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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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भाई जी -- आपकी भाभी (मेरी पत्नी अंजलि) की तरफ़ से चिट्ठी --
Thank you very much bhaiya, aap to purane jamane ke kabutar se abhi achhe postman nikle (majak kar raha hu, kahi dobara sandesh padh kar hi na sunao🙏🏼):toohappy:
राज भैया, मैं अधिकतर printed books पढ़ती हूँ। screen पर पढ़ना बहुत अटपटा लगता है क्योंकि दिन भर काम के कारण screen देखनी ही पड़ती है। इसी चक्कर में मेरा kindle भी बेकार पड़ा हुआ है। कोई तीन साल पहले तक इस website पर मेरा आना अधिक होता था, लेकिन फिर बहुत कम होता गया। अमर की कहानियाँ मुझे सबसे अच्छी लगती हैं। उनकी contest वाली हर कहानी मुझे बेहद पसंद है (मैंने ही शुरू किया था contest के लिए लिखना; पिछली वेबसाइट पर “आज रहब...” मैंने ही लिखी थी)।
Hain:?: Mai to noob hu bhabhi ji, mujhe pata hi nahi tha ki aap bhi writer ho? Koi baat nahi waise hamare sher bahadur bhai jo hai, aap ko padh kar suna denge, agar aapko padhne me koi dikkat aaye to, main aapko jyada kast nahi duna, bas 5-10 updates ke baat ek chota sa motivation, wo bhi agar aapke pas samay ho tab👍 warna to avsji bhaiya to hai hi, post ka post-martum karne ke liye:approve:
वो किसी किसी कहानी को पढ़ कर सुनाते हैं, तो लगता है कि उसको पढ़ना चाहिए। काला नाग भैया की विश्वरूप और आपकी सुप्रीम वैसी ही कहानियाँ हैं। आपने review करने के लिए कहा, तो लिख रही हूँ। बहुत अच्छी कहानी है - thriller novel है ये
Kala naag ki story jyada badhiya lagi mujhe, per samay na hone ki wajah se padh nahi paya, avsj bhaiya ne bataya tha to maine ek do update padhe the uske:approve:Ye kahani thriller aur mystery ka combination hai🙏🏼
49 - 50 में आपने जो दृश्य दिखाए हैं, वो पढ़ कर “बर्निंग ट्रेन” फ़िल्म का सीन याद आ गया। वैसा ही मार्मिक। मुश्किल काम है कि शब्दों को पढ़ने से भावनाएँ महसूस होने लगें। कुछ पात्रों को पढ़ कर खीझ भी होती है। सुयश सही कप्तान नहीं है। workplace में ऐसे बहुत से inept managers बहुत बार देखे हैं। अपनी position के कारण वो सभी पर धौंस जमाते रहते हैं, लेकिन होते किसी काम के नहीं।
Suyash ki bhi apni majboori hai, wo captaan hone ki wajah se khud aage nahi ja sakta, sabki jaan bachane ki kosis karna uski hi duty hai, waise mujhe lagta hai aap usko thoda jaldi judge kar rahe hai, ya fir ho sakta hai, ki maine usko dhang se justice nahi kar paya. Sorry 😞
51 - 52 में सुप्रीम डूब गया है। लेकिन कहानी का नाम अभी भी “सुप्रीम” ही है। तो ऐसा लगता है कि कहानी के अंत में ये जहाज़ वापस restore हो जाएगा। सुखान्त की भी आशा है। लेकिन अंत तो शायद अभी बहुत दूर है।
आप लिखें - serious हो कर लिखें। यहीं नहीं, बाहर भी! print करवाने की कोशिश भी करें। हमेशा तो नहीं, लेकिन कभी कभी मैं भी review लिख दूँगी। thank you.”
Supreme doob chuka hai, aur wapis aayega ya nahi abhi nahi kah sakte, to agar aap sab ki Aagya ho to thoda sa change karna chahunga,
सुप्रीम से एटलांटिस तक:declare: ये कैसा रहेगा?
वैसे तो मै सीरियस होकर ही लिखता हू पर कभी-कभार अपने पुरातन मित्रो से हंसी मजाक कर लेता हू। ओर कहनी लम्बी ही होगी, कम से कम 150 अपडेट के आस पास तो पक्की, या उस से भी अधिक, अभी कह नही सकते :shhhh:

आपके ईस शानदार रिव्यू या पत्र के लिए बोहोत बोहोत आभार (आप दोनो का) 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
 
Last edited:

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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# 52 .

अच्छा ही हुआ कि सुयश चेहरे को ढके हुए चुपचाप बैठा था, नहीं तो वो यह लाशों का समुद्र देखकर तो पागल ही हो जाता।

वह लाशों के अंबार में किसी जीवित व्यक्ति को ढूंढ रहे थे। धीरे-धीरे बाकी की लाइफ बोट भी इनके पास आ गयीं। अब सभी धीरे-धीरे हर तरफ नजर डालते हुए आगे बढ़ रहे थे।

अगर साधारण तरीके से जहाज डूबता तो शायद बहुत से लोग जीवित बच गए होते। परंतु जहाज पर गिरी बिजली, उस में लगी आग और फ्यूल टैंक में हुए धमाके के कारण लोगों के बचने की संभावना काफी कम हो गई थी।

फिर भी सभी किसी उम्मीद से बंधे जिंदा लोगों को ढूंढने की काशिश कर रहे थे। तभी इन्हें किसी कुत्ते की भौंकने की आवाज सुनाई दी- “भौं....भौं।“ आवाज काफी दबी थी लेकिन फिर इन्हें सुनाई दे गयी।

“टॉर्च उधर करो....... उधर।“ ड्रेजलर ने चीखकर ब्रैंडन को आवाज की दिशा में इशारा किया- “उधर शायद कोई है?“ ब्रैंडन ने आवाज की दिशा में टॉर्च घुमाई।

“यह तो ब्रूनो है।“ अलबर्ट खुशी से चीख उठा- “उसके साथ शायद शैफाली भी है। उन्हें तुरंत बोट पर खींच लो।“

वह वास्तव में ब्रूनो ही था जो एक दिशा से तैरता हुआ उनकी तरफ आ रहा था। उसके गले में किसी प्रकार का एक कपड़ा फंसा हुआ था । कपड़े का दूसरा सिरा एक भारी लकड़ी के तख्ते से बंधा हुआ था और उस तख्ते पर शैफाली चिपकी हुई थी।

तुरंत दोनों को सहारा देकर बोट पर खींच लिया गया। शैफाली पूरी तरह बेहोश थी। उसे मोटर बोट की फर्श पर लिटा दिया गया। ब्रूनो अभी भी शैफाली को देख रहा था। अपने शरीर पर लगे पानी को झटक कर साफ करने के बाद ब्रूनो शैफाली के चेहरे के पास बैठकर अपनी जुबान से उसका मुंह चाटने लगा।

“ईश्वर का लाख-लाख शुक्र है कि ये जिंदा बच गई।“ अलबर्ट ने शैफाली के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।

“ध्यान से देखो शायद अभी कोई और भी जिंदा हो।“ असलम ने अपने लेदर बैग को टटोलते हुए कहा। सभी की नजरें तेजी से पानी में फिर रहीं थीं।

अचानक एक अजीब सी आवाज सुनाई दी- “गुलुप!“

“यह आवाज कैसी ?“ ब्रैंडन ने टॉर्च की रोशनी आवाज के दिशा में करते हुए कहा। लेकिन इधर-उधर टॉर्च करने पर भी उन्हें ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया, जिससे वह यह पता लगा पाएं कि आवाज कहां से आई थी ?

तभी वही आवाज दूसरी तरफ से इन्हें पुनः सुनाई दी- “गुलुप!“

ब्रैंडन ने तुरंत अपनी टॉर्च उस दिशा में घुमादी। मगर फिर से उन्हें कुछ न दिखाई दिया।

तभी वही आवाज दूसरी तरफ से दो बार सुनाई दी- “गुलुप.....गुलुप“

ब्रैंडन को किसी खतरे का अहसास हुआ। अब वह तेजी से इधर-उधर टॉर्च मारने लगा। तभी ब्रैंडन की नजर टॉर्च की रोशनी में मोटर बोट के पास तैर रही एक लाश पर पड़ी-

“गुलुप“ और उसके देखते ही देखते वह लाश ‘गुलुप‘ की आवाज करती हुई पानी में समा गई।

इससे पहले कि कोई और कुछ समझ पाता, बोट के पास तैरती हुई कई और लाशें ‘गुलुप‘ की आवाज करतीं पानी में समा गईं। इस बार यह दृश्य बोट के कई लोगों ने देखा।

अब लाशों का पानी में खिंचने का सिलसिला तेज हो गया।

“गुलुप....गुलुप....गुलुप....गुलुप।“ “भागो द्वीप की ओर भागो..... अपनी जान बचाओ......।“ ब्रैंडन यह देखकर गला फाड़कर चीख उठा- “यह मौत का समुंदर है, सभी को निगल जाएगा।“

ब्रैंडन की चीख सुनकर सुयश भी जैसे होश में आ गया। वह अपने सारे दुख को भूलकर उठकर खड़ा हो गया और अजीब सी नजरों से लाशों को पानी में खींचते हुए देखने लगा।

ड्रेजलर ने भी जैसे इस दृश्य को देखा। उसने मोटर बोट स्टार्ट करके तेजी से द्वीप की ओर दौड़ा दी। तब तक उनके आसपास का पूरा क्षेत्र लाशों से खाली हो चुका था। लाशें लगातार पानी के अंदर खिंच रहीं थीं।

बरसात अब बिल्कुल बंद हो चुकी थी। बादल भी सबकी मौत का तमाशा देखने के बाद अब धीरे-धीरे छंट रहे थे। लेकिन ठंडी हवा के थपेड़े अब भी बचे हुए लोगों के शरीर से टकरा कर झुरझुरी उत्पन्न कर रहे थे।

सुयश एकाएक जैसे पिछली सारी बातें भूल गया। वह पीछे लाइफ बोट में छूट गए बाकी यात्रियों को जल्दी द्वीप पर पहुंचने के लिए कहने लगा। चूंकि उनके पास मोटर बोट थी इसलिए वह तेजी से द्वीप की ओर बढ़ रहे थे।

जबकि बाकी सातों लाइफ बोट के लोग उसे चप्पू से चला रहे थे, जिसकी वजह से वह काफी पीछे थे। ड्रेजलर को छोड़कर बाकी सभी की नजरें पीछे आ रही लाइफ बोट्स पर थीं।

लाशों से भरा समुद्र अब बिल्कुल खाली हो चुका था। ड्रेजलर को अपनी मंजिल यानि कि वह द्वीप सामने देख रहा था। तभी अचानक पीछे आ रही एक लाइफ बोट को झटका लगा और वह समुद्र में पलट गई।

“यह क्या ?... वह बोट अचानक कैसे पलट गयी ?“ ऐलेक्स ने हैरानी स कहा।

उस बोट के सभी यात्री पानी में तैरते हुए बोट को सीधा करने की कोशिश करने लगे। अचानक एक चीख के साथ उसमें से 2 यात्री पानी में समा गये।

“ड्रेजलर बोट को वापस मोड़ो....... वहां सभी यात्री खतरे में हैं।“ सुयश ने लगभग आर्डर देते हुए कहा।

“कोई फायदा नहीं है कैप्टेन। जब तक हम वहां वापस पहुंचेंगे, वो सारे लोग मारे जा चुके होंगे।.....यह मौत का समुंदर है...........यहां से कोई बचकर नहीं जा सकता..... हमें जल्द से जल्द द्वीप पर पहुंच जाना चाहिए.......हम वहीं सुरक्षित हैं।“
ड्रेजलर की आवाज में मौत की सी ठंडक थी।

तभी उनके देखते ही देखते एक-एक करके तीन और बोट्स पानी में पलट गईं। ऐसा लग रहा था जैसे सागर की लहरें उन्हें द्वीप पर जाने नहीं देना चाहती।

द्वीप धीरे-धीरे पास आता जा रहा था। पीछे आ रहीं अब सारी बोट पलट चुकीं थीं और बोट में मौजूद सारे यात्री उस खूनी समुद्र की भेंट चढ़ चुके थे।

थोड़ी ही देर में इनकी मोटर बोट द्वीप की रेतीली सतह से टकरा कर रुक गई। जमीन की सतह का स्पर्श एक तरह से सभी को रोमांचित कर रहा था।

उन्हें विश्वास नहीं आ रहा था कि वह सभी इतने भयानक मौत के तांडव के बाद बच निकलने में सफल हो गए हैं। तौफीक ने बेहोश शैफाली को अपनी गोद में उठा लिया और बाकी सभी लोगों की तरफ से उतरकर किनारे की तरफ चल दिया।

जेनिथ बिल्कुल उसके साथ-साथ चल रही थी। क्रिस्टी ने भी ऐलेक्स का हाथ थाम रखा था। जैक और जॉनी के चेहरे पर भी जिंदगी की खुशी स्पष्ट देखी जा सकती थी।

अलबर्ट और सुयश की निगाह द्वीप के अंदर के हिस्से की तरफ थी। असलम अपने काले लेदर बैग को संभाले हुए था, लेकिन उसके पैरों में थकान झलक रही थी। उसके चेहरे पर अफसोस के भाव थे।


ब्रूनो भी इधर-उधर देखता हुआ तौफीक के पीछे-पीछे चल रहा था। ड्रेजलर और ब्रैंडन बोट को रेतीली सतह पर खींचकर काफी आगे तक ले आए। उन्होंने मोटरबोट में रखी रस्सी से बोट को एक पत्थर से बांध दिया जिससे लहरें उसे खींच कर वापस ना ले जा सकें।

सुयश ने आगे बढ़ते हुए पुनः एक बार पलटकर पीछे उस विशाल समुद्र को देखा, पर उसे दूर-दूर तक अठखेलियां करती हुई सागर की लहरों के सिवा कुछ नहीं दिखाई दिया। यहां तक कि ‘सुप्रीम’ का मलबा और उलट गयी सातो लाइफ बोट के अवशेष भी अब नजर नहीं आ रहे थे।

अनायास ही सुयश की आंखों से दो बूंद आंसू निकल आए। शायद यह “सुप्रीम” के लिए अंतिम श्रद्धांजलि स्वरुप थे।



जारी
रहेगा_________✍️

Bahut hi umda update he Raj_sharma Bhai,

Supreme ke sath sath na jaane kitni ummeede aur jindgiya leel gaya ye khuni triangle.........

Shaifali aur Bruno ko milakar kuch chuninda log hi survive kar paye...........

Aslam ke haath me jo bag he, uska bhi koi khas hi maqsad he.............

Suyash ki galtiyo se bhare decision ki vajah se hi supreme ka ye haal hua..............

Agle update ki pratiksha rahegi Bhai
 

Raj_sharma

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Badhiya update bhai

Chalo shefali or bruno to bach gaye warna to shefali ke bina to ye safar adhura hi tha or baki sab bhi jo bache the unko bhi samunder apne andar nigal gaya ab mujhe lagta ha suyesh or ye sab isliye bache han kyonki inki boat per shefali thi warna to inki boat bhi samunder me sama chuki hoti kher ab dekhte han ki is island per or kya kya dekhne ko milta ha
Sab ke sab to marne bhi nahi the, suyash aur shefali dono ko to bachna hi tha bhai :declare: Kyu or kisliye? Iska jabaab baad me milega:approve: THANKS for your wonderful review bhai :hug:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thank you very much bhaiya, sath bane rahiye, agla update bhi aa hi jayega :thanx:
 

Raj_sharma

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Bahut hi umda update he Raj_sharma Bhai,

Supreme ke sath sath na jaane kitni ummeede aur jindgiya leel gaya ye khuni triangle.........

Shaifali aur Bruno ko milakar kuch chuninda log hi survive kar paye...........

Aslam ke haath me jo bag he, uska bhi koi khas hi maqsad he.............

Suyash ki galtiyo se bhare decision ki vajah se hi supreme ka ye haal hua..............

Agle update ki pratiksha rahegi Bhai
Ye triangle 🔺️ hi sabka jimmedar hai dost, ya se bach kar nikalna lagbhag asambhav hai, uper se ye taapu, wo triangle ka bhi baap hai, ya fir ye kaho ki triangle ka asli khatra ye bhi ho sakta hai :declare: Khair, sath bane rahiye, Thanks for your wonderful review bhai :thanx:
 

kamdev99008

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Raj_sharma भाई जी -- आपकी भाभी (मेरी पत्नी अंजलि) की तरफ़ से चिट्ठी --

“राज भैया, मैं अधिकतर printed books पढ़ती हूँ। screen पर पढ़ना बहुत अटपटा लगता है क्योंकि दिन भर काम के कारण screen देखनी ही पड़ती है। इसी चक्कर में मेरा kindle भी बेकार पड़ा हुआ है। कोई तीन साल पहले तक इस website पर मेरा आना अधिक होता था, लेकिन फिर बहुत कम होता गया। अमर की कहानियाँ मुझे सबसे अच्छी लगती हैं। उनकी contest वाली हर कहानी मुझे बेहद पसंद है (मैंने ही शुरू किया था contest के लिए लिखना; पिछली वेबसाइट पर “आज रहब...” मैंने ही लिखी थी)।
वो किसी किसी कहानी को पढ़ कर सुनाते हैं, तो लगता है कि उसको पढ़ना चाहिए। काला नाग भैया की विश्वरूप और आपकी सुप्रीम वैसी ही कहानियाँ हैं। आपने review करने के लिए कहा, तो लिख रही हूँ। बहुत अच्छी कहानी है - thriller novel है ये। कुछ कहानियों को पढ़ कर लगता है कि उनको books print करवाना चाहिए। लेकिन वो सब आसान नहीं होता न। हिंदी शायद कम लोग ही पढ़ते हैं।
49 - 50 में आपने जो दृश्य दिखाए हैं, वो पढ़ कर “बर्निंग ट्रेन” फ़िल्म का सीन याद आ गया। वैसा ही मार्मिक। मुश्किल काम है कि शब्दों को पढ़ने से भावनाएँ महसूस होने लगें। कुछ पात्रों को पढ़ कर खीझ भी होती है। सुयश सही कप्तान नहीं है। workplace में ऐसे बहुत से inept managers बहुत बार देखे हैं। अपनी position के कारण वो सभी पर धौंस जमाते रहते हैं, लेकिन होते किसी काम के नहीं।
51 - 52 में सुप्रीम डूब गया है। लेकिन कहानी का नाम अभी भी “सुप्रीम” ही है। तो ऐसा लगता है कि कहानी के अंत में ये जहाज़ वापस restore हो जाएगा। सुखान्त की भी आशा है। लेकिन अंत तो शायद अभी बहुत दूर है।
आप लिखें - serious हो कर लिखें। यहीं नहीं, बाहर भी! print करवाने की कोशिश भी करें। हमेशा तो नहीं, लेकिन कभी कभी मैं भी review लिख दूँगी। thank you.”
बहुत साल बाद अंजलि जी के शब्द पढ़े, मन प्रफुल्लित हो गया
इनकी लघुकथाओं का प्रशंसक रहा हूं मैं, हॉं आपकी कायाकल्प बहुत लम्बी कहानी थी जो समय के अभाव में बीच में ही छूट गयी
फिर xossip ही बंद हो गया

avsji भाई बुरा मत मानना आपसे ज्यादा मुझे अंजलि जी की लेखनशैली और कथानक पसंद रहे हैं
लेखिकाऔ में अंजलि जी और इशिका जी मुझे सर्वश्रेष्ठ लगीं।
इशिका जी तो xossip के बाद अंतर्ध्यान ही हो गई, अंजलि जी का आभास आपसे बना हुआ है लेकिन उनको आपकी पत्नी के रूप में नहीं, आपको उनके पति के रूप में ही जानता आया हूं शुरू से :lol:
 
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Raj_sharma

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Ha 4 updates ho gaya hai padhne ke liye ab aaj khud ki story likhte likhte time 11:34 pm ho gaya aaj ke baad padhta hoon story.
Koi baat nahi mitra, take your time and read it :good:
 
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