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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

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#163.

ओरैकल की भविष्यवाणी:

(16.01.02, बुधवार, 12:30, ग्रीक देव..ओं का महल, ग्रीस)

आर्टेमिस इस समय बहुत क्रोध में दिख रही थी। वह इस समय खाने की टेबल पर थी, लेकिन उसका गुस्सा शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था।

तभी ‘गैनी मेड’ हाथ में एक ट्रे लिये हुए डाइनिंग रुम में दाखिल हुआ।

गैनी मेड ग्रीक देव..ओं का रसोइयां था, वही दे..ताओं को खाना बनाकर खिलाता था।

गैनी मेड ने ट्रे को टेबल पर रखा और आर्टेमिस को एम्ब्रोशिया और नेक्टर परोसने लगा। (एम्ब्रोशिया- एक प्रकार का खाना, जो उन्को हमेशा जवान बनाए रखता है और नेक्टरः एक प्रकार का पेय पदार्थ, जो ग्रीक देव..ओं को अमरत्व प्रदान करता है)

“क्या बात है आर्टेमिस, आप बहुत गुस्से में दिख रहीं हैं?” गैनी मेंड ने आर्टेमिस के गुस्से का कारण पूछते हुए कहा।

“चलो किसी ने तो पूछा कि मैं गुस्सा क्यों हूं?” आर्टेमिस ने गैनी मेड की ओर देखते हुए कहा- “आज 2 दिन बीत गये मेलाइट का अपहरण हुए ....मैं पिछले 2 दिन से सभी देवों से मिलने को कह रही हूं, पर कोई
मिल ही नहीं रहा। यहां तक कि मेरा भाई अपोलो भी नहीं। अब तुम ही बताओ कि और कौन है इस ग्रीस में, जो मुझे मेलाइट का पता बता दे?”

“अगर आप आज्ञा दें तो मैं आपको एक पुरानी घटना, कहानी की तरह सुनाना चाहता हूं।” गैनी मेड ने आर्टेमिस की ओर देखते हुए कहा।

पहले तो यह सुनकर आर्टेमिस को बहुत गुस्सा आया कि वह अपना दुख बयान कर रही है और ये गैनी मेड उसको कहानी सुनाना चाह रहा है, पर फिर आर्टेमिस को गैनी मेड की समझदारी का ध्यान आया, इसलिये उसने बुझे मन से आज्ञा दे दी और एम्ब्रोशिया को खाना शुरु कर दिया।

आज्ञा मिलते ही गैनी मेड शुरु हो गया- “दे..ता जीयूष ने आपकी माँ ‘लेटो’ के साथ विवाह कर लिया, जिसके फलस्वरुप उनकी पहली पत्नि ‘हेरा’ को बहुत गुस्सा आया। जब आपकी माँ लेटो आपको जन्म देने वाली थीं, तो उस रात देवी हेरा ने एक ड्रैगन को आपकी माँ को मारने के लिये भेजा।

"आपकी माँ ने आपको और आपके भाई अपोलो को एक साथ जन्म दिया। जब आपकी माँ को यह पता चला कि एक ड्रैगन उन्हें मारने आ रहा है, तो उन्होंने आपके भाई अपोलो को एक घंटे में ही छोटे से जवान कर दिया। फिर आपके भाई ने, अपने तीर से उस ड्रैगन को मार दिया। अपोलो ने उस ड्रैगन को ग्रीस के डेल्फी शहर में मारा।

“मरने के बाद उस ड्रैगन का शरीर जमीन में बनी एक बड़ी सी दरार में समा गया। चूंकि आपके भाई ने पैदा होते ही एक विशाल ड्रैगन को मारा, इसलिये सभी ने उन्हें देवता मान लिया। लेकिन जिस दरार में वह ड्रैगन मरकर गिरा था, उस दरार से एक अजीब सी गैस निकलने लगी, जिसके घेरे में डेल्फी शहर की एक पवित्र स्त्री ‘ओरैकल’ आ गई।

"कहते हैं तबसे ओरैकल में यह शक्ति आ गई कि वह किसी का भी भविष्य बता सकती थी। यानि ओरैकल की आत्मा किसी माध्यम से ईश्वर के साथ जुड़ गई। ओरैकल के मरने के सैकड़ों वर्षों के बाद भी, आज भी डेल्फी शहर में कोई ना कोई पवित्र स्त्री ओरैकल का वह धर्म निभा रही है। वह पवित्र पानी में नहा कर सभी को उनका भविष्य बताती है।” यह कहकर गैनी मेड चुप हो गया और आर्टेमिस की ओर देखने लगा।

आर्टेमिस कुछ देर तक सोचती रही कि इस कहानी से उसको क्या फायदा हुआ।

तभी अचानक वह जोर से उछली और खुश होते हुए बोली- “यही चीज तुम साधारण तरीके से नहीं बता सकते थे कि डेल्फी जाकर मैं ओरैकल से मिल लूं।”

“अरे! क्या आपको मेरी कहानी में आपकी समस्य हल मिल गया?...मैं तो बस आपके भाई की बहादुरी की कहानी सुना रहा था।” यह कहकर गैनी मेड बर्तन उठा कर वापस अंदर की ओर बढ़ गया।

आर्टेमिस तेजी से महल से निकली और एक चुटकी बजाकर डेल्फी शहर पहुंच गई। आर्टेमिस सीधा वहां से ओरैकल के मंदिर में पहुंच गई।

ओरैकल ने आर्टेमिस को देख उसका स्वागत किया। आर्टेमिस ने भी अपनी समस्या ज्यों की त्यों ओरैकल के सामने रख दी।

ओरैकल ने अपने धर्मानुसार आर्टेमिस से कुछ रीतियां करवाईं और स्वयं आँख बंद कर अपना सम्पर्क दूसरी दुनिया से जोड़ने में लग गई।

आर्टेमिस, ओरैकल के सामने बैठी उसे देख रही थी।

कुछ देर बाद ओरैकल के चेहरे पर, एक अजीब सी लाल रंग की रोशनी आकर पड़ने लगी, अब उसने आँखें खोल दीं ।

उसने आर्टेमिस की ओर देखते हुए बोली- “तुम मेलाइट के बारे में जानना चाहती हो ना?....मुझे मेलाइट इस समय दिखाई दे रही है...पर वह खुश है....उसे वह मिला है जिसकी उसे हजारों वर्षों से तलाश थी...हरक्यूलिस का सोचना बिल्कुल ठीक था..अब तुम्हें उसकी चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है आर्टेमिस.....अब उसका विचार अपने दिमाग से त्याग दो...अब वह कभी तुम्हारे पास वापस नहीं आयेगी...कभी नहीं।” आर्टेमिस को ओरैकल की बातें समझ नहीं आ रहीं थीं।

“आप क्या कह रहीं हैं? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है? कौन मिल गया है मेलाइट को ? और वह कौन है? जिसने उसका अपहरण किया था।” आर्टेमिस ने ओरैकल से पूछा।

“अगर हर कोई भविष्य को समझ ले, तो भविष्य का कोई मतलब ही नहीं रह जायेगा.......मेलाइट को उसका सोने का हिरण मिल गया है....सुनहरी कस्तूरी वाला सोने का हिरण....और जिसने उसका अपहरण किया...वह वो नहीं है...जो दिखती है...वह एक धोखा है... उसका चेहरा भी धोखा है....मगर तुम चिंता मत करो...उसको उसकी सजा मिल गई है....ध्यान रखना आर्टेमिस....बिना अपोलो उससे मिलने मत जाना कभी....चाहे वह तुम्हारे सामने ही क्यों ना हो? नहीं तो हार जाओगी...भूल जाओ मेलाइट को...भूल जाओ...।” यह कहते ही ओरैकल के चेहरे की लाल चमक गायब हो गई और अब वह सामान्य नजर आने लगी।

“क्या आपको आपके सवालों का जवाब मिला?” ओरैकल ने आर्टेमिस से पूछा।

आर्टेमिस ने धीरे से अपना सिर हिलाया और उठकर मंदिर से बाहर निकल गई, परंतु यहां आने के बाद आर्टेमिस के चेहरे पर उलझन के भाव और बढ़ गये


चैपटर-8

स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी:
(तिलिस्मा 3.2)

चींटियों के संसार को पार करने के बाद सभी जिस दरवाजे में घुसे, उस दरवाजे ने सभी को अमेरिका के न्यूयार्क शहर में पहुंचा दिया।

जी नहीं, यह असली न्यूयार्क नहीं, बल्कि कैश्वर द्वारा बनाया नकली न्यूयार्क शहर था, क्यों कि यहां लिबर्टी द्वीप पर एक नहीं बल्कि 2 स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी खड़ी दिखाई दे रहीं थीं और सुयश सहित, सभी एक स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के समीप खड़े थे।

“यह तो न्यूयार्क शहर का वातावरण है।” जेनिथ ने मूर्तियों को देखते हुए कहा- “मगर यहां पर 2-2 स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी हैं। क्या मतलब हो सकता है इसका ?”

“इन दोनों मूर्तियों में कुछ अंतर हैं।” सुयश ने कहा- “जैसे एक मूर्ति का रंग हल्का हरा है, जबकि दूसरी मूर्ति हल्के भूरे रंग की है, इसका मतलब एक असली है और एक नकली।”

“कहीं हमें दोनों मूर्तियों के बीच अंतर तो नहीं ढूंढना?” ऐलेक्स ने कहा।

“हो सकता है, पर हम इस समय भूरी मूर्ति वाले पत्थर पर खड़े हैं, जो कि मुझे नकली मूर्ति दिख रही है।” तौफीक ने कहा - “क्यों कि असली स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी का रंग हल्का हरा है।”

“क्या हममें से कोई स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के बारे में सबकुछ जानता है?” क्रिस्टी ने सबको देखते हुए कहा- “क्यों कि बिना सबकुछ जाने हमें दोनों के बीच अंतर नहीं कर पायेंगे।”

“मुझे इस स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के बारे में काफी कुछ पता है, क्यों कि मैं काफी समय से न्यूयार्क में ही रह रहा हूं।” सुयश ने आह भरते हुए कहा- “पर पता नहीं क्यों, आज प्रोफेसर अलबर्ट की बहुत याद आ रही है।”

अलबर्ट की बात सुन शैफाली की आँखों में भी, कुछ बूंदें तैरने लगीं, पर उसने तुरंत अपने को कंट्रोल कर लिया।

तभी सुयश ने स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के बारे में बताना शुरु कर दिया- “स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी अमेरिका के न्यूयार्क शहर से कुछ दूर ‘लिबर्टी द्वीप’ पर मौजूद है, यह पूरी तरह तांबे से निर्मित मूर्ति है। मूर्ति की ऊंचाई 151 फुट 11 इंच है और अगर इसके पत्थर की ऊंचाई को भी जोड़ लें, तो यह मूर्ति 305 फुट 6 इंच है। इस मूर्ति को फ्रांस और अमेरिका की दोस्ती के प्रतीक के तौर पर फ्रांस ने अमेरिका को दिया था।

"इस मूर्ति का अनावरण 28 अक्टूबर 1886 को तत्कालीन अमेरिकन राष्ट्रपति ‘ग्रोवर क्लीवलैंड’ ने किया था। इस मूर्ति का डिजाइन ‘फ्रेडरिक अगस्त बार्थोल्टी’ ने किया था। इसके मूर्तिकार का नाम ‘गुस्ताव एफिल’ था। यह मूर्ति रोमन देवी ‘लिबर्टस’ की है, जिन्हें स्वतंत्रता की देवी भी कहा जाता है। चूंकि अमेरिका 4 जुलाई 1776 को आजाद हुआ था, इसलिये इस मूर्ति के हाथ में पकड़ी किताब पर वही तारीख रोमन अंकों में लिखी है।

"22 मंजिल इस मूर्ति के ऊपर तक पहुंचने के लिये 354 घुमावदार सीढ़ियां हैं। मूर्ति के सिर पर जो मुकुट लगा है, उस पर 7 किरणें बनी हैं, जो कि विश्व के 7 महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। मुकुट पर 25 खिड़कियां भी बनी हैं, जो धरती के रत्नों को दर्शाती हैं। मूर्ति के हाथ में पकड़ी मशाल की फ्लेम पहले साधारण थी, परंतु बाद में इस पर 24 कैरेट सोने की पतली पर्त चढ़वा दी गई। इसी प्रकार पहले यह मूर्ति भूरे रंग की थी, पर बाद में समुद्र के पानी के द्वारा ऑक्सीकरण हो जाने की वजह से, यह हल्के हरे रंग में परिवर्तित हो गई।” इतना कहकर सुयश चुप हो गया।

“अरे वाह कैप्टेन, आपकी जानकारी तो इस मूर्ति के बारे में बहुत अच्छी है।” जेनिथ ने मुस्कुराते हुए कहा।

“वो क्या है ना कि इतनी बार इस जगह पर गया हूं कि गाईड को सुनते-सुनते सब कुछ कंठस्थ हो गया है।” सुयश ने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

“तो अब श्योर हो गया कि हम जिस मूर्ति के पास खड़े है, वह नकली है।” शैफाली ने कहा- “और हमें इस नकली मूर्ति को सुधार कर उस असली मूर्ति के समान करना है।”

“तो फिर हमें सबसे पहले मूर्ति के नीचे से ही शुरु करना होगा।” तौफीक ने कहा।

“नीचे मूर्ति की पहली गलती तो मुझे दिखाई दे रही है।” सुयश ने कहा- “नकली मूर्ति की पैरों में जंजीर बंधी है, जबकि असली मूर्ति के पैरों में वह जंजरी टूटी हुई पड़ी है। इसका मतलब हमें पहले इस जंजीर को
तोड़ना होगा।”

“पर कैसे कैप्टेन अंकल?” शैफाली ने सुयश को देखते हुए कहा- “आप देखिये ये जंजीर तो धातु की बनी है और बहुत मोटी भी है, तोड़ना तो छोड़ो, हम तो इसे उठा भी नहीं सकते।”

“तो फिर पहले ऊपर की ओर चलते हैं, हो सकता है कि ऊपर कोई ऐसी चीज मौजूद हो, जिससे इन बेड़ियों को तोड़ा जा सके।” सुयश ने कहा।

सभी को सुयश का यह सुझाव सही लगा, इसलिये सभी स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी की सीढ़ियों की ओर बढ़ गये।

पर सीढ़ियों के पास पहुंचकर सभी ठिठककर रुक गये, क्यों कि सीढ़ियों पर एक दरवाजा था, जिस पर एक 3 डिजिट का लॉक लगा था।

“लो हो गया कैश्वर का काम शुरु।” ऐलेक्स ने मुंह बनाते हुए कहा- “लॉक मिलना शुरु हो गये....अब पहले इसका कोड ढूंढना पड़ेगा।”

“चूंकि इस लॉक पर यह नहीं लिखा है कि इसे कितनी बार में खोलना है, इसलिये मैं इस लॉक को ‘क्रमचय-संचय’ या फिर ‘प्रायिकता’ (गणित का एक सूत्र) लगा कर आसानी से कुछ देर में खोल दूंगी।” शैफाली ने सभी को देखते हुए कहा।

“इतना समय भी देने की जरुरत नहीं है, मुझे लगता है कि इसका कोड मुझे पता है।” यह कहकर सुयश ने आगे बढ़कर उस लॉक पर एक नम्बर लगाया और लॉक तुरंत खुल गया।” यह देख सभी आश्चर्य में पड़ गये।

“कैप्टेन आपको इस लॉक का कोड कैसे पता चला?” तौफीक ने सुयश को देखते हुए आश्चर्य से पूछा।

“अब धीरे-धीरे मैं भी कैश्वर के दिमाग को पढ़ना सीख रहा हूं।” सुयश ने मुस्कुरा कर कहा- “वैसे इस दरवाजे का कोड 354 था, जो कि स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी की इन सीढ़ियों की कुल संख्या है। कैश्वर इसके अलावा और किसी कोड को रखने के बारे में सोचता भी नहीं।”
सुयश यह कहकर दरवाजा खोलकर सीढियां चढ़ना शुरु हो गया।

सभी सुयश के पीछे-पीछे चल दिये।
ऊपर पहुंचने तक सबकी हालत खराब हो गई क्यों कि 22 मंजिल सीढ़ियों के द्वारा चढ़ना इतना भी आसान नहीं था।

“बेड़ा गर्क हो इस कैश्वर का।” ऐलेक्स ने अपनी फूलती साँसों के साथ कैश्वर को भला-बुरा कहना शुरु कर दिया- “अगर ऐसे ही 3-4 बार ऊपर-नीचे करना पड़े, तो आदमी बिना तिलिस्मा के खतरे के मारा जायेगा।”

सभी ने कुछ देर तक बैठकर आराम किया और फिर अपने आस-पास देखने लगे।

इस समय सभी मूर्ति के सिर वाले मुकुट में बने कमरे में थे, जिसके चारो ओर खिड़कियां बनी थीं।

कमरे की छत पर एक गोला सा बना था, जिससे मुकुट की सारी किरणें जुड़ीं थीं ।

उस गोले में 7 घिरनियां लगीं थीं, जो कि पतले पाइप पर फिसल सकती थीं। शायद हर घिरनी एक किरण का प्रतिनिधित्व कर रही
थी।

ऐलेक्स ने ध्यान से उन घिरनियों को देखा, तो उसे 2 घिरनियां बहुत पास-पास दिखाई दीं।

“कैप्टेन, मुझे इन घिरनियों में कुछ प्रॉब्लम दिख रही है?” ऐलेक्स ने सुयश को आवाज लगाते हुए कहा।

ऐलेक्स की आवाज सुन सुयश उन घिरनियों की ओर देखने लगा। कुछ देर तक देखने के बाद सुयश ने आगे जाकर, एक खिड़की से झांककर मूर्ति के ऊपर की ओर देखा।

कुछ देर देखने के बाद सुयश ने अपना सिर अंदर कर लिया और बोला- “बाहर मूर्ति के मुकुट में 7 किरणें होनी चाहिये थीं, पर अभी वह 6 ही नजर आ रही हैं, इसका मतलब हमें उन्हें 7 करना होगा.... अब अगर अंदर कमरे की छत पर मौजूद इन घिरनियों को देखें, तो साफ पता चलता है कि इन घिरनियों से ही मुकुट की किरणें नियंत्रित होती हैं और यह 2 घिरनियां पास-पास है, जिसकी वजह से बाहर 6 ही किरणें नजर आ रहीं हैं। यानि हमें किसी भी प्रकार से इन घिरनियों को इनकी वास्तविक स्थिति पर लाना होगा। अब चूंकि कमरे की ऊंचाई 15 फुट है, तो हममें से कोई भी इस ऊंचाई तक नहीं पहुंच सकता, पर अगर हम सम्मिलित कोशिश करें, तो हम एक के ऊपर एक खड़े होकर ऊपर तक पहुंच सकते हैं।”

सुयश की बात से सभी सहमत हो गये। आनन-फानन सभी ने गोला बना कर, अथक प्रयास कर शैफाली को ऊपर तक पहुंचा दिया ।

पर शैफाली की पूरी ताकत लगाने के बाद भी, वह किसी भी घिरनी को हिला नहीं पाई। यह देख शैफाली नीचे आ गई।

“इसका मतलब घिरनी को घुमाने के लिये कोई और साधन है, यह हाथ से नहीं घूमेगी।” सुयश ने चारो ओर देखते हुए कहा- “अब फिलहाल इस कमी को भी बाद में सुधारेंगे....अब कुछ नयी गलती ढूंढो।”

“कैप्टेन अंकल आपने कहा था कि इस मुकुट में 25 खिड़कियां है, पर मुझे यहां सिर्फ 24 खिड़कियां ही दिखाई दे रहीं है।” शैफाली ने सबका ध्यान खिड़कियों की ओर कराते हुए कहा।

सुयश ने भी खिड़कियों की गिनती की, शैफाली सही कह रही थी। अब सुयश ध्यान से सभी खिड़कियों के बीच की दूरी का अध्ययन करने लगा, पर सभी खिड़कियों में बराबर दूरी थी।

“कैप्टेन, सभी खिड़कियों की दूरी बराबर है और इसके बीच कोई नयी खिड़की नहीं लगाई जा सकती।” तौफीक ने कहा- “इसका साफ मतलब है कि हमें मूर्ति के सिर के पीछे वाले स्थान पर ही कुछ ढूंढना
पड़ेगा क्यों कि वहां पर खाली दीवार है।”

तौफीक की बात सुन सभी मूर्ति के चेहरे के पीछे वाली साइड में आ गये। ऐलेक्स अब हाथों से टटोलकर उस दीवार को देखने लगा।

तभी ऐलेक्स का हाथ किसी अदृश्य चीज से टकराया।

ऐलेक्स ने उस चीज को अपनी ओर खींचा, वह अदृश्य चीज अब दीवार से निकलकर ऐलेक्स के हाथ में आ गई और इसी के साथ उस दीवार में अब 25 खिड़की नजर आने लगी।

25वीं खिड़की देख सभी खुशी से भर उठे। अब वह सभी ऐलेक्स की ओर देख रहे थे, जो कि अपने हाथों को अजीब ढंग से हवा में घुमाकर कुछ कर रहा था।

“तुम यह क्या कर रहे हो ऐलेक्स?” क्रिस्टी ने ऐलेक्स से पूछा- “और तुमने यह 25वीं खिड़की कैसे बनायी?”

“25वीं खिड़की पहले से ही यहां पर थी, पर उसे किसी अदृश्य चीज ने घेर रखा था ? मैंने जैसे ही उस अदृश्य चीज को दीवार से हटाया़ वह खिड़की दिखाई देने लगी।” ऐलेक्स ने कहा- “और अब मैं उसी अदृश्य चीज को समझने की कोशिश कर रहा हूं कि वह है क्या?”

“ऐलेक्स भैया, आप वह चीज मुझे दे दीजिये, मेरा स्पर्श का अनुभव आपसे ज्यादा है, मैं उसे आसानी से समझ सकती हूं।” शैफाली की बात सही थी क्यों कि शैफाली ने 13 वर्षों तक हर चीज को छूकर ही तो अनुभव किया था।

ऐलेक्स ने वह चीज शैफाली को दे दी। शैफाली ने वह चीज ले, अपनी आँखें बंद कर लीं और छूकर उसे
महसूस करने लगी।

“यह चीज किसी जापानी पंखें की तरह है, जिसे फैलाकर खोला और बंद किया जा सकता है।” यह कहकर शैफाली ने उस अदृश्य जापानी पंखे को खोल दिया, तभी मूर्ति के चेहरे की ओर से एक तेज आवाज उभरी, वह आवाज सुन शैफाली ने डरकर पंखें को फिर से बंद कर दिया।

अब सभी मूर्ति के चेहरे की ओर आ गये।

“शैफाली के जापानी पंखे के खोलने पर आगे से कोई आवाज उभरी थी। शायद इस ओर उस समय कुछ घटित हुआ था।” सुयश ने शैफाली को देखते हुए कहा- “शैफाली जरा एक बार फिर उस पंखे को खोलो, मैं देखना चाहता हूं कि वह आवाज कहां से आयी थी?”

सुयश की बात सुन शैफाली ने एक झटके से पंखे को फिर खोल दिया।

पंखा खुलते ही आपस में चिपकी हुई दोनों घिरनियां अलग-अलग हो गईं, जिसे सभी ने देख लिया।

यह देख सुयश ने भागकर एक खिड़की से फिर बाहर की ओर झांक कर देखा। बाहर अब मूर्ति के मुकुट पर 7 किरणें दिखाई देने लगीं थीं, यह देख सुयश खुश हो गया।

“हमने 3 बाधाओं को पार कर लिया।” सुयश ने सभी की ओर देखते हुए कहा- “पहली सीढ़ियों के लॉक की बाधा, दूसरी 25वीं खिड़की को खोजना और तीसरा 7वीं किरण को सही करना।.... वेलडन दोस्तों....अब हमें मूर्ति की अगली कमी पर ध्यान देना होगा... एक तो मूर्ति की बेड़ियां अभी भी लगी हैं...और दूसरा मूर्ति का रंग अभी भी भूरा है...पर इसको सही करने के पहले हमें एक बार फिर से ध्यान से मूर्ति को देखना होगा कि मूर्ति में कोई और कमी तो नहीं है?”

सुयश की बात सुन सभी खिड़कियों से झांककर मूर्ति का देखने लगे।

“कैप्टेन, मूर्ति के हाथ में पकड़ी मशाल की फ्लेम नहीं है।” ऐलेक्स ने बाहर झांकते हुए कहा।

“कैप्टेन मुझे मूर्ति के हाथ में पकड़ी किताब की तारीख भी सही नहीं लग रही है।” क्रिस्टी ने कहा- “चूंकि अमेरिका 4 जुलाई 1776 को आजाद हुआ था, इस हिसाब से किताब पर रोमन में ‘IV’ (यानि 4)
MDCCLXXVI (यानि 1776) लिखा होना चाहिये था, पर किताब में ‘IV’ (यानि 4) MDCCLSSIV (यानि 1774) लिखा है, जो कि गलत है।” (रोमन संख्याः M=1000, D=500, C=100, L=50, X=10, VI=6, IV=4)

“यानि कि यह तारीख अमेरिका की आजादी के 2 वर्ष पहले की है, शायद इसी लिये मूर्ति के पैरों में, अभी भी बेड़ियां लगी हुईं है।”


जारी रहेगा_______✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Badhiya update bhai

To Toffik hi tha jisne sab kiya tha lekin loren ko kyun mar diya usne wo to usse pyar karta tha na or bechari loren bhi uske pyar me andhi hoker uski baten man rahi thi or jis jenith se badla lena chahta tha use abhi tak jinda rakha ha usne usse pyar ka natak karta ja raha ha Jenith ki sab sachhai pata pad gayi ha dekhte han kab tak Toffik babu apni sachhai chhupa pate han waise bure karm ki saja milti hi ha or jis jagah ye sab han usse lagta ha jaise Aslam miya ko saja mili usi prakar Toffik ka bhi number lag sakta ha

चौदह वर्ष पूर्व कलिका - जो दिल्ली के एक मैग्जीन की संपादक थी - ने यक्षलोक के प्रहरी युवान के कठिन सवालों का जो जवाब दिया वह बिल्कुल महाभारत के एक प्रसंग ( युधिष्ठिर और यक्ष संवाद ) की तरह था ।
क्या ही कठिन सवाल थे और क्या ही अद्भुत जवाब थे ! यह सब कैसे कर लेते है आप शर्मा जी ! पहले तो दिमाग मे कठिन सवाल लाना और फिर उस सवाल का जवाब ढूंढना , यह कैसे कर लेते है आप !
यह वाकई मे अद्भुत था । इस अपडेट के लिए आप की जितनी तारीफ की जाए कम है ।

शायद सम्राट शिप से चौदह साल पहले जो शिप बरमूडा ट्राइंगल मे डुब गया था , उस शिप मे ही कलिका की बेटी सफर कर रही होगी । वह लड़की आकृति हो सकती है । वह आकृति जो शलाका का क्लोन धारण कर रखी है ।

दूसरी तरफ सामरा प्रदेश मे व्योम साहब पर कुदरत बहुत ही अधिक मेहरबान हो रखा है । वगैर मांगे छप्पर फाड़ कर कृपा बरसा रहा है । पहले अमृत की प्राप्ति हुई और अब राजकुमारी त्रिकाली का दिल उनपर धड़क गया है ।
मंदिर मे जिस तरह दोनो ने एक दूसरे को रक्षा सूत्र पहनाया , उससे लगता है यह रक्षा सूत्र नही विवाह सूत्र की प्रक्रिया थी ।


इन दो घटनाक्रम के बाद तीसरी तरफ कैस्पर का दिल भी मैग्ना पर मचल उठा है और खास यह है कि यह धड़कन हजारों वर्ष बाद हुआ है । लेकिन सवाल यह है कि मैग्ना है कहां !
कहीं शैफाली ही मैग्ना तो नही ! शैफाली कहीं मैग्ना का पुनर्जन्म तो नही !

कुकुरमुत्ता को छाते की तरह इस्तेमाल करते हुए सुयश साहब और उनकी टीम का तेजाबी बारिश से खुद को रक्षा करना एक और खुबसूरत अपडेट था । पांच लोग बचे हुए हैं और एलेक्स को मिला दिया जाए तो छ लोग । तौफिक साहब की जान जाते जाते बची , लेकिन लगता नही है यह साहब अधिक दिन तक जीवित रह पायेंगे ।
कुछ मिलाकर पांच प्राणी ही सम्राट शिप के जीवित बचेंगे , बशर्ते राइटर साहब ने कुछ खुराफाती न सोच रखा हो ।
ये मिश्रित पांडव जीवित रहने चाहिए पंडित जी ! :D

सभी अपडेट बेहद खुबसूरत थे ।
रोमांच से भरपूर ।
एक अलग तरह की कहानी , एक अद्भुत कहानी ।
और आउटस्टैंडिंग राइटिंग ।

Radhe Radhe guruji,, break pe chala gya tha uske baad is id ka password issue ho gya tha so sign in nahi tha itne time se ab wapas aaya hu to dubara se updates ki demand rakhunga...waise stock to abhi full hai kuch time ke liye so read karta hu

Nice update.....

Shandaar update and nice story

Tumne bulaya aur ham chale aaye...
Bas Bhai Diwali pe 5 din chutti pe hu, abki baar isko pura karne ka socha hai...

शानदार अपडेट राज भाई

Mst update bro

बड़े दिनों के बाद…
बड़े दिनों के बाद…
कितने सारे दिनों के बाद…
बहुत सारे दिनों के बाद…
चिट्ठी आई है 🎵:musicus:


#141
जल कवच को एकता की शक्ति ने तोड़ दिया। बेहतरीन सोच रही शेफ़ाली की।


#142
अँग्रेज़ी में एक शब्द है “transcend”. वैसे इसका शाब्दिक अर्थ देखें तो इसका अर्थ है ‘ऊँचा उठना’ या ‘सीमाओं के पार जाना’।

लेकिन इस शब्द का दार्शनिक अर्थ बहुत गहरा है। जब मानव अपनी मूलभूत आवश्यकताओं, और इच्छाओं से ऊपर उठ जाता है, तो वो सही मायनों में transcend कर जाता है। मैं यहाँ पोंगा/ढोंगी पीर - साधुओं, नेताओं इत्यादि की बात नहीं कर रहा हूँ। महायोगी शिव भगवान या हनुमान भगवान की भी बात नहीं कर रहा हूँ।

मैं यह कह रहा हूँ कि सामान्य जीवन में भी आप ऐसे लोगों को देख सकते हैं, जिनके लिए भौतिक सुविधाएँ सुख देने के लिए नहीं, बल्कि इस लिए होती हैं कि वो जीवन में कुछ बड़ा कर सके। जेम्स ने जो कुछ देखा, जो कुछ जाना, उससे उसकी भीतरी दृष्टि खुल गई है। इसीलिए अब वो शलाका का संग नहीं छोड़ना चाहता। वापस मानव लोक पर जा कर वो केवल खाली महसूस करेगा (भले ही स्मृति चली जाए)! उसने वो पा लिया है, जिसके सहारे वो transcendence के शिखर तक जा सकता है।

मेलाईट, रोजर, सुर्वया… ये लहन की बौड़ी आकृति ने कितनों को पकड़ के रखा हुआ है!
भला हो सनूरा का, कि इतने लोगों को क़ैद से मुक्ति मिली।


#143
पता चल रहा है कि लुफ़ासा ने ही सनूरा से कहा था रोजर को छुड़ाने के लिए।

कस्तूरी नर कस्तूरी मृग की नाभि के पास मौजूद ग्रंथि (Musk Pod) से प्राप्त होती है। जब यह ग्रंथि पहली बार निकाली जाती है, तब इसकी गंध बहुत तीखी होती है, लेकिन कहते हैं कि समय के साथ यह एक मनमोहक सुगंध में बदल जाती है। शायद इसी कारण से मनुष्य इस पशु के लिए अभिशाप बन गया। कस्तूरी मृग संकटग्रस्त है और विलुप्ति के कगार पर है। हाँलाकि अब इसका शिकार पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन प्रतिदिन संकुचित होते वन क्षेत्रों के कारण इन पर संकट ज्यों का त्यों बना हुआ है।


#144
भाई भाई भाई! कैसे सोच लेते हैं इतना सब कुछ!
कितना जटिल है! वाह वाह वाआआह! ♥️👏👏👏

उड़ने वाली झोपड़ी क्या रूसी (Russian) लोक कथाओं से प्रेरित है? बहुत छोटा था तो मेरे कस्बे में रूसी पुस्तकों की एक प्रदर्शनी लगी थी। वहाँ से हमारे पिता जी दो तीन पुस्तकें ले आए मेरे लिए। उसमें कई कहानियों में एक झोपड़ी का ज़िक्र आता है, जो मुर्गी जैसे पँजों पर टिकी रहती है और चलती और उड़ती है। यह झोपड़ी एक बूढी जादूगरनी, बाबा यागा की होती है। यह झोपड़ी रहस्यमय, जीवित, और अपने आप चलने वाली मानी जाती है।

“यह वो साधारण मनुष्य थे, जिनके पास हिम्मत, विश्वास, बुद्धि, ज्ञान और सबसे बढ़कर कभी ना झुकने का हौसला था।” -- पूरी तरह से सही! ऐसी ही बात रिकी पोंटिंग ने बताई थी अपनी सर्व-विजेता टीम के लिए। यही गुण थे उसकी टीम में। शुरू शुरू में पोंटिंग की टीम में कोई ‘सुपर स्टार’ नहीं था (अगर शेन वार्न, वार्नर, क्लार्क को छोड़ दें)। लेकिन सभी सामान्य खिलाड़ी मिल कर इतने घातक थे, कि लगता ही नहीं था कि वो हार भी सकते हैं। बाद में उन सामान्य खिलाड़ियों का ऐसा हौव्वा बना कि अधिकतर को सुपर स्टार माना जाने लगा।

42 प्रश्नों की प्रश्नमाला! बाप रे! इतने तो सवाल ही नहीं उठे दिमाग में!
हा हा हा हा! 😂

“दोस्तों इन्द्रधनुष के रंगों की मांनिद होती है एक लेखक की रचनाएं। जिस प्रकार इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं, ठीक उसी प्रकार लेखक की रचनाओं में भी सात रंग पाये जाते हैं। हर रंग अपने आप में एक अलग पहचान रखता है।”

जिस तरह से हमको को इन्द्रधनुष में केवल सात रंग “दिखाई देते हैं” - उसी तरह हम पाठकों को भी आपकी रचनात्मकता का केवल सीमित स्पेक्ट्रम ही दिखाई देता है।
आपकी कल्पनाशक्ति असीम है। आपकी लेखनी अद्भुत है।
और हम इस फ़ोरम के अधिकतर पाठक इसको पढ़ने और सराहना करने के योग्य नहीं हैं।

लेकिन लिखते रहें!


#145 और #146
माया - मैग्ना - कैस्पर के छोटे से परिवार को देख कर अच्छा लगा।
ज़ीको घोड़ा कैस्पर की कल्पनाशक्ति से जन्मा है, और महावृक्ष और ड्रेंगो मैग्ना की! लेकिन यह सारा मायाजाल अपने राज भाई की अद्वितीय कल्पनाशक्ति से जन्मे हैं! राज भाई, आपकी सोच के लिए एक शब्द आता है मन में -- geometric thinking! यह तार्किक सोच समझ, मानसिक चित्रण, और बहु-आयामी स्थानिक सोच का मिला जुला भाव है।
♥️♥️👏👏👏👏👏

पुनः आपने मयासुर को माया सभ्यता पर थोप दिया। किस्से कहानी में पढ़ले लिखने के लिए ठीक है, लेकिन पाठक यह समझें कि दोनों का कोई सम्बन्ध नहीं है। ऐसा दावा करने से केवल जग हँसाई ही होती है। उससे भी बड़ा पाप यह है कि ऐसा करने से अन्य सभ्यता और उसकी उपलब्धियों का अनादर ही होता है (सब हमने कर के उनको दिया, तो उन्होंने क्या किया?)।

“माया” सभ्यता का शब्द माया कहाँ से आया है -- यह प्रश्न अक्सर भारतीयों को भ्रमित करता है। क्योंकि “माया” शब्द संस्कृत में भी प्रसिद्ध है, और मध्य अमेरिका की “Maya civilization” का नाम भी वही सुनाई देता है। “Maya” शब्द Yucatec Maya के शब्द “Màayàa’” से आया है, जिसका अर्थ है “माया लोग” या “माया भाषा बोलने वाले लोग”! जब स्पेन से लोग यहाँ आए, तब उन्होंने इस क्षेत्र को “la tierra de los mayas”, यानि “मायाओं की भूमि” कहा, और यही शब्द यूरोपीय भाषाओं में Maya रूप में स्थिर हो गया। मतलब, यह शब्द एक स्वदेशी जातिनाम है, जो उस समाज के लोगों और उनकी भाषा से निकला।

“माया संस्कृति” का भारतीय संस्कृति से लेना देना वैसा ही मिथ्या प्रचार है जैसा कि रशिया = राक्षस, इंग्लैण्ड = अंग देश, अमेरिका = अमर ईका, और ऑस्ट्रेलिया = अस्त्रालय, और वैसे ही कई दुष्प्रचार! दरअसल, यह उन “लोक-व्युत्पत्तियों” (folk etymologies) का बढ़िया उदाहरण है, जहाँ सिर्फ़ शब्द-समानता के आधार पर लोग अर्थ या संबंध गढ़ लेते हैं, जबकि इतिहास, भाषाशास्त्र या संस्कृति में उनका कोई वास्तविक आधार नहीं होता। प्रश्न यह है कि लोग ऐसा क्यों करते हैं? शायद संस्कृति-गौरव की प्रवृत्ति इतनी बलवती होती है कि लोग अपनी भाषा या सभ्यता को प्राचीनतम और सर्वव्यापक सिद्ध करना चाहते हैं। उसके इतर यह भी सत्य है कि रहस्यमय लगने वाले नामों को धार्मिक या पौराणिक अर्थों से जोड़ने की एक मानवीय प्रवृत्ति होती है।

राज भाई, यह सब मैं आपको बुरा भला कहने को नहीं लिख रहा हूँ। यह एक काल्पनिक कथा और काल्पनिक सोच है, और अद्वितीय है। इस कहानी के माध्यम से पाठकों को बहुत कुछ नया जानने समझने का अवसर मिला है। इस बात के लिए आपको साधुवाद! इस कहानी पर या आप पर मैं कोई लाँछन नहीं लगा रहा हूँ। अगर आपको ऐसा महसूस हो, तो अभी से क्षमाप्रार्थी हूँ!

मेरी दिक्कत दूसरी है - दरअसल, आज कल मेरे सब तरफ़ ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें करने वाले लोगों की एक बड़ी सेना बन गई है। पढ़े लिखे होने का कोई लाभ ही नहीं दिखता किसी में। तर्क, विवेक, बुद्धि - सब से अलग, केवल साक्षर होते दिख रहे हैं लोग। और साक्षर भी ऐसे कि न हिंदी ठीक से पढ़ सकें, न अंग्रेज़ी! साक्षर ऐसे जो जैसे तैसे केवल “हिंगलिश” पढ़ना जानते हैं। विगत कुछ वर्षों में भारतीयों ने सोच, समझ, बुद्धि और विवेक को न जाने किस गहरे गड्ढे में डाल दिया है। लेकिन जब विदेशों से आई नीम्बू मिर्ची देशज टोटके का रूप ले सकती है, तो कुछ भी संभव है जम्बूद्वीप में। ख़ैर!

Awesome update bhai , ab dheere dheere sb pta chal rh h kaishwar kaise bana aur usne kaise sb apne control mei kiya

Bhut hi badhiya update Bhai
Tisra darvaja khas shaifali ke liye banaya gya hai
Aur shaifali ne apne dimag ka istemal karke chintiyo ki madad se ek chabhi hasil kar li
Ab aage dhekte hai ye baki chabhiya kese hasil karte hai

बहुत ही उम्दा अपडेट और चिटियो से युद्ध भी बहुत ही रोमांचक था बहुत ही अद्भुत लेखन ✍️

Awesome update❤❤

Hamesha ki tarah lajawab update......Vikram ko आकृति ने बहका लिए है...और अब उसका mind change kar liya hai....

Nice update.....

Kahte hain lalach buri bala hai, ye Aakriti ki ek musibat samapt hua toh dusra musibat samne aa gaya, pahle usne Aryan aur amrit kr liye aur ab apni real face aur apne bete ke liye ek ke baad ek galti karti chali ja rahi hai.

Congratulations for being a moderator from sectional Moderator.

Bahut hi shaandar updeate diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....

Gajab update and nice story

Bahut hi umda update he Raj_sharma Bhai

Aakriti ne pehle to wilmer se sunhari dhaal chhin lee aur bechare ko pakshi bana kar bhaga bhi diya..........

Ab vo vikram ko kaabu karke wapis araka jaane ka plan bana rahi he............

Keep rocking Bro

Nice update.....

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
महावृक्ष ने आज वेगा को संमोहनशास्त्र और युगाका को वृक्षशक्ती प्रदान कर दी
बडा ही खुबसुरत अपडेट है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है

Shaandar update

nice update

nice update. aakruti ko badi aasani se sunahari dhal mil gayi par neeldand kaha gayab ho gaya .vikram ka milna bhi achcha hi raha aakruti ke liye aur uski yaddasht bhi jaa chuki hai jisse aakruti jaise chahe waise uski power ka istemal karne ki soch rahi hai .

Agli dhamakedar update ka intezar rahega

Raj_sharma Bhai


intezaar rahgea....

लो भाई, एक बडे वाला अपडेट दिया है। अब सभी लोग भर भर के रिव्यू दो। :approve:
अबसे ज्यादातर अपडेट साइज में पहले से बड़े ही हों ऐसी कोशिश करेंगे।
:declare:
 
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