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दोस्तों ये कहानी किसी अन्य लेखक की है अच्छी लगी तो, मैं आपसे बाँटता हूँ।
आपको एक मस्त कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
आनंदीलाल एक 58 साल के व्यक्ति हैं जिनकी पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी दो बेटी हैं जिनका नाम रीमा और सीमा हैं। बड़ी बेटी रीमा की उम्र 24 साल हैं जो शादीशुदा है। छोटी लड़की अभी 19 साल की है जो पढ़ाई कर रही है।
बड़ी बेटी रीमा की शादी को एक साल ही हुआ था। उसके ससुराल में जाने के बाद आनंदीलाल अपने घर में अपनी लड़की के साथ रहते हैं। लड़की छोटी होने के कारण उन्होंने जल्दी वी आर एस ले लिया जिससे लड़की की पढ़ाई तथा परवरिश में कोई कमी न होने पाए।
आनंदीलाल दिन का समय तो किसी तरह निकाल लेते लेकिन रात निकालनी उनके मुश्किल हो जाती। इस उम्र में भी उन्हें सेक्स का कीड़ा काटता था। कभी-कभी अंग्रेज़ी फिल्म देख लिया करते।
लेकिन इससे उनकी सेक्स की भूख और भी बढ़ जाती। इसलिए अपना हाथ जगन्नाथ मानकर किसी तरह अपनी बेचैनी को कम करना उनकी मज़बूरी थी। सेक्स का कीड़ा तो बाथरूम में जाते और मूठ मारकर अपना पानी निकाल लेते। इसी तरह उनके दिन कट रहे थे।
एक दिन उनकी बड़ी बेटी रीमा घर पर आई। साथ में रीमा का देवर अमर तथा उसकी सासु माँ अनुपमा भी थी। अनुपमा देखने में तेज़-तर्रार और सेक्स बदन की मालकिन थी।
उम्र तो उसकी 40 के आसपास थी लेकिन उसका भरा-पूरा बदन और उस पर गोरी रंगत कमाल ढाती थी। वह चलती तो उसकी चूतड़ इस अन्दाज़ में हिलती कि देखने वाला भी हिल जाए। इसके विपरीत अमर, जो अनुपमा का बेटा तथा रीमा का देवर है, वह देखने में सीधा-सादा मासूम बच्चा नज़र आता है। उसकी उम्र १६-१७ के आसपास है।
सीमा अपनी बहन को देखकर खुश हो गई। आनंदीलाल भी उन्हें देखकर खुश हो गए क्योंकि बहुत दिनों बाद वे घर पर आए थे। पूरा दिन सबने बातों में ही निकाल दिया। रीमा, सीमा और अमर आपस में ख़ूब बातें करते रहे।
इधर आनंदीलाल भी अनुपमा से गप्पे लड़ाने में कम नहीं थे। आनंदीलाल को अनुपमा से बातें करके अपनी पत्नी की याद आ रही थी। उन्हें लगा कि वह जैसे उनकी पत्नी ही है, बस चोदने की देर है। लेकिन वह अनुपमा के गुस्से से डरते थे। अनुपमा के सामने अच्छे-अच्छों की बोलती बन्द हो जाती थी फिर आनंदीलाल क्या चीज़ है।
शाम को सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में चले गए। रीमा और सीमा एक ही कमरे में सोने चले गए तथा अमर और उसकी माँ अनुपमा भी एक कमरे में चले गए।
आनंदीलाल भी अपने कमरे में जाकर सोने का प्रयास करने लगे। लेकिन उन्हें नींद कहाँ आने वाली थी। आज फिर अपने को तड़पता हुआ पाया। अनुपमा से बातें करके उन्हें अपनी पत्नी की याद आ रही थी कि किस तरह वह अपनी पत्नी को बाँहों में लेकर उसके नरम नरम होंठों को चूसा करते थे।
अपनी पत्नी के साथ बिताए सेक्स के पलों को याद करके वह और भी अधिक तड़पने लगे। उनका लंड खड़ा हो गया। वे फिर मूठ मारने बाथरूम में गए, पर आज उनका मूड इसमें भी नहीं लगा। वे हॉल में आकर सोफे पर बैठ गए। अभी घड़ी में 12 बज रहे थे और पूरी रात उनके सामने पड़ी थी।
आनंदीलाल ने टीवी चालू कर लिया और फिल्म देखने लगे। तभी अमर भी हॉल में आ गया। वह भी बोर हो रहा था। इसलिए टीवी देखने हॉल में आ गया था। वह भी सोफे पर बैठ गया। दोनों टीवी देखने लगे।
फिल्म में एक चुम्बन-दृश्य आया। आनंदीलाल ने यह दृश्य देखा तो बेचैन हो गए। उनका लौड़ा उनकी पैन्ट में ही खड़ा होकर अपनी उपस्थिति बताने लगा। इधर अमर भी यह दृश्य देखकर बेचैन तो हुआ पर उसने जाहिर नहीं होने दिया।
आनंदीलाल ने अमर से पूछा- बेटा, पढ़ाई कैसी चल रही है?
अमर- अच्छी चल रही है।
आनंदीलाल- अच्छा तुम्हारी मम्मी क्या कर रही है?
अमर- मम्मी थक गई थी इसलिए जल्दी नींद आ गई।
आनंदीलाल- अच्छा। और तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेण्ड हैं?
अमर थोड़ा चौंका … लेकिन फिर सँभल कर बोला- एक भी नहीं है।
आनंदीलाल- क्या बात कर रहे हो बेटा! इतने बड़े हो गए और एक भी गर्लफ्रेण्ड नहीं! भई मैं जब तुम्हारी उम्र का था तो मेरी चार-चार गर्लफ्रेण्ड हुआ करती थीं।
अमर- अच्छा? मैं अभी-अभी कॉलेज में गया हूँ। इसलिए कोई गर्लफ्रेण्ड नहीं है मेरी।
आनंदीलाल- वह तो ठीक है। मैं तुम्हें बताऊँगा कि गर्लफ्रेण्ड कैसे पटाते हैं। लड़कियों को प्रभावित करने के लिए अच्छे साफ-सुथरे और स्टाईलिश कपड़े पहनो और अपनी एक अलग पहचान बनाओ। लड़कियाँ ख़ुद तुम्हारे साथ दोस्ती करेगी और तुम जो चाहोगी वह भी करेगी।
अमर- आप तो बहुत अनुभवी लगते हैं। पर गर्लफ्रेण्ड हमारे लिए क्या कर सकती है?
आनंदीलाल- बेटा तुम बहुत भोले हो। लड़कियाँ यदि ख़ुद आकर पटेंगी तो तुम जो कहोगे वह करेगी। मेरा मतलब सेक्स से है। तुम्हें भी सेक्स का अनुभव होना चाहिए। वरना शादी के बाद तुम्हारी पत्नी तुम्हें ताना देगी कि तुम्हें कुछ भी नहीं आता।
अमर- वह तो ठीक है। लेकिन शादी के पहले यह सब करना ठीक होता है क्या?
आनंदीलाल- बेटा, अनुभव बुहत बड़ी चीज़ होती है। शादी के पहले यह करना ठीक तो नहीं है लेकिन यदि लड़कियाँ ख़ुद अपनी मर्ज़ी से दें तो इसमें बुरा क्या है? तुम्हें कुछ करना आता भी है या नहीं?
अमर शरमाकर बोला- नहीं। थोड़ा बहुत जानता हूँ लेकिन पूरी तरह मालूम नहीं है कि क्या करते हैं।
अमर अब थोड़ा सा खुल गया था।
आनंदीलाल- तो मैं तुम्हें बताता हूँ कि सेक्स में क्या करते हैं। सेक्स में किसका महत्त्व है। लड़की के गालों पर, माथे पर, गर्दन पर, और होंठों पर किस करने का मज़ा ही कुछ और है। फिर उनका नाज़ुक चिकना बदन तो पागल कर देता है। उनकी चूचियाँ दबाओ, उन्हें चूसो। उनके पूरे कपड़े खोलकर नंगा कर देना अपने-आप में बहुत मज़ेदार होता है। उनकी चूत में अपना लंड डालो तो समझो कि स्वर्ग जीत लिया।
अमर हकलाते हुए- हाँ यह सब तो बहुत मज़ेदार होगा।
आनंदीलाल- अरे … इससे ज़्याद मज़ा तब आता है जब वो तुम्हारा लंड मुँह में लेकर चूसती है। इस आनन्द की तो बात ही निराली है।
अमर- क्या? वह हमारी इस गंदी चीज़ को भी मुँह में लेती है।
आनंदीलाल- गंदी चीज़? अरे इससे प्यारी चीज़ तो कोई होती ही नहीं है। तुम कैसे मर्द हो? औरतें तो इसे लॉलीपॉप की तरह चूसती हैं।
अमर- आप मुझसे बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बातों का भरोसा नहीं कर सकता।
आनंदीलाल- यदि तुम्हें यकीन नहीं आता तो तुम ख़ुद चूसकर देख लो।
आनंदीलाल ने अपना पत्ता फेंका था। वह सोच रहे थे कि अनुपमा न सही, उसका बेटा तो कम से कम मेरा लंड चूस सकता है।
अमर- मैं तो जा रहा हूँ, अपने कमरे में। आपसे मुझे कोई बात नहीं करनी।
आनंदीलाल अमर के गुस्से से डर गए। यदि कहीं उसने अपनी माँ अनुपमा को बता दिया तो गज़ब हो जाएगा।
आनंदीलाल- बेटा मैं सच कह रहा हूँ। यदि तुम अभी नहीं सीखोगे तो कब सीखोगे। तुम ख़ुद अनुभव लेकर देखो। यदि मैं झूठा निकला तो कभी भी बात मत करना।
अमर पशोपेश में था। आख़िरकार उसने आनंदीलाल का लंड मुँह में लेने का निश्चय कर लिया।
आनंदीलाल ने टीवी बंद कर दिया और अमर को अपने कमरे में ले गए। आनंदीलाल ने अपनी पूरी पैंट खोल दी। उनका 6 इंच लम्बा और मोटा लंड अपनी पूरी औक़ात में तना हुआ था। आनंदीलाल बिस्तर पर लेट गए और अमर को लंड मुँह में लेने को कहा।
अमर ने धीरे से लंड को पकड़ा। उसके हाथों में लंड की गर्मी आने लगी। उसे लंड पकड़ना अच्छा लगा। थोड़ी देर लंड को सहलाने के बाद अमर ने लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में ले लिया। उसके मुँह में लंड की गर्मी भरने लगी। सुपाड़ा चूसते-चूसते उसने लंड को मुँह में भर लिया और मजे ले-लेकर चूसने लगा।
आनंदीलाल तो आँखें बन्द करके ज़न्नत की सैर कर रहे थे। अचानक आनंदीलाल का लंड कड़क हो गया। वह समझ गए कि पानी निकलने ही वाला है, लेकिन लंड मुँह से निकालने के पहले ही सारा माल अमर के मुँह में चला गया। माल मुँह में जाते ही अमर का दिमाग ख़राब हो गया। उसने वहीं पर उल्टी कर दी।
आनंदीलाल भी उसकी हालत देखकर डर गए।
किसी तरह अमर सँभला और आनंदीलाल पर बिगड़ गया और यह कहकर चला गया- आप बहुत गंदे इंसान हो।
इसके जाने के बाद आनंदीलाल ने राहत की साँस ली। वे यही सोच रहे थे कि यह लड़का समझदार निकले और इस बारे में किसी से कहे नहीं। वर्ना उनकी इज्ज़त ख़राब होगी और अच्छा-ख़ासा हंगामा हो जाएगा।
आनंदीलाल ने सारे कपड़े खोल दिए और दूसरी अण्डरवियर पहनकर पलंग पर लेट गए।
तभी दरवाज़े पर उनकी समधन अनुपमा ने आवाज़ लगाई। आनंदीलाल उनकी आवाज़ सुनकर डर गए। घबराते हुए दरवाज़ा खोला। वह यह भी भूल गए कि वे सिर्फ अण्डरवियर में ही हैं। अनुपमा दरवाज़ा धकेलते हुए अन्दर आई और बोली- क्या पिला दिया है तुमने मेरे छोरे को? वह उल्टी पर उल्टी किए जा रहा है। अपनी उम्र देखो और मासूम बच्चे को देखो। ज़रा सा भी ख़्याल नहीं आया आपको यह गंदी हरक़त करते हुए।
आनंदीलाल डर गए और गिड़गिड़ाकर अनुपमा से बोले- मुझे माफ़ कर दो। आइन्दा मैं कभी ऐसी ग़लती नहीं करूँगा। कृपया मेरी पहली और आख़िरी भूल समझकर मुझे क्षमा कर दो। मैं क़सम खाता हूँ कभी अमर से अकेले में भी नहीं मिलूँगा। अब मेरी इज्ज़त आपके हाथ में है।
आनंदीलाल को गिड़गिड़ाता हुआ दखकर अनुपमा बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।
कहानी के बारे में कमेन्ट कर बताएं कैसी है ताकि इसे आगे बढ़ा सकूं।
समधन के मुम्मे
समधन का बेटा
आपको एक मस्त कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
आनंदीलाल एक 58 साल के व्यक्ति हैं जिनकी पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी दो बेटी हैं जिनका नाम रीमा और सीमा हैं। बड़ी बेटी रीमा की उम्र 24 साल हैं जो शादीशुदा है। छोटी लड़की अभी 19 साल की है जो पढ़ाई कर रही है।
बड़ी बेटी रीमा की शादी को एक साल ही हुआ था। उसके ससुराल में जाने के बाद आनंदीलाल अपने घर में अपनी लड़की के साथ रहते हैं। लड़की छोटी होने के कारण उन्होंने जल्दी वी आर एस ले लिया जिससे लड़की की पढ़ाई तथा परवरिश में कोई कमी न होने पाए।
आनंदीलाल दिन का समय तो किसी तरह निकाल लेते लेकिन रात निकालनी उनके मुश्किल हो जाती। इस उम्र में भी उन्हें सेक्स का कीड़ा काटता था। कभी-कभी अंग्रेज़ी फिल्म देख लिया करते।
लेकिन इससे उनकी सेक्स की भूख और भी बढ़ जाती। इसलिए अपना हाथ जगन्नाथ मानकर किसी तरह अपनी बेचैनी को कम करना उनकी मज़बूरी थी। सेक्स का कीड़ा तो बाथरूम में जाते और मूठ मारकर अपना पानी निकाल लेते। इसी तरह उनके दिन कट रहे थे।
एक दिन उनकी बड़ी बेटी रीमा घर पर आई। साथ में रीमा का देवर अमर तथा उसकी सासु माँ अनुपमा भी थी। अनुपमा देखने में तेज़-तर्रार और सेक्स बदन की मालकिन थी।
उम्र तो उसकी 40 के आसपास थी लेकिन उसका भरा-पूरा बदन और उस पर गोरी रंगत कमाल ढाती थी। वह चलती तो उसकी चूतड़ इस अन्दाज़ में हिलती कि देखने वाला भी हिल जाए। इसके विपरीत अमर, जो अनुपमा का बेटा तथा रीमा का देवर है, वह देखने में सीधा-सादा मासूम बच्चा नज़र आता है। उसकी उम्र १६-१७ के आसपास है।
सीमा अपनी बहन को देखकर खुश हो गई। आनंदीलाल भी उन्हें देखकर खुश हो गए क्योंकि बहुत दिनों बाद वे घर पर आए थे। पूरा दिन सबने बातों में ही निकाल दिया। रीमा, सीमा और अमर आपस में ख़ूब बातें करते रहे।
इधर आनंदीलाल भी अनुपमा से गप्पे लड़ाने में कम नहीं थे। आनंदीलाल को अनुपमा से बातें करके अपनी पत्नी की याद आ रही थी। उन्हें लगा कि वह जैसे उनकी पत्नी ही है, बस चोदने की देर है। लेकिन वह अनुपमा के गुस्से से डरते थे। अनुपमा के सामने अच्छे-अच्छों की बोलती बन्द हो जाती थी फिर आनंदीलाल क्या चीज़ है।
शाम को सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में चले गए। रीमा और सीमा एक ही कमरे में सोने चले गए तथा अमर और उसकी माँ अनुपमा भी एक कमरे में चले गए।
आनंदीलाल भी अपने कमरे में जाकर सोने का प्रयास करने लगे। लेकिन उन्हें नींद कहाँ आने वाली थी। आज फिर अपने को तड़पता हुआ पाया। अनुपमा से बातें करके उन्हें अपनी पत्नी की याद आ रही थी कि किस तरह वह अपनी पत्नी को बाँहों में लेकर उसके नरम नरम होंठों को चूसा करते थे।
अपनी पत्नी के साथ बिताए सेक्स के पलों को याद करके वह और भी अधिक तड़पने लगे। उनका लंड खड़ा हो गया। वे फिर मूठ मारने बाथरूम में गए, पर आज उनका मूड इसमें भी नहीं लगा। वे हॉल में आकर सोफे पर बैठ गए। अभी घड़ी में 12 बज रहे थे और पूरी रात उनके सामने पड़ी थी।
आनंदीलाल ने टीवी चालू कर लिया और फिल्म देखने लगे। तभी अमर भी हॉल में आ गया। वह भी बोर हो रहा था। इसलिए टीवी देखने हॉल में आ गया था। वह भी सोफे पर बैठ गया। दोनों टीवी देखने लगे।
फिल्म में एक चुम्बन-दृश्य आया। आनंदीलाल ने यह दृश्य देखा तो बेचैन हो गए। उनका लौड़ा उनकी पैन्ट में ही खड़ा होकर अपनी उपस्थिति बताने लगा। इधर अमर भी यह दृश्य देखकर बेचैन तो हुआ पर उसने जाहिर नहीं होने दिया।
आनंदीलाल ने अमर से पूछा- बेटा, पढ़ाई कैसी चल रही है?
अमर- अच्छी चल रही है।
आनंदीलाल- अच्छा तुम्हारी मम्मी क्या कर रही है?
अमर- मम्मी थक गई थी इसलिए जल्दी नींद आ गई।
आनंदीलाल- अच्छा। और तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेण्ड हैं?
अमर थोड़ा चौंका … लेकिन फिर सँभल कर बोला- एक भी नहीं है।
आनंदीलाल- क्या बात कर रहे हो बेटा! इतने बड़े हो गए और एक भी गर्लफ्रेण्ड नहीं! भई मैं जब तुम्हारी उम्र का था तो मेरी चार-चार गर्लफ्रेण्ड हुआ करती थीं।
अमर- अच्छा? मैं अभी-अभी कॉलेज में गया हूँ। इसलिए कोई गर्लफ्रेण्ड नहीं है मेरी।
आनंदीलाल- वह तो ठीक है। मैं तुम्हें बताऊँगा कि गर्लफ्रेण्ड कैसे पटाते हैं। लड़कियों को प्रभावित करने के लिए अच्छे साफ-सुथरे और स्टाईलिश कपड़े पहनो और अपनी एक अलग पहचान बनाओ। लड़कियाँ ख़ुद तुम्हारे साथ दोस्ती करेगी और तुम जो चाहोगी वह भी करेगी।
अमर- आप तो बहुत अनुभवी लगते हैं। पर गर्लफ्रेण्ड हमारे लिए क्या कर सकती है?
आनंदीलाल- बेटा तुम बहुत भोले हो। लड़कियाँ यदि ख़ुद आकर पटेंगी तो तुम जो कहोगे वह करेगी। मेरा मतलब सेक्स से है। तुम्हें भी सेक्स का अनुभव होना चाहिए। वरना शादी के बाद तुम्हारी पत्नी तुम्हें ताना देगी कि तुम्हें कुछ भी नहीं आता।
अमर- वह तो ठीक है। लेकिन शादी के पहले यह सब करना ठीक होता है क्या?
आनंदीलाल- बेटा, अनुभव बुहत बड़ी चीज़ होती है। शादी के पहले यह करना ठीक तो नहीं है लेकिन यदि लड़कियाँ ख़ुद अपनी मर्ज़ी से दें तो इसमें बुरा क्या है? तुम्हें कुछ करना आता भी है या नहीं?
अमर शरमाकर बोला- नहीं। थोड़ा बहुत जानता हूँ लेकिन पूरी तरह मालूम नहीं है कि क्या करते हैं।
अमर अब थोड़ा सा खुल गया था।
आनंदीलाल- तो मैं तुम्हें बताता हूँ कि सेक्स में क्या करते हैं। सेक्स में किसका महत्त्व है। लड़की के गालों पर, माथे पर, गर्दन पर, और होंठों पर किस करने का मज़ा ही कुछ और है। फिर उनका नाज़ुक चिकना बदन तो पागल कर देता है। उनकी चूचियाँ दबाओ, उन्हें चूसो। उनके पूरे कपड़े खोलकर नंगा कर देना अपने-आप में बहुत मज़ेदार होता है। उनकी चूत में अपना लंड डालो तो समझो कि स्वर्ग जीत लिया।
अमर हकलाते हुए- हाँ यह सब तो बहुत मज़ेदार होगा।
आनंदीलाल- अरे … इससे ज़्याद मज़ा तब आता है जब वो तुम्हारा लंड मुँह में लेकर चूसती है। इस आनन्द की तो बात ही निराली है।
अमर- क्या? वह हमारी इस गंदी चीज़ को भी मुँह में लेती है।
आनंदीलाल- गंदी चीज़? अरे इससे प्यारी चीज़ तो कोई होती ही नहीं है। तुम कैसे मर्द हो? औरतें तो इसे लॉलीपॉप की तरह चूसती हैं।
अमर- आप मुझसे बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बातों का भरोसा नहीं कर सकता।
आनंदीलाल- यदि तुम्हें यकीन नहीं आता तो तुम ख़ुद चूसकर देख लो।
आनंदीलाल ने अपना पत्ता फेंका था। वह सोच रहे थे कि अनुपमा न सही, उसका बेटा तो कम से कम मेरा लंड चूस सकता है।
अमर- मैं तो जा रहा हूँ, अपने कमरे में। आपसे मुझे कोई बात नहीं करनी।
आनंदीलाल अमर के गुस्से से डर गए। यदि कहीं उसने अपनी माँ अनुपमा को बता दिया तो गज़ब हो जाएगा।
आनंदीलाल- बेटा मैं सच कह रहा हूँ। यदि तुम अभी नहीं सीखोगे तो कब सीखोगे। तुम ख़ुद अनुभव लेकर देखो। यदि मैं झूठा निकला तो कभी भी बात मत करना।
अमर पशोपेश में था। आख़िरकार उसने आनंदीलाल का लंड मुँह में लेने का निश्चय कर लिया।
आनंदीलाल ने टीवी बंद कर दिया और अमर को अपने कमरे में ले गए। आनंदीलाल ने अपनी पूरी पैंट खोल दी। उनका 6 इंच लम्बा और मोटा लंड अपनी पूरी औक़ात में तना हुआ था। आनंदीलाल बिस्तर पर लेट गए और अमर को लंड मुँह में लेने को कहा।
अमर ने धीरे से लंड को पकड़ा। उसके हाथों में लंड की गर्मी आने लगी। उसे लंड पकड़ना अच्छा लगा। थोड़ी देर लंड को सहलाने के बाद अमर ने लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में ले लिया। उसके मुँह में लंड की गर्मी भरने लगी। सुपाड़ा चूसते-चूसते उसने लंड को मुँह में भर लिया और मजे ले-लेकर चूसने लगा।
आनंदीलाल तो आँखें बन्द करके ज़न्नत की सैर कर रहे थे। अचानक आनंदीलाल का लंड कड़क हो गया। वह समझ गए कि पानी निकलने ही वाला है, लेकिन लंड मुँह से निकालने के पहले ही सारा माल अमर के मुँह में चला गया। माल मुँह में जाते ही अमर का दिमाग ख़राब हो गया। उसने वहीं पर उल्टी कर दी।
आनंदीलाल भी उसकी हालत देखकर डर गए।
किसी तरह अमर सँभला और आनंदीलाल पर बिगड़ गया और यह कहकर चला गया- आप बहुत गंदे इंसान हो।
इसके जाने के बाद आनंदीलाल ने राहत की साँस ली। वे यही सोच रहे थे कि यह लड़का समझदार निकले और इस बारे में किसी से कहे नहीं। वर्ना उनकी इज्ज़त ख़राब होगी और अच्छा-ख़ासा हंगामा हो जाएगा।
आनंदीलाल ने सारे कपड़े खोल दिए और दूसरी अण्डरवियर पहनकर पलंग पर लेट गए।
तभी दरवाज़े पर उनकी समधन अनुपमा ने आवाज़ लगाई। आनंदीलाल उनकी आवाज़ सुनकर डर गए। घबराते हुए दरवाज़ा खोला। वह यह भी भूल गए कि वे सिर्फ अण्डरवियर में ही हैं। अनुपमा दरवाज़ा धकेलते हुए अन्दर आई और बोली- क्या पिला दिया है तुमने मेरे छोरे को? वह उल्टी पर उल्टी किए जा रहा है। अपनी उम्र देखो और मासूम बच्चे को देखो। ज़रा सा भी ख़्याल नहीं आया आपको यह गंदी हरक़त करते हुए।
आनंदीलाल डर गए और गिड़गिड़ाकर अनुपमा से बोले- मुझे माफ़ कर दो। आइन्दा मैं कभी ऐसी ग़लती नहीं करूँगा। कृपया मेरी पहली और आख़िरी भूल समझकर मुझे क्षमा कर दो। मैं क़सम खाता हूँ कभी अमर से अकेले में भी नहीं मिलूँगा। अब मेरी इज्ज़त आपके हाथ में है।
आनंदीलाल को गिड़गिड़ाता हुआ दखकर अनुपमा बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।
कहानी के बारे में कमेन्ट कर बताएं कैसी है ताकि इसे आगे बढ़ा सकूं।
समधन के मुम्मे
समधन का बेटा
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