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पदमिनी और में जब उठे तब तक दोपहर हो चुकी थी ,हम दोनों एक साथ बाथरूम में घुस गए और बाथटब में बहुत देर तक अटखेलिया करते रहे फिर शावर लिया। नहाने के दौरान भी हम दोनों जमकर चूमाचाटी करते रहे और अपने लंड और चूत को सहलाते रहे। हम दोनों तैयार होकर डाइनिंग रूम में गए और वंहा हम दोनों ने हल्का फुल्का खाना खाया।
मेने पदमिनी से कहा अब क्या प्रोग्राम हे तो पदमिनी बोली थोड़ा घूमने चलते हे हम दोनों ने स्कूटर किराये पर लिया और बाली की सड़को पर निकल पड़े ,पदमिनी ने पिंक कलर की मिनी स्कर्ट पहने हुई थी जिस पर ब्लैक रंग का कैसा हुआ टॉप था जिसमे से उसके निप्पल्स साफ दिख रहे थे ,मेने भी शॉर्ट्स पहने हुआ था ,हम दोनों को देखकर कोई नहीं कह सकता था की हम दोनों ससुर बहु हे सब हमको कपल ही समझ रहे थे।
पदमिनी की जवानी ऐसी निखार गयी थी की बाली घूमने वाले हिंदुस्तानी नौजवान उसे पलट पलट कर देख रहे थे ,पदमिनी के चलने का भी ऐसा अंदाज था की एक ोे उसके चूतड़ थिरक रहे थे तो बूब्स भी बाहर निकलने को बेताब थे। एक दो बार पदमिनी की स्कर्ट उडी तो उसकी काली पेंटी भी नुमाया हो गयी
मेरा मन अब घूमने में नहीं लग रहा था हम वापस होटल पहुंच गए होटल जाते ही पदमिनी बेड पर लेट गयी ,मेने उसके कपडे उसके बदन से अलग किये और अपना लोढ़ा उसकी चूत में पेल दिया सब इतनी जल्दी में हुआ की पदमिनी अवाक् रह गयी ,मेने पदमिनी को कहा
-सुन बेटी! अपने पापा को अपना दूध नही पिलाएगी ? ........मेरा यह कहना था की पदमिनी की आँखें मेरे हँसते चेहरे पर पहुच गयी .... अरे पदमिनी जवाब तो दे !!! तू बहुत खूबसूरत है बेटी .. मैने कभी सपने में भी नही सोचा था कि इतनी सुंदर लड़की से मुझे यूँ प्यार हो जाएगा और वह भी मेरी अपनी बहू .. ........ मेरे मूँह से निकलते शब्द अब में खुद नही बोल रहा था मेरा दिल मुझसे बुलवा रहा था और जो अब अपनी पदमिनी पर पूरी तरह से मोहित हो चुका था.
काफ़ी देर तक जब पदमिनी ने अपना चेहरा नही दिखाया तो में ने उसकी जांघे और ज़्यादा चौड़ी कर दी ताकि मेरा लंड अपनी पदमिनी की चूत में गहरे धक्के लगाने के लिए सबसे बढ़िया स्थिति में आ जाएँ और फिर में अपने विशाल लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करते हुए पेलने लगा .... हर धक्के के साथ में अपना लंड पदमिनी की टाइट गरम चूत में बच्चेदानी तक पहुँचाने में जुट गया.हर धक्के पर पदमिनी सिसकारियाँ भरने लगी।
" इश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... आह्म्म्म्ममम " ...... खुद - ब - खुद पदमिनी के हाथ अपने चेहरे से हट कर अपनी चूचियों को मसल्ने लगे और वह अपने खड़े निपल गूँथने लगी.
जल्द ही उसकी नज़रें नीचे की ओर देखने लगी कि कैसे मेरा लंड उसकी टाइट चूत में तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था .... चूत और लंड के मिलन का यह नज़ारा देखने में बड़ा ही ख़तरनाक था मगर साथ ही साथ बेहद रोमांचित कर देने वाला भी था .... इसके पश्चात ही पदमिनी अपनी गान्ड हवा में उछालती हुई अपनी तड़पति चूत मेरे मोटे लौडे पर धकेलने लगी.
" आअहह ..... आहह ....... आहहह ..... फकक्क्क्क मी ...... आइ लाइक यू पापा........... लव मी " ...... अत्यधिक आनंद से सराबोर पदमिनी चीखने चिल्लाने लगी और मेने उसकी टाइट चूत में और भी तेज धक्के लगाने चालू कर दिए .... .
उत्तेजनावश पदमिनी मेरे होंठ चूसने लगी .... उसकी चूत बुरी तरह ऐंठने लगी .... अब मेरा विकराल लंड उसकी बच्चेदानी के अंदर तक निर्मम चोट मार रहा था.
पदमिनी की चूत में अपना पूरा लंड जड़ तक पेल करमें कुछ पलों के लिए स्थिर हो गया और अपनी कोहनियों को मोडते हुए में पदमिनी के जिस्म को चूसने चाटने लगा .... जिससे पदमिनी की मोटी चूचियाँ मेरी चौड़ी छाती के नीचे दबने लगी
यस पापा .. चोद डालो मुझे .. आहह फाड़ डालो मेरी चूत को " ........ वह चीखी और मेरे साथ सेक्स की उसकी कामना और भी प्रबलता से मेरे सामने स्पष्ट हो गयी.
पदमिनी ने अपनी टांगे ऊपर की और जितना उठा सकती थी उठा ली और फिर अपनी जांघे मेरी नंगी पीठ पर बाँधने लगी .... इसमें सफल होने के बाद वह पागलो की तरह अपने चूतड़ हिलाती हुई .... अपनी गीली और कसी चूत से मेरे लंड को किसी बाज़ारू रंडी की तरह अपनी चूत में लेने लगी.
पदमिनी - पापा अभी आप क्या कर रहे हो ? ........ उसने मेरी पीठ पर अपने तीखे व नुकीले नाख़ून गढ़ाते हुए पूछा.
" ओह .......... प्यार कर रहा हूँ अपनी बेटी से ....... मेने शांत भाव से जवाब दिया.
पदमिनी -ज़्यादा झूठ मत बोलो पापा .. आप अपनी बहू को चोद रहे हो .. अभी उसकी चूत में आप का मोटा लंड है " ........बासना से भरी पदमिनी क्या - क्या बड़बड़ा रही थी उसे कोई होश नही रहा बस वह " चोदो - चोदो " की रट लगाती हुई सिसके जा रही थी.
मेने कहा आह पदमिनी ।तेरी चूत कितनी टाइट और गरम है।आज फिर से तूने मुझे खुश कर दिया ,आज मेरा लंड मेरी अपनी बहू की चूत को फाड़कर कितना मज़ा दे रहा है।मैं तुझे रोज चोदना चाहता हूँ पदमिनी ।तेरी गांड भी मारना चाहता हूँ मेरी पदमिनी ।पदमिनी-हाँ पापा।अब तो मैं पूरी आपकी हो गई हूँ।अब आपका जब मन करे मुझे चोदना।मैं अपनी गाँड भी आपको दूँगी आप जी भर के पेलना।आपके लिए मैं कितना भी दर्द बर्दास्त कर लूँगी।अब में आपकी बीबी हु ,आप मेरे पति हे ऐसे पति जिसने मुझे चुदाई का सही सुख दिया
पदमिनी -अपनी एक चूची को मेरे मुँह में घुसा देती है और बोलती है।चूसो पापा।जी भर के चूसो मेरी चूचियों को।काट डालों मेरे निप्पलों को।अब ये आपके लिए ही है।अब मैं आपका लंड भी चुसूँगी और आपका लंड का जूस भी पि जाउंगी।
मेरे पर तो जैसे पदमिनी की बात का उल्टा असर हुआ .... में और तेजी से उसकी चूत में पेलने लगा था.
कुछ देर बाद में अपना लंड चूत से बाहर निकालने लगा वह भी तब तक .... जब तक मेरे लंड का गीला और फूला सुपाड़ा पदमिनी की चूत के होंठो के बीचो बीच ना आ जाए .... फिर पूरे ज़ोर से मेने अपने चूतड़ नीचे की ओर लाते हुए एक ज़ोरदार झटका मारा और मेरा विकराल लंड पदमिनी की चूत में जड़ तक समा गया .... अपनी पदमिनी की चूत में लगाए गये इस पहले भयानक धक्के ने मुझे ऐसा मनभावन आनंद दिया कि पदमिनी के साथ खुद उसका पूरा जिस्म काँप गया.
" आईईईईईईईईईईईईईई पापा और ज़ोर से " ......पदमिनी किसी बरसों की प्यासी, अतिकामुक लड़की की तरह अपने चूतड़ उच्छालती हुई चुदवाने लगी .... जब वह अपनी चूत मेरे लंड पर मारती तो उसकी गोल मटोल चूचियाँ वाइब्रट करती हुई बुरी तरह से हिलने लगती और में पदमिनी की ताल से ताल मिलाते हुए अपना लंड उसकी मखमली चिकनी चूत में पूरी गहराई तक पेलने लगता है।ऐसे ही ज़ोर से पापा ..... आअहह .......... म्म्म्ममममममम " ....... पदमिनी ने अपनी बाहें मेरे कंधों के इर्द गिर्द लपेटते हुए मुझे अपने ऊपर लिटा लिया .... गहरी साँसों के साथ उसका कराहना घनघोर चीखों में बदल बदल जाता .... जब वह अपनी चूत से मेरे लंड को ज़ोर से भींचने लगती ....में ने भी उसके कंधे पर अपना सर रखकर एक गहरी साँस ली और फिर अपने जिस्म की पूरी ताक़त लगाते हुए उसकी चुदाई करने लगा .... में हुंकार भरते हुए अपने घोड़े जैसे लंड को पदमिनी की मलाईदार चूत में पेलता रहा और अति शीघ्र ही पदमिनी को अपने अंदर से रस उमड़ता महसूस होने लगा .... मोटे लंड से पूरी भरी पड़ी उसकी प्यारी चूत बुरी तरह संकुचित होते हुए मेरे लंड को और भी ज़्यादा कसने लगी थी.
अब पदमिनी बहुत ज्यादा उतेज़ित हो चुकी थी।वह पागलों की तरह मेरे चेहरे को चूसने लगती है और अपने गालो को मेरे होंठो से रगड़ने लगती है।में भी पदमिनी को जोर जोर से पेलते हुए उसके फुले हुए गालों को चूसने और काटने लगता हू ।
इसी तेज धक्के के साथ पदमिनी झड़ जाती है।और कुछ शांत हो जाती है लेकिन में पदमिनी को चोदते रहता हू में धीरे धीरे धक्के लगाने लगा पदमिनी भी मजे में आहे भरने लगी अब पदमिनी अपनी कमर उछाल कर मेरे लंड को जवाब देने लगीमें ने भी अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी थी पूरे कमरे में सिर्फ़ ‘पच्छ…पच्छ’ और ‘आहह…..उम्मह’ की ही आवाज़ आ रही थी । थोड़ी देर बाद पदमिनी का बदन अकड़ने लगा था वो चरम पर पहुंच चुकी थी उसकी चुत भल भल पानी छोड़ते हुए झड़ने लगीपदमिनी आंखें बंद कर के अपनी इस चुदाई का मजा लेने लगी।थोड़ी देर बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सुस्ताने लगते हे लेकिन मुझे तो पदमिनी की चूत का जूनून था
में उससे फिर से चिपक जाता हू और मेरा लौड़ा उसकी जाँघों के बीच फँस जाता है।
में अब पदमिनी से चिपका हुआ उसके मम्मों को दबाने लगता है।
थोड़ी देर में पदमिनी वापस करवट लेती है और अबकी बार एकदम सीधी सो जाती है।
मेरा लौड़ा बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मेने पदमिनी से कहा - मेरी जान.. तू कब उठेगी, देख मेरा लौड़ा बेकाबू हो रहा है.. अब तो बर्दाश्त के बाहर है.. तू सोती रह पदमिनी । मैं अब तेरी चूत में लौड़ा घुसा ही देता हूँ.. साली सोई हुई औरत को चोदने का मज़ा ही कुछ और है।जब लंड पूरा घुसेगा तो अपने आप उठ जायेगी।
में उकडूँ बैठ गया.. मेने पदमिनी के पाँव मोड़ कर उनको फैलाया और लौड़े पर थूक लगा कर चूत पर टिका दिया और धीरे से धक्का मारा.. लौड़ा ‘घप’ से अन्दर घुस गया।
में पदमिनी के ऊपर लेट गया और उसके निप्पल चूसने लगा.. इधर धीरे-धीरे झटके मारने लगा। लंड अपनी चूत में घुसते ही दर्द से पदमिनी की आँख खुल जाती है और वह बोलती है।
आहह उहह पापा आह्ह.. मुझे उठा लिया होता… ऐसे सोते हुए ही चोद रहे हो.. आहह..
मेने कहा -पदमिनी .. ओह्ह ओह्ह.. कब से तेरे उठने का इन्तजार कर रहा हूँ साला लौड़ा तेरी कमसिन जवानी देख कर झटके मार रहा था.. इसी लिए मैंने सोचा अब लौड़ा चूत में जाएगा तब अपने आप तू उठ जाएगी।
पदमिनी - आह्ह.. आह.. चोदो पापा.. आह्ह.. मज़ा आने लगा है.. उई आप कितने अच्छे हो.. आह्ह.. चोदो.. मेरी चूत की आज आह्ह.. सारी खुजली मिटा दो आह्ह..
मेने तो जैसे चुदाई की डिग्री ले रखी थी.. मेरा लौड़ा तो लोहे की रॉड जैसा तना हुआ था और शॉट पर शॉट मार रहा था,
लगभग 15 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद पदमिनी सिसकने लगी.. ठंडी ‘आहें’ भरने लगी।
- आह्ह.. सस्स ऊह्ह पापा आह्ह.. बहुत मज़ा आ रहा है उई… धपाधप चोदो और ज़ोर से आह उफ़फ्फ़ कककक सी मेरी चूत आह्ह.. का बाँध टूटने वाला है अई फास्ट आह्ह.. फास्ट.. फाड़ दो आह्ह.. मेरी चूत को उफ़फ्फ़ मैं गई आह्ह..
पदमिनी ने आँखें बन्द कर लीं.. वो झड़ने लगी और चरमसुख का आनन्द लेने लगी और 2 मिनट बाद उसका बदन ढीला पड़ गया मगर में अब भी उसको ठोके जा रहा था।
पदमिनी - आह्ह.. आह मेरे पापा.. आह्ह.. अब निकाल भी लो आह.. लौड़ा बाहर..
मेरी चूत में से.. आह आह जलन होने लगी है.. आईईइ आहइ आह।
- अभी कहाँ जानेमन.. आह्ह.. उहह अभी तो मेरे लौड़े में करंट भी पैदा नहीं हुआ आह्ह.. आज तुझे इतना चोदूँगा आह्ह.. तेरी चूत की सारी खुजली मिटा दूँगा आह्ह.. पदमिनी - आह आह प्लीज़ पापा.. निकाल लो.. बड़ी जलन हो रही है आह्ह..
में बोला रानी निकाल तो लूँ मगर तेरी मुँह में वापस घुसाऊँगा.. .. बोल चूसेगी ना मेरे लंड को अच्छे से आह्ह..
पदमिनी - आह्ह.. ठीक है लाओ पापा मैं चुस्ती हूँ। आह्ह.. कम से कम चूत को तो सुकून मिलेगा।
मेने रफ्तार से दो-चार झटके मार कर लौड़ा पदमिनी की चूत से बाहर निकाल लिया पदमिनी ने चैन की सांस ली और बैठ कर लौड़े को देखने लगी।
पदमिनी - क्या बात है पापा.. ये तो भूखे शैतान की तरह अकड़ा खड़ा है चूत का हाल बिगाड़ दिया.. फिर भी इसका मन नहीं भरा क्या।मेने हनीमून लिए क्या कह दिया आपके लोडे में तो चौगुनी ताकत आ गयी हे
पदमिनी तेरी जवानी ऐसी है की मन क्या भरेगा।जितना चोदो प्यास उतनी बढ़ती जाती है।अब मेरा लंड चूस पदमिनी ।जल्दी से ले ले अपने गरम मुँह में।
पदमिनी -लाओ पापा।पहले लौड़े को चूम तो लूँ.. बड़ा मन ललचा रहा है.. ऐसे कड़क लौड़े को देख कर..
ये बोलकर पदमिनी लंड को पहले चूमती है फिर सुपाड़े पर जीभ फिराकर चाटने लगती है।कुछ देर चाटने के बाद पदमिनी ने लौड़े को मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।
मेरा बदन जलता अंगारा बन गया था..में हवसी हो गया थापदमिनी का सर पकड़ कर झटके मारने लगा.. पूरा लौड़ा अन्दर तक डालता और बाहर निकाल लेता।
पदमिनी भी कम ना थी.. वो होंठों को भींच कर मेरे लौड़े को कसी चूत का अहसास दिला रही थी।
- आह्ह.. आह चूस साली… क्या मस्त चूसती है राण्ड आह्ह.. मज़ा आ गया आह्ह.. साला आज तो लौड़ा झड़ने का नाम ही नहीं लेगा.. तेरी जवानी का नशा चढ़ गया है साली रंडी.. आह्ह.. चूस ऐसे ही आह्ह..
पदमिनी फिर से मेरे लंड को चूसने लगती है।
में अब पागलों की तरह पदमिनी के मुँह को चोदने लगा।
काफ़ी देर बाद मेने लौड़ापदमिनी के मुँह से बाहर निकाला। चल पदमिनी अब कुतिया बन जा बस अब तेरी चूत में ही झडूंगा.. चूत तो पानी पी-पी कर काफ़ी गीली हो गई है। अबकी बार चूत को भीतर तक वीर्य रस का मज़ा दे ही देता हूँ।
पदमिनी - ऑउह्ह.. मेरे पापा.. आप के लौड़े में क्या मज़ा आ रहा था.. दिल कर रहा था बस अभी पानी निकाले और सारा गटक जाऊँ.. उफ्फ.. कितना गर्म अहसास था.. आपने सब चौपट कर दिया.. लो बन गई कुतिया.. कर लो अपना अरमान पूरा.. चूत की हालत पहले ही खराब है अबकी बार पूरी फाड़ ही दो.. ताकि दर्द होने का झंझट ही ना रहे।
पदमिनी ने मुस्कुराते हुए ये बात कही थी.. उसके साथ में भी मुस्कुरा दिया।
पदमिनी अब कुतिया बन गई थी औरमें तो एकदम बेसबरा हो रहा था मेने जल्दी से लौड़े को चूत पर टिकाया और घुसा दिया पूरा.. एक ही बार में..
पदमिनी ने लंड को चूस कर एकदम चिकना कर दिया था इसलिए एक ही झटके में पूरा अन्दर घुस गया।
पदमिनी - आहइ मर गई रे.. अई पापा आह्ह.. आपने एक ही बार में आह्ह.. पूरा घुसा दिया.. आईईइ चूत पहले ही दुख रही थी उफ़फ्फ़…
- मेरी जान बस जब तक मेरा रस तेरी चूत में नहीं गिरता, तब तक ये दर्द रहेगा.. .. चल अब संभल जा पदमिनी … मैं तेरी सवारी शुरू कर रहा हूँ। इतना बोलकरमें रफ्तार से पदमिनी की चूत मारने लगा। पदमिनी भी ‘आई उ उफ़फ्फ़ कककक’ करती रही। दस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई से मेरे लौड़े में करंट पैदा हो गया था। में अब अँधाधुंध शॉट मार रहा था।पूरा बेड हिल रहा था।पदमिनी के चूतड़ों पर जब में धक्का मारता तो फट फट की आवाज आती।
पदमिनी को भी मज़ा आने लगा था वह भी गांड पीछे करके चुदवा रही थी।
अईयाया पापा.. आह्ह.. आह उफ़फ्फ़ आपका आह्ह.. पानी कब निकलेगा आह…
- उह उह बस आह.. निकलने ही वाला है बेटी आह..।
मेरा लौड़ा एकदम से फट गया उसमें से वीर्य की धार निकलने लगी पदमिनी की चूत में गर्म-गर्म पानी भरने लगा.. उसको भी बड़ी राहत मिली।साथ में पदमिनी भी फिर से झड़ने लगी।
जब में ठंडा हो गया तो एक तरफ सीधा लेट गया।आज की दोपहर इतना अच्छा थी तो दिन कैसा होगा।यही सोचकर में बेहद खुश था।इधर पदमिनी ने भी चैन की सांस लेते हुए मेरे के सीने पर सर रख दिया।
और हम दोनों फिर से सो गए।
मेने पदमिनी से कहा अब क्या प्रोग्राम हे तो पदमिनी बोली थोड़ा घूमने चलते हे हम दोनों ने स्कूटर किराये पर लिया और बाली की सड़को पर निकल पड़े ,पदमिनी ने पिंक कलर की मिनी स्कर्ट पहने हुई थी जिस पर ब्लैक रंग का कैसा हुआ टॉप था जिसमे से उसके निप्पल्स साफ दिख रहे थे ,मेने भी शॉर्ट्स पहने हुआ था ,हम दोनों को देखकर कोई नहीं कह सकता था की हम दोनों ससुर बहु हे सब हमको कपल ही समझ रहे थे।
पदमिनी की जवानी ऐसी निखार गयी थी की बाली घूमने वाले हिंदुस्तानी नौजवान उसे पलट पलट कर देख रहे थे ,पदमिनी के चलने का भी ऐसा अंदाज था की एक ोे उसके चूतड़ थिरक रहे थे तो बूब्स भी बाहर निकलने को बेताब थे। एक दो बार पदमिनी की स्कर्ट उडी तो उसकी काली पेंटी भी नुमाया हो गयी
मेरा मन अब घूमने में नहीं लग रहा था हम वापस होटल पहुंच गए होटल जाते ही पदमिनी बेड पर लेट गयी ,मेने उसके कपडे उसके बदन से अलग किये और अपना लोढ़ा उसकी चूत में पेल दिया सब इतनी जल्दी में हुआ की पदमिनी अवाक् रह गयी ,मेने पदमिनी को कहा
-सुन बेटी! अपने पापा को अपना दूध नही पिलाएगी ? ........मेरा यह कहना था की पदमिनी की आँखें मेरे हँसते चेहरे पर पहुच गयी .... अरे पदमिनी जवाब तो दे !!! तू बहुत खूबसूरत है बेटी .. मैने कभी सपने में भी नही सोचा था कि इतनी सुंदर लड़की से मुझे यूँ प्यार हो जाएगा और वह भी मेरी अपनी बहू .. ........ मेरे मूँह से निकलते शब्द अब में खुद नही बोल रहा था मेरा दिल मुझसे बुलवा रहा था और जो अब अपनी पदमिनी पर पूरी तरह से मोहित हो चुका था.
काफ़ी देर तक जब पदमिनी ने अपना चेहरा नही दिखाया तो में ने उसकी जांघे और ज़्यादा चौड़ी कर दी ताकि मेरा लंड अपनी पदमिनी की चूत में गहरे धक्के लगाने के लिए सबसे बढ़िया स्थिति में आ जाएँ और फिर में अपने विशाल लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करते हुए पेलने लगा .... हर धक्के के साथ में अपना लंड पदमिनी की टाइट गरम चूत में बच्चेदानी तक पहुँचाने में जुट गया.हर धक्के पर पदमिनी सिसकारियाँ भरने लगी।
" इश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... आह्म्म्म्ममम " ...... खुद - ब - खुद पदमिनी के हाथ अपने चेहरे से हट कर अपनी चूचियों को मसल्ने लगे और वह अपने खड़े निपल गूँथने लगी.
जल्द ही उसकी नज़रें नीचे की ओर देखने लगी कि कैसे मेरा लंड उसकी टाइट चूत में तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था .... चूत और लंड के मिलन का यह नज़ारा देखने में बड़ा ही ख़तरनाक था मगर साथ ही साथ बेहद रोमांचित कर देने वाला भी था .... इसके पश्चात ही पदमिनी अपनी गान्ड हवा में उछालती हुई अपनी तड़पति चूत मेरे मोटे लौडे पर धकेलने लगी.
" आअहह ..... आहह ....... आहहह ..... फकक्क्क्क मी ...... आइ लाइक यू पापा........... लव मी " ...... अत्यधिक आनंद से सराबोर पदमिनी चीखने चिल्लाने लगी और मेने उसकी टाइट चूत में और भी तेज धक्के लगाने चालू कर दिए .... .
उत्तेजनावश पदमिनी मेरे होंठ चूसने लगी .... उसकी चूत बुरी तरह ऐंठने लगी .... अब मेरा विकराल लंड उसकी बच्चेदानी के अंदर तक निर्मम चोट मार रहा था.
पदमिनी की चूत में अपना पूरा लंड जड़ तक पेल करमें कुछ पलों के लिए स्थिर हो गया और अपनी कोहनियों को मोडते हुए में पदमिनी के जिस्म को चूसने चाटने लगा .... जिससे पदमिनी की मोटी चूचियाँ मेरी चौड़ी छाती के नीचे दबने लगी
यस पापा .. चोद डालो मुझे .. आहह फाड़ डालो मेरी चूत को " ........ वह चीखी और मेरे साथ सेक्स की उसकी कामना और भी प्रबलता से मेरे सामने स्पष्ट हो गयी.
पदमिनी ने अपनी टांगे ऊपर की और जितना उठा सकती थी उठा ली और फिर अपनी जांघे मेरी नंगी पीठ पर बाँधने लगी .... इसमें सफल होने के बाद वह पागलो की तरह अपने चूतड़ हिलाती हुई .... अपनी गीली और कसी चूत से मेरे लंड को किसी बाज़ारू रंडी की तरह अपनी चूत में लेने लगी.
पदमिनी - पापा अभी आप क्या कर रहे हो ? ........ उसने मेरी पीठ पर अपने तीखे व नुकीले नाख़ून गढ़ाते हुए पूछा.
" ओह .......... प्यार कर रहा हूँ अपनी बेटी से ....... मेने शांत भाव से जवाब दिया.
पदमिनी -ज़्यादा झूठ मत बोलो पापा .. आप अपनी बहू को चोद रहे हो .. अभी उसकी चूत में आप का मोटा लंड है " ........बासना से भरी पदमिनी क्या - क्या बड़बड़ा रही थी उसे कोई होश नही रहा बस वह " चोदो - चोदो " की रट लगाती हुई सिसके जा रही थी.
मेने कहा आह पदमिनी ।तेरी चूत कितनी टाइट और गरम है।आज फिर से तूने मुझे खुश कर दिया ,आज मेरा लंड मेरी अपनी बहू की चूत को फाड़कर कितना मज़ा दे रहा है।मैं तुझे रोज चोदना चाहता हूँ पदमिनी ।तेरी गांड भी मारना चाहता हूँ मेरी पदमिनी ।पदमिनी-हाँ पापा।अब तो मैं पूरी आपकी हो गई हूँ।अब आपका जब मन करे मुझे चोदना।मैं अपनी गाँड भी आपको दूँगी आप जी भर के पेलना।आपके लिए मैं कितना भी दर्द बर्दास्त कर लूँगी।अब में आपकी बीबी हु ,आप मेरे पति हे ऐसे पति जिसने मुझे चुदाई का सही सुख दिया
पदमिनी -अपनी एक चूची को मेरे मुँह में घुसा देती है और बोलती है।चूसो पापा।जी भर के चूसो मेरी चूचियों को।काट डालों मेरे निप्पलों को।अब ये आपके लिए ही है।अब मैं आपका लंड भी चुसूँगी और आपका लंड का जूस भी पि जाउंगी।
मेरे पर तो जैसे पदमिनी की बात का उल्टा असर हुआ .... में और तेजी से उसकी चूत में पेलने लगा था.
कुछ देर बाद में अपना लंड चूत से बाहर निकालने लगा वह भी तब तक .... जब तक मेरे लंड का गीला और फूला सुपाड़ा पदमिनी की चूत के होंठो के बीचो बीच ना आ जाए .... फिर पूरे ज़ोर से मेने अपने चूतड़ नीचे की ओर लाते हुए एक ज़ोरदार झटका मारा और मेरा विकराल लंड पदमिनी की चूत में जड़ तक समा गया .... अपनी पदमिनी की चूत में लगाए गये इस पहले भयानक धक्के ने मुझे ऐसा मनभावन आनंद दिया कि पदमिनी के साथ खुद उसका पूरा जिस्म काँप गया.
" आईईईईईईईईईईईईईई पापा और ज़ोर से " ......पदमिनी किसी बरसों की प्यासी, अतिकामुक लड़की की तरह अपने चूतड़ उच्छालती हुई चुदवाने लगी .... जब वह अपनी चूत मेरे लंड पर मारती तो उसकी गोल मटोल चूचियाँ वाइब्रट करती हुई बुरी तरह से हिलने लगती और में पदमिनी की ताल से ताल मिलाते हुए अपना लंड उसकी मखमली चिकनी चूत में पूरी गहराई तक पेलने लगता है।ऐसे ही ज़ोर से पापा ..... आअहह .......... म्म्म्ममममममम " ....... पदमिनी ने अपनी बाहें मेरे कंधों के इर्द गिर्द लपेटते हुए मुझे अपने ऊपर लिटा लिया .... गहरी साँसों के साथ उसका कराहना घनघोर चीखों में बदल बदल जाता .... जब वह अपनी चूत से मेरे लंड को ज़ोर से भींचने लगती ....में ने भी उसके कंधे पर अपना सर रखकर एक गहरी साँस ली और फिर अपने जिस्म की पूरी ताक़त लगाते हुए उसकी चुदाई करने लगा .... में हुंकार भरते हुए अपने घोड़े जैसे लंड को पदमिनी की मलाईदार चूत में पेलता रहा और अति शीघ्र ही पदमिनी को अपने अंदर से रस उमड़ता महसूस होने लगा .... मोटे लंड से पूरी भरी पड़ी उसकी प्यारी चूत बुरी तरह संकुचित होते हुए मेरे लंड को और भी ज़्यादा कसने लगी थी.
अब पदमिनी बहुत ज्यादा उतेज़ित हो चुकी थी।वह पागलों की तरह मेरे चेहरे को चूसने लगती है और अपने गालो को मेरे होंठो से रगड़ने लगती है।में भी पदमिनी को जोर जोर से पेलते हुए उसके फुले हुए गालों को चूसने और काटने लगता हू ।
इसी तेज धक्के के साथ पदमिनी झड़ जाती है।और कुछ शांत हो जाती है लेकिन में पदमिनी को चोदते रहता हू में धीरे धीरे धक्के लगाने लगा पदमिनी भी मजे में आहे भरने लगी अब पदमिनी अपनी कमर उछाल कर मेरे लंड को जवाब देने लगीमें ने भी अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी थी पूरे कमरे में सिर्फ़ ‘पच्छ…पच्छ’ और ‘आहह…..उम्मह’ की ही आवाज़ आ रही थी । थोड़ी देर बाद पदमिनी का बदन अकड़ने लगा था वो चरम पर पहुंच चुकी थी उसकी चुत भल भल पानी छोड़ते हुए झड़ने लगीपदमिनी आंखें बंद कर के अपनी इस चुदाई का मजा लेने लगी।थोड़ी देर बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सुस्ताने लगते हे लेकिन मुझे तो पदमिनी की चूत का जूनून था
में उससे फिर से चिपक जाता हू और मेरा लौड़ा उसकी जाँघों के बीच फँस जाता है।
में अब पदमिनी से चिपका हुआ उसके मम्मों को दबाने लगता है।
थोड़ी देर में पदमिनी वापस करवट लेती है और अबकी बार एकदम सीधी सो जाती है।
मेरा लौड़ा बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मेने पदमिनी से कहा - मेरी जान.. तू कब उठेगी, देख मेरा लौड़ा बेकाबू हो रहा है.. अब तो बर्दाश्त के बाहर है.. तू सोती रह पदमिनी । मैं अब तेरी चूत में लौड़ा घुसा ही देता हूँ.. साली सोई हुई औरत को चोदने का मज़ा ही कुछ और है।जब लंड पूरा घुसेगा तो अपने आप उठ जायेगी।
में उकडूँ बैठ गया.. मेने पदमिनी के पाँव मोड़ कर उनको फैलाया और लौड़े पर थूक लगा कर चूत पर टिका दिया और धीरे से धक्का मारा.. लौड़ा ‘घप’ से अन्दर घुस गया।
में पदमिनी के ऊपर लेट गया और उसके निप्पल चूसने लगा.. इधर धीरे-धीरे झटके मारने लगा। लंड अपनी चूत में घुसते ही दर्द से पदमिनी की आँख खुल जाती है और वह बोलती है।
आहह उहह पापा आह्ह.. मुझे उठा लिया होता… ऐसे सोते हुए ही चोद रहे हो.. आहह..
मेने कहा -पदमिनी .. ओह्ह ओह्ह.. कब से तेरे उठने का इन्तजार कर रहा हूँ साला लौड़ा तेरी कमसिन जवानी देख कर झटके मार रहा था.. इसी लिए मैंने सोचा अब लौड़ा चूत में जाएगा तब अपने आप तू उठ जाएगी।
पदमिनी - आह्ह.. आह.. चोदो पापा.. आह्ह.. मज़ा आने लगा है.. उई आप कितने अच्छे हो.. आह्ह.. चोदो.. मेरी चूत की आज आह्ह.. सारी खुजली मिटा दो आह्ह..
मेने तो जैसे चुदाई की डिग्री ले रखी थी.. मेरा लौड़ा तो लोहे की रॉड जैसा तना हुआ था और शॉट पर शॉट मार रहा था,
लगभग 15 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद पदमिनी सिसकने लगी.. ठंडी ‘आहें’ भरने लगी।
- आह्ह.. सस्स ऊह्ह पापा आह्ह.. बहुत मज़ा आ रहा है उई… धपाधप चोदो और ज़ोर से आह उफ़फ्फ़ कककक सी मेरी चूत आह्ह.. का बाँध टूटने वाला है अई फास्ट आह्ह.. फास्ट.. फाड़ दो आह्ह.. मेरी चूत को उफ़फ्फ़ मैं गई आह्ह..
पदमिनी ने आँखें बन्द कर लीं.. वो झड़ने लगी और चरमसुख का आनन्द लेने लगी और 2 मिनट बाद उसका बदन ढीला पड़ गया मगर में अब भी उसको ठोके जा रहा था।
पदमिनी - आह्ह.. आह मेरे पापा.. आह्ह.. अब निकाल भी लो आह.. लौड़ा बाहर..
मेरी चूत में से.. आह आह जलन होने लगी है.. आईईइ आहइ आह।
- अभी कहाँ जानेमन.. आह्ह.. उहह अभी तो मेरे लौड़े में करंट भी पैदा नहीं हुआ आह्ह.. आज तुझे इतना चोदूँगा आह्ह.. तेरी चूत की सारी खुजली मिटा दूँगा आह्ह.. पदमिनी - आह आह प्लीज़ पापा.. निकाल लो.. बड़ी जलन हो रही है आह्ह..
में बोला रानी निकाल तो लूँ मगर तेरी मुँह में वापस घुसाऊँगा.. .. बोल चूसेगी ना मेरे लंड को अच्छे से आह्ह..
पदमिनी - आह्ह.. ठीक है लाओ पापा मैं चुस्ती हूँ। आह्ह.. कम से कम चूत को तो सुकून मिलेगा।
मेने रफ्तार से दो-चार झटके मार कर लौड़ा पदमिनी की चूत से बाहर निकाल लिया पदमिनी ने चैन की सांस ली और बैठ कर लौड़े को देखने लगी।
पदमिनी - क्या बात है पापा.. ये तो भूखे शैतान की तरह अकड़ा खड़ा है चूत का हाल बिगाड़ दिया.. फिर भी इसका मन नहीं भरा क्या।मेने हनीमून लिए क्या कह दिया आपके लोडे में तो चौगुनी ताकत आ गयी हे
पदमिनी तेरी जवानी ऐसी है की मन क्या भरेगा।जितना चोदो प्यास उतनी बढ़ती जाती है।अब मेरा लंड चूस पदमिनी ।जल्दी से ले ले अपने गरम मुँह में।
पदमिनी -लाओ पापा।पहले लौड़े को चूम तो लूँ.. बड़ा मन ललचा रहा है.. ऐसे कड़क लौड़े को देख कर..
ये बोलकर पदमिनी लंड को पहले चूमती है फिर सुपाड़े पर जीभ फिराकर चाटने लगती है।कुछ देर चाटने के बाद पदमिनी ने लौड़े को मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।
मेरा बदन जलता अंगारा बन गया था..में हवसी हो गया थापदमिनी का सर पकड़ कर झटके मारने लगा.. पूरा लौड़ा अन्दर तक डालता और बाहर निकाल लेता।
पदमिनी भी कम ना थी.. वो होंठों को भींच कर मेरे लौड़े को कसी चूत का अहसास दिला रही थी।
- आह्ह.. आह चूस साली… क्या मस्त चूसती है राण्ड आह्ह.. मज़ा आ गया आह्ह.. साला आज तो लौड़ा झड़ने का नाम ही नहीं लेगा.. तेरी जवानी का नशा चढ़ गया है साली रंडी.. आह्ह.. चूस ऐसे ही आह्ह..
पदमिनी फिर से मेरे लंड को चूसने लगती है।
में अब पागलों की तरह पदमिनी के मुँह को चोदने लगा।
काफ़ी देर बाद मेने लौड़ापदमिनी के मुँह से बाहर निकाला। चल पदमिनी अब कुतिया बन जा बस अब तेरी चूत में ही झडूंगा.. चूत तो पानी पी-पी कर काफ़ी गीली हो गई है। अबकी बार चूत को भीतर तक वीर्य रस का मज़ा दे ही देता हूँ।
पदमिनी - ऑउह्ह.. मेरे पापा.. आप के लौड़े में क्या मज़ा आ रहा था.. दिल कर रहा था बस अभी पानी निकाले और सारा गटक जाऊँ.. उफ्फ.. कितना गर्म अहसास था.. आपने सब चौपट कर दिया.. लो बन गई कुतिया.. कर लो अपना अरमान पूरा.. चूत की हालत पहले ही खराब है अबकी बार पूरी फाड़ ही दो.. ताकि दर्द होने का झंझट ही ना रहे।
पदमिनी ने मुस्कुराते हुए ये बात कही थी.. उसके साथ में भी मुस्कुरा दिया।
पदमिनी अब कुतिया बन गई थी औरमें तो एकदम बेसबरा हो रहा था मेने जल्दी से लौड़े को चूत पर टिकाया और घुसा दिया पूरा.. एक ही बार में..
पदमिनी ने लंड को चूस कर एकदम चिकना कर दिया था इसलिए एक ही झटके में पूरा अन्दर घुस गया।
पदमिनी - आहइ मर गई रे.. अई पापा आह्ह.. आपने एक ही बार में आह्ह.. पूरा घुसा दिया.. आईईइ चूत पहले ही दुख रही थी उफ़फ्फ़…
- मेरी जान बस जब तक मेरा रस तेरी चूत में नहीं गिरता, तब तक ये दर्द रहेगा.. .. चल अब संभल जा पदमिनी … मैं तेरी सवारी शुरू कर रहा हूँ। इतना बोलकरमें रफ्तार से पदमिनी की चूत मारने लगा। पदमिनी भी ‘आई उ उफ़फ्फ़ कककक’ करती रही। दस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई से मेरे लौड़े में करंट पैदा हो गया था। में अब अँधाधुंध शॉट मार रहा था।पूरा बेड हिल रहा था।पदमिनी के चूतड़ों पर जब में धक्का मारता तो फट फट की आवाज आती।
पदमिनी को भी मज़ा आने लगा था वह भी गांड पीछे करके चुदवा रही थी।
अईयाया पापा.. आह्ह.. आह उफ़फ्फ़ आपका आह्ह.. पानी कब निकलेगा आह…
- उह उह बस आह.. निकलने ही वाला है बेटी आह..।
मेरा लौड़ा एकदम से फट गया उसमें से वीर्य की धार निकलने लगी पदमिनी की चूत में गर्म-गर्म पानी भरने लगा.. उसको भी बड़ी राहत मिली।साथ में पदमिनी भी फिर से झड़ने लगी।
जब में ठंडा हो गया तो एक तरफ सीधा लेट गया।आज की दोपहर इतना अच्छा थी तो दिन कैसा होगा।यही सोचकर में बेहद खुश था।इधर पदमिनी ने भी चैन की सांस लेते हुए मेरे के सीने पर सर रख दिया।
और हम दोनों फिर से सो गए।