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Adultery हवस

rajrahul

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नमस्कार दोस्तों, मैं राजीव शर्मा xforum का नियमित पाठक रहा हूं...खासकर incest part का। परन्तु आज पहली बार मैं कोई स्टोरी लिखने जा रहा हूं। मुझे उम्मीद है कि मुझे भी और राइटर्स की तरह ही पाठकों का प्यार मिलेगा।
 

rajrahul

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अपडेट -१

दोस्तों, मैं सबसे पहले कुछ महत्वपूर्ण characters का इंट्रो दे देना चाहता हूं ताकि कोई दिक्कत न हो...

* करण :- हमारा लीड
* शिवांगी:- करण की बेस्ट फ्रेंड ( बाद में गर्ल फ्रेंड)
* रुबीना नाज़:- करण की टीचर ( मुंहबोली बहन)
* सिया :- फ्रेंड
* अनीता आंटी:- सिया की मां
* दिव्या :- फ्रेंड



बाकी के characters बाद में story के हिसाब से एड होते जाएंगे।





" गुड मॉरनिंग स्टूडेंट्स" कहने के साथ ही प्रिंसिपल ने क्लास में इंटर किया।
" गुड मॉर्निंग सर" कुछ स्टूडेंट्स ने रिएक्ट किया बाकी यूं ही खड़े होकर झूठी रेस्पेक्ट शो के दी।
" जरूर साले ने कोई बकवास खबर देनी होगी" करण ने अपने बेंच पार्टनर रोहित के कान में फुसफुसाते हुए कहा। और दोनों हंस पड़े।
" क्या बात है रोहित...कुछ ज्यादा हंसी आ रही है?"
" वी आर रियली सॉरी सर"
" तुम जैसों को होना भी चाहिए... सॉरी। इडियट्स" प्रिंसिपल ने गुस्से पर थोड़ा काबू करते हुए बोला।
" हां तो स्टूडेंट्स, टुडे आई एम् गोइंग तो गिव यूं ए टॉप क्लास न्यूज। आज से आपको एक न्यू टीचर मिलने वाली हैं... जिन्होंने आपके इंग्लिश टीचर मिश्रा सर को रिप्लेस किया है। और आज से वही आपका क्लास लेंगी। बाकी की इंफॉर्मेशन वो खुद आपको देंगी।" इतना कहते ही प्रिंसिपल ने अपना रुमाल निकाला और पसीना पोछने के साथ ही क्लास से प्रस्थान किया।
सारे स्टूडेंट्स की निगाहें गेट पर लगी थी। वहां पर कोई खड़ा तो था जो कि चपरासी से बातें कर रहा था पर उसकी सकल अभी तक नहीं दिखी थी।
" क्या यार फालतू में लेडी टीचर क्लास में डाल दिया" रोहित ने चिड़ते हुए कहा " होगी सली कोई बूढ़ी काकी...आकर पकाएगी।"
करण ने मुस्कुराते हुए उसकी बातों में हां मिलाई।
तभी टीचर ने क्लास में एंट्री ली। एक स्लिम सी लड़की... सलवार सूट पहने हुए। फेस पे कोई मेकअप नहीं। इंडियन कलर... न गोरी और न ही काली। बिल्कुल सिम्पल सी।
" हेल्लो स्टूडेंट्स... हाऊ और यूं?" एक प्यारी सी मुस्कान के साथ टीचर ने पूछा ।
इसबार और भी हल्की सी आवाज आई। लेडी टीचर को इतना सीरियसली कोन लेता है भला।
बातों बातों में पढ़ाई स्टार्ट हुई और कब क्लास ओवर हो गया किसी को पता भी नहीं चला।
" शी इज प्रिटी गुड यार।"
" बिल्कुल"
"अरे मैम! इंट्रों तो दिया ही नहीं आपने?" किसी ने पूछा
टीचर ने मुस्कुराते हुए अपना इंट्रो देना शुरू किया" मेरा नाम रुबीना है और मैं यहां सिर्फ 12 वालों को पढ़ाने के लिए ज्वाइन करा है मतलब की सिर्फ आपलोगो को। नाउ हैप्पी?"
" आपकी उम्र क्या है मैम?" किसी ने पूछा और सारी क्लास हंस पड़ी।
" बेटा! किसी ने आपको बताया नहीं कि लड़कियों से कभी उनकी उम्र नहीं पूछनी चाहिए?" एक बार फिर पूरी क्लास में ठहाका गूंजा। और टीचर चली गई।
" मिश्रा से काफी बेटर है" करण ने रोहित से कहा।
" बात तो सही है पर कोई हॉट सी टीचर होती तो मज़ा आता।"
"अबे साले! बोर्ड्स है...अभी तो खुद पे लगाम लगा ले।" करण ने हस्ते हुए कहा।
" अबे छोड़ न... सोच इस बहन जी टाइप के जगह कोई ऐसी टीचर आती जिसके बूब्स सोनाक्षी जैसा और गान्ड इलियाना की तरह होते तो कितना मज़ा आता।" रोहित ने अपने इमेजिनेशन को आकार देते हुए कहा।
और दोनों हंस पड़े....
 

rajrahul

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Update 2

करण काफी परेशान सा इधर-उधर भटकता फिर रहा था। काफी वक़्त से वो रोहित को ढूंढता फिर रहा था, पर पता नहीं रोहित कहां गुम हो गया था। स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी। बोर्ड्स का काफी टेंशन था करण के सर पे पर रोहित था कि फालतू के कामो में अपने साथ साथ करण का भी टाइम खराब रहता था। दोनों काफी अच्छे दोस्त थे, ऐसा नहीं था कि बचपन से साथ हो। दोनों की दोस्ती लगभग कुछ महीने पहले ही हुई थी, पर मजाल हो की कोई कह दे की दोनो बचपन के दोस्त नहीं है। रोहित एक ओपन लड़का था। हर लडकी के साथ फ्लर्ट करना उसकी आदतों में सुमार था, जबकि करण उससे बिल्कुल उल्टा था। एक सिम्पल सा लड़का, जो शर्मिला था। उसकी दोस्ती बहुत कम लोगों से होती थी पर जिससे भी होती, दमदार होती। इंट्रोवर्ट लोगों की ये बात बड़ी शानदार होती है।
" अरे यार! तू यहां बैठा है?" रोहित को रुबीना मैम के साथ बैठा देख कर करण उनके पास चला गया।
" क्यूं , मेरे साथ बैठने में कोई हर्ज है क्या?" रोहित के कुछ कहने के पहले ही मैम ने कहा।
" अरे नहीं मैम ऐसा कुछ नहीं है।" थोड़ा अजीब सा लगा करण को। " बोर्ड्स हैं न इसलिए घर जल्दी जाना पड़ता है।" खुद में ही उलझते हुए करण ने कहा।
मैम ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुराती रही।
" मैंने मैम को बहन बना लिया है।"
" सच में?" करण ने आश्चर्य से पूछा।
" बिल्कुल। आपको कोई आप्पती तो नहीं" रुबीना ने तंज़ कसा।
" नहीं...नहीं ये तो अच्छी बात है।"
सारे लोग एक साथ मुस्कुरा पड़े। रुबीना ने अपना सामान पैक किया और रोहित से बोली " चलो, हो गया मेरा काम।"
" आप हमारे साथ चल रही हैं?" करण ने पूछा
"हां जी बिल्कुल"
" ओह! चलिए"
बाइक एक और सवार तीन। करण को रोहित पे आज काफी गुस्सा आ रहा था। आखिर क्या जरूरत थी मैम को साथ लाने की, वैसे भी टीचर कि दोस्ती अच्छी नहीं होती। यही सब सोचते हुए वो लोग बाइक के पास पहुंचे।
" करण! तू मैम को बाइक से लेकर चला जा। मैं बस से आता हूं।"
" क्या?" करण को कुछ समझ नहीं आया। रोहित जो बस के नाम से चिढ़ता था, वो बस से जाएगा।
" समझा कर भाई, आज अंशु के घर पे कोई नहीं है। आज घर लेट आऊंगा।" उसने धीरे से कहा। अंशु उसकी चौथी सेटिंग थी। " और हां, बाइक घर पे पहुंचा दियो।" कहते हुए रोहित वहां से चला गया।
करण ने बाइक स्टार्ट किया, रुबीना उसके पीछे बैठ गई और अपना एक हाथ करण के कंधे पर रख दिया।बाइक चल पड़ी।
" एक बात पूछूं?" रुबीना ने अपना सर आगे लाते हुए कहा।
" जी"
" लगभग दो हफ्ते से ज्यादा हो गया मुझे यहां आए, और मेरे अब्सर्वेशन के मुताबिक तुम सबसे अलग रहते हो क्लास में। हर वक़्त खुद में ही गुम सुम। कोई बात है क्या?"
" नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है । बस मुझे अच्छा लगता है, अकेले रहना और वैसे भी रोहित है न किसी और कि क्या जरूरत?"
" हम्म!" रुबीना ने इस बात को ज्यादा बढ़ाना अच्छा नहीं समझा। दोनों के बीच में काफी बातें होती रहीं और वक़्त गुजरता गया। बातों ही बातों में कब रुबीना का घर आ गया पता ही नहीं चला।
वो बाइक से उतरकर आगे बढ़ी ही थी कि करण की आवाज ने रोक लिया।
" एक बात पूछनी थी, आपसे?"
"पूछो"
"क्या मैं आपको दीदी पुकार सकता हूं?"
"बिल्कुल" रुबीना ने एक मुस्कान दिया " पर स्कूल में नहीं"
"ठीक है" करण ने खुशी से कहा।
" और हां ये लो मेरा नंबर जब भी मन करे कॉन्टेक्ट कर लेना"
" स्योर"
" ओके! बाय"
"बाय"
करण आज काफी खुश था। उसकी लाइफ में एक नए मेंबर कि एंट्री जो हुई थी।
 
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