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Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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Dhansu2

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Update ~ 15



विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।



अब आगे....


अभी अपुन मूड में ही आया था कि तभी किसी ने दरवाजे को खटखटाया जिससे अपन दोनों ही चौंक कर थोड़ा दूर हो गए। ये सोच कर थोड़ा घबरा भी गए कि कहीं किसी ने हमारी बातें तो न सुन ली होंगी? अगर ऐसा हुआ तो गजब ही हो जाएगा लौड़ा।

खैर अपुन ने जा कर दरवाजा खोला तो देखा बाहर दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली। हालांकि उसके चेहरे के भाव देख अपुन मन ही मन झटका सा खा गया लौड़ा। बोले तो अपुन को ऐसा लगा जैसे उसने अपन लोग की बातें सुन ली हैं। बड़े अजीब से भाव लिए वो अपुन को देखे जा रेली थी।

अपुन ─ क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रेली है अपुन को?

दिव्या अपुन की ये बात सुन हड़बड़ाई फिर जल्दी से खुद को सम्हालते हुए मुस्कुरा कर बोली।

दिव्या ─ वो...वो मैं आपको चाय पीने के लिए कहने आई थी। विधी दी के रूम में गई तो वो वहां नहीं थीं। क्या वो आपके रूम में हैं?

इससे पहले कि अपुन कोई जवाब देता वो झट से रूम में आ गई। इधर अपुन ये सोचने में लग गयला था कि क्या सच में उसने अपन लोग की बातें सुन ली होंगी? बोले तो एकदम से ही टेंशन में आ गयला था अपुन। उधर विधी को देखते ही दिव्या उससे बोली।

दिव्या ─ अरे! दी आप यहां हो? मैं आपके रूम में गई थी।

विधी ने अब तक खुद को अच्छे से सम्हाल लिया था और नॉर्मल ही दिख रेली थी।

विधी ─ हां वो मैं भाई को चाय पीने का बोलने आई थी। ये थोड़ा मुझसे नाराज था इस लिए इसे मनाने में टाइम लग गया। तू चल हम आ रहे हैं।

दिव्या ने कुछ पलों तक उसे गौर से देखा और फिर पलट कर अपुन को एक नज़र देखने के बाद रूम से चली गई। कहने की जरूरत नहीं कि अपन दोनों ने ही राहत की सांस ली। हालांकि अपुन ये सोच के थोड़ा टेंशन में था कि कहीं दिव्या ने बाहर से अपन लोग की बातें न सुन ली हों। उसका इस तरह से बर्ताव करना भी यही जाहिर कर रेला था।

विधी ─ क्या हुआ भाई? तू अचानक से टेंशन में क्यों दिखने लगा है?

अपुन ─ यार मुझे लगता है कि दिव्या ने अपन लोग की बातें सुन ली हैं।

विधी ये सुन कर बुरी तरह घबरा गई। पलक झपकते ही उसका नॉर्मल चेहरा टेंशन से घिर गया लौड़ा। अपुन ने आगे बढ़ कर उसे कंधों से पकड़ा और फिर कहा।

अपुन ─ टेंशन मत ले और हां, तू उसके सामने बिल्कुल नॉर्मल ही रहना। अगर वो तुझसे इस बारे में कुछ पूछे तो नॉर्मली ही कोई जवाब दे देना, ओके?

विधी ─ भाई ये नहीं होना चाहिए था। अगर सच में उसने सब सुन लिया होगा तो क्या सोच रही होगी वो हम दोनों के बारे में। ओह! माय गॉड पता नहीं अब क्या होगा?

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तू बस खुद को नॉर्मल रख। सब कुछ अपुन पर छोड़ दे। अपुन सब सम्हाल लेगा, ओके?

विधी टेंशन से अपुन को देखे जा रेली थी। आखिर अपुन के समझाने पर वो थोड़ी नॉर्मल हुई लेकिन पूरी तरह नहीं। उसके बाद अपन दोनों रूम से निकल कर नीचे आ गए।

नीचे ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर दिव्या और साक्षी दी बैठी टीवी देख रेलीं थी जबकि सीमा किचेन में थी। अपन दोनों को आते देख साक्षी दी ने सीमा को आवाज दे कर बोल दिया कि अपन दोनों के लिए चाय ले आए।

अपुन ने देखा कि साक्षी दी एकदम नॉर्मल थीं लेकिन अपुन की तरफ सिर्फ एक बार देखने के बाद उन्होंने अपनी नजरें टीवी पर जमा दी थीं। उधर दिव्या एक बार फिर अपन दोनों को ध्यान से देखने लग गईली थी।

अपुन ने बेशक विधी को नॉर्मल रहने को बोला था लेकिन दिव्या जब अपन दोनों को इस तरह ध्यान से देखने लगी तो बेटीचोद पलक झपकते ही अपुन को टेंशन होने लगी लौड़ा। बड़ी मुश्किल से अपुन ने खुद को नॉर्मल किया और जा कर एक सोफे पर बैठ गया। विधी भी अपुन के साथ ही बैठ गई।

तभी सीमा ट्रे में अपन दोनों के लिए चाय ले कर आ गई। अपन दोनों ने चाय का एक एक कप उठा लिया और पीने लगे। टीवी जरूर चल रेली थी लेकिन अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसे देखने में इस वक्त किसी की भी दिलचस्पी नहीं थी।

साक्षी दी भले ही नॉर्मल शो करते हुए टीवी पर नजरें जमाए थीं लेकिन अपुन अच्छी तरह जानता था कि उनके मन में अपुन और अपुन की बातें ही गूंज रेली होंगी। वहीं दिव्या के मन में भी कुछ न कुछ चल रेला होगा और इधर विधी पक्का अंदर से बेहद घबराई हुई होगी।

खैर ऐसे ही हम सब की चाय खत्म हुई। किसी ने किसी से कोई बात नहीं की थी। चाय खत्म कर के अपुन उठा और वापस अपने रूम में आ गया।

मन बहलाने के लिए अपुन ने मोबाइल खोला तो देखा उसमें साधना और अनुष्का के मैसेज पड़े थे। साधना ने अपने मैसेज में लिखा था कि आज उसे अपुन के साथ इस तरह वक्त बिता कर बहुत अच्छा लगा है। काश! ऐसा वक्त बिताने का हर रोज मौक मिले। अपुन ने रिप्लाई में उससे कह दिया कि अपन लोग को थोड़ा सम्हल कर रहना होगा और सबसे बड़ी बात इस सबके चलते अपुन नहीं चाहता कि अपुन की पढ़ाई पर बुरा असर हो। इस लिए वो भी समझे इस बात को।

अनुष्का ने मैसेज में लिखा था कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि वो ऐसा क्या करे जिससे अपुन उसके पास आने के लिए मजबूर हो जाए। अपुन ने उसे सिर्फ इतना ही लिख के भेजा कि─ सोचती रहो।

उसके बाद अपुन ने मोबाइल साइड पर रखा और पढ़ाई करने के लिए किताबें खोल ली। देर से ही सही पर अपुन का मन पढ़ाई में लग गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि अपुन को वक्त के गुजरने का पता ही नहीं चला लौड़ा।

जब डिनर का टाइम हुआ तो दिव्या अपुन को बुलाने आई। अपुन ने गौर किया कि अब वो नॉर्मल थी और अपुन को अजीब तरह से नहीं देख रेली थी। अपुन को इस बात से थोड़ी हैरानी हुई पर अपुन ने कहा कुछ नहीं।

उसके जाने के बाद अपुन भी थोड़ी देर में डिनर करने के लिए नीचे आ गया। डायनिंग टेबल पर एक तरफ साक्षी दी और दिव्या बैठी हुईं थी और दूसरी तरफ अपुन के बगल से विधी कुर्सी पर बैठेली थी।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आप मुझे फिजिक्स का वो चैप्टर एक बार फिर से बता देना। पता नहीं क्यों वो मेरे दिमाग में बैठ ही नहीं रहा।

दिव्या की इस बात से लगभग सबने ही उसकी तरफ देखा। हालांकि इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन इस वक्त इस लिए भी थी क्योंकि सबके बीच खामोशी थी। आम तौर पर डिनर के टाइम दिव्या या विधी कुछ न कुछ बोलती ही रहती थीं जबकि आज सन्नाटा छाया था लौड़ा। यही वजह थी कि जब दिव्या ने अपुन से ये कहा तो सबने उसकी तरफ देखा था।

अपुन ─ ठीक है कल बता दूंगा।

दिव्या ─ कल क्यों भैया, आज क्यों नहीं? डिनर के बाद मैं आपके रूम में आ जाऊंगी तब आप मुझे समझा देना।

अपुन ─ न आज नहीं। थोड़ी थकान है आज इस लिए डिनर के बाद सिर्फ सोऊंगा मैं।

अपुन के मुख से शुद्ध हिन्दी में और सभ्य तरीके में शब्द निकलते देख दिव्या और विधी दोनों को ही हैरानी हुई। विधी ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन दिव्या पूछ बैठी।

दिव्या (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! क्या बात है भैया, इस वक्त आप अपनी फेवरेट टपोरी भाषा में बात नहीं कर रहे?

उसकी ये बात सुन अपुन को थोड़ा धक्का सा लगा। अपुन ने झट से साक्षी दी की तरफ देखा। इत्तेफाक से उन्होंने भी अपुन को देखा। हालांकि जल्दी ही उन्होंने अपुन से नजरें हटा कर डिनर करना जारी रखा। इधर अपुन ने दिव्या को जवाब दिया।

अपुन ─ हां वो मैं कोशिश कर रहा हूं कि हर किसी की तरह सभ्य भाषा में ही बात करूं।

दिव्या ─ पर भैया, टपोरी भाषा तो आपकी फेवरेट है न?

अपुन ─ इस दुनिया में मेरा फेवरेट सिर्फ एक ही इंसान है दिव्या। उस इंसान के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। मतलब कि किसी को भी छोड़ सकता हूं और किसी भी चीज़ का त्याग कर सकता हूं।

अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी का डिनर करना रुक गया और वो अपुन को अजीब भाव से देखने लगीं। चेहरे पर सख्त भाव उभर आए थे लेकिन अपुन को घंटा परवाह नहीं थी। तभी दिव्या ने कहा।

दिव्या ─ वाह! भैया क्या बात है। वैसे ऐसा वो कौन इंसान है, मुझे भी बताइए न।

दिव्या की ये बात सुन साक्षी दी थोड़ा घबराई सी नजर आईं। शायद वो ये सोच बैठी थीं कि कहीं अपुन दिव्या को बता न दे कि वो इंसान वो ही हैं। इधर अपुन ने एक नज़र उनकी तरफ देखा और फिर कहा।

अपुन ─ ऐसे खास इंसान के बारे में बता कर उसे रुसवा नहीं किया जाता दिव्या। इस लिए उसके बारे में नहीं बता सकता। चल अब चुपचाप डिनर कर।

साक्षी दी ने राहत की सांस तो ली लेकिन उनके चेहरे पर बहुत ही गंभीर और बेचैनी जैसे भाव आ गएले थे। इधर दिव्या थोड़ी मायूस हुई और चुपचाप डिनर करने लगी। इसके बाद कोई बात नहीं हुई।

डिनर के बाद सब अपने अपने रूम में चले गए। अपुन के मन में यही चल रेला था कि साक्षी दी सच में अपुन की वजह से परेशान हो चुकी हैं। बोले तो ये ऐसी बात थी जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। कल्पना तो अपुन ने भी नहीं की थी लेकिन उनके प्रति ये जो आकर्षण था उससे दूर भी नहीं भाग सकता था अपुन।

लौड़ा समझ में नहीं आ रेला था कि अचानक से अपुन को ये क्या हो गयला है? मतलब कि साक्षी दी अपुन को सबसे अच्छी तो लगतीं थी लेकिन इसके लिए उनसे ये सब कह देने का अपुन ने सोचा तक नहीं था। दूसरी बात, जब से अपुन ने साधना के साथ चुदाई की थी तब से अपुन के मन में अजीब सी सोच भर गईली थी।

यही सब सोचते हुए पता नहीं कब अपुन की आंख लग गई लौड़ा। पता नहीं कितनी देर से सोया हुआ था कि तभी अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे कोई अपुन के चेहरे पर झुका हुआ है और हौले हौले अपुन के होठ चूम रेला है?

अपुन को गर्मी का एहसास हो रेला था। पूरे जिस्म में रोमांच की लहरें उठ रेलीं थी। अचानक अपुन नींद के आगोश से बाहर आ गया। आँखें हल्के से खुलीं तो कुछ समझ न आया। बोले तो धुंधला सा दिखा अपुन को।

अपुन ने दिमाग पर ज़ोर डाला तो याद आया कि अपुन अपने रूम में बेड पर सोया था लेकिन उस टाइम रूम में लाइट जल रेली थी। जबकि इस वक्त नीम अंधेरा था। तभी अपुन चौंक उठा।

अपुन के ऊपर झुके हुए व्यक्ति ने फिर से अपुन के होठों पर चूमा था। उसकी गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किएला था। पलक झपकते ही ये सोच कर अपुन के रोंगटे खड़े हो गए कि बेटीचोद कौन है जो इस तरह नीम अंधेरे में अपुन की इज्जत लूट रेला है?

अगले ही पल अपुन ने हड़बड़ा कर अपने दोनों हाथ से उस झुके हुए इंसान को पकड़ कर खुद से दूर किया। अपुन के ऐसा करते ही वो इंसान बुरी तरह गड़बड़ा गया लौड़ा। इधर अपुन झट से उठ बैठा।

नीम अंधेरे में अब अपुन को थोड़ा अच्छे से दिखने लगा था इस लिए जब अपुन ने अच्छे से देखा तो पता चला कि अपुन के होठों को चूमने वाला कोई और नहीं बल्कि अपुन की जुड़वा बहन विधी थी। उधर अपुन को इस तरह उठ गया देख पहले तो वो गड़बड़ा ही गईली थी लेकिन फिर नॉर्मल हो गई।

अपुन ─ ये तू है? और....और ये क्या रेली थी अपुन के साथ?

विधी ─ वो...वो मैं न अपने बॉय फ्रेंड को किस कर रही थी। सॉरी...अगर तुझे इससे बुरा लगा हो तो।

अपुन ने अपनी तेज चलती धड़कनों को नियंत्रित किया और सबसे पहले रूम के दरवाज़े को देखा। दरवाजा अंदर से बंद था। फिर अपुन ने मोबाइल में टाइम देखा। रात के एक बज रेले थे। ये देख अपुन ये सोच के हैरान हुआ कि लौड़ा कितना जल्दी एक बज गयला है और इतना ही नहीं विधी इतनी रात को अपुन के रूम में अपुन को किस कर रेली थी।

अपुन ने देखा वो थोड़ी घबराई हुई बेड के किनारे पर बैठ गईली थी और अपलक अपुन को ही देखे जा रेली थी। अपुन ने सिचुएशन को समझा और फिर उसकी तरफ देखते हुए बोला।

अपुन ─ तू इतनी रात को ये करने यहां आईली थी? क्या तुझे अंदाजा नहीं है कि दिव्या ने शायद अपन लोग की बातें सुन ली हैं?

विधी ─ उसकी टेंशन मत ले। मैंने उसे सब समझा दिया है।

अपुन (शॉक) ─ क्या मतलब???

विधी ─ वो...जब तू शाम को अपने रूम में स्टडी कर रहा था न तब वो मेरे रूम में आई थी और फिर पूछें लगी थी कि तू और मैं उस टाइम रूम के अंदर ये कैसी बातें कर रहे थे? पहले तो उसकी ये बात सुन कर मैं बहुत डर गई थी लेकिन फिर उसे कसम दे कर कहा कि वो इस बारे में किसी को न बताए तो बताऊंगी। फिर जब उसने कसम खा ली तब मैंने उसे बता दिया कि हम दोनों ने एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बना लिया है।

सच तो ये था लौड़ा कि विधी क्या बोले जा रेली थी वो सब अब अपुन के सिर के ऊपर से जा रेला था। मतलब कि अपुन इतना ज्यादा शॉक हो गयला था कि बेटीचोद दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था। अपुन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसने इतनी आसानी से दिव्या को सब कुछ बता दिया है।

अपुन ─ माय गॉड तूने दिव्या को सब कुछ बता दिया?

विधी ─ मैं क्या करती भाई? उसके पूछने पर मैं अंदर से इतना डर गई थी कि लगा अगर उसे सच सच नहीं बताया तो जाने वो क्या क्या सोच बैठेगी और फिर कहीं वो घर में किसी को बता न दे। इस लिए पहले उसे कसम दी फिर सब सच सच बता दिया।

अपुन समझ गया कि इसी लिए दिव्या जब अपुन को डिनर के लिए बुलाने आईली थी तब वो नॉर्मल थी। पर लौड़ा उसे इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए था।

अपुन ─ तो फिर क्या कहा उसने? मतलब कि जब उसे ये सब पता चला तब क्या बोली वो तुझसे?

विधी ─ पहले तो वो बहुत शॉक हुई थी फिर मैंने उसे समझाया कि हम दोनों बस नॉर्मली किस करने को बोल रहे थे क्योंकि अब हम न्यू रिलेशन में हैं, हां नहीं तो।

अपुन ─ फिर क्या बोली वो?

विधी ─ पूछ रही थी कि क्या भाई बहन आपस में ऐसा रिलेशन रख सकते हैं तो मैंने कहा कि रख सकते हैं लेकिन हमारे बीच एक लिमिट रहेगी। मतलब कि हम इस रिलेशन में सिर्फ किस कर सकते हैं बाकी कुछ नहीं।

अपुन ─ फिर क्या कहा उसने?

विधी ─ और तो कुछ नहीं कहा लेकिन हां उसने ये जरूर पूछा कि मैं तुम्हें किस तरह किस करने को बोल रही थी?

अपुन ─ मतलब??

विधी ─ अरे! उसका मतलब ये था कि क्या मैं तुम्हें अपने होठों पर किस करने को कह रही थी तो मैंने उसे बताया कि हम लोग भाई बहन हैं इस लिए होठों पर किस नहीं कर सकते। मतलब कि मैं तुम्हें चिक पर किस करने को कह रही थी। मेरी ये बात सुन कर वो हंसने लगी थी।

अपुन ─ क्यों? आई मीन वो हंसने क्यों लग गईली थी?

विधी ─ चिक पर किस करने की बात सुन कर हंसी थी वो। फिर मजाक में बोलने लगी कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के रिलेशन में किस चिक पर नहीं लिप पर की जाती है। उसकी बात सुन कर मैंने उससे कहा कि पागल है क्या तो कहने लगी कि चिक पर किस तो कोई भी कर सकता है। मतलब कि उसके लिए गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होना जरूरी नहीं है लेकिन अगर हम गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाला रिलेशन रखते हैं तो इसमें लिप पर ही किस करना चाहिए। और पता है तुझे, कह रही थी कि अगर वो तेरी गर्लफ्रेंड होती तो वो तुझे अपने होठों पर ही किस करने को कहती। झल्ली कहीं की, हां नहीं तो।

बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गयला था? मतलब कि दिव्या इतना कुछ विधी से बोल रेली थी। अपुन का दिमाग तो सुन के ही हैंग होने लग गयला था लौड़ा।

अपुन ─ फिर तूने क्या कहा उससे?

विधी ─ मैंने कह दिया कि नहीं लिप पर किस करना गलत है। एक्चुअली भाई...मैंने उससे ये नहीं कहा कि हम दोनों लिप पर ही किस करने की बात कर रहे थे। मुझे लगा अगर मैं उसे ये बताऊंगी तो वो कहीं हमारे कैरेक्टर को गंदा न कहने लगे, हां नहीं तो।

अपुन ─ ये बहुत अच्छा किया तूने जो उससे ऐसा कहा।

विधी अपुन की ये बात सुन कर एकदम खुश हो गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। फिर उसी खुशी से इतराते हुए बोली।

विधी ─ देखा न भाई, कितनी समझदारी से मैंने उस चुहिया दिव्या को हैंडल कर लिया। तू बेकार ही टेंशन ले रहा था, हां नहीं तो।

अपुन उसकी ये बात सुन कर मन ही मन ये सोच के हंस पड़ा कि लौड़ी इतने में ही खुद को स्मार्ट समझने लगी। खैर अपुन जानता था कि वो अभी कितनी मासूम और भोली थी।

अपुन ─ ज्यादा उड़ मत और खुद को इतना तीसमार खां न समझ। तुझे एक बात अच्छी तरह समझनी है कि इस बारे में तुझे बहुत ज्यादा सतर्क रहना होगा और दिव्या को भूल कर भी इस बारे में कुछ नहीं बताना है।

विधी ─ अरे! तू बेकार में ही उसकी टेंशन ले रहा है भाई। मैंने उसे समझा दिया है। देखना वो किसी से कुछ नहीं बताएगी। पता है, मैंने उसे कसम दी है, हां नहीं तो।

अपुन ─ हां ठीक है लेकिन फिर भी सतर्क रहना जरूरी है कि नहीं? भले ही तूने उसे कसम दी है लेकिन किसी दिन कसम को भूल कर उसने किसी से इस बारे में बता ही दिया तो? सोच तब क्या होगा? तुझे तो शायद ज्यादा कोई कुछ नहीं कहेगा लेकिन अपुन का इस घर से बोरिया बिस्तर निकाल दिया जाएगा। इतना ही नहीं मॉम डैड अपुन से हर रिश्ता तोड़ कर अपुन को घर से निकाल देंगे।

विधी अपुन की ये बात सुन कर अंदर तक कांप गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा टेंशन से भर गया।

विधी ─ क्या तू सच कह रहा है भाई? मतलब क्या सच में इतनी बड़ी गड़बड़ हो जाएगी?

अपुन ─ हां मेरी जान। इसी लिए कह रेला है अपुन कि आज के बाद इस बारे में दिव्या को ही नहीं बल्कि किसी को भी कुछ मत बताना।

विधी ─ तेरी कसम भाई। आज के बाद किसी को नहीं बताऊंगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ ठीक है। चल अब तू अपने रूम में जा और सो जा।

विधी ─ भाई क्या मैं तेरे साथ बेड पर सो जाऊं?

अपुन ─ नहीं, तू अपने रूम में ही जा के सो। अभी कुछ दिन तेरा अपुन के रूम में सोना ठीक नहीं है। दिव्या तुझसे भले ही छोटी है लेकिन वो तेरी तरह मासूम और भोली नहीं है। बोले तो बड़ी चालू है वो। अगर उसने तुझे अपुन के रूम में सोते देख लिया तो फौरन समझ जाएगी कि अपन लोग ने आपस में कुछ गड़बड़ किया होगा।

विधी (आश्चर्य से आंखें फाड़ कर) ─ क्या सच में वो चुहिया इतनी चालू है भाई?

अपुन ─ हां, इसी लिए तो बोल रेला है अपुन कि तू अपने रूम में जा। चल अब देर मत कर। वैसे भी रात बहुत ज्यादा हो गईली है।

विधी बेमन से बेड पर से उठ गई। उसका चेहरा एकदम से उतर गयला था। अपुन समझ गया कि उसका अपुन के रूम से जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। बस, मजबूरी के चलते ही जाने को तैयार हो गईली थी। फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदले।

विधी ─ भाई प्लीज यहीं सो जाने दे न। मैं मॉर्निंग में छह बजने से पहले ही यहां से चली जाऊंगी तो दिव्या को पता ही नहीं चलेगा, हां नहीं तो।

अपुन ने सोचा बात तो ठीक है। मतलब कि ऐसा बिल्कुल हो सकता है। वैसे भी वो इतना जोर दे रेली थी और इसी में उसकी खुशी भी थी तो अपुन ने भी इस बार उसे मजबूर नहीं किया।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। चल आ जा और हां, सिर्फ सोना ही। वैसे भी रात के सवा एक बज गएले हैं।

विधी ये सुन के खुशी से उछलने ही लगी लौड़ी। फिर एकदम से उसे सिचुएशन का खयाल आया तो पलक झपकते ही भीगी बिल्ली बन गई और चुपचाप आ कर बेड पर अपुन के बगल से लेट गई। इधर अपुन ने पास ही टेबल लैंप पर रखी अलार्म क्लॉक को उठा कर उसमें पांच बजे का अलार्म सेट कर दिया। असल में अपुन सच में नहीं चाहता था कि किसी बात का पतंगड़ बन जाए लौड़ा।

विधी (धीरे से) ─ भाई सुन न।

अपुन ─ अब सो जा न यार।

विधी ─ मुझे न तेरे से चिपक के सोना है। क्या मैं तुझसे चिपक जाऊं, प्लीज प्लीज।

उसके मुख से चिपक के सोने वाली बात सुन कर अपुन के पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई लौड़ा। शांत मन में एकदम से तरह तरह के खयालों का बवंडर चल पड़ा। लड़की के नाजुक बदन का एहसास अच्छी तरह पा चुका था अपुन, साधना के रूप में। इस लिए पलक झपकते ही अपुन के अंदर भी उससे चिपकने की इच्छा जाग उठी।

अपुन ─ अच्छा ठीक है लेकिन उसके बाद सो जाएगी न?

विधी ये सुनते ही खुशी से मुस्कुराते हुए झट से अपुन की तरफ खिसक आई और फिर सचमुच अपुन से किसी जोंक की तरह चिपक गई।

विधी ─ हां अब अच्छे से नींद आएगी भाई। तू न सच में मेरी जान है, हां नहीं तो।

अपुन उसकी बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। इधर उसके नाजुक बदन का स्पर्श होते ही अपुन के समूचे जिस्म में करेंट दौड़ने लगा। अजीब सी सनसनी होने लगी। अपुन के लाख रोकने के बाद भी वो सनसनी दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को जगा बैठी बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयालों का जो बवंडर उठा था वो और भी तेजी से जैसे हिलोरे मारने लगा लौड़ा।

अपुन बेड पर सीधा लेटा हुआ था। अपुन के जिस्म में इस वक्त ऊपर एक बनियान था और नीचे हॉफ लोवर। इधर विधी ने एक टी शर्ट और ढीला सा सलवार पहन रखा था। वो अपुन की तरफ करवट ले कर बिल्कुल अपुन से चिपक गईली थी। बोले तो उसका एक बूब अपुन की लेफ्ट छाती में छू नहीं रेला था बल्कि पूरा दब रेला था। एक हाथ को उसने अपने सिर के नीचे तकिया सा बना कर रखा हुआ था जबकि दूसरे हाथ को अपुन के सीने में रख दिया था।

अभी अपुन उसके नाजुक जिस्म के स्पर्श में ही खोया था कि अचानक वो उठ गई तो अपुन को समझ न आया कि अब क्या हुआ इसे? अपुन उससे पूछने ही वाला था कि तभी उसने अपुन के लेफ्ट हैंड को पकड़ा और उसे तकिए की शक्ल बना कर अपने सिर के नीचे रख दिया और फिर से वैसे ही लेट गई। हालांकि इस बार थोड़ा अंतर था। मतलब कि अपुन का लेफ्ट हैंड भले ही उसके लिए तकिया बन गयला था लेकिन उसका सिर एकदम से अपुन के गले और सीने के बीच आ गयला था। खुद को उसने ऐसे एडजस्ट किया कि अब वो लगभग आधा अपुन के ऊपर ही लेट गईली थी।

इस बार उसके दोनों बूब्स अपुन के सीने से बस थोड़ा सा ही नीचे दब रेले थे। अपुन के जिस्म में एक बार फिर से सनसनी दौड़ गई और मस्त कर देने वाली झुरझुरी दौड़ते हुए सीधा लन्ड को छू गई जिससे अपुन के लंड ने एक झटका मारा।

कुछ ही देर में अपुन की हालत अजीब सी होने लगी लौड़ा। बोले तो अब नींद आने का सवाल ही नहीं रह गया था। अपुन का मन इतना ज्यादा विचलित हो गयला था कि बार बार उसके नाजुक जिस्म के लम्स को और साथ ही उसकी अधपकी आम जैसी छातियों पर ही जा रेला था। बात अगर सिर्फ इतनी ही होती तो शायद अपुन सम्हाल भी लेता खुद को लेकिन तभी एक और गजब काम कर दिया उसने।

उसने अपनी एक टांग उठाई और अपुन के जांघ पर रख दी। रखते समय उसका घुटना अपुन के लन्ड को रगड़ गयला था जिसके चलते अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं।

एक तरफ अपुन का मन जाने क्या क्या सोचने पर उतारू था और दूसरी तरफ अपुन एक भाई होने के नाते इस सबको रोकना भी चाहता था। बेटीचोद हर गुजरते पल के साथ अपुन के अंदर गर्मी सी भरती जा रेली थी। अपुन से जब न रहा गया तो अपुन ने धीरे से कहा।

अपुन ─ अच्छे से लेट जा न यार।

विधी ने हौले से सिर उठा कर अपुन की तरफ देखा। नीम अंधेरे में भी उसके गुलाबी होठ अपुन को स्पष्ट दिख रेले थे। वो इतने करीब थे कि अपुन की धड़कनें और भी तेज हो गईं लौड़ा। विधी की गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किया। तभी वो धीरे से ही बोली।

विधी ─ मुझे तो अच्छा लग रहा है भाई। क्या तुझे कोई प्रॉब्लम है?

अपुन ─ हां, तू अपुन से ऐसे चिपकी है कि इस तरह तो अपुन को नींद आ ही नहीं सकती।

विधी ─ पर मुझे तो आ जाएगी भाई। तुझे क्यों नहीं आ सकती?

अपुन उसे अब कैसे बताता या ये कहें कि कैसे समझाता कि अपुन को नींद क्यों नहीं आ सकती लौड़ा? पर कुछ तो जवाब देना ही था उसे इस लिए बोला।

अपुन ─ क्योंकि अपुन को किसी से चिपक के सोने की आदत नहीं है। इस वक्त तू अपुन से ऐसे चिपकी है तो अपुन बहुत ज्यादा अनकंफर्टेबल फील कर रेला है। प्लीज ट्राय टू अंडरस्टैंड।

विधी ये सुन कर अपुन को अपलक देखने लगी। शायद वो समझने की कोशिश कर रेली थी कि अपुन के कहने का क्या मतलब है?

विधी ─ पर भाई मुझे तो कुछ भी अनकंफर्टेबल नहीं फील हो रहा।

अपुन ─ वो इस लिए क्योंकि तू अपुन के ऊपर है, अपुन तेरे ऊपर नहीं है।

विधी ─ ओह! तो ये बात है। चल तू ही मेरे ऊपर आ जा।

अपुन ─ पागल है क्या तू? तुझे लगता है कि तू अपुन का भार सह लेगी?

विधी ─ अपनी जान के लिए सह लूंगी, हां नहीं तो।

कहने के साथ ही विधी अपुन से अलग हुई और सीधा लेट गई। उसकी ये हरकत देख अपुन मन ही मन बड़ा हैरान हुआ। ये भी सोचने लेगा कि क्या उसने ऐसा स्वाभाविक रूप से कहा था या उसके मन में भी अपुन के जैसे कुछ चल रेला है?

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy :declare:
Mast jabardast update
 
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TheBlackBlood

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Shaandar jabardast Mast Lajwab Update 🔥 🔥 💓 💓
Saadhna viraj dono jaldi hai :sex:
Sakshi ki jawani kahar dha rahi hai 😊 🔥
Anushka husband se khoosh nahi ab Virat Babu ko hi karna padega 🤣🤣
:D
Shaandar super hot Romantic Lovely update 💓💓💓🔥🔥🔥💋💋💋
Jaldibaji me kaam kharab ho gaya :kiss: Vidhi flower 🌺 se fire 🔥 ban gayi ab kaise nipte hai Virat Babu 😀😀😀
Jaldi hi nipat lenge dono :approve:

Anyway thanks... next update posted :declare:
 
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kas1709

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विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।



अब आगे....


अभी अपुन मूड में ही आया था कि तभी किसी ने दरवाजे को खटखटाया जिससे अपन दोनों ही चौंक कर थोड़ा दूर हो गए। ये सोच कर थोड़ा घबरा भी गए कि कहीं किसी ने हमारी बातें तो न सुन ली होंगी? अगर ऐसा हुआ तो गजब ही हो जाएगा लौड़ा।

खैर अपुन ने जा कर दरवाजा खोला तो देखा बाहर दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली। हालांकि उसके चेहरे के भाव देख अपुन मन ही मन झटका सा खा गया लौड़ा। बोले तो अपुन को ऐसा लगा जैसे उसने अपन लोग की बातें सुन ली हैं। बड़े अजीब से भाव लिए वो अपुन को देखे जा रेली थी।

अपुन ─ क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रेली है अपुन को?

दिव्या अपुन की ये बात सुन हड़बड़ाई फिर जल्दी से खुद को सम्हालते हुए मुस्कुरा कर बोली।

दिव्या ─ वो...वो मैं आपको चाय पीने के लिए कहने आई थी। विधी दी के रूम में गई तो वो वहां नहीं थीं। क्या वो आपके रूम में हैं?

इससे पहले कि अपुन कोई जवाब देता वो झट से रूम में आ गई। इधर अपुन ये सोचने में लग गयला था कि क्या सच में उसने अपन लोग की बातें सुन ली होंगी? बोले तो एकदम से ही टेंशन में आ गयला था अपुन। उधर विधी को देखते ही दिव्या उससे बोली।

दिव्या ─ अरे! दी आप यहां हो? मैं आपके रूम में गई थी।

विधी ने अब तक खुद को अच्छे से सम्हाल लिया था और नॉर्मल ही दिख रेली थी।

विधी ─ हां वो मैं भाई को चाय पीने का बोलने आई थी। ये थोड़ा मुझसे नाराज था इस लिए इसे मनाने में टाइम लग गया। तू चल हम आ रहे हैं।

दिव्या ने कुछ पलों तक उसे गौर से देखा और फिर पलट कर अपुन को एक नज़र देखने के बाद रूम से चली गई। कहने की जरूरत नहीं कि अपन दोनों ने ही राहत की सांस ली। हालांकि अपुन ये सोच के थोड़ा टेंशन में था कि कहीं दिव्या ने बाहर से अपन लोग की बातें न सुन ली हों। उसका इस तरह से बर्ताव करना भी यही जाहिर कर रेला था।

विधी ─ क्या हुआ भाई? तू अचानक से टेंशन में क्यों दिखने लगा है?

अपुन ─ यार मुझे लगता है कि दिव्या ने अपन लोग की बातें सुन ली हैं।

विधी ये सुन कर बुरी तरह घबरा गई। पलक झपकते ही उसका नॉर्मल चेहरा टेंशन से घिर गया लौड़ा। अपुन ने आगे बढ़ कर उसे कंधों से पकड़ा और फिर कहा।

अपुन ─ टेंशन मत ले और हां, तू उसके सामने बिल्कुल नॉर्मल ही रहना। अगर वो तुझसे इस बारे में कुछ पूछे तो नॉर्मली ही कोई जवाब दे देना, ओके?

विधी ─ भाई ये नहीं होना चाहिए था। अगर सच में उसने सब सुन लिया होगा तो क्या सोच रही होगी वो हम दोनों के बारे में। ओह! माय गॉड पता नहीं अब क्या होगा?

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तू बस खुद को नॉर्मल रख। सब कुछ अपुन पर छोड़ दे। अपुन सब सम्हाल लेगा, ओके?

विधी टेंशन से अपुन को देखे जा रेली थी। आखिर अपुन के समझाने पर वो थोड़ी नॉर्मल हुई लेकिन पूरी तरह नहीं। उसके बाद अपन दोनों रूम से निकल कर नीचे आ गए।

नीचे ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर दिव्या और साक्षी दी बैठी टीवी देख रेलीं थी जबकि सीमा किचेन में थी। अपन दोनों को आते देख साक्षी दी ने सीमा को आवाज दे कर बोल दिया कि अपन दोनों के लिए चाय ले आए।

अपुन ने देखा कि साक्षी दी एकदम नॉर्मल थीं लेकिन अपुन की तरफ सिर्फ एक बार देखने के बाद उन्होंने अपनी नजरें टीवी पर जमा दी थीं। उधर दिव्या एक बार फिर अपन दोनों को ध्यान से देखने लग गईली थी।

अपुन ने बेशक विधी को नॉर्मल रहने को बोला था लेकिन दिव्या जब अपन दोनों को इस तरह ध्यान से देखने लगी तो बेटीचोद पलक झपकते ही अपुन को टेंशन होने लगी लौड़ा। बड़ी मुश्किल से अपुन ने खुद को नॉर्मल किया और जा कर एक सोफे पर बैठ गया। विधी भी अपुन के साथ ही बैठ गई।

तभी सीमा ट्रे में अपन दोनों के लिए चाय ले कर आ गई। अपन दोनों ने चाय का एक एक कप उठा लिया और पीने लगे। टीवी जरूर चल रेली थी लेकिन अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसे देखने में इस वक्त किसी की भी दिलचस्पी नहीं थी।

साक्षी दी भले ही नॉर्मल शो करते हुए टीवी पर नजरें जमाए थीं लेकिन अपुन अच्छी तरह जानता था कि उनके मन में अपुन और अपुन की बातें ही गूंज रेली होंगी। वहीं दिव्या के मन में भी कुछ न कुछ चल रेला होगा और इधर विधी पक्का अंदर से बेहद घबराई हुई होगी।

खैर ऐसे ही हम सब की चाय खत्म हुई। किसी ने किसी से कोई बात नहीं की थी। चाय खत्म कर के अपुन उठा और वापस अपने रूम में आ गया।

मन बहलाने के लिए अपुन ने मोबाइल खोला तो देखा उसमें साधना और अनुष्का के मैसेज पड़े थे। साधना ने अपने मैसेज में लिखा था कि आज उसे अपुन के साथ इस तरह वक्त बिता कर बहुत अच्छा लगा है। काश! ऐसा वक्त बिताने का हर रोज मौक मिले। अपुन ने रिप्लाई में उससे कह दिया कि अपन लोग को थोड़ा सम्हल कर रहना होगा और सबसे बड़ी बात इस सबके चलते अपुन नहीं चाहता कि अपुन की पढ़ाई पर बुरा असर हो। इस लिए वो भी समझे इस बात को।

अनुष्का ने मैसेज में लिखा था कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि वो ऐसा क्या करे जिससे अपुन उसके पास आने के लिए मजबूर हो जाए। अपुन ने उसे सिर्फ इतना ही लिख के भेजा कि─ सोचती रहो।

उसके बाद अपुन ने मोबाइल साइड पर रखा और पढ़ाई करने के लिए किताबें खोल ली। देर से ही सही पर अपुन का मन पढ़ाई में लग गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि अपुन को वक्त के गुजरने का पता ही नहीं चला लौड़ा।

जब डिनर का टाइम हुआ तो दिव्या अपुन को बुलाने आई। अपुन ने गौर किया कि अब वो नॉर्मल थी और अपुन को अजीब तरह से नहीं देख रेली थी। अपुन को इस बात से थोड़ी हैरानी हुई पर अपुन ने कहा कुछ नहीं।

उसके जाने के बाद अपुन भी थोड़ी देर में डिनर करने के लिए नीचे आ गया। डायनिंग टेबल पर एक तरफ साक्षी दी और दिव्या बैठी हुईं थी और दूसरी तरफ अपुन के बगल से विधी कुर्सी पर बैठेली थी।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आप मुझे फिजिक्स का वो चैप्टर एक बार फिर से बता देना। पता नहीं क्यों वो मेरे दिमाग में बैठ ही नहीं रहा।

दिव्या की इस बात से लगभग सबने ही उसकी तरफ देखा। हालांकि इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन इस वक्त इस लिए भी थी क्योंकि सबके बीच खामोशी थी। आम तौर पर डिनर के टाइम दिव्या या विधी कुछ न कुछ बोलती ही रहती थीं जबकि आज सन्नाटा छाया था लौड़ा। यही वजह थी कि जब दिव्या ने अपुन से ये कहा तो सबने उसकी तरफ देखा था।

अपुन ─ ठीक है कल बता दूंगा।

दिव्या ─ कल क्यों भैया, आज क्यों नहीं? डिनर के बाद मैं आपके रूम में आ जाऊंगी तब आप मुझे समझा देना।

अपुन ─ न आज नहीं। थोड़ी थकान है आज इस लिए डिनर के बाद सिर्फ सोऊंगा मैं।

अपुन के मुख से शुद्ध हिन्दी में और सभ्य तरीके में शब्द निकलते देख दिव्या और विधी दोनों को ही हैरानी हुई। विधी ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन दिव्या पूछ बैठी।

दिव्या (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! क्या बात है भैया, इस वक्त आप अपनी फेवरेट टपोरी भाषा में बात नहीं कर रहे?

उसकी ये बात सुन अपुन को थोड़ा धक्का सा लगा। अपुन ने झट से साक्षी दी की तरफ देखा। इत्तेफाक से उन्होंने भी अपुन को देखा। हालांकि जल्दी ही उन्होंने अपुन से नजरें हटा कर डिनर करना जारी रखा। इधर अपुन ने दिव्या को जवाब दिया।

अपुन ─ हां वो मैं कोशिश कर रहा हूं कि हर किसी की तरह सभ्य भाषा में ही बात करूं।

दिव्या ─ पर भैया, टपोरी भाषा तो आपकी फेवरेट है न?

अपुन ─ इस दुनिया में मेरा फेवरेट सिर्फ एक ही इंसान है दिव्या। उस इंसान के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। मतलब कि किसी को भी छोड़ सकता हूं और किसी भी चीज़ का त्याग कर सकता हूं।

अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी का डिनर करना रुक गया और वो अपुन को अजीब भाव से देखने लगीं। चेहरे पर सख्त भाव उभर आए थे लेकिन अपुन को घंटा परवाह नहीं थी। तभी दिव्या ने कहा।

दिव्या ─ वाह! भैया क्या बात है। वैसे ऐसा वो कौन इंसान है, मुझे भी बताइए न।

दिव्या की ये बात सुन साक्षी दी थोड़ा घबराई सी नजर आईं। शायद वो ये सोच बैठी थीं कि कहीं अपुन दिव्या को बता न दे कि वो इंसान वो ही हैं। इधर अपुन ने एक नज़र उनकी तरफ देखा और फिर कहा।

अपुन ─ ऐसे खास इंसान के बारे में बता कर उसे रुसवा नहीं किया जाता दिव्या। इस लिए उसके बारे में नहीं बता सकता। चल अब चुपचाप डिनर कर।

साक्षी दी ने राहत की सांस तो ली लेकिन उनके चेहरे पर बहुत ही गंभीर और बेचैनी जैसे भाव आ गएले थे। इधर दिव्या थोड़ी मायूस हुई और चुपचाप डिनर करने लगी। इसके बाद कोई बात नहीं हुई।

डिनर के बाद सब अपने अपने रूम में चले गए। अपुन के मन में यही चल रेला था कि साक्षी दी सच में अपुन की वजह से परेशान हो चुकी हैं। बोले तो ये ऐसी बात थी जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। कल्पना तो अपुन ने भी नहीं की थी लेकिन उनके प्रति ये जो आकर्षण था उससे दूर भी नहीं भाग सकता था अपुन।

लौड़ा समझ में नहीं आ रेला था कि अचानक से अपुन को ये क्या हो गयला है? मतलब कि साक्षी दी अपुन को सबसे अच्छी तो लगतीं थी लेकिन इसके लिए उनसे ये सब कह देने का अपुन ने सोचा तक नहीं था। दूसरी बात, जब से अपुन ने साधना के साथ चुदाई की थी तब से अपुन के मन में अजीब सी सोच भर गईली थी।

यही सब सोचते हुए पता नहीं कब अपुन की आंख लग गई लौड़ा। पता नहीं कितनी देर से सोया हुआ था कि तभी अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे कोई अपुन के चेहरे पर झुका हुआ है और हौले हौले अपुन के होठ चूम रेला है?

अपुन को गर्मी का एहसास हो रेला था। पूरे जिस्म में रोमांच की लहरें उठ रेलीं थी। अचानक अपुन नींद के आगोश से बाहर आ गया। आँखें हल्के से खुलीं तो कुछ समझ न आया। बोले तो धुंधला सा दिखा अपुन को।

अपुन ने दिमाग पर ज़ोर डाला तो याद आया कि अपुन अपने रूम में बेड पर सोया था लेकिन उस टाइम रूम में लाइट जल रेली थी। जबकि इस वक्त नीम अंधेरा था। तभी अपुन चौंक उठा।

अपुन के ऊपर झुके हुए व्यक्ति ने फिर से अपुन के होठों पर चूमा था। उसकी गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किएला था। पलक झपकते ही ये सोच कर अपुन के रोंगटे खड़े हो गए कि बेटीचोद कौन है जो इस तरह नीम अंधेरे में अपुन की इज्जत लूट रेला है?

अगले ही पल अपुन ने हड़बड़ा कर अपने दोनों हाथ से उस झुके हुए इंसान को पकड़ कर खुद से दूर किया। अपुन के ऐसा करते ही वो इंसान बुरी तरह गड़बड़ा गया लौड़ा। इधर अपुन झट से उठ बैठा।

नीम अंधेरे में अब अपुन को थोड़ा अच्छे से दिखने लगा था इस लिए जब अपुन ने अच्छे से देखा तो पता चला कि अपुन के होठों को चूमने वाला कोई और नहीं बल्कि अपुन की जुड़वा बहन विधी थी। उधर अपुन को इस तरह उठ गया देख पहले तो वो गड़बड़ा ही गईली थी लेकिन फिर नॉर्मल हो गई।

अपुन ─ ये तू है? और....और ये क्या रेली थी अपुन के साथ?

विधी ─ वो...वो मैं न अपने बॉय फ्रेंड को किस कर रही थी। सॉरी...अगर तुझे इससे बुरा लगा हो तो।

अपुन ने अपनी तेज चलती धड़कनों को नियंत्रित किया और सबसे पहले रूम के दरवाज़े को देखा। दरवाजा अंदर से बंद था। फिर अपुन ने मोबाइल में टाइम देखा। रात के एक बज रेले थे। ये देख अपुन ये सोच के हैरान हुआ कि लौड़ा कितना जल्दी एक बज गयला है और इतना ही नहीं विधी इतनी रात को अपुन के रूम में अपुन को किस कर रेली थी।

अपुन ने देखा वो थोड़ी घबराई हुई बेड के किनारे पर बैठ गईली थी और अपलक अपुन को ही देखे जा रेली थी। अपुन ने सिचुएशन को समझा और फिर उसकी तरफ देखते हुए बोला।

अपुन ─ तू इतनी रात को ये करने यहां आईली थी? क्या तुझे अंदाजा नहीं है कि दिव्या ने शायद अपन लोग की बातें सुन ली हैं?

विधी ─ उसकी टेंशन मत ले। मैंने उसे सब समझा दिया है।

अपुन (शॉक) ─ क्या मतलब???

विधी ─ वो...जब तू शाम को अपने रूम में स्टडी कर रहा था न तब वो मेरे रूम में आई थी और फिर पूछें लगी थी कि तू और मैं उस टाइम रूम के अंदर ये कैसी बातें कर रहे थे? पहले तो उसकी ये बात सुन कर मैं बहुत डर गई थी लेकिन फिर उसे कसम दे कर कहा कि वो इस बारे में किसी को न बताए तो बताऊंगी। फिर जब उसने कसम खा ली तब मैंने उसे बता दिया कि हम दोनों ने एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बना लिया है।

सच तो ये था लौड़ा कि विधी क्या बोले जा रेली थी वो सब अब अपुन के सिर के ऊपर से जा रेला था। मतलब कि अपुन इतना ज्यादा शॉक हो गयला था कि बेटीचोद दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था। अपुन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसने इतनी आसानी से दिव्या को सब कुछ बता दिया है।

अपुन ─ माय गॉड तूने दिव्या को सब कुछ बता दिया?

विधी ─ मैं क्या करती भाई? उसके पूछने पर मैं अंदर से इतना डर गई थी कि लगा अगर उसे सच सच नहीं बताया तो जाने वो क्या क्या सोच बैठेगी और फिर कहीं वो घर में किसी को बता न दे। इस लिए पहले उसे कसम दी फिर सब सच सच बता दिया।

अपुन समझ गया कि इसी लिए दिव्या जब अपुन को डिनर के लिए बुलाने आईली थी तब वो नॉर्मल थी। पर लौड़ा उसे इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए था।

अपुन ─ तो फिर क्या कहा उसने? मतलब कि जब उसे ये सब पता चला तब क्या बोली वो तुझसे?

विधी ─ पहले तो वो बहुत शॉक हुई थी फिर मैंने उसे समझाया कि हम दोनों बस नॉर्मली किस करने को बोल रहे थे क्योंकि अब हम न्यू रिलेशन में हैं, हां नहीं तो।

अपुन ─ फिर क्या बोली वो?

विधी ─ पूछ रही थी कि क्या भाई बहन आपस में ऐसा रिलेशन रख सकते हैं तो मैंने कहा कि रख सकते हैं लेकिन हमारे बीच एक लिमिट रहेगी। मतलब कि हम इस रिलेशन में सिर्फ किस कर सकते हैं बाकी कुछ नहीं।

अपुन ─ फिर क्या कहा उसने?

विधी ─ और तो कुछ नहीं कहा लेकिन हां उसने ये जरूर पूछा कि मैं तुम्हें किस तरह किस करने को बोल रही थी?

अपुन ─ मतलब??

विधी ─ अरे! उसका मतलब ये था कि क्या मैं तुम्हें अपने होठों पर किस करने को कह रही थी तो मैंने उसे बताया कि हम लोग भाई बहन हैं इस लिए होठों पर किस नहीं कर सकते। मतलब कि मैं तुम्हें चिक पर किस करने को कह रही थी। मेरी ये बात सुन कर वो हंसने लगी थी।

अपुन ─ क्यों? आई मीन वो हंसने क्यों लग गईली थी?

विधी ─ चिक पर किस करने की बात सुन कर हंसी थी वो। फिर मजाक में बोलने लगी कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के रिलेशन में किस चिक पर नहीं लिप पर की जाती है। उसकी बात सुन कर मैंने उससे कहा कि पागल है क्या तो कहने लगी कि चिक पर किस तो कोई भी कर सकता है। मतलब कि उसके लिए गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होना जरूरी नहीं है लेकिन अगर हम गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाला रिलेशन रखते हैं तो इसमें लिप पर ही किस करना चाहिए। और पता है तुझे, कह रही थी कि अगर वो तेरी गर्लफ्रेंड होती तो वो तुझे अपने होठों पर ही किस करने को कहती। झल्ली कहीं की, हां नहीं तो।

बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गयला था? मतलब कि दिव्या इतना कुछ विधी से बोल रेली थी। अपुन का दिमाग तो सुन के ही हैंग होने लग गयला था लौड़ा।

अपुन ─ फिर तूने क्या कहा उससे?

विधी ─ मैंने कह दिया कि नहीं लिप पर किस करना गलत है। एक्चुअली भाई...मैंने उससे ये नहीं कहा कि हम दोनों लिप पर ही किस करने की बात कर रहे थे। मुझे लगा अगर मैं उसे ये बताऊंगी तो वो कहीं हमारे कैरेक्टर को गंदा न कहने लगे, हां नहीं तो।

अपुन ─ ये बहुत अच्छा किया तूने जो उससे ऐसा कहा।

विधी अपुन की ये बात सुन कर एकदम खुश हो गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। फिर उसी खुशी से इतराते हुए बोली।

विधी ─ देखा न भाई, कितनी समझदारी से मैंने उस चुहिया दिव्या को हैंडल कर लिया। तू बेकार ही टेंशन ले रहा था, हां नहीं तो।

अपुन उसकी ये बात सुन कर मन ही मन ये सोच के हंस पड़ा कि लौड़ी इतने में ही खुद को स्मार्ट समझने लगी। खैर अपुन जानता था कि वो अभी कितनी मासूम और भोली थी।

अपुन ─ ज्यादा उड़ मत और खुद को इतना तीसमार खां न समझ। तुझे एक बात अच्छी तरह समझनी है कि इस बारे में तुझे बहुत ज्यादा सतर्क रहना होगा और दिव्या को भूल कर भी इस बारे में कुछ नहीं बताना है।

विधी ─ अरे! तू बेकार में ही उसकी टेंशन ले रहा है भाई। मैंने उसे समझा दिया है। देखना वो किसी से कुछ नहीं बताएगी। पता है, मैंने उसे कसम दी है, हां नहीं तो।

अपुन ─ हां ठीक है लेकिन फिर भी सतर्क रहना जरूरी है कि नहीं? भले ही तूने उसे कसम दी है लेकिन किसी दिन कसम को भूल कर उसने किसी से इस बारे में बता ही दिया तो? सोच तब क्या होगा? तुझे तो शायद ज्यादा कोई कुछ नहीं कहेगा लेकिन अपुन का इस घर से बोरिया बिस्तर निकाल दिया जाएगा। इतना ही नहीं मॉम डैड अपुन से हर रिश्ता तोड़ कर अपुन को घर से निकाल देंगे।

विधी अपुन की ये बात सुन कर अंदर तक कांप गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा टेंशन से भर गया।

विधी ─ क्या तू सच कह रहा है भाई? मतलब क्या सच में इतनी बड़ी गड़बड़ हो जाएगी?

अपुन ─ हां मेरी जान। इसी लिए कह रेला है अपुन कि आज के बाद इस बारे में दिव्या को ही नहीं बल्कि किसी को भी कुछ मत बताना।

विधी ─ तेरी कसम भाई। आज के बाद किसी को नहीं बताऊंगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ ठीक है। चल अब तू अपने रूम में जा और सो जा।

विधी ─ भाई क्या मैं तेरे साथ बेड पर सो जाऊं?

अपुन ─ नहीं, तू अपने रूम में ही जा के सो। अभी कुछ दिन तेरा अपुन के रूम में सोना ठीक नहीं है। दिव्या तुझसे भले ही छोटी है लेकिन वो तेरी तरह मासूम और भोली नहीं है। बोले तो बड़ी चालू है वो। अगर उसने तुझे अपुन के रूम में सोते देख लिया तो फौरन समझ जाएगी कि अपन लोग ने आपस में कुछ गड़बड़ किया होगा।

विधी (आश्चर्य से आंखें फाड़ कर) ─ क्या सच में वो चुहिया इतनी चालू है भाई?

अपुन ─ हां, इसी लिए तो बोल रेला है अपुन कि तू अपने रूम में जा। चल अब देर मत कर। वैसे भी रात बहुत ज्यादा हो गईली है।

विधी बेमन से बेड पर से उठ गई। उसका चेहरा एकदम से उतर गयला था। अपुन समझ गया कि उसका अपुन के रूम से जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। बस, मजबूरी के चलते ही जाने को तैयार हो गईली थी। फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदले।

विधी ─ भाई प्लीज यहीं सो जाने दे न। मैं मॉर्निंग में छह बजने से पहले ही यहां से चली जाऊंगी तो दिव्या को पता ही नहीं चलेगा, हां नहीं तो।

अपुन ने सोचा बात तो ठीक है। मतलब कि ऐसा बिल्कुल हो सकता है। वैसे भी वो इतना जोर दे रेली थी और इसी में उसकी खुशी भी थी तो अपुन ने भी इस बार उसे मजबूर नहीं किया।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। चल आ जा और हां, सिर्फ सोना ही। वैसे भी रात के सवा एक बज गएले हैं।

विधी ये सुन के खुशी से उछलने ही लगी लौड़ी। फिर एकदम से उसे सिचुएशन का खयाल आया तो पलक झपकते ही भीगी बिल्ली बन गई और चुपचाप आ कर बेड पर अपुन के बगल से लेट गई। इधर अपुन ने पास ही टेबल लैंप पर रखी अलार्म क्लॉक को उठा कर उसमें पांच बजे का अलार्म सेट कर दिया। असल में अपुन सच में नहीं चाहता था कि किसी बात का पतंगड़ बन जाए लौड़ा।

विधी (धीरे से) ─ भाई सुन न।

अपुन ─ अब सो जा न यार।

विधी ─ मुझे न तेरे से चिपक के सोना है। क्या मैं तुझसे चिपक जाऊं, प्लीज प्लीज।

उसके मुख से चिपक के सोने वाली बात सुन कर अपुन के पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई लौड़ा। शांत मन में एकदम से तरह तरह के खयालों का बवंडर चल पड़ा। लड़की के नाजुक बदन का एहसास अच्छी तरह पा चुका था अपुन, साधना के रूप में। इस लिए पलक झपकते ही अपुन के अंदर भी उससे चिपकने की इच्छा जाग उठी।

अपुन ─ अच्छा ठीक है लेकिन उसके बाद सो जाएगी न?

विधी ये सुनते ही खुशी से मुस्कुराते हुए झट से अपुन की तरफ खिसक आई और फिर सचमुच अपुन से किसी जोंक की तरह चिपक गई।

विधी ─ हां अब अच्छे से नींद आएगी भाई। तू न सच में मेरी जान है, हां नहीं तो।

अपुन उसकी बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। इधर उसके नाजुक बदन का स्पर्श होते ही अपुन के समूचे जिस्म में करेंट दौड़ने लगा। अजीब सी सनसनी होने लगी। अपुन के लाख रोकने के बाद भी वो सनसनी दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को जगा बैठी बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयालों का जो बवंडर उठा था वो और भी तेजी से जैसे हिलोरे मारने लगा लौड़ा।

अपुन बेड पर सीधा लेटा हुआ था। अपुन के जिस्म में इस वक्त ऊपर एक बनियान था और नीचे हॉफ लोवर। इधर विधी ने एक टी शर्ट और ढीला सा सलवार पहन रखा था। वो अपुन की तरफ करवट ले कर बिल्कुल अपुन से चिपक गईली थी। बोले तो उसका एक बूब अपुन की लेफ्ट छाती में छू नहीं रेला था बल्कि पूरा दब रेला था। एक हाथ को उसने अपने सिर के नीचे तकिया सा बना कर रखा हुआ था जबकि दूसरे हाथ को अपुन के सीने में रख दिया था।

अभी अपुन उसके नाजुक जिस्म के स्पर्श में ही खोया था कि अचानक वो उठ गई तो अपुन को समझ न आया कि अब क्या हुआ इसे? अपुन उससे पूछने ही वाला था कि तभी उसने अपुन के लेफ्ट हैंड को पकड़ा और उसे तकिए की शक्ल बना कर अपने सिर के नीचे रख दिया और फिर से वैसे ही लेट गई। हालांकि इस बार थोड़ा अंतर था। मतलब कि अपुन का लेफ्ट हैंड भले ही उसके लिए तकिया बन गयला था लेकिन उसका सिर एकदम से अपुन के गले और सीने के बीच आ गयला था। खुद को उसने ऐसे एडजस्ट किया कि अब वो लगभग आधा अपुन के ऊपर ही लेट गईली थी।

इस बार उसके दोनों बूब्स अपुन के सीने से बस थोड़ा सा ही नीचे दब रेले थे। अपुन के जिस्म में एक बार फिर से सनसनी दौड़ गई और मस्त कर देने वाली झुरझुरी दौड़ते हुए सीधा लन्ड को छू गई जिससे अपुन के लंड ने एक झटका मारा।

कुछ ही देर में अपुन की हालत अजीब सी होने लगी लौड़ा। बोले तो अब नींद आने का सवाल ही नहीं रह गया था। अपुन का मन इतना ज्यादा विचलित हो गयला था कि बार बार उसके नाजुक जिस्म के लम्स को और साथ ही उसकी अधपकी आम जैसी छातियों पर ही जा रेला था। बात अगर सिर्फ इतनी ही होती तो शायद अपुन सम्हाल भी लेता खुद को लेकिन तभी एक और गजब काम कर दिया उसने।

उसने अपनी एक टांग उठाई और अपुन के जांघ पर रख दी। रखते समय उसका घुटना अपुन के लन्ड को रगड़ गयला था जिसके चलते अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं।

एक तरफ अपुन का मन जाने क्या क्या सोचने पर उतारू था और दूसरी तरफ अपुन एक भाई होने के नाते इस सबको रोकना भी चाहता था। बेटीचोद हर गुजरते पल के साथ अपुन के अंदर गर्मी सी भरती जा रेली थी। अपुन से जब न रहा गया तो अपुन ने धीरे से कहा।

अपुन ─ अच्छे से लेट जा न यार।

विधी ने हौले से सिर उठा कर अपुन की तरफ देखा। नीम अंधेरे में भी उसके गुलाबी होठ अपुन को स्पष्ट दिख रेले थे। वो इतने करीब थे कि अपुन की धड़कनें और भी तेज हो गईं लौड़ा। विधी की गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किया। तभी वो धीरे से ही बोली।

विधी ─ मुझे तो अच्छा लग रहा है भाई। क्या तुझे कोई प्रॉब्लम है?

अपुन ─ हां, तू अपुन से ऐसे चिपकी है कि इस तरह तो अपुन को नींद आ ही नहीं सकती।

विधी ─ पर मुझे तो आ जाएगी भाई। तुझे क्यों नहीं आ सकती?

अपुन उसे अब कैसे बताता या ये कहें कि कैसे समझाता कि अपुन को नींद क्यों नहीं आ सकती लौड़ा? पर कुछ तो जवाब देना ही था उसे इस लिए बोला।

अपुन ─ क्योंकि अपुन को किसी से चिपक के सोने की आदत नहीं है। इस वक्त तू अपुन से ऐसे चिपकी है तो अपुन बहुत ज्यादा अनकंफर्टेबल फील कर रेला है। प्लीज ट्राय टू अंडरस्टैंड।

विधी ये सुन कर अपुन को अपलक देखने लगी। शायद वो समझने की कोशिश कर रेली थी कि अपुन के कहने का क्या मतलब है?

विधी ─ पर भाई मुझे तो कुछ भी अनकंफर्टेबल नहीं फील हो रहा।

अपुन ─ वो इस लिए क्योंकि तू अपुन के ऊपर है, अपुन तेरे ऊपर नहीं है।

विधी ─ ओह! तो ये बात है। चल तू ही मेरे ऊपर आ जा।

अपुन ─ पागल है क्या तू? तुझे लगता है कि तू अपुन का भार सह लेगी?

विधी ─ अपनी जान के लिए सह लूंगी, हां नहीं तो।

कहने के साथ ही विधी अपुन से अलग हुई और सीधा लेट गई। उसकी ये हरकत देख अपुन मन ही मन बड़ा हैरान हुआ। ये भी सोचने लेगा कि क्या उसने ऐसा स्वाभाविक रूप से कहा था या उसके मन में भी अपुन के जैसे कुछ चल रेला है?

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy :declare:
Nice update....
 

dhparikh

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Update ~ 15



विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।



अब आगे....


अभी अपुन मूड में ही आया था कि तभी किसी ने दरवाजे को खटखटाया जिससे अपन दोनों ही चौंक कर थोड़ा दूर हो गए। ये सोच कर थोड़ा घबरा भी गए कि कहीं किसी ने हमारी बातें तो न सुन ली होंगी? अगर ऐसा हुआ तो गजब ही हो जाएगा लौड़ा।

खैर अपुन ने जा कर दरवाजा खोला तो देखा बाहर दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली। हालांकि उसके चेहरे के भाव देख अपुन मन ही मन झटका सा खा गया लौड़ा। बोले तो अपुन को ऐसा लगा जैसे उसने अपन लोग की बातें सुन ली हैं। बड़े अजीब से भाव लिए वो अपुन को देखे जा रेली थी।

अपुन ─ क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रेली है अपुन को?

दिव्या अपुन की ये बात सुन हड़बड़ाई फिर जल्दी से खुद को सम्हालते हुए मुस्कुरा कर बोली।

दिव्या ─ वो...वो मैं आपको चाय पीने के लिए कहने आई थी। विधी दी के रूम में गई तो वो वहां नहीं थीं। क्या वो आपके रूम में हैं?

इससे पहले कि अपुन कोई जवाब देता वो झट से रूम में आ गई। इधर अपुन ये सोचने में लग गयला था कि क्या सच में उसने अपन लोग की बातें सुन ली होंगी? बोले तो एकदम से ही टेंशन में आ गयला था अपुन। उधर विधी को देखते ही दिव्या उससे बोली।

दिव्या ─ अरे! दी आप यहां हो? मैं आपके रूम में गई थी।

विधी ने अब तक खुद को अच्छे से सम्हाल लिया था और नॉर्मल ही दिख रेली थी।

विधी ─ हां वो मैं भाई को चाय पीने का बोलने आई थी। ये थोड़ा मुझसे नाराज था इस लिए इसे मनाने में टाइम लग गया। तू चल हम आ रहे हैं।

दिव्या ने कुछ पलों तक उसे गौर से देखा और फिर पलट कर अपुन को एक नज़र देखने के बाद रूम से चली गई। कहने की जरूरत नहीं कि अपन दोनों ने ही राहत की सांस ली। हालांकि अपुन ये सोच के थोड़ा टेंशन में था कि कहीं दिव्या ने बाहर से अपन लोग की बातें न सुन ली हों। उसका इस तरह से बर्ताव करना भी यही जाहिर कर रेला था।

विधी ─ क्या हुआ भाई? तू अचानक से टेंशन में क्यों दिखने लगा है?

अपुन ─ यार मुझे लगता है कि दिव्या ने अपन लोग की बातें सुन ली हैं।

विधी ये सुन कर बुरी तरह घबरा गई। पलक झपकते ही उसका नॉर्मल चेहरा टेंशन से घिर गया लौड़ा। अपुन ने आगे बढ़ कर उसे कंधों से पकड़ा और फिर कहा।

अपुन ─ टेंशन मत ले और हां, तू उसके सामने बिल्कुल नॉर्मल ही रहना। अगर वो तुझसे इस बारे में कुछ पूछे तो नॉर्मली ही कोई जवाब दे देना, ओके?

विधी ─ भाई ये नहीं होना चाहिए था। अगर सच में उसने सब सुन लिया होगा तो क्या सोच रही होगी वो हम दोनों के बारे में। ओह! माय गॉड पता नहीं अब क्या होगा?

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तू बस खुद को नॉर्मल रख। सब कुछ अपुन पर छोड़ दे। अपुन सब सम्हाल लेगा, ओके?

विधी टेंशन से अपुन को देखे जा रेली थी। आखिर अपुन के समझाने पर वो थोड़ी नॉर्मल हुई लेकिन पूरी तरह नहीं। उसके बाद अपन दोनों रूम से निकल कर नीचे आ गए।

नीचे ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर दिव्या और साक्षी दी बैठी टीवी देख रेलीं थी जबकि सीमा किचेन में थी। अपन दोनों को आते देख साक्षी दी ने सीमा को आवाज दे कर बोल दिया कि अपन दोनों के लिए चाय ले आए।

अपुन ने देखा कि साक्षी दी एकदम नॉर्मल थीं लेकिन अपुन की तरफ सिर्फ एक बार देखने के बाद उन्होंने अपनी नजरें टीवी पर जमा दी थीं। उधर दिव्या एक बार फिर अपन दोनों को ध्यान से देखने लग गईली थी।

अपुन ने बेशक विधी को नॉर्मल रहने को बोला था लेकिन दिव्या जब अपन दोनों को इस तरह ध्यान से देखने लगी तो बेटीचोद पलक झपकते ही अपुन को टेंशन होने लगी लौड़ा। बड़ी मुश्किल से अपुन ने खुद को नॉर्मल किया और जा कर एक सोफे पर बैठ गया। विधी भी अपुन के साथ ही बैठ गई।

तभी सीमा ट्रे में अपन दोनों के लिए चाय ले कर आ गई। अपन दोनों ने चाय का एक एक कप उठा लिया और पीने लगे। टीवी जरूर चल रेली थी लेकिन अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसे देखने में इस वक्त किसी की भी दिलचस्पी नहीं थी।

साक्षी दी भले ही नॉर्मल शो करते हुए टीवी पर नजरें जमाए थीं लेकिन अपुन अच्छी तरह जानता था कि उनके मन में अपुन और अपुन की बातें ही गूंज रेली होंगी। वहीं दिव्या के मन में भी कुछ न कुछ चल रेला होगा और इधर विधी पक्का अंदर से बेहद घबराई हुई होगी।

खैर ऐसे ही हम सब की चाय खत्म हुई। किसी ने किसी से कोई बात नहीं की थी। चाय खत्म कर के अपुन उठा और वापस अपने रूम में आ गया।

मन बहलाने के लिए अपुन ने मोबाइल खोला तो देखा उसमें साधना और अनुष्का के मैसेज पड़े थे। साधना ने अपने मैसेज में लिखा था कि आज उसे अपुन के साथ इस तरह वक्त बिता कर बहुत अच्छा लगा है। काश! ऐसा वक्त बिताने का हर रोज मौक मिले। अपुन ने रिप्लाई में उससे कह दिया कि अपन लोग को थोड़ा सम्हल कर रहना होगा और सबसे बड़ी बात इस सबके चलते अपुन नहीं चाहता कि अपुन की पढ़ाई पर बुरा असर हो। इस लिए वो भी समझे इस बात को।

अनुष्का ने मैसेज में लिखा था कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि वो ऐसा क्या करे जिससे अपुन उसके पास आने के लिए मजबूर हो जाए। अपुन ने उसे सिर्फ इतना ही लिख के भेजा कि─ सोचती रहो।

उसके बाद अपुन ने मोबाइल साइड पर रखा और पढ़ाई करने के लिए किताबें खोल ली। देर से ही सही पर अपुन का मन पढ़ाई में लग गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि अपुन को वक्त के गुजरने का पता ही नहीं चला लौड़ा।

जब डिनर का टाइम हुआ तो दिव्या अपुन को बुलाने आई। अपुन ने गौर किया कि अब वो नॉर्मल थी और अपुन को अजीब तरह से नहीं देख रेली थी। अपुन को इस बात से थोड़ी हैरानी हुई पर अपुन ने कहा कुछ नहीं।

उसके जाने के बाद अपुन भी थोड़ी देर में डिनर करने के लिए नीचे आ गया। डायनिंग टेबल पर एक तरफ साक्षी दी और दिव्या बैठी हुईं थी और दूसरी तरफ अपुन के बगल से विधी कुर्सी पर बैठेली थी।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आप मुझे फिजिक्स का वो चैप्टर एक बार फिर से बता देना। पता नहीं क्यों वो मेरे दिमाग में बैठ ही नहीं रहा।

दिव्या की इस बात से लगभग सबने ही उसकी तरफ देखा। हालांकि इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन इस वक्त इस लिए भी थी क्योंकि सबके बीच खामोशी थी। आम तौर पर डिनर के टाइम दिव्या या विधी कुछ न कुछ बोलती ही रहती थीं जबकि आज सन्नाटा छाया था लौड़ा। यही वजह थी कि जब दिव्या ने अपुन से ये कहा तो सबने उसकी तरफ देखा था।

अपुन ─ ठीक है कल बता दूंगा।

दिव्या ─ कल क्यों भैया, आज क्यों नहीं? डिनर के बाद मैं आपके रूम में आ जाऊंगी तब आप मुझे समझा देना।

अपुन ─ न आज नहीं। थोड़ी थकान है आज इस लिए डिनर के बाद सिर्फ सोऊंगा मैं।

अपुन के मुख से शुद्ध हिन्दी में और सभ्य तरीके में शब्द निकलते देख दिव्या और विधी दोनों को ही हैरानी हुई। विधी ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन दिव्या पूछ बैठी।

दिव्या (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! क्या बात है भैया, इस वक्त आप अपनी फेवरेट टपोरी भाषा में बात नहीं कर रहे?

उसकी ये बात सुन अपुन को थोड़ा धक्का सा लगा। अपुन ने झट से साक्षी दी की तरफ देखा। इत्तेफाक से उन्होंने भी अपुन को देखा। हालांकि जल्दी ही उन्होंने अपुन से नजरें हटा कर डिनर करना जारी रखा। इधर अपुन ने दिव्या को जवाब दिया।

अपुन ─ हां वो मैं कोशिश कर रहा हूं कि हर किसी की तरह सभ्य भाषा में ही बात करूं।

दिव्या ─ पर भैया, टपोरी भाषा तो आपकी फेवरेट है न?

अपुन ─ इस दुनिया में मेरा फेवरेट सिर्फ एक ही इंसान है दिव्या। उस इंसान के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। मतलब कि किसी को भी छोड़ सकता हूं और किसी भी चीज़ का त्याग कर सकता हूं।

अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी का डिनर करना रुक गया और वो अपुन को अजीब भाव से देखने लगीं। चेहरे पर सख्त भाव उभर आए थे लेकिन अपुन को घंटा परवाह नहीं थी। तभी दिव्या ने कहा।

दिव्या ─ वाह! भैया क्या बात है। वैसे ऐसा वो कौन इंसान है, मुझे भी बताइए न।

दिव्या की ये बात सुन साक्षी दी थोड़ा घबराई सी नजर आईं। शायद वो ये सोच बैठी थीं कि कहीं अपुन दिव्या को बता न दे कि वो इंसान वो ही हैं। इधर अपुन ने एक नज़र उनकी तरफ देखा और फिर कहा।

अपुन ─ ऐसे खास इंसान के बारे में बता कर उसे रुसवा नहीं किया जाता दिव्या। इस लिए उसके बारे में नहीं बता सकता। चल अब चुपचाप डिनर कर।

साक्षी दी ने राहत की सांस तो ली लेकिन उनके चेहरे पर बहुत ही गंभीर और बेचैनी जैसे भाव आ गएले थे। इधर दिव्या थोड़ी मायूस हुई और चुपचाप डिनर करने लगी। इसके बाद कोई बात नहीं हुई।

डिनर के बाद सब अपने अपने रूम में चले गए। अपुन के मन में यही चल रेला था कि साक्षी दी सच में अपुन की वजह से परेशान हो चुकी हैं। बोले तो ये ऐसी बात थी जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। कल्पना तो अपुन ने भी नहीं की थी लेकिन उनके प्रति ये जो आकर्षण था उससे दूर भी नहीं भाग सकता था अपुन।

लौड़ा समझ में नहीं आ रेला था कि अचानक से अपुन को ये क्या हो गयला है? मतलब कि साक्षी दी अपुन को सबसे अच्छी तो लगतीं थी लेकिन इसके लिए उनसे ये सब कह देने का अपुन ने सोचा तक नहीं था। दूसरी बात, जब से अपुन ने साधना के साथ चुदाई की थी तब से अपुन के मन में अजीब सी सोच भर गईली थी।

यही सब सोचते हुए पता नहीं कब अपुन की आंख लग गई लौड़ा। पता नहीं कितनी देर से सोया हुआ था कि तभी अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे कोई अपुन के चेहरे पर झुका हुआ है और हौले हौले अपुन के होठ चूम रेला है?

अपुन को गर्मी का एहसास हो रेला था। पूरे जिस्म में रोमांच की लहरें उठ रेलीं थी। अचानक अपुन नींद के आगोश से बाहर आ गया। आँखें हल्के से खुलीं तो कुछ समझ न आया। बोले तो धुंधला सा दिखा अपुन को।

अपुन ने दिमाग पर ज़ोर डाला तो याद आया कि अपुन अपने रूम में बेड पर सोया था लेकिन उस टाइम रूम में लाइट जल रेली थी। जबकि इस वक्त नीम अंधेरा था। तभी अपुन चौंक उठा।

अपुन के ऊपर झुके हुए व्यक्ति ने फिर से अपुन के होठों पर चूमा था। उसकी गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किएला था। पलक झपकते ही ये सोच कर अपुन के रोंगटे खड़े हो गए कि बेटीचोद कौन है जो इस तरह नीम अंधेरे में अपुन की इज्जत लूट रेला है?

अगले ही पल अपुन ने हड़बड़ा कर अपने दोनों हाथ से उस झुके हुए इंसान को पकड़ कर खुद से दूर किया। अपुन के ऐसा करते ही वो इंसान बुरी तरह गड़बड़ा गया लौड़ा। इधर अपुन झट से उठ बैठा।

नीम अंधेरे में अब अपुन को थोड़ा अच्छे से दिखने लगा था इस लिए जब अपुन ने अच्छे से देखा तो पता चला कि अपुन के होठों को चूमने वाला कोई और नहीं बल्कि अपुन की जुड़वा बहन विधी थी। उधर अपुन को इस तरह उठ गया देख पहले तो वो गड़बड़ा ही गईली थी लेकिन फिर नॉर्मल हो गई।

अपुन ─ ये तू है? और....और ये क्या रेली थी अपुन के साथ?

विधी ─ वो...वो मैं न अपने बॉय फ्रेंड को किस कर रही थी। सॉरी...अगर तुझे इससे बुरा लगा हो तो।

अपुन ने अपनी तेज चलती धड़कनों को नियंत्रित किया और सबसे पहले रूम के दरवाज़े को देखा। दरवाजा अंदर से बंद था। फिर अपुन ने मोबाइल में टाइम देखा। रात के एक बज रेले थे। ये देख अपुन ये सोच के हैरान हुआ कि लौड़ा कितना जल्दी एक बज गयला है और इतना ही नहीं विधी इतनी रात को अपुन के रूम में अपुन को किस कर रेली थी।

अपुन ने देखा वो थोड़ी घबराई हुई बेड के किनारे पर बैठ गईली थी और अपलक अपुन को ही देखे जा रेली थी। अपुन ने सिचुएशन को समझा और फिर उसकी तरफ देखते हुए बोला।

अपुन ─ तू इतनी रात को ये करने यहां आईली थी? क्या तुझे अंदाजा नहीं है कि दिव्या ने शायद अपन लोग की बातें सुन ली हैं?

विधी ─ उसकी टेंशन मत ले। मैंने उसे सब समझा दिया है।

अपुन (शॉक) ─ क्या मतलब???

विधी ─ वो...जब तू शाम को अपने रूम में स्टडी कर रहा था न तब वो मेरे रूम में आई थी और फिर पूछें लगी थी कि तू और मैं उस टाइम रूम के अंदर ये कैसी बातें कर रहे थे? पहले तो उसकी ये बात सुन कर मैं बहुत डर गई थी लेकिन फिर उसे कसम दे कर कहा कि वो इस बारे में किसी को न बताए तो बताऊंगी। फिर जब उसने कसम खा ली तब मैंने उसे बता दिया कि हम दोनों ने एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बना लिया है।

सच तो ये था लौड़ा कि विधी क्या बोले जा रेली थी वो सब अब अपुन के सिर के ऊपर से जा रेला था। मतलब कि अपुन इतना ज्यादा शॉक हो गयला था कि बेटीचोद दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था। अपुन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसने इतनी आसानी से दिव्या को सब कुछ बता दिया है।

अपुन ─ माय गॉड तूने दिव्या को सब कुछ बता दिया?

विधी ─ मैं क्या करती भाई? उसके पूछने पर मैं अंदर से इतना डर गई थी कि लगा अगर उसे सच सच नहीं बताया तो जाने वो क्या क्या सोच बैठेगी और फिर कहीं वो घर में किसी को बता न दे। इस लिए पहले उसे कसम दी फिर सब सच सच बता दिया।

अपुन समझ गया कि इसी लिए दिव्या जब अपुन को डिनर के लिए बुलाने आईली थी तब वो नॉर्मल थी। पर लौड़ा उसे इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए था।

अपुन ─ तो फिर क्या कहा उसने? मतलब कि जब उसे ये सब पता चला तब क्या बोली वो तुझसे?

विधी ─ पहले तो वो बहुत शॉक हुई थी फिर मैंने उसे समझाया कि हम दोनों बस नॉर्मली किस करने को बोल रहे थे क्योंकि अब हम न्यू रिलेशन में हैं, हां नहीं तो।

अपुन ─ फिर क्या बोली वो?

विधी ─ पूछ रही थी कि क्या भाई बहन आपस में ऐसा रिलेशन रख सकते हैं तो मैंने कहा कि रख सकते हैं लेकिन हमारे बीच एक लिमिट रहेगी। मतलब कि हम इस रिलेशन में सिर्फ किस कर सकते हैं बाकी कुछ नहीं।

अपुन ─ फिर क्या कहा उसने?

विधी ─ और तो कुछ नहीं कहा लेकिन हां उसने ये जरूर पूछा कि मैं तुम्हें किस तरह किस करने को बोल रही थी?

अपुन ─ मतलब??

विधी ─ अरे! उसका मतलब ये था कि क्या मैं तुम्हें अपने होठों पर किस करने को कह रही थी तो मैंने उसे बताया कि हम लोग भाई बहन हैं इस लिए होठों पर किस नहीं कर सकते। मतलब कि मैं तुम्हें चिक पर किस करने को कह रही थी। मेरी ये बात सुन कर वो हंसने लगी थी।

अपुन ─ क्यों? आई मीन वो हंसने क्यों लग गईली थी?

विधी ─ चिक पर किस करने की बात सुन कर हंसी थी वो। फिर मजाक में बोलने लगी कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के रिलेशन में किस चिक पर नहीं लिप पर की जाती है। उसकी बात सुन कर मैंने उससे कहा कि पागल है क्या तो कहने लगी कि चिक पर किस तो कोई भी कर सकता है। मतलब कि उसके लिए गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होना जरूरी नहीं है लेकिन अगर हम गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाला रिलेशन रखते हैं तो इसमें लिप पर ही किस करना चाहिए। और पता है तुझे, कह रही थी कि अगर वो तेरी गर्लफ्रेंड होती तो वो तुझे अपने होठों पर ही किस करने को कहती। झल्ली कहीं की, हां नहीं तो।

बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गयला था? मतलब कि दिव्या इतना कुछ विधी से बोल रेली थी। अपुन का दिमाग तो सुन के ही हैंग होने लग गयला था लौड़ा।

अपुन ─ फिर तूने क्या कहा उससे?

विधी ─ मैंने कह दिया कि नहीं लिप पर किस करना गलत है। एक्चुअली भाई...मैंने उससे ये नहीं कहा कि हम दोनों लिप पर ही किस करने की बात कर रहे थे। मुझे लगा अगर मैं उसे ये बताऊंगी तो वो कहीं हमारे कैरेक्टर को गंदा न कहने लगे, हां नहीं तो।

अपुन ─ ये बहुत अच्छा किया तूने जो उससे ऐसा कहा।

विधी अपुन की ये बात सुन कर एकदम खुश हो गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। फिर उसी खुशी से इतराते हुए बोली।

विधी ─ देखा न भाई, कितनी समझदारी से मैंने उस चुहिया दिव्या को हैंडल कर लिया। तू बेकार ही टेंशन ले रहा था, हां नहीं तो।

अपुन उसकी ये बात सुन कर मन ही मन ये सोच के हंस पड़ा कि लौड़ी इतने में ही खुद को स्मार्ट समझने लगी। खैर अपुन जानता था कि वो अभी कितनी मासूम और भोली थी।

अपुन ─ ज्यादा उड़ मत और खुद को इतना तीसमार खां न समझ। तुझे एक बात अच्छी तरह समझनी है कि इस बारे में तुझे बहुत ज्यादा सतर्क रहना होगा और दिव्या को भूल कर भी इस बारे में कुछ नहीं बताना है।

विधी ─ अरे! तू बेकार में ही उसकी टेंशन ले रहा है भाई। मैंने उसे समझा दिया है। देखना वो किसी से कुछ नहीं बताएगी। पता है, मैंने उसे कसम दी है, हां नहीं तो।

अपुन ─ हां ठीक है लेकिन फिर भी सतर्क रहना जरूरी है कि नहीं? भले ही तूने उसे कसम दी है लेकिन किसी दिन कसम को भूल कर उसने किसी से इस बारे में बता ही दिया तो? सोच तब क्या होगा? तुझे तो शायद ज्यादा कोई कुछ नहीं कहेगा लेकिन अपुन का इस घर से बोरिया बिस्तर निकाल दिया जाएगा। इतना ही नहीं मॉम डैड अपुन से हर रिश्ता तोड़ कर अपुन को घर से निकाल देंगे।

विधी अपुन की ये बात सुन कर अंदर तक कांप गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा टेंशन से भर गया।

विधी ─ क्या तू सच कह रहा है भाई? मतलब क्या सच में इतनी बड़ी गड़बड़ हो जाएगी?

अपुन ─ हां मेरी जान। इसी लिए कह रेला है अपुन कि आज के बाद इस बारे में दिव्या को ही नहीं बल्कि किसी को भी कुछ मत बताना।

विधी ─ तेरी कसम भाई। आज के बाद किसी को नहीं बताऊंगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ ठीक है। चल अब तू अपने रूम में जा और सो जा।

विधी ─ भाई क्या मैं तेरे साथ बेड पर सो जाऊं?

अपुन ─ नहीं, तू अपने रूम में ही जा के सो। अभी कुछ दिन तेरा अपुन के रूम में सोना ठीक नहीं है। दिव्या तुझसे भले ही छोटी है लेकिन वो तेरी तरह मासूम और भोली नहीं है। बोले तो बड़ी चालू है वो। अगर उसने तुझे अपुन के रूम में सोते देख लिया तो फौरन समझ जाएगी कि अपन लोग ने आपस में कुछ गड़बड़ किया होगा।

विधी (आश्चर्य से आंखें फाड़ कर) ─ क्या सच में वो चुहिया इतनी चालू है भाई?

अपुन ─ हां, इसी लिए तो बोल रेला है अपुन कि तू अपने रूम में जा। चल अब देर मत कर। वैसे भी रात बहुत ज्यादा हो गईली है।

विधी बेमन से बेड पर से उठ गई। उसका चेहरा एकदम से उतर गयला था। अपुन समझ गया कि उसका अपुन के रूम से जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। बस, मजबूरी के चलते ही जाने को तैयार हो गईली थी। फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदले।

विधी ─ भाई प्लीज यहीं सो जाने दे न। मैं मॉर्निंग में छह बजने से पहले ही यहां से चली जाऊंगी तो दिव्या को पता ही नहीं चलेगा, हां नहीं तो।

अपुन ने सोचा बात तो ठीक है। मतलब कि ऐसा बिल्कुल हो सकता है। वैसे भी वो इतना जोर दे रेली थी और इसी में उसकी खुशी भी थी तो अपुन ने भी इस बार उसे मजबूर नहीं किया।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। चल आ जा और हां, सिर्फ सोना ही। वैसे भी रात के सवा एक बज गएले हैं।

विधी ये सुन के खुशी से उछलने ही लगी लौड़ी। फिर एकदम से उसे सिचुएशन का खयाल आया तो पलक झपकते ही भीगी बिल्ली बन गई और चुपचाप आ कर बेड पर अपुन के बगल से लेट गई। इधर अपुन ने पास ही टेबल लैंप पर रखी अलार्म क्लॉक को उठा कर उसमें पांच बजे का अलार्म सेट कर दिया। असल में अपुन सच में नहीं चाहता था कि किसी बात का पतंगड़ बन जाए लौड़ा।

विधी (धीरे से) ─ भाई सुन न।

अपुन ─ अब सो जा न यार।

विधी ─ मुझे न तेरे से चिपक के सोना है। क्या मैं तुझसे चिपक जाऊं, प्लीज प्लीज।

उसके मुख से चिपक के सोने वाली बात सुन कर अपुन के पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई लौड़ा। शांत मन में एकदम से तरह तरह के खयालों का बवंडर चल पड़ा। लड़की के नाजुक बदन का एहसास अच्छी तरह पा चुका था अपुन, साधना के रूप में। इस लिए पलक झपकते ही अपुन के अंदर भी उससे चिपकने की इच्छा जाग उठी।

अपुन ─ अच्छा ठीक है लेकिन उसके बाद सो जाएगी न?

विधी ये सुनते ही खुशी से मुस्कुराते हुए झट से अपुन की तरफ खिसक आई और फिर सचमुच अपुन से किसी जोंक की तरह चिपक गई।

विधी ─ हां अब अच्छे से नींद आएगी भाई। तू न सच में मेरी जान है, हां नहीं तो।

अपुन उसकी बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। इधर उसके नाजुक बदन का स्पर्श होते ही अपुन के समूचे जिस्म में करेंट दौड़ने लगा। अजीब सी सनसनी होने लगी। अपुन के लाख रोकने के बाद भी वो सनसनी दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को जगा बैठी बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयालों का जो बवंडर उठा था वो और भी तेजी से जैसे हिलोरे मारने लगा लौड़ा।

अपुन बेड पर सीधा लेटा हुआ था। अपुन के जिस्म में इस वक्त ऊपर एक बनियान था और नीचे हॉफ लोवर। इधर विधी ने एक टी शर्ट और ढीला सा सलवार पहन रखा था। वो अपुन की तरफ करवट ले कर बिल्कुल अपुन से चिपक गईली थी। बोले तो उसका एक बूब अपुन की लेफ्ट छाती में छू नहीं रेला था बल्कि पूरा दब रेला था। एक हाथ को उसने अपने सिर के नीचे तकिया सा बना कर रखा हुआ था जबकि दूसरे हाथ को अपुन के सीने में रख दिया था।

अभी अपुन उसके नाजुक जिस्म के स्पर्श में ही खोया था कि अचानक वो उठ गई तो अपुन को समझ न आया कि अब क्या हुआ इसे? अपुन उससे पूछने ही वाला था कि तभी उसने अपुन के लेफ्ट हैंड को पकड़ा और उसे तकिए की शक्ल बना कर अपने सिर के नीचे रख दिया और फिर से वैसे ही लेट गई। हालांकि इस बार थोड़ा अंतर था। मतलब कि अपुन का लेफ्ट हैंड भले ही उसके लिए तकिया बन गयला था लेकिन उसका सिर एकदम से अपुन के गले और सीने के बीच आ गयला था। खुद को उसने ऐसे एडजस्ट किया कि अब वो लगभग आधा अपुन के ऊपर ही लेट गईली थी।

इस बार उसके दोनों बूब्स अपुन के सीने से बस थोड़ा सा ही नीचे दब रेले थे। अपुन के जिस्म में एक बार फिर से सनसनी दौड़ गई और मस्त कर देने वाली झुरझुरी दौड़ते हुए सीधा लन्ड को छू गई जिससे अपुन के लंड ने एक झटका मारा।

कुछ ही देर में अपुन की हालत अजीब सी होने लगी लौड़ा। बोले तो अब नींद आने का सवाल ही नहीं रह गया था। अपुन का मन इतना ज्यादा विचलित हो गयला था कि बार बार उसके नाजुक जिस्म के लम्स को और साथ ही उसकी अधपकी आम जैसी छातियों पर ही जा रेला था। बात अगर सिर्फ इतनी ही होती तो शायद अपुन सम्हाल भी लेता खुद को लेकिन तभी एक और गजब काम कर दिया उसने।

उसने अपनी एक टांग उठाई और अपुन के जांघ पर रख दी। रखते समय उसका घुटना अपुन के लन्ड को रगड़ गयला था जिसके चलते अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं।

एक तरफ अपुन का मन जाने क्या क्या सोचने पर उतारू था और दूसरी तरफ अपुन एक भाई होने के नाते इस सबको रोकना भी चाहता था। बेटीचोद हर गुजरते पल के साथ अपुन के अंदर गर्मी सी भरती जा रेली थी। अपुन से जब न रहा गया तो अपुन ने धीरे से कहा।

अपुन ─ अच्छे से लेट जा न यार।

विधी ने हौले से सिर उठा कर अपुन की तरफ देखा। नीम अंधेरे में भी उसके गुलाबी होठ अपुन को स्पष्ट दिख रेले थे। वो इतने करीब थे कि अपुन की धड़कनें और भी तेज हो गईं लौड़ा। विधी की गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किया। तभी वो धीरे से ही बोली।

विधी ─ मुझे तो अच्छा लग रहा है भाई। क्या तुझे कोई प्रॉब्लम है?

अपुन ─ हां, तू अपुन से ऐसे चिपकी है कि इस तरह तो अपुन को नींद आ ही नहीं सकती।

विधी ─ पर मुझे तो आ जाएगी भाई। तुझे क्यों नहीं आ सकती?

अपुन उसे अब कैसे बताता या ये कहें कि कैसे समझाता कि अपुन को नींद क्यों नहीं आ सकती लौड़ा? पर कुछ तो जवाब देना ही था उसे इस लिए बोला।

अपुन ─ क्योंकि अपुन को किसी से चिपक के सोने की आदत नहीं है। इस वक्त तू अपुन से ऐसे चिपकी है तो अपुन बहुत ज्यादा अनकंफर्टेबल फील कर रेला है। प्लीज ट्राय टू अंडरस्टैंड।

विधी ये सुन कर अपुन को अपलक देखने लगी। शायद वो समझने की कोशिश कर रेली थी कि अपुन के कहने का क्या मतलब है?

विधी ─ पर भाई मुझे तो कुछ भी अनकंफर्टेबल नहीं फील हो रहा।

अपुन ─ वो इस लिए क्योंकि तू अपुन के ऊपर है, अपुन तेरे ऊपर नहीं है।

विधी ─ ओह! तो ये बात है। चल तू ही मेरे ऊपर आ जा।

अपुन ─ पागल है क्या तू? तुझे लगता है कि तू अपुन का भार सह लेगी?

विधी ─ अपनी जान के लिए सह लूंगी, हां नहीं तो।

कहने के साथ ही विधी अपुन से अलग हुई और सीधा लेट गई। उसकी ये हरकत देख अपुन मन ही मन बड़ा हैरान हुआ। ये भी सोचने लेगा कि क्या उसने ऐसा स्वाभाविक रूप से कहा था या उसके मन में भी अपुन के जैसे कुछ चल रेला है?

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy :declare:
Nice update....
 

parkas

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Update ~ 15



विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।



अब आगे....


अभी अपुन मूड में ही आया था कि तभी किसी ने दरवाजे को खटखटाया जिससे अपन दोनों ही चौंक कर थोड़ा दूर हो गए। ये सोच कर थोड़ा घबरा भी गए कि कहीं किसी ने हमारी बातें तो न सुन ली होंगी? अगर ऐसा हुआ तो गजब ही हो जाएगा लौड़ा।

खैर अपुन ने जा कर दरवाजा खोला तो देखा बाहर दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली। हालांकि उसके चेहरे के भाव देख अपुन मन ही मन झटका सा खा गया लौड़ा। बोले तो अपुन को ऐसा लगा जैसे उसने अपन लोग की बातें सुन ली हैं। बड़े अजीब से भाव लिए वो अपुन को देखे जा रेली थी।

अपुन ─ क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रेली है अपुन को?

दिव्या अपुन की ये बात सुन हड़बड़ाई फिर जल्दी से खुद को सम्हालते हुए मुस्कुरा कर बोली।

दिव्या ─ वो...वो मैं आपको चाय पीने के लिए कहने आई थी। विधी दी के रूम में गई तो वो वहां नहीं थीं। क्या वो आपके रूम में हैं?

इससे पहले कि अपुन कोई जवाब देता वो झट से रूम में आ गई। इधर अपुन ये सोचने में लग गयला था कि क्या सच में उसने अपन लोग की बातें सुन ली होंगी? बोले तो एकदम से ही टेंशन में आ गयला था अपुन। उधर विधी को देखते ही दिव्या उससे बोली।

दिव्या ─ अरे! दी आप यहां हो? मैं आपके रूम में गई थी।

विधी ने अब तक खुद को अच्छे से सम्हाल लिया था और नॉर्मल ही दिख रेली थी।

विधी ─ हां वो मैं भाई को चाय पीने का बोलने आई थी। ये थोड़ा मुझसे नाराज था इस लिए इसे मनाने में टाइम लग गया। तू चल हम आ रहे हैं।

दिव्या ने कुछ पलों तक उसे गौर से देखा और फिर पलट कर अपुन को एक नज़र देखने के बाद रूम से चली गई। कहने की जरूरत नहीं कि अपन दोनों ने ही राहत की सांस ली। हालांकि अपुन ये सोच के थोड़ा टेंशन में था कि कहीं दिव्या ने बाहर से अपन लोग की बातें न सुन ली हों। उसका इस तरह से बर्ताव करना भी यही जाहिर कर रेला था।

विधी ─ क्या हुआ भाई? तू अचानक से टेंशन में क्यों दिखने लगा है?

अपुन ─ यार मुझे लगता है कि दिव्या ने अपन लोग की बातें सुन ली हैं।

विधी ये सुन कर बुरी तरह घबरा गई। पलक झपकते ही उसका नॉर्मल चेहरा टेंशन से घिर गया लौड़ा। अपुन ने आगे बढ़ कर उसे कंधों से पकड़ा और फिर कहा।

अपुन ─ टेंशन मत ले और हां, तू उसके सामने बिल्कुल नॉर्मल ही रहना। अगर वो तुझसे इस बारे में कुछ पूछे तो नॉर्मली ही कोई जवाब दे देना, ओके?

विधी ─ भाई ये नहीं होना चाहिए था। अगर सच में उसने सब सुन लिया होगा तो क्या सोच रही होगी वो हम दोनों के बारे में। ओह! माय गॉड पता नहीं अब क्या होगा?

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तू बस खुद को नॉर्मल रख। सब कुछ अपुन पर छोड़ दे। अपुन सब सम्हाल लेगा, ओके?

विधी टेंशन से अपुन को देखे जा रेली थी। आखिर अपुन के समझाने पर वो थोड़ी नॉर्मल हुई लेकिन पूरी तरह नहीं। उसके बाद अपन दोनों रूम से निकल कर नीचे आ गए।

नीचे ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर दिव्या और साक्षी दी बैठी टीवी देख रेलीं थी जबकि सीमा किचेन में थी। अपन दोनों को आते देख साक्षी दी ने सीमा को आवाज दे कर बोल दिया कि अपन दोनों के लिए चाय ले आए।

अपुन ने देखा कि साक्षी दी एकदम नॉर्मल थीं लेकिन अपुन की तरफ सिर्फ एक बार देखने के बाद उन्होंने अपनी नजरें टीवी पर जमा दी थीं। उधर दिव्या एक बार फिर अपन दोनों को ध्यान से देखने लग गईली थी।

अपुन ने बेशक विधी को नॉर्मल रहने को बोला था लेकिन दिव्या जब अपन दोनों को इस तरह ध्यान से देखने लगी तो बेटीचोद पलक झपकते ही अपुन को टेंशन होने लगी लौड़ा। बड़ी मुश्किल से अपुन ने खुद को नॉर्मल किया और जा कर एक सोफे पर बैठ गया। विधी भी अपुन के साथ ही बैठ गई।

तभी सीमा ट्रे में अपन दोनों के लिए चाय ले कर आ गई। अपन दोनों ने चाय का एक एक कप उठा लिया और पीने लगे। टीवी जरूर चल रेली थी लेकिन अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसे देखने में इस वक्त किसी की भी दिलचस्पी नहीं थी।

साक्षी दी भले ही नॉर्मल शो करते हुए टीवी पर नजरें जमाए थीं लेकिन अपुन अच्छी तरह जानता था कि उनके मन में अपुन और अपुन की बातें ही गूंज रेली होंगी। वहीं दिव्या के मन में भी कुछ न कुछ चल रेला होगा और इधर विधी पक्का अंदर से बेहद घबराई हुई होगी।

खैर ऐसे ही हम सब की चाय खत्म हुई। किसी ने किसी से कोई बात नहीं की थी। चाय खत्म कर के अपुन उठा और वापस अपने रूम में आ गया।

मन बहलाने के लिए अपुन ने मोबाइल खोला तो देखा उसमें साधना और अनुष्का के मैसेज पड़े थे। साधना ने अपने मैसेज में लिखा था कि आज उसे अपुन के साथ इस तरह वक्त बिता कर बहुत अच्छा लगा है। काश! ऐसा वक्त बिताने का हर रोज मौक मिले। अपुन ने रिप्लाई में उससे कह दिया कि अपन लोग को थोड़ा सम्हल कर रहना होगा और सबसे बड़ी बात इस सबके चलते अपुन नहीं चाहता कि अपुन की पढ़ाई पर बुरा असर हो। इस लिए वो भी समझे इस बात को।

अनुष्का ने मैसेज में लिखा था कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि वो ऐसा क्या करे जिससे अपुन उसके पास आने के लिए मजबूर हो जाए। अपुन ने उसे सिर्फ इतना ही लिख के भेजा कि─ सोचती रहो।

उसके बाद अपुन ने मोबाइल साइड पर रखा और पढ़ाई करने के लिए किताबें खोल ली। देर से ही सही पर अपुन का मन पढ़ाई में लग गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि अपुन को वक्त के गुजरने का पता ही नहीं चला लौड़ा।

जब डिनर का टाइम हुआ तो दिव्या अपुन को बुलाने आई। अपुन ने गौर किया कि अब वो नॉर्मल थी और अपुन को अजीब तरह से नहीं देख रेली थी। अपुन को इस बात से थोड़ी हैरानी हुई पर अपुन ने कहा कुछ नहीं।

उसके जाने के बाद अपुन भी थोड़ी देर में डिनर करने के लिए नीचे आ गया। डायनिंग टेबल पर एक तरफ साक्षी दी और दिव्या बैठी हुईं थी और दूसरी तरफ अपुन के बगल से विधी कुर्सी पर बैठेली थी।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आप मुझे फिजिक्स का वो चैप्टर एक बार फिर से बता देना। पता नहीं क्यों वो मेरे दिमाग में बैठ ही नहीं रहा।

दिव्या की इस बात से लगभग सबने ही उसकी तरफ देखा। हालांकि इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन इस वक्त इस लिए भी थी क्योंकि सबके बीच खामोशी थी। आम तौर पर डिनर के टाइम दिव्या या विधी कुछ न कुछ बोलती ही रहती थीं जबकि आज सन्नाटा छाया था लौड़ा। यही वजह थी कि जब दिव्या ने अपुन से ये कहा तो सबने उसकी तरफ देखा था।

अपुन ─ ठीक है कल बता दूंगा।

दिव्या ─ कल क्यों भैया, आज क्यों नहीं? डिनर के बाद मैं आपके रूम में आ जाऊंगी तब आप मुझे समझा देना।

अपुन ─ न आज नहीं। थोड़ी थकान है आज इस लिए डिनर के बाद सिर्फ सोऊंगा मैं।

अपुन के मुख से शुद्ध हिन्दी में और सभ्य तरीके में शब्द निकलते देख दिव्या और विधी दोनों को ही हैरानी हुई। विधी ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन दिव्या पूछ बैठी।

दिव्या (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! क्या बात है भैया, इस वक्त आप अपनी फेवरेट टपोरी भाषा में बात नहीं कर रहे?

उसकी ये बात सुन अपुन को थोड़ा धक्का सा लगा। अपुन ने झट से साक्षी दी की तरफ देखा। इत्तेफाक से उन्होंने भी अपुन को देखा। हालांकि जल्दी ही उन्होंने अपुन से नजरें हटा कर डिनर करना जारी रखा। इधर अपुन ने दिव्या को जवाब दिया।

अपुन ─ हां वो मैं कोशिश कर रहा हूं कि हर किसी की तरह सभ्य भाषा में ही बात करूं।

दिव्या ─ पर भैया, टपोरी भाषा तो आपकी फेवरेट है न?

अपुन ─ इस दुनिया में मेरा फेवरेट सिर्फ एक ही इंसान है दिव्या। उस इंसान के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। मतलब कि किसी को भी छोड़ सकता हूं और किसी भी चीज़ का त्याग कर सकता हूं।

अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी का डिनर करना रुक गया और वो अपुन को अजीब भाव से देखने लगीं। चेहरे पर सख्त भाव उभर आए थे लेकिन अपुन को घंटा परवाह नहीं थी। तभी दिव्या ने कहा।

दिव्या ─ वाह! भैया क्या बात है। वैसे ऐसा वो कौन इंसान है, मुझे भी बताइए न।

दिव्या की ये बात सुन साक्षी दी थोड़ा घबराई सी नजर आईं। शायद वो ये सोच बैठी थीं कि कहीं अपुन दिव्या को बता न दे कि वो इंसान वो ही हैं। इधर अपुन ने एक नज़र उनकी तरफ देखा और फिर कहा।

अपुन ─ ऐसे खास इंसान के बारे में बता कर उसे रुसवा नहीं किया जाता दिव्या। इस लिए उसके बारे में नहीं बता सकता। चल अब चुपचाप डिनर कर।

साक्षी दी ने राहत की सांस तो ली लेकिन उनके चेहरे पर बहुत ही गंभीर और बेचैनी जैसे भाव आ गएले थे। इधर दिव्या थोड़ी मायूस हुई और चुपचाप डिनर करने लगी। इसके बाद कोई बात नहीं हुई।

डिनर के बाद सब अपने अपने रूम में चले गए। अपुन के मन में यही चल रेला था कि साक्षी दी सच में अपुन की वजह से परेशान हो चुकी हैं। बोले तो ये ऐसी बात थी जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। कल्पना तो अपुन ने भी नहीं की थी लेकिन उनके प्रति ये जो आकर्षण था उससे दूर भी नहीं भाग सकता था अपुन।

लौड़ा समझ में नहीं आ रेला था कि अचानक से अपुन को ये क्या हो गयला है? मतलब कि साक्षी दी अपुन को सबसे अच्छी तो लगतीं थी लेकिन इसके लिए उनसे ये सब कह देने का अपुन ने सोचा तक नहीं था। दूसरी बात, जब से अपुन ने साधना के साथ चुदाई की थी तब से अपुन के मन में अजीब सी सोच भर गईली थी।

यही सब सोचते हुए पता नहीं कब अपुन की आंख लग गई लौड़ा। पता नहीं कितनी देर से सोया हुआ था कि तभी अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे कोई अपुन के चेहरे पर झुका हुआ है और हौले हौले अपुन के होठ चूम रेला है?

अपुन को गर्मी का एहसास हो रेला था। पूरे जिस्म में रोमांच की लहरें उठ रेलीं थी। अचानक अपुन नींद के आगोश से बाहर आ गया। आँखें हल्के से खुलीं तो कुछ समझ न आया। बोले तो धुंधला सा दिखा अपुन को।

अपुन ने दिमाग पर ज़ोर डाला तो याद आया कि अपुन अपने रूम में बेड पर सोया था लेकिन उस टाइम रूम में लाइट जल रेली थी। जबकि इस वक्त नीम अंधेरा था। तभी अपुन चौंक उठा।

अपुन के ऊपर झुके हुए व्यक्ति ने फिर से अपुन के होठों पर चूमा था। उसकी गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किएला था। पलक झपकते ही ये सोच कर अपुन के रोंगटे खड़े हो गए कि बेटीचोद कौन है जो इस तरह नीम अंधेरे में अपुन की इज्जत लूट रेला है?

अगले ही पल अपुन ने हड़बड़ा कर अपने दोनों हाथ से उस झुके हुए इंसान को पकड़ कर खुद से दूर किया। अपुन के ऐसा करते ही वो इंसान बुरी तरह गड़बड़ा गया लौड़ा। इधर अपुन झट से उठ बैठा।

नीम अंधेरे में अब अपुन को थोड़ा अच्छे से दिखने लगा था इस लिए जब अपुन ने अच्छे से देखा तो पता चला कि अपुन के होठों को चूमने वाला कोई और नहीं बल्कि अपुन की जुड़वा बहन विधी थी। उधर अपुन को इस तरह उठ गया देख पहले तो वो गड़बड़ा ही गईली थी लेकिन फिर नॉर्मल हो गई।

अपुन ─ ये तू है? और....और ये क्या रेली थी अपुन के साथ?

विधी ─ वो...वो मैं न अपने बॉय फ्रेंड को किस कर रही थी। सॉरी...अगर तुझे इससे बुरा लगा हो तो।

अपुन ने अपनी तेज चलती धड़कनों को नियंत्रित किया और सबसे पहले रूम के दरवाज़े को देखा। दरवाजा अंदर से बंद था। फिर अपुन ने मोबाइल में टाइम देखा। रात के एक बज रेले थे। ये देख अपुन ये सोच के हैरान हुआ कि लौड़ा कितना जल्दी एक बज गयला है और इतना ही नहीं विधी इतनी रात को अपुन के रूम में अपुन को किस कर रेली थी।

अपुन ने देखा वो थोड़ी घबराई हुई बेड के किनारे पर बैठ गईली थी और अपलक अपुन को ही देखे जा रेली थी। अपुन ने सिचुएशन को समझा और फिर उसकी तरफ देखते हुए बोला।

अपुन ─ तू इतनी रात को ये करने यहां आईली थी? क्या तुझे अंदाजा नहीं है कि दिव्या ने शायद अपन लोग की बातें सुन ली हैं?

विधी ─ उसकी टेंशन मत ले। मैंने उसे सब समझा दिया है।

अपुन (शॉक) ─ क्या मतलब???

विधी ─ वो...जब तू शाम को अपने रूम में स्टडी कर रहा था न तब वो मेरे रूम में आई थी और फिर पूछें लगी थी कि तू और मैं उस टाइम रूम के अंदर ये कैसी बातें कर रहे थे? पहले तो उसकी ये बात सुन कर मैं बहुत डर गई थी लेकिन फिर उसे कसम दे कर कहा कि वो इस बारे में किसी को न बताए तो बताऊंगी। फिर जब उसने कसम खा ली तब मैंने उसे बता दिया कि हम दोनों ने एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बना लिया है।

सच तो ये था लौड़ा कि विधी क्या बोले जा रेली थी वो सब अब अपुन के सिर के ऊपर से जा रेला था। मतलब कि अपुन इतना ज्यादा शॉक हो गयला था कि बेटीचोद दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था। अपुन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसने इतनी आसानी से दिव्या को सब कुछ बता दिया है।

अपुन ─ माय गॉड तूने दिव्या को सब कुछ बता दिया?

विधी ─ मैं क्या करती भाई? उसके पूछने पर मैं अंदर से इतना डर गई थी कि लगा अगर उसे सच सच नहीं बताया तो जाने वो क्या क्या सोच बैठेगी और फिर कहीं वो घर में किसी को बता न दे। इस लिए पहले उसे कसम दी फिर सब सच सच बता दिया।

अपुन समझ गया कि इसी लिए दिव्या जब अपुन को डिनर के लिए बुलाने आईली थी तब वो नॉर्मल थी। पर लौड़ा उसे इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए था।

अपुन ─ तो फिर क्या कहा उसने? मतलब कि जब उसे ये सब पता चला तब क्या बोली वो तुझसे?

विधी ─ पहले तो वो बहुत शॉक हुई थी फिर मैंने उसे समझाया कि हम दोनों बस नॉर्मली किस करने को बोल रहे थे क्योंकि अब हम न्यू रिलेशन में हैं, हां नहीं तो।

अपुन ─ फिर क्या बोली वो?

विधी ─ पूछ रही थी कि क्या भाई बहन आपस में ऐसा रिलेशन रख सकते हैं तो मैंने कहा कि रख सकते हैं लेकिन हमारे बीच एक लिमिट रहेगी। मतलब कि हम इस रिलेशन में सिर्फ किस कर सकते हैं बाकी कुछ नहीं।

अपुन ─ फिर क्या कहा उसने?

विधी ─ और तो कुछ नहीं कहा लेकिन हां उसने ये जरूर पूछा कि मैं तुम्हें किस तरह किस करने को बोल रही थी?

अपुन ─ मतलब??

विधी ─ अरे! उसका मतलब ये था कि क्या मैं तुम्हें अपने होठों पर किस करने को कह रही थी तो मैंने उसे बताया कि हम लोग भाई बहन हैं इस लिए होठों पर किस नहीं कर सकते। मतलब कि मैं तुम्हें चिक पर किस करने को कह रही थी। मेरी ये बात सुन कर वो हंसने लगी थी।

अपुन ─ क्यों? आई मीन वो हंसने क्यों लग गईली थी?

विधी ─ चिक पर किस करने की बात सुन कर हंसी थी वो। फिर मजाक में बोलने लगी कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के रिलेशन में किस चिक पर नहीं लिप पर की जाती है। उसकी बात सुन कर मैंने उससे कहा कि पागल है क्या तो कहने लगी कि चिक पर किस तो कोई भी कर सकता है। मतलब कि उसके लिए गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होना जरूरी नहीं है लेकिन अगर हम गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाला रिलेशन रखते हैं तो इसमें लिप पर ही किस करना चाहिए। और पता है तुझे, कह रही थी कि अगर वो तेरी गर्लफ्रेंड होती तो वो तुझे अपने होठों पर ही किस करने को कहती। झल्ली कहीं की, हां नहीं तो।

बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गयला था? मतलब कि दिव्या इतना कुछ विधी से बोल रेली थी। अपुन का दिमाग तो सुन के ही हैंग होने लग गयला था लौड़ा।

अपुन ─ फिर तूने क्या कहा उससे?

विधी ─ मैंने कह दिया कि नहीं लिप पर किस करना गलत है। एक्चुअली भाई...मैंने उससे ये नहीं कहा कि हम दोनों लिप पर ही किस करने की बात कर रहे थे। मुझे लगा अगर मैं उसे ये बताऊंगी तो वो कहीं हमारे कैरेक्टर को गंदा न कहने लगे, हां नहीं तो।

अपुन ─ ये बहुत अच्छा किया तूने जो उससे ऐसा कहा।

विधी अपुन की ये बात सुन कर एकदम खुश हो गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। फिर उसी खुशी से इतराते हुए बोली।

विधी ─ देखा न भाई, कितनी समझदारी से मैंने उस चुहिया दिव्या को हैंडल कर लिया। तू बेकार ही टेंशन ले रहा था, हां नहीं तो।

अपुन उसकी ये बात सुन कर मन ही मन ये सोच के हंस पड़ा कि लौड़ी इतने में ही खुद को स्मार्ट समझने लगी। खैर अपुन जानता था कि वो अभी कितनी मासूम और भोली थी।

अपुन ─ ज्यादा उड़ मत और खुद को इतना तीसमार खां न समझ। तुझे एक बात अच्छी तरह समझनी है कि इस बारे में तुझे बहुत ज्यादा सतर्क रहना होगा और दिव्या को भूल कर भी इस बारे में कुछ नहीं बताना है।

विधी ─ अरे! तू बेकार में ही उसकी टेंशन ले रहा है भाई। मैंने उसे समझा दिया है। देखना वो किसी से कुछ नहीं बताएगी। पता है, मैंने उसे कसम दी है, हां नहीं तो।

अपुन ─ हां ठीक है लेकिन फिर भी सतर्क रहना जरूरी है कि नहीं? भले ही तूने उसे कसम दी है लेकिन किसी दिन कसम को भूल कर उसने किसी से इस बारे में बता ही दिया तो? सोच तब क्या होगा? तुझे तो शायद ज्यादा कोई कुछ नहीं कहेगा लेकिन अपुन का इस घर से बोरिया बिस्तर निकाल दिया जाएगा। इतना ही नहीं मॉम डैड अपुन से हर रिश्ता तोड़ कर अपुन को घर से निकाल देंगे।

विधी अपुन की ये बात सुन कर अंदर तक कांप गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा टेंशन से भर गया।

विधी ─ क्या तू सच कह रहा है भाई? मतलब क्या सच में इतनी बड़ी गड़बड़ हो जाएगी?

अपुन ─ हां मेरी जान। इसी लिए कह रेला है अपुन कि आज के बाद इस बारे में दिव्या को ही नहीं बल्कि किसी को भी कुछ मत बताना।

विधी ─ तेरी कसम भाई। आज के बाद किसी को नहीं बताऊंगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ ठीक है। चल अब तू अपने रूम में जा और सो जा।

विधी ─ भाई क्या मैं तेरे साथ बेड पर सो जाऊं?

अपुन ─ नहीं, तू अपने रूम में ही जा के सो। अभी कुछ दिन तेरा अपुन के रूम में सोना ठीक नहीं है। दिव्या तुझसे भले ही छोटी है लेकिन वो तेरी तरह मासूम और भोली नहीं है। बोले तो बड़ी चालू है वो। अगर उसने तुझे अपुन के रूम में सोते देख लिया तो फौरन समझ जाएगी कि अपन लोग ने आपस में कुछ गड़बड़ किया होगा।

विधी (आश्चर्य से आंखें फाड़ कर) ─ क्या सच में वो चुहिया इतनी चालू है भाई?

अपुन ─ हां, इसी लिए तो बोल रेला है अपुन कि तू अपने रूम में जा। चल अब देर मत कर। वैसे भी रात बहुत ज्यादा हो गईली है।

विधी बेमन से बेड पर से उठ गई। उसका चेहरा एकदम से उतर गयला था। अपुन समझ गया कि उसका अपुन के रूम से जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। बस, मजबूरी के चलते ही जाने को तैयार हो गईली थी। फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदले।

विधी ─ भाई प्लीज यहीं सो जाने दे न। मैं मॉर्निंग में छह बजने से पहले ही यहां से चली जाऊंगी तो दिव्या को पता ही नहीं चलेगा, हां नहीं तो।

अपुन ने सोचा बात तो ठीक है। मतलब कि ऐसा बिल्कुल हो सकता है। वैसे भी वो इतना जोर दे रेली थी और इसी में उसकी खुशी भी थी तो अपुन ने भी इस बार उसे मजबूर नहीं किया।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। चल आ जा और हां, सिर्फ सोना ही। वैसे भी रात के सवा एक बज गएले हैं।

विधी ये सुन के खुशी से उछलने ही लगी लौड़ी। फिर एकदम से उसे सिचुएशन का खयाल आया तो पलक झपकते ही भीगी बिल्ली बन गई और चुपचाप आ कर बेड पर अपुन के बगल से लेट गई। इधर अपुन ने पास ही टेबल लैंप पर रखी अलार्म क्लॉक को उठा कर उसमें पांच बजे का अलार्म सेट कर दिया। असल में अपुन सच में नहीं चाहता था कि किसी बात का पतंगड़ बन जाए लौड़ा।

विधी (धीरे से) ─ भाई सुन न।

अपुन ─ अब सो जा न यार।

विधी ─ मुझे न तेरे से चिपक के सोना है। क्या मैं तुझसे चिपक जाऊं, प्लीज प्लीज।

उसके मुख से चिपक के सोने वाली बात सुन कर अपुन के पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई लौड़ा। शांत मन में एकदम से तरह तरह के खयालों का बवंडर चल पड़ा। लड़की के नाजुक बदन का एहसास अच्छी तरह पा चुका था अपुन, साधना के रूप में। इस लिए पलक झपकते ही अपुन के अंदर भी उससे चिपकने की इच्छा जाग उठी।

अपुन ─ अच्छा ठीक है लेकिन उसके बाद सो जाएगी न?

विधी ये सुनते ही खुशी से मुस्कुराते हुए झट से अपुन की तरफ खिसक आई और फिर सचमुच अपुन से किसी जोंक की तरह चिपक गई।

विधी ─ हां अब अच्छे से नींद आएगी भाई। तू न सच में मेरी जान है, हां नहीं तो।

अपुन उसकी बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। इधर उसके नाजुक बदन का स्पर्श होते ही अपुन के समूचे जिस्म में करेंट दौड़ने लगा। अजीब सी सनसनी होने लगी। अपुन के लाख रोकने के बाद भी वो सनसनी दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को जगा बैठी बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयालों का जो बवंडर उठा था वो और भी तेजी से जैसे हिलोरे मारने लगा लौड़ा।

अपुन बेड पर सीधा लेटा हुआ था। अपुन के जिस्म में इस वक्त ऊपर एक बनियान था और नीचे हॉफ लोवर। इधर विधी ने एक टी शर्ट और ढीला सा सलवार पहन रखा था। वो अपुन की तरफ करवट ले कर बिल्कुल अपुन से चिपक गईली थी। बोले तो उसका एक बूब अपुन की लेफ्ट छाती में छू नहीं रेला था बल्कि पूरा दब रेला था। एक हाथ को उसने अपने सिर के नीचे तकिया सा बना कर रखा हुआ था जबकि दूसरे हाथ को अपुन के सीने में रख दिया था।

अभी अपुन उसके नाजुक जिस्म के स्पर्श में ही खोया था कि अचानक वो उठ गई तो अपुन को समझ न आया कि अब क्या हुआ इसे? अपुन उससे पूछने ही वाला था कि तभी उसने अपुन के लेफ्ट हैंड को पकड़ा और उसे तकिए की शक्ल बना कर अपने सिर के नीचे रख दिया और फिर से वैसे ही लेट गई। हालांकि इस बार थोड़ा अंतर था। मतलब कि अपुन का लेफ्ट हैंड भले ही उसके लिए तकिया बन गयला था लेकिन उसका सिर एकदम से अपुन के गले और सीने के बीच आ गयला था। खुद को उसने ऐसे एडजस्ट किया कि अब वो लगभग आधा अपुन के ऊपर ही लेट गईली थी।

इस बार उसके दोनों बूब्स अपुन के सीने से बस थोड़ा सा ही नीचे दब रेले थे। अपुन के जिस्म में एक बार फिर से सनसनी दौड़ गई और मस्त कर देने वाली झुरझुरी दौड़ते हुए सीधा लन्ड को छू गई जिससे अपुन के लंड ने एक झटका मारा।

कुछ ही देर में अपुन की हालत अजीब सी होने लगी लौड़ा। बोले तो अब नींद आने का सवाल ही नहीं रह गया था। अपुन का मन इतना ज्यादा विचलित हो गयला था कि बार बार उसके नाजुक जिस्म के लम्स को और साथ ही उसकी अधपकी आम जैसी छातियों पर ही जा रेला था। बात अगर सिर्फ इतनी ही होती तो शायद अपुन सम्हाल भी लेता खुद को लेकिन तभी एक और गजब काम कर दिया उसने।

उसने अपनी एक टांग उठाई और अपुन के जांघ पर रख दी। रखते समय उसका घुटना अपुन के लन्ड को रगड़ गयला था जिसके चलते अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं।

एक तरफ अपुन का मन जाने क्या क्या सोचने पर उतारू था और दूसरी तरफ अपुन एक भाई होने के नाते इस सबको रोकना भी चाहता था। बेटीचोद हर गुजरते पल के साथ अपुन के अंदर गर्मी सी भरती जा रेली थी। अपुन से जब न रहा गया तो अपुन ने धीरे से कहा।

अपुन ─ अच्छे से लेट जा न यार।

विधी ने हौले से सिर उठा कर अपुन की तरफ देखा। नीम अंधेरे में भी उसके गुलाबी होठ अपुन को स्पष्ट दिख रेले थे। वो इतने करीब थे कि अपुन की धड़कनें और भी तेज हो गईं लौड़ा। विधी की गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किया। तभी वो धीरे से ही बोली।

विधी ─ मुझे तो अच्छा लग रहा है भाई। क्या तुझे कोई प्रॉब्लम है?

अपुन ─ हां, तू अपुन से ऐसे चिपकी है कि इस तरह तो अपुन को नींद आ ही नहीं सकती।

विधी ─ पर मुझे तो आ जाएगी भाई। तुझे क्यों नहीं आ सकती?

अपुन उसे अब कैसे बताता या ये कहें कि कैसे समझाता कि अपुन को नींद क्यों नहीं आ सकती लौड़ा? पर कुछ तो जवाब देना ही था उसे इस लिए बोला।

अपुन ─ क्योंकि अपुन को किसी से चिपक के सोने की आदत नहीं है। इस वक्त तू अपुन से ऐसे चिपकी है तो अपुन बहुत ज्यादा अनकंफर्टेबल फील कर रेला है। प्लीज ट्राय टू अंडरस्टैंड।

विधी ये सुन कर अपुन को अपलक देखने लगी। शायद वो समझने की कोशिश कर रेली थी कि अपुन के कहने का क्या मतलब है?

विधी ─ पर भाई मुझे तो कुछ भी अनकंफर्टेबल नहीं फील हो रहा।

अपुन ─ वो इस लिए क्योंकि तू अपुन के ऊपर है, अपुन तेरे ऊपर नहीं है।

विधी ─ ओह! तो ये बात है। चल तू ही मेरे ऊपर आ जा।

अपुन ─ पागल है क्या तू? तुझे लगता है कि तू अपुन का भार सह लेगी?

विधी ─ अपनी जान के लिए सह लूंगी, हां नहीं तो।

कहने के साथ ही विधी अपुन से अलग हुई और सीधा लेट गई। उसकी ये हरकत देख अपुन मन ही मन बड़ा हैरान हुआ। ये भी सोचने लेगा कि क्या उसने ऐसा स्वाभाविक रूप से कहा था या उसके मन में भी अपुन के जैसे कुछ चल रेला है?

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy :declare:
Bahut hi shaandar update diya hai TheBlackBlood bhai....
Nice and lovely update....
 
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विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।



अब आगे....


अभी अपुन मूड में ही आया था कि तभी किसी ने दरवाजे को खटखटाया जिससे अपन दोनों ही चौंक कर थोड़ा दूर हो गए। ये सोच कर थोड़ा घबरा भी गए कि कहीं किसी ने हमारी बातें तो न सुन ली होंगी? अगर ऐसा हुआ तो गजब ही हो जाएगा लौड़ा।

खैर अपुन ने जा कर दरवाजा खोला तो देखा बाहर दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली। हालांकि उसके चेहरे के भाव देख अपुन मन ही मन झटका सा खा गया लौड़ा। बोले तो अपुन को ऐसा लगा जैसे उसने अपन लोग की बातें सुन ली हैं। बड़े अजीब से भाव लिए वो अपुन को देखे जा रेली थी।

अपुन ─ क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रेली है अपुन को?

दिव्या अपुन की ये बात सुन हड़बड़ाई फिर जल्दी से खुद को सम्हालते हुए मुस्कुरा कर बोली।

दिव्या ─ वो...वो मैं आपको चाय पीने के लिए कहने आई थी। विधी दी के रूम में गई तो वो वहां नहीं थीं। क्या वो आपके रूम में हैं?

इससे पहले कि अपुन कोई जवाब देता वो झट से रूम में आ गई। इधर अपुन ये सोचने में लग गयला था कि क्या सच में उसने अपन लोग की बातें सुन ली होंगी? बोले तो एकदम से ही टेंशन में आ गयला था अपुन। उधर विधी को देखते ही दिव्या उससे बोली।

दिव्या ─ अरे! दी आप यहां हो? मैं आपके रूम में गई थी।

विधी ने अब तक खुद को अच्छे से सम्हाल लिया था और नॉर्मल ही दिख रेली थी।

विधी ─ हां वो मैं भाई को चाय पीने का बोलने आई थी। ये थोड़ा मुझसे नाराज था इस लिए इसे मनाने में टाइम लग गया। तू चल हम आ रहे हैं।

दिव्या ने कुछ पलों तक उसे गौर से देखा और फिर पलट कर अपुन को एक नज़र देखने के बाद रूम से चली गई। कहने की जरूरत नहीं कि अपन दोनों ने ही राहत की सांस ली। हालांकि अपुन ये सोच के थोड़ा टेंशन में था कि कहीं दिव्या ने बाहर से अपन लोग की बातें न सुन ली हों। उसका इस तरह से बर्ताव करना भी यही जाहिर कर रेला था।

विधी ─ क्या हुआ भाई? तू अचानक से टेंशन में क्यों दिखने लगा है?

अपुन ─ यार मुझे लगता है कि दिव्या ने अपन लोग की बातें सुन ली हैं।

विधी ये सुन कर बुरी तरह घबरा गई। पलक झपकते ही उसका नॉर्मल चेहरा टेंशन से घिर गया लौड़ा। अपुन ने आगे बढ़ कर उसे कंधों से पकड़ा और फिर कहा।

अपुन ─ टेंशन मत ले और हां, तू उसके सामने बिल्कुल नॉर्मल ही रहना। अगर वो तुझसे इस बारे में कुछ पूछे तो नॉर्मली ही कोई जवाब दे देना, ओके?

विधी ─ भाई ये नहीं होना चाहिए था। अगर सच में उसने सब सुन लिया होगा तो क्या सोच रही होगी वो हम दोनों के बारे में। ओह! माय गॉड पता नहीं अब क्या होगा?

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तू बस खुद को नॉर्मल रख। सब कुछ अपुन पर छोड़ दे। अपुन सब सम्हाल लेगा, ओके?

विधी टेंशन से अपुन को देखे जा रेली थी। आखिर अपुन के समझाने पर वो थोड़ी नॉर्मल हुई लेकिन पूरी तरह नहीं। उसके बाद अपन दोनों रूम से निकल कर नीचे आ गए।

नीचे ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर दिव्या और साक्षी दी बैठी टीवी देख रेलीं थी जबकि सीमा किचेन में थी। अपन दोनों को आते देख साक्षी दी ने सीमा को आवाज दे कर बोल दिया कि अपन दोनों के लिए चाय ले आए।

अपुन ने देखा कि साक्षी दी एकदम नॉर्मल थीं लेकिन अपुन की तरफ सिर्फ एक बार देखने के बाद उन्होंने अपनी नजरें टीवी पर जमा दी थीं। उधर दिव्या एक बार फिर अपन दोनों को ध्यान से देखने लग गईली थी।

अपुन ने बेशक विधी को नॉर्मल रहने को बोला था लेकिन दिव्या जब अपन दोनों को इस तरह ध्यान से देखने लगी तो बेटीचोद पलक झपकते ही अपुन को टेंशन होने लगी लौड़ा। बड़ी मुश्किल से अपुन ने खुद को नॉर्मल किया और जा कर एक सोफे पर बैठ गया। विधी भी अपुन के साथ ही बैठ गई।

तभी सीमा ट्रे में अपन दोनों के लिए चाय ले कर आ गई। अपन दोनों ने चाय का एक एक कप उठा लिया और पीने लगे। टीवी जरूर चल रेली थी लेकिन अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसे देखने में इस वक्त किसी की भी दिलचस्पी नहीं थी।

साक्षी दी भले ही नॉर्मल शो करते हुए टीवी पर नजरें जमाए थीं लेकिन अपुन अच्छी तरह जानता था कि उनके मन में अपुन और अपुन की बातें ही गूंज रेली होंगी। वहीं दिव्या के मन में भी कुछ न कुछ चल रेला होगा और इधर विधी पक्का अंदर से बेहद घबराई हुई होगी।

खैर ऐसे ही हम सब की चाय खत्म हुई। किसी ने किसी से कोई बात नहीं की थी। चाय खत्म कर के अपुन उठा और वापस अपने रूम में आ गया।

मन बहलाने के लिए अपुन ने मोबाइल खोला तो देखा उसमें साधना और अनुष्का के मैसेज पड़े थे। साधना ने अपने मैसेज में लिखा था कि आज उसे अपुन के साथ इस तरह वक्त बिता कर बहुत अच्छा लगा है। काश! ऐसा वक्त बिताने का हर रोज मौक मिले। अपुन ने रिप्लाई में उससे कह दिया कि अपन लोग को थोड़ा सम्हल कर रहना होगा और सबसे बड़ी बात इस सबके चलते अपुन नहीं चाहता कि अपुन की पढ़ाई पर बुरा असर हो। इस लिए वो भी समझे इस बात को।

अनुष्का ने मैसेज में लिखा था कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि वो ऐसा क्या करे जिससे अपुन उसके पास आने के लिए मजबूर हो जाए। अपुन ने उसे सिर्फ इतना ही लिख के भेजा कि─ सोचती रहो।

उसके बाद अपुन ने मोबाइल साइड पर रखा और पढ़ाई करने के लिए किताबें खोल ली। देर से ही सही पर अपुन का मन पढ़ाई में लग गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि अपुन को वक्त के गुजरने का पता ही नहीं चला लौड़ा।

जब डिनर का टाइम हुआ तो दिव्या अपुन को बुलाने आई। अपुन ने गौर किया कि अब वो नॉर्मल थी और अपुन को अजीब तरह से नहीं देख रेली थी। अपुन को इस बात से थोड़ी हैरानी हुई पर अपुन ने कहा कुछ नहीं।

उसके जाने के बाद अपुन भी थोड़ी देर में डिनर करने के लिए नीचे आ गया। डायनिंग टेबल पर एक तरफ साक्षी दी और दिव्या बैठी हुईं थी और दूसरी तरफ अपुन के बगल से विधी कुर्सी पर बैठेली थी।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आप मुझे फिजिक्स का वो चैप्टर एक बार फिर से बता देना। पता नहीं क्यों वो मेरे दिमाग में बैठ ही नहीं रहा।

दिव्या की इस बात से लगभग सबने ही उसकी तरफ देखा। हालांकि इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन इस वक्त इस लिए भी थी क्योंकि सबके बीच खामोशी थी। आम तौर पर डिनर के टाइम दिव्या या विधी कुछ न कुछ बोलती ही रहती थीं जबकि आज सन्नाटा छाया था लौड़ा। यही वजह थी कि जब दिव्या ने अपुन से ये कहा तो सबने उसकी तरफ देखा था।

अपुन ─ ठीक है कल बता दूंगा।

दिव्या ─ कल क्यों भैया, आज क्यों नहीं? डिनर के बाद मैं आपके रूम में आ जाऊंगी तब आप मुझे समझा देना।

अपुन ─ न आज नहीं। थोड़ी थकान है आज इस लिए डिनर के बाद सिर्फ सोऊंगा मैं।

अपुन के मुख से शुद्ध हिन्दी में और सभ्य तरीके में शब्द निकलते देख दिव्या और विधी दोनों को ही हैरानी हुई। विधी ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन दिव्या पूछ बैठी।

दिव्या (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! क्या बात है भैया, इस वक्त आप अपनी फेवरेट टपोरी भाषा में बात नहीं कर रहे?

उसकी ये बात सुन अपुन को थोड़ा धक्का सा लगा। अपुन ने झट से साक्षी दी की तरफ देखा। इत्तेफाक से उन्होंने भी अपुन को देखा। हालांकि जल्दी ही उन्होंने अपुन से नजरें हटा कर डिनर करना जारी रखा। इधर अपुन ने दिव्या को जवाब दिया।

अपुन ─ हां वो मैं कोशिश कर रहा हूं कि हर किसी की तरह सभ्य भाषा में ही बात करूं।

दिव्या ─ पर भैया, टपोरी भाषा तो आपकी फेवरेट है न?

अपुन ─ इस दुनिया में मेरा फेवरेट सिर्फ एक ही इंसान है दिव्या। उस इंसान के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। मतलब कि किसी को भी छोड़ सकता हूं और किसी भी चीज़ का त्याग कर सकता हूं।

अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी का डिनर करना रुक गया और वो अपुन को अजीब भाव से देखने लगीं। चेहरे पर सख्त भाव उभर आए थे लेकिन अपुन को घंटा परवाह नहीं थी। तभी दिव्या ने कहा।

दिव्या ─ वाह! भैया क्या बात है। वैसे ऐसा वो कौन इंसान है, मुझे भी बताइए न।

दिव्या की ये बात सुन साक्षी दी थोड़ा घबराई सी नजर आईं। शायद वो ये सोच बैठी थीं कि कहीं अपुन दिव्या को बता न दे कि वो इंसान वो ही हैं। इधर अपुन ने एक नज़र उनकी तरफ देखा और फिर कहा।

अपुन ─ ऐसे खास इंसान के बारे में बता कर उसे रुसवा नहीं किया जाता दिव्या। इस लिए उसके बारे में नहीं बता सकता। चल अब चुपचाप डिनर कर।

साक्षी दी ने राहत की सांस तो ली लेकिन उनके चेहरे पर बहुत ही गंभीर और बेचैनी जैसे भाव आ गएले थे। इधर दिव्या थोड़ी मायूस हुई और चुपचाप डिनर करने लगी। इसके बाद कोई बात नहीं हुई।

डिनर के बाद सब अपने अपने रूम में चले गए। अपुन के मन में यही चल रेला था कि साक्षी दी सच में अपुन की वजह से परेशान हो चुकी हैं। बोले तो ये ऐसी बात थी जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। कल्पना तो अपुन ने भी नहीं की थी लेकिन उनके प्रति ये जो आकर्षण था उससे दूर भी नहीं भाग सकता था अपुन।

लौड़ा समझ में नहीं आ रेला था कि अचानक से अपुन को ये क्या हो गयला है? मतलब कि साक्षी दी अपुन को सबसे अच्छी तो लगतीं थी लेकिन इसके लिए उनसे ये सब कह देने का अपुन ने सोचा तक नहीं था। दूसरी बात, जब से अपुन ने साधना के साथ चुदाई की थी तब से अपुन के मन में अजीब सी सोच भर गईली थी।

यही सब सोचते हुए पता नहीं कब अपुन की आंख लग गई लौड़ा। पता नहीं कितनी देर से सोया हुआ था कि तभी अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे कोई अपुन के चेहरे पर झुका हुआ है और हौले हौले अपुन के होठ चूम रेला है?

अपुन को गर्मी का एहसास हो रेला था। पूरे जिस्म में रोमांच की लहरें उठ रेलीं थी। अचानक अपुन नींद के आगोश से बाहर आ गया। आँखें हल्के से खुलीं तो कुछ समझ न आया। बोले तो धुंधला सा दिखा अपुन को।

अपुन ने दिमाग पर ज़ोर डाला तो याद आया कि अपुन अपने रूम में बेड पर सोया था लेकिन उस टाइम रूम में लाइट जल रेली थी। जबकि इस वक्त नीम अंधेरा था। तभी अपुन चौंक उठा।

अपुन के ऊपर झुके हुए व्यक्ति ने फिर से अपुन के होठों पर चूमा था। उसकी गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किएला था। पलक झपकते ही ये सोच कर अपुन के रोंगटे खड़े हो गए कि बेटीचोद कौन है जो इस तरह नीम अंधेरे में अपुन की इज्जत लूट रेला है?

अगले ही पल अपुन ने हड़बड़ा कर अपने दोनों हाथ से उस झुके हुए इंसान को पकड़ कर खुद से दूर किया। अपुन के ऐसा करते ही वो इंसान बुरी तरह गड़बड़ा गया लौड़ा। इधर अपुन झट से उठ बैठा।

नीम अंधेरे में अब अपुन को थोड़ा अच्छे से दिखने लगा था इस लिए जब अपुन ने अच्छे से देखा तो पता चला कि अपुन के होठों को चूमने वाला कोई और नहीं बल्कि अपुन की जुड़वा बहन विधी थी। उधर अपुन को इस तरह उठ गया देख पहले तो वो गड़बड़ा ही गईली थी लेकिन फिर नॉर्मल हो गई।

अपुन ─ ये तू है? और....और ये क्या रेली थी अपुन के साथ?

विधी ─ वो...वो मैं न अपने बॉय फ्रेंड को किस कर रही थी। सॉरी...अगर तुझे इससे बुरा लगा हो तो।

अपुन ने अपनी तेज चलती धड़कनों को नियंत्रित किया और सबसे पहले रूम के दरवाज़े को देखा। दरवाजा अंदर से बंद था। फिर अपुन ने मोबाइल में टाइम देखा। रात के एक बज रेले थे। ये देख अपुन ये सोच के हैरान हुआ कि लौड़ा कितना जल्दी एक बज गयला है और इतना ही नहीं विधी इतनी रात को अपुन के रूम में अपुन को किस कर रेली थी।

अपुन ने देखा वो थोड़ी घबराई हुई बेड के किनारे पर बैठ गईली थी और अपलक अपुन को ही देखे जा रेली थी। अपुन ने सिचुएशन को समझा और फिर उसकी तरफ देखते हुए बोला।

अपुन ─ तू इतनी रात को ये करने यहां आईली थी? क्या तुझे अंदाजा नहीं है कि दिव्या ने शायद अपन लोग की बातें सुन ली हैं?

विधी ─ उसकी टेंशन मत ले। मैंने उसे सब समझा दिया है।

अपुन (शॉक) ─ क्या मतलब???

विधी ─ वो...जब तू शाम को अपने रूम में स्टडी कर रहा था न तब वो मेरे रूम में आई थी और फिर पूछें लगी थी कि तू और मैं उस टाइम रूम के अंदर ये कैसी बातें कर रहे थे? पहले तो उसकी ये बात सुन कर मैं बहुत डर गई थी लेकिन फिर उसे कसम दे कर कहा कि वो इस बारे में किसी को न बताए तो बताऊंगी। फिर जब उसने कसम खा ली तब मैंने उसे बता दिया कि हम दोनों ने एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बना लिया है।

सच तो ये था लौड़ा कि विधी क्या बोले जा रेली थी वो सब अब अपुन के सिर के ऊपर से जा रेला था। मतलब कि अपुन इतना ज्यादा शॉक हो गयला था कि बेटीचोद दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था। अपुन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसने इतनी आसानी से दिव्या को सब कुछ बता दिया है।

अपुन ─ माय गॉड तूने दिव्या को सब कुछ बता दिया?

विधी ─ मैं क्या करती भाई? उसके पूछने पर मैं अंदर से इतना डर गई थी कि लगा अगर उसे सच सच नहीं बताया तो जाने वो क्या क्या सोच बैठेगी और फिर कहीं वो घर में किसी को बता न दे। इस लिए पहले उसे कसम दी फिर सब सच सच बता दिया।

अपुन समझ गया कि इसी लिए दिव्या जब अपुन को डिनर के लिए बुलाने आईली थी तब वो नॉर्मल थी। पर लौड़ा उसे इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए था।

अपुन ─ तो फिर क्या कहा उसने? मतलब कि जब उसे ये सब पता चला तब क्या बोली वो तुझसे?

विधी ─ पहले तो वो बहुत शॉक हुई थी फिर मैंने उसे समझाया कि हम दोनों बस नॉर्मली किस करने को बोल रहे थे क्योंकि अब हम न्यू रिलेशन में हैं, हां नहीं तो।

अपुन ─ फिर क्या बोली वो?

विधी ─ पूछ रही थी कि क्या भाई बहन आपस में ऐसा रिलेशन रख सकते हैं तो मैंने कहा कि रख सकते हैं लेकिन हमारे बीच एक लिमिट रहेगी। मतलब कि हम इस रिलेशन में सिर्फ किस कर सकते हैं बाकी कुछ नहीं।

अपुन ─ फिर क्या कहा उसने?

विधी ─ और तो कुछ नहीं कहा लेकिन हां उसने ये जरूर पूछा कि मैं तुम्हें किस तरह किस करने को बोल रही थी?

अपुन ─ मतलब??

विधी ─ अरे! उसका मतलब ये था कि क्या मैं तुम्हें अपने होठों पर किस करने को कह रही थी तो मैंने उसे बताया कि हम लोग भाई बहन हैं इस लिए होठों पर किस नहीं कर सकते। मतलब कि मैं तुम्हें चिक पर किस करने को कह रही थी। मेरी ये बात सुन कर वो हंसने लगी थी।

अपुन ─ क्यों? आई मीन वो हंसने क्यों लग गईली थी?

विधी ─ चिक पर किस करने की बात सुन कर हंसी थी वो। फिर मजाक में बोलने लगी कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के रिलेशन में किस चिक पर नहीं लिप पर की जाती है। उसकी बात सुन कर मैंने उससे कहा कि पागल है क्या तो कहने लगी कि चिक पर किस तो कोई भी कर सकता है। मतलब कि उसके लिए गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होना जरूरी नहीं है लेकिन अगर हम गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाला रिलेशन रखते हैं तो इसमें लिप पर ही किस करना चाहिए। और पता है तुझे, कह रही थी कि अगर वो तेरी गर्लफ्रेंड होती तो वो तुझे अपने होठों पर ही किस करने को कहती। झल्ली कहीं की, हां नहीं तो।

बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गयला था? मतलब कि दिव्या इतना कुछ विधी से बोल रेली थी। अपुन का दिमाग तो सुन के ही हैंग होने लग गयला था लौड़ा।

अपुन ─ फिर तूने क्या कहा उससे?

विधी ─ मैंने कह दिया कि नहीं लिप पर किस करना गलत है। एक्चुअली भाई...मैंने उससे ये नहीं कहा कि हम दोनों लिप पर ही किस करने की बात कर रहे थे। मुझे लगा अगर मैं उसे ये बताऊंगी तो वो कहीं हमारे कैरेक्टर को गंदा न कहने लगे, हां नहीं तो।

अपुन ─ ये बहुत अच्छा किया तूने जो उससे ऐसा कहा।

विधी अपुन की ये बात सुन कर एकदम खुश हो गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। फिर उसी खुशी से इतराते हुए बोली।

विधी ─ देखा न भाई, कितनी समझदारी से मैंने उस चुहिया दिव्या को हैंडल कर लिया। तू बेकार ही टेंशन ले रहा था, हां नहीं तो।

अपुन उसकी ये बात सुन कर मन ही मन ये सोच के हंस पड़ा कि लौड़ी इतने में ही खुद को स्मार्ट समझने लगी। खैर अपुन जानता था कि वो अभी कितनी मासूम और भोली थी।

अपुन ─ ज्यादा उड़ मत और खुद को इतना तीसमार खां न समझ। तुझे एक बात अच्छी तरह समझनी है कि इस बारे में तुझे बहुत ज्यादा सतर्क रहना होगा और दिव्या को भूल कर भी इस बारे में कुछ नहीं बताना है।

विधी ─ अरे! तू बेकार में ही उसकी टेंशन ले रहा है भाई। मैंने उसे समझा दिया है। देखना वो किसी से कुछ नहीं बताएगी। पता है, मैंने उसे कसम दी है, हां नहीं तो।

अपुन ─ हां ठीक है लेकिन फिर भी सतर्क रहना जरूरी है कि नहीं? भले ही तूने उसे कसम दी है लेकिन किसी दिन कसम को भूल कर उसने किसी से इस बारे में बता ही दिया तो? सोच तब क्या होगा? तुझे तो शायद ज्यादा कोई कुछ नहीं कहेगा लेकिन अपुन का इस घर से बोरिया बिस्तर निकाल दिया जाएगा। इतना ही नहीं मॉम डैड अपुन से हर रिश्ता तोड़ कर अपुन को घर से निकाल देंगे।

विधी अपुन की ये बात सुन कर अंदर तक कांप गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा टेंशन से भर गया।

विधी ─ क्या तू सच कह रहा है भाई? मतलब क्या सच में इतनी बड़ी गड़बड़ हो जाएगी?

अपुन ─ हां मेरी जान। इसी लिए कह रेला है अपुन कि आज के बाद इस बारे में दिव्या को ही नहीं बल्कि किसी को भी कुछ मत बताना।

विधी ─ तेरी कसम भाई। आज के बाद किसी को नहीं बताऊंगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ ठीक है। चल अब तू अपने रूम में जा और सो जा।

विधी ─ भाई क्या मैं तेरे साथ बेड पर सो जाऊं?

अपुन ─ नहीं, तू अपने रूम में ही जा के सो। अभी कुछ दिन तेरा अपुन के रूम में सोना ठीक नहीं है। दिव्या तुझसे भले ही छोटी है लेकिन वो तेरी तरह मासूम और भोली नहीं है। बोले तो बड़ी चालू है वो। अगर उसने तुझे अपुन के रूम में सोते देख लिया तो फौरन समझ जाएगी कि अपन लोग ने आपस में कुछ गड़बड़ किया होगा।

विधी (आश्चर्य से आंखें फाड़ कर) ─ क्या सच में वो चुहिया इतनी चालू है भाई?

अपुन ─ हां, इसी लिए तो बोल रेला है अपुन कि तू अपने रूम में जा। चल अब देर मत कर। वैसे भी रात बहुत ज्यादा हो गईली है।

विधी बेमन से बेड पर से उठ गई। उसका चेहरा एकदम से उतर गयला था। अपुन समझ गया कि उसका अपुन के रूम से जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। बस, मजबूरी के चलते ही जाने को तैयार हो गईली थी। फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदले।

विधी ─ भाई प्लीज यहीं सो जाने दे न। मैं मॉर्निंग में छह बजने से पहले ही यहां से चली जाऊंगी तो दिव्या को पता ही नहीं चलेगा, हां नहीं तो।

अपुन ने सोचा बात तो ठीक है। मतलब कि ऐसा बिल्कुल हो सकता है। वैसे भी वो इतना जोर दे रेली थी और इसी में उसकी खुशी भी थी तो अपुन ने भी इस बार उसे मजबूर नहीं किया।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। चल आ जा और हां, सिर्फ सोना ही। वैसे भी रात के सवा एक बज गएले हैं।

विधी ये सुन के खुशी से उछलने ही लगी लौड़ी। फिर एकदम से उसे सिचुएशन का खयाल आया तो पलक झपकते ही भीगी बिल्ली बन गई और चुपचाप आ कर बेड पर अपुन के बगल से लेट गई। इधर अपुन ने पास ही टेबल लैंप पर रखी अलार्म क्लॉक को उठा कर उसमें पांच बजे का अलार्म सेट कर दिया। असल में अपुन सच में नहीं चाहता था कि किसी बात का पतंगड़ बन जाए लौड़ा।

विधी (धीरे से) ─ भाई सुन न।

अपुन ─ अब सो जा न यार।

विधी ─ मुझे न तेरे से चिपक के सोना है। क्या मैं तुझसे चिपक जाऊं, प्लीज प्लीज।

उसके मुख से चिपक के सोने वाली बात सुन कर अपुन के पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई लौड़ा। शांत मन में एकदम से तरह तरह के खयालों का बवंडर चल पड़ा। लड़की के नाजुक बदन का एहसास अच्छी तरह पा चुका था अपुन, साधना के रूप में। इस लिए पलक झपकते ही अपुन के अंदर भी उससे चिपकने की इच्छा जाग उठी।

अपुन ─ अच्छा ठीक है लेकिन उसके बाद सो जाएगी न?

विधी ये सुनते ही खुशी से मुस्कुराते हुए झट से अपुन की तरफ खिसक आई और फिर सचमुच अपुन से किसी जोंक की तरह चिपक गई।

विधी ─ हां अब अच्छे से नींद आएगी भाई। तू न सच में मेरी जान है, हां नहीं तो।

अपुन उसकी बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। इधर उसके नाजुक बदन का स्पर्श होते ही अपुन के समूचे जिस्म में करेंट दौड़ने लगा। अजीब सी सनसनी होने लगी। अपुन के लाख रोकने के बाद भी वो सनसनी दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को जगा बैठी बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयालों का जो बवंडर उठा था वो और भी तेजी से जैसे हिलोरे मारने लगा लौड़ा।

अपुन बेड पर सीधा लेटा हुआ था। अपुन के जिस्म में इस वक्त ऊपर एक बनियान था और नीचे हॉफ लोवर। इधर विधी ने एक टी शर्ट और ढीला सा सलवार पहन रखा था। वो अपुन की तरफ करवट ले कर बिल्कुल अपुन से चिपक गईली थी। बोले तो उसका एक बूब अपुन की लेफ्ट छाती में छू नहीं रेला था बल्कि पूरा दब रेला था। एक हाथ को उसने अपने सिर के नीचे तकिया सा बना कर रखा हुआ था जबकि दूसरे हाथ को अपुन के सीने में रख दिया था।

अभी अपुन उसके नाजुक जिस्म के स्पर्श में ही खोया था कि अचानक वो उठ गई तो अपुन को समझ न आया कि अब क्या हुआ इसे? अपुन उससे पूछने ही वाला था कि तभी उसने अपुन के लेफ्ट हैंड को पकड़ा और उसे तकिए की शक्ल बना कर अपने सिर के नीचे रख दिया और फिर से वैसे ही लेट गई। हालांकि इस बार थोड़ा अंतर था। मतलब कि अपुन का लेफ्ट हैंड भले ही उसके लिए तकिया बन गयला था लेकिन उसका सिर एकदम से अपुन के गले और सीने के बीच आ गयला था। खुद को उसने ऐसे एडजस्ट किया कि अब वो लगभग आधा अपुन के ऊपर ही लेट गईली थी।

इस बार उसके दोनों बूब्स अपुन के सीने से बस थोड़ा सा ही नीचे दब रेले थे। अपुन के जिस्म में एक बार फिर से सनसनी दौड़ गई और मस्त कर देने वाली झुरझुरी दौड़ते हुए सीधा लन्ड को छू गई जिससे अपुन के लंड ने एक झटका मारा।

कुछ ही देर में अपुन की हालत अजीब सी होने लगी लौड़ा। बोले तो अब नींद आने का सवाल ही नहीं रह गया था। अपुन का मन इतना ज्यादा विचलित हो गयला था कि बार बार उसके नाजुक जिस्म के लम्स को और साथ ही उसकी अधपकी आम जैसी छातियों पर ही जा रेला था। बात अगर सिर्फ इतनी ही होती तो शायद अपुन सम्हाल भी लेता खुद को लेकिन तभी एक और गजब काम कर दिया उसने।

उसने अपनी एक टांग उठाई और अपुन के जांघ पर रख दी। रखते समय उसका घुटना अपुन के लन्ड को रगड़ गयला था जिसके चलते अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं।

एक तरफ अपुन का मन जाने क्या क्या सोचने पर उतारू था और दूसरी तरफ अपुन एक भाई होने के नाते इस सबको रोकना भी चाहता था। बेटीचोद हर गुजरते पल के साथ अपुन के अंदर गर्मी सी भरती जा रेली थी। अपुन से जब न रहा गया तो अपुन ने धीरे से कहा।

अपुन ─ अच्छे से लेट जा न यार।

विधी ने हौले से सिर उठा कर अपुन की तरफ देखा। नीम अंधेरे में भी उसके गुलाबी होठ अपुन को स्पष्ट दिख रेले थे। वो इतने करीब थे कि अपुन की धड़कनें और भी तेज हो गईं लौड़ा। विधी की गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किया। तभी वो धीरे से ही बोली।

विधी ─ मुझे तो अच्छा लग रहा है भाई। क्या तुझे कोई प्रॉब्लम है?

अपुन ─ हां, तू अपुन से ऐसे चिपकी है कि इस तरह तो अपुन को नींद आ ही नहीं सकती।

विधी ─ पर मुझे तो आ जाएगी भाई। तुझे क्यों नहीं आ सकती?

अपुन उसे अब कैसे बताता या ये कहें कि कैसे समझाता कि अपुन को नींद क्यों नहीं आ सकती लौड़ा? पर कुछ तो जवाब देना ही था उसे इस लिए बोला।

अपुन ─ क्योंकि अपुन को किसी से चिपक के सोने की आदत नहीं है। इस वक्त तू अपुन से ऐसे चिपकी है तो अपुन बहुत ज्यादा अनकंफर्टेबल फील कर रेला है। प्लीज ट्राय टू अंडरस्टैंड।

विधी ये सुन कर अपुन को अपलक देखने लगी। शायद वो समझने की कोशिश कर रेली थी कि अपुन के कहने का क्या मतलब है?

विधी ─ पर भाई मुझे तो कुछ भी अनकंफर्टेबल नहीं फील हो रहा।

अपुन ─ वो इस लिए क्योंकि तू अपुन के ऊपर है, अपुन तेरे ऊपर नहीं है।

विधी ─ ओह! तो ये बात है। चल तू ही मेरे ऊपर आ जा।

अपुन ─ पागल है क्या तू? तुझे लगता है कि तू अपुन का भार सह लेगी?

विधी ─ अपनी जान के लिए सह लूंगी, हां नहीं तो।

कहने के साथ ही विधी अपुन से अलग हुई और सीधा लेट गई। उसकी ये हरकत देख अपुन मन ही मन बड़ा हैरान हुआ। ये भी सोचने लेगा कि क्या उसने ऐसा स्वाभाविक रूप से कहा था या उसके मन में भी अपुन के जैसे कुछ चल रेला है?

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy :declare:

Nice update
 

only_me

I ÂM LÕSÉR ẞŪT.....
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Update ~ 15



विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।



अब आगे....


अभी अपुन मूड में ही आया था कि तभी किसी ने दरवाजे को खटखटाया जिससे अपन दोनों ही चौंक कर थोड़ा दूर हो गए। ये सोच कर थोड़ा घबरा भी गए कि कहीं किसी ने हमारी बातें तो न सुन ली होंगी? अगर ऐसा हुआ तो गजब ही हो जाएगा लौड़ा।

खैर अपुन ने जा कर दरवाजा खोला तो देखा बाहर दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली। हालांकि उसके चेहरे के भाव देख अपुन मन ही मन झटका सा खा गया लौड़ा। बोले तो अपुन को ऐसा लगा जैसे उसने अपन लोग की बातें सुन ली हैं। बड़े अजीब से भाव लिए वो अपुन को देखे जा रेली थी।

अपुन ─ क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रेली है अपुन को?

दिव्या अपुन की ये बात सुन हड़बड़ाई फिर जल्दी से खुद को सम्हालते हुए मुस्कुरा कर बोली।

दिव्या ─ वो...वो मैं आपको चाय पीने के लिए कहने आई थी। विधी दी के रूम में गई तो वो वहां नहीं थीं। क्या वो आपके रूम में हैं?

इससे पहले कि अपुन कोई जवाब देता वो झट से रूम में आ गई। इधर अपुन ये सोचने में लग गयला था कि क्या सच में उसने अपन लोग की बातें सुन ली होंगी? बोले तो एकदम से ही टेंशन में आ गयला था अपुन। उधर विधी को देखते ही दिव्या उससे बोली।

दिव्या ─ अरे! दी आप यहां हो? मैं आपके रूम में गई थी।

विधी ने अब तक खुद को अच्छे से सम्हाल लिया था और नॉर्मल ही दिख रेली थी।

विधी ─ हां वो मैं भाई को चाय पीने का बोलने आई थी। ये थोड़ा मुझसे नाराज था इस लिए इसे मनाने में टाइम लग गया। तू चल हम आ रहे हैं।

दिव्या ने कुछ पलों तक उसे गौर से देखा और फिर पलट कर अपुन को एक नज़र देखने के बाद रूम से चली गई। कहने की जरूरत नहीं कि अपन दोनों ने ही राहत की सांस ली। हालांकि अपुन ये सोच के थोड़ा टेंशन में था कि कहीं दिव्या ने बाहर से अपन लोग की बातें न सुन ली हों। उसका इस तरह से बर्ताव करना भी यही जाहिर कर रेला था।

विधी ─ क्या हुआ भाई? तू अचानक से टेंशन में क्यों दिखने लगा है?

अपुन ─ यार मुझे लगता है कि दिव्या ने अपन लोग की बातें सुन ली हैं।

विधी ये सुन कर बुरी तरह घबरा गई। पलक झपकते ही उसका नॉर्मल चेहरा टेंशन से घिर गया लौड़ा। अपुन ने आगे बढ़ कर उसे कंधों से पकड़ा और फिर कहा।

अपुन ─ टेंशन मत ले और हां, तू उसके सामने बिल्कुल नॉर्मल ही रहना। अगर वो तुझसे इस बारे में कुछ पूछे तो नॉर्मली ही कोई जवाब दे देना, ओके?

विधी ─ भाई ये नहीं होना चाहिए था। अगर सच में उसने सब सुन लिया होगा तो क्या सोच रही होगी वो हम दोनों के बारे में। ओह! माय गॉड पता नहीं अब क्या होगा?

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तू बस खुद को नॉर्मल रख। सब कुछ अपुन पर छोड़ दे। अपुन सब सम्हाल लेगा, ओके?

विधी टेंशन से अपुन को देखे जा रेली थी। आखिर अपुन के समझाने पर वो थोड़ी नॉर्मल हुई लेकिन पूरी तरह नहीं। उसके बाद अपन दोनों रूम से निकल कर नीचे आ गए।

नीचे ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर दिव्या और साक्षी दी बैठी टीवी देख रेलीं थी जबकि सीमा किचेन में थी। अपन दोनों को आते देख साक्षी दी ने सीमा को आवाज दे कर बोल दिया कि अपन दोनों के लिए चाय ले आए।

अपुन ने देखा कि साक्षी दी एकदम नॉर्मल थीं लेकिन अपुन की तरफ सिर्फ एक बार देखने के बाद उन्होंने अपनी नजरें टीवी पर जमा दी थीं। उधर दिव्या एक बार फिर अपन दोनों को ध्यान से देखने लग गईली थी।

अपुन ने बेशक विधी को नॉर्मल रहने को बोला था लेकिन दिव्या जब अपन दोनों को इस तरह ध्यान से देखने लगी तो बेटीचोद पलक झपकते ही अपुन को टेंशन होने लगी लौड़ा। बड़ी मुश्किल से अपुन ने खुद को नॉर्मल किया और जा कर एक सोफे पर बैठ गया। विधी भी अपुन के साथ ही बैठ गई।

तभी सीमा ट्रे में अपन दोनों के लिए चाय ले कर आ गई। अपन दोनों ने चाय का एक एक कप उठा लिया और पीने लगे। टीवी जरूर चल रेली थी लेकिन अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसे देखने में इस वक्त किसी की भी दिलचस्पी नहीं थी।

साक्षी दी भले ही नॉर्मल शो करते हुए टीवी पर नजरें जमाए थीं लेकिन अपुन अच्छी तरह जानता था कि उनके मन में अपुन और अपुन की बातें ही गूंज रेली होंगी। वहीं दिव्या के मन में भी कुछ न कुछ चल रेला होगा और इधर विधी पक्का अंदर से बेहद घबराई हुई होगी।

खैर ऐसे ही हम सब की चाय खत्म हुई। किसी ने किसी से कोई बात नहीं की थी। चाय खत्म कर के अपुन उठा और वापस अपने रूम में आ गया।

मन बहलाने के लिए अपुन ने मोबाइल खोला तो देखा उसमें साधना और अनुष्का के मैसेज पड़े थे। साधना ने अपने मैसेज में लिखा था कि आज उसे अपुन के साथ इस तरह वक्त बिता कर बहुत अच्छा लगा है। काश! ऐसा वक्त बिताने का हर रोज मौक मिले। अपुन ने रिप्लाई में उससे कह दिया कि अपन लोग को थोड़ा सम्हल कर रहना होगा और सबसे बड़ी बात इस सबके चलते अपुन नहीं चाहता कि अपुन की पढ़ाई पर बुरा असर हो। इस लिए वो भी समझे इस बात को।

अनुष्का ने मैसेज में लिखा था कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि वो ऐसा क्या करे जिससे अपुन उसके पास आने के लिए मजबूर हो जाए। अपुन ने उसे सिर्फ इतना ही लिख के भेजा कि─ सोचती रहो।

उसके बाद अपुन ने मोबाइल साइड पर रखा और पढ़ाई करने के लिए किताबें खोल ली। देर से ही सही पर अपुन का मन पढ़ाई में लग गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि अपुन को वक्त के गुजरने का पता ही नहीं चला लौड़ा।

जब डिनर का टाइम हुआ तो दिव्या अपुन को बुलाने आई। अपुन ने गौर किया कि अब वो नॉर्मल थी और अपुन को अजीब तरह से नहीं देख रेली थी। अपुन को इस बात से थोड़ी हैरानी हुई पर अपुन ने कहा कुछ नहीं।

उसके जाने के बाद अपुन भी थोड़ी देर में डिनर करने के लिए नीचे आ गया। डायनिंग टेबल पर एक तरफ साक्षी दी और दिव्या बैठी हुईं थी और दूसरी तरफ अपुन के बगल से विधी कुर्सी पर बैठेली थी।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आप मुझे फिजिक्स का वो चैप्टर एक बार फिर से बता देना। पता नहीं क्यों वो मेरे दिमाग में बैठ ही नहीं रहा।

दिव्या की इस बात से लगभग सबने ही उसकी तरफ देखा। हालांकि इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन इस वक्त इस लिए भी थी क्योंकि सबके बीच खामोशी थी। आम तौर पर डिनर के टाइम दिव्या या विधी कुछ न कुछ बोलती ही रहती थीं जबकि आज सन्नाटा छाया था लौड़ा। यही वजह थी कि जब दिव्या ने अपुन से ये कहा तो सबने उसकी तरफ देखा था।

अपुन ─ ठीक है कल बता दूंगा।

दिव्या ─ कल क्यों भैया, आज क्यों नहीं? डिनर के बाद मैं आपके रूम में आ जाऊंगी तब आप मुझे समझा देना।

अपुन ─ न आज नहीं। थोड़ी थकान है आज इस लिए डिनर के बाद सिर्फ सोऊंगा मैं।

अपुन के मुख से शुद्ध हिन्दी में और सभ्य तरीके में शब्द निकलते देख दिव्या और विधी दोनों को ही हैरानी हुई। विधी ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन दिव्या पूछ बैठी।

दिव्या (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! क्या बात है भैया, इस वक्त आप अपनी फेवरेट टपोरी भाषा में बात नहीं कर रहे?

उसकी ये बात सुन अपुन को थोड़ा धक्का सा लगा। अपुन ने झट से साक्षी दी की तरफ देखा। इत्तेफाक से उन्होंने भी अपुन को देखा। हालांकि जल्दी ही उन्होंने अपुन से नजरें हटा कर डिनर करना जारी रखा। इधर अपुन ने दिव्या को जवाब दिया।

अपुन ─ हां वो मैं कोशिश कर रहा हूं कि हर किसी की तरह सभ्य भाषा में ही बात करूं।

दिव्या ─ पर भैया, टपोरी भाषा तो आपकी फेवरेट है न?

अपुन ─ इस दुनिया में मेरा फेवरेट सिर्फ एक ही इंसान है दिव्या। उस इंसान के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। मतलब कि किसी को भी छोड़ सकता हूं और किसी भी चीज़ का त्याग कर सकता हूं।

अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी का डिनर करना रुक गया और वो अपुन को अजीब भाव से देखने लगीं। चेहरे पर सख्त भाव उभर आए थे लेकिन अपुन को घंटा परवाह नहीं थी। तभी दिव्या ने कहा।

दिव्या ─ वाह! भैया क्या बात है। वैसे ऐसा वो कौन इंसान है, मुझे भी बताइए न।

दिव्या की ये बात सुन साक्षी दी थोड़ा घबराई सी नजर आईं। शायद वो ये सोच बैठी थीं कि कहीं अपुन दिव्या को बता न दे कि वो इंसान वो ही हैं। इधर अपुन ने एक नज़र उनकी तरफ देखा और फिर कहा।

अपुन ─ ऐसे खास इंसान के बारे में बता कर उसे रुसवा नहीं किया जाता दिव्या। इस लिए उसके बारे में नहीं बता सकता। चल अब चुपचाप डिनर कर।

साक्षी दी ने राहत की सांस तो ली लेकिन उनके चेहरे पर बहुत ही गंभीर और बेचैनी जैसे भाव आ गएले थे। इधर दिव्या थोड़ी मायूस हुई और चुपचाप डिनर करने लगी। इसके बाद कोई बात नहीं हुई।

डिनर के बाद सब अपने अपने रूम में चले गए। अपुन के मन में यही चल रेला था कि साक्षी दी सच में अपुन की वजह से परेशान हो चुकी हैं। बोले तो ये ऐसी बात थी जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। कल्पना तो अपुन ने भी नहीं की थी लेकिन उनके प्रति ये जो आकर्षण था उससे दूर भी नहीं भाग सकता था अपुन।

लौड़ा समझ में नहीं आ रेला था कि अचानक से अपुन को ये क्या हो गयला है? मतलब कि साक्षी दी अपुन को सबसे अच्छी तो लगतीं थी लेकिन इसके लिए उनसे ये सब कह देने का अपुन ने सोचा तक नहीं था। दूसरी बात, जब से अपुन ने साधना के साथ चुदाई की थी तब से अपुन के मन में अजीब सी सोच भर गईली थी।

यही सब सोचते हुए पता नहीं कब अपुन की आंख लग गई लौड़ा। पता नहीं कितनी देर से सोया हुआ था कि तभी अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे कोई अपुन के चेहरे पर झुका हुआ है और हौले हौले अपुन के होठ चूम रेला है?

अपुन को गर्मी का एहसास हो रेला था। पूरे जिस्म में रोमांच की लहरें उठ रेलीं थी। अचानक अपुन नींद के आगोश से बाहर आ गया। आँखें हल्के से खुलीं तो कुछ समझ न आया। बोले तो धुंधला सा दिखा अपुन को।

अपुन ने दिमाग पर ज़ोर डाला तो याद आया कि अपुन अपने रूम में बेड पर सोया था लेकिन उस टाइम रूम में लाइट जल रेली थी। जबकि इस वक्त नीम अंधेरा था। तभी अपुन चौंक उठा।

अपुन के ऊपर झुके हुए व्यक्ति ने फिर से अपुन के होठों पर चूमा था। उसकी गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किएला था। पलक झपकते ही ये सोच कर अपुन के रोंगटे खड़े हो गए कि बेटीचोद कौन है जो इस तरह नीम अंधेरे में अपुन की इज्जत लूट रेला है?

अगले ही पल अपुन ने हड़बड़ा कर अपने दोनों हाथ से उस झुके हुए इंसान को पकड़ कर खुद से दूर किया। अपुन के ऐसा करते ही वो इंसान बुरी तरह गड़बड़ा गया लौड़ा। इधर अपुन झट से उठ बैठा।

नीम अंधेरे में अब अपुन को थोड़ा अच्छे से दिखने लगा था इस लिए जब अपुन ने अच्छे से देखा तो पता चला कि अपुन के होठों को चूमने वाला कोई और नहीं बल्कि अपुन की जुड़वा बहन विधी थी। उधर अपुन को इस तरह उठ गया देख पहले तो वो गड़बड़ा ही गईली थी लेकिन फिर नॉर्मल हो गई।

अपुन ─ ये तू है? और....और ये क्या रेली थी अपुन के साथ?

विधी ─ वो...वो मैं न अपने बॉय फ्रेंड को किस कर रही थी। सॉरी...अगर तुझे इससे बुरा लगा हो तो।

अपुन ने अपनी तेज चलती धड़कनों को नियंत्रित किया और सबसे पहले रूम के दरवाज़े को देखा। दरवाजा अंदर से बंद था। फिर अपुन ने मोबाइल में टाइम देखा। रात के एक बज रेले थे। ये देख अपुन ये सोच के हैरान हुआ कि लौड़ा कितना जल्दी एक बज गयला है और इतना ही नहीं विधी इतनी रात को अपुन के रूम में अपुन को किस कर रेली थी।

अपुन ने देखा वो थोड़ी घबराई हुई बेड के किनारे पर बैठ गईली थी और अपलक अपुन को ही देखे जा रेली थी। अपुन ने सिचुएशन को समझा और फिर उसकी तरफ देखते हुए बोला।

अपुन ─ तू इतनी रात को ये करने यहां आईली थी? क्या तुझे अंदाजा नहीं है कि दिव्या ने शायद अपन लोग की बातें सुन ली हैं?

विधी ─ उसकी टेंशन मत ले। मैंने उसे सब समझा दिया है।

अपुन (शॉक) ─ क्या मतलब???

विधी ─ वो...जब तू शाम को अपने रूम में स्टडी कर रहा था न तब वो मेरे रूम में आई थी और फिर पूछें लगी थी कि तू और मैं उस टाइम रूम के अंदर ये कैसी बातें कर रहे थे? पहले तो उसकी ये बात सुन कर मैं बहुत डर गई थी लेकिन फिर उसे कसम दे कर कहा कि वो इस बारे में किसी को न बताए तो बताऊंगी। फिर जब उसने कसम खा ली तब मैंने उसे बता दिया कि हम दोनों ने एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बना लिया है।

सच तो ये था लौड़ा कि विधी क्या बोले जा रेली थी वो सब अब अपुन के सिर के ऊपर से जा रेला था। मतलब कि अपुन इतना ज्यादा शॉक हो गयला था कि बेटीचोद दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था। अपुन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसने इतनी आसानी से दिव्या को सब कुछ बता दिया है।

अपुन ─ माय गॉड तूने दिव्या को सब कुछ बता दिया?

विधी ─ मैं क्या करती भाई? उसके पूछने पर मैं अंदर से इतना डर गई थी कि लगा अगर उसे सच सच नहीं बताया तो जाने वो क्या क्या सोच बैठेगी और फिर कहीं वो घर में किसी को बता न दे। इस लिए पहले उसे कसम दी फिर सब सच सच बता दिया।

अपुन समझ गया कि इसी लिए दिव्या जब अपुन को डिनर के लिए बुलाने आईली थी तब वो नॉर्मल थी। पर लौड़ा उसे इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए था।

अपुन ─ तो फिर क्या कहा उसने? मतलब कि जब उसे ये सब पता चला तब क्या बोली वो तुझसे?

विधी ─ पहले तो वो बहुत शॉक हुई थी फिर मैंने उसे समझाया कि हम दोनों बस नॉर्मली किस करने को बोल रहे थे क्योंकि अब हम न्यू रिलेशन में हैं, हां नहीं तो।

अपुन ─ फिर क्या बोली वो?

विधी ─ पूछ रही थी कि क्या भाई बहन आपस में ऐसा रिलेशन रख सकते हैं तो मैंने कहा कि रख सकते हैं लेकिन हमारे बीच एक लिमिट रहेगी। मतलब कि हम इस रिलेशन में सिर्फ किस कर सकते हैं बाकी कुछ नहीं।

अपुन ─ फिर क्या कहा उसने?

विधी ─ और तो कुछ नहीं कहा लेकिन हां उसने ये जरूर पूछा कि मैं तुम्हें किस तरह किस करने को बोल रही थी?

अपुन ─ मतलब??

विधी ─ अरे! उसका मतलब ये था कि क्या मैं तुम्हें अपने होठों पर किस करने को कह रही थी तो मैंने उसे बताया कि हम लोग भाई बहन हैं इस लिए होठों पर किस नहीं कर सकते। मतलब कि मैं तुम्हें चिक पर किस करने को कह रही थी। मेरी ये बात सुन कर वो हंसने लगी थी।

अपुन ─ क्यों? आई मीन वो हंसने क्यों लग गईली थी?

विधी ─ चिक पर किस करने की बात सुन कर हंसी थी वो। फिर मजाक में बोलने लगी कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के रिलेशन में किस चिक पर नहीं लिप पर की जाती है। उसकी बात सुन कर मैंने उससे कहा कि पागल है क्या तो कहने लगी कि चिक पर किस तो कोई भी कर सकता है। मतलब कि उसके लिए गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होना जरूरी नहीं है लेकिन अगर हम गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाला रिलेशन रखते हैं तो इसमें लिप पर ही किस करना चाहिए। और पता है तुझे, कह रही थी कि अगर वो तेरी गर्लफ्रेंड होती तो वो तुझे अपने होठों पर ही किस करने को कहती। झल्ली कहीं की, हां नहीं तो।

बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गयला था? मतलब कि दिव्या इतना कुछ विधी से बोल रेली थी। अपुन का दिमाग तो सुन के ही हैंग होने लग गयला था लौड़ा।

अपुन ─ फिर तूने क्या कहा उससे?

विधी ─ मैंने कह दिया कि नहीं लिप पर किस करना गलत है। एक्चुअली भाई...मैंने उससे ये नहीं कहा कि हम दोनों लिप पर ही किस करने की बात कर रहे थे। मुझे लगा अगर मैं उसे ये बताऊंगी तो वो कहीं हमारे कैरेक्टर को गंदा न कहने लगे, हां नहीं तो।

अपुन ─ ये बहुत अच्छा किया तूने जो उससे ऐसा कहा।

विधी अपुन की ये बात सुन कर एकदम खुश हो गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। फिर उसी खुशी से इतराते हुए बोली।

विधी ─ देखा न भाई, कितनी समझदारी से मैंने उस चुहिया दिव्या को हैंडल कर लिया। तू बेकार ही टेंशन ले रहा था, हां नहीं तो।

अपुन उसकी ये बात सुन कर मन ही मन ये सोच के हंस पड़ा कि लौड़ी इतने में ही खुद को स्मार्ट समझने लगी। खैर अपुन जानता था कि वो अभी कितनी मासूम और भोली थी।

अपुन ─ ज्यादा उड़ मत और खुद को इतना तीसमार खां न समझ। तुझे एक बात अच्छी तरह समझनी है कि इस बारे में तुझे बहुत ज्यादा सतर्क रहना होगा और दिव्या को भूल कर भी इस बारे में कुछ नहीं बताना है।

विधी ─ अरे! तू बेकार में ही उसकी टेंशन ले रहा है भाई। मैंने उसे समझा दिया है। देखना वो किसी से कुछ नहीं बताएगी। पता है, मैंने उसे कसम दी है, हां नहीं तो।

अपुन ─ हां ठीक है लेकिन फिर भी सतर्क रहना जरूरी है कि नहीं? भले ही तूने उसे कसम दी है लेकिन किसी दिन कसम को भूल कर उसने किसी से इस बारे में बता ही दिया तो? सोच तब क्या होगा? तुझे तो शायद ज्यादा कोई कुछ नहीं कहेगा लेकिन अपुन का इस घर से बोरिया बिस्तर निकाल दिया जाएगा। इतना ही नहीं मॉम डैड अपुन से हर रिश्ता तोड़ कर अपुन को घर से निकाल देंगे।

विधी अपुन की ये बात सुन कर अंदर तक कांप गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा टेंशन से भर गया।

विधी ─ क्या तू सच कह रहा है भाई? मतलब क्या सच में इतनी बड़ी गड़बड़ हो जाएगी?

अपुन ─ हां मेरी जान। इसी लिए कह रेला है अपुन कि आज के बाद इस बारे में दिव्या को ही नहीं बल्कि किसी को भी कुछ मत बताना।

विधी ─ तेरी कसम भाई। आज के बाद किसी को नहीं बताऊंगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ ठीक है। चल अब तू अपने रूम में जा और सो जा।

विधी ─ भाई क्या मैं तेरे साथ बेड पर सो जाऊं?

अपुन ─ नहीं, तू अपने रूम में ही जा के सो। अभी कुछ दिन तेरा अपुन के रूम में सोना ठीक नहीं है। दिव्या तुझसे भले ही छोटी है लेकिन वो तेरी तरह मासूम और भोली नहीं है। बोले तो बड़ी चालू है वो। अगर उसने तुझे अपुन के रूम में सोते देख लिया तो फौरन समझ जाएगी कि अपन लोग ने आपस में कुछ गड़बड़ किया होगा।

विधी (आश्चर्य से आंखें फाड़ कर) ─ क्या सच में वो चुहिया इतनी चालू है भाई?

अपुन ─ हां, इसी लिए तो बोल रेला है अपुन कि तू अपने रूम में जा। चल अब देर मत कर। वैसे भी रात बहुत ज्यादा हो गईली है।

विधी बेमन से बेड पर से उठ गई। उसका चेहरा एकदम से उतर गयला था। अपुन समझ गया कि उसका अपुन के रूम से जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। बस, मजबूरी के चलते ही जाने को तैयार हो गईली थी। फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदले।

विधी ─ भाई प्लीज यहीं सो जाने दे न। मैं मॉर्निंग में छह बजने से पहले ही यहां से चली जाऊंगी तो दिव्या को पता ही नहीं चलेगा, हां नहीं तो।

अपुन ने सोचा बात तो ठीक है। मतलब कि ऐसा बिल्कुल हो सकता है। वैसे भी वो इतना जोर दे रेली थी और इसी में उसकी खुशी भी थी तो अपुन ने भी इस बार उसे मजबूर नहीं किया।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। चल आ जा और हां, सिर्फ सोना ही। वैसे भी रात के सवा एक बज गएले हैं।

विधी ये सुन के खुशी से उछलने ही लगी लौड़ी। फिर एकदम से उसे सिचुएशन का खयाल आया तो पलक झपकते ही भीगी बिल्ली बन गई और चुपचाप आ कर बेड पर अपुन के बगल से लेट गई। इधर अपुन ने पास ही टेबल लैंप पर रखी अलार्म क्लॉक को उठा कर उसमें पांच बजे का अलार्म सेट कर दिया। असल में अपुन सच में नहीं चाहता था कि किसी बात का पतंगड़ बन जाए लौड़ा।

विधी (धीरे से) ─ भाई सुन न।

अपुन ─ अब सो जा न यार।

विधी ─ मुझे न तेरे से चिपक के सोना है। क्या मैं तुझसे चिपक जाऊं, प्लीज प्लीज।

उसके मुख से चिपक के सोने वाली बात सुन कर अपुन के पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई लौड़ा। शांत मन में एकदम से तरह तरह के खयालों का बवंडर चल पड़ा। लड़की के नाजुक बदन का एहसास अच्छी तरह पा चुका था अपुन, साधना के रूप में। इस लिए पलक झपकते ही अपुन के अंदर भी उससे चिपकने की इच्छा जाग उठी।

अपुन ─ अच्छा ठीक है लेकिन उसके बाद सो जाएगी न?

विधी ये सुनते ही खुशी से मुस्कुराते हुए झट से अपुन की तरफ खिसक आई और फिर सचमुच अपुन से किसी जोंक की तरह चिपक गई।

विधी ─ हां अब अच्छे से नींद आएगी भाई। तू न सच में मेरी जान है, हां नहीं तो।

अपुन उसकी बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। इधर उसके नाजुक बदन का स्पर्श होते ही अपुन के समूचे जिस्म में करेंट दौड़ने लगा। अजीब सी सनसनी होने लगी। अपुन के लाख रोकने के बाद भी वो सनसनी दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को जगा बैठी बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयालों का जो बवंडर उठा था वो और भी तेजी से जैसे हिलोरे मारने लगा लौड़ा।

अपुन बेड पर सीधा लेटा हुआ था। अपुन के जिस्म में इस वक्त ऊपर एक बनियान था और नीचे हॉफ लोवर। इधर विधी ने एक टी शर्ट और ढीला सा सलवार पहन रखा था। वो अपुन की तरफ करवट ले कर बिल्कुल अपुन से चिपक गईली थी। बोले तो उसका एक बूब अपुन की लेफ्ट छाती में छू नहीं रेला था बल्कि पूरा दब रेला था। एक हाथ को उसने अपने सिर के नीचे तकिया सा बना कर रखा हुआ था जबकि दूसरे हाथ को अपुन के सीने में रख दिया था।

अभी अपुन उसके नाजुक जिस्म के स्पर्श में ही खोया था कि अचानक वो उठ गई तो अपुन को समझ न आया कि अब क्या हुआ इसे? अपुन उससे पूछने ही वाला था कि तभी उसने अपुन के लेफ्ट हैंड को पकड़ा और उसे तकिए की शक्ल बना कर अपने सिर के नीचे रख दिया और फिर से वैसे ही लेट गई। हालांकि इस बार थोड़ा अंतर था। मतलब कि अपुन का लेफ्ट हैंड भले ही उसके लिए तकिया बन गयला था लेकिन उसका सिर एकदम से अपुन के गले और सीने के बीच आ गयला था। खुद को उसने ऐसे एडजस्ट किया कि अब वो लगभग आधा अपुन के ऊपर ही लेट गईली थी।

इस बार उसके दोनों बूब्स अपुन के सीने से बस थोड़ा सा ही नीचे दब रेले थे। अपुन के जिस्म में एक बार फिर से सनसनी दौड़ गई और मस्त कर देने वाली झुरझुरी दौड़ते हुए सीधा लन्ड को छू गई जिससे अपुन के लंड ने एक झटका मारा।

कुछ ही देर में अपुन की हालत अजीब सी होने लगी लौड़ा। बोले तो अब नींद आने का सवाल ही नहीं रह गया था। अपुन का मन इतना ज्यादा विचलित हो गयला था कि बार बार उसके नाजुक जिस्म के लम्स को और साथ ही उसकी अधपकी आम जैसी छातियों पर ही जा रेला था। बात अगर सिर्फ इतनी ही होती तो शायद अपुन सम्हाल भी लेता खुद को लेकिन तभी एक और गजब काम कर दिया उसने।

उसने अपनी एक टांग उठाई और अपुन के जांघ पर रख दी। रखते समय उसका घुटना अपुन के लन्ड को रगड़ गयला था जिसके चलते अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं।

एक तरफ अपुन का मन जाने क्या क्या सोचने पर उतारू था और दूसरी तरफ अपुन एक भाई होने के नाते इस सबको रोकना भी चाहता था। बेटीचोद हर गुजरते पल के साथ अपुन के अंदर गर्मी सी भरती जा रेली थी। अपुन से जब न रहा गया तो अपुन ने धीरे से कहा।

अपुन ─ अच्छे से लेट जा न यार।

विधी ने हौले से सिर उठा कर अपुन की तरफ देखा। नीम अंधेरे में भी उसके गुलाबी होठ अपुन को स्पष्ट दिख रेले थे। वो इतने करीब थे कि अपुन की धड़कनें और भी तेज हो गईं लौड़ा। विधी की गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किया। तभी वो धीरे से ही बोली।

विधी ─ मुझे तो अच्छा लग रहा है भाई। क्या तुझे कोई प्रॉब्लम है?

अपुन ─ हां, तू अपुन से ऐसे चिपकी है कि इस तरह तो अपुन को नींद आ ही नहीं सकती।

विधी ─ पर मुझे तो आ जाएगी भाई। तुझे क्यों नहीं आ सकती?

अपुन उसे अब कैसे बताता या ये कहें कि कैसे समझाता कि अपुन को नींद क्यों नहीं आ सकती लौड़ा? पर कुछ तो जवाब देना ही था उसे इस लिए बोला।

अपुन ─ क्योंकि अपुन को किसी से चिपक के सोने की आदत नहीं है। इस वक्त तू अपुन से ऐसे चिपकी है तो अपुन बहुत ज्यादा अनकंफर्टेबल फील कर रेला है। प्लीज ट्राय टू अंडरस्टैंड।

विधी ये सुन कर अपुन को अपलक देखने लगी। शायद वो समझने की कोशिश कर रेली थी कि अपुन के कहने का क्या मतलब है?

विधी ─ पर भाई मुझे तो कुछ भी अनकंफर्टेबल नहीं फील हो रहा।

अपुन ─ वो इस लिए क्योंकि तू अपुन के ऊपर है, अपुन तेरे ऊपर नहीं है।

विधी ─ ओह! तो ये बात है। चल तू ही मेरे ऊपर आ जा।

अपुन ─ पागल है क्या तू? तुझे लगता है कि तू अपुन का भार सह लेगी?

विधी ─ अपनी जान के लिए सह लूंगी, हां नहीं तो।

कहने के साथ ही विधी अपुन से अलग हुई और सीधा लेट गई। उसकी ये हरकत देख अपुन मन ही मन बड़ा हैरान हुआ। ये भी सोचने लेगा कि क्या उसने ऐसा स्वाभाविक रूप से कहा था या उसके मन में भी अपुन के जैसे कुछ चल रेला है?

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy :declare:
Mast update Bhai 💯
 
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