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ThanksBhai badhiya update
To virat ne sadhna ko chod hi diya
Ab dekte hai aage kya hota hai
ThanksSuper
Super update Bhai
ThanksNice update
ThanksNice and superb update....
Next update posted
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Is story me aapko thoda bahut logic dikhe yahi badi baat hai, rahi baat Virat ki to wo abhi naya naya chudai ke field me utra hai, thoda mature hoga to confidence bhi aayega, baaki apan to hai hi...विराट साहब को बार-बार यह टेंशन सताने लगता है कि अगर किसी लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाया तो वह उस पर शादी करने के लिए दबाव बनाने शुरू कर देगी । यह हंड्रेड पर्सेंट सच है । लेकिन आज के जमाने मे लोग नए नए एक्सपेरिमेंट करना चालू कर दिए हैं , लिव इन रिलेशनशिप होने लगी है , वन नाइट स्टैंड का लुत्फ उठाया जाने लगा है ।
विराट साहब को किसी भी लड़की के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध स्थापित करने से पूर्व यह अवश्य जान लेना चाहिए कि लड़की की रजा किस मे है । कम से कम झूठ बोल कर , बरगला कर , लालच देकर , ब्लैकमेल कर अनैतिक सम्बन्ध तो बिल्कुल ही नही बनाना चाहिए ।
वैसे संभोग के पश्चात मर्द अक्सर लड़की के प्रति उदासीन हो जाते हैं । मर्द अपने सेक्सुअल तृप्ति , अपनी थकान की वजह से लड़की के साथ वह अपनापन नही दिखा पाते हैं जो हमबिस्तर होने से पूर्व था । इस बुरे आदत से मर्द को बचना चाहिए । सेक्स के बाद लड़की को और भी अधिक प्रेम की जरूरत होती है , उनकी प्रशंसा की जरूरत होती है , उनके प्रति समर्पित भाव की जरूरत होती है ।
विराट साहब का नेचर स्पष्ट है पर उनकी मनः स्थिति उनके राह मे बाधक है । जब तक आप खुद अपने बात पर श्योर न हो तो आप दूसरों को कैसे कन्वेंश करोगे !
बेहतरीन अपडेट शुभम भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड हाॅट अपडेट ।
Nice update....
Update ~ 11
साधना ─ ये तो तभी पॉसिबल है बाबू जब मैं हर वक्त तुम्हारे ही पास रहूं और ऐसा तभी हो सकता है जब हम दोनों की एक दूसरे से शादी हो जाए।
अपुन ─ फिलहाल तो ऐसा संभव नहीं है। अच्छा अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां उसका भी....अगली बार उसको अच्छे से प्यार करेगा अपुन और फिर दबा के पेलेगा भी।
साधना अपुन की ये बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई। फिर अपन दोनों दरवाजे तक साथ साथ ही आए। उसने दरवाज़ा खोलने से पहले एक बार फिर से अपुन के होठों को चूमा और फिर जब उसने दरवाज़ा खोला तो अपुन उसे बाय बोल कर चुपके से निकल लिया।
अब आगे....
बेटीचोद, जिसका डर था वही हुआ लौड़ा। अपुन जैसे ही बाइक से घर पहुंचा तो बाहर गार्डन में ही अपुन को साक्षी दी मिल गईं। अपुन तो भूल ही गयला था कि वो हर सुबह वॉकिंग करने के लिए जल्दी ही उठ जाती हैं और आज तो शायद छः बजे के पहले ही उठ गईं थी।
अपुन को इतनी सुबह बाइक से आता देख उन्हें बड़ी हैरानी हुई। इधर अपुन की तो पहले ही उन्हें देख फट गईली थी पर अब सामन तो करना ही था उनका। इस लिए अपुन फटाफट कोई मस्त सा बहाना सोचने लगा। तभी वो तेजी से चलते हुए अपुन के पास आ कर खड़ी हो गईं। फिर अपुन को अजीब सी नज़रों से घूरते हुए पूछीं।
साक्षी दी ─ तू इतनी सुबह बाइक से कहां से आ रहा है?
अपुन को याद आया कि अपुन ने उनको प्रॉमिस किएला था कि अब से अपुन टपोरी भाषा में किसी से बात नहीं करेगा। इस लिए अपुन ने बहाना बनाने के साथ ही ये भी सोच लिया कि उनसे सभ्य तरीके से बात करेगा तो वो खुश भी होंगी और डांटेगी भी नहीं।
अपुन ─ अरे! दी वो मैं अपने एक दोस्त से मिलने गया था।
साक्षी दी ने अपुन को सभ्य तरीके से बात करते सुना तो सच में उन्हें खुशी हुई। उनके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव भी दिखे लेकिन फिर हैरानी से बोली।
साक्षी दी ─ पर इतनी सुबह तू अपने कौन से दोस्त से मिलने गया था? एक मिनिट, इस वक्त सुबह के साढ़े पांच बजे हैं और तू अपने दोस्त से मिल के आ रहा है तो इस हिसाब से तू यहां से कब गया होगा?
अपुन की पहले तो फटी पर जल्दी ही अपुन ने खुद को सम्हाला और जल्दी से बोला।
अपुन ─ वो दी, मैं मॉर्निंग में सुबह चार बजे गया था। एक्चुअली सुबह पौने चार बजे उसका फोन आया था और अपु...मेरा मतलब है कि मैं उसी के फोन करने पर जगा था। पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया कि इतने टाइम कौन मेरी नींद खराब कर रेला...मतलब रहा है। फिर मैंने कॉल पिक की तो पता चला कि वो मेरा नया दोस्त अतुल है।
साक्षी दी ─ इस नाम का दोस्त कब बनाया तूने?
अपुन ─ अरे! अभी कुछ दिन पहले ही उससे मुलाकात हुई थी।
साक्षी दी ─ तेरे कॉलेज का ही है?
अपुन ने सोचा कि अगर कॉलेज का बताया तो किसी दिन उसे दी से मिलवाना न पड़ जाए इस लिए फ़ौरन झूठ मूठ का बताना ही ठीक समझा वैसे भी अतुल नाम का दोस्त काल्पनिक ही बनाया था अपुन ने।
अपुन ─ नहीं दी, वो दूसरे कॉलेज का है। असल में कुछ दिन पहले उसकी अपु...मतलब कि मैंने हेल्प की थी। बेचारे को लोकल लोग परेशान कर रहे थे तो अपु...मतलब मैंने बचाया था उसे। बस इतनी ही पहचान होती उससे लेकिन उस दिन मैंने जोश जोश में उसको अपना फोन नंबर भी दे दिया था और बोला था कि अगर फिर कोई प्रॉब्लम हो तो फोन करना।
साक्षी दी अपुन की ये बातें सुन कर घूर के देखने लगीं अपुन को। अपुन समझ गया कि उन्हें ये अच्छा नहीं लगा है। इस लिए जल्दी से बोला।
अपुन ─ अब आप तो जानती हो दी कि अपु....मतलब कि मैं कितना परोपकारी लड़का हूं। आखिर आपका भाई हूं, किसी को प्रॉब्लम में कैसे देख सकता हूं?
साक्षी दी ─ मस्का मत लगा। साफ साफ बता कि ऐसी क्या बात थी कि उसने तुझे चार बजे फोन किया और तुझे उसी वक्त यहां से बिना किसी को कुछ बताए जाना पड़ गया?
अपुन ─ सीरियस वाली कोई बात नहीं थी दी वरना अपु...मतलब कि मैं इस तरह जाता ही नहीं। उसने बताया कि उसे अर्जेंट अपने गांव जाना है लेकिन उसके पास किराए के लिए पैसे नहीं हैं। उसने अपने एक दो दोस्तों को भी फोन किया था लेकिन एक ने फोन नहीं उठाया और दूसरे ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। तब उसे अपु...मतलब कि मेरी याद आई।
साक्षी दी अपुन की बात सुन के थोड़ी देर कुछ सोचती रहीं और अपुन को देखती भी रहीं फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ देख भाई, किसी की हेल्प करना अच्छी बात है लेकिन इस तरह रात के वक्त बिना किसी को बताए जाना बिल्कुल भी ठीक नहीं था। मॉम डैड भी नहीं थे, ऐसे में अगर तेरे साथ कुछ हो जाता तो मैं मॉम डैड को क्या जवाब देती?
अपुन भी समझ रेला था कि उनकी बात सच थी लेकिन ये भी सच था कि अपुन उनको सच नहीं बता सकता था।
अपुन ─ सॉरी दी, अपु...मतलब कि मैंने सुबह के उस वक्त किसी को इस लिए नहीं बताया क्योंकि मैं आप में से किसी की नींद खराब नहीं करना चाहता था। मैंने सोचा था कि जरा सी तो बात है इस लिए यूं जाऊंगा और उसे पैसे दे के फौरन आ जाऊंगा।
साक्षी दी आगे बढ़ीं और अपुन के चेहरे को सहला कर बोलीं।
साक्षी दी ─ आगे से ऐसा कभी मत करना। तू मेरा भाई ही नहीं बल्कि मेरी जान भी है। मुझसे प्रॉमिस कर कि आज के बाद इस तरह रात में बिना किसी को बताए कहीं नहीं जाएगा।
अपुन ─ प्रॉमिस दी, नेक्स्ट टाइम से ऐसा कभी नहीं करूंगा।
साक्षी दी ने अपुन को पकड़ कर गले से लगा लिया। उनके ऐसा करते ही जहां एक तरफ अपुन ने राहत की सांस ली वहीं दूसरी तरफ उनके सीने के कोमल उभार जब अपुन की छाती में धंसे तो अपुन के समूचे जिस्म में रोमांच की लहर दौड़ गई और वो लहर दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को भी झनझना गई लौड़ा। अपुन को मजा तो आया और मन भी किया कि साक्षी दी अपुन को ऐसे ही अपने गले से लगाए रहें लेकिन फिर अचानक ही अपुन के अंदर से कोई चीखा और बोला भोसड़ीके तू अपनी दी के बारे में इतना गंदा कैसे सोच सकता है....डूब मर साले।
और इस बात को सुनते ही अपुन गांड़ तक कांप गया लौड़ा। फिर अपुन झट से दीदी से अलग हो गया। साक्षी दी को पहले तो हैरानी हुई फिर सामान्य भाव से अपुन के चेहरे को फिर से सहलाईं और बोलीं।
साक्षी दी ─ आज तो संडे है इस लिए अपने रूम में जा के सो जा। जब बाकी की नींद पूरी हो जाएगी तो मैं उठा दूंगी तुझे।
अपुन ─ वाह! दी आप अपु...मतलब आप मुझे उठाने आएंगी। फिर तो अपु....ओह दी ये बार बार टपोरी भाषा ही मुंह से निकल जाती है.... हां तो मैं ये कह रहा था कि अगर आप मुझे जगाने आएंगी तो मेरा तो दिन ही बन जाएगा।
साक्षी दी अपुन की बात सुन के मुस्कुराईं और फिर हल्के से एक चपत लगाया अपुन के गांड़....मतलब कि गाल पर। फिर तिरछी नजरों से देखते हुए बोलीं।
साक्षी दी ─ अच्छा जी, तेरा दिन कैसे बन जाएगा भला? ज़रा मुझे भी तो बता।
अपुन ने फटाफट मस्त डायलॉग सोचा और फिर बोला।
अपुन ─ ओह! दी अब कैसे बताऊं आपको? बोले तो मैं उस खूबसूरत फीलिंग्स को लफ्जों में बता ही नहीं सकता।
साक्षी दी (हंस कर) ─ ओ हेलो मेरे भाई, जमीन पर आ जा। ज़्यादा उड़ मत।
अपुन ने झूठी नाराजगी दिखाते हुए साक्षी दी को घूरा, फिर बोला।
अपुन ─ देखो दी, आप बेशक मुझे जो चाहे बोलो, मारो या डांटो लेकिन बात जब मेरी ब्यूटीफुल साक्षी दी की आती है तो मैं किसी की नहीं सुन सकता।
साक्षी दी की मुस्कान गहरी हो गई। फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ ओह! सॉरी भाई। तू बोल ले, जो बोलना चाहता है।
अपुन ─ हां तो अपु...सॉरी, मतलब कि मैं ये कहना चाहता हूं कि आप क्या हो और कैसी हो ये आपसे ज्यादा मैं....नहीं नहीं...मैं भी नहीं, बल्कि मेरा दिल जानता है, यस यस...मेरा दिल जानता है।
साक्षी दी की आंखें फैल गईं। फिर मुस्कुरा कर बोलीं।
साक्षी दी ─ अरे वाह! ये तो मुझे पता ही नहीं था मेरे भाई। वैसे मुझे भी बता न कि मेरे बारे में तेरा दिल क्या जानता है?
अपुन सोचने लगा कि अब कौन सा डायलॉग मारे अपुन? बोले तो एक तरफ अपुन की ये सोच के धड़कनें बढ़ गईली थीं कि ये अपुन किस लाइन में जा रेला है, मतलब कि कहीं फ्लो फ्लो में और जोश जोश में अपुन कुछ ऐसा न बोल जाए जो अपुन को नहीं बोलना चाहिए। पर लौड़ा, सवाल अपुन की सबसे खूबसूरत दी का था इस लिए किसी बात की परवाह न की अपुन ने। लेकिन....लेकिन...हां हां लेकिन अपुन को खयाल आया कि पहले दी से कुछ करार वरार कर लिया जाए वरना गांड़ में उनकी लात न पड़ जाए। इस लिए बोला।
अपुन ─ ज़रूर बताऊंगा दी लेकिन पहले प्रॉमिस करो कि अपु...मतलब कि मैं जो कुछ भी बोलूंगा उसे सुन कर आप मुझ पर गुस्सा नहीं करोगी।
साक्षी दी ये सुन कर थोड़ा सोच में पड़ गईं। कुछ देर जाने क्या सोचती रहीं फिर गहरी सांस ले कर बोलीं।
साक्षी दी ─ अच्छा ठीक है, मैं प्रॉमिस करती हूं कि गुस्सा नहीं करूंगी। वैसे भी तू मेरा सबसे प्यारा भाई है इस लिए गुस्सा होने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। तू बेझिझक बता।
अपुन ─ एक्चुअली अपु....मतलब कि मैं जो कुछ बोलूंगा वो सब मेरा नहीं बल्कि मेरे दिल का कहना होगा, आप समझ रही हैं ना?
साक्षी दी ने पलकें झपका कर हां कह दिया। उनके गुलाबी होठों पर दिलकश मुस्कान थी और चेहरे पर एक उत्सुकता।
अपुन ─ ओके, तो मेरे दिल का कहना है कि आप इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हैं और अपु...सॉरी...और मेरी खूबसूरत दी हैं। आपसे प्यारा, आपसे हसीन, आपके जैसी सादगी और आपके जैसा भाई को चाहने वाली दूसरी कोई कभी पैदा ही नहीं हो सकती।
साक्षी दी (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! बहुत खूब भाई, और क्या कहता है तेरा दिल?
अपुन ─ हां अभी और भी है। अपु...सॉरी मेरा दिल कहता है कि काश! आपके जैसी हसीन लड़की एक और होती जिससे अपु...मतलब कि मैं लैला मजनूं के माफिक प्रेम करता। बोले तो टूट टूट के प्यार करता और आपकी मोहब्बत में फमा...फमा..नहीं नहीं फना हो जाता, हां फना।
साक्षी दी अपुन की ये बातें सुन कर जोर जोर से हंसने लगीं। भोर के वक्त जबकि सन्नाटा था तो उनकी हंसी ऐसी गूंज उठी जैसे किसी मंदिर की कई सारी घंटियां एक साथ बज उठी हों। वो अपने एक हाथ को सीने पर रखे खिलखिलाते हुए हंसे जा रेली थी।
उनको यूं हंसता देख एकाएक अपुन को धक्का लगा और फिर एकदम से अपुन उनके हंसते चेहरे में खोता ही चला गया लौड़ा।
बेटीचोद, अपुन को पता ही न चला था कि कब तक अपुन उनमें खोया रहा और कब उनकी हंसी बंद हुई। होश तब आया जब उनकी आवाज अपुन के कानों में पड़ी।
साक्षी दी ─ अरे! तुझे क्या हुआ मेरे प्यारे भाई? कहां खो गया तू?
अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया। बड़ा अजीब सा फील हुआ अपुन को। थोड़ा शर्म भी आई और थोड़ा झेंप भी गया। फिर किसी तरह खुद को सम्हाला। उधर वो मुस्कुराते हुए अपुन को ही देखे जा रेली थीं।
अपुन ─ अ..आप हंसते हुए बहुत खूबसूरत लगती हैं दी। अपु...मतलब कि मैं तो आपकी हंसी में ही खो गया था। मेरा दिल आपके बारे में एकदम सच ही कहता है।
साक्षी दी ─ तू और तेरा दिल दोनों ही पागल हैं। चल अब जा, अपने रूम में आराम कर। मैं भी थोड़ा वॉकिंग कर लूं। फिर फ्रेश हो के बाकी के काम भी करने हैं।
अपुन का मन तो न किया उनसे दूर जाने का लेकिन जाना जरूरी था वरना उन्हें शक हो जाता कि आज मेरे बर्ताव में कुछ तो अलग है, कुछ तो खास है या फिर कुछ तो अजीब है।
खैर अपुन जाने के लिए मुड़ा लेकिन तभी जाने अपुन को क्या हुआ कि वापस पलटा और आगे बढ़ कर साक्षी दी के दाएं गाल को झट से चूम लिया। उसके बाद उनका कोई रिएक्शन देखे बिना ही जल्दी से बाइक खड़ी कर घर के अंदर की तरफ बढ़ गया। पीछे साधना दी अपुन के द्वारा यूं गाल चूम लेने पर पहले तो शॉक हुईं लेकिन फिर सिर और कंधे को जैसे लापरवाही से उचका कर वॉकिंग करने लगीं। उनके होठों पर हल्की मुस्कान थिरक रही थी।
~~~~~~
रूम में आ कर अपुन ने फटाफट कपड़े बदले और बेड पर लेट गया। अपुन के मन में अभी भी साक्षी दी से हुई बातें चल रेली थी और साथ ही आंखों के सामने बार बार साक्षी दी का हंसता हुआ खूबसूरत चेहरा दिख रेला था।
अपुन सोचने लगा कि सच में साक्षी दी कितनी खूबसूरत हैं। कितनी सादगी से रहती हैं। सबसे अच्छे से बात करती हैं और सबकी केयर करती हैं। इतना ही नहीं अपने इकलौते भाई पर यानि अपुन पर जान छिड़कती हैं।
फिर एकाएक अपुन को याद आया कि कैसे उन्होंने अपुन को गले से लगाया था और उस वक्त उनके बूब्स अपुन की छाती में धंसे हुए थे। बेशक उन्हें भी इसका आभास हुआ होगा लेकिन उन्होंने जरा भी खुद को अपुन से दूर नहीं किया था, बल्कि अपुन ही उनसे दूर हो गयला था।
न चाहते हुए भी बेटीचोद अपुन के मन में दी के बारे में गंदे गंदे खयाल उभरने लगे। इससे अपुन एकदम से बेचैन और परेशान हो उठा। अपुन ने झुंझला कर सिर को झटका और फिर मोबाइल निकाल कर यूं ही मन बहलाने के लिए उसे देखने लगा। तभी अपुन को याद आया कि साधना ने अपुन से कहा था कि घर पहुंच कर कॉल या मैसेज करना। अपुन ने झट से नेट ऑन किया और फिर वॉट्सएप खोला।
अपुन ने देखा कि साधना वॉट्सएप में ऑनलाइन थी। अपुन ये सोच के मुस्कुरा उठा कि लौड़ी अभी तक अपुन के कॉल या मैसेज का वेट कर रेली है। खैर अपुन ने उसे मैसेज भेज कर बता दिया कि अपुन पहुंच गयला है। उसका फ़ौरन ही रिप्लाई आया।
साधना ─ ओह! बाबू, तुम्हारा अब तक कोई कॉल या मैसेज नहीं आया था तो मुझे बहुत टेंशन होने लगी थी।
अपुन ─ हां वो एक गड़बड़ हो गईली थी। एक्चुअली अपुन जैसे ही घर पहुंचा तो साक्षी दी बाहर ही वॉकिंग करते हुए दिख गईं थी।
साधना ─ माय गॉड! फिर तो दी को पता चल गया होगा न?
अपुन ─ डॉन्ट वरी। अपुन ने सब सम्हाल लिया है।
साधना ─ कोई सीरियस बात तो नहीं हुई न बाबू?
अपुन ─ नहीं हुई, बोले तो अपुन ने दी को अच्छे से समझा दिया है। चलो, अब गुड नाइट, अपुन को नींद आ रेली है...बाय।
साधना ─ ओके बाबू, गुड नाइट। लव यू...बॉय।
अपुन ने मोबाइल का नेट बंद किया और उसे एक तरफ रख कर सोने की कोशिश करने लगा। सच में थोड़ी ही देर में अपुन नींद की आगोश में चला गया लौड़ा।
~~~~~~
जब अपुन की नींद खुली तो देखा साक्षी दी अपुन के पास ही बेड पर बैठी हुईं थी और अपुन को बड़े गौर से देख रेली थीं। आंख खुलते ही उन्हें देख कर सच में अपुन को ऐसा लगा जैसे अपुन के दिल को भारी खुशी मिल गईली है। उन्हें देख अपुन बस मुस्कुरा उठा।
उधर जैसे ही साक्षी दी ने अपुन को जग गया देखा तो उनके गुलाबी होठों पर भी दिलकश मुस्कान उभर आई। फिर बड़े ही प्यार से अपुन का चेहरा सहला कर बोलीं।
साक्षी दी ─ तो मेरे प्यारे भाई की नींद पूरी हो गई?
अपुन ─ खुल तो गई दी लेकिन अब सोचता हूं कि काश पहले ही खुल गई होती।
साक्षी दी ─ अच्छा, ऐसा क्यों भला?
अपुन ─ इसलिए कि अपु...मतलब कि मुझे अपनी खूबसूरत दी का चेहरा पहले ही देखने को मिल जाता।
साक्षी दी हल्के से हंसी फिर अपुन के बालों में उंगली फेर कर बोलीं।
साक्षी दी ─ तू सुबह सुबह ही शुरू हो गया? चल अब उठ जा, देख लंच का टाइम हो गया है।
अपुन ये सुन कर चौंक ही पड़ा लौड़ा। झट से इधर उधर गर्दन घुमा कर देखा तो सच में खिड़की से धूप की तेज रोशनी समझ में आ रेली थी। अपुन एकदम से ये सोच के घबरा उठा कि इतनी देर तक सोते रहने से दी को कहीं किसी बात का शक न हो जाए। इस लिए बोला।
अपुन ─ वो क्या है न दी, एक बार सुबह सात बजे नींद खुली थी लेकिन जब याद आया कि आज संडे है तो फिर से सो गया।
साक्षी दी ये सुन कर फिर से मुस्कुराईं। उनके मुस्कुराने पर अपुन ये सोच के घबरा उठा कि कहीं उन्होंने अपुन का झूठ पकड़ तो नहीं लिया लौड़ा? तभी दी बोलीं।
साक्षी दी ─ सात बजे तो मैं तेरे रूम में आई थी और तू तब भी घोड़े बेच के सो रहा था। अगर जगा होता तो मुझे भला क्यों वापस लौट जाना पड़ता?
अपुन ─ हो सकता है कि हमारी टाइमिंग इधर उधर हो गई हो दी पर सच यही है कि अपु...मतलब कि मैं उस टाइम जगा था।
साक्षी दी ─ चल मान लेती हूं कि तू ही सच बोल रहा है। अब चल उठ जा और जल्दी से फ्रेश हो ले।
अपुन ने मन ही मन राहत की सांस ली। फिर एकदम से खयाल आया कि दी से थोड़ा मजा लिया जाए। बोले तो उनकी तारीफ कर के उन्हें खुश किया जाए।
अपुन ─ फ्रेश तो मैं आपको देख के ही हो गया हूं दी। मतलब कि मुझे ऐसा फील हो रहा है। आप हर रोज ऐसे ही मुझे अपना दीदार करा दिया करो और मैं बिना बाथरूम गए ही फ्रेश फील कर लिया करूं।
अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी खिलखिला कर हंसने लगीं। उनके यूं हंसने से एक बार फिर अपुन को लगा जैसे मंदिर की कई सारी घंटियां एक साथ बजने लगीं हों। पूरा कमरा उनकी खिलखिलाहट से गूंज उठा और इधर अपुन एक बार फिर जैसे उनकी हंसी में खो गया। उनके सच्चे मोतियों जैसे सफेद चमकते दांत कितने आकर्षक लग रेले थे।
एकाएक उनकी हंसी बंद हो गई। शायद उन्होंने देख लिया था कि अपुन सुबह की तरह फिर से उनको हंसते देख खो गया है। इस लिए हंसना बंद कर के उन्होंने मुस्कुराते हुए पहले अपुन को देखा फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ अब क्या हुआ तुझे? कुछ और भी बोलना है या फ्रेश होने जाएगा?
अपुन उनकी बात सुन थोड़ा हड़बड़ाया, फिर खुद को सम्हाल कर बोला।
अपुन ─ दिल तो बहुत कुछ बोलना चाहता है दी लेकिन खैर जाने दो।
साक्षी दी ने इस बार गहरी नजरों से देखा अपुन को। जैसे समझने की कोशिश कर रही हों कि अपुन आखिर क्या कहना चाहता है या फिर अपुन के कहने का क्या मतलब है?
साक्षी दी ─ ऐसे कैसे जाने दो? तेरा दिल अगर कुछ कहना चाहता है तो उसे बोल कि कह दे। वैसे भी मैं अपने प्यारे भाई को किसी बात के लिए निराश होते नहीं देख सकती। चल बता जल्दी कि तेरा दिल और क्या कहना चाहता है?
उनकी बात सुन कर अपुन का दिल जोर जोर से धड़कने लगा लौड़ा। बोले तो अपुन ने तो बस यूं ही कह दिया था लेकिन अब जब वो खुद कहने को बोल रेली थीं तो अपुन ये सोच के घबरा गया कि अब क्या बोले अपुन? हालांकि धड़कता दिल इसके बावजूद चीख चीख के कह रेला था कि दिल की बात बोल दे न लौड़े। खैर अपुन ने खुद को सम्हाला, फिर बोला।
अपुन ─ अरे! मैंने आपको बताया तो है दी। मेरा मतलब है कि आपसे बोला तो था मैंने कि आप हर रोज अपने खूबसूरत चेहरे का दीदार करा दिया करो तो दिन बन जाएगा मेरा।
साक्षी दी ─ अच्छा, बस इतना ही?
अपुन उनकी बात सुन कर चकरा सा गया लौड़ा। अपुन को समझते देर न लगी कि उन्हें समझ आ गयला है कि अपुन बस इतना ही नहीं बोलना चाहता था। उधर अपुन को कुछ सोचता देख वो हल्के से मुस्कुराईं फिर बोली।
साक्षी दी ─ चल अब ज्यादा मत सोच और जल्दी से जा के फ्रेश हो जा। हम सब डायनिंग टेबल पर तेरा इंतज़ार करेंगे और हां डैड का फोन आया था। उन्होंने कहा है कि वो कल आएंगे तो मुझे आज भी एक बार कम्पनी का चक्कर लगाना पड़ेगा।
अपुन ─ तो क्या आप अभी तक कंपनी का चक्कर लगाने नहीं गईं हैं
साक्षी दी ─ कहां गई हूं? सोचा था तेरी तरह मैं भी आज रेस्ट करूंगी। फिर जब डैड ने कॉल पर ऐसा कहा तो सोचा आज तुझे भी अपने साथ ले चलती हूं। क्या बोलता है, चलेगा न अपनी दी के साथ?
अपुन (खुश हो कर) ─ बिल्कुल चलूंगा दी। ये भी कोई पूछने की बात है? अरे! अपुन कभी अपनी दी की बात टाल सकता है क्या?
साक्षी दी पहले तो हौले से मुस्कुराईं लेकिन फिर सहसा घूरने लगीं।
साक्षी दी ─ तूने मुझसे प्रॉमिस किया था न कि टपोरी वाली भाषा नहीं बोलेगा। फिर ये अपुन अपुन क्या बोल रहा है?
ये सुन कर अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया। फिर जल्दी से बोला।
अपुन ─ सॉरी दी, वो खुशी के जोश में और जल्दी के चक्कर में निकल गया मुंह से।
साक्षी दी ─ इट्स ओके बट अब से भूल कर भी नहीं निकलना चाहिए।
अपुन ─ आप अगर हर वक्त मेरे साथ रहो तो पक्की बात है कि मेरे मुंह से टपोरी वाली भाषा नहीं निकलेगी।
साक्षी दी ─ मैं तो हमेशा तेरे साथ ही हूं प्यारे भाई लेकिन हां हर वक्त तेरे साथ रह पाना संभव नहीं है और ये तू भी समझ सकता है।
अपुन ─ हां ये तो है दी।
साक्षी दी ─ अच्छा अब चल ये सब बातें छोड़ और जा कर फ्रेश हो ले।
उसके बाद दी चली गईं। अपुन अब चाह कर भी उन्हें रोक नहीं सकता था। खैर अपुन भी उठा और बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।
To be continued...
Aaj ke liye itna hi bhai log,
Pics and Gif upload karna band kar diya hai apan ne kyoki unhen khoj khoj ke upload karne ka time nahi hai apan ke paas. Regular update de raha apan yahi bahut badi baat hai
Well, read karo, enjoy karo aur haan...like comments ke sath feedback bhi dete raho warna apan story close kar dega. Fir mat bolna ki story adhuri chhod di apan ne
Bahut hi shaandar update diya hai The_InnoCent bhai....
Update ~ 11
साधना ─ ये तो तभी पॉसिबल है बाबू जब मैं हर वक्त तुम्हारे ही पास रहूं और ऐसा तभी हो सकता है जब हम दोनों की एक दूसरे से शादी हो जाए।
अपुन ─ फिलहाल तो ऐसा संभव नहीं है। अच्छा अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां उसका भी....अगली बार उसको अच्छे से प्यार करेगा अपुन और फिर दबा के पेलेगा भी।
साधना अपुन की ये बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई। फिर अपन दोनों दरवाजे तक साथ साथ ही आए। उसने दरवाज़ा खोलने से पहले एक बार फिर से अपुन के होठों को चूमा और फिर जब उसने दरवाज़ा खोला तो अपुन उसे बाय बोल कर चुपके से निकल लिया।
अब आगे....
बेटीचोद, जिसका डर था वही हुआ लौड़ा। अपुन जैसे ही बाइक से घर पहुंचा तो बाहर गार्डन में ही अपुन को साक्षी दी मिल गईं। अपुन तो भूल ही गयला था कि वो हर सुबह वॉकिंग करने के लिए जल्दी ही उठ जाती हैं और आज तो शायद छः बजे के पहले ही उठ गईं थी।
अपुन को इतनी सुबह बाइक से आता देख उन्हें बड़ी हैरानी हुई। इधर अपुन की तो पहले ही उन्हें देख फट गईली थी पर अब सामन तो करना ही था उनका। इस लिए अपुन फटाफट कोई मस्त सा बहाना सोचने लगा। तभी वो तेजी से चलते हुए अपुन के पास आ कर खड़ी हो गईं। फिर अपुन को अजीब सी नज़रों से घूरते हुए पूछीं।
साक्षी दी ─ तू इतनी सुबह बाइक से कहां से आ रहा है?
अपुन को याद आया कि अपुन ने उनको प्रॉमिस किएला था कि अब से अपुन टपोरी भाषा में किसी से बात नहीं करेगा। इस लिए अपुन ने बहाना बनाने के साथ ही ये भी सोच लिया कि उनसे सभ्य तरीके से बात करेगा तो वो खुश भी होंगी और डांटेगी भी नहीं।
अपुन ─ अरे! दी वो मैं अपने एक दोस्त से मिलने गया था।
साक्षी दी ने अपुन को सभ्य तरीके से बात करते सुना तो सच में उन्हें खुशी हुई। उनके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव भी दिखे लेकिन फिर हैरानी से बोली।
साक्षी दी ─ पर इतनी सुबह तू अपने कौन से दोस्त से मिलने गया था? एक मिनिट, इस वक्त सुबह के साढ़े पांच बजे हैं और तू अपने दोस्त से मिल के आ रहा है तो इस हिसाब से तू यहां से कब गया होगा?
अपुन की पहले तो फटी पर जल्दी ही अपुन ने खुद को सम्हाला और जल्दी से बोला।
अपुन ─ वो दी, मैं मॉर्निंग में सुबह चार बजे गया था। एक्चुअली सुबह पौने चार बजे उसका फोन आया था और अपु...मेरा मतलब है कि मैं उसी के फोन करने पर जगा था। पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया कि इतने टाइम कौन मेरी नींद खराब कर रेला...मतलब रहा है। फिर मैंने कॉल पिक की तो पता चला कि वो मेरा नया दोस्त अतुल है।
साक्षी दी ─ इस नाम का दोस्त कब बनाया तूने?
अपुन ─ अरे! अभी कुछ दिन पहले ही उससे मुलाकात हुई थी।
साक्षी दी ─ तेरे कॉलेज का ही है?
अपुन ने सोचा कि अगर कॉलेज का बताया तो किसी दिन उसे दी से मिलवाना न पड़ जाए इस लिए फ़ौरन झूठ मूठ का बताना ही ठीक समझा वैसे भी अतुल नाम का दोस्त काल्पनिक ही बनाया था अपुन ने।
अपुन ─ नहीं दी, वो दूसरे कॉलेज का है। असल में कुछ दिन पहले उसकी अपु...मतलब कि मैंने हेल्प की थी। बेचारे को लोकल लोग परेशान कर रहे थे तो अपु...मतलब मैंने बचाया था उसे। बस इतनी ही पहचान होती उससे लेकिन उस दिन मैंने जोश जोश में उसको अपना फोन नंबर भी दे दिया था और बोला था कि अगर फिर कोई प्रॉब्लम हो तो फोन करना।
साक्षी दी अपुन की ये बातें सुन कर घूर के देखने लगीं अपुन को। अपुन समझ गया कि उन्हें ये अच्छा नहीं लगा है। इस लिए जल्दी से बोला।
अपुन ─ अब आप तो जानती हो दी कि अपु....मतलब कि मैं कितना परोपकारी लड़का हूं। आखिर आपका भाई हूं, किसी को प्रॉब्लम में कैसे देख सकता हूं?
साक्षी दी ─ मस्का मत लगा। साफ साफ बता कि ऐसी क्या बात थी कि उसने तुझे चार बजे फोन किया और तुझे उसी वक्त यहां से बिना किसी को कुछ बताए जाना पड़ गया?
अपुन ─ सीरियस वाली कोई बात नहीं थी दी वरना अपु...मतलब कि मैं इस तरह जाता ही नहीं। उसने बताया कि उसे अर्जेंट अपने गांव जाना है लेकिन उसके पास किराए के लिए पैसे नहीं हैं। उसने अपने एक दो दोस्तों को भी फोन किया था लेकिन एक ने फोन नहीं उठाया और दूसरे ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। तब उसे अपु...मतलब कि मेरी याद आई।
साक्षी दी अपुन की बात सुन के थोड़ी देर कुछ सोचती रहीं और अपुन को देखती भी रहीं फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ देख भाई, किसी की हेल्प करना अच्छी बात है लेकिन इस तरह रात के वक्त बिना किसी को बताए जाना बिल्कुल भी ठीक नहीं था। मॉम डैड भी नहीं थे, ऐसे में अगर तेरे साथ कुछ हो जाता तो मैं मॉम डैड को क्या जवाब देती?
अपुन भी समझ रेला था कि उनकी बात सच थी लेकिन ये भी सच था कि अपुन उनको सच नहीं बता सकता था।
अपुन ─ सॉरी दी, अपु...मतलब कि मैंने सुबह के उस वक्त किसी को इस लिए नहीं बताया क्योंकि मैं आप में से किसी की नींद खराब नहीं करना चाहता था। मैंने सोचा था कि जरा सी तो बात है इस लिए यूं जाऊंगा और उसे पैसे दे के फौरन आ जाऊंगा।
साक्षी दी आगे बढ़ीं और अपुन के चेहरे को सहला कर बोलीं।
साक्षी दी ─ आगे से ऐसा कभी मत करना। तू मेरा भाई ही नहीं बल्कि मेरी जान भी है। मुझसे प्रॉमिस कर कि आज के बाद इस तरह रात में बिना किसी को बताए कहीं नहीं जाएगा।
अपुन ─ प्रॉमिस दी, नेक्स्ट टाइम से ऐसा कभी नहीं करूंगा।
साक्षी दी ने अपुन को पकड़ कर गले से लगा लिया। उनके ऐसा करते ही जहां एक तरफ अपुन ने राहत की सांस ली वहीं दूसरी तरफ उनके सीने के कोमल उभार जब अपुन की छाती में धंसे तो अपुन के समूचे जिस्म में रोमांच की लहर दौड़ गई और वो लहर दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को भी झनझना गई लौड़ा। अपुन को मजा तो आया और मन भी किया कि साक्षी दी अपुन को ऐसे ही अपने गले से लगाए रहें लेकिन फिर अचानक ही अपुन के अंदर से कोई चीखा और बोला भोसड़ीके तू अपनी दी के बारे में इतना गंदा कैसे सोच सकता है....डूब मर साले।
और इस बात को सुनते ही अपुन गांड़ तक कांप गया लौड़ा। फिर अपुन झट से दीदी से अलग हो गया। साक्षी दी को पहले तो हैरानी हुई फिर सामान्य भाव से अपुन के चेहरे को फिर से सहलाईं और बोलीं।
साक्षी दी ─ आज तो संडे है इस लिए अपने रूम में जा के सो जा। जब बाकी की नींद पूरी हो जाएगी तो मैं उठा दूंगी तुझे।
अपुन ─ वाह! दी आप अपु...मतलब आप मुझे उठाने आएंगी। फिर तो अपु....ओह दी ये बार बार टपोरी भाषा ही मुंह से निकल जाती है.... हां तो मैं ये कह रहा था कि अगर आप मुझे जगाने आएंगी तो मेरा तो दिन ही बन जाएगा।
साक्षी दी अपुन की बात सुन के मुस्कुराईं और फिर हल्के से एक चपत लगाया अपुन के गांड़....मतलब कि गाल पर। फिर तिरछी नजरों से देखते हुए बोलीं।
साक्षी दी ─ अच्छा जी, तेरा दिन कैसे बन जाएगा भला? ज़रा मुझे भी तो बता।
अपुन ने फटाफट मस्त डायलॉग सोचा और फिर बोला।
अपुन ─ ओह! दी अब कैसे बताऊं आपको? बोले तो मैं उस खूबसूरत फीलिंग्स को लफ्जों में बता ही नहीं सकता।
साक्षी दी (हंस कर) ─ ओ हेलो मेरे भाई, जमीन पर आ जा। ज़्यादा उड़ मत।
अपुन ने झूठी नाराजगी दिखाते हुए साक्षी दी को घूरा, फिर बोला।
अपुन ─ देखो दी, आप बेशक मुझे जो चाहे बोलो, मारो या डांटो लेकिन बात जब मेरी ब्यूटीफुल साक्षी दी की आती है तो मैं किसी की नहीं सुन सकता।
साक्षी दी की मुस्कान गहरी हो गई। फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ ओह! सॉरी भाई। तू बोल ले, जो बोलना चाहता है।
अपुन ─ हां तो अपु...सॉरी, मतलब कि मैं ये कहना चाहता हूं कि आप क्या हो और कैसी हो ये आपसे ज्यादा मैं....नहीं नहीं...मैं भी नहीं, बल्कि मेरा दिल जानता है, यस यस...मेरा दिल जानता है।
साक्षी दी की आंखें फैल गईं। फिर मुस्कुरा कर बोलीं।
साक्षी दी ─ अरे वाह! ये तो मुझे पता ही नहीं था मेरे भाई। वैसे मुझे भी बता न कि मेरे बारे में तेरा दिल क्या जानता है?
अपुन सोचने लगा कि अब कौन सा डायलॉग मारे अपुन? बोले तो एक तरफ अपुन की ये सोच के धड़कनें बढ़ गईली थीं कि ये अपुन किस लाइन में जा रेला है, मतलब कि कहीं फ्लो फ्लो में और जोश जोश में अपुन कुछ ऐसा न बोल जाए जो अपुन को नहीं बोलना चाहिए। पर लौड़ा, सवाल अपुन की सबसे खूबसूरत दी का था इस लिए किसी बात की परवाह न की अपुन ने। लेकिन....लेकिन...हां हां लेकिन अपुन को खयाल आया कि पहले दी से कुछ करार वरार कर लिया जाए वरना गांड़ में उनकी लात न पड़ जाए। इस लिए बोला।
अपुन ─ ज़रूर बताऊंगा दी लेकिन पहले प्रॉमिस करो कि अपु...मतलब कि मैं जो कुछ भी बोलूंगा उसे सुन कर आप मुझ पर गुस्सा नहीं करोगी।
साक्षी दी ये सुन कर थोड़ा सोच में पड़ गईं। कुछ देर जाने क्या सोचती रहीं फिर गहरी सांस ले कर बोलीं।
साक्षी दी ─ अच्छा ठीक है, मैं प्रॉमिस करती हूं कि गुस्सा नहीं करूंगी। वैसे भी तू मेरा सबसे प्यारा भाई है इस लिए गुस्सा होने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। तू बेझिझक बता।
अपुन ─ एक्चुअली अपु....मतलब कि मैं जो कुछ बोलूंगा वो सब मेरा नहीं बल्कि मेरे दिल का कहना होगा, आप समझ रही हैं ना?
साक्षी दी ने पलकें झपका कर हां कह दिया। उनके गुलाबी होठों पर दिलकश मुस्कान थी और चेहरे पर एक उत्सुकता।
अपुन ─ ओके, तो मेरे दिल का कहना है कि आप इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हैं और अपु...सॉरी...और मेरी खूबसूरत दी हैं। आपसे प्यारा, आपसे हसीन, आपके जैसी सादगी और आपके जैसा भाई को चाहने वाली दूसरी कोई कभी पैदा ही नहीं हो सकती।
साक्षी दी (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! बहुत खूब भाई, और क्या कहता है तेरा दिल?
अपुन ─ हां अभी और भी है। अपु...सॉरी मेरा दिल कहता है कि काश! आपके जैसी हसीन लड़की एक और होती जिससे अपु...मतलब कि मैं लैला मजनूं के माफिक प्रेम करता। बोले तो टूट टूट के प्यार करता और आपकी मोहब्बत में फमा...फमा..नहीं नहीं फना हो जाता, हां फना।
साक्षी दी अपुन की ये बातें सुन कर जोर जोर से हंसने लगीं। भोर के वक्त जबकि सन्नाटा था तो उनकी हंसी ऐसी गूंज उठी जैसे किसी मंदिर की कई सारी घंटियां एक साथ बज उठी हों। वो अपने एक हाथ को सीने पर रखे खिलखिलाते हुए हंसे जा रेली थी।
उनको यूं हंसता देख एकाएक अपुन को धक्का लगा और फिर एकदम से अपुन उनके हंसते चेहरे में खोता ही चला गया लौड़ा।
बेटीचोद, अपुन को पता ही न चला था कि कब तक अपुन उनमें खोया रहा और कब उनकी हंसी बंद हुई। होश तब आया जब उनकी आवाज अपुन के कानों में पड़ी।
साक्षी दी ─ अरे! तुझे क्या हुआ मेरे प्यारे भाई? कहां खो गया तू?
अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया। बड़ा अजीब सा फील हुआ अपुन को। थोड़ा शर्म भी आई और थोड़ा झेंप भी गया। फिर किसी तरह खुद को सम्हाला। उधर वो मुस्कुराते हुए अपुन को ही देखे जा रेली थीं।
अपुन ─ अ..आप हंसते हुए बहुत खूबसूरत लगती हैं दी। अपु...मतलब कि मैं तो आपकी हंसी में ही खो गया था। मेरा दिल आपके बारे में एकदम सच ही कहता है।
साक्षी दी ─ तू और तेरा दिल दोनों ही पागल हैं। चल अब जा, अपने रूम में आराम कर। मैं भी थोड़ा वॉकिंग कर लूं। फिर फ्रेश हो के बाकी के काम भी करने हैं।
अपुन का मन तो न किया उनसे दूर जाने का लेकिन जाना जरूरी था वरना उन्हें शक हो जाता कि आज मेरे बर्ताव में कुछ तो अलग है, कुछ तो खास है या फिर कुछ तो अजीब है।
खैर अपुन जाने के लिए मुड़ा लेकिन तभी जाने अपुन को क्या हुआ कि वापस पलटा और आगे बढ़ कर साक्षी दी के दाएं गाल को झट से चूम लिया। उसके बाद उनका कोई रिएक्शन देखे बिना ही जल्दी से बाइक खड़ी कर घर के अंदर की तरफ बढ़ गया। पीछे साधना दी अपुन के द्वारा यूं गाल चूम लेने पर पहले तो शॉक हुईं लेकिन फिर सिर और कंधे को जैसे लापरवाही से उचका कर वॉकिंग करने लगीं। उनके होठों पर हल्की मुस्कान थिरक रही थी।
~~~~~~
रूम में आ कर अपुन ने फटाफट कपड़े बदले और बेड पर लेट गया। अपुन के मन में अभी भी साक्षी दी से हुई बातें चल रेली थी और साथ ही आंखों के सामने बार बार साक्षी दी का हंसता हुआ खूबसूरत चेहरा दिख रेला था।
अपुन सोचने लगा कि सच में साक्षी दी कितनी खूबसूरत हैं। कितनी सादगी से रहती हैं। सबसे अच्छे से बात करती हैं और सबकी केयर करती हैं। इतना ही नहीं अपने इकलौते भाई पर यानि अपुन पर जान छिड़कती हैं।
फिर एकाएक अपुन को याद आया कि कैसे उन्होंने अपुन को गले से लगाया था और उस वक्त उनके बूब्स अपुन की छाती में धंसे हुए थे। बेशक उन्हें भी इसका आभास हुआ होगा लेकिन उन्होंने जरा भी खुद को अपुन से दूर नहीं किया था, बल्कि अपुन ही उनसे दूर हो गयला था।
न चाहते हुए भी बेटीचोद अपुन के मन में दी के बारे में गंदे गंदे खयाल उभरने लगे। इससे अपुन एकदम से बेचैन और परेशान हो उठा। अपुन ने झुंझला कर सिर को झटका और फिर मोबाइल निकाल कर यूं ही मन बहलाने के लिए उसे देखने लगा। तभी अपुन को याद आया कि साधना ने अपुन से कहा था कि घर पहुंच कर कॉल या मैसेज करना। अपुन ने झट से नेट ऑन किया और फिर वॉट्सएप खोला।
अपुन ने देखा कि साधना वॉट्सएप में ऑनलाइन थी। अपुन ये सोच के मुस्कुरा उठा कि लौड़ी अभी तक अपुन के कॉल या मैसेज का वेट कर रेली है। खैर अपुन ने उसे मैसेज भेज कर बता दिया कि अपुन पहुंच गयला है। उसका फ़ौरन ही रिप्लाई आया।
साधना ─ ओह! बाबू, तुम्हारा अब तक कोई कॉल या मैसेज नहीं आया था तो मुझे बहुत टेंशन होने लगी थी।
अपुन ─ हां वो एक गड़बड़ हो गईली थी। एक्चुअली अपुन जैसे ही घर पहुंचा तो साक्षी दी बाहर ही वॉकिंग करते हुए दिख गईं थी।
साधना ─ माय गॉड! फिर तो दी को पता चल गया होगा न?
अपुन ─ डॉन्ट वरी। अपुन ने सब सम्हाल लिया है।
साधना ─ कोई सीरियस बात तो नहीं हुई न बाबू?
अपुन ─ नहीं हुई, बोले तो अपुन ने दी को अच्छे से समझा दिया है। चलो, अब गुड नाइट, अपुन को नींद आ रेली है...बाय।
साधना ─ ओके बाबू, गुड नाइट। लव यू...बॉय।
अपुन ने मोबाइल का नेट बंद किया और उसे एक तरफ रख कर सोने की कोशिश करने लगा। सच में थोड़ी ही देर में अपुन नींद की आगोश में चला गया लौड़ा।
~~~~~~
जब अपुन की नींद खुली तो देखा साक्षी दी अपुन के पास ही बेड पर बैठी हुईं थी और अपुन को बड़े गौर से देख रेली थीं। आंख खुलते ही उन्हें देख कर सच में अपुन को ऐसा लगा जैसे अपुन के दिल को भारी खुशी मिल गईली है। उन्हें देख अपुन बस मुस्कुरा उठा।
उधर जैसे ही साक्षी दी ने अपुन को जग गया देखा तो उनके गुलाबी होठों पर भी दिलकश मुस्कान उभर आई। फिर बड़े ही प्यार से अपुन का चेहरा सहला कर बोलीं।
साक्षी दी ─ तो मेरे प्यारे भाई की नींद पूरी हो गई?
अपुन ─ खुल तो गई दी लेकिन अब सोचता हूं कि काश पहले ही खुल गई होती।
साक्षी दी ─ अच्छा, ऐसा क्यों भला?
अपुन ─ इसलिए कि अपु...मतलब कि मुझे अपनी खूबसूरत दी का चेहरा पहले ही देखने को मिल जाता।
साक्षी दी हल्के से हंसी फिर अपुन के बालों में उंगली फेर कर बोलीं।
साक्षी दी ─ तू सुबह सुबह ही शुरू हो गया? चल अब उठ जा, देख लंच का टाइम हो गया है।
अपुन ये सुन कर चौंक ही पड़ा लौड़ा। झट से इधर उधर गर्दन घुमा कर देखा तो सच में खिड़की से धूप की तेज रोशनी समझ में आ रेली थी। अपुन एकदम से ये सोच के घबरा उठा कि इतनी देर तक सोते रहने से दी को कहीं किसी बात का शक न हो जाए। इस लिए बोला।
अपुन ─ वो क्या है न दी, एक बार सुबह सात बजे नींद खुली थी लेकिन जब याद आया कि आज संडे है तो फिर से सो गया।
साक्षी दी ये सुन कर फिर से मुस्कुराईं। उनके मुस्कुराने पर अपुन ये सोच के घबरा उठा कि कहीं उन्होंने अपुन का झूठ पकड़ तो नहीं लिया लौड़ा? तभी दी बोलीं।
साक्षी दी ─ सात बजे तो मैं तेरे रूम में आई थी और तू तब भी घोड़े बेच के सो रहा था। अगर जगा होता तो मुझे भला क्यों वापस लौट जाना पड़ता?
अपुन ─ हो सकता है कि हमारी टाइमिंग इधर उधर हो गई हो दी पर सच यही है कि अपु...मतलब कि मैं उस टाइम जगा था।
साक्षी दी ─ चल मान लेती हूं कि तू ही सच बोल रहा है। अब चल उठ जा और जल्दी से फ्रेश हो ले।
अपुन ने मन ही मन राहत की सांस ली। फिर एकदम से खयाल आया कि दी से थोड़ा मजा लिया जाए। बोले तो उनकी तारीफ कर के उन्हें खुश किया जाए।
अपुन ─ फ्रेश तो मैं आपको देख के ही हो गया हूं दी। मतलब कि मुझे ऐसा फील हो रहा है। आप हर रोज ऐसे ही मुझे अपना दीदार करा दिया करो और मैं बिना बाथरूम गए ही फ्रेश फील कर लिया करूं।
अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी खिलखिला कर हंसने लगीं। उनके यूं हंसने से एक बार फिर अपुन को लगा जैसे मंदिर की कई सारी घंटियां एक साथ बजने लगीं हों। पूरा कमरा उनकी खिलखिलाहट से गूंज उठा और इधर अपुन एक बार फिर जैसे उनकी हंसी में खो गया। उनके सच्चे मोतियों जैसे सफेद चमकते दांत कितने आकर्षक लग रेले थे।
एकाएक उनकी हंसी बंद हो गई। शायद उन्होंने देख लिया था कि अपुन सुबह की तरह फिर से उनको हंसते देख खो गया है। इस लिए हंसना बंद कर के उन्होंने मुस्कुराते हुए पहले अपुन को देखा फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ अब क्या हुआ तुझे? कुछ और भी बोलना है या फ्रेश होने जाएगा?
अपुन उनकी बात सुन थोड़ा हड़बड़ाया, फिर खुद को सम्हाल कर बोला।
अपुन ─ दिल तो बहुत कुछ बोलना चाहता है दी लेकिन खैर जाने दो।
साक्षी दी ने इस बार गहरी नजरों से देखा अपुन को। जैसे समझने की कोशिश कर रही हों कि अपुन आखिर क्या कहना चाहता है या फिर अपुन के कहने का क्या मतलब है?
साक्षी दी ─ ऐसे कैसे जाने दो? तेरा दिल अगर कुछ कहना चाहता है तो उसे बोल कि कह दे। वैसे भी मैं अपने प्यारे भाई को किसी बात के लिए निराश होते नहीं देख सकती। चल बता जल्दी कि तेरा दिल और क्या कहना चाहता है?
उनकी बात सुन कर अपुन का दिल जोर जोर से धड़कने लगा लौड़ा। बोले तो अपुन ने तो बस यूं ही कह दिया था लेकिन अब जब वो खुद कहने को बोल रेली थीं तो अपुन ये सोच के घबरा गया कि अब क्या बोले अपुन? हालांकि धड़कता दिल इसके बावजूद चीख चीख के कह रेला था कि दिल की बात बोल दे न लौड़े। खैर अपुन ने खुद को सम्हाला, फिर बोला।
अपुन ─ अरे! मैंने आपको बताया तो है दी। मेरा मतलब है कि आपसे बोला तो था मैंने कि आप हर रोज अपने खूबसूरत चेहरे का दीदार करा दिया करो तो दिन बन जाएगा मेरा।
साक्षी दी ─ अच्छा, बस इतना ही?
अपुन उनकी बात सुन कर चकरा सा गया लौड़ा। अपुन को समझते देर न लगी कि उन्हें समझ आ गयला है कि अपुन बस इतना ही नहीं बोलना चाहता था। उधर अपुन को कुछ सोचता देख वो हल्के से मुस्कुराईं फिर बोली।
साक्षी दी ─ चल अब ज्यादा मत सोच और जल्दी से जा के फ्रेश हो जा। हम सब डायनिंग टेबल पर तेरा इंतज़ार करेंगे और हां डैड का फोन आया था। उन्होंने कहा है कि वो कल आएंगे तो मुझे आज भी एक बार कम्पनी का चक्कर लगाना पड़ेगा।
अपुन ─ तो क्या आप अभी तक कंपनी का चक्कर लगाने नहीं गईं हैं
साक्षी दी ─ कहां गई हूं? सोचा था तेरी तरह मैं भी आज रेस्ट करूंगी। फिर जब डैड ने कॉल पर ऐसा कहा तो सोचा आज तुझे भी अपने साथ ले चलती हूं। क्या बोलता है, चलेगा न अपनी दी के साथ?
अपुन (खुश हो कर) ─ बिल्कुल चलूंगा दी। ये भी कोई पूछने की बात है? अरे! अपुन कभी अपनी दी की बात टाल सकता है क्या?
साक्षी दी पहले तो हौले से मुस्कुराईं लेकिन फिर सहसा घूरने लगीं।
साक्षी दी ─ तूने मुझसे प्रॉमिस किया था न कि टपोरी वाली भाषा नहीं बोलेगा। फिर ये अपुन अपुन क्या बोल रहा है?
ये सुन कर अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया। फिर जल्दी से बोला।
अपुन ─ सॉरी दी, वो खुशी के जोश में और जल्दी के चक्कर में निकल गया मुंह से।
साक्षी दी ─ इट्स ओके बट अब से भूल कर भी नहीं निकलना चाहिए।
अपुन ─ आप अगर हर वक्त मेरे साथ रहो तो पक्की बात है कि मेरे मुंह से टपोरी वाली भाषा नहीं निकलेगी।
साक्षी दी ─ मैं तो हमेशा तेरे साथ ही हूं प्यारे भाई लेकिन हां हर वक्त तेरे साथ रह पाना संभव नहीं है और ये तू भी समझ सकता है।
अपुन ─ हां ये तो है दी।
साक्षी दी ─ अच्छा अब चल ये सब बातें छोड़ और जा कर फ्रेश हो ले।
उसके बाद दी चली गईं। अपुन अब चाह कर भी उन्हें रोक नहीं सकता था। खैर अपुन भी उठा और बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।
To be continued...
Aaj ke liye itna hi bhai log,
Pics and Gif upload karna band kar diya hai apan ne kyoki unhen khoj khoj ke upload karne ka time nahi hai apan ke paas. Regular update de raha apan yahi bahut badi baat hai
Well, read karo, enjoy karo aur haan...like comments ke sath feedback bhi dete raho warna apan story close kar dega. Fir mat bolna ki story adhuri chhod di apan ne
Super update Bhai
Update ~ 11
साधना ─ ये तो तभी पॉसिबल है बाबू जब मैं हर वक्त तुम्हारे ही पास रहूं और ऐसा तभी हो सकता है जब हम दोनों की एक दूसरे से शादी हो जाए।
अपुन ─ फिलहाल तो ऐसा संभव नहीं है। अच्छा अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां उसका भी....अगली बार उसको अच्छे से प्यार करेगा अपुन और फिर दबा के पेलेगा भी।
साधना अपुन की ये बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई। फिर अपन दोनों दरवाजे तक साथ साथ ही आए। उसने दरवाज़ा खोलने से पहले एक बार फिर से अपुन के होठों को चूमा और फिर जब उसने दरवाज़ा खोला तो अपुन उसे बाय बोल कर चुपके से निकल लिया।
अब आगे....
बेटीचोद, जिसका डर था वही हुआ लौड़ा। अपुन जैसे ही बाइक से घर पहुंचा तो बाहर गार्डन में ही अपुन को साक्षी दी मिल गईं। अपुन तो भूल ही गयला था कि वो हर सुबह वॉकिंग करने के लिए जल्दी ही उठ जाती हैं और आज तो शायद छः बजे के पहले ही उठ गईं थी।
अपुन को इतनी सुबह बाइक से आता देख उन्हें बड़ी हैरानी हुई। इधर अपुन की तो पहले ही उन्हें देख फट गईली थी पर अब सामन तो करना ही था उनका। इस लिए अपुन फटाफट कोई मस्त सा बहाना सोचने लगा। तभी वो तेजी से चलते हुए अपुन के पास आ कर खड़ी हो गईं। फिर अपुन को अजीब सी नज़रों से घूरते हुए पूछीं।
साक्षी दी ─ तू इतनी सुबह बाइक से कहां से आ रहा है?
अपुन को याद आया कि अपुन ने उनको प्रॉमिस किएला था कि अब से अपुन टपोरी भाषा में किसी से बात नहीं करेगा। इस लिए अपुन ने बहाना बनाने के साथ ही ये भी सोच लिया कि उनसे सभ्य तरीके से बात करेगा तो वो खुश भी होंगी और डांटेगी भी नहीं।
अपुन ─ अरे! दी वो मैं अपने एक दोस्त से मिलने गया था।
साक्षी दी ने अपुन को सभ्य तरीके से बात करते सुना तो सच में उन्हें खुशी हुई। उनके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव भी दिखे लेकिन फिर हैरानी से बोली।
साक्षी दी ─ पर इतनी सुबह तू अपने कौन से दोस्त से मिलने गया था? एक मिनिट, इस वक्त सुबह के साढ़े पांच बजे हैं और तू अपने दोस्त से मिल के आ रहा है तो इस हिसाब से तू यहां से कब गया होगा?
अपुन की पहले तो फटी पर जल्दी ही अपुन ने खुद को सम्हाला और जल्दी से बोला।
अपुन ─ वो दी, मैं मॉर्निंग में सुबह चार बजे गया था। एक्चुअली सुबह पौने चार बजे उसका फोन आया था और अपु...मेरा मतलब है कि मैं उसी के फोन करने पर जगा था। पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया कि इतने टाइम कौन मेरी नींद खराब कर रेला...मतलब रहा है। फिर मैंने कॉल पिक की तो पता चला कि वो मेरा नया दोस्त अतुल है।
साक्षी दी ─ इस नाम का दोस्त कब बनाया तूने?
अपुन ─ अरे! अभी कुछ दिन पहले ही उससे मुलाकात हुई थी।
साक्षी दी ─ तेरे कॉलेज का ही है?
अपुन ने सोचा कि अगर कॉलेज का बताया तो किसी दिन उसे दी से मिलवाना न पड़ जाए इस लिए फ़ौरन झूठ मूठ का बताना ही ठीक समझा वैसे भी अतुल नाम का दोस्त काल्पनिक ही बनाया था अपुन ने।
अपुन ─ नहीं दी, वो दूसरे कॉलेज का है। असल में कुछ दिन पहले उसकी अपु...मतलब कि मैंने हेल्प की थी। बेचारे को लोकल लोग परेशान कर रहे थे तो अपु...मतलब मैंने बचाया था उसे। बस इतनी ही पहचान होती उससे लेकिन उस दिन मैंने जोश जोश में उसको अपना फोन नंबर भी दे दिया था और बोला था कि अगर फिर कोई प्रॉब्लम हो तो फोन करना।
साक्षी दी अपुन की ये बातें सुन कर घूर के देखने लगीं अपुन को। अपुन समझ गया कि उन्हें ये अच्छा नहीं लगा है। इस लिए जल्दी से बोला।
अपुन ─ अब आप तो जानती हो दी कि अपु....मतलब कि मैं कितना परोपकारी लड़का हूं। आखिर आपका भाई हूं, किसी को प्रॉब्लम में कैसे देख सकता हूं?
साक्षी दी ─ मस्का मत लगा। साफ साफ बता कि ऐसी क्या बात थी कि उसने तुझे चार बजे फोन किया और तुझे उसी वक्त यहां से बिना किसी को कुछ बताए जाना पड़ गया?
अपुन ─ सीरियस वाली कोई बात नहीं थी दी वरना अपु...मतलब कि मैं इस तरह जाता ही नहीं। उसने बताया कि उसे अर्जेंट अपने गांव जाना है लेकिन उसके पास किराए के लिए पैसे नहीं हैं। उसने अपने एक दो दोस्तों को भी फोन किया था लेकिन एक ने फोन नहीं उठाया और दूसरे ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। तब उसे अपु...मतलब कि मेरी याद आई।
साक्षी दी अपुन की बात सुन के थोड़ी देर कुछ सोचती रहीं और अपुन को देखती भी रहीं फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ देख भाई, किसी की हेल्प करना अच्छी बात है लेकिन इस तरह रात के वक्त बिना किसी को बताए जाना बिल्कुल भी ठीक नहीं था। मॉम डैड भी नहीं थे, ऐसे में अगर तेरे साथ कुछ हो जाता तो मैं मॉम डैड को क्या जवाब देती?
अपुन भी समझ रेला था कि उनकी बात सच थी लेकिन ये भी सच था कि अपुन उनको सच नहीं बता सकता था।
अपुन ─ सॉरी दी, अपु...मतलब कि मैंने सुबह के उस वक्त किसी को इस लिए नहीं बताया क्योंकि मैं आप में से किसी की नींद खराब नहीं करना चाहता था। मैंने सोचा था कि जरा सी तो बात है इस लिए यूं जाऊंगा और उसे पैसे दे के फौरन आ जाऊंगा।
साक्षी दी आगे बढ़ीं और अपुन के चेहरे को सहला कर बोलीं।
साक्षी दी ─ आगे से ऐसा कभी मत करना। तू मेरा भाई ही नहीं बल्कि मेरी जान भी है। मुझसे प्रॉमिस कर कि आज के बाद इस तरह रात में बिना किसी को बताए कहीं नहीं जाएगा।
अपुन ─ प्रॉमिस दी, नेक्स्ट टाइम से ऐसा कभी नहीं करूंगा।
साक्षी दी ने अपुन को पकड़ कर गले से लगा लिया। उनके ऐसा करते ही जहां एक तरफ अपुन ने राहत की सांस ली वहीं दूसरी तरफ उनके सीने के कोमल उभार जब अपुन की छाती में धंसे तो अपुन के समूचे जिस्म में रोमांच की लहर दौड़ गई और वो लहर दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को भी झनझना गई लौड़ा। अपुन को मजा तो आया और मन भी किया कि साक्षी दी अपुन को ऐसे ही अपने गले से लगाए रहें लेकिन फिर अचानक ही अपुन के अंदर से कोई चीखा और बोला भोसड़ीके तू अपनी दी के बारे में इतना गंदा कैसे सोच सकता है....डूब मर साले।
और इस बात को सुनते ही अपुन गांड़ तक कांप गया लौड़ा। फिर अपुन झट से दीदी से अलग हो गया। साक्षी दी को पहले तो हैरानी हुई फिर सामान्य भाव से अपुन के चेहरे को फिर से सहलाईं और बोलीं।
साक्षी दी ─ आज तो संडे है इस लिए अपने रूम में जा के सो जा। जब बाकी की नींद पूरी हो जाएगी तो मैं उठा दूंगी तुझे।
अपुन ─ वाह! दी आप अपु...मतलब आप मुझे उठाने आएंगी। फिर तो अपु....ओह दी ये बार बार टपोरी भाषा ही मुंह से निकल जाती है.... हां तो मैं ये कह रहा था कि अगर आप मुझे जगाने आएंगी तो मेरा तो दिन ही बन जाएगा।
साक्षी दी अपुन की बात सुन के मुस्कुराईं और फिर हल्के से एक चपत लगाया अपुन के गांड़....मतलब कि गाल पर। फिर तिरछी नजरों से देखते हुए बोलीं।
साक्षी दी ─ अच्छा जी, तेरा दिन कैसे बन जाएगा भला? ज़रा मुझे भी तो बता।
अपुन ने फटाफट मस्त डायलॉग सोचा और फिर बोला।
अपुन ─ ओह! दी अब कैसे बताऊं आपको? बोले तो मैं उस खूबसूरत फीलिंग्स को लफ्जों में बता ही नहीं सकता।
साक्षी दी (हंस कर) ─ ओ हेलो मेरे भाई, जमीन पर आ जा। ज़्यादा उड़ मत।
अपुन ने झूठी नाराजगी दिखाते हुए साक्षी दी को घूरा, फिर बोला।
अपुन ─ देखो दी, आप बेशक मुझे जो चाहे बोलो, मारो या डांटो लेकिन बात जब मेरी ब्यूटीफुल साक्षी दी की आती है तो मैं किसी की नहीं सुन सकता।
साक्षी दी की मुस्कान गहरी हो गई। फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ ओह! सॉरी भाई। तू बोल ले, जो बोलना चाहता है।
अपुन ─ हां तो अपु...सॉरी, मतलब कि मैं ये कहना चाहता हूं कि आप क्या हो और कैसी हो ये आपसे ज्यादा मैं....नहीं नहीं...मैं भी नहीं, बल्कि मेरा दिल जानता है, यस यस...मेरा दिल जानता है।
साक्षी दी की आंखें फैल गईं। फिर मुस्कुरा कर बोलीं।
साक्षी दी ─ अरे वाह! ये तो मुझे पता ही नहीं था मेरे भाई। वैसे मुझे भी बता न कि मेरे बारे में तेरा दिल क्या जानता है?
अपुन सोचने लगा कि अब कौन सा डायलॉग मारे अपुन? बोले तो एक तरफ अपुन की ये सोच के धड़कनें बढ़ गईली थीं कि ये अपुन किस लाइन में जा रेला है, मतलब कि कहीं फ्लो फ्लो में और जोश जोश में अपुन कुछ ऐसा न बोल जाए जो अपुन को नहीं बोलना चाहिए। पर लौड़ा, सवाल अपुन की सबसे खूबसूरत दी का था इस लिए किसी बात की परवाह न की अपुन ने। लेकिन....लेकिन...हां हां लेकिन अपुन को खयाल आया कि पहले दी से कुछ करार वरार कर लिया जाए वरना गांड़ में उनकी लात न पड़ जाए। इस लिए बोला।
अपुन ─ ज़रूर बताऊंगा दी लेकिन पहले प्रॉमिस करो कि अपु...मतलब कि मैं जो कुछ भी बोलूंगा उसे सुन कर आप मुझ पर गुस्सा नहीं करोगी।
साक्षी दी ये सुन कर थोड़ा सोच में पड़ गईं। कुछ देर जाने क्या सोचती रहीं फिर गहरी सांस ले कर बोलीं।
साक्षी दी ─ अच्छा ठीक है, मैं प्रॉमिस करती हूं कि गुस्सा नहीं करूंगी। वैसे भी तू मेरा सबसे प्यारा भाई है इस लिए गुस्सा होने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। तू बेझिझक बता।
अपुन ─ एक्चुअली अपु....मतलब कि मैं जो कुछ बोलूंगा वो सब मेरा नहीं बल्कि मेरे दिल का कहना होगा, आप समझ रही हैं ना?
साक्षी दी ने पलकें झपका कर हां कह दिया। उनके गुलाबी होठों पर दिलकश मुस्कान थी और चेहरे पर एक उत्सुकता।
अपुन ─ ओके, तो मेरे दिल का कहना है कि आप इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हैं और अपु...सॉरी...और मेरी खूबसूरत दी हैं। आपसे प्यारा, आपसे हसीन, आपके जैसी सादगी और आपके जैसा भाई को चाहने वाली दूसरी कोई कभी पैदा ही नहीं हो सकती।
साक्षी दी (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! बहुत खूब भाई, और क्या कहता है तेरा दिल?
अपुन ─ हां अभी और भी है। अपु...सॉरी मेरा दिल कहता है कि काश! आपके जैसी हसीन लड़की एक और होती जिससे अपु...मतलब कि मैं लैला मजनूं के माफिक प्रेम करता। बोले तो टूट टूट के प्यार करता और आपकी मोहब्बत में फमा...फमा..नहीं नहीं फना हो जाता, हां फना।
साक्षी दी अपुन की ये बातें सुन कर जोर जोर से हंसने लगीं। भोर के वक्त जबकि सन्नाटा था तो उनकी हंसी ऐसी गूंज उठी जैसे किसी मंदिर की कई सारी घंटियां एक साथ बज उठी हों। वो अपने एक हाथ को सीने पर रखे खिलखिलाते हुए हंसे जा रेली थी।
उनको यूं हंसता देख एकाएक अपुन को धक्का लगा और फिर एकदम से अपुन उनके हंसते चेहरे में खोता ही चला गया लौड़ा।
बेटीचोद, अपुन को पता ही न चला था कि कब तक अपुन उनमें खोया रहा और कब उनकी हंसी बंद हुई। होश तब आया जब उनकी आवाज अपुन के कानों में पड़ी।
साक्षी दी ─ अरे! तुझे क्या हुआ मेरे प्यारे भाई? कहां खो गया तू?
अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया। बड़ा अजीब सा फील हुआ अपुन को। थोड़ा शर्म भी आई और थोड़ा झेंप भी गया। फिर किसी तरह खुद को सम्हाला। उधर वो मुस्कुराते हुए अपुन को ही देखे जा रेली थीं।
अपुन ─ अ..आप हंसते हुए बहुत खूबसूरत लगती हैं दी। अपु...मतलब कि मैं तो आपकी हंसी में ही खो गया था। मेरा दिल आपके बारे में एकदम सच ही कहता है।
साक्षी दी ─ तू और तेरा दिल दोनों ही पागल हैं। चल अब जा, अपने रूम में आराम कर। मैं भी थोड़ा वॉकिंग कर लूं। फिर फ्रेश हो के बाकी के काम भी करने हैं।
अपुन का मन तो न किया उनसे दूर जाने का लेकिन जाना जरूरी था वरना उन्हें शक हो जाता कि आज मेरे बर्ताव में कुछ तो अलग है, कुछ तो खास है या फिर कुछ तो अजीब है।
खैर अपुन जाने के लिए मुड़ा लेकिन तभी जाने अपुन को क्या हुआ कि वापस पलटा और आगे बढ़ कर साक्षी दी के दाएं गाल को झट से चूम लिया। उसके बाद उनका कोई रिएक्शन देखे बिना ही जल्दी से बाइक खड़ी कर घर के अंदर की तरफ बढ़ गया। पीछे साधना दी अपुन के द्वारा यूं गाल चूम लेने पर पहले तो शॉक हुईं लेकिन फिर सिर और कंधे को जैसे लापरवाही से उचका कर वॉकिंग करने लगीं। उनके होठों पर हल्की मुस्कान थिरक रही थी।
~~~~~~
रूम में आ कर अपुन ने फटाफट कपड़े बदले और बेड पर लेट गया। अपुन के मन में अभी भी साक्षी दी से हुई बातें चल रेली थी और साथ ही आंखों के सामने बार बार साक्षी दी का हंसता हुआ खूबसूरत चेहरा दिख रेला था।
अपुन सोचने लगा कि सच में साक्षी दी कितनी खूबसूरत हैं। कितनी सादगी से रहती हैं। सबसे अच्छे से बात करती हैं और सबकी केयर करती हैं। इतना ही नहीं अपने इकलौते भाई पर यानि अपुन पर जान छिड़कती हैं।
फिर एकाएक अपुन को याद आया कि कैसे उन्होंने अपुन को गले से लगाया था और उस वक्त उनके बूब्स अपुन की छाती में धंसे हुए थे। बेशक उन्हें भी इसका आभास हुआ होगा लेकिन उन्होंने जरा भी खुद को अपुन से दूर नहीं किया था, बल्कि अपुन ही उनसे दूर हो गयला था।
न चाहते हुए भी बेटीचोद अपुन के मन में दी के बारे में गंदे गंदे खयाल उभरने लगे। इससे अपुन एकदम से बेचैन और परेशान हो उठा। अपुन ने झुंझला कर सिर को झटका और फिर मोबाइल निकाल कर यूं ही मन बहलाने के लिए उसे देखने लगा। तभी अपुन को याद आया कि साधना ने अपुन से कहा था कि घर पहुंच कर कॉल या मैसेज करना। अपुन ने झट से नेट ऑन किया और फिर वॉट्सएप खोला।
अपुन ने देखा कि साधना वॉट्सएप में ऑनलाइन थी। अपुन ये सोच के मुस्कुरा उठा कि लौड़ी अभी तक अपुन के कॉल या मैसेज का वेट कर रेली है। खैर अपुन ने उसे मैसेज भेज कर बता दिया कि अपुन पहुंच गयला है। उसका फ़ौरन ही रिप्लाई आया।
साधना ─ ओह! बाबू, तुम्हारा अब तक कोई कॉल या मैसेज नहीं आया था तो मुझे बहुत टेंशन होने लगी थी।
अपुन ─ हां वो एक गड़बड़ हो गईली थी। एक्चुअली अपुन जैसे ही घर पहुंचा तो साक्षी दी बाहर ही वॉकिंग करते हुए दिख गईं थी।
साधना ─ माय गॉड! फिर तो दी को पता चल गया होगा न?
अपुन ─ डॉन्ट वरी। अपुन ने सब सम्हाल लिया है।
साधना ─ कोई सीरियस बात तो नहीं हुई न बाबू?
अपुन ─ नहीं हुई, बोले तो अपुन ने दी को अच्छे से समझा दिया है। चलो, अब गुड नाइट, अपुन को नींद आ रेली है...बाय।
साधना ─ ओके बाबू, गुड नाइट। लव यू...बॉय।
अपुन ने मोबाइल का नेट बंद किया और उसे एक तरफ रख कर सोने की कोशिश करने लगा। सच में थोड़ी ही देर में अपुन नींद की आगोश में चला गया लौड़ा।
~~~~~~
जब अपुन की नींद खुली तो देखा साक्षी दी अपुन के पास ही बेड पर बैठी हुईं थी और अपुन को बड़े गौर से देख रेली थीं। आंख खुलते ही उन्हें देख कर सच में अपुन को ऐसा लगा जैसे अपुन के दिल को भारी खुशी मिल गईली है। उन्हें देख अपुन बस मुस्कुरा उठा।
उधर जैसे ही साक्षी दी ने अपुन को जग गया देखा तो उनके गुलाबी होठों पर भी दिलकश मुस्कान उभर आई। फिर बड़े ही प्यार से अपुन का चेहरा सहला कर बोलीं।
साक्षी दी ─ तो मेरे प्यारे भाई की नींद पूरी हो गई?
अपुन ─ खुल तो गई दी लेकिन अब सोचता हूं कि काश पहले ही खुल गई होती।
साक्षी दी ─ अच्छा, ऐसा क्यों भला?
अपुन ─ इसलिए कि अपु...मतलब कि मुझे अपनी खूबसूरत दी का चेहरा पहले ही देखने को मिल जाता।
साक्षी दी हल्के से हंसी फिर अपुन के बालों में उंगली फेर कर बोलीं।
साक्षी दी ─ तू सुबह सुबह ही शुरू हो गया? चल अब उठ जा, देख लंच का टाइम हो गया है।
अपुन ये सुन कर चौंक ही पड़ा लौड़ा। झट से इधर उधर गर्दन घुमा कर देखा तो सच में खिड़की से धूप की तेज रोशनी समझ में आ रेली थी। अपुन एकदम से ये सोच के घबरा उठा कि इतनी देर तक सोते रहने से दी को कहीं किसी बात का शक न हो जाए। इस लिए बोला।
अपुन ─ वो क्या है न दी, एक बार सुबह सात बजे नींद खुली थी लेकिन जब याद आया कि आज संडे है तो फिर से सो गया।
साक्षी दी ये सुन कर फिर से मुस्कुराईं। उनके मुस्कुराने पर अपुन ये सोच के घबरा उठा कि कहीं उन्होंने अपुन का झूठ पकड़ तो नहीं लिया लौड़ा? तभी दी बोलीं।
साक्षी दी ─ सात बजे तो मैं तेरे रूम में आई थी और तू तब भी घोड़े बेच के सो रहा था। अगर जगा होता तो मुझे भला क्यों वापस लौट जाना पड़ता?
अपुन ─ हो सकता है कि हमारी टाइमिंग इधर उधर हो गई हो दी पर सच यही है कि अपु...मतलब कि मैं उस टाइम जगा था।
साक्षी दी ─ चल मान लेती हूं कि तू ही सच बोल रहा है। अब चल उठ जा और जल्दी से फ्रेश हो ले।
अपुन ने मन ही मन राहत की सांस ली। फिर एकदम से खयाल आया कि दी से थोड़ा मजा लिया जाए। बोले तो उनकी तारीफ कर के उन्हें खुश किया जाए।
अपुन ─ फ्रेश तो मैं आपको देख के ही हो गया हूं दी। मतलब कि मुझे ऐसा फील हो रहा है। आप हर रोज ऐसे ही मुझे अपना दीदार करा दिया करो और मैं बिना बाथरूम गए ही फ्रेश फील कर लिया करूं।
अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी खिलखिला कर हंसने लगीं। उनके यूं हंसने से एक बार फिर अपुन को लगा जैसे मंदिर की कई सारी घंटियां एक साथ बजने लगीं हों। पूरा कमरा उनकी खिलखिलाहट से गूंज उठा और इधर अपुन एक बार फिर जैसे उनकी हंसी में खो गया। उनके सच्चे मोतियों जैसे सफेद चमकते दांत कितने आकर्षक लग रेले थे।
एकाएक उनकी हंसी बंद हो गई। शायद उन्होंने देख लिया था कि अपुन सुबह की तरह फिर से उनको हंसते देख खो गया है। इस लिए हंसना बंद कर के उन्होंने मुस्कुराते हुए पहले अपुन को देखा फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ अब क्या हुआ तुझे? कुछ और भी बोलना है या फ्रेश होने जाएगा?
अपुन उनकी बात सुन थोड़ा हड़बड़ाया, फिर खुद को सम्हाल कर बोला।
अपुन ─ दिल तो बहुत कुछ बोलना चाहता है दी लेकिन खैर जाने दो।
साक्षी दी ने इस बार गहरी नजरों से देखा अपुन को। जैसे समझने की कोशिश कर रही हों कि अपुन आखिर क्या कहना चाहता है या फिर अपुन के कहने का क्या मतलब है?
साक्षी दी ─ ऐसे कैसे जाने दो? तेरा दिल अगर कुछ कहना चाहता है तो उसे बोल कि कह दे। वैसे भी मैं अपने प्यारे भाई को किसी बात के लिए निराश होते नहीं देख सकती। चल बता जल्दी कि तेरा दिल और क्या कहना चाहता है?
उनकी बात सुन कर अपुन का दिल जोर जोर से धड़कने लगा लौड़ा। बोले तो अपुन ने तो बस यूं ही कह दिया था लेकिन अब जब वो खुद कहने को बोल रेली थीं तो अपुन ये सोच के घबरा गया कि अब क्या बोले अपुन? हालांकि धड़कता दिल इसके बावजूद चीख चीख के कह रेला था कि दिल की बात बोल दे न लौड़े। खैर अपुन ने खुद को सम्हाला, फिर बोला।
अपुन ─ अरे! मैंने आपको बताया तो है दी। मेरा मतलब है कि आपसे बोला तो था मैंने कि आप हर रोज अपने खूबसूरत चेहरे का दीदार करा दिया करो तो दिन बन जाएगा मेरा।
साक्षी दी ─ अच्छा, बस इतना ही?
अपुन उनकी बात सुन कर चकरा सा गया लौड़ा। अपुन को समझते देर न लगी कि उन्हें समझ आ गयला है कि अपुन बस इतना ही नहीं बोलना चाहता था। उधर अपुन को कुछ सोचता देख वो हल्के से मुस्कुराईं फिर बोली।
साक्षी दी ─ चल अब ज्यादा मत सोच और जल्दी से जा के फ्रेश हो जा। हम सब डायनिंग टेबल पर तेरा इंतज़ार करेंगे और हां डैड का फोन आया था। उन्होंने कहा है कि वो कल आएंगे तो मुझे आज भी एक बार कम्पनी का चक्कर लगाना पड़ेगा।
अपुन ─ तो क्या आप अभी तक कंपनी का चक्कर लगाने नहीं गईं हैं
साक्षी दी ─ कहां गई हूं? सोचा था तेरी तरह मैं भी आज रेस्ट करूंगी। फिर जब डैड ने कॉल पर ऐसा कहा तो सोचा आज तुझे भी अपने साथ ले चलती हूं। क्या बोलता है, चलेगा न अपनी दी के साथ?
अपुन (खुश हो कर) ─ बिल्कुल चलूंगा दी। ये भी कोई पूछने की बात है? अरे! अपुन कभी अपनी दी की बात टाल सकता है क्या?
साक्षी दी पहले तो हौले से मुस्कुराईं लेकिन फिर सहसा घूरने लगीं।
साक्षी दी ─ तूने मुझसे प्रॉमिस किया था न कि टपोरी वाली भाषा नहीं बोलेगा। फिर ये अपुन अपुन क्या बोल रहा है?
ये सुन कर अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया। फिर जल्दी से बोला।
अपुन ─ सॉरी दी, वो खुशी के जोश में और जल्दी के चक्कर में निकल गया मुंह से।
साक्षी दी ─ इट्स ओके बट अब से भूल कर भी नहीं निकलना चाहिए।
अपुन ─ आप अगर हर वक्त मेरे साथ रहो तो पक्की बात है कि मेरे मुंह से टपोरी वाली भाषा नहीं निकलेगी।
साक्षी दी ─ मैं तो हमेशा तेरे साथ ही हूं प्यारे भाई लेकिन हां हर वक्त तेरे साथ रह पाना संभव नहीं है और ये तू भी समझ सकता है।
अपुन ─ हां ये तो है दी।
साक्षी दी ─ अच्छा अब चल ये सब बातें छोड़ और जा कर फ्रेश हो ले।
उसके बाद दी चली गईं। अपुन अब चाह कर भी उन्हें रोक नहीं सकता था। खैर अपुन भी उठा और बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।
To be continued...
Aaj ke liye itna hi bhai log,
Pics and Gif upload karna band kar diya hai apan ne kyoki unhen khoj khoj ke upload karne ka time nahi hai apan ke paas. Regular update de raha apan yahi bahut badi baat hai
Well, read karo, enjoy karo aur haan...like comments ke sath feedback bhi dete raho warna apan story close kar dega. Fir mat bolna ki story adhuri chhod di apan ne
Nice update....
Update ~ 11
साधना ─ ये तो तभी पॉसिबल है बाबू जब मैं हर वक्त तुम्हारे ही पास रहूं और ऐसा तभी हो सकता है जब हम दोनों की एक दूसरे से शादी हो जाए।
अपुन ─ फिलहाल तो ऐसा संभव नहीं है। अच्छा अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां उसका भी....अगली बार उसको अच्छे से प्यार करेगा अपुन और फिर दबा के पेलेगा भी।
साधना अपुन की ये बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई। फिर अपन दोनों दरवाजे तक साथ साथ ही आए। उसने दरवाज़ा खोलने से पहले एक बार फिर से अपुन के होठों को चूमा और फिर जब उसने दरवाज़ा खोला तो अपुन उसे बाय बोल कर चुपके से निकल लिया।
अब आगे....
बेटीचोद, जिसका डर था वही हुआ लौड़ा। अपुन जैसे ही बाइक से घर पहुंचा तो बाहर गार्डन में ही अपुन को साक्षी दी मिल गईं। अपुन तो भूल ही गयला था कि वो हर सुबह वॉकिंग करने के लिए जल्दी ही उठ जाती हैं और आज तो शायद छः बजे के पहले ही उठ गईं थी।
अपुन को इतनी सुबह बाइक से आता देख उन्हें बड़ी हैरानी हुई। इधर अपुन की तो पहले ही उन्हें देख फट गईली थी पर अब सामन तो करना ही था उनका। इस लिए अपुन फटाफट कोई मस्त सा बहाना सोचने लगा। तभी वो तेजी से चलते हुए अपुन के पास आ कर खड़ी हो गईं। फिर अपुन को अजीब सी नज़रों से घूरते हुए पूछीं।
साक्षी दी ─ तू इतनी सुबह बाइक से कहां से आ रहा है?
अपुन को याद आया कि अपुन ने उनको प्रॉमिस किएला था कि अब से अपुन टपोरी भाषा में किसी से बात नहीं करेगा। इस लिए अपुन ने बहाना बनाने के साथ ही ये भी सोच लिया कि उनसे सभ्य तरीके से बात करेगा तो वो खुश भी होंगी और डांटेगी भी नहीं।
अपुन ─ अरे! दी वो मैं अपने एक दोस्त से मिलने गया था।
साक्षी दी ने अपुन को सभ्य तरीके से बात करते सुना तो सच में उन्हें खुशी हुई। उनके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव भी दिखे लेकिन फिर हैरानी से बोली।
साक्षी दी ─ पर इतनी सुबह तू अपने कौन से दोस्त से मिलने गया था? एक मिनिट, इस वक्त सुबह के साढ़े पांच बजे हैं और तू अपने दोस्त से मिल के आ रहा है तो इस हिसाब से तू यहां से कब गया होगा?
अपुन की पहले तो फटी पर जल्दी ही अपुन ने खुद को सम्हाला और जल्दी से बोला।
अपुन ─ वो दी, मैं मॉर्निंग में सुबह चार बजे गया था। एक्चुअली सुबह पौने चार बजे उसका फोन आया था और अपु...मेरा मतलब है कि मैं उसी के फोन करने पर जगा था। पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया कि इतने टाइम कौन मेरी नींद खराब कर रेला...मतलब रहा है। फिर मैंने कॉल पिक की तो पता चला कि वो मेरा नया दोस्त अतुल है।
साक्षी दी ─ इस नाम का दोस्त कब बनाया तूने?
अपुन ─ अरे! अभी कुछ दिन पहले ही उससे मुलाकात हुई थी।
साक्षी दी ─ तेरे कॉलेज का ही है?
अपुन ने सोचा कि अगर कॉलेज का बताया तो किसी दिन उसे दी से मिलवाना न पड़ जाए इस लिए फ़ौरन झूठ मूठ का बताना ही ठीक समझा वैसे भी अतुल नाम का दोस्त काल्पनिक ही बनाया था अपुन ने।
अपुन ─ नहीं दी, वो दूसरे कॉलेज का है। असल में कुछ दिन पहले उसकी अपु...मतलब कि मैंने हेल्प की थी। बेचारे को लोकल लोग परेशान कर रहे थे तो अपु...मतलब मैंने बचाया था उसे। बस इतनी ही पहचान होती उससे लेकिन उस दिन मैंने जोश जोश में उसको अपना फोन नंबर भी दे दिया था और बोला था कि अगर फिर कोई प्रॉब्लम हो तो फोन करना।
साक्षी दी अपुन की ये बातें सुन कर घूर के देखने लगीं अपुन को। अपुन समझ गया कि उन्हें ये अच्छा नहीं लगा है। इस लिए जल्दी से बोला।
अपुन ─ अब आप तो जानती हो दी कि अपु....मतलब कि मैं कितना परोपकारी लड़का हूं। आखिर आपका भाई हूं, किसी को प्रॉब्लम में कैसे देख सकता हूं?
साक्षी दी ─ मस्का मत लगा। साफ साफ बता कि ऐसी क्या बात थी कि उसने तुझे चार बजे फोन किया और तुझे उसी वक्त यहां से बिना किसी को कुछ बताए जाना पड़ गया?
अपुन ─ सीरियस वाली कोई बात नहीं थी दी वरना अपु...मतलब कि मैं इस तरह जाता ही नहीं। उसने बताया कि उसे अर्जेंट अपने गांव जाना है लेकिन उसके पास किराए के लिए पैसे नहीं हैं। उसने अपने एक दो दोस्तों को भी फोन किया था लेकिन एक ने फोन नहीं उठाया और दूसरे ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। तब उसे अपु...मतलब कि मेरी याद आई।
साक्षी दी अपुन की बात सुन के थोड़ी देर कुछ सोचती रहीं और अपुन को देखती भी रहीं फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ देख भाई, किसी की हेल्प करना अच्छी बात है लेकिन इस तरह रात के वक्त बिना किसी को बताए जाना बिल्कुल भी ठीक नहीं था। मॉम डैड भी नहीं थे, ऐसे में अगर तेरे साथ कुछ हो जाता तो मैं मॉम डैड को क्या जवाब देती?
अपुन भी समझ रेला था कि उनकी बात सच थी लेकिन ये भी सच था कि अपुन उनको सच नहीं बता सकता था।
अपुन ─ सॉरी दी, अपु...मतलब कि मैंने सुबह के उस वक्त किसी को इस लिए नहीं बताया क्योंकि मैं आप में से किसी की नींद खराब नहीं करना चाहता था। मैंने सोचा था कि जरा सी तो बात है इस लिए यूं जाऊंगा और उसे पैसे दे के फौरन आ जाऊंगा।
साक्षी दी आगे बढ़ीं और अपुन के चेहरे को सहला कर बोलीं।
साक्षी दी ─ आगे से ऐसा कभी मत करना। तू मेरा भाई ही नहीं बल्कि मेरी जान भी है। मुझसे प्रॉमिस कर कि आज के बाद इस तरह रात में बिना किसी को बताए कहीं नहीं जाएगा।
अपुन ─ प्रॉमिस दी, नेक्स्ट टाइम से ऐसा कभी नहीं करूंगा।
साक्षी दी ने अपुन को पकड़ कर गले से लगा लिया। उनके ऐसा करते ही जहां एक तरफ अपुन ने राहत की सांस ली वहीं दूसरी तरफ उनके सीने के कोमल उभार जब अपुन की छाती में धंसे तो अपुन के समूचे जिस्म में रोमांच की लहर दौड़ गई और वो लहर दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को भी झनझना गई लौड़ा। अपुन को मजा तो आया और मन भी किया कि साक्षी दी अपुन को ऐसे ही अपने गले से लगाए रहें लेकिन फिर अचानक ही अपुन के अंदर से कोई चीखा और बोला भोसड़ीके तू अपनी दी के बारे में इतना गंदा कैसे सोच सकता है....डूब मर साले।
और इस बात को सुनते ही अपुन गांड़ तक कांप गया लौड़ा। फिर अपुन झट से दीदी से अलग हो गया। साक्षी दी को पहले तो हैरानी हुई फिर सामान्य भाव से अपुन के चेहरे को फिर से सहलाईं और बोलीं।
साक्षी दी ─ आज तो संडे है इस लिए अपने रूम में जा के सो जा। जब बाकी की नींद पूरी हो जाएगी तो मैं उठा दूंगी तुझे।
अपुन ─ वाह! दी आप अपु...मतलब आप मुझे उठाने आएंगी। फिर तो अपु....ओह दी ये बार बार टपोरी भाषा ही मुंह से निकल जाती है.... हां तो मैं ये कह रहा था कि अगर आप मुझे जगाने आएंगी तो मेरा तो दिन ही बन जाएगा।
साक्षी दी अपुन की बात सुन के मुस्कुराईं और फिर हल्के से एक चपत लगाया अपुन के गांड़....मतलब कि गाल पर। फिर तिरछी नजरों से देखते हुए बोलीं।
साक्षी दी ─ अच्छा जी, तेरा दिन कैसे बन जाएगा भला? ज़रा मुझे भी तो बता।
अपुन ने फटाफट मस्त डायलॉग सोचा और फिर बोला।
अपुन ─ ओह! दी अब कैसे बताऊं आपको? बोले तो मैं उस खूबसूरत फीलिंग्स को लफ्जों में बता ही नहीं सकता।
साक्षी दी (हंस कर) ─ ओ हेलो मेरे भाई, जमीन पर आ जा। ज़्यादा उड़ मत।
अपुन ने झूठी नाराजगी दिखाते हुए साक्षी दी को घूरा, फिर बोला।
अपुन ─ देखो दी, आप बेशक मुझे जो चाहे बोलो, मारो या डांटो लेकिन बात जब मेरी ब्यूटीफुल साक्षी दी की आती है तो मैं किसी की नहीं सुन सकता।
साक्षी दी की मुस्कान गहरी हो गई। फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ ओह! सॉरी भाई। तू बोल ले, जो बोलना चाहता है।
अपुन ─ हां तो अपु...सॉरी, मतलब कि मैं ये कहना चाहता हूं कि आप क्या हो और कैसी हो ये आपसे ज्यादा मैं....नहीं नहीं...मैं भी नहीं, बल्कि मेरा दिल जानता है, यस यस...मेरा दिल जानता है।
साक्षी दी की आंखें फैल गईं। फिर मुस्कुरा कर बोलीं।
साक्षी दी ─ अरे वाह! ये तो मुझे पता ही नहीं था मेरे भाई। वैसे मुझे भी बता न कि मेरे बारे में तेरा दिल क्या जानता है?
अपुन सोचने लगा कि अब कौन सा डायलॉग मारे अपुन? बोले तो एक तरफ अपुन की ये सोच के धड़कनें बढ़ गईली थीं कि ये अपुन किस लाइन में जा रेला है, मतलब कि कहीं फ्लो फ्लो में और जोश जोश में अपुन कुछ ऐसा न बोल जाए जो अपुन को नहीं बोलना चाहिए। पर लौड़ा, सवाल अपुन की सबसे खूबसूरत दी का था इस लिए किसी बात की परवाह न की अपुन ने। लेकिन....लेकिन...हां हां लेकिन अपुन को खयाल आया कि पहले दी से कुछ करार वरार कर लिया जाए वरना गांड़ में उनकी लात न पड़ जाए। इस लिए बोला।
अपुन ─ ज़रूर बताऊंगा दी लेकिन पहले प्रॉमिस करो कि अपु...मतलब कि मैं जो कुछ भी बोलूंगा उसे सुन कर आप मुझ पर गुस्सा नहीं करोगी।
साक्षी दी ये सुन कर थोड़ा सोच में पड़ गईं। कुछ देर जाने क्या सोचती रहीं फिर गहरी सांस ले कर बोलीं।
साक्षी दी ─ अच्छा ठीक है, मैं प्रॉमिस करती हूं कि गुस्सा नहीं करूंगी। वैसे भी तू मेरा सबसे प्यारा भाई है इस लिए गुस्सा होने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। तू बेझिझक बता।
अपुन ─ एक्चुअली अपु....मतलब कि मैं जो कुछ बोलूंगा वो सब मेरा नहीं बल्कि मेरे दिल का कहना होगा, आप समझ रही हैं ना?
साक्षी दी ने पलकें झपका कर हां कह दिया। उनके गुलाबी होठों पर दिलकश मुस्कान थी और चेहरे पर एक उत्सुकता।
अपुन ─ ओके, तो मेरे दिल का कहना है कि आप इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हैं और अपु...सॉरी...और मेरी खूबसूरत दी हैं। आपसे प्यारा, आपसे हसीन, आपके जैसी सादगी और आपके जैसा भाई को चाहने वाली दूसरी कोई कभी पैदा ही नहीं हो सकती।
साक्षी दी (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! बहुत खूब भाई, और क्या कहता है तेरा दिल?
अपुन ─ हां अभी और भी है। अपु...सॉरी मेरा दिल कहता है कि काश! आपके जैसी हसीन लड़की एक और होती जिससे अपु...मतलब कि मैं लैला मजनूं के माफिक प्रेम करता। बोले तो टूट टूट के प्यार करता और आपकी मोहब्बत में फमा...फमा..नहीं नहीं फना हो जाता, हां फना।
साक्षी दी अपुन की ये बातें सुन कर जोर जोर से हंसने लगीं। भोर के वक्त जबकि सन्नाटा था तो उनकी हंसी ऐसी गूंज उठी जैसे किसी मंदिर की कई सारी घंटियां एक साथ बज उठी हों। वो अपने एक हाथ को सीने पर रखे खिलखिलाते हुए हंसे जा रेली थी।
उनको यूं हंसता देख एकाएक अपुन को धक्का लगा और फिर एकदम से अपुन उनके हंसते चेहरे में खोता ही चला गया लौड़ा।
बेटीचोद, अपुन को पता ही न चला था कि कब तक अपुन उनमें खोया रहा और कब उनकी हंसी बंद हुई। होश तब आया जब उनकी आवाज अपुन के कानों में पड़ी।
साक्षी दी ─ अरे! तुझे क्या हुआ मेरे प्यारे भाई? कहां खो गया तू?
अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया। बड़ा अजीब सा फील हुआ अपुन को। थोड़ा शर्म भी आई और थोड़ा झेंप भी गया। फिर किसी तरह खुद को सम्हाला। उधर वो मुस्कुराते हुए अपुन को ही देखे जा रेली थीं।
अपुन ─ अ..आप हंसते हुए बहुत खूबसूरत लगती हैं दी। अपु...मतलब कि मैं तो आपकी हंसी में ही खो गया था। मेरा दिल आपके बारे में एकदम सच ही कहता है।
साक्षी दी ─ तू और तेरा दिल दोनों ही पागल हैं। चल अब जा, अपने रूम में आराम कर। मैं भी थोड़ा वॉकिंग कर लूं। फिर फ्रेश हो के बाकी के काम भी करने हैं।
अपुन का मन तो न किया उनसे दूर जाने का लेकिन जाना जरूरी था वरना उन्हें शक हो जाता कि आज मेरे बर्ताव में कुछ तो अलग है, कुछ तो खास है या फिर कुछ तो अजीब है।
खैर अपुन जाने के लिए मुड़ा लेकिन तभी जाने अपुन को क्या हुआ कि वापस पलटा और आगे बढ़ कर साक्षी दी के दाएं गाल को झट से चूम लिया। उसके बाद उनका कोई रिएक्शन देखे बिना ही जल्दी से बाइक खड़ी कर घर के अंदर की तरफ बढ़ गया। पीछे साधना दी अपुन के द्वारा यूं गाल चूम लेने पर पहले तो शॉक हुईं लेकिन फिर सिर और कंधे को जैसे लापरवाही से उचका कर वॉकिंग करने लगीं। उनके होठों पर हल्की मुस्कान थिरक रही थी।
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रूम में आ कर अपुन ने फटाफट कपड़े बदले और बेड पर लेट गया। अपुन के मन में अभी भी साक्षी दी से हुई बातें चल रेली थी और साथ ही आंखों के सामने बार बार साक्षी दी का हंसता हुआ खूबसूरत चेहरा दिख रेला था।
अपुन सोचने लगा कि सच में साक्षी दी कितनी खूबसूरत हैं। कितनी सादगी से रहती हैं। सबसे अच्छे से बात करती हैं और सबकी केयर करती हैं। इतना ही नहीं अपने इकलौते भाई पर यानि अपुन पर जान छिड़कती हैं।
फिर एकाएक अपुन को याद आया कि कैसे उन्होंने अपुन को गले से लगाया था और उस वक्त उनके बूब्स अपुन की छाती में धंसे हुए थे। बेशक उन्हें भी इसका आभास हुआ होगा लेकिन उन्होंने जरा भी खुद को अपुन से दूर नहीं किया था, बल्कि अपुन ही उनसे दूर हो गयला था।
न चाहते हुए भी बेटीचोद अपुन के मन में दी के बारे में गंदे गंदे खयाल उभरने लगे। इससे अपुन एकदम से बेचैन और परेशान हो उठा। अपुन ने झुंझला कर सिर को झटका और फिर मोबाइल निकाल कर यूं ही मन बहलाने के लिए उसे देखने लगा। तभी अपुन को याद आया कि साधना ने अपुन से कहा था कि घर पहुंच कर कॉल या मैसेज करना। अपुन ने झट से नेट ऑन किया और फिर वॉट्सएप खोला।
अपुन ने देखा कि साधना वॉट्सएप में ऑनलाइन थी। अपुन ये सोच के मुस्कुरा उठा कि लौड़ी अभी तक अपुन के कॉल या मैसेज का वेट कर रेली है। खैर अपुन ने उसे मैसेज भेज कर बता दिया कि अपुन पहुंच गयला है। उसका फ़ौरन ही रिप्लाई आया।
साधना ─ ओह! बाबू, तुम्हारा अब तक कोई कॉल या मैसेज नहीं आया था तो मुझे बहुत टेंशन होने लगी थी।
अपुन ─ हां वो एक गड़बड़ हो गईली थी। एक्चुअली अपुन जैसे ही घर पहुंचा तो साक्षी दी बाहर ही वॉकिंग करते हुए दिख गईं थी।
साधना ─ माय गॉड! फिर तो दी को पता चल गया होगा न?
अपुन ─ डॉन्ट वरी। अपुन ने सब सम्हाल लिया है।
साधना ─ कोई सीरियस बात तो नहीं हुई न बाबू?
अपुन ─ नहीं हुई, बोले तो अपुन ने दी को अच्छे से समझा दिया है। चलो, अब गुड नाइट, अपुन को नींद आ रेली है...बाय।
साधना ─ ओके बाबू, गुड नाइट। लव यू...बॉय।
अपुन ने मोबाइल का नेट बंद किया और उसे एक तरफ रख कर सोने की कोशिश करने लगा। सच में थोड़ी ही देर में अपुन नींद की आगोश में चला गया लौड़ा।
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जब अपुन की नींद खुली तो देखा साक्षी दी अपुन के पास ही बेड पर बैठी हुईं थी और अपुन को बड़े गौर से देख रेली थीं। आंख खुलते ही उन्हें देख कर सच में अपुन को ऐसा लगा जैसे अपुन के दिल को भारी खुशी मिल गईली है। उन्हें देख अपुन बस मुस्कुरा उठा।
उधर जैसे ही साक्षी दी ने अपुन को जग गया देखा तो उनके गुलाबी होठों पर भी दिलकश मुस्कान उभर आई। फिर बड़े ही प्यार से अपुन का चेहरा सहला कर बोलीं।
साक्षी दी ─ तो मेरे प्यारे भाई की नींद पूरी हो गई?
अपुन ─ खुल तो गई दी लेकिन अब सोचता हूं कि काश पहले ही खुल गई होती।
साक्षी दी ─ अच्छा, ऐसा क्यों भला?
अपुन ─ इसलिए कि अपु...मतलब कि मुझे अपनी खूबसूरत दी का चेहरा पहले ही देखने को मिल जाता।
साक्षी दी हल्के से हंसी फिर अपुन के बालों में उंगली फेर कर बोलीं।
साक्षी दी ─ तू सुबह सुबह ही शुरू हो गया? चल अब उठ जा, देख लंच का टाइम हो गया है।
अपुन ये सुन कर चौंक ही पड़ा लौड़ा। झट से इधर उधर गर्दन घुमा कर देखा तो सच में खिड़की से धूप की तेज रोशनी समझ में आ रेली थी। अपुन एकदम से ये सोच के घबरा उठा कि इतनी देर तक सोते रहने से दी को कहीं किसी बात का शक न हो जाए। इस लिए बोला।
अपुन ─ वो क्या है न दी, एक बार सुबह सात बजे नींद खुली थी लेकिन जब याद आया कि आज संडे है तो फिर से सो गया।
साक्षी दी ये सुन कर फिर से मुस्कुराईं। उनके मुस्कुराने पर अपुन ये सोच के घबरा उठा कि कहीं उन्होंने अपुन का झूठ पकड़ तो नहीं लिया लौड़ा? तभी दी बोलीं।
साक्षी दी ─ सात बजे तो मैं तेरे रूम में आई थी और तू तब भी घोड़े बेच के सो रहा था। अगर जगा होता तो मुझे भला क्यों वापस लौट जाना पड़ता?
अपुन ─ हो सकता है कि हमारी टाइमिंग इधर उधर हो गई हो दी पर सच यही है कि अपु...मतलब कि मैं उस टाइम जगा था।
साक्षी दी ─ चल मान लेती हूं कि तू ही सच बोल रहा है। अब चल उठ जा और जल्दी से फ्रेश हो ले।
अपुन ने मन ही मन राहत की सांस ली। फिर एकदम से खयाल आया कि दी से थोड़ा मजा लिया जाए। बोले तो उनकी तारीफ कर के उन्हें खुश किया जाए।
अपुन ─ फ्रेश तो मैं आपको देख के ही हो गया हूं दी। मतलब कि मुझे ऐसा फील हो रहा है। आप हर रोज ऐसे ही मुझे अपना दीदार करा दिया करो और मैं बिना बाथरूम गए ही फ्रेश फील कर लिया करूं।
अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी खिलखिला कर हंसने लगीं। उनके यूं हंसने से एक बार फिर अपुन को लगा जैसे मंदिर की कई सारी घंटियां एक साथ बजने लगीं हों। पूरा कमरा उनकी खिलखिलाहट से गूंज उठा और इधर अपुन एक बार फिर जैसे उनकी हंसी में खो गया। उनके सच्चे मोतियों जैसे सफेद चमकते दांत कितने आकर्षक लग रेले थे।
एकाएक उनकी हंसी बंद हो गई। शायद उन्होंने देख लिया था कि अपुन सुबह की तरह फिर से उनको हंसते देख खो गया है। इस लिए हंसना बंद कर के उन्होंने मुस्कुराते हुए पहले अपुन को देखा फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ अब क्या हुआ तुझे? कुछ और भी बोलना है या फ्रेश होने जाएगा?
अपुन उनकी बात सुन थोड़ा हड़बड़ाया, फिर खुद को सम्हाल कर बोला।
अपुन ─ दिल तो बहुत कुछ बोलना चाहता है दी लेकिन खैर जाने दो।
साक्षी दी ने इस बार गहरी नजरों से देखा अपुन को। जैसे समझने की कोशिश कर रही हों कि अपुन आखिर क्या कहना चाहता है या फिर अपुन के कहने का क्या मतलब है?
साक्षी दी ─ ऐसे कैसे जाने दो? तेरा दिल अगर कुछ कहना चाहता है तो उसे बोल कि कह दे। वैसे भी मैं अपने प्यारे भाई को किसी बात के लिए निराश होते नहीं देख सकती। चल बता जल्दी कि तेरा दिल और क्या कहना चाहता है?
उनकी बात सुन कर अपुन का दिल जोर जोर से धड़कने लगा लौड़ा। बोले तो अपुन ने तो बस यूं ही कह दिया था लेकिन अब जब वो खुद कहने को बोल रेली थीं तो अपुन ये सोच के घबरा गया कि अब क्या बोले अपुन? हालांकि धड़कता दिल इसके बावजूद चीख चीख के कह रेला था कि दिल की बात बोल दे न लौड़े। खैर अपुन ने खुद को सम्हाला, फिर बोला।
अपुन ─ अरे! मैंने आपको बताया तो है दी। मेरा मतलब है कि आपसे बोला तो था मैंने कि आप हर रोज अपने खूबसूरत चेहरे का दीदार करा दिया करो तो दिन बन जाएगा मेरा।
साक्षी दी ─ अच्छा, बस इतना ही?
अपुन उनकी बात सुन कर चकरा सा गया लौड़ा। अपुन को समझते देर न लगी कि उन्हें समझ आ गयला है कि अपुन बस इतना ही नहीं बोलना चाहता था। उधर अपुन को कुछ सोचता देख वो हल्के से मुस्कुराईं फिर बोली।
साक्षी दी ─ चल अब ज्यादा मत सोच और जल्दी से जा के फ्रेश हो जा। हम सब डायनिंग टेबल पर तेरा इंतज़ार करेंगे और हां डैड का फोन आया था। उन्होंने कहा है कि वो कल आएंगे तो मुझे आज भी एक बार कम्पनी का चक्कर लगाना पड़ेगा।
अपुन ─ तो क्या आप अभी तक कंपनी का चक्कर लगाने नहीं गईं हैं
साक्षी दी ─ कहां गई हूं? सोचा था तेरी तरह मैं भी आज रेस्ट करूंगी। फिर जब डैड ने कॉल पर ऐसा कहा तो सोचा आज तुझे भी अपने साथ ले चलती हूं। क्या बोलता है, चलेगा न अपनी दी के साथ?
अपुन (खुश हो कर) ─ बिल्कुल चलूंगा दी। ये भी कोई पूछने की बात है? अरे! अपुन कभी अपनी दी की बात टाल सकता है क्या?
साक्षी दी पहले तो हौले से मुस्कुराईं लेकिन फिर सहसा घूरने लगीं।
साक्षी दी ─ तूने मुझसे प्रॉमिस किया था न कि टपोरी वाली भाषा नहीं बोलेगा। फिर ये अपुन अपुन क्या बोल रहा है?
ये सुन कर अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया। फिर जल्दी से बोला।
अपुन ─ सॉरी दी, वो खुशी के जोश में और जल्दी के चक्कर में निकल गया मुंह से।
साक्षी दी ─ इट्स ओके बट अब से भूल कर भी नहीं निकलना चाहिए।
अपुन ─ आप अगर हर वक्त मेरे साथ रहो तो पक्की बात है कि मेरे मुंह से टपोरी वाली भाषा नहीं निकलेगी।
साक्षी दी ─ मैं तो हमेशा तेरे साथ ही हूं प्यारे भाई लेकिन हां हर वक्त तेरे साथ रह पाना संभव नहीं है और ये तू भी समझ सकता है।
अपुन ─ हां ये तो है दी।
साक्षी दी ─ अच्छा अब चल ये सब बातें छोड़ और जा कर फ्रेश हो ले।
उसके बाद दी चली गईं। अपुन अब चाह कर भी उन्हें रोक नहीं सकता था। खैर अपुन भी उठा और बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।
To be continued...
Aaj ke liye itna hi bhai log,
Pics and Gif upload karna band kar diya hai apan ne kyoki unhen khoj khoj ke upload karne ka time nahi hai apan ke paas. Regular update de raha apan yahi bahut badi baat hai
Well, read karo, enjoy karo aur haan...like comments ke sath feedback bhi dete raho warna apan story close kar dega. Fir mat bolna ki story adhuri chhod di apan ne