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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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बेटी की चुदाई देख सास चुदी दामाद से



हेलो दोस्तों, ये चुदाई की कहानी मेरे और मेरी सास के बीच हुई चुदाई की है। बात उन दिनों की है जब मेरी शादी हुई थी, और मैं शादी के बाद पहली बार अपनी बीवी को लेकर ससुराल गया था। वहां जाने के बाद सबसे मिले। पहले दिन मेहमान थे जो दूसरे दिन सुबह सभी मिल कर चले गए। उसी दिन दोपहर में घर पे सिर्फ मैं ओर मेरी बीवी थे। साला और ससुर जी काम पर गए थे, और साली कॉलेज गयी थी, और सास मंदिर गयी थी।

उस समय मेरी बीवी किचन में काम कर रही थी। तभी मैंने पीछे से बीवी को मेरी बाहों में भर लिया, और दोनों हाथों से ब्लाउज के ऊपर से बीवी के बूब्स मसलने लगा।

तो बीवी बोली: क्या कर रहे हो? छोड़ो कोई आ जायेगा।

मैंने कहा: जान अभी घर में सिर्फ हम दोनों है। शाम तक कोई नहीं आने वाला।

फिर भी बीवी नहीं मानी। वो मना करती रही, और मैं उसके बूब्स मसलता रहा। इससे मेरी बीवी गरम हो गयी, और लपक के हम दोनों किस करने लगे। किस करते हुए मैंने मेरी बीवी की साड़ी निकाल दी, और ब्लाउज खोलने लगा। फिर ब्लाउज और ब्रा निकाल कर बीवी को उपर से नंगी कर दिया। मैं बीवी को हॉल के सोफे पर लिटा कर बीवी के बूब्स चूसने लगा, और बीवी के मुंह से जोर-जोर से सिसकारियां निकलने लगी ‘अहहह अहहह बेबी’ की।

वो मेरे बालो में हाथ फेरती रही, और एक साथ मेरी पैंट खोल कर मेरा लंड मसलने लगी। फिर मैंने बीवी के पेटीकोट का नाड़ा खोल कर, पेटीकोट और पैंटी निकाल कर बीवी को नंगी कर दिया, और खुद भी नंगा हो गया। बूब्स चूसते हुए बीवी के पूरे बदन को चाटने लगा। फिर नीचे आके, बीवी की दोनों टांगे खोल कर, बीवी की चूत में मुंह लगा के, चूत को चूसने लगा। इससे बीवी की वासना और भड़क गई, और जोर-जोर से सिसकारियां निकालने लगी।

वो दोनों हाथों से मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगी। कुछ देर बाद मैंने चूत से मुंह हटा कर मेरा लंड बीवी के मुंह के आगे कर दिया, तो उसने भी लपक कर मेरा लंड चूसना शुरु कर दिया। तभी मेरी भी सिसकारियां निकलने लगी, और मैं भी जोर-जोर से लंड चुसाने लगा। फिर बीवी की दोनों टांगे चौड़ी करके लंड बीवी की चूत पर रगड़ने लगा, तो बीवी बोली-

बीवी: प्लीज अब चोद डालो मुझे। अब रहा नहीं जाता।

तो मैंने भी एक ही झटके में पूरा लंड चूत में डाल दिया। इससे बीवी की चीख निकल गयी। तभी मैं बीवी को किस करने लगा, और बीवी को चोदने लगा। फिर अचानक मेरी नजर मेन गेट के पास वाली खिड़की पर पड़ी। मैंने देखा कि मेरी सास खड़े-खड़े मेरी और मेरी बीवी की चुदाई देख रही थी। ये देख में घबरा गया, तो सास ने मुझे इशारा किया कि कोई बात नहीं, चोदते रहो।

मैं रिलैक्स हुआ और जोर से बीवी की चूत चोदने लगा। सास की ओर देखते हुए मैं और जोर से चूत में झटके लगाते हुए बीवी को चोदने लगा। फिर कुछ देर बाद बीवी का पानी निकल गया तो बीवी बोली-

बीवी: जान जल्दी करो, मेरा निकल गया है।

मैंने भी जोर-जोर से झटके लगा कर मेरे लंड के पानी से बीवी की चूत को भर दिया। फिर बीवी ने मेरे लंड को चूस कर साफ कर दिया, और दोनों नंगे बाथरूम में जा कर नहाए। फिर कुछ टाइम बाद सास ने घर की बेल बजाई तो बीवी पहले तो डर गई, फिर रिलैक्स होकर दरवाजा खोला।

सास आ गयी, और फिर वहीं पारिवारिक बाते होने लगी, और बीच-बीच में सास मुझे कामुक नज़रों से देखने लगी। तभी मैं समझ गया कि सास की चूत लंड की प्यासी थी। फिर मैं और मेरी बीवी वापिस मेरे घर आ गए। तब से मैंने सास को सास-दामाद की चुदाई की कहानियां भेजना शुरु कर दिया।

पहले तो सास ने गुस्सा किया, लेकिन फिर कुछ नहीं बोली, ओर फिर हमारी सेक्स चैट होने लगी। तभी पता चला कि सास की चूत बहुत प्यासी थी, और ससुर सास को चोदते नहीं थे। फिर एक दिन मैंने मेरे लंड की फोटो सास को भेजी, तो सास ने भी अपनी चूत और बूब्स के फोटो मुझे भेजे।

फिर सास बोली: क्या दामाद जी, कब तक अपने लंड का फोटो भेजते रहोगे? कब आप अपनी प्यासी सास को चोदोगे?

तो मैंने कहा: बहुत जल्दी आपकी चूत का भोसड़ा बनाऊंगा।

ये सब चलता रहा। फिर कुछ टाइम बाद सास ने मुझे कहा: आज घर पर कोई नहीं है।

तो मैं भी बीवी को बिना बताए ससुराल चला गया, और जब मैं ससुराल पहुंचा, तो वहां सास के अलावा कोई नहीं था। सास किचन में काम कर रही थी। फिर मैंने घर का मेन गेट बंद करके किचन में काम कर रही सास को पीछे से बाहों में भर लिया। इससे सास एक-दम से डर गई, और पीछे मुड़ी तो मुझे देख कर राहत की सांस ली।

वो बोली: बड़ी जल्दी आ गए दामाद जी।

तो मैंने कहा: जिसकी इतनी सेक्सी सास हो, वो कहां रह पाएगा। आपने आने का कहा तो हम आपकी सेवा में हाजिर हो गए।

सास: आप हमारे दामाद है, सेवा तो हम करेंगे आपकी।

और बाते करते हुए मैं पीछे से ब्लाउज के ऊपर से सास के बूब्स मसलने लगा, और गर्दन पर किस करने लगा। तो सास के मुंह से सिसकारी निकल गयी-

सास: आह दामाद जी, धीरे।

सास बोली: कई सालों से आपकी सास प्यासी है। अब रहा नहीं जाता। मिटा दीजिये अपनी सास की प्यास।

फिर मैं और सास एक-दूसरे को किस करने लगे और मैं सास की साड़ी हटा कर ब्लाउज के हुक खोलने लगा, और बूब्स मसलने लगा। दोस्तों मेरी सास के बूब्स ना तो ज्यादा बड़े है, और ना ही ज्यादा छोटे है। मेरी सास ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनती है, इसलिए ब्लाउज के हुक खोलते ही बूब्स लटकने लगे, जिनको मैं दोनों हाथों से मसलने लगा। इससे सास गरम होने लगी, और एक हाथ से पैंट के ऊपर से मेरे खड़े लंड को मसलने लगी।

फिर मैंने सास की साड़ी और ब्लाउज निकाल कर सास को ऊपर से नंगी कर दिया। अब सास सिर्फ पेटीकोट में मेरे सामने थी। मैं खुद भी नंगा हो गया, और सास के बूब्स चूसने लगा। सास के मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी-

सास: आह दामाद जी।

सास मेरे बालों में हाथ फेरते हुए सिसकारियां निकाल रही थी, और दामाद को अपने बूब्स चुसवा रही थी। फिर मैं बूब्स चूसते हुए नीचे बढ़ने लगा। फिर सास को हर जगह चूसने लगा, जैसे नाभि, पेट गाल, गर्दन, होंठ आदि। फिर मैंने सास के पेटीकोट का नाड़ा खोल कर सास का पेटीकोट निकाल दिया। अब सास मेरे सामने सिर्फ पैंटी में थी, और पैंटी सास की चूत के पानी से पूरी गीली हो गयी थी।

फिर जांघो पर किस करते हुए सास की गीली पैंटी को चाटने लगा और फिर सास की पैंटी निकाल कर सास को पूरी नंगी कर दिया, और खुद भी पूरा नंगा हो गया। अब मैं सास की सेक्सी चूत को चाटने लगा, जिस पर छोटे-छोटे बाल थे। चूत चटवाते हुए सास सिसकारियां लेते हुए मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगी और बोली-

सास: आह आह दामाद जी, जोर-जोर से चूसो‌ अपनी सास की चूत। खा जाओ अपनी सास की चूत। अपने इस मोटे लंड से अपनी सास को चोद कर अपनी रखैल बना लो।

फिर मैंने अपना लंड सास के मुंह की ओर किया तो सास ने लपक के मेरा लंड चूसना चालू कर दिया, जैसे सालों से लंड की भूखी हो। फिर मैंने सास को सोफे पर लिटा कर दोनों टांगे चौड़ी करके एक बार में ही मेरा पूरा लंड सास की चूत में घुसा दिया। इससे सास के मुंह से चीख निकल गयी।

वो बोली: आह दामाद जी, धीरे, आपका लंड बहुत मोटा है, और मेरी चूत पिछले 10 साल से नहीं चुदी है।

फिर मैं सास के ऊपर लेट कर, सास को किस करते हुए चोदने लगा। उस समय मेरे और मेरी सास के मुंह से बस सिसकारियां ही निकल रही थी। हम दोनों चरमसुख की अवस्था में थे। मैं सास को हर पोज़ में चोदता रहा, और फिर करीब 20 मिनट के बाद हम दोनों एक साथ जड़ गए। मैंने मेरा वीर्य से सास की चूत में भर दिया, जिससे वीर्य चूत के बाहर बहने लगा। फिर मैंने देखा सास के चेहरे पर एक अलग ही खुशी दिख रही थी।

हम दोनों नंगे एक-दूसरे की बाहों में लेटे हुए थे। मैंने खुशी का कारण पूछा तो बोली: मुझे आजतक आपके ससुर ने कभी इतने अच्छे से नहीं चोदा। बस गरम करके प्यासी ही छोड़ देते थे। लेकिन आज आपने मुझे चोद कर मेरी सालों की कामवासना को शांत किया है। आज से मैं आपकी रखैल हुई। आपका जब मन करे मुझे चोद सकते है।

ये कह कर सास मुझसे लिपट गयी, और फिर हम दोनों ने 2 राउंड और चुदाई की। शाम को जब मैं जाने लगा, तो सास पीछे से आके लिपट गयी, और रोने लगी। तो फिर सास को समझा कर शांत किया। फिर सास वहीं नीचे मेरे सामने बैठ कर मेरी पेंट खोल कर मेरा लंड चूसने लगी, और मैंने भी वहीं मेन गेट के पास (गेट अंदर से बंद था, और बाहर से कोई अंदर नहीं देख सकता) सास की साड़ी ऊपर करके, खड़े-खड़े सास की एक टांग उठा कर चूत चोदने लगा।

सास बोली: इस बार अंदर मत डालना अपना ये रस। अपनी इस रखैल सास को पिलाना।

फिर जब मेरा निकलने को हुआ तो मैंने मेरा लंड सास की चूत से निकाल कर सास के मुंह में डाल दिया, और सारा पानी सास को पिला दिया। फिर ससुराल से मैं मेरे घर आ गया। उसके बाद जब भी मौका मिलता में सास को चोद लेता और अब तक मैं मेरी सास को इतनी बार चोद चुका हूं कि उतना तो मेरे ससुर ने भी मेरी सास को नहीं चोदा होगा। इस बीच मेरी सास ने मुझसे मेरे साले की बीवी और सास की बड़ी बहन को भी चुदवाया। अब तो जब मन करता है ससुराल जाता हूं, तो सास, या साले की बीवी, या दोनों को एक साथ चोद लेता हूं
 
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junglecouple1984

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चाची के साथ दिवाली की सफाई-1



हैलो दोस्तों। कैसे हो आप सब? मैं आपका दोस्त अपनी एक और सच्ची घटना सुनाने आया हूं, जो कि इस दिवाली के दौरान हुई। मेरे बारे में शायद आप लोग जानते ही होंगे। मेरा नाम वरुण है, और मैं 26 साल का हूं। हाइट 5 फुट 9 इंच बॉडी थोड़ी मस्कुलर है। कट्स भी दिखते है, क्योंकि पहले जिम जाता था। पर फिर कुछ वजह से बीच में छोड़ना पड़ा।

लंड का साइज बिल्कुल नाप कर तो नहीं देखा, पर अंदाजन 7 इंच से ज्यादा ही है। ये तो हो गई मेरी बात। तो आपका ज्यादा समय बर्बाद ना करते हुए कुछ परिचय देकर कहानी शुरू करता हूं।

तो ये कहानी है मेरे और मेरी रियल चाची के बीच हुई सेक्स की। दोस्तों, मेरी चाची का नाम रुचि (बदला हुआ नाम) है। जिनकी चुदाई में मुझे अब बहुत रुचि है। चाची की उम्र 36, हाइट 5 फिट 5 इंच के लगभग, रंग सांवला पर बॉडी कसी हुई। एक औसत महिला है। उभरे हुए बूब्स और गांड।

मेरी चाची को काम करने का बहुत शौक है। वो सारा दिन कुछ ना कुछ काम में लगी रहती है। वो घर में ज्यादातर मैक्सी( सिंगल पीस गाउन टाइप) ही पहनती है। हालांकि मेरी मम्मी भी मैक्सी में रहती हैं, क्योंकि वो ज्यादा कंफर्टेबल रहती है, बट चाची का मैक्सी पहनने का स्टाइल थोड़ा अलग है। वो कभी भी मैक्सी के अंदर ब्लाउज और पेटीकोट नहीं पहनती है। और जब नहा कर आती है तो कभी-कभी ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनती हैं।

जब भी वो किसी काम से झुकती है, या झाड़ू पोंछा करने के लिए झुकती है, तो उनकी मैक्सी गांड से चिपक जाती है, और कभी-कभी गांड की दरार में फस जाती है। कभी-कभी जब वो धूप में काम करती है, तो लाइट की वजह से उनकी मांसल जांघ साफ दिखाई देती है।

मैं जब भी उन्हें इस तरह से देखता, अपनी नजरे हटा लेता क्योंकि मैं चाची को उस नजर से कभी नहीं देखता था। चाची का रूम मेरे रूम से जुड़ा हुआ है, और कोने में एक खिड़की है जो चाची के रूम में उनके समान के पीछे छुप जाती है थोड़ा हिस्सा खुला रहता है, जिससे अगर झांक कर देखा जाए तो कुछ एंगल से रूम में देखा जा सकता है।

यही से मुझे कभी दिन में भी चाचा-चाची की चुदाई की आवाजें आती रहती है, रोज रात को तो आती ही है। दोस्तों ये तो थोड़ा परिचय हो गया। अब बढ़ते है असल कहानी की तरफ। और जो जरूरी जानकारी होगी, वो मैं बीच-बीच में देता रहूंगा।

तो हुआ यूं कि दिवाली का समय नजदीक आ रहा था। तो घर पर साफ सफाई चल रही थी। हम लोग खुद ही घर की साफ सफाई और कलर का काम कर लेते है। चाचा की जनरल स्टोर की शॉप है, और वो दिवाली के लिए दुकान का समान लेने शहर से बाहर गए हुए थे। चाची को अपने कमरों की सफाई और कलर का काम करना था, पर चाचा तो थे नहीं।

फिर मेरी मम्मी ने कहा की वरुण( मेरा नाम) मदद कर देगा। दोस्तों हमारे यहां सभी लोग ज्यादातर रात में ही सफाई और कलर का काम करते हैं, और अगले दिन सब अरेंज कर लेते है। तो चाची के यह भी सफाई का काम शाम 7-8 बजे के आस-पास शुरू हुआ।

दोस्तों सारा काम आराम से चलता रहा। चाची की 2 साल की बेटी मेरी मम्मी के साथ सोई थी आज, क्योंकि सब फैला हुआ था। बस मैं और चाची काम में लगे हुए थे। काम करते-करते 11:30 बज गए थे, और काम बस खतम ही होने वाला था। फिर चाची ने कहा-

चाची: वरुण, सारा काम हो गया है, तुम चाहो तो अब जाकर नहा लो, और आराम करो। मैं भी 10-15 मिनट में बचा हुआ काम करके नहा कर सो जाऊंगी।

मैं: ठीक है चाची, मैं जाता हूं फिर।

और फिर मैं अपनी मम्मी के रूम में जाने लगा कि वहा बाथरूम में नहा कर आपने रूम में आकर सो जाऊंगा।

दोस्तों आपको बता दूं, मेरा तीन फ्लोर का घर है। ऊपर के फ्लोर में मम्मी-पापा और बहन रहती है। नीचे मैं रहता हूं। मेरे रूम से लगे हुए चाची के दो फ्लोर पर रूम है। मेरे रूम में बाथरूम नहीं है । चाची के रूम के बाहर ही एक बाथरूम बना हुआ है, जो कि कॉमन बाथरूम है। सभी लोग उसे यूज करते है।

तो मैं जब मम्मी के रूम में गया तो देखा रूम अंदर से बंद था और अंदर से धीरे-धीरे बातों की आवाज़ आ रही थी। पर साफ कुछ सुनाई भी दिया, क्योंकि मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मैं दरवाजा नोक करने ही वाला था की तभी सीईईई सिसकारी सुनाई दी, और मेरे हाथ वही दरवाजे को टच करने से पहले ही रुक गए।

कुछ सेकेंड को तो समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या था, कि तभी आह आह आह हो की आवाज़ें आई जो पहले से थोड़ी तेज थी और साफ सुनी जा सकती थी। उस ठंड के मौसम में क्योंकि इस टाइम फैन ऑफ रहते है, तो आवाज़ ज्यादा साफ सुनी जा सकती है।

ये आवाज़ सुन कर मेरे कान खड़े हो गए और दिमाग ने कहा: कहीं ये वही तो नहीं जो मेरा दिमाग बोल रहा था?

कि तभी कमरे के अंदर से आती आवाज़ ने मेरे शक को यकीन की मोहर लगा दी।

“उफफ, थोड़ा धीरे करो ना, उम्म्ह सिई।”

कमरे के अंदर थोड़ी रोशनी थी और सिसकारियों की आवाज आ रही थी। पहले मैंने सोचा कि नीचे जाता हूं। फिर दिमाग ने कहा कि रुक जा, एक बार देख ले अंदर चल क्या रहा है। बचपन में हम सब एक साथ एक ही रूम सोते थे, और काफी बड़े होने के बाद भी हम सब साथ सोते थे।

कई बार रात में नींद खुलने पर मैंने ऐसी आवाज़ें सुनी थी, पर कभी आंखे खोल कर देखने की हम्मत नहीं हुई कि देखूं आखिर हो क्या रहा है। किस चीज की आवाज है। पर बड़े होने पर कुछ-कुछ समझ आने लगा था, और फिर हम सब अलग सोने लगे, और कभी दोबारा ये नौबत नहीं आई की ऐसा कुछ सुना हो।

इस बार मैंने सोचा कि अभी ही मौका है। आखिर पता तो चले कि हो क्या रहा है। मैंने साइड में बनी खिड़की से अंदर देखने का निश्चय किया क्योंकि एक वही जगह थी जहां से पूरा कमरा साफ देखा जा सकता था।

उस खिड़की पर बाहर से कूलर रखा हुआ था, जिस वजह से वो खिड़की बंद नहीं हो सकती थी। मैंने तुरंत अंदर देखा तो पाया की पापा और मम्मी दोनों एक दम नंगे थे। पापा सोफे पर पैर लटका कर बैठे हुए थे, और मम्मी उनकी गोद में दोनों तरफ पैर डाल कर बैठी थी। चहरा पापा की तरफ था, और उनके दोनों घुटने मुड़े हुए थे, और सोफे पर रखे थे।

बाल खुले हुए और दोनों हाथ पीछे पापा की जांघो पर थे। बाल खुले हुए, पैरो में पायल, हाथों में चूड़ियां और गले में मंगलसूत्र। अपना सर पीछे की तरफ झुकाए हुए, आंखे बंद करके मम्मी ऊपर-नीचे उछल रही थी।

पापा का लंड मम्मी की चूत को भरे हुए था, और दोनों हाथों से मम्मी के बूब्स को मसल रहे थे। पापा मम्मी के बूब्स को आटे की तरह गूंथ रहे थे। मम्मी की सिसकारियां और चीखें निकल रही थी, और वो बस जोर श-जोर से पापा के लंड पर उछल रही थी। करीब 10 मिनट इसी पॉजिशन रहने के बाद पापा ने मम्मी की गांड को पकड़ा, और खड़े हो गए मम्मी को अपनी गोद में लेकर।

मम्मी ने अपने दोनों पैर पापा की कमर के चारों तरफ लपेट लिए, और लंड अभी भी अपनी चूत में ही रखा। मम्मी पापा की गोद में कमर हिला-हिला कर चुद रही थी और पापा भी लगातार अपना लंड मम्मी की चूत में पेले जा रहे थे।

आह आह हो आह ओह उफ मम्मी आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही थी, पर फिर भी ज्यादा कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। पापा ने जल्दी से मम्मी को सोफे पर लिटाया और उनके ऊपर चढ़ कर एक ही झटके में पूरा लंड चूत में उतार कर 8-10 बहुत तेज धक्के दिए, और पार मम्मी की चूत से उनका अमृत रस बह निकला, और पापा भी उनके ऊपर ढेर हो गए। आज लाइफ में पहली बार किसी की लाइव चुदाई देखी थी, और वो भी अपने मम्मी पापा की।

हां इससे पहले मैंने अपनी फ्रेंड की चुदाई की थी, पर चुदाई देखने का ये मेरा पहला मोका था।

चुदाई खत्म होने के बाद वो दोनों वैसे ही सोफे पर ही नंगे ही सो गए और मैं वापस नीचे आकर कॉमन बाथरूम में चला गया नहाने।

मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और एक दम नंगा होकर नहाने लगा। इतनी मस्त चुदाई देख कर नहाते टाइम लंड रगड़ रहा था, तो लंड भी खड़ा था। जब मैंने नहा लिया तब याद आया की जल्दी-जल्दी में टॉवल और कपड़े रूम पर ही छोड़ दिए थे। मैंने सोचा इतनी रात को कौन जाग रहा होगा। जल्दी से बाहर निकलूंगा, रूम में जाकर वही चेंज कर लूंगा।

मैं जैसे ही बाहर निकला, चाची भी वही बाहर खड़ी थी। वो भी नहाने के लिए बाथरूम में जा रही थी।

 
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junglecouple1984

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चाची के साथ दिवाली की सफाई-2



मैं बाहर एक दम नंगा खड़ा था, और भीगे होने और हल्की हवा की वजह से लंड भी खड़ा था। चाची की नज़र एक पल को मुझसे मिली और फिर लंड पर अटक गई। वो आंखे फाड़ कर मेरे लंड को देख रही थी। ये सब कुछ ही मिनट के लिए था।

मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैं वापस बाथरूम में घुस गया। अब मैं अंदर नंगा भीगा खड़ा था। मुझे ठंड भी लगने लगी थी, और मन में ये भी सोच रहा था पता नहीं चाची मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी। कि तभी चाची ने बाथरूम का दरवाजा धीरे से खटखटाया और बोली-

चाची: तुम यहां क्या कर रहे थे? तुम तो चले गए थे ना नहाने?

मैं: हां चाची, मैं चला गया था। पर मम्मी ने दरवाजा बंद कर लिया था, तो मैंने उन्हें जगाया नहीं और सोचा यहीं नहा धोकर अपने रूम में सो जाऊंगा।

चाची: अच्छा, चलो वो सब तो ठीक है, अभी आओ बाहर।

मैं: नहीं आ सकता।

चाची (हैरानी से): क्यों?

मैं (शरमाते हुए): मैंने कपड़े नहीं पहने हुए है, टॉवल और कपड़े मेरे रूम पर है। आप थोड़ी देर के लिए अपने रूम में जाइए तो में दौड़ कर अपने रूम में चला जाऊंगा।

चाची: अरे नहीं। मैं अंदर तक नहीं जा सकती। मुझे बहुत ज़ोर से टॉयलेट जाना है। तुम दरवाजा खोलो।

मैं: अरे चाची पर मैंने कपड़े नहीं पहने है। कैसे खोल दूं दरवाजा?

चाची: एक काम करती हूं। मैं दूसरे तरफ मुंह करके खड़ी होती हूं। तुम दरवाजा खोल कर बाहर निकलो और जल्दी से रूम में चले जाओ और में बाथरूम में चली जाऊंगी।

मैं: ये ठीक रहेगा चाची।

फिर चाची दरवाजे के दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हुई, मैंने दरवाजा खोला और बाहर आया। चाची बाथरूम में गई और मैंने सोचा भाग कर चला जाऊं अपने रूम में। जैसे ही मैंने दौड़ा तो भीगे होने की वजह से पैर फिसला और मैं गिर गया।

दर्द तो बहुत तेज हुआ पर मैंने जोर से आवाज नहीं की। क्योंकि रात ज्यादा हो रही थी, और लगभग 12:30 बज रहे थे। सब सो रहे थे, तो चिल्लाने से सब घबरा जाते। पर गिरने की आवाज इतनी थी, कि बाथरूम में चाची को सुनाई पड़ गई।

5 मिनट मैं जमीन पर नंगा पड़ा रहा,और उठने की कोशिश कर रहा था। क्योंकि पैर मुड़ गया था तो दर्द हो रहा था। धीरे-धीरे जब तक उठ कर रूम तक पहुंचा, तब तक चाची बाथरूम से मेरे पीछे मेरे रूम तक आ गई। मुझे लंगड़ाता हुआ देख कर मुझे समभालते हुए बोली-

चाची: मुझे कुछ गिरने की आवाज आई थी। मैं नहा रही थी इसलिए बाहर नहीं आ पाई।

मैं: हां वो थोड़ा पैर फिसल गया था तो गिर गया।

चाची ने मेरा हाथ पकड़ रखा था। वो उस वक्त नहा कर आई थी और सिर्फ मैक्सी पहने हुए थीं जो कि उनके हल्के गीले बदन से चिपक रही थी खास कर उनके बूब्स और गांड पर। इससे उनके उभार देख कर साफ पता चल रहा था कि उन्होंने अंदर ब्रा पेंटी नहीं पहना हुआ था।

अब तक मेरा दर्द लगभग खत्म हो चुका था। पर चाची को ऐसे देख कर मुझे थोड़ी देर पहले हुई मम्मी पापा की चुदाई याद आ गई और ना जाने क्यों मैंने दर्द होने का नाटक जारी रखा।

चाची ने मुझे बेड पर बैठाया। मैंने चादर उठा कर अपने पैरों से लेकर कमर तक डाल ली। चाची के छूने से शरीर में अजीब से तरंग दौड़ रही थी, जिसका सीधा असर लंड पर पड़ रहा था। बम्बू ने चादर में तम्बू बनाना शुरू कर दिया था और चाची की नज़र लंड पर जा रही थी। फिर मैंने चाची से कहा-

मैं: चाची रात काफी हो रही है आप थक भी गई हो। आप जाइए जाकर सो जाइए। सुबह फिर आपको काम करना ही है।

चाची: नहीं, तुम्हारे पैर में चोट आई है, इसे छोड़ कर नहीं जाऊंगी।

मैं: अरे चाची, मेरे पास क्रीम रखी है दर्द के लिए, मैं लगा कर सो जाऊंगा।

चाची: तो बताओ कहा रखी है, मैं लगा देती हूं।

मैं: आप मत परेशान हो मैं लगा लूंगा।

चाची (डांटते हुए): समझ में नहीं आता, कि क्या बोल रही हूं। मैं लगा देती हूं तो चुप चाप लगाने दो।

फिर मैं कुछ नहीं बोला और उन्हें क्रीम बता दी तो वो ले आई।

उन्होंने मुझे बेड पर लेट जाने को कहा, तो मैं वैसे ही चादर अपने जांघ से लेकर सीने तक डाल कर लेट गया। चाची ने पूछा-

चाची: कहां दर्द हो रहा है?

मैं: एड़ी से घुटने तक।

फिर चाची ने क्रीम उंगलियों पर लेकर पैर में मालिश करने लगी।

उनका हाथ लगते ही सनसनी सी फैल गई पूरे शरीर में। लंड जो पहले ही खड़ा होना शुरू हो चुका था अब तो चादर में पूरा टेंट बना चुका था। चाची के हाथों के स्पर्श से मुझे बहुत सुकून मिल रह था। मैं आंख बंद करके लेटा हुआ था।

अब चाची ने पैर के पंजे को हाथ में उठा कर मालिश करना शुरू किया। हम कुछ इस तरह से थे कि मैं बेड पर सीधा लेटा हुआ था, और चाची मेरे पैर के पास सामने बैठी हुई थी, और मेरे पैर को अपनी गोद में रख कर बैठी थी और क्रीम से मालिश कर रही थी।

वो पैर की उंगलियों में अपनी उंगलियों को फसा कर खींचती, कभी पंजे को दबाती। फिर एंकल पर पकड़ कर मालिश करती। उनके मुलायम हाथ बहुत ही सुखद अहसास दे रहे थे। एक तो वैसे ही ठंड का मौसम था। बाहर ठंड बढ़ती जा रही थी और चाची के स्पर्श पा कर मेरे अंदर गर्मी बढ़ती जा रही थी।

चाची धीरे-धीरे मालिश करते घुटनों तक आ गई। वो मुझसे बातें कर रहती थी, पर उनका ध्यान मेरे तंबू पर जा रहा था।

चाची: बताते जाना कहां पर ज्यादा आराम मिल रहा मालिश से।

मैं: चाची बहुत अच्छा लग रहा है। आज बहुत थक भी गया हूं बार-बार सामान ऊपर नीचे करने से।

चाची (डबल मीनिंग बात करते हुए): हां समान ज्यादा ऊपर नीचे करने से थकान तो आ ही जाती है।

मैं (उनकी इस बात पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए): हमम।

बस इतना ही जवाब दिया।

इसी तरह से हमारी बातें चल रही थी। फिर वो कॉलेज के बारे में पूछने लगी और यहा-वहां की बात चल रही थी। वो अच्छे से मालिश कर रही थी। मुझे रिलेक्स फील हो रहा था तो मैं आंख बंद कर के शांत लेट गया।

थोड़ी देर में जब चाची ने देखा कि मैं तो आंख बंद किए हूं तो उन्होंने मुझे आवाज दी। पर मैंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। फिर उन्होंने मेरे पैर को हिलाया जिससे मेरी कमर भी हिल गई और लंड भी लहरा गया चादर के अंदर।

चाची वैसे ही रुक गई। उनका हाथ मेरी जांघ पर था चादर के अंदर से। कमरे में बिल्कुल सन्नाटा छा गया कुछ देर के लिए। मुझसे चाची की सांसों की आवाज आने लगी जोर से, तब मैंने धीरे से अपनी थोड़ी सी आंखे खोल कर देखा।

दोस्तों, चाची एक टक मेरे लंड को देख रही थी और उनकी सांसे बहुत तेज चल रही थी। तभी मेरे दिमाग में मस्ती सूझी। मैंने नाटक करते हुए फिर से अपनी कमर हिला दी जिससे मेरा लंड फिर से लहरा गया। चाची अभी भी उसे घूरे जा रही थी।

चाची को इस तरह अपने लंड को देखते हुए मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और लंड में तनाव बढ़ने लगा। लंड झटके देने लगा और प्री कम से चादर पर दाग बनने लगा।

मैं चाची के चहरे की तरफ देख रह था। वो कामुक हो रही थी, और उनकी आंखों में वासना साफ झलक रही थी। चाची धीरे से अपना चेहरा चादर के ऊपर से लंड के पास लाई और प्री कम से गीले हो रहे हिस्से को सूंघने लगी।

दोस्तों, उनकी नाक बिल्कुल लंड को छूने के करीब थी। तभी मैंने हल्का सा झटका दिया तो लंड उनकी नाक और लिप्स बीच टच हो गया और एक-दम चाची के मुंह से आह निकल गई, और उनका जो हाथ मेरी जांघ पर रखा हुआ था, उससे मेरी जांघ को भींच लिया। पर मैं वैसे ही लेटा रहा। चाची की धड़कने इतनी तेज़ चल रही थी, कि मैं उनकी आवाज साफ सुन पा रहा था। चाची जोर-जोर से सांस ले रही थी।

चाची ने जैसे ही मुझे देखने के लिए सिर ऊपर किया मैंने तुरंत आंखे बंद कर ली और इसे नाटक करने लगा जैसे बहुत गहरी नींद मैं हूं। चाची ने हांथ बढ़ा कर लंड के पास लेकर आई। मैंने मन में सोचा कि आज तो दिवाली मन गई लगता है, पर अचानक से चाची रुक गई। शायद उनके मन में खयाल आया हो कि ये वो क्या कर रही थी। फिर वो उठ कर जाने लगी।

मुझे लगा की सब उम्मीद पर पानी फेर कर चाची जा रही थी। मैं उदास हो गया। पर तभी चाची फिर रुक गई और वापस आकर मेरी कमर के पास बैठ गई। उन्होंने मुझे फिर से आवाज लगाई पर मैं कुछ नहीं बोला। मैं देखना चाहता था कि चाची आखिर चाहती क्या थी।

तभी मेरे पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। दोस्तों क्या बताऊं वो एहसास कैसा था। चादर के अंदर मेरा लंड अपने पूरे शबाब पर था। मुझे चादर के ऊपर से अपने लैंड पर कुछ गीला मुलायम सा फील हुआ।

मैंने थोड़ी आंखे खोल कर देखा तो चाची ने अपनी जीभ मेरे लंड पर लगाई हुई थी और चादर के ऊपर से उसे हल्के से चाट रही थीं।

चाची ने अपना मुंह खोल कर लंड को ऐसे मुंह में ले लिया था जिससे लंड तो उनके मुंह में था पर मैं उनसे टच नहीं हो रहा था।

अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था,‌तो मैंने एक-दम से आँखें खोली, और चाची से कहा-

मैं: ये आप क्या कर रही हैं?

वो हड़बड़ा कर उठ गई और वापस जाने लगी। तो मैंने एक-दम से उनका हाथ पकड़ लिया, और चाची को अपने पास खींच लिया।

चाची मेरे ऊपर आ गई।

मैंने कहा: ये आप क्या कर रही थी?

चाची: मैं, कुछ भी तो नहीं कर रही थी। तुम्हारे पैर में मोच है तो उसे मालिश कर रही थी।

मैं: मोच पैर में है और आप कहीं और मालिश कर रही थी।

चाची: नहीं तो ऐसा कुछ भी नहीं है।

मैं: तो फिर आप भाग क्यो रही थी?

अब चाची एक दम शांत हो गई थी। पर उनकी सांसे बहुत तेज चल रही थी।

मैं एक हाथ से उनके हांथ पर रखा और कहा-

 
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चाची के साथ दिवाली की सफाई-3




मैं: चाची, मैं बहुत देर से आपको देख रहा हूं, कि आप क्या कर रही है।

चाची: सॉरी, मुझसे कंट्रोल नहीं हो पाया।

मैं (शरारती स्माइल देते हुए): सॉरी किस बात के लिए? जब कुछ किया ही नहीं।

चाची (अचंभे से मेरी तरफ देखते हुए): क्या मतलब?

मैं: मतलब ये कि आप जो करना चाहते थे, वो तो कर ही नहीं पाई।

चाची शरमा गई।

मैं: चाचा की याद आ रही है क्या चाची?

चाची ( नाटकीय गुस्सा करते हुए): हट बदमाश!

मैं: अरे चाची जान। अब शर्माइये मत। इतनी भोली आप भी नहीं जितनी बन रही हैं और उतना छोटा मैं नहीं, जितना आप समझ रही है।

एक बार खिदमत का मौका दीजिए।

ऐसे बोल कर मैंने चाची का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया, और चादर के ऊपर से ही लंड को उनके हांथ में पकड़ा दिया।

अब चाची लंड को पकड़ कर उसे हल्के-हल्के सहलाने लगी। और मैं वैसे ही लेटा रहा। फिर उसने मेरी जांघ पर अपना हाथ रखा।

चाची ने चादर के ऊपर से ही लंड रगड़ने की स्पीड बढ़ा दी। चाची बोल कुछ नहीं रही थी, बस लंड हिलाए जा रही थी। अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने चाची का हाथ एक-दम से लंड पर से हटाया, और तुरंत चादर हटा दी, और एक ही झटके में चाची को खींच कर उनके मुंह को अपने लंड पर रखा, और हल्का सा दबाव डाला। इससे लंड चाची के मुंह में चला गया।

अचानक हुई इस हरकत से चाची घबरा गई। उन्हें समझ ही नहीं आया ये क्या हुआ था। वो छटपटाने लगी और लंड मुंह से निकालने की कोशिश करने लगी। मैंने चाची का सार पकड़ कर लंड पर दबाए रखा और चाची से कहा।

मैं: चाची घबरा क्यों रही हो? लंड को प्यार से चूसिए।

चाची ( मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी): मेरे तरफ देखते हुए सिर हिला कर मना कर रही थी।

मैं: अरे चाची जान। कौन सा आप पहली बार मुंह में ले रही हो लंड।

ज्यादा सीधी मत बनो। मुझे सब पता है आप कैसे मजे से लंड चूसती हो चाचा का।

मेरी ये बात सुन‌ कर अब चाची शांत हो गई। वो मुझे आश्चर्य से देख रही थी, पर अब भी चूस नहीं रही थी। तो मैं फिर से उनका सर पकड़ कर उसे अपने लंड पर ऊपर-नीचे करने लगा, और फिर चाची ने उसे अपने मुंह में लेना शुरू कर दिया। अब चाची भी मूड में आ रही थी।

एक हाथ से उन्होंने लंड को पकड़ कर ऊपर-नीचे करना शुरू किया, और लंड के टोपे को होठों मे फसा कर चूसने लगी, और अंदर तक ले रहीं थी।

दोस्तों, मैं वो फीलिंग कैसे भी व्यक्त नहीं कर सकता, जो उस वक्त मैं फील कर रहा था। मैं जैसे जमीन पर ही नहीं था उस वक्त। मेरी आंखे एक-दम बंद थी। चाची लंड की खाल को नीचे खींच कर सुपारे को होठ के बीच टाइट करके अंदर लेती और एक-दम से सांस अंदर खींच लेती। जिससे लंड और मुंह के बीच वैक्यूम (निर्वात) जैसा बन जाता और लंड का सुपारा एक दम ठंडा सा पड जाता।

दोस्तों, उस वक्त तो जैसे मेरी सांस ही रुक जाती थी कुछ पल के लिए। और जैसे चाची सांस वापस छोड़ती, मेरे मुंह से आह… निकल जाती।

दोस्तों, मेरे जितने लड़के दोस्त ये कहानी पढ रहे है, अगर उनके पार्टर ने कभी उनके साथ ऐसा किया है, तो वो जरूर समझ सकते है। वो अपना एक्सपीरियंस मुझे मेल में जरूर बताएं, और जिन्होंने ये कभी ट्राई नहीं किया, वो अपने पार्टनर से कहे ऐसा करने को।

और जो लड़कियां या लेडी पढ़ रही है, वो भी ट्राई करें, और अगर ट्राई किया है तो अपना एक्सपीरियंस मेल करके बताए।

तो चाची मेरा लंड गजब तरीके से चूसे जा रही थी। मेरी बर्दाश्त करने की क्षमता खत्म होते महसूस हो रही थी। मुझे लगा कि अगर एक बार और चाची ने यही हरकत की लंड के साथ, तो पानी छूट जायेगा।

मैंने तुरंत ही चाची के मुंह से लंड हटा कर उन्हें अपने ऊपर खींच लिया, और उसके होंठो को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। चाची पूरी‌ मेरे ऊपर लेटी हुई थी। मैं तो पूरा नंगा ही था, और चाची के नंगे बदन पर बस एक पतली से मैक्सी थी। मैंने चाची की गांड पर अपने दोनों हाथ रखे और किस करते हुए गांड जोर से मसलने लगा।

उनकी गांड इतनी मुलायम थी, कि बस उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था। अपने दोनों हाथों के अंगूठों को गांड की दरार में रख कर और बाकी उंगलियों को गांड पर फैला कर गांड को खींच रहा था जैसे फाड़ दूं गांड को। चाची को दर्द हुआ तो एक-दम चिहुंक उठी, और गांड हिलाने लगी।

मैंने गांड को खींचना बंद कर दिया और उंगली से मैक्सी गांड की दरार में घुसा दी। चाची की चूत मैक्सी के ऊपर से लंड से रगड़ खा रही थी। मैंने हाथ नीच ले जाकर मैक्सी को ऊपर उठाना शुरू किया, और कमर तक ले आया। मैं

चाची के होंठो को मुंह से निकाल कर चाची को प्यार से देखने लगा।

चाची भी वासना भरी नजरों से मुझे देख रही थी। फिर चाची उठ कर बैठी और खुद ही अपनी मैक्सी निकाल कर फेंक दी।

अब चाची एक दम नंगी थी। उनकी चूत एक-दम छोटी सी उठी हुई थी, और चूत के ऊपर हल्के से बाल थे। उनके 36″ के बूब्स और 36″ की गांड बिल्कुल शेप में थी, जिसे देख कर लौंडा फनफनाने लगा।

मैंने तुरंत चाची को नीचे लिटाया, और उनके ऊपर उल्टा लेट गया। मेरा मुंह उनकी चूत पर और उनके मुंह में मेरा लंड था। जोर-जोर से दबा कर हम एक-दूसरे को चूस रहे थे। मैं चाची का मुंह जोर-जोर से चोदने लगा जिससे पलंग हिलने लगा। फिर मैं रुक गया और चाची के मुंह से लंड निकाल लिया।

चाची: क्या हुआ? रुक क्यों गए? कितना मजा आ रहा था।

मैं: चाची, पलंग तो अभी से शोर करने लगा। इस ही हुआ तो सबको पता चल जायेगा की चाची-भतीजे की घमासान चुदाई चल रही है।

चाची‌ (शरमाते हुए): बेशर्म, अच्छा तो फिर किया क्या जाए? तुम्हीं सोचो कुछ।

तब मैंने उन्हे बिस्तर से नीचे खड़ा किया और गद्दे को नीचे जमीन पर डाल दिया।

चाची: वाह! ये बड़ा तेज दिमाग लगाया। अब चाहे जितना उछाल कूद हो, ये आवाज नहीं करने वाला, और ना ही टूटेगा।

मैं: चाची आप बेड पर लेटिए, लेकिन अपना सिर बाहर की तरफ और पैर अंदर बेड पर रखिए।

चाची (सोचते हुए): क्या? मुझे कुछ भी समझ नहीं आया, क्या करने बोल रहे हो।

मैंने चाची को पकड़ कर बेड पर ऐसे लिटाया कि उनका सर बेड के किनारे पर था और बाकी बॉडी पीछे बेड पर।

चाची: वरुण ये क्या कर रहे हो? बिस्तर नीचे लगाया है। मुझे बेड पर ऐसे लिटा रहे हो। दिमाग काम नहीं कर रहा क्या तुम्हारा?

मैं: अरे चाची जान, आप देखते तो जाइए। आज ऐसे प्यार करूंगा, जैसे आज तक किसी ने नहीं किया होगा आपके साथ।

चाची: ओय सुन। तुम्हारे चाचा के अलावा आज तक किसी के साथ मैंने कुछ नहीं किया समझे।

मैं: हां तो आज तो कर रही हो ना।

चाची: हां, चलो अब देर मत करो, और जल्दी मेरी चुदाई करो। अब रहा नहीं जा रहा मुझसे।

मैं: अरे मेरी चाची जान, अभी तो शुरू भी नहीं हुआ कुछ, और आपसे अभी ही बर्दाश्त नहीं हो रहा।

मैं चाची के मुंह में अपना लंड डाल कर ऊपर उल्टा लेट गया, और उनकी चूत को अपने मुंह में ले लिया।

मैं: चाची, अपने पैरों को मेरे गले में डाल कर टाइट पकड़ लीजिए और आपने हाथों से मेरी कमर को टाइट पकड़ लीजिए।

चाची (डरते हुए): तुम आखिर करना क्या चाहर रहे हो? मुझे समझ नहीं आ रहा।

मैं: डरो मत, मैं जैसा कहता हूं वैसा करिए।

फिर चाची ने मुझे वैसे ही पकड़ा जैसे मैंने समझाया था। उनके पकड़ते ही मैंने बेड से थोड़ा पीछे होकर चाची के नीचे हाथ डाल कर उनको पकड़ लिया, और खड़ा हो गया। चाची घबरा गई और मुंह से लंड निकाला और बोली-

चाची: पागल हो गए हो क्या? ये क्या कर रहे हो? नीचे उतारो, मैं गिर जाऊंगी।

मैं: कुछ नहीं होगा। आप पैर फसा लो और मेरी कमर पकड़े रहिए। और लंड मुंह में लो।

चाची ने जैसे ही लंड मुंह में लिया मैंने उनकी चूत पर मुंह लगाया और जोर से धक्के देकर चाची का मुंह चोदने लगा।

मैं अपने दोनों हाथ को चाची की कमर में फसा कर उनकी गांड को दबाए हुए था, और चूत में जीभ डाल कर चूत को जीभ से चोद रहा था।

तभी चाची का बदन अकड़ने लगा और चाची झड़ गई। उनका कामरस ज्वालामुख़ी के लावे के जैसे फूट पड़ा। कामरस इतना ज्यादा था कि मेरे मुंह से होते हुए चाची की कमर से नीचे आता हुआ पेट और बूब्स तक पहुंचे लगा। चाची अब और देर तक इस पोजीशन में नहीं रह सकती थी।

5 मिनट तक इन पोजिशन में एक-दूसरे के लंड चूत को चूसने के बाद मैंने चाची को नीचे बिस्तर पर लिटा दिया। चाची की सांसे तेज तेज चल रही थी।

चाची: वरुण, कसम खा कर कह रही हूं,

इतने सालों में आज पहली बार मेरा इतना पानी निकला है वो भी बिना लंड लिए। तुम्हारे चाचा चोदते तो बहुत अच्छा है। उनका लंड भी अच्छा है। वो देर तक भी चोदते है।

लेकिन वो फिर भी मेरा पानी कम ही बार निकल पाते है। यूं कह लो 10 बार में 1 बार। वो अपना पानी निकलने का बाद निढाल हो कर सो जाते हैं। उन्होंने कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि मैं संतुष्ट हुई या नहीं।

मैं: कोई बात नहीं चाची, अब आप बिल्कुल चिंता मत करिए। आप आपको रोज ही ये संतुष्ट मिलती रहेगी।

चाची: वरुण, अब देर मत करो। अपना मूसल डालो अब मेरी ओखल में और कुटाई शुरू करो बेटा।

मैं: चाची, हम अब हम दोनों का एक नया रिश्ता बन रहा है, चुदाई का। लेकिन मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं। अगर आप बुरा ना माने और मुझे गलत ना समझे तो।

चाची: अरे बेटा, कोई ऐसी बात नहीं अब जिसका मुझे बुरा लगे। तुम मुझसे इतनी बड़ी खुशी दे रहे हो। बेझिझक बोलो।



 
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चाची के साथ दिवाली की सफाई-4




मैं: चाची आप मेरी मां जैसी हो। और आप भी मुझे बेटा मानती हो, है ना?

चाची: हां बेटा। तुम मेरे प्यारे बेटे हो।

मैं: चाची, मैं चाहता हूं कि आज हमारा नया रिश्ता मां बेटे के नाम से ही बने।

चाची: मतलब? मैं समझी नहीं।

मैं: मतलब ये, कि अभी और जब भी हम चुदाई करेंगे, मैं आपको मां कह कर बुलाऊंगा, और आप मुझे बेटा। ना मैं आपको चाची बोलूंगा और ना आप मेरा नाम लेंगी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मैं सच में अपनी मां के साथ ये करना चाहता हूं। मैं सिर्फ इमेजिन करना चाहता हूं, कि जो लोग ऐसा काम करते है( अपनी मां को चोदने का) उन्हें कैसा फील होता होगा।

चाची: अच्छा ठीक है मेरे बेटे। तुम मुझे इतनी खुशी इतना सुख दे रहे हो, तो तुम्हारे लिए मेरी चूत, मेरी गांड, मेरी जान अब हाजिर है।

अब देर मत करो अब चोद दो बेटा। मैं तुम्हारा लंड पकड़ती हूं।

मैंने चाची के होठ को जोर से चूमा और चाची ने लंड पकड़ कर अपनी चूत में रगड़ना शुरू कर दिया।

मैं: चाची रुकिए।

चाची: अब क्या हुआ? अब क्यों रोक रहे हो?

मैं: चाची कंडोम?

चाची: क्या करना है कंडोम का? मैं तुम्हारे औजार को अपने अंदर रगड़ते हुए महसूस करना चाहती हूं।

मैं: अरे चाची वो तो ठीक है, पर अगर अंदर गिर गया माल तो गड़बड़ हो जायेगी।

चाची: कुछ गड़बड़ नहीं होगी। तुम्हारे चाचा और मैं दूसरा बच्चा प्लैन ही कर रहे है। अब मैं चाहती हूं कि वो बच्चा तुम्हारा ही हो। इसलिए बेफिक्र हो कर रगड़ के चोदो मुझे।

बस फिर क्या था अब असली काम शुरू।

( अब मैं चाची को मां लिखूंगा)

मां अपने पैरो को फैला कर लंड को चूत में घुसाने लगी पर उनकी चूत टाइट थी। अंदर नहीं घुस रहा था लंड। मैंने एक धक्का मारा तो आधा लंड मां की चूत में घुसा और वो जोर से चीखी। लेकिन उनकी आवाज बाहर ना जा सकी क्योंकि मैं उनके होंठ चूस रहा था।

मां कसमसाने लगी। उनकी आंखों से आंसू आने लगे। मैं 1 मिनट के लिए रुका और किस करना रोक दिया।

मां: बेटा, रुक क्यों गए?

मैं: मां, मेरे मन में अचानक से एक बात आई है।

मां: क्या बेटा, कोई नया तरीका आया है क्या दिमाग में?

मैं: नहीं मां, मुझे ये लगा रहा कि हम जो कर रहे है, गलत तो नहीं कर रहे?

मां: बेटा, वैसे देखा जाए तो हमारा जो रिश्ता है उस नजरिये से तो ये गलत है, लेकिन हमारा एक और रिश्ता भी है। मर्द और औरत का, लंड और चूत का। इसमें ही संसार का सबसे बड़ा सुख है। इसके आगे पूरे संसार की सारी खुशियां सारे आनंद फीके है। देवता भी इस सुख के लिए धरती पर आ कर कैसे-कैसे कर्म करते है। परस्त्री से संबंध हमारे इतिहास में कही ना कही आदिकाल से ही है। इसलिए तुम किसी भी प्रकार की मलाल अपने मन में ना लाओ और आनंद लो।

मां की ये बात सुन कर मैंने नि:संकोच हो कर एक और जोरदार धक्का मारा और पूरा लंड मां की चूत में डाल दिया।

मां की सांस अटक गई कुछ सेकेंड के लिए। फिर वो खुद को संभाली और मैंने धक्के देना शुरू कर दिया।

मां: आह… गया। ओह बेटे ओह… बेटा करो जैसे चाहो करो।

चोदो अपनी मां को, और तेज धक्के लगाओ।

मैं धक्का-पेल मां को चोदे जा रहा था। मैं बिस्तर पर हाथ रख कर थोड़ा ऊपर की तरफ होकर मां की चूत को देख रहा था। जब लंड चूत में जा रहा था तो चूत का मुंह बार-बार खुल और बंद हो रहा था। चूत इतनी टाइट थी कि लंड के ऊपर आने के साथ चूत भी उठ जाती ऊपर।

मैं लम्बे-लम्बे धक्के दे रहा था। हर धक्के के साथ लंड मां की बच्चेदानी से टकरा रहा था। मां ने मेरी पीठ पर हाथ रख कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरा मुंह अपने बूब्स पर रख दिया।

मैंने एक बूब को मुंह में लेकर खा रहा था और दूसरे को मसल रहा था। मां सिसकारियां ले रही थी।

मां: आह बेटे, खा जा इन्हे, मसल दे। निचोड़ दे सारा दूध इनका। और अपने लंड से चूत को मथ कर इसका मट्ठा निकल दे। खूब चोद बेटा आह.. आह.. मार डाल आह…..।

मैंने मां के बगल से अपने दोनों हाथ पीछे ले जा कर मां को पकड़ा और उन्हें वैसे ही पलट कर अपने ऊपर कर लिया। मां ने लंड को चूत में लेना शुरू किया और उछल-उछल कर चुदवा रही थी। वो उस समय एक प्रोफेशनल पोर्नस्टार की तरह लग रही थी।

उन्होंने अपने दोनों हाथों से अपने बाल पकड़ कर बांध लिए। पूरा वजन लंड पर रख कर दोनों घुटने फोल्ड करके बिस्तर पर रख लिए थे, और बिना किसी सहारे के अपनी कमर हिला-हिला कर मेरा लंड चोद रही थी।

चाची कोनिया पॉजिशन में देख कर मुझे मां दिखाई देने लगी जो थोड़ी देर पहले ऐसे ही पापा से चुदवा रही थी। क्या बताऊं दोस्तों। क्या गजब का मोमेंट था वो। मां इतनी सेक्सी लग रही थी कि लग रहा था बस जिंदगी भर उन्हें ऐसे ही रखूं और ऐसे ही देखता रहूं।

मां के हिलने के साथ उनके बूब्स ही ऊपर नीचे होकर आमंत्रण दे रहे रहे थे कि आओ-आओ मेरा मर्दन करो। मसल डालो मुझे। उनके इस आमंत्रण को भला कोई मर्द कैसे नकार सकता था। मैंने अपने दोनों हाथों से उनके दोनों बूब्स को जकड़ लिया, और जोर-जोर से दबाना शुरू किया।

मां: सी… आह बेटा आराम से कर आह… थोड़ा रहम कर अपनी मां पर।

मैंने निपल्लस को अपनी उंगलियों से मसलना शुरु किया और मां को तेज-तेज चोदने के लिए कहा। मां ने अपनी स्पीड बढ़ाई और 5 मिनट में उनका बदन अकड़ने लगा और मां एक-दम निढाल हो कर मेरे सीने पर सर रख कर लेट गई।

उनका कामरस निकल चुका था, लेकिन मेरा अभी दूर-दूर तक कोई संकेत नहीं था छूटने का। मैंने मां को नीचे किया और खुद उनके ऊपर आकर रुक कर उन्हें किस करने लगा। मां बोली-

मां: रुक क्यों गए?

मैं: आपका पानी निकल गया ना।

मां: हां तो?

मैं: तो आपको अब तकलीफ होगी ना मेरे करने से।

मां मुझे एक गहरा किस करके बोली: अरे मेरे प्यारे बेटे। कितना ध्यान दे रहे हो अपनी मां का। बेटा ये प्यार ऐसा है इसमें जितना दर्द मिलता है उतना मज़ा बढ़ता है। तुम लंड डालो मेरी चूत में और अपनी मां को खूब पेलो। तब तक पेलो जब तक तुम्हारा मन ना भरे। भले ही चोद-चोद कर मेरी चूत फाड़ दो। लेकिन अब रुको मत, अपना कर्म शुरू करो।

मैंने तुरंत अपना लंड मां की चूत पर लगाया और 2 शॉट में ही पूरा लंड अंदर कर दिया। मां की चूत में पानी था, जिस वजह से मां को उतना दर्द नहीं हुआ। पर फिर भी वो उछल गई बिस्तर से। अब तो मैंने धक्का-पेल चुदाई चालू कर दी। मां के मुंह से लगातार आवाज़ निकल रही थी, जो मेरा जोश बढ़ा रही थी।

मां: आह आह आह आह… हो… ओह… उफ्फ.. याह… मर गई ई ई… मेरी चूत हाय हाय आ आ आ आह आह और तेज बेटा, पेलो, आओ बेटा और पेलो अपनी मां को ओह…

मैंने 45 मिनट तक मां को और चोदा अलग-अलग पोजिशन में। अब मेरा माल निकलने वाला था।

मैं: आह… मां… मां मैं झड़ने वाला हूं। मेरी मां मैं आया।

मां: हां बेटा, मैं भी झड़ने वाली हूं। गिरा दे अपनी आग मेरे अदंर। भर दे मेरा पेट तेरे रस से। मुझे अपना बच्चा दे दो। मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनूंगी।

कुछ ही पल में हम मां-बेटा एक-दूसरे में समा गए। मेरा लंड पूरा मां (चाची) की चूत में ही घुसा रहा, और हम वैसे ही लेटे रहे। मां अपने दोनो पैरों से मारी कमर को जकड़े रही। उस वक्त सुबह के 4:30 बज रहे थे। मैंने चाची की चूत से लंड निकाला और चाची से कहा कि-

मैं: आप अब कपड़े पहन लीजिए और अपने रूम पर चले जाइए। किसी ने हम दोनों को ऐसे देख लिया तो मुसीबत हो जायेगी।

चाची जैसे ही खड़ी हुई उनकी चूत से उनकी चूत का रस और मेरा माल एक साथ बह कर जांघो पर आ गया था। चाची ने अपनी उंगलियों से उसे साफ किया, और चांट लिया।

चाची मुस्कुराते हुए अपने कपड़े लेकर नंगी ही रूम से निकल कर अपने कमरे से चली गई। क्योंकि उस वक्त बाहर भी अंधेरा था।

चाची के जाने के बाद मैं वैसे नंगा ही सो गया। मैं जब दोपहर को उठा और चाची से मिला, तो चाची बहुत ही खुश थी।

मैं: क्या बात है चाची, इतनी खुश क्यों है? कोई खजाना मिल गया क्या?

चाची (मुस्कुराते हुए): मिला भी समझो और लुटा भी समझो।

तुम्हारे चाचा आज भी घर नहीं आयेंगे।

ऐसा बोल कर चाची स्माइल पास करते हुए अपने काम पर लग गई। मैं भी अपने काम करने लगा।

रात में चाची ने फिर मुझे अपने साथ सुलाने के लिए मेरी मां से बोल दिया। अब उन्होंने भला क्या प्रॉब्लम थी, सो हां बोल दिया।

फिर रात भर हमने अपनी प्रेम-लीला की और फिर उनकी चूत में 4 बार अपना पानी भरा उस रात। फिर अगले दिन चाचा आ गए।

फिर दिन में या जब भी मौका मिलता हम अपनी काम-लीला को अंजाम दे लेते। फिर चाची को एक बेटा हुआ। बताने को जरूरत तो है नहीं कि किसका है वो।

 
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Sab कहानियां mast और मजेदार है भाई। लगे रहो

कुछ पिक भी कहीं कहीं डाल दो
 

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Next lot dalo bhai
 

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Dosto kya aap hindi story english fonts me chale gi ??? kyu ki hindi fonts story khatam ho gayi hai ..
 
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