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Incest Didi jiju or mai

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मेरे जीजू और दीदी दिल्ली में रहते हैं। मैं भी कुछ दिन के लिये उनके साथ रहने के लिये वहाँ गया था। मेरे वहाँ जाने पर दीदी वहाँ से बड़ी दीदी की होस्पिटल में सेवा करने जयपुर आ गई थी और मुझे बता गई थी कि मुझे घर के काम में मदद करनी है। तीन-चार दिनों में वो वापस आ जायेंगी। मुझे हिदायत दी- देखो जाना मत, मुझे तुमसे काम है ! फिर कुछ मतलब से मुझे देख कर मुसकुराते हुए कुछ इशारा भी किया।

दो-तीन दिन तक सभी कुछ सामान्य रहा, फिर तीसरे दिन जीजू सिनेमा की दो टिकटे ले आये। शाम को हम दोनों सिनेमा हॉल में गये। अधिक भीड़ नहीं थी। हम आराम से पीछे की सीट पर बैठ गये। हमारे पास की सीटें खाली थी। कुछ ही देर में पिक्चर चालू हो गई। थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि जीजू का हाथ मेरी जांघ पर था। मुझे झनझनाहट सी हुई। मैंने उनका हाथ धीरे से हटा दिया। पर वापस थोड़ी सी देर में उनका हाथ फिर से मेरी जांघ पर आ गया और सहलाने लगा। उनका हाथ धीरे धीरे मेरे लण्ड की ओर बढ़ने लगा। मुझे कुछ मजा सा आने लगा, पर मैंने उनका हाथ रोक दिया।

जीजू ने बात बदलते हुए मुझे कहा,”बाबू, कुछ ठण्डा लोगे…?”

फिर बिना कुछ कहे कोल्ड ड्रिन्क की दो बोतल ले आये। हम आराम से फिर पिक्चर देखने लगे। लेकिन जीजू ने फिर हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और दबाने लगे। मुझे भी रोमांच हो आया… और इस बार जीजू ने अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया और दबा दिया। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा।

“जीजू, हाथ हटा दो, मुझे अजीब सा लग रहा है !”

“अरे, तू तो मस्ती ले, मेरा भी पकड़ ले मुझे भी मजा आयेगा…!”

उन्होंने अब मेरे लण्ड को जरा ठीक से थाम लिया और सहलाने लगा। मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी। मैंने भी हिम्मत करके उनके लण्ड पर हाथ रख दिया। उसका लण्ड तो पहले से ही खड़ा था।

“बाबू, दो सीट उधर हो जा… “

मुझे पता चल गया कि उन्हें डर था कि कहीं पास वाला यह सब देख ना ले। पर तभी इन्टरवल हो गया। समय इतनी जल्दी निकल गया पता ही नहीं चला। पर अब मेरे जिस्म में एक तरावट आ गई थी। हम दोनों बाहर आ गये और हिरोइन के पोस्टर को देखने लगे।

सेक्सी पोज थे, जीजू बोले- भेनचोद क्या मस्त लगती है ये… पर तू इससे ज्यादा मस्त है।

जीजू, मैं कोई लडकी थोड़े ही हूँ !

जीजू मुस्कराये, बोले- देख मस्ती से चुदाना… क्या खायेगा…?

कुछ भी ले लो … आइस्क्रीम का ऑर्डर दे दो !

पिक्चर फिर शुरू हो चुकी थी। अब हम कोने वाली सीट पर आ गये थे।

बाबू, अपना लण्ड निकाल ! मुझे पकड़ा दे !”

“नहीं जीजू, शरम आती है…!”

पर जीजू ने मेरी पेन्ट की जिप खोल दी और मेरी अन्डरवियर को नीचे करते हुए लण्ड बाहर खींच लिया और हल्के हल्के मलने लगे। उफ़्फ़्… कैसा मजा आ रहा था। मेरा लण्ड बेहद कठोर होता जा रहा था। मेरा हाथ भी अपने आप जीजू की पैन्ट पर लण्ड के ऊपर पर चला गया। मैंने ज्योंही जिप खोली, वो अन्दर कुछ नहीं पहने थे। सीधा लण्ड हाथ में आ गया। मैंने उसे बाहर निकाल लिया। हम दोनों के लण्ड सधारण साईज़ के थे, पर हां … मेरा कुछ मोटा था। मैंने भी हौले हौले उसके लण्ड को मसलना चालू कर दिया। उनके मुँह से सिसकारी निकलने लगी।

“तेरा लण्ड तो मस्त है, तेरी दीदी को बताना पड़ेगा !”

“अरे नहीं, दीदी को कुछ मत कहना, नहीं तो नाराज हो जायेगी…”

अब हम पिक्चर नहीं देख रहे थे, एक दूसरे का लण्ड पर मुठ मार रहे थे। बला की मस्ती मुझ पर चढ़ गई थी। आंखें मस्ती में बन्द हो रही थी। जीजू अब मेरा लण्ड दबा कर जोर से मलने लगे। मेरे मुँह से आह निकल पड़ी और मेरा वीर्य निकल पड़ा। मैंने जल्दी से लण्ड आगे किया और वीर्य नीचे गिराने लगा फिर अपना रूमाल निकाला और लण्ड साफ़ कर लिया। अब सिर्फ़ जीजू को मस्त करना बाकी था। उनके लण्ड पर मैं मुठ जोर से मारने लगा। वो भी थोड़े से बैचेन हुए और लण्ड आगे करके वीर्य को नीचे टपका दिया। हमने अपने कपड़े ठीक कर लिये और ठीक तरीके से बैठ गये। मैंने सावधानी से इधर उधर देखा, किसी को कोई मतलब नहीं था, सभी पिक्चर देखने में लगे थे।

सिनेमा से हम दोनों घर आ गये। जीजू मुस्कुरा रहे थे। हमने डिनर लिया और रात को अपने कमरे में जा कर सो गये।

जीजू ने मुझसे कहा- यहाँ अकेले क्या सो रहे हो, इधर ही आ जाओ, बातें करेंगे।

मैं उनकी बात मान कर उनके कमरे में सोने चला आया। कुछ देर तक तो हम लोग बातें करते रहे।

“जीजू दीदी से मत कहना कुछ भी…”

“अरे तुम्हारी दीदी ही तो तुम्हारे बारे में कहती रहती है कि बाबू का लण्ड तो छोटेपन से ही बड़ा है और मोटा है।”

“अच्छा और क्या कहती थी वो…”

“कहती थी कि यदि आप चाहे तो भैया को मुझे चोदने के लिये राजी कर लो !”

“क्या… दीदी ने कहा ये…? मैं नहीं मानता…” मुझे आश्चर्य हुआ, पर मुझे लगा कि जीजू गे था उसे गाण्ड मारने या मराने में अधिक मजा आता होगा, इसलिये दीदी को कोई अपना लण्ड चहिये होगा कि बदनामी भी हो और चुदाई भी हो जाये।

“ठीक है… आयेगी तो देख लेना…”

दीदी के विचार सुन कर मेरा लण्ड तन्ना गया। मेरे जहन में दीदी का अब मस्त फ़िगर दिखने लगा था। दीदी की चूत कैसी होगी, चूचे कैसे होंगे। क्या सच में दीदी को चोद पाऊंगा। फिर जाने कब हम सो गये। रात को मुझे लगा कि जीजू मेरी पीठ से चिपक रहे थे और अपना लण्ड मेरी गाण्ड में रगड़ रहे थे। दूसरे हाथ से मेरा लण्ड पकड़ रखा था। मैं अनजान बन कर लेटा रहा। मुझे आनन्द आने लगा था। जीजू ने समझा कि मैं गहरी नींद में हूँ। उन्होंने मेरा पजामा उतार दिया। मेरी गाण्ड नीचे से नंगी हो गई और लण्ड बाहर आ गया। मेरा लण्ड भी बुरी तरह तन्नाने लगा था। अचानक मेरी गाण्ड में गीलापन लगा, शायद थूक था और फिर लण्ड का सुपारा मेरी गाण्ड की छेद में गड़ने लगा। अब मैंने जागना ही बेहतर समझा। मुझे भी तो मजा लेना था।

“जीजू, मेरी गान्ड मारोगे…?” मुझे गाण्ड में गुदगुदी सी लगने लगी।

“प्लीज, मारने दे ना बाबू… फिर तू भी मार लेना…” मेरा लण्ड बहुत ही कठोर हो चुका था, और रहा नहीं जा रहा था।

“जीजू पहले मुझे आपकी गाण्ड मारने दो… मेरा लण्ड बहुत कठोर हो रहा है।”

जीजू खुश हो गये, उनके मन की बात सामने आ गई।

“सच बाबू, देख तबियत से मेरी गाण्ड चोदना, मुझे लोहे जैसे लण्ड अपनी गाण्ड में बहुत भाते हैं… मेरी गान्ड चाटोगे?”

“जीजू घोड़ी बन जाओ…फिर गाण्ड चाटूंगा भी और चोदूंगा भी !” जीजू में गे वाली सारी आदतें थी।

जीजू तुरंत घोड़ी बन गए। उनकी गान्ड एकदम चिकनी और गोल थी। मैंने उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर चीर दिया। गाण्ड का छेद सामने था। मैंने अपनी जीभ को उसकी गाण्ड में घुसा कर उसको चाटा और जीभ को अन्दर भी डाला। कुछ देर तक चाटने के बाद जीजू खुद ही बोले,”बाबू, तू तो मस्त है रे… गाण्ड को भी चाटने से मस्ती आ गई…किसी ने मेरी गाण्ड ऐसे नहीं चाटी… अब लण्ड घुसेड़ दे…मार दे गाण्ड !”

मैंने अपना लण्ड छेद में जमा कर जोर लगाया तो पता चला कि गाण्ड तो पहले से ढीली है, लण्ड गान्ड में घुसता चला गया। मैं उनके चूतड़ों पर थपथपा कर कस कस हाथ से मारने लगा। उसे जोर का आनन्द आने लगा। उसका लण्ड भी कड़क हो उठा। मेरे धक्के चालू हो गये वो मस्त हो उठे और मुझे गालियाँ देने लगे। आह रे… मेरे लण्ड में गजब की मस्ती छाने लगी। चुदाई तो बहुत की थी पर किसी आदमी गान्ड पहली बार मारी थी। मैंने हाथ बढ़ा कर उनका लण्ड पकड़ लिया और धक्कों के साथ मुठ भी मारने लगा।

जीजू तो जैसे तड़प उठा,”भेन चोद… तू तो उस्ताद है रे… क्या गाण्ड को पेली है कि मादरचोद मजा आ गया…!”

“जीजू मेरे से मराओगे तो गाण्ड की मस्ती ऐसी चढ़ेगी कि बस मुझसे ही मरवाओगे आप !”

“तेरा लण्ड चूसने को मन कर रहा है… पर अगली बार… तेरा लण्ड और मेरी गाण्ड… वाह रे…” जीजू मेरी तारीफ़ करने लगा था।

“दीदी को मेरे से चुदवा दो… आपका अहसान होगा !” मैंने अपनी फ़रमाईश कर ही दी…

“कल ही लो… वो आये तो तू खुद ही उससे चिपक जाना… वो देखना तुझे गले लगा लेगी… और बिना कुछ कहे ही चुदवा लेगी।” जीजू ने मुझे असली बात बता दी।

जीजू का लण्ड मसलने से उसका हाल बुरा हो उठा था, और इधर मैं उसकी गाण्ड चोद चोद कर चरम बिन्दू पर आ रहा था। तभी मैं झड़ने लगा। मेरा वीर्य निकलने लगा। मेरा जोश ठण्डा पड़ने लगा। पर जीजू ने पलट कर मुझे घोड़ी बना कर मुझ पर चढ़ गया,”बस बाबू दो मिनट… मैं तो तैयार हूँ…”

उसने अपना कड़क तन्नाया हुआ लण्ड मेरी गाण्ड में घुसेड़ दिया। मैं दर्द से कराह उठा। उसने बस तीन-चार ही धक्के मारे और उसका वीर्य छूट पडा। पर इन तीन चार बार लण्ड पेलने से मेरी गाण्ड जैसे फ़ट गई हो… असीम दर्द होने लगा था। उसके लण्ड में भी कट दिख रहा था और खून की बून्दें छलक उठी थी।

“साली गाण्ड है या सुई का छेद… इसे बार बार चोद कर मेरे लायक बनाना पड़ेगा।”

अगले रोज दीदी आ चुकी थी। उसे देख कर मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं जीजू के बताये अनुसार कुछ करूँ।

शाम को दीदी नहा कर जब बाहर आई तो सिर्फ़ पेटीकोट में थी। उसका पेटीकोट पतले कपड़े का था, सो साफ़ मालूम पड़ रहा था कि अन्दर पैन्टी नहीं पहनी है। मैं वहीं बिस्तर पर बैठा था। मुझे शरमाते देख कर दीदी ने ही पहल कर डाली।

“तुम्हारे जीजू बता रहे थे कि तुम दोनों के दिन बड़े मस्ती में कटे… खूब मजे किये…?”

“जी दीदी, जीजू तो है ही मस्त…पर आपको कैसे मालूम… ?” दीदी बिलकुल मेरे पास आ गई और लगभग चूत को मेरे मुँह के पास ले आई।

“उन्होंने मुझे सब बता दिया है…” अब कुछ शर्माने की गुन्जाईश नहीं रही थी। मैंने दीदी के चूतड़ों को थामते हुए दबा दिया और पेटीकोट के ऊपर से ही दीदी की चूत में अपना मुँह गड़ा दिया। दीदी के मुख से हाय निकल पड़ी। मेरे बालों को नोच कर पकड़ लिया और मेरे सर को अपनी चूत पर जोर से दबा दिया। उसकी चूत की दोनों फ़ांके खुल गई और उसके बीच मेरा मुँह घुस पड़ा।

अपनी चूत को जोर देकर और मेरे मुख पर दबाने लगी,”मेरे भैया… जरा चूस डाल चूत को…!”

दीदी के मुख से आह निकली और अपना पेटीकोट ऊंचा कर लिया। उसकी चूत डबल रोटी की तरह फ़ूली हुई थी… उसमें से जवानी का मद मस्त रस निकल रहा था। दीदी ने अपनी एक टांग ऊंची करके बिस्तर पर रख ली और अपनी चूत का द्वार खोल दिया। मैंने अपनी जीभ निकाली और और दीदी की रस भरी जवानी को चाट लिया। उसकी यौवन कलिका चूत के साथ अन्दर-बाहर हो कर मचल रही थी। मैंने अपने होंठों से उस उभरी हुई छोटी सी नन्ही सी कली को मसल दिया।

“भाई जी, मार डालोगे क्या…?” दीदी सिसक उठी।

“बाबू… आपकी दीदी चुदने के तैयार है… पटक दो बिस्तर पर और दोनों लूटो जवानी का मजा…”

“जीजू और आप…?”

“ये तो बस गाण्ड मारते हैं और मराते हैं… ये तो गे है…” दीदी ने निराशा पूर्वक कहा।

“दीदी बस, निराश नहीं हो… मेरा लण्ड आपकी चूत की प्यास बुझायेगा… चोद चोद कर मस्त कर देगा !” मैंने उन्हे तसल्ली दी।

दीदी खुशी से मेरे से लिपट गई,” बस भैया अब लग जाओ, मेरी चूत को ठण्डी कर दो… मस्त चोद दो …।”

मैंने दीदी की कमर में हाथ डाल कर उसका पेटीकोट उतार दिया और प्यार से उसे बिस्तर पर लेटा दिया। मैंने तुरन्त अपनी पैन्ट और अंडरवियर उतार दिया और दीदी को अपना मोटा तगड़ा लौड़ा दिखाया।

“ला चूस लूँ इसे… ” मेरा लण्ड खींच कर अपने मुख में भर लिया और चूसने लगी।

मैंने भी कमर हिला कर उसका मुँह चोदना चालू कर दिया। उसके मुँह से गों गों की आवाज आने लगी। लण्ड शायद हलक में भी जा रहा था। दीदी ने लण्ड बाहर निकाल दिया और खांसने लगी।

“गले को चोद डालेगा क्या…?”

“सॉरी दीदी… जोश में गला चुद गया…” दीदी ने मुझे धक्का दे कर अपने ऊपर लेटा लिया और अपनी दोनों टांगें ऊपर करके अपनी चूत खोल दी। मैंने अपना लौड़ा निशाने पर लिया और उसकी चूत में घुसेड़ दिया। एक मोहक सी सीत्कार भरते हुए उसने मेरा लौड़ा अपनी चूत में भर लिया। और मुझे कस कर पकड़ लिया।

” भैया मेरी इतनी बड़ी-बड़ी चूचियाँ भी तो है ना… मसल डालो ना… देखो ना कितने बेताब हो उठे हैं।”

“मैंने दोनों बोबे अपने हाथों में भर कर उन्हें मसलना शुरू कर दिया। उसकी कमर हौले हौले चलने लगी और वो शान्ति से चुदने लगी। उसे बड़ा ही आनन्द आ रहा था। मेरे लण्ड में भी वासना की मिठास भरने लगी थी। उसके मस्त बोबे और चुचूक घुमा रहा था और हम दोनों जवानी का लुफ़्त उठा रहे थे… पर हाय ये जीजू भी… मेरी मस्त गोल गाण्ड देख कर उनसे रहा नहीं गया… उनका कड़क तन्नाया हुआ लण्ड मेरी गान्ड में घुस पडा। मेरी गाण्ड तो कल से दर्द कर रही थी, मैं दर्द से बिलख उठा,”दीदी ये देखो ना जीजू को … फिर से मेरी गाण्ड मार रहे हैं…!”

“सह ले मेरे प्यारे भैया… देख मैं भी तो चुद रही हू ना…डबल मजा ले ले…” दीदी ने मुझे समझाया।

दीदी नाराज ना हो जाये सो गाण्ड भी मरवाता रहा औए चोदता भी रहा। गाण्ड के दर्द के मारे मेरा माल भी नहीं नहीं निकल पा रहा था… पर दीदी इतने में दो बार झड़ चुकी थी। इतने में जीजू झड़ गये, उनके वीर्य ने मेरी गान्ड चिकनी और लसलसी कर दी… जीजू का लौड़ा बाहर निकलते ही मुझे शान्ति हुई और मैं दीदी को फिर से चोदने लगा और अपने अंतिम पड़ाव पर आने लगा। दीदी भी तीसरी बार झड़ने वाली थी। आँखें बन्द करके खूब जोर जोर से चुदा रही थी… अब मेरा निकला …निकला हो रहा था। दीदी को पता चल गया गया कि मैं झड़ने वाला हूँ… सो उन्होंने अपनी चूत टाईट की और मेरे लण्ड को दबा लिया। मेरा वीर्य एकदम से छूट पडा और चूत में भरने लगा… तभी दीदी भी झड़ने लगी। दीदी ने मुझे प्यार से गले लिया और हम एक दूसरे के ऊपर वैसे ही लेट गये।

“भैया तेरा तो बड़ा तगड़ा है… देख मैं तीन बार झड़ गई… और तू है कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा।”

मैं क्या बताता कि जीजू के कारण था ये सब … पर उस दिन से दीदी मेरी चुदाई की फ़ैन हो गई। मेरी गाण्ड आज पूरी सूज गई थी, बहुत दर्द था। दीदी के कहने से जीजू ने मेरी गाण्ड सात दिनों तक नहीं चोदी। जीजू से तो उन्होंने चुदना ही छोड़ दिया था। सात रोज बीतने के बाद अब तो रोज रात को यही होता कि मैं दीदी को चोदता और जीजू मेरी गाण्ड मारते… दिन को तो जीजू मुझसे बहुत बार गाण्ड मरा लेते थे… बदले में मेरी सारी फ़रमाइश पूरी कर देते थे। अब हमारी लाईफ़ बडी मस्त चल रही है… या कहिये बहुत गड़बड़ चल रही है।
 

Siraj Patel

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Hello Everyone :hello:

We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..


Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.


Regards : XForum Staff.
 
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