मेरा नाम अंगूरी तिवारी है,मेरी उम्र अठाईस साल है और मैं कानपुर में एक गृहिणी हूँ। मेरे पति लड्डू के भैया मतलब मनमोहन तिवारी. का कच्छा बनियान खोका का कारोबार है हम मॉर्डन कॉलोनी कानपुर में रहते हैं और हमारी अभी कोई औलाद नहीं है। मेरा फिगर ३६/२७/३८ है और कद पाँच फुट चार इंच है। मेरा रंग गोरा है, हालाँकि दूध जैसा सफ़ेद तो नहीं लेकिन काफी गोरी हूँ मैं। मुझे अपने जिस्म की नुमाईश करने की बेहद शौक है। दूसरों को अपने जिस्म के जलवे दिखाने का मैं कोई मौका नहीं छोड़ती क्योंकि मुझे अपने फिगर पर बेहद फख्र है। जिस्म की नुमाईश करते वक्त मैं सामने वाले की उम्र का लिहाज़ नहीं करती क्योंकि मेरा ये मानना है कि मर्द तो मर्द ही होता है फिर उसकी उम्र कितनी भी हो। कोई भी मर्द किसी हसीन औरत के जिस्म की झलक पाने का मौका नहीं छोड़ता फिर चाहे वो उसकी रिश्तेदार ही क्यों ना हो। चौदह से साठ साल तक की उम्र वालों को मैंने अपने जिस्म को गंदी नज़रों से ताकते हुए देखा है।
मेरे पड़ोसि वभूति जी हमेशा मुझ पर डोरे डाले ,चेड ते हेइन कभी-कभी मेरी ढूढ़ और गांड पर भी हाथ फेर चुके हैं एक बार वभूति जी ने मोखा पा कर मेरी मुँह भी लंड भी डाल दिया था लेकिन हमसे उनके साथ खड़े लंड पे दोहका हो जाता है पर उसे ज्यादा का उन्हें मोखा नई मिला।मैंने देखा है कि मॉर्डन कॉलोनी सभी मर्द खासतौर से मेरी गाँड को सबसे ज्यादा घूरते हैं। वभूति जी और कॉलोनी के बदमाश लौंडे भी मुझे कईं दफा चेड है कि मेरी गाँड मेरे जिस्म का सबसे हसीन हिस्सा है।मैं भी ये बात मानती हूँ क्योंकि मैं जब भी चूड़ीदार साड़ी हाई हील वाले सैंडल पहन कर मार्किट या भीड़ से भरी बस या ट्रेन में जाती हूँ तो लोगों की नज़रें मेरी गाँड पर ही चिपक जाती हैं। कईं लोग तो मेरे चूतड़ों पर चिकोटी काटने या कईं बार मेरी गाँड पे हाथ फेर कर सहलाने से भी बाज़ नहीं आते। लोग सिर्फ मेरी गाँड को ही तवज्जो नहीं देते बल्कि मेरे मम्मों को भी छूने की कोशिश करते हैं। कईं दफा, खासतौर से जब मैं भीड़ वाली बस में मौजूद होती हूँ तो मेरे आसपास खड़े मर्द अपनी कुहनियों या कंधों से मेरे मम्मों को दबाने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा जिस स्कूल में मैं पढ़ाती हूँ वहाँ भी अपने जिस्म के जलवे दिखाने की अपनी इस आदत से बाज़ नहीं आती और जब स्कूल के लड़के भी गंदी नज़रों से कसमसते हुए मुझे देखते हैं तो मुझे बेहद मज़ा आता है।मुझे मलोम हे वभूति जी सपने में रोज मुझे पेलते होंगे कास हमें मोखा मिलता सच में रोमांस करने का