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amit79

New Member
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good update but why still abhay not have any interest in sandhya its really weird 👍🏼
Any change in feeling must be organic but the here other characters are forcing him to change and forgive her. Abhay character is not a lead role in this story. Shalini, chandini, now Arjun are main role. Sab yehi ker rahe hain. Abhay to bas dekh reha hai
 

Mahesh007

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Update bahut se sabal chodgaya he
Ek cid bali jo apne bap ki abaj pehchan leti he lekin dusri abaj kyo nahi pehchani
Ek dig thanedar ki gustakiyo ko kyo bardast kar rahi he
Hostal room me dono ko kisne mara thanedar ko suchna kisne di
Cid ka rol kya he abhi tak har jjagah usne kuch nahi kiya
Paheli ka kya arth he kya bade thakur ka tesra dost hi vilen he
Kya lalita par sak galat he koi aur habeli se suchna deta he
In sab sabalo ke jabab milne he
 

Rekha rani

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UPDATE 45


एक लड़की अकेले में चुप चाप गुमसुम बैठी हुई थी उसकी आंख से आसू बहे जा रहे थे जिसे वो बार बार पोछती जा रही थी तभी किसी ने पीछे से उसके कंधे पे अपना हाथ रखा....

अभय –दीदी....

चांदनी –(बीने पीछे पलटे) हम्ममम....

अभय – (अपनी तरफ पलट आखों से आंसू पोछ के) ये सब मेरी वजह से हुआ है दीदी काश मै आपकी लाइफ में नहीं आता तो शायद ऐसा कुछ नहीं होता....

चांदनी –(अभय को गले लगा के) इसमें तेरी कोई गलती नहीं है अपनी करनी के जिम्मेदार वो खुद थे इसमें तेरा कोई कसूर नहीं....

शालिनी –चांदनी ठीक बोल रही है अभय तुम्हे इस बारे मे इतना सोचने की जरूरत नहीं है....

चांदनी –(अभय से) तू यहां पर अचानक कैसे आ गया और ये दोनों लड़कियां कौन है....

अर्जुन ठाकुर – ये मेरे साथ है....

शालिनी....(अलीता की तरफ इशारा करके अभय से) ये तेरी भाभी है अभय....

अभय –(चौक के) क्या , भाभी मतलब कैसे और मेरा भाई कब बना ये....

शालिनी –ये कमल ठाकुर का बेटा है अर्जुन ठाकुर तेरे दादा और तेरे पिता जी ये दोनो कमल ठाकुर को अपना मानते थे और बचपन में अर्जुन तेरे साथ खेला करता था जब तू बहुत छोटा था....

शालिनी की बात सुन अभय हैरानी से कभी अर्जुन को देखता कभी संध्या को कभी शालिनी को जैसे कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो जिसे देख....

अर्जुन ठाकुर – जनता हूँ बहुत से सवाल उठ रहे है तेरे मन में जिसका जवाब तेरे पास नहीं है....

अभय – आखिर क्या हो तुम अगर तुम इतने खास थे तो क्यों मेरे साथ....

शालिनी –(बीच में टोक के) अभी तू ज्यादा मत सोच अभय तुझे तेरे सारे सवालों का जवाब मिलेगा थोड़ा सबर कर बस....

इससे पहले शालिनी कुछ और बोलती तभी गांव के कई लोग साथ में गीता देवी और सत्य बाबू भी आ गए हवेली की तरफ जहा हवेली के बाहर 2 गाड़िया जल रही थी इनके आने से पहले ही अर्जुन के लोगो ने सभी की लाशे को एक वेन में डाल के निकल गए थे....

सत्य बाबू –(शालिनी और संध्या से) प्रणाम ठकुराइन प्रणाम शालिनी जी , क्या हुआ था यहां पर काफी आवाजें सुनी हमने धमाकों की किसने किया ये सब....

संध्या और से शालिनी ने प्रणाम किया फिर....

शालिनी –सत्या जी कुछ लोगो ने हवेली में हमला करने की कोशिश की थी लेकिन अभय और राज ने सही वक्त में आके सम्भल लिया सब कुछ....

अभय –(शालिनी को देख) मां....

शालिनी ने अभय को चुप रहने का इशारा किया....

गीता देवी – (संध्या से) तू ठीक है ना....

संध्या –हा दीदी....

गीता देवी –(अर्जुन , अलीता और सोनिया को देख के) ये तीनों कौन है....

संध्या – (गीता देवी का हाथ दबा के) अपने है मिलने आय है मेरे से....

संध्या –(सभी से) आप सब अन्दर चलिए वही बात करते है....

संध्या की बात सुन के गीता देवी ने सभी गांव वालो को वापस भेज दिया जिसके बाद सभी हवेली के अन्दर जाने लगे लेकिन अभय बाहर रुक गया उसे देख राज भी रुक गया....

राज – क्या बात है तू अन्दर क्यों नहीं चल रहा है....

अभय – यार ये जो कुछ हो रहा है सब मेरे सिर के ऊपर से जा रहा है....

राज – यार समझ में तो मेरे भी कुछ नहीं आ रहा है लेकिन बाहर रुकने का भी कोई फायदा नहीं चल अन्दर चल के देखते है क्या बात हो रही है उनकी....

अभय – यार पहले ही मेरा सिर दर्द हो रहा है सबकी बात सुन के और ज्यादा सिर दर्द नहीं पालना मुझे तू एक काम कर तू जा अन्दर मै जा रहा हु हॉस्टल आराम करने बहुत सिर दर्द हो रहा है यार मेरा....

राज – ठीक है तो मैं भी चलता हू तेरे साथ....

अभय – अरे नहीं यार तू यही रुक देख क्या हो रहा है अन्दर वैसे भी बड़ी मां और बाबा भी यही आय हुए है....

बोल के अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ इस बात से अंजान की हॉस्टल में एक नई मुसीबत पहले से उसका इंतजार कर रही है अभय कुछ समय में हॉस्टल में आ गया जैसे ही हॉस्टल के गेट के अन्दर आया देख वहां पर पुलिस पहले से आई हुई है जिसमें राजेश और उसके साथ हवलदार थे उनको देख....

अभय –तुम यहां क्या कर रहे हो....

राजेश –(हस्ते हुए) तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे हम....

अभय –(चौक के) मेरा इंतजार किस लिए....

राजेश –(हस्ते हुए) वाह बात तो ऐसे कर रहे हो जैसे कुछ पता ही ना हो क्या हुआ है यहां पर....

अभय –सीधा सीधा बोलो कहना क्या चाहते हो तुम....

राजेश –अन्दर चल के देखो सब पता चल जाएगा तुझे की हम यहां क्यों आए है....

राजेश की बात सुन अभय हॉस्टल के अन्दर जाने लगा अपने कमरे में आते ही सामने का नजारा देख अभय के होश उड़ गए....

अभय –(हैरानी से) ये सब कैसे हो गया यहां....

राजेश – यही सवाल तो मेरा भी है तेरे से की ये सब कैसे ओर क्यों किया है तूने....

अभय – (गुस्से में) क्या बकवास कर रहे हो तुम भला ये सब मै क्यों करूंगा....

राजेश – तो तू ही बता तेरे कमरे में मुनीम और शंकर की लाश क्यों पड़ी हुई है....

अभय – मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता है मै शाम से यहां नहीं था घूमने गया था गांव....

राजेश – (हस्ते हुए) ये बात तू बोल रहा है लेकिन सबूत क्या है तेरे पास और अगर मैं मान भी लू तो मुनीम और शंकर यहां हॉस्टल में तेरे कमरे में क्या कर रहे थे , अब तो तू कोई बहाना भी नहीं बना सकता है क्यों कि इस हॉस्टल में तेरे सिवा कोई नहीं रहता है....

अभय – तो सीधा बोल करना क्या चाहता है तू क्यों कि मैं पल भर में ये साबित कर दूंगा कि मेरा इस सब से कोई ताल्लुख नहीं तू अपना बता पहले....

राजेश –(अभय का कॉलर पकड़ के) अब तू बहुत ही बुरा फंसा है लौंडे क्यों की गांव के 2 लोगो ने यहां से गुजरते वक्त हॉस्टल से चीख सुनी थी उन्हीं की कंप्लेन पर मै यहां आया हु भले तू DIG बेटा है लेकिन अब यहां पर DIG नहीं बल्कि मै हूँ (अपने हवलदारों से) बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो और इसे ले चलो थाने में आज इसकी सारी गर्मी दूर कर दूंगा मै....

बोल के राजेश के साथ आय हवलदारों ने अभय को तुरंत हथकड़ी लगा के पुलिस जीप में बैठा पुलिस स्टेशन लेके जाने लगे....

तभी पायल के पिता जो हॉस्टल के बाहर खड़े ये नजारा देख रहे थे वो तुरंत ही हवेली की तरफ भागे जबकि इधर हवेली में अभय के जाने के बाद....

शालिनी –(राज को अकेला अन्दर आता देख) अभय कहा है राज....

राज – आंटी वो अभय कुछ कन्फ्यूजन में है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ये सब तो वो चला गया होस्टल में....

राज की बात सुन शालिनी जो अभी हवेली के अन्दर हॉल में आ रही थी बाहर ही रुक एक पल पीछे हॉल में देख जहां संध्या , मालती , ललिता , निधि , चांदनी , शनाया , अर्जुन , सोनिया और अलीता बैठ के बाते कर रहे थे गीता देवी और सत्या बाबू से तभी शालिनी कुछ बोलती राज से तभी....

संध्या – अरे राज , शालिनी जी आप वहां क्यों खड़े है अन्दर आइये और राज तुम अकेले....

शालिनी –(बीच में बात काट के) मैने भेजा था उसे काम से अपने....

संध्या –(शालिनी बात सुन मायूसी से) ठीक है....

ललिता – (अर्जुन से) तुम अब तक कहा थे इतने साल अर्जुन....

अर्जुन –अपने आप को ढूंढने गया था चाची इसीलिए देर हो गई आने में....

संध्या –अर्जुन तुझे देख के बहुत खुशी हो रही है मुझे काश माजी (सुनैना) का पता चल जाए हमे जाने कहा होगी वो....

अर्जुन – (चौक के) तो क्या दादी का पता नहीं चला आज तक....

संध्या – नहीं अर्जुन आज तक पता नहीं चला उनका मैने बहुत कोशिश की ढूंढने की उनको....

संध्या की बात सुन अर्जुन ने एक पल के लिए अलीता को देखा....

अर्जुन – कोई बात नहीं चाची अब मैं वापस आ गया हु मै पता लगता हु दादी का....

संध्या – अब तो तू यही रहेगा ना कही जाएगा तो नहीं फिर से....

अर्जुन –(मुस्कुरा के) नहीं चाची अब से मै और आपकी बहु यही रहेंगे....

संध्या –(चौक के) बहु और तूने शादी भी कर ली....

अर्जुन –(अलीता को देख) जी चाची (अलीता के कंधे पे हाथ रख के) ये है आपकी बहु....

संध्या – (व्हील चेयर को अलीता की तरफ ले जाके) बहुत खूबसूरत है (अलीता से) तुम्हारा नाम क्या है....

अलीता –जी अलीता सिंघाल....

संध्या –(हस के) तुम्हारी तरह तुम्हारा नाम भी बहुत ही खूबसूरत है लेकिन शायद मैने ये नाम कही सुना हुआ है तुम सिंघाल ग्रुप एंड कम्पनी से....

अलीता –(मुस्कुरा के) जी वो मेरे पापा की कंपनी है....

संध्या – (चौक के) मतलब तुम राम मोहन सिंघाल , रागिनी सिंघाल की बेटी हो....

अलीता सिंघाल –(चौक के) आप कैसे जानते हो मेरे मम्मी पापा को....

संध्या – कैसे नहीं जानूंगी उनको भला जाने कितनी बार मिल चुके है हम काफी वक्त पहले शहर गई थी मैं तब मुलाक़ात हुई थी राम मोहन सिंघाल और रागिनी सिंघाल से वैसे तुम दोनो ने शादी कब की....

अलीता – दो साल हो गए हमे शादी किए हुए....

संध्या –(अर्जुन से) इन्हें तुम जानते हो ये ललिता है रमन की वाइफ और ये मालती है प्रेम की वाइफ....

अर्जुन –(हाथ जोड़ के) नमस्ते चाची जी....

मालती और ललिता साथ में – नमस्ते अर्जुन....

संध्या –(निधि की तरफ इशारा करके) ये निधि है ललिता और रमन की बेटी एक बेटा भी है अमन बाहर गया हुआ है रमन के साथ....

अर्जुन –(छोटी बच्ची को मालती की गोद में देख) ये आपकी बेटी है चाची....

मालती –(सारी बात बता के) है ये मेरी बेटी है....

अर्जुन –बहुत अच्छी बात है चाची जी....

संध्या –मै ऊपर का कमरा सही कर देती हु तुम यही रहना अब से....

अर्जुन – नहीं चाची की अभी मै अपने हवेली जा रहा हु वही रहूंगा हा लेकिन आता रोग मै मिलने आप सब से....

संध्या – लेकिन वहा अकेले क्यों अर्जुन यही साथ में....

अर्जुन – कुछ जरूरी काम है चाची जी मुझे वहा पर....

इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी....

मगरू – (हवेली में आते ही) मालकिन गजब हो गया....

संध्या – क्या हुआ....

मगरू – मालकिन वो थानेदार अभी को पकड़ के ले गया है पुलिस थाने में....

संध्या – (चौक के) क्या लेकिन क्यों....

सारी बात बता के....

संध्या – (हैरानी से) क्या मुनीम के शंकर मारे गए लेकिन कैसे....

मगरू – पता नहीं मालकिन लेकिन दोनों की लाश हॉस्टल में मिली है अभी के कमरे में ऐसा थानेदार बोल रहा था अभी से....

मगरू की बात सुन सभी चौक गए....

अर्जुन – (मगरू से) कहा है ये थाना....

शालिनी और संध्या एक साथ – मै चलती हूँ साथ में....

अर्जुन –परेशान मत हो आप मै लेके आता हु जरा मिल तो लू राजेश से....

बोल के निकल गया अर्जुन....

शालिनी –(मन में– समझ में नहीं आ रहा है आखिर मुनीम और शंकर को किसने मारा होगा)....

जबकि इस तरफ थाने में राजेश ने आते ही अभय को लॉकअप में बंद कर दिया था....

राजेश –मेरा ऑफर मान लेना चाहिए था तुझे....

अभय –(हस्ते हुए) जाने कैसे तू पुलिस में भर्ती हो गया सच सच बता कितनी रिश्वत दी थी तूने पुलिस में आने के लिए , जाने कितने से भीख मांगनी पड़ी होगी तुझे....

राजेश –(गुस्से में) अपनी मेहनत अपनी अकल से मैंने ये पोजीशन हासिल की है समझा....

अभय –(हस्ते हुए) हा सही कहा तूने इसीलिए तूने ऑफर दिया था मुझे क्यों ताकि बिना मेहनत किए डायरेक्ट सब कुछ तुझे मिले सही कहा ना मैने....

राजेश – (लॉकअप में हाथ डाल अभय का कॉलर पकड़ के) संध्या को पाने के लिए कुछ भी कर सकता हू मै जो भी रस्ते में आएगा उसे हटा दूंगा मै....

अभय – ओह तो तूने ही मुनीम और शंकर का कत्ल किया है....

राजेश –(चौक के) क्या मतलब है तेरा....

अभय – अभी तूंने कहा ना अपने रस्ते में आने वाले को हटा देगा तू और अभी तो मैं रस्ते में हूँ तेरे तो मतलब यही हुआ ना कि तूने ही मुनीम और शंकर को मार के हॉस्टल में रखवा दिया होगा वैसे भी पूरा गांव जनता है हॉस्टल में मेरे इलावा कोई नहीं रहता और तेरे लिए इससे अच्छा मौका और क्या होगा मुझे रास्ते से हटाने का....

राजेश –(हस्ते हुए) लगता है तू पागल हो गया है जो मन में आय बोलता जा रहा है तू....

अभय – नहीं राजेश यही सच है तूने ही कत्ल किया है उन दोनों का....

राजेश – मैने ऐसा कुछ नहीं किया है क्योंकि मेरे पास गवाह है जिसने मुझे इनफॉर्म किया था समझा....

अभय – तो इसका मतलब तूने कुछ नहीं किया फिर ऐसा कौन हो सकता है जिसे पता था कि मुनीम और शंकर मेरे पास है....

राजेश –(चौक के) क्या मतलब है तेरी बात का....

अर्जुन –(थाने में आते ही बीच में टोक के) इसका मतलब ये है कि जब कत्ल हुआ तब ये लड़का हॉस्टल में नहीं था....

राजेश –(पीछे पलट के सामने खड़े लड़के को देख) तू कौन है....

अर्जुन –(मोबाइल में वीडियो दिखाते हुए) ये है हॉस्टल में लगे कैमरे की फुटेज साफ दिखा रहा है इसमें चेक कर लो तस्सली से तुम....

कमरे की फुटेज में साफ दिख रहा था अभय , राज , सोनिया और अलीता हॉस्टल से अपनी गाड़ी में बैठ के निकल गए थे उनके जाने के कुछ देर बाद 4 लोग आए चेहरे पर गमछा लपेट के हॉस्टल में जाते हुए दिखे और कुछ देर बाद वापस बाहर आते हुए दिखे वीडियो को देख....

राजेश – (हस के) जाने वाले भी चार लोग थे और आने वाले भी चार लोग थे तो जरूरी तो नहीं जो हॉस्टल में चेहरे धक के आए हो वो कोई और न होके यही हो....

अर्जुन –(हस्ते हुए) तेरी बात में काफी वजन है चल कोई बात नहीं अगर मैं गवाह खड़े कर दूं तेरे सामने लेकिन मैं ऐसा क्यों करू जबकि ये काम एक कॉल पर हो सकता है....

राजेश –तू मुझे धमकी दे रहा है....

अर्जुन –ना ना राजेश इस लड़के की बेगुनाही साबित करने के लिए इसकी मा ही काफी है जो कि संध्या ठाकुर के साथ हवेली में बैठी चाय पी रही है....

राजेश –(चौक के) क्या ये नहीं हो सकता है झूठ बोल रहे हो तुम....


अर्जुन –(राजेश की सामने वाली कुर्सी में बैठ के) एक काम कर तू FIR लिख इसके लड़के पर रिजल्ट तुझे अपने आप मिल जाएगा जब तेरी ये वर्दी को DIG खुद उतरवा देगी लिख जल्दी से FIR....

अपने सामने बैठ शक्श कि बात सुन राजेश सिर से पाव तक कांप गया वो जनता था की अभय DIG SHALINI का बेटा है जो पल भर में बहुत कुछ कर सकती है क्योंकि राजेश ने सोचा था आज जो हुआ उसमें अभय को अच्छे से फंसा सकता है क्योंकि जब तक DIG तक ये बात पहुंचती तब तक अभय जेल में होता लेकिन जैसे उसे पता चला कि DIG यही इसी गांव में है इसीलिए....

राजेश –(किसी को कॉल मिला के) हेल्लो जै हिंद मैडम....

शालिनी –है हिंद राजेश बोलो क्या बात है....

राजेश –मैडम आप गांव में है अभी....

शालिनी – हा क्यों कोई दिक्कत है क्या तुम्हे....

राजेश –नहीं नहीं मैडम ऐसी कोई बात नहीं है....

शालिनी – तेरे सामने जो बैठा है वो जो बोले चुप चाप वो कर तूने साबित कर दिया है तू भी बाकियों की तरह कमीना है....

बोल के शालिनी ने कॉल कट कर दिया जिसके बाद राजेश ने खुद लॉकअप खोल के अभय को बाहर निकाला....

राजेश – तुम जा सकते हो कोई केस नहीं है तुम्हारे ऊपर इस वीडियो से साबित हो गया है....

अभय –(राजेश को गौर से देखत हुए) उम्मीद करता हु कि ये हमारी आखिरी मुलाक़ात हो....

अर्जुन –(अभय से) चलो यहां से....

बोल के दोनो निकल गए थाने से उनके जाते ही राजेश ने अपने सिर से बहते पसीने को पोछ अपनी कुर्सी में बैठ गया जबकि रहने से बाहर आते ही अर्जुन ने अभय को अपने साथ बाइक में बैठा के थाने से निकल गया....

अभय –कहा जा रहे है हम....

अर्जुन – तेरे हॉस्टल में....

अभय – क्यों किया तुमने ये सब मेरे साथ....

अर्जुन –(हस्ते हुए) तेरे बहुत से सवालों का जवाब मुझे देना है बस दो दिन बाद तेरे सवाल जवाब दूंगा मै....

अभय – लेकिन अभी क्यों नहीं....

अर्जुन –अभी मुझे अपने गांव जाना है एक पहेली को सुलझाने इसीलिए तुझे बोल रहा हु दो दिन बाद बताऊंगा बात तुझे....

अर्जुन की बात सुन अभय चुप हो गया जबकि अर्जुन के हवेली से जाने के बाद....

ललिता – मुझे समझ में नहीं आ रहा है आखिर मुनीम और शंकर हॉस्टल में क्या कर रहे थे....

मालती –(संध्या से) दीदी मुनीम तो काफी दिन से नहीं दिखा था हमे जब से आपने उसे हवेली के काम से हटा दिया था और शंकर तो जब से सरपंची से हटा है तब से नहीं दिखा किसी को....

गीता देवी – दोनो ही एक नंबर के कमींने है जरूर आपस में मिल के कोई खेल खेल रहे होंगे....

शालिनी – सवाल ये नहीं है गीता दीदी सवाल ये है कि इन दोनों को कौन मार सकता है आखिर क्या दुश्मनी होगी उसकी इन दोनों से....

संध्या – शालिनी मुझे तो सबसे ज्यादा चिंता हो रही है....

शालिनी –(बीच में बात काट के) जानती हू संध्या मै उसी के बारे में सोच रही हू....

गीता देवी – (बात को समझ हल्का हस के) बहुत जिद्दी है वो मानेगा नहीं....

शालिनी – (हल्का हस के) जी दीदी , ये बात तो पक्की है वो यहां नहीं आएगा मै हॉस्टल जा रही हू वही बात करूंगी उससे....

गीता देवी –अगर आप बुरा न माने क्या मैं चल सकती हूँ आपके साथ....

शालिनी –दीदी इसमें पूछने जैसे कोई बात नहीं आप बिल्कुल चल सकते हो साथ....

गीता देवी –(राज से) चल तू मेरे साथ....

बोल के तीनों निकल गए हॉस्टल की तरफ कुछ ही देर में तीनों हॉस्टल में आ गए इनके आते ही अभय और अर्जुन भी आ गए जहां अभी भी एम्बुलेंस वाले रुके हुए थे बॉडी को ले जा रहे थे तभी शालिनी की कही नजर पड़ उसने देखा मुनीम के हाथ में कोई कागज है शालिनी ने उसे लेके खोला जिसमें पहेली लिखी थी

पहेली....

तुम्हारा करीबी राजदार नाम ढूढना तुम्हारा काम
इस खेल के हम दो खिलाड़ी देखते है क्या होगा अंजाम....

वो हो सकता है निर्दई नाजुक या नेत्रहीन , पर जब वो छीन जाता है तो हिंसा होने लगती है संगीन....


शालिनी के हाथ में कागज को देख अर्जुन अपने हाथ में कागज लेके पड़ता है और साथ में बाकी के सभी जिसके बाद....

अभय – मां , बड़ी मां आप दोनो साथ मे यहां....

शालिनी –हा तेरे से जरूरी बात करनी है....

अभय – क्या मां....

गीता देवी –देख बेटा तु जनता है आज क्या हुआ था इसीलिए आज से तू यहां नहीं रहेगा....

अभय – यहां नहीं फिर कहा....

शालिनी – हवेली में....

अभय – वहां पर क्यों मां....

शालिनी – क्योंकि एक बात तो पक्की है कोई है जो तुझे और संध्या को नुकसान पहुंचाना चाहता है वो कौन है अभी हम नहीं जानते (अभय का हाथ अपने सिर में रख के) तो तू आज से हवेली में रहेगा तुझे मेरी कसम है....

अभय – मां....

गीता देवी – (अभय के सर पे हाथ फेर के) बात को समझ बेटा तु हवेली में रहेगा तो पता लगा सकता है कौन है जो हवेली की सारी बात बाहर दे रहा है तेरे हवेली में होने से सावधान तो रहेगा तू हर बात से समझ रहा है ना बात तू....

अभय – हम्ममम....

अभय के हा करने से गीता देवी और शालिनी एक दूसरे को देख हल्का मुस्कुराई जैसे अपने मकसद में विजई हासिल कर ली हो दोनो ने....

शालिनी – एक काम कर जल्दी से अपना समान पैक करके हवेली में आजा....

अभय – आप कही जा रहे हो....

शालिनी – नहीं मै भी हवेली आ रही हू गीता दीदी को घर छोड़ के....

राज –(बीच में) मां मै अभय को हवेली छोड़ के घर आऊंगा....

गीता देवी – (मुस्कुरा के) ठीक है....

उसके बाद शालिनी निकल गई गीता देवी को घर छोड़ने रस्ते में शालिनी ने संध्या को कॉल करके बता दिया अभय के हवेली में रहने की बात जबकि हॉस्टल में अभय अपनी पैकिंग करके राज और अर्जुन के साथ निकल गया हवेली की तरफ जहा पर संध्या तयार बैठी थी आरती की थाली लिए अभय के स्वागत के लिए अभय के आते ही....

मालती –(अभय को हवेली के दरवाजे में रोकते हुए) रुक जा बेटा ऐसे नहीं (ललिता को आवाज देके) ललिता दीदी....

ललिता –(मालती की आवाज सुन आरती की थाली लेके दरवाजे पर अभय की आरती उतार के) लल्ला अब अन्दर आजा....

ललिता द्वारा अपनी आरती उतारते वक्त अभय बिना भाव के चुप चाप खड़ा रहा था ललिता की आवाज सुन हवेली के अन्दर आते ही....

संध्या –(खुशी में अभय से) तेरा कमरा तैयार है पहले की तरह....

जिसके बाद अभय चुप चाप सीढ़ियों से चलते हुए अपने कमरे में जाने लगा जिसे देख....

राज –(जमीन म घुटने के बल बैठ संध्या से) मैने बोला था ना ठकुराइन अभय को मै ही लेके आऊंगा हवेली....

संध्या –(राज की बात सुन मुस्कुरा के) थैंक्यू राज....

राज ने मुस्कुरा के सिर हिला दिया
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Awesome update
Abhay akhir haweli pahunch gya rhne ke liye
 

Rowdy

Member
352
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109
UPDATE 45


एक लड़की अकेले में चुप चाप गुमसुम बैठी हुई थी उसकी आंख से आसू बहे जा रहे थे जिसे वो बार बार पोछती जा रही थी तभी किसी ने पीछे से उसके कंधे पे अपना हाथ रखा....

अभय –दीदी....

चांदनी –(बीने पीछे पलटे) हम्ममम....

अभय – (अपनी तरफ पलट आखों से आंसू पोछ के) ये सब मेरी वजह से हुआ है दीदी काश मै आपकी लाइफ में नहीं आता तो शायद ऐसा कुछ नहीं होता....

चांदनी –(अभय को गले लगा के) इसमें तेरी कोई गलती नहीं है अपनी करनी के जिम्मेदार वो खुद थे इसमें तेरा कोई कसूर नहीं....

शालिनी –चांदनी ठीक बोल रही है अभय तुम्हे इस बारे मे इतना सोचने की जरूरत नहीं है....

चांदनी –(अभय से) तू यहां पर अचानक कैसे आ गया और ये दोनों लड़कियां कौन है....

अर्जुन ठाकुर – ये मेरे साथ है....

शालिनी....(अलीता की तरफ इशारा करके अभय से) ये तेरी भाभी है अभय....

अभय –(चौक के) क्या , भाभी मतलब कैसे और मेरा भाई कब बना ये....

शालिनी –ये कमल ठाकुर का बेटा है अर्जुन ठाकुर तेरे दादा और तेरे पिता जी ये दोनो कमल ठाकुर को अपना मानते थे और बचपन में अर्जुन तेरे साथ खेला करता था जब तू बहुत छोटा था....

शालिनी की बात सुन अभय हैरानी से कभी अर्जुन को देखता कभी संध्या को कभी शालिनी को जैसे कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो जिसे देख....

अर्जुन ठाकुर – जनता हूँ बहुत से सवाल उठ रहे है तेरे मन में जिसका जवाब तेरे पास नहीं है....

अभय – आखिर क्या हो तुम अगर तुम इतने खास थे तो क्यों मेरे साथ....

शालिनी –(बीच में टोक के) अभी तू ज्यादा मत सोच अभय तुझे तेरे सारे सवालों का जवाब मिलेगा थोड़ा सबर कर बस....

इससे पहले शालिनी कुछ और बोलती तभी गांव के कई लोग साथ में गीता देवी और सत्य बाबू भी आ गए हवेली की तरफ जहा हवेली के बाहर 2 गाड़िया जल रही थी इनके आने से पहले ही अर्जुन के लोगो ने सभी की लाशे को एक वेन में डाल के निकल गए थे....

सत्य बाबू –(शालिनी और संध्या से) प्रणाम ठकुराइन प्रणाम शालिनी जी , क्या हुआ था यहां पर काफी आवाजें सुनी हमने धमाकों की किसने किया ये सब....

संध्या और से शालिनी ने प्रणाम किया फिर....

शालिनी –सत्या जी कुछ लोगो ने हवेली में हमला करने की कोशिश की थी लेकिन अभय और राज ने सही वक्त में आके सम्भल लिया सब कुछ....

अभय –(शालिनी को देख) मां....

शालिनी ने अभय को चुप रहने का इशारा किया....

गीता देवी – (संध्या से) तू ठीक है ना....

संध्या –हा दीदी....

गीता देवी –(अर्जुन , अलीता और सोनिया को देख के) ये तीनों कौन है....

संध्या – (गीता देवी का हाथ दबा के) अपने है मिलने आय है मेरे से....

संध्या –(सभी से) आप सब अन्दर चलिए वही बात करते है....

संध्या की बात सुन के गीता देवी ने सभी गांव वालो को वापस भेज दिया जिसके बाद सभी हवेली के अन्दर जाने लगे लेकिन अभय बाहर रुक गया उसे देख राज भी रुक गया....

राज – क्या बात है तू अन्दर क्यों नहीं चल रहा है....

अभय – यार ये जो कुछ हो रहा है सब मेरे सिर के ऊपर से जा रहा है....

राज – यार समझ में तो मेरे भी कुछ नहीं आ रहा है लेकिन बाहर रुकने का भी कोई फायदा नहीं चल अन्दर चल के देखते है क्या बात हो रही है उनकी....

अभय – यार पहले ही मेरा सिर दर्द हो रहा है सबकी बात सुन के और ज्यादा सिर दर्द नहीं पालना मुझे तू एक काम कर तू जा अन्दर मै जा रहा हु हॉस्टल आराम करने बहुत सिर दर्द हो रहा है यार मेरा....

राज – ठीक है तो मैं भी चलता हू तेरे साथ....

अभय – अरे नहीं यार तू यही रुक देख क्या हो रहा है अन्दर वैसे भी बड़ी मां और बाबा भी यही आय हुए है....

बोल के अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ इस बात से अंजान की हॉस्टल में एक नई मुसीबत पहले से उसका इंतजार कर रही है अभय कुछ समय में हॉस्टल में आ गया जैसे ही हॉस्टल के गेट के अन्दर आया देख वहां पर पुलिस पहले से आई हुई है जिसमें राजेश और उसके साथ हवलदार थे उनको देख....

अभय –तुम यहां क्या कर रहे हो....

राजेश –(हस्ते हुए) तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे हम....

अभय –(चौक के) मेरा इंतजार किस लिए....

राजेश –(हस्ते हुए) वाह बात तो ऐसे कर रहे हो जैसे कुछ पता ही ना हो क्या हुआ है यहां पर....

अभय –सीधा सीधा बोलो कहना क्या चाहते हो तुम....

राजेश –अन्दर चल के देखो सब पता चल जाएगा तुझे की हम यहां क्यों आए है....

राजेश की बात सुन अभय हॉस्टल के अन्दर जाने लगा अपने कमरे में आते ही सामने का नजारा देख अभय के होश उड़ गए....

अभय –(हैरानी से) ये सब कैसे हो गया यहां....

राजेश – यही सवाल तो मेरा भी है तेरे से की ये सब कैसे ओर क्यों किया है तूने....

अभय – (गुस्से में) क्या बकवास कर रहे हो तुम भला ये सब मै क्यों करूंगा....

राजेश – तो तू ही बता तेरे कमरे में मुनीम और शंकर की लाश क्यों पड़ी हुई है....

अभय – मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता है मै शाम से यहां नहीं था घूमने गया था गांव....

राजेश – (हस्ते हुए) ये बात तू बोल रहा है लेकिन सबूत क्या है तेरे पास और अगर मैं मान भी लू तो मुनीम और शंकर यहां हॉस्टल में तेरे कमरे में क्या कर रहे थे , अब तो तू कोई बहाना भी नहीं बना सकता है क्यों कि इस हॉस्टल में तेरे सिवा कोई नहीं रहता है....

अभय – तो सीधा बोल करना क्या चाहता है तू क्यों कि मैं पल भर में ये साबित कर दूंगा कि मेरा इस सब से कोई ताल्लुख नहीं तू अपना बता पहले....

राजेश –(अभय का कॉलर पकड़ के) अब तू बहुत ही बुरा फंसा है लौंडे क्यों की गांव के 2 लोगो ने यहां से गुजरते वक्त हॉस्टल से चीख सुनी थी उन्हीं की कंप्लेन पर मै यहां आया हु भले तू DIG बेटा है लेकिन अब यहां पर DIG नहीं बल्कि मै हूँ (अपने हवलदारों से) बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो और इसे ले चलो थाने में आज इसकी सारी गर्मी दूर कर दूंगा मै....

बोल के राजेश के साथ आय हवलदारों ने अभय को तुरंत हथकड़ी लगा के पुलिस जीप में बैठा पुलिस स्टेशन लेके जाने लगे....

तभी पायल के पिता जो हॉस्टल के बाहर खड़े ये नजारा देख रहे थे वो तुरंत ही हवेली की तरफ भागे जबकि इधर हवेली में अभय के जाने के बाद....

शालिनी –(राज को अकेला अन्दर आता देख) अभय कहा है राज....

राज – आंटी वो अभय कुछ कन्फ्यूजन में है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ये सब तो वो चला गया होस्टल में....

राज की बात सुन शालिनी जो अभी हवेली के अन्दर हॉल में आ रही थी बाहर ही रुक एक पल पीछे हॉल में देख जहां संध्या , मालती , ललिता , निधि , चांदनी , शनाया , अर्जुन , सोनिया और अलीता बैठ के बाते कर रहे थे गीता देवी और सत्या बाबू से तभी शालिनी कुछ बोलती राज से तभी....

संध्या – अरे राज , शालिनी जी आप वहां क्यों खड़े है अन्दर आइये और राज तुम अकेले....

शालिनी –(बीच में बात काट के) मैने भेजा था उसे काम से अपने....

संध्या –(शालिनी बात सुन मायूसी से) ठीक है....

ललिता – (अर्जुन से) तुम अब तक कहा थे इतने साल अर्जुन....

अर्जुन –अपने आप को ढूंढने गया था चाची इसीलिए देर हो गई आने में....

संध्या –अर्जुन तुझे देख के बहुत खुशी हो रही है मुझे काश माजी (सुनैना) का पता चल जाए हमे जाने कहा होगी वो....

अर्जुन – (चौक के) तो क्या दादी का पता नहीं चला आज तक....

संध्या – नहीं अर्जुन आज तक पता नहीं चला उनका मैने बहुत कोशिश की ढूंढने की उनको....

संध्या की बात सुन अर्जुन ने एक पल के लिए अलीता को देखा....

अर्जुन – कोई बात नहीं चाची अब मैं वापस आ गया हु मै पता लगता हु दादी का....

संध्या – अब तो तू यही रहेगा ना कही जाएगा तो नहीं फिर से....

अर्जुन –(मुस्कुरा के) नहीं चाची अब से मै और आपकी बहु यही रहेंगे....

संध्या –(चौक के) बहु और तूने शादी भी कर ली....

अर्जुन –(अलीता को देख) जी चाची (अलीता के कंधे पे हाथ रख के) ये है आपकी बहु....

संध्या – (व्हील चेयर को अलीता की तरफ ले जाके) बहुत खूबसूरत है (अलीता से) तुम्हारा नाम क्या है....

अलीता –जी अलीता सिंघाल....

संध्या –(हस के) तुम्हारी तरह तुम्हारा नाम भी बहुत ही खूबसूरत है लेकिन शायद मैने ये नाम कही सुना हुआ है तुम सिंघाल ग्रुप एंड कम्पनी से....

अलीता –(मुस्कुरा के) जी वो मेरे पापा की कंपनी है....

संध्या – (चौक के) मतलब तुम राम मोहन सिंघाल , रागिनी सिंघाल की बेटी हो....

अलीता सिंघाल –(चौक के) आप कैसे जानते हो मेरे मम्मी पापा को....

संध्या – कैसे नहीं जानूंगी उनको भला जाने कितनी बार मिल चुके है हम काफी वक्त पहले शहर गई थी मैं तब मुलाक़ात हुई थी राम मोहन सिंघाल और रागिनी सिंघाल से वैसे तुम दोनो ने शादी कब की....

अलीता – दो साल हो गए हमे शादी किए हुए....

संध्या –(अर्जुन से) इन्हें तुम जानते हो ये ललिता है रमन की वाइफ और ये मालती है प्रेम की वाइफ....

अर्जुन –(हाथ जोड़ के) नमस्ते चाची जी....

मालती और ललिता साथ में – नमस्ते अर्जुन....

संध्या –(निधि की तरफ इशारा करके) ये निधि है ललिता और रमन की बेटी एक बेटा भी है अमन बाहर गया हुआ है रमन के साथ....

अर्जुन –(छोटी बच्ची को मालती की गोद में देख) ये आपकी बेटी है चाची....

मालती –(सारी बात बता के) है ये मेरी बेटी है....

अर्जुन –बहुत अच्छी बात है चाची जी....

संध्या –मै ऊपर का कमरा सही कर देती हु तुम यही रहना अब से....

अर्जुन – नहीं चाची की अभी मै अपने हवेली जा रहा हु वही रहूंगा हा लेकिन आता रोग मै मिलने आप सब से....

संध्या – लेकिन वहा अकेले क्यों अर्जुन यही साथ में....

अर्जुन – कुछ जरूरी काम है चाची जी मुझे वहा पर....

इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी....

मगरू – (हवेली में आते ही) मालकिन गजब हो गया....

संध्या – क्या हुआ....

मगरू – मालकिन वो थानेदार अभी को पकड़ के ले गया है पुलिस थाने में....

संध्या – (चौक के) क्या लेकिन क्यों....

सारी बात बता के....

संध्या – (हैरानी से) क्या मुनीम के शंकर मारे गए लेकिन कैसे....

मगरू – पता नहीं मालकिन लेकिन दोनों की लाश हॉस्टल में मिली है अभी के कमरे में ऐसा थानेदार बोल रहा था अभी से....

मगरू की बात सुन सभी चौक गए....

अर्जुन – (मगरू से) कहा है ये थाना....

शालिनी और संध्या एक साथ – मै चलती हूँ साथ में....

अर्जुन –परेशान मत हो आप मै लेके आता हु जरा मिल तो लू राजेश से....

बोल के निकल गया अर्जुन....

शालिनी –(मन में– समझ में नहीं आ रहा है आखिर मुनीम और शंकर को किसने मारा होगा)....

जबकि इस तरफ थाने में राजेश ने आते ही अभय को लॉकअप में बंद कर दिया था....

राजेश –मेरा ऑफर मान लेना चाहिए था तुझे....

अभय –(हस्ते हुए) जाने कैसे तू पुलिस में भर्ती हो गया सच सच बता कितनी रिश्वत दी थी तूने पुलिस में आने के लिए , जाने कितने से भीख मांगनी पड़ी होगी तुझे....

राजेश –(गुस्से में) अपनी मेहनत अपनी अकल से मैंने ये पोजीशन हासिल की है समझा....

अभय –(हस्ते हुए) हा सही कहा तूने इसीलिए तूने ऑफर दिया था मुझे क्यों ताकि बिना मेहनत किए डायरेक्ट सब कुछ तुझे मिले सही कहा ना मैने....

राजेश – (लॉकअप में हाथ डाल अभय का कॉलर पकड़ के) संध्या को पाने के लिए कुछ भी कर सकता हू मै जो भी रस्ते में आएगा उसे हटा दूंगा मै....

अभय – ओह तो तूने ही मुनीम और शंकर का कत्ल किया है....

राजेश –(चौक के) क्या मतलब है तेरा....

अभय – अभी तूंने कहा ना अपने रस्ते में आने वाले को हटा देगा तू और अभी तो मैं रस्ते में हूँ तेरे तो मतलब यही हुआ ना कि तूने ही मुनीम और शंकर को मार के हॉस्टल में रखवा दिया होगा वैसे भी पूरा गांव जनता है हॉस्टल में मेरे इलावा कोई नहीं रहता और तेरे लिए इससे अच्छा मौका और क्या होगा मुझे रास्ते से हटाने का....

राजेश –(हस्ते हुए) लगता है तू पागल हो गया है जो मन में आय बोलता जा रहा है तू....

अभय – नहीं राजेश यही सच है तूने ही कत्ल किया है उन दोनों का....

राजेश – मैने ऐसा कुछ नहीं किया है क्योंकि मेरे पास गवाह है जिसने मुझे इनफॉर्म किया था समझा....

अभय – तो इसका मतलब तूने कुछ नहीं किया फिर ऐसा कौन हो सकता है जिसे पता था कि मुनीम और शंकर मेरे पास है....

राजेश –(चौक के) क्या मतलब है तेरी बात का....

अर्जुन –(थाने में आते ही बीच में टोक के) इसका मतलब ये है कि जब कत्ल हुआ तब ये लड़का हॉस्टल में नहीं था....

राजेश –(पीछे पलट के सामने खड़े लड़के को देख) तू कौन है....

अर्जुन –(मोबाइल में वीडियो दिखाते हुए) ये है हॉस्टल में लगे कैमरे की फुटेज साफ दिखा रहा है इसमें चेक कर लो तस्सली से तुम....

कमरे की फुटेज में साफ दिख रहा था अभय , राज , सोनिया और अलीता हॉस्टल से अपनी गाड़ी में बैठ के निकल गए थे उनके जाने के कुछ देर बाद 4 लोग आए चेहरे पर गमछा लपेट के हॉस्टल में जाते हुए दिखे और कुछ देर बाद वापस बाहर आते हुए दिखे वीडियो को देख....

राजेश – (हस के) जाने वाले भी चार लोग थे और आने वाले भी चार लोग थे तो जरूरी तो नहीं जो हॉस्टल में चेहरे धक के आए हो वो कोई और न होके यही हो....

अर्जुन –(हस्ते हुए) तेरी बात में काफी वजन है चल कोई बात नहीं अगर मैं गवाह खड़े कर दूं तेरे सामने लेकिन मैं ऐसा क्यों करू जबकि ये काम एक कॉल पर हो सकता है....

राजेश –तू मुझे धमकी दे रहा है....

अर्जुन –ना ना राजेश इस लड़के की बेगुनाही साबित करने के लिए इसकी मा ही काफी है जो कि संध्या ठाकुर के साथ हवेली में बैठी चाय पी रही है....

राजेश –(चौक के) क्या ये नहीं हो सकता है झूठ बोल रहे हो तुम....


अर्जुन –(राजेश की सामने वाली कुर्सी में बैठ के) एक काम कर तू FIR लिख इसके लड़के पर रिजल्ट तुझे अपने आप मिल जाएगा जब तेरी ये वर्दी को DIG खुद उतरवा देगी लिख जल्दी से FIR....

अपने सामने बैठ शक्श कि बात सुन राजेश सिर से पाव तक कांप गया वो जनता था की अभय DIG SHALINI का बेटा है जो पल भर में बहुत कुछ कर सकती है क्योंकि राजेश ने सोचा था आज जो हुआ उसमें अभय को अच्छे से फंसा सकता है क्योंकि जब तक DIG तक ये बात पहुंचती तब तक अभय जेल में होता लेकिन जैसे उसे पता चला कि DIG यही इसी गांव में है इसीलिए....

राजेश –(किसी को कॉल मिला के) हेल्लो जै हिंद मैडम....

शालिनी –है हिंद राजेश बोलो क्या बात है....

राजेश –मैडम आप गांव में है अभी....

शालिनी – हा क्यों कोई दिक्कत है क्या तुम्हे....

राजेश –नहीं नहीं मैडम ऐसी कोई बात नहीं है....

शालिनी – तेरे सामने जो बैठा है वो जो बोले चुप चाप वो कर तूने साबित कर दिया है तू भी बाकियों की तरह कमीना है....

बोल के शालिनी ने कॉल कट कर दिया जिसके बाद राजेश ने खुद लॉकअप खोल के अभय को बाहर निकाला....

राजेश – तुम जा सकते हो कोई केस नहीं है तुम्हारे ऊपर इस वीडियो से साबित हो गया है....

अभय –(राजेश को गौर से देखत हुए) उम्मीद करता हु कि ये हमारी आखिरी मुलाक़ात हो....

अर्जुन –(अभय से) चलो यहां से....

बोल के दोनो निकल गए थाने से उनके जाते ही राजेश ने अपने सिर से बहते पसीने को पोछ अपनी कुर्सी में बैठ गया जबकि रहने से बाहर आते ही अर्जुन ने अभय को अपने साथ बाइक में बैठा के थाने से निकल गया....

अभय –कहा जा रहे है हम....

अर्जुन – तेरे हॉस्टल में....

अभय – क्यों किया तुमने ये सब मेरे साथ....

अर्जुन –(हस्ते हुए) तेरे बहुत से सवालों का जवाब मुझे देना है बस दो दिन बाद तेरे सवाल जवाब दूंगा मै....

अभय – लेकिन अभी क्यों नहीं....

अर्जुन –अभी मुझे अपने गांव जाना है एक पहेली को सुलझाने इसीलिए तुझे बोल रहा हु दो दिन बाद बताऊंगा बात तुझे....

अर्जुन की बात सुन अभय चुप हो गया जबकि अर्जुन के हवेली से जाने के बाद....

ललिता – मुझे समझ में नहीं आ रहा है आखिर मुनीम और शंकर हॉस्टल में क्या कर रहे थे....

मालती –(संध्या से) दीदी मुनीम तो काफी दिन से नहीं दिखा था हमे जब से आपने उसे हवेली के काम से हटा दिया था और शंकर तो जब से सरपंची से हटा है तब से नहीं दिखा किसी को....

गीता देवी – दोनो ही एक नंबर के कमींने है जरूर आपस में मिल के कोई खेल खेल रहे होंगे....

शालिनी – सवाल ये नहीं है गीता दीदी सवाल ये है कि इन दोनों को कौन मार सकता है आखिर क्या दुश्मनी होगी उसकी इन दोनों से....

संध्या – शालिनी मुझे तो सबसे ज्यादा चिंता हो रही है....

शालिनी –(बीच में बात काट के) जानती हू संध्या मै उसी के बारे में सोच रही हू....

गीता देवी – (बात को समझ हल्का हस के) बहुत जिद्दी है वो मानेगा नहीं....

शालिनी – (हल्का हस के) जी दीदी , ये बात तो पक्की है वो यहां नहीं आएगा मै हॉस्टल जा रही हू वही बात करूंगी उससे....

गीता देवी –अगर आप बुरा न माने क्या मैं चल सकती हूँ आपके साथ....

शालिनी –दीदी इसमें पूछने जैसे कोई बात नहीं आप बिल्कुल चल सकते हो साथ....

गीता देवी –(राज से) चल तू मेरे साथ....

बोल के तीनों निकल गए हॉस्टल की तरफ कुछ ही देर में तीनों हॉस्टल में आ गए इनके आते ही अभय और अर्जुन भी आ गए जहां अभी भी एम्बुलेंस वाले रुके हुए थे बॉडी को ले जा रहे थे तभी शालिनी की कही नजर पड़ उसने देखा मुनीम के हाथ में कोई कागज है शालिनी ने उसे लेके खोला जिसमें पहेली लिखी थी

पहेली....

तुम्हारा करीबी राजदार नाम ढूढना तुम्हारा काम
इस खेल के हम दो खिलाड़ी देखते है क्या होगा अंजाम....

वो हो सकता है निर्दई नाजुक या नेत्रहीन , पर जब वो छीन जाता है तो हिंसा होने लगती है संगीन....


शालिनी के हाथ में कागज को देख अर्जुन अपने हाथ में कागज लेके पड़ता है और साथ में बाकी के सभी जिसके बाद....

अभय – मां , बड़ी मां आप दोनो साथ मे यहां....

शालिनी –हा तेरे से जरूरी बात करनी है....

अभय – क्या मां....

गीता देवी –देख बेटा तु जनता है आज क्या हुआ था इसीलिए आज से तू यहां नहीं रहेगा....

अभय – यहां नहीं फिर कहा....

शालिनी – हवेली में....

अभय – वहां पर क्यों मां....

शालिनी – क्योंकि एक बात तो पक्की है कोई है जो तुझे और संध्या को नुकसान पहुंचाना चाहता है वो कौन है अभी हम नहीं जानते (अभय का हाथ अपने सिर में रख के) तो तू आज से हवेली में रहेगा तुझे मेरी कसम है....

अभय – मां....

गीता देवी – (अभय के सर पे हाथ फेर के) बात को समझ बेटा तु हवेली में रहेगा तो पता लगा सकता है कौन है जो हवेली की सारी बात बाहर दे रहा है तेरे हवेली में होने से सावधान तो रहेगा तू हर बात से समझ रहा है ना बात तू....

अभय – हम्ममम....

अभय के हा करने से गीता देवी और शालिनी एक दूसरे को देख हल्का मुस्कुराई जैसे अपने मकसद में विजई हासिल कर ली हो दोनो ने....

शालिनी – एक काम कर जल्दी से अपना समान पैक करके हवेली में आजा....

अभय – आप कही जा रहे हो....

शालिनी – नहीं मै भी हवेली आ रही हू गीता दीदी को घर छोड़ के....

राज –(बीच में) मां मै अभय को हवेली छोड़ के घर आऊंगा....

गीता देवी – (मुस्कुरा के) ठीक है....

उसके बाद शालिनी निकल गई गीता देवी को घर छोड़ने रस्ते में शालिनी ने संध्या को कॉल करके बता दिया अभय के हवेली में रहने की बात जबकि हॉस्टल में अभय अपनी पैकिंग करके राज और अर्जुन के साथ निकल गया हवेली की तरफ जहा पर संध्या तयार बैठी थी आरती की थाली लिए अभय के स्वागत के लिए अभय के आते ही....

मालती –(अभय को हवेली के दरवाजे में रोकते हुए) रुक जा बेटा ऐसे नहीं (ललिता को आवाज देके) ललिता दीदी....

ललिता –(मालती की आवाज सुन आरती की थाली लेके दरवाजे पर अभय की आरती उतार के) लल्ला अब अन्दर आजा....

ललिता द्वारा अपनी आरती उतारते वक्त अभय बिना भाव के चुप चाप खड़ा रहा था ललिता की आवाज सुन हवेली के अन्दर आते ही....

संध्या –(खुशी में अभय से) तेरा कमरा तैयार है पहले की तरह....

जिसके बाद अभय चुप चाप सीढ़ियों से चलते हुए अपने कमरे में जाने लगा जिसे देख....

राज –(जमीन म घुटने के बल बैठ संध्या से) मैने बोला था ना ठकुराइन अभय को मै ही लेके आऊंगा हवेली....

संध्या –(राज की बात सुन मुस्कुरा के) थैंक्यू राज....

राज ने मुस्कुरा के सिर हिला दिया
.
.
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जारी रहेगा✍️✍️
Badhiya update bhai👍👍🙏🙏🙏
 

Tiger 786

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UPDATE 45


एक लड़की अकेले में चुप चाप गुमसुम बैठी हुई थी उसकी आंख से आसू बहे जा रहे थे जिसे वो बार बार पोछती जा रही थी तभी किसी ने पीछे से उसके कंधे पे अपना हाथ रखा....

अभय –दीदी....

चांदनी –(बीने पीछे पलटे) हम्ममम....

अभय – (अपनी तरफ पलट आखों से आंसू पोछ के) ये सब मेरी वजह से हुआ है दीदी काश मै आपकी लाइफ में नहीं आता तो शायद ऐसा कुछ नहीं होता....

चांदनी –(अभय को गले लगा के) इसमें तेरी कोई गलती नहीं है अपनी करनी के जिम्मेदार वो खुद थे इसमें तेरा कोई कसूर नहीं....

शालिनी –चांदनी ठीक बोल रही है अभय तुम्हे इस बारे मे इतना सोचने की जरूरत नहीं है....

चांदनी –(अभय से) तू यहां पर अचानक कैसे आ गया और ये दोनों लड़कियां कौन है....

अर्जुन ठाकुर – ये मेरे साथ है....

शालिनी....(अलीता की तरफ इशारा करके अभय से) ये तेरी भाभी है अभय....

अभय –(चौक के) क्या , भाभी मतलब कैसे और मेरा भाई कब बना ये....

शालिनी –ये कमल ठाकुर का बेटा है अर्जुन ठाकुर तेरे दादा और तेरे पिता जी ये दोनो कमल ठाकुर को अपना मानते थे और बचपन में अर्जुन तेरे साथ खेला करता था जब तू बहुत छोटा था....

शालिनी की बात सुन अभय हैरानी से कभी अर्जुन को देखता कभी संध्या को कभी शालिनी को जैसे कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो जिसे देख....

अर्जुन ठाकुर – जनता हूँ बहुत से सवाल उठ रहे है तेरे मन में जिसका जवाब तेरे पास नहीं है....

अभय – आखिर क्या हो तुम अगर तुम इतने खास थे तो क्यों मेरे साथ....

शालिनी –(बीच में टोक के) अभी तू ज्यादा मत सोच अभय तुझे तेरे सारे सवालों का जवाब मिलेगा थोड़ा सबर कर बस....

इससे पहले शालिनी कुछ और बोलती तभी गांव के कई लोग साथ में गीता देवी और सत्य बाबू भी आ गए हवेली की तरफ जहा हवेली के बाहर 2 गाड़िया जल रही थी इनके आने से पहले ही अर्जुन के लोगो ने सभी की लाशे को एक वेन में डाल के निकल गए थे....

सत्य बाबू –(शालिनी और संध्या से) प्रणाम ठकुराइन प्रणाम शालिनी जी , क्या हुआ था यहां पर काफी आवाजें सुनी हमने धमाकों की किसने किया ये सब....

संध्या और से शालिनी ने प्रणाम किया फिर....

शालिनी –सत्या जी कुछ लोगो ने हवेली में हमला करने की कोशिश की थी लेकिन अभय और राज ने सही वक्त में आके सम्भल लिया सब कुछ....

अभय –(शालिनी को देख) मां....

शालिनी ने अभय को चुप रहने का इशारा किया....

गीता देवी – (संध्या से) तू ठीक है ना....

संध्या –हा दीदी....

गीता देवी –(अर्जुन , अलीता और सोनिया को देख के) ये तीनों कौन है....

संध्या – (गीता देवी का हाथ दबा के) अपने है मिलने आय है मेरे से....

संध्या –(सभी से) आप सब अन्दर चलिए वही बात करते है....

संध्या की बात सुन के गीता देवी ने सभी गांव वालो को वापस भेज दिया जिसके बाद सभी हवेली के अन्दर जाने लगे लेकिन अभय बाहर रुक गया उसे देख राज भी रुक गया....

राज – क्या बात है तू अन्दर क्यों नहीं चल रहा है....

अभय – यार ये जो कुछ हो रहा है सब मेरे सिर के ऊपर से जा रहा है....

राज – यार समझ में तो मेरे भी कुछ नहीं आ रहा है लेकिन बाहर रुकने का भी कोई फायदा नहीं चल अन्दर चल के देखते है क्या बात हो रही है उनकी....

अभय – यार पहले ही मेरा सिर दर्द हो रहा है सबकी बात सुन के और ज्यादा सिर दर्द नहीं पालना मुझे तू एक काम कर तू जा अन्दर मै जा रहा हु हॉस्टल आराम करने बहुत सिर दर्द हो रहा है यार मेरा....

राज – ठीक है तो मैं भी चलता हू तेरे साथ....

अभय – अरे नहीं यार तू यही रुक देख क्या हो रहा है अन्दर वैसे भी बड़ी मां और बाबा भी यही आय हुए है....

बोल के अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ इस बात से अंजान की हॉस्टल में एक नई मुसीबत पहले से उसका इंतजार कर रही है अभय कुछ समय में हॉस्टल में आ गया जैसे ही हॉस्टल के गेट के अन्दर आया देख वहां पर पुलिस पहले से आई हुई है जिसमें राजेश और उसके साथ हवलदार थे उनको देख....

अभय –तुम यहां क्या कर रहे हो....

राजेश –(हस्ते हुए) तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे हम....

अभय –(चौक के) मेरा इंतजार किस लिए....

राजेश –(हस्ते हुए) वाह बात तो ऐसे कर रहे हो जैसे कुछ पता ही ना हो क्या हुआ है यहां पर....

अभय –सीधा सीधा बोलो कहना क्या चाहते हो तुम....

राजेश –अन्दर चल के देखो सब पता चल जाएगा तुझे की हम यहां क्यों आए है....

राजेश की बात सुन अभय हॉस्टल के अन्दर जाने लगा अपने कमरे में आते ही सामने का नजारा देख अभय के होश उड़ गए....

अभय –(हैरानी से) ये सब कैसे हो गया यहां....

राजेश – यही सवाल तो मेरा भी है तेरे से की ये सब कैसे ओर क्यों किया है तूने....

अभय – (गुस्से में) क्या बकवास कर रहे हो तुम भला ये सब मै क्यों करूंगा....

राजेश – तो तू ही बता तेरे कमरे में मुनीम और शंकर की लाश क्यों पड़ी हुई है....

अभय – मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता है मै शाम से यहां नहीं था घूमने गया था गांव....

राजेश – (हस्ते हुए) ये बात तू बोल रहा है लेकिन सबूत क्या है तेरे पास और अगर मैं मान भी लू तो मुनीम और शंकर यहां हॉस्टल में तेरे कमरे में क्या कर रहे थे , अब तो तू कोई बहाना भी नहीं बना सकता है क्यों कि इस हॉस्टल में तेरे सिवा कोई नहीं रहता है....

अभय – तो सीधा बोल करना क्या चाहता है तू क्यों कि मैं पल भर में ये साबित कर दूंगा कि मेरा इस सब से कोई ताल्लुख नहीं तू अपना बता पहले....

राजेश –(अभय का कॉलर पकड़ के) अब तू बहुत ही बुरा फंसा है लौंडे क्यों की गांव के 2 लोगो ने यहां से गुजरते वक्त हॉस्टल से चीख सुनी थी उन्हीं की कंप्लेन पर मै यहां आया हु भले तू DIG बेटा है लेकिन अब यहां पर DIG नहीं बल्कि मै हूँ (अपने हवलदारों से) बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो और इसे ले चलो थाने में आज इसकी सारी गर्मी दूर कर दूंगा मै....

बोल के राजेश के साथ आय हवलदारों ने अभय को तुरंत हथकड़ी लगा के पुलिस जीप में बैठा पुलिस स्टेशन लेके जाने लगे....

तभी पायल के पिता जो हॉस्टल के बाहर खड़े ये नजारा देख रहे थे वो तुरंत ही हवेली की तरफ भागे जबकि इधर हवेली में अभय के जाने के बाद....

शालिनी –(राज को अकेला अन्दर आता देख) अभय कहा है राज....

राज – आंटी वो अभय कुछ कन्फ्यूजन में है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ये सब तो वो चला गया होस्टल में....

राज की बात सुन शालिनी जो अभी हवेली के अन्दर हॉल में आ रही थी बाहर ही रुक एक पल पीछे हॉल में देख जहां संध्या , मालती , ललिता , निधि , चांदनी , शनाया , अर्जुन , सोनिया और अलीता बैठ के बाते कर रहे थे गीता देवी और सत्या बाबू से तभी शालिनी कुछ बोलती राज से तभी....

संध्या – अरे राज , शालिनी जी आप वहां क्यों खड़े है अन्दर आइये और राज तुम अकेले....

शालिनी –(बीच में बात काट के) मैने भेजा था उसे काम से अपने....

संध्या –(शालिनी बात सुन मायूसी से) ठीक है....

ललिता – (अर्जुन से) तुम अब तक कहा थे इतने साल अर्जुन....

अर्जुन –अपने आप को ढूंढने गया था चाची इसीलिए देर हो गई आने में....

संध्या –अर्जुन तुझे देख के बहुत खुशी हो रही है मुझे काश माजी (सुनैना) का पता चल जाए हमे जाने कहा होगी वो....

अर्जुन – (चौक के) तो क्या दादी का पता नहीं चला आज तक....

संध्या – नहीं अर्जुन आज तक पता नहीं चला उनका मैने बहुत कोशिश की ढूंढने की उनको....

संध्या की बात सुन अर्जुन ने एक पल के लिए अलीता को देखा....

अर्जुन – कोई बात नहीं चाची अब मैं वापस आ गया हु मै पता लगता हु दादी का....

संध्या – अब तो तू यही रहेगा ना कही जाएगा तो नहीं फिर से....

अर्जुन –(मुस्कुरा के) नहीं चाची अब से मै और आपकी बहु यही रहेंगे....

संध्या –(चौक के) बहु और तूने शादी भी कर ली....

अर्जुन –(अलीता को देख) जी चाची (अलीता के कंधे पे हाथ रख के) ये है आपकी बहु....

संध्या – (व्हील चेयर को अलीता की तरफ ले जाके) बहुत खूबसूरत है (अलीता से) तुम्हारा नाम क्या है....

अलीता –जी अलीता सिंघाल....

संध्या –(हस के) तुम्हारी तरह तुम्हारा नाम भी बहुत ही खूबसूरत है लेकिन शायद मैने ये नाम कही सुना हुआ है तुम सिंघाल ग्रुप एंड कम्पनी से....

अलीता –(मुस्कुरा के) जी वो मेरे पापा की कंपनी है....

संध्या – (चौक के) मतलब तुम राम मोहन सिंघाल , रागिनी सिंघाल की बेटी हो....

अलीता सिंघाल –(चौक के) आप कैसे जानते हो मेरे मम्मी पापा को....

संध्या – कैसे नहीं जानूंगी उनको भला जाने कितनी बार मिल चुके है हम काफी वक्त पहले शहर गई थी मैं तब मुलाक़ात हुई थी राम मोहन सिंघाल और रागिनी सिंघाल से वैसे तुम दोनो ने शादी कब की....

अलीता – दो साल हो गए हमे शादी किए हुए....

संध्या –(अर्जुन से) इन्हें तुम जानते हो ये ललिता है रमन की वाइफ और ये मालती है प्रेम की वाइफ....

अर्जुन –(हाथ जोड़ के) नमस्ते चाची जी....

मालती और ललिता साथ में – नमस्ते अर्जुन....

संध्या –(निधि की तरफ इशारा करके) ये निधि है ललिता और रमन की बेटी एक बेटा भी है अमन बाहर गया हुआ है रमन के साथ....

अर्जुन –(छोटी बच्ची को मालती की गोद में देख) ये आपकी बेटी है चाची....

मालती –(सारी बात बता के) है ये मेरी बेटी है....

अर्जुन –बहुत अच्छी बात है चाची जी....

संध्या –मै ऊपर का कमरा सही कर देती हु तुम यही रहना अब से....

अर्जुन – नहीं चाची की अभी मै अपने हवेली जा रहा हु वही रहूंगा हा लेकिन आता रोग मै मिलने आप सब से....

संध्या – लेकिन वहा अकेले क्यों अर्जुन यही साथ में....

अर्जुन – कुछ जरूरी काम है चाची जी मुझे वहा पर....

इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी....

मगरू – (हवेली में आते ही) मालकिन गजब हो गया....

संध्या – क्या हुआ....

मगरू – मालकिन वो थानेदार अभी को पकड़ के ले गया है पुलिस थाने में....

संध्या – (चौक के) क्या लेकिन क्यों....

सारी बात बता के....

संध्या – (हैरानी से) क्या मुनीम के शंकर मारे गए लेकिन कैसे....

मगरू – पता नहीं मालकिन लेकिन दोनों की लाश हॉस्टल में मिली है अभी के कमरे में ऐसा थानेदार बोल रहा था अभी से....

मगरू की बात सुन सभी चौक गए....

अर्जुन – (मगरू से) कहा है ये थाना....

शालिनी और संध्या एक साथ – मै चलती हूँ साथ में....

अर्जुन –परेशान मत हो आप मै लेके आता हु जरा मिल तो लू राजेश से....

बोल के निकल गया अर्जुन....

शालिनी –(मन में– समझ में नहीं आ रहा है आखिर मुनीम और शंकर को किसने मारा होगा)....

जबकि इस तरफ थाने में राजेश ने आते ही अभय को लॉकअप में बंद कर दिया था....

राजेश –मेरा ऑफर मान लेना चाहिए था तुझे....

अभय –(हस्ते हुए) जाने कैसे तू पुलिस में भर्ती हो गया सच सच बता कितनी रिश्वत दी थी तूने पुलिस में आने के लिए , जाने कितने से भीख मांगनी पड़ी होगी तुझे....

राजेश –(गुस्से में) अपनी मेहनत अपनी अकल से मैंने ये पोजीशन हासिल की है समझा....

अभय –(हस्ते हुए) हा सही कहा तूने इसीलिए तूने ऑफर दिया था मुझे क्यों ताकि बिना मेहनत किए डायरेक्ट सब कुछ तुझे मिले सही कहा ना मैने....

राजेश – (लॉकअप में हाथ डाल अभय का कॉलर पकड़ के) संध्या को पाने के लिए कुछ भी कर सकता हू मै जो भी रस्ते में आएगा उसे हटा दूंगा मै....

अभय – ओह तो तूने ही मुनीम और शंकर का कत्ल किया है....

राजेश –(चौक के) क्या मतलब है तेरा....

अभय – अभी तूंने कहा ना अपने रस्ते में आने वाले को हटा देगा तू और अभी तो मैं रस्ते में हूँ तेरे तो मतलब यही हुआ ना कि तूने ही मुनीम और शंकर को मार के हॉस्टल में रखवा दिया होगा वैसे भी पूरा गांव जनता है हॉस्टल में मेरे इलावा कोई नहीं रहता और तेरे लिए इससे अच्छा मौका और क्या होगा मुझे रास्ते से हटाने का....

राजेश –(हस्ते हुए) लगता है तू पागल हो गया है जो मन में आय बोलता जा रहा है तू....

अभय – नहीं राजेश यही सच है तूने ही कत्ल किया है उन दोनों का....

राजेश – मैने ऐसा कुछ नहीं किया है क्योंकि मेरे पास गवाह है जिसने मुझे इनफॉर्म किया था समझा....

अभय – तो इसका मतलब तूने कुछ नहीं किया फिर ऐसा कौन हो सकता है जिसे पता था कि मुनीम और शंकर मेरे पास है....

राजेश –(चौक के) क्या मतलब है तेरी बात का....

अर्जुन –(थाने में आते ही बीच में टोक के) इसका मतलब ये है कि जब कत्ल हुआ तब ये लड़का हॉस्टल में नहीं था....

राजेश –(पीछे पलट के सामने खड़े लड़के को देख) तू कौन है....

अर्जुन –(मोबाइल में वीडियो दिखाते हुए) ये है हॉस्टल में लगे कैमरे की फुटेज साफ दिखा रहा है इसमें चेक कर लो तस्सली से तुम....

कमरे की फुटेज में साफ दिख रहा था अभय , राज , सोनिया और अलीता हॉस्टल से अपनी गाड़ी में बैठ के निकल गए थे उनके जाने के कुछ देर बाद 4 लोग आए चेहरे पर गमछा लपेट के हॉस्टल में जाते हुए दिखे और कुछ देर बाद वापस बाहर आते हुए दिखे वीडियो को देख....

राजेश – (हस के) जाने वाले भी चार लोग थे और आने वाले भी चार लोग थे तो जरूरी तो नहीं जो हॉस्टल में चेहरे धक के आए हो वो कोई और न होके यही हो....

अर्जुन –(हस्ते हुए) तेरी बात में काफी वजन है चल कोई बात नहीं अगर मैं गवाह खड़े कर दूं तेरे सामने लेकिन मैं ऐसा क्यों करू जबकि ये काम एक कॉल पर हो सकता है....

राजेश –तू मुझे धमकी दे रहा है....

अर्जुन –ना ना राजेश इस लड़के की बेगुनाही साबित करने के लिए इसकी मा ही काफी है जो कि संध्या ठाकुर के साथ हवेली में बैठी चाय पी रही है....

राजेश –(चौक के) क्या ये नहीं हो सकता है झूठ बोल रहे हो तुम....


अर्जुन –(राजेश की सामने वाली कुर्सी में बैठ के) एक काम कर तू FIR लिख इसके लड़के पर रिजल्ट तुझे अपने आप मिल जाएगा जब तेरी ये वर्दी को DIG खुद उतरवा देगी लिख जल्दी से FIR....

अपने सामने बैठ शक्श कि बात सुन राजेश सिर से पाव तक कांप गया वो जनता था की अभय DIG SHALINI का बेटा है जो पल भर में बहुत कुछ कर सकती है क्योंकि राजेश ने सोचा था आज जो हुआ उसमें अभय को अच्छे से फंसा सकता है क्योंकि जब तक DIG तक ये बात पहुंचती तब तक अभय जेल में होता लेकिन जैसे उसे पता चला कि DIG यही इसी गांव में है इसीलिए....

राजेश –(किसी को कॉल मिला के) हेल्लो जै हिंद मैडम....

शालिनी –है हिंद राजेश बोलो क्या बात है....

राजेश –मैडम आप गांव में है अभी....

शालिनी – हा क्यों कोई दिक्कत है क्या तुम्हे....

राजेश –नहीं नहीं मैडम ऐसी कोई बात नहीं है....

शालिनी – तेरे सामने जो बैठा है वो जो बोले चुप चाप वो कर तूने साबित कर दिया है तू भी बाकियों की तरह कमीना है....

बोल के शालिनी ने कॉल कट कर दिया जिसके बाद राजेश ने खुद लॉकअप खोल के अभय को बाहर निकाला....

राजेश – तुम जा सकते हो कोई केस नहीं है तुम्हारे ऊपर इस वीडियो से साबित हो गया है....

अभय –(राजेश को गौर से देखत हुए) उम्मीद करता हु कि ये हमारी आखिरी मुलाक़ात हो....

अर्जुन –(अभय से) चलो यहां से....

बोल के दोनो निकल गए थाने से उनके जाते ही राजेश ने अपने सिर से बहते पसीने को पोछ अपनी कुर्सी में बैठ गया जबकि रहने से बाहर आते ही अर्जुन ने अभय को अपने साथ बाइक में बैठा के थाने से निकल गया....

अभय –कहा जा रहे है हम....

अर्जुन – तेरे हॉस्टल में....

अभय – क्यों किया तुमने ये सब मेरे साथ....

अर्जुन –(हस्ते हुए) तेरे बहुत से सवालों का जवाब मुझे देना है बस दो दिन बाद तेरे सवाल जवाब दूंगा मै....

अभय – लेकिन अभी क्यों नहीं....

अर्जुन –अभी मुझे अपने गांव जाना है एक पहेली को सुलझाने इसीलिए तुझे बोल रहा हु दो दिन बाद बताऊंगा बात तुझे....

अर्जुन की बात सुन अभय चुप हो गया जबकि अर्जुन के हवेली से जाने के बाद....

ललिता – मुझे समझ में नहीं आ रहा है आखिर मुनीम और शंकर हॉस्टल में क्या कर रहे थे....

मालती –(संध्या से) दीदी मुनीम तो काफी दिन से नहीं दिखा था हमे जब से आपने उसे हवेली के काम से हटा दिया था और शंकर तो जब से सरपंची से हटा है तब से नहीं दिखा किसी को....

गीता देवी – दोनो ही एक नंबर के कमींने है जरूर आपस में मिल के कोई खेल खेल रहे होंगे....

शालिनी – सवाल ये नहीं है गीता दीदी सवाल ये है कि इन दोनों को कौन मार सकता है आखिर क्या दुश्मनी होगी उसकी इन दोनों से....

संध्या – शालिनी मुझे तो सबसे ज्यादा चिंता हो रही है....

शालिनी –(बीच में बात काट के) जानती हू संध्या मै उसी के बारे में सोच रही हू....

गीता देवी – (बात को समझ हल्का हस के) बहुत जिद्दी है वो मानेगा नहीं....

शालिनी – (हल्का हस के) जी दीदी , ये बात तो पक्की है वो यहां नहीं आएगा मै हॉस्टल जा रही हू वही बात करूंगी उससे....

गीता देवी –अगर आप बुरा न माने क्या मैं चल सकती हूँ आपके साथ....

शालिनी –दीदी इसमें पूछने जैसे कोई बात नहीं आप बिल्कुल चल सकते हो साथ....

गीता देवी –(राज से) चल तू मेरे साथ....

बोल के तीनों निकल गए हॉस्टल की तरफ कुछ ही देर में तीनों हॉस्टल में आ गए इनके आते ही अभय और अर्जुन भी आ गए जहां अभी भी एम्बुलेंस वाले रुके हुए थे बॉडी को ले जा रहे थे तभी शालिनी की कही नजर पड़ उसने देखा मुनीम के हाथ में कोई कागज है शालिनी ने उसे लेके खोला जिसमें पहेली लिखी थी

पहेली....

तुम्हारा करीबी राजदार नाम ढूढना तुम्हारा काम
इस खेल के हम दो खिलाड़ी देखते है क्या होगा अंजाम....

वो हो सकता है निर्दई नाजुक या नेत्रहीन , पर जब वो छीन जाता है तो हिंसा होने लगती है संगीन....


शालिनी के हाथ में कागज को देख अर्जुन अपने हाथ में कागज लेके पड़ता है और साथ में बाकी के सभी जिसके बाद....

अभय – मां , बड़ी मां आप दोनो साथ मे यहां....

शालिनी –हा तेरे से जरूरी बात करनी है....

अभय – क्या मां....

गीता देवी –देख बेटा तु जनता है आज क्या हुआ था इसीलिए आज से तू यहां नहीं रहेगा....

अभय – यहां नहीं फिर कहा....

शालिनी – हवेली में....

अभय – वहां पर क्यों मां....

शालिनी – क्योंकि एक बात तो पक्की है कोई है जो तुझे और संध्या को नुकसान पहुंचाना चाहता है वो कौन है अभी हम नहीं जानते (अभय का हाथ अपने सिर में रख के) तो तू आज से हवेली में रहेगा तुझे मेरी कसम है....

अभय – मां....

गीता देवी – (अभय के सर पे हाथ फेर के) बात को समझ बेटा तु हवेली में रहेगा तो पता लगा सकता है कौन है जो हवेली की सारी बात बाहर दे रहा है तेरे हवेली में होने से सावधान तो रहेगा तू हर बात से समझ रहा है ना बात तू....

अभय – हम्ममम....

अभय के हा करने से गीता देवी और शालिनी एक दूसरे को देख हल्का मुस्कुराई जैसे अपने मकसद में विजई हासिल कर ली हो दोनो ने....

शालिनी – एक काम कर जल्दी से अपना समान पैक करके हवेली में आजा....

अभय – आप कही जा रहे हो....

शालिनी – नहीं मै भी हवेली आ रही हू गीता दीदी को घर छोड़ के....

राज –(बीच में) मां मै अभय को हवेली छोड़ के घर आऊंगा....

गीता देवी – (मुस्कुरा के) ठीक है....

उसके बाद शालिनी निकल गई गीता देवी को घर छोड़ने रस्ते में शालिनी ने संध्या को कॉल करके बता दिया अभय के हवेली में रहने की बात जबकि हॉस्टल में अभय अपनी पैकिंग करके राज और अर्जुन के साथ निकल गया हवेली की तरफ जहा पर संध्या तयार बैठी थी आरती की थाली लिए अभय के स्वागत के लिए अभय के आते ही....

मालती –(अभय को हवेली के दरवाजे में रोकते हुए) रुक जा बेटा ऐसे नहीं (ललिता को आवाज देके) ललिता दीदी....

ललिता –(मालती की आवाज सुन आरती की थाली लेके दरवाजे पर अभय की आरती उतार के) लल्ला अब अन्दर आजा....

ललिता द्वारा अपनी आरती उतारते वक्त अभय बिना भाव के चुप चाप खड़ा रहा था ललिता की आवाज सुन हवेली के अन्दर आते ही....

संध्या –(खुशी में अभय से) तेरा कमरा तैयार है पहले की तरह....

जिसके बाद अभय चुप चाप सीढ़ियों से चलते हुए अपने कमरे में जाने लगा जिसे देख....

राज –(जमीन म घुटने के बल बैठ संध्या से) मैने बोला था ना ठकुराइन अभय को मै ही लेके आऊंगा हवेली....

संध्या –(राज की बात सुन मुस्कुरा के) थैंक्यू राज....

राज ने मुस्कुरा के सिर हिला दिया
.
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जारी रहेगा✍️✍️
Awesome update
 

Gaurav1969

Nobody dies as Virgin. .... Life fucks us all.
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Nice update good going but we want more hidden scerets to be unfold
UPDATE 45


एक लड़की अकेले में चुप चाप गुमसुम बैठी हुई थी उसकी आंख से आसू बहे जा रहे थे जिसे वो बार बार पोछती जा रही थी तभी किसी ने पीछे से उसके कंधे पे अपना हाथ रखा....

अभय –दीदी....

चांदनी –(बीने पीछे पलटे) हम्ममम....

अभय – (अपनी तरफ पलट आखों से आंसू पोछ के) ये सब मेरी वजह से हुआ है दीदी काश मै आपकी लाइफ में नहीं आता तो शायद ऐसा कुछ नहीं होता....

चांदनी –(अभय को गले लगा के) इसमें तेरी कोई गलती नहीं है अपनी करनी के जिम्मेदार वो खुद थे इसमें तेरा कोई कसूर नहीं....

शालिनी –चांदनी ठीक बोल रही है अभय तुम्हे इस बारे मे इतना सोचने की जरूरत नहीं है....

चांदनी –(अभय से) तू यहां पर अचानक कैसे आ गया और ये दोनों लड़कियां कौन है....

अर्जुन ठाकुर – ये मेरे साथ है....

शालिनी....(अलीता की तरफ इशारा करके अभय से) ये तेरी भाभी है अभय....

अभय –(चौक के) क्या , भाभी मतलब कैसे और मेरा भाई कब बना ये....

शालिनी –ये कमल ठाकुर का बेटा है अर्जुन ठाकुर तेरे दादा और तेरे पिता जी ये दोनो कमल ठाकुर को अपना मानते थे और बचपन में अर्जुन तेरे साथ खेला करता था जब तू बहुत छोटा था....

शालिनी की बात सुन अभय हैरानी से कभी अर्जुन को देखता कभी संध्या को कभी शालिनी को जैसे कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो जिसे देख....

अर्जुन ठाकुर – जनता हूँ बहुत से सवाल उठ रहे है तेरे मन में जिसका जवाब तेरे पास नहीं है....

अभय – आखिर क्या हो तुम अगर तुम इतने खास थे तो क्यों मेरे साथ....

शालिनी –(बीच में टोक के) अभी तू ज्यादा मत सोच अभय तुझे तेरे सारे सवालों का जवाब मिलेगा थोड़ा सबर कर बस....

इससे पहले शालिनी कुछ और बोलती तभी गांव के कई लोग साथ में गीता देवी और सत्य बाबू भी आ गए हवेली की तरफ जहा हवेली के बाहर 2 गाड़िया जल रही थी इनके आने से पहले ही अर्जुन के लोगो ने सभी की लाशे को एक वेन में डाल के निकल गए थे....

सत्य बाबू –(शालिनी और संध्या से) प्रणाम ठकुराइन प्रणाम शालिनी जी , क्या हुआ था यहां पर काफी आवाजें सुनी हमने धमाकों की किसने किया ये सब....

संध्या और से शालिनी ने प्रणाम किया फिर....

शालिनी –सत्या जी कुछ लोगो ने हवेली में हमला करने की कोशिश की थी लेकिन अभय और राज ने सही वक्त में आके सम्भल लिया सब कुछ....

अभय –(शालिनी को देख) मां....

शालिनी ने अभय को चुप रहने का इशारा किया....

गीता देवी – (संध्या से) तू ठीक है ना....

संध्या –हा दीदी....

गीता देवी –(अर्जुन , अलीता और सोनिया को देख के) ये तीनों कौन है....

संध्या – (गीता देवी का हाथ दबा के) अपने है मिलने आय है मेरे से....

संध्या –(सभी से) आप सब अन्दर चलिए वही बात करते है....

संध्या की बात सुन के गीता देवी ने सभी गांव वालो को वापस भेज दिया जिसके बाद सभी हवेली के अन्दर जाने लगे लेकिन अभय बाहर रुक गया उसे देख राज भी रुक गया....

राज – क्या बात है तू अन्दर क्यों नहीं चल रहा है....

अभय – यार ये जो कुछ हो रहा है सब मेरे सिर के ऊपर से जा रहा है....

राज – यार समझ में तो मेरे भी कुछ नहीं आ रहा है लेकिन बाहर रुकने का भी कोई फायदा नहीं चल अन्दर चल के देखते है क्या बात हो रही है उनकी....

अभय – यार पहले ही मेरा सिर दर्द हो रहा है सबकी बात सुन के और ज्यादा सिर दर्द नहीं पालना मुझे तू एक काम कर तू जा अन्दर मै जा रहा हु हॉस्टल आराम करने बहुत सिर दर्द हो रहा है यार मेरा....

राज – ठीक है तो मैं भी चलता हू तेरे साथ....

अभय – अरे नहीं यार तू यही रुक देख क्या हो रहा है अन्दर वैसे भी बड़ी मां और बाबा भी यही आय हुए है....

बोल के अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ इस बात से अंजान की हॉस्टल में एक नई मुसीबत पहले से उसका इंतजार कर रही है अभय कुछ समय में हॉस्टल में आ गया जैसे ही हॉस्टल के गेट के अन्दर आया देख वहां पर पुलिस पहले से आई हुई है जिसमें राजेश और उसके साथ हवलदार थे उनको देख....

अभय –तुम यहां क्या कर रहे हो....

राजेश –(हस्ते हुए) तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे हम....

अभय –(चौक के) मेरा इंतजार किस लिए....

राजेश –(हस्ते हुए) वाह बात तो ऐसे कर रहे हो जैसे कुछ पता ही ना हो क्या हुआ है यहां पर....

अभय –सीधा सीधा बोलो कहना क्या चाहते हो तुम....

राजेश –अन्दर चल के देखो सब पता चल जाएगा तुझे की हम यहां क्यों आए है....

राजेश की बात सुन अभय हॉस्टल के अन्दर जाने लगा अपने कमरे में आते ही सामने का नजारा देख अभय के होश उड़ गए....

अभय –(हैरानी से) ये सब कैसे हो गया यहां....

राजेश – यही सवाल तो मेरा भी है तेरे से की ये सब कैसे ओर क्यों किया है तूने....

अभय – (गुस्से में) क्या बकवास कर रहे हो तुम भला ये सब मै क्यों करूंगा....

राजेश – तो तू ही बता तेरे कमरे में मुनीम और शंकर की लाश क्यों पड़ी हुई है....

अभय – मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता है मै शाम से यहां नहीं था घूमने गया था गांव....

राजेश – (हस्ते हुए) ये बात तू बोल रहा है लेकिन सबूत क्या है तेरे पास और अगर मैं मान भी लू तो मुनीम और शंकर यहां हॉस्टल में तेरे कमरे में क्या कर रहे थे , अब तो तू कोई बहाना भी नहीं बना सकता है क्यों कि इस हॉस्टल में तेरे सिवा कोई नहीं रहता है....

अभय – तो सीधा बोल करना क्या चाहता है तू क्यों कि मैं पल भर में ये साबित कर दूंगा कि मेरा इस सब से कोई ताल्लुख नहीं तू अपना बता पहले....

राजेश –(अभय का कॉलर पकड़ के) अब तू बहुत ही बुरा फंसा है लौंडे क्यों की गांव के 2 लोगो ने यहां से गुजरते वक्त हॉस्टल से चीख सुनी थी उन्हीं की कंप्लेन पर मै यहां आया हु भले तू DIG बेटा है लेकिन अब यहां पर DIG नहीं बल्कि मै हूँ (अपने हवलदारों से) बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो और इसे ले चलो थाने में आज इसकी सारी गर्मी दूर कर दूंगा मै....

बोल के राजेश के साथ आय हवलदारों ने अभय को तुरंत हथकड़ी लगा के पुलिस जीप में बैठा पुलिस स्टेशन लेके जाने लगे....

तभी पायल के पिता जो हॉस्टल के बाहर खड़े ये नजारा देख रहे थे वो तुरंत ही हवेली की तरफ भागे जबकि इधर हवेली में अभय के जाने के बाद....

शालिनी –(राज को अकेला अन्दर आता देख) अभय कहा है राज....

राज – आंटी वो अभय कुछ कन्फ्यूजन में है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ये सब तो वो चला गया होस्टल में....

राज की बात सुन शालिनी जो अभी हवेली के अन्दर हॉल में आ रही थी बाहर ही रुक एक पल पीछे हॉल में देख जहां संध्या , मालती , ललिता , निधि , चांदनी , शनाया , अर्जुन , सोनिया और अलीता बैठ के बाते कर रहे थे गीता देवी और सत्या बाबू से तभी शालिनी कुछ बोलती राज से तभी....

संध्या – अरे राज , शालिनी जी आप वहां क्यों खड़े है अन्दर आइये और राज तुम अकेले....

शालिनी –(बीच में बात काट के) मैने भेजा था उसे काम से अपने....

संध्या –(शालिनी बात सुन मायूसी से) ठीक है....

ललिता – (अर्जुन से) तुम अब तक कहा थे इतने साल अर्जुन....

अर्जुन –अपने आप को ढूंढने गया था चाची इसीलिए देर हो गई आने में....

संध्या –अर्जुन तुझे देख के बहुत खुशी हो रही है मुझे काश माजी (सुनैना) का पता चल जाए हमे जाने कहा होगी वो....

अर्जुन – (चौक के) तो क्या दादी का पता नहीं चला आज तक....

संध्या – नहीं अर्जुन आज तक पता नहीं चला उनका मैने बहुत कोशिश की ढूंढने की उनको....

संध्या की बात सुन अर्जुन ने एक पल के लिए अलीता को देखा....

अर्जुन – कोई बात नहीं चाची अब मैं वापस आ गया हु मै पता लगता हु दादी का....

संध्या – अब तो तू यही रहेगा ना कही जाएगा तो नहीं फिर से....

अर्जुन –(मुस्कुरा के) नहीं चाची अब से मै और आपकी बहु यही रहेंगे....

संध्या –(चौक के) बहु और तूने शादी भी कर ली....

अर्जुन –(अलीता को देख) जी चाची (अलीता के कंधे पे हाथ रख के) ये है आपकी बहु....

संध्या – (व्हील चेयर को अलीता की तरफ ले जाके) बहुत खूबसूरत है (अलीता से) तुम्हारा नाम क्या है....

अलीता –जी अलीता सिंघाल....

संध्या –(हस के) तुम्हारी तरह तुम्हारा नाम भी बहुत ही खूबसूरत है लेकिन शायद मैने ये नाम कही सुना हुआ है तुम सिंघाल ग्रुप एंड कम्पनी से....

अलीता –(मुस्कुरा के) जी वो मेरे पापा की कंपनी है....

संध्या – (चौक के) मतलब तुम राम मोहन सिंघाल , रागिनी सिंघाल की बेटी हो....

अलीता सिंघाल –(चौक के) आप कैसे जानते हो मेरे मम्मी पापा को....

संध्या – कैसे नहीं जानूंगी उनको भला जाने कितनी बार मिल चुके है हम काफी वक्त पहले शहर गई थी मैं तब मुलाक़ात हुई थी राम मोहन सिंघाल और रागिनी सिंघाल से वैसे तुम दोनो ने शादी कब की....

अलीता – दो साल हो गए हमे शादी किए हुए....

संध्या –(अर्जुन से) इन्हें तुम जानते हो ये ललिता है रमन की वाइफ और ये मालती है प्रेम की वाइफ....

अर्जुन –(हाथ जोड़ के) नमस्ते चाची जी....

मालती और ललिता साथ में – नमस्ते अर्जुन....

संध्या –(निधि की तरफ इशारा करके) ये निधि है ललिता और रमन की बेटी एक बेटा भी है अमन बाहर गया हुआ है रमन के साथ....

अर्जुन –(छोटी बच्ची को मालती की गोद में देख) ये आपकी बेटी है चाची....

मालती –(सारी बात बता के) है ये मेरी बेटी है....

अर्जुन –बहुत अच्छी बात है चाची जी....

संध्या –मै ऊपर का कमरा सही कर देती हु तुम यही रहना अब से....

अर्जुन – नहीं चाची की अभी मै अपने हवेली जा रहा हु वही रहूंगा हा लेकिन आता रोग मै मिलने आप सब से....

संध्या – लेकिन वहा अकेले क्यों अर्जुन यही साथ में....

अर्जुन – कुछ जरूरी काम है चाची जी मुझे वहा पर....

इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी....

मगरू – (हवेली में आते ही) मालकिन गजब हो गया....

संध्या – क्या हुआ....

मगरू – मालकिन वो थानेदार अभी को पकड़ के ले गया है पुलिस थाने में....

संध्या – (चौक के) क्या लेकिन क्यों....

सारी बात बता के....

संध्या – (हैरानी से) क्या मुनीम के शंकर मारे गए लेकिन कैसे....

मगरू – पता नहीं मालकिन लेकिन दोनों की लाश हॉस्टल में मिली है अभी के कमरे में ऐसा थानेदार बोल रहा था अभी से....

मगरू की बात सुन सभी चौक गए....

अर्जुन – (मगरू से) कहा है ये थाना....

शालिनी और संध्या एक साथ – मै चलती हूँ साथ में....

अर्जुन –परेशान मत हो आप मै लेके आता हु जरा मिल तो लू राजेश से....

बोल के निकल गया अर्जुन....

शालिनी –(मन में– समझ में नहीं आ रहा है आखिर मुनीम और शंकर को किसने मारा होगा)....

जबकि इस तरफ थाने में राजेश ने आते ही अभय को लॉकअप में बंद कर दिया था....

राजेश –मेरा ऑफर मान लेना चाहिए था तुझे....

अभय –(हस्ते हुए) जाने कैसे तू पुलिस में भर्ती हो गया सच सच बता कितनी रिश्वत दी थी तूने पुलिस में आने के लिए , जाने कितने से भीख मांगनी पड़ी होगी तुझे....

राजेश –(गुस्से में) अपनी मेहनत अपनी अकल से मैंने ये पोजीशन हासिल की है समझा....

अभय –(हस्ते हुए) हा सही कहा तूने इसीलिए तूने ऑफर दिया था मुझे क्यों ताकि बिना मेहनत किए डायरेक्ट सब कुछ तुझे मिले सही कहा ना मैने....

राजेश – (लॉकअप में हाथ डाल अभय का कॉलर पकड़ के) संध्या को पाने के लिए कुछ भी कर सकता हू मै जो भी रस्ते में आएगा उसे हटा दूंगा मै....

अभय – ओह तो तूने ही मुनीम और शंकर का कत्ल किया है....

राजेश –(चौक के) क्या मतलब है तेरा....

अभय – अभी तूंने कहा ना अपने रस्ते में आने वाले को हटा देगा तू और अभी तो मैं रस्ते में हूँ तेरे तो मतलब यही हुआ ना कि तूने ही मुनीम और शंकर को मार के हॉस्टल में रखवा दिया होगा वैसे भी पूरा गांव जनता है हॉस्टल में मेरे इलावा कोई नहीं रहता और तेरे लिए इससे अच्छा मौका और क्या होगा मुझे रास्ते से हटाने का....

राजेश –(हस्ते हुए) लगता है तू पागल हो गया है जो मन में आय बोलता जा रहा है तू....

अभय – नहीं राजेश यही सच है तूने ही कत्ल किया है उन दोनों का....

राजेश – मैने ऐसा कुछ नहीं किया है क्योंकि मेरे पास गवाह है जिसने मुझे इनफॉर्म किया था समझा....

अभय – तो इसका मतलब तूने कुछ नहीं किया फिर ऐसा कौन हो सकता है जिसे पता था कि मुनीम और शंकर मेरे पास है....

राजेश –(चौक के) क्या मतलब है तेरी बात का....

अर्जुन –(थाने में आते ही बीच में टोक के) इसका मतलब ये है कि जब कत्ल हुआ तब ये लड़का हॉस्टल में नहीं था....

राजेश –(पीछे पलट के सामने खड़े लड़के को देख) तू कौन है....

अर्जुन –(मोबाइल में वीडियो दिखाते हुए) ये है हॉस्टल में लगे कैमरे की फुटेज साफ दिखा रहा है इसमें चेक कर लो तस्सली से तुम....

कमरे की फुटेज में साफ दिख रहा था अभय , राज , सोनिया और अलीता हॉस्टल से अपनी गाड़ी में बैठ के निकल गए थे उनके जाने के कुछ देर बाद 4 लोग आए चेहरे पर गमछा लपेट के हॉस्टल में जाते हुए दिखे और कुछ देर बाद वापस बाहर आते हुए दिखे वीडियो को देख....

राजेश – (हस के) जाने वाले भी चार लोग थे और आने वाले भी चार लोग थे तो जरूरी तो नहीं जो हॉस्टल में चेहरे धक के आए हो वो कोई और न होके यही हो....

अर्जुन –(हस्ते हुए) तेरी बात में काफी वजन है चल कोई बात नहीं अगर मैं गवाह खड़े कर दूं तेरे सामने लेकिन मैं ऐसा क्यों करू जबकि ये काम एक कॉल पर हो सकता है....

राजेश –तू मुझे धमकी दे रहा है....

अर्जुन –ना ना राजेश इस लड़के की बेगुनाही साबित करने के लिए इसकी मा ही काफी है जो कि संध्या ठाकुर के साथ हवेली में बैठी चाय पी रही है....

राजेश –(चौक के) क्या ये नहीं हो सकता है झूठ बोल रहे हो तुम....


अर्जुन –(राजेश की सामने वाली कुर्सी में बैठ के) एक काम कर तू FIR लिख इसके लड़के पर रिजल्ट तुझे अपने आप मिल जाएगा जब तेरी ये वर्दी को DIG खुद उतरवा देगी लिख जल्दी से FIR....

अपने सामने बैठ शक्श कि बात सुन राजेश सिर से पाव तक कांप गया वो जनता था की अभय DIG SHALINI का बेटा है जो पल भर में बहुत कुछ कर सकती है क्योंकि राजेश ने सोचा था आज जो हुआ उसमें अभय को अच्छे से फंसा सकता है क्योंकि जब तक DIG तक ये बात पहुंचती तब तक अभय जेल में होता लेकिन जैसे उसे पता चला कि DIG यही इसी गांव में है इसीलिए....

राजेश –(किसी को कॉल मिला के) हेल्लो जै हिंद मैडम....

शालिनी –है हिंद राजेश बोलो क्या बात है....

राजेश –मैडम आप गांव में है अभी....

शालिनी – हा क्यों कोई दिक्कत है क्या तुम्हे....

राजेश –नहीं नहीं मैडम ऐसी कोई बात नहीं है....

शालिनी – तेरे सामने जो बैठा है वो जो बोले चुप चाप वो कर तूने साबित कर दिया है तू भी बाकियों की तरह कमीना है....

बोल के शालिनी ने कॉल कट कर दिया जिसके बाद राजेश ने खुद लॉकअप खोल के अभय को बाहर निकाला....

राजेश – तुम जा सकते हो कोई केस नहीं है तुम्हारे ऊपर इस वीडियो से साबित हो गया है....

अभय –(राजेश को गौर से देखत हुए) उम्मीद करता हु कि ये हमारी आखिरी मुलाक़ात हो....

अर्जुन –(अभय से) चलो यहां से....

बोल के दोनो निकल गए थाने से उनके जाते ही राजेश ने अपने सिर से बहते पसीने को पोछ अपनी कुर्सी में बैठ गया जबकि रहने से बाहर आते ही अर्जुन ने अभय को अपने साथ बाइक में बैठा के थाने से निकल गया....

अभय –कहा जा रहे है हम....

अर्जुन – तेरे हॉस्टल में....

अभय – क्यों किया तुमने ये सब मेरे साथ....

अर्जुन –(हस्ते हुए) तेरे बहुत से सवालों का जवाब मुझे देना है बस दो दिन बाद तेरे सवाल जवाब दूंगा मै....

अभय – लेकिन अभी क्यों नहीं....

अर्जुन –अभी मुझे अपने गांव जाना है एक पहेली को सुलझाने इसीलिए तुझे बोल रहा हु दो दिन बाद बताऊंगा बात तुझे....

अर्जुन की बात सुन अभय चुप हो गया जबकि अर्जुन के हवेली से जाने के बाद....

ललिता – मुझे समझ में नहीं आ रहा है आखिर मुनीम और शंकर हॉस्टल में क्या कर रहे थे....

मालती –(संध्या से) दीदी मुनीम तो काफी दिन से नहीं दिखा था हमे जब से आपने उसे हवेली के काम से हटा दिया था और शंकर तो जब से सरपंची से हटा है तब से नहीं दिखा किसी को....

गीता देवी – दोनो ही एक नंबर के कमींने है जरूर आपस में मिल के कोई खेल खेल रहे होंगे....

शालिनी – सवाल ये नहीं है गीता दीदी सवाल ये है कि इन दोनों को कौन मार सकता है आखिर क्या दुश्मनी होगी उसकी इन दोनों से....

संध्या – शालिनी मुझे तो सबसे ज्यादा चिंता हो रही है....

शालिनी –(बीच में बात काट के) जानती हू संध्या मै उसी के बारे में सोच रही हू....

गीता देवी – (बात को समझ हल्का हस के) बहुत जिद्दी है वो मानेगा नहीं....

शालिनी – (हल्का हस के) जी दीदी , ये बात तो पक्की है वो यहां नहीं आएगा मै हॉस्टल जा रही हू वही बात करूंगी उससे....

गीता देवी –अगर आप बुरा न माने क्या मैं चल सकती हूँ आपके साथ....

शालिनी –दीदी इसमें पूछने जैसे कोई बात नहीं आप बिल्कुल चल सकते हो साथ....

गीता देवी –(राज से) चल तू मेरे साथ....

बोल के तीनों निकल गए हॉस्टल की तरफ कुछ ही देर में तीनों हॉस्टल में आ गए इनके आते ही अभय और अर्जुन भी आ गए जहां अभी भी एम्बुलेंस वाले रुके हुए थे बॉडी को ले जा रहे थे तभी शालिनी की कही नजर पड़ उसने देखा मुनीम के हाथ में कोई कागज है शालिनी ने उसे लेके खोला जिसमें पहेली लिखी थी

पहेली....

तुम्हारा करीबी राजदार नाम ढूढना तुम्हारा काम
इस खेल के हम दो खिलाड़ी देखते है क्या होगा अंजाम....

वो हो सकता है निर्दई नाजुक या नेत्रहीन , पर जब वो छीन जाता है तो हिंसा होने लगती है संगीन....


शालिनी के हाथ में कागज को देख अर्जुन अपने हाथ में कागज लेके पड़ता है और साथ में बाकी के सभी जिसके बाद....

अभय – मां , बड़ी मां आप दोनो साथ मे यहां....

शालिनी –हा तेरे से जरूरी बात करनी है....

अभय – क्या मां....

गीता देवी –देख बेटा तु जनता है आज क्या हुआ था इसीलिए आज से तू यहां नहीं रहेगा....

अभय – यहां नहीं फिर कहा....

शालिनी – हवेली में....

अभय – वहां पर क्यों मां....

शालिनी – क्योंकि एक बात तो पक्की है कोई है जो तुझे और संध्या को नुकसान पहुंचाना चाहता है वो कौन है अभी हम नहीं जानते (अभय का हाथ अपने सिर में रख के) तो तू आज से हवेली में रहेगा तुझे मेरी कसम है....

अभय – मां....

गीता देवी – (अभय के सर पे हाथ फेर के) बात को समझ बेटा तु हवेली में रहेगा तो पता लगा सकता है कौन है जो हवेली की सारी बात बाहर दे रहा है तेरे हवेली में होने से सावधान तो रहेगा तू हर बात से समझ रहा है ना बात तू....

अभय – हम्ममम....

अभय के हा करने से गीता देवी और शालिनी एक दूसरे को देख हल्का मुस्कुराई जैसे अपने मकसद में विजई हासिल कर ली हो दोनो ने....

शालिनी – एक काम कर जल्दी से अपना समान पैक करके हवेली में आजा....

अभय – आप कही जा रहे हो....

शालिनी – नहीं मै भी हवेली आ रही हू गीता दीदी को घर छोड़ के....

राज –(बीच में) मां मै अभय को हवेली छोड़ के घर आऊंगा....

गीता देवी – (मुस्कुरा के) ठीक है....

उसके बाद शालिनी निकल गई गीता देवी को घर छोड़ने रस्ते में शालिनी ने संध्या को कॉल करके बता दिया अभय के हवेली में रहने की बात जबकि हॉस्टल में अभय अपनी पैकिंग करके राज और अर्जुन के साथ निकल गया हवेली की तरफ जहा पर संध्या तयार बैठी थी आरती की थाली लिए अभय के स्वागत के लिए अभय के आते ही....

मालती –(अभय को हवेली के दरवाजे में रोकते हुए) रुक जा बेटा ऐसे नहीं (ललिता को आवाज देके) ललिता दीदी....

ललिता –(मालती की आवाज सुन आरती की थाली लेके दरवाजे पर अभय की आरती उतार के) लल्ला अब अन्दर आजा....

ललिता द्वारा अपनी आरती उतारते वक्त अभय बिना भाव के चुप चाप खड़ा रहा था ललिता की आवाज सुन हवेली के अन्दर आते ही....

संध्या –(खुशी में अभय से) तेरा कमरा तैयार है पहले की तरह....

जिसके बाद अभय चुप चाप सीढ़ियों से चलते हुए अपने कमरे में जाने लगा जिसे देख....

राज –(जमीन म घुटने के बल बैठ संध्या से) मैने बोला था ना ठकुराइन अभय को मै ही लेके आऊंगा हवेली....

संध्या –(राज की बात सुन मुस्कुरा के) थैंक्यू राज....

राज ने मुस्कुरा के सिर हिला दिया
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जारी रहेगा✍️✍️
 
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