कहानी के टाइटल से , आप लोग समझ गये होगे की कहानी में क्या देखने को मीलेगा!!
लेकीन कहानी में 'शीकारी' कौन है, और ये कीसका शीकार कर रहा है........इस चीज की पता लगाना बाकी है.........तो चलीये देखते है , की आखीर ये शीकारी कौन है??
----------------शीकारी........कौन?
कहानी शुरु होती है , आज से करीब 400 साल पहले 'रीवान' राज्या का एक राजा था.....जीसका काम सीर्फ चारो तरफ हैवानीयत फ़ैलाना था....!
बहुत सारे राज्य के राजा तो .....उसके नाम से ही कांपते थे!! उसका नाम 'सानद' था.....और इससे डरने की सबसे बड़ी बात ये थी की, इसने अपने राज्य के गुरु के परामर्श से कुछ शातानी शक्तीयों को हासींल कर लीया था''
'सानद जीस भी राज्य पर , अपनी नज़र डालता वो उस राज्य को अपना गुलाम बना लेता, ये बहुत बड़ा हवशी था.......ये लूटे हुए राज्य की सभी राजाओं की रानीयों को अपनी रखैल बना कर रखता । और राजाओं की बली चढ़ा कर अपने शैतान को खुश करके , शैतानी शक्तीयों को हासींल करता!!
''लेकीन कहते है ना की, जंहा पाप हो वहां पुन्य भी होता है,
सानद अपनी शैतानी शक्तीयों से बहुत सारे राज्यों को अपना गुलाम बना चुका था!! लेकीन एक गलती कर दी !
'उसने एक ऐसे राज्य पर हमला करना चाहा, जीस राज्य की राजा की बेटी 'अत्यंत खुबसुरत और विद्यवान थी......!
'वो राज्य था......कमलापुरी.....लेकीन कहते है, इस राज्य का नाम पहले कुछ और था, लेकीन कमलापुरी के राजा को जब बेटी हुई तो उन्होने ये नाम रखा 'कमलापुरी'
'कमलापुरी' नाम रखने का कारन तो कुछ और ही था'' वहां के राजगुरु ने जब राजा की बेटी को देखा तो , उसके पीठ पर एक कमल के फूल का स्वरुप चीन्ह था.....जीसे देख राजगुरु ने कहा!!
राजगुरु- हे राजन, ये कोयी साधारण बालीका नही है......ये तो परीयोँ की दुनीया ''कमलापुरी'' से है, जो हर पांच सौ साल बाद इसांनो की दुनीया में जन्म लेती है!!
'ये कहते हुए राजगुरु अपनी शक्तीयों से उस बच्ची का मस्तक पढ़ने लगे.....!!
कुछ देर यू ही अपनी आंखे बंद करे रहने के बाद.....राजगुरु सोच में पड़ गये!!
''क्या हो रहा है ये.....मैं इस बच्ची की जीवन चरीत्र को भांप क्यूं नही पा रहा हूं.......!! ज़रुर आने वाले समय में धरती पर कुछ होगा??
........ये देखकर राजगुरु बीना कुछ बोले , अपनी तीव्रता से राजमहल से बाहर नीकल जाते है.....
राजगुरु को इस तरह जाता देख......राजा भी अचंभीत रह गया की, गुरुदेव इस तरह क्यूं चले गये!!
........दीन धीरे - धीरे ब्यतीत हो रहा था......राजगुरु वीलुप्त हो चुके थे ' आज पूरे 18 साल हो चुके थे, उस दीन के गये गुरुदेव आज तक नही लौटे.....राजा ने खुब खोज़ करवायी लेकीन कुछ भी पता नही चला--
''आज राजा , अपने महल में अपने दरबारीयों के साथ बैठा था.....तभी वहां एक आदमी आता है। राज महल के सभा में खड़े उस आदमी को देख । सब लोग हैरान रह गये....
राजा - गुरुदेव.......
.......गुरुदेव.......गुरुदेव.........
करीब - करीब सब लोग के मुख से यही शब्द नीकला , और सब लोग अपने स्थान से खड़े हो गये!!
राजा दौड़ते - दौड़ते , गुरुदेव के कदमों में गीर गया......
राजा - गुरुदेव , आप कहां चले गये थे?
गुरुदेव ने राजा को अपने कदमों में से उठाते हुए बोले-
गुरुदेव - उस रहस्य का पता लगाने......जो आज घटीत होने वाला ........भवीष्य की घटना के अनुसार!!
गुरुदेव की बाते कीसी को समझ नही आयी......
राजा - रहस्य.......कैसा रहस्य? और भला वर्तमान के बीना बीते भवीष्य कैसे आरम्भ होगा?
राजा की बात सुनकर.......गुरुदेव ने कहा-
गुरुदेव - भवीष्य तो आरंभ हो चुका है.......और कुछ ही समय में वर्तमान थमने वाला है......
......गुरुदेव की बाते सबको अचभें में डाल रही थी......सब लोग अपनी नज़रे गड़ाये गुरुदेव को देखे जा रहे थे!!
गुरुदेव - हे राजन , तुम्हारी पुत्री परीलोग के नीयम के अनुसार धरती पर जन्म लीया है.........जीससे संसार की सभी शैतानी शक्तीयां आपकी पुत्री को पाने की कोशीश में लगी है........कुछ ही समय में ये वर्तमान थमने वाला है.......क्यूकीं शैतानी शक्ती आपके राज्य की तरफ तेजी से बढ़ते आ रही है!!
'लेकीन ये शक्ती अभी इस बात से बेखबर है.....की परीयों को शैतानी शक्तीया छू भी नही सकती , अगर उसने ऐसा कीया तो वर्तमान यहीं रुक जायेगा और भवीष्य का आरभं होगा !! भवीष्य के आंरभं में ये दोनो शक्तीया एक बार पुन: जन्म लेगी......और उसी भवीष्य में इन दोनो के बीच होने वाली घटनाओं पर आज का वर्तमान और परीलोग का वर्थमान नीर्भर होगा!!
राजा के साथ - साथ सभी दरबारी के मुख पर चीतंन झलकने लगी.......
राजा - गुरुदेव, आप तो सच्चाइ की मीसाल है.....तो कृपा करके आप मुझे इस बात से......अवगत करीये की भवीष्य काल में इन दोनो शक्तीयों की कीस प्रकार की घटना हो सकती है, और उसका हमारे वर्तमान पर क्या असर डालेगा!!
गुरुदेव - मैने आज के वर्तमान को सुरच्छीत रखने की वो क्रीया जो भवीष्यकाल में इन दोनो के बीच होने वाली है......उसके एक पत्र का टुकड़ां मैने एक सुरच्छीत जगह पर रख दीया है.......अगर वो पत्र का टुकड़ा इन दो शक्तीयों के हाथ लगी तो समझो.....,आज का वर्तमान सुरच्छीत है!! और अगर कीसी इंसान के हाथ लगा तो.......वो इसानं बहुत सारी शक्तीयों का स्वामी हो जायेगां और ये वर्तमान हमेशा के लीये स्थीर ही रह जायेगा.....!! यद्यपी भवीष्यकाल में आपकी पुत्री और जो भी शैतान आज पहले आपकी पुत्री को हाथ लगायेगा वो.......भवीष्यकाल में दोनो एक साधारण इसांन ही होगें लेकीन इनका तेज , स्वाभाव इनके शक्तीयों के अनुरुप ही होगा........!!
.........इतना कहते ही राजगुरु ने जैसे ही अपने हाथ उठाये.......हंवावो में सनसनाट फैल गयी......बादल घीर गये.......एक प्रकार से चारो तरफ धुधंली रात हो गयी.......आसमान से शैतानी आवाजे आने लगी......ज़ीसे सुनकर सब के रौगंटे खड़े हो गये........सब लोग राजमहल के बाहर नीकले तो.......उनके पैरों तले जमीन खीसक गयी!!
.........आसमन में भद्दे दीखने वाले शैतानी शक्तीया चारो तरफ फैले थे......और शैतानो को रोकने के लीये 'परीलोक' का समाज भी शैतानो का सामना कर रहा था........
हा...........हा...........हां.............ईतने सालो से प्रतीच्छा कर रहा था आज के दीन का.......आज मुझे इस परीलोग की खुबसुरती को अपना बनाने से कोयी नही रोक सकता!!
.........और ये कहते हुए वो शैतान आसमानो से , राजकुमारी के कच्छ की तरफ बढ़ा.....!
ये देखकर राजगुरु और राजा हैरान रह गये!!
राजगुरु - इस शैतान को रोकना पड़ेगा?
वो शैतान जैसे ही हवाओं से उड़ता हुआ राजकुमारी के कच्छ तक पहुचा.......वैसे ही , उसके उपर कीसी शक्ती का प्रहार हुआ और वो नीचे जमीन पर गीर पड़ा.....
.......शैतान को नीचे जमीन पर गीरता देख......सब की आंखे फटी की फटी रह गयी, क्यूकीं शैतान के उपर प्रहार करने वाला कोयी और नही.....बल्की हवशी राजा 'सानद' था......!
शैतान , सानद को देख कर गुस्से में जोर से दहाड़ा.....उसकी दहाड़ सुनकर तो मानो हर जगह अफरा-तफरी मच गयी!!
शैतान - मूर्ख सानद , मेरी ही पूजा करके, मुझसे ही शक्तीया प्राप्त करके , तू मुझसे ही भीड़ रहा है!!
सानद भी हवाओं से तैरते हुए नीचे जमीन पर आता है........
सानद - तुझसे शक्तीया ले के, मै आज तुझसे भी ज्यादा ताकतवर हो जाउगा.....और फीर तू मेरी पूजा करेगा!! और इस संसार पर सीर्फ मेरा हक होगा........और ये कहकर , सानद राजकुमारी के कच्छ की तरफ उड़ चला--
लेकीन तभी शैतान ने अपनी शक्तीयों से सानद को , नीचे जमीन पर पटक दीया....... दोनो में लड़ाइ आंरभ हुई......
शैतान ने सानद को अपनी शक्तीयो के वशीभूत कर दीया.......सानद अधमरे हालत में था॥
शैतान - हा........हा........तूझे मेरी शक्तीयों का अंदाजा होने के बाद भी तू मुझसे टकराया......ये कहकर शैतान ने सानद को उठाकर , राजकुमारी के कच्छ की तरफ बढ़ा......
और उसने राजकुमारी के कच्छ में पहुच कर , सानद को जमीन पर फेक दीया!!
.........राजकुमारी सो रही थी.........राजकुमारी के बीस्तर के नीचे जमीन पर पड़ा सनद कलथ रहा था, और शैतान राजकुमारी के तरफ बढ़ रहा था!!
धीरे - धीरे शैतान का हाथ राजकुमारी की तरफ बढ़ा........और जैसे ही उसने राजकुमारी को छुवा, ठीक उसी समय एक और हाथ ने राजकुमारी को छुवा.......जब तक हैवान देख पाता की ये कौन था!!
तब तक सब तम चुका था..........समय, बादल, हवाए.........जो जंहा था वही थम गया ''वर्तमान थम चुका था''
और आरंभ हो चुका था ..........''भवीष्य ''
लेकीन कहानी में 'शीकारी' कौन है, और ये कीसका शीकार कर रहा है........इस चीज की पता लगाना बाकी है.........तो चलीये देखते है , की आखीर ये शीकारी कौन है??
----------------शीकारी........कौन?
कहानी शुरु होती है , आज से करीब 400 साल पहले 'रीवान' राज्या का एक राजा था.....जीसका काम सीर्फ चारो तरफ हैवानीयत फ़ैलाना था....!
बहुत सारे राज्य के राजा तो .....उसके नाम से ही कांपते थे!! उसका नाम 'सानद' था.....और इससे डरने की सबसे बड़ी बात ये थी की, इसने अपने राज्य के गुरु के परामर्श से कुछ शातानी शक्तीयों को हासींल कर लीया था''
'सानद जीस भी राज्य पर , अपनी नज़र डालता वो उस राज्य को अपना गुलाम बना लेता, ये बहुत बड़ा हवशी था.......ये लूटे हुए राज्य की सभी राजाओं की रानीयों को अपनी रखैल बना कर रखता । और राजाओं की बली चढ़ा कर अपने शैतान को खुश करके , शैतानी शक्तीयों को हासींल करता!!
''लेकीन कहते है ना की, जंहा पाप हो वहां पुन्य भी होता है,
सानद अपनी शैतानी शक्तीयों से बहुत सारे राज्यों को अपना गुलाम बना चुका था!! लेकीन एक गलती कर दी !
'उसने एक ऐसे राज्य पर हमला करना चाहा, जीस राज्य की राजा की बेटी 'अत्यंत खुबसुरत और विद्यवान थी......!
'वो राज्य था......कमलापुरी.....लेकीन कहते है, इस राज्य का नाम पहले कुछ और था, लेकीन कमलापुरी के राजा को जब बेटी हुई तो उन्होने ये नाम रखा 'कमलापुरी'
'कमलापुरी' नाम रखने का कारन तो कुछ और ही था'' वहां के राजगुरु ने जब राजा की बेटी को देखा तो , उसके पीठ पर एक कमल के फूल का स्वरुप चीन्ह था.....जीसे देख राजगुरु ने कहा!!
राजगुरु- हे राजन, ये कोयी साधारण बालीका नही है......ये तो परीयोँ की दुनीया ''कमलापुरी'' से है, जो हर पांच सौ साल बाद इसांनो की दुनीया में जन्म लेती है!!
'ये कहते हुए राजगुरु अपनी शक्तीयों से उस बच्ची का मस्तक पढ़ने लगे.....!!
कुछ देर यू ही अपनी आंखे बंद करे रहने के बाद.....राजगुरु सोच में पड़ गये!!
''क्या हो रहा है ये.....मैं इस बच्ची की जीवन चरीत्र को भांप क्यूं नही पा रहा हूं.......!! ज़रुर आने वाले समय में धरती पर कुछ होगा??
........ये देखकर राजगुरु बीना कुछ बोले , अपनी तीव्रता से राजमहल से बाहर नीकल जाते है.....
राजगुरु को इस तरह जाता देख......राजा भी अचंभीत रह गया की, गुरुदेव इस तरह क्यूं चले गये!!
........दीन धीरे - धीरे ब्यतीत हो रहा था......राजगुरु वीलुप्त हो चुके थे ' आज पूरे 18 साल हो चुके थे, उस दीन के गये गुरुदेव आज तक नही लौटे.....राजा ने खुब खोज़ करवायी लेकीन कुछ भी पता नही चला--
''आज राजा , अपने महल में अपने दरबारीयों के साथ बैठा था.....तभी वहां एक आदमी आता है। राज महल के सभा में खड़े उस आदमी को देख । सब लोग हैरान रह गये....
राजा - गुरुदेव.......
.......गुरुदेव.......गुरुदेव.........
करीब - करीब सब लोग के मुख से यही शब्द नीकला , और सब लोग अपने स्थान से खड़े हो गये!!
राजा दौड़ते - दौड़ते , गुरुदेव के कदमों में गीर गया......
राजा - गुरुदेव , आप कहां चले गये थे?
गुरुदेव ने राजा को अपने कदमों में से उठाते हुए बोले-
गुरुदेव - उस रहस्य का पता लगाने......जो आज घटीत होने वाला ........भवीष्य की घटना के अनुसार!!
गुरुदेव की बाते कीसी को समझ नही आयी......
राजा - रहस्य.......कैसा रहस्य? और भला वर्तमान के बीना बीते भवीष्य कैसे आरम्भ होगा?
राजा की बात सुनकर.......गुरुदेव ने कहा-
गुरुदेव - भवीष्य तो आरंभ हो चुका है.......और कुछ ही समय में वर्तमान थमने वाला है......
......गुरुदेव की बाते सबको अचभें में डाल रही थी......सब लोग अपनी नज़रे गड़ाये गुरुदेव को देखे जा रहे थे!!
गुरुदेव - हे राजन , तुम्हारी पुत्री परीलोग के नीयम के अनुसार धरती पर जन्म लीया है.........जीससे संसार की सभी शैतानी शक्तीयां आपकी पुत्री को पाने की कोशीश में लगी है........कुछ ही समय में ये वर्तमान थमने वाला है.......क्यूकीं शैतानी शक्ती आपके राज्य की तरफ तेजी से बढ़ते आ रही है!!
'लेकीन ये शक्ती अभी इस बात से बेखबर है.....की परीयों को शैतानी शक्तीया छू भी नही सकती , अगर उसने ऐसा कीया तो वर्तमान यहीं रुक जायेगा और भवीष्य का आरभं होगा !! भवीष्य के आंरभं में ये दोनो शक्तीया एक बार पुन: जन्म लेगी......और उसी भवीष्य में इन दोनो के बीच होने वाली घटनाओं पर आज का वर्तमान और परीलोग का वर्थमान नीर्भर होगा!!
राजा के साथ - साथ सभी दरबारी के मुख पर चीतंन झलकने लगी.......
राजा - गुरुदेव, आप तो सच्चाइ की मीसाल है.....तो कृपा करके आप मुझे इस बात से......अवगत करीये की भवीष्य काल में इन दोनो शक्तीयों की कीस प्रकार की घटना हो सकती है, और उसका हमारे वर्तमान पर क्या असर डालेगा!!
गुरुदेव - मैने आज के वर्तमान को सुरच्छीत रखने की वो क्रीया जो भवीष्यकाल में इन दोनो के बीच होने वाली है......उसके एक पत्र का टुकड़ां मैने एक सुरच्छीत जगह पर रख दीया है.......अगर वो पत्र का टुकड़ा इन दो शक्तीयों के हाथ लगी तो समझो.....,आज का वर्तमान सुरच्छीत है!! और अगर कीसी इंसान के हाथ लगा तो.......वो इसानं बहुत सारी शक्तीयों का स्वामी हो जायेगां और ये वर्तमान हमेशा के लीये स्थीर ही रह जायेगा.....!! यद्यपी भवीष्यकाल में आपकी पुत्री और जो भी शैतान आज पहले आपकी पुत्री को हाथ लगायेगा वो.......भवीष्यकाल में दोनो एक साधारण इसांन ही होगें लेकीन इनका तेज , स्वाभाव इनके शक्तीयों के अनुरुप ही होगा........!!
.........इतना कहते ही राजगुरु ने जैसे ही अपने हाथ उठाये.......हंवावो में सनसनाट फैल गयी......बादल घीर गये.......एक प्रकार से चारो तरफ धुधंली रात हो गयी.......आसमान से शैतानी आवाजे आने लगी......ज़ीसे सुनकर सब के रौगंटे खड़े हो गये........सब लोग राजमहल के बाहर नीकले तो.......उनके पैरों तले जमीन खीसक गयी!!
.........आसमन में भद्दे दीखने वाले शैतानी शक्तीया चारो तरफ फैले थे......और शैतानो को रोकने के लीये 'परीलोक' का समाज भी शैतानो का सामना कर रहा था........
हा...........हा...........हां.............ईतने सालो से प्रतीच्छा कर रहा था आज के दीन का.......आज मुझे इस परीलोग की खुबसुरती को अपना बनाने से कोयी नही रोक सकता!!
.........और ये कहते हुए वो शैतान आसमानो से , राजकुमारी के कच्छ की तरफ बढ़ा.....!
ये देखकर राजगुरु और राजा हैरान रह गये!!
राजगुरु - इस शैतान को रोकना पड़ेगा?
वो शैतान जैसे ही हवाओं से उड़ता हुआ राजकुमारी के कच्छ तक पहुचा.......वैसे ही , उसके उपर कीसी शक्ती का प्रहार हुआ और वो नीचे जमीन पर गीर पड़ा.....
.......शैतान को नीचे जमीन पर गीरता देख......सब की आंखे फटी की फटी रह गयी, क्यूकीं शैतान के उपर प्रहार करने वाला कोयी और नही.....बल्की हवशी राजा 'सानद' था......!
शैतान , सानद को देख कर गुस्से में जोर से दहाड़ा.....उसकी दहाड़ सुनकर तो मानो हर जगह अफरा-तफरी मच गयी!!
शैतान - मूर्ख सानद , मेरी ही पूजा करके, मुझसे ही शक्तीया प्राप्त करके , तू मुझसे ही भीड़ रहा है!!
सानद भी हवाओं से तैरते हुए नीचे जमीन पर आता है........
सानद - तुझसे शक्तीया ले के, मै आज तुझसे भी ज्यादा ताकतवर हो जाउगा.....और फीर तू मेरी पूजा करेगा!! और इस संसार पर सीर्फ मेरा हक होगा........और ये कहकर , सानद राजकुमारी के कच्छ की तरफ उड़ चला--
लेकीन तभी शैतान ने अपनी शक्तीयों से सानद को , नीचे जमीन पर पटक दीया....... दोनो में लड़ाइ आंरभ हुई......
शैतान ने सानद को अपनी शक्तीयो के वशीभूत कर दीया.......सानद अधमरे हालत में था॥
शैतान - हा........हा........तूझे मेरी शक्तीयों का अंदाजा होने के बाद भी तू मुझसे टकराया......ये कहकर शैतान ने सानद को उठाकर , राजकुमारी के कच्छ की तरफ बढ़ा......
और उसने राजकुमारी के कच्छ में पहुच कर , सानद को जमीन पर फेक दीया!!
.........राजकुमारी सो रही थी.........राजकुमारी के बीस्तर के नीचे जमीन पर पड़ा सनद कलथ रहा था, और शैतान राजकुमारी के तरफ बढ़ रहा था!!
धीरे - धीरे शैतान का हाथ राजकुमारी की तरफ बढ़ा........और जैसे ही उसने राजकुमारी को छुवा, ठीक उसी समय एक और हाथ ने राजकुमारी को छुवा.......जब तक हैवान देख पाता की ये कौन था!!
तब तक सब तम चुका था..........समय, बादल, हवाए.........जो जंहा था वही थम गया ''वर्तमान थम चुका था''
और आरंभ हो चुका था ..........''भवीष्य ''