रुद्रा और सोना दोनों बात कार ही रहे थे की एक तेज रोशनी आश्मन से गिरने लगती है , आश्मन से एक सुनहरे रंग की रोशनी नीचे ज़मीन पे गिरर रही थी
रुद्रा – ये क्या है जो आश्मन से गिरर रहा है
सोना – रुद्रा लगता है आश्मन से कोई सोने का पठार गिरर रहा है
रुद्रा – फिर तो ये सोने का पठार बहुत कीमती होगा और ये हमारे मुश्किलों को हाल कार सकता है
सोना – हाँ कार तो सकता है लेकिन ये तो जंगल के उस तरफ जाकर गिरा है और लोगों का कहना है की जंगल के उस तरफ आज तक कोई नहीं गया है और जो भी गया है वो आज तक लौट के नहीं आया है
रुद्रा – कोई बात नहीं में उस तरफ के जंगल में जाऊंगा और उस सोने के पठार को लेकर आऊंगा
सोना – रुद्रा वो जंगल बहुत खतरनाक है
रुद्रा – कोई बात नहीं सोना में तुम्हारे लिए हर खतरा उठाने के लिए तैयार हूँ
और ये सुनकर सोना बहुत खुश होजती है और रुद्रा को गले लगा लेती है और फिर दोनों अपने अपने घर के तरफ चल देते हैं
जो कुछ देर पहले आश्मन से सुनहरी चीज़ गिरी थी उस से कुछ देर पहले मायवी दुनिया में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ईश्वक़्त मायवी दुनिया में – अग्नि के मायवी दुनिया में अजाने से मायवी दुनिया में हलचल मची हुई थी और सारे स्टेट’से बहुत परेशान होचुके थे इसलिए मायवी दुनिया के कुछ खास लोग ईश्वक़्त गंधर्व नगरी में इकट्ठे हुए थे इसे मसले पर आलोचना करने के लिए
गंडर के महाराज बिस्वजीत सिंग रठोड़ भी इन्हीं खास लोगों में से एक थे और वो अपने तबीयत खराब होने के बावजूद यहाँ गंधर्व नगरी में आए थे और ईश्वक़्त वो गंधर्व नगरी के महाराज लॉर्ड देवधर के साथ एक पहाड़ी की और तरफ रहे थे कुछ देर में वो दोनों उसे पहाड़ी के छोटी के ऊपर पहुँच जाते हैं
पहाड़ी का ये छोटी और भी बहुत से बारे बारे पहाड़ों से घिरा हुआ था और चारों तरफ से उन्न पहाड़ों के झरनों(वॉटरफॉल) से पानी बह रहा था
उस पहाड़ी के छोटी पे एक खूबसूरत सा कमरा बनाया गया था जीशमे ना तो चाट थी और ना ही उस कमरे में दीवारें थी हाँ दीवारों के बदले खूबृुरत चार पिलर थे और उस खुले असमनी कमरे में बैठने के लिए कुछ कुर्शियाँ थी
गंडर और गंधर्व नगरी के दोनों महाराज उस असमनी कमरे में पहुँच जाते हैं और जैसे ही दोनों वहाँ पहुँचते हैं दोनों की नजरें पड़ती हैं एक महिला के ऊपर वो महिला झरने के तरफ अपना मुंह करके खड़ी हुई थी
और जैसे ही इन दोनों की नज़र उस महिला के ऊपर पड़ती है गंडर के महाराज के मुंह से बस एक ही लाव्ज निकलता है रानी पड़ी पद्मिनी
और फिर रानी पड़ी पद्मिनी पीछे पलट ते हैं , रानी पड़ी पद्मिनी यानि की परिलोक की महारानी , रानी पड़ी पद्मिनी इतनी खूबसूरत हैं की जो कोई भी उन्हें एक बार देखे बस देखता ही रहजाये उनकीी जितना खूबसूरत महिला इसे पूरे काईनात में कोई नहीं होगा उनके आँखों से प्यार दया करुणा बरसती है और जब वो मुश्कूराती हैं तो उनके आस्स पास मौजूद सभी के दर्द और तकलीफ दूर हो जाता हैं
रानी पड़ी पद्मिनी धरती के ऊपर मौजूद परिलोक में रहती है और आज बहुत सालों बात धरती पे आई हैं , रानी पड़ी पद्मिनी धीरे धीरे दोनों महाराज के तरफ बढ़ती हैं और दोनों महाराज अपना सर को झुकाके उनका इसटेक्वाल करते हैं
रानी पड़ी पद्मिनी – एक बहुत ही बहुत ही लंबा अरशा बीिट चुका है
गंडर’से किंग – एक लंबा अरशा बीत गया मगर वक्त का आप के ऊपर कुछ असर नहीं हुआ महारानी पद्मिनी , जवाब में रानी पड़ी के चेहरे पे एक हल्का सा मुश्कं आ जाता है
गंडर’से किंग – मुझे कोई अंदाज़ा नहीं था महारानी की लॉर्ड देवधर ने आप को बुलवा भेजा था
गुरुजीी – उन्होंने मुझे नहीं बुलवाया था में खुद ही यहाँ आ गया था
और सब इसे आवाज़ के तरफ मुड़ते हैं तो सामने गुरु ब्राम्हनंद को पाते हैं और सभी उन्हें नमस्ते करते हैं सिवाय रानी पड़ी के फिर सभी वहाँ मौजूद कुर्सियों पे बैठ जाते हैंगुरुजीी – महाराज बिस्वजीत सिंग मैंने ही आप को यहाँ बुलवा भेजा था और मैंने ही महारानी को यहाँ बुलवाया था और ये सब मैंने क्यों किया ये आप सभी जानते होंगे
लॉर्ड देवधर – हाँ अब ये मसला बहुत ही गंभीर हो गया है हमें और हम सबको मिलकर इसे समस्या का जल्दी ही हाल निकलना होगा क्योंकि हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं हैं
गुरुजीी – हाँ अग्नि के पास ईश्वक़्त बहुत ज्यादा ताकतें हैं और उसने जिसे तरह से प्रिन्स ऑफ वारएवोल्फ’से को मारा और उन्न वारएवोल्फ’से के फौज को निस्टोनबूत किया वो सच में काफिई चिंता जनक है हमारे लिए क्योंकि अग्नि अगला वार किशिके भी ऊपर कार सकता है
रानी पड़ी – क्या सच में अग्नि इतना खतरनाक है सोचिए ज़रा आप सब
गुरुजीी – ये आप क्या कह रहे हैं महारानी
रानी पड़ी – सही तो बोल रहे हैं हम , अग्नि ने उन्न वारएवोल्फ’से को क्यों मारा और क्यों उसने प्रिन्स ऑफ वारएवोल्फ’से को मारा बताइए हमें , सारे स्टेट’से के मना करने के बाद भी क्या जरूरत थी वारएवोल्फ’से को डेत वाली के ऊपर हमला करने की , अग्नि ने बस सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने इलाके का और अपने लोगों का रक्षा किया है , हम जानते हैं की अग्नि के पास सम्राट की ताक़तें हैं वो सम्राट का अंश है सम्राट का दिल(हार्ट) उसके सीने में है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की हम उसे सम्राट की तरह बुरा मान ले और हमें यकीन है की अग्नि के दिल में कनीन ना कहीं आज भी अचाई होगी
लॉर्ड देवधर – तो आप ही बताइए महारानी हम क्या करे
रानी पड़ी – हम अग्नि से एक बार मिलना चाहते हैं और उस से बात करके उसे समझना चाहते हैं
गुरुजीी – अगर वो नहीं मना तो
रानी पड़ी – हमें यकीन है अग्नि हमारे बात को मानेगा और हमारे साथ जाने के लिए तैयार हो जाएगा
गुरुजीी – में आप के ऊपर शक नहीं कार रहा हूँ महारानी परंतु फिर भी यही पूछूँगा की अगर अग्नि नहीं मना तो हम सब क्या करेंगे
रानी पड़ी – अगर इसे परिस्थिटी आ जाती हैं तो हमें उन्न कठिन परिस्थिटी से एक ही स्क्स निकल सकता है और वो है गंडर का नया राजा
गंडर’से किंग – हम कुछ समझे नहीं महारानी
रानी पड़ी – महाराज आज कल आप की तबीयत खराब है और आप की तबीयत दिन बीए दिन और खराब होती जाएगी इसलिए अब वक्त आ गया है की गंडर को नया राजा मिले जो शर वीर हो जीशके सीने में दया और करुणा हो जो अपने प्रजा को समझे जो सच के लिए मौत से भी टक्कराने से नहीं डरे
गंडर’से किंग – हम समझ गये महारानी
फिर रानी पड़ी सबसे जाने के लिए इजाज़त मांगती हैं और अपने जादुई दंड(मॅजिक स्टिक) को निकलकर आश्मन के तरफ इशारा करती हैं और फिर देखते ही देखते रानी पड़ी वहाँ से गायब होजती हैं
रानी पड़ी के जाने के बाद गुरुजीी गंडर के महाराज से पूछते हैं
गुरुजीी – महाराज आप के साथ यहाँ आप के दोनों बेटे भी आए हुए हैं ना
गंडर’से किंग – जी हाँ गुरुजीी
गुरुजीी – महाराज तो फिर हमें देर नहीं करना चाहिए
लॉर्ड देवधर – हाँ महाराज गुरुजीी सही कह रहे हैं
गंडर’से किंग – शायद आप सही कह रहे हैं
फिर गंडर के महाराज सिपाहियों के हाथों अपने दोनों बेटों को बुलवा भेजते हैं और कुछ देर में गंडर के दोनों राजकुमार वहाँ पहुँचते हैं , गंडर के दोनों राजकुमारों के नाम थे कुंवर विक्रांत और कुंवर यश , ये दोनों कुंवर बहुत ही बहादुर योढ़ा थे और काबिल राजकुमार भी
कुंवर विक्रांत – जी पिताजिी आप ने हमें बुलवाया
गंडर’से किंग – मेरे बच्चों अब वक्त आ गया है की गंडर को एक नया राजा मिले इसलिए मैंने तुम दोनों को यहाँ बुलवाया है , तुम दोनों हर एक चीज़ में एक समान हो चाहे वो युधकला हो या राजनीति या कोई खेल प्रतियोगिता कोई भी किसीसे कम नहीं है इसलिए मैंने तुम में से किसी एक को चुन ने के लिए एक तरकीब निकली है
कुंवर यश – कैसी तरकीब पिताजिी
फिर गंडर के महाराज अपने गले में पहने हुए एक सोने के हार को निकलते हैं जीशमे एक नीले रंग का रत्ना जुड़ा हुआ था और उस हार को हवा में उछाल देते हैं जिस से वो हार नीचे ज़मीन पे गिरने के बजे हवा में ही तैयार ने लगता है फिर
गंडर’से किंग – मेरे बच्चों ये हार कोई मामूली हार नहीं है इसमें लगा हुआ रत्ना दिव्या है और हमारे परिवार के हर एक राजा ने इसे पहना है और इसे रत्ना को पहनते ही उसे राजा में भी कुछ दिव्या सकतियाँ आ जाती है और में इसे हार को अब बहुत दूर फेंकने वाला हूँ और इसे हार को सिर्फ़ वही ढूंढ. के लसक़्ता है जीशमे हमारे परिवार का शाही कोन हो और वही बनेगा गंडर का नया महाराज
फिर गंडर के महाराज हवा में लहराते उस हार को अपने हाथ में लेते हैं और आश्मन के तरफ फेंक देते हैं और वो हार तेजिसे आश्मन के तरफ बढ़ने लगता है उसकी रफ्तार इतनी तेज थी की कुछ ही देर में वो हार धरती के बाहर चली जाती है और उसकी रफ्तार इतनी तेज थी की वो तारों और सितारों से भी आगे निकल जाती है फिर आश्मन में एक धमाका होता है बूंमम्ममममममममम ये आवाज़ ऐशी थी जैसे प्याले आ गया हो फिर वो रत्ना हार नीचे के तरफ गिरने लगती है और जीतने तेजिसे वो आश्मन में गयी थी उस से भी ज्यादा तेज रफ्तार के साथ नीचे धरती की और गिरने लगती है जब वो नीचे गिरर रही थी तो वो सुनहेरे रंग के रोशनी फैलाए नीचे धरती के तरफ आने लगती है और देखते ही देखते वो धरती पर एक तेज आवाज़ के साथ धदाांम्म्मममम करके नीचे ज़मीन पे गिरती है
रुद्रा सोना से बात करने के बाद अपने घर लौट आता है लेकिन वो जैसे ही घर के सामने पहुँचता है पत्ता नहीं उसे क्या होता है वो जंगल के तरफ चल देता है और जंगल के तरफ जाते वक्त उसके दिमाग में सिर्फ़ एक ही ख्याल था
रुद्रा – मुझे जल्दी से जंगल में जाना होगा वरना क्या पत्ता मुझसे पहले कोई और वहाँ पहुँच जाए और उस आश्मन से गिरे हुए चीज़ को ढूंढ. ले , यही सब सोचते हुए रुद्रा कुछ ही देर में जंगल के सरहद के पास पहुँच जाता है
सरहादपुर के बुजुर्गों का कहना था की सरहादपुर के जंगल के उस पार से दूसरी दुनिया शुरू होती है जो की इंसानों की दुनिया नहीं थी , और इसी वजह से इसे गाँव का नाम सरहादपुर रखा गया था , और गाँव वालों ने गाँव और जंगल के बीच एक दीवार भी बना दिया था और गाँव वालों ने एक बूढ़े आदमी को इसे जंगल का पहरेदार बना दिया था ताकि कोई भी कभी भी जंगल में ना जा सके
रुद्रा चलते चलते हुए उस दीवार तक अपहुँचा था और रुद्रा को दीवार तक आते हुए दीवार का पहरेदार देख लेता है और फिर
पहरेदार – वीर सिंग फिर से नहीं