Update 04
Mai bahar jaate hi देखा की जाहिद और जरीना बाहर खेल रहे थे ।मैने, दोनो आवाज दिए की आप gharme जाके नाश्ता कर लो। वो दोनो एक साथ
बोले। ठीक है भाई
फिर मैं खेत की तरफ निकल गया
मेरे घर में। मेरी मां ने दादा जी को बोली की आप मेरे कमरे में। चले लेट जाए।
मेरे घर के अंदर कुल चार कमरे है एक में मेरे मां रहती है।
दूसरे में मै रहता हु और तीसरे कमरे में। छुटकी और जाहिद।
रहते है एक कमरा खाली रहता है। लेकिन अक्सर मेरे पापा
उसी रूम में रहते है।
और दो कमरे बाहर barande में है। दोनो साइड मे।
जिसमे एक कमरे में दादा जी रहते है और एक कमरे में गए।
का चारा रखा रहता है। बहर गाय को रहेने के लिए एक घर है । जिसमे गाय रहती इस समय सिर्फ गाय ही है।वैसे वो जानवरों। के रहने का कमरा है।
ये रहा मेरे घर का डिटेल।
मेरे दादा जी बोले की मै बाहर कमरे में जाता हु बहु तुम वही आजाना। मेरे दादा जी जो कमरा था वो अंदर से मेरे कमरे में।
खुलता था यानी की मेरे कमरे से बाहर दादा जी के कमरे में।
जा सकते है मेरी बोली की आप yanhi मेरे कमरे में ही लेट जाते तो अच्छा रहता।
दादा जी बोले। नही बहु मुझे तुम्हारे कमरे में जाना ठीक नही लगता।
मै बाहर अपने कमरे में ही जाके लेट जाता हु।
उधर गुडिया। छुटकी और जाहिद को नाश्ता करा रही थी।
इधर दादा जी घर में होने की वजह से मेरे पापा घर से बाहर।
नही आ रहें थे। उनको टॉयलेट जाना था।
दादा जी अब बाहर जा चुके थे। तो अब पापा जल्दी से निकल के टॉयलेट में चले गए।
मेरी मां ने बोला गुडिया से बोली की गुडिया तुम जाके दादा जी का तेल से मालिश करो जबतक तुम्हारे पापा जायेंगे तो
मै आती हु।
गुडिया बोली ठीक है मां।और वो सुकून का तेल लेकर मेरे कमरे के अंदर से दादा जी के कमरे में चली गई।
इधर मारी मां जाहिद और छुटकी को स्कूल के लिए तयार करने लगी।
मेरे पापा भी टॉयलेट के बाद रेडी hoke नाश्ते का वेट कर रहे थे । मेरे पापा इधर उधर देख कर गुडिया गुडिया आवाज देने लगे तो मेरी मां बोली गुडिया बाहर दादा जी का हाथ पैर दबा रही है। आप रूको सब्र करो देती हु nasta ek मिनट की।
की भी सब्र नहीं है जैसे की कोई गाड़ी छूट रही है।
पापा मेरे चुप चाप बैठे थे कोई आवाज नहीं अब मेरी मां उनको तैयार करके स्कूल के लिए रवाना करदी।
उसके बाद मेरे पिता जी को नाश्ता देने लगी।
नाश्ता देते देते मेरी मां बड़ बड़ कर रही थी की पूरे समाज में
नाक कट रही है चार बच्चो के बाप होके भी अकल नही ।
Aarhi hai राजू को देखो 19 वा साल चल रहा है बच्चे का।
फिर बाप की हरकत बेटे जैसे और बेटा बाप का काम कर
रहा है।
मेरे बच्चे के वजह से थोड़ी इज्जत बची हुई है समाज में।
आपने तो पूरी नीलम ही करदी थी। पापा मेरे चुप चाप नाश्ते में लगे हुएं थे। उनको कोई फ़र्क पड़ने वाला नही था।
मां अपने दिल की भड़ास निकाल रही थी।मेरे पापा का जैसे
दिमाग काम करना बंद kardiya हो उन्हें कोई फर्क नहीं।
पड़ता दुनिया क्या बोल रही है।
इस से कोई मतलब नहीं वो तो दुनिया में रहते ही नही थे
उनकी दुनिया तो बस रेशमा का घर ही था।
समाज में। गांव में क्या हो रहा है कोई फरक नही पड़ता।
कौन क्या बोलता है।कोई फर्क नही पड़ता।
पापा को बस इतना ही नजर आता।अपने घर से रेशमा का
घर।
उसके आगे की दुनिया उनके लिए नही है।मेरी मां अक्सर कहा करती है की रेशमा ने पता नही जादू टोना कर दी है।
की इनको कुछ भी बोलो समझ में ही नही आता।
खैर? आगे बढ़ते है। नाश्ता करने के बाद पापा अपने ठिकाने
के लिए निकल गए।
और मां दादा जी की पास जाके गुडिया को देखी की दादा जी के पैरो की लगे जांघ तक खोल के तेल मालिश कर रही थी।
मेरी मां दादा जी पूछी अभी कुछ आराम मिल रहा है दर्द से।
दादा जी बोले बहु आराम तो है।लेकिन गुडिया के हाथ हल्के
तुम और राजू मालिश करते हो तो ज्यादा ठीक लगता है।
मां बोली ठीक पापा मैं कर देती हु दादा जी पीठ के बल लेटे।
हुए थे।मेरे दादा जी लूंगी के अंदर चड्डी नहीं पहनते थे। वो लूंगी के नीचे नंगे ही रहते थे। दादा जी जांघ तक लूंगी चढ़ा के हल्का गांठ मार कर लेते थे जिसकी वजह लूंगी ऊपर न खिसके।
उधर।मै खेतो की सेर कर रहा था अभी खेतो में गेंहू की फसल उग रहे थे।
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कुछ इस तरह के थे और kanhi kanhi गन्ने के भी खेत थे।
ठंडी का मौसम था।खेत बहुत सुंदर लग रहे थे ।
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कुछ इस तरह के नजारें थे।
मै अपने खेत टहल रहा था की मुझे रोड पे दिखा की मेरे पापा जल्दी जल्दी खेतो की तरफ जा रहे थे। मेरे दिल में खल बाली मची की आज ये इधर कैसे जा रहे है वो भी इतनी तेज कदमों से । फिर मैं उधर ही अपने खेत में tahel रहा था करीब 10मिनट के बाद मुझे पापा के जाने का मकसद मिल गया।
बड़े आराम से रेशमा और उसकी सबसे बड़ी बेटी रज्जो
और चौथी बेटी माहिरा। मस्त धीरे धीरे हल्के हल्के कदमों से मचलते हुए।जाते दिखे केयोकी रेशमा भी नहर के किनारे एक जमीदार के बेटे की खेत आधे पे ले के खेती करवाती थी।
जमीदार जबतक थे। जब तक वो अपनी खेती खुद ही करते थे। लेकिन उनके दो बेटे थे जिनका नाम समीम ओर मतीन था वो कभी खेत के किनारे नही जाते थे उनका घर मेरे बगल वाले गांव में था पिता के मरने के बाद दोनो बेटे आपस में खेत और घर बांट लिए थे समीम बड़ा बेटा था उसे कुछ करना नही था सिर्फ दिन भर चौराहे पे गप मरता रहता था। इसलिए उसने अपने सभी खेतो को थोड़ा थोड़ा अलग अलग लोगो को अधिया pe दे रखा था उसमे से नहर के किनारे वाली खेत 5 बीघा रेशमा ने लिए थे मुझे समझते देर न लगी की आज छीनाल खेती में कुछ करने ही जा रही थी मचल मचल के।
घर में तो रहना नही था इसलिए पापा भी पहले आगे निकल
गए ताकि किसी को पता न चले ।
To be continued