Superb story and fantastic update.
Bahut hi khoobsurat story lag rahi hai.bas bhai story complete karna.baki dekhte hain kya hota hai story mein.lage raho bhai.zabardast zindabaad.
Rochak aur Romanchak shuruaat. Pratiksha agle rasprad update ki
Update please
आप सभी पाठकों का खूब धन्यवाद।आज देर रात तक एक मेगा अपडेट आ जायेगा।अभी लिख रहा हूं।साथ बने रहने और अपने बहुमूल्य विचार देने के लिए फिर से धन्यवाद।इस अपडेट और आगे वाले अपडेट के साथ कहानी कुछ साफ हो जाएगी।जिससे आप पाठकों को पढ़ कर आनंद आएगा।Update please
Pooja ki bahan apne yaar ke sath masti kr rhi thi or thand ke mausam me apna hero mutne ki jagah dhundh rha tha or dikh gya ek kamuk njara Jise dekh usse rha na gya or chhod aaya apne ajanme bacche ko darvaje me muth mar kr pr lagta hai pooja ki didi ne vo ajanma baccha Apne darvaje pr dekh liya hai Isiliye vo apne hero ko ghur rhi hai pr usko ghurta hua Kon dekh rha tha yah bhi dekhna hoga... Jb pta chalega apne hero ne kya galti kr aaya hai to sach me fat hi jani hai uski... Superb update bhai sandar jabarjastअपडेट–4(मेगा अपडेट)
सब ठीक ही चल रहा था।12 की पढाई का टेंशन अलग ही था।जितना आसान सोचा था उतना था नही।उसमें ये अलग था की इसके बाद मुझे दिल्ली जा कर किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला लेना था।एक बड़े विश्वविद्यालय के बारे में पता किया था मैने।और इस पर अपने मम्मी पापा से भी बात कर ली थी।
उन्होंने भी कहा जो भी हो बस अपनी जिंदगी में सफल हो जाओ यही प्रार्थना है ऊपर वाले से।ये बात जब पूजा को बताई तो वो भी बहुत खुस हुई और उसने भी दिल्ली में ही आगे की पढ़ाई करने की लिए अपनी इच्छा जाहिर की।मैने कहा ये और भी अच्छा हो जायेगा।तो उसने कहा की में मम्मी और दीदी से बात करके बताऊंगी।
मैने कहा ठीक है।ये सब ठीक ही था की एक दिन में जब लंच टाइम बैठा था तो पूजा मेरे पास आई और बोली की क्या हम तुम घर पर अलग नही पढ़ सकते हैं।मैने कहा क्यों नहीं पढ़ सकते हैं।ठीक है फिर तो छुट्टी हो तो तुम घर आ जाया करो और अगर बीच में किसी दिन छुट्टी रहेगी तो भी घर पर पढ़ लेंगे।लेकिन तुमको मेरे घर आना होगा।क्योंकि तुम्हारा घर दूर है।मैं वहा नही आ सकती रोज रोज।मैने कहा ठीक है मैं ही आ जाऊंगा।कल तो कोई जयंती है तो कल आना जाना तुम घर।मैने भी ठीक है बोल दिया।
दूसरे दिन मैं 10 बजे घर से निकला पूजा के घर के लिए।जब घर पर पहुंच कर रिंग दी तो थोड़ी देर बाद अपर्णा दीदी ने गेट खोला वो बस एक हॉट नाईटी में थी।बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
अपर्णा दी –अरे अभी तुम,क्या हुआ कुछ काम था।पूजा तो घर पर नही है।
में – हेलो दीदी।लेकिन पूजा ने तो मुझे बुलाया था आज अपने साथ पढ़ने के लिए।
अपर्णा दी – अच्छा तो लगता है वो भूल गई।कोई नही वो अभी आ जायेगी।मम्मी के साथ गई है,तुम वेट कर लो तब तक पीछे गार्डन में। मैं उसे कॉल करके बता देती हूं।
मैं – ठीक है दीदी।
अपर्णा दी – तुम कुछ लोगे अभी।पानी या चाय।कुछ भी।
मैं – नही दीदी में अभी नाश्ता करके आया हूं। थैंक्स।आप पूजा को इनफॉर्म कर दीजिए। मैं लॉन में हूं ओके।
अपर्णा दी – ओके अभी।
मैं लॉन में जा कर बैठ गया।ये घर का पीछे का हिस्सा था।बहुत ही खूबसूरत सजा हुआ था ये हिस्सा घर का।छोटे छोटे पेड़ थे जिसके नीचे आप आराम से बैठ कर मजा ले सकते थे।वैसे भी ठंड के दिन शुरू हुए थे तो वहां और भी अच्छा लगता था।जहां में बैठा था उसके ठीक सामने ही पूजा के रूम का पिछला गेट था।
हम अक्सर ही रूम से निकल कर यहां बैठ कर भी कभी कभी पढ़ लेते थे तो इसलिए दीदी ने मुझे यहां भेजा था।पूजा के रूम में अटैच बाथरूम था जिसका एक गेट उसकी दीदी के रूम में भी था।यानी की दोनो बहनों का कॉमन बाथरूम था।
मैं अपनी पढ़ाई कर रहा था।मुझे आए आधा घंटा हो गया था।दीदी ने कहा था पूजा कुछ देर में आ जाएगी तो में भी आराम से पढ़ रहा था।क्योंकि आज शाम तक तो मुझे वो छोड़ने वाली नही थी।तभी मुझे प्रेशर लगा तो मैं उठ कर पूजा के रूम के गेट पर गया मुझे लगा था की गेट बंद होगा।लेकिन किस्मत से गेट खुला था।नही तो फिर मुझे दीदी को परेशान करना पड़ता।
एक तो ठंड के दिन में पेसाब बार बार लगती है।ये मुझे बहुत ही अजीब लगता है।अजीब क्या गांड़ फट जाती है साला जब ठंडा ठंडा पानी छूना पड़ता है तो।मैं रूम के अंदर गया और जब बाथरूम के पास पहुंचा तो उसका गेट फुल खुला था।जैसे ही मैंने अंदर कदम रखा तो मुझे कुछ अजीब अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगी जैसे कोई बहुत दर्द में हो।
आह आह आह आह ओह ओह ओह ये ये ये ये ओह ओह ओह आह आह ठप थप थप।
मैने सोचा ये कैसी आवाजें हैं।
मुझे लगा दीदी को कुछ हो तो नही गया। क्योंकि ये आवाजें दीदी के रूम से आ रही थीं।तभी दीदी की आवाज सुनाई दी आह जानू थोड़ा और तेज करो ना।
ये आवाज इतनी साफ थी की मुझे लगा दीदी मेरे पास खड़ी हो कर बोल रही हैं।अभी मैं ये सोच रहा था की सामने से किसी आदमी की आवाज आई
‘ओह मेरी जान और तेज चाहिए मेरी जान को तो ले और तेज ले मेरी जान’।
फिर ‘थप थप आह आह ओह ओह’
जान मजा आ रहा है जानू ऐसे ही पेलते रहो।और मारो मेरी चूत को फ़ाड़ दो अपने लन्ड से इसे मेरी जान बहुत मजा आ रहा है।
मुझे सब समझ आ गया की दीदी किसी से चुद रही हैं।मैं वहां से निकलना चाहता था की कहीं इनको लगा की मैं रूम में हूं तो पता नही क्या करेंगे ये मेरे साथ।फिर मेरे मन में विचार आया की क्यों न एक बार देखा जाए की क्या हो रहा है। डर तो लग रहा था पर किसी तरह मैं डरते डरते दीदी वाले गेट तक गया।गेट उनके साइड से बंद था।और गेट से देखने का कोई चांस नहीं था।
गेट के ऊपर छोटा सा एक्जास्ट लगा था।अब वहां तक पहुंचने के लिए भी कुछ चाहिए था।में फिर धीरे धीरे से पूजा के रूम में आया और उसके रूम की मिनी चेयर जिस पर सिर्फ बैठ सकते हैं।वो ले कर आया।लेकिन इस बार मैंने गेट के बाहर अपने जूतों को उतार दिया ताकि मेरे पैर की आवाज उन तक न जाए।इन सब में मुझे 3 से 4 मिनट तो लग ही गए।फिर बहुत ही आराम से मैने उस चेयर को वहां रखा और उस पर बहुत धीरे से चढ़ गया।और जब मैंने अंदर देखा तो एक बार मुझे लगा की मैं अब गिरा की तब।और घबराहट में मैं अपने आप को संभालते हुए वहां से नीचे उतर गया था।
एक मिनट अपने आप को संभाल कर मैने सोचा की अभी यहां से चलते हैं।लेकिन फिर दिल ने कहा की इतना रिस्क लिया है तो जिंदगी का पहला सेक्स का सीधा प्रसारण देख ले भाई पता नही फिर कब मौका मिले।तो फिर हिम्मत करके ऊपर चढ़ गया और इनका प्रोग्राम अभी भी चालू था और आवाज तो एक दम क्लियर थी।
दी इस वक्त उस आदमी के ऊपर बैठ कर उसके लन्ड की सवारी कर रही थी।और खूब उछल उछल कर उसका लन्ड ले रही थी और पता नही क्या क्या बोले जा रही थी।
मैं ये देख कर तो एक दम मस्त हो गया की दीदी तो एक दम मस्त हैं यार,क्या माल है यार दीदी का बदन,वो आदमी नीचे से दीदी को खूब कस कस के पेल रहा था और दीदी उसको अपनी चूची पीला पीला कर पेलवा रही थी।मैने कब अपना लन्ड अपने पेंट से निकाल कर मुठ मरने लगा मुझे पता ही नही चला।
उसने दीदी को कभी साइड से पेलता तो कुछ देर ऊपर आ कर पेलने लगता।
मतलब पूरे बेड पर घूम घूम कर दोनो मजाक ले रहे थे।अब इनकी चुदाई अपने खतम पर थी और दोनों खूब अनाप शनाप बकते हुए एक साथ झड़ गए।
मैं तो कब का झड़ गया था।मेरे सारा पानी गेट पर ही गिर गया था।लेकिन वहां से निकलने के चक्कर में मैने ध्यान ही नही दिया था।मेरा मूत तो पता नही कहां चला गया था।
मैने चेयर को पूजा के रूम में रखा और अपने शूज पहन कर फिर आ कर वापस अपनी जगह पर बैठ गया।मुझे इनकी चुदाई देख कर मजा भी आया था,और अब डर भी लग रहा था की कहीं अगर दीदी को पता चल जाता तो क्या होता।लेकिन मैं इस चक्कर मैं अपना पानी जो उनके गेट पर गिरा था उसको साफ नही किया था।और अभी मेरे दिमाग में ये बात आई भी नही थी।(इसके बारे में आप सब को बाद में पता चलेगा कि ये पानी किसने साफ किया और मुझे इसके बारे में किसने बताया)।
मैं खोया खोया सा बैठा था की तभी पूजा ने मुझे आ कर चौंका दिया।और मैं एक दम से अपने ख्यालों से बाहर आया।
पूजा – अरे अभी आराम से क्या हुआ कहां खोए हो की मेरी आवाज भी नही सुनाई दे रही तुम्हे।और तुम कब से आए हुए हो।
में – अरे कुछ नही बस ऐसे ही बस पढ़ाई के बारे में ही सोच रहा था, और में तो 10 बजे ही आ गया था लेकिन तुम तो मुझे बुला कर खुद गायब हो गई।
पूजा – सॉरी यार मुझे माफ करना,वो क्या हैं न मम्मी ने मुझे अपने साथ में चलने के लिए बोला और में उनके साथ जाने के लिए मजबूर हो गई क्योंकि दीदी को थोड़ा रेस्ट चाहिए था।और मेरे दिमाग से ये बात बिल्कुल निकल ही गई थी की मैने तुमको आज बुलाया है।सॉरी
मैं – अरे कोई नही ये सब तो चलता रहता है।यार मैं बाथरूम से होकर आता हूं,तब तक तुम पढ़ाई शुरू करो।और में फिर से पूजा के ही बाथरूम में चला गया।
मैने बाथरूम से फ्रेश हो कर फिर से पूजा के पास आ गया।लेकिन फिर भी मेरा ध्यान अपने कांड पर नही गया जो मैने दरवाजे पर अपने लन्ड से करके आया था,यानी की अपने पानी को जो छोड़ दिया था।
अभी मैं आ कर बैठा ही था की पूजा की मम्मी चाय और नाश्ता ले कर आ गई हमारे पास।
पूजा की मां का नाम ममता है।
और ये बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी बदन की मालकिन हैं।अब इनका फिगर तो नही पता पर हाइट 5 फिट 7 या 8 इंच के आस पास तो होगी।बूब्स और बैक बहुत ही हैवी है।जैसी ये हैं वैसी ही सुंदर और सेक्सी इनकी दोनो बेटियां भी है।
पूजा मॉम – हेलो अभी बेटा।कैसे हो आप।
मैं – मैं ठीक हूं आंटी आप कैसे हो।
पूजा मॉम – मैं भी ठीक हूं बेटा।आप लोग चाय पी लो फिर अपनी स्टडी करो।ठीक है।और हां खाना आज तुमको यही खाना है।और शाम को चाय पीकर ही जाने दूंगी तुमको।आज कोई बहाना नही चलेगा समझे।
मैं – मैं हस कर ठीक है आंटी।जैसा आप बोलो।
पूजा – वाह क्या बात है मॉम, अभी को स्पेशल ट्रीटमेंट और मुझे।
पूजा मॉम – तुम तो यहीं हो, और अभी तो कभी कभी आता है। हर बार ये बहाना बना कर निकल जाता था, लेकिन आज तो छुट्टी है तो आज ये मेरी सारी बात मानेगा।क्यों अभी।
मैं – जी बिलकुल आंटी जैसा आप कहें।मैने तो आप की सारी बात मन ली है आज।
मेरी बात सुनकर आंटी और पूजा दोनो हसने लगे।फिर आंटी घर के अंदर चली गई और हम पढ़ाई करते रहे।
खाने के टाइम पर सब ने साथ ही बैठ कर खाना खाया। उस टाइम पर दीदी भी साथ में थी,मैने उनको एक बार देखा फिर उनके ऊपर इतना ध्यान नही दिया।लेकिन वो मुझे बहुत ही गौर से देख रही थीं और उनको कोई और बहुत देर से नोटिस कर रहा था।
लेकिन इस का मुझे कोई भी अंदाजा नहीं था। हमने फिर थोडा देर रेस्ट किया फिर पढ़ाई की।इस बीच पूजा ने मुझे अपना मोबाइल चलाना भी सिखाया।फिर शाम को में चाय पी कर घर को चल दिया।एक हसीन याद ले कर जो अब जिंदगी भर मेरे साथ रहेगी।
दोस्तो आज के लिए इतना ही,अपना और अपनो का खूब खयाल रखें।आप सब की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
धन्यवाद
nice update..!!अपडेट–4(मेगा अपडेट)
सब ठीक ही चल रहा था।12 की पढाई का टेंशन अलग ही था।जितना आसान सोचा था उतना था नही।उसमें ये अलग था की इसके बाद मुझे दिल्ली जा कर किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला लेना था।एक बड़े विश्वविद्यालय के बारे में पता किया था मैने।और इस पर अपने मम्मी पापा से भी बात कर ली थी।
उन्होंने भी कहा जो भी हो बस अपनी जिंदगी में सफल हो जाओ यही प्रार्थना है ऊपर वाले से।ये बात जब पूजा को बताई तो वो भी बहुत खुस हुई और उसने भी दिल्ली में ही आगे की पढ़ाई करने की लिए अपनी इच्छा जाहिर की।मैने कहा ये और भी अच्छा हो जायेगा।तो उसने कहा की में मम्मी और दीदी से बात करके बताऊंगी।
मैने कहा ठीक है।ये सब ठीक ही था की एक दिन में जब लंच टाइम बैठा था तो पूजा मेरे पास आई और बोली की क्या हम तुम घर पर अलग नही पढ़ सकते हैं।मैने कहा क्यों नहीं पढ़ सकते हैं।ठीक है फिर तो छुट्टी हो तो तुम घर आ जाया करो और अगर बीच में किसी दिन छुट्टी रहेगी तो भी घर पर पढ़ लेंगे।लेकिन तुमको मेरे घर आना होगा।क्योंकि तुम्हारा घर दूर है।मैं वहा नही आ सकती रोज रोज।मैने कहा ठीक है मैं ही आ जाऊंगा।कल तो कोई जयंती है तो कल आना जाना तुम घर।मैने भी ठीक है बोल दिया।
दूसरे दिन मैं 10 बजे घर से निकला पूजा के घर के लिए।जब घर पर पहुंच कर रिंग दी तो थोड़ी देर बाद अपर्णा दीदी ने गेट खोला वो बस एक हॉट नाईटी में थी।बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
अपर्णा दी –अरे अभी तुम,क्या हुआ कुछ काम था।पूजा तो घर पर नही है।
में – हेलो दीदी।लेकिन पूजा ने तो मुझे बुलाया था आज अपने साथ पढ़ने के लिए।
अपर्णा दी – अच्छा तो लगता है वो भूल गई।कोई नही वो अभी आ जायेगी।मम्मी के साथ गई है,तुम वेट कर लो तब तक पीछे गार्डन में। मैं उसे कॉल करके बता देती हूं।
मैं – ठीक है दीदी।
अपर्णा दी – तुम कुछ लोगे अभी।पानी या चाय।कुछ भी।
मैं – नही दीदी में अभी नाश्ता करके आया हूं। थैंक्स।आप पूजा को इनफॉर्म कर दीजिए। मैं लॉन में हूं ओके।
अपर्णा दी – ओके अभी।
मैं लॉन में जा कर बैठ गया।ये घर का पीछे का हिस्सा था।बहुत ही खूबसूरत सजा हुआ था ये हिस्सा घर का।छोटे छोटे पेड़ थे जिसके नीचे आप आराम से बैठ कर मजा ले सकते थे।वैसे भी ठंड के दिन शुरू हुए थे तो वहां और भी अच्छा लगता था।जहां में बैठा था उसके ठीक सामने ही पूजा के रूम का पिछला गेट था।
हम अक्सर ही रूम से निकल कर यहां बैठ कर भी कभी कभी पढ़ लेते थे तो इसलिए दीदी ने मुझे यहां भेजा था।पूजा के रूम में अटैच बाथरूम था जिसका एक गेट उसकी दीदी के रूम में भी था।यानी की दोनो बहनों का कॉमन बाथरूम था।
मैं अपनी पढ़ाई कर रहा था।मुझे आए आधा घंटा हो गया था।दीदी ने कहा था पूजा कुछ देर में आ जाएगी तो में भी आराम से पढ़ रहा था।क्योंकि आज शाम तक तो मुझे वो छोड़ने वाली नही थी।तभी मुझे प्रेशर लगा तो मैं उठ कर पूजा के रूम के गेट पर गया मुझे लगा था की गेट बंद होगा।लेकिन किस्मत से गेट खुला था।नही तो फिर मुझे दीदी को परेशान करना पड़ता।
एक तो ठंड के दिन में पेसाब बार बार लगती है।ये मुझे बहुत ही अजीब लगता है।अजीब क्या गांड़ फट जाती है साला जब ठंडा ठंडा पानी छूना पड़ता है तो।मैं रूम के अंदर गया और जब बाथरूम के पास पहुंचा तो उसका गेट फुल खुला था।जैसे ही मैंने अंदर कदम रखा तो मुझे कुछ अजीब अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगी जैसे कोई बहुत दर्द में हो।
आह आह आह आह ओह ओह ओह ये ये ये ये ओह ओह ओह आह आह ठप थप थप।
मैने सोचा ये कैसी आवाजें हैं।
मुझे लगा दीदी को कुछ हो तो नही गया। क्योंकि ये आवाजें दीदी के रूम से आ रही थीं।तभी दीदी की आवाज सुनाई दी आह जानू थोड़ा और तेज करो ना।
ये आवाज इतनी साफ थी की मुझे लगा दीदी मेरे पास खड़ी हो कर बोल रही हैं।अभी मैं ये सोच रहा था की सामने से किसी आदमी की आवाज आई
‘ओह मेरी जान और तेज चाहिए मेरी जान को तो ले और तेज ले मेरी जान’।
फिर ‘थप थप आह आह ओह ओह’
जान मजा आ रहा है जानू ऐसे ही पेलते रहो।और मारो मेरी चूत को फ़ाड़ दो अपने लन्ड से इसे मेरी जान बहुत मजा आ रहा है।
मुझे सब समझ आ गया की दीदी किसी से चुद रही हैं।मैं वहां से निकलना चाहता था की कहीं इनको लगा की मैं रूम में हूं तो पता नही क्या करेंगे ये मेरे साथ।फिर मेरे मन में विचार आया की क्यों न एक बार देखा जाए की क्या हो रहा है। डर तो लग रहा था पर किसी तरह मैं डरते डरते दीदी वाले गेट तक गया।गेट उनके साइड से बंद था।और गेट से देखने का कोई चांस नहीं था।
गेट के ऊपर छोटा सा एक्जास्ट लगा था।अब वहां तक पहुंचने के लिए भी कुछ चाहिए था।में फिर धीरे धीरे से पूजा के रूम में आया और उसके रूम की मिनी चेयर जिस पर सिर्फ बैठ सकते हैं।वो ले कर आया।लेकिन इस बार मैंने गेट के बाहर अपने जूतों को उतार दिया ताकि मेरे पैर की आवाज उन तक न जाए।इन सब में मुझे 3 से 4 मिनट तो लग ही गए।फिर बहुत ही आराम से मैने उस चेयर को वहां रखा और उस पर बहुत धीरे से चढ़ गया।और जब मैंने अंदर देखा तो एक बार मुझे लगा की मैं अब गिरा की तब।और घबराहट में मैं अपने आप को संभालते हुए वहां से नीचे उतर गया था।
एक मिनट अपने आप को संभाल कर मैने सोचा की अभी यहां से चलते हैं।लेकिन फिर दिल ने कहा की इतना रिस्क लिया है तो जिंदगी का पहला सेक्स का सीधा प्रसारण देख ले भाई पता नही फिर कब मौका मिले।तो फिर हिम्मत करके ऊपर चढ़ गया और इनका प्रोग्राम अभी भी चालू था और आवाज तो एक दम क्लियर थी।
दी इस वक्त उस आदमी के ऊपर बैठ कर उसके लन्ड की सवारी कर रही थी।और खूब उछल उछल कर उसका लन्ड ले रही थी और पता नही क्या क्या बोले जा रही थी।
मैं ये देख कर तो एक दम मस्त हो गया की दीदी तो एक दम मस्त हैं यार,क्या माल है यार दीदी का बदन,वो आदमी नीचे से दीदी को खूब कस कस के पेल रहा था और दीदी उसको अपनी चूची पीला पीला कर पेलवा रही थी।मैने कब अपना लन्ड अपने पेंट से निकाल कर मुठ मरने लगा मुझे पता ही नही चला।
उसने दीदी को कभी साइड से पेलता तो कुछ देर ऊपर आ कर पेलने लगता।
मतलब पूरे बेड पर घूम घूम कर दोनो मजाक ले रहे थे।अब इनकी चुदाई अपने खतम पर थी और दोनों खूब अनाप शनाप बकते हुए एक साथ झड़ गए।
मैं तो कब का झड़ गया था।मेरे सारा पानी गेट पर ही गिर गया था।लेकिन वहां से निकलने के चक्कर में मैने ध्यान ही नही दिया था।मेरा मूत तो पता नही कहां चला गया था।
मैने चेयर को पूजा के रूम में रखा और अपने शूज पहन कर फिर आ कर वापस अपनी जगह पर बैठ गया।मुझे इनकी चुदाई देख कर मजा भी आया था,और अब डर भी लग रहा था की कहीं अगर दीदी को पता चल जाता तो क्या होता।लेकिन मैं इस चक्कर मैं अपना पानी जो उनके गेट पर गिरा था उसको साफ नही किया था।और अभी मेरे दिमाग में ये बात आई भी नही थी।(इसके बारे में आप सब को बाद में पता चलेगा कि ये पानी किसने साफ किया और मुझे इसके बारे में किसने बताया)।
मैं खोया खोया सा बैठा था की तभी पूजा ने मुझे आ कर चौंका दिया।और मैं एक दम से अपने ख्यालों से बाहर आया।
पूजा – अरे अभी आराम से क्या हुआ कहां खोए हो की मेरी आवाज भी नही सुनाई दे रही तुम्हे।और तुम कब से आए हुए हो।
में – अरे कुछ नही बस ऐसे ही बस पढ़ाई के बारे में ही सोच रहा था, और में तो 10 बजे ही आ गया था लेकिन तुम तो मुझे बुला कर खुद गायब हो गई।
पूजा – सॉरी यार मुझे माफ करना,वो क्या हैं न मम्मी ने मुझे अपने साथ में चलने के लिए बोला और में उनके साथ जाने के लिए मजबूर हो गई क्योंकि दीदी को थोड़ा रेस्ट चाहिए था।और मेरे दिमाग से ये बात बिल्कुल निकल ही गई थी की मैने तुमको आज बुलाया है।सॉरी
मैं – अरे कोई नही ये सब तो चलता रहता है।यार मैं बाथरूम से होकर आता हूं,तब तक तुम पढ़ाई शुरू करो।और में फिर से पूजा के ही बाथरूम में चला गया।
मैने बाथरूम से फ्रेश हो कर फिर से पूजा के पास आ गया।लेकिन फिर भी मेरा ध्यान अपने कांड पर नही गया जो मैने दरवाजे पर अपने लन्ड से करके आया था,यानी की अपने पानी को जो छोड़ दिया था।
अभी मैं आ कर बैठा ही था की पूजा की मम्मी चाय और नाश्ता ले कर आ गई हमारे पास।
पूजा की मां का नाम ममता है।
और ये बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी बदन की मालकिन हैं।अब इनका फिगर तो नही पता पर हाइट 5 फिट 7 या 8 इंच के आस पास तो होगी।बूब्स और बैक बहुत ही हैवी है।जैसी ये हैं वैसी ही सुंदर और सेक्सी इनकी दोनो बेटियां भी है।
पूजा मॉम – हेलो अभी बेटा।कैसे हो आप।
मैं – मैं ठीक हूं आंटी आप कैसे हो।
पूजा मॉम – मैं भी ठीक हूं बेटा।आप लोग चाय पी लो फिर अपनी स्टडी करो।ठीक है।और हां खाना आज तुमको यही खाना है।और शाम को चाय पीकर ही जाने दूंगी तुमको।आज कोई बहाना नही चलेगा समझे।
मैं – मैं हस कर ठीक है आंटी।जैसा आप बोलो।
पूजा – वाह क्या बात है मॉम, अभी को स्पेशल ट्रीटमेंट और मुझे।
पूजा मॉम – तुम तो यहीं हो, और अभी तो कभी कभी आता है। हर बार ये बहाना बना कर निकल जाता था, लेकिन आज तो छुट्टी है तो आज ये मेरी सारी बात मानेगा।क्यों अभी।
मैं – जी बिलकुल आंटी जैसा आप कहें।मैने तो आप की सारी बात मन ली है आज।
मेरी बात सुनकर आंटी और पूजा दोनो हसने लगे।फिर आंटी घर के अंदर चली गई और हम पढ़ाई करते रहे।
खाने के टाइम पर सब ने साथ ही बैठ कर खाना खाया। उस टाइम पर दीदी भी साथ में थी,मैने उनको एक बार देखा फिर उनके ऊपर इतना ध्यान नही दिया।लेकिन वो मुझे बहुत ही गौर से देख रही थीं और उनको कोई और बहुत देर से नोटिस कर रहा था।
लेकिन इस का मुझे कोई भी अंदाजा नहीं था। हमने फिर थोडा देर रेस्ट किया फिर पढ़ाई की।इस बीच पूजा ने मुझे अपना मोबाइल चलाना भी सिखाया।फिर शाम को में चाय पी कर घर को चल दिया।एक हसीन याद ले कर जो अब जिंदगी भर मेरे साथ रहेगी।
दोस्तो आज के लिए इतना ही,अपना और अपनो का खूब खयाल रखें।आप सब की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
धन्यवाद