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Incest ससुर बहु की रासलीला

juhi gupta

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जयपुर में बारिश का दौर जारी था और में एवं पदमिनी प्यार में डूबे सेक्स का भरपूर आनंद ले रहे थे ,पद्मिनी की कमसिन जवानी हमेशा मुझे और मेरे लोडे को हमेशा तरोताजा रखती थी ,पद्मिनी की जवानी धीरे धीरे निखार रही थी ,उसके चूतड़ मेरे थप्पड़ के थपेड़ो से हमेशा गुलाबी बने रहते थे तो उसके बूब्स और चूत क़यामत बन चुके थे ,इसके आलावा उसे नयी नयी फ़ेंटेसिआ सूझती रहती थी। उस दिन जयपुर में सुबह से ही बारिश हो रही थी और में गहरी नींद में था की पदमिनी ने मुझे जगाया और कहा पापा जल्दी उठो हम दोनों को जयपुर की सड़को पर घूमकर बारिश का आनंद लेना हे मेने देखा पदमिनी ने बिना ब्रा के एक वाइट कलर का टॉप पहन रखा था जिसमे उसके बूब्स काफी नुमाया हो रहे थे ,निचे उसने एक मिनी स्कर्ट पहन राखी थी जिसमे उसकी ब्लैक पेंटी और चूतड़ दिख रहे थे।
मेने उसे बांहो में समेटा और ताबड़तोड़ चूमने लगा और उसके उप्पर चढ़ कर उसके बूब्स को मसलने लगा मेने कहा बाहर चलने की कहाँ जरुरत हे में यही बारिश में तुझे नहला देता हु पद्मिनी ने मुझे धकेला और बोली यंहा तो हमेशा ही बारिश करते रहते हो आज मेरा मन हे की इस गुलाबी नगर की किसी सुनसान सड़क पर आप मेरी चुदाई करे।
क्या में चौंक कर बोला सड़क पर तुम पागल तो नहीं हो गयी हो ,पदमिनी ने कहा बिलकुल नहीं मेरे प्यारे पतिदेव आज आपकी रानी जयपुर की किसी सड़क पर अपनी चुदाई करवाएगी ,मेंजानता था पद्मिनी बहुत जिद्दी हे ,में भी शॉर्ट्स और टीशर्ट में ही तैयार हो गया और गाड़ी में बैठ गया और पदमिनी मेरे साइड वाली सीट पर बैठ गयी उसने सीट को इस तरह पीछे कर लिया की स्कर्ट में से उसकी पेंटी पूरी दिखने लगी और उसके बोबे तन गए ,उसने शॉर्ट्स में से मेरे लोडे को सहलाया और बोलै पापा आज इसको बहुतमेहनत करनी हे मेने हंसकर कहा जब से इसको तुम्हारी चूत चोदने को मिली हे तब से तो इसको मेहनत ज्यादा ही करनी पड़ रही हे।
जयपुर के जगतपुरा रोड पर अभी भी काफी सुनसान एरिया था मेने एक ऐसे ही सुनसान जगह पर गाड़ी रोकी और तुरंत ही पद्मिनी के उप्पर चढ़ गया ,पदमिनी कहने लगी आप को तो बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं में मेने तुरंत उसका टॉप उतरा और स्कर्ट भी पेंटी के साथ उतार दी मेने भी अपने कपडे उतार दिए अब हम दोनों बिलकुल नंगे थे में पदमिनी के होठो को चूमने लगा और उसके बूब्स को बेरहमी से मसलने लगा ,मेरा लंड उसकी चूत पर ठोकरे मार रहा था उसकी चूत का गीलापन भी मुझे मेरे लंड पर महसूस हो रहा था पदमिनी भी अपने होठ मेरे होठो से मिला चुकी थी और उनको जोरो से चूस रही थी और काट रही थी।
पदमिनी के बोबे मेरी छाती से टकरा रहे थे।में अपने लंड को पदमिनी की चूत पर टिका देता हू पर चूत की चिकनाई के कारण लंड फिसल जाता है और में फिर से लंड को सेट करताहु और फिर से एक धक्का लगाताहूँ पर अत्यधिक उत्तेजना के कारण लंड फिर से फिसल जाता है | पदमिनी ये देख कर और बेकाबू हो जाती है और लंड को पकड़ कर धीरे से पहले अपनी चूत पर सेट करती है और फिर चूत को हल्का सा धक्का दे कर लंड का टोपा अन्दर ले जाती है |

पदमिनी की ऐसी हालत देख कर मेरी आँखों से ख़ुशी का पानी आ जाता है में भी पदमिनी की कमर को पकड़कर अब एक जोर का झटका देता हूँ और अपना पूरा लंडपदमिनी की चूत ही गहराइयों में उतार देता हूँ | पापा ईईईईईईईईईईईई .....................आह पापा ...... आप बहुत जुल्म ढाते हो |पदमिनी की जान निकल जाती है क्यू की गाड़ी की सीट पर उसे मेरा दवाब ज्यादा महसूस हो रहा था |

पर इस समय तो पदमिनी मेरे मोटे लंड पर जान छिड़कने को तैयार थी और पूरा लंड अन्दर लेने के बाद खुद से ही नीचे से धक्के लगाने लगी |पदमिनी की हालत देख कर में भी लय में आ जाता हूँ और पदमिनी के दोनों कन्धों को पकड़कर अपने लंड को पद्मिनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगता हूँ | पदमिनी की चूत की दीवारों जल्दी ही वो पानी बहाने लगती है |

पदमिनी के मुंह से फिर से आवाजे निकलने लगती है .............................. आह्ह्ह्ह पापा कितना मोटा और मस्त है आपका लंड .................. ........................... श्ह्ह्हह्ह्ह पापा मैं तो आपकी गुलाम बन गयी हूँ.............अह्ह्ह क्या मस्त चुदाई करते हो पापा ...........................प्रॉमिस करोहमेशा ऐसे ही मेरी चुदाई करते रहोगे ............................ प्रॉमिस करो ...........

मुझे चुप देख कर पदमिनी ने फिर बोला आह्ह्ह्हह्हपापा प्रॉमिस करो ना की हमेशा जब मेरा मन करेगा आप ऐसे ही चुदाई करोगे नहीं तो में अभी निकाल दूंगी लंड ................ आःह्ह
मेरे को पता था की अभी पदमिनी लंड निकालना तो दूर की बात धक्के लगाना भी नहीं रोक सकती है पर फिर भी में जोश में आकर बोला हाँ......... हाँ.......... पदमिनी मेरी रानी हमेशा करूंगा तेरी चुदाई और हमेशा करूंगा तेरी इस मस्त चूत की सेवा ................................... आहह्ह्ह कितनी मस्त चूत है मैं तो इस चूत किस रोज सेवा करूंगा ................................... नहीं छोडूंगा रोज चोदुंगा....... रोज चोदुंगा...........

मेरी ऐसी सेक्सी बाते सुनकर पदमिनी की जीभ बहार निकल आती हे और में उसे अपने मुँह में भर लेता हु में और जोर से धक्के लगाना शुरू करता हु

आआह्ह्ह्ह पदमिनी में गया ............................................. श्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
पदमिनी भी लंड के पानी निकलते ही चूत रस को छोड़ देती है और एक चीख के साथ मेरे से चिपक जाती है
म्म्म्मम्म्में गयी पापा आआआआ...........................................आह्ह्हह्ह्ह्हह्ह


एक मिनट तक हम दोनों का पानी निकलता रहता है | पदमिनी के शरीर में तो जैसे प्राण ही निकल जाते है | इतना भयंकर चरमोत्कर्ष उसे आज तक नहीं हुआ था | उसकी साँसे अभी भी धोंकनी के सामान चल रही थी | में भी अपनी साँसों पर नियंत्रण रखने की कोशिश कर रहा था | एक तूफ़ान था जिसने दोनों को उड़ा कर रख दिया था |

तभी एक कुत्ते के भोंकने के आवाज से हम दोनों का ध्यान टूटता है और होश आता है की दोनों कहाँ पर है |में फटाफट अपनीशॉर्ट्स को चढ़ाताहु और पदमिनी भी जल्दी से अपने हाँथ में पकडे हुए रुमाल से अपनी चूत से टपक रहे वीर्य रस और चूत रस को पोछती है और बाहर फेंक देती हे ,बहार बारिश हो रही थी पदमिनी ने गाड़ी का दरवाजा खोलकर वंही से मूतना शुरू किया उसके पेशाब की धार के साथ बजने वाली सीटी और बारिश की बूंदो ने असा संगीत पैदा कर दिया था जो तानसेन भी नहीं निकल सकते थे।
हमारी गाड़ी आगे बाद रही थी ,अचानक मुझे एक कच्चा रास्ता रोड साइड पर दिखा मेने गाड़ी उस परडाल दी ,ये मेरी किस्मत थी की वो रास्ता जंहा जाकर ख़तम हुआ वहाँ एक झरना बह रहा था पदमिनी तो ये दृश्य देखकर पागल हो गयी और वो नंगी ही उस झरने माँ नहाने लगी
ये सीन देखकर मुझे राम तेरी गंगा मेली मूवी का मंदाकनी वाला सीन याद आ गया पर वहाँ मंदाकनीझरने में नहाती हे ये और बात हे मदकनी ने साड़ी लपेट राखी थी और मेरी पदमिनी बिलकुल नंगी होकर झरने में नहा रही थी में भी नंगा ही उसके पास पहुंच गया और उसे अपनी बांहो में भर लिया
उफ़्फ़ क्या सीन था बारिश,झरना और मेरी पदमिनी नंगी मेरी बांहो में ,थोड़ी देर बाद मेने पद्मिनी को वंही एक चट्टान पर लिटा दिया और मेरी अनुभवी जीभ पदमिनी के निप्पल के चूसना शुरू कर देती है | दुसरे हाँथ से में पदमिनी के दुसरे निप्पल को पकड़ कर अपने अंगूठे और ऊँगली के बीच ले कर मसलने लगताहू |

ये अहसास पदमिनी के लिए असहनीय हो जाता है उसका शारीर अकड़ने लगता है | चूत पानी छोड़ने लगती है वो अपनी चूत को जो की मेरे लंड से बहुत नीचे होती है कमर उठा कर रगड़ने लगती है | में भी पदमिनी की उत्तेजना को समझ जाता हू और अपने एक हाँथ को नीचे ले जाकर सीधा उसकी चूत पर रख देता हूँ और अपनी मुठी मेंपदमिनी की चूत को भींच लेताहूँ |

पदमिनी – आह्ह्ह्ह................. प्यार से करो ............ प्यार से करो . पापा प्यार से .................
में जो की बेक़रार हो चूका होताहूँ पदमिनी की बात सुनकर उसकी चूत को अपनी मिडिल ऊँगली से सहलाने लगता हूँ | और चूसते हुए निप्पल को छोड़कर दूसरा निप्पल को अपने मुंह में ले लेता हूँ | पदमिनी मदहोश हो जाती है उसे ऐसा लगता है जैसे की मेरे अन्दर स्वयं कामदेव समां गए हो और उसके शरीर को रौंद रहे हो | वो इस समय कुछ भी सोचने समझने की शक्ति खो चुकी थी और मेरे इशारे पर नाच रही थी | जब अधिक उत्तेजना में उससे सहन नहीं होता तो वो मेरा लंड पकड़ लेती है |

मेने कहा – अह्ह्ह्ह पदमिनी तुम कितनी अच्छी हो कितना मजा देती हो, कहाँ थी पदमिनी शादी के बाद से ही अब तक मुझे क्यूँ तडपाया, पहले क्यूँ नहीं दिया मुझे इतना मजा |
पदमिनी खुद हैरान थी की उसने खुद क्यूँ नहीं लिया था इतना मजा अब तक क्यूँ वो अब तक एक अदद मर्द के लिए तड़प रही थी वो भी ऐसे में जब की उसके खुद के घर में एक बांका मर्द मौजूदथा | क्यू आकाश के साथ इतना समय ख़राब किया

अब पदमिनी के लिए देर करना कण्ट्रोल से बाहर था वो मुझ को धकेलती है और नीचे बैठ जाती है और जल्दी से मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुंह में ले लेती है | और जल्दी जल्दी चूसने लगती है |मेरे हाँथ खुद-ब-खुद पदमिनी के सिर पर चले जाते है और में अपने कमर को आगे पीछे करने लगताहूँ |


थोड़ी देर के बाद उत्तेजना के मारे आगे बढ़कर सीधा पदमिनी की चूत को चाटने लगताहूँ पदमिनी धीरे...............आह्ह्ह पागल धीरे आआआआआअ आराम .............. आ...आराम्म्म्म से कर ररर आःह्ह्ह प्यार से करो ........... दांत नहीईईइ प्लीज................... धीरे से करो ........................... आह दांत नहीईईई गडाना नाआआआआ ................... प्लीज बस करो .......... मत करो ................ आह्ह्ह छोड़ दो .......................................... मर जाउंगी............................................ आःह्ह ....... आइसा मात करो पापा .................. प्लीज मत करो पापा ......................

पदमिनी मुझे मना करती जा रही थी पर उसकी चूत की हरकत कुछ और ही बयां कर रही थी वो कमर उछाल उचाल का अपनी चूत को मेरे मुंह में डाल रही थी जैसे की अपनी पूरी चूत को उसके मुंह के अन्दर ही घुसा देगी |

में अपनी पदमिनी की बातों से मस्त हो जाता हूँ और अधिक मस्ती के साथ पदमिनी की चूत चाटने लगता हु | तभी .अचानक में उठा और मेने अपना लोढ़ा पदमिनी की चूत में डाल दिया और धक्के लगाने लगा ........................................................
ओह्ह्ह पदमिनी , तुमारी चूत तो मक्खन मलाई की तरह नरम है, ऊओफ़्फ़फ़्फ़पदमिनी ओह्ह्ह तुमारी चूत बहुत गरम है और उतनी ही कसी भी | आ आह कितनी मस्त चूत है तुमारी, आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् जिन्दाही भर बस तुमारी ही चूत चोदता रहू | तुम्हे नहीं पता तुम कितनी हसीं हो और तुमारी चूत कितनी मस्त है, तुमारी चूत में जाकर मेरा लंड धन्य हो गया | तुमारी चूत चोदकर मेरा लंड धन्य हो गया |
----पदमिनी ने कहा पापा हाँ तुमारा मुसल लंड बहुत अन्दर तक चोद रहा है तुमारा इस तरह से स्पीड में बिना रुके मेरी चूत की गहराई तक चोदना बहुत पसंद आ रहा है | जब चूत की गहराई तक तुमारा मुसला लंड जाता है आह्ह्ह्ह मजा आ जाता | बहुत अच्छे से चोदते हो तुम चूत को, इसी तरह मेरी संकरी चूत में अपने मुसल लंड को पेलते रहो, आआआआह्ह्
में आपको बता नहीं सकता की क्या सीन था पदमिनी जैसे लौंडिया दोनों टांगो को फैलाकर
मेरी कमर पर टिकाये हुए मेरे लोडे को गपागप खा रही थी और में सोच रहा था अगर दुनिया में स्वर्ग हे तो यही स्वर्ग हे ,थोड़ी देर में ही मेरे लण्ड ने पदमिनी की चूत को अपने रस से सरोबार कर दिया पदमिनी मुझसे चिपक गयी और बुदबुदाने लगी थैंक्स पापा अपने मेरी ज़िंदगी बना दी
 
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