गुरियन प्लेनेट पर आर्य और उसके साथियों का जाना ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे शेर के मांद मे मेमनो का जाना।
आर्य ने निश्चय ही तैयारी काफी अच्छी की है लेकिन फिर भी उनके कवच रूपी हाईबर मेटल का काट नही निकाल सका।
जब उनके पुरे शरीर इस हाईबर मेटल से ढके रहेंगे तो फिर उनके शरीरों पर जख्मों के निशान कैसे बनेंगे ? महा ने अवश्य कुछ कोशिश की थी लेकिन वह भी कामयाब न हो सकी। इसके अलावा उनके अस्त्र शस्त्र और उनकी विशालकाय एवं खुंखार सेना से भी पार पाना है।
जब सारे रास्ते बंद हो जाते है तब सिर्फ मां भवानी ही है जो नए रास्ते खोल देती है। आर्य का प्लेन के अंदर मां दुर्गा की मुर्ति का स्थापना करना और मिट्टी का शेर स्थापित करना आर्य की ताकत और बुद्धी मे करोड़ो गुना इजाफा करेगा।
इसके अलावा हमारे प्रिय माटुका शेर तो हैं ही।
वगैर कुदरती शक्ति के इन विकृत एलियन से पार नही पाया जा सकता।
शायद करेनाराय साहब हाईबर मेटल का तोड़ बता पाए !
रूही और उसके भाई बहन के मृत शरीर पर दरिन्दों ने कब्जा कर रखा है और उस जगह पर स्थापित कर दिया है जिसे विपरीत दुनिया मे जाने का द्वार कहते है।
शायद इस युद्ध के दरम्यान ही उनके मृत शरीर का उद्धार हो सके क्योंकि महाजनिका से युद्ध किए वगैर इस युद्ध की समाप्ति नही हो सकती और महाजनिका उसी जगह मौजूद है जहां आर्य के मृत पैक मौजूद है।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट नैन भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड जगमग जगमग।
वैसे बिहार के किस शहर मे इन्टरनेट सेवा कई दिनो से बंद था और क्यों ?