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Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Lagta hai aap apun apun likhna bahut hi jayada enjoy kar rahe ho man!!!
Bole to mast maza aa rela hai apan ko :lol1:


Waise andar ki baat ye bhi hai ki apan ye check kar rela hai ki apan ke andar kis kis type ki creativity ho sakti hai, and ise dekh kar apan ekdam :flat: hi ho gaya hai betichod :D

SANJU ( V. R. ) kamdev99008 aalu 404 Death Kiñg bhai jaise apan ke dost bhai shuru se dekhte aa rele hain ki apan starting me kaisa tha aur ab kaisa hai. I know wakt ke sath sath har cheez badalti hai but....aise??? Apan kabhi kabhi sochta hai ki ye apan hi hai ya apan ke andar bina apan se puchhe koi aur hi ghus gayla hai betichod :D
 

dhalchandarun

Everything in the world will come to end one day.
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Bole to mast maza aa rela hai apan ko :lol1:


Waise andar ki baat ye bhi hai ki apan ye check kar rela hai ki apan ke andar kis kis type ki creativity ho sakti hai, and ise dekh kar apan ekdam :flat: hi ho gaya hai betichod :D

SANJU ( V. R. ) kamdev99008 aalu 404 Death Kiñg bhai jaise apan ke dost bhai shuru se dekhte aa rele hain ki apan starting me kaisa tha aur ab kaisa hai. I know wakt ke sath sath har cheez badalti hai but....aise??? Apan kabhi kabhi sochta hai ki ye apan hi hai ya apan ke andar bina apan se puchhe koi aur hi ghus gayla hai betichod :D
Koi baat nahi aap likhte jao, aap jaise likhoge log padhte jayenge, jaise hi 20 updates ho jayega main padhna start kar dunga kya pata kahin aapka mood na badal jaye!!

Par ha is baar hum sabka dil mat tod dena ... Koi baat nahi aapne samay ke sath khud ko badal liya yahi ek achhe man ki pahchan hoti hai.
 

parkas

Well-Known Member
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Update ~ 09



दो नंगे जिस्म सुलग रेले थे और अब जैसे उन्हें ठंडा होने की ख्वाहिश थी मगर पता नहीं कब उस वक्त को आना था जब दो सुलगते जिस्म शांत भी पड़ जाते और रूह को सुकून भी मिल जाता।


अब आगे....


अपुन एक बार फिर उसके होठों को छोड़ कर उसके गले और सीने को चूमते हुए उसके गोरे चिकने पेट पर आ गया। साधना बुरी तरह मचल रेली थी और सिसकियां ले रेली थी। अपुन ने उसके पेट और नाभी को चीभ से चाटा और कुरेदा, उसके बाद नीचे सरक कर फिर से उसकी जांघों के बीच आ गया।

साधना की पेंटी क्योंकि अपुन पहले ही निकाल चुका था इस लिए जैसे ही अपुन उसकी जांघों के बीच आया तो अपुन की नज़र उसकी चूत पर उगे हल्के रेशमी बालों पर मौजूद उसके कामरस पर पड़ी। असल में उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही पानी छोड़ रेली थी जिसकी वजह से उसका कामरस उसकी रेशमी झांटों में लग गयला था जोकि घांस में गिरी शबनम जैसे लग रेला था।

अपुन की नाक में तेज मादक गंध घुसी तो अपुन मदहोश सा हो गया और झट से उसकी कामरस छोड़ती चूत को चाटना शुरू कर दिया।

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साधना अपुन की इस क्रिया से बुरी तरह मचलते हुए सिर पटकने लगी। दोनों हाथों से अपुन का सिर थाम कर वो सिसकियां लेते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। ये...ये क्या कर रहे हो?

अपुन ने उसकी बात सुन कर सिर उठाया और फिर जैसे मदहोशी में बोला।

अपुन ─ तुम्हारी चूत से निकल रहा अमृत पी रेला हूं डियर। सच में बहुत मस्त टेस्ट है इसका।

साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ये क्या कह रहे हो?

अपुन ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और झुक कर फिर से उसकी चूत चाटने लगा। साधना का बुरा हाल था। वो बार बार अपनी जांघों को सिकोड़ लेती या फिर अपनी गांड़ को उठा लेती। अपुन समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है।

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साधना ─ बाबू शश्श्श्श मु...मुझे कुछ हो रहा है। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ माय गॉड कितना मजा आ रहा है।

साधना जैसे चरम के करीब थी। इधर अपुन का भी बुरा हाल था। अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ा हुआ था। अपुन ने सिर उठा कर साधना की तरफ देखा। वो आँखें बंद किए सिर को इधर उधर झटक रेली थी। वो बेहद मजे में थी। उसकी ये हालत देख अपुन ने एकदम से एक बड़ा फैसला ले लिया लौड़ा।

अपुन एक झटके से उठा और घुटनों पर बैठ गया। साधना को जब महसूस हुआ कि अपुन ने उसकी चूत चाटना बंद कर दिया है तो उसने धीरे से आंखें खोल कर अपुन की तरफ देखा।

साधना ─ रुक क्यों बाबू? शश्श्श्श कितना मजा आ रहा था मुझे। प्लीज करो न।

अपुन ─ तुमको इससे भी ज़्यादा मजा देने का सोच रेला है अपुन। क्या तुम तैयार हो?

साधना ─ मैं तो तुम्हारे लिए हर वक्त तैयार हूं बाबू। प्लीज जो भी करना है जल्दी करो न।

उसकी बात सुनते ही अपुन ने फौरन अपने लन्ड को एक हाथ से पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

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अपुन के ऐसा करते ही उसकी चूत पर लगा कामरस अपुन के सुपाड़े पर लगने लगा और साथ ही अपुन को ज़ोरदार झुरझुरी हुई। उधर साधना को भी थोड़ा झटका लगा था। पर उसने कुछ कहा नहीं। वो समझ गई थी कि अब अपुन क्या करने वाला है।

साधना ─ प्लीज आराम से अंदर डालना बाबू। तुम्हारा वो बहुत बड़ा है।

अपुन उसकी चूत पर लन्ड रगड़ता रहा और फिर बोला।

अपुन ─ अपुन का क्या बड़ा है साधना?

साधना ─ तुम्हारा ल...लंड बाबू।

हवस का नशा उसके सिर पर तारी था, शायद इसी लिए इस बार उसने स्पष्ट रूप से अपुन के लन्ड का नाम लिया था। उसके मुख से लन्ड शब्द सुनते ही अपुन के अंदर अजीब सा जोश आ गया। उधर लन्ड रगड़ते रगड़ते अपुन का और भी जोश से बुरा हाल हुआ जा रेला था। अपुन ने गीले हो चुके लन्ड को उसकी चूत के मुहाने पर अंदाजे से सेट किया और फिर अपनी कमर को आगे की तरफ पुश कर दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू।

शायद अपुन ने थोड़ा तेजी से पुश किया था जिससे अपुन का लन्ड उसकी चूत के मुहाने को तो फैलाया लेकिन क्योंकि चूत जरूरत से ज्यादा गीली थी इस लिए फिसल गया लौड़ा।

अपुन ने एक बार फिर से अपुन के लन्ड को मुहाने पर सेट किया और इस बार थोड़ा सम्हल कर जोर लगाया तो लन्ड का टोपा थोड़े प्रयास में साधना की चूत में घुस गया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। दर्द हो रहा है शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ दर्द तो होगा ही साधना क्योंकि अपन दोनों का ही ये फर्स्ट टाइम है। तुम प्लीज इस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करो।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् म...मैं कोशिश कर शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् रही हूं।

अपुन के लन्ड का टोपा उसकी चूत में जैसे फंस सा गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और थोड़ा अपुन के अंदर घबराहट भी होने लग गईली थी क्योंकि अपुन को बार बार लग रेला था कि कहीं कुछ बुरा न हो जाए जिससे अपुन को लेने के देने पड़ जाएं बेटीचोद।

अपुन को सेक्स का कोई तजुर्बा नहीं था। अपुन ने इसके पहले कभी किसी के साथ किया ही नहीं था लौड़ा। ब्ल्यू फिल्मों में ही बस थोड़ा बहुत देखा था कि ये सब कैसे करते हैं। पर देखने में और करने में लौड़ा बहुत फर्क होता है, ये अब समझ आ रेला था अपुन को। खैर अपुन ने सोचा अब जब यहां तक पहुंच ही गयला है तो आगे का भी काम कर के ही रुकेगा अपुन।

पता नहीं बेटीचोद एकाएक अपुन के अंदर कौन सा भूत सवार हो गयला था या शायद कुछ ज़्यादा ही जोश आ गयला था जिसके चलते अपुन ने आव देखा न ताव एक जोरदार धक्का पेल दिया लौड़ा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मर...ग..ई... आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श। बाबू नि...कालो इस...को शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत दर्द हो रहा है।

साधना की दर्द भारी चीख सुन अपुन एकदम से घबरा गया लौड़ा। अपुन ने देखा वो बुरी तरह सिर को इधर उधर पटक रेली थी। उसकी आंखों से आसूं बह रेले थे। चेहरे पर बेपनाह दर्द दिख रेला था।

अपुन ─ तुम ठीक तो हो न साधना?

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत दर्द हो रहा है विराट। प्लीज उसे बाहर शश्श्श्श निकाल लो।

अपुन ─ फर्स्ट टाइम में तो दर्द होता ही है यार। प्लीज थोड़ा बर्दाश्त कर लो न।

साधना अपुन को कातर भाव से देखने लगी। अपुन को भी पता था कि अपुन का हलब्बी लन्ड अंदर लेना आसान नहीं हो सकता था लेकिन अब जब लिया था तो उसे बर्दाश्त करना ही था।

अपुन ने एक बार अपने लंड की तरफ देखा तो एकदम से चौंक गया। लौड़ा लन्ड तो अभी आधा ही घुसा था लेकिन उस पर लाल रंग का खून लगेला था। अपुन को समझते देर न लगी कि ये साधना की चूत से ही निकला है। मतलब कि अपुन ने उसकी सील तोड़ दी थी। ये देख एक तरफ तो अपुन घबराया लेकिन दूसरी तरफ ये सोच के खुश भी हुआ कि अपुन ने किला फतह कर लिया है लौड़ा। और इस खुशी ने जाने कैसा जोश चढ़ाया कि अपुन ने थोड़ा सा लन्ड बाहर निकाला और फिर से एक जोर का धक्का मार दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श म...त करो। मर जा...ऊंगी। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् प्लीज बाहर निकाल लो।

जोश में अपुन को ध्यान ही नहीं रह गयला लौड़ा। साधना की चीख ने ही अपुन को होश में लाया। अपुन ने देखा साधना बुरी तरह छटपटा रेली थी। उसके आंसू कुछ ज़्यादा ही बह रेले थे। चेहरे पर भयंकर पीड़ा दिख रेली थी। अपुन एक बार फिर उसकी हालत देख घबरा गया।

उसकी चूत में लन्ड डाले डाले ही अपुन आगे को जा कर झुका और फिर उसके कांपते होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।

अपुन ─ बस मेरी जान। प्लीज शांत हो जाओ। जो दर्द होना था हो गया। अब से कोई दर्द नहीं होगा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू, मेरी जान निकली जा रही है। शश्श्श्श ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत मोटा गर्म सरिया मेरी वजीना में शश्श्श्श समाया हुआ है।

अपुन ─ तुमने अपुन के लिए इतना कुछ सह लिया इसके लिए थैंक्यू मेरी जान। तुम सच में बहुत अच्छी हो।

इस वक्त अपुन को सच में उस पर बहुत प्यार आ रेला था और शायद इसी लिए ये सब बोले जा रेला था। एक तरफ उसके होठों को, उसके चेहरे को और उसके गले को चूमता चाटता तो दूसरी तरफ उसके गोरे मुलायम दूध के गुब्बारों को हल्के से मसलता।

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इसका नतीजा ये हुआ कि साधना के चेहरे पर दिखने वाली असहनीय पीड़ा में काफी कमी नजर आई। अपुन को भी थोड़ा राहत महसूस हुई। अपुन कुछ देर तक यही करता रहा।

अपुन का लन्ड अभी भी उसकी बुर में वैसे ही समाया हुआ था और अपुन को ऐसा लग रेला था जैसे किसी ने अपुन के लन्ड को चारो तरफ से बुरी तरह जकड़ा हुआ हो। अपुन को बड़ा ही अजीब फील हो रेला था। थोड़ी देर बाद अपुन ने उससे पूछा।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ हां पर उतना नहीं।

कुछ देर बाद जब अपुन ने देखा कि साधना वापस अपने पहले वाले रूप में आ गईली है तो अपुन ने धक्का लगाने का सोचा। जैसे ही अपुन ने कमर को पीछे की तरफ कर के लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला तो साधना के मुंह से दर्द भरी आह निकली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। मत करो न प्लीज। दर्द हो रहा है।

अपुन ─ अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अपुन धीरे धीरे अंदर बाहर करेगा। धीरे धीरे दर्द दूर हो जाएगा, ट्रस्ट मी।

साधना ने इस बार कुछ नहीं कहा, बस अपुन को मोहब्बत से देखती रही। जाने क्यों अपुन उसकी मोहब्बत भरी निगाह का सामना न कर सका लौड़ा। इस लिए झुक कर उसके होठों को चूमने चूसने लगा और उधर धीरे धीरे लन्ड को अंदर बाहर करने लगा।

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साधना को दर्द तो हो रेला था लेकिन पहले जैसा नहीं। इस लिए अब अपुन बेफिक्र हो गयला था। अपुन उसको चूमते हुए कुछ देर तक ऐसे ही धीरे धीरे लगा रहा। जब अपुन को महसूस हुआ कि साधना अब दर्द वाली नहीं बल्कि मजे वाली सिसकी ले रेली है तो अपुन ने धक्का लगाने पर थोड़ा जोर लगाया।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू थोड़ा धीरे।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ नहीं, पर जब तुम तेज करते हो तो दर्द होता है।

अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रहा?

साधना ─ थोड़ा थोड़ा आ रहा है बाबू।

अपुन ─ आगे और भी ज़्यादा आएगा।

साधना हल्के से मुस्कुराई। फिर अपुन का चेहरा पकड़ अपुन को नीचे झुकाया और अपुन के होठों को चूमने लगी। अपुन भी बराबर साथ दे रेला था। इधर अपुन के धक्के अब थोड़ा जोर पकड़ रेले थे। साधना की चूत जो पहले अपुन के लन्ड को बुरी तरह कसे हुए थी उसमें अब नरमी आ गईली थी। अपुन को ऐसा फील हो रेला था जैसे अपुन का लन्ड किसी गर्म भट्टी में है और उसकी तपिश में मोम के माफिक पिघल जाएगा।

कुछ ही देर में अपुन के धक्के थोड़ा असमान्य गति से चलने लगे। रूम के अंदर साधना की आहें और सिसकियां गूंज रेली थी। उसे अब मजा आ रेला था जिससे वो भी जोश में आ गईली थी।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत मजा आ रहा है बाबू। थोड़ा और जोर से करो न।

अपुन ─ क्या करूं डियर?

साधना ─ उफ्फ! धक्के मारो न बाबू।

अपुन ─ वो तो अपुन मार ही रेला है लेकिन ये बताओ कि अपन लोग कर क्या रेले हैं?

साधना अपुन की बात सुन कर एकदम से शर्मा गई लेकिन क्योंकि उस पर इस वक्त सेक्स की मदहोशी छाई थी इस लिए जल्दी ही सिसकी लेते हुए बोली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हम लोग से...क्स कर रहे हैं बा...बू।

अपुन ─ हिंदी में बोलो ना। हिंदी में बताओ कि क्या कर रेले हैं अपन लोग?

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् चु...चुदा..ई कर रहे हैं बाबू।

अपुन को उसके मुख से चुदाई शब्द सुन कर बड़ा ही मज़ा आया लौड़ा। ऐसा लगा अपुन की नशों में दौड़ता लहू अब बड़ी तेज़ी से अपुन के अंडकोशों की तरफ भागते हुए आ रेला है। उधर साधना भी मस्ती में डूबी थी। वो जितना आहें और सिसकियां ले रेली थी उतना ही अपुन का साथ देने के वास्ते खुद को अपुन के लन्ड की तरफ झोंक दे रेली थी।

अपुन के अंदर भयंकर जोश बढ़ गयला था। पूरे जिस्म में सनसनी दौड़ रेली थी लौड़ा। बोले तो ऐसा मजा आ रेला था जैसे अपुन जन्नत की सैर कर रेला है। आज से पहले ऐसा मजा और ऐसा गजब का एहसास अपुन ने कभी महसूस नहीं किया था।

अपुन ने साधना की दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और तेज तेज धक्के लगाने लगा।

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अपुन के हर धक्के में साधना ऊपर की तरफ उछल जाती जिससे उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारे भी उछल पड़ते। अपुन का मजा हर गुजरते पल के साथ ही बढ़ता ही जा रेला था बेटीचोद।

अपुन ─ ओह माय डियर, तुम्हारी चूत में लंड अंदर बाहर करने से मस्त मज़ा आ रेला है। क्या तुम्हें भी ऐसा ही मजा आ रेला है?

साधना मजे और मस्ती में डूबी जोर जोर से सिसकियां ले रेली थी। अपुन के पूछने पर उसने धीरे से आंखें खोली और बोली।

साधना ─ उफ्फ! मत पूछो बाबू आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श लगता है इस शश्श्श्श मजे से प...पागल हो जाऊंगी मैं शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ क्या अपन लोग अब से हर रोज ऐसा मजा कर सकते हैं?

साधना ─ हां बाबू शश्श्श्श अ..ब से हम रोज मजा करेंगे।

अपुन ─ लेकिन हर रोज तुम घर में अकेले कहां रहोगी यार? आज की तरह ऐसा मौका कैसे मिलेगा मेरी जान?

साधना ─ हां ये तो शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुमने सही कहा बाबू। फिर तुम ही बताओ हम कैसे मजा कर सकेंगे?

अपुन को तो खुद भी कुछ समझ नहीं आ रेला था लौड़ा तो उसे बताता कैसे? अचानक अपुन ने फील किया कि अपुन झड़ने के करीब आ गयला है। तभी साधना की आहें और सिसकियां और भी तेज हो गईं।

अपुन के देखते ही देखते उसकी कमर एकदम से ऊपर उठ गई और फिर वो झटके खाने लगी लौड़ी। उसके झटके की वजह से अपुन ने उसे और मजबूती से पकड़ा मगर तभी उसके गर्म पानी ने अपुन के लन्ड को ऐसा पिघलाया कि अपुन खुद को चाह कर भी रोक न सका बेटीचोद।

साधना के झटके रुके भी नहीं थे कि अपुन को भी झटके लगने लगे लौड़ा। बोले तो ऐसा लगा जैसे अपुन के अंदर से अपुन की जान ही निकली जा रेली हो बेटीचोद। अपुन का मजे की तरंग में इतना बुरा हाल हुआ कि अपुन को उसकी चूत से लन्ड निकालने का भी होश न रहा और अपुन उसकी चूत में ही झड़ता चला गया।

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झड़ते वक्त जो मजा फील किएला था उसे अपुन शब्दों में नहीं लिख सकता लौड़ा। बोले तो उसकी कोई डेफिनेशन ही नहीं कर सकता अपुन।

खैर जब अपुन के अंदर का लावा पूरी तरह साधना के अंदर निकल गया तो अपुन किसी बेजान पुतले की तरह उसके ऊपर ही ढेर हो गया लौड़ा। सिर्फ अपन दोनों की उखड़ी सांसें ही रूम में गूंजती रहीं।

अपुन आँखें बंद किए साधना के गोरे गोरे गोल गुब्बारों पर चेहरा रखे ढेर हुआ पड़ा था और अभी भी उस मजे के एहसास में खोया हुआ था कि तभी अपुन ने अपने सिर पर साधना के हाथ महसूस किए। वो बड़े प्यार से अपुन के सिर पर हाथ फेरने लग गईली थी।

अपुन कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा उसके बाद सिर को थोड़ा सा उठा कर उसको देखा। इतने करीब से पसीने में नहाया हुआ और थोड़ा सुर्ख पड़ा हुआ उसका चेहरा देखा तो अपुन को अलग ही फील आया लौड़ा। उधर जैसे ही उसने अपुन को खुद की तरफ देखते देखा तो जाने क्या सोच के शर्मा गई और आँखें बंड कर के अपना चेहरा फेर लिया।

अपुन ये देख मुस्कुरा उठा। इस वक्त अपुन को वो बड़ी खूबसूरत लग रेली थी, किसी खिल चुके गुलाब की मानिंद। अपुन को उस पर बड़ा प्यार आया तो अपुन थोड़ा ऊपर को हुआ और फिर उसका चेहरा थाम कर उसके होठों को चूम लिया।

अपुन ─ थैंक्यू साधना...मेरी जान, तुमने आज अपुन को इतनी बड़ी खुशी दी और अपुन को पहली बार चुदाई का एक्सपीरियंस करवाया। थैंक्यू सो मच डियर।

साधना अपुन की बात सुन और खास कर चुदाई सुन पहले तो लजा गई फिर सम्हल कर बोली।

साधना ─ धत्...बहुत गंदे हो तुम। और हां थैंक्यू मत कहो। मैंने भी तो पहली बार ही सेक्स के इस अद्भुत आनंद का एहसास किया है। तुम्हें पता है, मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ये तुम्हारे साथ किया। उसके साथ जिसे मैं प्यार करती हूं।

अपुन को समझ न आया कि क्या बोले। असल में अपुन उससे प्यार वाली बात सुन के थोड़ा असहज होने लग जाता था लौड़ा। अपुन को प्यार व्यार के चक्कर में पड़ने का बिलकुल भी शौक नहीं था और शायद यही वजह थी कि अपुन साधना के प्यार को एक्सेप्ट नहीं करना चाहता था। अपुन तो बस मजा करना चाहता था जोकि मिल भी गयला था।

खैर अपुन को जब कुछ जवाब न सूझा तो अपुन थोड़ा नीचे सरका और उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारों को थाम कर हौले हौले सहलाना शुरू कर दिया।

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उसके गुब्बारे सच में बहुत हसीन और आकर्षक थे। लौड़ा मन ही नहीं भरता था उनको मसल के। साधना ये देख हल्के से मुस्कुराई और फिर बोली।

साधना ─ क्या बात है बाबू, तुम सबसे ज्यादा इन्हें ही क्यों प्यार करते हो?

अपुन ─ क्योंकि ये तुमसे भी ज्यादा प्यारे हैं लगते हैं अपुन को। मन करता है इन्हें हाथों में ही लिए रहे अपुन और इन्हें चूसता रहे।

साधना थोड़ा शरमाई लेकिन फिर बोली।

साधना ─ अच्छा जी ऐसा क्या?

अपुन ─ हां।

साधना ─ और क्या क्या अच्छे लगते हैं मेरे?

अपुन ─ तुम्हारे रसीले होठ, तुम्हारे ये बूब्स, तुम्हारा गोरा चिकना पेट और उसके बीच आकर्षक नाभि।

साधना ये सुन शरमाई भी और खुशी से मुस्कुराई भी, फिर बोली।

साधना ─ और??

अपुन ─ और....हां और तुम्हारी चूत और उसका नमकीन पानी।

साधना ─ धत् बेशरम।

साधना बुरी तरह लजा गई थी। शर्म मिश्रित मुस्कान सजाए उसने हथेलियों में अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुम न...बहुत गंदे हो। कैसे बेशर्मों की तरह ऐसे गन्दे गन्दे शब्द बोलते हो।

अपुन ─ गंदे गंदे शब्द बोलने से ही तो सबसे ज्यादा मजा आता है और जोश चढ़ता है। बोलो क्या गलत बोल रेला है अपुन?

साधना ─ मुझे नहीं पता।

अपुन ─ तुम्हें सब पता है, बस बताना नहीं चाहती अपुन को।

साधना ─ हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं। मुझे बहुत शर्म आती है ऐसे गन्दे शब्द सुन कर।

अपुन ─ शुरू शुरू में अजीब लगता है लेकिन फिर ईजी हो जाता है बोलना। बाद में तो मजा आता है बोलने में। एक बार बोल के दिखाओ तो।

साधना ─ न जी न। मैं नहीं बोल सकती।

अपुन ─ देखो तुमने अपुन से प्रॉमिस किया था कि अपुन जो बोलेगा करोगी।

साधना ने अपुन को गहरी नजर से देखा। जैसे समझना चाहती हो कि अपुन कहीं नाराज़ तो नहीं हो गयला है?

साधना ─ नाराज़ मत हो बाबू।

अपुन ─ तो फिर बोलो जो कह रेला हूं।

साधना ─ ठीक है, बताओ क्या बोलना है मुझे?

अपुन ─ अभी अपुन तुमसे जो जो पूछेगा उसका तुम क्लियर हिंदी में सच सच जवाब दोगी।

साधना ─ ठीक है।

उसकी रजामंदी देख अपुन के अंदर बड़ा अजीब सा फील होने लगा था लौड़ा। बोले तो मस्त गुदगुदी होने लग गईली थी। एक बार फिर से अपुन के अंदर हवस वाला नशा छाने लगा था।

अपुन ─ ओके, तो बताओ अभी अपन दोनों ने क्या किया था?

साधना ये सुन के थोड़ा शरमाई। उसका चेहरा लाज से सुर्ख पड़ गया लेकिन अब वो मजबूर थी इस लिए उसने खुद को किसी तरह तैयार किया और फिर बोली

साधना ─ चु...चुदाई।

अपुन उसके मुख से चुदाई सुन कर मन ही मन खुश भी हुआ और अपनी सफलता पर हंसा भी।

अपुन ─ वेरी गुड। अब बताओ अपन लोग किस तरह चुदाई कर रेले थे? अपुन का मतलब है कि चुदाई कैसे हो रेली थी?

साधना ने कुछ पल सोचा फिर शर्माते हुए बोली।

साधना ─ वो...तुम्हारा लं...लंड मेरी चू...चूत में था और तुम अपने लं..लंड से मुझे चो...चोद रहे थे।

साधना का ये जवाब सुन अपुन का लन्ड पलक झपकते ही अकड़ गया लौड़ा। अपुन क्योंकि उसके ऊपर से नीचे आ कर उसके बगल से ही लेट गयला था इस लिए अपुन ने जोश में आ कर अपनी कमर को उसकी तरफ दबाया तो अपुन का अकड़ा हुआ लन्ड सीधा उसकी जांघों पर लगा। साधना के मुख से सिसकी निकल गई और वो अपुन की तरफ करवट ले ली।

साधना ─ तुम्हारा ये तो फिर से खड़ा हो गया बाबू।

अपुन ─ किसकी बात कर रेली हो? नाम ले कर बताओ न।

साधना फिर से थोड़ा शरमाई फिर सहसा अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपुन के लन्ड को पकड़ कर बोली।

साधना ─ तुम्हारे इस लं..लन्ड की बात कर रहीं हूं। उफ्फ कितना बड़ा है ये और कितना गर्म भी।

अपुन ─ तुम्हारी ही गर्मी से गर्म है ये और चाहता है कि तुम फिर से इसे प्यार करो।

साधना ─ अच्छा जी।

साधना ने अपुन के लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया था जिससे अपुन के अंदर मजे की तरंगें उठने लगीं थी। अपुन ने चेहरा आगे कर के उसके होठों को मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। साधना एक हाथ से अपुन का लन्ड पकड़े खुद भी अपुन के होठ चूमने चूसने लगी। मगर जल्द ही अपुन ने उसके होठ छोड़े।

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अपुन ─ अपुन का फिर से तुम्हें चोदने का मन कर रेला है।

साधना अपुन की बात सुन फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ मन तो मेरा भी कर रहा है बाबू लेकिन फिर से दर्द होगा तो कैसे सहन कर पाऊंगी?

अपुन ─ अरे! अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा। अब तो अपुन के लन्ड ने तुम्हारी चूत के अंदर अपने लिए जगह बना ली है। इस लिए अब वो आराम से अंदर बाहर होगा और तुम्हें मजा देगा।

साधना ─ ठीक है, जैसा तुम चाहो करो।

अपुन तो लौड़ा चाहता ही यही था। अपुन भूल ही नहीं सकता था कि साधना को चोदने में थोड़ी देर पहले कितना मजा आयला था अपुन को। अपुन ने झट से उसे सीधा किया और उसके ऊपर आ गया।

पहले तो अपुन ने उसके होठों को जी भर के चूमा चूसा और फिर नीचे सरक कर उसकी गोरी गोरी चूचियों को मसला चूसा। उसके बाद सीधा नीचे ही पहुंच गया लौड़ा।

साधना फिर से मस्ती में आ गईली थी। इधर अपुन नीचे आया तो देखा दोनों जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी चूत की हालत थोड़ी खराब थी। बेड शीट पर नीचे अपन दोनों का माल भी था और उसका खून भी जिसके लाल धब्बे सफेद बेड शीट पर साफ दिख रेले थे। ये देख अपुन को थोड़ी घबराहट हुई।

अपुन ने थोड़ा झुक उसकी चूत को देखा। अपन दोनों का माल अभी भी उसमें लगा हुआ था और वो थोड़ा सूझी हुई थी। अपुन ने धड़कते दिल से हाथ बढ़ा कर उसके गुलाबी होठों को छुआ तो एकदम से साधना को झटका लगा और उसके मुख से दर्द भरी सिसकी निकल गई। अपुन ने फौरन ही हाथ हटा लिया। फिर उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुमने वहां छुआ तो दर्द भरी टीस पूरे बदन में दौड़ गई मेरे।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? इतना तो अपुन देख ही चुका था कि उसकी चूत से खून निकला है और उसका हाल भी बुरा नजर आ रेला है। ऐसे में अगर छूने से ही उसे दर्द हो रेला है तो चुदाई होने पर तो लौड़ी का बुरा हाल ही हो जाएगा।

तभी साधना एकदम से उठ बैठी। जांघों पर जोर पड़ा तो उसके मुख से कराह निकल गई। उसकी दोनों टांगें अलग अलग फैली हुईं थी। अपुन थोड़ा पीछे हट कर बैठ गयला था। अपुन ने देखा उसके चेहरे पर दर्द के चिन्ह थे। उसने पहले अपुन की तरफ देखा और फिर वो अपनी चूत की तरफ देखने की कोशिश करने लगी। थोड़े ही प्रयास में उसकी नजर बेड शीट पर और अपनी चूत पर पड़ गई।

बेड शीट पर खून के धब्बे देख उसकी आँखें फैलीं और साथ ही जब उसने अपनी चूत की हालत देखी तो जैसे घबरा ही गई।

साधना ─ माय गॉड ये...ये कैसी हो गई है बाबू?

अपुन क्या बोले लौड़ा? अपुन को खुद समझ न आया कि क्या जवाब दे? हालांकि ये तो अपुन जानता था कि ऐसा कैसे हुआ था। अपुन को कुछ न बोलता देख साधना घबराई सी फिर से बोली।

साधना ─ ये तो सूझ गई है बाबू। तभी तो तुम्हारे छूने बस से ही मुझे दर्द हुआ था। अगर ये ऐसे ही सूझी रही तो क्या होगा? कल पापा आ जाएंगे और अगर उन्हें पता चल गया तो???

साधना एकाएक बुरी तरह घबरा उठी थी। उसका सारा सेक्स का नशा उड़न छू हो गयला था। अपुन भी ये सोच के घबरा गया कि अगर सच में उसके बाप को पता चल गया तो क्या होगा? बेटीचोद, कहीं उसके पूछने पर साधना ने सारा सच उगल दिया तो अपुन की तो बैंड ही बज जाएगी लौड़ा। अपुन के घर वाले तो अपुन की गांड़ ही फाड़ देंगे। अमित, हां अमित को जब पता चलेगा कि अपुन की वजह से ही उसकी बहन का ये हाल हुआ है तो लौड़ा वो तो अपुन का सिर ही फोड़ देगा।

बेटीचोद, अपुन जितना सोचता गया उतना ही अपुन की गांड़ फटती चली गई लौड़ा। सेक्स और हवस के जोश में अपुन का लौड़ा जो इसके पहले अपने फुल फॉर्म में आ गयला था वो इस सबके सोचते ही गायब हो गया और वो मुरझा गया।

मजा तो खूब मिला था अपुन को लेकिन अब इस मजे की सजा का खयाल आते ही अपुन के तोते उड़ गएले थे। एकदम से खयाल आया कि अपुन को ये सब नहीं करना चाहिए था बेटीचोद।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy.. :declare:
Bahut hi badhiya update diya hai The_InnoCent bhai....
Nice and beautiful update....
 

PS10

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Update ~ 09



दो नंगे जिस्म सुलग रेले थे और अब जैसे उन्हें ठंडा होने की ख्वाहिश थी मगर पता नहीं कब उस वक्त को आना था जब दो सुलगते जिस्म शांत भी पड़ जाते और रूह को सुकून भी मिल जाता।


अब आगे....


अपुन एक बार फिर उसके होठों को छोड़ कर उसके गले और सीने को चूमते हुए उसके गोरे चिकने पेट पर आ गया। साधना बुरी तरह मचल रेली थी और सिसकियां ले रेली थी। अपुन ने उसके पेट और नाभी को चीभ से चाटा और कुरेदा, उसके बाद नीचे सरक कर फिर से उसकी जांघों के बीच आ गया।

साधना की पेंटी क्योंकि अपुन पहले ही निकाल चुका था इस लिए जैसे ही अपुन उसकी जांघों के बीच आया तो अपुन की नज़र उसकी चूत पर उगे हल्के रेशमी बालों पर मौजूद उसके कामरस पर पड़ी। असल में उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही पानी छोड़ रेली थी जिसकी वजह से उसका कामरस उसकी रेशमी झांटों में लग गयला था जोकि घांस में गिरी शबनम जैसे लग रेला था।

अपुन की नाक में तेज मादक गंध घुसी तो अपुन मदहोश सा हो गया और झट से उसकी कामरस छोड़ती चूत को चाटना शुरू कर दिया।

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साधना अपुन की इस क्रिया से बुरी तरह मचलते हुए सिर पटकने लगी। दोनों हाथों से अपुन का सिर थाम कर वो सिसकियां लेते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। ये...ये क्या कर रहे हो?

अपुन ने उसकी बात सुन कर सिर उठाया और फिर जैसे मदहोशी में बोला।

अपुन ─ तुम्हारी चूत से निकल रहा अमृत पी रेला हूं डियर। सच में बहुत मस्त टेस्ट है इसका।

साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ये क्या कह रहे हो?

अपुन ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और झुक कर फिर से उसकी चूत चाटने लगा। साधना का बुरा हाल था। वो बार बार अपनी जांघों को सिकोड़ लेती या फिर अपनी गांड़ को उठा लेती। अपुन समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है।

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साधना ─ बाबू शश्श्श्श मु...मुझे कुछ हो रहा है। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ माय गॉड कितना मजा आ रहा है।

साधना जैसे चरम के करीब थी। इधर अपुन का भी बुरा हाल था। अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ा हुआ था। अपुन ने सिर उठा कर साधना की तरफ देखा। वो आँखें बंद किए सिर को इधर उधर झटक रेली थी। वो बेहद मजे में थी। उसकी ये हालत देख अपुन ने एकदम से एक बड़ा फैसला ले लिया लौड़ा।

अपुन एक झटके से उठा और घुटनों पर बैठ गया। साधना को जब महसूस हुआ कि अपुन ने उसकी चूत चाटना बंद कर दिया है तो उसने धीरे से आंखें खोल कर अपुन की तरफ देखा।

साधना ─ रुक क्यों बाबू? शश्श्श्श कितना मजा आ रहा था मुझे। प्लीज करो न।

अपुन ─ तुमको इससे भी ज़्यादा मजा देने का सोच रेला है अपुन। क्या तुम तैयार हो?

साधना ─ मैं तो तुम्हारे लिए हर वक्त तैयार हूं बाबू। प्लीज जो भी करना है जल्दी करो न।

उसकी बात सुनते ही अपुन ने फौरन अपने लन्ड को एक हाथ से पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

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अपुन के ऐसा करते ही उसकी चूत पर लगा कामरस अपुन के सुपाड़े पर लगने लगा और साथ ही अपुन को ज़ोरदार झुरझुरी हुई। उधर साधना को भी थोड़ा झटका लगा था। पर उसने कुछ कहा नहीं। वो समझ गई थी कि अब अपुन क्या करने वाला है।

साधना ─ प्लीज आराम से अंदर डालना बाबू। तुम्हारा वो बहुत बड़ा है।

अपुन उसकी चूत पर लन्ड रगड़ता रहा और फिर बोला।

अपुन ─ अपुन का क्या बड़ा है साधना?

साधना ─ तुम्हारा ल...लंड बाबू।

हवस का नशा उसके सिर पर तारी था, शायद इसी लिए इस बार उसने स्पष्ट रूप से अपुन के लन्ड का नाम लिया था। उसके मुख से लन्ड शब्द सुनते ही अपुन के अंदर अजीब सा जोश आ गया। उधर लन्ड रगड़ते रगड़ते अपुन का और भी जोश से बुरा हाल हुआ जा रेला था। अपुन ने गीले हो चुके लन्ड को उसकी चूत के मुहाने पर अंदाजे से सेट किया और फिर अपनी कमर को आगे की तरफ पुश कर दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू।

शायद अपुन ने थोड़ा तेजी से पुश किया था जिससे अपुन का लन्ड उसकी चूत के मुहाने को तो फैलाया लेकिन क्योंकि चूत जरूरत से ज्यादा गीली थी इस लिए फिसल गया लौड़ा।

अपुन ने एक बार फिर से अपुन के लन्ड को मुहाने पर सेट किया और इस बार थोड़ा सम्हल कर जोर लगाया तो लन्ड का टोपा थोड़े प्रयास में साधना की चूत में घुस गया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। दर्द हो रहा है शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ दर्द तो होगा ही साधना क्योंकि अपन दोनों का ही ये फर्स्ट टाइम है। तुम प्लीज इस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करो।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् म...मैं कोशिश कर शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् रही हूं।

अपुन के लन्ड का टोपा उसकी चूत में जैसे फंस सा गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और थोड़ा अपुन के अंदर घबराहट भी होने लग गईली थी क्योंकि अपुन को बार बार लग रेला था कि कहीं कुछ बुरा न हो जाए जिससे अपुन को लेने के देने पड़ जाएं बेटीचोद।

अपुन को सेक्स का कोई तजुर्बा नहीं था। अपुन ने इसके पहले कभी किसी के साथ किया ही नहीं था लौड़ा। ब्ल्यू फिल्मों में ही बस थोड़ा बहुत देखा था कि ये सब कैसे करते हैं। पर देखने में और करने में लौड़ा बहुत फर्क होता है, ये अब समझ आ रेला था अपुन को। खैर अपुन ने सोचा अब जब यहां तक पहुंच ही गयला है तो आगे का भी काम कर के ही रुकेगा अपुन।

पता नहीं बेटीचोद एकाएक अपुन के अंदर कौन सा भूत सवार हो गयला था या शायद कुछ ज़्यादा ही जोश आ गयला था जिसके चलते अपुन ने आव देखा न ताव एक जोरदार धक्का पेल दिया लौड़ा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मर...ग..ई... आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श। बाबू नि...कालो इस...को शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत दर्द हो रहा है।

साधना की दर्द भारी चीख सुन अपुन एकदम से घबरा गया लौड़ा। अपुन ने देखा वो बुरी तरह सिर को इधर उधर पटक रेली थी। उसकी आंखों से आसूं बह रेले थे। चेहरे पर बेपनाह दर्द दिख रेला था।

अपुन ─ तुम ठीक तो हो न साधना?

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत दर्द हो रहा है विराट। प्लीज उसे बाहर शश्श्श्श निकाल लो।

अपुन ─ फर्स्ट टाइम में तो दर्द होता ही है यार। प्लीज थोड़ा बर्दाश्त कर लो न।

साधना अपुन को कातर भाव से देखने लगी। अपुन को भी पता था कि अपुन का हलब्बी लन्ड अंदर लेना आसान नहीं हो सकता था लेकिन अब जब लिया था तो उसे बर्दाश्त करना ही था।

अपुन ने एक बार अपने लंड की तरफ देखा तो एकदम से चौंक गया। लौड़ा लन्ड तो अभी आधा ही घुसा था लेकिन उस पर लाल रंग का खून लगेला था। अपुन को समझते देर न लगी कि ये साधना की चूत से ही निकला है। मतलब कि अपुन ने उसकी सील तोड़ दी थी। ये देख एक तरफ तो अपुन घबराया लेकिन दूसरी तरफ ये सोच के खुश भी हुआ कि अपुन ने किला फतह कर लिया है लौड़ा। और इस खुशी ने जाने कैसा जोश चढ़ाया कि अपुन ने थोड़ा सा लन्ड बाहर निकाला और फिर से एक जोर का धक्का मार दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श म...त करो। मर जा...ऊंगी। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् प्लीज बाहर निकाल लो।

जोश में अपुन को ध्यान ही नहीं रह गयला लौड़ा। साधना की चीख ने ही अपुन को होश में लाया। अपुन ने देखा साधना बुरी तरह छटपटा रेली थी। उसके आंसू कुछ ज़्यादा ही बह रेले थे। चेहरे पर भयंकर पीड़ा दिख रेली थी। अपुन एक बार फिर उसकी हालत देख घबरा गया।

उसकी चूत में लन्ड डाले डाले ही अपुन आगे को जा कर झुका और फिर उसके कांपते होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।

अपुन ─ बस मेरी जान। प्लीज शांत हो जाओ। जो दर्द होना था हो गया। अब से कोई दर्द नहीं होगा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू, मेरी जान निकली जा रही है। शश्श्श्श ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत मोटा गर्म सरिया मेरी वजीना में शश्श्श्श समाया हुआ है।

अपुन ─ तुमने अपुन के लिए इतना कुछ सह लिया इसके लिए थैंक्यू मेरी जान। तुम सच में बहुत अच्छी हो।

इस वक्त अपुन को सच में उस पर बहुत प्यार आ रेला था और शायद इसी लिए ये सब बोले जा रेला था। एक तरफ उसके होठों को, उसके चेहरे को और उसके गले को चूमता चाटता तो दूसरी तरफ उसके गोरे मुलायम दूध के गुब्बारों को हल्के से मसलता।

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इसका नतीजा ये हुआ कि साधना के चेहरे पर दिखने वाली असहनीय पीड़ा में काफी कमी नजर आई। अपुन को भी थोड़ा राहत महसूस हुई। अपुन कुछ देर तक यही करता रहा।

अपुन का लन्ड अभी भी उसकी बुर में वैसे ही समाया हुआ था और अपुन को ऐसा लग रेला था जैसे किसी ने अपुन के लन्ड को चारो तरफ से बुरी तरह जकड़ा हुआ हो। अपुन को बड़ा ही अजीब फील हो रेला था। थोड़ी देर बाद अपुन ने उससे पूछा।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ हां पर उतना नहीं।

कुछ देर बाद जब अपुन ने देखा कि साधना वापस अपने पहले वाले रूप में आ गईली है तो अपुन ने धक्का लगाने का सोचा। जैसे ही अपुन ने कमर को पीछे की तरफ कर के लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला तो साधना के मुंह से दर्द भरी आह निकली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। मत करो न प्लीज। दर्द हो रहा है।

अपुन ─ अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अपुन धीरे धीरे अंदर बाहर करेगा। धीरे धीरे दर्द दूर हो जाएगा, ट्रस्ट मी।

साधना ने इस बार कुछ नहीं कहा, बस अपुन को मोहब्बत से देखती रही। जाने क्यों अपुन उसकी मोहब्बत भरी निगाह का सामना न कर सका लौड़ा। इस लिए झुक कर उसके होठों को चूमने चूसने लगा और उधर धीरे धीरे लन्ड को अंदर बाहर करने लगा।

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साधना को दर्द तो हो रेला था लेकिन पहले जैसा नहीं। इस लिए अब अपुन बेफिक्र हो गयला था। अपुन उसको चूमते हुए कुछ देर तक ऐसे ही धीरे धीरे लगा रहा। जब अपुन को महसूस हुआ कि साधना अब दर्द वाली नहीं बल्कि मजे वाली सिसकी ले रेली है तो अपुन ने धक्का लगाने पर थोड़ा जोर लगाया।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू थोड़ा धीरे।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ नहीं, पर जब तुम तेज करते हो तो दर्द होता है।

अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रहा?

साधना ─ थोड़ा थोड़ा आ रहा है बाबू।

अपुन ─ आगे और भी ज़्यादा आएगा।

साधना हल्के से मुस्कुराई। फिर अपुन का चेहरा पकड़ अपुन को नीचे झुकाया और अपुन के होठों को चूमने लगी। अपुन भी बराबर साथ दे रेला था। इधर अपुन के धक्के अब थोड़ा जोर पकड़ रेले थे। साधना की चूत जो पहले अपुन के लन्ड को बुरी तरह कसे हुए थी उसमें अब नरमी आ गईली थी। अपुन को ऐसा फील हो रेला था जैसे अपुन का लन्ड किसी गर्म भट्टी में है और उसकी तपिश में मोम के माफिक पिघल जाएगा।

कुछ ही देर में अपुन के धक्के थोड़ा असमान्य गति से चलने लगे। रूम के अंदर साधना की आहें और सिसकियां गूंज रेली थी। उसे अब मजा आ रेला था जिससे वो भी जोश में आ गईली थी।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत मजा आ रहा है बाबू। थोड़ा और जोर से करो न।

अपुन ─ क्या करूं डियर?

साधना ─ उफ्फ! धक्के मारो न बाबू।

अपुन ─ वो तो अपुन मार ही रेला है लेकिन ये बताओ कि अपन लोग कर क्या रेले हैं?

साधना अपुन की बात सुन कर एकदम से शर्मा गई लेकिन क्योंकि उस पर इस वक्त सेक्स की मदहोशी छाई थी इस लिए जल्दी ही सिसकी लेते हुए बोली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हम लोग से...क्स कर रहे हैं बा...बू।

अपुन ─ हिंदी में बोलो ना। हिंदी में बताओ कि क्या कर रेले हैं अपन लोग?

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् चु...चुदा..ई कर रहे हैं बाबू।

अपुन को उसके मुख से चुदाई शब्द सुन कर बड़ा ही मज़ा आया लौड़ा। ऐसा लगा अपुन की नशों में दौड़ता लहू अब बड़ी तेज़ी से अपुन के अंडकोशों की तरफ भागते हुए आ रेला है। उधर साधना भी मस्ती में डूबी थी। वो जितना आहें और सिसकियां ले रेली थी उतना ही अपुन का साथ देने के वास्ते खुद को अपुन के लन्ड की तरफ झोंक दे रेली थी।

अपुन के अंदर भयंकर जोश बढ़ गयला था। पूरे जिस्म में सनसनी दौड़ रेली थी लौड़ा। बोले तो ऐसा मजा आ रेला था जैसे अपुन जन्नत की सैर कर रेला है। आज से पहले ऐसा मजा और ऐसा गजब का एहसास अपुन ने कभी महसूस नहीं किया था।

अपुन ने साधना की दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और तेज तेज धक्के लगाने लगा।

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अपुन के हर धक्के में साधना ऊपर की तरफ उछल जाती जिससे उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारे भी उछल पड़ते। अपुन का मजा हर गुजरते पल के साथ ही बढ़ता ही जा रेला था बेटीचोद।

अपुन ─ ओह माय डियर, तुम्हारी चूत में लंड अंदर बाहर करने से मस्त मज़ा आ रेला है। क्या तुम्हें भी ऐसा ही मजा आ रेला है?

साधना मजे और मस्ती में डूबी जोर जोर से सिसकियां ले रेली थी। अपुन के पूछने पर उसने धीरे से आंखें खोली और बोली।

साधना ─ उफ्फ! मत पूछो बाबू आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श लगता है इस शश्श्श्श मजे से प...पागल हो जाऊंगी मैं शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ क्या अपन लोग अब से हर रोज ऐसा मजा कर सकते हैं?

साधना ─ हां बाबू शश्श्श्श अ..ब से हम रोज मजा करेंगे।

अपुन ─ लेकिन हर रोज तुम घर में अकेले कहां रहोगी यार? आज की तरह ऐसा मौका कैसे मिलेगा मेरी जान?

साधना ─ हां ये तो शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुमने सही कहा बाबू। फिर तुम ही बताओ हम कैसे मजा कर सकेंगे?

अपुन को तो खुद भी कुछ समझ नहीं आ रेला था लौड़ा तो उसे बताता कैसे? अचानक अपुन ने फील किया कि अपुन झड़ने के करीब आ गयला है। तभी साधना की आहें और सिसकियां और भी तेज हो गईं।

अपुन के देखते ही देखते उसकी कमर एकदम से ऊपर उठ गई और फिर वो झटके खाने लगी लौड़ी। उसके झटके की वजह से अपुन ने उसे और मजबूती से पकड़ा मगर तभी उसके गर्म पानी ने अपुन के लन्ड को ऐसा पिघलाया कि अपुन खुद को चाह कर भी रोक न सका बेटीचोद।

साधना के झटके रुके भी नहीं थे कि अपुन को भी झटके लगने लगे लौड़ा। बोले तो ऐसा लगा जैसे अपुन के अंदर से अपुन की जान ही निकली जा रेली हो बेटीचोद। अपुन का मजे की तरंग में इतना बुरा हाल हुआ कि अपुन को उसकी चूत से लन्ड निकालने का भी होश न रहा और अपुन उसकी चूत में ही झड़ता चला गया।

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झड़ते वक्त जो मजा फील किएला था उसे अपुन शब्दों में नहीं लिख सकता लौड़ा। बोले तो उसकी कोई डेफिनेशन ही नहीं कर सकता अपुन।

खैर जब अपुन के अंदर का लावा पूरी तरह साधना के अंदर निकल गया तो अपुन किसी बेजान पुतले की तरह उसके ऊपर ही ढेर हो गया लौड़ा। सिर्फ अपन दोनों की उखड़ी सांसें ही रूम में गूंजती रहीं।

अपुन आँखें बंद किए साधना के गोरे गोरे गोल गुब्बारों पर चेहरा रखे ढेर हुआ पड़ा था और अभी भी उस मजे के एहसास में खोया हुआ था कि तभी अपुन ने अपने सिर पर साधना के हाथ महसूस किए। वो बड़े प्यार से अपुन के सिर पर हाथ फेरने लग गईली थी।

अपुन कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा उसके बाद सिर को थोड़ा सा उठा कर उसको देखा। इतने करीब से पसीने में नहाया हुआ और थोड़ा सुर्ख पड़ा हुआ उसका चेहरा देखा तो अपुन को अलग ही फील आया लौड़ा। उधर जैसे ही उसने अपुन को खुद की तरफ देखते देखा तो जाने क्या सोच के शर्मा गई और आँखें बंड कर के अपना चेहरा फेर लिया।

अपुन ये देख मुस्कुरा उठा। इस वक्त अपुन को वो बड़ी खूबसूरत लग रेली थी, किसी खिल चुके गुलाब की मानिंद। अपुन को उस पर बड़ा प्यार आया तो अपुन थोड़ा ऊपर को हुआ और फिर उसका चेहरा थाम कर उसके होठों को चूम लिया।

अपुन ─ थैंक्यू साधना...मेरी जान, तुमने आज अपुन को इतनी बड़ी खुशी दी और अपुन को पहली बार चुदाई का एक्सपीरियंस करवाया। थैंक्यू सो मच डियर।

साधना अपुन की बात सुन और खास कर चुदाई सुन पहले तो लजा गई फिर सम्हल कर बोली।

साधना ─ धत्...बहुत गंदे हो तुम। और हां थैंक्यू मत कहो। मैंने भी तो पहली बार ही सेक्स के इस अद्भुत आनंद का एहसास किया है। तुम्हें पता है, मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ये तुम्हारे साथ किया। उसके साथ जिसे मैं प्यार करती हूं।

अपुन को समझ न आया कि क्या बोले। असल में अपुन उससे प्यार वाली बात सुन के थोड़ा असहज होने लग जाता था लौड़ा। अपुन को प्यार व्यार के चक्कर में पड़ने का बिलकुल भी शौक नहीं था और शायद यही वजह थी कि अपुन साधना के प्यार को एक्सेप्ट नहीं करना चाहता था। अपुन तो बस मजा करना चाहता था जोकि मिल भी गयला था।

खैर अपुन को जब कुछ जवाब न सूझा तो अपुन थोड़ा नीचे सरका और उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारों को थाम कर हौले हौले सहलाना शुरू कर दिया।

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उसके गुब्बारे सच में बहुत हसीन और आकर्षक थे। लौड़ा मन ही नहीं भरता था उनको मसल के। साधना ये देख हल्के से मुस्कुराई और फिर बोली।

साधना ─ क्या बात है बाबू, तुम सबसे ज्यादा इन्हें ही क्यों प्यार करते हो?

अपुन ─ क्योंकि ये तुमसे भी ज्यादा प्यारे हैं लगते हैं अपुन को। मन करता है इन्हें हाथों में ही लिए रहे अपुन और इन्हें चूसता रहे।

साधना थोड़ा शरमाई लेकिन फिर बोली।

साधना ─ अच्छा जी ऐसा क्या?

अपुन ─ हां।

साधना ─ और क्या क्या अच्छे लगते हैं मेरे?

अपुन ─ तुम्हारे रसीले होठ, तुम्हारे ये बूब्स, तुम्हारा गोरा चिकना पेट और उसके बीच आकर्षक नाभि।

साधना ये सुन शरमाई भी और खुशी से मुस्कुराई भी, फिर बोली।

साधना ─ और??

अपुन ─ और....हां और तुम्हारी चूत और उसका नमकीन पानी।

साधना ─ धत् बेशरम।

साधना बुरी तरह लजा गई थी। शर्म मिश्रित मुस्कान सजाए उसने हथेलियों में अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुम न...बहुत गंदे हो। कैसे बेशर्मों की तरह ऐसे गन्दे गन्दे शब्द बोलते हो।

अपुन ─ गंदे गंदे शब्द बोलने से ही तो सबसे ज्यादा मजा आता है और जोश चढ़ता है। बोलो क्या गलत बोल रेला है अपुन?

साधना ─ मुझे नहीं पता।

अपुन ─ तुम्हें सब पता है, बस बताना नहीं चाहती अपुन को।

साधना ─ हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं। मुझे बहुत शर्म आती है ऐसे गन्दे शब्द सुन कर।

अपुन ─ शुरू शुरू में अजीब लगता है लेकिन फिर ईजी हो जाता है बोलना। बाद में तो मजा आता है बोलने में। एक बार बोल के दिखाओ तो।

साधना ─ न जी न। मैं नहीं बोल सकती।

अपुन ─ देखो तुमने अपुन से प्रॉमिस किया था कि अपुन जो बोलेगा करोगी।

साधना ने अपुन को गहरी नजर से देखा। जैसे समझना चाहती हो कि अपुन कहीं नाराज़ तो नहीं हो गयला है?

साधना ─ नाराज़ मत हो बाबू।

अपुन ─ तो फिर बोलो जो कह रेला हूं।

साधना ─ ठीक है, बताओ क्या बोलना है मुझे?

अपुन ─ अभी अपुन तुमसे जो जो पूछेगा उसका तुम क्लियर हिंदी में सच सच जवाब दोगी।

साधना ─ ठीक है।

उसकी रजामंदी देख अपुन के अंदर बड़ा अजीब सा फील होने लगा था लौड़ा। बोले तो मस्त गुदगुदी होने लग गईली थी। एक बार फिर से अपुन के अंदर हवस वाला नशा छाने लगा था।

अपुन ─ ओके, तो बताओ अभी अपन दोनों ने क्या किया था?

साधना ये सुन के थोड़ा शरमाई। उसका चेहरा लाज से सुर्ख पड़ गया लेकिन अब वो मजबूर थी इस लिए उसने खुद को किसी तरह तैयार किया और फिर बोली

साधना ─ चु...चुदाई।

अपुन उसके मुख से चुदाई सुन कर मन ही मन खुश भी हुआ और अपनी सफलता पर हंसा भी।

अपुन ─ वेरी गुड। अब बताओ अपन लोग किस तरह चुदाई कर रेले थे? अपुन का मतलब है कि चुदाई कैसे हो रेली थी?

साधना ने कुछ पल सोचा फिर शर्माते हुए बोली।

साधना ─ वो...तुम्हारा लं...लंड मेरी चू...चूत में था और तुम अपने लं..लंड से मुझे चो...चोद रहे थे।

साधना का ये जवाब सुन अपुन का लन्ड पलक झपकते ही अकड़ गया लौड़ा। अपुन क्योंकि उसके ऊपर से नीचे आ कर उसके बगल से ही लेट गयला था इस लिए अपुन ने जोश में आ कर अपनी कमर को उसकी तरफ दबाया तो अपुन का अकड़ा हुआ लन्ड सीधा उसकी जांघों पर लगा। साधना के मुख से सिसकी निकल गई और वो अपुन की तरफ करवट ले ली।

साधना ─ तुम्हारा ये तो फिर से खड़ा हो गया बाबू।

अपुन ─ किसकी बात कर रेली हो? नाम ले कर बताओ न।

साधना फिर से थोड़ा शरमाई फिर सहसा अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपुन के लन्ड को पकड़ कर बोली।

साधना ─ तुम्हारे इस लं..लन्ड की बात कर रहीं हूं। उफ्फ कितना बड़ा है ये और कितना गर्म भी।

अपुन ─ तुम्हारी ही गर्मी से गर्म है ये और चाहता है कि तुम फिर से इसे प्यार करो।

साधना ─ अच्छा जी।

साधना ने अपुन के लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया था जिससे अपुन के अंदर मजे की तरंगें उठने लगीं थी। अपुन ने चेहरा आगे कर के उसके होठों को मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। साधना एक हाथ से अपुन का लन्ड पकड़े खुद भी अपुन के होठ चूमने चूसने लगी। मगर जल्द ही अपुन ने उसके होठ छोड़े।

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अपुन ─ अपुन का फिर से तुम्हें चोदने का मन कर रेला है।

साधना अपुन की बात सुन फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ मन तो मेरा भी कर रहा है बाबू लेकिन फिर से दर्द होगा तो कैसे सहन कर पाऊंगी?

अपुन ─ अरे! अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा। अब तो अपुन के लन्ड ने तुम्हारी चूत के अंदर अपने लिए जगह बना ली है। इस लिए अब वो आराम से अंदर बाहर होगा और तुम्हें मजा देगा।

साधना ─ ठीक है, जैसा तुम चाहो करो।

अपुन तो लौड़ा चाहता ही यही था। अपुन भूल ही नहीं सकता था कि साधना को चोदने में थोड़ी देर पहले कितना मजा आयला था अपुन को। अपुन ने झट से उसे सीधा किया और उसके ऊपर आ गया।

पहले तो अपुन ने उसके होठों को जी भर के चूमा चूसा और फिर नीचे सरक कर उसकी गोरी गोरी चूचियों को मसला चूसा। उसके बाद सीधा नीचे ही पहुंच गया लौड़ा।

साधना फिर से मस्ती में आ गईली थी। इधर अपुन नीचे आया तो देखा दोनों जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी चूत की हालत थोड़ी खराब थी। बेड शीट पर नीचे अपन दोनों का माल भी था और उसका खून भी जिसके लाल धब्बे सफेद बेड शीट पर साफ दिख रेले थे। ये देख अपुन को थोड़ी घबराहट हुई।

अपुन ने थोड़ा झुक उसकी चूत को देखा। अपन दोनों का माल अभी भी उसमें लगा हुआ था और वो थोड़ा सूझी हुई थी। अपुन ने धड़कते दिल से हाथ बढ़ा कर उसके गुलाबी होठों को छुआ तो एकदम से साधना को झटका लगा और उसके मुख से दर्द भरी सिसकी निकल गई। अपुन ने फौरन ही हाथ हटा लिया। फिर उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुमने वहां छुआ तो दर्द भरी टीस पूरे बदन में दौड़ गई मेरे।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? इतना तो अपुन देख ही चुका था कि उसकी चूत से खून निकला है और उसका हाल भी बुरा नजर आ रेला है। ऐसे में अगर छूने से ही उसे दर्द हो रेला है तो चुदाई होने पर तो लौड़ी का बुरा हाल ही हो जाएगा।

तभी साधना एकदम से उठ बैठी। जांघों पर जोर पड़ा तो उसके मुख से कराह निकल गई। उसकी दोनों टांगें अलग अलग फैली हुईं थी। अपुन थोड़ा पीछे हट कर बैठ गयला था। अपुन ने देखा उसके चेहरे पर दर्द के चिन्ह थे। उसने पहले अपुन की तरफ देखा और फिर वो अपनी चूत की तरफ देखने की कोशिश करने लगी। थोड़े ही प्रयास में उसकी नजर बेड शीट पर और अपनी चूत पर पड़ गई।

बेड शीट पर खून के धब्बे देख उसकी आँखें फैलीं और साथ ही जब उसने अपनी चूत की हालत देखी तो जैसे घबरा ही गई।

साधना ─ माय गॉड ये...ये कैसी हो गई है बाबू?

अपुन क्या बोले लौड़ा? अपुन को खुद समझ न आया कि क्या जवाब दे? हालांकि ये तो अपुन जानता था कि ऐसा कैसे हुआ था। अपुन को कुछ न बोलता देख साधना घबराई सी फिर से बोली।

साधना ─ ये तो सूझ गई है बाबू। तभी तो तुम्हारे छूने बस से ही मुझे दर्द हुआ था। अगर ये ऐसे ही सूझी रही तो क्या होगा? कल पापा आ जाएंगे और अगर उन्हें पता चल गया तो???

साधना एकाएक बुरी तरह घबरा उठी थी। उसका सारा सेक्स का नशा उड़न छू हो गयला था। अपुन भी ये सोच के घबरा गया कि अगर सच में उसके बाप को पता चल गया तो क्या होगा? बेटीचोद, कहीं उसके पूछने पर साधना ने सारा सच उगल दिया तो अपुन की तो बैंड ही बज जाएगी लौड़ा। अपुन के घर वाले तो अपुन की गांड़ ही फाड़ देंगे। अमित, हां अमित को जब पता चलेगा कि अपुन की वजह से ही उसकी बहन का ये हाल हुआ है तो लौड़ा वो तो अपुन का सिर ही फोड़ देगा।

बेटीचोद, अपुन जितना सोचता गया उतना ही अपुन की गांड़ फटती चली गई लौड़ा। सेक्स और हवस के जोश में अपुन का लौड़ा जो इसके पहले अपने फुल फॉर्म में आ गयला था वो इस सबके सोचते ही गायब हो गया और वो मुरझा गया।

मजा तो खूब मिला था अपुन को लेकिन अब इस मजे की सजा का खयाल आते ही अपुन के तोते उड़ गएले थे। एकदम से खयाल आया कि अपुन को ये सब नहीं करना चाहिए था बेटीचोद।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy.. :declare:

Nice update
 

park

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Update ~ 09



दो नंगे जिस्म सुलग रेले थे और अब जैसे उन्हें ठंडा होने की ख्वाहिश थी मगर पता नहीं कब उस वक्त को आना था जब दो सुलगते जिस्म शांत भी पड़ जाते और रूह को सुकून भी मिल जाता।


अब आगे....


अपुन एक बार फिर उसके होठों को छोड़ कर उसके गले और सीने को चूमते हुए उसके गोरे चिकने पेट पर आ गया। साधना बुरी तरह मचल रेली थी और सिसकियां ले रेली थी। अपुन ने उसके पेट और नाभी को चीभ से चाटा और कुरेदा, उसके बाद नीचे सरक कर फिर से उसकी जांघों के बीच आ गया।

साधना की पेंटी क्योंकि अपुन पहले ही निकाल चुका था इस लिए जैसे ही अपुन उसकी जांघों के बीच आया तो अपुन की नज़र उसकी चूत पर उगे हल्के रेशमी बालों पर मौजूद उसके कामरस पर पड़ी। असल में उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही पानी छोड़ रेली थी जिसकी वजह से उसका कामरस उसकी रेशमी झांटों में लग गयला था जोकि घांस में गिरी शबनम जैसे लग रेला था।

अपुन की नाक में तेज मादक गंध घुसी तो अपुन मदहोश सा हो गया और झट से उसकी कामरस छोड़ती चूत को चाटना शुरू कर दिया।

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साधना अपुन की इस क्रिया से बुरी तरह मचलते हुए सिर पटकने लगी। दोनों हाथों से अपुन का सिर थाम कर वो सिसकियां लेते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। ये...ये क्या कर रहे हो?

अपुन ने उसकी बात सुन कर सिर उठाया और फिर जैसे मदहोशी में बोला।

अपुन ─ तुम्हारी चूत से निकल रहा अमृत पी रेला हूं डियर। सच में बहुत मस्त टेस्ट है इसका।

साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ये क्या कह रहे हो?

अपुन ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और झुक कर फिर से उसकी चूत चाटने लगा। साधना का बुरा हाल था। वो बार बार अपनी जांघों को सिकोड़ लेती या फिर अपनी गांड़ को उठा लेती। अपुन समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है।

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साधना ─ बाबू शश्श्श्श मु...मुझे कुछ हो रहा है। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ माय गॉड कितना मजा आ रहा है।

साधना जैसे चरम के करीब थी। इधर अपुन का भी बुरा हाल था। अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ा हुआ था। अपुन ने सिर उठा कर साधना की तरफ देखा। वो आँखें बंद किए सिर को इधर उधर झटक रेली थी। वो बेहद मजे में थी। उसकी ये हालत देख अपुन ने एकदम से एक बड़ा फैसला ले लिया लौड़ा।

अपुन एक झटके से उठा और घुटनों पर बैठ गया। साधना को जब महसूस हुआ कि अपुन ने उसकी चूत चाटना बंद कर दिया है तो उसने धीरे से आंखें खोल कर अपुन की तरफ देखा।

साधना ─ रुक क्यों बाबू? शश्श्श्श कितना मजा आ रहा था मुझे। प्लीज करो न।

अपुन ─ तुमको इससे भी ज़्यादा मजा देने का सोच रेला है अपुन। क्या तुम तैयार हो?

साधना ─ मैं तो तुम्हारे लिए हर वक्त तैयार हूं बाबू। प्लीज जो भी करना है जल्दी करो न।

उसकी बात सुनते ही अपुन ने फौरन अपने लन्ड को एक हाथ से पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

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अपुन के ऐसा करते ही उसकी चूत पर लगा कामरस अपुन के सुपाड़े पर लगने लगा और साथ ही अपुन को ज़ोरदार झुरझुरी हुई। उधर साधना को भी थोड़ा झटका लगा था। पर उसने कुछ कहा नहीं। वो समझ गई थी कि अब अपुन क्या करने वाला है।

साधना ─ प्लीज आराम से अंदर डालना बाबू। तुम्हारा वो बहुत बड़ा है।

अपुन उसकी चूत पर लन्ड रगड़ता रहा और फिर बोला।

अपुन ─ अपुन का क्या बड़ा है साधना?

साधना ─ तुम्हारा ल...लंड बाबू।

हवस का नशा उसके सिर पर तारी था, शायद इसी लिए इस बार उसने स्पष्ट रूप से अपुन के लन्ड का नाम लिया था। उसके मुख से लन्ड शब्द सुनते ही अपुन के अंदर अजीब सा जोश आ गया। उधर लन्ड रगड़ते रगड़ते अपुन का और भी जोश से बुरा हाल हुआ जा रेला था। अपुन ने गीले हो चुके लन्ड को उसकी चूत के मुहाने पर अंदाजे से सेट किया और फिर अपनी कमर को आगे की तरफ पुश कर दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू।

शायद अपुन ने थोड़ा तेजी से पुश किया था जिससे अपुन का लन्ड उसकी चूत के मुहाने को तो फैलाया लेकिन क्योंकि चूत जरूरत से ज्यादा गीली थी इस लिए फिसल गया लौड़ा।

अपुन ने एक बार फिर से अपुन के लन्ड को मुहाने पर सेट किया और इस बार थोड़ा सम्हल कर जोर लगाया तो लन्ड का टोपा थोड़े प्रयास में साधना की चूत में घुस गया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। दर्द हो रहा है शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ दर्द तो होगा ही साधना क्योंकि अपन दोनों का ही ये फर्स्ट टाइम है। तुम प्लीज इस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करो।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् म...मैं कोशिश कर शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् रही हूं।

अपुन के लन्ड का टोपा उसकी चूत में जैसे फंस सा गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और थोड़ा अपुन के अंदर घबराहट भी होने लग गईली थी क्योंकि अपुन को बार बार लग रेला था कि कहीं कुछ बुरा न हो जाए जिससे अपुन को लेने के देने पड़ जाएं बेटीचोद।

अपुन को सेक्स का कोई तजुर्बा नहीं था। अपुन ने इसके पहले कभी किसी के साथ किया ही नहीं था लौड़ा। ब्ल्यू फिल्मों में ही बस थोड़ा बहुत देखा था कि ये सब कैसे करते हैं। पर देखने में और करने में लौड़ा बहुत फर्क होता है, ये अब समझ आ रेला था अपुन को। खैर अपुन ने सोचा अब जब यहां तक पहुंच ही गयला है तो आगे का भी काम कर के ही रुकेगा अपुन।

पता नहीं बेटीचोद एकाएक अपुन के अंदर कौन सा भूत सवार हो गयला था या शायद कुछ ज़्यादा ही जोश आ गयला था जिसके चलते अपुन ने आव देखा न ताव एक जोरदार धक्का पेल दिया लौड़ा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मर...ग..ई... आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श। बाबू नि...कालो इस...को शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत दर्द हो रहा है।

साधना की दर्द भारी चीख सुन अपुन एकदम से घबरा गया लौड़ा। अपुन ने देखा वो बुरी तरह सिर को इधर उधर पटक रेली थी। उसकी आंखों से आसूं बह रेले थे। चेहरे पर बेपनाह दर्द दिख रेला था।

अपुन ─ तुम ठीक तो हो न साधना?

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत दर्द हो रहा है विराट। प्लीज उसे बाहर शश्श्श्श निकाल लो।

अपुन ─ फर्स्ट टाइम में तो दर्द होता ही है यार। प्लीज थोड़ा बर्दाश्त कर लो न।

साधना अपुन को कातर भाव से देखने लगी। अपुन को भी पता था कि अपुन का हलब्बी लन्ड अंदर लेना आसान नहीं हो सकता था लेकिन अब जब लिया था तो उसे बर्दाश्त करना ही था।

अपुन ने एक बार अपने लंड की तरफ देखा तो एकदम से चौंक गया। लौड़ा लन्ड तो अभी आधा ही घुसा था लेकिन उस पर लाल रंग का खून लगेला था। अपुन को समझते देर न लगी कि ये साधना की चूत से ही निकला है। मतलब कि अपुन ने उसकी सील तोड़ दी थी। ये देख एक तरफ तो अपुन घबराया लेकिन दूसरी तरफ ये सोच के खुश भी हुआ कि अपुन ने किला फतह कर लिया है लौड़ा। और इस खुशी ने जाने कैसा जोश चढ़ाया कि अपुन ने थोड़ा सा लन्ड बाहर निकाला और फिर से एक जोर का धक्का मार दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श म...त करो। मर जा...ऊंगी। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् प्लीज बाहर निकाल लो।

जोश में अपुन को ध्यान ही नहीं रह गयला लौड़ा। साधना की चीख ने ही अपुन को होश में लाया। अपुन ने देखा साधना बुरी तरह छटपटा रेली थी। उसके आंसू कुछ ज़्यादा ही बह रेले थे। चेहरे पर भयंकर पीड़ा दिख रेली थी। अपुन एक बार फिर उसकी हालत देख घबरा गया।

उसकी चूत में लन्ड डाले डाले ही अपुन आगे को जा कर झुका और फिर उसके कांपते होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।

अपुन ─ बस मेरी जान। प्लीज शांत हो जाओ। जो दर्द होना था हो गया। अब से कोई दर्द नहीं होगा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू, मेरी जान निकली जा रही है। शश्श्श्श ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत मोटा गर्म सरिया मेरी वजीना में शश्श्श्श समाया हुआ है।

अपुन ─ तुमने अपुन के लिए इतना कुछ सह लिया इसके लिए थैंक्यू मेरी जान। तुम सच में बहुत अच्छी हो।

इस वक्त अपुन को सच में उस पर बहुत प्यार आ रेला था और शायद इसी लिए ये सब बोले जा रेला था। एक तरफ उसके होठों को, उसके चेहरे को और उसके गले को चूमता चाटता तो दूसरी तरफ उसके गोरे मुलायम दूध के गुब्बारों को हल्के से मसलता।

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इसका नतीजा ये हुआ कि साधना के चेहरे पर दिखने वाली असहनीय पीड़ा में काफी कमी नजर आई। अपुन को भी थोड़ा राहत महसूस हुई। अपुन कुछ देर तक यही करता रहा।

अपुन का लन्ड अभी भी उसकी बुर में वैसे ही समाया हुआ था और अपुन को ऐसा लग रेला था जैसे किसी ने अपुन के लन्ड को चारो तरफ से बुरी तरह जकड़ा हुआ हो। अपुन को बड़ा ही अजीब फील हो रेला था। थोड़ी देर बाद अपुन ने उससे पूछा।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ हां पर उतना नहीं।

कुछ देर बाद जब अपुन ने देखा कि साधना वापस अपने पहले वाले रूप में आ गईली है तो अपुन ने धक्का लगाने का सोचा। जैसे ही अपुन ने कमर को पीछे की तरफ कर के लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला तो साधना के मुंह से दर्द भरी आह निकली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। मत करो न प्लीज। दर्द हो रहा है।

अपुन ─ अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अपुन धीरे धीरे अंदर बाहर करेगा। धीरे धीरे दर्द दूर हो जाएगा, ट्रस्ट मी।

साधना ने इस बार कुछ नहीं कहा, बस अपुन को मोहब्बत से देखती रही। जाने क्यों अपुन उसकी मोहब्बत भरी निगाह का सामना न कर सका लौड़ा। इस लिए झुक कर उसके होठों को चूमने चूसने लगा और उधर धीरे धीरे लन्ड को अंदर बाहर करने लगा।

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साधना को दर्द तो हो रेला था लेकिन पहले जैसा नहीं। इस लिए अब अपुन बेफिक्र हो गयला था। अपुन उसको चूमते हुए कुछ देर तक ऐसे ही धीरे धीरे लगा रहा। जब अपुन को महसूस हुआ कि साधना अब दर्द वाली नहीं बल्कि मजे वाली सिसकी ले रेली है तो अपुन ने धक्का लगाने पर थोड़ा जोर लगाया।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू थोड़ा धीरे।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ नहीं, पर जब तुम तेज करते हो तो दर्द होता है।

अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रहा?

साधना ─ थोड़ा थोड़ा आ रहा है बाबू।

अपुन ─ आगे और भी ज़्यादा आएगा।

साधना हल्के से मुस्कुराई। फिर अपुन का चेहरा पकड़ अपुन को नीचे झुकाया और अपुन के होठों को चूमने लगी। अपुन भी बराबर साथ दे रेला था। इधर अपुन के धक्के अब थोड़ा जोर पकड़ रेले थे। साधना की चूत जो पहले अपुन के लन्ड को बुरी तरह कसे हुए थी उसमें अब नरमी आ गईली थी। अपुन को ऐसा फील हो रेला था जैसे अपुन का लन्ड किसी गर्म भट्टी में है और उसकी तपिश में मोम के माफिक पिघल जाएगा।

कुछ ही देर में अपुन के धक्के थोड़ा असमान्य गति से चलने लगे। रूम के अंदर साधना की आहें और सिसकियां गूंज रेली थी। उसे अब मजा आ रेला था जिससे वो भी जोश में आ गईली थी।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत मजा आ रहा है बाबू। थोड़ा और जोर से करो न।

अपुन ─ क्या करूं डियर?

साधना ─ उफ्फ! धक्के मारो न बाबू।

अपुन ─ वो तो अपुन मार ही रेला है लेकिन ये बताओ कि अपन लोग कर क्या रेले हैं?

साधना अपुन की बात सुन कर एकदम से शर्मा गई लेकिन क्योंकि उस पर इस वक्त सेक्स की मदहोशी छाई थी इस लिए जल्दी ही सिसकी लेते हुए बोली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हम लोग से...क्स कर रहे हैं बा...बू।

अपुन ─ हिंदी में बोलो ना। हिंदी में बताओ कि क्या कर रेले हैं अपन लोग?

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् चु...चुदा..ई कर रहे हैं बाबू।

अपुन को उसके मुख से चुदाई शब्द सुन कर बड़ा ही मज़ा आया लौड़ा। ऐसा लगा अपुन की नशों में दौड़ता लहू अब बड़ी तेज़ी से अपुन के अंडकोशों की तरफ भागते हुए आ रेला है। उधर साधना भी मस्ती में डूबी थी। वो जितना आहें और सिसकियां ले रेली थी उतना ही अपुन का साथ देने के वास्ते खुद को अपुन के लन्ड की तरफ झोंक दे रेली थी।

अपुन के अंदर भयंकर जोश बढ़ गयला था। पूरे जिस्म में सनसनी दौड़ रेली थी लौड़ा। बोले तो ऐसा मजा आ रेला था जैसे अपुन जन्नत की सैर कर रेला है। आज से पहले ऐसा मजा और ऐसा गजब का एहसास अपुन ने कभी महसूस नहीं किया था।

अपुन ने साधना की दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और तेज तेज धक्के लगाने लगा।

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अपुन के हर धक्के में साधना ऊपर की तरफ उछल जाती जिससे उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारे भी उछल पड़ते। अपुन का मजा हर गुजरते पल के साथ ही बढ़ता ही जा रेला था बेटीचोद।

अपुन ─ ओह माय डियर, तुम्हारी चूत में लंड अंदर बाहर करने से मस्त मज़ा आ रेला है। क्या तुम्हें भी ऐसा ही मजा आ रेला है?

साधना मजे और मस्ती में डूबी जोर जोर से सिसकियां ले रेली थी। अपुन के पूछने पर उसने धीरे से आंखें खोली और बोली।

साधना ─ उफ्फ! मत पूछो बाबू आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श लगता है इस शश्श्श्श मजे से प...पागल हो जाऊंगी मैं शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ क्या अपन लोग अब से हर रोज ऐसा मजा कर सकते हैं?

साधना ─ हां बाबू शश्श्श्श अ..ब से हम रोज मजा करेंगे।

अपुन ─ लेकिन हर रोज तुम घर में अकेले कहां रहोगी यार? आज की तरह ऐसा मौका कैसे मिलेगा मेरी जान?

साधना ─ हां ये तो शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुमने सही कहा बाबू। फिर तुम ही बताओ हम कैसे मजा कर सकेंगे?

अपुन को तो खुद भी कुछ समझ नहीं आ रेला था लौड़ा तो उसे बताता कैसे? अचानक अपुन ने फील किया कि अपुन झड़ने के करीब आ गयला है। तभी साधना की आहें और सिसकियां और भी तेज हो गईं।

अपुन के देखते ही देखते उसकी कमर एकदम से ऊपर उठ गई और फिर वो झटके खाने लगी लौड़ी। उसके झटके की वजह से अपुन ने उसे और मजबूती से पकड़ा मगर तभी उसके गर्म पानी ने अपुन के लन्ड को ऐसा पिघलाया कि अपुन खुद को चाह कर भी रोक न सका बेटीचोद।

साधना के झटके रुके भी नहीं थे कि अपुन को भी झटके लगने लगे लौड़ा। बोले तो ऐसा लगा जैसे अपुन के अंदर से अपुन की जान ही निकली जा रेली हो बेटीचोद। अपुन का मजे की तरंग में इतना बुरा हाल हुआ कि अपुन को उसकी चूत से लन्ड निकालने का भी होश न रहा और अपुन उसकी चूत में ही झड़ता चला गया।

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झड़ते वक्त जो मजा फील किएला था उसे अपुन शब्दों में नहीं लिख सकता लौड़ा। बोले तो उसकी कोई डेफिनेशन ही नहीं कर सकता अपुन।

खैर जब अपुन के अंदर का लावा पूरी तरह साधना के अंदर निकल गया तो अपुन किसी बेजान पुतले की तरह उसके ऊपर ही ढेर हो गया लौड़ा। सिर्फ अपन दोनों की उखड़ी सांसें ही रूम में गूंजती रहीं।

अपुन आँखें बंद किए साधना के गोरे गोरे गोल गुब्बारों पर चेहरा रखे ढेर हुआ पड़ा था और अभी भी उस मजे के एहसास में खोया हुआ था कि तभी अपुन ने अपने सिर पर साधना के हाथ महसूस किए। वो बड़े प्यार से अपुन के सिर पर हाथ फेरने लग गईली थी।

अपुन कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा उसके बाद सिर को थोड़ा सा उठा कर उसको देखा। इतने करीब से पसीने में नहाया हुआ और थोड़ा सुर्ख पड़ा हुआ उसका चेहरा देखा तो अपुन को अलग ही फील आया लौड़ा। उधर जैसे ही उसने अपुन को खुद की तरफ देखते देखा तो जाने क्या सोच के शर्मा गई और आँखें बंड कर के अपना चेहरा फेर लिया।

अपुन ये देख मुस्कुरा उठा। इस वक्त अपुन को वो बड़ी खूबसूरत लग रेली थी, किसी खिल चुके गुलाब की मानिंद। अपुन को उस पर बड़ा प्यार आया तो अपुन थोड़ा ऊपर को हुआ और फिर उसका चेहरा थाम कर उसके होठों को चूम लिया।

अपुन ─ थैंक्यू साधना...मेरी जान, तुमने आज अपुन को इतनी बड़ी खुशी दी और अपुन को पहली बार चुदाई का एक्सपीरियंस करवाया। थैंक्यू सो मच डियर।

साधना अपुन की बात सुन और खास कर चुदाई सुन पहले तो लजा गई फिर सम्हल कर बोली।

साधना ─ धत्...बहुत गंदे हो तुम। और हां थैंक्यू मत कहो। मैंने भी तो पहली बार ही सेक्स के इस अद्भुत आनंद का एहसास किया है। तुम्हें पता है, मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ये तुम्हारे साथ किया। उसके साथ जिसे मैं प्यार करती हूं।

अपुन को समझ न आया कि क्या बोले। असल में अपुन उससे प्यार वाली बात सुन के थोड़ा असहज होने लग जाता था लौड़ा। अपुन को प्यार व्यार के चक्कर में पड़ने का बिलकुल भी शौक नहीं था और शायद यही वजह थी कि अपुन साधना के प्यार को एक्सेप्ट नहीं करना चाहता था। अपुन तो बस मजा करना चाहता था जोकि मिल भी गयला था।

खैर अपुन को जब कुछ जवाब न सूझा तो अपुन थोड़ा नीचे सरका और उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारों को थाम कर हौले हौले सहलाना शुरू कर दिया।

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उसके गुब्बारे सच में बहुत हसीन और आकर्षक थे। लौड़ा मन ही नहीं भरता था उनको मसल के। साधना ये देख हल्के से मुस्कुराई और फिर बोली।

साधना ─ क्या बात है बाबू, तुम सबसे ज्यादा इन्हें ही क्यों प्यार करते हो?

अपुन ─ क्योंकि ये तुमसे भी ज्यादा प्यारे हैं लगते हैं अपुन को। मन करता है इन्हें हाथों में ही लिए रहे अपुन और इन्हें चूसता रहे।

साधना थोड़ा शरमाई लेकिन फिर बोली।

साधना ─ अच्छा जी ऐसा क्या?

अपुन ─ हां।

साधना ─ और क्या क्या अच्छे लगते हैं मेरे?

अपुन ─ तुम्हारे रसीले होठ, तुम्हारे ये बूब्स, तुम्हारा गोरा चिकना पेट और उसके बीच आकर्षक नाभि।

साधना ये सुन शरमाई भी और खुशी से मुस्कुराई भी, फिर बोली।

साधना ─ और??

अपुन ─ और....हां और तुम्हारी चूत और उसका नमकीन पानी।

साधना ─ धत् बेशरम।

साधना बुरी तरह लजा गई थी। शर्म मिश्रित मुस्कान सजाए उसने हथेलियों में अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुम न...बहुत गंदे हो। कैसे बेशर्मों की तरह ऐसे गन्दे गन्दे शब्द बोलते हो।

अपुन ─ गंदे गंदे शब्द बोलने से ही तो सबसे ज्यादा मजा आता है और जोश चढ़ता है। बोलो क्या गलत बोल रेला है अपुन?

साधना ─ मुझे नहीं पता।

अपुन ─ तुम्हें सब पता है, बस बताना नहीं चाहती अपुन को।

साधना ─ हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं। मुझे बहुत शर्म आती है ऐसे गन्दे शब्द सुन कर।

अपुन ─ शुरू शुरू में अजीब लगता है लेकिन फिर ईजी हो जाता है बोलना। बाद में तो मजा आता है बोलने में। एक बार बोल के दिखाओ तो।

साधना ─ न जी न। मैं नहीं बोल सकती।

अपुन ─ देखो तुमने अपुन से प्रॉमिस किया था कि अपुन जो बोलेगा करोगी।

साधना ने अपुन को गहरी नजर से देखा। जैसे समझना चाहती हो कि अपुन कहीं नाराज़ तो नहीं हो गयला है?

साधना ─ नाराज़ मत हो बाबू।

अपुन ─ तो फिर बोलो जो कह रेला हूं।

साधना ─ ठीक है, बताओ क्या बोलना है मुझे?

अपुन ─ अभी अपुन तुमसे जो जो पूछेगा उसका तुम क्लियर हिंदी में सच सच जवाब दोगी।

साधना ─ ठीक है।

उसकी रजामंदी देख अपुन के अंदर बड़ा अजीब सा फील होने लगा था लौड़ा। बोले तो मस्त गुदगुदी होने लग गईली थी। एक बार फिर से अपुन के अंदर हवस वाला नशा छाने लगा था।

अपुन ─ ओके, तो बताओ अभी अपन दोनों ने क्या किया था?

साधना ये सुन के थोड़ा शरमाई। उसका चेहरा लाज से सुर्ख पड़ गया लेकिन अब वो मजबूर थी इस लिए उसने खुद को किसी तरह तैयार किया और फिर बोली

साधना ─ चु...चुदाई।

अपुन उसके मुख से चुदाई सुन कर मन ही मन खुश भी हुआ और अपनी सफलता पर हंसा भी।

अपुन ─ वेरी गुड। अब बताओ अपन लोग किस तरह चुदाई कर रेले थे? अपुन का मतलब है कि चुदाई कैसे हो रेली थी?

साधना ने कुछ पल सोचा फिर शर्माते हुए बोली।

साधना ─ वो...तुम्हारा लं...लंड मेरी चू...चूत में था और तुम अपने लं..लंड से मुझे चो...चोद रहे थे।

साधना का ये जवाब सुन अपुन का लन्ड पलक झपकते ही अकड़ गया लौड़ा। अपुन क्योंकि उसके ऊपर से नीचे आ कर उसके बगल से ही लेट गयला था इस लिए अपुन ने जोश में आ कर अपनी कमर को उसकी तरफ दबाया तो अपुन का अकड़ा हुआ लन्ड सीधा उसकी जांघों पर लगा। साधना के मुख से सिसकी निकल गई और वो अपुन की तरफ करवट ले ली।

साधना ─ तुम्हारा ये तो फिर से खड़ा हो गया बाबू।

अपुन ─ किसकी बात कर रेली हो? नाम ले कर बताओ न।

साधना फिर से थोड़ा शरमाई फिर सहसा अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपुन के लन्ड को पकड़ कर बोली।

साधना ─ तुम्हारे इस लं..लन्ड की बात कर रहीं हूं। उफ्फ कितना बड़ा है ये और कितना गर्म भी।

अपुन ─ तुम्हारी ही गर्मी से गर्म है ये और चाहता है कि तुम फिर से इसे प्यार करो।

साधना ─ अच्छा जी।

साधना ने अपुन के लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया था जिससे अपुन के अंदर मजे की तरंगें उठने लगीं थी। अपुन ने चेहरा आगे कर के उसके होठों को मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। साधना एक हाथ से अपुन का लन्ड पकड़े खुद भी अपुन के होठ चूमने चूसने लगी। मगर जल्द ही अपुन ने उसके होठ छोड़े।

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अपुन ─ अपुन का फिर से तुम्हें चोदने का मन कर रेला है।

साधना अपुन की बात सुन फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ मन तो मेरा भी कर रहा है बाबू लेकिन फिर से दर्द होगा तो कैसे सहन कर पाऊंगी?

अपुन ─ अरे! अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा। अब तो अपुन के लन्ड ने तुम्हारी चूत के अंदर अपने लिए जगह बना ली है। इस लिए अब वो आराम से अंदर बाहर होगा और तुम्हें मजा देगा।

साधना ─ ठीक है, जैसा तुम चाहो करो।

अपुन तो लौड़ा चाहता ही यही था। अपुन भूल ही नहीं सकता था कि साधना को चोदने में थोड़ी देर पहले कितना मजा आयला था अपुन को। अपुन ने झट से उसे सीधा किया और उसके ऊपर आ गया।

पहले तो अपुन ने उसके होठों को जी भर के चूमा चूसा और फिर नीचे सरक कर उसकी गोरी गोरी चूचियों को मसला चूसा। उसके बाद सीधा नीचे ही पहुंच गया लौड़ा।

साधना फिर से मस्ती में आ गईली थी। इधर अपुन नीचे आया तो देखा दोनों जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी चूत की हालत थोड़ी खराब थी। बेड शीट पर नीचे अपन दोनों का माल भी था और उसका खून भी जिसके लाल धब्बे सफेद बेड शीट पर साफ दिख रेले थे। ये देख अपुन को थोड़ी घबराहट हुई।

अपुन ने थोड़ा झुक उसकी चूत को देखा। अपन दोनों का माल अभी भी उसमें लगा हुआ था और वो थोड़ा सूझी हुई थी। अपुन ने धड़कते दिल से हाथ बढ़ा कर उसके गुलाबी होठों को छुआ तो एकदम से साधना को झटका लगा और उसके मुख से दर्द भरी सिसकी निकल गई। अपुन ने फौरन ही हाथ हटा लिया। फिर उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुमने वहां छुआ तो दर्द भरी टीस पूरे बदन में दौड़ गई मेरे।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? इतना तो अपुन देख ही चुका था कि उसकी चूत से खून निकला है और उसका हाल भी बुरा नजर आ रेला है। ऐसे में अगर छूने से ही उसे दर्द हो रेला है तो चुदाई होने पर तो लौड़ी का बुरा हाल ही हो जाएगा।

तभी साधना एकदम से उठ बैठी। जांघों पर जोर पड़ा तो उसके मुख से कराह निकल गई। उसकी दोनों टांगें अलग अलग फैली हुईं थी। अपुन थोड़ा पीछे हट कर बैठ गयला था। अपुन ने देखा उसके चेहरे पर दर्द के चिन्ह थे। उसने पहले अपुन की तरफ देखा और फिर वो अपनी चूत की तरफ देखने की कोशिश करने लगी। थोड़े ही प्रयास में उसकी नजर बेड शीट पर और अपनी चूत पर पड़ गई।

बेड शीट पर खून के धब्बे देख उसकी आँखें फैलीं और साथ ही जब उसने अपनी चूत की हालत देखी तो जैसे घबरा ही गई।

साधना ─ माय गॉड ये...ये कैसी हो गई है बाबू?

अपुन क्या बोले लौड़ा? अपुन को खुद समझ न आया कि क्या जवाब दे? हालांकि ये तो अपुन जानता था कि ऐसा कैसे हुआ था। अपुन को कुछ न बोलता देख साधना घबराई सी फिर से बोली।

साधना ─ ये तो सूझ गई है बाबू। तभी तो तुम्हारे छूने बस से ही मुझे दर्द हुआ था। अगर ये ऐसे ही सूझी रही तो क्या होगा? कल पापा आ जाएंगे और अगर उन्हें पता चल गया तो???

साधना एकाएक बुरी तरह घबरा उठी थी। उसका सारा सेक्स का नशा उड़न छू हो गयला था। अपुन भी ये सोच के घबरा गया कि अगर सच में उसके बाप को पता चल गया तो क्या होगा? बेटीचोद, कहीं उसके पूछने पर साधना ने सारा सच उगल दिया तो अपुन की तो बैंड ही बज जाएगी लौड़ा। अपुन के घर वाले तो अपुन की गांड़ ही फाड़ देंगे। अमित, हां अमित को जब पता चलेगा कि अपुन की वजह से ही उसकी बहन का ये हाल हुआ है तो लौड़ा वो तो अपुन का सिर ही फोड़ देगा।

बेटीचोद, अपुन जितना सोचता गया उतना ही अपुन की गांड़ फटती चली गई लौड़ा। सेक्स और हवस के जोश में अपुन का लौड़ा जो इसके पहले अपने फुल फॉर्म में आ गयला था वो इस सबके सोचते ही गायब हो गया और वो मुरझा गया।

मजा तो खूब मिला था अपुन को लेकिन अब इस मजे की सजा का खयाल आते ही अपुन के तोते उड़ गएले थे। एकदम से खयाल आया कि अपुन को ये सब नहीं करना चाहिए था बेटीचोद।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy.. :declare:
Nice and superb update....
 

kas1709

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Update ~ 09



दो नंगे जिस्म सुलग रेले थे और अब जैसे उन्हें ठंडा होने की ख्वाहिश थी मगर पता नहीं कब उस वक्त को आना था जब दो सुलगते जिस्म शांत भी पड़ जाते और रूह को सुकून भी मिल जाता।


अब आगे....


अपुन एक बार फिर उसके होठों को छोड़ कर उसके गले और सीने को चूमते हुए उसके गोरे चिकने पेट पर आ गया। साधना बुरी तरह मचल रेली थी और सिसकियां ले रेली थी। अपुन ने उसके पेट और नाभी को चीभ से चाटा और कुरेदा, उसके बाद नीचे सरक कर फिर से उसकी जांघों के बीच आ गया।

साधना की पेंटी क्योंकि अपुन पहले ही निकाल चुका था इस लिए जैसे ही अपुन उसकी जांघों के बीच आया तो अपुन की नज़र उसकी चूत पर उगे हल्के रेशमी बालों पर मौजूद उसके कामरस पर पड़ी। असल में उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही पानी छोड़ रेली थी जिसकी वजह से उसका कामरस उसकी रेशमी झांटों में लग गयला था जोकि घांस में गिरी शबनम जैसे लग रेला था।

अपुन की नाक में तेज मादक गंध घुसी तो अपुन मदहोश सा हो गया और झट से उसकी कामरस छोड़ती चूत को चाटना शुरू कर दिया।

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साधना अपुन की इस क्रिया से बुरी तरह मचलते हुए सिर पटकने लगी। दोनों हाथों से अपुन का सिर थाम कर वो सिसकियां लेते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। ये...ये क्या कर रहे हो?

अपुन ने उसकी बात सुन कर सिर उठाया और फिर जैसे मदहोशी में बोला।

अपुन ─ तुम्हारी चूत से निकल रहा अमृत पी रेला हूं डियर। सच में बहुत मस्त टेस्ट है इसका।

साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ये क्या कह रहे हो?

अपुन ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और झुक कर फिर से उसकी चूत चाटने लगा। साधना का बुरा हाल था। वो बार बार अपनी जांघों को सिकोड़ लेती या फिर अपनी गांड़ को उठा लेती। अपुन समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है।

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साधना ─ बाबू शश्श्श्श मु...मुझे कुछ हो रहा है। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ माय गॉड कितना मजा आ रहा है।

साधना जैसे चरम के करीब थी। इधर अपुन का भी बुरा हाल था। अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ा हुआ था। अपुन ने सिर उठा कर साधना की तरफ देखा। वो आँखें बंद किए सिर को इधर उधर झटक रेली थी। वो बेहद मजे में थी। उसकी ये हालत देख अपुन ने एकदम से एक बड़ा फैसला ले लिया लौड़ा।

अपुन एक झटके से उठा और घुटनों पर बैठ गया। साधना को जब महसूस हुआ कि अपुन ने उसकी चूत चाटना बंद कर दिया है तो उसने धीरे से आंखें खोल कर अपुन की तरफ देखा।

साधना ─ रुक क्यों बाबू? शश्श्श्श कितना मजा आ रहा था मुझे। प्लीज करो न।

अपुन ─ तुमको इससे भी ज़्यादा मजा देने का सोच रेला है अपुन। क्या तुम तैयार हो?

साधना ─ मैं तो तुम्हारे लिए हर वक्त तैयार हूं बाबू। प्लीज जो भी करना है जल्दी करो न।

उसकी बात सुनते ही अपुन ने फौरन अपने लन्ड को एक हाथ से पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

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अपुन के ऐसा करते ही उसकी चूत पर लगा कामरस अपुन के सुपाड़े पर लगने लगा और साथ ही अपुन को ज़ोरदार झुरझुरी हुई। उधर साधना को भी थोड़ा झटका लगा था। पर उसने कुछ कहा नहीं। वो समझ गई थी कि अब अपुन क्या करने वाला है।

साधना ─ प्लीज आराम से अंदर डालना बाबू। तुम्हारा वो बहुत बड़ा है।

अपुन उसकी चूत पर लन्ड रगड़ता रहा और फिर बोला।

अपुन ─ अपुन का क्या बड़ा है साधना?

साधना ─ तुम्हारा ल...लंड बाबू।

हवस का नशा उसके सिर पर तारी था, शायद इसी लिए इस बार उसने स्पष्ट रूप से अपुन के लन्ड का नाम लिया था। उसके मुख से लन्ड शब्द सुनते ही अपुन के अंदर अजीब सा जोश आ गया। उधर लन्ड रगड़ते रगड़ते अपुन का और भी जोश से बुरा हाल हुआ जा रेला था। अपुन ने गीले हो चुके लन्ड को उसकी चूत के मुहाने पर अंदाजे से सेट किया और फिर अपनी कमर को आगे की तरफ पुश कर दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू।

शायद अपुन ने थोड़ा तेजी से पुश किया था जिससे अपुन का लन्ड उसकी चूत के मुहाने को तो फैलाया लेकिन क्योंकि चूत जरूरत से ज्यादा गीली थी इस लिए फिसल गया लौड़ा।

अपुन ने एक बार फिर से अपुन के लन्ड को मुहाने पर सेट किया और इस बार थोड़ा सम्हल कर जोर लगाया तो लन्ड का टोपा थोड़े प्रयास में साधना की चूत में घुस गया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। दर्द हो रहा है शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ दर्द तो होगा ही साधना क्योंकि अपन दोनों का ही ये फर्स्ट टाइम है। तुम प्लीज इस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करो।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् म...मैं कोशिश कर शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् रही हूं।

अपुन के लन्ड का टोपा उसकी चूत में जैसे फंस सा गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और थोड़ा अपुन के अंदर घबराहट भी होने लग गईली थी क्योंकि अपुन को बार बार लग रेला था कि कहीं कुछ बुरा न हो जाए जिससे अपुन को लेने के देने पड़ जाएं बेटीचोद।

अपुन को सेक्स का कोई तजुर्बा नहीं था। अपुन ने इसके पहले कभी किसी के साथ किया ही नहीं था लौड़ा। ब्ल्यू फिल्मों में ही बस थोड़ा बहुत देखा था कि ये सब कैसे करते हैं। पर देखने में और करने में लौड़ा बहुत फर्क होता है, ये अब समझ आ रेला था अपुन को। खैर अपुन ने सोचा अब जब यहां तक पहुंच ही गयला है तो आगे का भी काम कर के ही रुकेगा अपुन।

पता नहीं बेटीचोद एकाएक अपुन के अंदर कौन सा भूत सवार हो गयला था या शायद कुछ ज़्यादा ही जोश आ गयला था जिसके चलते अपुन ने आव देखा न ताव एक जोरदार धक्का पेल दिया लौड़ा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मर...ग..ई... आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श। बाबू नि...कालो इस...को शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत दर्द हो रहा है।

साधना की दर्द भारी चीख सुन अपुन एकदम से घबरा गया लौड़ा। अपुन ने देखा वो बुरी तरह सिर को इधर उधर पटक रेली थी। उसकी आंखों से आसूं बह रेले थे। चेहरे पर बेपनाह दर्द दिख रेला था।

अपुन ─ तुम ठीक तो हो न साधना?

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत दर्द हो रहा है विराट। प्लीज उसे बाहर शश्श्श्श निकाल लो।

अपुन ─ फर्स्ट टाइम में तो दर्द होता ही है यार। प्लीज थोड़ा बर्दाश्त कर लो न।

साधना अपुन को कातर भाव से देखने लगी। अपुन को भी पता था कि अपुन का हलब्बी लन्ड अंदर लेना आसान नहीं हो सकता था लेकिन अब जब लिया था तो उसे बर्दाश्त करना ही था।

अपुन ने एक बार अपने लंड की तरफ देखा तो एकदम से चौंक गया। लौड़ा लन्ड तो अभी आधा ही घुसा था लेकिन उस पर लाल रंग का खून लगेला था। अपुन को समझते देर न लगी कि ये साधना की चूत से ही निकला है। मतलब कि अपुन ने उसकी सील तोड़ दी थी। ये देख एक तरफ तो अपुन घबराया लेकिन दूसरी तरफ ये सोच के खुश भी हुआ कि अपुन ने किला फतह कर लिया है लौड़ा। और इस खुशी ने जाने कैसा जोश चढ़ाया कि अपुन ने थोड़ा सा लन्ड बाहर निकाला और फिर से एक जोर का धक्का मार दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श म...त करो। मर जा...ऊंगी। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् प्लीज बाहर निकाल लो।

जोश में अपुन को ध्यान ही नहीं रह गयला लौड़ा। साधना की चीख ने ही अपुन को होश में लाया। अपुन ने देखा साधना बुरी तरह छटपटा रेली थी। उसके आंसू कुछ ज़्यादा ही बह रेले थे। चेहरे पर भयंकर पीड़ा दिख रेली थी। अपुन एक बार फिर उसकी हालत देख घबरा गया।

उसकी चूत में लन्ड डाले डाले ही अपुन आगे को जा कर झुका और फिर उसके कांपते होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।

अपुन ─ बस मेरी जान। प्लीज शांत हो जाओ। जो दर्द होना था हो गया। अब से कोई दर्द नहीं होगा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू, मेरी जान निकली जा रही है। शश्श्श्श ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत मोटा गर्म सरिया मेरी वजीना में शश्श्श्श समाया हुआ है।

अपुन ─ तुमने अपुन के लिए इतना कुछ सह लिया इसके लिए थैंक्यू मेरी जान। तुम सच में बहुत अच्छी हो।

इस वक्त अपुन को सच में उस पर बहुत प्यार आ रेला था और शायद इसी लिए ये सब बोले जा रेला था। एक तरफ उसके होठों को, उसके चेहरे को और उसके गले को चूमता चाटता तो दूसरी तरफ उसके गोरे मुलायम दूध के गुब्बारों को हल्के से मसलता।

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इसका नतीजा ये हुआ कि साधना के चेहरे पर दिखने वाली असहनीय पीड़ा में काफी कमी नजर आई। अपुन को भी थोड़ा राहत महसूस हुई। अपुन कुछ देर तक यही करता रहा।

अपुन का लन्ड अभी भी उसकी बुर में वैसे ही समाया हुआ था और अपुन को ऐसा लग रेला था जैसे किसी ने अपुन के लन्ड को चारो तरफ से बुरी तरह जकड़ा हुआ हो। अपुन को बड़ा ही अजीब फील हो रेला था। थोड़ी देर बाद अपुन ने उससे पूछा।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ हां पर उतना नहीं।

कुछ देर बाद जब अपुन ने देखा कि साधना वापस अपने पहले वाले रूप में आ गईली है तो अपुन ने धक्का लगाने का सोचा। जैसे ही अपुन ने कमर को पीछे की तरफ कर के लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला तो साधना के मुंह से दर्द भरी आह निकली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। मत करो न प्लीज। दर्द हो रहा है।

अपुन ─ अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अपुन धीरे धीरे अंदर बाहर करेगा। धीरे धीरे दर्द दूर हो जाएगा, ट्रस्ट मी।

साधना ने इस बार कुछ नहीं कहा, बस अपुन को मोहब्बत से देखती रही। जाने क्यों अपुन उसकी मोहब्बत भरी निगाह का सामना न कर सका लौड़ा। इस लिए झुक कर उसके होठों को चूमने चूसने लगा और उधर धीरे धीरे लन्ड को अंदर बाहर करने लगा।

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साधना को दर्द तो हो रेला था लेकिन पहले जैसा नहीं। इस लिए अब अपुन बेफिक्र हो गयला था। अपुन उसको चूमते हुए कुछ देर तक ऐसे ही धीरे धीरे लगा रहा। जब अपुन को महसूस हुआ कि साधना अब दर्द वाली नहीं बल्कि मजे वाली सिसकी ले रेली है तो अपुन ने धक्का लगाने पर थोड़ा जोर लगाया।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू थोड़ा धीरे।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ नहीं, पर जब तुम तेज करते हो तो दर्द होता है।

अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रहा?

साधना ─ थोड़ा थोड़ा आ रहा है बाबू।

अपुन ─ आगे और भी ज़्यादा आएगा।

साधना हल्के से मुस्कुराई। फिर अपुन का चेहरा पकड़ अपुन को नीचे झुकाया और अपुन के होठों को चूमने लगी। अपुन भी बराबर साथ दे रेला था। इधर अपुन के धक्के अब थोड़ा जोर पकड़ रेले थे। साधना की चूत जो पहले अपुन के लन्ड को बुरी तरह कसे हुए थी उसमें अब नरमी आ गईली थी। अपुन को ऐसा फील हो रेला था जैसे अपुन का लन्ड किसी गर्म भट्टी में है और उसकी तपिश में मोम के माफिक पिघल जाएगा।

कुछ ही देर में अपुन के धक्के थोड़ा असमान्य गति से चलने लगे। रूम के अंदर साधना की आहें और सिसकियां गूंज रेली थी। उसे अब मजा आ रेला था जिससे वो भी जोश में आ गईली थी।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत मजा आ रहा है बाबू। थोड़ा और जोर से करो न।

अपुन ─ क्या करूं डियर?

साधना ─ उफ्फ! धक्के मारो न बाबू।

अपुन ─ वो तो अपुन मार ही रेला है लेकिन ये बताओ कि अपन लोग कर क्या रेले हैं?

साधना अपुन की बात सुन कर एकदम से शर्मा गई लेकिन क्योंकि उस पर इस वक्त सेक्स की मदहोशी छाई थी इस लिए जल्दी ही सिसकी लेते हुए बोली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हम लोग से...क्स कर रहे हैं बा...बू।

अपुन ─ हिंदी में बोलो ना। हिंदी में बताओ कि क्या कर रेले हैं अपन लोग?

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् चु...चुदा..ई कर रहे हैं बाबू।

अपुन को उसके मुख से चुदाई शब्द सुन कर बड़ा ही मज़ा आया लौड़ा। ऐसा लगा अपुन की नशों में दौड़ता लहू अब बड़ी तेज़ी से अपुन के अंडकोशों की तरफ भागते हुए आ रेला है। उधर साधना भी मस्ती में डूबी थी। वो जितना आहें और सिसकियां ले रेली थी उतना ही अपुन का साथ देने के वास्ते खुद को अपुन के लन्ड की तरफ झोंक दे रेली थी।

अपुन के अंदर भयंकर जोश बढ़ गयला था। पूरे जिस्म में सनसनी दौड़ रेली थी लौड़ा। बोले तो ऐसा मजा आ रेला था जैसे अपुन जन्नत की सैर कर रेला है। आज से पहले ऐसा मजा और ऐसा गजब का एहसास अपुन ने कभी महसूस नहीं किया था।

अपुन ने साधना की दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और तेज तेज धक्के लगाने लगा।

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अपुन के हर धक्के में साधना ऊपर की तरफ उछल जाती जिससे उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारे भी उछल पड़ते। अपुन का मजा हर गुजरते पल के साथ ही बढ़ता ही जा रेला था बेटीचोद।

अपुन ─ ओह माय डियर, तुम्हारी चूत में लंड अंदर बाहर करने से मस्त मज़ा आ रेला है। क्या तुम्हें भी ऐसा ही मजा आ रेला है?

साधना मजे और मस्ती में डूबी जोर जोर से सिसकियां ले रेली थी। अपुन के पूछने पर उसने धीरे से आंखें खोली और बोली।

साधना ─ उफ्फ! मत पूछो बाबू आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श लगता है इस शश्श्श्श मजे से प...पागल हो जाऊंगी मैं शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ क्या अपन लोग अब से हर रोज ऐसा मजा कर सकते हैं?

साधना ─ हां बाबू शश्श्श्श अ..ब से हम रोज मजा करेंगे।

अपुन ─ लेकिन हर रोज तुम घर में अकेले कहां रहोगी यार? आज की तरह ऐसा मौका कैसे मिलेगा मेरी जान?

साधना ─ हां ये तो शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुमने सही कहा बाबू। फिर तुम ही बताओ हम कैसे मजा कर सकेंगे?

अपुन को तो खुद भी कुछ समझ नहीं आ रेला था लौड़ा तो उसे बताता कैसे? अचानक अपुन ने फील किया कि अपुन झड़ने के करीब आ गयला है। तभी साधना की आहें और सिसकियां और भी तेज हो गईं।

अपुन के देखते ही देखते उसकी कमर एकदम से ऊपर उठ गई और फिर वो झटके खाने लगी लौड़ी। उसके झटके की वजह से अपुन ने उसे और मजबूती से पकड़ा मगर तभी उसके गर्म पानी ने अपुन के लन्ड को ऐसा पिघलाया कि अपुन खुद को चाह कर भी रोक न सका बेटीचोद।

साधना के झटके रुके भी नहीं थे कि अपुन को भी झटके लगने लगे लौड़ा। बोले तो ऐसा लगा जैसे अपुन के अंदर से अपुन की जान ही निकली जा रेली हो बेटीचोद। अपुन का मजे की तरंग में इतना बुरा हाल हुआ कि अपुन को उसकी चूत से लन्ड निकालने का भी होश न रहा और अपुन उसकी चूत में ही झड़ता चला गया।

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झड़ते वक्त जो मजा फील किएला था उसे अपुन शब्दों में नहीं लिख सकता लौड़ा। बोले तो उसकी कोई डेफिनेशन ही नहीं कर सकता अपुन।

खैर जब अपुन के अंदर का लावा पूरी तरह साधना के अंदर निकल गया तो अपुन किसी बेजान पुतले की तरह उसके ऊपर ही ढेर हो गया लौड़ा। सिर्फ अपन दोनों की उखड़ी सांसें ही रूम में गूंजती रहीं।

अपुन आँखें बंद किए साधना के गोरे गोरे गोल गुब्बारों पर चेहरा रखे ढेर हुआ पड़ा था और अभी भी उस मजे के एहसास में खोया हुआ था कि तभी अपुन ने अपने सिर पर साधना के हाथ महसूस किए। वो बड़े प्यार से अपुन के सिर पर हाथ फेरने लग गईली थी।

अपुन कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा उसके बाद सिर को थोड़ा सा उठा कर उसको देखा। इतने करीब से पसीने में नहाया हुआ और थोड़ा सुर्ख पड़ा हुआ उसका चेहरा देखा तो अपुन को अलग ही फील आया लौड़ा। उधर जैसे ही उसने अपुन को खुद की तरफ देखते देखा तो जाने क्या सोच के शर्मा गई और आँखें बंड कर के अपना चेहरा फेर लिया।

अपुन ये देख मुस्कुरा उठा। इस वक्त अपुन को वो बड़ी खूबसूरत लग रेली थी, किसी खिल चुके गुलाब की मानिंद। अपुन को उस पर बड़ा प्यार आया तो अपुन थोड़ा ऊपर को हुआ और फिर उसका चेहरा थाम कर उसके होठों को चूम लिया।

अपुन ─ थैंक्यू साधना...मेरी जान, तुमने आज अपुन को इतनी बड़ी खुशी दी और अपुन को पहली बार चुदाई का एक्सपीरियंस करवाया। थैंक्यू सो मच डियर।

साधना अपुन की बात सुन और खास कर चुदाई सुन पहले तो लजा गई फिर सम्हल कर बोली।

साधना ─ धत्...बहुत गंदे हो तुम। और हां थैंक्यू मत कहो। मैंने भी तो पहली बार ही सेक्स के इस अद्भुत आनंद का एहसास किया है। तुम्हें पता है, मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ये तुम्हारे साथ किया। उसके साथ जिसे मैं प्यार करती हूं।

अपुन को समझ न आया कि क्या बोले। असल में अपुन उससे प्यार वाली बात सुन के थोड़ा असहज होने लग जाता था लौड़ा। अपुन को प्यार व्यार के चक्कर में पड़ने का बिलकुल भी शौक नहीं था और शायद यही वजह थी कि अपुन साधना के प्यार को एक्सेप्ट नहीं करना चाहता था। अपुन तो बस मजा करना चाहता था जोकि मिल भी गयला था।

खैर अपुन को जब कुछ जवाब न सूझा तो अपुन थोड़ा नीचे सरका और उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारों को थाम कर हौले हौले सहलाना शुरू कर दिया।

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उसके गुब्बारे सच में बहुत हसीन और आकर्षक थे। लौड़ा मन ही नहीं भरता था उनको मसल के। साधना ये देख हल्के से मुस्कुराई और फिर बोली।

साधना ─ क्या बात है बाबू, तुम सबसे ज्यादा इन्हें ही क्यों प्यार करते हो?

अपुन ─ क्योंकि ये तुमसे भी ज्यादा प्यारे हैं लगते हैं अपुन को। मन करता है इन्हें हाथों में ही लिए रहे अपुन और इन्हें चूसता रहे।

साधना थोड़ा शरमाई लेकिन फिर बोली।

साधना ─ अच्छा जी ऐसा क्या?

अपुन ─ हां।

साधना ─ और क्या क्या अच्छे लगते हैं मेरे?

अपुन ─ तुम्हारे रसीले होठ, तुम्हारे ये बूब्स, तुम्हारा गोरा चिकना पेट और उसके बीच आकर्षक नाभि।

साधना ये सुन शरमाई भी और खुशी से मुस्कुराई भी, फिर बोली।

साधना ─ और??

अपुन ─ और....हां और तुम्हारी चूत और उसका नमकीन पानी।

साधना ─ धत् बेशरम।

साधना बुरी तरह लजा गई थी। शर्म मिश्रित मुस्कान सजाए उसने हथेलियों में अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुम न...बहुत गंदे हो। कैसे बेशर्मों की तरह ऐसे गन्दे गन्दे शब्द बोलते हो।

अपुन ─ गंदे गंदे शब्द बोलने से ही तो सबसे ज्यादा मजा आता है और जोश चढ़ता है। बोलो क्या गलत बोल रेला है अपुन?

साधना ─ मुझे नहीं पता।

अपुन ─ तुम्हें सब पता है, बस बताना नहीं चाहती अपुन को।

साधना ─ हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं। मुझे बहुत शर्म आती है ऐसे गन्दे शब्द सुन कर।

अपुन ─ शुरू शुरू में अजीब लगता है लेकिन फिर ईजी हो जाता है बोलना। बाद में तो मजा आता है बोलने में। एक बार बोल के दिखाओ तो।

साधना ─ न जी न। मैं नहीं बोल सकती।

अपुन ─ देखो तुमने अपुन से प्रॉमिस किया था कि अपुन जो बोलेगा करोगी।

साधना ने अपुन को गहरी नजर से देखा। जैसे समझना चाहती हो कि अपुन कहीं नाराज़ तो नहीं हो गयला है?

साधना ─ नाराज़ मत हो बाबू।

अपुन ─ तो फिर बोलो जो कह रेला हूं।

साधना ─ ठीक है, बताओ क्या बोलना है मुझे?

अपुन ─ अभी अपुन तुमसे जो जो पूछेगा उसका तुम क्लियर हिंदी में सच सच जवाब दोगी।

साधना ─ ठीक है।

उसकी रजामंदी देख अपुन के अंदर बड़ा अजीब सा फील होने लगा था लौड़ा। बोले तो मस्त गुदगुदी होने लग गईली थी। एक बार फिर से अपुन के अंदर हवस वाला नशा छाने लगा था।

अपुन ─ ओके, तो बताओ अभी अपन दोनों ने क्या किया था?

साधना ये सुन के थोड़ा शरमाई। उसका चेहरा लाज से सुर्ख पड़ गया लेकिन अब वो मजबूर थी इस लिए उसने खुद को किसी तरह तैयार किया और फिर बोली

साधना ─ चु...चुदाई।

अपुन उसके मुख से चुदाई सुन कर मन ही मन खुश भी हुआ और अपनी सफलता पर हंसा भी।

अपुन ─ वेरी गुड। अब बताओ अपन लोग किस तरह चुदाई कर रेले थे? अपुन का मतलब है कि चुदाई कैसे हो रेली थी?

साधना ने कुछ पल सोचा फिर शर्माते हुए बोली।

साधना ─ वो...तुम्हारा लं...लंड मेरी चू...चूत में था और तुम अपने लं..लंड से मुझे चो...चोद रहे थे।

साधना का ये जवाब सुन अपुन का लन्ड पलक झपकते ही अकड़ गया लौड़ा। अपुन क्योंकि उसके ऊपर से नीचे आ कर उसके बगल से ही लेट गयला था इस लिए अपुन ने जोश में आ कर अपनी कमर को उसकी तरफ दबाया तो अपुन का अकड़ा हुआ लन्ड सीधा उसकी जांघों पर लगा। साधना के मुख से सिसकी निकल गई और वो अपुन की तरफ करवट ले ली।

साधना ─ तुम्हारा ये तो फिर से खड़ा हो गया बाबू।

अपुन ─ किसकी बात कर रेली हो? नाम ले कर बताओ न।

साधना फिर से थोड़ा शरमाई फिर सहसा अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपुन के लन्ड को पकड़ कर बोली।

साधना ─ तुम्हारे इस लं..लन्ड की बात कर रहीं हूं। उफ्फ कितना बड़ा है ये और कितना गर्म भी।

अपुन ─ तुम्हारी ही गर्मी से गर्म है ये और चाहता है कि तुम फिर से इसे प्यार करो।

साधना ─ अच्छा जी।

साधना ने अपुन के लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया था जिससे अपुन के अंदर मजे की तरंगें उठने लगीं थी। अपुन ने चेहरा आगे कर के उसके होठों को मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। साधना एक हाथ से अपुन का लन्ड पकड़े खुद भी अपुन के होठ चूमने चूसने लगी। मगर जल्द ही अपुन ने उसके होठ छोड़े।

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अपुन ─ अपुन का फिर से तुम्हें चोदने का मन कर रेला है।

साधना अपुन की बात सुन फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ मन तो मेरा भी कर रहा है बाबू लेकिन फिर से दर्द होगा तो कैसे सहन कर पाऊंगी?

अपुन ─ अरे! अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा। अब तो अपुन के लन्ड ने तुम्हारी चूत के अंदर अपने लिए जगह बना ली है। इस लिए अब वो आराम से अंदर बाहर होगा और तुम्हें मजा देगा।

साधना ─ ठीक है, जैसा तुम चाहो करो।

अपुन तो लौड़ा चाहता ही यही था। अपुन भूल ही नहीं सकता था कि साधना को चोदने में थोड़ी देर पहले कितना मजा आयला था अपुन को। अपुन ने झट से उसे सीधा किया और उसके ऊपर आ गया।

पहले तो अपुन ने उसके होठों को जी भर के चूमा चूसा और फिर नीचे सरक कर उसकी गोरी गोरी चूचियों को मसला चूसा। उसके बाद सीधा नीचे ही पहुंच गया लौड़ा।

साधना फिर से मस्ती में आ गईली थी। इधर अपुन नीचे आया तो देखा दोनों जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी चूत की हालत थोड़ी खराब थी। बेड शीट पर नीचे अपन दोनों का माल भी था और उसका खून भी जिसके लाल धब्बे सफेद बेड शीट पर साफ दिख रेले थे। ये देख अपुन को थोड़ी घबराहट हुई।

अपुन ने थोड़ा झुक उसकी चूत को देखा। अपन दोनों का माल अभी भी उसमें लगा हुआ था और वो थोड़ा सूझी हुई थी। अपुन ने धड़कते दिल से हाथ बढ़ा कर उसके गुलाबी होठों को छुआ तो एकदम से साधना को झटका लगा और उसके मुख से दर्द भरी सिसकी निकल गई। अपुन ने फौरन ही हाथ हटा लिया। फिर उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुमने वहां छुआ तो दर्द भरी टीस पूरे बदन में दौड़ गई मेरे।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? इतना तो अपुन देख ही चुका था कि उसकी चूत से खून निकला है और उसका हाल भी बुरा नजर आ रेला है। ऐसे में अगर छूने से ही उसे दर्द हो रेला है तो चुदाई होने पर तो लौड़ी का बुरा हाल ही हो जाएगा।

तभी साधना एकदम से उठ बैठी। जांघों पर जोर पड़ा तो उसके मुख से कराह निकल गई। उसकी दोनों टांगें अलग अलग फैली हुईं थी। अपुन थोड़ा पीछे हट कर बैठ गयला था। अपुन ने देखा उसके चेहरे पर दर्द के चिन्ह थे। उसने पहले अपुन की तरफ देखा और फिर वो अपनी चूत की तरफ देखने की कोशिश करने लगी। थोड़े ही प्रयास में उसकी नजर बेड शीट पर और अपनी चूत पर पड़ गई।

बेड शीट पर खून के धब्बे देख उसकी आँखें फैलीं और साथ ही जब उसने अपनी चूत की हालत देखी तो जैसे घबरा ही गई।

साधना ─ माय गॉड ये...ये कैसी हो गई है बाबू?

अपुन क्या बोले लौड़ा? अपुन को खुद समझ न आया कि क्या जवाब दे? हालांकि ये तो अपुन जानता था कि ऐसा कैसे हुआ था। अपुन को कुछ न बोलता देख साधना घबराई सी फिर से बोली।

साधना ─ ये तो सूझ गई है बाबू। तभी तो तुम्हारे छूने बस से ही मुझे दर्द हुआ था। अगर ये ऐसे ही सूझी रही तो क्या होगा? कल पापा आ जाएंगे और अगर उन्हें पता चल गया तो???

साधना एकाएक बुरी तरह घबरा उठी थी। उसका सारा सेक्स का नशा उड़न छू हो गयला था। अपुन भी ये सोच के घबरा गया कि अगर सच में उसके बाप को पता चल गया तो क्या होगा? बेटीचोद, कहीं उसके पूछने पर साधना ने सारा सच उगल दिया तो अपुन की तो बैंड ही बज जाएगी लौड़ा। अपुन के घर वाले तो अपुन की गांड़ ही फाड़ देंगे। अमित, हां अमित को जब पता चलेगा कि अपुन की वजह से ही उसकी बहन का ये हाल हुआ है तो लौड़ा वो तो अपुन का सिर ही फोड़ देगा।

बेटीचोद, अपुन जितना सोचता गया उतना ही अपुन की गांड़ फटती चली गई लौड़ा। सेक्स और हवस के जोश में अपुन का लौड़ा जो इसके पहले अपने फुल फॉर्म में आ गयला था वो इस सबके सोचते ही गायब हो गया और वो मुरझा गया।

मजा तो खूब मिला था अपुन को लेकिन अब इस मजे की सजा का खयाल आते ही अपुन के तोते उड़ गएले थे। एकदम से खयाल आया कि अपुन को ये सब नहीं करना चाहिए था बेटीचोद।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy.. :declare:
Nice update....
 

Death Kiñg

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Death Kiñg bro...kafi time baad dikhe men, kidhar gayab rahte ho :dost:
Bas jeevan ki bhagdaud me sab kuchh pichhe chhutate nazar aa raha ab to :sad:.. kabhi kabhi to lagta hai ki lockdown ke din hi achhe the :verysad:
Kya kare men, achha content padhne wale apan ke ju jaise readers gayab ho gaye hain is liye yahi sab bakwas likhne baith gaya time paas plus incest bhakto ke manoranjan ke liye :sigh:

Dekh lo achhi cheejo ki kadar nahi hoti aur bakwas cheezo par kaise log views badha rele hain. Ghor kaliyug lag gaya hai ab :D
Waise achha hi hai ye bhi Shubham bhai, ek baar to us raaste bhi jaane me koyi burayi nahi jahan aap kabhi nahi gaye :hinthint:.. baaki aapse behtar kaun jaanta hai forum par readers log ke baare me?
 

The_InnoCent

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Update ~ 10




बेटीचोद, अपुन जितना सोचता गया उतना ही अपुन की गांड़ फटती चली गई लौड़ा। सेक्स और हवस के जोश में अपुन का लौड़ा जो इसके पहले अपने फुल फॉर्म में आ गयला था वो इस सबके सोचते ही गायब हो गया और वो मुरझा गया।

मजा तो खूब मिला था अपुन को लेकिन अब इस मजे की सजा का खयाल आते ही अपुन के तोते उड़ गएले थे। एकदम से खयाल आया कि अपुन को ये सब नहीं करना चाहिए था बेटीचोद।



अब आगे....


हालत तो साधना की भी खराब थी लेकिन ये भी सच था कि इस सीरियस सिचुएशन को उसी ने नॉर्मल बनाया था। असल में अपुन की गांड़ फटी वाली हालत देख उसे लगा था कि अपुन उसकी हालत देख टेंशन में आ गयला है तो उसने खुद को मजबूत बनाने का सोच लिया था और जबरन मुस्कुराने लगी थी लौड़ी। फिर अपुन को समझाने भी लगी थी कि अपुन को उसके लिए इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है। बोले तो वो ठीक है और उसकी ये हालत सुबह तक ठीक हो जाएगी।

अपुन को राहत तो मिली थी लौड़ा लेकिन अपुन का मजा थोड़ा खराब हो गयला था। ऐसा इस लिए क्योंकि उसने कहा था कि उसकी हालत सुबह तक तभी ठीक हो सकती है जब अपन लोग दुबारा सेक्स....हट लौड़ा सेक्स क्या होता है? मतलब कि अपन लोग दुबारा चुदाई न करें।

बेटीचोद, इस बात से तो अपुन का भेजा ही खिसक गयला था पर क्या कर सकता था? अपुन ये भी नहीं चाहता था कि जोर जबरदस्ती के चलते भारी गड़बड़ हो जाए और दुबारा साधना की चूत मारने को न मिले। इस लिए अपुन ने मन मार लिया था।

अब क्योंकि अपुन ऐसे खाली तो बैठे नहीं रह सकता था। बोले तो रात के इस वक्त घर में बिना किसी की जानकारी के यहां आयला था तो साधना के साथ कुछ तो मजा करना ही था अपुन को। सोने को तो अपुन अपने घर में भी सो सकता था पर यहां जब साधना जैसी खूबसूरत माल हो तो सोने का सोचना भी जैसे पाप था लौड़ा।

पर मजा करने से पहले जरूरी था कि थोड़ा हालत को ठीक किया जाए। मतलब कि साधना की हालत खराब थी तो जरूरी था कि उसके लिए कुछ किया जाए। अपुन को तो घंटा कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या करे इस लिए साधना को ही उपाय सूझा था। यानि उसने अपनी चूत की सूजन को और साथ ही उसमें हो रहे दर्द को दूर करने के लिए गर्म पानी से सेंकाई करने को कहा था।

बस फिर अपन लोग ने ऐसा ही किया। बोले तो रात के अंधेरे और सन्नाटे में अपन लोग ने मोबाइल से रोशनी कर के किचेन में जा कर पहले पानी गर्म किया और फिर उस गर्म पानी को रूम के अटैच बाथरूम में ला कर साधना के चूत की सेंकाई की। इस सबमें साधना को थोड़ी बहुत तकलीफ तो हुई लेकिन उसी ने कहा था कि ये करना ज़रूरी है इस लिए किया। आखिर एक घंटे की मेहनत के बाद नतीजा ये निकला कि उसे अब पहले से आराम था। शुक्र था कि उसकी मां के पास पेन किलर भी रखी हुई थी जिसकी याद आते ही उसने अपुन के द्वारा अपनी मां के रूम से मंगवा लिया था। कुल मिला कर अब सिचुएशन पहले से काफी बेहतर थी।

इस वक्त अपन दोनों बेड पर एक दूसरे की तरफ करवट लिए पड़े हुए थे। साधना अपुन को बड़ी मोहब्बत से देखे जा रेली थी। असल में उसे अपुन का इतना ज्यादा केयर करना अच्छा लगा था। अब भला उस लौड़ी को क्या पता था कि अपुन ने तो अपुन की गांड़ न फटे इस लिए ऐसा किएला था।

खैर अपुन को लौड़ा तभी प्रॉब्लम होने लगती थी जब वो अपुन को मोहब्बत भरी नजरों से देखती थी। अपुन उसके इस तरह देखने से अंदर ही अंदर घबरा जाता था और कहीं न कहीं ये सोच के ग्लानि भी होने लगती थी कि एक वो है जो अपुन को प्यार करती है और अपुन की खुशी के लिए क्या कुछ कर रेली है और एक अपुन है जो उसकी मोहब्बत का ज़रा भी खयाल नहीं रख रहा और सिर्फ उसे चोदना चाहता है, हट लौड़ा।

तभी साधना की मधुर आवाज से अपुन चौंका।

साधना ─ काश! इस रात की कभी सुबह न हो और हम दोनों ऐसे ही इस बेड पर एक साथ लेटे रहें।

अपुन ─ अपन लोग जो चाहते हैं वैसा ज्यादातर होता नहीं है और ये होना तो इंपॉसिबल है।

साधना ─ हां जानती हूं बाबू लेकिन दिल तो यही चाहता है न।

अपुन ─ दिल को समझा के रखो।

साधना ─ तुम ही बताओ अपने दिल को कैसे समझाऊं?

अपुन क्या बताता? सच तो ये था कि उसके द्वारा प्यार मोहब्बत वाली बातें शुरू करते ही अपुन के अंदर बेचैनी होने लग गईली थी। बोले तो अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। अपुन की धड़कनें बढ़ जाती थी और अपुन को किसी अनिष्ट के होने की आशंका होने लगती थी।

इतना तो अपुन समझ चुका था कि साधना सच में ही अपुन को प्यार करती है। ये उसका प्यार ही था कि उसने अपुन को अपना सब कुछ सौंप दिएला था। उसकी जगह कोई और होती तो ये सब होना या तो इंपॉसिबल था या फिर ये सब करना इतना आसान न होता।

साधना ─ झूठ मूठ का ही बोल दो बाबू कि तुम भी मुझे प्यार करते हो। तुम्हारे मुख से अपने लिए आई लव यू सुनना चाहती हूं। प्लीज बोल दो न जान।

अपुन ─ क्या झूठ सुनने से तुम्हें खुशी मिलेगी?

साधना ─ हां जरूर मिलेगी बाबू। मैं अपने दिल को ये कह कर समझा लूंगी कि तुम सच में ही मुझसे प्यार करते हो।

अपुन ─ देखो साधना पागल मत बनो। अपुन ने सुना है कि प्यार मोहब्बत बहुत खतरनाक चीज होती है। ये जिससे होती है उसी को पाने के लिए पागल रहती है और जब वो नहीं मिलती तो बहुत दुख होता है। अपुन नहीं चाहता कि तुम्हें किसी तरह का दुख झेलना पड़े। इस लिए झूठ भी मत सुनो क्योंकि इस झूठ को जब तुम अपने दिल से सच कहोगी तो वो सच में इसे सच मान लेगा और फिर तुम्हें पता भी नहीं चलेगा कि कब वो तुम्हें इसके लिए मजबूर करना शुरू कर दे।

साधना ─ तुम्हें कैसे पता कि मेरा दिल इस सबके लिए मुझे मजबूर करने लगेगा?

अपुन फ़ौरन कोई जवाब न दे सका। लौड़ा अपुन को सूझा ही नहीं कि क्या जवाब दे? अपुन खुद भी थोड़ा हैरान हुआ कि ये अपुन के मुख से कौन से लेवल की फिलॉस्फी निकल गईली है? पर लौड़ा कोई तो जवाब देना ही था उसे, इस लिए बोला।

अपुन ─ वो अपुन ने दो चार लव स्टोरी पढ़ेली थी उसी में अपुन को ये सब पढ़ने को मिलेला था।

साधना ने अपुन को गहरी नजरों से देखा। अपुन ज्यादा देर तक उससे नज़रें न मिला सका। अपुन एकदम से ही बेचैन और परेशान सा हो उठा। बोले तो अब अपुन का दिमाग पूरी तरह खराब होने को आ गयला था। तभी साधना बोली।

साधना ─ मैं बहुत कोशिश करती थी तुम्हें अपने दिल से निकालने की और आज से पहले तक शायद कहीं न कहीं मैं कामयाब भी थी लेकिन अब ये सब होने के बाद शायद ही मैं तुम्हें अपने दिल से निकाल पाऊं।

साधना की ये बात सुन कर अपुन को जोर का झटका लगा। दिल की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक दौड़ने लगीं लौड़ा। पलक झपकते ही दिमाग में यही खयाल आया कि बेटीचोद कहीं ये अपुन को किसी मुसीबत में न फंसा दे। बोले तो अपुन के लिए अच्छा यही होगा कि फ़ौरन ही भाग ले यहां से।

अपुन के दिमाग में तूफान खड़ा हो गयला था लौड़ा। बार बार अंदर से कोई आवाज दे रेला था कि विराट लौड़े भाग ले बेटा वरना लौड़े लग जाएंगे तेरे। फिर एकदम से अपुन को खयाल आया कि जब तक कुछ किया नहीं था तब तक अपुन सेफ था, मतलब कि वो अपुन को फंसा नहीं सकती थी लेकिन अब तो अपुन ने उसे चोद दिया है इस लिए इस मामले को ले कर वो अपुन को फंसा भी सकती है। लौड़ा कानून भी उसी का साथ देगा, और न्याय के रूप में अपुन को उसके साथ शादी भी करनी पड़ेगी।

ये सब सोचते ही अपुन की गांड़ फट गई लौड़ा। बोले तो अपुन की मां ही चुद गई बेटीचोद। तभी साधना की आवाज से अपुन को होश आया। वो लौड़ी अपुन की एकाएक बिगड़ी हालत देख घबरा गईली थी।

साधना ─ क्या हुआ बाबू? तुम ठीक तो हो न?

अपुन उसे क्या बताता कि इस वक्त क्या सोच के अपुन की फटी पड़ी है और अपुन क्या क्या सोच रेला है? पर कुछ तो जवाब देना ही था इस लिए बोला।

अपुन ─ हां...हां अपुन ठीक है।

साधना को शायद कुछ ठीक नहीं लग रेला था इस लिए झट से अपुन का चेहरा थाम लिया और अपुन से बोली।

साधना ─ नहीं बाबू, कुछ तो बात है। तुम अचानक से बहुत ज्यादा बेचैन और घबराए हुए नजर आने लगे हो। बताओ न बाबू क्या हो गया है तुम्हें?

अपुन ─ क..कुछ नहीं हुआ है। अपुन ठीक है, ट्रस्ट मी।

साधना कुछ पलों तक ध्यान से देखती रही अपुन को फिर एकदम से अपुन की तरफ सरकी और अपुन के होठों पर अपने सुलगते होठ रख दिए।

लौड़ा, उसके ऐसा करते ही अपुन पलक झपकते ही जैसे सब कुछ भूल गया। पूरे बदन में अपुन के करेंट दौड़ने लगा। उधर वो लौड़ी ऐसे अंदाज में अपुन के होठ चूसे जा रेली थी कि अपुन आधे मिनट से पहले ही किसी दूसरी दुनिया में पहुंच गया। अपुन के अंदर मदहोशी का नशा छाता चला गया और जाने कब अपुन भी उसका साथ देने लगा।

अपन दोनों ही नंगे थे इस लिए दोनों ही एक दूसरे के जिस्म को सहलाते जा रेले थे। कुछ ही देर में आलम ये था कि अपुन के कारनामे से साधना एक बार फिर से आहें भरने लगी थी। रूम के अंदर उसकी आहें और मादक सिसकारियां गूंजने लगीं थी।

अपुन उसके गोरे मुलायम दूध को मसल रेला था और दूसरे वाले के निप्पल को चूस रेला था। साधना बुरी तरह मचल रेली थी। इधर अपुन का लन्ड पूरे आकार में खड़ा हो के उसकी जांघों के आस पास चक्कर लगा रेला था। सहसा तभी अपुन ने महसूस किया कि साधना ने अपुन का लन्ड थाम लिया है।

उसके कोमल कोमल हाथ का स्पर्श पाते ही अपुन के लन्ड में सनसनी होने लगी। अपुन ने झट उसे छोड़ा और फिर सरक कर ऊपर ही आ गया। अब अपुन का लन्ड साधना के एकदम करीब था, पूरे रौद्र रूप में।

अपुन ─ अब तो ये तुम्हारी चूत में जा नहीं सकता इस लिए इसे ठंडा करने के लिए इसे मुंह में ले कर चूसो मेरी जान।

साधना अपुन की बात सुन कर झट से उठ बैठी। इस चक्कर में उसकी जांघों के बीच टीस उठी तो उसके मुख से दर्द भरी सिसकी निकल गई। उठ कर बैठने के बाद उसने हाथ बढ़ा कर अपुन के लन्ड को पकड़ लिया।

साधना ─ उफ्फ ये जब पूरी तरह खड़ा हो जाता है तो कितना बड़ा और भयानक लगने लगता है।

अपुन ─ क्या तुम्हें इससे डर लग रेला है?

साधना ─ हां थोड़ा थोड़ा लग रहा है बाबू। इसी ने तो मेरी मुनिया की हालत खराब की है।

अपुन ─ ये मुनिया क्या होता है? साफ साफ उसका नाम लो न।

साधना थोड़ा शरमाई फिर नजरें झुका कर बोली।

साधना ─ इसने मेरी चूत की हालत खराब कर दी है। उफ्फ बाबू ये तुम मुझसे क्या क्या बुलवा रहे हो? कुछ तो शर्म करो।

अपुन ─ जिसने की शरम, उसके फूटे करम। ऐसा अपुन ने कहीं सुनेला है।

साधना ये सुन कर हंस पड़ी। एक हाथ से वो अपुन के लन्ड को भी धीरे धीरे सहला रेली थी। उसकी नज़रें अपुन के लन्ड पर ही जमी थीं।

अपुन ─ अब सहलाती ही रहेगी या इसे प्यार भी करोगी?

साधना ने सिर उठा कर एक बार अपुन को देखा और फिर शर्माते हुए आहिस्ता से झुकने लगी। जल्दी ही उसके कोमल होठों की तपिश अपुन के लन्ड के टोपे पर स्पर्श हुई।

अपुन के पूरे बदन में सनसनी दौड़ गई। मजे की तरंग में अपुन की आँखें बंद हो गईं और साथ ही अपुन ने अपना एक हाथ साधना के सिर पर रख दिया। साधना ने लन्ड के टोपे पर जीभ घुमाई और फिर मुंह खोल कर टोपे को अंदर ले लिया।

अगले ही पल उसके गर्म मुंह का एहसास हुआ तो अपुन एक बार फिर से रोमांचित हो उठा और उसके सिर पर रखे हाथ को थोड़ा जोर दे कर उसके सिर को लन्ड की तरफ झुकाया। अपुन से रहा न गया तो अपुन वहीं बेड से टेक लगा के अधलेटा सा हो गया। अब अपुन का लन्ड क्लियरली साधना के मुंह में जा सकता था।

साधना एक हाथ से अपुन का लन्ड पकड़े टोपे को धीरे धीरे चूस रेली थी। अंदर से जीभ को बार बार टोपे पर घुमाती तो अपुन के अंदर तेज सनसनी होती जिससे अपुन की सिसकी निकल जाती।

अपुन ─ आह्ह्ह्ह् साधना मेरी जान, ऐसे ही चूसो। थोड़ा और मुंह में लो न डियर।

साधना कुछ बोली नहीं, बस मुंह खोल के सिर को थोड़ा और नीचे की तरफ झुकाया जिससे अपुन का लन्ड उसके मुंह में थोड़ा और चला गया। उसके मुख के अंदर की गर्मी से अपुन का लन्ड पिघल सा रेला था और उसके होठों की गिरफ्त से अपुन को बड़ा ही अजीब लेकिन मजे का एहसास हो रेला था।

कुछ ही देर में अपुन ने देखा कि साधना एक हाथ से लन्ड को पकड़े करीब आधा लन्ड मुंह में भर लेती और फिर उसे बाहर निकालती। झुके होने की वजह से उसकी तेज चलती सांसें अपुन के जांघों के बीच पड़ रेली थी जिससे अपुन को अजीब सी झुनझुनी हो रेली थी।

अपुन ─ ओह! साधना, कितना अच्छा लग रेला है। बोले तो मस्त मजा आ रेला है अपुन को।

अपुन की ये बात सुनते ही साधना ने झट से अपुन का लन्ड मुंह से निकाल दिया और सिर उठा कर सीधा बैठ गई। उसकी सांसें उखड़ी हुईं थी। चेहरा अजीब सा दिख रेला था। मुंह भी अजीब सा बनाया हुआ था उसने। इधर जैसे ही उसने लन्ड मुंह से बाहर निकाला तो अपुन ने आँखें खोल कर उसे देखा। बोले तो अपुन के मजे में खलल पड़ गयला था जिससे अपुन को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था।

साधना झट से पलटी और बेड के नीचे फर्श पर थूकने लगी। फिर वापस अपुन की तरफ घूमी तो अपुन ने देखा उसने अजीब सा मुंह बनाया हुआ था।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुम्हें तो मजा आ रहा था लेकिन मुझे बहुत अजीब फील हो रहा था इस लिए तुम्हारे लं...लंड को बाहर निकाल दिया।

अपुन को उसकी ये बात सुन कर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। अपुन ने इस बार नाराजगी से देखा उसे।

अपुन ─ जब अपुन तुम्हारी चूत चाट रेला था तब अपुन ने नहीं कहा था कि अपुन को बड़ा अजीब फील हो रेला है। अपुन चाटता ही रहा था क्योंकि अपुन को अच्छा लग रेला था और तुम्हें भी बहुत मज़ा आ रेला था। लेकिन तुम्हें अपुन का लन्ड चूसने में न तो अच्छा लग रेला है और न ही मजा आ रेला है।

साधना अपुन की गुस्से में कही ये बातें सुन कर एकदम से हड़बड़ा गई और साथ ही घबरा भी गई।

साधना ─ सॉरी बाबू। मेरा वो मतलब नहीं था। प्लीज गुस्सा मत हो।

अपुन ─ तुमने जो किया है क्या उससे गुस्सा नहीं आएगा?

साधना ─ सॉरी बाबू। तुम्हारी बात बिल्कुल सही है। मैं मानती हूं कि ऐसे में गुस्सा आएगा लेकिन समझने की कोशिश करो जान कि हर कोई एक जैसा नहीं होता।

अपुन ─ क्या मतलब है तुम्हारा एक जैसा नहीं होता? क्या तुम ये कहना चाहती हो कि अपुन कुत्ता है जो किसी की भी चूत बड़े आराम से चाट सकता है और तुम एक इंसान हो इस लिए लन्ड चूसने में तुम्हें प्रॉब्लम होती है?

साधना अपुन की बात सुन कर और भी घबरा गई। पलक झपकते ही उसकी आंखें भर आईं। रुंधे गले से बोली।

साधना ─ ये ये तुम क्या बोले जा रहे हो बाबू। प्लीज ऐसा मत बोलो। मेरा वो मतलब नहीं था। मुझे माफ कर दो प्लीज।

अपुन का सच में भेजा घूम गयला था। बेटीचोद, ऐसा भी नहीं था कि अपुन का लन्ड इतना गंदा दिखता था या उसके आस पास बालों की गंदगी उगी हुई थी। बोले तो अपुन का लन्ड अपुन के रंग से बस थोड़ा ही अनफेयर था और झांटों का तो नामो निशान तक नहीं था। अपुन को झांटे पसंद ही नहीं थी लौड़ा। इसके बावजूद वो लौड़ी बोल रेली थी कि उसे अजीब फील हो रेला है, हट लौड़ी।

साधना अपुन को मनाने में लगी थी और अपुन का दिमाग लौड़ा शांत ही नहीं हो रेला था। फिर अचानक ही जब साधना सुबकने लगी तो अपुन को झटका लगा। पलक झपकते ही अपुन का गुस्सा झाग की तरह ठंडा पड़ गया लौड़ा।

साधना ─ प्लीज मुझे माफ कर दो बाबू। अब से कभी ऐसा नहीं बोलूंगी। बस एक बार मान जाओ।

अपुन ने उसे खींच कर गले से लगा लिया। बेटीचोद उसके यूं सुबकने पर अपुन को अब जा के बुरा लगने लग गयला था। खुद पर ये सोच के गुस्सा भी आया कि इतनी छोटी सी बात पर अपुन ने उसे रुला दिया।

अपुन ─ प्लीज चुप हो जाओ एंड आई एम सॉरी। पता नहीं कैसे गुस्सा आ गयला था अपुन को।

साधना ─ नहीं मेरी गलती थी। तुम्हारा गुस्सा करना जायज था।

अपुन ने इस बात को ज्यादा लंबा करना ठीक नहीं समझा इस लिए उसे प्यार से अलग किया और बेड पर लिटा दिया। वो मासूम सी शक्ल बनाए अपुन को ही देखे जा रेली थी। अपुन भी उसके साथ लेट गया। जैसे ही अपुन लेटा तो वो उठ गई। ये देख अपुन बोला।

अपुन ─ क्या हुआ? उठ क्यों गई?

साधना ─ वो मैं तुम्हारा लं...लंड मुंह में ले कर तुम्हें शांत कर देती हूं। ऐसे तो तुम्हें भी शांति नहीं मिलेगी न बाबू। मैं नहीं चाहती कि मेरी जान रात भर बेचैन रहे।

अपुन ─ अरे! अब इसकी जरूरत नहीं है। अपुन का लन्ड अब खुद ही शांत हो के बैठ गयला है। इस लिए अब तुम आराम करो और सो जाओ। वैसे भी तुम्हारी हालत ठीक नहीं है।

साधना ─ नहीं बाबू, मैं ठीक हूं। तुम आराम से लेटे रहो, मैं इस बार अच्छे से करूंगी।

पर अपुन ने मना कर दिया। बोले तो इस बार बड़े प्यार और स्नेह से उसे मना किया। असल में अपुन को अब सच में लग रेला था कि उसे आराम करना चाहिए। इस तरह का मजा तो बाद में भी लिया जा सकता था।

खैर अपन दोनों ने एक दूसरे को गुड नाइट किस किया और फिर एक दूसरे को बाहों में ले कर सोने की कोशिश करने लगे। पता नहीं कब अपन लोग को नींद आई लौड़ा।

अलार्म क्लॉक के बजने से अपन दोनों की ही आंख खुल गई। अपुन ने जब अलार्म क्लॉक में टाइम देखा तो उसमें सुबह के पांच बजे थे। साधना ने सिर उठाया और मुस्कुराते हुए पहले अपुन के होठों को चूमा, फिर बोली।

साधना ─ गुड मॉर्निंग बाबू।

अपुन ─ मॉर्निंग डियर। वैसे ये अलार्म तुमने बिल्कुल ठीक लगा रेला था वरना अपुन को यहां से निकलने में देर हो जाती।

साधना को भी सिचुएशन का एहसास हुआ तो वो फ़ौरन उठ गई। अपुन भी उठा और भाग कर बाथरूम में जा कर पहले पेशाब किया और फिर आ कर फटाफट कपड़े पहनने लगा।

अपुन को अब ये सोच के टेंशन होने लगी थी कि अगर समय रहते घर नहीं पहुंचा तो कहीं गड़बड़ न हो जाए। खैर जल्दी ही अपुन कपड़े पहन कर रेडी हो गया। बाइक की चाभी जेब में ही थी। इस बीच साधना ने भी अपने कपड़े पहन लिए थे। वो थोड़ा उदास थी। ज़ाहिर है अपुन के जाने के चलते ही उसका चेहरा उतर गयला था।

साधना ─ अब कब मिलोगे बाबू? प्लीज टाइम निकाल कर आ जाया करो न।

अपुन ─ अब से हर रोज यहां आने की कोशिश करेगा अपुन लेकिन अगर न आ सका तो टेंशन नहीं लेने का।

साधना ─ पहुंच कर फोन करना मुझे या मैसेज कर देना।

अपुन ─ ठीक है। तुम भी अपना खयाल रखना। खास कर अपनी चूत का।

साधना बुरी तरह लजा गई। फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ धत, कितने बेशर्म हो तुम।

अपुन ─ अपुन तो ऐसा ही है, तुम्हें भी ऐसे बेशर्म लड़के से प्यार नहीं करना चाहिए।

साधना ─ ये तो अब मुश्किल है बाबू। अच्छा एक बार अपने होठों को तो चूम लेने दो।

सच कहे तो अपुन का भी उसके होठ चूमने का मन था इस लिए झट से अपन लोग के होठ मिल गए।

करीब दो मिनट तक अपन लोग ने एक दूसरे के होठों को चूमा। इस बीच अपुन ने उसके टॉप के ऊपर से ही उसके दूध दबाए मगर लौड़ा अपुन को उन्हें नंगा कर के थोड़ा चूसने का भी मन कर रेला था इस लिए होठों को छोड़ते ही अपुन ने बिना उससे पूछे उसके टॉप को ऊपर किया और ब्रा से निकाल कर उसकी एक छाती को मुंह में भर लिया।

अपुन के ऐसा करते ही साधना मचल उठी और उसके मुख से मजे में डूबी सिसकी निकल गई। अपुन ने बारी बारी से उसके दोनों बूब्स को दबा दबा के चूसा और फिर उससे अलग हो गया। जैसे ही अपन दोनों की नज़र मिली तो साधना शर्मा गई।

अपुन ─ तुम्हारे ये बूब्स सच में बहुत प्यारे हैं। काश! ये चौबीसों घंटे अपुन के पास होते तो जब भी मन करता इनको मुंह में ले कर चूसने लगता।

साधना ─ ये तो तभी पॉसिबल है बाबू जब मैं हर वक्त तुम्हारे ही पास रहूं और ऐसा तभी हो सकता है जब हम दोनों की एक दूसरे से शादी हो जाए।

अपुन ─ फिलहाल तो ऐसा संभव नहीं है। अच्छा अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां उसका भी....अगली बार उसको अच्छे से प्यार करेगा अपुन और फिर दबा के पेलेगा भी।

साधना अपुन की ये बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई। फिर अपन दोनों दरवाजे तक साथ साथ ही आए। उसने दरवाज़ा खोलने से पहले एक बार फिर से अपुन के होठों को चूमा और फिर जब उसने दरवाज़ा खोला तो अपुन उसे बाय बोल कर चुपके से निकल लिया।


To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log...
Read and enjoy :declare:
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Koi baat nahi aap likhte jao, aap jaise likhoge log padhte jayenge, jaise hi 20 updates ho jayega main padhna start kar dunga kya pata kahin aapka mood na badal jaye!!

Par ha is baar hum sabka dil mat tod dena ... Koi baat nahi aapne samay ke sath khud ko badal liya yahi ek achhe man ki pahchan hoti hai.

Dekho kab tak ye story chalti hai. Aam taur par apan incest likhta nahi aur na hi chudai likhta hai. :D
Apan ko thrill suspense likhne me maza aata hai. Dil tod dene wali aur aansu baha dene wali mohabbat likhne me maza aata hai.....anyway sab mood ki baat hai but yes, saugandh aur jeena yaha marna yaha ko zarur restart karega apan, bas thoda waisa time milne lage... actually achhe content wali story ko apan man laga ke aur soch samajh ke likhta hai taaki quality readers ko bhi pasand aaye. Filhal to job ke chalte aisi haalat hai ki soch samajh ke likhne ka time hi nahi milta. :sigh:
 
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