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Heyjadugar

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Instructions: सबसे पहले तो यहाँ तक आने के लिए शुक्रिया। अच्छा लगा यह जानकर कि लोग अभी भी पढ़ना पसंद करते हैं। कहानी शुरू करने से पहले मेरी कुछ शर्तें हैं। शर्तें यह है कि कहानी पढ़ने से पहले अपने कमरों की खिड़की दरवाजे बंद कर लीजिए। अगर कमरे में रोशनी ज्यादा है तो उसे एक दम ना के बराबर कर लीजिए। ऐसा इसलिए क्योंकि मेरी कहानी को महसूस करने के लिए, अंधेरा बहुत जरूरी है। जिस कमरे में अंधेरा होता है, वहाँ मैं होता हूँ। और जहाँ मैं होता हूँ, वहाँ जादू होता है। काला जादू। अपने एक हाथ को पेट पर रख लेवें क्योंकि किसी भी वक़्त उस हाथ को नीचे का सफर तय करना होगा। शुरू करते हैं।

कहानी सच है कि नहीं? ये आप खुद पता लेंगे। कहानी खतम होते ही आपकी सांसें इस कहानी के सच होने का सबूत होंगी। आज मैं इंदौर आया हुआ हूँ। इंदौर क्यों देश का सबसे स्वच्छ शहर है ये मुझे साफ-साफ पता चल रहा है। जब से मैंने इंदौर की धरती पर कदम रखा है तब से मुझे कचरा केवल कचरों की पेटियों के आस-पास ही दिखाई दिया। मेरी ट्रेन आज सुबह नौ बजे इंदौर पहुँची। थोड़ी देर रेल्वे स्टेशन पर ही फ्रेश हुआ और फिर सड़कों पर घूमने निकल दिया। बेग को रेल्वे स्टेशन पर ही जमा करवा दिया था। मैं नहीं चाहता कि जब घूमने का मजा उठाना चाहूँ तो मेरी पीठ का दर्द परेशान करे। प्रीती, जिसके लिए मैं आज इंदौर आया था वो करीबन एक बजे मुझसे मिलने वाली थी। कहाँ? मुझे उसने बताया नहीं। उसने बस इतना कहा कि मैं साढ़े बारह बजे फोन करूंगी। तब से मैं सिर्फ साढ़े बारह बजने का इंतज़ार कर रहा हूँ। मुझे दिन में घूमना पसंद नहीं। मैं रात का आशिक हूँ। रात, जब सड़कें रंगीन रहती हैं। जब लोग हसीन रहते हैं। जब टीम-टिमाती हुई रोशनी शहर का गहना बन जाती हैं। दिन में कुछ मजा नहीं आता। चूंकि मुझे वक्त जैसे-तैसे काटना था, मैं ई-बस में बैठकर इधर-उधर घूमने लगा। ट्रेन में नींद न पूरी होने के कारण बस में ही नींद पूरी करने की कोशिश करने लगा।





“रात को सोए नहीं थे क्या?” पास में बैठे एक अंकल ने मुझसे पूछा।

“ट्रेन में नींद कहाँ आती है!” मैंने शीशे पर अपना सर टिकाए हुए ही कहा।

“सीट कन्फर्म नहीं थी?”

“अंकल सीट कन्फर्म थी लेकिन मुझे ट्रेन में नींद नहीं आती।“

“हाहाहा! ऐसा क्यों?”

“पता नहीं, सोने की बहुत कोशिश करी लेकिन आज तक कभी नींद नहीं आई।“

“इस शहर के तो नहीं लगते तुम बेटा।“ फिर से थोड़ी बाद उन्होंने कहा।

“आपको कैसे पता चला?” मैं अंकल की बातों से चौंक गया था। कोई कैसे बता सकता है कि वो उस शहर से है कि नहीं।

“मुझे 35 साल हो गए इस शहर में, हर रोज दो घंटे इन सड़कों पर आना-जाना होता है। अब लगता है कि मैं इन लोगों को जानने लगा हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं जानता। कहाँ से हो तुम?”

“बहुत दूर से….” मैं अपनी जानकारी किसी को नहीं देता।

“किसी से मिलने आए हो?” अंकल ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा।

“…. हाँ” मैंने भी उनकी आँखों में देखकर जवाब दिया। अंकल मुस्कुरा दिए। फिर कुछ देर तक हमारी बात नहीं हुई। मैं बस की खिड़की के बाहर फिर से देखने लगा। हवा से टकराकर मेरे बाल उड़ने की कोशिश कर रहे थे। अगर बड़े होते तो शायद सच में उड़ पाते। रास्तों के आस-पास लगे पेड़ पौधों को देख रहा था और आधी आँखें बंद कर अपने खयालों में खोने की कोशिश कर रहा था। इससे पहले कि मैं अपने खयालों में डुबकी लगाता, अंकल ने फिर से मुझसे कुछ कहा।

“मैं भी जाया करता था उस जमाने में किसी से मिलने…”

“अच्छा!” मैंने बिना ध्यान दिए जवाब दिया।

“अब देखो, मुझसे मिलने कोई नहीं आता…” अंकल ने अपनी हाथ की लकीरों को निहारते हुए कहा।

“क्यों, अंकल? आपका परिवार?” मुझे उनकी बात सुनकर बुरा लग रहा था। मैंने उनकी कहानी जाननी चाही।

“शादी होगी तब न परिवार होगा, शादी ही नहीं करी तो परिवार कैसे होगा।“

“ओह!”

“क्या उमर है तुम्हारी?” अंकल ने थोड़ी देर बाद फिर एक सवाल पूछा।

“चौबीस”

“शादी हो गई?”

“नहीं! मन नहीं है।“

“हाहाहा! मेरा भी मन नहीं था… सुंदर दिखते हो, हट्टे-कट्टे हो, ढूंढ लो कोई… जिससे मिलने आए हो उसी से कर लो” अंकल ने मेरी तरफ मुसकुराते हुए कहा।

“वो खुद शादी शुदा हैं….” मैंने हँसकर जवाब दिया और अपनी हँसी खिड़की के बाहर से जमाने को दिखाने लगा।

प्रीती, आस-पास के ही शहर से है। शहर का नाम मैं बता नहीं सकता। कहने को तो कोई भी नाम ले सकता हूँ। लेकिन फिर वो झूठ हो जाएगा। प्रीती से मेरी मुलाकात ********* पर हुई। वो मुझसे सिर्फ उमर में ही नहीं सब कुछ में बड़ी है। उसके अनुभव मेरे अनुभव के आगे कुछ नहीं थे। उसके सामने मेरी कलाएँ जैसे एक बच्चे की कला थी। ********* पर वॉयस कॉल पर उसकी आवाज सुनकर ही मेरा मन और शरीर दोनों भटकने लगता है। मुझसे आजतक समझ नहीं आया कि उसकी आवाज में इतना नशीलापन क्यों है। या फिर वो जानबूझ कर ऐसी आवाज़ें निकालती है जिससे मेरे शरीर में कंपन उठ जाए। फिर मैं भी उससे बदला, अपनी सिसकियों की तलवार से उसके जवानी का गला काट कर लेटा हूँ। और वो चुप हो जाती है, जवाब में कहती है सिर्फ – उम्मममम!!!!!

प्रीती के शादी को आज, पाँच साल हो गए थे। और वो मुझसे पाँच साल ही बड़ी थी। पाँच साल में उसे इस बात का पता लग गया था कि आग अंदर के कुएं से नहीं बुझेगी, कोई बाहर से ही टैंकर बुलाना पड़ेगा। और इसलिए उसने मुझे बुला लिया। और मैं अपना फायर-ब्रिगैड लिए दौड़ा चला आया इंदौर। मैं ये सब सोच रहा था कि इतने में उसी का फोन आ गया।

“हैलो!” मैंने फोन उठाकर जवाब दिया।

“…” उधर से कोई जवाब नहीं आया।

“हैलो… हैलो” मैंने फिर से कहा।

“…” फिर से कोई जवाब नहीं आया और फोन कट गया। थोड़ी देर वापस फोन आया।

“बेटीचोद, कब से हैलो, हैलो बोल रही हूँ, कुछ बोल क्यों नहीं रहा।“ प्रीती ने गुस्से में कहा। फोन से आवाज बाहर आती है। अंकल और दो तीन लोगों ने सुनकर मेरी तरफ देखा और मेरे पास शर्माने के अलावा कोई चारा नहीं था।

“धीरे बोल, कितनी बार बोला है…. फोन से आवाज बाहर जाती है।“

“हाँ तो, फोन क्यूँ नहीं उठाया मेरा।?”

“उठा लिया था, बस में हूँ।“

“कहाँ जा रहा है?”

“कहीं नहीं, कुछ करने को नहीं था तो सोचा यही कर लूँ।“

“चूतिया..ये सब छोड़.. मॉल का एड्रैस भेजा है, आधे घंटे में आ रही हूँ मैं… तु भी आ जा।“

“मॉल में क्यूँ जाना है लेकिन… कहीं और चलते है न?”

“मुझे कपड़े लेने हैं, आ जा जल्दी।“

“मैं 1300 किमी दूर यहाँ कपड़े खरीदने आया हूँ क्या भेनचोद?” मुझे भी गुस्सा आ गया था।

“आ तो सही… चल बाय।।“

“हैलो,, रुक तो सही…” इतने में फोन ही कट गया।

दोपहर : 1 :30 बजे

मॉल, इंदौर


डेढ़ बज चुके थे लेकिन वो अभी तक आई नहीं थी। मेरा सर गरम हो रहा था। मॉल के बाहर ही मैं सिगरेट पीते हुए चक्कर लगा रहा था। कभी इधर, कभी उधर चले जा रहा था। फोन लगाया उसको लेकिन प्रीती ने फोन उठाया नहीं, इतनी दूर किसी के कहने पर चले आना और फिर उसी इंसान का अपने वादे से मुकर जाना बड़ा अखरता है। मॉल के सामने रुकने वाली हर गाड़ियों में देखता कहीं प्रीती तो नहीं। लेकिन वो उन गाड़ियों में नहीं होती। जैसे ही एक और सिगरेट जलाने वाला था कि प्रीती दूर से चले आ रही थी। उसको देखते ही मन गदगद हो गया। जैसे मेरी तपस्या पूरी हो गई हो। जैसे रेगिस्तान में भटक रहे इंसान को तालाब दिख गया हो। वो तालाब ही दिख रही थी। उसका योवन तालाब था। और मैं उस तालाब का एक-एक बूंद पीना चाहता था। पास आकर खड़ी हो गई। हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे। जिस इंसान को आज तक मैंने सिर्फ ********* पर देखा था, आज मैं उसे असली ज़िंदगी में देख रहा था। वो मुझसे दो फुट की दूरी पर खड़ी थी। वो थी या फिर कोई अप्सरा, कहना मुश्किल है।

लंबे-लंबे बालों को उसने पीछे मोड़कर बाँध रखा था। कुछ बाल उस गुच्छे से आजाद हो गए थे और उसके माथे पर रेंग रहे थे। माथे पर आज बिंदी नहीं थी। उसकी सारी फ़ोटो पर बिंदी होती थी। शायद आज वो मेरे लिए वापस चौबीस साल की लड़की बनकर आई है। बदन पर sleeveless टॉप था। जो पेन्ट के थोड़ी ऊपर ही खतम हो गया था। टॉप के खतम होते ही हल्का सा नंगा बदन दिख रहा था और एक साइड से काला धागा पेन्ट के ऊपर आ रहा था। जिससे उसे किसी की नजर न लगे। गले में मंगल सूत्र था लेकिन उसका लाकिट कहीं नीचे दो उभारों के बीच में जा अटक था। हाथ पर एक घड़ी, कानों पर छोटे छोटे झुमके। काली रंग की पेन्ट और उसके धागे से बनी हुई चप्पलें। इतना सब कुछ मैंने इतना जल्दी कब देख लिया मुझे पता ही नहीं चला। मेरा मन न जाने क्या क्या सोचने लगा। अंदर आवाज़ें चल रही थी, दो लोग उछल रहे थे और मैं कुछ मसल रहा था। ये सब एक साथ मेरे मन में चल रहा था। ये सब सोचते ही मेरे पेन्ट पर झटके लगने शुरू हो गए। अगर जींस टाइट न होती तो आस-पास के लोग देख लेते कि मुझे झटके क्यों आ रहे हैं।

“चल, जल्दी वैसे भी लेट हो गई हूँ।“ उसने तुरंत मेरा हाथ पकड़ा और खींचकर मॉल के अंदर ले गई।

“रुको यार, थोड़ी बात तो कर लो.. और मॉल में क्यों, ओयों चलते हैं न? मेरी ट्रेन है रात में, इतना टाइम क्यों बर्बाद करना।“

“चल तो सही… ओयों फोयों नहीं जा सकती.. थोड़ी देर में दोस्त की हल्दी है.. मुझे वहाँ जाना है, जैसे तैसे बहाना बनाकर आई हूँ”

“तो मेरे को क्यों बुलाया आज फिर?”

“फिर कब मिलते? है मेरे पास टाइम? बता..”

“क्या यार… सारा मूड खराब कर दिया।“ मेरा सच में दिमाग खराब हो गया था। मुँह लटकाए हुए मैं पीछे-पीछे चल रहा था।

“मैं बनाऊँगी न तेरा मूड।“ प्रीति ने आँख मारते हुए कहा।

“इन लोगों के सामने? हट! पब्लिक में नी होगा मुझसे”

“तु चूतिया ही रहेगा मेरी जान।“ इतना कहने के बाद उसने एक हाथ मेरी कमर पर डाल दिया और अपने करीब खींच लिया। मेरी कमर अब उसके कमर को छू रही थी। उसकी ये हरकत देखकर में दंग था। इस जवानी के युद्ध में अब मेरी बारी थी वार करने की। मैंने पीछे से एक हाथ उसके टॉप के अंदर से निकालते हुए दूसरी और ले जाकर रख दिया। उसका नंगा बदन पहली बार छूने का मजा मैं नहीं बात सकता। हाथ जैसे एक मखमल के कपड़े पर फेरे हों। अपनी उँगलियों से कमर की दूसरे हिस्से पर चुटकी कर दी। हल्की सी आउच आवाज निकाली और उसने मुझे अलग कर दिया। मेरा मन अभी भी ओयों जाने को था। मूड बन रहा था और ये मुझे यहाँ ले आई। मैं पीछे ही धीमे-धीमे चल रहा था और वो किसी एक दुकान में चली गई।

मॉल में भीड़ कम थी। प्रीति जाकर ब्रा-पेन्टी वाली जगह पर एक-एक उठाकर देखने लगी। मैं भी वहीं चला गया।

“ये देख, ये कैसी लगेगी।“ उसने एक लाल कलर की ब्रा को उठाते हुए कहा।

“पता नहीं!”

“अच्छा, ये?” उसने काली रंग की दिखाई।

“मुझे नहीं पता, मैं जा रहा हूँ वापस। अब बात मत करना। इसके लिए नहीं आया हूँ मैं।“ मैं पलटकर जाने लगा कि उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। अपने साथ पिंक कलर की ब्रा-पेन्टी लेकर, मुझे चैन्जिंग रूम के बाहर ले गई। जैसे ही एक कमरा खाली हुआ, मुझे अपने साथ अंदर ले गई। बाहर खड़ा गार्ड देखता ही रहा। कुछ नहीं पता चला। मुझे समझ आ गया था कि अब क्या करना है। मैंने अंदर घुसते ही जानवर बनने की ठानी। दरवाजा बंद करते ही उसके हाथ से ब्रा-पेन्टी एक साइड पटक दी। और उसे शीशे पर सटा दिया। उसका सारा बदन शीशे पर टीका हुआ था। मैंने उसे चूमना चालू किया। वो भी यही चाहती थी। अपने हाथों से उसके गालों को पकड़ा और अपने होंठों से उसके होंठ मिला दिए। गुलाब की सुखी हुई पंखुड़ियाँ गीली हो रही थी। मेरे होंठ लब-लब आवाज निकालते हुए उसके होंठों को खाए जा रहे थे। उसने अपने दोनों हाथों को मेरे पेन्ट के टेंट पर रख दिया। और धीरे-धीरे सहलाने लगी। पेन्ट का टेंट फटने वाला था और वो अपने हाथों से और उत्तेजित कर रही थी।

वो मेरे पेण्ट को ऊपर से सहला रही थी और मैं उसकी गर्दन चुम रहा था। उसके पति ने भले ही उसे सोने का हार पहनाया हो लेकिन चुम्मों का हार मैंने ही पहनाया। मैंने अपने हाथों को उसकी कमर पर फेरते हुए ही उसके दो बड़े कुल्हों पर ले गया और दबाने लगा। अपनी हथेली मैं कैद करने की कोशिश करने लगा। मेरी इस हरकत ने उसे पागल कर दिया था। उसने हमारे मिलन की पहली सिसकी निकाली । उसके मुंह से ‘अअअअअअह’ निकली। इसके बाद उसके साँसों की आवाज़ गूंज रही रही। बाहर लोग आ जा रहे थे और अंदर एक दूसरे में समाए जा रहे थे। मैंने अपने हाथों को उसकी जीन्स के अंदर डाल दिया। और पेंटी के ऊपर से ही मसलने लगा। अपने हाथों के सहारे उसे अपने करीब ले आता और पेण्ट के टेंट से सटा देता। अब मेरे होंठ उसके होंठ चूस रहे थे। मेरे हाथ उसकी गांड मसल रहे थे। और मेरा लण्ड उसकी जीन्स के ऊपर से उसकी चूत को छू रहा था। आस-पास के शीशे इसी माहौल को अलग-अलग एंगल से दिखा रहे थे। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं किसी के साथ मॉल में भी ऐसा करूंगा।

मैंने उसकी टॉप को नीचे से उठाया और ले जाकर गर्दन तक चढ़ा दिया। टॉप के खुले ही उसका नग्न बदन मेरी आँखों के सामने था। मैं अगर किसान हूँ जिसके पास एक गन्ना है तो वो भी एक किसान थी जिसके पास दो संतरे थे। दो रसीले संतरे जो हल्के नीले रंग के छीलके के अंदर कैद थे। मैंने उन संतरों को ब्रा के ऊपर से ही मींजना शुरू किया। और नीचे से अपने लन्ड से उसे धक्के दे रहा था। अपने मुँह को उन संतरों के बीच वाली दरार के वहाँ ले जाकर सटा दिया। अपनी नाक से उसके पसीने की खुसबू सूंघ रहा था। इस मादक खुशबू ने मेरे शरीर के सारे तारों में करंट दौड़ा दिया। मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने जो जो सोचा था कि पहले ये करूँगा, फिर वो करूँगा सब भूल गया। उसके योवन के समंदर में डुबकी लगाते ही मैं मदहोश हो गया था।

मैंने उसको पलटा दिया और सामने के शीशे पर धक्का दे दिया। अब उसकी गाँड और मेरा लन्ड आमने-सामने हैं। मैंने उसकी जींस का बदन खोलकर नीचे खीसकानी शुरू करी। और घुटनों तक ले जाकर छोड़ दिया। नीचे बैठकर उसकी गाण्ड को पेन्टी के ऊपर से ही चूमने लगा। एक हाथ से दूसरी गाण्ड मसलता और अपने होंठों से एक गाण्ड को चूमता। कभी इस वाली को और कभी उस वाली को। फिर मैंने उसकी पेन्टी भी नीचे सरका दी। वो तब से कुछ नहीं बोली। बस सांसें लिए जा रही थी। उसकी आवाज जैसे गायब हो गई या फिर वो एक सपने में जी रही हो। पेन्टी के नीचे आते ही अब, नंगी गाण्ड को चूम रहा था। गाण्ड को चूम चूम कर गीला कर दिया। ऐसी कोई जगह नहीं थी जहाँ मेरे होंठों ने अपना गीलापन न चिपकाया हो।

मेरी स्पीड अब और भी तेज हो रही थी। मैंने तुरंत उसकी जींस पेन्टी के साथ निकाल कर फेक दी और उसे वापस अपनी त्रफफ मोड़ा।

“अहाँ… आ… रहा है न मजा…”

“हाँ… बोहत… बोहत ज्यादा… रुकना मत… बिलकुल भी मत रुकना… रुक गया न तो तेरी माँ चोद दूँगी….”

उसके मुँह से इस समय गाली सुनते हुए मेरा जोश और भी बढ़ गया। मैंने तुरंत उसे पास में एक छोटी सी टेबल पर बिठा दिया। उसके साथ-साथ मैं भी नीचे बैठ गया। मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखा और अपनी जीभ को तुरंत उसकी चूत से सटा दिया। उसकी चूत पर जरा भी बाल नहीं थे। जैसे उसने एक दिन पहले ही सब कुछ साफ किए हो। मुझे क्या, मेरा लक्ष्य तो साफ था। मैंने एक साँप के भाँति अपनी जीभ को अंदर बाहर करते हुए उसकी चूत चाटना शुरू करी। जीभ को एक बार में ही ऊपर से नीचे ले जाता, कभी दायें से बाएँ। कभी चूत के अंदर तो तभी चूत के दाने पर। जीभ के साथ-साथ मैंने अपनी एक उँगली भी उसके अंडल डाल दी।

“उम्मममम …. आअअअ.. हहहहहह” जैसी आवाज़ें निकालने लगी। उसने अपने हाथों से मेरे सर को धक्का देते हुए अपने अंदर घुसेड़ने की पूरी कोशिश की। और मैं भी यही चाहता था। मैं जीभ से उसकी चूत चाट रहा था, एक उँगली से उँगली भी कर रहा था और एक हाथ से उसके संतरे भी मींज रहा था। और वो क्या कर रही थी? वो मेरे बालों को सहला रही थी और “उम्मममम …. आअअअ.. हहहहहह” की आवाज निकाल रही थी। मैंने करीबन दो मिनट तक ऐसा ही किया और खड़ा हो गया। वो नीचे कुतिया के जैसे मेरी तरफ देखने लगी। मैंने तुरंत अपना पेन्ट नीचे किया, चड्डी नीचे सरकाई और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। उसे कुछ बोलने का मौका भी नहीं दिया। उसके बालों को एक साथ एक मुट्ठी में बंद करके, उसके मुँह में अंदर-बाहर करने लगा। उसके होंठों से लंड, लंड नहीं रहा। वो अपनी आँखों से मुझे देखती और अपने होंठों से ऊपर-नीचे करते हुए मेरा लंड चुस्ती। कितनी जबरदस्त लग रही थी वो ऐसा करते हुए। जैसे उसके होंठ सिर्फ इस के लिए बने हो। मैंने ल्ण्ड बाहर निकालकर अपने दोनों टट्टों को उसके मुँह में दे दिया। वो अपने जीभ से एक एक टट्टों को चाटने लगी। मैंने आँख बंद कर ली।

“अब रहा नहीं जा रहा, डाल दे इसे अंदर…. बहुत भूखी हूँ” उसने लंड को बाहर निकालते हुए कहा।

“प्यार से बोल मादरचोद” मैंने अपने लंड से उसके गालों को थप्पड़ लगाया।

“डाल दो ना अंदर बेबी, डाल दो।“

मैंने उसे ऊपर उठाया और फिर से उसकी गाण्ड को अपनी तरफ कर लिया।

“झुक थोड़ा..”

“हम्म!” वो सारी बात माँ रही थी।

“और भेन की लोड़ी” मैंने उसकी गाण्ड पर अपना लंड रगड़ते हुए कहा। वो और झुकी। मैंने अपने लंड को हाथ में पकड़ा और उसका छेद ढूँढने लगा। चुत की दरार महसूस होते ही मैंने अपना लंड उसपर रगड़ना चालू किया।

“उम्मम हह उम्मम हह” वो हल्की हल्की सिसकियाँ ले रही थी। मैंने अभी भी अंदर नहीं डाला। मैं अभी भी उसकी चुत पर केवल रगड़ रहा था। कुछ देर ऐसा ही करने पर उसने खुद हाथ पीछे लाया और गाण्ड पीछे करके मेरा लंड अंदर ले गई। इतनी प्यासी थी। मैंने धीरे-धीरे अंदर बाहर करना चालू किया। जैसे एक ट्रेन प्लेटफॉर्म से निकलना शुरू करती है। धीरे-धीरे, आहिस्ता-आहिस्ता, अंदर-बाहर। कुछ देर बाद पहला जोर का झटका दिया।

“उफ्फ़… आअअअअ… ऐसे ही बेबी, इतनी ही जोर से…”

मैंने भी उसकी बातें मानकर जोर-जोर झटका लगाना शुरू किया। छोटे से कमरे पर छप-छप की आवाज आ रही थी।

“आह…. आह…. ऐसे ही…. आह आह…. यस एस बेबी, फक मी… ओह यस”

“बोला था न पागल कर दूँगा…. आह आह…”

“हाँ! हाँ!… उफ्फ़… आअअअअ.”

“झड़ रही हूँ.. आअअअअ…और जोर से… और जोर से” चार- पाँच तक ऐसे ही चोदने के बाद उसने कहा। मैंने झटके और तेज कर दिए। थोड़े देर के बाद में भी झड़ने की कगार पर आ गया। तब उसका पानी निकाल चुका था। मैंने अपना लोंडा बाहर निकाला और वापस उसके मुँह में डाल दिया। वो पागलों की तरफ वापस मेरा लौडा चूसने लगी। मैंने अपनी आंखे बंद कर ली। मैं आँखें बंद करते हुए झड़ना चाहता था। 15 सेकंड बाद ही मैं बस होने वाला था। मैंने उसके सर को अपने लंड पर एक दम सटा दिया और बह गया। पूरी तरह से बह गया। वो सारा का सारा माल अंदर गटक गई। उसके बाद क्या हुआ था, कैसे हुए था। कुछ याद नहीं। हम दोनों एक मिनट तक तो कुछ कर भी नहीं पा रहे थे। मुझे बस इतना याद है कि मैंने बाहर आने के बाद गार्ड को दो सो रुपये दिए थे।
 
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Delta101

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बेहतरीन शुरुआत... नयी कहानी के लिए शुभकामनाएं.

कहानी के शीर्षक को भी देवनागरी में लिखें
 
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Damon_Salvatore

I am vengeance
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



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