्छी तरह जान चुकी थी।
जवानी का रंग भी मेरे ऊपर तेजी से चढ़ रहा था।
स्कूल जाते वक्त जब मैं स्कर्ट पहन कर घर से निकलती थी तो अक्सर आने जाने वालों की निगाहें मेरे गोरी-गोरी जांघों पर ठहर जाती थी।
छोटा शहर होने की वजह से स्कूल के लिए कोई बस नहीं थी इसलिए मैं रिक्शे से स्कूल जाती थी।
जब मैं रिक्शे पर बैठती थी तो जानबूझ कर कभी-कभी अपनी टांगों को थोड़ा सा फैला देती थी जिससे मेरी गोरी-गोरी मांसल जांघें दिखाई देने लगती थी।
जिसके बाद सामने से आने वाले या खड़े हुए लोग लार टपकते हुए मेरी जांघों को घूरते रहते थे।
जिसमें मुझे बड़ा मजा आता था।
मेरी एक बहुत अच्छी सहेली ज्योति थी जो हमारे पड़ोस में रहती थी.
हम एक स्कूल और एक ही क्लास में पढ़ती थी।
मैं उसके घर जाया करती थी.
उसके घर ज्यादा जाने की एक वजह यह भी थी कि उसके पास लैपटॉप था जिसमें हम दोनों अक्सर पॉर्न मूवी देखती थी।
मूवी देखते समय हम एक दूसरे की छोटी-छोटी चूचियां जो धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी, भी हंसी मजाक में दबा देती थी।
इतना ही नहीं, हम कभी-कभी एक दूसरे को अपनी चूत दिखाती थी और सहलाती भी थी।
इसमें बहुत मजा आता था।
घर में मेरे छोटे भाई सोनू से भी मेरी बहुत अच्छी दोस्ती थी।
चूंकि वह मुझसे सिर्फ डेढ़ साल ही छोटा था तो हम दोनों दोस्तों की तरह रहते थे और एक दूसरे से हंसी मज़ाक भी खूब करते थे।
हम दोनों अपने हर बात एक-दूसरे से साझा करते हैं जिसमें स्कूल, दोस्त और अपनी कॉलोनी के लड़के लड़कियों की बातें भी शामिल रहती थीं जैसे कौन लड़का किस लड़की पर लाइन मार रहा है या कौन लड़की किसके साथ पटी है।
हम एक-दूसरे को लेकर भी अक्सर मजाक करते थे।
जैसे वह मुझसे पूछता- कॉलोनी में कौन-कौन लड़के तुझे लाइन मारते हैं.
तो मैंने कहा था- तू कौन-कौन सी लड़कियों को लाइन मारता है?
उन लड़कियों में मेरी दोस्त ज्योति भी शामिल थी।
सोनू अक्सर मुझसे पूछता था- दीदी, तुम इतनी देर-देर तक ज्योति दीदी से उसके घर जाकर क्या बात करती हो?
मैं बात को हंसी में टाल दिया करती थी और कह देती थी- हम दोनों साथ पढ़ती हैं और मजे भी करती हैं।
तो वह पूछता- पढ़ाई के साथ कौन से मजे किये जाते हैं, मुझे भी बताओ।
मैं भी हंस कर जवाब देती- कुछ भी करती हूंगी तो तुझे क्या!
वह कहता- ज्योति दीदी (ज्योति मेरी दोस्त थी इसलिए सोनू उसे भी दीदी कहता था) से कह दो कि कभी मुझे भी बुला लिया करे, साथ में मजे करेंगे।
तो मैं कहती- तू उसे दीदी भी कहता है और लाइन भी मारता है।
इस पर सोनू हंसते हुए कहता- अरे वो तो दीदी तुम्हारी वजह से कहता हूं. नहीं तो मैं कौन सा उसे अपनी बहन मानता हूं. तुमसे इतनी बार कहा है कि ज्योति से मेरी बात करो. तुम अपने भाई की इतनी सी मदद भी नहीं कर पाती।
इस पर मैं कहती- कि तुम खुद ही पटा लो।
मैं कहती- तुम कौन सा कोई लड़का मुझे पटा कर देते हो जो मैं तुम्हें ज्योति को पटा कर दूं।
तो वह कहता है- तू क्या करेगी लड़का पटा कर?
मैं कहती- जो तू करेगा लड़की पटा कर!
फ़िर हम हंस देते थे।

तो सबसे पहले मैं अपना और अपने परिवार का परिचय करा दूं।
शुरूआत मैं अपनी ससुराल से करती हूं।
मेरे ससुराल में कुल चार लोग हैं:
मैं गरिमा, उम्र 24 साल
मेरे पति रोहित, उम्र 27 वर्ष
मेरी ननद पायल, उम्र 21 साल
और मेरे ससुर- उम्र- 50 साल।
मेरी सास की मौत मेरी शादी से पहले ही हो चुकी थी।
ये तो रहा मेरे ससुराल का परिचय।
अब मैं आपको अपने घर यानि अपने घर का परिचय दे दूँ।
वह इसलिए कि मैं अपनी कहानी अपने घर से ही शुरू करूंगी क्योंकि अपनी पहली चुदाई का अनुभव मैंने वहीं लिया था।
मैं एक छोटे से शहर की एक बेहद मध्यम वर्गीय परिवार से हूं।
मेरे घर में मुझे छोड़ कर कुल तीन लोग ही हैं।
मेरे पापा, उम्र 49 वर्ष
मेरी मम्मी, उम्र 47 वर्ष
और मेरा छोटा भाई सोनू, उम्र 23 वर्ष
इसके अलावा कहानी में और भी किरदार आएंगे जिनका मैं आपसे समय-समय पर परिचय कराती रहूंगी।
तो चलिए अब शुरू करते हैं कहानी का सफर जिसकी शुरुआत मैं अपने घर से करूंगी।
जब मैं 19 साल की थी, 12वीं में थी, तभी मैंने पहली चुदाई का पहला आनंद उठाया था।
और मेरी पहली चुदाई का सौभाग्य मिला था मेरे छोटे भाई सोनू को।
सबसे पहले मैं अपने बारे में आप लोगों को बता दूं।
मैं एक गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थी।
मैं तब तक चूत और लंड के रिश्ते के बारे में मुझे अच्छी तरह जान चुकी थी।
जवानी का रंग भी मेरे ऊपर तेजी से चढ़ रहा था।
स्कूल जाते वक्त जब मैं स्कर्ट पहन कर घर से निकलती थी तो अक्सर आने जाने वालों की निगाहें मेरे गोरी-गोरी जांघों पर ठहर जाती थी।
छोटा शहर होने की वजह से स्कूल के लिए कोई बस नहीं थी इसलिए मैं रिक्शे से स्कूल जाती थी।
जब मैं रिक्शे पर बैठती थी तो जानबूझ कर कभी-कभी अपनी टांगों को थोड़ा सा फैला देती थी जिससे मेरी गोरी-गोरी मांसल जांघें दिखाई देने लगती थी।
जिसके बाद सामने से आने वाले या खड़े हुए लोग लार टपकते हुए मेरी जांघों को घूरते रहते थे।
जिसमें मुझे बड़ा मजा आता था।
मेरी एक बहुत अच्छी सहेली ज्योति थी जो हमारे पड़ोस में रहती थी.
हम एक स्कूल और एक ही क्लास में पढ़ती थी।
मैं उसके घर जाया करती थी.
उसके घर ज्यादा जाने की एक वजह यह भी थी कि उसके पास लैपटॉप था जिसमें हम दोनों अक्सर पॉर्न मूवी देखती थी।
मूवी देखते समय हम एक दूसरे की छोटी-छोटी चूचियां जो धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी, भी हंसी मजाक में दबा देती थी।
इतना ही नहीं, हम कभी-कभी एक दूसरे को अपनी चूत दिखाती थी और सहलाती भी थी।
इसमें बहुत मजा आता था।
घर में मेरे छोटे भाई सोनू से भी मेरी बहुत अच्छी दोस्ती थी।
चूंकि वह मुझसे सिर्फ डेढ़ साल ही छोटा था तो हम दोनों दोस्तों की तरह रहते थे और एक दूसरे से हंसी मज़ाक भी खूब करते थे।
हम दोनों अपने हर बात एक-दूसरे से साझा करते हैं जिसमें स्कूल, दोस्त और अपनी कॉलोनी के लड़के लड़कियों की बातें भी शामिल रहती थीं जैसे कौन लड़का किस लड़की पर लाइन मार रहा है या कौन लड़की किसके साथ पटी है।
हम एक-दूसरे को लेकर भी अक्सर मजाक करते थे।
जैसे वह मुझसे पूछता- कॉलोनी में कौन-कौन लड़के तुझे लाइन मारते हैं.
तो मैंने कहा था- तू कौन-कौन सी लड़कियों को लाइन मारता है?
उन लड़कियों में मेरी दोस्त ज्योति भी शामिल थी।
सोनू अक्सर मुझसे पूछता था- दीदी, तुम इतनी देर-देर तक ज्योति दीदी से उसके घर जाकर क्या बात करती हो?
मैं बात को हंसी में टाल दिया करती थी और कह देती थी- हम दोनों साथ पढ़ती हैं और मजे भी करती हैं।
तो वह पूछता- पढ़ाई के साथ कौन से मजे किये जाते हैं, मुझे भी बताओ।
मैं भी हंस कर जवाब देती- कुछ भी करती हूंगी तो तुझे क्या!
वह कहता- ज्योति दीदी (ज्योति मेरी दोस्त थी इसलिए सोनू उसे भी दीदी कहता था) से कह दो कि कभी मुझे भी बुला लिया करे, साथ में मजे करेंगे।
तो मैं कहती- तू उसे दीदी भी कहता है और लाइन भी मारता है।
इस पर सोनू हंसते हुए कहता- अरे वो तो दीदी तुम्हारी वजह से कहता हूं. नहीं तो मैं कौन सा उसे अपनी बहन मानता हूं. तुमसे इतनी बार कहा है कि ज्योति से मेरी बात करो. तुम अपने भाई की इतनी सी मदद भी नहीं कर पाती।
इस पर मैं कहती- कि तुम खुद ही पटा लो।
मैं कहती- तुम कौन सा कोई लड़का मुझे पटा कर देते हो जो मैं तुम्हें ज्योति को पटा कर दूं।
तो वह कहता है- तू क्या करेगी लड़का पटा कर?
मैं कहती- जो तू करेगा लड़की पटा कर!
फ़िर हम हंस देते थे।