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एक भयानक सच
मेरा नाम अंकुर हैं और मैं एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता हूँ। सुबह से ही मेरी थोड़ी तबीयत खराब चल रही है। और मेरे सर में भी बहुत दर्द हो रहा हैं पता नहीं क्यों इसलिए मैंने अपने बॉस से आज छुट्टी के लिए बोला पर उन्होंने कहा - पहले मुझे वो जावास्क्रिप्ट चाहिए जो मैंने तुम्हे बनाने के लिए दी थी मुझे वो स्क्रिप्ट आज ही चाहिए वो देने के बाद तुम घर जा सकते हो । - अब मेरा काम भी पूरा होने ही वाला था इसलिए मैंने कहा - ओके सर -
और इतना बोलकर मैं वापस अपने जगह पर आ गया। और लगातार काम करने की वजह से मेरा काम लगभग दोपहर के 2 बजे तक पूरा हो गया। उसके बाद मैंने अपनी कमर सीधी करने के लिए अपनी सीट पर अपना सर पिछे को करके दो मिनट के लिए आराम करने लगा। और जैसे ही मैं सीधा होकर अपनी आँखे खोली तो मेरे सर में जितना भी दर्द हो रहा था वो सब ठीक हो गया और मेरी तबीयत भी ठीक हो गई।
क्या पता यह सब मुझे इसलिए महसूस हो रहा होगा क्यूंकि मेरे पास काम बहुत था और उस काम टेंशन और भी ज्यादा इन सबकी वजह से मेरी पूरी तबीयत भी गराब हो रखी थी। चलो कोई नहीं बॉस से छुट्टी तो पहले से ली हुई हैं। और अब घर में जाकर पूरा दिन आराम करूंगा। यही सब सोचते हुए मैं अपने ऑफिस से बाहर निकला। और अपने घर जाने लगा मेरा घर ऑफिस से 500 मिटर की ही दुरी पर होगा इसलिए मैं रोज अपने घर पैदल ही आता जाता हूँ।
मैं अपने घर के लिए रोड क्रॉस ही कर रहा था। तभी मैंने एक ऐसी चीज देखी जिसे देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई। क्यूंकि मैंने देखा रोड के दूसरी ओर विक्की जा रहा था पर यह कैसे हो सकता हैं क्यूंकि विक्की तो लगभग एक साल पहले ही मार चूका था। मुझे कोई गलत फहमी भी नहीं हुई हैं क्यूंकि विक्की का चेहरा मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ क्यूंकि विक्की मेरा दोस्त था। पर मैं यही सब सोच रहा था तभी विक्की मुझे देखे बिना आगे निकल गया।
उसके आगे जाते ही मैंने कहा चलो अच्छा ही हैं और उतने में वो बिल्डिंग भी आ गई जिसमे मैंने फ्लैट लए रखा था। और जैसे ही मैं बिल्डिंग के गेट के अंदर गया तो बिरजू ने मुझे कुछ कहा ही नहीं बिरजू इस बिल्डिंग का चौकीदार था और वो रोज आते जाते हर इंसान से कुछ ना कुछ बात जरूर करता हैं पर सायद बिरजू आज अपने ही किसी ख्याल में खोया हुआ हैं इसलिए वो आज कुछ बात नहीं कर रहा हैं खैर छोड़ो मैं पहले ही बहुत थका हुआ था इसलिए मैं अपने फ्लैट जाकर सिदा लेट गया।
पहले तो मुझे नीद नहीं आ रहा थी क्यूंकि मेरे दिमाग़ में बस विक्की की ही बात घूम रही थी और मैं बस यही सोच रहा था की कोई मरा हुआ इंसान कैसे दिख सकता हैं आज तक तो मेरे साथ कभी ऐसा नहीं हुआ यही सब सोचते हुए मेरी आँख पता नहीं कब लग लाई और जब मेरी आँख खुली तो मैंने अपनी घाटी में टाइम देखा तो शाम के 7 बज गए थे। और मेरा आज खाना बनाने का भी मन नहीं कर रहा था इसलिए मैं राहुल को फ़ोन करने के लिए अपना फ़ोन ढूंढ़ने लगा।
अच्छा मैंने अभी तक आपको राहुल के बारे में नहीं बताया ना। वो राहुल मेरा दोस्त हैं और राहुल और मैं साथ में ही इस फ्लैट में रहते हैं और मैं उसे बाहर से ही खाना लाने के लिए बोलना चाह रहा था पर मेरा फ़ोन नहीं मिल रहा था। तभी मुझे एकदम से याद आया की मैं अपना फ़ोन और लैपटॉप ऑफिस में ही भूल आया हूँ। और मैंने जो स्क्रिप्ट त्यार करी थी वो भी मैंने अपने बॉस को नहीं दी। इसलिए मैं तुरंत अपने ऑफिस के लिए निकल गया क्यूंकि मेरा फ़ोन और लैपटॉप वही रह गया था और साथ ही साथ मैंने अपने बॉस को वो स्क्रिप्ट भी नहीं दी इसलिए मैं भागता हुआ अपने बिल्डिंग से नीचे उतरा और सिदा अपने ऑफिस के लिए चल दिया।
मैं अभी थोड़ा ही आगे गया था की तभी मैंने देखा मेरे सामने से सिद्धू अंकल आ रहा हैं पर ये कैसे हो सकता हैं क्यूंकि सिद्धू अंकल तो लगभग दो महीने पहले ही मार चुके थे। मैं उनको देखकर बड़ा ही हैरान था और पता नहीं आज मेरे साथ ये क्या हो रहा हैं पहले विक्की और अब सिद्धू अंकल और दोनों को मरे हुए काफ़ी समय हो गया हैं आज मुझे सब मरे हुए लग क्यों दिख रहे हैं। यह क्या हो रहा हैं मेरे साथ यही सब सोचते हुए मैं अपने ऑफिस पहुंच गया। तभी मैंने देखा हमारे ऑफिस के बाहर एम्बुलेंस खड़ी हैं।
मैं यही सोच रहा था क्या हो गया यहाँ जो एम्बुलेंस आ रखी हैं कही मेरा बॉस तो नहीं निपट गया। मैं यही सब सोच रहा था तभी मुझे एक बहुत बड़ा झटका लगा और मुझे अपनी आँखो पर विश्वास नहीं हो रहा था क्यूंकि मैंने देखा एम्बुलेंस और किसी के लिए नहीं बल्कि वो एम्बुलेंस मेरे लिए ही आ रखी थी और वो मुझे लेकर हॉस्पिटल जा रही थी तभी मैंने वहाँ खड़े कुछ लोगो को बात करते सुना वो बोल रहे थे - सुबह सुबह तो ठीक था बैचारा पता नहीं क्या हुआ की इसकी अचानक ही मौत हो गई - मुझे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था और मैं चिल्ला चिल्ला कर उन्हें बताने की कोशिश कर रहा था की मैं ठीक हूँ और तुम लोगो के सामने ही खड़ा हूँ पर मेरी बात कोई नहीं सुन रहा था। इसलिए मैं भी एम्बुलेंस के पिछे पिछे हॉस्पिटल चला गया। - और वहाँ जाकर पता चला की अंकुर की दिमाग़ की नस फटने से मौत हुई हैं।
मेरा नाम अंकुर हैं और मैं एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता हूँ। सुबह से ही मेरी थोड़ी तबीयत खराब चल रही है। और मेरे सर में भी बहुत दर्द हो रहा हैं पता नहीं क्यों इसलिए मैंने अपने बॉस से आज छुट्टी के लिए बोला पर उन्होंने कहा - पहले मुझे वो जावास्क्रिप्ट चाहिए जो मैंने तुम्हे बनाने के लिए दी थी मुझे वो स्क्रिप्ट आज ही चाहिए वो देने के बाद तुम घर जा सकते हो । - अब मेरा काम भी पूरा होने ही वाला था इसलिए मैंने कहा - ओके सर -
और इतना बोलकर मैं वापस अपने जगह पर आ गया। और लगातार काम करने की वजह से मेरा काम लगभग दोपहर के 2 बजे तक पूरा हो गया। उसके बाद मैंने अपनी कमर सीधी करने के लिए अपनी सीट पर अपना सर पिछे को करके दो मिनट के लिए आराम करने लगा। और जैसे ही मैं सीधा होकर अपनी आँखे खोली तो मेरे सर में जितना भी दर्द हो रहा था वो सब ठीक हो गया और मेरी तबीयत भी ठीक हो गई।
क्या पता यह सब मुझे इसलिए महसूस हो रहा होगा क्यूंकि मेरे पास काम बहुत था और उस काम टेंशन और भी ज्यादा इन सबकी वजह से मेरी पूरी तबीयत भी गराब हो रखी थी। चलो कोई नहीं बॉस से छुट्टी तो पहले से ली हुई हैं। और अब घर में जाकर पूरा दिन आराम करूंगा। यही सब सोचते हुए मैं अपने ऑफिस से बाहर निकला। और अपने घर जाने लगा मेरा घर ऑफिस से 500 मिटर की ही दुरी पर होगा इसलिए मैं रोज अपने घर पैदल ही आता जाता हूँ।
मैं अपने घर के लिए रोड क्रॉस ही कर रहा था। तभी मैंने एक ऐसी चीज देखी जिसे देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई। क्यूंकि मैंने देखा रोड के दूसरी ओर विक्की जा रहा था पर यह कैसे हो सकता हैं क्यूंकि विक्की तो लगभग एक साल पहले ही मार चूका था। मुझे कोई गलत फहमी भी नहीं हुई हैं क्यूंकि विक्की का चेहरा मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ क्यूंकि विक्की मेरा दोस्त था। पर मैं यही सब सोच रहा था तभी विक्की मुझे देखे बिना आगे निकल गया।
उसके आगे जाते ही मैंने कहा चलो अच्छा ही हैं और उतने में वो बिल्डिंग भी आ गई जिसमे मैंने फ्लैट लए रखा था। और जैसे ही मैं बिल्डिंग के गेट के अंदर गया तो बिरजू ने मुझे कुछ कहा ही नहीं बिरजू इस बिल्डिंग का चौकीदार था और वो रोज आते जाते हर इंसान से कुछ ना कुछ बात जरूर करता हैं पर सायद बिरजू आज अपने ही किसी ख्याल में खोया हुआ हैं इसलिए वो आज कुछ बात नहीं कर रहा हैं खैर छोड़ो मैं पहले ही बहुत थका हुआ था इसलिए मैं अपने फ्लैट जाकर सिदा लेट गया।
पहले तो मुझे नीद नहीं आ रहा थी क्यूंकि मेरे दिमाग़ में बस विक्की की ही बात घूम रही थी और मैं बस यही सोच रहा था की कोई मरा हुआ इंसान कैसे दिख सकता हैं आज तक तो मेरे साथ कभी ऐसा नहीं हुआ यही सब सोचते हुए मेरी आँख पता नहीं कब लग लाई और जब मेरी आँख खुली तो मैंने अपनी घाटी में टाइम देखा तो शाम के 7 बज गए थे। और मेरा आज खाना बनाने का भी मन नहीं कर रहा था इसलिए मैं राहुल को फ़ोन करने के लिए अपना फ़ोन ढूंढ़ने लगा।
अच्छा मैंने अभी तक आपको राहुल के बारे में नहीं बताया ना। वो राहुल मेरा दोस्त हैं और राहुल और मैं साथ में ही इस फ्लैट में रहते हैं और मैं उसे बाहर से ही खाना लाने के लिए बोलना चाह रहा था पर मेरा फ़ोन नहीं मिल रहा था। तभी मुझे एकदम से याद आया की मैं अपना फ़ोन और लैपटॉप ऑफिस में ही भूल आया हूँ। और मैंने जो स्क्रिप्ट त्यार करी थी वो भी मैंने अपने बॉस को नहीं दी। इसलिए मैं तुरंत अपने ऑफिस के लिए निकल गया क्यूंकि मेरा फ़ोन और लैपटॉप वही रह गया था और साथ ही साथ मैंने अपने बॉस को वो स्क्रिप्ट भी नहीं दी इसलिए मैं भागता हुआ अपने बिल्डिंग से नीचे उतरा और सिदा अपने ऑफिस के लिए चल दिया।
मैं अभी थोड़ा ही आगे गया था की तभी मैंने देखा मेरे सामने से सिद्धू अंकल आ रहा हैं पर ये कैसे हो सकता हैं क्यूंकि सिद्धू अंकल तो लगभग दो महीने पहले ही मार चुके थे। मैं उनको देखकर बड़ा ही हैरान था और पता नहीं आज मेरे साथ ये क्या हो रहा हैं पहले विक्की और अब सिद्धू अंकल और दोनों को मरे हुए काफ़ी समय हो गया हैं आज मुझे सब मरे हुए लग क्यों दिख रहे हैं। यह क्या हो रहा हैं मेरे साथ यही सब सोचते हुए मैं अपने ऑफिस पहुंच गया। तभी मैंने देखा हमारे ऑफिस के बाहर एम्बुलेंस खड़ी हैं।
मैं यही सोच रहा था क्या हो गया यहाँ जो एम्बुलेंस आ रखी हैं कही मेरा बॉस तो नहीं निपट गया। मैं यही सब सोच रहा था तभी मुझे एक बहुत बड़ा झटका लगा और मुझे अपनी आँखो पर विश्वास नहीं हो रहा था क्यूंकि मैंने देखा एम्बुलेंस और किसी के लिए नहीं बल्कि वो एम्बुलेंस मेरे लिए ही आ रखी थी और वो मुझे लेकर हॉस्पिटल जा रही थी तभी मैंने वहाँ खड़े कुछ लोगो को बात करते सुना वो बोल रहे थे - सुबह सुबह तो ठीक था बैचारा पता नहीं क्या हुआ की इसकी अचानक ही मौत हो गई - मुझे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था और मैं चिल्ला चिल्ला कर उन्हें बताने की कोशिश कर रहा था की मैं ठीक हूँ और तुम लोगो के सामने ही खड़ा हूँ पर मेरी बात कोई नहीं सुन रहा था। इसलिए मैं भी एम्बुलेंस के पिछे पिछे हॉस्पिटल चला गया। - और वहाँ जाकर पता चला की अंकुर की दिमाग़ की नस फटने से मौत हुई हैं।