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Rekha rani

Well-Known Member
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Comments read karne ke bad to mujhe lagta hai ab story aage likh bhi nahi paooga mai
Malum hota ki comment karne se itna aapko hurts hoga to karti hi nahi , kahani ko bich me chhod jaynege ye ummid nhi thi, nahi to sirf positive comment kr deti,
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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Koi ummed mat rakho bhai
Ye kya brother aap aisa kyon bol rahe ho!!??

Aapki writing har badhte samay ke sath improve huyi hai aur aap story ko aise chhodne ki baat kar rahe ho, log negative feedback denge hi dost ye sabhi ki story par hoti hai, sirf aapki hi story par nahi hua hai.

Balki first se hi kai logo ne es story ki aalochna kiya hai par aapne story likhi mujhe bhi kuchh issue tha Chandini ko lekar par maine kabhi aapki story ko bura nahi kaha.

Aap ek ke liye sabka dil nahi tod sakte ho bhai.

Aaram se story likhiye chill kijiye.

Ye story incest hai toh ek ek kar Sandhya ho ya phir Shalini iski expectations sabhi readers ko hai ki ek din ye hona hi hai.

Abhi maine update padha bhi nahi hai par samajh aa gaya ki kya hua hoga???

Aap dil chhota na karen aur jab time mile story likhiye baki kai log aapke sath hain.
 

Napster

Well-Known Member
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UPDATE 56



ललिता – (नाश्ते की टेबल पर सबसे) क्यों ना आज हम सब मेले में चले घूमने बहुत दिन हो गए मेले में गए वैसे भी कुछ ही दिनों में मेला भी बंद हो जाएगा....

शनाया – ये अच्छा आइडिया है ललिता इस बहाने घूमने का मौका भी मिलेगा सबको साथ में....

अभय – गांव में मेला लगा है बताया नहीं किसी ने....

चांदनी – इतने दिन चहल पहल में ध्यान ही गया किसी का....

अभय – अभी चले मेरा मन हो रहा है मेला देखने का....

ललिता – (संध्या से) क्या हुआ दीदी आज आप चुप क्यों हो बोलो ना आप भी कुछ....

संध्या – सबकी इच्छा है तो ठीक है चलते है मेले में....

शनाया – संध्या आज तू इतनी चुप क्यों है....

संध्या – कुछ नहीं शनाया बस ऐसे ही....

अलीता – (मुस्कुरा के) क्या हुआ चाची कही अभय ने कोई मजाक तो नहीं कर दिया आपसे जो बुरा मान गए हो आप....

अभय – भाभी भला मै क्यों मजाक करने लगा जिससे बुरा लगे...

अलीता – अच्छा मुझे लगा तभी बोला चलो ठीक है....

अमन – (ललिता से) मां मै आज अपने दोस्तों के साथ घूम लूं बहुत दिन हो गए....

अभय – अरे तो अपने दोस्तों को बुला लो मेले में हमारे साथ में घूमना....

अमन – (मू बना के) ठीक है....

रमन – अगर अमन अकेले जाना चाहता है दोस्तो के साथ तो जाने दो उसे शायद मेले में जाने का मन ना हो उसका....

अभय – अरे चाचा दोस्तो के साथ अमन कॉलेज में घूमता होगा ना आज हमारे साथ घूम लेगा तो क्या होगा क्यों अमन हमारे साथ घूमोगे ना....

अभय की बात पर ललिता ने अमन को घूर के देखा जिससे....

अमन – (डर के) ठीक है....

रमन – (ललिता को गुस्से में देख के) मै खेत में जा रहा हूँ काफी काम पड़ा है मुझे वहां पर....

अभय – (मुस्कुरा के) चाचा आज प्रेम चाचा का काम भी आप देख लेना क्योंकि प्रेम चाचा भी चल रहे है हमारे साथ....

प्रेम – अरे बेटा तुम सब घूम आओ मेले मै भला चल के क्या करूंगा....

अभय – चाचा जो सब करेंगे आप भी वहीं करना रोज तो आप काम ही देखते हो....

प्रेम – (मुस्कुरा के) ठीक है बेटा जो तू बोले....

ललिता – (अभय से) तू भी अपने दोस्तो को बुला ले अभय काफी दिन हो गए तू मिला नहीं दोस्तो से अपने....

अभय – हा चाची , तो कब चलना है मेले में....

ललिता – दिन में चलते है आज मेले में खाना खाएगे सब....

बोल के सब अपने कमरे में निकल गए तैयार होने जबकि रमन गुस्से में हवेली से निकल गया खेत की तरफ वहां आते ही रमन ने किसी को कॉल लगाया....

रमन – (कॉल पे) कैसे हो राजेश....

राजेश – इतनी सुबह सुबह कॉल कोई खास बात है क्या....

रमन – कुछ खास नहीं तू बता कल का दिन और रात कैसी गुजरी तेरी....

राजेश – (बेड में बिना कपड़ों के लेटी उर्मिला को देखते हुए) बहुत मस्त बीत रही है यार रात मेरी , मस्त माल दिया है तूने....


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रमन – (मुस्कुरा के) तेरा ही है जितना जी चाहे मजा लेले तू....

राजेश – वो तो ले रहा हूँ तू बता हवेली में संध्या के क्या हाल है....

रमन – कैसे होगे उसके हाल जैसे पहले थे वैसे ही है....

राजेश – इतना उखड़े तरीके से बात क्यों कर रहा है....

रमन – साल यहां आए दिन कोई ना नया ड्रामा चलता रहता है आज सब मेले घूमने जा रहे है....

राजेश – अच्छा तू भी जा रहा है ना....

रमन – नहीं यार मैं नहीं जा रहा....

राजेश – तो फिर मेरे घर आजा मिल के मजा करते है....

रमन – तुझे मजा मिल रहा है ना लेकिन मेरे लिए सजा बन गई है यहां और वो सपोला मेरे छोटे भाई प्रेम को घर ले आया है आज मुझे उसके बदले का काम देखना पड़ेगा खेती का....

राजेश – तेरी यही बात समझ में नहीं आती है मुझे तेरे ही घर में बैठा है वो सपोला लेकिन तू कुछ कर नहीं पा रहा है उसके साथ आखिर तू किस बात का इंतजार कर रहा है....

रमन – सही वक्त का कर रहा हूँ इंतजार मै बहुत जल्द ही मेरा वक्त आने वाला है बस मेरा एक काम कर दे किसी तरह....

राजेश – तेरा कौन सा काम बता जरा....

रमन – मैं चाहता हूँ मेले में उस सपोले पर कोई हमला करे और तू उसे बचा ले....

राजेश – अबे तेरा दिमाग तो नहीं खराब है हमला कर के उसे क्यों बचाना मरने दे साले को रास्ता साफ हो जाएगा अपना....

रमन – नहीं राजेश बल्कि उसे बचा के तेरा हवेली में आने का रास्ता साफ हो जाएगा साथ में संध्या तक आने वाली सीढ़ी का पहला कदम मिलेगा तुझे....

राजेश – (रमन की बात सुन सोचते हुए) लेकिन उससे तेरा क्या फायदा....

रमन – (हस्ते हुए) फायदा जरूर होगा मुझे लेकिन अभी नहीं , अभी सिर्फ फायदा तुझे मिले उसके बाद खेर तू मेरे फायदे के बारे में मत सोच पहले ये सोच इन छोटे छोटे कामों से तू कितना करीब आ सकता है संध्या के उसका सोच मै तुझे जानकारी देता रहूंगा इनके आने जाने की....

राजेश – हम्ममम समझ गया तेरी बात को ठीक है मैं कुछ करता हूँ ऐसा आज ही....

इधर हवेली में....

अभय – (संध्या के साथ कमरे में आके) क्या हो गया तुझे तू सुबह से चुप क्यों है....

संध्या – देख अभय कल रात जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था....

अभय – (मुस्कुरा के) ओहो तू कल रात की इतनी सी बात को लेके अब तक बैठी है....

संध्या – ये तेरे लिए इतनी सी बात है जनता है वो क्या था....

अभय – (संध्या की आंखों में देख के) हा जनता हूँ मैं वो क्या था प्यार था वो बस....

संध्या – नहीं अभय इस प्यार पर किसी और का हक है मेरा नहीं....

अभय – और इसका फैसला तूने कर लिया बिना मेरी मर्जी जाने....

संध्या – देख अभय मैने पायल से....

इससे पहले संध्या आगे बोल पाती किसी ने कमरे का दरवाजा खटखटाया....

संध्या – कौन....

ललिता – मैं हूँ दीदी....

संध्या – आजा अन्दर....

ललिता अन्दर आते हुए अपने साथ एक लड़की को लेके आती है....

ललिता – दीदी इससे मिलिए ये मेरी बुआ की बेटी है रीना....

संध्या – (रीना से मिलते हुए) कैसी हो रीना....



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रीना – अच्छी हूँ दीदी....

ललिता – दीदी रीना अगले महीने USA जा रही है जॉब के लिए जाने से पहले यहां मेरे साथ कुछ दिन रहेगी....

संध्या – ये तो बहुत अच्छी बात है (रीना से) तू भी तैयार होजा आज हम सब मेले जा रहे है घूमने....

बोल के ललिता और रीना अपने कमरे में चले गए उनके जाते ही....

अभय – (संध्या से) देख तेरे इलावा किसी को क्या जानू भला तू ही बोलती है ना मेरे इलावा तेरा कोई नहीं गिर कैसे तू किसी के बीच में आएगी , चल छोड़ ये सब जल्दी तैयार होजा घूमने चलाना है ना....

इससे पहले संध्या कुछ बोलती अभय अपनी बात बोल के तुरंत कमरे से बाहर निकल गया अभय के जाते ही शनाया कमरे के अन्दर आ गई....

संध्या – अरे शनाया तू कोई काम है मुझसे....

शनाया – नहीं संध्या कोई काम नहीं है मुझे लेकिन तुझे सोचना चाहिए अभय के बारे में....

संध्या – क्या मतलब है तेरा....

शनाया – मैने सब सुन लिया है और अभय सही बोल रहा है....

संध्या – क्या पागल हो गई है तू जानती है ना कि अभय मेरा....

शनाया – (बीच में टोक के) हा जानती हु मै तेरा बेटा है वो बेटा जो तुझे मा नहीं मानता था....

संध्या – (चौक के) जानती हूँ लेकिन इस बात से क्या मतलब है तेरा....

शनाया – यादाश्त जाने से पहले अभय ने मुझे कहा था उसके दिल में नफरत इस कदर दबी हुई है तेरे लिए जिस वजह से उसने तुझे मां मानना छोड़ दिया था कब का और आज तू देख रही है आज भी वो तुझे एक प्रेमिका के रूप में देख रहा है ना कि मां के....

संध्या – पुरानी बाते याद करने से क्या फायदा होगा अब शनाया जो बाते हमें तकलीफ दे....

शनाया – इसीलिए बोल रही हूँ तुझे मौका खुद चल के तेरे पास आया है संध्या जरा सोच एक वक्त था तू खुद इतने साल तक तरसती रही थी अभय के लिए और आज....

संध्या – (बीच में) आज अभय जिस प्यार के लिए बोल रहा है उसमें कितना फर्क है शनाया....

शनाया – (मुस्कुरा के) वो उसी प्यार के लिए बोल रहा है जो इस वक्त तेरी आंखों में दिख रहा है मुझे....

संध्या – देख शनाया मै....

शनाया – (बीच में) तेरे मानने ना मानने से सच नहीं बदल जाएगा संध्या....

बोल के शनाया कमरे से चली गई पीछे संध्या अपनी सोच में डूब गई और तभी उसने किसी को कॉल लगाया....

संध्या – (कॉल पर) हैलो कैसी हो पायल....

पायल – प्रणाम ठकुराइन मै अच्छी हूँ....

संध्या – प्रणाम , क्या कर रही है तू....

पायल – सहेली के साथ कॉलेज के लिए निकल रही थी....

संध्या – एक काम कर आज तू कॉलेज मत जा....

पायल – क्या हुआ ठकुराइन....

संध्या – कुछ नहीं रे तू तैयार कुछ देर में आ रही है आज हम सब मेले घूमने जा रहे है मैने सोचा तुझे भी साथ ली चलूं अभय भी चल रहा है....

पायल – (खुश होके) सच में मै तैयार होती हूं....

संध्या – एक काम कर अपने सहेली को भी ले चल मै अभय के दोस्त को भी काल पर चलने को बोलती हूँ सब साथ घूमेंगे वहां....

पायल – जी ठकुराइन....

बोल के कॉल कट कर संध्या ने राज को कॉल मिलाया....

संध्या – कैसे हो राज....

राज – प्रणाम ठकुराइन मै अच्छा हूँ आप कैसे हो....

संध्या – मै भी अच्छी हूँ अच्छा सुन एक काम है....

राज – हुकुम करे ठकुराइन....

संध्या – आज कॉलेज मत जा तू साथ राजू और लल्ला को भी मना कर दे....

राज – राजू और लल्ला तो कब के चले गए कॉलेज वैसे क्या हुआ ठकुराइन कुछ काम है....

संध्या – हा आज हम सब मेले जा रहे है तू भी के साथ में आजाना साथ में मेले घूमेंगे....

राज – बिल्कुल ठकुराइन मै अभी तैयार होके निकलता हु घर से....

बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने....

गीता देवी – क्या बोल रही थी संध्या....

राज – मां ठकुराइन कॉलेज जाने को मना कर रही थी सबको मेले में आने को बोला है हवेली से सब मेले का रहे है घूमने तू भी तैयार होजा मां चलते है मेले में....

गीता देवी – अरे ना ना मुझे आज जरूरी काम है एक काम कर तू दामिनी को लेजा साथ में वो भी घूम लेगी मेले....

राज – ठीक है....

उसके बाद दामिनी को बोल तैयार होके निकल गया मेले राज इधर हवेली से सब तैयार होके मेले निकल गए रस्ते में पायल को साथ लेके मेले आ गए जहां पर सब मिले एक दूसरे से....

राज – (अभय से) फुर्सत मिल गई तुझे हवेली से बाहर आने की मुझे तो लगा भूल गया तू हमे भी....

दामिनी – (हस्ते हुए धीरे से) वो भूल नहीं गया बल्कि भुला हुआ है पहले से सब कुछ....

राज – (आंख दिखा के) मालूम है ज्यादा ज्ञान मत दे....

अभय – (मुस्कुरा के) कैसे हो तुम....

राज – मुझे क्या होगा देख तेरे सामने हूँ....

अभय – (दामिनी को देख) ये कौन है....

राज – ये दामिनी है....

अभय – Hy Damini क्या हम मिले है पहले कभी....

दामिनी – (मुस्कुरा के) नहीं आज पहली बार मिले है....

राज – अरे यार ये बचपन में साथ थी मेरे उसके बाद ये शहर चली गई थी पढ़ने अब वापस आई है यहां अपने कॉलेज में आगे की पढ़ाई करने....

अभय – अच्छा....

राज – और ये क्या अच्छे से बात कर रहा है तू सही से बात कर यार हम तो बचपन से ऐसे है (कान में धीरे से) नंबरी समझा....

अभय – (हस्ते हुए) समझ गया....

पायल – कैसे हो अभय....

अभय – (पायल को देख) अच्छा हूँ और तुम....

पायल – मैं भी तुम कॉलेज कब से आ रहे हो....

अभय – अगले हफ्ते से आऊंगा कॉलेज....

इसके बाद सब मेले घूमने लगे इस बीच पायल सिर्फ अभय के साथ बात करते हुए चल रही थी जिसे देख संध्या को आज कुछ अजीब सा लग रहा था जाने क्यों आज संध्या को अन्दर ही अन्दर एक अजीब सी जलन सी हो रही थी पायल से और ये बात शनाया के साथ अलीता ने भी नोटिस की लेकिन सबके सामने कुछ बोलना सही नहीं समझा इनके इलावा चांदनी थी जो पायल से अकेले में बात करने की कोशिश कर रही थी लेकिन पायल एक पल के लिए अभय का साथ नहीं छोड़ रही थी एक जगह आके सबने मिल के चटपटे खाने का मजा लिया पेट भर खा के सभी घूमने लगे मेले फिर से तभी एक जगह पे आते ही सब देखने लगे जहां का नजारा कुछ ऐसा था जलते हुए कोयले रखे हुए थे वही एक बंजारा बोल रहा था....


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बंजारा – आइए आइए अपनी किस्मत आजमाईये जो भी किसी से सच्चा प्यार करता होगा वहीं इसे पार कर पाएगा नंगे पैर से अगर आप किसी से सच्चा प्यार करते है तो आजमाइए आप भी....

हवेली से आए सभी लोग ये नजारा देख रहे थे जहां कुछ लोग कोशिश में लगे थे जलते कोयले पे चल के उसे पार करने की लेकिन कोई नहीं कर पा रहा था दूसरे कदम से वापस हो जा रहे थे सब तभी बंजारे ने बोला....

बंजारा – लगता है यहां कोई किसी से सच्चा प्यार ही नहीं करता....

बंजारे की बात सुन कई लोग हस रहे थे....

ललिता – (सबसे) चलो चलो आगे भी घूमना है....

बोल के सब जाने लगे आगे आते ही....

पायल – (संध्या से) ठकुराइन अभय कहा गया अभी तो साथ में था मेरे....

पायल की बात पर सबका ध्यान गया सब इधर उधर देखने लगे तभी....

अलीता – (एक तरफ देख जोर से चिल्ला के) AAAAABBBBHHHHHAAAAYYYYYY....

अलीता की आवाज सुन सबका ध्यान उस दिशा में गया जहां अलीता ने देख के चिल्लाया था वहां पर अभय नंगे पैर जलते कोयले पे चल रहा था....


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जब तक सब अभय तक आते तब तक अभय ने धीरे धीरे चलते चलते जलते हुए कोयले को पार कर के बाहर आ गया तभी....

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राज , चांदनी और अलीता ने एक साथ अभय को गिरने से पकड़ लिया....

राज – (गुस्से में चिल्ला के) पागल हो गया क्या बे तू या भांग खा के आया है ये क्या बेहूदगी की रहा था....

अभय – (संध्या को देख हल्का मुस्कुरा के) बस अपने आप को आजमा रहा था यार....

अलीता – (गुस्से में) एक उल्टे हाथ का पड़ेगा सारा पागल पन निकल जाएगा तेरा ये कोई तरीका होता है साबित क्या करना चाहता थे तुम ऐसा करके एक बार भी नहीं सोचा तुम्हे इस तरह देख हमें कितनी तकलीफ होगी तुम भी अपने भाई की तरह पागल पान के रस्ते में चलना चाहते हो क्या....

अलीता अपनी बात बोल एक दम से चुप हो गई जिसके बाद आगे अलीता से बोला ही ना गया लेकिन ललिता सामने आके....

ललिता – (राज से) राज ये सब छोड़ो पहले अभय को लेके चलो यहां से....

अभय – मै ठीक हूँ चाची आप परेशान....

ललिता – (गुस्से में बीच में) चुप कर तू बड़ा आया मै ठीक हु बोलने वाला....


प्रेम – ये सब बाते बाद में , राज जल्दी से कार में बैठाओ अभय को....

अभय को गाड़ी में बैठने ले जाते हुए अचानक राज की नजर एक तरफ पड़ी जहां 4 लोग खड़े अभय की तरफ देख रहे थे अभय को गाड़ी में बैठने के बाद....

राज – ठकुराइन आप अभय को लेके चले मै पीछे अस्पताल में आता है (दामिनी से) तू भी बैठ जा गाड़ी में सबके साथ....

संध्या – राज मेरी एक गाड़ी यही हादसे के बाद से खड़ी है उसे लेके आजा तू (चाबी देते हुए) ये ले चाबी गाड़ी की....

सब गाड़ी से अस्पताल की तरफ जा रहे थे रस्ते में....

सोनिया – (अभय का पैर देख) दर्द कितना हो रहा है तुम्हे....

अभय – दर्द तो है लेकिन इतना नहीं हल्कि हल्की सी जलन है बस....

सोनिया – (संध्या जो गाड़ी चला रही थी) ठकुराइन अस्पताल जाने की जरूरत नहीं है आप हवेली चलिए वही इलाज हो जाएगा अभय का....

अलीता – ARE YOU SURE....

सोनिया – YES....

अलीता – (संध्या से) चाची जी हवेली चलिए वही इलाज हो जाएगा अभय का....

कुछ देर में हवेली आते ही अभय को कमरे में लाके बेड में लेटा के सब वही बैठे थे और सोनिया पानी से अभय का पैर साफ कर सूखे कपड़े से आराम से पोछ ट्यूब लगा के....

सोनिया – (अभय से) कैसा लग रहा है अब....

अभय – हा अब ठंडा लग रहा है पैर में....

सोनिया – (संध्या से) मामूली सा जला हुआ है अभय का पैर अच्छा हुआ कोयले की राख लगने की वजह से ज्यादा कुछ नहीं हुआ अभय के पैर में आप इस ट्यूब को तीन टाइम लगाइए गा ठीक हो जाएगा अभय 2 दिन में....

मालती – क्या जरूरत थी तुझे ये करने की....

अभय – कुछ नहीं चाची देख रहा था बाकियों की तरह मैं कर पाता हूँ या नहीं....

मालती – भले इससे हम सबको तकलीफ हो तुझे इससे मतलब नहीं क्यों....

अभय – ऐसा नहीं है चाची मैने कहा ना मै बस....

अलीता – (बीच में) रहने दीजिए चाची जी ये सिर्फ बाते बना सकता है और कुछ नहीं....

अभय – भाभी आप भी ना (सबका गुस्से वाला चेहरा देख के) अच्छा बाबा माफ कर दो मुझे गलती हो गई बहुत बड़ी मुझसे आगे से कभी ऐसी बेवकूफी नहीं करूंगा अब तो शांत हो जाओ आप सब....

ललिता – (अभय के सर पे हाथ फेर के) पूरा का पूरा पागल है तू जान निकाल दी थी तूने हमारी....

अभय – (ललिता के हाथ पे अपना हाथ रख के) ऐसे कैसे जान निकलेगी किसी की मै हूँ ना साथ सबके....

चांदनी – (मुस्कुरा के) ड्रामेबाज कहीका....

इस बात से सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आगई लेकिन सबसे पीछे खड़ी रीना चुप चाप खड़ी अभय की हरकत पे मुस्कुराते हुए अभय को गोर से देखे जा रही थी....

मालती – (सबसे) आप सब बैठिए मैं चाय बनाती हूँ सबके लिए....

अलीता – चाची अभय को यही आराम करने देते है हम सब नीचे हॉल में चलते है....

चांदनी – हा ये सही रहेगा....

बोल के सब कमरे से निकल के नीचे हॉल में जाने लगे तभी....

चांदनी – (पायल को धीरे से रोक के) तू यही रुक जा बाद में आना....

बोल के हल्का मुस्कुराते हुए चांदनी चली गई नीचे तभी पायल पलट के अभय के पास आने लगी....

अभय – (पायल को देख के) अरे तुम गई नहीं सबके साथ कुछ भूल गई हो क्या....

पायल – (मू बना के) भूल खुद गए हो बोल मुझे रहे हो....

अभय – (मुस्कुरा के) हम्ममम अब आप ही बताए इस बात का क्या किया जाय....

पायल – एक बात सच बताओगे....

अभय – पूछो....

पायल – तू क्यों चला जलते हुए कोयले में....

अभय – (मुस्कुरा के) पता नहीं उस बंजारे की बात सुन के मुझे लगा एक बार देखूं मै ये करके....

पायल – अगर तुझे कुछ हो जाता तो....

अभय – ऐसे कैसे होता मुझे कुछ इतने प्यार करने वाले लोग है ना कुछ नहीं होता मुझे....

अभय की प्यार वाली बात सुन पायल के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई जिसे देख....

अभय – ऐसे ही मुस्कुराया करो तुम बहुत जचती है ये मुस्कुराहट तेरे चेहरे पर....

पायल – धत....

बोल शर्मा के पायल कमरे से चली गई जिसे देख....

अभय – (कुछ न समझ के) आआएएईई इसे क्या हो गया....

सीढ़ियों से पायल नीचे आ ने लगी थी तभी चांदनी ने नीचे आती पायल के चेहरे पे मुस्कुराहट देख चांदनी ने मुस्कुरा दिया....

चांदनी – जल्दी आ गई तू....

पायल – (सबको देख हड़बड़ा के) जी....वो....मै....अभय....

चांदनी – (मुस्कुरा पायल के कंधे पे हाथ रख के) कोई बात नहीं आजा बैठ तू यहां पर...

जब सब नीचे आए किसी का ध्यान नहीं गया था पायल पर जो सबके साथ नहीं थी लेकिन चांदनी के बोलते ही सबका ध्यान नीचे आती हुई पायल पर चल गया और जब चांदनी ने पायल से पूछा तभी संध्या को इससे अजीब सी जलन होने लगी संध्या को खुद समझ नहीं आ रहा था ऐसा क्यों हो रहा है जबकि पायल को उसने ही बुलाया था मेले घूमने के लिए फिर ये जलन किस बात की सबके साथ होने की वजह से संध्या चुप चाप सबके साथ चाय पी रही थी तभी उसके मोबाइल में किसी का कॉल आया....

संध्या – कौन बोल रहा है....

सामने से – ?????

संध्या – क्या लेकिन क्यों....

सामने से – ?????

संध्या – मै अभी आती हूँ....

चांदनी – किसका कॉल था....

संध्या – छोटा सा काम है मुझे (चांदनी से) तू चल साथ में जल्दी वापस आ जाएंगे हम (सबसे) थोड़ी देर में आते है हम लोग....

बोल के संध्या और चांदनी निकल गए गाड़ी से कहा निकले क्यों निकले और किसका कॉल आया अचानक से संध्या को बताता हु ये भी....

मेले में कुछ समय पहले जब राज ने अभय को गाड़ी में बैठा के रवाना कर दिया था अस्पताल के लिए उसके बाद राज अकेला गाड़ी की तरफ जा रहा था और वो गुंडे आपस में बात कर रहे थे....

पहला गुंडा – ये तो चला गया यार अब काम कैसे होगा....

दूसरा गुंडा – यहां नहीं तो क्या हुआ अस्पताल चल के इसका काम कर देते है....

तीसरा गुंडा – मै साहेब को कॉल कर के बता देता हु....

चौथा गुंडा – अबे साहेब को कॉल लगा के बोल की अस्पताल के बाहर काम होगा किस लिए ये भी बता देना....

पहला गुंडा – (राज को गाड़ी की तरफ जाता देख) वो देख वो लौंडा भी साथ था इनके उसकी गाड़ी भी है इसके पास इसमें चलते है हम चारो....

बोल के चारों मुस्कुराने लगे और राज के पास आके....

पहला गुंडा – (बंदूक को राज की कमर में लगा के धीरे से) ज्यादा होशियारी या चिल्लान की सोचना भी मत वर्ना यही काम तमाम कर दूंगा तेरा....

राज – क्या चाहते हो तुम....

दूसरा गुंडा – तू उनलोगों के साथ था ना ले चल हमें भी अस्पताल जहा वो गए है....

राज – लेकिन तुम लोगो को क्या काम उनसे....

पहला गुंडा – कौन बनेगा करोड़पति चल रहा है क्या यहां की तू सवाल पूछेगा और हम जवाब देगे चुप चाप गाड़ी मै बैठ जा बस....

राज को बीच में बैठा के दो लोग आगे बैठ गए बाकी दो गुंडे राज के अगल बगल बैठ गाड़ी चलने लगे रस्ते में....

राज – अस्पताल जाके क्या करोगे तुम लोग....

तीसरा गुंडा – कुछ खास नहीं बस उन लौंडे के हाल चाल लेना है हमें....

चौथा गुंडा – तू सवाल बहुत पूछता है बच्चे अब एक शब्द बोला तो इस चाकू से तेरा भेजा निकल दूंगा बाहर....

राज – गलती हो गई भाई अच्छा बस एक बात बता दो आप लोग....

पहला गुंडा – बस एक सवाल उसके बाद एक शब्द बोला तो (बंदूक दिखा के) समझ गया ना....

राज – हा समझ गया भाई....

चौथा गुंडा – चल पूछ ले सवाल जल्दी....

राज – किसने भेजा है तुमलोगो को यहां पर....

तीसरा गुंडा – (हस्ते हुए) तेरे बाप ने तेरी मईयत उठाने के लिए....

बोल के चारों जोर से हसने लगे....

राज – (गुस्से में) जिसने भी भेजा है तुम लोगो को अगर उसके बारे में नहीं बताया तो तुम चारो को सिर्फ श्मशान नसीब होगा समझे अब चुप चाप बता दे किसने भेजा है तुम लोगो को....

चौथा गुंडा – (चाकू राज को दिखाते हुए) बहुत बकवास कर रहा है तू उस लौंडे से पहले तेरा गेम बजाना पड़ेगा....

राज – (हल्का मुस्कुरा के) सच बोला है किसी ने लातों के भूत बातों से नहीं मानते....



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चलती कार में राज ने उन चारों गुंडों की आरती उतरना शुरू कर दी कुछ सेकंड में मौका पा कर राज ने पावर ब्रेक लगा दिया जिस वजह से गाड़ी रुक गई चारो गुंडे गाड़ी से बाहर गिरे तभी....

राज – (पहले गुंडे का कॉलर पकड़ के) बोल किसने भेजा है तुझे....

पहला गुंडा – (डरते हुए) हमें थानेदार ने भेजा है....

राज – कौन थानेदार नाम बता उसका....

पहला गुंडा – राजेश ने भेजा है....

राज – क्यों....

पहला गुंडा – पता नहीं हमें पैसे दिए बोला काम करने से पहले कॉल कर देना मुझे....

गुंडे की बात सुन गाड़ी में बैठ शुरू करके तेजी से पुलिस थाने में आया और आते ही राजेश के सामने आके जो बिना वर्दी के अपनी कुर्सी में बैठा था उसे एक लात मार के....


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राज – साले हरामी पुलिस वाला होके ऐसी नीच हरकत करता है तू....

राजेश – (गुस्से में जमीन से उठते हुए) साले पुलिस वाले पे हाथ उठाता है तू....

राज – गलत बोला बे तुझपे हाथ नहीं पैर उठाया है मैने अंधा है क्या बे....

राजेश – (हवलदारों को बुला के) पकड़ लो साले को और डाल दो जेल में बहुत चर्बी चढ़ी हुई है इसे आज इसकी सारी चर्बी उतरता हूँ मैं....

राजेश की बात सुन सभी हवलदारों ने राज को पकड़ लिया....

एक हवलदार – (राज को देख राजेश से) साहब ये इस गांव की मुखिया का बेटा है....

राजेश – अच्छा मुखिया का बेटा ही तभी इतनी चर्बी चढ़ी है इसे आज इसकी सारी चर्बी निकलता हूँ उल्टा लटका दो इसे बहुत दिन हो गए किसी की खातीर दारी किए हुए....

हवलदार राज को लॉकअप में ले जाने लगे लेकिन राज पूरी ताकत लगा रहा था जिस वजह से हवलदार उसे धीरे धीरे ले जा रहे थे तभी एक हवलदार ने चुपके से किसी को कॉल लगा दिया....

हवलदार – गजब हो गया ठकुराइन....

संध्या – कौन बोल रहा है....

हवलदार – ठकुराइन मै थाने से हवलदार बोल रहा हूँ यहां थाने में राज ने आके थानेदार राजेश पे हाथ उठाया....

संध्या – (चौक के) क्या लेकिन क्यों....

हवलदार – ठकुराइन आप जल्दी से यहां आइए थानेदार राज को लॉकअप में थर्ड डिग्री देने जा रहा है....

संध्या – मै अभी आती हूँ....

चांदनी – किसका कॉल था....

संध्या – तुम चलो रस्ते में बताती हु मैं....

संध्या तेजी से कार चलते हुए थाने में आ गई 5 मिनिट में रस्ते में ही चांदनी को सारी बात बताते हुए....

संध्या – (थाने के अन्दर आते हुए) कहा है थानेदार....

राजेश – (राज पर डंडा उठाने जा रहा था तभी संध्या की आवाज सुन लॉकअप से बाहर आके) संध्या तुम यहां पर....

चांदनी – (बीच में) किस जुर्म में राज को लॉकअप में डाला है आपने....

राजेश – उसने थाने में आके मुझपे हाथ उठाया....

राज – (लॉकअप से ही चिल्लाते हुए) अबे हाथ नहीं लात बोल बे....

संध्या – (गुस्से में राज से) चुप करो तुम (राजेश से) बात क्या है वो बताओ....

राजेश – मुझे क्या पता क्या बात है इसने आते ही मुझे मारा थाने में....

संध्या – (लॉकअप में राज से) बात क्या है और क्यों किया तुमने ऐसा....

राज – ठकुराइन मेले में इसके आदमी नजर रख रहे थे अभय पर (सारी बात बता के) इसीलिए मै यहां आया....

राज के मू से सारी बात सुन राजेश को एक दम से झटका लगा तभी....

संध्या – (गुस्से में राजेश से) तुम इस हद तक जा सकते हो राजेश मैने कभी सोचा भी नहीं था कम से कम हमारी दोस्ती का लिहाज कर लिया होता तुमने....

राजेश – (हड़बड़ा के) नहीं नहीं संध्या मैने ऐसा कुछ नहीं किया ये झूठ है....

चांदनी – (सारी बात सुनके) हा सही कहा आपने थानेदार साहब यहां पर सच्चे तो सिर्फ आप ही हो बाकी सब झूठे है और इस बात का सबूत है मेरे पास....

राजेश – देखिए मैडम भले आप CBI OFFICER है लेकिन इसका मतलब ये नहीं आप मेरे क्षेत्र के थाने में आके On Duty एक पुलिस वाले को धमकी दे....

चांदनी – (हस्ते हुए) पता है मुझे तुम ऐसा क्यों बोल रहे हो कैमरा लगे है ना यहां पर लेकिन ये मत भूलो Mister Rajesh तुमने जो कांड किया है उसकी किसी को खबर नहीं अगर मै चाहूं तो आज भी सबके सामने सबूत लाके तुम्हारी ये वर्दी चुटकी में उतरवा सकती हूँ इसीलिए ज्यादा बकवास करने की जरूरत नहीं है चुप चाप राज को बाहर करो....

चांदनी की बात सुन मजबूरी में राज को लॉकअप से बाहर निकालना पड़ा राज के बाहर आते ही कुछ बोलने को हुआ उससे पहले ही....

संध्या – (बीच में राज से) चुप चाप बाहर चल के गाड़ी में बैठो (राजेश से) आज तुमने जो किया है राजेश इसके बाद से हमारे बीच थोड़ी बहुत जो दोस्ती थी वो भी आज खत्म हो गई इसके बाद से अगर गलती से भी मुझे पता चला तुम्हारी हरकत का उस दिन इस गांव में आखिरी दिन होगा तुम्हारा (चांदनी से) चलो चांदनी....

चांदनी – (जाते हुए राजेश से) किसकी दम पे कर रहे हो तुम ये सब वर्दी उतरने के बाद क्या वो तुम्हारी मदद कर पाएगा जरा सोच लेना ये बात तुम....

बोल के चांदनी चली गई गाड़ी से हवेली की तरफ रस्ते में....

राज – कहा जा रहे है हम....

संध्या – हवेली में सब वही पे है....

राज – लेकिन आप सब तो अस्पताल गए थे....

संध्या – हा वही जा रहे थे लेकिन (सारी बात बता के) इसलिए हवेली चले गए हम....

हवेली में आते ही राज ने कोशिश की चांदनी से बात करने की लेकिन सबके साथ होते हुए मौका नहीं मिला राज को इस बात को चांदनी समझ रही थी इसीलिए चांदनी जानबूझ के किसी ना किसी के साथ बैठ रही थी या बाते कर रही थी कुछ समय बाद राज और दामिनी विदा लेके जाने लगे घर की तरफ तभी....

संध्या – (राज से) रुक जा राज....

राज – जी ठकुराइन....

संध्या – देखो राज गुस्सा करना अच्छी बात है लेकिन इतना भी नहीं कि बात बहुत आगे बढ़ जाए कम से कम गीता दीदी के बारे में सोच लेता ये सब करने से पहले....

राज – लेकिन ठकुराइन....

संध्या – (बीच में) मै जानती हूँ तू क्या कहना चाहता है राज मै तुझे मना नहीं कर रही कि तू दोस्ती मत निभा लेकिन अपने परिवार के लिए सोच लिया कर ऐसा वैसा कोई भी कदम उठाने से पहले....

राज – जी ठकुराइन समझ गया मै....

संध्या – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है चल एक काम कर दे मेरा....

राज – हा बोलिए ठकुराइन क्या काम है....

संध्या – (मुस्कुरा के) काम कोई नहीं है ये ले गाड़ी की चाबी....

राज – लेकिन गाड़ी की चाबी क्यों ठकुराइन....

संध्या – क्यों नहीं तू तो पैदल जा सकता है लेकिन पायल और दामिनी को इतना दूर पैदल क्यों ले जाना इसीलिए गाड़ी तू लेजा और आराम से जाना घर....

राज – (मुस्कुरा के) ठीक है ठकुराइन....

राज के जाने के बाद संध्या कमरे में चली गई जहां अभय बेड में लेटा हुआ था संध्या कमरे का दरवाजा बंद करके बेड के पास आके अभय से....

संध्या – आखिर क्यों क्या जरूरत थी ये सब करने की....

अभय – (मुस्कुरा के संध्या का हाथ पकड़ बेड में अपने पास बैठा के) किसी नाटक में देख था मैने उसमें हीरो बोलता है हीरोइन से मै तुम्हारे लिए आग का दरिया पार कर सकता हु आज मेले में उस जलते कोयले को देख मेरे मन में आया आग का दरिया का पता नहीं लेकिन क्या तेरे लिए मै इन जलते हुए कोयले को नंगे पैर पार कर सकता हूँ बस वही कर रहा था....

संध्या – (अभय की बात सुन रोते हुए गले लग गई कुछ मिनिट बाद) मत कर अभय ऐसा मत कर मैं तेरे इस प्यार के लिए सही नहीं हूँ तेरा ये प्यार सिर्फ पायल के लिए है मेरे लिए नहीं तू समझ क्यों नहीं ये बात....

अभय – (मुस्कुरा के संध्या से) अच्छा तुझे लगता है इस प्यार के लिए सिर्फ पायल सही है तू नहीं....

संध्या – हा अभय....

अभय – पता है जब मैं अस्पताल में बेहोश था उस वक्त मेरे कान में सिर्फ तेरी आवाज आ रही थी मेरे नाम की उस वक्त तेरी आवाज इतनी मीठी लग रही थी मन कर रहा था इसे सुनता रहूं जिंदगी भर जब होश आने पर सामने तुझे देखा उसी वक्त तू मेरे दिल में उतर गई थी मै मन ही मन दुआ कर रहा था कि तू हमेशा सामने रहे मेरे और शायद ऊपर वाले ने भी मेरी दुआ कबूल कर ली मै यहां आया तेरे साथ तेरे कमरे में और बस हर रोज सुबह तेरा ये सुंदर सा चेहरे से दिन की शुरुवात होती मेरी अब बता क्या अभी भी तुझे लगता है कि पायल सही है तू सही नहीं है बस एक बार मेरी आंखों में देख के बोल दे तू....

संध्या – (अभय की आंखों में देखते हुए जोर से गले लग गई) मुझे नहीं पता मै सही हूँ की नहीं तेरे लिए लेकिन मैं तेरे बिना नहीं रह सकती....


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अभय – (संध्या के सर पे हाथ फेर) देख मै मानता हु तू मुझसे कभी झूठ नहीं बोलेगी हा हो सकता है के पायल प्यार करती हो मेरे से लेकिन अगर पायल सच में प्यार करती है मुझसे तो उसे मेरे साथ तुझे भी अपनाना होगा....

संध्या – लेकिन अभय....

अभय – (होठ पर उंगली रख के) मैने क्या कहा अगर पायल मुझसे सच्चा प्यार करती है तो वो मेरे साथ तुझे भी जरूर अपनाएगी....

संध्या – और अगर पायल ना मानी तो....

अभय – तो तू है ना काफी है मेरे लिए जिंदगी भर का साथ तेरा....

संध्या – (हल्का मुस्कुरा के) मेरा क्या है मैं तो आज नहीं तो कल बूढ़ी हो जाऊंगी....

अभय – (मुस्करा के) किसने कहा तू बूढ़ी हो रही है उस दिन आईना देख था ना तूने अभी भी लगता है तुझे मैं मजाक कर रहा था तेरे से....

संध्या – (मुस्कुरा के अभय का हाथ अपने सिर पे रख के) अभय मेरी कसम है तुझे तू पायल का साथ कभी नहीं छोड़ेगा भले पायल माने या ना माने तू पायल को अपनाएगा....

अभय – इसके लिए कसम देने की क्या जरूरत है तुझे....

संध्या – जरूरत है अभय मैने पायल से वादा किया है मै उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती वो भी मेरी तरह इतने सालों तक सिर्फ तेरा ही इंतजार करती आई है....

अभय – (संध्या को गले लगा के) ठीक है मेरी ठकुराइन मै पायल को मना लूंगा ये एक ठाकुर का वादा है अपनी ठकुराइन से....

बोल के दोनो गले लगे हुए हसने लगे एक साथ....
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जारी रहेगा✍️✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये हवेली के सभी का मेले में जाना वहा अभय का संध्या के प्रति सच्चा प्यार दिखाने के लिये जलते कोयले पर चलना और जिसके चलते घर के सभी को तकलीफ में डालना बडा ही मस्त दिखाया हैं
वैसे रमन कुछ बडा करने के जुगाड में है
ये राज ने रमन के प्यादे राजेश को मस्त ठोक दिया और थानें में संध्या और चांदनी के सामने वो कौनसा खेल खेल रहा हैं वो भी बता दिया
अब संध्या और अभय पायल के निस्सीम प्रेम को न्याय दिला पायेगी
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
Last edited:

maurya

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Thank you sooo much Acha
Bhai kisi ke bolne se kya hota hai mujhe aap ki kahani pasand hai aap un sab par Dhyan mat dijiye aap aage continue kariye bhai aapke khani bahut pasand hai please aap continue kijiye bhai
 

prath6009

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I Think why don't you just try to write your new story
Chill mar why so serious as much as this story is about incest it's also a revenge story and story acchi ja rahi hay but last 2 3 update is not maching with the base story line there are many questions is sandya trying to fool her son by making story of her being unconscious when she was having sex with his uncle according to update 1 or she taking advantage of her son memory loss what will be the relationship of mom and son if he gets his memory back it's your story it's your right to frame the story line chill mar it's a good story
 
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