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दिसंबर की कड़कड़ाने वाली ठंड में में पापा और मां काली रात में सितारों को देखते हुए बाते करते हुए एक दूसरे को आलिंगन में जकड़ रहे थे...पापा और मेरे बीच में मां दब रही थी...हमारे उपर एक मोटी रजाई थी जो हमारा ठंड से रक्षण कर रही थी...
मां – आह हटिए ना आप बच्चे बन रहे हो...(मां ने पापा को उनसे चिपके हुए थे उनको दूर करते हुए कहा)
पापा – क्यों तुम्हारे बेटे को तो अपने सीने से चिपका रखी हो जैसे दो साल का बच्चा हो...
मां – तो बच्चा ही है वो....
पापा – अरे कहा बच्चा दिख रहा है तुम्हे इस की शादी कर दी होती तो आज इसके खुद के बच्चे तुम्हारी गोद में खेल रहे होते....
मां – की तो नही ना...
और मां ने मेरा मुंह उनके सीने में छुपा दिया...मेने ये मौका जानें नही दिया और मां के स्तन को चूम ने लगा...मां तो अपनी ममता में खोई हुए मेरे सर को सहलाने लगी...वही पापा ने मां को पीछे से पकड़ के अपनी बाहों में भर लिया...और हम तीनों 12 बजे तक प्यार करते रहे...
मां – चलो बेटा अब नीचे जाके सो जाओ...हम आते है...
में अपने कमरे में चला गया...और नींद इतनी आ रही थी कि लेटते ही सो गया...
मां ने छत का दरवाजा बंद कर दिया...और पापा लेते लेते ही नंगे होकर अपना लिंग पकड़ के उसे सहलाने लगे...मां आते आते ही अपना पेटीकोट ऊपर कर पापा के लिंग पर बैठ गई और पूरा लिंग एक बार में अपनी छूत में सिसकारी भरते हुए निगल ली..."आह मुझे नंगा कर खुद ब्लाउज नही निकाला सुमित की का" और पापा ने मां को अपनी तरफ खींच के ब्लाउज को खोल दिया...मां ठंड में मचल उठी...और पापा को जोर से पकड़ के चुप गई और पापा ने मां को सहलाया..जिस से मां के जिस्म में गर्मी का संचार होता गया...और एक कामुक संभोग दोनो में होने लगा...मां की सिसकारियां दूर दूर तक फेल रही थी लेकिन दूर दूर तक दूसरा घर भी नही था जो मां की आहे सुन सके....
भरपूर यौन संबंध बना के मां और पापा नीचे आके सो गई...