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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–148


आर्यमणि वही मंत्र लगातार जाप करने लगा। धीरे–धीरे उसका रक्त संचार बढ़ता रहा। पहले अपने अंतर्मन में जोड़ जोड़ से कहने लगा, फिर जैसे आर्यमणि के होंठ खुलने लगे हो.. पहले धीमे बुदबुदाने जैसी आवाज। फिर तेज, और तेज और एक वक्त तो ऐसा आया की "अहम ब्रह्मास्मी" वहां के फिजाओं में चारो ओर गूंजने लगा।

नाक, कान और आंख के नीचे से कई लाख छोटे–छोटे परिजिवी निकल रहे थे। रूही अचेत अवस्था में वहीं रेत में पड़ी तड़प रही थी और इधर जबसे आर्यमणि की आवाज उन फिजाओं में गूंजी, फिर तो विवियन अपने 5 लोगों की टीम के साथ आर्यमणि के पास पहुंच चुका था।

आर्यमणि की आंखें खुल चुकी थी। शरीर अब सुचारू रूप से काम करने लगा था। विवियन बिना कुछ सोचे अपने आंखों से वो लेजर चलाने लगा। उसके साथ उसके साथी भी लगातार लेजर चला रहे थे। आर्यमणि अपने शरीर को पूरा ऊर्जावान बनाते, अपने बदन के पूरे सतह पर टॉक्सिक को रेंगने दिया। रूही को देखकर मन व्याकुल जरूर था, लेकिन दिमाग पूर्ण संतुलित। वायु विघ्न मंत्र का जाप शुरू हो चुका था। शरीर के सतह पर पूरा टॉक्सिक रेंग रहा था और पूरा शरीर ही अब आंख से निकलने वाले लेजर किरणों को सोख सकता था। आर्यमणि बलवानो की पूरी की पूरी टोली से उसका बल छीन चुका था।

विवियन के साथ पहले मात्र 5 एलियन लेजर से प्रहार कर रहे थे। 5 से फिर 25 हुये और 25 से 50। देखते ही देखते मारने का इरादा रखने वाले सभी 100 एलियन झुंड बनाकर एक अकेले आर्यमणि को मारने की कोशिश में जुट गये।

इसके पूर्व... रात में जब अलबेली और इवान अपने कास्टल पहुंचे तब खुशी के मारे उछल पड़े। उत्साह अपने पूरे चरम पर था और दोनो अपने वेडिंग नाइट की तैयारी देखकर काफी उत्साहित हो गये... रात के करीब 12.30 बज रहे होंगे। विवाहित जोड़ा अपने काम क्रीड़ा में लगा हुआ था, तभी उनके काम–लीला के बीच खलल पड़ गया। उसके कमरे का दरवाजा कोई जोड़, जोड़ से पिट रहा था।

अलबेली:– ऑफ ओ इवान, अंदर डालकर ऐसे रुको मत.… मजा किडकिड़ा हो जाता है...

इवान:– कोई दरवाजे पर है।

अलबेली:– मेरे जलते अरमान को आग न लगाओ और तेज–तेज धक्का लगाओ...

इवान कुछ कहता उस से पहले ही दरवाजा खुल गया। दोनो चादर खींचकर खुद को ढके। अलबेली पूरे तैश में आती.… "संन्यासी सर आपको देर रात मस्ती चढ़ी है क्या?"

संन्यासी शिवम्:– सबकी जान खतरे में है। कपड़े पहनो हम अभी निकल रहे हैं।

इवान:– ये क्या बकवास है... आप निकलो अभी इस कमरे से...

अलबेली:– इवान वो सबकी जान के बारे में बात कर रहे है...

इवान:– नही मुझे यकीन नही... ये ओजल का कोई प्रैंक है...

संन्यासी शिवम:– यहां से अभी चलो। एक पल गवाने का मतलब है, किसी अपने के जान का खतरा बढ़ गया...

इवान:– ठीक है पीछे घूम जाइए...

संन्यासी शिवम पीछे घूम गया। दोनो बिना वक्त गवाए सीधा अपने ऊपर कपड़े डाले। तीनो जैसे ही नीचे ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचे सारा स्टाफ उन्हे घेरकर प्यार से पूछने लगा की वो कहां जा रहे थे? संन्यासी शिवम् शायद बातचीत में वक्त नहीं गवाना चाहता था। अपने सूट बूट वाले कपड़े के किनारे से वो 5 फिट का एक दंश निकाले। (दंश किसी जादूगर की छड़ी जैसी होती है जो नीचे से पतला और ऊपर से हल्का मोटा होता है)

संन्यासी शिवम् वह दंश निकालकर जैसे ही भूमि पर पटके, ऐसा लगा जैसे तेज विस्फोट हुआ हो और उन्हे घेरे खड़ा हर आदमी बिखर गया। "लगता है वाकई बड़ी मुसीबत आयी है। शिवम् सर पूरे फॉर्म में है।"… अलबेली साथ चलती हुई कहने लगी। तीनो बाहर निकले। बाहर गप अंधेरा। संन्यासी शिवम ने दंश को हिलाया, जिसके ऊपरी सिरे से रौशनी होने लगी।

थोड़ा वक्त लगा लेकिन जैसे ही सही दिशा मिली सभी पोर्ट होकर सीधा शादी वाले रिजॉर्ट पहुंचे। शादी वाले रिजॉर्ट तो पहुंच गये पर रिजॉर्ट में कोई नही था। संन्यासी शिवम् टेलीपैथी के जरिए ओजल और निशांत से संपर्क करने लगे।

संन्यासी शिवम्:– तुम दोनो कहां हो?

निशांत:– पूरा अंधेरा है। बता नही सकता कहां हूं। चारो ओर से हमले हो रहे है, और कोई भी होश में नही।

संन्यासी शिवम्:– ओजल कहां है?

निशांत:– वही इकलौती होश में है, और मोर्चा संभाले है। मुझे किसी तरह होश में रखी हुई है, वरना मेरा भ्रम जाल भी किसी काम का नही रहता।

संन्यासी शिवम्:– क्या संन्यासियों की टोली भी बेहोश है?

निशांत:– हां... आप जल्दी से आओ वरना मैं ज्यादा देर तक होश में नही रहने वाला। मैं बेहोश तो यहां का भ्रम जाल भी टूट गया समझो।

संन्यासी शिवम्:– सब बेहोश भी हो गये तो भी यहां कोई चिंता नहीं है। जर्मनी के जंगल मे हम इन्हे इतना डरा चुके थे, कि जबतक बड़े गुरुदेव (आर्यमणि) मरते नही, तब तक वो किसी को भी हाथ नही लगायेगा। तुम लोगों को तो केवल चारा बनाया जायेगा, असली निशाना तो गुरुदेव (आर्यमणि) ही होंगे। हौसला रखो हम जल्द ही पहुंच रहे हैं।

संन्यासी शिवम् मन में चले वार्तालाप को अलबेली और इवान से पूरा बताने के बाद..... “तुम दोनो उनकी गंध सूंघो और पता लगाओ कहां है।”...

एलियन थे तो प्रहरी समुदाय का ही हिस्सा। उन्हे गंध मिटाना बखूबी आता था। विवियन के साथ आया हर एलियन प्रथम श्रेणी का नायजो था। यानी की फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी से एक पायदान ऊपर। सभी 100 प्रथम श्रेणी के नायजो अपने साथ 5 फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी को लेकर चले थे। उन सभी 500 शिकारियों का काम था, आर्यमणि के दोस्त और परिवार को एक खास किस्म के कीड़ों का सेवन करवाकर, उन्हे अगवा कर लेना। ये वही कीड़ा था, जो आर्यमणि के केक में भी मिला था। जिसके शरीर में जाने के कारण आर्यमणि हील भी नही पा रहा था। देखने में वह कीड़ा किसी छोटे से कण जैसे दिखते, पर एक बार जब शरीर के अंदर पहुंच गये, फिर तो सामने वाला उन नायजो के इशारे का गुलाम। और गुलाम पूरे परिवार और दोस्तों को बनाना था ताकि आर्यमणि को घुटनों पर लाया जा सके।

सभी लोगों ने पेट भर–भर कर कीड़ों वाला खाना खाया था, सिवाय ओजल के। वह पिछले 8 दिन से किसी सिद्धि को साध रही थी, इसलिए आचार्य जी द्वारा जो झोले में फल मिला था, उसी पर कुल 10 दिन काटना था। जितना पानी आचार्य जी ने दिया, उतना ही पानी अगले 10 दिन तक पीना था। बस यही वजह थी कि ओजल होश में थी और जब एलियन दोस्त और परिवार के सभी लोगों को ले जाया जा रहा था, तब खुद को अदृश्य रखी हुई थी।

हालांकि संन्यासी शिवम् और निशांत की बात ओजल ने भी सुनी थी। पर थोड़ा भी ध्यान भटकाने का मतलब होता दुश्मन को मौका देना इसलिए वह चुप चाप पूरे माहोल पर ध्यान केंद्रित की हुई थी। वैसे इस रात का एक पक्ष और भी था, अलबेली, इवान और संन्यासी शिवम्। ये तीनों भी रेगिस्तान के किसी कास्टल में पहुंचे थे। वैसे तो तीनो को ही खाने खिलाने की जी तोड़ कोशिश की गयी, किंतु अलबेली और इवान इतने उतावले थे कि दोनो सीधा अपने सुहाग की सेज पर पलंग तोड़ सुगरात मनाने चले गये। फिर एक राउंड में ये कहां थकने वाले थे। संन्यासी शिवम जब दोनो के कमरे में दाखिल हुये, तब तीसरे राउंड के मध्य में थे।

वहीं संन्यासी शिवम देर रात भोजन करने बैठे थे। पहला निवाला मुंह के अंदर जाता उस से पहले ही ओजल, खतरे का गुप्त संदेश भेज चुकी थी। कुल मिलाकर तीनो ने कास्टल का कुछ भी नही खाया था। वहीं कास्टल में रुके नायजो की भिड़ को यह आदेश मिला था कि तीनो (इवान, अलबेली और संन्यासी शिवम) में से कोई भी किसी से संपर्क नही कर पाये।

कुल मिलाकर बात इतनी थी कि रात के 2 बजे तक 4 लोग होश में थे। ओजल जो की पूरे परिवार को सुरक्षित की हुई थी। अलबेली, इवान और संन्यासी शिवम उसके मदद के लिये पहुंच रहे थे। इवान और अलबेली ने महज 2 मिनट में पकड़ लिया की गंध को मिटा दिया गया है। संन्यासी शिवम थोड़े चिंतित हुये किंतु अलबेली और इवान उनकी चिंता मिटते हुये वह निशान ढूंढ निकाले जो ओजल पीछे छोड़ गयी थी।

ओजल निशान बनाती हुई सबका पीछा कर रही थी और उन्ही निशान के पीछे ये तीनों भी पहुंच गये। ये तीनों जैसे ही उस जगह पहुंचे, आग की ऊंची लपटें जल रही थी और 3 लोगों के चीखने की आवाज आ रही थी। उन्ही चीख के बीच ओजल भी दहाड़ी.... “क्यों बे चूहों किस बिल में छिप गये। कहां गयी तुम्हारी बादल, बिजली और आग की करामात। चलो अब बाहर आ भी जाओ। देखो तुम्हारे साथी कैसे तड़प रहे है।”...

इतने में ही ठीक अलबेली और इवान के 2 कदम आगे रेत में छिपा नायजो रेत से निकलकर हमला किया और फिर वापस रेत में। अलबेली और इवान के बीच आंखो के इशारे हुये और दोनो ने एक साथ रेत में अपना पंजा घुसाकर चिल्लाए..... “क्यों री झल्ली रेत में हाथ डालकर 10 किलोमीटर की जगह को ही जड़ों में क्यों न ढक दी।”

ओजल यूं तो जड़ों को फैलाना भूल गयी थी। फिर भी खुद को बचाती.... “चुप कर अलबेली। मैं कुछ नही भूली थी, बल्कि रेगिस्तान में उगने वाले पौधों की जड़ें मजबूत ही न थी।”...

अलबेली:– बहानेबाज कहीं की। खजूर की जड़ें मजबूत ना होती हैं? नागफणी की जड़ें मजबूत ना होती हैं। फिर मेरी जड़ों में ये 350 एलियन कैसे फंस गये?

इवान:– तुम दोनो बस भी करो। ना वक्त देखती ही न माहोल, केवल एक दूसरे से लड़ना है।

इवान की डांट खाकर दोनो शांत हुये जबकि झगड़े के दौरान ही सभी थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी को ये लोग पकड़ चुके थे। फिर तो इन सबको तबियत से ट्रीटमेंट दिया गया। पहले शरीर के हर हिस्से में मोटे कांटों का मजा लिये, उसके बाद जिस अग्नि को अपने हाथों से नियंत्रित करते थे, उसी में जलकर स्वाहा हो गये।

सुबह के लगभग 5 बज चुके थे। परिवार के जितने सदस्य और मित्र थे, सब के सब बेहोश पड़े थे। संन्यासी शिवम् उनकी हालत का जायजा ले रहे थे। इतने में ओजल, अलबेली और इवान तीनो ही सबको हील करने जा रहे थे।

संन्यासी शिवम्:– नही, कोई भी अपने खून में उस चीज का जहर मत उतारो जो इन सबके शरीर में है।

ओजल:– शिवम सर लेकिन हील नही करेंगे तो सब बेहोश पड़े रहेंगे। जहर का असर फैलता

संन्यासी शिवम्:– आचार्य जी से मेरी बात हो गयी है। जो इनके शरीर में डाला गया है, वो कोई जहर नही बल्कि एक विशेस प्रकार का जीव है। दिखने में ये किसी बालू के कण जितने छोटे होते है, लेकिन किसी सजीव शरीर में जाकर सक्रिय हो जाते है। एक बार यह सक्रिय हो गये फिर ये जब शरीर से बाहर निकलेंगे तभी मरेंगे, वरना किसी भी विधि से इस कीड़े के मूल स्वरूप को बदल नही सकते।

इवान:– फिर हम क्या करे?

संन्यासी शिवम्:– पूरे परिवार को इस्तांबुल एयरपोर्ट लेकर चलो। सबके टिकट बने हुये है। इस्तांबुल से सभी लॉस एंजिल्स जायेंगे। रास्ते में इनके अंदर के जीवों का भी इलाज हो जायेगा।

कुछ ही देर में सब गाड़ी पर सवार थे। संन्यासी शिवम टेलीपैथी के जरिए एक–एक करके सबके दिमाग में घुसे और “अहम ब्रह्मास्मी” का जाप करने लगे। सबने देखा कैसे एक–एक करके हर किसी के शरीर से करोड़ों की संख्या में कीड़े निकल रहे थे और बाहर निकलने के साथ ही कुछ देर रेंगकर मर जाते।

सुबह के लगभग 11 बजे तक सबको लेकर ये लोग सीधा इस्तांबुल के एयरपोर्ट पर पहुंचे, जहां लॉस एंजिल्स जाने वाली प्लेन पहले से रनवे पर खड़ी थी। पूरे परिवार के लोग जब पूर्णतः होश में आये तब खुद को एयरपोर्ट के पास देखकर चौंक गये। हर किसी को रात का खाना खाने के बाद सोना तो याद था पर एयरपोर्ट कैसे पहुंचे वह पूरी याद ही गायब। वैन में ही पूरा कौतूहल भरा माहोल हो गया।

बेचारा निशांत हर कोई उसी के कपड़े फाड़ रहा था जबकि वह भी उसी कीड़े का शिकर हुआ था, जिस कीड़े ने सबको अपने वश में कर रखा था। लागातार बढ़ते विवाद और समय की तंगी को देखते हुये संन्यासी शिवम् सबको म्यूट मोड पर डालते...... "ये सब आर्यमणि का सरप्राइज़ है। आप सब लॉस एंजिल्स पहुंचिए, आगे की बात आपको आर्यमणि ही बता देगा।"…

संन्यासी शिवम के कहने पर वो लोग शांत हुये। सभी लगभग सुबह के 11 बजे तक उड़ान भर चुके थे, सिवाय निशांत, ओजल, इवान और अलबेली के। जैसे ही सब वहां से चले गए.… "शिवम सर, जीजू और दीदी पर भी हमला हुआ होगा क्या?"… ओजल चिंता जताती हुई पूछी।

संन्यासी:– आर्यमणि आश्रम के गुरुदेव है। सामने खड़े होकर उनकी जान निकालना इतना आसान नहीं होगा। सबलोग वहां चलो जहां हमे कोई न देख सके।

साबलोग अगले 5 मिनट में आर्यमणि वाले कास्टल पहुंच गये। अगले 10 मिनट में ओजल, इवान और अलबेली ने पूरे कास्टल को छान मारे लेकिन वहां कोई नही था। इवान, संन्यासी का कॉलर पकड़ते... "कहां गए मेरे बॉस और दीदी... आपने तो कहा था कि बॉस आश्रम के गुरुदेव है। सामने से उन्हे हराना संभव नही...

ओजल:– हम यहां नही रुक सकते। हवाई गंध को महसूस करते उन तक जल्दी पहुंचते है...

संन्यासी शिवम्:– वहां पहुंचकर भी कोई फायदा नही होगा... हम रेगिस्तान के इतने बड़े खुले क्षेत्र को नहीं बांध सकते। तुम लोग कुछ वक्त दो...

इतना कहकर संन्यासी शिवम् वहीं नीचे बैठकर ध्यान लगाने लगे। वो जैसे ही ध्यान में गये, इवान और अलबेली उस जगह से निकलने की कोशिश करने लगे। लेकिन खुले दरवाजे के बीच जैसे कोई पारदर्शी दीवार लगी हो... "ये कौन सा जादू तुम लोगों ने किया है। यहां का रास्ता खोलो हमे रूही और दादा (आर्यमणि) को ढूंढने बाहर जाना है।"

निशांत:– यहां से कोई बाहर नही जायेगा। सुना नही संन्यासी शिवम् ने क्या कहा?

ओजल:– तुम दोनो खुद पर काबू रखो…

अलबेली:– काबू की मां की चू… दरवाजा खोलो या फिर मैं इस संन्यासी का सर खोल देती हूं।

सबके बीच गहमा गहमी वाला माहोल शुरू हो चुका था। इसी बीच संन्यासी शिवम का ध्यान टूटा... "ओजल, निशांत तुम दोनो से इतना हल्ला गुल्ला की उम्मीद नही थी। इवान और अलबेली को शांत करने के बदले लड़ रहे थे। तुम दोनो भी शांत हो जाओ। गुरुदेव (आर्यमणि) और रूही, दोनो यहीं आ रहे है। तुम लोग जल्दी से जाओ एक खाली बेड, चादर, गरम पानी, और वहीं किचन में नशे में इस्तमाल होने वाली कुछ सुखी पत्तियां होंगी उन्हें ले आओ। तुम दोनो (ओजल और निशांत) अपना झोला लेकर आये हो?

ओजल, और निशांत दोनो एक साथ... “हां शिवम सर”...

संन्यासी शिवम्:– ठीक है यहां छोड़कर जाओ...

चारो ही भाग–भाग कर सारा सामान वहीं नीचे ग्राउंड फ्लोर पर सजा चुके थे। जैसे ही उनका काम खत्म हुआ, सबकी नजर दरवाजे पर थी। बस चंद पल हुये होंगे, सबको आर्यमणि दूर से आते दिख गया। जैसे ही आर्यमणि दरवाजे तक आया, संन्यासी शिवम् ने अपना जाल खोल दिया। आर्यमणि अंदर और फिर से दरवाजा को बांध दिया।

 
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nain11ster

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नैन भाई लास्ट अपडेट शनिवार को दिया था आज मंगलवार है लगता है मंथ एन्ड का असर है और वर्क लॉड ज्यादा है पर कम से कम अगले अपडेट का टाइम ही बता देते तो अति उत्तम होता
Aaj kal time bata pana hi mushkil ho jata hai monty bhai.... Jab free hote hain tab free hote hain warna aksar hi raat ke 2 kab baj jate hai wo khud pata nahi chalta. Jab dimag aur sharir jawab de jata hai tab pata chalta hai... Oh der raat ho gayi...
 

nain11ster

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Fabulous excellent update bade bhai..❤️❤️😘😘😘😘😘

Ye arya to sabko daraela hey sala...

Ye bhumi to sala ek chipaka hi dali hey 😁😁😁

Sabko dar lagan lajmi bhi hey dusri vali party ke bare sunke to kuch gadbad huvi inke to lag hi jayenge na 😁😁😁 mjaka

Aisa kuch hoga nhi jabtak arya hey tabtak...

Ye sala oshun to bar bar chipak rahi hey lagata hey usko khujali bohot horili hey lagat hey...
Ab ohh sali hogyi na ab to isko apne uper chadva ke hi manegi lagta hey firse..

Ye jo ruhi ne sabke samne jo drama kiya hey uska ye kuch jada ho huva जरा....

Aur ye jaya ne sab ki class laga dali hey room mey leke ha ha ha..

Aur last mey ruhi ko bhi sahi se samja diya hey एक maa kae tari kese sahi hey...


Last mey ruhi ne hi arya ko bheja oshun ke sath dance karne ko..

❤️❤️❤️❤️❤️
Hahahaha.... Sare family drame hai Andy bhai sab family drame ... Bus aaj se family drame ke bich bahri alian tadka lagne wala hai
 

nain11ster

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Excellent fantastic outstanding update bade bhai ❤️❤️😘😘😘❤️😘😘


Jiski kami thi ohh log bhi ahi gaye hey jada tr ojhal ko miss Kar rahe the sab log..
Sath mey shivam sir bhi agye hey arya ke shadi mey Shamil hone keliye or uski shadi karane keliye...

Or unke emulate bhi niakal par satwik asharm mey jayenge or shadi ke bad fir vapas inko milenge ye sahi kiya unone...

Ye apsyu bhi busy hey vaha par palak ke sath....

Or ye oshun or uske dost to bohot hi phudak rahe hey or unka mukhiya to kya nam hey us chuje ka kuch to tha..
Sala bhot uchal raha tha gandu....

Ye Araya ne uski or uske pack ki hekdi bhi nikal diyi hey ek zatke mey pura dum ek zatke mey nikal diya hey...
Or us oshun ki bhi galat fehmi dur kardi ki ohh usko control kar nhi sakta hey uski...

Arya ne to inko 4 ghantetak control mey ley rakha tha...

Or last mey usks sardar yalvik agya apne sabhi pack ke sath lekin arya ke bare mey sunke ohh bhi thanda pad gya ha ha ha ha
Aur dosti ka hath age baodhane pohacha pada unke thikane...

Arya ne bhi usko ache se pesh ake usko bhi naraj na kiya hey.. Ye sahi kiya arya ne age Jake kuch fayda bhi ho sakta hey....

Or ye kon agya sala dushman ke tim mey naya Panter vaylin ya kuch Aisa hi kuch..

Uske 100 gurgo ko leke chala hey arya ki shadi ko barbad krne Ko...

Ab dekhte hey age kya hota hey

❤️❤️❤️❤️😍😍😍😍😍😘😘😘😘
Sare kadi ek se lagte hain Andy bhai... Par aisa hai nahi... Yalvik ki jagah me abhi to kuch hua nahi lekin aage ka itna sure na hoeye kyonki abhi alian ka aagman hua kahan hai wo to Aaj aapko pata chalega....
 

nain11ster

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nain11ster

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Itna khof bhar diya aliyan me


Vese aary ne shi trike se fesla liya
Bahut jyada khauf shushilnkt bhai.... Khauf ka natija bhi dekh lijiyega.... Aaj ke sare update usi khauf ka parinam hai
 

krish1152

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आर्यमणि वही मंत्र लगातार जाप करने लगा। धीरे–धीरे उसका रक्त संचार बढ़ता रहा। पहले अपने अंतर्मन में जोड़ जोड़ से कहने लगा, फिर जैसे आर्यमणि के होंठ खुलने लगे हो.. पहले धीमे बुदबुदाने जैसी आवाज। फिर तेज, और तेज और एक वक्त तो ऐसा आया की "अहम ब्रह्मास्मी" वहां के फिजाओं में चारो ओर गूंजने लगा।

नाक, कान और आंख के नीचे से कई लाख छोटे–छोटे परिजिवी निकल रहे थे। रूही अचेत अवस्था में वहीं रेत में पड़ी तड़प रही थी और इधर जबसे आर्यमणि की आवाज उन फिजाओं में गूंजी, फिर तो विवियन अपने 5 लोगों की टीम के साथ आर्यमणि के पास पहुंच चुका था।

आर्यमणि की आंखें खुल चुकी थी। शरीर अब सुचारू रूप से काम करने लगा था। विवियन बिना कुछ सोचे अपने आंखों से वो लेजर चलाने लगा। उसके साथ उसके साथी भी लगातार लेजर चला रहे थे। आर्यमणि अपने शरीर को पूरा ऊर्जावान बनाते, अपने बदन के पूरे सतह पर टॉक्सिक को रेंगने दिया। रूही को देखकर मन व्याकुल जरूर था, लेकिन दिमाग पूर्ण संतुलित। वायु विघ्न मंत्र का जाप शुरू हो चुका था। शरीर के सतह पर पूरा टॉक्सिक रेंग रहा था और पूरा शरीर ही अब आंख से निकलने वाले लेजर किरणों को सोख सकता था। आर्यमणि बलवानो की पूरी की पूरी टोली से उसका बल छीन चुका था।

विवियन के साथ पहले मात्र 5 एलियन लेजर से प्रहार कर रहे थे। 5 से फिर 25 हुये और 25 से 50। देखते ही देखते मारने का इरादा रखने वाले सभी 100 एलियन झुंड बनाकर एक अकेले आर्यमणि को मारने की कोशिश में जुट गये।

इसके पूर्व... रात में जब अलबेली और इवान अपने कास्टल पहुंचे तब खुशी के मारे उछल पड़े। उत्साह अपने पूरे चरम पर था और दोनो अपने वेडिंग नाइट की तैयारी देखकर काफी उत्साहित हो गये... रात के करीब 12.30 बज रहे होंगे। विवाहित जोड़ा अपने काम क्रीड़ा में लगा हुआ था, तभी उनके काम–लीला के बीच खलल पड़ गया। उसके कमरे का दरवाजा कोई जोड़, जोड़ से पिट रहा था।

अलबेली:– ऑफ ओ इवान, अंदर डालकर ऐसे रुको मत.… मजा किडकिड़ा हो जाता है...

इवान:– कोई दरवाजे पर है।

अलबेली:– मेरे जलते अरमान को आग न लगाओ और तेज–तेज धक्का लगाओ...

इवान कुछ कहता उस से पहले ही दरवाजा खुल गया। दोनो चादर खींचकर खुद को ढके। अलबेली पूरे तैश में आती.… "संन्यासी सर आपको देर रात मस्ती चढ़ी है क्या?"

संन्यासी शिवम्:– सबकी जान खतरे में है। कपड़े पहनो हम अभी निकल रहे हैं।

इवान:– ये क्या बकवास है... आप निकलो अभी इस कमरे से...

अलबेली:– इवान वो सबकी जान के बारे में बात कर रहे है...

इवान:– नही मुझे यकीन नही... ये ओजल का कोई प्रैंक है...

संन्यासी शिवम:– यहां से अभी चलो। एक पल गवाने का मतलब है, किसी अपने के जान का खतरा बढ़ गया...

इवान:– ठीक है पीछे घूम जाइए...

संन्यासी शिवम पीछे घूम गया। दोनो बिना वक्त गवाए सीधा अपने ऊपर कपड़े डाले। तीनो जैसे ही नीचे ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचे सारा स्टाफ उन्हे घेरकर प्यार से पूछने लगा की वो कहां जा रहे थे? संन्यासी शिवम् शायद बातचीत में वक्त नहीं गवाना चाहता था। अपने सूट बूट वाले कपड़े के किनारे से वो 5 फिट का एक दंश निकाले। (दंश किसी जादूगर की छड़ी जैसी होती है जो नीचे से पतला और ऊपर से हल्का मोटा होता है)

संन्यासी शिवम् वह दंश निकालकर जैसे ही भूमि पर पटके, ऐसा लगा जैसे तेज विस्फोट हुआ हो और उन्हे घेरे खड़ा हर आदमी बिखर गया। "लगता है वाकई बड़ी मुसीबत आयी है। शिवम् सर पूरे फॉर्म में है।"… अलबेली साथ चलती हुई कहने लगी। तीनो बाहर निकले। बाहर गप अंधेरा। संन्यासी शिवम ने दंश को हिलाया, जिसके ऊपरी सिरे से रौशनी होने लगी।

थोड़ा वक्त लगा लेकिन जैसे ही सही दिशा मिली सभी पोर्ट होकर सीधा शादी वाले रिजॉर्ट पहुंचे। शादी वाले रिजॉर्ट तो पहुंच गये पर रिजॉर्ट में कोई नही था। संन्यासी शिवम् टेलीपैथी के जरिए ओजल और निशांत से संपर्क करने लगे।

संन्यासी शिवम्:– तुम दोनो कहां हो?

निशांत:– पूरा अंधेरा है। बता नही सकता कहां हूं। चारो ओर से हमले हो रहे है, और कोई भी होश में नही।

संन्यासी शिवम्:– ओजल कहां है?

निशांत:– वही इकलौती होश में है, और मोर्चा संभाले है। मुझे किसी तरह होश में रखी हुई है, वरना मेरा भ्रम जाल भी किसी काम का नही रहता।

संन्यासी शिवम्:– क्या संन्यासियों की टोली भी बेहोश है?

निशांत:– हां... आप जल्दी से आओ वरना मैं ज्यादा देर तक होश में नही रहने वाला। मैं बेहोश तो यहां का भ्रम जाल भी टूट गया समझो।

संन्यासी शिवम्:– सब बेहोश भी हो गये तो भी यहां कोई चिंता नहीं है। जर्मनी के जंगल मे हम इन्हे इतना डरा चुके थे, कि जबतक बड़े गुरुदेव (आर्यमणि) मरते नही, तब तक वो किसी को भी हाथ नही लगायेगा। तुम लोगों को तो केवल चारा बनाया जायेगा, असली निशाना तो गुरुदेव (आर्यमणि) ही होंगे। हौसला रखो हम जल्द ही पहुंच रहे हैं।

संन्यासी शिवम् मन में चले वार्तालाप को अलबेली और इवान से पूरा बताने के बाद..... “तुम दोनो उनकी गंध सूंघो और पता लगाओ कहां है।”...

एलियन थे तो प्रहरी समुदाय का ही हिस्सा। उन्हे गंध मिटाना बखूबी आता था। विवियन के साथ आया हर एलियन प्रथम श्रेणी का नायजो था। यानी की फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी से एक पायदान ऊपर। सभी 100 प्रथम श्रेणी के नायजो अपने साथ 5 फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी को लेकर चले थे। उन सभी 500 शिकारियों का काम था, आर्यमणि के दोस्त और परिवार को एक खास किस्म के कीड़ों का सेवन करवाकर, उन्हे अगवा कर लेना। ये वही कीड़ा था, जो आर्यमणि के केक में भी मिला था। जिसके शरीर में जाने के कारण आर्यमणि हील भी नही पा रहा था। देखने में वह कीड़ा किसी छोटे से कण जैसे दिखते, पर एक बार जब शरीर के अंदर पहुंच गये, फिर तो सामने वाला उन नायजो के इशारे का गुलाम। और गुलाम पूरे परिवार और दोस्तों को बनाना था ताकि आर्यमणि को घुटनों पर लाया जा सके।

सभी लोगों ने पेट भर–भर कर कीड़ों वाला खाना खाया था, सिवाय ओजल के। वह पिछले 8 दिन से किसी सिद्धि को साध रही थी, इसलिए आचार्य जी द्वारा जो झोले में फल मिला था, उसी पर कुल 10 दिन काटना था। जितना पानी आचार्य जी ने दिया, उतना ही पानी अगले 10 दिन तक पीना था। बस यही वजह थी कि ओजल होश में थी और जब एलियन दोस्त और परिवार के सभी लोगों को ले जाया जा रहा था, तब खुद को अदृश्य रखी हुई थी।

हालांकि संन्यासी शिवम् और निशांत की बात ओजल ने भी सुनी थी। पर थोड़ा भी ध्यान भटकाने का मतलब होता दुश्मन को मौका देना इसलिए वह चुप चाप पूरे माहोल पर ध्यान केंद्रित की हुई थी। वैसे इस रात का एक पक्ष और भी था, अलबेली, इवान और संन्यासी शिवम्। ये तीनों भी रेगिस्तान के किसी कास्टल में पहुंचे थे। वैसे तो तीनो को ही खाने खिलाने की जी तोड़ कोशिश की गयी, किंतु अलबेली और इवान इतने उतावले थे कि दोनो सीधा अपने सुहाग की सेज पर पलंग तोड़ सुगरात मनाने चले गये। फिर एक राउंड में ये कहां थकने वाले थे। संन्यासी शिवम जब दोनो के कमरे में दाखिल हुये, तब तीसरे राउंड के मध्य में थे।

वहीं संन्यासी शिवम देर रात भोजन करने बैठे थे। पहला निवाला मुंह के अंदर जाता उस से पहले ही ओजल, खतरे का गुप्त संदेश भेज चुकी थी। कुल मिलाकर तीनो ने कास्टल का कुछ भी नही खाया था। वहीं कास्टल में रुके नायजो की भिड़ को यह आदेश मिला था कि तीनो (इवान, अलबेली और संन्यासी शिवम) में से कोई भी किसी से संपर्क नही कर पाये।

कुल मिलाकर बात इतनी थी कि रात के 2 बजे तक 4 लोग होश में थे। ओजल जो की पूरे परिवार को सुरक्षित की हुई थी। अलबेली, इवान और संन्यासी शिवम उसके मदद के लिये पहुंच रहे थे। इवान और अलबेली ने महज 2 मिनट में पकड़ लिया की गंध को मिटा दिया गया है। संन्यासी शिवम थोड़े चिंतित हुये किंतु अलबेली और इवान उनकी चिंता मिटते हुये वह निशान ढूंढ निकाले जो ओजल पीछे छोड़ गयी थी।

ओजल निशान बनाती हुई सबका पीछा कर रही थी और उन्ही निशान के पीछे ये तीनों भी पहुंच गये। ये तीनों जैसे ही उस जगह पहुंचे, आग की ऊंची लपटें जल रही थी और 3 लोगों के चीखने की आवाज आ रही थी। उन्ही चीख के बीच ओजल भी दहाड़ी.... “क्यों बे चूहों किस बिल में छिप गये। कहां गयी तुम्हारी बादल, बिजली और आग की करामात। चलो अब बाहर आ भी जाओ। देखो तुम्हारे साथी कैसे तड़प रहे है।”...

इतने में ही ठीक अलबेली और इवान के 2 कदम आगे रेत में छिपा नायजो रेत से निकलकर हमला किया और फिर वापस रेत में। अलबेली और इवान के बीच आंखो के इशारे हुये और दोनो ने एक साथ रेत में अपना पंजा घुसाकर चिल्लाए..... “क्यों री झल्ली रेत में हाथ डालकर 10 किलोमीटर की जगह को ही जड़ों में क्यों न ढक दी।”

ओजल यूं तो जड़ों को फैलाना भूल गयी थी। फिर भी खुद को बचाती.... “चुप कर अलबेली। मैं कुछ नही भूली थी, बल्कि रेगिस्तान में उगने वाले पौधों की जड़ें मजबूत ही न थी।”...

अलबेली:– बहानेबाज कहीं की। खजूर की जड़ें मजबूत ना होती हैं? नागफणी की जड़ें मजबूत ना होती हैं। फिर मेरी जड़ों में ये 350 एलियन कैसे फंस गये?

इवान:– तुम दोनो बस भी करो। ना वक्त देखती ही न माहोल, केवल एक दूसरे से लड़ना है।

इवान की डांट खाकर दोनो शांत हुये जबकि झगड़े के दौरान ही सभी थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी को ये लोग पकड़ चुके थे। फिर तो इन सबको तबियत से ट्रीटमेंट दिया गया। पहले शरीर के हर हिस्से में मोटे कांटों का मजा लिये, उसके बाद जिस अग्नि को अपने हाथों से नियंत्रित करते थे, उसी में जलकर स्वाहा हो गये।

सुबह के लगभग 5 बज चुके थे। परिवार के जितने सदस्य और मित्र थे, सब के सब बेहोश पड़े थे। संन्यासी शिवम् उनकी हालत का जायजा ले रहे थे। इतने में ओजल, अलबेली और इवान तीनो ही सबको हील करने जा रहे थे।

संन्यासी शिवम्:– नही, कोई भी अपने खून में उस चीज का जहर मत उतारो जो इन सबके शरीर में है।

ओजल:– शिवम सर लेकिन हील नही करेंगे तो सब बेहोश पड़े रहेंगे। जहर का असर फैलता

संन्यासी शिवम्:– आचार्य जी से मेरी बात हो गयी है। जो इनके शरीर में डाला गया है, वो कोई जहर नही बल्कि एक विशेस प्रकार का जीव है। दिखने में ये किसी बालू के कण जितने छोटे होते है, लेकिन किसी सजीव शरीर में जाकर सक्रिय हो जाते है। एक बार यह सक्रिय हो गये फिर ये जब शरीर से बाहर निकलेंगे तभी मरेंगे, वरना किसी भी विधि से इस कीड़े के मूल स्वरूप को बदल नही सकते।

इवान:– फिर हम क्या करे?

संन्यासी शिवम्:– पूरे परिवार को इस्तांबुल एयरपोर्ट लेकर चलो। सबके टिकट बने हुये है। इस्तांबुल से सभी लॉस एंजिल्स जायेंगे। रास्ते में इनके अंदर के जीवों का भी इलाज हो जायेगा।

कुछ ही देर में सब गाड़ी पर सवार थे। संन्यासी शिवम टेलीपैथी के जरिए एक–एक करके सबके दिमाग में घुसे और “अहम ब्रह्मास्मी” का जाप करने लगे। सबने देखा कैसे एक–एक करके हर किसी के शरीर से करोड़ों की संख्या में कीड़े निकल रहे थे और बाहर निकलने के साथ ही कुछ देर रेंगकर मर जाते।

सुबह के लगभग 11 बजे तक सबको लेकर ये लोग सीधा इस्तांबुल के एयरपोर्ट पर पहुंचे, जहां लॉस एंजिल्स जाने वाली प्लेन पहले से रनवे पर खड़ी थी। पूरे परिवार के लोग जब पूर्णतः होश में आये तब खुद को एयरपोर्ट के पास देखकर चौंक गये। हर किसी को रात का खाना खाने के बाद सोना तो याद था पर एयरपोर्ट कैसे पहुंचे वह पूरी याद ही गायब। वैन में ही पूरा कौतूहल भरा माहोल हो गया।

बेचारा निशांत हर कोई उसी के कपड़े फाड़ रहा था जबकि वह भी उसी कीड़े का शिकर हुआ था, जिस कीड़े ने सबको अपने वश में कर रखा था। लागातार बढ़ते विवाद और समय की तंगी को देखते हुये संन्यासी शिवम् सबको म्यूट मोड पर डालते...... "ये सब आर्यमणि का सरप्राइज़ है। आप सब लॉस एंजिल्स पहुंचिए, आगे की बात आपको आर्यमणि ही बता देगा।"…

संन्यासी शिवम के कहने पर वो लोग शांत हुये। सभी लगभग सुबह के 11 बजे तक उड़ान भर चुके थे, सिवाय निशांत, ओजल, इवान और अलबेली के। जैसे ही सब वहां से चले गए.… "शिवम सर, जीजू और दीदी पर भी हमला हुआ होगा क्या?"… ओजल चिंता जताती हुई पूछी।

संन्यासी:– आर्यमणि आश्रम के गुरुदेव है। सामने खड़े होकर उनकी जान निकालना इतना आसान नहीं होगा। सबलोग वहां चलो जहां हमे कोई न देख सके।

साबलोग अगले 5 मिनट में आर्यमणि वाले कास्टल पहुंच गये। अगले 10 मिनट में ओजल, इवान और अलबेली ने पूरे कास्टल को छान मारे लेकिन वहां कोई नही था। इवान, संन्यासी का कॉलर पकड़ते... "कहां गए मेरे बॉस और दीदी... आपने तो कहा था कि बॉस आश्रम के गुरुदेव है। सामने से उन्हे हराना संभव नही...

ओजल:– हम यहां नही रुक सकते। हवाई गंध को महसूस करते उन तक जल्दी पहुंचते है...

संन्यासी शिवम्:– वहां पहुंचकर भी कोई फायदा नही होगा... हम रेगिस्तान के इतने बड़े खुले क्षेत्र को नहीं बांध सकते। तुम लोग कुछ वक्त दो...

इतना कहकर संन्यासी शिवम् वहीं नीचे बैठकर ध्यान लगाने लगे। वो जैसे ही ध्यान में गये, इवान और अलबेली उस जगह से निकलने की कोशिश करने लगे। लेकिन खुले दरवाजे के बीच जैसे कोई पारदर्शी दीवार लगी हो... "ये कौन सा जादू तुम लोगों ने किया है। यहां का रास्ता खोलो हमे रूही और दादा (आर्यमणि) को ढूंढने बाहर जाना है।"

निशांत:– यहां से कोई बाहर नही जायेगा। सुना नही संन्यासी शिवम् ने क्या कहा?

ओजल:– तुम दोनो खुद पर काबू रखो…

अलबेली:– काबू की मां की चू… दरवाजा खोलो या फिर मैं इस संन्यासी का सर खोल देती हूं।

सबके बीच गहमा गहमी वाला माहोल शुरू हो चुका था। इसी बीच संन्यासी शिवम का ध्यान टूटा... "ओजल, निशांत तुम दोनो से इतना हल्ला गुल्ला की उम्मीद नही थी। इवान और अलबेली को शांत करने के बदले लड़ रहे थे। तुम दोनो भी शांत हो जाओ। गुरुदेव (आर्यमणि) और रूही, दोनो यहीं आ रहे है। तुम लोग जल्दी से जाओ एक खाली बेड, चादर, गरम पानी, और वहीं किचन में नशे में इस्तमाल होने वाली कुछ सुखी पत्तियां होंगी उन्हें ले आओ। तुम दोनो (ओजल और निशांत) अपना झोला लेकर आये हो?

ओजल, और निशांत दोनो एक साथ... “हां शिवम सर”...

संन्यासी शिवम्:– ठीक है यहां छोड़कर जाओ...

चारो ही भाग–भाग कर सारा सामान वहीं नीचे ग्राउंड फ्लोर पर सजा चुके थे। जैसे ही उनका काम खत्म हुआ, सबकी नजर दरवाजे पर थी। बस चंद पल हुये होंगे, सबको आर्यमणि दूर से आते दिख गया। जैसे ही आर्यमणि दरवाजे तक आया, संन्यासी शिवम् ने अपना जाल खोल दिया। आर्यमणि अंदर और फिर से दरवाजा को बांध दिया।
Nice update
 

nain11ster

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लगता है नैन भाई बिन बुलाये मेहमानों के स्वागत की तैयारी करने के लिये बहुत ही ज्यादा मेहनत कर रहे हैं
लगे रहो लगे रहो नैन भाई
बिन बुलाये मेहमानों का स्वागत अच्छे से होना चाहिए , मेहमानों की पूरी कोम जिन्दगी भर याद रखे कि हमारा आर्या की शादी में जैसा स्वागत हुआ ऐसा कभी भी नहीं हुआ और न कभी भी नहीं होगा
:hyper::hyper::hyper::hyper::hyper:
Mehnat to bahut jyada hui hai Froog bhai... Kewal ek taraf ka hi nahi... Yani alfa pack ke taraf se mehnat nahi hui hai... Balki alian ke ore se bhi mehnat hua hai... Aaj chhap raha hun baki aap khud decide kar lijiye...
 
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