• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
41,389
105,022
304
Update ~ 07




विधी ─ कुत्ते कमीने, ये क्या कर रहा था तू? एक बार भी नहीं सोचा कि तेरी बहन हूं मैं।आज के बाद अपनी शक्ल मत दिखाना मुझे।

अपुन तो लौड़ा शॉक ही हो गया। मतलब कि ये क्या बवासीर हो गया? लौड़ा जो बात सोचा ही नहीं था वो हो गयला था। अपुन तो यही सोच बैठा था कि अपुन की तरह शायद अब वो भी यही चाहती है लेकिन उसका अचानक से बदला ये रूप देख अपुन का तो जैसे फ्यूज ही उड़ गयला था।

उधर अपुन को ये सब बोल कर वो बेड से उतर गई और फिर गुस्से में ही पैर पटकता हुए रूम से बाहर निकल गई। दरवाजे के बड़े जोर से झटक कर बंद किया था उसने। इधर अपुन बेड पर ऐसे बैठा था जैसे किसी ने अपुन की गांड़ ही मार ली हो बेटीचोद।



अब आगे....


अपुन बहुत देर तक इस सबके बारे में सोचता रहा। बोले तो कुछ समझ नहीं आ रेला था कि विधी ने अचानक से इस तरह का बर्ताव क्यों किया? अपुन तो लौड़ा यही सोच बैठा था कि जब वो होठों पर किस करने को राजी हो ग‌ईली है तो इस किस को थोड़ा और मजेदार बना दिया जाए। अपुन को यकीन नहीं हो रेला था कि अभी थोड़ी देर पहले क्या कुछ हो चुका है बेटीचोद।

खैर अपुन का भी दिमाग खराब हो गयला था और विधी की इस हरकत से अपुन को भी अब उस पर गुस्सा आ रेला था। अपुन ने सोच लिया कि अपुन भी अब तब तक उससे बात नहीं करेगा जब तक वो खुद अपुन के पास आ कर इसके लिए अपुन से सॉरी नहीं बोलेगी।

अपने मन से इन सारी बातों को झटक कर अपुन आराम से बेड पर लेट गया और मोबाइल देखने लगा। अपुन ने देखा मोबाइल में कई लोगों के वॉट्सएप मैसेज पड़े थे और कुछ कॉल्स भी पढ़ीं थी।

अपुन का ध्यान पहले तो साधना दी के मैसेज पर ही गया लेकिन फिर अचानक अपुन को याद आया कि साक्षी दी ने अनुष्का को फोन कर के डांटा था और फिर ये भी याद आया कि अनुष्का ने अपुन को कॉल और मैसेज भी किएला था।

अपुन ने झट से अनुष्का वाले मैसेज को ओपन किया। उसमें कई सारे मैसेज थे। जिसमें पहले तो उसने अपुन को ढेर सारे सॉरी वाले मैसेज और इमोजी भेजा था फिर लिख के बताया था कि उसने अपने हसबैंड का गुस्सा अपुन पर उतार दिया था। आखिर में उसने लिखा था कि अब से वो कभी अपुन पर गुस्सा नहीं करेगी और न ही कभी क्लास से गेट आउट करेगी। इतना ही नहीं अपुन को एक्स्ट्रा पढ़ाएगी भी जिसके लिए अपुन शाम को उसके घर जा सकता है।

उसके ये मैसेजेस देख पता नहीं क्यों अपुन को अंदर ही अंदर खुशी हुई और गुदगुदी भी हुई। इतना ही नहीं, अपुन के लंड में झनझनाहट भी हुई लौड़ा। फिर अपुन ने सोचा कि अनुष्का को इतना जल्दी माफ़ नहीं करना चाहिए। मतलब कि उसे थोड़ा सताना चाहिए या उससे मजा लेना चाहिए।

अनुष्का, साक्षी दी के साथ कॉलेज में पढ़ती थी और दोनों में आज भी गहरी दोस्ती है। कहने का मतलब ये कि अनुष्का और उसकी फैमिली से अपन लोग की पहले से ही जान पहचान थी। खैर अपुन ने मैसेज टाइप किया और उसे भेज दिया।

अपुन (मैसेज) ─ अपनी सॉरी अपने पास ही रखो। अपुन बहुत गुस्सा है और बात नहीं करना चाहता आपसे।

अपुन जानता था कि उनका रिप्लाई जल्दी नहीं आएगा इस लिए अपुन साधना दी का मैसेज देखने लगा। उन्होंने अपने मैसेजेस में फिर से वही सब लिखा था जो पहले शुरू में बताया था कि उन्हें अपुन की बहुत याद आ रेली है और उनका कहीं मन नहीं लग रहा लौड़ा लहसुन वगैरा वगैरा। खैर अपुन ने उनको भी मैसेज भेजा।

अपुन ─ सॉरी दी, रिप्लाई करने का टाइम ही नहीं मिला। पहले पढ़ाई की, फिर डिनर किया और अब जा के आपको रिप्लाई देने का टाइम मिला।

अपुन ने सोचा उनका भी रिप्लाई जल्दी नहीं आएगा लेकिन लौड़ा दस सेकंड भी न लगा उनका रिप्लाई आने में। लगता है लौड़ी मोबाइल हाथ में ही लिए बैठी थी।

साधना दी ─ ओह! इट्स ओके बाबू और प्लीज मुझे दी मत बोला करो न।

अपुन (हैरानी से) ─ फिर क्या बोले अपुन?

साधना दी ─ जब हम दोनों मैसेज में बात करें या जब अकेले हों तो तुम मुझे सिर्फ साधना बोला करो। और हां, तुम मुझे आप भी मत बोला करो। मुझे अच्छा नहीं लगता।

अपुन ने सोचा अपुन भी तो लौड़ा यही चाहता है। बेटीचोद, मैनर्स तो अपुन को झांठ बराबर भी पसंद नहीं हैं। खास कर तब जब अपुन को किसी को इज्जत देना हो।

अपुन ─ ओके, अब से ऐसा ही करेगा अपुन।

(तो भाई लोग अब से यहां भी अपुन बातचीत के दौरान उसे सिर्फ साधना ही लिखेगा)

साधना ─ ओह! थैंक्यू बाबू। अच्छा, क्या मैं तुम्हें कॉल करूं? वो क्या है न मुझे तुम्हारी आवाज सुनने का बहुत मन कर रहा है।

अपुन ने सोचा अगर वो खुद ही कॉल पर बात करना चाहती है तो लौड़ा अपुन को क्या प्रॉब्लम हो सकती है? इस लिए अपुन ने मैसेज में बोल दिया कि हां वो कॉल कर सकती है।

बेटीचोद,‌ पांच सेकंड में ही अपुन का मोबाइल रिंग करने लगा। शुक्र था कि रिंग का वॉल्यूम कम था और अपुन ने भी झट से उठा लिया था वरना रिंग की आवाज रूम से बाहर चली जाती और संभव है कि दिव्या के रूम में भी पहुंच जाती। ज़ाहिर है इससे गड़बड़ होने के चांस बन जाने थे लौड़ा।

खैर अपुन ने मोबाइल कान से लगाया और उसे धीमी आवाज में हेलो कहा।

साधना ─ ओह! बाबू, आखिर तुम्हारी आवाज सुन ही ली मैंने। तुम्हें पता है आज सारा दिन मैं अकेली रही और अपने रूम में बेड पर लेटी तुम्हारी पिक में तुम्हें ही देखती रही।

अपुन (शॉक्ड) ─ ओह! क्या सच में?

साधना ─ हां, और तुम्हें पता है इस वक्त भी मैं घर में अकेली ही हूं और तुम्हें ही याद कर रही थी।

अपुन को बड़ी हैरानी हुई कि वो इस वक्त भी घर में अकेली है। पता नहीं क्यों पर अपुन के मन में उसके अकेले रहने पर अलग ही खयाल उभरने लगे लौड़ा। लेकिन पहले अपुन जानना चाहता था कि वो अकेली क्यों है? मतलब, ये तो अपुन समझ गयला था कि उसका भाई अमित अपनी मां को नानी के यहां से ले कर वापस नहीं आया होगा लेकिन उसके बाप को तो घर में ही होना चाहिए था। आखिर बैंक में नौकरी करता है वो।

अपुन ─ लेकिन तुम घर में अकेली क्यों हो? मतलब कि अंकल तो घर पर ही होंगे न?

साधना ─ नहीं हैं। असल में आज शाम को जब वो बैंक से आए थे तभी उन्हें मां का फोन आया था और उन्होंने उन्हें नानी के यहां फ़ौरन आने को कहा था। पहले तो पापा ने अपनी समस्या बताई कि सुबह उन्हें बैंक जाना होता है तो वो कैसे इस वक्त वहां आ सकते हैं फिर जब मां ने कहा कि आना जरूरी है तो फिर उन्हें जाना ही पड़ा। अपने साथ मुझे भी ले जा रहे थे लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया था।

अपुन ─ तुमने उनके साथ जाने से मना क्यों किया था?

साधना ─ मेरा कहीं जाने का मन ही नहीं कर रहा था तो मना कर दिया। फिर जब वो कहने लगे कि यहां घर में अकेले कैसे रहोगी तो बोल दिया कि रह लूंगी, वैसे भी सुबह तो वो आ ही जाएंगे।

अपुन (शॉक) ─ और अंकल मान गए?

साधना ─ जल्दी नहीं माने वो। फिर जब मैंने उन्हें बहाने से बताया कि मुझे कुछ पर्सनल प्रॉब्लम है तब वो माने और फिर अपना अच्छे से खयाल रखना और घर के सभी खिड़की दरवाजे बंद कर के रखने का बोल कर चले गए।

अपुन उसकी ये सब बातें सुन के हैरान भी था और थोड़ा उत्साहित भी। बोले तो अब अपुन के मन में फिर से कुछ कुछ होने लगा था लौड़ा। पर अपुन खुद उससे इस बारे में कुछ बोलना नहीं चाहता था।

साधना ─ इस वक्त पूरे घर में मैं अकेली हूं बाबू। मेरा बहुत मन कर रहा है कि काश इस वक्त तुम भी मेरे पास होते। क्या तुम मेरे खातिर मेरे घर नहीं आ सकते?

अपुन मन ही मन खुश तो बहुत हुआ लौड़ा लेकिन थोड़ा ना नुकुर करना भी जरूरी था वरना वो यही समझती कि अपुन तो यही चाहता था बेटीचोद।

अपुन ─ ये क्या बोल रेली हो तुम? अपुन रात के इस वक्त तुम्हारे घर कैसे आ सकता है? किसी को पता चल गया तो भारी लफड़ा हो जाएगा।

साधना ─ प्लीज बाबू आ जाओ न। किसी को भी पता नहीं चलेगा।

अपुन ─ यार तुम तो अपुन को धर्म संकट में डाल रेली हो।

साधना ─ सॉरी बाबू, पर मैं क्या करूं? सच कहूं तो मैंने पापा को जान बूझ कर जाने से इंकार किया था। मुझे कोई पर्सनल प्रॉब्लम नहीं थी लेकिन जब मुझे ये पता चला था कि पापा को भी नानी के यहां जाना पड़ेगा तो अचानक ही उस वक्त मुझे तुम्हारा खयाल आ गया था और फिर मैं सोचने लगी थी कि तुम्हारे साथ काफी समय तक रहने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। बस, इसी लिए पापा को पर्सनल प्रॉब्लम का बहाना बना के मना कर दिया था। प्लीज बाबू, मान जाओ न।

सच तो ये था लौड़ा कि अब अपुन के मन में लड्डू फूटने लगे थे। मन तो करने लग गयला था कि अभी एक ही पल में अपुन उसके पास पहुंच जाए लेकिन तभी अपुन को खयाल आया कि पहले उससे कुछ बातों का करार कर लिया जाए। फोकट में उसके घर चौकीदार बनने के वास्ते नहीं जाना चाहता था अपुन। बोले तो अपुन का कुछ तो फायदा होनाइच मांगता था लौड़ा।

अपुन ─ यार प्रॉब्लम ये है कि अपुन यहां से निकलेगा कैसे और अगर किसी तरह अपुन यहां से निकल भी लिया तो तुम्हारे पास आने से अपुन को इनाम में मिलेगा क्या?

साधना ─ तुम भी बुद्धू ही हो। अरे! इतना भी नहीं समझते कि एक अकेली लड़की जो तुम्हें बहुत चाहती है वो इस तरह क्यों अपने पास बुला रही है?

अपुन ─ मतलब??

साधना ─ उफ्फ! तुम इतने बुद्धू क्यों हो मेरे बाबू? क्या तुम सच में नहीं समझते कि मैं तुम्हें क्यों बुला रहीं हूं?

अपुन समझ तो गयला था लेकिन लौड़ा उसके मुख से क्लियर सुनना चाह रेला था अपुन। बोले तो कोई किच किच नहीं चाहिए था अपुन को, हां नहीं तो। (अबे ये हां नहीं तो अपुन के मन में कैसे आ गया लौड़ा? बेटीचोद ये तो अपुन की जुड़वा बहन विधी का तकिया कलाम है, हट लौड़ा) खैर अपुन ने उससे कहा।

अपुन ─ लगता है अपुन सच में बुद्धू ही है। तुम ही साफ साफ बता दो न।

साधना ─ बस इतना समझ लो बाबू कि यहां आओगे तो फायदे में ही रहोगे। सारी रात हमारी होगी और हम दोनों एक ही बेड पर होंगे। अब ठीक है न?

वैसे तो लौड़ा अभी भी थोड़ा क्लियर होना चाहिए था पर खैर कोई बात नहीं। अपुन ने भी सोचा कि क्यों उसे ज्यादा परेशान करे लौड़ा? तभी अपुन की चुप्पी पर वो बोली।

साधना ─ तो आ रहे हो न बाबू? प्लीज आ जाओ न। तुम्हारी साधना तुम्हें बहुत याद कर रही है। तुम्हें अपनी बाहों में भर लेना चाहती है। तुम्हें बहुत सारा प्यार करना चाहती है। आ जाओ न प्लीज।

अपुन (एकदम खुश हो के) ─ ओके, अपुन आ रेला है। अपुन के वेलकम के लिए अच्छे से रेडी रहने का।

साधना ─ बिल्कुल बाबू। तुम्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी। बस तुम जल्दी से आ जाओ। अब एक पल भी तुम्हारे बिना रहा नहीं जा रहा।

अपुन ने झट से कॉल कट किया और सोचने लगा कि यहां से कैसे निकला जाए? वैसे निकलना मुश्किल नहीं था लेकिन आज से पहले अपुन ने ऐसा काम कभी नहीं किया था इस लिए थोड़ा डर और घबराहट होने लगी थी लौड़ा।

कुछ तो ये सोच के भी गांड़ फट रेली थी कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा? बोले तो ऐसे में तो अपुन की तबीयत से गाड़ फट जाएगी या फाड़ दी जाएगी लौड़ा। पर, अपुन को अब किसी बात की परवाह नहीं थीं। साधना के साथ बहुत सारा मजा करने को मिलने वाला था और अपुन इस मजे को छोड़ने वाला नहीं था बेटीचोद।

अपुन ने फटाफट कपड़े पहने और बाइक की चाबी ले कर रूम से दबे पांव निकला। रूम की लाइट बुझा दिया था अपुन ने, ताकि रात में अगर कोई अपुन के रूम की तरफ आए तो वो यही समझे कि अपुन हाथी घोड़े बेच के सोया हुआ है लौड़ा।

सीढ़ियों से उतर कर अपुन ग्राउंड फ्लोर पर आया। हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। बस एक दो लाइट्स जल रेली थी। अपुन ने साक्षी दी के रूम के पास जा कर उनके रूम के अंदर का जायजा लिया। जब समझ गया कि साक्षी दी सोई हुई हैं तो अपुन मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

मेन गेट को अपुन ने बहुत ही सावधानी से खोला और बाहर आ कर वापस गेट को अच्छे से बंद कर दिया। उसके बाद अपुन आराम से गैरेज में गया। वहां से बाइक को पैदल ही धकेलते हुए बाहर सड़क तक लाया। इतने में ही अपुन की सांसें फूल गईली थी बेटीचोद।

सड़क पर आने के बाद अपुन ने बाइक को स्टार्ट किया और फिर दौड़ा दिया उसको साधना के घर की तरफ। रास्ते में अपुन सोच रेला था कि बाइक को अपुन साधना के घर से थोड़ी दूर ऐसी जगह खड़ी कर देगा जहां से वो चोरी भी न हो और किसी को अपुन के यहां आने का पता भी न चले।

अपुन ने ऐसा ही किया। साधना के घर के पास पहुंच कर अपुन ने बाइक को सही जगह पर खड़ी किया और फिर पैदल ही साधना के घर के दरवाज़े तक आया। इस बीच अपुन ने साधना को मैसेज कर के बता दिया था कि अपुन दरवाजे पर आ गयला है।

साधना लौड़ी ने भारी होशियारी का काम किएला था। बोले तो घर की सभी लाइट्स जो पहले ही बुझी हुईं थी उन्हें बुझी ही रहने दिया था। जब वो दरवाजा खोलने आई तब भी अंदर अंधेरा ही था। अपुन समझ गया कि ये सब उसने सावधानी के लिए और किसी को पता न चले इसके लिए क्या था। उसकी ये समझदारी देख अपुन भारी खुश हो गयला था।

अपुन जैसे ही अंदर दाखिल हुआ तो उसने सावधानी से फौरन दरवाजा बंद कर दिया। उसके बाद अंधेरे में ही आ कर अपुन से लिपट गई।

romantic-couple-caring-hug-2c5t9vfdz7ucd4cu

उसका नाजुक और गरम जिस्म अपुन के जिस्म से चिपका तो पलक झपकते ही अपुन का रोम रोम सिहर गया लौड़ा। यहां तक कि अपुन का लौड़ा भी गनगना गया बेटीचोद।

साधना ─ ओह! विराट तुम आ गए। थैंक्यू सो मच माय डियर...माय लव।

अपुन से वो लिपटी हुई थी और ये कहते हुए एकदम से अपुन के चेहरे को चूमने लग गईली थी। अपुन भी कहां पीछे रहता। बोले तो मजा लेने का कोई मौका कैसे छोड़ सकता था अपुन?

इस लिए जैसे ही चूमते हुए वो अपुन के होठों पर आई तो अपुन ने लपक कर खुद ही उसके होठों को मुंह में भर लिया और पूरे जोश से उन्हें चूसने लगा। उधर वो लौड़ी तो जैसे इसी का इंतज़ार कर रेली थी। वो भी दुगुने जोश के साथ अपुन के होठ चूसने लगी लौड़ी।

D1tJ

करीब पांच मिनट तक अपन दोनों ने एक दूसरे के जम के होठ चूसे और जब सांसें फूलने लगीं तो अलग हो गए। अंधेरे में अब वो थोड़ा थोड़ा साफ दिखने लगी थी। अपुन ने देखा उसकी सांसें उखड़ी हुईं थी और उसका सीना ऊपर नीचे हो रेला था।

साधना ─ मन तो अभी नहीं भरा बाबू लेकिन यहां अंधेरे में ये सब ठीक भी नहीं लग रहा। इस लिए रूम में ही चलते हैं।

अपुन ─ हां ठीक है चलो।

अपुन दोनों कुछ ही में रूम में आ गए। रूम में नाइट बल्ब जल रेला था जिसकी मध्यम रोशनी में साधना अब अपुन को अच्छे से दिख रेली थी। मगर अपुन को और अच्छे से दिखना मांगता था इस लिए अपुन ने दीवार पर लगे स्विच में एक बटन दबाया तो रूम में तेज रोशनी फैल गई।

अपुन ने देखा, साधना व्हाइट टॉप पहने खड़ी थी जिसमें उसके उभरे हुए बूब्स साफ दिख रेले थे।

Screenshot-20241120-134738

अपुन का मन तो किया कि अभी आगे बढ़े और उन्हें दोनों हाथों से दबोच ले मगर फिर अपुन ने सोचा इतनी जल्दी भी क्या है? बोले तो सारी रात ही तो अपनी है लौड़ा।

साधना अपुन को एकटक देख रेली थी और फिर देखते ही देखते वो अपुन के करीब आई। अपुन की धड़कनें फिर से बढ़ गईं। वो दिलकश अदाओं से अपुन को देख हल्के से मुस्कुराई। अपुन के अंदर अब बड़े जोर का तूफ़ान उठने को था।

FB-IMG-1731818020121

साधना ─ मन तो करता है कि तुम्हें खा ही जाऊं बाबू लेकिन फिर सोचती हूं कि अगर ऐसा किया तो बाद में क्या करूंगी?

अपुन ─ मन तो अपुन का भी कर रेला है कि तुम्हें नीचे से ऊपर तक खा जाए।

साधना अपुन की बात सुन कर मानो मदहोश सी होने लगी। नशीली आंखों से अपुन को देखते हुए बोली।

साधना ─ उफ्फ! तो खा जाओ न बाबू।

कहने के साथ ही वो अपने एक हाथ से अपुन का चेहरा हौले से सहलाने लगी। उसके छूते ही अपुन के जिस्म में करेंट सा दौड़ गया। तूफान तो लौड़ा पहले से ही उठने को बेताब था।

वैसे अपुन ये भी सोच के हैरान हो रेला था कि आज सचमुच इसे क्या हो गयला है। मतलब कि उसे इतना बेबस, इतने उतावलेपन में और इतना कामुक पहले कभी नहीं देखा था अपुन ने। अपुन की नज़र में तो वो एक साधारण सी सोच रखने वाली लड़की ही थी जिसके मन में कहीं न कहीं अपुन के प्रति कोमल जज्बात भी थे लेकिन वो ऐसी निकलेगी इसकी कल्पना कभी नहीं की थी अपुन ने।

तभी अपुन को सोचो में गुम देख उसने अपनी एड़ी उठाई और अपुन के होठों को चूम लिया।

साधना ─ मैं तुम्हारे होठों को चूमने चाटने के लिए मरी जा रही हूं और तुम चुपचाप खड़े जाने क्या सोच रहे हो?

अपुन ─ अपुन सोच रेला है कि आज जैसा तुम्हारा रूप पहले कभी नहीं देखा अपुन ने।

साधना ─ आज से पहले तुम मुझे इस तरह मिले भी तो नहीं थे बाबू। आज से पहले तो बस मन ही मन तुम्हें चाहती थी और यही दुआ किया करती थी कि काश तुम भी मुझे मेरी ही तरह चाहो।

अपुन को लगा कि कहीं माहौल सेंटी न बन जाए इस लिए अपुन ने फौरन गियर बदला और दोनों हाथ उठा कर उसके चेहरे को थाम लिया। उसके बाद बिना कुछ कहे उसके होठों पर झुकता चला गया अपुन।

जैसे ही अपन दोनों के होठ मिले तो लौड़ा फिर से बदन में करेंट दौड़ गया और मजे की तरंग पूरे जिस्म में दौड़ गई। पहले तो अपुन ने एक दो बार उसके रसीले होठों को तरीके से चूमा और फिर एकदम से उन्हें मुंह में भर कर चूसने लगा। साधना तो जैसे कब से इसके इंतजार में थी। वो भी पूरे जोश के साथ अपुन का साथ देने लगी।

cunnilingus-001

एक बात तो थी लौड़ा कि उसके होठ बहुत ही गजब के थे। एकदम कोमल और मीठे, अपुन का तो मन ही नहीं भर रेला था लौड़ा पर कुछ ही देर में अपन लोग की सांसें फूल गईं और अपन लोग को अलग होना पड़ा बेटीचोद।

उखड़ी सांसों को सम्हालते हुए अपन दोनों ने कुछ पलों तक एक दूसरे को देखा और फिर से लपक कर एक दूसरे के होठ चूसने लगे। साधना तो जैसे पागल ही हो जाती थी लौड़ी। वो जितना अपुन के होठ चूसती उतना ही अपुन के चेहरे को सहलाते हुए बालों को खींचती।

अपुन उसके होठों को छोड़ गले पर आया। गोरे चिकने गले को चूमते चाटते अपुन जल्दी ही उसके सीने पर आ गया। टॉप के खुले हिस्से के नीचे उसके बूब्स की घाटियां थी जिन्हें अपुन जीभ निकाल कर चाटने लगा। अपुन के ऐसा करते ही साधना जोर से मचलने लगी।

साधना ─ उफ्फ! वि..राट शश्श्श्श कितना अच्छा लगता है जब तुम ऐसे करते हो।

अपुन ने सिर उठाया और पूछा।

अपुन ─ और क्या क्या अच्छा लगता है?

साधना ─ तुम जो जो करते हो सब अच्छा लगता है बाबू। प्लीज करो न, रुक क्यों गए?

अपुन ने एक झटके में उसे उठा कर बाहों में ले लिया। अपुन के ऐसा करते ही पहले तो वो एकदम से घबरा गई फिर मुस्कुरा उठी। इधर अपुन उसे बाहों में लिए बेड के पास आया और उसे बेड पर आहिस्ता से लेटा दिया।

रूम में फुल रोशनी थी इस लिए सब कुछ साफ साफ दिख रेला था। वो बेड पर लेटी मुस्कुराते हुए अपुन को देखे जा रेली थी और अपुन नीचे खड़ा था। फिर उसे देखते हुए बोला।

अपुन ─ क्या आज की रात हम हद पार कर जाएं?

साधना ─ तुम्हें जो करना है करो बाबू। मैं तुम्हें किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी। बस तुम मुझे ऐसे प्यार करो कि मैं तुम्हारे प्यार से तृप्त हो जाऊं।

अपुन समझ गया कि लौड़ी ने अपुन से चुदवाने का पहले से ही मन बना लिया था और अब चाहती थी कि अपुन उसे पेल के पेले लौड़ा।

ख़ैर अपुन तो जैसे खुशी से नाच ही उठा था लौड़ा। एक मिनिट भी नहीं लगा अपुन को अपने कपड़े उतार कर फेंकने में। अब अपुन सिर्फ अंडरवियर में था जिसमें अपुन का तना हुआ लन्ड साफ समझ में आ रेला था।

bulging-boxers-of-a-hot-and-sexy-Indian-hunk

साधना की नज़र जैसे ही अपुन के कच्छे में दिख रहे लन्ड के उभार पर पड़ी तो उसकी आँखें चौड़ी हो गईं और साथ ही उसका मुख भी भाड़ की तरह हैरानी से खुल गया।

फिर उसने अपुन की तरफ देखा और जैसे ही उसने अपुन को मुस्कुराता देखा तो उसने शर्म से अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया। अपुन ने मन ही मन कहा─अभी तो शर्मा रेली है लौड़ी, बाद में इसको अपनी चूत में ले कर मजे से चीखेगी भी। फिर अपुन ने उससे मुस्कुरा कर कहा।

अपुन ─ क्या हुआ? तुमने चेहरा क्यों घुमा लिया?

साधना ने धीरे से गर्दन घुमा कर अपुन की तरफ देखा। उसका चेहरा शर्म से लाल था और होठों पर शर्म मिश्रित मुस्कान।

साधना ─ वो...वो तुम्हारे उसको देख के मुझे शर्म आ गई थी।

अपुन ─ किसको देख के?

साधना ─ उ..उसी को जो तुम्हें अ..अंडरवियर में छुपा है।

अपुन ─ अरे! उसका कुछ नाम भी तो होगा?

साधना (शर्मा कर) ─ न...नाम?? नहीं नहीं मुझे उसका नाम नहीं पता।

अपुन ─ अपुन मान ही नहीं सकता कि तुम्हें उसका नाम नहीं पता। चलो बताओ अब।

साधना बुरी तरह शर्माने लगी लेकिन फिर अपुन की तरफ देखने की उसने हिम्मत की और मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ प्लीज, मत पूछो न। मैं उसका नाम नहीं ले सकती।

अपुन ─ क्यों?

साधना ─ शर्म आती है न बाबू, प्लीज समझो न।

अपुन ने सोचा क्या फालतू की बातों में उसे तंग करना और समय बर्बाद करना इस लिए उसे और मजबूर नहीं किया और बेड पर उसके पास पहुंच गया। वो चोर नज़रों से बार बार अपुन के कच्छे की तरफ देखने लगती थी।

अपुन ─ अच्छा अपुन ने तो अपने कपड़े उतार लिए हैं अब तुम भी अपने कपड़े उतार डालो न।

साधना ─ क्या?? न...नहीं न प्लीज।

अपुन ─ कपड़े नहीं उतारोगी तो प्यार वाला आगे का काम कैसे होगा?

साधना मुस्कुरा भी रेली थी, शर्मा भी रेली थी और अपुन ने महसूस किया कि वो हल्का हल्का कांप भी रेली थी। मतलब प्यार के जज़्बात में बह कर उसने भले ही अपुन को सब कुछ कर लेने को कह दिया था लेकिन अब उस सबके बारे में सोच कर वो अंदर ही अंदर घबराए जा रेली थी। ये अलग बात है कि वो इसके बावजूद अपुन को रुक जाने को नहीं बोल रेली थी। मतलब साफ था कि वो इसके लिए पूरी तरह तैयार थी, बस थोड़ा घबराई हुई थी बेटीचोद।

अपुन ने आगे बढ़ कर उसका चेहरा थाम लिया और फिर से उसके होठों को चूमने चूसने लगा। कुछ ही पलों में वो भी अपुन का साथ देते हुए ऐसा ही करने लगी। तभी अपुन ने एक हाथ से उसके एक बूब को पकड़ लिया और उसे दबाना शुरू कर दिया।

उफ्फ! कितना गजब एहसास था उसके दूध को दबाने का। लौड़ा, इतना मजा आया कि अपुन जल्दी जल्दी उसे मसलने ही लगा। अपुन की इस हरकत से साधना जोर जोर से मचलने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श वि..राट थोड़ा धीरे से द..बाओ न।

उसकी बात सुन अपुन ने उसके होठ छोड़े और उससे थोड़ अलग हो कर उसके टॉप को पकड़ कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया। पहले तो वो अपुन के ऐसा करने पर झिझकी लेकिन फिर अपुन की आंखों में देखते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिए। अपुन ने थोड़ा जोर लगा कर कुछ ही पलों में उसके टॉप को ऊपर कर के उसके सिर से निकाल कर बेड के दूसरी तरफ उछाल दिया।

टॉप के उतरते ही उसका जवानी से छलकता जिस्म स्पष्ट नुमायां हो उठा। गोरे चिकने बदन पर कहीं कोई दाग नहीं था। सीने पर मौजूद उसके बड़े बड़े बूब्स रेड कलर की ब्रा में कैद थे जो बहुत ही खूबसूरत नजारा पेश कर रेले थे।

images-1

अपुन तो लौड़ा ब्रा में कैद उसके बूब्स को मंत्रमुग्ध हो के देखने ही लग गयला था। ये देख वो एक बार फिर से शर्मा गई और दोनों हाथों की कैंची बना कर अपने बूब्स को छुपाने लगी। उसे ऐसा करते देख अपुन अनायास ही मुस्कुरा उठा फिर बोला।

अपुन ─ इतनी खूबसूरत चीज़ को अपुन से क्यों छुपा रेली हो? अपने हाथ हटाओ न, अपुन को तो अभी इन्हें पूरी तरह से नंगा देखने का है, जैसे आज दिन में देखा था।

साधना अपुन की बात सुन शर्म से मुस्कुराने लगी। उसके बूब्स अभी भी उसके हाथों की कैंची के पीछे छुपे थे। अपुन एकदम से उसके पीछे जा बैठ गया और फिर पीछे से ही दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पहले उसके हाथ हटाए और फिर उसके ब्रा में कैद बूब्स को मसलते हुए ब्रा को नीचे करने लगा। पर वो लौड़ी मचलने लग गईली थी और बार बार अपने हाथों को लगा कर ब्रा को उतरने से रोक ले रेली थी। अपुन ने पीछे से उसके नंगे कंधे को चूमना शुरू किया और साथ ही ब्रा को भी उतारने की कोशिश की। उसके कंधे को चूमते हुए बीच बीच में उसके बूब्स भी मसल देता जिससे वो मचल उठती।

20231103-153619

आखिरकार अपुन की जीत हुई। अपुन ने उसकी ब्रा खोल कर उसके जिस्म से अलग कर दी। पहले तो अपुन ने पीछे बैठे बैठे ही उसके नंगे बूब्स को मसला और उसके कंधे, गले और पीठ को चूमा चाटा, फिर उठ कर उसके आगे आ गया। असल में अपुन सामने से उसके बूब्स को अपनी आंखों से देखना चाह रेला था।

सामने आ कर अपुन ने उसके बूब्स को देखा। वाह! क्या गोरे चिकने और मक्खन की तरह दिख रेले थे उसके गोल गुब्बारे। कितने सुंदर शेप में थे वो। दोनों बूब्स के बीच भूरे लंग के निप्पल इतने आकर्षक थे कि अपुन से रहा न गया। अपुन ने झट उसके दोनों उभारों को थाम लिया और फिर झुक कर बाएं निप्पल को जीभ निकाल कर चाटने लगा।

tumblr-mjvc2g-J0-Nz1rbii5ro1-500

साधना ─ शश्श्श्श वि..राट। उफ्फ! शश्श्श्श।

साधना मजे से सिसकियां लेने लगी और इधर अपुन को उसके निप्पल को चाटने में इतना मजा आया कि अपुन ने सीधा उसे मुंह में भर कर चूसना ही शुरू कर दिया लौड़ा।

porn-star-julia-roca-003

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् उफ्फ वि.राट। मैं...मैं पागल हो जाऊंगी। म..त करो न ऐसे।

पर अपुन ने उसकी बात नहीं सुनी और मजे से उसके बूब्स को दबा दबा के निप्पल को चूसता रहा। जब एक से मन भर गया तो दूसरे को थाम कर चूसने लगा। साधना अब और भी तरह मचलने लगी थी। मजे के तरंग में वो अपुन के बालों को खींच भी लेती और अपुन के सिर को अपने बूब्स पर दबाने भी लगती।

साधना का बुरा हाल तो था ही लेकिन अपुन का भी बुरा हुआ जा रेला था लौड़ा। बोले तो अपुन का लन्ड इस सबके चलते बुरी तरह अकड़ गयला था। अपुन से अब बर्दाश्त नहीं हो रेला था। मन कर रेला था कि अभी साधना की डार्क ब्ल्यू कलर की पेंटी निकाल कर अपना लन्ड उसकी बुर में डाल दे।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log..
Read and enjoy..
:declare:
Shaandar Mast super hot erotic update 🔥🔥🔥🔥
Anushka se milne ka mauka milega padhne ke bahne 🤣🤣 :sex: ye bhi ho jaye
Saadhna ne mauka nikal liya Virat ke saath Raat bitane ka lagta dono ki virginity tutne wali hai 😘😘😃😃
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
41,389
105,022
304
Update ~ 08




साधना का बुरा हाल तो था ही लेकिन अपुन का भी बुरा हुआ जा रेला था लौड़ा। बोले तो अपुन का लन्ड इस सबके चलते बुरी तरह अकड़ गयला था। अपुन से अब बर्दाश्त नहीं हो रेला था। मन कर रेला था कि अभी साधना की डार्क ब्ल्यू कलर की पेंटी निकाल कर अपना लन्ड उसकी बुर में डाल दे।


अब आगे....


अपुन को उसके बूब्स दबाने में भारी मजा आ रेला था। वो बेड पर लेटी थी और अपुन दोनों हाथों से उसके बूब्स दबा रेला था। वैसे दबा नहीं रेला था, बल्कि उन्हें तो दोनों हाथों से गूंथ रेला था लौड़ा। साधना बेड पर बुरी तरह मचल रेली थी।


Playing-with-her-breasts-for-ultimate-pleasure-2

साधना ─ उफ्फ शश्श्श्श ब..बाबू।‌ द..दर्द हो रहा है। शश्श्श्श थोड़ा धीरे द..दबाओ न प्लीज।

अपुन ─ सॉरी, पर अपुन क्या करे? तुम्हारे ये बूब्स इतने सुंदर और गजब के हैं कि इनसे अपुन का मन ही नहीं भर रेला है।

साधना जोर जोर सिसकियां ले रेली थी। फिर एकदम से उसने अपुन के सिर को पकड़ा और नीचे की तरफ धकेलने लगी। अपुन उसके बूब्स छोड़ नीचे सरका।

उसका गोरा चिकना बदन अपुन को आकर्षित भी किए जा रेला था और अपुन के अंदर हवस का तूफ़ान भी ला रेला था। अपुन ने झुक कर उसके सुडौल और गोरे चिकने पेट को हौले से चूमा तो साधना चिहुंक उठी और झट से अपुन के सिर को अपने पेट पर दबाने लगी।

अपुन ने उसकी नाभि के चारों ओर हौले हौले से चूमा और फिर एकदम से उसकी नाभि में अपनी जीभ घुसा दी। साधना जो पहले ही मचले जा रेली थी वो अब और भी मचलने लगी। अपुन को उसका पेट और नाभी बहुत आकर्षक लग रेली थी और मन कर रेला था कि लौड़ा चाटता ही जाए अपुन।

पेट और नाभी को चूमते चाटते ही अपुन ने सहसा अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसकी आग के माफिक धधकती और शहद के माफिक रस बहाती बुर पर पेंटी के ऊपर से रख दिया।

साधना को जैसे ही अपनी बुर पर अपुन के हाथ का एहसास हुआ तो उसे तेज झटका लगा और उसने बड़ी तेजी से अपना हाथ नीचे कर अपुन के हाथ पर रख दिया।

साधना ─ शश्श्श्श न..नहीं बाबू।

अपनी हथेली पर गर्माहट महसूस करते ही अपुन का ध्यान उसकी चूत की तरफ चला गया। अपुन पेट से नीचे सरक कर सीधा उसकी चूत की तरफ ही बढ़ा।

उसने नीले रंग की पेंटी पहन रखी थी। अपुन ने पेंटी के किनारे पर ही ऊपर की तरफ झुक कर हल्के से चूमा तो साधना बुरी तरह मछली और अपना हाथ अपुन के हाथ से हटा कर फिर से अपुन के सिर पर रख दिया।

साधना का बुरा हाल था और अपुन का भी। अपुन का लन्ड तो बेटीचोद फटने को था मगर अपुन किसी तरह अपने दर्द को और अपनी उत्तेजना को काबू किए हुए था। पूरे कमरे में साधना की आहें और सिसकारियां गूंज रेली थीं।

अपुन थोड़ा और नीचे सरका तो अपुन के नाक में साधना की चूत से निकले कामरस की मादक गंध समा गई जिससे अपुन को और भी ज़्यादा मदहोशी और पागलपन सवार होने लगा लौड़ा।

अपुन ने पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को हौले से सहलाया तो जहां एक तरफ साधना ने मचल कर झट से अपनी जांघों को सिकोड़ लिया वहीं अपुन ने दोनों हाथों से उसकी जांघों को थोड़ा जोर लगा कर पहले अलग अलग किया और फिर झुक कर उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूम लिया। पेंटी बुरी तरह गीली थी जिसकी वजह से अपुन के होठों पर उसका कामरस लग गया और साथ ही नाक में तेज मादक गंध समा गई।

अपुन ने अपने होठों पर जीभ फिराई तो अपुन को उसके कामरस का स्वाद पता चला जोकि कुछ साल्टी सा था लेकिन अपुन को बड़ा अच्छा भी लगा लौड़ा। इस लिए अपुन ने झुक कर पहले एक दो बार और चूमा फिर जीभ निकाल कर पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को नीचे से ऊपर तक चाटा। अपुन की इस हरकत से साधना जैसे तड़प ही उठी। अपुन के सिर के बालों को जोर से खींचते हुए उसने अपुन के सिर को चूत पर दबाना शुरू कर दिया।

साधना ─ उफ्फ शश्श्श्श बाबू, आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श ये क्या कर रहे हो?? मैं पा...गल हो जाऊंगी। शश्श्श्श माय गॉड...मैं हवाओं में उड़ रही हूं। आह्ह्ह्ह् बाबू सम्हालो मुझे प्लीज।

साधना की बात सुन अपुन ने सिर उठा कर उसकी तरफ देखा और कहा।

अपुन ─ तुम्हारी चूत का पानी बहुत मीठा है साधना। मन करता है पीता ही जाए अपुन।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तो पी जाओ न जान ले....लेकिन...!

अपुन ने झुक कर पहले उसकी बुर को जीभ निकाल कर चाटा और फिर सिर उठा कर उससे पूछा।

अपुन ─ लेकिन क्या डियर?

साधना मदहोशी में पागल हुई जा रेली थी। अपने सिर को इधर उधर पटक रेली थी। अपुन के पूछने पर धीरे से अपनी आँखें खोल कर बोली।

साधना ─ ले...लेकिन मुझे भी...शश्श्श्श तुम्हारे उसको देखना है। उसे छूना है बाबू।

अपुन समझ गया कि वो अपुन के लन्ड की बात कर रेली है पर अपुन चाहता था कि वो खुल के बोले।

अपुन ─ किसे देखना है तुम्हें और किसे छूना है तुम्हें?

साधना ये सुन कर मदहोशी में भी बुरी तरह शरमाई। उसके होठों पर शर्म मिश्रित मुस्कान उभर आई। इधर अपुन ने झुक कर फिर से उसकी बुर को चाट लिया। उसकी बुर का पानी अब कुछ ज़्यादा ही अपुन के मुंह में आ गयला था। तभी वो सिसकी ले कर बोली।

साधना ─ वो..वो तुम्हारे उसको बाबू।

अपुन ─ अरे! उसका नाम बताओ न। ऐसे कैसे अपुन को पता चलेगा?

साधना फिर से शर्माने लगीं। इधर बार बार अपुन उसकी बुर को चाट ले रेला था जिससे वो मचल उठती थी। वो कभी अपनी जांघों को सिकोड़ लेती तो कभी मस्ती से छटपटा उठती। अपुन की बात सुन कर बोली।

साधना ─ नहीं न, मुझे शश्श्श्श तुम्हारे उसका नाम लेने में शर्म आती है। तुम प्लीज समझ जाओ न।

अपुन ने उसकी बात सुन कर इस बार हथेली से उसकी बुर को हल्के से मसल दिया जिससे वो जोर से मचल उठी और साथ ही आह भर उठी। इधर अपुन ने पेंटी के ऊपर से ही उसकी बुर को मुंह में भर कर जोर से चूस लिया जिससे वो बुरी तरह छटपटा कर अपुन के बाल नोचने लगी। अपुन को दर्द हुआ तो सिर उठा कर उससे बोला।

अपुन ─ न, अपुन ऐसे नहीं समझेगा। तुम खुल कर उसका नाम बताओ और हां जल्दी बताओ वरना अपुन ये सब करना बंद कर देगा और चला जाएगा यहां से।

अपुन की ये बात सुन कर साधना झटका खा गई लौड़ी। पलक झपकते ही मदहोशी से निकल कर होश में आ गई वो। चेहरे पर पलक झपकते ही घबराहट के भाव उभर आए। फिर वो झट से उठी और घबरा कर बोली।

साधना ─ नहीं नहीं बाबू तुम प्लीज कहीं मत जाना।

अपुन ─ तो फिर अपुन जो बोले और जो पूछे उसे साफ साफ और खुल कर बताओ। वैसे भी अब जब इतना कुछ ओपन हो ही गयला है तो बाकी बातों पर इतना शर्माने का या झिझकने का क्या मतलब है?

साधना ─ तुम लड़के हो इस लिए तुम्हें इतना शर्म और झिझक नहीं लगती बाबू लेकिन मैं एक लड़की हूं। लड़की का इस सबके लिए शर्माना कुदरती है। प्लीज समझने की कोशिश करो जान।

अपुन समझ तो सब रेला था लेकिन इस वक्त अपुन का बुरा हाल था। मतलब कि अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ा हुआ था और वो अब सीधा बुर में ही घुसना चाहता था लौड़ा। इस लिए अपुन अब यही चाहता था कि जो कुछ हो सब खुल कर हो। खैर साधना की बात सुन कर अपुन ने कहा।

अपुन ─ अपुन सब समझता है लेकिन अपुन ये कह रेला है कि जब अपन लोग इतना ओपन हो गएले हैं तो अब और क्या रह गयला है छुपाने को? अब भला किस बात का झिझकना और शर्माना?

साधना ने दोनों हाथों से अपुन का चेहरा थाम लिया। उसकी आंखों में सिर्फ प्यार दिख रेला था और प्यार की तड़प दिख रेली थी। अपुन की आंखों में देखते हुए बोली।

साधना ─ ठीक है बाबू। अगर तुम ऐसा ही चाहते हो तो अब से मैं कोशिश करूंगी कि सब कुछ खुल कर बोलूं और कोई शर्म न करूं। प्लीज तुम यहां से जाने की बात मत करना।

अपुन तो लौड़ा वैसे भी कहीं जाने वाला नहीं था क्योंकि ये तो अपुन भी समझता था कि भले ही वो शर्मा रेली थी या झिझक रेली थी लेकिन चुदने से इंकार तो हर्गिज नहीं करेगी। खैर अपुन ने उसे पलकें झपका कर बता दिया कि अपुन कहीं नहीं जाएगा। इससे साधना के चेहरे पर राहत और खुशी के भाव उभर आए।

अपुन की नज़रें उसके चेहरे से हटीं और सीधा उसके गोरे गोरे बूब्स पर जा पड़ीं। अपुन ने उसे फिर से बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया। दोनों हाथों से उसके बूब्स को दबोचा और मसलते हुए एक वाले का निपल मुंह में भर लिया। अपुन के ऐसा करते ही साधना की सिसकी निकल गई और अपुन का सिर थाम मचलने लगी।

थोड़ी देर अपुन ने उसके निप्पल चूसे, फिर उसके पेट और नाभी को चूमते चाटते नीचे उसकी चूत के पास सरक आया। अपुन का लन्ड जो थोड़ी देर के लिए शांत सा पड़ गयला था वो फिर से अपने आकार में आ गयला लौड़ा।

अपुन ने साधना की चूत के दोनों तरफ सिकुड़ी चिकनी और गुदाज जांघों को हौले हौले चूमा और फिर उठ गया। साधना बदस्तूर सिसकियां लिए रेली थी और फिर से मदहोश हो गईली थी।

अपुन बेड पर उकड़ू हो के बैठा था और अपुन की नज़र नीले रंग की पेंटी में कैद उसकी चूत पर थी। पेंटी चूत वाले हिस्से पर पूरी गीली थी और वहां से मादक गंध आ रेली थी।

अपुन ने धड़कते दिल से एक बार बेड पर मदहोशी में आँखें बंद किए लेटी साधना को देखा और फिर दोनों हाथ बढ़ा कर उसकी पेंटी को उतारना शुरू कर दिया। साधना को जैसे ही इसका आभास हुआ तो वो मचली लेकिन बोली कुछ नहीं और ना ही कोई विरोध किया।

साधना की पेंटी थोड़ा सा नीचे सरकी तो उसकी चूत के ऊपरी हिस्से पर उगे हल्के बाल दिखने लगे लेकिन पेंटी उससे ज्यादा नीचे न सरक सकी क्योंकि नीचे वो उसकी गांड़ पर फंस गईली थी। साधना को भी जब इसका आभास हुआ तो उसने अपनी गांड़ को धीरे से उठा लिया। जैसे ही उसने गांड़ उठाई अपुन ने उसकी पेंटी नीचे सरका दी। पेंटी के सरकते ही उसकी हल्के बालों से घिरी बुर दिखने लगी।


b2f28904dd294fa7ba0d3851feaa4257

बेटीचोद, अपुन की तो उसे देख सांसें ही अटक गईं। उधर साधना को इतनी शर्म आई कि उसने पहले तो झट से अपनी जांघों को सिकोड़ लिया और फिर दोनों हथेलियों से अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा। तभी साधना की आवाज अपुन के कानों में पड़ी।

साधना ─ ओह! ऐसे मत देखो न बाबू। मुझे बहुत शर्म आ रही है।

अपुन ─ देखने वाली चीज है तो देखेगा ही न अपुन? वैसे अपुन लाइफ में पहली बार किसी लड़की की चूत देख रेला है।

अपुन के मुझ से चूत शब्द सुनते ही साधना को और भी बड़े जोर की शर्म आई। वो जैसे पानी पानी हो गई। बड़ी मुश्किल से बोली।

साधना ─ धत् कितना गंदा बोलते हो बाबू। ऐसे मत बोलो न प्लीज।

अपुन ─ अरे! अब जो उसका नाम है वही तो बोलेगा न अपुन। जैसे अपुन के इसका नाम लन्ड है।

अपुन बात सुन उसका चेहरा और भी लाल सुर्ख हो गया। चूत और लंड सुनने के बाद वो चेहरे से अपने हाथ ही नहीं हटा रेली थी। अपुन समझ सकता था कि उसे भारी शर्म आ रेली है। फिर अपुन बोला।

अपुन ─ वैसे तुम्हारी चूत पर ये हल्के हल्के रेशमी बाल बहुत ही अच्छे लग रेले हैं।

साधना ─ उफ्फ! बाबू, ऐसे मत बोलो न। क्यों मुझे शर्म में ही डुबा देना चाहते हो? तुम्हें और जो कुछ करना हो तो करो न।

अपुन मुस्कुरा उठा और समझ भी गया कि लौड़ी चुदने के लिए तड़प रेली है। इतना कुछ देखने और करने के बाद बुरा हाल तो अपुन का भी था। पर अपुन सोच रेला था कि जब इतना काबू किया है तो थोड़ा और सही। असल में अपुन उसे थोड़ा और खोलना चाह रेला था।

अपुन ─ यार तुम्हारी चूत से तो पानी रिस रेला है। क्या अपुन चेक करे कि इसका टेस्ट कैसा है?

साधना शर्म के मारे फिर से मचल उठी। चेहरे पर ढंकी हथेलियों को थोड़ा सा खोला उसने और झरोखे से देखते हुए बोली।

साधना ─ सच में बहुत गंदे हो बाबू। प्लीज न बोलो न ऐसे। बाकी तुम्हें जो करना है कर लो।

अपुन ─ यार अपुन को ऐसे मजा ही नहीं आ रेला है। अगर तुम अपुन का बराबर साथ नहीं दोगी तो कैसे मजा आएगा? वैसे भी अपुन ने ये सब कभी किया नहीं है तो तुम्हें थोड़ा बताना भी पड़ेगा अपुन को।

साधना ने इस बार चेहरे से हथेलियों को हटा लिया और फिर बोली।

साधना ─ तो मैंने कौन सा कभी किसी के साथ किया है बाबू। जो कुछ कर रही हूं पहली बार तुम्हारे ही साथ तो कर रही हूं।

अपुन को थोड़ी हैरानी हुई ये सुन कर। मतलब कि अगर लौड़ी सच बोल रेली थी तो इसका मतलब ये हुआ कि अपुन आज उसकी सील खोलने वाला था लौड़ा। इस खयाल ने अपुन को इतना रोमांचित और उत्तेजित किया कि कच्छे के अंदर कैद अपुन के लन्ड ने झटका दे कर उसे सलाम ठोक दिया बेटीचोद।

अपुन ─ गजब, मतलब क्या सच कह रेली हो तुम? मतलब क्या सच में तुम अपुन के साथ ही फर्स्ट टाइम ये सब कर रेली हो?

साधना ─ हां बाबू, यकीन करो। यही सच है।

अपुन को यकीन हो गयला था। लौड़ा, यकीन न करने का तो सवाल ही नहीं था। हालांकि अपुन को कौन सा उसके वर्जिन होने या न होने से फर्क पड़ने वाला था। अपुन को तो बस उसको पेलने से मतलब था।

और अब बेटीचोद रहा नहीं जा रेला था अपुन से। इस लिए अपुन ने झट से अपना कच्छा उतार कर नीचे फर्श पर फेंक दिया। कच्छे के उतरते ही अपुन का दस बारह इंची लौड़ा किसी अजगर की तरह फनफना कर झटका देने लगा। उसे देख साधना लौड़ी डर ही गई। आश्चर्य से आंखें और मुंह फाड़े वो अपुन के हलब्बी लौड़े को ही देखे जा रेली थी। उसके होश उड़े हुए नजर आ रेले थे।

उसकी खराब हालत देख अपुन मुस्कुरा उठा और अपने एक हाथ से अपने लन्ड को मुठियाते हुए उसकी जांघों के बीच घुटने के बल बैठ गया। जब अपुन ने उसकी दोनों जांघों को पकड़ा तब जा कर उसे होश आया।

साधना ─ म..माय गॉड! बाबू तुम्हारा ये तो बहुत ब..बड़ा है और बहुत मोटा भी। ये...ये मेरे अंदर कैसे जाएगा?

अपुन ─ अब जैसे भी जाएगा, जाएगा तो ज़रूर। या फिर कहो तो यहीं पर प्रोग्राम रोक देता है अपुन?

साधना डरी सहमी और बौखलाई हुई सी अपुन को ही देखे जा रेली थी। उसकी मदहोशी जाने कहां हवा हो गई थी। सूखे गले को थूक से निगल कर उसने बहुत ही मासूमियत से कहा।

साधना ─ बाबू इसे देख के डर लग रहा है मुझे। ये...सच में बहुत बड़ा है। मेरी तो जान ही ले लेगा ये।

अपुन उठ कर उसके चेहरे के पास आया तो वो एक झटके से उठ कर बैठ गई। उसकी नज़रें अब पास से अपुन के लन्ड पर जम गईं। डर और घबराहट अभी भी उसके चेहरे पर मौजूद थी।

इधर अपुन उसकी हालत को समझ कर धीरे से उसका हाथ पकड़ा तो वो चौंक गई और अपने हाथ को देखने लगी। फिर अपुन ने कहा।

अपुन ─ एक बार इसे छू कर देखो। इसे अच्छे से फील करो।

साधना ने एक बार फिर थूक निगल कर अपना गला तर किया और कांपते हाथ से अपुन के लन्ड को पहले छुआ और फिर डरते डरते उसे पकड़ने की कोशिश की। तभी अपुन के लन्ड ने एक झटका मारा तो डर के मारे साधना ने बिजली की सी तेज़ी से अपना हाथ पीछे हटा लिया। ये देख अपुन हंस ही पड़ा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ ये...ये हिला कैसे बाबू?

अपुन ने एक और झटका दिया तो लन्ड पहले झटके से ऊपर गया और फिर अपनी पोजीशन पर आ कर ठहर गया। साधना आंखे फाड़े उसे ही देखे जा रेली थी।

अपुन ─ जब ये फुल फॉर्म में होता है तो ऐसे ही झटके मारता है। चलो अब इसे पकड़ कर देखो और फील करो।

साधना ने एक बार फिर से डरते डरते हाथ बढ़ा कर लन्ड को पहले छुआ और फिर उसे पकड़ने लगी। उसका सारा नशा और सारी मदहोशी डर के मारे गायब हो गईली थी। अपुन के अंदर से भी हवस का नशा थोड़ा शांत पड़ गयला था लेकिन लन्ड अभी भी पूरे फॉर्म में था। ऐसा शायद इस लिए क्योंकि एक तो अपुन के सामने वो पूरी नंगी बैठी थी, दूसरे अपुन भी नंगा ही बैठा था।

अब तक साधना ने अपुन के लन्ड को पकड़ लिया था और धीरे धीरे उसे सहलाने लगी थी। उसके नाजुक हाथों के स्पर्श से अपुन के अंदर करेंट दौड़ने लगा जो सीधा लन्ड तक गया और लन्ड झटके मारने लगा। ये देख साधना ने हैरानी से पहले उसे देखा और फिर अपुन को।

साधना ─ शश्श्श्श बाबू ये कितना गर्म है। इसे इस तरह सहलाने से मेरे अंदर अजीब सा रोमांच भरता जा रहा है।

अपुन ─ अच्छा।

साधना ─ हां।

अपुन के मन में अब कुछ और ही चलने लगा था लौड़ा। अपुन ने थोड़ी बहुत मोबाइल में गंदी फिल्में देखीं थी जिससे अपुन को ये पता था कि फोरप्ले का लौड़ा लहसुन वगैरा भी होता है। अपुन के मन में यही चलने लगा था कि गंदी फिल्मों की तरह साधना भी अपुन के लन्ड को चूमे और फिर मुंह में ले कर चूसे। ये सोच अपुन ने कहा।

अपुन ─ इसे सहलाती ही रहोगी या इसे प्यार भी करोगी?

साधना ─ प्यार?? मतलब??

अपुन ─ जैसे अपुन ने तुम्हारी चूत को चूम कर चाट कर प्यार किया था वैसे ही तुम भी इसे चूम कर और मुंह में ले कर प्यार करो न।

साधना अपुन की ये बात सुन आँखें फाड़ कर देखने लगी अपुन को। फिर सहसा वो शर्माने लगी। पता नहीं लौड़ी के मन में क्या आ गयला था? इधर उसके लगातार सहलाए जाने से अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ गया था और अपुन के अंदर फिर से पहले जैसी उत्तेजना आ गईली थी।

साधना ─ क्या सच में इसे प्यार करना होगा जान?

अपुन ─ हां बिल्कुल वरना ये तुम्हारी कोमल चूत को बहुत दर्द देगा।

साधना ये सुन कर फिर से थोड़ा सहम गई। उसने चकित भाव से अपुन को देखा और फिर लन्ड को।

साधना ─ पर मैं इसे कैसे अपने मुंह में ले सकती हूं बाबू? मैंने ऐसा कभी नहीं किया है।

अपुन ─ तो अपुन ने कौन सा आज से पहले किसी की चूत चाटी थी? अपुन ने भी तो पहली बार ही किसी लड़की की चूत को देखा है और उसे इस तरह चाटा है। अपुन को शुरू में थोड़ा अजीब लगा था लेकिन फिर अच्छा लगा था। तभी तो मजे से चाट रेला था अपुन।

साधना को लगा अगर उसने अपुन के लन्ड को प्यार नहीं किया तो अपुन फिर से नाराज़ हो जाएगा इस लिए उसने खुद को इसके लिए तैयार किया। एक बार फिर से उसने थूक निगल कर गला तर किया और फिर अपुन को लेट जाने को कहा।

अपुन तो लौड़ा चाहता ही यही था इस लिए झट से लेट गया। अपुन के लेटते ही अपुन का लन्ड बेटीचोद ऊपर छत की तरफ तन कर खड़ा हो गया। लन्ड के चारों तरफ थोड़ी थोड़ी झांठें उगी हुई थी लौड़ा।

साधना खिसक कर ठीक से बैठी और फिर अपुन के लन्ड को पकड़ लिया। उसके चेहरे पर अजीब से भाव थे। शायद अभी भी वो पूरी तरह तैयार नहीं थी लेकिन अपुन के नाराज़ हो जाने के डर से ये सब कर रेली थी।

अपुन ─ अब करो भी, टाइम खोटी क्यों कर रेली हो?

साधना ने एक बार अपुन को देखा और फिर बिना कुछ कहे झुक कर अपुन के लन्ड को धीरे से चूम लिया। उसके ऐसा करते ही अपुन के अंदर हल्की सी सनसनी दौड़ गई।

साधना ने रुक रुक कर दो तीन बार लन्ड को चूमा और फिर एकाएक उसने लन्ड की चमड़ी को नीचे खींच कर सुर्ख पड़े सुपाड़े को निकाला। अपुन उसी को देखे जा रेला था। अपुन के अंदर ये सोच के रोमांच बढ़ता जा रेला था कि अब वो मुंह खोल कर अपुन का लन्ड चूसेगी।

साधना कुछ पलों तक लन्ड के सुर्ख पड़े सुपाड़े को ध्यान से देखती रही और फिर आंखें बंद कर के और मुंह खोल कर उसे गपक लिया। उसके होठों का नाजुक और गर्म स्पर्श पाते ही अपुन के समूचे जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई। नशों में दौड़ता लहू जैसे पलक झपकते ही उफान पर आ गया। उसके गर्म मुख का आभास ऐसा था कि अपुन का समूचा बदन तगड़े रोमांच से कांप गया लौड़ा। उधर सुपाड़े को मुंह में लिए साधना कुछ पल रुकी रही। शायद वो उसके स्वाद का अनुभव कर रेली थी या फील कर रेली थी कि उसे कैसा लग रेला है?

फिर उसने अपने होठों की गिरफ्त टाइट की और अंदर ही अंदर अपनी जीभ सुपाड़े पर फेरने लगी। अपुन की तो हालत ही खराब हो गई बेटीचोद। बोले तो उसके ऐसा करते ही अपुन के जिस्म में मजे की भयंकर तरंग उठी और फिर एकदम से ऐसा लगा जैसे नशों में दौड़ता लहू बड़ी तेजी से अपुन के गोटों की तरह भागता हुआ आ रेला है। मजे से अपुन की आँखें बंद हो गईली थी और अपुन ने अपना एक हाथ साधना के सिर पर रख दिया था।

अपने सिर पर अपुन के हाथ का स्पर्श पाते ही साधना थोड़ा रुकी लेकिन फिर से अपनी जीभ सुपाड़े पर चलाने लगी।

अपुन ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मस्त मजा आ रेला है यार। तुम्हारे मुंह में तो जादू है ऐसा लग रेला है।

साधना बोली तो कुछ नहीं लेकिन अपनी ऐसी तारीफ सुन कर शायद उसे अच्छा लगा था इस लिए वो अपने सिर को धीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगी जिससे अपुन के लन्ड का टोपा उसके मुख में अंदर बाहर होने लगा। उसके ऐसा करने से अपुन के अंदर और भी ज़्यादा मजे की तरंगें उठने लगीं और अपुन बेटीचोद मजे के असमान में उड़ने लगा।

अपुन को इतना मजा आ रेला था कि अपुन ने दूसरा हाथ भी साधना के सिर पर रख दिया और उसके सिर को अपुन के लन्ड पर दबाने लगा। अपुन के ऐसा करने से साधना के मुख में अपुन का लन्ड थोड़ा और अंदर गया लेकिन साधना को शायद इससे ज़्यादा अंदर लेने में परेशानी हुई या शायद उसे बेहतर नहीं महसूस हुआ तभी तो वो जोर लगा कर उसे अपने मुंह में लेने से रोकने लग गईली थी। मगर....अपुन मजे में डूब रेला था इस लिए थोड़ा और जोर लगाया उसके सिर पर जिससे अपुन का लन्ड फिर से उसके अंदर चला गया लौड़ा।

अपुन ─ आह! साधना, ऐसे ही मेरी जान। ऐसे ही अंदर तक ले कर चूसो न। उफ्फ कितना मजा आ रेला है बेटीचो....।

अपुन के अंदर भयंकर मस्ती भरती जा रेली थी। मन कर रेला था कि गंदी गंदी गालियां बकनी शुरू कर दे लेकिन अपुन को इतना होश तो था कि ये समझ सके कि अपुन के गालियां बकते ही साधना घबरा जाएगी। इस लिए अपुन बेटीचोद ने चुप रहना ही ठीक समझा।

कुछ देर बाद अपुन को लगा जैसे साधना बुरी तरह छटपटा रेली है तो अपुन ने आँखें खोल कर उसे देखा। अपुन ये देख के चौंका कि वो लौड़ी सच में छटपटा रेली है। उसने अपुन के लन्ड से हाथ हटा लिया था और उस हाथ से अपुन के उस हाथ को हटाने का प्रयास कर रेली थी जिस हाथ से अपुन उसके सिर को थामे लन्ड पर दबाए जा रेला था।

अपुन समझ गया कि लौड़ी, तकलीफ में है इस लिए झट से उसके सिर को छोड़ दिया। सिर पर से दबाव हटते ही उसने झट से अपना सिर उठा लिया और इसी के साथ अपुन का लन्ड भी उसके मुंह से बाहर आ गया।

अपुन ने देखा उसकी हालत खराब थी। बोले तो थूक और लार टपक के बाहर आ रेला था। चेहरा लाल सुर्ख पड़ गयला था। बेटीचोद, अपुन तो ये देख शॉक ही हो गया लौड़ा। मतलब कि अपुन को ध्यान ही न रहा था कि अपुन मजे में कितना जोर लगा के उसके सिर को अपने लन्ड पर दबाया हुआ था। उधर वो बुरी तरह हांफे जा रेली थी और बीच बीच में खांस भी उठती थी। उसकी ये हालत देख अपुन की तो गांड़ ही फट गई लौड़ा। घबरा कर अपुन झट से उठ बैठा और उसका चेहरा थाम कर बोला।

अपुन ─ तुम ठीक तो हो न मेरी जान? सॉरी अपुन को ध्यान ही न रहा था कि तुम किस हालत में हो। प्लीज माफ कर दो यार।

साधना ─ इ...इट्स ओके ब..बाबू।

पता नहीं क्यों लौड़ा पर उसकी ये हालत देख अपुन को खुद पर बड़ा गुस्सा आया। अपुन ने झट से उसे खींच कर अपने गले से लगा लिया। वो अपुन के गले से ऐसे चिपक गई जैसे अब वो अपुन से जुदा ही न होना चाहती हो।

अपुन ─ सॉरी साधना। अपुन को सच में पता नहीं चला वरना अपुन ऐसा कभी न करता।

साधना अपुन से अलग हुई और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा थाम कर बड़े प्यार से बोली।

साधना ─ इट्स ओके बाबू। प्लीज डॉन्ट से सॉरी। मैं समझ सकती हूं कि तुमसे ये जान बूझ कर नहीं हुआ है।

अपुन ने बेड पर पास ही पड़े उसके टॉप को उठा कर उसका चेहरा अच्छे से साफ किया और फिर टॉप को फेंक कर उसके होठों को चूसने लगा। वो खुद भी जज्बातों में बह कर अपुन का साथ देने लगी।


Rachael8

दो नंगे जिस्म सुलग रेले थे और अब जैसे उन्हें ठंडा होने की ख्वाहिश थी मगर पता नहीं कब उस वक्त को आना था जब दो सुलगते जिस्म शांत भी पड़ जाते और रूह को सुकून भी मिल जाता।

To be continued....


Aaj ke liye itna hi bhai log..
Read and enjoy.. :declare:
Shaandar super hot erotic Mast Update 👌🔥🔥🔥🔥🔥
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
41,389
105,022
304
Update ~ 09



दो नंगे जिस्म सुलग रेले थे और अब जैसे उन्हें ठंडा होने की ख्वाहिश थी मगर पता नहीं कब उस वक्त को आना था जब दो सुलगते जिस्म शांत भी पड़ जाते और रूह को सुकून भी मिल जाता।


अब आगे....


अपुन एक बार फिर उसके होठों को छोड़ कर उसके गले और सीने को चूमते हुए उसके गोरे चिकने पेट पर आ गया। साधना बुरी तरह मचल रेली थी और सिसकियां ले रेली थी। अपुन ने उसके पेट और नाभी को चीभ से चाटा और कुरेदा, उसके बाद नीचे सरक कर फिर से उसकी जांघों के बीच आ गया।

साधना की पेंटी क्योंकि अपुन पहले ही निकाल चुका था इस लिए जैसे ही अपुन उसकी जांघों के बीच आया तो अपुन की नज़र उसकी चूत पर उगे हल्के रेशमी बालों पर मौजूद उसके कामरस पर पड़ी। असल में उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही पानी छोड़ रेली थी जिसकी वजह से उसका कामरस उसकी रेशमी झांटों में लग गयला था जोकि घांस में गिरी शबनम जैसे लग रेला था।

अपुन की नाक में तेज मादक गंध घुसी तो अपुन मदहोश सा हो गया और झट से उसकी कामरस छोड़ती चूत को चाटना शुरू कर दिया।

tumblr-mn9r4d-B6dn1rsdpt7o1-500

साधना अपुन की इस क्रिया से बुरी तरह मचलते हुए सिर पटकने लगी। दोनों हाथों से अपुन का सिर थाम कर वो सिसकियां लेते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। ये...ये क्या कर रहे हो?

अपुन ने उसकी बात सुन कर सिर उठाया और फिर जैसे मदहोशी में बोला।

अपुन ─ तुम्हारी चूत से निकल रहा अमृत पी रेला हूं डियर। सच में बहुत मस्त टेस्ट है इसका।

साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ये क्या कह रहे हो?

अपुन ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और झुक कर फिर से उसकी चूत चाटने लगा। साधना का बुरा हाल था। वो बार बार अपनी जांघों को सिकोड़ लेती या फिर अपनी गांड़ को उठा लेती। अपुन समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है।

767-1000

साधना ─ बाबू शश्श्श्श मु...मुझे कुछ हो रहा है। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ माय गॉड कितना मजा आ रहा है।

साधना जैसे चरम के करीब थी। इधर अपुन का भी बुरा हाल था। अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ा हुआ था। अपुन ने सिर उठा कर साधना की तरफ देखा। वो आँखें बंद किए सिर को इधर उधर झटक रेली थी। वो बेहद मजे में थी। उसकी ये हालत देख अपुन ने एकदम से एक बड़ा फैसला ले लिया लौड़ा।

अपुन एक झटके से उठा और घुटनों पर बैठ गया। साधना को जब महसूस हुआ कि अपुन ने उसकी चूत चाटना बंद कर दिया है तो उसने धीरे से आंखें खोल कर अपुन की तरफ देखा।

साधना ─ रुक क्यों बाबू? शश्श्श्श कितना मजा आ रहा था मुझे। प्लीज करो न।

अपुन ─ तुमको इससे भी ज़्यादा मजा देने का सोच रेला है अपुन। क्या तुम तैयार हो?

साधना ─ मैं तो तुम्हारे लिए हर वक्त तैयार हूं बाबू। प्लीज जो भी करना है जल्दी करो न।

उसकी बात सुनते ही अपुन ने फौरन अपने लन्ड को एक हाथ से पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

cock-rubbing-9447

अपुन के ऐसा करते ही उसकी चूत पर लगा कामरस अपुन के सुपाड़े पर लगने लगा और साथ ही अपुन को ज़ोरदार झुरझुरी हुई। उधर साधना को भी थोड़ा झटका लगा था। पर उसने कुछ कहा नहीं। वो समझ गई थी कि अब अपुन क्या करने वाला है।

साधना ─ प्लीज आराम से अंदर डालना बाबू। तुम्हारा वो बहुत बड़ा है।

अपुन उसकी चूत पर लन्ड रगड़ता रहा और फिर बोला।

अपुन ─ अपुन का क्या बड़ा है साधना?

साधना ─ तुम्हारा ल...लंड बाबू।

हवस का नशा उसके सिर पर तारी था, शायद इसी लिए इस बार उसने स्पष्ट रूप से अपुन के लन्ड का नाम लिया था। उसके मुख से लन्ड शब्द सुनते ही अपुन के अंदर अजीब सा जोश आ गया। उधर लन्ड रगड़ते रगड़ते अपुन का और भी जोश से बुरा हाल हुआ जा रेला था। अपुन ने गीले हो चुके लन्ड को उसकी चूत के मुहाने पर अंदाजे से सेट किया और फिर अपनी कमर को आगे की तरफ पुश कर दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू।

शायद अपुन ने थोड़ा तेजी से पुश किया था जिससे अपुन का लन्ड उसकी चूत के मुहाने को तो फैलाया लेकिन क्योंकि चूत जरूरत से ज्यादा गीली थी इस लिए फिसल गया लौड़ा।

अपुन ने एक बार फिर से अपुन के लन्ड को मुहाने पर सेट किया और इस बार थोड़ा सम्हल कर जोर लगाया तो लन्ड का टोपा थोड़े प्रयास में साधना की चूत में घुस गया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। दर्द हो रहा है शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ दर्द तो होगा ही साधना क्योंकि अपन दोनों का ही ये फर्स्ट टाइम है। तुम प्लीज इस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करो।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् म...मैं कोशिश कर शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् रही हूं।

अपुन के लन्ड का टोपा उसकी चूत में जैसे फंस सा गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और थोड़ा अपुन के अंदर घबराहट भी होने लग गईली थी क्योंकि अपुन को बार बार लग रेला था कि कहीं कुछ बुरा न हो जाए जिससे अपुन को लेने के देने पड़ जाएं बेटीचोद।

अपुन को सेक्स का कोई तजुर्बा नहीं था। अपुन ने इसके पहले कभी किसी के साथ किया ही नहीं था लौड़ा। ब्ल्यू फिल्मों में ही बस थोड़ा बहुत देखा था कि ये सब कैसे करते हैं। पर देखने में और करने में लौड़ा बहुत फर्क होता है, ये अब समझ आ रेला था अपुन को। खैर अपुन ने सोचा अब जब यहां तक पहुंच ही गयला है तो आगे का भी काम कर के ही रुकेगा अपुन।

पता नहीं बेटीचोद एकाएक अपुन के अंदर कौन सा भूत सवार हो गयला था या शायद कुछ ज़्यादा ही जोश आ गयला था जिसके चलते अपुन ने आव देखा न ताव एक जोरदार धक्का पेल दिया लौड़ा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मर...ग..ई... आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श। बाबू नि...कालो इस...को शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत दर्द हो रहा है।

साधना की दर्द भारी चीख सुन अपुन एकदम से घबरा गया लौड़ा। अपुन ने देखा वो बुरी तरह सिर को इधर उधर पटक रेली थी। उसकी आंखों से आसूं बह रेले थे। चेहरे पर बेपनाह दर्द दिख रेला था।

अपुन ─ तुम ठीक तो हो न साधना?

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत दर्द हो रहा है विराट। प्लीज उसे बाहर शश्श्श्श निकाल लो।

अपुन ─ फर्स्ट टाइम में तो दर्द होता ही है यार। प्लीज थोड़ा बर्दाश्त कर लो न।

साधना अपुन को कातर भाव से देखने लगी। अपुन को भी पता था कि अपुन का हलब्बी लन्ड अंदर लेना आसान नहीं हो सकता था लेकिन अब जब लिया था तो उसे बर्दाश्त करना ही था।

अपुन ने एक बार अपने लंड की तरफ देखा तो एकदम से चौंक गया। लौड़ा लन्ड तो अभी आधा ही घुसा था लेकिन उस पर लाल रंग का खून लगेला था। अपुन को समझते देर न लगी कि ये साधना की चूत से ही निकला है। मतलब कि अपुन ने उसकी सील तोड़ दी थी। ये देख एक तरफ तो अपुन घबराया लेकिन दूसरी तरफ ये सोच के खुश भी हुआ कि अपुन ने किला फतह कर लिया है लौड़ा। और इस खुशी ने जाने कैसा जोश चढ़ाया कि अपुन ने थोड़ा सा लन्ड बाहर निकाला और फिर से एक जोर का धक्का मार दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श म...त करो। मर जा...ऊंगी। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् प्लीज बाहर निकाल लो।

जोश में अपुन को ध्यान ही नहीं रह गयला लौड़ा। साधना की चीख ने ही अपुन को होश में लाया। अपुन ने देखा साधना बुरी तरह छटपटा रेली थी। उसके आंसू कुछ ज़्यादा ही बह रेले थे। चेहरे पर भयंकर पीड़ा दिख रेली थी। अपुन एक बार फिर उसकी हालत देख घबरा गया।

उसकी चूत में लन्ड डाले डाले ही अपुन आगे को जा कर झुका और फिर उसके कांपते होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।

अपुन ─ बस मेरी जान। प्लीज शांत हो जाओ। जो दर्द होना था हो गया। अब से कोई दर्द नहीं होगा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू, मेरी जान निकली जा रही है। शश्श्श्श ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत मोटा गर्म सरिया मेरी वजीना में शश्श्श्श समाया हुआ है।

अपुन ─ तुमने अपुन के लिए इतना कुछ सह लिया इसके लिए थैंक्यू मेरी जान। तुम सच में बहुत अच्छी हो।

इस वक्त अपुन को सच में उस पर बहुत प्यार आ रेला था और शायद इसी लिए ये सब बोले जा रेला था। एक तरफ उसके होठों को, उसके चेहरे को और उसके गले को चूमता चाटता तो दूसरी तरफ उसके गोरे मुलायम दूध के गुब्बारों को हल्के से मसलता।

aaa-Naqq-WL9-Z7iw-Nbk3up-WE1-Ho7dc-Bd-Oal-KR42l-UY7-CF-o70a-Pv-T7s-Ff-U-a-J-w-OJk-E7-Xmm-Gwkk6-HTeb

इसका नतीजा ये हुआ कि साधना के चेहरे पर दिखने वाली असहनीय पीड़ा में काफी कमी नजर आई। अपुन को भी थोड़ा राहत महसूस हुई। अपुन कुछ देर तक यही करता रहा।

अपुन का लन्ड अभी भी उसकी बुर में वैसे ही समाया हुआ था और अपुन को ऐसा लग रेला था जैसे किसी ने अपुन के लन्ड को चारो तरफ से बुरी तरह जकड़ा हुआ हो। अपुन को बड़ा ही अजीब फील हो रेला था। थोड़ी देर बाद अपुन ने उससे पूछा।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ हां पर उतना नहीं।

कुछ देर बाद जब अपुन ने देखा कि साधना वापस अपने पहले वाले रूप में आ गईली है तो अपुन ने धक्का लगाने का सोचा। जैसे ही अपुन ने कमर को पीछे की तरफ कर के लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला तो साधना के मुंह से दर्द भरी आह निकली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। मत करो न प्लीज। दर्द हो रहा है।

अपुन ─ अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अपुन धीरे धीरे अंदर बाहर करेगा। धीरे धीरे दर्द दूर हो जाएगा, ट्रस्ट मी।

साधना ने इस बार कुछ नहीं कहा, बस अपुन को मोहब्बत से देखती रही। जाने क्यों अपुन उसकी मोहब्बत भरी निगाह का सामना न कर सका लौड़ा। इस लिए झुक कर उसके होठों को चूमने चूसने लगा और उधर धीरे धीरे लन्ड को अंदर बाहर करने लगा।

1579997364-756756-15

साधना को दर्द तो हो रेला था लेकिन पहले जैसा नहीं। इस लिए अब अपुन बेफिक्र हो गयला था। अपुन उसको चूमते हुए कुछ देर तक ऐसे ही धीरे धीरे लगा रहा। जब अपुन को महसूस हुआ कि साधना अब दर्द वाली नहीं बल्कि मजे वाली सिसकी ले रेली है तो अपुन ने धक्का लगाने पर थोड़ा जोर लगाया।

181-1000

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू थोड़ा धीरे।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ नहीं, पर जब तुम तेज करते हो तो दर्द होता है।

अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रहा?

साधना ─ थोड़ा थोड़ा आ रहा है बाबू।

अपुन ─ आगे और भी ज़्यादा आएगा।

साधना हल्के से मुस्कुराई। फिर अपुन का चेहरा पकड़ अपुन को नीचे झुकाया और अपुन के होठों को चूमने लगी। अपुन भी बराबर साथ दे रेला था। इधर अपुन के धक्के अब थोड़ा जोर पकड़ रेले थे। साधना की चूत जो पहले अपुन के लन्ड को बुरी तरह कसे हुए थी उसमें अब नरमी आ गईली थी। अपुन को ऐसा फील हो रेला था जैसे अपुन का लन्ड किसी गर्म भट्टी में है और उसकी तपिश में मोम के माफिक पिघल जाएगा।

कुछ ही देर में अपुन के धक्के थोड़ा असमान्य गति से चलने लगे। रूम के अंदर साधना की आहें और सिसकियां गूंज रेली थी। उसे अब मजा आ रेला था जिससे वो भी जोश में आ गईली थी।

rough-missionar-1667

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत मजा आ रहा है बाबू। थोड़ा और जोर से करो न।

अपुन ─ क्या करूं डियर?

साधना ─ उफ्फ! धक्के मारो न बाबू।

अपुन ─ वो तो अपुन मार ही रेला है लेकिन ये बताओ कि अपन लोग कर क्या रेले हैं?

साधना अपुन की बात सुन कर एकदम से शर्मा गई लेकिन क्योंकि उस पर इस वक्त सेक्स की मदहोशी छाई थी इस लिए जल्दी ही सिसकी लेते हुए बोली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हम लोग से...क्स कर रहे हैं बा...बू।

अपुन ─ हिंदी में बोलो ना। हिंदी में बताओ कि क्या कर रेले हैं अपन लोग?

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् चु...चुदा..ई कर रहे हैं बाबू।

अपुन को उसके मुख से चुदाई शब्द सुन कर बड़ा ही मज़ा आया लौड़ा। ऐसा लगा अपुन की नशों में दौड़ता लहू अब बड़ी तेज़ी से अपुन के अंडकोशों की तरफ भागते हुए आ रेला है। उधर साधना भी मस्ती में डूबी थी। वो जितना आहें और सिसकियां ले रेली थी उतना ही अपुन का साथ देने के वास्ते खुद को अपुन के लन्ड की तरफ झोंक दे रेली थी।

अपुन के अंदर भयंकर जोश बढ़ गयला था। पूरे जिस्म में सनसनी दौड़ रेली थी लौड़ा। बोले तो ऐसा मजा आ रेला था जैसे अपुन जन्नत की सैर कर रेला है। आज से पहले ऐसा मजा और ऐसा गजब का एहसास अपुन ने कभी महसूस नहीं किया था।

अपुन ने साधना की दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और तेज तेज धक्के लगाने लगा।

0983-going-to-town

अपुन के हर धक्के में साधना ऊपर की तरफ उछल जाती जिससे उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारे भी उछल पड़ते। अपुन का मजा हर गुजरते पल के साथ ही बढ़ता ही जा रेला था बेटीचोद।

अपुन ─ ओह माय डियर, तुम्हारी चूत में लंड अंदर बाहर करने से मस्त मज़ा आ रेला है। क्या तुम्हें भी ऐसा ही मजा आ रेला है?

साधना मजे और मस्ती में डूबी जोर जोर से सिसकियां ले रेली थी। अपुन के पूछने पर उसने धीरे से आंखें खोली और बोली।

साधना ─ उफ्फ! मत पूछो बाबू आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श लगता है इस शश्श्श्श मजे से प...पागल हो जाऊंगी मैं शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ क्या अपन लोग अब से हर रोज ऐसा मजा कर सकते हैं?

साधना ─ हां बाबू शश्श्श्श अ..ब से हम रोज मजा करेंगे।

अपुन ─ लेकिन हर रोज तुम घर में अकेले कहां रहोगी यार? आज की तरह ऐसा मौका कैसे मिलेगा मेरी जान?

साधना ─ हां ये तो शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुमने सही कहा बाबू। फिर तुम ही बताओ हम कैसे मजा कर सकेंगे?

अपुन को तो खुद भी कुछ समझ नहीं आ रेला था लौड़ा तो उसे बताता कैसे? अचानक अपुन ने फील किया कि अपुन झड़ने के करीब आ गयला है। तभी साधना की आहें और सिसकियां और भी तेज हो गईं।

अपुन के देखते ही देखते उसकी कमर एकदम से ऊपर उठ गई और फिर वो झटके खाने लगी लौड़ी। उसके झटके की वजह से अपुन ने उसे और मजबूती से पकड़ा मगर तभी उसके गर्म पानी ने अपुन के लन्ड को ऐसा पिघलाया कि अपुन खुद को चाह कर भी रोक न सका बेटीचोद।

साधना के झटके रुके भी नहीं थे कि अपुन को भी झटके लगने लगे लौड़ा। बोले तो ऐसा लगा जैसे अपुन के अंदर से अपुन की जान ही निकली जा रेली हो बेटीचोद। अपुन का मजे की तरंग में इतना बुरा हाल हुआ कि अपुन को उसकी चूत से लन्ड निकालने का भी होश न रहा और अपुन उसकी चूत में ही झड़ता चला गया।

C558ECE

झड़ते वक्त जो मजा फील किएला था उसे अपुन शब्दों में नहीं लिख सकता लौड़ा। बोले तो उसकी कोई डेफिनेशन ही नहीं कर सकता अपुन।

खैर जब अपुन के अंदर का लावा पूरी तरह साधना के अंदर निकल गया तो अपुन किसी बेजान पुतले की तरह उसके ऊपर ही ढेर हो गया लौड़ा। सिर्फ अपन दोनों की उखड़ी सांसें ही रूम में गूंजती रहीं।

अपुन आँखें बंद किए साधना के गोरे गोरे गोल गुब्बारों पर चेहरा रखे ढेर हुआ पड़ा था और अभी भी उस मजे के एहसास में खोया हुआ था कि तभी अपुन ने अपने सिर पर साधना के हाथ महसूस किए। वो बड़े प्यार से अपुन के सिर पर हाथ फेरने लग गईली थी।

अपुन कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा उसके बाद सिर को थोड़ा सा उठा कर उसको देखा। इतने करीब से पसीने में नहाया हुआ और थोड़ा सुर्ख पड़ा हुआ उसका चेहरा देखा तो अपुन को अलग ही फील आया लौड़ा। उधर जैसे ही उसने अपुन को खुद की तरफ देखते देखा तो जाने क्या सोच के शर्मा गई और आँखें बंड कर के अपना चेहरा फेर लिया।

अपुन ये देख मुस्कुरा उठा। इस वक्त अपुन को वो बड़ी खूबसूरत लग रेली थी, किसी खिल चुके गुलाब की मानिंद। अपुन को उस पर बड़ा प्यार आया तो अपुन थोड़ा ऊपर को हुआ और फिर उसका चेहरा थाम कर उसके होठों को चूम लिया।

अपुन ─ थैंक्यू साधना...मेरी जान, तुमने आज अपुन को इतनी बड़ी खुशी दी और अपुन को पहली बार चुदाई का एक्सपीरियंस करवाया। थैंक्यू सो मच डियर।

साधना अपुन की बात सुन और खास कर चुदाई सुन पहले तो लजा गई फिर सम्हल कर बोली।

साधना ─ धत्...बहुत गंदे हो तुम। और हां थैंक्यू मत कहो। मैंने भी तो पहली बार ही सेक्स के इस अद्भुत आनंद का एहसास किया है। तुम्हें पता है, मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ये तुम्हारे साथ किया। उसके साथ जिसे मैं प्यार करती हूं।

अपुन को समझ न आया कि क्या बोले। असल में अपुन उससे प्यार वाली बात सुन के थोड़ा असहज होने लग जाता था लौड़ा। अपुन को प्यार व्यार के चक्कर में पड़ने का बिलकुल भी शौक नहीं था और शायद यही वजह थी कि अपुन साधना के प्यार को एक्सेप्ट नहीं करना चाहता था। अपुन तो बस मजा करना चाहता था जोकि मिल भी गयला था।

खैर अपुन को जब कुछ जवाब न सूझा तो अपुन थोड़ा नीचे सरका और उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारों को थाम कर हौले हौले सहलाना शुरू कर दिया।

698bfa3e4cb3030d461225989944bb80

उसके गुब्बारे सच में बहुत हसीन और आकर्षक थे। लौड़ा मन ही नहीं भरता था उनको मसल के। साधना ये देख हल्के से मुस्कुराई और फिर बोली।

साधना ─ क्या बात है बाबू, तुम सबसे ज्यादा इन्हें ही क्यों प्यार करते हो?

अपुन ─ क्योंकि ये तुमसे भी ज्यादा प्यारे हैं लगते हैं अपुन को। मन करता है इन्हें हाथों में ही लिए रहे अपुन और इन्हें चूसता रहे।

साधना थोड़ा शरमाई लेकिन फिर बोली।

साधना ─ अच्छा जी ऐसा क्या?

अपुन ─ हां।

साधना ─ और क्या क्या अच्छे लगते हैं मेरे?

अपुन ─ तुम्हारे रसीले होठ, तुम्हारे ये बूब्स, तुम्हारा गोरा चिकना पेट और उसके बीच आकर्षक नाभि।

साधना ये सुन शरमाई भी और खुशी से मुस्कुराई भी, फिर बोली।

साधना ─ और??

अपुन ─ और....हां और तुम्हारी चूत और उसका नमकीन पानी।

साधना ─ धत् बेशरम।

साधना बुरी तरह लजा गई थी। शर्म मिश्रित मुस्कान सजाए उसने हथेलियों में अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुम न...बहुत गंदे हो। कैसे बेशर्मों की तरह ऐसे गन्दे गन्दे शब्द बोलते हो।

अपुन ─ गंदे गंदे शब्द बोलने से ही तो सबसे ज्यादा मजा आता है और जोश चढ़ता है। बोलो क्या गलत बोल रेला है अपुन?

साधना ─ मुझे नहीं पता।

अपुन ─ तुम्हें सब पता है, बस बताना नहीं चाहती अपुन को।

साधना ─ हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं। मुझे बहुत शर्म आती है ऐसे गन्दे शब्द सुन कर।

अपुन ─ शुरू शुरू में अजीब लगता है लेकिन फिर ईजी हो जाता है बोलना। बाद में तो मजा आता है बोलने में। एक बार बोल के दिखाओ तो।

साधना ─ न जी न। मैं नहीं बोल सकती।

अपुन ─ देखो तुमने अपुन से प्रॉमिस किया था कि अपुन जो बोलेगा करोगी।

साधना ने अपुन को गहरी नजर से देखा। जैसे समझना चाहती हो कि अपुन कहीं नाराज़ तो नहीं हो गयला है?

साधना ─ नाराज़ मत हो बाबू।

अपुन ─ तो फिर बोलो जो कह रेला हूं।

साधना ─ ठीक है, बताओ क्या बोलना है मुझे?

अपुन ─ अभी अपुन तुमसे जो जो पूछेगा उसका तुम क्लियर हिंदी में सच सच जवाब दोगी।

साधना ─ ठीक है।

उसकी रजामंदी देख अपुन के अंदर बड़ा अजीब सा फील होने लगा था लौड़ा। बोले तो मस्त गुदगुदी होने लग गईली थी। एक बार फिर से अपुन के अंदर हवस वाला नशा छाने लगा था।

अपुन ─ ओके, तो बताओ अभी अपन दोनों ने क्या किया था?

साधना ये सुन के थोड़ा शरमाई। उसका चेहरा लाज से सुर्ख पड़ गया लेकिन अब वो मजबूर थी इस लिए उसने खुद को किसी तरह तैयार किया और फिर बोली

साधना ─ चु...चुदाई।

अपुन उसके मुख से चुदाई सुन कर मन ही मन खुश भी हुआ और अपनी सफलता पर हंसा भी।

अपुन ─ वेरी गुड। अब बताओ अपन लोग किस तरह चुदाई कर रेले थे? अपुन का मतलब है कि चुदाई कैसे हो रेली थी?

साधना ने कुछ पल सोचा फिर शर्माते हुए बोली।

साधना ─ वो...तुम्हारा लं...लंड मेरी चू...चूत में था और तुम अपने लं..लंड से मुझे चो...चोद रहे थे।

साधना का ये जवाब सुन अपुन का लन्ड पलक झपकते ही अकड़ गया लौड़ा। अपुन क्योंकि उसके ऊपर से नीचे आ कर उसके बगल से ही लेट गयला था इस लिए अपुन ने जोश में आ कर अपनी कमर को उसकी तरफ दबाया तो अपुन का अकड़ा हुआ लन्ड सीधा उसकी जांघों पर लगा। साधना के मुख से सिसकी निकल गई और वो अपुन की तरफ करवट ले ली।

साधना ─ तुम्हारा ये तो फिर से खड़ा हो गया बाबू।

अपुन ─ किसकी बात कर रेली हो? नाम ले कर बताओ न।

साधना फिर से थोड़ा शरमाई फिर सहसा अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपुन के लन्ड को पकड़ कर बोली।

साधना ─ तुम्हारे इस लं..लन्ड की बात कर रहीं हूं। उफ्फ कितना बड़ा है ये और कितना गर्म भी।

अपुन ─ तुम्हारी ही गर्मी से गर्म है ये और चाहता है कि तुम फिर से इसे प्यार करो।

साधना ─ अच्छा जी।

साधना ने अपुन के लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया था जिससे अपुन के अंदर मजे की तरंगें उठने लगीं थी। अपुन ने चेहरा आगे कर के उसके होठों को मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। साधना एक हाथ से अपुन का लन्ड पकड़े खुद भी अपुन के होठ चूमने चूसने लगी। मगर जल्द ही अपुन ने उसके होठ छोड़े।

544920-my-wife-masturbates-our-young-neighbor

अपुन ─ अपुन का फिर से तुम्हें चोदने का मन कर रेला है।

साधना अपुन की बात सुन फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ मन तो मेरा भी कर रहा है बाबू लेकिन फिर से दर्द होगा तो कैसे सहन कर पाऊंगी?

अपुन ─ अरे! अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा। अब तो अपुन के लन्ड ने तुम्हारी चूत के अंदर अपने लिए जगह बना ली है। इस लिए अब वो आराम से अंदर बाहर होगा और तुम्हें मजा देगा।

साधना ─ ठीक है, जैसा तुम चाहो करो।

अपुन तो लौड़ा चाहता ही यही था। अपुन भूल ही नहीं सकता था कि साधना को चोदने में थोड़ी देर पहले कितना मजा आयला था अपुन को। अपुन ने झट से उसे सीधा किया और उसके ऊपर आ गया।

पहले तो अपुन ने उसके होठों को जी भर के चूमा चूसा और फिर नीचे सरक कर उसकी गोरी गोरी चूचियों को मसला चूसा। उसके बाद सीधा नीचे ही पहुंच गया लौड़ा।

साधना फिर से मस्ती में आ गईली थी। इधर अपुन नीचे आया तो देखा दोनों जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी चूत की हालत थोड़ी खराब थी। बेड शीट पर नीचे अपन दोनों का माल भी था और उसका खून भी जिसके लाल धब्बे सफेद बेड शीट पर साफ दिख रेले थे। ये देख अपुन को थोड़ी घबराहट हुई।

अपुन ने थोड़ा झुक उसकी चूत को देखा। अपन दोनों का माल अभी भी उसमें लगा हुआ था और वो थोड़ा सूझी हुई थी। अपुन ने धड़कते दिल से हाथ बढ़ा कर उसके गुलाबी होठों को छुआ तो एकदम से साधना को झटका लगा और उसके मुख से दर्द भरी सिसकी निकल गई। अपुन ने फौरन ही हाथ हटा लिया। फिर उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुमने वहां छुआ तो दर्द भरी टीस पूरे बदन में दौड़ गई मेरे।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? इतना तो अपुन देख ही चुका था कि उसकी चूत से खून निकला है और उसका हाल भी बुरा नजर आ रेला है। ऐसे में अगर छूने से ही उसे दर्द हो रेला है तो चुदाई होने पर तो लौड़ी का बुरा हाल ही हो जाएगा।

तभी साधना एकदम से उठ बैठी। जांघों पर जोर पड़ा तो उसके मुख से कराह निकल गई। उसकी दोनों टांगें अलग अलग फैली हुईं थी। अपुन थोड़ा पीछे हट कर बैठ गयला था। अपुन ने देखा उसके चेहरे पर दर्द के चिन्ह थे। उसने पहले अपुन की तरफ देखा और फिर वो अपनी चूत की तरफ देखने की कोशिश करने लगी। थोड़े ही प्रयास में उसकी नजर बेड शीट पर और अपनी चूत पर पड़ गई।

बेड शीट पर खून के धब्बे देख उसकी आँखें फैलीं और साथ ही जब उसने अपनी चूत की हालत देखी तो जैसे घबरा ही गई।

साधना ─ माय गॉड ये...ये कैसी हो गई है बाबू?

अपुन क्या बोले लौड़ा? अपुन को खुद समझ न आया कि क्या जवाब दे? हालांकि ये तो अपुन जानता था कि ऐसा कैसे हुआ था। अपुन को कुछ न बोलता देख साधना घबराई सी फिर से बोली।

साधना ─ ये तो सूझ गई है बाबू। तभी तो तुम्हारे छूने बस से ही मुझे दर्द हुआ था। अगर ये ऐसे ही सूझी रही तो क्या होगा? कल पापा आ जाएंगे और अगर उन्हें पता चल गया तो???

साधना एकाएक बुरी तरह घबरा उठी थी। उसका सारा सेक्स का नशा उड़न छू हो गयला था। अपुन भी ये सोच के घबरा गया कि अगर सच में उसके बाप को पता चल गया तो क्या होगा? बेटीचोद, कहीं उसके पूछने पर साधना ने सारा सच उगल दिया तो अपुन की तो बैंड ही बज जाएगी लौड़ा। अपुन के घर वाले तो अपुन की गांड़ ही फाड़ देंगे। अमित, हां अमित को जब पता चलेगा कि अपुन की वजह से ही उसकी बहन का ये हाल हुआ है तो लौड़ा वो तो अपुन का सिर ही फोड़ देगा।

बेटीचोद, अपुन जितना सोचता गया उतना ही अपुन की गांड़ फटती चली गई लौड़ा। सेक्स और हवस के जोश में अपुन का लौड़ा जो इसके पहले अपने फुल फॉर्म में आ गयला था वो इस सबके सोचते ही गायब हो गया और वो मुरझा गया।

मजा तो खूब मिला था अपुन को लेकिन अब इस मजे की सजा का खयाल आते ही अपुन के तोते उड़ गएले थे। एकदम से खयाल आया कि अपुन को ये सब नहीं करना चाहिए था बेटीचोद।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy.. :declare:
Shaandar super hot erotic update 🔥🔥🔥🔥
Dono ne jawani ke pahle maze le liye :sex: Ab unhe Darad aur saza se bhi niptna hai 🤣🤣
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,419
116,343
354

Update ~ 16



अपुन ─ पागल है क्या तू? तुझे लगता है कि तू अपुन का भार सह लेगी?

विधी ─ अपनी जान के लिए सह लूंगी, हां नहीं तो।

कहने के साथ ही विधी अपुन से अलग हुई और सीधा लेट गई। उसकी ये हरकत देख अपुन मन ही मन बड़ा हैरान हुआ। ये भी सोचने लेगा कि क्या उसने ऐसा स्वाभाविक रूप से कहा था या उसके मन में भी अपुन के जैसे कुछ चल रेला है?



अब आगे....


विधी ─ अब क्या सोच रहा है? आ न, ऐसे नहीं कह रही मैं।

अपुन ─ चल मान लिया कि तू सचमुच अपुन को अपने ऊपर ले लेगी पर अपुन को भी सोचना चाहिए न कि अपुन की जान बहुत नाजुक है। बोले तो अपनी जान को कोई तकलीफ कैसे दे सकता है अपुन?

अपुन की ये बात सुन कर विधी मुस्कुराते हुए बड़े प्यार से देखने लगी। फिर एकदम से उठी और इस बार पूरी तरह से अपुन के ऊपर ही लेट गई। अपुन उसकी इस हरकत से एकदम भौचक्का सा रह गया लौड़ा। समझ में ही न आया कि आज ये क्यों ऐसा अजीब बर्ताव कर रेली है?

अपुन ─ अरे! ये तू अपुन के ऊपर ही क्यों लेट गई यार?

विधी अपुन की बात सुन पहले तो धीमे से हंसी फिर धीमे से ही अपुन को देखते हुए बोली।

विधी ─ जब मैंने तुझे अपने ऊपर लेटने को कहा तब तू नहीं लेटा लेकिन मैं तो लेटूंगी। बोल अब क्या करेगा, हां नहीं तो।

विधी अपुन के ऊपर पूरी तरह लेटी थी। उसकी अधपकी छातियां अपुन के सीने में जैसे धंस गईली थीं। उसकी छातियों के निप्पल अपुन को साफ फील हो रेले थे। अपुन तो एकदम से गनगना ही गया था लौड़ा। इधर उसकी चूत की खुशबू भी अपुन के लन्ड को साफ फील हो रेली थी। अपुन के न चाहते हुए भी वो बेटीचोद सिर उठाना शुरु कर दिएला था। बोले तो अपुन की हालत थोड़े ही पलों में खराब हो गई थी लौड़ा।

अपुन ─ इसी लिए बोल रेला था अपुन कि तू अपने रूम में जा। अपुन जानता था कि न तू खुद सोएगी और न अपुन को सोने देगी। चल अब उतर ऊपर से।

विधी ─ न, मैं तो अब नहीं उतरूंगी। तेरी भाषा में बोलूं....क्या बोला करता है तू? आं...हां याद आया─बोले तो मस्त मजा आ रेला है अपुन को ही ही ही, हां नहीं तो।

उसके मुख से अपना डायलॉग सुन कर ना चाहते हुए भी अपुन को हंसी आ गई लौड़ा। ये देख वो भी हंसी। अपुन के ऊपर लेटी वो बस अपना सिर उठाए हुए अपुन को देख रेली थी, बाकी उसका पूरा जिस्म अपुन के ऊपर था।

अपुन ─ चल अब मजाक मत कर यार। प्लीज उतर जा न। देख दो बज रेले हैं। सुबह कॉलेज भी जाना है।

विधी ─ एक शर्त पर तेरे ऊपर से उतरूंगी मैं।

अपुन ─ ठीक है मंजूर है तेरी शर्त। अब जल्दी बोल क्या शर्त है तेरी?

विधी (मुस्कुराते हुए) ─ वो...वो मेरी शर्त ये है कि तू मुझे किस कर और हां चिक पर नहीं बल्कि मेरे लिप्स पर। तभी उतरूंगी नहीं तो नहीं उतरूंगी, हां नहीं तो।

अपुन हैरान परेशान हो के देखने लगा उसे। मतलब कि मन तो अपुन का भी अब यही हो रेला था लेकिन अपुन ये भी सोच रेला था कि इस सबकी वजह से कहीं अपन लोग किसी मुसीबत में न पड़ जाएं बेटीचोद।

अपुन ─ अरे! पागल है क्या? ये क्या बोल रेली है तू?

विधी ─ देख तूने बोला था कि तुझे मेरी शर्त मंजूर है तो अब ऐसा मत बोल। चुपचाप से किस कर वरना मैं नाराज हो जाऊंगी, हां नहीं तो।

उसकी इस बात पर अपुन के मन में बस एक ही खयाल आया कि अपुन की तरह वो भी जिद्दी है। आखिर जुड़वां होने का असर तो उसमें भी था। इस लिए टाइम बर्बाद करने से बेहतर यही है कि चुपचाप अपुन उसकी शर्त मान ले और उसे किस करने के बाद शांति से सो जाए।

अपुन ─ अच्छा ठीक है लेकिन तेरे लिप्स पर किस करने के लिए अपुन को तेरे ऊपर आना होगा या फिर उठ कर बैठना होगा।

विधी ─ बुद्धू, अपने ऊपर आने के लिए पहले ही तो बोली थी मैं लेकिन तू ही नहीं आया था। अब जा के अकल आई है तुझे। बुद्धू कहीं का, हां नहीं तो।

कहने के साथ ही वो मुस्कुराते हुए अपुन के ऊपर से उतर कर साइड पर सीधा लेट गई। अचानक से वो इस तरह खुश हो गईली थी जैसे उसे उसकी मन पसंद चीज मिल गई हो।

मरता क्या न करता, अपुन उठा और धड़कते दिल के साथ उसकी तरफ घूमा। वैसे सच तो ये था कि अब अपुन के अंदर हवस के कीड़े रेंगने लगे थे लौड़ा। बोले तो सही गलत क्या है इस सबकी उन कीड़ों ने जैसे मां चोद दी थी।

विधी ─ जल्दी से ऊपर आ न। उफ्फ! कितना टाइम बर्बाद करता है तू, हां नहीं तो।

अपुन ने मन ही मन कहा कि लौड़ी तुझे बड़ा जल्दी है लिपलॉक करने की, इधर अपुन की फट भी रेली है बेटीचोद।

खैर अपुन उसके ऊपर आया। अपुन का जिस्म हवा में ही था क्योंकि अपुन ने अपने दोनों हाथों को उसके अगल बगल बेड पर रख कर अपना बैलेंस बनाए हुए था लौड़ा। नीचे पड़ी वो अपुन को ही देख रेली थी। चेहरे पर खुशी की चमक और होठों पर दिलकश मुस्कान सजाए थी वो।

इधर अपुन की धड़कनें एक बार फिर से ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं। अपुन हैरान था कि उसे किसी बात का टेंशन क्यों नहीं है? बोले तो जैसे वो सब कुछ भूल ही गईली थी। उसे इस बात का भी एहसास नहीं था कि अपन लोग भाई बहन हैं और भाई बहन एक दूसरे के होठों पर किस नहीं कर सकते।

वैसे देखा जाए तो इस वक्त अपुन के मन में भी भाई बहन वाला खयाल बस नाम मात्र का ही रह गयला था क्योंकि अपुन के अंदर अब हवस के कीड़े आ गएले थे और अपुन का मन बस यही चाह रेला था कि अपुन झट से उसके होठों को साधना के होठों जैसे चूमना चूसना शुरू कर दे।

और अपुन ने ऐसा ही करने का मन बना लिया लौड़ा। अगले ही पल अपुन धड़कते दिल के साथ झुकना शुरू कर दिया। वो अपुन को ही देख रेली थी। जैसे ही अपुन उसके चेहरे की तरफ झुकना शुरू किया तो उसका मुस्कुराना कम होने लगा और चेहरे पर ऐसे भाव उभरने लगे जैसे उसके अंदर किसी तरह का नशा होने लगा हो लौड़ा।

कुछ ही पलों में अपुन ने उसके कोमल और गुलाबी होठों पर अपने होठ रख हल्के से चूमा। ऐसा करते ही अपुन के पूरे जिस्म में मजे की तरंगें दौड़ती चली गईं। अपुन ने ये भी महसूस किया कि नीचे पड़ी वो हल्के से कांप गईली थी।

अचानक उसके दोनों हाथ अपुन को अपनी पीठ पर महसूस हुए। अपुन ने थोड़ा और अपने जिस्म को नीचे झुकाया जिससे उसकी छातियों के उभार अपुन के सीने से टकराने लगे। एक बार फिर से अपुन के पूरे जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई, उधर उसका जिस्म भी फिर से कांप गया।

अगले ही पल अपुन ने उसके निचले होठ को अपने होठों से पकड़ कर मुंह में लिया और चूसना शुरू कर दिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म थरथरा गया। उसने अपुन की पीठ पर रखे अपने हाथों को एकदम से कस लिया और साथ ही खुद भी अपुन के होठ चूमने चूसने का प्रयास करने लगी। उसको चूमना चूसना सही से आ नहीं रेला था लेकिन उससे जैसे बन रेला था वो करती जा रेली थी।

अपुन ने फील किया कि उसके नर्म होठों का स्वाद साधना के होठों से भी कहीं ज्यादा मीठा था। ऐसा शायद इस लिए हो सकता था क्योंकि विधी अपुन की सगी जुड़वां बहन थी। खैर जो भी हो पर ये सच था कि अपुन को उसके होठ चूसने में भारी मजा आ रेला था। पलक झपकते ही अपुन मजे की एक अनोखी दुनिया में परवाज़ करने लगा था लौड़ा।

कुछ ही देर में अपन दोनों की सांसें भारी हो गईं। मजे के साथ जोश चढ़ा तो होठ चूसने में भी जोश बढ़ता चला गया लौड़ा। उधर विधी की सांसें बुरी तरह बढ़ गईली थीं। अपुन की पीठ पर कसे उसके हाथ कब अपुन के सिर को थाम लिए थे पता ही नहीं चला लौड़ा। इधर अपुन को भी पता न चला था कि कब अपुन ने अपना पूरा भार उसके ऊपर ही डाल दिया था।

होठ चूसते हुए अपुन उसके चेहरे को थाम कर कभी अपनी कमर को उसकी जांघों के बीच दबा देता तो कभी एक हाथ को उसके चेहरे से हटा कर उसके बाजू को सहलाने लगता। बोले तो ऐसा आलम था कि अपन दोनों ही जैसे भूल गएले थे कि अपुन लोग रात दो बजे क्या कर रेले हैं? तभी अचानक विधी ने अपने होठ अपुन से छुड़ाए और मदहोश सी बोल पड़ी।

विधी ─ भ...भाई कुछ हो रहा है मुझे।

अपुन ─ अ..अपुन को भी।

विधी ─ ओह! बहुत मजा आ रहा है भाई।

अपुन जानता था कि उसके अंदर इस सबके चलते हवस की गर्मी भर गईली थी। ये उसी का नतीजा था कि वो मदहोशी में ये सब बोल रेली थी। इधर अपुन उसके गालों को चूमते हुए उसके कान की लौ को चूमने लगा तो वो बुरी तरह सिसकी लेते हुए मचल उठी।

विधी ─ शश्श्श्श भ...भाई।

विधी मचल भी रेली थी और कसमसा भी रेली थी। होठ आजाद होने की वजह से अब तक शायद उसकी बड़ी हुई सांसें थोड़ा सम्हल गईली थीं इस लिए अपुन का चेहरा थाम कर अगले ही पल उसने अपुन के होठों को फिर से चूमना शुरू कर दिया था। अपुन ने भी उसके होठों की मदमस्त कर देने वाली शराब को चूसने से इंकार नहीं किया।

इस सबके चलते अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ गयला था जो विधी की चूत के आस पास अपनी मौजूदगी का आभास करा रेला था। अपुन को पूरा यकीन था कि विधी को भी अपुन के अकड़े हुए लन्ड का अब तक आभास हो गया होगा। हालांकि जब भी अपुन अपनी कमर को नीचे की तरफ दबाता था तो वो अपनी टांगों को उठा कर अपुन के पिछवाड़े से सटा लेती थी।

अचानक अपुन का एक हाथ उसके चेहरे से हट कर उसके राइट मम्मे पर आ गया। टी शर्ट के ऊपर से ही अपुन ने उसे थाम लिया था और फिर मस्ती में उसे दबा दिया। अगले ही पल विधी को झटका लगा तो उसने झट से अपुन के होठों को छोड़ अपुन का चेहरा ऊपर किया। अपुन को भी होश आया तो अपुन थोड़ा घबरा गया। उधर विधी ने अपना एक हाथ अपुन के उस हाथ पर रखा जो उसके मम्मे पर रखा था, फिर धीरे से बोली।

विधी ─ भाई..ये क्या कर रहा है? तेरा हाथ मेरे ब्रेस्ट पर है।

अपुन ने झट से उसके मम्मे से अपना हाथ हटा लिया और इसके साथ ही उसके ऊपर से भी हट कर बेड पर बैठ गया। बोले तो पलक झपकते ही अपुन पूरी तरह होश में आ गया और अब अपुन को अपनी गलती का एहसास हुआ।

अपुन ─ सॉरी, पता ही नहीं चला कब अपुन का हाथ तेरे बू...आई मीन तेरे ब्रेस्ट पर चला गया। सॉरी यार...अपुन ने जान बूझ के ऐसा नहीं किया है।

अब तक विधी भी उठ कर बैठ गईली थी। अपुन के मुख से ऐसा सुन कर और अपुन को सॉरी बोलते देख वो हल्के से मुस्कुराई फिर अपुन की तरफ खिसक कर प्यार से बोली।

विधी ─ इट्स ओके भाई। प्लीज डॉन्ट से सॉरी। आई नो तूने गलती से टच किया है। वैसे भी तू मेरी जान है तो तेरे लिए कुछ भी, हां नहीं तो।

अपुन ने हैरानी से उसे देखा। मतलब कि अपुन ने उसका दूध दबा दिएला था और वो इस बार अपुन पर गुस्सा नहीं हुई थी। अपुन को हैरानी से अपनी तरफ देखता देख वो फिर से मुस्कुराई और फिर बोली।

विधी ─ वैसे बड़ा नॉटी है तू।

अपुन ─ मतलब??

विधी ─ कु..कुछ नहीं। चल अब सो जाते हैं।

अपुन ने भी सोचा कि यही ठीक रहेगा। जोश जोश में कहीं सच में भारी गड़बड़ न हो जाए बेटीचोद। वैसे भी अपुन उसकी मर्जी के खिलाफ कुछ भी नहीं करना चाहता था। दूसरी बात अपुन ये भी याद रखना चाहता था कि वो अपुन की बहन है। खैर अपन दोनों ही अच्छे से लेट कर सोने की कोशिश करने लगे। उसके बाद पता ही न चला कब अपन दोनों सो गए लौड़ा?

~~~~~~

सुबह पांच बजे अलार्म क्लॉक के बजने पर अपन दोनों ही जाग गए। अपुन ने झट से अलार्म बंद किया और फिर विधी को अपने रूम में जाने को कहा। विधी ने भी बात को समझा और झट से अपने रूम में जाने को तैयार हो गई। बेड से उतरने से पहले उसने अपुन का चेहरा थाम कर अपुन के होठों पर किस किया और फिर मुस्कुराते हुए जाने लगी। अपुन को उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी इस लिए थोड़ा शॉक हुआ पर अपुन ने उससे कहा कुछ नहीं।

विधी दरवाजा खोल कर चुपके से बाहर निकल गई। उसके जाते ही अपुन ने दरवाजा बंद किया और बेड पर आ कर फिर से सोने की कोशिश करने लगा। इस बार जल्दी ही आंख लग गई लौड़ा मगर दिमाग तब खराब हो गया जब किसी ने जगा दिया बेटीचोद।

अपुन ने आँखें खोल कर देखा तो दिव्या और विधी दोनों ही अपुन के रूम में थीं। अपुन को जगाने वाली दिव्या थी। अपुन ने इधर उधर नज़र घुमाई तो जल्दी ही खिड़की से आती रोशनी से अपुन को समझ आया कि लौड़ा ये तो सुबह हो गईली है।

दिव्या ─ अब उठ भी जाइए भैया। कॉलेज नहीं जाना क्या?

अपुन ─ हां जाना है। कितना बज गया?

विधी ─ सात बजने वाले हैं भाई और आज तू इतनी देर तक क्यों सोता रहा?

विधी ने जान बूझ कर ऐसा बोला था जिससे अपुन को भी झट से एहसास हुआ कि अपुन को इस वक्त कैसे बिहैव करना है और क्या बोलना है।

अपुन ─ अरे! अपुन सुबह पांच बजे एक बार जगा था लेकिन मस्त नींद आ रेली थी इस लिए फिर से सो गयला था।

दिव्या ─ हां आपके अलार्म क्लॉक की बेल मुझे भी सुनाई दी थी लेकिन मैं उठी नहीं।

उसकी बात सुन अपुन ने मन ही मन सोचा कि अच्छा हुआ जो नहीं उठी लौड़ी वरना अगर रूम से निकल आती तो विधी को अपुन के रूम से निकलते भी देख लेती।

खैर अपुन ने दोनों को जाने को कहा और खुद फ्रेश होने के लिए बाथरूम में घुस गया। करीब आधे घंटे बाद अपुन तैयार हो कर नीचे डायनिंग टेबल पर पहुंचा।

विधी और दिव्या पहले से ही कॉलेज का यूनिफॉर्म पहने अपनी अपनी कुर्सी पर बैठेली थीं। अपुन भी जा कर विधी के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गया। साक्षी दी नजर नहीं आईं, शायद किचेन में थीं या फिर अपने रूम में।

थोड़ी ही देर में सीमा ने अपन लोगों के लिए ब्रेकफास्ट ला कर टेबल पर रख दिया। अपुन मन ही मन सोचने लगा कि साक्षी दी ब्रेकफास्ट करने क्यों नहीं आईं? वो तो हमेशा अपन लोगों के साथ ही नाश्ता करती थीं। अपुन से रहा न गया तो अपुन दिव्या से पूछ बैठा।

अपुन ─ अरे! दिव्या, ये दी कहां रह गईं?

दिव्या ─ दी तो अभी फ्रेश हो रहीं हैं भैया।

अपुन ─ क्या बात कर रेली है? मतलब कि वो तो अपन लोगों से पहले ही फ्रेश हो के रेडी हो जाती हैं फिर आज इतना लेट क्यों?

दिव्या ─ मॉर्निंग में उनसे बात हुई थी। कह रहीं थी कि आज भी देर से वो कंपनी जाएंगी इस लिए हम लोग ब्रेकफास्ट कर के कॉलेज चले जाएं।

अपुन समझ गया कि वो अपुन के सामने नहीं आना चाहतीं थी। या हो सकता है इसके पीछे कोई और वजह हो। खैर अपन तीनों ने ब्रेकफास्ट किया। कॉलेज जाने में अभी काफी टाइम था तो अपन लोग ड्राइंग रूम में आ कर सोफे पर बैठ गए। दिव्या ने तो टीवी चालू कर लिया जिससे विधी भी उसके साथ बैठ कर टीवी देखने लगी। इधर अपुन ने मोबाइल निकाल कर नेट ऑन किया। नेट ऑन होते ही मैसेज आने शुरू हो गए लौड़ा।

अमित, साधना और अनुष्का के मैसेज आएले थे। अमित ने अपुन को उसके घर का चक्कर लगाने के लिए थैंक्स लिख के भेजा था लौड़ा। अपुन मन ही मन ये सोच के मुस्कुराया कि एक तो अपुन ने उसकी बहन को चोद दिया ऊपर से ये लौड़ा अपुन को थैंक्स बोल रेला है। क्या ही गजब का चूतियापा है बेटीचोद।

साधना ने गुड मॉर्निंग विश किया था तो अपुन ने भी रिप्लाई कर दिया और बता दिया कि अपुन कॉलेज जा रेला है। उसके बाद अपुन ने अनुष्का का मैसेज देखा।

उस लौड़ी ने मैसेज में लिख के भेजा था कि आज कॉलेज में अपुन उससे मिले। अपुन सोचने लगा कि मिलने को क्यों बोला है लौड़ी ने? क्या अब वो अपुन से ही जानना चाहती है कि अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए वो क्या करे?

बेटीचोद, यही तो नहीं कर सकता था अपुन। बोले तो अपुन खुद खुल कर कैसे कुछ बोल सकता था उसको? इसी लिए तो इस तरह का हिंट दिया था उसे कि वो खुद सोचे लौड़ा। खैर अब क्या ही हो सकता था? मतलब कि उसने अपुन के ऊपर ही बला छोड़ दी थी, हट लौड़ा। अभी अपुन इस सबसे परेशान ही हो रेला था कि तभी साधना का मैसेज आया।

साधना ─ ठीक है बाबू। वैसे अमित मम्मी को ले कर शाम तक ही आएगा तो अगर पॉसिबल हो तो टाइम निकाल कर आ जाना अपनी साधना के पास।

उसका ये मैसेज पढ़ कर अपुन के अंदर मजे की तरंग सी दौड़ती चली गई लौड़ा। बोले तो उसका खुला निमंत्रण पढ़ कर अपुन का लन्ड खुश हो गयला था, तभी तो बेटीचोद ने कच्चे के अंदर दबा होने के बाद भी झटका दे मारा था लौड़ा।

अपुन ─ तुम ऐसे बुलाओगी तो टाइम निकालने का सोचना ही पड़ेगा मेरी जान।

साधना ─ हां तो निकाल लेना न बाबू। मेरे होठ तुम्हारे होठों को चूमने के लिए तड़प रहे हैं।

अपुन के अंदर उसकी ये बात सुन के झुरझुरी सी हुई। अपुन ने एक नज़र चुपके से दिव्या और विधी पर डाली फिर लिखा।

अपुन ─ और क्या क्या तड़प रेले हैं?

साधना ─ ओह! जान, मेरा तो सब कुछ तड़प रहा है तुम्हारे लिए।

अपुन ─ खुल के बताओ न कि क्या क्या तड़प रेला है?

साधना ─ उफ्फ जान, ऐसे मत पूछो न।

अपुन ─ अगर बताओगी नहीं तो अपुन कैसे टाइम निकालने का सोचेगा?

साधना ─ प्लीज ऐसा मत बोलो बाबू। मेरा बहुत मन कर रहा है तुम्हारी बाहों में समाने का। तुम्हें बहुत सारा प्यार करने का।

अपुन ─ मन तो अपुन का भी कर रेला है लेकिन क्या कर सकता है डियर? कॉलेज में टाइम देना भी जरूरी है। पढ़ाई करना भी तो जरूरी है।

साधना ─ हां जानती हूं बाबू लेकिन तुम्हारा मेरे पास आना भी जरूरी है।

अपुन ─ अपुन ने मना कब किया है लेकिन शायद तुम ही नहीं चाहती कि अपुन तुम्हारे पास आए।

साधना ─ ओह! बाबू मैं ऐसा कभी चाह ही नहीं सकती। प्लीज टाइम निकाल कर आ जाना मेरे पास। तुम्हारी साधना को तुम्हारी बहुत याद आ रही है।

अपुन ─ अपुन तभी आ सकता है जब तुम खुल कर बताओ कि तुम्हारा क्या क्या तड़प रेला है अपुन के लिए?

साधना ─ ओह! बाबू, अच्छा सुनो...जैसे मेरे होठ तुम्हारे होठों को चूमने के लिए तड़प रहे हैं वैसे ही मेरे बूब्स तुम्हारे द्वारा चूसे जाने के लिए तड़प रहे हैं। और...और मेरी चूत भी तुम्हारा लन्ड लेने के लिए तड़प रही है।

बेटीचोद, साधना के इस मैसेज ने तो अपुन के लंड को एक झटके में ही खड़ा कर दिया लौड़ा। अपुन ने एक बार फिर से दिव्या और विधी पर नजर डाली। वो दोनों टीवी का प्रोग्राम देखने में व्यस्त थीं। खैर अपुन ने उनसे नजर हटा कर साधना को मैसेज लिखना शुरू किया।

अपुन ─ अच्छा ऐसा क्या?

साधना ─ हां बाबू। प्लीज मेरे लिए टाइम निकाल लेना जान।

अपुन ─ अब तो टाइम निकालने का सोचना ही पड़ेगा यार। अपुन का लन्ड तो अभी से पूरा खड़ा हो गयला है।

साधना ─ उफ्फ बाबू। काश इस वक्त मैं तुम्हारे पास होती तो तुम्हारा लन्ड हाथ में ले लेती।

अपुन ─ सिर्फ हाथ में लेती? क्या और कुछ नहीं करती?

साधना ─ बहुत कुछ करती जान।

अपुन ─ क्या क्या करती? अपुन को भी बताओ।

साधना ─ पहले तो उसे चूमती बाबू। फिर उसे मुंह में भर कर मजे से चूसती।

अपुन ─ और??

साधना ─ और फिर तुमसे कहती कि बाबू अब अपने लन्ड को मेरी चूत में डाल कर मुझे जोर जोर से चोदो।

साधना के इस मैसेज को पढ़ कर अपुन के लन्ड ने ऐसा झटका खाया कि अपुन ने अगर फ़ौरन ही अपने इमोशंस को कंट्रोल न कर लिया होता तो झड़ ही जाता बेटीचोद। तभी उसका मैसेज फिर से आ गया।

साधना ─ ओह! जान मेरी तो इतनी सी बात पर ही हालत खराब हो गई है। मेरी चूत तो हद से ज्यादा गीली हो गई है। प्लीज अभी आ जाओ और मेरी चूत में अपना लन्ड डाल कर मुझे जोर जोर से चोदना शुरू कर दो।

अपुन की हालत भी बेटीचोद खराब हो गईली थी। पेंट के अंदर अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ गयला था और अब दर्द करने लगा था लौड़ा। मन तो बहुत कर रेला था कि अभी साधना के घर चला जाए और उसको सच में दबा के पेलना शुरू कर दे लेकिन प्रॉब्लम यही थी कि इस वक्त उसके घर जा ही नहीं सकता था। कॉलेज जाने का वक्त हो रेला था और अगर अपुन कॉलेज जाने की बजाय कहीं और जाने लगता तो दिव्या और विधी को जवाब देना भारी पड़ जाता।

अपुन ─ अपने इमोशंस को कंट्रोल में रखो यार। अभी नहीं आ सकता क्योंकि दिव्या और विधी पास में ही बैठेली हैं। वो दोनों अपुन के साथ ही कॉलेज जाएंगी।

साधना ─ ओह! बाबू, फिर तुम ही बताओ अपनी इस गीली चूत की तड़प को कैसे शांत करूं मैं?

अपुन ─ उंगली कर के मास्टरबेट कर लो।

साधना ─ नहीं न बाबू। तुम्हारे रहते मैं ऐसा नहीं करना चाहती। वैसे भी मेरी चूत की तड़प तो तुम्हारे उस मूसल जैसे लन्ड से ही मिटेगी।

अपुन ─ तो फिर इंतजार करो। अभी अपुन कॉलेज जाएगा। थोड़ा टाइम कॉलेज में पढ़ाई करेगा। उसके बाद ही अपुन तुम्हारे पास आ सकता है।

साधना ─ ठीक है बाबू लेकिन थोड़ा जल्दी आना। ये जरूर याद रखना कि शाम चार या पांच बजे तक अमित मम्मी को ले कर आ जाएगा।

अपुन ─ ठीक है। अच्छा अब मैसेज मत करना। अपुन अब कॉलेज के लिए निकलता है। जब अपुन को आना होगा तो अपुन खुद ही तुम्हें मैसेज कर देगा।

इस मैसेज के बाद अपुन ने सारी चैट को डिलीट मारा और फिर नेट ऑफ कर के मोबाइल जेब में डाल दिया। अपुन का लन्ड अभी भी अकड़ा हुआ था लौड़ा। अपुन जानता था कि जब तक अपुन का ध्यान कहीं और नहीं लगेगा तब तक ये बेटीचोद ऐसे ही अकड़ा रहेगा। खैर अपुन ने दिव्या और विधी को कॉलेज चलने को बोला तो वो फौरन ही टीवी बंद कर के सोफे से खड़ी हो गईं।

To be continued....


Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy
:declare:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,419
116,343
354
Shaandar Mast super hot erotic update 🔥🔥🔥🔥
Anushka se milne ka mauka milega padhne ke bahne 🤣🤣 :sex: ye bhi ho jaye
Saadhna ne mauka nikal liya Virat ke saath Raat bitane ka lagta dono ki virginity tutne wali hai 😘😘😃😃
Thanks men
Shaandar super hot erotic Mast Update 👌🔥🔥🔥🔥🔥
Thanks
Shaandar super hot erotic update 🔥🔥🔥🔥
Dono ne jawani ke pahle maze le liye :sex: Ab unhe Darad aur saza se bhi niptna hai 🤣🤣
Haan udghatan ho gaya dono ka :lol:

Btw next update posted :declare:
 
  • Like
Reactions: parkas and Iron Man
Top