Iron Man
Try and fail. But never give up trying
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Shaandar Mast super hot erotic update
Update ~ 07
विधी ─ कुत्ते कमीने, ये क्या कर रहा था तू? एक बार भी नहीं सोचा कि तेरी बहन हूं मैं।आज के बाद अपनी शक्ल मत दिखाना मुझे।
अपुन तो लौड़ा शॉक ही हो गया। मतलब कि ये क्या बवासीर हो गया? लौड़ा जो बात सोचा ही नहीं था वो हो गयला था। अपुन तो यही सोच बैठा था कि अपुन की तरह शायद अब वो भी यही चाहती है लेकिन उसका अचानक से बदला ये रूप देख अपुन का तो जैसे फ्यूज ही उड़ गयला था।
उधर अपुन को ये सब बोल कर वो बेड से उतर गई और फिर गुस्से में ही पैर पटकता हुए रूम से बाहर निकल गई। दरवाजे के बड़े जोर से झटक कर बंद किया था उसने। इधर अपुन बेड पर ऐसे बैठा था जैसे किसी ने अपुन की गांड़ ही मार ली हो बेटीचोद।
अब आगे....
अपुन बहुत देर तक इस सबके बारे में सोचता रहा। बोले तो कुछ समझ नहीं आ रेला था कि विधी ने अचानक से इस तरह का बर्ताव क्यों किया? अपुन तो लौड़ा यही सोच बैठा था कि जब वो होठों पर किस करने को राजी हो गईली है तो इस किस को थोड़ा और मजेदार बना दिया जाए। अपुन को यकीन नहीं हो रेला था कि अभी थोड़ी देर पहले क्या कुछ हो चुका है बेटीचोद।
खैर अपुन का भी दिमाग खराब हो गयला था और विधी की इस हरकत से अपुन को भी अब उस पर गुस्सा आ रेला था। अपुन ने सोच लिया कि अपुन भी अब तब तक उससे बात नहीं करेगा जब तक वो खुद अपुन के पास आ कर इसके लिए अपुन से सॉरी नहीं बोलेगी।
अपने मन से इन सारी बातों को झटक कर अपुन आराम से बेड पर लेट गया और मोबाइल देखने लगा। अपुन ने देखा मोबाइल में कई लोगों के वॉट्सएप मैसेज पड़े थे और कुछ कॉल्स भी पढ़ीं थी।
अपुन का ध्यान पहले तो साधना दी के मैसेज पर ही गया लेकिन फिर अचानक अपुन को याद आया कि साक्षी दी ने अनुष्का को फोन कर के डांटा था और फिर ये भी याद आया कि अनुष्का ने अपुन को कॉल और मैसेज भी किएला था।
अपुन ने झट से अनुष्का वाले मैसेज को ओपन किया। उसमें कई सारे मैसेज थे। जिसमें पहले तो उसने अपुन को ढेर सारे सॉरी वाले मैसेज और इमोजी भेजा था फिर लिख के बताया था कि उसने अपने हसबैंड का गुस्सा अपुन पर उतार दिया था। आखिर में उसने लिखा था कि अब से वो कभी अपुन पर गुस्सा नहीं करेगी और न ही कभी क्लास से गेट आउट करेगी। इतना ही नहीं अपुन को एक्स्ट्रा पढ़ाएगी भी जिसके लिए अपुन शाम को उसके घर जा सकता है।
उसके ये मैसेजेस देख पता नहीं क्यों अपुन को अंदर ही अंदर खुशी हुई और गुदगुदी भी हुई। इतना ही नहीं, अपुन के लंड में झनझनाहट भी हुई लौड़ा। फिर अपुन ने सोचा कि अनुष्का को इतना जल्दी माफ़ नहीं करना चाहिए। मतलब कि उसे थोड़ा सताना चाहिए या उससे मजा लेना चाहिए।
अनुष्का, साक्षी दी के साथ कॉलेज में पढ़ती थी और दोनों में आज भी गहरी दोस्ती है। कहने का मतलब ये कि अनुष्का और उसकी फैमिली से अपन लोग की पहले से ही जान पहचान थी। खैर अपुन ने मैसेज टाइप किया और उसे भेज दिया।
अपुन (मैसेज) ─ अपनी सॉरी अपने पास ही रखो। अपुन बहुत गुस्सा है और बात नहीं करना चाहता आपसे।
अपुन जानता था कि उनका रिप्लाई जल्दी नहीं आएगा इस लिए अपुन साधना दी का मैसेज देखने लगा। उन्होंने अपने मैसेजेस में फिर से वही सब लिखा था जो पहले शुरू में बताया था कि उन्हें अपुन की बहुत याद आ रेली है और उनका कहीं मन नहीं लग रहा लौड़ा लहसुन वगैरा वगैरा। खैर अपुन ने उनको भी मैसेज भेजा।
अपुन ─ सॉरी दी, रिप्लाई करने का टाइम ही नहीं मिला। पहले पढ़ाई की, फिर डिनर किया और अब जा के आपको रिप्लाई देने का टाइम मिला।
अपुन ने सोचा उनका भी रिप्लाई जल्दी नहीं आएगा लेकिन लौड़ा दस सेकंड भी न लगा उनका रिप्लाई आने में। लगता है लौड़ी मोबाइल हाथ में ही लिए बैठी थी।
साधना दी ─ ओह! इट्स ओके बाबू और प्लीज मुझे दी मत बोला करो न।
अपुन (हैरानी से) ─ फिर क्या बोले अपुन?
साधना दी ─ जब हम दोनों मैसेज में बात करें या जब अकेले हों तो तुम मुझे सिर्फ साधना बोला करो। और हां, तुम मुझे आप भी मत बोला करो। मुझे अच्छा नहीं लगता।
अपुन ने सोचा अपुन भी तो लौड़ा यही चाहता है। बेटीचोद, मैनर्स तो अपुन को झांठ बराबर भी पसंद नहीं हैं। खास कर तब जब अपुन को किसी को इज्जत देना हो।
अपुन ─ ओके, अब से ऐसा ही करेगा अपुन।
(तो भाई लोग अब से यहां भी अपुन बातचीत के दौरान उसे सिर्फ साधना ही लिखेगा)
साधना ─ ओह! थैंक्यू बाबू। अच्छा, क्या मैं तुम्हें कॉल करूं? वो क्या है न मुझे तुम्हारी आवाज सुनने का बहुत मन कर रहा है।
अपुन ने सोचा अगर वो खुद ही कॉल पर बात करना चाहती है तो लौड़ा अपुन को क्या प्रॉब्लम हो सकती है? इस लिए अपुन ने मैसेज में बोल दिया कि हां वो कॉल कर सकती है।
बेटीचोद, पांच सेकंड में ही अपुन का मोबाइल रिंग करने लगा। शुक्र था कि रिंग का वॉल्यूम कम था और अपुन ने भी झट से उठा लिया था वरना रिंग की आवाज रूम से बाहर चली जाती और संभव है कि दिव्या के रूम में भी पहुंच जाती। ज़ाहिर है इससे गड़बड़ होने के चांस बन जाने थे लौड़ा।
खैर अपुन ने मोबाइल कान से लगाया और उसे धीमी आवाज में हेलो कहा।
साधना ─ ओह! बाबू, आखिर तुम्हारी आवाज सुन ही ली मैंने। तुम्हें पता है आज सारा दिन मैं अकेली रही और अपने रूम में बेड पर लेटी तुम्हारी पिक में तुम्हें ही देखती रही।
अपुन (शॉक्ड) ─ ओह! क्या सच में?
साधना ─ हां, और तुम्हें पता है इस वक्त भी मैं घर में अकेली ही हूं और तुम्हें ही याद कर रही थी।
अपुन को बड़ी हैरानी हुई कि वो इस वक्त भी घर में अकेली है। पता नहीं क्यों पर अपुन के मन में उसके अकेले रहने पर अलग ही खयाल उभरने लगे लौड़ा। लेकिन पहले अपुन जानना चाहता था कि वो अकेली क्यों है? मतलब, ये तो अपुन समझ गयला था कि उसका भाई अमित अपनी मां को नानी के यहां से ले कर वापस नहीं आया होगा लेकिन उसके बाप को तो घर में ही होना चाहिए था। आखिर बैंक में नौकरी करता है वो।
अपुन ─ लेकिन तुम घर में अकेली क्यों हो? मतलब कि अंकल तो घर पर ही होंगे न?
साधना ─ नहीं हैं। असल में आज शाम को जब वो बैंक से आए थे तभी उन्हें मां का फोन आया था और उन्होंने उन्हें नानी के यहां फ़ौरन आने को कहा था। पहले तो पापा ने अपनी समस्या बताई कि सुबह उन्हें बैंक जाना होता है तो वो कैसे इस वक्त वहां आ सकते हैं फिर जब मां ने कहा कि आना जरूरी है तो फिर उन्हें जाना ही पड़ा। अपने साथ मुझे भी ले जा रहे थे लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया था।
अपुन ─ तुमने उनके साथ जाने से मना क्यों किया था?
साधना ─ मेरा कहीं जाने का मन ही नहीं कर रहा था तो मना कर दिया। फिर जब वो कहने लगे कि यहां घर में अकेले कैसे रहोगी तो बोल दिया कि रह लूंगी, वैसे भी सुबह तो वो आ ही जाएंगे।
अपुन (शॉक) ─ और अंकल मान गए?
साधना ─ जल्दी नहीं माने वो। फिर जब मैंने उन्हें बहाने से बताया कि मुझे कुछ पर्सनल प्रॉब्लम है तब वो माने और फिर अपना अच्छे से खयाल रखना और घर के सभी खिड़की दरवाजे बंद कर के रखने का बोल कर चले गए।
अपुन उसकी ये सब बातें सुन के हैरान भी था और थोड़ा उत्साहित भी। बोले तो अब अपुन के मन में फिर से कुछ कुछ होने लगा था लौड़ा। पर अपुन खुद उससे इस बारे में कुछ बोलना नहीं चाहता था।
साधना ─ इस वक्त पूरे घर में मैं अकेली हूं बाबू। मेरा बहुत मन कर रहा है कि काश इस वक्त तुम भी मेरे पास होते। क्या तुम मेरे खातिर मेरे घर नहीं आ सकते?
अपुन मन ही मन खुश तो बहुत हुआ लौड़ा लेकिन थोड़ा ना नुकुर करना भी जरूरी था वरना वो यही समझती कि अपुन तो यही चाहता था बेटीचोद।
अपुन ─ ये क्या बोल रेली हो तुम? अपुन रात के इस वक्त तुम्हारे घर कैसे आ सकता है? किसी को पता चल गया तो भारी लफड़ा हो जाएगा।
साधना ─ प्लीज बाबू आ जाओ न। किसी को भी पता नहीं चलेगा।
अपुन ─ यार तुम तो अपुन को धर्म संकट में डाल रेली हो।
साधना ─ सॉरी बाबू, पर मैं क्या करूं? सच कहूं तो मैंने पापा को जान बूझ कर जाने से इंकार किया था। मुझे कोई पर्सनल प्रॉब्लम नहीं थी लेकिन जब मुझे ये पता चला था कि पापा को भी नानी के यहां जाना पड़ेगा तो अचानक ही उस वक्त मुझे तुम्हारा खयाल आ गया था और फिर मैं सोचने लगी थी कि तुम्हारे साथ काफी समय तक रहने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। बस, इसी लिए पापा को पर्सनल प्रॉब्लम का बहाना बना के मना कर दिया था। प्लीज बाबू, मान जाओ न।
सच तो ये था लौड़ा कि अब अपुन के मन में लड्डू फूटने लगे थे। मन तो करने लग गयला था कि अभी एक ही पल में अपुन उसके पास पहुंच जाए लेकिन तभी अपुन को खयाल आया कि पहले उससे कुछ बातों का करार कर लिया जाए। फोकट में उसके घर चौकीदार बनने के वास्ते नहीं जाना चाहता था अपुन। बोले तो अपुन का कुछ तो फायदा होनाइच मांगता था लौड़ा।
अपुन ─ यार प्रॉब्लम ये है कि अपुन यहां से निकलेगा कैसे और अगर किसी तरह अपुन यहां से निकल भी लिया तो तुम्हारे पास आने से अपुन को इनाम में मिलेगा क्या?
साधना ─ तुम भी बुद्धू ही हो। अरे! इतना भी नहीं समझते कि एक अकेली लड़की जो तुम्हें बहुत चाहती है वो इस तरह क्यों अपने पास बुला रही है?
अपुन ─ मतलब??
साधना ─ उफ्फ! तुम इतने बुद्धू क्यों हो मेरे बाबू? क्या तुम सच में नहीं समझते कि मैं तुम्हें क्यों बुला रहीं हूं?
अपुन समझ तो गयला था लेकिन लौड़ा उसके मुख से क्लियर सुनना चाह रेला था अपुन। बोले तो कोई किच किच नहीं चाहिए था अपुन को, हां नहीं तो। (अबे ये हां नहीं तो अपुन के मन में कैसे आ गया लौड़ा? बेटीचोद ये तो अपुन की जुड़वा बहन विधी का तकिया कलाम है, हट लौड़ा) खैर अपुन ने उससे कहा।
अपुन ─ लगता है अपुन सच में बुद्धू ही है। तुम ही साफ साफ बता दो न।
साधना ─ बस इतना समझ लो बाबू कि यहां आओगे तो फायदे में ही रहोगे। सारी रात हमारी होगी और हम दोनों एक ही बेड पर होंगे। अब ठीक है न?
वैसे तो लौड़ा अभी भी थोड़ा क्लियर होना चाहिए था पर खैर कोई बात नहीं। अपुन ने भी सोचा कि क्यों उसे ज्यादा परेशान करे लौड़ा? तभी अपुन की चुप्पी पर वो बोली।
साधना ─ तो आ रहे हो न बाबू? प्लीज आ जाओ न। तुम्हारी साधना तुम्हें बहुत याद कर रही है। तुम्हें अपनी बाहों में भर लेना चाहती है। तुम्हें बहुत सारा प्यार करना चाहती है। आ जाओ न प्लीज।
अपुन (एकदम खुश हो के) ─ ओके, अपुन आ रेला है। अपुन के वेलकम के लिए अच्छे से रेडी रहने का।
साधना ─ बिल्कुल बाबू। तुम्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी। बस तुम जल्दी से आ जाओ। अब एक पल भी तुम्हारे बिना रहा नहीं जा रहा।
अपुन ने झट से कॉल कट किया और सोचने लगा कि यहां से कैसे निकला जाए? वैसे निकलना मुश्किल नहीं था लेकिन आज से पहले अपुन ने ऐसा काम कभी नहीं किया था इस लिए थोड़ा डर और घबराहट होने लगी थी लौड़ा।
कुछ तो ये सोच के भी गांड़ फट रेली थी कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा? बोले तो ऐसे में तो अपुन की तबीयत से गाड़ फट जाएगी या फाड़ दी जाएगी लौड़ा। पर, अपुन को अब किसी बात की परवाह नहीं थीं। साधना के साथ बहुत सारा मजा करने को मिलने वाला था और अपुन इस मजे को छोड़ने वाला नहीं था बेटीचोद।
अपुन ने फटाफट कपड़े पहने और बाइक की चाबी ले कर रूम से दबे पांव निकला। रूम की लाइट बुझा दिया था अपुन ने, ताकि रात में अगर कोई अपुन के रूम की तरफ आए तो वो यही समझे कि अपुन हाथी घोड़े बेच के सोया हुआ है लौड़ा।
सीढ़ियों से उतर कर अपुन ग्राउंड फ्लोर पर आया। हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। बस एक दो लाइट्स जल रेली थी। अपुन ने साक्षी दी के रूम के पास जा कर उनके रूम के अंदर का जायजा लिया। जब समझ गया कि साक्षी दी सोई हुई हैं तो अपुन मेन गेट की तरफ बढ़ चला।
मेन गेट को अपुन ने बहुत ही सावधानी से खोला और बाहर आ कर वापस गेट को अच्छे से बंद कर दिया। उसके बाद अपुन आराम से गैरेज में गया। वहां से बाइक को पैदल ही धकेलते हुए बाहर सड़क तक लाया। इतने में ही अपुन की सांसें फूल गईली थी बेटीचोद।
सड़क पर आने के बाद अपुन ने बाइक को स्टार्ट किया और फिर दौड़ा दिया उसको साधना के घर की तरफ। रास्ते में अपुन सोच रेला था कि बाइक को अपुन साधना के घर से थोड़ी दूर ऐसी जगह खड़ी कर देगा जहां से वो चोरी भी न हो और किसी को अपुन के यहां आने का पता भी न चले।
अपुन ने ऐसा ही किया। साधना के घर के पास पहुंच कर अपुन ने बाइक को सही जगह पर खड़ी किया और फिर पैदल ही साधना के घर के दरवाज़े तक आया। इस बीच अपुन ने साधना को मैसेज कर के बता दिया था कि अपुन दरवाजे पर आ गयला है।
साधना लौड़ी ने भारी होशियारी का काम किएला था। बोले तो घर की सभी लाइट्स जो पहले ही बुझी हुईं थी उन्हें बुझी ही रहने दिया था। जब वो दरवाजा खोलने आई तब भी अंदर अंधेरा ही था। अपुन समझ गया कि ये सब उसने सावधानी के लिए और किसी को पता न चले इसके लिए क्या था। उसकी ये समझदारी देख अपुन भारी खुश हो गयला था।
अपुन जैसे ही अंदर दाखिल हुआ तो उसने सावधानी से फौरन दरवाजा बंद कर दिया। उसके बाद अंधेरे में ही आ कर अपुन से लिपट गई।
उसका नाजुक और गरम जिस्म अपुन के जिस्म से चिपका तो पलक झपकते ही अपुन का रोम रोम सिहर गया लौड़ा। यहां तक कि अपुन का लौड़ा भी गनगना गया बेटीचोद।
साधना ─ ओह! विराट तुम आ गए। थैंक्यू सो मच माय डियर...माय लव।
अपुन से वो लिपटी हुई थी और ये कहते हुए एकदम से अपुन के चेहरे को चूमने लग गईली थी। अपुन भी कहां पीछे रहता। बोले तो मजा लेने का कोई मौका कैसे छोड़ सकता था अपुन?
इस लिए जैसे ही चूमते हुए वो अपुन के होठों पर आई तो अपुन ने लपक कर खुद ही उसके होठों को मुंह में भर लिया और पूरे जोश से उन्हें चूसने लगा। उधर वो लौड़ी तो जैसे इसी का इंतज़ार कर रेली थी। वो भी दुगुने जोश के साथ अपुन के होठ चूसने लगी लौड़ी।
करीब पांच मिनट तक अपन दोनों ने एक दूसरे के जम के होठ चूसे और जब सांसें फूलने लगीं तो अलग हो गए। अंधेरे में अब वो थोड़ा थोड़ा साफ दिखने लगी थी। अपुन ने देखा उसकी सांसें उखड़ी हुईं थी और उसका सीना ऊपर नीचे हो रेला था।
साधना ─ मन तो अभी नहीं भरा बाबू लेकिन यहां अंधेरे में ये सब ठीक भी नहीं लग रहा। इस लिए रूम में ही चलते हैं।
अपुन ─ हां ठीक है चलो।
अपुन दोनों कुछ ही में रूम में आ गए। रूम में नाइट बल्ब जल रेला था जिसकी मध्यम रोशनी में साधना अब अपुन को अच्छे से दिख रेली थी। मगर अपुन को और अच्छे से दिखना मांगता था इस लिए अपुन ने दीवार पर लगे स्विच में एक बटन दबाया तो रूम में तेज रोशनी फैल गई।
अपुन ने देखा, साधना व्हाइट टॉप पहने खड़ी थी जिसमें उसके उभरे हुए बूब्स साफ दिख रेले थे।
अपुन का मन तो किया कि अभी आगे बढ़े और उन्हें दोनों हाथों से दबोच ले मगर फिर अपुन ने सोचा इतनी जल्दी भी क्या है? बोले तो सारी रात ही तो अपनी है लौड़ा।
साधना अपुन को एकटक देख रेली थी और फिर देखते ही देखते वो अपुन के करीब आई। अपुन की धड़कनें फिर से बढ़ गईं। वो दिलकश अदाओं से अपुन को देख हल्के से मुस्कुराई। अपुन के अंदर अब बड़े जोर का तूफ़ान उठने को था।
साधना ─ मन तो करता है कि तुम्हें खा ही जाऊं बाबू लेकिन फिर सोचती हूं कि अगर ऐसा किया तो बाद में क्या करूंगी?
अपुन ─ मन तो अपुन का भी कर रेला है कि तुम्हें नीचे से ऊपर तक खा जाए।
साधना अपुन की बात सुन कर मानो मदहोश सी होने लगी। नशीली आंखों से अपुन को देखते हुए बोली।
साधना ─ उफ्फ! तो खा जाओ न बाबू।
कहने के साथ ही वो अपने एक हाथ से अपुन का चेहरा हौले से सहलाने लगी। उसके छूते ही अपुन के जिस्म में करेंट सा दौड़ गया। तूफान तो लौड़ा पहले से ही उठने को बेताब था।
वैसे अपुन ये भी सोच के हैरान हो रेला था कि आज सचमुच इसे क्या हो गयला है। मतलब कि उसे इतना बेबस, इतने उतावलेपन में और इतना कामुक पहले कभी नहीं देखा था अपुन ने। अपुन की नज़र में तो वो एक साधारण सी सोच रखने वाली लड़की ही थी जिसके मन में कहीं न कहीं अपुन के प्रति कोमल जज्बात भी थे लेकिन वो ऐसी निकलेगी इसकी कल्पना कभी नहीं की थी अपुन ने।
तभी अपुन को सोचो में गुम देख उसने अपनी एड़ी उठाई और अपुन के होठों को चूम लिया।
साधना ─ मैं तुम्हारे होठों को चूमने चाटने के लिए मरी जा रही हूं और तुम चुपचाप खड़े जाने क्या सोच रहे हो?
अपुन ─ अपुन सोच रेला है कि आज जैसा तुम्हारा रूप पहले कभी नहीं देखा अपुन ने।
साधना ─ आज से पहले तुम मुझे इस तरह मिले भी तो नहीं थे बाबू। आज से पहले तो बस मन ही मन तुम्हें चाहती थी और यही दुआ किया करती थी कि काश तुम भी मुझे मेरी ही तरह चाहो।
अपुन को लगा कि कहीं माहौल सेंटी न बन जाए इस लिए अपुन ने फौरन गियर बदला और दोनों हाथ उठा कर उसके चेहरे को थाम लिया। उसके बाद बिना कुछ कहे उसके होठों पर झुकता चला गया अपुन।
जैसे ही अपन दोनों के होठ मिले तो लौड़ा फिर से बदन में करेंट दौड़ गया और मजे की तरंग पूरे जिस्म में दौड़ गई। पहले तो अपुन ने एक दो बार उसके रसीले होठों को तरीके से चूमा और फिर एकदम से उन्हें मुंह में भर कर चूसने लगा। साधना तो जैसे कब से इसके इंतजार में थी। वो भी पूरे जोश के साथ अपुन का साथ देने लगी।
एक बात तो थी लौड़ा कि उसके होठ बहुत ही गजब के थे। एकदम कोमल और मीठे, अपुन का तो मन ही नहीं भर रेला था लौड़ा पर कुछ ही देर में अपन लोग की सांसें फूल गईं और अपन लोग को अलग होना पड़ा बेटीचोद।
उखड़ी सांसों को सम्हालते हुए अपन दोनों ने कुछ पलों तक एक दूसरे को देखा और फिर से लपक कर एक दूसरे के होठ चूसने लगे। साधना तो जैसे पागल ही हो जाती थी लौड़ी। वो जितना अपुन के होठ चूसती उतना ही अपुन के चेहरे को सहलाते हुए बालों को खींचती।
अपुन उसके होठों को छोड़ गले पर आया। गोरे चिकने गले को चूमते चाटते अपुन जल्दी ही उसके सीने पर आ गया। टॉप के खुले हिस्से के नीचे उसके बूब्स की घाटियां थी जिन्हें अपुन जीभ निकाल कर चाटने लगा। अपुन के ऐसा करते ही साधना जोर से मचलने लगी।
साधना ─ उफ्फ! वि..राट शश्श्श्श कितना अच्छा लगता है जब तुम ऐसे करते हो।
अपुन ने सिर उठाया और पूछा।
अपुन ─ और क्या क्या अच्छा लगता है?
साधना ─ तुम जो जो करते हो सब अच्छा लगता है बाबू। प्लीज करो न, रुक क्यों गए?
अपुन ने एक झटके में उसे उठा कर बाहों में ले लिया। अपुन के ऐसा करते ही पहले तो वो एकदम से घबरा गई फिर मुस्कुरा उठी। इधर अपुन उसे बाहों में लिए बेड के पास आया और उसे बेड पर आहिस्ता से लेटा दिया।
रूम में फुल रोशनी थी इस लिए सब कुछ साफ साफ दिख रेला था। वो बेड पर लेटी मुस्कुराते हुए अपुन को देखे जा रेली थी और अपुन नीचे खड़ा था। फिर उसे देखते हुए बोला।
अपुन ─ क्या आज की रात हम हद पार कर जाएं?
साधना ─ तुम्हें जो करना है करो बाबू। मैं तुम्हें किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी। बस तुम मुझे ऐसे प्यार करो कि मैं तुम्हारे प्यार से तृप्त हो जाऊं।
अपुन समझ गया कि लौड़ी ने अपुन से चुदवाने का पहले से ही मन बना लिया था और अब चाहती थी कि अपुन उसे पेल के पेले लौड़ा।
ख़ैर अपुन तो जैसे खुशी से नाच ही उठा था लौड़ा। एक मिनिट भी नहीं लगा अपुन को अपने कपड़े उतार कर फेंकने में। अब अपुन सिर्फ अंडरवियर में था जिसमें अपुन का तना हुआ लन्ड साफ समझ में आ रेला था।
साधना की नज़र जैसे ही अपुन के कच्छे में दिख रहे लन्ड के उभार पर पड़ी तो उसकी आँखें चौड़ी हो गईं और साथ ही उसका मुख भी भाड़ की तरह हैरानी से खुल गया।
फिर उसने अपुन की तरफ देखा और जैसे ही उसने अपुन को मुस्कुराता देखा तो उसने शर्म से अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया। अपुन ने मन ही मन कहा─अभी तो शर्मा रेली है लौड़ी, बाद में इसको अपनी चूत में ले कर मजे से चीखेगी भी। फिर अपुन ने उससे मुस्कुरा कर कहा।
अपुन ─ क्या हुआ? तुमने चेहरा क्यों घुमा लिया?
साधना ने धीरे से गर्दन घुमा कर अपुन की तरफ देखा। उसका चेहरा शर्म से लाल था और होठों पर शर्म मिश्रित मुस्कान।
साधना ─ वो...वो तुम्हारे उसको देख के मुझे शर्म आ गई थी।
अपुन ─ किसको देख के?
साधना ─ उ..उसी को जो तुम्हें अ..अंडरवियर में छुपा है।
अपुन ─ अरे! उसका कुछ नाम भी तो होगा?
साधना (शर्मा कर) ─ न...नाम?? नहीं नहीं मुझे उसका नाम नहीं पता।
अपुन ─ अपुन मान ही नहीं सकता कि तुम्हें उसका नाम नहीं पता। चलो बताओ अब।
साधना बुरी तरह शर्माने लगी लेकिन फिर अपुन की तरफ देखने की उसने हिम्मत की और मुस्कुराते हुए बोली।
साधना ─ प्लीज, मत पूछो न। मैं उसका नाम नहीं ले सकती।
अपुन ─ क्यों?
साधना ─ शर्म आती है न बाबू, प्लीज समझो न।
अपुन ने सोचा क्या फालतू की बातों में उसे तंग करना और समय बर्बाद करना इस लिए उसे और मजबूर नहीं किया और बेड पर उसके पास पहुंच गया। वो चोर नज़रों से बार बार अपुन के कच्छे की तरफ देखने लगती थी।
अपुन ─ अच्छा अपुन ने तो अपने कपड़े उतार लिए हैं अब तुम भी अपने कपड़े उतार डालो न।
साधना ─ क्या?? न...नहीं न प्लीज।
अपुन ─ कपड़े नहीं उतारोगी तो प्यार वाला आगे का काम कैसे होगा?
साधना मुस्कुरा भी रेली थी, शर्मा भी रेली थी और अपुन ने महसूस किया कि वो हल्का हल्का कांप भी रेली थी। मतलब प्यार के जज़्बात में बह कर उसने भले ही अपुन को सब कुछ कर लेने को कह दिया था लेकिन अब उस सबके बारे में सोच कर वो अंदर ही अंदर घबराए जा रेली थी। ये अलग बात है कि वो इसके बावजूद अपुन को रुक जाने को नहीं बोल रेली थी। मतलब साफ था कि वो इसके लिए पूरी तरह तैयार थी, बस थोड़ा घबराई हुई थी बेटीचोद।
अपुन ने आगे बढ़ कर उसका चेहरा थाम लिया और फिर से उसके होठों को चूमने चूसने लगा। कुछ ही पलों में वो भी अपुन का साथ देते हुए ऐसा ही करने लगी। तभी अपुन ने एक हाथ से उसके एक बूब को पकड़ लिया और उसे दबाना शुरू कर दिया।
उफ्फ! कितना गजब एहसास था उसके दूध को दबाने का। लौड़ा, इतना मजा आया कि अपुन जल्दी जल्दी उसे मसलने ही लगा। अपुन की इस हरकत से साधना जोर जोर से मचलने लगी।
साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श वि..राट थोड़ा धीरे से द..बाओ न।
उसकी बात सुन अपुन ने उसके होठ छोड़े और उससे थोड़ अलग हो कर उसके टॉप को पकड़ कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया। पहले तो वो अपुन के ऐसा करने पर झिझकी लेकिन फिर अपुन की आंखों में देखते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिए। अपुन ने थोड़ा जोर लगा कर कुछ ही पलों में उसके टॉप को ऊपर कर के उसके सिर से निकाल कर बेड के दूसरी तरफ उछाल दिया।
टॉप के उतरते ही उसका जवानी से छलकता जिस्म स्पष्ट नुमायां हो उठा। गोरे चिकने बदन पर कहीं कोई दाग नहीं था। सीने पर मौजूद उसके बड़े बड़े बूब्स रेड कलर की ब्रा में कैद थे जो बहुत ही खूबसूरत नजारा पेश कर रेले थे।
अपुन तो लौड़ा ब्रा में कैद उसके बूब्स को मंत्रमुग्ध हो के देखने ही लग गयला था। ये देख वो एक बार फिर से शर्मा गई और दोनों हाथों की कैंची बना कर अपने बूब्स को छुपाने लगी। उसे ऐसा करते देख अपुन अनायास ही मुस्कुरा उठा फिर बोला।
अपुन ─ इतनी खूबसूरत चीज़ को अपुन से क्यों छुपा रेली हो? अपने हाथ हटाओ न, अपुन को तो अभी इन्हें पूरी तरह से नंगा देखने का है, जैसे आज दिन में देखा था।
साधना अपुन की बात सुन शर्म से मुस्कुराने लगी। उसके बूब्स अभी भी उसके हाथों की कैंची के पीछे छुपे थे। अपुन एकदम से उसके पीछे जा बैठ गया और फिर पीछे से ही दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पहले उसके हाथ हटाए और फिर उसके ब्रा में कैद बूब्स को मसलते हुए ब्रा को नीचे करने लगा। पर वो लौड़ी मचलने लग गईली थी और बार बार अपने हाथों को लगा कर ब्रा को उतरने से रोक ले रेली थी। अपुन ने पीछे से उसके नंगे कंधे को चूमना शुरू किया और साथ ही ब्रा को भी उतारने की कोशिश की। उसके कंधे को चूमते हुए बीच बीच में उसके बूब्स भी मसल देता जिससे वो मचल उठती।
आखिरकार अपुन की जीत हुई। अपुन ने उसकी ब्रा खोल कर उसके जिस्म से अलग कर दी। पहले तो अपुन ने पीछे बैठे बैठे ही उसके नंगे बूब्स को मसला और उसके कंधे, गले और पीठ को चूमा चाटा, फिर उठ कर उसके आगे आ गया। असल में अपुन सामने से उसके बूब्स को अपनी आंखों से देखना चाह रेला था।
सामने आ कर अपुन ने उसके बूब्स को देखा। वाह! क्या गोरे चिकने और मक्खन की तरह दिख रेले थे उसके गोल गुब्बारे। कितने सुंदर शेप में थे वो। दोनों बूब्स के बीच भूरे लंग के निप्पल इतने आकर्षक थे कि अपुन से रहा न गया। अपुन ने झट उसके दोनों उभारों को थाम लिया और फिर झुक कर बाएं निप्पल को जीभ निकाल कर चाटने लगा।
साधना ─ शश्श्श्श वि..राट। उफ्फ! शश्श्श्श।
साधना मजे से सिसकियां लेने लगी और इधर अपुन को उसके निप्पल को चाटने में इतना मजा आया कि अपुन ने सीधा उसे मुंह में भर कर चूसना ही शुरू कर दिया लौड़ा।
साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् उफ्फ वि.राट। मैं...मैं पागल हो जाऊंगी। म..त करो न ऐसे।
पर अपुन ने उसकी बात नहीं सुनी और मजे से उसके बूब्स को दबा दबा के निप्पल को चूसता रहा। जब एक से मन भर गया तो दूसरे को थाम कर चूसने लगा। साधना अब और भी तरह मचलने लगी थी। मजे के तरंग में वो अपुन के बालों को खींच भी लेती और अपुन के सिर को अपने बूब्स पर दबाने भी लगती।
साधना का बुरा हाल तो था ही लेकिन अपुन का भी बुरा हुआ जा रेला था लौड़ा। बोले तो अपुन का लन्ड इस सबके चलते बुरी तरह अकड़ गयला था। अपुन से अब बर्दाश्त नहीं हो रेला था। मन कर रेला था कि अभी साधना की डार्क ब्ल्यू कलर की पेंटी निकाल कर अपना लन्ड उसकी बुर में डाल दे।
To be continued...
Aaj ke liye itna hi bhai log..
Read and enjoy..
Anushka se milne ka mauka milega padhne ke bahne ye bhi ho jaye
Saadhna ne mauka nikal liya Virat ke saath Raat bitane ka lagta dono ki virginity tutne wali hai