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Mera shayri ka thread

Rahul

Kingkong
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Ek Exclusive meri taraf se :




Kis kis ke jakham bharta, yaha deewane bahut hain !


Abhi to ek arsha hi hai gujra, jamane bahut hai ||

Wo sochta hai, meri basti ujaar dega kuch nafrato ki andhiyon se !

Mai chahun to rukh kr lu, mera khud ka irada bahut hai !!

Wo khush hai, mujhe apne ghar se be-dakhal kar ke !


Main azaad parinda hun, aashman me thikane bahut hain ||
bahut badhiya bhai:applause:
 
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Rahul

Kingkong
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1
हमारे जीने का अलग अंदाज़ है
एक आंख में आंसू और दूसरे में ख़्वाब है

2
सख़्त रातों में आसान सफ़र लगता है
यह मेरी मां की दुआओं का असर लगता है

3
दुश्वार काम था ग़म को समेटना
मैं ख़ुद को बांधने में कई बार खुल गया

4
तजुर्बा कहता है मोब्बत से किनारा कर लूं
दिल कहता है कि ये तजुर्बा दोबारा कर लूं

5
वो भी रो देगा उसे हाल सुनाएं कैसे
मोम का घर है चराग़ों को जलाएं कैसे

6
यूं तो हमने घूम लिया सारा जहां
लेकिन तेरी गली की बात ही कुछ और है

7
हमदर्दी न करो मुझसे ऐ मेरे हमदर्द दोस्तों
वो भी बड़ा हमदर्द था जो दर्द हजारों दे गया

8
एक खून के रंग ने रंग नहीं बदला
वर्ना सारे रिश्ते जहां के बेरंग हो गए

9
ठंड की रात भी दुशाला ओढ़ रही थी चांदनी का कुहरे के साए में
ये चांद की मोहब्बत थी जो पाकीज़ा बनकर धरती पर उतरी थी

10
यूं तो फरिश्तों ने भी एक फ़रिश्ते का साथ छोड़ दिया
अजीब इतेफाक था उसको भी किसी से 'इश्क़' हुआ था।
 

Rahul

Kingkong
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नज़्म में बहके हुये खयालात लिखता हूँ
जो हो न सकी मुमकिन वो बात लिखता हूँ।
खुश्बू सा महक़ती हो तुम ग़ज़लों में,
रात को दिन और दिन को रात लिखता हूँ।
एक गज़ल तुम्हारे ज़ुल्फ़ों पर लिखी है
ज़ुल्फ़ों को तुम्हारे नदी की धार लिखता हूँ।
एक गज़ल तुम्हारे आँखों पर लिखी है
आँखों को तुम्हारे सागर से पार लिखता हूँ।
एक गज़ल तुम्हारे अधरों पर लिखी है
अधरों को तुम्हारे गुलाबों की बाग लिखता हूँ।
एक गज़ल तुम्हारे कमर पर लिखी है
कमर को तुम्हारे नागिन की चाल लिखता हूँ।
है और कई गज़लें तुम्हारे हुस्न, जवाँ बदन की
चोटी से पैरों तक तुम पर कई किताब लिखता हूँ।
मेरी छोटी उँगली ने तुम्हारे छोटी उँगली से कुछ कहा
मैं कुछ और नहीं वही सारी बात लिखता हूँ।
अदा, वफ़ा, नशा बहुत कुछ है तुम्हारे अन्दर
बेसुध-बेहोश भी रहूँ तो तुम्हारा प्यार लिखता हूँ।
 

Rahul

Kingkong
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हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

जिस की आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते

लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते

जागने पर भी नहीं आंख से गिरतीं किर्चें
इस तरह ख़्वाबों से आंखें नहीं फोड़ा करते

शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते

जा के कोहसार से सर मारो कि आवाज़ तो हो
ख़स्ता दीवारों से माथा नहीं फोड़ा करते
 

Rahul

Kingkong
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Rahul

Kingkong
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चलो आज फिर थोडा मुस्कुराया जाये,
बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये
wonderfull:applause:
 
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Rahul

Kingkong
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तेरा आना तो एक बहाना था , थी मैं एक समुंदर
तेरे आने से पहले भी बस दरिया बन तुझमें समाना था
न थी अवशेष अभी तक मेरी कोई ख्वाहिश ,
तेरे ख्वाबों में जीना तो बस एक बहाना था

मिला है बहुत प्यार ,दुलार मुझे मेरे अपनों का ,
बस तेरी मोहब्बत बन जाना तो मेरा एक बहाना था
सुना है मैंने बहुत खूबसूरत होते हैं वह पल
जो जिये अपनों के साथ जाते हैं,
इसलिए वो खूबसूरत पल तुम्हें ही बनाने का एक बहाना था

हूँ मैं एक हरा भरा सा बसंत ख़ुद में,
पर पतझड़ बन तुझपे झड़ना तो मेरा एक बहाना था
हूँ मैं अपने पापा के आगँन की आज़ाद चिड़िया ,
तेरे पिंजरे में कैद होना ही तो मेरे उड़ने का बहाना था
हूँ मैं बहुत ही बहुमुल्य धरोहर अपने आप की ,
बस तुझमें मिल कर उसका अवमूल्यन करना तो मेरा एक बहाना था

रहने को तो रह लेती हूँ अकेली ही मैं,
पर तेरे आने से इस अकेलेपन को भी दूर करना मेरा एक बहाना था
वैसे तो मै हूँ अपने सब लोगों की बहुत खास ,
पर तुझको अपना खास बनाना ही मेरा एक बहाना था
वैसे तो होती हूँ शरीक हर उत्सव में मैं,
पर तुझसे ही अपने जीवन का उत्सव मनाना तो मेरा एक बहाना था

हो गयी है जिन्दगी मेरी भी सुकून से भरी ,
बस तेरे हिस्से का सुकून भी लेने का मेरा यह एक बहाना था
वैसे मैंने सुना है होता है बडा़ कठिन अकेले का सफ़र ,
इसलिए तुझे अपना हमसफ़र बनाने का एक बहाना था
वैसे तो हर कोई समझता है मुझे काबि़ल अपने ,
पर तेरे काबि़ल बन जाना ही मेरा बहाना था
हाँ, सही सुना तूमने तुम्हें अपना हमसफ़र बनाने का मेरा बहाना था
पर अब सिर्फ बहाना ही नहीं
सच कहूँ तो तुमको अपना बनाने का इरादा भी है।
 

Rahul

Kingkong
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गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं


शम्अ' जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए
हम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैं


बच निकलते हैं अगर आतिश-ए-सय्याल से हम
शोला-ए-आरिज़-ए-गुलफ़ाम से जल जाते हैं


ख़ुद-नुमाई तो नहीं शेवा-ए-अरबाब-ए-वफ़ा
जिन को जलना हो वो आराम से जल जाते हैं


रब्त-ए-बाहम पे हमें क्या न कहेंगे दुश्मन
आश्ना जब तिरे पैग़ाम से जल जाते हैं


जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
 
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