परिचय
विक्रम सिंह - हिमाचल प्रांत के एक राज्य का राजा,
विक्रम सिंह के तीन संतान हैं।
अजय सिंह-बड़ा बेटा और होने वाला महाराज
विजय सिंह-दूसरा बेटा
सुमन सिंह-इकलौती बेटी
अजय सिंह का परिवार
शिवानी सिंह- अजय सिंह की पहली पत्नी
करण सिंह -बड़ा बेटा
अर्जुन सिंह-छोटा बेटा
रजनी सिंह - अजय सिंह की दूसरी पत्नी
सूर्या सिंह- अजय सिंह का मछला बेटा करण से छोटा और अर्जुन से बड़ा
विजय सिंह का परिवार
संजना सिंह-पत्नी
देवा सिंह-इकलौता बेटा
सुमन सिंह का परिवार
संजय चौहान-पति
देव चौहान-बड़ा बेटा
सूरज चौहान-छोटा बेटा
रतन सिंह-अजय सिंह का दोस्त और होने वाला सेनापति
निशा सिंह-रतन सिंह की बड़ी बेटी
दिव्या सिंह-रतन सिंह छोटी बेटी
पवन सिंह-विजय सिंह का मित्र और होने वाला सलाहकार
राधा-विजय सिंह की बेटी।
राज - देव चौहान का दोस्त
अपडेट-1
अवध प्रांत के एक मोहल्ले में, जहां मध्यमवर्गीय लोग रहते हैं। वहां सूरज चौहान अपनी पत्नी के साथ हंसी खुशी अपना जीवन व्यतीत करता था। सूरज चौहान जिसकी पत्नी का नाम सुमन चौहान थी। वह हिमाचल के एक राजघराने से थी, लेकिन भाग कर शादी करने के कारण उसके परिवार वालों ने उससे सारे रिश्ते तोड़ दिया, और सुमन ने भी कभी पलट कर अपने परिवार वालों के बारे में जानने की कोशिश नहीं की या यूं कहें कि अपने परिवार वालों से सारे संपर्क तोड़ कर अवध में आकर बस गई।
कहने को तो इस परिवार में सभी तरह की खुशियां थी, लेकिन सूरज चौहान और सुमन चौहान की एक भी संतान नहीं था। एक दिन संजना ने सूरज से कहा कि हम एक बच्चे को गोद ले लेते हैं। इस पर सूरज ने जवाब दिया अभी हम लोगों ने हिम्मत नहीं हारी है, यदि हमारे नसीब में अपना बच्चा नहीं हुआ तो हम एक बच्चों को अवश्य गोद ले लेंगे।
कुछ दिनों बाद सूरज चौहान को कहीं से पता चला की, बगल वाले गांव में एक बहुत पहुंचे हुए साधु आए हैं। उसने इस बारे में अपनी पत्नी से विचार विमर्श किया और इस नतीजे पर पहुंचा की, वे दोनों कल उस साधु के पास जाकर अपनी समस्या का समाधान मांगेंगे। दूसरे दिन वह दोनों एक साथ साधु के के पास गए। उन्होंने साधु से बहुत प्रार्थना है कि की है प्रभु शादी के इतने सालों हमारी कोई संतान नहीं है, कृपया हमें कोई उचित मार्ग दिखाएं। साधु ने कहा की यह तुम्हारी पत्नी के अपराध का नतीजा है। उसने तुम से विवाह करने के बाद एक बार भी अपने परिवार वालों के बारे में जानने की कोशिश नहीं की कि वे लोग कैसे हैं किस हाल में है, फिर भी मैं तुम्हें इस समस्या का समाधान बताऊंगा।
साधु ने कहा की हिमालय के दो चोटी के बीच में एक मंदिर है। यदि तुम लोग वहां पर जाकर वहां के तालाब में स्नान कर, प्रभु से कुछ भी मांगोगे तो वह कभी मना नहीं करेंगे। तुम्हें संतान की प्राप्ति का मार्ग वहीं से मिल सकता है। उन दोनों ने साधु का बहुत धन्यवाद की और अपने घर लौटे हैं।
कुछ दिनों के बाद वे दोनों उस मंदिर में जाने के लिए घर से निकले और कठिन रास्तों से होकर वे दोनों मंदिर पहुंच गए। उन्होंने उचित नियम का पालन करें सबसे पहले स्नान किया, फिर प्रभु की पूजा की और अपने संतान का वर मांग कर मंदिर से बाहर निकले। तभी संजय को पहाड़ की चोटी पर से कुछ गिरता हुआ दिखाई दिया। उसने ध्यान से देखा तो पता चला यह कोई बालक है। उसने उस बालक को बताया वह कोई एक-दो का बालक था। उसने इस बालक को प्रभु का प्रसाद समझकर अपने पास रख लिया और इसका नाम देव रखा। उन्होंने कभी इस बालक को इस विषय में नहीं बताया। कुछ दिनों बाद उन्हें सुमन ने एक पुत्र को जन्म दिया और इसका नाम सूरज रखा। देव के हाथ पर एक त्रिशूल का निशान था, उन्होंने ठीक वैसा ही निशान सूरज के हाथ पर भी बनवाएं, लेकिन यह निशान देव के निशान से थोड़ा सा अलग था।