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Adultery Meri BiBi se Pyar (copied from other site)

Raghuavendra007

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Update 1


मैं हूँ राज रत्न कॉल। एक बार मेरे ऑफिस में सारे स्टाफ का मिलन समारोह हुआ। वहां स्टाफ पति पत्नी के साथ में आमंत्रित थे। मेरी पत्नी नीना की जवानी और खिली हुयी लगती थी। वह उस समय कोई २८ साल की होगी। हमारी लव मैरिज हुई थी। नीना अत्यन्त सुन्दर थी। वह कमर से तो पतली थी पर उसके उरोज (मम्मे) पूरे भरे भरे और तने हुए थे। उसका बदन लचीला और उसकी कमर से उसके उरोज का घुमाव और उसके नितम्ब का घुमाव को देख कर पुरुषों के मुंह में बरबस पानी आ जाना स्वाभाविक था। उसे पुरुषों से बात करने में कोई झिझक नहीं होती थी।

नीना के कॉलेज में हजारों लड़को में कुछ ही लड़कियां थी। उनमे से एक नीना थी। परन्तु वह मन की इतनी मज़बूत थी की कोई लड़का उसे छेड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। कई बार शरारती लड़कों को चप्पल से पीटने के कारण वह कॉलेज में बड़ी प्रख्यात थी। कॉलेज के लड़कों के मन में नीना को पाने की ख्वाहिश तो थी। पर न पा सकने के कारण उसकी पीठ पीछे कई लड़के नीना के बारेमें ऐसी वैसी अफवाएं जरूर फैलाया करते थे। खास तौर से मैंने कॉलेज के कुछ लडकोंको यह कहते सुना था की नीना का उसके साथ या किसी और के साथ अफेयर था। वह कॉलेज में लडकोसे बिंदास मिलती थी पर किसकी क्या मजाल जो उससे भद्दा मजाक करने की हिम्मत करे।

मिलन समारोह में मैंने देखा की सारे पुरुष वर्ग मेरी पत्नी नीना को छिप छिप कर घूर रहे थे। उन बेचारों का क्या दोष? मेरी पत्नी नीना थी ही ऐसी। उसके स्तन एकदम भरे हुए पके बड़े आम की तरह अपने ब्लाउज में बड़ी मुश्किल से समा पाते थे। मेरी बीबी के स्तनों का नाप ३४ से कम नहीं था। मैं अपनी हथेली में एक स्तन को मुश्किल से ले पाता था। उसकी पतली कमर एवं नोकीले सुन्दर नितम्ब ऐसे थे के उसे देख कर ही अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए। वह हमेशां पुरुषों की लालची और स्त्रियों की ईर्ष्या भरी नज़रों का शिकार रहती थी।

हमारी शादी को सात साल हो चुके थे और कहते है की सात साल के बाद एक तरह की खुजली होती है जिसे कहते है सातवें साल की खुजली (seven year itch)। तब अजीब ख्याल आते है और सेक्स में कुछ नयापन लाने की प्रबल इच्छा होती है।

शादी के कुछ सालों तक तो हमारी सेक्स लाइफ बड़ी गर्मजोश हुआ करतीथी। हम २४ घंटों में पहले तो तीन तीन बार, फिर दो बार, फिर एक बार ओर जिस समय की मैं बात कर रहा हूँ उनदिनों में तो बस कभी कभी सेक्स करते थे। शादी के सात सालों के बाद बहुत कुछ बदल जाता है। पति पत्नी के बिच कोई नवीनता नहीं रहती। एक दूसरे की कमियां और विपरीत विचारों के कारण वैमनस्य पारस्परिक मधुरता पर हावी होने लगता है। और वैसे ही पति पत्नी एक दूसरे को "घर की मुर्गी दाल बराबर" समझने लगते हैं। उपरसे बच्चों की, नौकरी की, घर की, समाज की, भाई बहनों की, माँ बाप की, बगैरह जिम्मेदारी इतनी बढ़ जाती है की सेक्स के बारे में सोचने का समय बहुत कम मिलता है।

सामान्यतः मध्यम वर्ग की पत्नियों पर बोझ ज्यादा रहता है। इस कारण वह शाम होते होते शारीरिक एवं मानसिक रूपसे थक जाती है। वह अपने पति के क्रीड़ा केलि आलाप की ठीकठाक प्रतिक्रया देने में अपने को असमर्थ पाती है। उस समय पारस्परिक आकर्षण कम हो जाता है। अक्सर नीना थक जाने की शिकायत करती और जल्दी सो जाती। गरम होने पर भी मुझे मन मसोस कर सो जाना पड़ता था। इस कारण धीरे धीरे मेरे मनमे एक शंका ने घर कर लिया की शायद वह मेरी सेक्स करने की क्षमता से संतुष्ट नहीं है। बात भी कुछ हद तक गलत नहीं थी। जब वह गरम हो जाती थी तब कई बार उस से पहले ही मैं मेरा वीर्य उसके अंदर छोड़ देता था। तब मेरी पत्नी शायद अपना मन मसोस कर रह जाती होगी। हालांकि नीना ने मुझे कभी भी इस बारें में अपनी कोई शिकायत नहीं की।

मेरी बीबी को सेक्स मैं ज्यादा रस नहीं रहा था। जब मैं सेक्स के लिए ज्यादा तड़पता था और उसे आग्रह करता था, तो वह अपनी पैंटी निकाल कर, अपना घाघरा ऊपर करके, अपनी टाँगे खोलकर निष्क्रिय पड़ी रहती थी जब मैं उसे चोदता था। मुझे उसके यह वर्ताव से दुःख होता था, पर क्या करता?

पर कभी कबार अगर जब कोई कारण वश नीना गरम हो जाती थी तो फिर खुब जोश से चुदाई करवाती थी। जब वह गरम होती थी तो उसे सेक्स करने का मज़ा ही कुछ और होता था। इसी लिए मैं ऐसे कारण ढूंढ़ता था जिससे वह गरम हो जाए।

मेरी पत्नी को घूमने फिरनेका और सांस्कृतिक अथवा मनोरंजन के कार्यक्रमों, जैसे संगीत, कवी सम्मलेन, नाटकों, फिल्मों, पार्टियों, पिकनिक इत्यादि में जानेका बड़ा शौक था। ऐसे मौके पर वह एकदम बनठन कर तैयार हो जाती थी। और अगर उसको वह प्रोग्राम में मझा आया तो वह बड़े चाव से उसके बारे में देर तक बात करने लगती और फिर मैं उसीकी ही बात को दुहराते हुए उसके कपडे धीरे धीरे निकालता, उसके मम्मों को सहलाता और उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे गरम करता। उस समय बाते करते हुए वह भी गरम हो जाती और बड़े आनंद से मेरा साथ देती और मुझसे अच्छी तरह चुदवाती। पर ऐसा मौक़ा ज्यादा नहीं मिलता था।

हालांकि मेरी पत्नी नीना बहुत शर्मीली, रूखी और रूढ़िवादी (मैं तो यही सोचता था) थी, पर जब उसे बाहर घूमने का मौका मिलता था तो वह अच्छे से अच्छे कपडे पहन कर तैयार होती थी। उसे कपडे पहननेका शौक था और उस समय वह शालीनता पूर्वक अपने मर्यादित अंग प्रदर्शन करने में झिझकती नहीं थी। उस मिलन समारोह में अपने घने लम्बे बाल नीना ने खुले छोड़ रखे थे। इससे तो वह और भी सेक्सी लग रही थी।

उसने साड़ी तो पहन रक्खीथी पर अंचल की परत और ब्लाउज की बॉर्डर स्तनों से सटकर रुक जाती थी। स्तनों के किनारे से लेकर अपनी नाभि से काफी नीचे तक (जहाँ से उसकी चूत का उभार शुरू होता था) उसकी उतनी लंबी और कामुक नंगी कमर देखने वालों की नजरें नीति भ्रष्ट कर रही थी। जिसमे उसकी नाभि और नितम्ब के अंग भंगिमा को सब ताक रहे थे। वहाँ ऐसा लग रहाथा जैसे सिर्फ मेरी पत्नी ही वहां थी और कोई औरत थी ही नहीं। हालाँकि वहां करीब दस औरतें थीं। मुझे पुरुषों के नीना को लालची निगाहों से देखना, पता नहीं क्यों, अच्छा लगता था। एक कारण तो यह था की मुझे बड़े गर्व का अनुभव होता था की मेरी पत्नी उन सब की पत्नियों से ज्यादा सुन्दर है।

तब घोषणा हुई की अब डांस होगा। सब को अपने साथीदार के साथ डांस फ्लोर पर आने के लिए कहा गया। उस पार्टी में मेरे बॉस ने नीना के साथ कुछ ज्यादा ही छूट लेने की कोशिश की। वह नीना के पास गया और उसने अपने साथ डांस करने के लिए नीना का हाथ पकड़ा और उसे खींचने लगा। नीना ने उसे जोरसे झटका दिया। मेरा बॉस लड़खड़ा गया। खिसियाता हुआ वह कहीं और चला गया। बॉस को नीना पर लाइन मारते देख मेरे अंदर एक अजीब तरह का रोमांच हो रहा था।

उस पार्टी में मेरा एक दोस्त अनिल था। हम साथ में ही काम करते थे। वह मेरी ही उम्र का था और अच्छा लंबा तंदुरस्त और सुगठित मांस पेशियोँ वाला था। उस समय उसकी कोई ३०-३२ साल की उम्र रही होगी। वह गोरा चिट्टा और गोल सा चेहरे वाला था। उसके बाल जैसे काले घने बादल समान थे। उसने मैरून रंग की शर्ट पहनी थी और गले में स्कार्फ़ सा बाँध रख था। उसकी धीमी और नरम आवाज और सबके साथ सहजसे घुलमिल जानेवाले स्वभाव के कारण सब उसे पसंद करते थे। यहां तक के सारी स्त्रियां भी उससे बात करने के लिए उतावली रहतीं थी। वह आसानी से महिलाओ से अच्छी खासी दोस्ती बना लेता था।

पहली बार जब मैंने उसे मेरी पत्नी नीना से मिलाया तो वह नीना को घूरता ही रह गया। जब उसे लगा की वह ज्यादा देर तक घूर रहा था तो उसने बड़ी विनम्रता और सहजता से माफ़ी मांगते हुए कहा, "भाभीजी, मुझे आपको घूर घूर कर देखने के लिए माफ़ कीजिये। मैंने इससे पहले आप सी सुन्दर लड़की नहीं देखी। मैं तो सोच भी नहीं सकता के आप शादी शुदा हैं। "

भला कोई अगर एक शादी शुदा एक बच्चे की मांको बताये की वह एक बहुत सुन्दर लड़की है, तो वह तो पिघल जायेगी ही। बस और क्या था? मेरी पत्नी नीना तो यह सुनते ही पानी पानी हो गयी और बाद में मुझसे बोली, "आपका मित्र वास्तव में बड़ा सभ्य और शालीन लगता है। क्या वह शादी शुदा है?"

तभी उसकी पत्नी अनीता जो कही बाहर गयी थी उसे मैंने देखा और मैं नीना से मिलवाने के लिए गया। अनीता थोड़ी लम्बी और तने हुए बदन की थी। उसकी मुस्कान मुझे बहुत आकर्षक लगती थी। दोनों पत्नियां मिली और थोड़ी देर बातचीत करने के बाद नीना और मैं एक और कपल से बातचीत करते हुए दूसरे कोने में जा के बैठ गए।

मैं देख रहा था की बार बार घूम फिर कर अनिल की आँखे मेरी बीबी को ताक रहीं थी। शायद नीना ने भी यह महसूस किया होगा, पर वह कुछ न बोली। मुझे ऐसे लग रहा था जैसे वह नीना पर फ़िदा ही हो गया था। अनिल की पत्नी अनीता किसी और महिला से बातचीत करनेमें व्यस्त थी। मैंने देखा की अनिल खड़ा हो कर हॉल में इधर उधर घूम रहा था। घूमते घूमते जैसे स्वाभाविक रूपसे वह हमारे सामने आ खड़ा हुआ।

बड़ी सरलता से उसने अपना हाथ लम्बाया और अपना सर थोड़ा झुका कर उसने नीना को डांस करने को आमंत्रित किया।

नीना ने भोलेपन से कहा, "पर मुझे तो डांस करना नहीं आता।"

अनिल ने कहा, "यहां डांस कर रहे लोगों में से कितनों को आता है? तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हे कुछ स्टेप्स सीखा दूंगा।“

नीना ने मेरी तरफ देखा। वह मेरी इजाजत चाह रही थी। मैंने अपना सर हिला कर उसे इजाजत दे दी। नीना तैयार हो गयी। मैंने देखा की अनिल मेरी पत्नी को अपनी बाँहों में लेकर एक हाथ उसकी कमर दूसरा उसके कंधे पर रखकर एकदम करीब से उसे स्टेप्स सीखा ने लगा। उनके डांस शुरू करने के दो तिन मिनट में ही संगीत की लय धीमी हो गयी जिससे डांस करने वाले एक दूसरे से लिपट कर डांस कर सके। मैं उसी समय वाशरूम में जानेका बहाना करके खिसक गया और ऐसी जगह छिप गया जहाँसे मैं तो उन्हें देख सकता था, पर वह मुझे नहीं देख सकते थे। मेरी पत्नी बिच बिच में मुझे ढूंढ ने का प्रयास कर रही थी। मैंने देखा की अनिल मेरी पत्नी के साथ कुछ ऐसे स्टेप्स लेता था जिससे उन दोनों की कमर और उससे निचला हिस्सा और जिस्म एकदूसरे के साथ रगड़े। इस तरह दोनों ने थोड़े समय डांस किया।

अनिल को मेरी पत्नी के साथ अपने शरीर को रगड़ते हुए डांस करते देख कर मैं एकदम उत्तेजित सा हो गया। मुझे इसकी ईर्ष्या आनी चाहिए थी। पर उल्टा मैं तो गरम हो गया। पतलून में मेरा लण्ड खड़ा हो गया; जैसे की मैं चाहता था की अनिल मेरी पत्नी के साथ और भी छूट ले। मुझे मेरी पत्नी का पर पुरुष के साथ शारीरिक सम्बन्ध का विचार उकसाने लगा।

जब मैं वापस आया तो अनिल की पत्नी उसके पति को मेरी सुन्दर पत्नी के साथ करीब से डांस करते देख रही थी। मुझे अनीता बहुत सुन्दर लग रही थी। मैं अनिल की पत्नी अनीता की और बहुत आकर्षित था, पर अपने विचारों को मन में ही दबा कर रखता था। अनीता का आकर्षण मुझे तीन कारणों से बहुत ज्यादा लगा। एक उसकी सेक्सी आँखें। मुझे हमेशा ऐसा लगता था जैसे वह मुझे अपने पास बुला रही है और चुनौती दे रही है की हिम्मत हो तो पास आओ। दूसरे उसके भरे और उफान मारते हुए स्तन (मम्मे ) जो उसके ब्लाउज और ब्रा का बंधन तोड़कर खुल जाने के लिए व्याकुल लग रहे थे। जैसे ही वह चलती थी तो उसकी छाती के दोनों परिपक्व फल ऐसे हिलते थे जैसे बारिश के मौसम में हवा के तेज झांको पर डालियाँ हिलती हैं। और तीसरे उसके कूल्हे। उसके बदन के परिमाण में वह थोड़े बड़े थे। पर थे बड़े सुडौल और सुगठित। अक्सर औरतो के बड़े कूल्हे भद्दे लगते हैं। पर अनीता के कूल्हों को नंगा करके सहलाने का मेरा मन करता था।

मैंने आगे बढ़ कर उसको डांस करने के लिए आमंत्रित किया। वह मना कैसे करती? जिसकी पत्नी उसके पति के साथ डांस कर रही हो तो उसी के पति के साथ डांस करने से हिसाब बराबर हो जाता है न? अनिल की पत्नी तैयार हो गयी। वह बहुत सुन्दर थी। शायद नीना और अनीता में सुंदरता का मुकाबला हो तो यह कहना बड़ा मुश्किल होगा की कौन ज्यादा सुन्दर है। फर्क सिर्फ इतना ही था की अनीता थोड़ी सी ज्यादा भरे बदन की थी, जब की नीना थोड़ी सी पतली थी। ज्यादा फर्क नहीं था। अब मेरी बीबी से छुपने की बारी मेरी थी। मैं अनीता को धीरे धीरे एक कोने में ले गया जहां अनिल और मेरी बीबी हमें देख न पाए। मैं अनीता के साथ अपनी कमर उसकी कमर से सटा कर नरमी से बदन से बदन को रगड़ कर डांस करने लगा तब मुझे लगा की अनीता को उसमें कोई आपत्ति नहीं थी। उसने मुझे कोई ज्यादा प्रोत्साहन तो नहीं दिया पर आपत्ति भी नहीं जताई। शायद उसने अपने पति को मेरी बीबी के साथ कमर रगड़ते डांस करते हुए देख लिया था।

मैं डांस ख़त्म होने के बाद जब अपनी पत्नी से मिला तो मैंने उसको ये जताया की उनके डांस शुरू होने के तुरंत बाद मैं वाशरूम गया था और वहां कोई मिल गया था उससे बात कर रहा था। ये जाहिर होने नहीं दिया की मैंने उसको और अनिल को बदन रगड़ते हुए डांस करते देखा था।

जब हम वापस जा रहे थे तो मैंने नीना से कहा, “कहीं ऐसा न हो के बॉस नाराज हो जाए। तुमने तो आज उसे बड़ा झटका दे दिया।“

तब नीना ने मुझसे माफ़ी मांगी और कहा "यदि तुम्हारा बॉस मुझसे प्यार से धीरे से कहता तो शायद मैं उसके साथ डांस करने के लिए मना नहीं करती। परन्तु उसने जबरदस्ती करने की कोशिश की। अगर मेरे पति को कोई आपत्ति न हो तो भला मुझे किसीके साथ भी डांस करने में क्या आपत्ति हो सकती है? आखिरकार मैंने तुम्हारे दोस्त अनिल के साथ भी तो डांस किया ही था न? तुम बॉस से मेरी तरफ से मांफी मांग लेना।"

मैंने नीना से पूछा, "क्या अनिल के साथ डांस करने में तुम्हे मझा आया?"

नीना ने कहा, "इसमें मझे की क्या बात है? एक रस्म है डांस करने की तो मैंने निभाई, वर्ना डांस में क्या रखा है?"

तब मैंने अपनी भोली सी पत्नीसे कहा, "सारी कहानी डांस से ही तो शुरू होती है। पहले डांस, फिर एक दूसरे के बदन पर हाथ फेरना फिर और करीब से छूना, छेड़ खानी करना, बार बार मिलते रहना, मीठी मीठी बातें करके पटाते रहना और आखिर में सेक्स।"
 

Raghuavendra007

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Update 2

नीना मेरी तरफ थोडासा घबराते हुए देखने लगी और बोली, "राज, क्या डांस इसी लिए करते है? फिर तो गड़बड़ हो गयी। मुझे क्या पता? अब अनिल क्या सोचेगा? वह सोचेगा नीना भाभी तो फिसल गयी। शायद इसी लिए वह मुझे दुबारा कब मिलेंगे ऐसे पूछने लगा। यह तो गलत हुआ। अब में क्या करूँ?"

मैंने हँसते हुए मेरी प्यारी पत्नी से कहा, "तुम ज़रा भी चिंता मत करो। मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। ऐसे कोई नहीं समझता। डांस करना तो आम बात है। पर हाँ, मैंने देखा था की अनिल तुम्हारे साथ डांस करते करते काफी गरम हो गया था। उसकी पतलून में उसका लण्ड खड़ा हो गया था। क्या तुमने अनुभव नहीं किया?" अनिल और नीना ने चिपककर जो डांस किया था उसके बारेमें ना तो मैंने नीना से पूछा था ना नीना ने मुझे बताया था ।

नीना झेंप सी गयी। उसके गाल लाल से हो गए। तब मैं समझ गया की नीना ने भी अनिल के लण्ड को महसूस किया था। पर शायद इस बात पर मेरी पत्नी ने ध्यान नहीं दिया वह इसे नजर अंदाज़ कर गयी। मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा, "ऐसे तो होता ही है। अगर उसका लण्ड कड़क हो गया तो उसमे उसका क्या दोष? तुम चीज़ ही ऐसी हो। तुम इतनी सेक्सी हो की तुम्हे देखकर ही अच्छे अच्छों का पानी निकल जाये।"

नीना थोड़ी देर चुप रही फिर बोली, "तुम भी तो अनीता से बड़े चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे। क्या तुम्हारा खड़ा नहीं हुआ था?" अब चुप रहने की बारी मेरी थी।

मैंने धीरे से कहा, "चलो हिसाब बराबर हो गया।"

यह उस समय की बात है जब मैं जयपुर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव था। उस समय जयपुर बड़ी ही शांत जगह हुआ करती थी। हम एक शांत अच्छी कॉलोनी में रहते थे। अनिल हमसे करीब ३ किलो मीटर दूर दूसरी कॉलोनी में रहता था। उस पार्टी के कुछ ही समय के बाद अनिल ने मेरी कंपनी छोड़ दूसरी कंपनी में ज्वाइन कर लिया। उसे करीब एक साल हो चला था। इस बिच हमारी घनिष्ठता बढ़ी और हम एक दूसरे के घर जाने लगे। अनिल की पत्नी अनीता और मेरी पत्नी नीना दोनों एक दूसरे की ख़ास सहेलियां बन गयीं।

हम एक दूसरे से चोरी छुपे एक दूसरे की पत्नियों को ललचा ने की कोशिश में लगे हुए थे। पर हमें बढ़िया मौका नहीं मिल रहा था। मैं अनीता करीब जाने के लिए लालायित था और अनिल नीना की और आकर्षित हुआ था। पर हमारी पत्नियां एक दूसरे के पति को कोई घास नहीं डाल रही थी। अनिल और मैं मिलते भी थे और सब जानते भी थे पर स्पष्ट बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।

अनिल मेरे घर कई बार आता था। कई बार मैं घर में नहीं भी होता था। मेरी पत्नी नीना उसे पानी चाय पिला देती थी, पर ज्यादा बात नहीं करती थी। अनिल जब भी मेरी अनुपस्थिति में घर आता था तो नीना मुझे अनिल के आने के बारे में बता देती थी। एक बार नीना ने मुझे कहा की अनिल की नियत कुछ ठीक नहीं लगती। नीना को लगा की वह उसपर शायद लाइन मार रहा है। सुनकर मैं मनमें ही बड़ा उत्तेजित हो गया। यदि अनिल मेरी पत्नी के पीछे पड़ा है तो इससे मैंने दो फायदे देखे। एक तो यह की अनिल का इतिहास और चरित्र देखते हुए तो यही लग रहा था नीना के साथ वह कुछ न कुछ तो करेगा ही। यह सोच कर मेरी धड़कन बढ़ गयी। मैं चाहता था की मेरी पत्नी और अनिल के बिच बात आगे बढे। तभी तो मैं भी उसकी बीबी के पास आसानी से जा सकता था। हालांकि मेरी पत्नी अनिल से प्रभावित तो थी परन्तु वह अनिल को जराभी आगे बढ़ने मौका नहीं दे रही थी, ।

एक दिन मेरी अनुपस्थिति में अनिल ने मेरी पत्नी नीना को एक उपहार देना चाहा। नीना ने उसे लेने से न सिर्फ सख्ती से इन्कार कर दिया परंतु उसे डाँट दिया और नसीहत भी दे डाली की आगेसे वह इस तरह की हरकत न करे। अनिल मायूस हो गया। जब हम अगली बार मिले तो मैंने उसे दुखी देख कर पूछा की आखिर बात क्या थी। अनिल ने बताया की वह जोधपुर गया था और वहां से एक अच्छे हेंडीक्राफ्ट के दो सैंपल लाया था जिसमे से एक वह हमें देना चाहता था, पर नीना ने उसे हड़का दिया। अनिलने बात बात में मुझसे कहा की उसका मेरे छोटे से बेटे से खेलने का बहुत मन करता है। मेरा बेटा अनिल से काफी घुलमिल गया था। अनिल चाहता था की वह उसके लिए कुछ खिलौना लाये, पर वह नीना से डरता था। तब मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा की उस रात को मैं नीना से बात करूँगा।

उस रात जब हम सोने के लिए तैयार हुए तब मैंने नीना से उस बात को छेड़ा। मैंने कहा, "नीना डार्लिंग, आपने अनिल का दिल क्यों दुखाया? वह बेचारा हमारे लिए कुछ छोटी मोटी गिफ्ट लाया तो आपने उसे बुरी तरह से डांट दिया।"

यह सुन नीना खिसिया गयी और बोली, "मुझे पता नहीं था की वह इस बारेमें आपसे बात करता है। मैंने सोचा शायद वह आपसे छुपकर मुझसे मिलने आता है और ऐसे उपहार देकर मुझे पटाने की कोशिश कर रहा है।"

मैंने कहा, "नहीं, ऐसा नहीं है। वह मुझे सब कुछ बताता है। मैंने ही उसे हमारे यहाँ आकर मुन्नुसे खेलने के लिए कहा है। उसकी गिफ्ट तुमने वापस की तो वह बड़ा दुखी है। तुम उसकी गिफ्ट का गलत मतलब मत निकालना। मैं मानता हूँ की वह तुम्हारी तरफ कुछ आकर्षित तो है, पर उसमे उसका कोई दोष नहीं। भला कौन मर्द ऐसा है जो तुमसे आकर्षित न होगा? तुम इतनी सेक्सी जो हो।" ऐसा कह कर मैंने बात बात में नीना को यह कह दिया की अनिल उसके प्रति आकर्षित है।

नीना ने थोड़ा शर्मा कर कहा, “ठीक है बाबा, गलती हो गयी। मेरी और से तुम अनिल से माफ़ी मांग लेना। तुम कह रहे हो तो अबसे मैं ध्यान रखूंगी तुम्हारे दोस्तका। उसे दुखी नहीं करुँगी, बस? अब तो खुश?" मैंने नीना के पास जाकर उसे बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया। मुझे ऐसे लगा जैसे मरी पत्नी ने मेरी यह बात सुन कर राहत की सांस ली। वह मेरी बात सुनकर खुश दिख रही थी। मुझे लगा जैसे मैंने उसके मन की बात ही कह डाली। शायद उसे खुद अफ़सोस हो रहा होगा की उसे अनिल को इतनी सख्ती से नहीं डांटना चाहिए था।

नीना ने भी मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, "तुम बहुत ही भले इंसान और एक संवेदनशील पति हो। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अपने दोस्त को इतना सपोर्ट न करता। मुझे अनिल का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा था और इसी वजह से मैं उसे दूर रखना चाहती थी। कई बार मुझे लगता है को वह एक अच्छा इंसान है। कभी कभी लगता है की वह मुझ पर डोरे डाल रहा है। अब तुम मुझे रोक रहे हो और उसे छूट दे रहे हो तो फिर मैं कया करूँ?“

एक पल के लिए मुझे लगा जैसे मेरी पत्नी ने अपनी नाराजगी और असहायता प्रगट की। फिर उस ने आँख नचाते हुए कहा, “मेरी राय में तो ऐसे दोस्त को प्रोत्साहन देना ठीक नहीं , कहीं ऐसा न हो की वह तुम्हारी बीबी को वशमें कर ले और तुम हाथ मलते रह जाओ।“

मैं कहाँ चुप रहने वाला था। मैंने भी नीना से उसी लहजे में कहा, "डार्लिंग तुम अपने आप को जानती हो उससे मैं तुम्हे ज्यादा अच्छा जानता हूँ। मैं जानता हूँ की तुम पर कोई कितने ही डोरे डाले या ऐसा हो जाए की आवेश में तुम किसी के साथ कुछ कर भी लो फिर भी तुम मेरी ही रहोगी। हमारे तन मात्र की ही शादी नहीं हुयी, शादी हमारे मन की और परिवार की भी तो हुयी है , सही है या गलत?"

मेरी सीधी सादी बीबी कुछ सोचमें पड़ गयी और फिर अपना सर हिलाते हुए कहा, "हाँ तुम सही कह रहे हो।" फिर वह मुझसे लिपट गयी और बोली, "डार्लिंग क्या सच में तुम्हें तुम्हारी पत्नी पर इतना विश्वास है?

उस वक्त ही मैं समझ गया की मेरी घरेलु वफादार पत्नी असमंजस में तो है परंतु थोड़ी सी पिघली भी है। मैंने कहा, "मुझे अपने आप से भी ज्यादा तुम पर विश्वास है।"

मैंने नीना को बाँहों में और करीब दबाते उसके ब्लाउज में हाथ डाला। उसके रसीले स्तन युगल को बारी बारी दबाते और उसकी निप्पल को सहलाते और दबाते हुए और भी छेड़ा। मैंने कहा, "एक बात तो तुमने ठीक कही। अनिल तुम पर फ़िदा तो है। तुम्हारे लताड़ने पर बेचारा बहुत दुखी था। वह जब तुम को देखता है तो उसकी आँखे बार बार तुम्हारे स्तन पर ही टिक जाती है।"

नीना एकदम सहम सी गयी। थोड़ी पीछे हट कर उस ने मेरी बात को खारिज करते हुए कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है। तुम मर्दों को तो सेक्स के अलावा और कुछ सूझता ही नहीं। परन्तु अनिल ऐसा नहीं लगता।"

मैंने उसे और उकसाते हुए कहा, "अच्छा? अनिल भी तो एक मर्द ही है। अगर फिर भी यदि तुम ऐसा समझती हो की अनिल ऐसा नहीं है तो चलो एक टेस्ट करते हैं। एक काम करो। तुम उसे थोड़ा उकसाओ। जब वह आये तो उसे अपने कुछ सेक्सी पोज़ दो, फिर देखो। अगर तुम्हे वह कसके बाँहों में जकड न ले तो कहना।" मेरी पत्नी यह सुनते ही एकदम गुस्सा कर बोली, "बस भी करो। शर्म नहीं आती अपनी बीबी से ऐसी बाते करते हुए?" नीना पलट कर सो गयी।

मैंने उसे बाँहों में जकड कर बोला, 'अरे भाई माफ़ भी करो। मैं तो मजाक कर रहा था।"

तब नीना ने करवट ली और थोड़ा मुस्का कर बोली, "कोई बात नहीं। मैं भी तो खाली गुस्से का दिखावा कर रही थी। "

मैंने उसे बाँहों में और कस कर दबाया और बोला, "पर नीना, एक बात बताऊँ? बेचारा अनिल, वास्तव में तुम्हारा आशिक हो गया है। वह कभी कबार गलती से या आवेश में तुम्हे थोड़ा छेड़ता या छू लेता है तो बेचारे पर गुस्सा कर उसका दिल मत तोडना।"

नीना तब एकदम उत्तेजित हो गयी। मेरी बात को टालते हुए मेरे कड़क लण्ड पर हाथ रख कर उस को सहलाते हुए बोली, "तुम भी कमाल के पति हो। अपने दोस्त पर इतने मेहरबान हो। चलो ठीक है, मैं ध्यान रखूंगी, पर देखो तो, तुम उस बेचारे का तो इतना ध्यान रखते हो पर यह बेचारा कितना उतावला हो रहा है अपनी सहेली से मिलने के लिए। उसका भी तो ध्यान रखो। अब अपना काम तो पूरा करो।"

मैं समझ गया की नीना गरम हो गयी थी । मैं तुरंत अपना पजामा उतार कर नंगा हो गया और फुर्ती से नीना के नाईट गाउन को भी उतार दिया। हमारे दो नंगे बदन एक दूसरे के साथ रगड़कर जैसे काम वासना की आग पैदा कर रहे थे। मेरा लंड एकदम फौलाद की तरह कड़क हो गया था। मैंने नीना की चूत पर हाथ रखा तो पाया की वह तो अपना रस ऐसे बहा रही थी जैसे झरना बह रहा हो।

मैंने अपनी पत्नी को कहा, "जानेमन तुम बड़ी गरम हो गयी हो। क्या बात है?"

नीना ने भी उसी लहजे में कहा, "तुम ऐसी बातें कर कर के मुझे गरम जो कर रहे हो।“
 

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Update 3

उसके बाद नीना ने बोलना बंद किया। बोल कैसे पाती? मेरा लण्ड बड़े प्यारसे उसने अपने मुंह में ले जो लिया था। वह उसे ऐसे चूसने लगी जैसे बच्चे बर्फ के गोले में से रस चूसते है। पहले उसे लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगता था। परन्तु उस दिन वह मुझे बहुत खुश करना चाहती थी।

उस रात को मैं भूल नहीं पाउँगा। उस ने खूब चुदवाया। वह तिन बार झड़ गयी और मैं दो बार। मुझे लगा जैसे मेरे दोस्त अनिल का तीर निशाने पर लग रहा था।

मैं सुबह उठ कर तैयार होकर जब ऑफिस जा रहा था तब मैंने जाते जाते नीना को एक लम्बी सी किस होठों पर की। फिर बाई बाई करते हुए कहा, “तुम्हे याद तो है ना? एक बार अनिल को थोड़ा उकसा कर उसका टेस्ट करके तो देखो की तुम सच्ची हो या मैं। बोलो करोगी ना?”

मेरी पत्नी नीना ने मुझे धक्का देते हुए कहा, "ठीक है बाबा, याद है। मैं सोचूंगी। अब ऑफिस भी जाओगे या यही बातें करते रहोगे?

मैं नीना के साथ बात करते करते आँगन में आगया; फिर पलटा और उसको बाँहों में जकड कर बोला, "सोचना नहीं, करना है। बोलो करोगी ना? वादा करो।“

मुझे बाहर आँगन में मस्ती करते हुए देख कर नीना हड़बड़ा गयी और बोली, "कैसे पागल हो। क्याकर रहे हो? आसपास सब लोग खड़े देख रहे हैं। ठीक है बाबा मैं करुँगी। वादा करती हूँ। अब तुम जाओ भी।"

मैं हँसते हुए चल पड़ा।

उस दिन दोपहर को मैंने अनिल से फ़ोन पर पूछा, "नीना ने मुझे मैगी के दो पैकेट लाने के लिए कहा था, पर मुझे अभी काम है। मैं जा नहीं पाउँगा। क्या तुम मैगी के दो पैकेट नीना को घर दे आओगे? मैं तुम्हारा एहसानमंद रहूँगा।"

मैं जानता था की अनिल को तो मेरे घर जाने का बहाना चाहिए था। उसे इससे बढ़िया बहाना और क्या मिल सकता था? उसने तुरंत कहा की वह मेरे घर के पास ही कहीं जा रहा था। वह जरूर मैगी के पैकेट पहुंचा देगा। मैंने तुरंत नीना को फ़ोन किया और बोला, "नीना डार्लिंग, अनिल थोड़ी देर में हमारे घर आएगा। क्या उसका स्वागत करने के लिए तैयार रहोगी?"

नीना ने झुंझलाते हुए कहा, "तुम क्या अभी तक उस बात को भूले नहीं हो? तुम अनिल की परीक्षा कर रहे हो या मेरी? आखिर तुम चाहते क्या हो?”

मैंने कहा,"तुम मुझे यह बताओ, तुम करोगी या नहीं?"

तब नीना ने असहायता दिखाते हुए कहा, "मैं क्या करूँ? ठीक है बाबा, मैं चेंज करती हूँ। लगता है तुम मुझसे कुछ न कुछ उल्टापुल्टा करवाके ही रहोगे पर अगर कुछ गड़बड़ हो गई, तो मुझे दोष मत देना।"

मैंने कहा, "तुम मेरी डार्लिंग हो मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और करता रहूंगा। यह करने के लिए मैं तुम्हे जान बुझ कर कह रहा हूँ। कुछ होगा तो वह मेरी गलती है, ना की तुम्हारी। मैं तुम्हें कभी भी दोष नहीं दूंगा। "

हमारी बात चित के आधे घंटे में ही अनिल घर पहुंचा और उसने बेल बजाई पर किसीने दरवाजा नहीं खोला। तब अनिल ने दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया। जब वह अंदर आया तो घर में कोई नहीं था। उसने बाथरूम में नहाने की आवाज सुनी। अनिल समझ गया की नीना बाथरूम में नहा रही थी। अनिल ड्राइंग रूम में बैठ कर इंतेजार करने लगा। तभी बाथरूम के अंदर से आवाज आयी, "सुचित्रा, मैं आती हूँ। तू रसोई में जा कर बर्तन साफ़ कर।" सुचित्रा हमारे घर में सफाई, बर्तन, पोछा इत्यादि करती थी। अनिल समझ गया की नीना को लगा की सुचित्रा आयी थी।

थोड़ी ही देर में नीना बाथरूम से बाहर आयी। वह तौलिये में लिपटी हुई थी। जब उसने देखा की रसोई में कोई नहीं था तो वह ड्राइंग रूम में आयी। तब उसने अनिल को देखा। अनिल ने नीना को तौलिये में लिपटे हुए देखा तो उसकी तो सिटी पट्टी गुम हो गयी। नीना का आधे से ज्यादा बदन खुला हुआ था। उसके उन्नत स्तनोँ का मस्त उभार दिख रहा था। तौलिया नीना की जांघों तक ही था। नीना की सुडौल जांघे अनिल को पागल बना रही थी। नीना के भीगे हुए बाल उसके मुंह और पुरे बदन पर बिखरे हुए थे। भीगी हुयी नीना उसे सेक्स की मूर्ति लग रही थी।

जब नीना ने अनिल को देखा तो वह एकदम चिल्लाने लगी। फिर यह सोच कर एकदम चुप हो गयी की कहीं पड़ौसी उसकी चीख सुनकर भागते हुए आ न जाएँ। वह थोडी सहम कर बोली, "अरे अनिल, तुम? यहाँ, इस वक्त?"

अनिल की जबान पर तो जैसे ताला लग गया था। बड़ी मुश्किल से बोला, "नीना मुझे माफ़ कर दो। मुझे पता नहीं था की तुम नहा रही हो। मैंने घंटी तो बजायी पर दरवाजे पर कोई न आया। राज ने फ़ोन किया था की तुम्हे मैगी के दो पैकेट चाहिए। वह देर से आयेगा इस लिए उसने यह पैकेट मुझे लाकर तुम्हे देने के लिए बोला।"

ऐसा कहते हुए अनिल ने नीना को मैगी के दो पैकेट हाथ में थमाये। पर उसकी नजर तो नीना के मम्मो पर अटकी हुयी थी। जब नीना मैगी लेने करीब आयी तो अनिल से तौलिये में झांके बगैर रहा नहीं गया। हालाँकि नीना ने तौलिया एकदम ताकत से पकड़ रखा था, नीना के स्तन तौलिये में समा नहीं रहे थे और बाहर से ही दिखायी दे रहे थे। नीना की जांघे घुटने से ऊपर तक नंगी थीं। उस समय अनिल का मन किया की वह नीना को अपने आहोश में कर के वहीँ उस पर चढ़ जाय और चोद डाले।
 

The Immortal

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Hello Everyone :hello:

We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..


Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.


Regards : XForum Staff.
 
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