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Fantasy समय का ' चक्र '

sumanekta

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( समय का ' चक्र ' )

पार्ट १

नमस्कार, मैं कमल नेगी, प्यारे से राज्य उत्तराखंड से हूं.. में यहां पर अपना कारोबार करता हूं और उससे अच्छी खासी आमदनी हो जाती है. मेरी उम्र 34 साल की है। मेरी शादी लगभग साढ़े पांच साल साल पहले गांव की भोली भाली लड़की से हुई थी। मेरी बीवी का नाम अनु है। उसकी उम्र 27 साल, हाइट 5 फीट 8 इंच, चेहरा एकदम गोल मटोल दूध सा है। में अभी नया पाठक बना हूं और नया लेखक भी तो अगर कही लिखने में कोई त्रुटि हो तो माफ कर दें बाकी में अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा सही लिखने की पर आप सभी अपना सपोर्ट बनाएं रखना . दोस्तो कहानी लंबी जरूर होगी परंतु आपको आनंद मिलेगा ये मेरी गारंटी है। कहानी को चरणबद तरीके से शुरू करते हैं चलिए!!

सुबह सुबह की ठंडी हवा रफ़्तार से चल रही थी और उसमें पक्षियों की कुलबुलाहट एक अलग ही छटा बिखेरी हुई थी,गांव का माहौल कुछ ऐसा ही होता है इसलिए तो गांव को स्वर्ग कहा जाता है। खेर में रोज की तरह अपने काम में जाने को तैयार था और बीबी गरमा गर्म नाश्ता बना कर मेरे सामने रखी पर बोली" चलो नाश्ता करो और जावो फिर काम पर," "हां हां कर रहा हूं भाग्यवान तुम तो सुबह सुबह पीछे पड़ गई हो! मेने चिढ़ाते हुई कहा.

अनु: तुम ना बस ,, जल्दी करो मुझे अभी सारे काम भी करने है. अभी झाड़ू लगाना है और फिर बर्तन धोने है फिर कपड़े !

में : हां मुझे पता है बस पांच मिनट! ऐसा कहते हुए मेने नाश्ता किया।

अनु: सुनो जी ! आज शाम को जल्दी आ जाना थोड़ा बाजार जाना है.

में: क्यों!

अनु: राशन पानी ओर कुछ कपड़े लेने है!

में: कपड़े ?

अनु: हां!

में: क्यों?

अनु: वो नहीं है इसलिए !

में: क्या कपड़े लेने है!

अनु: वही अंदर के , ब्रा पेंटी और क्या . कही महीनो से नहीं लिए !

में: तो क्या हुआ?

अनु: फट गए सारे ,चार महीने से उन्हें ही पहन रही हूं.

में: ओके,, ठीक है ले लेंगे अब में चलूं?

अनु: हां।

फिर मेने बाय बोला और काम पर निकल गया.
शाम को जल्दी घर लौट आया और फिर बीबी को लेकर बाजार गया , वहां उसके लिए तीन जोड़ी ब्रा पेंटी का सेट लिया और महीने का राशन भी ओर फिर घर आ गए। रात को खाने के बाद में अपने कमरे में टीवी देखने लगा ओर देखते देखते कब आंख लग गई पता ही नहीं चला। अगली सुबह फिर रोज की वही क्रिया करने के पश्चात में काम पर गया । ऐसे ही दिन कट रहे थे पर तभी एक दिन खाते समय बीबी बोली की कही घूमने चलते हैं. मेने भी उसे हां कहा ओर फिर अगले हफ्ते का प्लान बना दिया पर अभी तक यह कन्फर्म नहीं था कि जाएंगे कहा ,मेने बीबी से पूछा तो बोली नैनीताल चलते हैं अभी मौसम भी अच्छा है, मेने भी उसकी बात पर मोहर लगा दी।

"थोड़ा सा आपको अपनी शादी शुदा जिंदगी के बारे में जानकारी दे दूं। दोस्तो हमारी शादी शुदा जिंदगी बहुत ही अच्छे से गुजर रही थी किसी बात की कोई जरूरत शंका नहीं थी, शादी को पांच साल से अधिक समय हो गया था पर अभी हम ओर इंजॉय करना चाहते थे इसी लिए अभी तक बच्चा पैदा करने की कोशिश नहीं की थी. एक पति पत्नी को जिस तरह से अपने वैवाहिक जीवन को जीना चाहिए हम बिल्कुल उसी तरह से जी रहे थे. हम दोनों महीनों के बाकी दिनों को छोड़कर बाकी दिन सेक्स किया करते थे,कभी तो दो या तीन बार भी हो जाया करता था पर मुझे इस बात से संतुष्टि प्राप्त होती थी कि मेरी बीबी मेरा पूरा साथ दिया करती थी। भले ही शादी को पांच से ऊपर समय बीत गया पर मेरे ओर उसके अंदर सेक्स की कामुकता बिलकुल भी कम नहीं हुई थी अपितु वो समय के साथ साथ ओर अधिक बढ़ रही थी. जहां पहले में ओर मेरी बीबी पांच मिनट में फारिक और संतुष्ट हो जाया करते थे अब वहीं पंद्रह मिनट तक बढ़ गया.

ऑफिस से छुट्टी ले ली और फिर सारी तैयारी करने के पश्चात फिर मेने एक टेक्सी हायर की ओर पहुंच गए नैनीताल ! दोस्तो नैनीताल बहुत ही सुन्दर जगह है और ज्यादातर यहां पर शादी शुदा जोड़े ही आया करते हैं हनीमून के लिए. पर मुझे ये सब चोंचले बाजी लगता था खेर पर बीबी की इच्छा थी तो उसे पूरा करना मेरी जिम्मेदारी थी। खेर दोस्तों मेने ऑनलाइन एक अच्छा सा होटल या यूं कहें कि एक कॉटेज रेंट पर लिया था पूरे तीन चार दिन के लिए क्योंकि में बीबी के साथ समय बिताना चाहता था और वो इसलिए की शहर की भागदौड़ से अलग एकांत में पहाड़ों की हसीन वादियों में चला आया . वाकई में कॉटेज बहुत सुंदर था पहाड़ों के बीच बसा हुआ एक दम जन्नत की गोद में . यह कॉटेज मेरे एक दोस्त का था पर वो यहां नहीं रहता था परंतु उसने मेंटेन बहुत सुंदर कर रखा था.एक नौकर रखा था देखभाल करने के लिए।

अब हम दोनों वहां पहुंच चुके थे नौकर से बात हुई ,उसने भी जी साहब करके हाथ जोड़े और समान उठाकर हमारे रूम में चल दिया, अंधेरा हो गया था ओर हम दोनों सफर से थक भी चुके थे मेने नौकर से कहा. " क्या नाम है अपना?

साहब जी .रमाकांत!

अच्छा ,रमाकांत जी आप कितने समय से यहां काम कर रहे हैं?

साहब पांच साल हो गए।

वैरी गुड.. अच्छा रमाकांत जी आप जरा बढ़िया वाली दो कप चाय बना के दे दो!

जी साहब,,, बस पांच मिनट रुकिए ।

ठीक है,, ओर फिर में अपनी बीबी के साथ रूम में चला गया , थकान थी तो फटाफट नहा लिया और बाहर छत से हसीन वादियों का आनंद लेने लगें. "साहब जी चाय! रमाकांत की आवाज आई. " रख लो यही टेबल पर रमाकांत जी और हां खाने में कुछ हल्का सा बनना ! मेने कहा उसे।

जी साहब आप कहें क्या बनाना है?

वो एक दाल और बस रोटी! मेने बोला.

जी साहब...

इतना कहकर रमाकांत चल दिया , मेने बीबी को कहा ओर बताओ कैसा लगा तुम्हें यहां.

बहुत अच्छा कमल! अनु बोली।

रात को खाना खाने के बाद थोड़ा हम दोनों टहलने लगें तभी रमाकांत आया और बोला. " साहब ! रात को यहां सैफ नहीं है टहलना . " में क्यों? " वो साहब यहां कुछ समय से तेंदुए का आतंक मचा हुआ है, यहीं पास के गांव के दो लोगों को वो मार चुका है साहब! इसलिए कह रहा हूं आप सिर्फ कमरे के अंदर से ही आनंद लीजिए रात के वक्त. " ठीक है में ध्यान रखूंगा रामाकांत जी , ऐसा कहते में ओर मेरी बीबी अपने कमरे की ओर चल दिए और रमाकांत भी नीचे किचन में चला गया।
"कमल ऐसी जगह रखना क्या सही होगा मुझे तो डर लगने लगा है. मेरी बीबी अनु बोली।
"डरो मत में हूं ना ओर रात को है डर दिन के समय में कुछ नहीं अनु ओर हम बाहर जाएंगे ही नहीं रात में तो काहे का डर फिर ,ऐसा कहकर मेने अपनी बीबी को हिम्मत बढ़ाई. सफर की थकान में दोनों चूर थे तो पता नहीं चला कि कब आंख लग गई सुबह रमाकांत की आवाज सुनाई दी "साहब जी चाय ? में तुरंत उठा और उससे चाय ली, अच्छा रमाकांत जी नाश्ते में क्या बना रहे हो आप? " वो साहब आलू के पराठे! अच्छा ठीक है हम आधे घंटे में नीचे आते हैं कहकर मेने दरवाजा बंद किया और बीबी को जगाने लगा , वो भी उठी और फ्रेश होकर थोड़ी देर में आ गई फिर हमने चाय पी ओर तैयार होकर नीचे चले गए. रमाकांत ने हमे नाश्ता दिया और हमने भी दो दो पराठे खा लिए, वाकई में उसने बहुत टेस्टी पराठे बनाए थे. खैर खा पीकर हम दोनों बाजार घूमने निकल गए और रमाकांत को कहा कि दिन का लंच हम बाहर ही करेंगे। माल रोड में घूमते हुए मेने एक दुकान के बाहर एक नाइटी देखी तो में बीबी को लेकर अंदर चला ओर वही नाइटी बीबी के लिए ले ली , बिलकुल पारदर्शी नाइटी थी अगर ब्रा पेंटी न पहने तो सब कुछ दिख जाएगा पर खेर में अपने इस नैनीताल के सफर को सुहाना बनाना चाहता था तो बीबी ने भी कुछ नहीं कहा बल्कि मुझे बोली कि बड़ी मस्ती छा रही है आपको! मेने भी हंसा और दुकान से बाहर निकल आए , फिर थोड़ा बहुत झील के किनारे खंडे रहे थोड़ी बहुत बोटिंग भी करी और फिर लंच करके अपने बंगले की ओर आ गए, शाम हो गई थी और अब ठंडी हवा रफ़्तार से चलने लगी, इस खुशनुमा माहौल में शरीर को अलग ही ऊर्जा का आनंद मिल रहा था. पहुंचकर रमाकांत ने चाय बनाई ओर चाय पीने के बाद हम अपने कमरे में चल दिए . मेने अपने दोस्त को फोन किया धन्यवाद करने के लिए " हैलो,, निखिल! कैसे हो।
निखिल यार ठीक हूं और तू सुना ,केसा लगा तुमको।
बहुत अच्छा यार और तू बता घर में सब ठीक है ओर भाभी जी ?
हां कमल सब ठीक है ओर भाभी भी तेरी ओर तू बता भाभी को अच्छा लग रहा है ना?
हां हां ओर तूं बता क्या चल रहा है! में ओर मेरा दोस्त आपस में काफी खुले हुए थे हम एक दूसरे से सारी बात शेयर करते थे।
यार कमल कुछ नहीं बस वही रोज की तरह ऑफिस से घर ओर घर से ऑफिस बस !
हां वो तो है चल फिर आने के बाद बात करते हैं!
हां ठीक है ओर सुन भाभी का ख्याल रखना!
हां हां रख रहा हूं यार निखिल!
अच्छा कमल कितनी बार ली कल भाभी की !
तू भी ना निखिल ! दो बार ली और तुमने?
बस एक बार ली !
चल ठीक है आज दो बार लेना अच्छे से भाभी की मेने कहा ओर हंसने लगा!
ठीक है कमल आज दो बार ओर निखिल भी भी हंसने लगा. ठीक है ओर फिर मेने फोन काट दिया।

रात को खाना खाने के बाद मेने बीबी को नाईटी पहनने को कहा और उसने भी फटाफट से पहन ली!
"यार अनु ऐसे नहीं बिना ब्रा पेंटी के पहन ! मेने कहा.
"ठीक है मेरे पति परमेश्वर अभी पहनती हूं और इतना कहकर उसने मेरे सामने ही अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर नाइटी पहन ली! क्या बताऊं इस समय मेरी बीबी स्वर्ग की अप्सरा सी लग रही थी खेर फिर रात में दो बार हमने संभोग किया और सुबह रोज की तरह चाय पी ओर फिर नाश्ता और फिर निकल पड़े घूमने के लिए।
शाम को कमरे पर पहुंचे तो देखा कि रामाकांत के साथ कोई दूसरा लड़का भी था मेने पूछा तो रमाकांत ने बताया कि उसका लड़का है.

दोस्तो में थोड़ा कहानी को यही पर विराम लगाना चाहता हूं वो इसलिए की में कहानी को आगे बढ़ाने से पहले आपको अपने बारे में जानकारी देना चाहता हूं कि कैसे मेरे मन में यह इच्छा हुई जिसके फल स्वरूप मेने ऐसा निर्णय लिया और ऐसा घृणित कार्य किया तो चलिए ...


जब में तकरीबन १७/१८ साल का था तब से मेरे मन में लड़कियो के बारे में लैंगिक आकर्षण चालू हुआ था. में हमेशा लड़की और सेक्स के बारे में सोचने लगा. १७/१८ साल के लडके के अंदर सेक्स के बारे में जो जिग्यासा होती है और उसे जानने के लिए वो जो भी करता है वह सब में करने लगा. मिसाल के तौर पर, लड़कियों और औरतों को चुपके से निहारना, उनके गदराए अंगो को देखने के लिए छटपटाना. उनके पहने हुए कपडो के अंदर के अंतर्वस्त्रों के रंग और पैटर्न जानने की कोशिस करना. चुपके से वयस्कों की फिल्में देखना, ब्लू-फिल्म देखना क्योंकि हमारे समय में टच स्क्रीन वाले फोन आ चुके थे भले ही नेट बहुत महंगा हुआ करता था पर में एडजस्ट करके फोन में रिचार्ज किया करता ओर पोर्न वीडियो ओर अश्लील कहानियाँ पढ़ता ओर इसका नतीजा यह हुआ कि मेरे अंदर सेक्स के लिए व्याकुलता अधिक मात्रा में अंकुरित होने लगी. में जिस किसी लड़की या महिला को देखता तो मेरा ध्यान उसके कपड़ो उसके अंदर से झांकती ब्रा की पट्टियां और सलवार में से दिखती पेंटी लाइन पर होती. में अपनी आंखों से शरीर का नापतौल करता जैसे कितने बड़े स्तन हैं,कितनी पतली कमर है, कितनी मोटी और उठी हुई गांड है वगैरह, वगैरह,, धीरे धीरे मेरे संपर्क में रहनेवाली और मेरे नज़र में आनेवाली सभी लड़कियों और औरतों के बारे में मेरे मन में काम लालसा जागने लगी. में स्कूल की मेरे से बड़ी लड़कियों, चिकनी और सुंदर मेंडम, रास्ते पे जा रही लड़कियों और महिलाएं, हमारे गांव में रहेने वाली लड़कियों और महिलाएं इन सब की तरफ काम वासना से देखने लगा. यहाँ तक कि मेरे रिश्तेदारी की कुछेक लड़कियों और महिलाएं को भी में काम वासना से देखने लगा था जिसमें मेरी मौसी, मामी,बुआ,दीदी,चाची ओर भी. इस तरह से में सेक्स में डूबते चला गया और हर दिन किसी ना किसी को याद करते हुए मूठ मारने लगा था और सोचता कि कब मेरी शादी होगी और में ये सारे सुख भोगूंगा। जब शादी हुई तो में बहुत खुश ओर उत्सुक था कि आज मेरी बरसों की जिज्ञासा पूरी होने जा रही है और हुआ भी ऐसे ही में अपनी बीबी के साथ बहुत खुश था. रोज सेक्स होता था पर न जाने क्यों मुझे सेक्स स्टोरी ओर सेक्स वीडियो भी देखने की इच्छा होती रहती ओर एक दिन जब में सेक्स वीडियो देख रहा था तो उसमें एक लड़की को दो मर्द एक साथ चोद रहे थे और वह लड़की बहुत जोश और आनंद में दिख रही थी . फिर मेने कुछ किताबें पढ़ी तो उसमे भी दो मर्दों के साथ संबंध वाली कहानी पड़ी और तबसे मेरे मन में यह कुकृत्य करने की इच्छा जागने लगी कही बार मन को परवर्तित किया परंतु फिर वही स्थिति उत्पन्न हो जाती थी.मुझे पता था कि जो में सोच रहा हूं वह बहुत गलत है पर मन को कैसे समझाऊं. बहुत कोशिश करी पर सफल न हो पाया और अंत में मेने सोची कि अगर इसमें लड़की को आनंद आता है तो बुरा क्या है और बस यही से मेरी तब अनोखी फैंटेसी शुरू हुई ओर में अपनी बीबी को यह सुख और खुद भी यह सुख लेना चाहता था परंतु इसमें डर इस बात का था कि यह काम किसी ऐसे आदमी से किया जाए जो अपना हो और विश्वास पात्र हो,जिससे मुझे कोई डर ओर भविष्य में कोई भी परेशानी न हो पाए. मुझे यह भी मालूम था कि मेरी बीबी कभी भी इसके लिए राजी नहीं होगी क्योंकि वो एक गांव की भोली भाली ओर पतिव्रता स्त्री थी,मुझे यह भी पता था कि अगर में कभी उससे इस बारे में बात करता हूं तो हमारा रिश्ता भी टूट जाएगा पर में अपनी जिज्ञासा और फैंटसी को भी पूरा करना चाहता था. मेने इसके लिए कही सारे उपाय करे परन्तु हर बार में विफल हो जाता था तो दोस्तो अब आप आगे चलकर पड़ेंगे कि मेने कैसे अपनी फैंटसी पूरी करी या ना करी चलिए अब जहां से कहानी को छोड़ा था वहीं पर आते हैं!
 
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(समय का ‘ चक्र ')

पार्ट २

साहब! रात में क्या खायेंगे आप ! रमाकांत ने कहा।
कुछ नहीं बस नॉर्मल ही ,, दाल रोटी ।
जी साहब....ओर इतना कहकर रमाकांत चल गया।रात को खाना खाया और थोड़ी देर मेने ओर मेरी बीबी ने बातें।
यहां से जाने का मन नहीं कर रहा,कितना सुकून है यहां. अनु ने कहा।
बिल्कुल ! पर क्या करे नौकरी भी तो करनी है ताकि जिंदगी अच्छे से चल पाए. मेने बोला।
चलो अब टाइम काफी हो गया,सुबह जल्दी भी जाना है बीबी ने इतना कहा ओर रजाई में घुस गई। में थोड़ा बाहर टहल कर चले गया। तभी मेरे दोस्त का फोन आया और बोला कि भाभी के साथ संबंध कैसे चल रहे हैं तो मेने भी कहा कि बहुत बढ़िया" रात को खाना खाने के बाद हमने संभोग करना शुरू कर दिया, उस रात तीन बार मेने ओर मेरी बीबी ने संभोग का आनंद लिया। अगली सुबह हमने नाश्ता किया और वापस चलने को तैयार हो गए पता ही नहीं चला कि दिन कैसे बीत गए खेर मेने रमाकांत को पांचसो रुपए इनाम दिया और वहां से घर की ओर निकल गए.

अगले दिन से वही रोज मर्रा की जिंदगी फिर से शुरू हो गई मेरा रोज ऑफिस जाना और बीबी का वही घर के काम. एक दिन रात को खाना खाने के दौरान बीबी बोली की मेरे भाई का फोन आया था , मेने पूछा क्या कह रहे थे तो बीबी बोली की भाई कहे कि वो अनमोल को हमारे यहां भेजना चाहते हैं पड़ने के लिए. में आपको बता दूं कि अनमोल मेरे जेठू का लड़का यानि मेरी बीबी के भाई का लड़का, रिश्ते में (भतीजा). वो उसने अभी दसवीं कक्षा पास की थी पहली डिविजन से और मेरे जेठू चाहते थे कि वो हमारे साथ रहकर आगे की पढ़ाई करे ताकि वो ओर अच्छे से पड़े। मेरे ससुराल में दसवीं कक्षा के बाद गांव में इसके आगे का स्कूल नहीं था तो सारे बच्चे आगे की पढ़ाई करने के लिए शहर या दूसरे गांव जाया करते थे. खेर मेने बीबी को कहा कि कोई बात नहीं तुम भाई से कहो कि अनमोल को भेज दे यह भी उसका ही घर है. मेरी बात से मेरी बीबी बहुत खुश हुई और उसने अपने भाई को फोन करके कहा कि आप अनमोल को भेज दो कल ही यहां पर ओर आप कोई चिंता न करना वो भी हमारा बच्चे के समान ही है। रात को बिस्तर में लेटें हुए मेरी बीबी बोली की आपका धन्यवाद तो मेने उसे डांटते हुए कहा कि काहे का धन्यवाद,, तो बीबी बोली की मुझे डर था कही आप मना न कर ले.. मेने भी एक चुटकी काटी उसे ओर कहा कि तुम्हारी फैमिली मेरी भी फैमिली है आगे से ऐसा मत कहना ,मेरी बातों से मेरी बीबी खुश हुई और बोली कल आते समय एक फोल्डिंग चारपाई ले आना , मेने भी उसे हां कहा ओर फिर थोड़ी देर बात करते हुए कब आंख लग गई पता ही नहीं चला।

अगले दिन सुबह ऑफिस गया और शाम को आते हुए एक फोल्डिंग चारपाई लेकर आ गया , अनमोल भी दिन के समय आ गया था.

नमस्ते मामा जी...अनमोल ने कहा।

में खुश रहो और अनमोल केसा है तू ओर बधाई हो तुझे फस्ट आने की !

धन्यवाद् मामा जी..

ओर सुना अनमोल रास्ते में कोई दिक्कत तो नहीं आई..

नहीं मामा जी ,गाड़ी फस क्लास मिल गई थी .

अच्छा तो क्या बनाया था तेरी बुआ ने तेरे लिए.

दाल चावल, रायता,ओर खीर ,,, अनमोल बोला.

अच्छा है,,, अरे सुनो एक गिलास पानी देना मेने बीबी से कहा.

जी लाई,,,, अनु किचन से बोली.

फिर पानी पिया और बीबी से कहा कि चल थोड़ा बेड को खिसकना है तभी तो ये फोल्डिंग चारपाई आयेगी.

अरे मामा जी में कर दूंगा . आप बुआ को मत कहो.

नहीं अनमोल बेड भारी है तेरे बसकी बात नहीं..

अरे नहीं मामा जी में कर दूंगा आप मुझे अभी बच्चा समझ रहे हैं,अनमोल से मुस्कराते हुए कहा.

अरे नहीं अभी तू बच्चा ही तो है दसवीं कक्षा का बालक बच्चा ही होता है,मेने भी हंसते हुए कहा.

नहीं मामाजी में १६साल का हो गया हूं!

तो क्या हुआ बच्चा ही है अभी..

अरे तुम भी ना जब अनमोल कह रहा है तो करने दो उसे .अनु कही.

अच्छा जैसे तुम्हारी इच्छा...आ फिर हाथ लगा इधर से अनमोल. जी मामाजी और फिर हम दोनों ने बेड को एक किनारे कर के थोड़ा झाड़ू लगाया और फिर चारपाई लगा ली. " ले अनमोल ये रहा तेरा बेड ! मेने कहा.

जी मामाजी ..

चलो अब खाना खाते हैं,,, बीबी ने खाना लगाया और फिर तीनों ने साथ में खाना खाया .

अगले दिन से ही में अनमोल के लिए अच्छा सा स्कूल देखने लगा ओर अनमोल घर में अपनी बुआ का काम में हाथ बाटने लगा . कुछ दिनों बाद एक अच्छे से स्कूल न अनमोल का दाखिला करा दिया. दिन बीतते गए और धीरे धीरे अनमोल हमारे साथ घुल मिल गया ।
परंतु अब एक समस्या थी कि उसके रहते हुए हम सेक्स नहीं कर पाते थे,जब कभी अनमोल अपने घर जाता तो उसी दौरान हम सेक्स का प्रयोग करते थे और वो इसलिए भी की क्योंकि अनमोल बच्चा नहीं था ये मुझे भी पता था ओर मेरी बीबी को भी. वो कहते हैं ना कि १६साल का बालक भी सेक्स करने में सक्षम होता है और ये बात सो प्रतिशत सही है. खेर ऐसे ही दिन बीतते गए और कब दो साल हो गए अनमोल को हमारे साथ रहते हुए पता ही नहीं चला . एक बार काम करते समय मेरी बीबी गिर गई और उसके हाथ पैरों में चोट लग गई, डॉक्टर के पास ले गया कुछ दिनों तक दवाई चली पर डेढ़ में राहत न मिली हा जो सूजन और चोट के निशान थे वो तो ठीक हो गए थे पर मुझे लगता है कि अंदरूनी चोट अभी भी ठीक नहीं हुई थी और हुआ भी ऐसा ही में जब अनु को डॉक्टर के पास ले गया तो उसने भी यही कहा कि अंदरूनी हिस्से में अभी दर्द और हल्की सूजन है. जब मेने उपाय पूछा तो डाक्टर साहब बोले कि दवाई ज्यादा मात्रा में लेने से कही और दिक्कत हो सकती है जैसे कि लिवर में इन्फेक्शन या स्टोन बन सकता है, इसलिए इनकी मालिश किया करे में आपको एक तेल देता हूं इससे इनकी रात में आधे घंटे तक मालिश करना देखना एक महीने में ठीक हो जाएंगी. मेने भी डॉक्टर से वह तेल लिए ओर फिर रोज रात के समय डाक्टर के कहे अनुसार मालिश करने लगा. कुछ दिनों के बाद ही मेरी बीबी को आराम मिलना शुरू हो गया तो मेने बीबी से कहा कि रात को में मालिश कर लिया करूंगा और दिन में तुम अनमोल से मालिश करवा लिया करना इससे तुम्हें जल्दी आराम मिलेगा. उसने भी कहा ठीक है, ओर अब दिन के समय स्कूल से आने के बाद अनमोल मालिश करने लगा ओर कुछ दिनों के बाद मेरी बीबी जल्दी से स्वस्थ होने लगी अब उसके दर्द में अस्सी प्रतिशत आराम मिल गया था.

एक दिन रोज की तरह नहाकर में आया और बीबी को कहा कि अपने कपड़े तो धो लिया कर ऐसे ही तूने बाथरूम में छोड़ रखे हैं, तो बीबी बोली की क्या हुआ फिर इसमें इतना क्या ! " तो कहा पहले की बात ओर थी उस समय हम दोनों ही रहते थे अब साथ में अनमोल भी हैं और वो अब जवान भी हो गया हे तो ऐसा करना अब सही नहीं होगा. " अच्छा जी कल से नहीं होगा में नहाते समय ही उन्हें धोकर ले आऊंगी बस ' मेरी बीबी ने कहा। " ठीक है ओर फिर में ऑफिस के लिए निकल गया. ऑफिस में बैठे हुए मेरे दिमाग में सेक्स फिल्म देखने की इच्छा जाहिर हुई ओर वो इसलिए की घर पर अब तो अब ये हो नहीं पाता था, खेर मेने एक पोर्न वीडियो चलाया और देखने लगा कुछ देर बाद मेरे लंड ने सर उठाना शुरू कर दिया वो झटके लगातें हुए पेंट की जिफ फाड़ने को आतुर हो उठा था, जैसे तेंसे मन को काबू करते हुए मेने अपने आप को कंट्रोल किया और वीडियो का आनन्द लेने लगा तभी कुछ समय बाद उस लड़की को दो मर्द चोदने लगे यह सब देख कर मेरा दिमाग खराब हो गया और मन सीधा अपनी बीबी पर गया में उस वीडियो में अपनी बीबी की छवि देखने लगा. मन में झनझनाहट सी हुई में एक दम से अपने आप को कंट्रोल किया और मन ने कहा कि यह गलत है, पर वो कहते हैं ना कि सेक्स की कामुकता बहुत होती है तो उसमे में भी बहता चला गया. ओर ना चाहते हुए भी में वो पोर्न वीडियो देखता रहा. तभी मेरे मन में अनमोल का ख्याल आया और में ओर अधिक कामुक होता गया. मेने सोचा कि अनमोल अब १६साल का हो गया है अब वो वयस्क हो चुका है. पर मुझे यह भी पता था कि यह जो मेरे दिमाग में खिचड़ी पक रही है यह संभव होना नहीं है पर अब मेरे दिमाग बस अनमोल ही दिख रहा था. क्या यह संभव था जो में सोच रहा था, पर उस समय मेरे दिमाग में बस यही खयालात उमड़ रहे थे कि यह सब सही है खैर मेने अपने आप को कंट्रोल किया। रात को घर में आने के बाद भी मेरे दिमाग में वही घटना घूम रही थी जो ऑफिस में हुई . अब मेने अनमोल के मन को जानने के लिए अपनी बीबी के ब्रा पेंटी जानबूझकर बाथरूम में छोड़ दिया करता था,ऐसे करते हुए कही दिन गुजर गए पर अनमोल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई , में जानबूझकर उसे छत से कपड़े लाने को भेजता पर उसके हाव भाव से मुझे कभी लगा नहीं. पर एक दिन मेने देखा कि जब वो कपड़े उतार कर छत से ला रहा था तो वो बड़े गोर से मेरी बीबी के ब्रा पेंटी को देख रहा था और यह सिलसिला अब रोज होने लगा था, उसके हाव भाव अब बदल रहे थे,एक दिन मेने अनमोल को अपने सामने ही मेरी बीबी के ब्रा पेंटी को मसलते हुए देखा , अब में समझ
चुका था कि अनमोल के मन में कुछ चल रहा है।


( आप सभी मित्रो को मेरी कहानी कैसे लग रही है। आप मेरी कहानी को ज्यादा से ज्यादा कमेंट लाइक करें ताकि मेरा हौसला अफजाई हो पाएं। धन्यवाद)
 
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( तन्हाई में उदास होते हैं जो लोग
अक्सर जिंदगी से आजाद होते हैं वो लोग)
 
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Congrats bhai for your new thread 🎉🎉🎉
( समय का ' चक्र ' )

पार्ट १

नमस्कार, मैं कमल नेगी, प्यारे से राज्य उत्तराखंड से हूं.. में यहां पर अपना कारोबार करता हूं और उससे अच्छी खासी आमदनी हो जाती है. मेरी उम्र 34 साल की है। मेरी शादी लगभग साढ़े पांच साल साल पहले गांव की भोली भाली लड़की से हुई थी। मेरी बीवी का नाम अनु है। उसकी उम्र 27 साल, हाइट 5 फीट 8 इंच, चेहरा एकदम गोल मटोल दूध सा है। में अभी नया पाठक बना हूं और नया लेखक भी तो अगर कही लिखने में कोई त्रुटि हो तो माफ कर दें बाकी में अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा सही लिखने की पर आप सभी अपना सपोर्ट बनाएं रखना . दोस्तो कहानी लंबी जरूर होगी परंतु आपको आनंद मिलेगा ये मेरी गारंटी है। कहानी को चरणबद तरीके से शुरू करते हैं चलिए!!

सुबह सुबह की ठंडी हवा रफ़्तार से चल रही थी और उसमें पक्षियों की कुलबुलाहट एक अलग ही छटा बिखेरी हुई थी,गांव का माहौल कुछ ऐसा ही होता है इसलिए तो गांव को स्वर्ग कहा जाता है। खेर में रोज की तरह अपने काम में जाने को तैयार था और बीबी गरमा गर्म नाश्ता बना कर मेरे सामने रखी पर बोली" चलो नाश्ता करो और जावो फिर काम पर," "हां हां कर रहा हूं भाग्यवान तुम तो सुबह सुबह पीछे पड़ गई हो! मेने चिढ़ाते हुई कहा.

अनु: तुम ना बस ,, जल्दी करो मुझे अभी सारे काम भी करने है. अभी झाड़ू लगाना है और फिर बर्तन धोने है फिर कपड़े !

में : हां मुझे पता है बस पांच मिनट! ऐसा कहते हुए मेने नाश्ता किया।

अनु: सुनो जी ! आज शाम को जल्दी आ जाना थोड़ा बाजार जाना है.

में: क्यों!

अनु: राशन पानी ओर कुछ कपड़े लेने है!

में: कपड़े ?

अनु: हां!

में: क्यों?

अनु: वो नहीं है इसलिए !

में: क्या कपड़े लेने है!

अनु: वही अंदर के , ब्रा पेंटी और क्या . कही महीनो से नहीं लिए !

में: तो क्या हुआ?

अनु: फट गए सारे ,चार महीने से उन्हें ही पहन रही हूं.

में: ओके,, ठीक है ले लेंगे अब में चलूं?

अनु: हां।

फिर मेने बाय बोला और काम पर निकल गया.
शाम को जल्दी घर लौट आया और फिर बीबी को लेकर बाजार गया , वहां उसके लिए तीन जोड़ी ब्रा पेंटी का सेट लिया और महीने का राशन भी ओर फिर घर आ गए। रात को खाने के बाद में अपने कमरे में टीवी देखने लगा ओर देखते देखते कब आंख लग गई पता ही नहीं चला। अगली सुबह फिर रोज की वही क्रिया करने के पश्चात में काम पर गया । ऐसे ही दिन कट रहे थे पर तभी एक दिन खाते समय बीबी बोली की कही घूमने चलते हैं. मेने भी उसे हां कहा ओर फिर अगले हफ्ते का प्लान बना दिया पर अभी तक यह कन्फर्म नहीं था कि जाएंगे कहा ,मेने बीबी से पूछा तो बोली नैनीताल चलते हैं अभी मौसम भी अच्छा है, मेने भी उसकी बात पर मोहर लगा दी।

"थोड़ा सा आपको अपनी शादी शुदा जिंदगी के बारे में जानकारी दे दूं। दोस्तो हमारी शादी शुदा जिंदगी बहुत ही अच्छे से गुजर रही थी किसी बात की कोई जरूरत शंका नहीं थी, शादी को पांच साल से अधिक समय हो गया था पर अभी हम ओर इंजॉय करना चाहते थे इसी लिए अभी तक बच्चा पैदा करने की कोशिश नहीं की थी. एक पति पत्नी को जिस तरह से अपने वैवाहिक जीवन को जीना चाहिए हम बिल्कुल उसी तरह से जी रहे थे. हम दोनों महीनों के बाकी दिनों को छोड़कर बाकी दिन सेक्स किया करते थे,कभी तो दो या तीन बार भी हो जाया करता था पर मुझे इस बात से संतुष्टि प्राप्त होती थी कि मेरी बीबी मेरा पूरा साथ दिया करती थी। भले ही शादी को पांच से ऊपर समय बीत गया पर मेरे ओर उसके अंदर सेक्स की कामुकता बिलकुल भी कम नहीं हुई थी अपितु वो समय के साथ साथ ओर अधिक बढ़ रही थी. जहां पहले में ओर मेरी बीबी पांच मिनट में फारिक और संतुष्ट हो जाया करते थे अब वहीं पंद्रह मिनट तक बढ़ गया.

ऑफिस से छुट्टी ले ली और फिर सारी तैयारी करने के पश्चात फिर मेने एक टेक्सी हायर की ओर पहुंच गए नैनीताल ! दोस्तो नैनीताल बहुत ही सुन्दर जगह है और ज्यादातर यहां पर शादी शुदा जोड़े ही आया करते हैं हनीमून के लिए. पर मुझे ये सब चोंचले बाजी लगता था खेर पर बीबी की इच्छा थी तो उसे पूरा करना मेरी जिम्मेदारी थी। खेर दोस्तों मेने ऑनलाइन एक अच्छा सा होटल या यूं कहें कि एक कॉटेज रेंट पर लिया था पूरे तीन चार दिन के लिए क्योंकि में बीबी के साथ समय बिताना चाहता था और वो इसलिए की शहर की भागदौड़ से अलग एकांत में पहाड़ों की हसीन वादियों में चला आया . वाकई में कॉटेज बहुत सुंदर था पहाड़ों के बीच बसा हुआ एक दम जन्नत की गोद में . यह कॉटेज मेरे एक दोस्त का था पर वो यहां नहीं रहता था परंतु उसने मेंटेन बहुत सुंदर कर रखा था.एक नौकर रखा था देखभाल करने के लिए।

अब हम दोनों वहां पहुंच चुके थे नौकर से बात हुई ,उसने भी जी साहब करके हाथ जोड़े और समान उठाकर हमारे रूम में चल दिया, अंधेरा हो गया था ओर हम दोनों सफर से थक भी चुके थे मेने नौकर से कहा. " क्या नाम है अपना?

साहब जी .रमाकांत!

अच्छा ,रमाकांत जी आप कितने समय से यहां काम कर रहे हैं?

साहब पांच साल हो गए।

वैरी गुड.. अच्छा रमाकांत जी आप जरा बढ़िया वाली दो कप चाय बना के दे दो!

जी साहब,,, बस पांच मिनट रुकिए ।

ठीक है,, ओर फिर में अपनी बीबी के साथ रूम में चला गया , थकान थी तो फटाफट नहा लिया और बाहर छत से हसीन वादियों का आनंद लेने लगें. "साहब जी चाय! रमाकांत की आवाज आई. " रख लो यही टेबल पर रमाकांत जी और हां खाने में कुछ हल्का सा बनना ! मेने कहा उसे।

जी साहब आप कहें क्या बनाना है?

वो एक दाल और बस रोटी! मेने बोला.

जी साहब...

इतना कहकर रमाकांत चल दिया , मेने बीबी को कहा ओर बताओ कैसा लगा तुम्हें यहां.

बहुत अच्छा कमल! मनीषा बोली।

रात को खाना खाने के बाद थोड़ा हम दोनों टहलने लगें तभी रमाकांत आया और बोला. " साहब ! रात को यहां सैफ नहीं है टहलना . " में क्यों? " वो साहब यहां कुछ समय से तेंदुए का आतंक मचा हुआ है, यहीं पास के गांव के दो लोगों को वो मार चुका है साहब! इसलिए कह रहा हूं आप सिर्फ कमरे के अंदर से ही आनंद लीजिए रात के वक्त. " ठीक है में ध्यान रखूंगा रामाकांत जी , ऐसा कहते में ओर मेरी बीबी अपने कमरे की ओर चल दिए और रमाकांत भी नीचे किचन में चला गया।
"कमल ऐसी जगह रखना क्या सही होगा मुझे तो डर लगने लगा है. मेरी बीबी मनीषा बोली।
"डरो मत में हूं ना ओर रात को है डर दिन के समय में कुछ नहीं मनीषा ओर हम बाहर जाएंगे ही नहीं रात में तो काहे का डर फिर ,ऐसा कहकर मेने अपनी बीबी को हिम्मत बढ़ाई. सफर की थकान में दोनों चूर थे तो पता नहीं चला कि कब आंख लग गई सुबह रमाकांत की आवाज सुनाई दी "साहब जी चाय ? में तुरंत उठा और उससे चाय ली, अच्छा रमाकांत जी नाश्ते में क्या बना रहे हो आप? " वो साहब आलू के पराठे! अच्छा ठीक है हम आधे घंटे में नीचे आते हैं कहकर मेने दरवाजा बंद किया और बीबी को जगाने लगा , वो भी उठी और फ्रेश होकर थोड़ी देर में आ गई फिर हमने चाय पी ओर तैयार होकर नीचे चले गए. रमाकांत ने हमे नाश्ता दिया और हमने भी दो दो पराठे खा लिए, वाकई में उसने बहुत टेस्टी पराठे बनाए थे. खैर खा पीकर हम दोनों बाजार घूमने निकल गए और रमाकांत को कहा कि दिन का लंच हम बाहर ही करेंगे। माल रोड में घूमते हुए मेने एक दुकान के बाहर एक नाइटी देखी तो में बीबी को लेकर अंदर चला ओर वही नाइटी बीबी के लिए ले ली , बिलकुल पारदर्शी नाइटी थी अगर ब्रा पेंटी न पहने तो सब कुछ दिख जाएगा पर खेर में अपने इस नैनीताल के सफर को सुहाना बनाना चाहता था तो बीबी ने भी कुछ नहीं कहा बल्कि मुझे बोली कि बड़ी मस्ती छा रही है आपको! मेने भी हंसा और दुकान से बाहर निकल आए , फिर थोड़ा बहुत झील के किनारे खंडे रहे थोड़ी बहुत बोटिंग भी करी और फिर लंच करके अपने बंगले की ओर आ गए, शाम हो गई थी और अब ठंडी हवा रफ़्तार से चलने लगी, इस खुशनुमा माहौल में शरीर को अलग ही ऊर्जा का आनंद मिल रहा था. पहुंचकर रमाकांत ने चाय बनाई ओर चाय पीने के बाद हम अपने कमरे में चल दिए . मेने अपने दोस्त को फोन किया धन्यवाद करने के लिए " हैलो,, निखिल! कैसे हो।
निखिल यार ठीक हूं और तू सुना ,केसा लगा तुमको।
बहुत अच्छा यार और तू बता घर में सब ठीक है ओर भाभी जी ?
हां कमल सब ठीक है ओर भाभी भी तेरी ओर तू बता भाभी को अच्छा लग रहा है ना?
हां हां ओर तूं बता क्या चल रहा है! में ओर मेरा दोस्त आपस में काफी खुले हुए थे हम एक दूसरे से सारी बात शेयर करते थे।
यार कमल कुछ नहीं बस वही रोज की तरह ऑफिस से घर ओर घर से ऑफिस बस !
हां वो तो है चल फिर आने के बाद बात करते हैं!
हां ठीक है ओर सुन भाभी का ख्याल रखना!
हां हां रख रहा हूं यार निखिल!
अच्छा कमल कितनी बार ली कल भाभी की !
तू भी ना निखिल ! दो बार ली और तुमने?
बस एक बार ली !
चल ठीक है आज दो बार लेना अच्छे से भाभी की मेने कहा ओर हंसने लगा!
ठीक है कमल आज दो बार ओर निखिल भी भी हंसने लगा. ठीक है ओर फिर मेने फोन काट दिया।

रात को खाना खाने के बाद मेने बीबी को नाईटी पहनने को कहा और उसने भी फटाफट से पहन ली!
"यार अनु ऐसे नहीं बिना ब्रा पेंटी के पहन ! मेने कहा.
"ठीक है मेरे पति परमेश्वर अभी पहनती हूं और इतना कहकर उसने मेरे सामने ही अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर नाइटी पहन ली! क्या बताऊं इस समय मेरी बीबी स्वर्ग की अप्सरा सी लग रही थी खेर फिर रात में दो बार हमने संभोग किया और सुबह रोज की तरह चाय पी ओर फिर नाश्ता और फिर निकल पड़े घूमने के लिए।
शाम को कमरे पर पहुंचे तो देखा कि रामाकांत के साथ कोई दूसरा लड़का भी था मेने पूछा तो रमाकांत ने बताया कि उसका लड़का है.

दोस्तो में थोड़ा कहानी को यही पर विराम लगाना चाहता हूं वो इसलिए की में कहानी को आगे बढ़ाने से पहले आपको अपने बारे में जानकारी देना चाहता हूं कि कैसे मेरे मन में यह इच्छा हुई जिसके फल स्वरूप मेने ऐसा निर्णय लिया और ऐसा घृणित कार्य किया तो चलिए ...


जब में तकरीबन १७/१८ साल का था तब से मेरे मन में लड़कियो के बारे में लैंगिक आकर्षण चालू हुआ था. में हमेशा लड़की और सेक्स के बारे में सोचने लगा. १७/१८ साल के लडके के अंदर सेक्स के बारे में जो जिग्यासा होती है और उसे जानने के लिए वो जो भी करता है वह सब में करने लगा. मिसाल के तौर पर, लड़कियों और औरतों को चुपके से निहारना, उनके गदराए अंगो को देखने के लिए छटपटाना. उनके पहने हुए कपडो के अंदर के अंतर्वस्त्रों के रंग और पैटर्न जानने की कोशिस करना. चुपके से वयस्कों की फिल्में देखना, ब्लू-फिल्म देखना क्योंकि हमारे समय में टच स्क्रीन वाले फोन आ चुके थे भले ही नेट बहुत महंगा हुआ करता था पर में एडजस्ट करके फोन में रिचार्ज किया करता ओर पोर्न वीडियो ओर अश्लील कहानियाँ पढ़ता ओर इसका नतीजा यह हुआ कि मेरे अंदर सेक्स के लिए व्याकुलता अधिक मात्रा में अंकुरित होने लगी. में जिस किसी लड़की या महिला को देखता तो मेरा ध्यान उसके कपड़ो उसके अंदर से झांकती ब्रा की पट्टियां और सलवार में से दिखती पेंटी लाइन पर होती. में अपनी आंखों से शरीर का नापतौल करता जैसे कितने बड़े स्तन हैं,कितनी पतली कमर है, कितनी मोटी और उठी हुई गांड है वगैरह, वगैरह,, धीरे धीरे मेरे संपर्क में रहनेवाली और मेरे नज़र में आनेवाली सभी लड़कियों और औरतों के बारे में मेरे मन में काम लालसा जागने लगी. में स्कूल की मेरे से बड़ी लड़कियों, चिकनी और सुंदर मेंडम, रास्ते पे जा रही लड़कियों और महिलाएं, हमारे गांव में रहेने वाली लड़कियों और महिलाएं इन सब की तरफ काम वासना से देखने लगा. यहाँ तक कि मेरे रिश्तेदारी की कुछेक लड़कियों और महिलाएं को भी में काम वासना से देखने लगा था जिसमें मेरी मौसी, मामी,बुआ,दीदी,चाची ओर भी. इस तरह से में सेक्स में डूबते चला गया और हर दिन किसी ना किसी को याद करते हुए मूठ मारने लगा था और सोचता कि कब मेरी शादी होगी और में ये सारे सुख भोगूंगा। जब शादी हुई तो में बहुत खुश ओर उत्सुक था कि आज मेरी बरसों की जिज्ञासा पूरी होने जा रही है और हुआ भी ऐसे ही में अपनी बीबी के साथ बहुत खुश था. रोज सेक्स होता था पर न जाने क्यों मुझे सेक्स स्टोरी ओर सेक्स वीडियो भी देखने की इच्छा होती रहती ओर एक दिन जब में सेक्स वीडियो देख रहा था तो उसमें एक लड़की को दो मर्द एक साथ चोद रहे थे और वह लड़की बहुत जोश और आनंद में दिख रही थी . फिर मेने कुछ किताबें पढ़ी तो उसमे भी दो मर्दों के साथ संबंध वाली कहानी पड़ी और तबसे मेरे मन में यह कुकृत्य करने की इच्छा जागने लगी कही बार मन को परवर्तित किया परंतु फिर वही स्थिति उत्पन्न हो जाती थी.मुझे पता था कि जो में सोच रहा हूं वह बहुत गलत है पर मन को कैसे समझाऊं. बहुत कोशिश करी पर सफल न हो पाया और अंत में मेने सोची कि अगर इसमें लड़की को आनंद आता है तो बुरा क्या है और बस यही से मेरी तब अनोखी फैंटेसी शुरू हुई ओर में अपनी बीबी को यह सुख और खुद भी यह सुख लेना चाहता था परंतु इसमें डर इस बात का था कि यह काम किसी ऐसे आदमी से किया जाए जो अपना हो और विश्वास पात्र हो,जिससे मुझे कोई डर ओर भविष्य में कोई भी परेशानी न हो पाए. मुझे यह भी मालूम था कि मेरी बीबी कभी भी इसके लिए राजी नहीं होगी क्योंकि वो एक गांव की भोली भाली ओर पतिव्रता स्त्री थी,मुझे यह भी पता था कि अगर में कभी उससे इस बारे में बात करता हूं तो हमारा रिश्ता भी टूट जाएगा पर में अपनी जिज्ञासा और फैंटसी को भी पूरा करना चाहता था. मेने इसके लिए कही सारे उपाय करे परन्तु हर बार में विफल हो जाता था तो दोस्तो अब आप आगे चलकर पड़ेंगे कि मेने कैसे अपनी फैंटसी पूरी करी या ना करी चलिए अब जहां से कहानी को छोड़ा था वहीं पर आते हैं!
 
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sunoanuj

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बहुत ही शानदार शुरुआत की है आपने ! और विषय भी थोड़ा अलग लिया आपने इसमें आपको बहुत संभल कर चलना होगा नहीं तो ये थ्रिल आपको बहुत मंहगा पड़ सकता है !

बहुत ही अच्छा लिख रहे हो आप !
 
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