Update 02
गाय को चारा देने के बाद घर मे गया तो देखा कि मेरी छोटी बहन गुड़िया चूल्हे पर चाय और नाश्ता बना रही थी गुड़िया मेरे से 1.5 साल छोटी है मै आंगन में लगे नल पर गया ओर मुंह हाथ धोने लगा ओर देखा की मेरी मां घर में झाडू लगा रही थी मेरी मां मेरे पापा की हरकतों की वजह से बहोत दुखी रहती थी लेकिन अपनी तकलीफ कभी जाहिर नही करती थी वो हमेशा अपने बच्चो के बारे में ही सोचती अपनी खुशियों को कभी तवज्जो नहीं देती हम लोगो के सामने कभी दुख जाहिर नही होने देती थी । मै अब बच्चा नहीं था मै सब समझता था मेरी मां को कभी वो खुशी नही मिली जिसकी वो हकदार थी मेरे पापा पूरा दिन घर में नही आते थे सुबह नाश्ता करके जाते है। उसके बाद दोपहर में खाना खाने आते है।फिर रात में कभी 10 बजे कभी 11 बजे आते है। मेरी मां जबतक उनका इंतजार करती थी। हम लोग सोजाते थे ये सब बाते मेरे दिमाग मैं चल रही थी की इतने में गुड़िया आवाज दी। भयया नाश्ता रेडी है आप दादा जी को बुला लाए ओर साथ में नाश्ता करले मेरी मां भी झाडू लगा के कमरे की तरफ गई मेरे छोटे भाई जाहिद को उठाने जो गुडिया से डेढ़ साल छोटा है।ओर एक बहन जिसका नाम जरीना है वो जाहिद से डेढ़ साल छोटी है हम चार भाई बहन है दो भाई ओर दो बहन। मैं जाके दादा जी को आवाज देके वापस आगया चूल्हे के पास जो खाट रखी थी उसपे बैठ गया।मेरी मां नल पर मेरे दोनो छोटे भाई जाहिद और बहन जरीना को जिसे हम घरवाले छुटकी बुलाते थे दोनो बरस करा रही थी। इतने में दादा जी gharke अंदर दाखिल हुए आवाज लगाते हुए छुटकी,छुटकी मेरी मां ने आवाज दी पापा आजाओ।तब मेरे दादा जी आंगन में रखे हुए खाट पर मेरे बगल में बैठ गए। भाइयों और मेरी बहेनो गांव में घरके बुजुर्ग बिना आवाज दिए gharke अंदर दाखिल नही होते थे ये गांव की परंपरा थी।अब हमारे सामने के तरफ दोनो छोटे भाई बहन बैठे वो दोनो अक्सर आपस मे झगड़ते रहते किसी भी बात को लेकर।छुटकी मै दादा जी पास बैठुगी ओर जाहिद बोला मै दादाजी के पास बैठुगा ये बात से झगड़ा चालू दादाजी बोले आप दोनो मेरे पास बैठो ge aajao छुटकी को दादा जी ने बगल में बिठाई और जाहिद को सामने।फिर दोनो सांति बैठे।मेरी मां और गुडिया चूल्हे के पास बैठे थे मेरी मां ने प्लेट में पकोड़े निकल के दिए और हम सभी खाने लगे फिर दादा जी मां से पूछने लगे कि कहां है साहेबजादे मेरे पापा के बारे में। मेरी मां बोली आप तो जानते ही हो अभी उनकी सुबह कहां हुई है। हा वो तो मैं जानता हु बस पूछ लिया ये अभी भी नही सुधरेगा बच्चे इतने बड़े बड़े हो गए फिर भी उसे किसी बात की फिकर नही है ना ही कुछ सरम हया है की लोग क्या कहते होंगे।मैं तो बात भी नही करता उस से पापा जाने दो जो किस्मत होगा सो होगा आप हमारे बच्चो के लिए जो करते हो वो दुनिया का कोई दादा अपने पोते पोतियों के लिए नही करेंगे मै तो बस अपने बच्चो के लिए जी रही हु और कोई मकसद नहीं है मेरा आपने तो यन्हा तक करदिए की जमीन भी मेरे नाम से वारासत करदिए की आपके न रहने बाद आपकी सारी जमीन राजू के पापा के जगह मेरे नाम से होजाएगी।दादा जी, तो क्या करता बेटी मुझे शाहिद पे जरा भी विश्वास नहीं है की मेरे मरने के बाद क्या करेगा।इसलिए
लोगो से राय लेकर मैने ये कदम उठाया है की कल को मै न रहूं तो वो अपनी मन मानी करे।तुम्हे और बच्चो को तकलीफ दे क्या भरोसा आज वो ,,,,,दादा जी चुप होगये हम सब नाश्ता करने के बाद दादा जी बाहर बरामदे में चले गए।फिर मेरी मां और गुडिया खाट पे आके बैठ कर नाश्ता करने लगी मैंने मां से कहा की मां अब डेढ़ दो साल के बाद गुडिया की भी शादी करनी होगी।ये बात गुडिया सुनकर बोली मैं कही जाने वाली नही मां को छोड़ कर।भाई तुम मुझे भागने के चक्कर में लगे हो मैने क्या नुकसान किया है आप का मां बोली ठीक बाबा मत जाना yanhi रहेना अब ठीक है मेरी मां की बाते सुनकर वो चुप। होगई ओर कप प्लेट उठा के नल पे जाके साफ करने लगी और दोनो छोटे जाहिद ओर छुटकी बाहर दादा जी के पास चले गए।मै मां के साथ ही खाट पे बैठा था मैने मां से पूछा। की मां पापा कभी से us reshma ke ghar jane lage aour aisa kaise hua aaj se पहले कभी मां से मैने ये सब नही पूछा था मेरी मां अंदर बहुत दुखी रहती थी लेकिन कभी जाहिर नही करती थी।वो सिर्फ हमारे बारे में ही चिंता करती थी।ओर दादा जी का बहुत अहसान मानती थी आखिर दादा जी काम भी ऐसे किए थे।मेरी मां मेरे बातो से दुखी थी जो मैने रेशमा के बारे में पूछा था की पापा कैसे उसके चक्कर में पड़े।लेकिन जाहिर नही करती थी मेरी अभी भी जवान थी पूरा बदन भरा हुआ था मेरी मां का एक दम गोरी कसा हुआ बदन बड़े बड़े छाती (मेरे विचार मेरी मां के बारे में गलत नही है लेकिन मुझे लिखना पड़ेगा जो
सच्चाई है ) भरे हुए चूतड किसी भी एंगल से कोई भी कमी नहीं थी फिर भी मेरे पापा का ऐ कदम उठाना समझ के बाहर था ये भी हो सकता है की घर की मुर्गी दाल बराबर दोस्तो अब आगे।बढ़ते है मेरी बोली की ये उन दिनों की बात है जब छुटकी पैदा हुई थी।
दोस्तो मुझे काफी नींद आरही है इजाजत चाहूंगा आप सभी से अनुरोध करता हु की लिखने में जो भी गलती होगी तो जरूर मुझे बताए।कहानी के बारे में सुझाव दे की कैसी लग रही है अभी तक की कहानी