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Incest GUESS THE TITLE

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Sendbobsandvegana

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This is one of the underrated most erotic story in the world of incest......I want you to GUESS the main title of this story....
Only pure incest lover would know the answer
Its kind of challenge for u....lets see and post ur guesses in comment section...


Update 1
मेरा नाम अमित है और मै दिल्ली का रहने वाला हूँ | आज मै आपको वह बात
बताने जा रहा हूँ जिसे सुनकर शायद आप यही सोचेंगे की ये सिर्फ एक कहानी
है | मगर सच मानिये ये कोई सेक्सी कहानी नहीं है बल्कि मेरे साथ घटी एक
सच्ची घटना है |
ये बात तब की है जब मै लगभग १९ वर्ष का था और मेरी बहन अमृता लगभग १७
वर्ष की थी | जो भी कुछ हमारे बीच हुआ- वह हुआ तो गलती से था मगर बाद में
हम दोनों को ये एहसास हुआ की जो हुआ वह अच्छा हुआ और हम दोनों धीरे धीरे
उससके आदि हो गए थे |
मै शुरू से ही बहुत सेक्सी वि चारो वाला लड़का रहा हूँ और अपने से बड़ी
उम्र के लडको के साथ रहता था इसलिए लगभग १४-१५ वर्ष की आयु से ही मै
सेक्सी फिल्मे देखने लगा था और तभी से मुठ भी मरने लगा था | लेकिन अभी तक
मेरी ये आदत किसी एक साधारण जवान लड़के के जैसे सिर्फ मुठ मरने तक ही
सीमित थी | इसका मेरी बहिन के साथ कोई सम्बन्ध नहीं था | मै भी एक साधारण
भाई की तरह ही अपनी बहिन को साधारण वाला प्यार करता था |
लेकिन एक दिन (ये बात उस समय कि है जब मै लगभग १७ वर्ष का था और अमृता
लगभग १५ वर्ष कि थी |)मै अपने दोस्तों के साथ वी सी आर पर एक बहुत ही
सेक्सी फिल्म देख कर आया था और मौका न मिल पाने के कारन उस दिन मुठ नहीं
मार सका था | इसलिए पूरा दिन परेशान रहा |मगर पूरा दिन मुझे मुठ मारने का
मौका मिला ही नहीं और मुझे रात को बिना मुठ मरे ही सोना पड़ा |
उसी रात मेरे साथ वह हुआ जो शायद इस समाज की नजरो में गलत होगा मगर अब
मेरी नजरो में गलत नहीं है | मुझे कामुकता के कारण नींद नहीं आ रही थी और
मै करवटे बदल रहा था कि अचानक मेरी नजर मेरे बराबर में सोती हुई मेरी
छोटी बहिन पर पड़ी | (यहाँ मै आपको बता दूँ की शुरू से ही हम दोनों भाई
बहिन एक कमरे में सोते थे और हमारे मम्मी-पापा दुसरे कमरे में सोते थे
|)नींद में बेफिक्र हो कर सो रही मेरी बहन बहुत-बहुत सुंदर लग रही थी |
और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि नींद में सोती हुई मेरी बहिन के बूब्स बाहर
आ रहे थे |पहले तो उसके बूब्स देखते ही मेरे अंदर हवस जाग उठी मगर दुसरे
ही पल मेरे अंदर का भाई भी जाग गया और मैंने खुद पर कण्ट्रोल करते हुए
अपनी करवट बदल ली |
मगर बहुत जयादा देर तक मेरे अंदर का भाई जागा न रह सका और मेरे अंदर का
मर्द जाग गया | मै दिन भर से तो परेशां था ही, अब जयादा देर खुद पर
कण्ट्रोल न कर सका और वापिस करवट बदल कर अपनी ही छोटी बहन के बूब्स देखने
लगा | सच कहता हूँ उस समय मेरे अंदर मिले जुले विचार आ रहे थे | कभी तो
मै अपनी ही बहन के बूब्स देख कर उत्तेजित हो रहा था और कभी खुद पर ग्लानी
महसूस करता था |
मगर फिर भी उसके बूब्स देखने का मौका मै खोना नहीं चाहता था इसलिए उस रात
मै जी भरकर अपनी बहिन के बूब्स देखता रहा मगर उसे छूने कि हिम्मत नहीं कर
सका | लेकिन उसके गोरे-चिट्टे छोटे-छोटे बूब्स ने मेरे लैंड का हाल बुरा
कर दिया था इसलिए मै लेटे-लेटे ही बिना पजामा खोले ही मुठ मारने लगा और
अपनी बहन के बूब्स को निहारने लगा | इस तरह मैंने उस दिन पहली बार अपनी
बहिन के नाम से मुठ मरी थी और वह भी उसके नंगे बूब्स को देखते हुए- उसी
के सामने | सच कहता हूँ मुठ तो मै कई सालो से मार रहा था मगर उस दिन मुठ
मारने से जो संतुष्टि मुझे मिली थी वो उस दिन से पहले कभी नहीं मिली थी |
बस उस दिन के बाद से ही मै अपनी बहन को ही उस नजर से देखने लगा था जिसे
ये समाज तो सेक्स कहता है लेकिंन मै उससे प्यार कहूँगा | उस रात के बाद
से मै जाग-जाग कर अपनी बहन के सो जाने का इन्तजार करने लगा | और साथ ही
इन्तजार करता उसके सोते समय बूब्स के बहार निकल जाने का | कभी कभी तो मै
पूरी पूरी रात जगता रह जाता मगर अमृता के बूब्स बहार ना निकलते और मै डर
के कारण उसे छू नहीं सकता था | अब तो दिन रात मेरे ऊपर मेरी ही सगी बहन
के प्यार का भूत स्वर हो चूका था | मै सेक्सी फिल्म देखता तो मुझे अमृता
नजर आती और अमृता को देखता तो सेक्सी फिल्म कि हिरोइन नजर आती | ये
सिलसिला लगभग एक साल तक चलता रहा और मै ऐसे ही अमृता के नाम कि मुठ मारने
लगा मगर कुछ करने कि हिम्मत नहीं कर सका |बस रात रात भर जाग कर अपनी बहन
के बूब्स बाहर आने का इन्तजार करता |
लेकिन दिन-ब-दिन मेरे अंदर अमृता को पाने कि चाहत बढती जा रही थी | अब
मेरी नजर सिर्फ और सिर्फ अमृता के बूब्स पर ही रूकने लगी थी | मै जाने
अनजाने में सबके सामने भी अमृता के बूब्स ही निहारता रहता था और इस बात
के लिए एक-दो बार मेरे दोस्तों ने मजाक मजाक में टोक भी दिया था, मगर
मैंने उन्हें नाराजगी जताते हुए इस बात के लिए डांट दिया था | लेकिन सच
तो यही था कि अब मै अमृता के प्यार मे पागल हो चूका था और उसको पाने कि
चाहत में अपनी सभी हदे पार करने लगा था |
इसलिए अब रात को जब अमृता के बूब्स बहार नहीं निकलते थे तो मे खुद अपने
हाथ से उन्हें बहार निकालने लगा था | लेकिन बूब्स को बहार निकालते समय मै
इस बात का विशेष ध्यान रखता था कि कही अमृता कि नींद न टूट जाये |
धीरे धीरे मेरी हिम्मत भी बढती जा रही थी और मै रोज ही अमृता के बूब्स
निकल कर धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा , कभी कभी हलके से किस्स कर देता तो
कभी कभी अपना लैंड ही उसके हाथ में दे देता |
ये सब सिलसिला भी लगभग एक-डेड़ साल तक चलता रहा और मेरी उम्र लगभग १९
वर्ष कि हो गयी थी और अमृता भी लगभग १७ वर्ष कि हो गयी थी | उम्र के साथ
साथ अमृता के बूब्स भी भारी होते जा रहे थे और मुझे पहले से भी ज्यादा
पागल करने लगे थे |मै अपनी ही सगी बहन के बूब्स के लिए पागल हुए जा रहा
था और रोज रात को उसके बूब्स बहार निकालकर चूसता, सहलाता और उसके हाथ में
अपना लंड रख कर अपनी सोती हुई बहन से मुठ मरवाता |
एक रात (जब मै १९ वर्ष का हो चूका था ) मेरा पागलपन कुछ ज्यादा ही बढ गया
और मै रोज कि तरह अमृता के बूब्स से खेलने लगा| साथ ही साथ अपना लंड
अमृता के हाथ में दे कर मुठ मरवा रहा था कि अचानक मै अपना कण्ट्रोल खो
बैठा और उत्तेजना में बहुत जोर जोर से अमृता के बूब्स चूसने लगा | अपनी
उत्तेजना में मै ये भूल गया कि मै अपनी ही छोटी बहन को सोते समय प्यार कर
रहा हूँ और अपना लैंड उसके हाथ में दे कर जोर जोर से मुठ मरवाते हुए,
बहुत जोर जोर से उसके बूब्स अपने हाथ से दबाते हुए मै उससे लिप्स टू
लिप्स किस्स करने लगा (और ये सब बहुत जोर जोर से करने लगा था ) कि अचानक
अमृता कि नींद खुल गयी | लेकिन जिस टाइम अमृता कि नींद खुली उस टाइम मेरे
होठ उसके होठो को चूस रहे थे इसलिए वो चिल्ला तो न सकी मगर डर बहुत गयी |
मेरे ऊपर उस समय जैसे शैतान सावार था | मै उस समाया अपनी चरम सीमा के
समीप था | मैंने अमृता के जग जाने कि परवाह नहीं कि और पागलो कि तरह उससे
किस्स करता रहा , जोर जोर से उसके बूब्स दबाता रहा और उसके हाथ में अपना
लंड दे कर जोर जोर से मुठ मरवाता रहा |अमृता इतनी डर चुकी थी कि वो
निष्क्रिय सी मेरे नीचे चुपचाप पड़ी रही | कभी कभी उसके चेहरे पर दर्द के
भाव जरुर आ रहे थे मगर होठों पर मेरे होंठ होने के कारण वो कुछ बोल नहीं
सकती थी | थोड़ी ही देर में (सिर्फ चंद ही मिनटों में )मेरे लंड ने पानी
छोड़ दिया और मेरा सारा वीर्य अमृता के हाथ में था | मगर जैसे ही मेरे लंड
ने पानी छोड़ा और मेरा पागलपन खत्म हुआ - मेरे हाल ख़राब हो गया | मुझे
होश आया तो विचार आया कि अब अमृता मम्मी-पापा को सब बता देगी और अब मेरी
खैर नहीं | बस यही सोच कर मेरी हालत ख़राब हुए जा रही थी | लेकिन अमृता
चुपचाप गुमसुम और सहमी से अपने बिस्तर पर पड़ी हुई थी |
यहाँ तक कि न तो अमृता ने अपना हाथ ही साफ किया था और न ही उसने अपने
बूब्स अंदर करे थे , वो तो जैसे गुमसुम सी हो गयी थी और मै उससे कही
जयादा डर रहा था कि अभी अमृता चीखेगी और मम्मी-पापा को सब बता देगी | मै
एक दम से अमृता के हाथ-पैर जोड़ने लगा और उससे मानाने लगा कि वो
मम्मी-पापा से कुछ न कहे | मै बार बार उससे माफ़ी मांग रहा था कि जो हुआ
वो गलती से हो गया मगर अमृता कि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी | वो बस
चुप चाप सी उसी हालत में पड़ी हुई थी | अंत में मैंने ही उसके बूब्स को
ढँक दिया और उसे सुलाने लगा | जब बहुत देर तक अमृता ने कोई शोर नहीं
मचाया तो मेरे दिल को थोडा सा चैन मिला कि कम से कम आज रात तो वो
मम्मी-पापा को कुछ कहने वाली नहीं है लेकिन सुबह कि सोच का मुझे चिंता
हुए जा रही थी | थोड़ी देर के बाद अमृता के रोने कि आवाज आने लगी | तब
मैंने बार बार उससे माफ़ी मांगी और उससे वादा लिया कि वो मम्मी को कुछ
नहीं कहेगी |जब अमृता ने मुझे वादा किया कि वो किसी को कुछ नहीं कहेगी तब
कही जा कर मेरी जान में जान आई |
यूं तो अमृता ने मुझे वादा किया था कि वो किसी से कुछ नहीं कहेगी मगर सच
तो ये है कि फिर भी मेरी गांड फट रही थी | मगर अगला पूरा दिन शांति से
गुजर गया ,हाँ इतना जरुर था कि पूरे दिन मैं अमृता का विशेष ख्याल रख रहा
था |अगली रात मैंने पूरी शांति के साथ गुजारी और बिना मुठ मरे या बिना
अमृता के बूब्स देखे ही मै सो गया | ये पिछले दो सालो में पहली ऐसी रात
थी की मै बिना अमृता के बूब्स चूसे या बिना उसके हाथ में अपना लंड रखे सो
रहा था |
 
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Sendbobsandvegana

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Update 2
उसके अगले दिन कुछ कुछ सामान्य सा लगने लगा | अमृता ने अभी तक किसी से
मेरी शिकायत नहीं करी थी इस लिए अब डर कुछ कम हो गया था |उस रात मेरे दिल
में फिर से अपनी छोटी बहन के बूब्स देखने कि इच्छा होने लगी |पिछले दो
सालो में केवल एक ही दिन ऐसा गया था जब मै अमृता के बूब्स देखे बिना सो
गया था | इसलिए मुझे उसके बूब्स देखकर सोते समय मुठ मारने कि इतनी आदत पड
चुकी थी कि मुझे आज नींद ही नहीं आ रही थी | एक बार फिर से मेरा दिल
अमृता के बूब्स को देखने के लिएय बेचैन हो गया था और मै रोज कि तरह अमृता
के सोने का इन्तजार करने लगा था |लेकिन मैंने सोच रखा था कि इस बार मैं
कोई गलती नहीं करूँगा |
रात के लगभग एक बजे जब मुझे लगा कि अब अमृता सो चुकी है तो मैंने फिर से
उसके बूब्स को बाहर निकालें कि कोशिश करी | मगर जैसे ही मैंने अमृता के
बूब्स को हाथ लगाया अमृता जाग गयी और बोली भईया क्या कर रहे हो? एक बार
फिर से मुझे अमृता ने रंगे हाथ पकड़ लिया था | मै एक दम से सक-पका गया और
कोई उत्तर देते न बना | मै कुछ न बोल सका और अपना हाथ अमृता के बूब्स पर
से हटाने लगा |तभी अमृता ने मेरा हाथ पकड़ लिया और वापिस अपने बूब्स पर रख
दिया | इस बार अमृता बहुत शांत दिख रही थी | मुझे कुछ समझ में ना आ रहा
था कि अब क्या होने वाला है ? कमरे में पूरा सन्नाटा छा चूका था कि तभी
अमृता ने सन्नाटा तोड़ते हुए बहुत प्यार से कहा -
"भईया मुझे पता है आप क्या करने वाले थे ? आप मेरे बूब्स के साथ हमेशा कि
तरह खेलना चाहते हो न ?"
उसकी ये बात सुन कर मै सन्न रह गया | मुझसे कोई बोल न बन पड़ा और मै
हैरानी से अमृता को देखने लगा| अमृता फिर बोली- भईया आपको क्या लगता है
आप जो रोज रात को मेरे बूब्स के साथ खेलते हो या मेरे हाथ में अपना वो
(अमृता ने लंड न खेते हुए "वो" कहा था ) दे कर जो करते हो, मुझे उसका पता
नहीं है?
भईया लड़की चाहे कोई भी हो इतनी गहरी नींद कभी नहीं सोती है कि कोई उसके
बूब्स दबाये और उससे पता नहीं चल सके |मै हैरानी से अमृता कि बाते सुन
रहा था और शर्म से पानी पानी हो रहा था | लेकिन जब अमृता ने ये सब बाते
कही तो मै पूछ ही बैठा कि जब उसे ये सब पता था तो उसने आज तक मेरा विरोध
क्यों नहीं किया? मेरी बात सुनकर अमृता मुस्कुराई और बोली भईया जैसे आपको
ये सब अच्छा लगता है मुझे भी तो अच्छा लगता था | वरना आप ही सोचो जिस नजर
से आप मेरे बूब्स देखते थे , क्या मुझे नहीं पता था कि आपकी निगाह कहा पड
रही है ? ये सब कहते कहते अमृता मुस्कुरा रही थी और मेरे हाथ से धीरे
धीरे अपने बूब्स को दबा भी रही थी |
अमृता कि बाते सुन कर मेरे होश उड़ रहे थे मगर साथ ही साथ उत्तेजना से
मेरा लंड भी खड़ा होता जा रहा था | लेकिन तभी मेरे दिमाग में परसों रात
वाली बात याद आ गयी जब मेरी अत्यधिक उत्तेजना के कारण अमृता कि नींद खुल
गयी थी| मेरे पूछने पर अमृता ने बताया कि सच तो ये है इस उस रात वो भी डर
गयी थी क्योकि अभी तक मै उसके साथ सभ्यता से पेश आता रहा था और उस रात मै
अचानक पागलो के जैसे उससे प्यार कर रहा था | अमृता ने बताया कि उसे डर इस
बात से लग रहा था कि कही मै उसका रेप न कर दूँ |
बाद में अमृता ने कहा कि भईया हम दोनों भाई बहन है इसलिए हम दोनों के बीच
में पति पत्नी वाला सम्बन्ध तो कभी बन नहीं सकता , मगर हाँ हम दोनों एक
दुसरे कि जरूरते तो पूरी कर ही सकते है |
सच कहता हूँ दोस्तों शायद आप इस बात का विश्वास करे या नहीं मगर मेरी
ख़ुशी का ठिकाना नहीं था | न ही मै खुद इस बात पर विश्वास कर पा रहा था
कि मेरी छोटी बहन (जो मेरी सगी बहन है ) मेरी शारीरिक जरूरते पूरी करने
कि बात कर रही थी | मेरा लंड ये सोच सोच कर मचल रहा था कि अब उसे अमृता
अपने हाथ से सहलाया करेगी और मै ये सोच सोच कर पागल हुए जा रहा था कि
पिछले दो सालो सो जिन बूब्स के लिए मै पागल था और छुप छुप का उन्हें
देखता था , अब उन्ही बूब्स को मै बेझिझक हो कर मै छू सकूँगा, दबा सकूँगा
और चूस सकूँगा |और जब जब मेरे दिमाग में ये बात आती कि ये सब मै किसी और
लड़की के साथ नहीं बल्कि अपनी सगी बहन अमृता के साथ
करूँगा...................मेरी उत्तेजन और भी बढ जाती |और अपनी इसी
उत्तेजना मे मै एक बार फिर से पागलो कि तरह अपनी बहन पर टूट पड़ा | अब मै
परसों से भी जयादा जोर से अपनी बहन के बूब्स दबाने लगा, परसों से भी
जयादा जोर से उसके होंठ पीने लगा और बिना किसी डर या शर्म के उसका हाथ
पकड़ कर पजामे के ऊपर ही अपने लंड पर रगड़ने लगा |
उस पल का एहसास तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है, शब्दों में बयां नहीं
किया जा सकता है | यूँ तो उसके बाद से हर रात हम दोनों भाई बहन प्यार
करते हुए बिताते है मगर पता नहीं क्यों उस पहली रात में जो बात थी वो कुछ
अलग ही थी | ये भी सच है कि उस पहली रात में अपनी अत्याधिक उत्तेजना के
कारण मै कुछ ही पालो में झड गया था और अमृता मेरे नंगे लंड को अपने हाथ
में ले कर सहला पाती इससे पहले ही मै पजामे में ही झड गया था और अमृता
बहुत जोर जोर से हंसने लगी थी मगर फिर भी उस रात कि बात ही कुछ और थी
|यूँ तो हम दोनों भाई- बहन ने ये तय किया था कि हम दोनों के बीच कभी पति
पत्नी वाले सम्बन्ध नहीं बनेगे और हम दोनों एक दुसरे कि जरुरतो का ख्याल
अपनी मर्यादा में रहते हुए ही करेंगे , मगर जब एक मर्यादा टूट ही चुकी थी
तो भला दूसरी मर्यादा कितने दिन तक रहती ?
समय मिलने पर मै आपको बताऊंगा कि किस तरह हम दोनों भाई बहन के बीच में वो
सब भी हो गया जो एक पति और पत्नी के बीच होता है |
 
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Sendbobsandvegana

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Update 3
दोस्तों मैंने आपको बताया की किस तरह मेरे और मेरी सगी बहन के बीच में
हमारे प्यार की शुरुआत हुई थी और किस तरह धीरे-धीरे हम दोनों एक दुसरे के
करीब आते गए | यूँ तो लगभग दो साल से भी ज्यादा समय से हम दोनों एक दुसरे
के साथ शारीरिक सुख का मजा ले रहे थे मगर फिर भी मुझे कभी भी अपनी बहन कि
चूत मारने की इजाजत नहीं मिली थी |आज मै आपको अपना वो अनुभव बता रहा हूँ
जब मैंने पहली पहली बार अपनी बहन की चूत मारी थी |
जैसा की मैंने आपको अपने पहले लेख में बताया था की एक दिन मैंने एक
सेक्सी फिल्म देखी थी और उत्तेजना में अमृता से मुठ मारने की जिद करने
लगा था मगर अमृता ने मम्मी के डर से मेरी मुठ नहीं मारी थी और मै नाराज
हो गया था | लेकिन उसी रात अमृता ने मेरी नाराजगी को दूर करने के लिए
अपने सारे कपडे उतरकर अपना नंगा बदन मुझे सौंप दिया था और मै अपनी नंगी
बहन को अपने बिस्तर पर बिछा देखकर बेकाबू होते हुए उस पर टूट पड़ा था |
यहाँ तक की मै उसके कपडे फाड़ने लगा था | मगर उस रात मै उसकी चूत नहीं
मार सका था और सिर्फ उसकी चूत को चूस चूस कर ही मैंने उसे झाड दिया था |
शायद आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैंने उस रात को अपनी बहन को बक्श कैसे
दिया और उस रात को ही उसकी चूत मार क्यों नहीं ली? लेकिन इसका कारण मै
आपको बताता हूँ- उस रात मैं उसकी चूत इसलिए नहीं मार सका था क्योकि उस
दिन- सबसे पहले तो मैंने टॉयलेट में मुठ मारी थी, उसके बाद दूसरी मुठ
मुझे अमृता ने मार कर दी थी जब मै उस से नाराज था और तीसरी बार की मुठ
अमृता ने तब मार दी थी जब हम दोनों नंगे बदन अपने बिस्तर पर थे और मैंने
चूत चूस चूस कर अमृता को झाडा था | उस दिन मै तीन बार झड चूका था इसलिए
मेरे लंड में हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था और मै थक भी गया था | यही
वजह थी की उस रात अमृता के नंगे बदन को जी भर के प्यार करने के बावजूद भी
मै उसकी चूत नहीं मार सका और थक कर सो गया था | लेकिन कहते है जो होता है
वो अच्छे के लिए ही होता है | उसके अगली सुबह मुझे जो सुकून मिला उसका एक
अलग ही मानसिक एहसास था | शारीरिक सुख तो मुझे मेरी बहन से अनेकों बार
मिल चुका है लेकिन जो मानसिक सुख मुझे अगली सुबह मिला था वो एक अलग ही
एहसास था |
सुबह होने पर सबसे पहले तो मेरी बहन के चेहरे पर एक अलग ही संतुष्टि के
भाव थे | उस रात हम दोनों ने सुहागरात तो नहीं मनायी थी मगर अमृता को देख
कर ऐसा लग रहा था मनो कोई लड़की सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ
रही हो और उसे अपनी सुहागरात से वो सब मिला हो जो उसने कभी सपने में सोचा
हो या उससे भी कही ज्यादा | सच तो ये था कि चाहे मैंने उस रात अमृता कि
चूत नहीं मारी थी मगर मैंने उसको संतुष्ट करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी
थी | उस रात जब मै उसकी चूत को चूस रहा था तो अमृता का हाल बहुत बुरा था
- वो कभी तो उत्तेजना के कारण मेरे सिर को जोर जोर से अपनी चूत पर दबाती
ताकि मै और भी जोर से उसकी चूत को चूसूं और कभी बालों से पकड़ कर मेरा सिर
पीछे खीचती थी ताकि मै उसकी चूत को और न चूस सकूँ |उसको इस तरह से तड़पता
देख कर मेरे अंदर के पुरुष को बहुत संतुष्टि मिल रही थी | इसलिए मै भी
उसकी चूत को बुरी तरह चूसता ही रहा | वो जितना तड़पती थी, जितना उछलती
थी, मेरे अंदर के पुरुष तो उतनी ही संतुष्टि मिलती थी | इसलिए उस रात
मैंने अमृता को इस हद तक तडपाया था और उसको इतनी संतुष्टि मिली थी कि वो
रात उसके लिए सुहागरात न होते हुए भी किसी सुहागरात से कम नहीं थी |
दुसरे शब्दों में कहूँ तो मैंने उस रात उसे अपनी जीभ से चोद दिया था |
इसलिए अगली सुबह जब अमृता ने बिस्तर छोड़ा तो ऐसा ही लग रहा था कि मानो
कोई लड़की अपनी सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ रही हो |
उस रात तो जो होना था वो हो चुका था लेकिन उस रात का असर दिखना अभी बाकी था -
सुबह नाश्ते की मेज पर अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर मुझे किस्स दिया
(हवा में )| मै हैरान था क्योकि आज तक मै ये सब हरकतें किया करता था और
अमृता हमेशा मेरी ऐसी हरकतों से नाराज हो जाती थी क्योकि उसे मम्मी से
बहुत डर लगता था | लेकिन आज सुबह सुबह खुद अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर
मुझे किस्स किया था | उस दिन अमृता ने कॉलेज की छुट्टी कर ली और इस लिए
मै भी कॉलेज नहीं गया |
उस दिन तो अमृता जैसे पहले वाली अमृता ही नहीं रही | उस दिन से पहले तक
मै अमृता को अकेला देख कर दबोचने की कोशिश करता था - मौका मिलते ही उसको
कोने में ले कर किस्स कर देता था, कभी उसकी चूची दबा देता था, या फिर
अपने लंड पर उसका हाथ रगड़ देता था मगर वो हमेशा इस बात पर गुस्सा हो
जाती थी और डरती थी कि कही मम्मी न देख लें | मगर मुझे ऐसा करने में बहुत
मजा आता था | लेकिन उस दिन खुद अमृता बार बार मौका देख कर मुझे किस्स कर
रही थी, कभी मेरे लंड को रगड़ देती थी और खुद मेरे हाथ को अपनी चुचियो पे
रख कर दबवा रही थी और जैसे ही मम्मी के आने का डर होता एक दम से अलग हो
जाती थी | बल्कि एक बार तो उसने कमाल ही कर दिया - मम्मी रसोई में थीं और
अमृता मेरे साथ कमरे में अकेली थी उसने मौके का फायदा उठाते हुए मेरी
पेंट की चैन खोलकर मेरा लंड निकला और दो-तीन बार मुह में भी ले लिया |
अभी तक तो मै अमृता की फाड़ता था मगर उस दिन वो मेरी फाड़ रही थी और मुझे
बार बार मम्मी का डर सता रहा था | लेकिन फिर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था |
आज तक मुझे अपनी बहन से शारीरिक सुख तो बहुत बार मिला था मगर आज पहली बार
मानसिक सुख भी मिल रहा था | आज पहली बार मुझे अमृता के एक पूर्ण स्त्री
होने का या सच सच कहूँ तो - अपनी बीबी होने का एहसास हो रहा था |
वो पूरा दिन मस्ती में गुजर गया और वो पल आ गए जिसका हम दोनों को बेसब्री
से इन्तजार था.............अब रात हो चुकी थी |हम दोनों भाई-बहनों ने
खाना खाया और जल्दी से सोने की तैयारी करने लगे | मै जानता था कि जब दिन
इतना हसीन था तो रात का आलम क्या होगा ? मुझे पूरा एहसास था कि आज कि रात
मेरी जिंदगी कि सबसे यादगार रात साबित होने वाली है और आज रात मुझे अमृता
मेरी बहन कि जगह मेरी बीबी के रूप में मिलने वाली है | इसलिए खाना खाते
ही हम दोनों भाई बहन बिना मम्मी-पापा के सोने का इन्तजार करे ही अपने
कमरे में सोने चले गए | (हमारे सभी कमरों में एसी होने के कारण हम अपने
दरवाजे बंद करके ही सोते थे |)
कमरे में जाते ही हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे कि बाँहों में समाकर बिस्तर
पर गिर पड़े |हम जानते थे कि अभी मम्मी पापा जाग रहे है इसलिए अभी हम
दोनों ने एक दुसरे के कपड़ो के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं करी और कपड़ों में ही
एक दुसरे को किस्स करते हुए बिस्तर पर गिर गए | उस रात अमृता मुझ पर भारी
पड़ रही थी | वो मुझे पागलों कि तरह किस्स किये जा रही थी और मेरे होंठ
चूसे जा रही थी | हम दोनों का पलंग तो जैसे जंग का मैदान बन गया था- कभी
अमृता मेरे ऊपर होती तो कभी मै अमृता के ऊपर |हम दोनों में तो जैसे किस्स
करने और होंठ चूसने कि प्रतिस्प्रधा चल रही थी | थोड़ी देर के बाद जब हमे
लगा कि अब मम्मी-पापा सो गए होंगे, अमृता मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गयी |मेरे
लंड के ऊपर बैठ कर उसने मेरे दोनों हाथ फैला कर अपने हाथो से ऐसे पकड़ लिए
जैसे वो मेरा बलत्कार करने वाली हो |
उसके बाद धीरे धीरे अपना चेहरा मेरे चेहरे के करीब ले कर आयी और पूछने लगी-
अमृता -"कुछ चाहिए क्या ?"
मै - "हाँ "
अमृता -क्या ?
मै- चूत (मैंने बिना कोई संकोच किये और बिना कोई पल गवाए साफ़ साफ़ शब्दों में कहा )
अमृता- कल तो दी थी | जी भर के चूसी आपने | अब क्या करोगे?
मै- मारूँगा (अमृता ने पूरे दिन जो मेरा हाल किया था, उसके बाद मुझे ये
सब कहने में न तो कोई संकोच हो रहा था और न ही शर्म आ रही थी )
अमृता -क्या? चूत मारोगे ? अपनी सगी बहन की?
मै- (गाली देते हुए) बहन की लोड़ी अब भी कुछ बाकी बचा है क्या ?
अमृता की आँखों में चमक साफ़ दिखाई दे रही थी | ऐसा लग रहा था की वो खुद
भी यही सब सुनना चाहती है और सिर्फ मुझे परेशान करने के लिए नाटक कर रही
है |
मगर अमृता अभी और शरारत के मूड में थी, इसलिए बड़ी अदा के साथ बोली -
अमृता- अगर ना दूँ तो ?
मेरे अंदर की हवस बुरी तरह भड़क चुकी थी |अमृता के मुहं से ना सुनकर मै
हिंसक हो गया और उसे धक्का देते हुए उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गया और उसी
अंदाज में उसके हाथ पकड़ डाले जिस अंदाज में उसने मेरे हाथ पकडे हुए थे |
मै अमृता को गाली देते हुए बोला- बहन की लोड़ी नहीं देगी तो जबरदस्ती ले
लूँगा | इस समय मै मन ही मन यही सोच रहा था की अगर आज ये कुतिया मुझे
इनकार करेगी तो इसका रेप कर डालूँगा मगर आज इसको नहीं छोडूंगा |
मगर अमृता तो खुद आज किसी और ही मोड़ में थी | वो तो सिर्फ मुझे छेड़ने
और उकसाने के लिए ये सब कह रही थी |मुझे परेशान देखा कर उसे मजा आ रहा था
| फिर वो मेरे लंड को अपने हाथ से रगड़ते हुए मुस्कुराकर बोली- और अगर
खुद ही दे दूँ तो ?
मै ख़ुशी और वासना से पागल होते हुए बोला - जिन्दगी भर तेरी गुलामी
करूँगा .......................बस एक बार अपनी चूत दे दे |
अमृता फिर से मुस्कुरायी और मेरे लंड को रगदते हुए ही मेरे होंठों को
अपने होंठो से चूसते हुए बोली -
तो ले लो ना रोका किसने है ?
बस फिर क्या था ? मेरे ऊपर तो वासना का भूत सवार हो गया था |
अपनी बहन के मुहं से ये सुनने के बाद कि ले लो न तुम्हे चूत मरने से कौन
रोक रहा है ? मेरा अपने ऊपर से पूरी तरह से नियंत्रण खत्म हो चुका था और
मै किसी बलात्कारी की तरह अपनी बहन के ऊपर टूट पड़ा | यूँ तो अमृता ने
खुद ही मुझे चूत मरने की इजाजत दे दी थी , मगर मै अपने होश-ओ-हवास खो
चुका था | मै किसी बलात्कारी की तरह उसके कपडें नोचने लगा | आज फिर से मै
उसके कपडे उतरने का सब्र नहीं कर पा रहा था | मै कल की ही तरह उसके कपडे
उतार कम रहा था और फाड़ ज्यादा रहा था | मगर आज अमृता ने मुझे ऐसा करने से
भी नहीं रोका | बल्कि आज तो वो खुद भी मेरे कपडे लगभग फाड़ ही रही थी | उस
समय न तो मुझे ही कपडे फट जाने पर मम्मी का डर सता रहा था और न ही अमृता
को | बस हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे को नंगा देखने के लिए इतने उतावले हो
रहे थे की सब्र नहीं कर पा रहे थे | और होते भी क्यों
नहीं............आखिर सालों के प्यार के बाद आज हम पूरी तरह से एक दुसरे
के होने वाले थे |
केवल कुछ ही पलों में मैंने अपनी बहन के बदन से एक-एक करके सारे कपडे नोच
डाले और नोच नोच कर पलंग से नीचे फैंक दिए थे (क्योकि आधे से ज्यादा तो
कपडे मैंने फाड़ ही डाले थे )| हमारे पलंग के दोनों तरफ हम दोनों के फटे
हुए कपडे पड़े थे | अगर कोई उस द्रश्य को देखता तो यही सोचता की यहाँ रेप
हुआ होगा, क्योकि जो हाल हमारे कमरे का उस समय हो रहा था उसे देख कर तो
ऐसा ही लगता |लेकिन ये रेप नहीं था | जो कुछ भी हो रहा था वो मेरी बहन की
मर्जी से ही हो रहा था | मेरी बहन एक बार फिर से मेरे बिस्तर पर पूरी तरह
नंगी बिछी हुई थी और वो भी मेरे लिए |
 
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Update 4
उसको पूरी तरह से नंगा देख कर एक बार फिर से मै अपने होश-ओ-हवास खो बैठा
| बीती रात की तरह एक बार फिर से मै इस सोच में पड़ गया कि बिस्तर पर पूरी
तरह से नंगी पड़ी हुई अपनी बहन के बूब्स देखूं या बालों में छिपी हुई उसकी
चूत| मै स्तब्ध सा अपनी नंगी बहन को निहारने लगा | इस समय मुझे वो इस
दुनिया तो क्या सारी कायनात कि सबसे सुंदर लड़की लग रही थी | उसका
गोरा-गोरा बदन किसी को भी मदहोश कर देने के लिए काफी था | लगभग ३० साइज
के उसके बूब्स थे उस समय, कमर लगभग २८ और नीचे का साईज लगभग ३४ रहा होगा
| ऐसा लग रहा था मनो कोई तराशा हुआ हीरा मेरे बिस्तर पर चमक रहा हो | उस
समय मुझे अमृता इतनी सुंदर लग रही थी कि अगर स्वर्ग से कोई अप्सरा भी उतर
कर आ जाती और अमृता के बराबर में नंगी हो कर लेट जाती तो भी मै अमृता को
ही निहारता, उस अप्सरा को नहीं | बात सिर्फ ये नहीं होती है कि एक नंगी
लड़की आपके बिस्तर पर नंगी पड़ी है, बात तो ये होती है कि आपकी अपनी बहन
आपके बिस्तर पर खुद आपके लिए बिछी हुई है और आपका इन्तजार कर रही है |
अगर किसी भाई कि काली-कलूटी बहन भी उसके बिस्तर पर इस तरह बिछी हुई होगी
तो भी वो उसे किसी अप्सरा से बेहतर ही लगेगी , फिर अमृता तो रूप का खजाना
थी |
मै एक तक उसे निहार रहा था-कभी मै उसके बूब्स को देखता और कभी उसकी चूत
को मगर अभी तक मैंने उसे छुआ नहीं था , बस स्तब्ध सा खड़ा हुआ निहारे जा
रहा था | लेकिन आज अमृता में पूरी तरह से बदलाव आ चूका था | वो कल कि तरह
शर्मा नहीं रही थी- उसने ना तो अपने बूब्स को अपनी बाजुओं से छिपाना चाह
और ना ही अपनी टांगो से अपनी चूत को छिपाया |आज वो सब कुछ खोल कर लेती
हुई थी और आराम से मुझे सब कुछ दिखा रही थी | उसकी आँखों में आज एक अलग
सी चमक थी | आज वो खुद भी मेरे लिए उतनी ही बेकरार थी जितना मै हमेशा
उसके लिए रहता था |
आखिर कार अमृता ने चुप्पी तोड़ते हुए अब्दे प्यार से पूछा-
क्या देख रहे हो भईया?
मैंने कहा -जानती है अमृता, तेरे साथ रिलेशन में आने से पहले मैंने कभी
सपने में भी नहीं सोचा था कि मै तुझे इस तरह का प्यार करूँगा | फिर एक
दिन तेरे बूब्स देखे और तेरे बारे में सपने देखने लगा | उसके बाद तू खुद
मेरी जिंदगी में आ गयी, मुझे प्यार देने लगी और मै तेरे प्यार में खो गया
| लेकिन फिर भी मैंने कभी ये नहीं सोचा था कि एक दिन मै तुझे इस रूप में
देख सकूँगा | बस इस लिए जी भर कर देख रहा हूँ |
अमृता ने ठंडी सांस भरते हुए कहा- भईया सोचा तो मैंने भी कभी नहीं था कि
एक दिन मै इस तरह से आपके सामने होउंगी , मगर अब आपके बिना रहा नहीं जाता
| और जब मै आपके बिना रह ही नहीं सकती तो क्यों ना आपको पूरी तरह से ही
पा लूँ | और ये कहते हुए अमृता ने अपनी टाँगे फैला दीं |
उसके टाँगे फ़ैलाने के अंदाज से साफ़ था कि वो अब और इन्तजार नहीं करना
चाहती है और मुझे अपनी चूत का निमंतरण दे रही है |
लेकिन मैने उसके माथे को किस्स किया और उसे सिर से लेकर पाँव तक चूमना
शुरू कर दिया | मैंने उसके बदन के हर इंच पर अपने किस्स कि मोहर लगा दी
|इस बीच वो मौका देख कर स्थिति के अनुसार मेरा लंड अपने हाथ में ले कर
सहला देती थी |उसे किस्स करते करते मै उसके पैर तक पहुँच गया | मैंने
उसके पैरों कि उंगलियों को चूस कर उनपर भी अपने नाम कि मोहर लगा दी | अब
अमृता के पूरे बदन पर मेरी ही मोहर थी और आज से अमृता मेरी निजी संपत्ति
थी ,उसके बदन के एक-एक इंच पर अब मेरा ही अधिकार हो गया था |
अमृता के पैरों को चूम कर मै फिर से ऊपर कि तरफ बड़ा और उसकी चूत को
चाटने लगा | अमृता बार बार सिर उठा कर मुझे चूत चाटते हुए देखती और फिर
बेसुध हो कर वापिस लेट जाती |
मै ठीक कल जैसा ही उसे सुख देना चाहता था क्योकि मै जनता था कि आज जो कुछ
भी हुआ वो कल कि घटना का ही फल था |इस लिए मै पूरी शिददत से उसकी चूत चाट
रहा था और वो भी कल ही कि तरह उछल उछल कर मदहोश हुए जा रही थी |
मैंने सोचा था कि मै आज भी अपनी बहन को चूत चूस चूस कर झाड दूंगा , मगर
अमृता ने ऐसा होने नहीं दिया | सिर्फ थोड़ी से चूत चुसवा का अमृता ने मेरे
बालों को पकड़ कर मुझे बलपूर्वक खीचते हुए ऊपर कि तरफ खींच लिया | अब
अमृता मेरे नीचे अपनी टंगे फैला कर लेती हुई थी और मै उसके ऊपर लेता हुआ
था | मेरा चेहरा अमृता के चेहरे के सामने था, होंठ होंठो के पास थे,
साँसों से साँसे टकरा रही थी और मेरा लंड उसकी चूत के पास टक्कर दे रहा
था |
मै अमृता कि आँखों में आँखे डालकर देंखे लगा और ये जानने कि कोशिश करने
लगा कि आखिर अमृता क्या चाहती है ? अमृता कि आँखों में बहुत चमक थी चेहरे
पर अजीब सी संतुष्टि एवं ख़ुशी के मिले जुले भाव थे | उसकी आँखों कि चमक
बता रही थी कि उसे अपने ऊपर गर्व हो रहा है -मनो उसने वो पा लिया हो जो
वो पाना चाहती थी |मेरे होंठों पर अपने होंठ रखते हुए (किस्स किये बिना )
और मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फैहराते हुए वो बोली भईया आज मुझे "ये"
चाहिए (और ये कहते हुए अमृता ने मेरा लंड अपने हाथ में ले कर अपनी चूत के
ठीक ऊपर लगा दिया) |


उस पल के लिए किन शब्दों का प्रयोग करूँ मुझे समझ में नहीं आ रहा है |
मेरी बहन मुझे पहली बार अपनी चूत दे रही थी और वो भी अपने ही हाथ से मेरा
लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगा भी रही थी | मै तो अपनी सुध-बुध खोता जा रहा
था |मेरी साँसे बहुत तेज हो गयी थी , दिल कि धड़कन बाद चुकी थी, ऑंखें
आनंद से बंद हुए जा रही थी, होठों को अमृता के होंठ चूस रहे थे और मेरा
लंड खुद मेरी बहन के हाथ में हो कर उसकी ही चूत के ऊपर था | उस समय मै
ऐसा बेसुध हो रहा था, जैसे किसी ने मुझे ड्रग्स का नशा करवा दिया हो |
लेकिन सच तो ये है कि वो नशा तो ड्रग्स के नशे से भी बाद कर होता है |
उधर अमृता का भी कुछ कुछ ऐसा ही हाल था |वो भी मेरे लंड को अपनी चूत पर
रखते ही मदहोश हो रही थी |उसकी भी ऑंखें नशे से बंद हो रही थी |वो धीरे
धीरे मेरे होंठ पी रही थी और मुझे लंड अंदर डालने के लिए प्रोत्साहित कर
रही थी |
मैंने जोश में आकर एक जोर का झटका मारा और अपने लंड को सीधा अपनी बहन कि
चूत में ठोंक देना चाहा|लेकिन ऐसा हुआ नहीं | मेरे झटका मारते ही अमृता
के मुहं से चीख निकलने लगी जिसे हम दोनों भाई-बहन ने दबा दिया (कुछ तो
अमृता ने अपनी छेख रोकने कि कोशिश की और कुछ मैंने उसके होंठो पे अपने
होंठ लगा दिए )| अमृता के चेहरे पे दर्द साफ़ उभर रहा था उसने झटके के साथ
मेरा लंड अपनी चूत पे से हटा दिया था |
अमृता की आँखों में दर्द के कारन पानी आ गया था| मुझे लगा कि अब अमृताको
गुस्सा आ जायेगा और मुझे आगे कुछ करने कि इजाजत नहीं देगी | मुझे लगने
लगा कि अब तो मै उसकी चूत मानने का मौका खो बैठा हूँ | मगर हुआ इसका
उल्टा, दर्द कम होते ही अपने आप को सँभालते हुए और अपने चेहरे पर
मुस्कराहट लाते हुए अमृता ने बहुत प्यार से कहा- भईया आराम से करो आपकी
सगी बहन कि चूत है किसी दुश्मन कि बेटी की नहीं |
अमृता के मुहं से ऐसी बाते सुनकर मुझे बहुत तसल्ली हुई कि कम से कम अमृता
छूट देने से तो इनकार नहीं कर रही है |मैंने अमृता से अपनी गलती के लिए
माफ़ी मांगी और दुबारा से अपना लंड उसकी छूट पर रखने लगा | एक बार फिर से
अमृता ने खुद मेरा लंड अपने हाथ में लिया और हलके हलके सहलाते हुए बहुत
मस्ती में बोली- बहन के लंड ये है तेरी बहन कि चूत |मुझे अमृता के साथ दो
साल हो चुके थे प्यार करते हुए मगर इन दो सालों में मैंने कभी उसको इतनी
मस्ती में नहीं देखा था जितना मै आज देख रहा था | मै बहुत बहुत खुश था
उसका ये रूप देख कर | एक अलग ही मानसिक सुख मिल रहा था मुझे |
उसके बाद मैंने अमृता के निर्देशानुसार धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के
अंदर डाला | अमृता बार बार मेरा लंड पकड़ कर सेट करती थी | कभी वो मुझे
जोर लगाने जो कहती और कभी वापिस बहार निकलने को कहती | जब भी मै थोडा
ज्यादा जोर लगा देता वो गुस्सा होते हुए कहती बिलकुल भी तरस नहीं आ रहा
अपनी सगी बहन पे ? आराम से करो न प्लीज |
थोड़ी सी तकलीफ के बाद आखिरकार मेरा लंड अमृता कि चूत के अंदर था | हम
दोनों कि सांसे बहुत तेज तेज चल रही थी , आनंद का तो शब्दों में बयान
करना मुमकिन ही नही है | अमृता ने अपना हाथ मेरे लंड से हटा कर मेरी कमर
पर रख लिया था और आंखे बंद करके मेरे नीचे लेती हुई थी | मै अपना लंड
पूरी तरह से अपनी बहन कि चूत में डालकर उसके ऊपर ही लेता हुआ था और उसके
मदमस्त हो चुके चेहरे को निहार रहा था |
अमृता ने धीरे से आंखे खोली और हलके से पूछने लगी- भईया कैसा लग रहा है ?
मैंने उसे बताया- अमृता मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लंड गरम गरम रूई
में डाल दिया गया हो | ये तो बहुत सोफ्ट है | अमृता के चेहरे के भाव बता
रहे थे कि उसे मेरे जवाब बहुत अच्छा लगा और मेरा जवाब सुनकर उसे मजा आया
|
मैंने भी अमृता से पूछा तुझे कैसा लग रहा है?
वो बोली भईया ऐसा लग रहा है जैसे कोई गरम गरम लोहे कि रोड मेरे अंदर डाल
दी गयी हो |
मैंने कहा लेकिन मुझे तो तेरी चूत गरम गरम लग रही है मगर वो बोली कि उसे
मेरा लंड गरम गरम लग रहा था |जो भी हो हम दोनों के लिए ये एक नया अनुभव
था और हम दोनों ही इस अनुभव में खो जाना चाहते थे |
मेरा गला सूखने लगा और मुझे बहुत तेज प्यास का अनुभव हो रहा था इसलिए
मैंने अमृता के होंठ पीने कि कोशिश करी |मगर अमृता ने अपना मुहं घुमा
लिया और मुझे किस्स नहीं दी |मैंने दुबारा-तिबारा कोशिश की मगर हर बार
उसने मुहं घुमा लिया |
तब मैंने उसका चेहरा अपने हाथो से पकड़ कर उससे रेकुएस्ट करते हुए कहा-
बहन प्लीज किस्स दे दे मेरा गला सूख रहा है |
वो बोली -नहीं भईया होंठ नहीं, पीने है तो बूब्स पियो |
मैंने उसके बूब्स पीने कि कोशिश भी कि मगर लंड चूत में होने के कारन कर
नहीं सका क्योकि बूब्स पीने के लिए मुझेझुकना पड़ता और उससे मेरे लंड का
चूत से बहार निकल जाने का डर था | पहले ही बहुत मुश्किल से लंड चूत में
गया था मै दुबारा रिस्क लेना नहीं चाहता था | इसलिए मैंने उसके बूब्स को
पीने कि ज्यादा कोशिश नहीं की और दुबारा से उससे रेकुएस्ट करते हुए कहा -
बहन प्लीज दे दे न मेरा गला बहुत सूख रहा है, बहुत जोर से प्यास लगी है
और तेरी चुचिया नहीं चूसी जा रही , प्लिज्ज्ज्जज्ज्ज्ज बहन दे दे न |
मेरी इतनी रेकुएस्ट सुनकर अमृता के चेहरे पर गर्व के भाव उभर आये और ऐसा
लगा जैसे उसको कोई अत्मियिक संतुष्टि मिली हो कि आज एक पुरुष उसके आगे
गिडगिडा रहा है इसलिए अमृता ने बिना कोई विरोध किये अपने होंठ मेरे
होंठों पे रख दिए और मुझे पीने के लिए अपने होंठ सौंप दिए | मै अमृता के
होंठ पीने लगा और अपने दायें हाथ से उसकी चूची को दबाते हुए उसकी चूत भी
मारने लगा |
इस समय मै अपनी बहन के होंठ भी पी रहा था, उसकी चूची भी दबा रहा था और
चूत भी मार रहा था |
अमृता किसी नशेडी के सामान अपने होश खो चुकी थी और आज वो खुद मुझे बहुत
गन्दी गन्दी गालियाँ दे रही थी (जबकि हमेशा मै ही उसको ऐसी गलियां दिया
करता था )| अमृता के मुहं से गालिया सुनकर मेरा जोश और भी बाद जाता था और
उसकी हर गाली के साथ ही मै उसको और भी जोर से झटका मार देता था | उस दिन
शायद अमृता मेरे से कही ज्यादा आनंद का अनुभव कर रही थी इसलिए वो मुझसे
पहले ही झड गयी थी | जिस पल अमृता झड़ी उसके दोनों हाथ मेरी कमर पर ही थे
और उसने अपने नाखुनो से मेरी पूरी कमर छील दी थी | मुझे दर्द तो बहुत हुआ
था मगर ये संतुष्टि भी थी कि कम से कम अपनी बहन के साथ मनी इस सुहागरात
में मै उसे पूर्ण संतुष्टि दे सका |
 
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Update 5
मै जनता था कि अमृता झड चुकी है लेकिन मेरा लंड अभी झाडा नहीं था इसलिए
मै रूक गया ये सोच कर कि शायद अमृता अब इसे चूत में से बहार निकलना चाहे
मगर एक अच्छे साथी कि तरह अमृता ने ऐसा नहीं किया |उसने खुद कहा- क्या
हुआ भईया ? रूक क्यों गए? आप अपना पूरा करो मै दे रही हूँ आपका साथ | जब
तक आपका नहीं झडेगा मै साथ देती रहूंगी ............आप करो |
अमृता के इतना कहते ही मैंने दुगनी स्पीड से झटके मारने शुरू कर दिए और
थोड़ी ही देर में मेरा लंड भी झड गया |जैसे ही मेरा लंड झाडा, मैंने अपने
लंड को अपनी बहन कि चूत से बहार निकलना चाह ताकि मेरा वीर्य उसकी चूत के
अंदर न झड जाए मगर अमृता ने बलपूर्वक मुझे ऐसा करने से रोक दिया और इससे
पहले कि मै उसके बल का जवाब अपने बल से दे पता मेरा लंड मेरी बहन कि चूत
में ही झड गया और मै उसे इस गलती के लिए गाली देने लगा | गाली सुनकर
अमृता हंसने लगी और बोली भईया जब सब कुछ करना ही है तो डरना कैसा ? जो
असली मजा है अगर वाही न लिया तो ये सब करना बेकार है | आज मै पूरी तरह से
आपकी हो जाना चाहती थी और कोई भी दूरी बाकी रखना नहीं चाहती थी इसलिए जो
होगा देखा जायेगा | अगर कुछ हो भी गया तो हम दवाई ले लेंगे मगर अब से मै
आपकी दूरी बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ और अब मुझे बहन का ये लोडा (फिर से
मेरे लंड को हाथ में लेते हुए ) चाहिए ही चाहिए |
मै भी जनता था कि जो होना था वो तो हो ही चूका है और अब उस बात को सोच कर
कुछ हासिल नहीं होगा इसलिए जो आन्नद आज मिला है उसे याद करना चाहिए न कि
जो गलत हो गया उसे |मैंने अमृता को आखिरी लिप्स तो लिप्स किया और उसके
ऊपर से उतर कर उसके बराबर में लेट गया |
अमृता बिस्तर से उठी और सबसे पहले पलंग के दोनों तरफ गिरे हुए कपड़ों को
समेटने लगी (जिन्हें मै तो भूल ही चूका था ) और पूर्ण संतुष्टि के भाव के
साथ किसी अच्छी पत्नी कि तरह कमरा साफ़ करने लगी |
उसके बाद अमृता ने अलमारी से अपने कपडे भी निकले और मेरे भी | हम दोनों
भाई बहन नए कपडे पहन कर सो गए और अगले दिन फटे हुए कपडे मम्मी कि नजरों
से बचा कर फैंक आये |
उस रात के बाद हम दोनों भाई बहन लगभग रोज (उसके मासिक दिनों को छोड़ कर,
वैसे तो कभी कभार उन दिनों में भी एक दो बार ) एक दुसरे कि बाहों में
समां जाते है | आज भी (उस घटना के लगभग ११ वर्ष बाद भी ) मुझे मेरी बहन
उतनी ही सुंदर लगती है जितनी कि तब लगती थी |और आज भी मै उसकी चूत को देख
कर उतना ही पागल हो जाता हूँ जितना उस दिन हुआ था | बस अंतर इतना है कि
अब हमें एक दुसरे के कपडे फाड़ने कि जरुरत नहीं पड़ती क्योकि हम जानते है
कि अब हम दोनों ही एक दुसरे से प्यार किये बिना रह ही नहीं सकते |
दोस्तों मै आपको पहले भी अपनी और अपनी बहन अमृता के बारे में बहुत कुछ
बता चूका हूँ | आज मै आपको अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे किस्से बताने जा रहा
हूँ जो मेरी जिंदगी की हसीन यादों में से एक है | यूँ तो मै लगभग डेढ़ या
दो साल से अपनी बहन की चूत मार रहा था और इन दो सालों में मैंने अपनी बहन
के साथ हर तरह का मजा लिया था- उसे बिस्तर पे बिछा के चूत मारना, उसे लंड
के ऊपर बैठा कर कुदाना, कुतिया बना कर लेना..............और भी बहुत तरह
के मगर ये सब रात में बंद कमरे तक ही सीमित था | लेकिन दिन में या खुले
में मुझे ये सब करने की छूट नहीं थी | अमृता मम्मी से बहुत डरती थी इसलिए
दिन में या खुले में ये सब करने नहीं देती थी |यूँ तो हम दोनों भाई बहन
पति-पत्नी की तरह तो लगभग दो साल से साथ रह रहे थे मगर हमने कभी हनीमून
नहीं मनाया था |
लेकिन ये बात आज से लगभग नो साल पुरानी है - हमारे पापा का ट्रान्सफर
इलहाबाद हो गया था और पापा की तबियत कुछ दिनों से खराब चल रही थी (उन्हें
बुखार चल रहा था ) मगर उन्हें छुट्टियाँ नहीं मिल पा रही थी, इसलिए मम्मी
पंद्रह दिनों के लिए पापा के पास रहने जा रही थी और हम दोनों भाई बहन अब
घर में पंद्रह दिनों के लिए अकेले रहने वाले थे |
मैंने तो सोच रखा था की इन पूरे पन्द्रह दिनों तमें मै अपनी बहन के साथ
इतनी मस्ती करूँगा की ये पंद्रह दिन हमारे आने वल्र पंद्रह सालों के लिए
यादगार दिन रहें | इन पंद्रह दिनों को मै अपनी बहन के साथ हनीमून की तरह
मानाने की सोच रहा था |
ऐसा नहीं की ये सपने सिर्फ मेरे ही थे या मम्मी के जाने से केवल मै ही
उत्साहित था, मेरी बहन अमृता का भी कुछ ऐसा ही हाल था |वो भी मम्मी के
जान से उतनी ही उत्साहित थी, जितना कि मै था |
आखिर वो दिन आ ही गया जब मम्मी ने पापा के पास जाना था | हम दोनों भाई
बहन मम्मी को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन गए थे |उस समय मेरे पास मारुती
१००० कार हुआ करती थी | हम दोनों ने मम्मी को इलाहबाद की ट्रेन पकड़वाई और
उसके बाद हम दोनों घर के लिए वापिस चल पड़े |
अभी हम दोनों थोड़ी ही दूर चले थे की मेरे दिल में बहुत तरह की उमंगें और
शरारते उठने लगीं | इसलिए मैंने शरारत में आ कर चलती कार में ही अपना
बायाँ (लेफ्ट हैण्ड ) हाथ अपनी बगल में बैठी बहन की जांघ पर रख दिया
|मेरी शरारत से मेरी बहन शरमा गयी और हलके हलके मुस्कुराने लगी |मुझे
उसकी मुस्कान से हिम्मत मिली और मैंने उसकी जांघ को सहलाने लगा |अभी
मैंने अमृता की जांघ थोड़ी सी ही सहलाई थी कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोकना
चाहा और बोली-
अमृता- क्या कर रहे हो भईया, कोई देख लेगा |
मै- देखेगा कैसे? शीशे तो काले है..........कुछ नहीं दिखेगा | (उस समय
दिल्ली में कार के काले शीशों को लेकर बहुत जयादा सख्ती नहीं थी) |
अमृता- मत करो न भईया, मुझे शरम आती है |अब घर ही तो जा रहे है, घर जा कर
कर लेना जो करना हो............मै रोकूंगी थोड़े ही |
मै- तू कबसे मुझसे शरमाने लगी? और रही बात घर जा कर करने की तो, घर जा कर
मै तेरी जांघ थोड़े ही न सह्लाऊंगा ? घर जा कर तो मै तुझे सह्लऊंगा
(मैंने मुस्कुराते हुए कहा )|
मेरी बात सुनकर अमृता एक बार फिर से शरमा गयी और चुप-चाप बैठ गयी और मै
उसकी जांघ सहलाने लगा |
अमृता कि जांघ सहलाते सहलाते मेरे दिल के अंदर शरारते बढती जा रही थी और
मेरी हिम्मत भी |अब मैंने उसकी स्कर्ट उठा कर उसकी जांघ सहलानी शुरू कर
दी थी और उसकी नंगी जांघ पर हाथ जाते ही मेरा लंड भी बेकाबू होता जा रहा
था | उधर अमृता मेरी इस हरकत से परेशान होने लगी थी |उसे डर लग रहा था कि
कही किसी ने देख लिया तो क्या होगा? मगर मुझे मजा आ रहा था और मेरे अंदर
शरारत करने कि उमंग बढती जा रही थी | अमृता बार बार मेरा हाथ पकड़ कर
रोकती और मै बार बार जबरदस्ती उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ा कर दुबारा उसकी
नंगी जांघ पे रख कर सहलाने लगता |यूँ तो इन दो सालों में मैने ना जाने
कितनी बार अमृता को नंगा देखा भी था और किया भी था मगर उस दिन चलती कार
में सिर्फ उसकी नंगी जांघ को देख कर जो मस्ती चढ़ रही थी उसका कोई जवाब
नहीं था और शायद इसकी वजह उसकी जांघ नहीं थी, बल्कि एक विचार था - मेरा
लंड ये सोच-सोच कर मचल रहा था कि मै दिन-दहाड़े, चलती कार में- बीच सड़क
पर अपनी बहन की नंगी जांघ सहला रहा हूँ | मेरे लंड को बेकाबू करने के लिए
सिर्फ ये विचार ही बहुत था |
अंत में आकर अमृता को समझ में आ गया कि वो जितना मुझे रोकना चाहेगी मै
उतना ही जिद्दी होता जाऊँगा और उतनी ही जबरदस्ती से उसकी जांघ सह्लाऊंगा
| इसलिए अमृता ने खुद को पूरी तरह से मेरे हवाले कर दिया और मै उसकी जांघ
को सहलाने लगा |अब अमृता अपनी आँखे बंद करके आराम से बैठ गयी और खुद भी
मेरे सहलाने का मजा लेने लगी |
मै भी बेकाबू होता जा रहा था, इसलिए मैंने अपना हाथ अब धीरे धीरे उसकी
जांघ से ऊपर करते हुए उसकी चूत की तरफ बढ़ा दिए और उसकी पेंटी के ऊपर से
ही उसकी चूत सहलाने लगा (साथ साथ कार चलता रहा )| अब अमृता भी गरम हो
चुकी थी अब उसका स्वर , गुस्से से बदलकर शिकायत वाले सुर में आ गया था-
अमृता- भईया क्या कर रहे हो? मान जाओ न प्लीज |
मै - क्या कर रहा हूँ? अपनी बहन को प्यार कर रहा हूँ और क्या कर रहा हूँ?
अमृता- ऐसे प्यार करते है क्या बहन को?
मै- (शरारत से मुस्कुराते हुए ) तो कैसे प्यार करते है अपनी बहन को?
अमृता- घर जा कर आराम से करते है, ऐसे सड़क पर नहीं |
मै- घर जा कर भी करूँगा मगर जिसकी बहन तेरे जैसी प्यारी हो, वो बेचारा घर
पहुँचने तक का इन्त्जार कैसे करे ?
अमृता- भईया, आप ना बहुत शरारती होते जा रहे हो दिन-ब-दिन |पता नहीं
कहाँ-कहाँ से सीखते हो ये सब?
मै- तुझे देख कर खुद-बी-खुद आ जाता है सब कुछ |
ये सब बातें करते करते मैंने उसकी चूत में बहुत अंदर तक ऊँगली दाल दी थी
और उसने जोर से सिसकी लेते हुए मुझे एक गन्दी से गाली दी |
मै- क्या हुआ?
अमृता-लाओ मेरे हाथ में दो अपना लंड तो मै बताती हूँ क्या हुआ? इतनी देर
से तडपा रहे हो | बार बार कह रही हूँ घर जा कर कर लेना जो करना है, मानते
ही नहीं |लाओ निकालो, मै बताती हूँ क्या हुआ?
मै तो पहले ही से बेकाबू हो रहा था और अब तो खुद अमृता मेरा लंड चलती कार
में अपने हाथ में ले कर सहलाने वाली थी| मैंने मौका खोना उचित नहीं समझा
और तुरंत अपनी पेंट की चेन खोल कर अपना लंड बहन निकल लिया |
अमृता ने अपने आप मेरा लंड अपने हाथ में ले कर सहलाना शुरू कर दिया और मै
उसकी चूत सहलाने लगा (पेंटी के ऊपर से ही ) और पहले से भी धीरे धीरे कार
चलने लगा
मेरी मदहोशी बढती जा रही थी |मजा इस बात से नहीं था कि कोई लड़की मेरा लंड
सहला रही है, बल्कि मुझे तो ये सोच-सोच कर नशा हो रहा था कि मेरी बहन
मेरा लंड अपने हाथ में लेकर बैठी हुई है और मै उसकी चूत से खेल रहा हूँ
और वो भी -चलती कार में |
मैंने उससे लंड को मुह में लेकर चूसने को कहा मगर अमृता ने मना कर दिया |
लेकिन मै उस दिन पूरे मूड में आ चूका था |इसलिए मैंने भी ये जिद्द पकड़ ली
थी कि आज तो मै अमृता से कार में ही लंड चुसवाकर ही रहूँगा, चाहे वो एक
या दो चुसके ही ले |लेकिन अमृता ने ये सब करने से साफ़-साफ़ और सख्त शब्दों
में मना कर दिया था | वो इस बात पर अड़ी हुई थी कि वो जो भी करेगी अब घर
जा कर ही करेगी |लेकिन मै अपनी जिद्द पर कायम था कि चाहे दो बार ही सही
वो मेरा लंड कार के अंदर ही चूसे |
मैंने गुस्से में आ कर कार सड़क के किनारे ही रोक दी और गुस्से में बोला-
"नहीं जा रहा मै घर |मै तब तक घर नहीं जाऊंगा जब तक तू मुह में ले कर
नहीं चूसेगी |चाहे एक या दो बार चूस ले, मगर जब तक तू चूसेगी नहीं मै अब
घर नहीं जाऊँगा, तुने जाना है तो तू चली जा |"
अमृता मेरा गुस्सा और मेरी जिद्द जानती थी |उसने मुझे समझाने कि बहुत
कोशिश करी मगर उस समय मेरे ऊपर जिद्द सवार थी |आखिरकार अमृता ने हार मानी
और ये शर्त रखी कि इसके बाद मै अमृता के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं करूँगा और
सिर्फ दो बार वो मेरा लंड चूसेगी |मै सहमत हो गया और मैंने वादा किया कि
इसके बाद मै अमृता को सड़क पर हाथ नहीं लगाऊँगा |उसके बाद अमृता ने चलती
कार में मेरा लंड पहले तो थोड़ी देर तक अपने हाथ से सहलाकर खड़ा किया और
उसके बाद मुह में लेकर चूसना शुरू कर दिया |
उसने कहा तो ये था कि वो सिर्फ दो बार चूसेगी मगर एक बार मुह में लेकर
बहुत देर तक उसने मेरा लंड चूसा, क्योकि वो जानती थी कि मुझे उससे लंड
चुस्वाना बहुत पसंद है |
 
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