बच्चे को सजाकर महंगे कपड़ों से,
बना दिया तुमने उसे राजकुमार।
उसके गले में डाल दी ज़ंजीरें,
जिन्हें कहते हो तुम मोती के हार।।
उन कपड़ों ने बिगाड़ा उसका खेल,
कहीं फटे ना या मैले ना हो जाएं।
इस डर से वह रहता दूर सभी से,
हिलने डुलने से भी वह घबराए।।
मां, यह सजधज की बंदिश क्यों,
जो रोके किसी को धूल में नहाने से।
साधारण जीवन के महान मेले में,
जो रोके उसे खुशियां मनाने से।।
बना दिया तुमने उसे राजकुमार।
उसके गले में डाल दी ज़ंजीरें,
जिन्हें कहते हो तुम मोती के हार।।
उन कपड़ों ने बिगाड़ा उसका खेल,
कहीं फटे ना या मैले ना हो जाएं।
इस डर से वह रहता दूर सभी से,
हिलने डुलने से भी वह घबराए।।
मां, यह सजधज की बंदिश क्यों,
जो रोके किसी को धूल में नहाने से।
साधारण जीवन के महान मेले में,
जो रोके उसे खुशियां मनाने से।।