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Sci-FI Rahashyo se bhara Brahmand (completed)

ashish_1982_in

Well-Known Member
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अध्याय 3

खंड 10

ये देख कर वो और भी अचरज में पड़ गया। क्योंकि उसको बिना अम्बाला के घर नहीं आना था। वो वापिस जंगल की ओर भागा पर जंगल में प्रवेश करते ही वो खुद को उसी जगह पाता है। जहाँ वो थोड़ी देर पहले गिरा था। ऐसा वो कई बार करता है। लेकिन असफल ही होता।

थक हार कर वो अपने किले की ओर जाता है। जंगल से किले तक उसने कुछ अजीब दृश्यों को देखा जैसे कुछ ऐसी इमारतें जो उसने खंडर हाल में छोड़ी थी अब एक दम नई हो गई थी।

कुछ लोग जिनको हम्जा ने अंतिम बार वृद्ध अवस्था में देखा था। मगर अब वो चमत्कारी रूप से युवा दिखाई देते थे। यहाँ तक कि हम्जा उनको रोक कर उनसे बात करना चाहता है। तो वो हम्जा की बातों को नहीं सुनते और अनदेखा कर वहाँ से निकल जाते है।

अपनी उलझनों के साथ जब हम्जा अपने महल पहुँचा तो वहाँ का नज़ारा देख कर उसको सब समझ आ गया। कि असल में हो क्या रहा है।

हम्जा अभी भी अपने वर्तमान समय में नहीं पहुँचा था, बल्कि ऐसे समय में पहुँचा था जिस समय में उसका जन्म हुआ था, वो भी खास अपने जन्म वाले दिन, जिसका अनुमान उसको महल की कुछ बातों से ले गया था। साथ में लोग उसको अनदेखा नहीं कर रहे थे बल्कि वो इस बार अदृश्य हो कर समय में पीछे आया था, जिसके कारण वो किसी को भी दिखाई नहीं दे रहा था।

इन सब का तो केवल एक ही अर्थ निकलता था, की ये वाली समय यात्रा में हम्जा को केवल कुछ जानकारी ही प्राप्त करनी है। और किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करना। बल्कि वो चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता, वो किसी भी बदलाव को करने में असमर्थ था।

अदृश्य होने के कारण वो बिना रोक टोक महल में प्रवेश कर लेता है। उसके बाद वो देखता है। उसके पिता अत्यंत चिंतित खड़े हम्जा के जन्म की प्रतीक्षा कर रहे है।

यहाँ हम्जा के पिता की अपने मंत्री से कुछ बातें वो सुनता है। जिसका आज से पहले हम्जा को कोई ज्ञान ना था।

राजा " महा मंत्री हमें भय है। कही इस बार भी हमारी संतान मृत पैदा ना हो।

महामंत्री " महाराज मुझे पूरा विश्वास है। इस बार ऐसा नहीं होगा,

राजा " पिछले तीन वर्षों में रानी ने तीन पुत्रों को जन्म दिया और दुर्भाग्य से तीनों ही संतान मृत पैदा हुई। इस बार भी अगर ऐसा हुआ तो मैं ये पीड़ा सहन नहीं कर पाऊंगा।

हम्जा अपने पिता की इन बातों को सुनते समय उनको भावुक देख कर खुद भी भावुक हो गया था। और मन ही मन बोल रहा था, पिता जी आज आपको निश्चिंत एक जीवित बालक होगा। जिसका नाम माँ हम्जा रखेंगी,

लेकिन ये क्या कक्ष से दाई निकल कर आई। और बोली " क्षमा कीजिये गा महाराज आपको इस बार भी मृत संतान हुई है।

इस बात ने मानो राजा का कलेजा चिर दिया हो। उनको ऐसी पीड़ा होने लगी जिसका भार उठाना उनके लिए असहनीय था। वही इन सब को सुन और देख हम्जा राजा से भी अधिक आश्चर्य में पड़ गया, और हो भी क्यों न यदि आपको अचानक पता चले कि आपके जन्म लेते ही आप परलोक सिधार गए थे तो आपको कैसा लगेगा।

अभी ये सूचना राजा को मिले हुए कुछ क्षण ही बीते थे कि एक सैनिक दौड़ता हुआ आया और बोला " महाराज बिना अनुमति आने के लिए क्षमा चाहता हूँ लेकिन बाहर एक स्वामी जी आये है। वो बेहद जोर डाल कर कह रहे है। आप के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना है।

राजा इस समय अपने दुख में डूबा हुआ था उसको इस समय संसार की किसी भी बात से लगाव नहीं था इसलिए वो मोन रहा और राजा को मोन देख कर महामंत्री ने ही उसको आदेश दे दिया " स्वामी जी को बोल दो अभी उचित समय नहीं है। बाद में आए।

इस बात को सुन कर वो सैनिक अचम्भित हो कर बोला " महाराज मेरे आने से पहले उन्होंने कहा था महामंत्री तुम्हारी बात सुन कर स्वामी जी को वापिस जाने के लिए बोलेंगे, जो महा मंत्री ने बोला भी, उसके बाद मुझे क्या बोलना है, उन स्वामी जी ने मुझे बताया और..........

इतना बोल कर वो सैनिक रुक गया, अब राजा का भी ध्यान उस स्वामी की ओर गया और वो आगे की बात जानने के लिए बोले " और.. और क्या..?

इस पर सैनिक डरते हुए बोला " महाराज यदि मेरे मुंह से कुछ अनुचित निकले तो मुझे क्षमा कीजिएगा, स्वामी जी ने बताया आज आपको एक पुत्र की प्राप्ति होगी, जिसको मृत समझा जाएगा किन्तु वो मृत नहीं होगा।

हाँ यदि जल्द ही उस नए-नए जन्मे शिशु का उपचार न किया गया तो वो अवश्य मर जायेगा,

जिस प्रकार एक रेगिस्तान में भटकते प्यासे को पानी मिल जाने पर नया जीवन सा मिल जाता है। ठीक उसी प्रकार से अब राजा को भी एक नया जीवन दान मिलता नज़र आने लगा। राजा की जान में जान आ गई और राजा ने बड़े ही आदरपूर्वक स्वामी जी को लाने का आदेश दे दिया।

कुछ देर में स्वामी जी एक संदूक के साथ महल में प्रवेश करते है। जिन्हें देख कर राजा स्वामी के चरणों में जा गिरे और बड़े करुणामय स्वर में बोले " हे महात्मा कृपा मेरे जीवन को सफल करो मैं जीवन भर आपका क्षणी रहूंगा।

वो स्वामी राजा के नवजात जन्मे मृत शिशु को उसके सामने लाने का आदेश देता है। जिसे सुन कर शीघ्र ही आदेश का पालन किया गया।

स्वामी एक ओर उस बालक को ओर दूसरी ओर उस संदूक को रख कर। कुछ मंत्रों का जाप करना आरंभ करता है। अंत में उस संदूक से कुछ निकाल कर उस नव जात शिशु के मुंह में डाल देता है। इस क्रिया के समाप्त होते ही बालक चमत्कारी रूप से जीवित हो उठा। बालक की किलकारियां गुंज उठी जिसे सुन निर्बल पड़ी माता के भीतर भी जैसे प्राण आ गए हो और वो दौड़ती हुई अपने बच्चे को छाती से लगाने आ गई। इस को देख कर हम्जा को समझ आ गया कि वो कैसे जीवित है।

इसके बाद राजा स्वामी को बहुत सी धन राशि भेंट स्वरूप देते है। मगर वो कुछ नहीं लेता और वहां से चला जाता है। जिसको देख कर केवल राजा ही नहीं अब हम्जा भी उसको एक महापुरुष मानने लगा।

फिर हम्जा काफी देर तक अपने माता पिता को खुद पर प्रेम और स्नेह लुटाता देख इस दृश्य से आनंदित होता है। ऐसे आनंदमय दृश्यों को देखने का सौभाग्य कुछ दुर्लभ व्यक्तियों को ही प्राप्त होता है। इस लिए हम्जा इस के प्रत्येक क्षण का रस पान करने का इच्छुक था। मगर ऐसा ना हो सका तभी अचानक सब कुछ उसकी आँखों से ओझल हो गया।

वो खुद को फिर उस जगह पर पाता है। जहाँ वो थोड़े समय पहले आया था। वो फिर से दौड़ कर महल के अंदर गया। और महल में उसको फिर से वो सब होता दिखा जो कुछ देर पहले होता है। वही अपने पिता और महामंत्री की बातें होते देखना, दाई द्वारा उसको मृत घोषित करना और अंत में स्वामी जी का आगमन।

ये सब देख उसको ये तो समझ आ गया कि किसी कारण वश ही ये सब हो रहा है। और इन सब में ही कोई भेद छुपा है। अबकी बार वो महल में ना रुक कर उस स्वामी का पीछा करने लगा।

कुछ दूरी पर चल कर हम्जा देखता है। वो स्वामी उसी शापित जंगलों में से हो कर कही जा रहा था। इसे देख कर हम्जा भी उसके पीछे जंगल में प्रवेश कर गया जिसमें इस बार उसको किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हुई, रास्ते में वो स्वामी अपने वस्त्र उतार कर एक नए रूप में परिवर्तित होने लगा जिसे देख कर साफ था वो कोई मनुष्य नहीं है। जब वो पूरी तरह से अपने असली रूप में आ गया तो हम्जा ने देखा कि उसका शरीर मांस का नहीं बल्कि जलते अंगारों से बना था। जो दहकती अग्नि समान लग रहा था वो अब भी चले जा रहा था और हम्जा उसका पीछा करता रहा। थोड़ी दूर चल कर वो रुक गया। तो वहाँ से आगे जा कर हम्जा ने देखा कि उसकी ही तरह दो लोग और वहाँ पहले से उपस्थित है। जिनमें से एक महिला और दूसरा पुरुष था।

इन सब की चाल ढाल इनका रूप इनका आकर और इनकी प्राकृतिक बनावट देख कर हम्जा समझ गया कि ये जीन परजाति के जीव है। इनके बारे में वो बचपन से किस्से कहानियों में अपनी माता गुल नाज़ से सुनता आया है।

हम्जा एक कोने में खड़ा हो कर देखता है। कि पहले वाला जिन उन दोनों जीनों के आगे झुक कर बोलता है। कार्य सम्पूर्ण हुआ स्वामी अब ये भेद मेरे बली दान से यही दफन कर दीजिए।

ऐसा बोल वो पहले वाला जीन अपनी गर्दन आगे कर देता है। और वो दोनों जीनों में से एक उसका सर धड़ से अलग कर उसको मार देते है।

हम्जा के लिए ये रहस्य सुलझने की जगह और भी अधिक उलझ गया था। वो कुछ समझ नहीं पा रहा था। की एक बार फिर वो उसी समय और स्थान पर पहुँच गया जहाँ वो लगातार दो बार आ चुका था।

अबकी बार वो महल में ना जाकर उस तरफ दौड़ता है। जहाँ वे तीनों जीन बातें कर रहे थे।

वहाँ पहुँच कर हम्जा अब जो देखता है। उसको जीनों का सारा रहस्य समझ आ जाता है। असल में वो महिला और पुरुष का जीनी जोड़ा और कोई नहीं जीनों के राजा रानी थे।

उनकी संतान एक ऐसी अवस्था में पैदा हुई जिसकी आत्मा तो जीवित थी पर शरीर निर्जीव अब उनको किसी भी हाल में अपनी संतान को जीवित रखना था तो उसके लिए उनके पास केवल एक ही उपाय था, जिसके लिए वो अंधकार की मदद द्वारा ऐसे मनुष्य की संतान जो एक विशेष नक्षत्रों में मृत पैदा हो उसका पता लगा कर अपने संतान की आत्मा का वास उसके शरीर के भीतर कर के उसको पुर्न जीवन प्रदान करें।

इस प्रकार उनकी संतान एक मानव शरीर में जीवित रह सकती थी। इस प्रकार से उनकी क्रिया द्वारा उनकी संतान को बचा लिया गया। और वो संतान खुद हम्जा था।

यदि हम अंधकार की सहायता लेते है। तो हमें अंधकार के साथ एक सौदा करना होता है। जिसका ज्ञान केवल अंधकार को और उस सौदा करने वाले को होगा। और इसी प्रकार से एक सौदा जीनों के राजा ने भी अंधकार के साथ किया था। जिसका मूल्य क्या है। ये किसी को नहीं पता।

हम्जा इन सब को अपनी आंखों से देखने के बाद भी इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहा था कि वो आधा जीन और आधा मनुष्य है। तभी उसके दिमाग में एक तेज चुभती आवाज़ हुई, जिससे उसको भयंकर कष्ट होने लगा साथ ही कुछ दृश्य उसके दिमाग में चलने लगे। और जब तक वो दृश्य उसको दिखाई देते रहे उसकी आँखों का रंग सफेद हुआ रहा।


उन दृश्यों में हम्जा सबसे पहले गजेश्वर राज्य को देखता है। फिर राजा भानु को जो संतान प्राप्ति के लिये जगह जगह जा कर प्राथना करते है। किंतु सब व्यर्थ जाता है।

उसके बाद उनके पास एक शैतान का पुजारी आता है। जो उनको अंधकार से मदद लेने को कहता है।

फिर हम्जा देखता है। राजा भानु अंधकार से संतान प्राप्ति के लिए एक सौदा करता है। उसके बाद वो इन्द्र और अम्बाला का जन्म देखता है। उसके बाद उस महायुद्ध की समाप्ति के बाद अम्बाला का उस पर हमला करना और अंत में हम्जा खुद को और अम्बाला को साथ देखता है। उसके बाद हम्जा को केवल अंधकार ही दिखाई देता है, और हम्जा अत्यंत पीड़ा के कारण मूर्छित हो कर गिर जाता है। उसकी आँखों से रक्त बहने लगा और वो मूर्छित ही रहा।

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Very Nice update bhai
 

ashish_1982_in

Well-Known Member
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अध्याय 3

खण्ड 11

जब मुझे होश आया तो मैंने खुद को जंगल में ही पाया।

मैं समझ चुका था कि मेरा सामना जंगल की नकारात्मक शक्तियों से है जो अंधकार के पुजारी है। उनका उद्देश्य मेरे और अम्बाला द्वारा जन्मी संतान की बलि चढ़ा कर अंधकार को मुक्त करना था। ताकि इस धरती पर अंधकार और पाप का साम्राज्य स्थापित हो,

अब मुझे किसी भी हाल में इस अनर्थ को होने से रोकना था। अपनी वास्तविकता जानने के पश्चात मुझे अपने भीतर कई प्रकार के परिवर्तन महसूस होने लगें। मुझे ये भी समझ आ गया कि किस दिशा की ओर मुझे जाना है। मानो जैसे उस जंगल का एक नक्शा मेरे मस्तिष्क में बैठ गया हो। वहाँ रहते समय मुझे समय का कोई अनुमान नहीं था। पर ये तो पक्का था कि जंगल के बाहर की दुनिया में यदि 1 दिन गुजरता तो जंगल के भीतर 5 दिन गुजर जाते। इसीलिए तुम्हारे लिए मेरे जंगल के भीतर गुजारे कुछ माह मेरे लिए जंगल के भीतर 1 वर्ष से भी अधिक थे।

मेरे साथ आगे क्या हुआ ये बताने से पहले में तुम्हें कुछ ऐसे विचित्र प्राणियों के बारे में विस्तार से बता दूं। जो अंधकार के पुजारी थे।

सबसे पहले में तुम्हें वीमा असुरों के बारे में बताता हूँ। इनका आकर दो हाथियों जितना विशाल होता है। और इनकी भुजाओं में 10 हाथियों जितना बल। इनकी केवल एक आंख होती है। इनकी निष्ठा को कोई नहीं तोड़ सकता। इनमें धरती की अन्य प्रजातियों समान नर नारी का हिसाब नहीं होता।

इसको सुन कर नरसिम्हा बड़े ही हैरत से पूछने लगा " तो इनकी वंश शैली कैसे बढ़ती है। इनकी नई पीढ़ियाँ आती भी है या नहीं।

हम्जा " इनकी भी सामान्य प्रजातियों की भांति नई पीढ़ी पैदा भी होती है। और इनका वंश भी आगे बढ़ता है। बस इनकी परजाति के विकास का तरीका बिल्कुल अनूठा होता है। जब कोई वीमा असुर वयस्क हो जाता है। तो वो मल की जगह एक विशेष प्रकार का अंडा देता है। और एक वीमा असुर अपने सम्पूर्ण जीवन में केवल एक बार ही ऐसा कर पाता है। जब उसके अड्डे का वीमा असुर भी वयस्क होकर अपना अंडा देता है। तो पहले वाला वीमा असुर वृद्ध होकर मर जाता है। इस प्रकार से उनकी संख्या सीमित होती है। ना अधिक ना कम,

जहाँ तक मुझे पता है। इस संसार में केवल पांच वीमा सुर है। इनके भीतर इन सभी गुणों पर एक दोष भी है। ये अत्यंत मंद बुद्धि होते, इनकी शारीरिक बनावट लगभग मानव समान होती है। जिसमें एक बड़ा अंतर उनके घुटनों में होता है। मनुष्यों की तरह उनके पैरो में दो घुटने नहीं बल्कि चार घुटने होते है, जिसके कारण उनके लिए दौड़ना लगभग आ सम्भव होता है। मगर छलांग लगाना बड़ा ही सरल, उनके गुणों और अवगुणों को देखते हुए। उनका उपयोग केवल बल के लिए यानी सैनिकों के रूप में करते है।

दूसरे आते है। चंचल कसरू

" इनका जन्म एक खास और दुर्लभ परजाति के पौधों द्वारा होता है, अपने जन्म से लेकर अपने पूरे शरीर के विकसित होने तक इनका जुड़ाव उन पौधों से नहीं टूटता, ठीक उसी तरह से जैसे मनुष्य की कोख में विकसित होता शिशु एक बार इनके सभी अंग विकसित हो जाने पर वो पौधा अपने आप इन्हें खुद से अलग कर देता है। इनका कद हमारे एक हाथ के पंजों जितना छोटा होता है। और दिखने में ये काफी आकर्षित होते है। लेकिन इनके कद और भोली सूरत पर मत जाना क्योंकि इनका दिमाग

बेहद शातिर होता है। और इनके दाँत इतने पेने होते है। के पत्थर को भी अपने दांतों से कुतर कर फेंक दें।

और अंतिम में संगा " ये सबसे खतरनाक और सबसे निर्दयी होते है। इनका का निर्माण अंधकार के अंश और कुछ शैतानी आत्माओं के मिश्रण से होता है। ये किसी काले धुआं जैसे होते है। इनकी खुराक किसी भी प्राणी की आत्मा होती है। जिसको वो बड़ी कठोरता से अपने शिकार को तड़पा तड़पा कर खाते है।

अब आगे सुनो जिस दिशा की ओर मैं चलता जा रहा था। उस दिशा में आगे चल कर मुझे दूर से ही एक विशाल महल दिखने लगा, उसको देख कर मेरे भीतर अम्बाला से मिलने की चाह दुगनी हो गई, मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई। मगर मैंने किसी प्रकार खुद को सम्भाला क्योंकि ये समय शांत बुद्धि से काम लेने का था ना कि उत्तेजित हो कर भावनाओं में बह जाने का।

मैं सावधानी से आगे बढ़ा और महल को अच्छे से देखा महल के आस पास चार वीमा सुर पहरा दे रहे थे। और उनके आस पास से बीच बीच में एक संगा चक्कर लगाता दिखता। उस महल को कई पेड़ो ने घेर रखा था कुछ पेड़ो की शाखाएं महल की दीवारों को लांघ चुकी थी।

इस दृश्यों को देख कर मुझे एक युक्ति सूझती है। जिसके लिए मुझे उन कबीले वालो की आवश्यकता थी। मैं उस ओर से उठा और सीधा कबीले वालो के पास पहुँच गया।

कबीले पहुँच कर मुझे ये दुखद सूचना मिली कि अब उनका वो वृद्ध मुखिया जीवित नहीं रहा। जिस पर में निराश हो गया। लेकिन प्रभु की कृपा से उस कबीले का नया सरदार मेरे साथ चलने के लिये तय्यार हो गया, मगर बदले में उसको वही मोती चाहिए था जो अपने अंतिम समय में वृद्ध ने मुझे दिया था।

असल में उनका मानना था कि वो मोती अमरता प्रदान करता है। क्योंकि इतने लम्बे समय तक कोई भी मनुष्य जीवित नहीं रह सकता जितने लंबे समय तक वो वृद्ध जीवित था और ऐसा केवल मोती के कारण ही सम्भव हो पाया था तभी तो मोती के जाते ही वृद्ध परलोक सिधार गया, अन्यथा वो और भी अधिक जीवित रहता। मगर

मेरा मानना था मोती का जाना और वृद्ध का उसी समय मरना केवल एक संयोग था। लेकिन इस समय उनको सही बात समझना अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारने के जैसा होता, इस लिए मैंने उनके भ्रम को नहीं तोड़ा और मोती के बदले में उसकी सहायता का सौदा कर लिया।

जल्द ही हम सब मेरे बताए रास्ते पर चल कर उस महल पहुँच गए।

............

महल के पास पहुँच कर हम्जा ने कबीले के नए मुखिया को अपनी योजना सुनाई योजना अनुसार पहले कुछ आदिवासी बड़ी चालाकी और फुर्ती से असुरों के पास की छोटी छोटी जगहों पर पहुँच कर छुप गए फिर कुछ आदिवासी उन असुरों के सामने की ओर आकर उनको चिढ़ाने लगे और पत्थरों से मारने लगे ये देख कर दो असुर उन आदिवासियों पर झपटे पर आदिवासियों की फुर्ती का मुकाबला वो असुर ना कर पाए, और उनके पीछे लग गए, आदि वासी भी अपने पीछे भागते असुरों का पूरा ध्यान रखते की कही अपनी धीमी गति के कारण वो अधिक पीछे ना छूट जाए।

वही महल के पास बचे दो असुरों को छुपे हुए आदिवासियों ने तंग करना शुरू कर दिया जिससे वो दोनों असुर झुंझला गए। छुपे होने के कारण असुर उनको देख नहीं पा रहे थे। वही वो आदि वासी कुछ ऐसे थे कि देखने में वो बिल्कुल एक समान लग रहे थे उनको हम्जा ने विशेष कर चुना था। उन आदिवासियों में से एक तेजी से निकलता हुआ आया और एक असुर के पैर पर कोई तेज धार दार हत्यार से वार कर दूसरी जगह में घुस गया। उस आदि वासी की इस हरकत से असुर को थोड़ा कष्ट तो हुआ पर अधिक पीड़ा नहीं हुई और जिस तरफ वो आदिवासी भागा उस तरफ देखने लगे। अभी दोनों में से कोई असुर अपनी प्रतिक्रिया दिखाता उससे पहले किसी ओर जगह से उसी के जैसा आदि वासी निकला और तेजी से दोनों असुरों के पैर पर वार करता हुआ। आगे चला गया, इसको देख कर दोनों असुर खिसिया कर उसको पकड़ने के लिए मुड़े की किसी तीसरी जगह से एक और आदिवासी निकल कर उनके पैरो में घाव कर देता है। ऐसे करते करते उनके पैरो पर कई घाव हो जाते है। आदिवासी दिखने में एक जैसे थे तो उन असुरों को वो एक ही व्यक्ति लग रहा था जो जादुई रूप से अपनी जगह बदल-बदल कर उन पर वार कर रहा था। और उनकी पकड़ में नहीं आ रहा, इन सब से असुरों को भय हुआ तो वो वहाँ से भागे पर कुछ ही दूरी पर पहुँच धरती को हिला देने वाले वजन के साथ गिर पड़े, और मूर्छित हो गए असल में उन हत्यारों में एक विशेष प्रकार की जड़ी बूटी का रस लगा हुआ था जो जीव जंतुओं को मूर्छित करने के काम आता है। लेकिन समस्या ये थी कि असुरों को मूर्छित करने के लिए उसका कितना उपयोग काफी होगा इसका अनुमान किसी को नहीं था तो इसलिए आदिवासियों द्वारा उनको तबतक मारा गया जब तक वो मूर्छित नहीं हो गए।

वही दूसरी ओर अपने पीछे भगाते असुरों को आदि वासियों ने पहले से खोदे एक विशाल गड्ढे में धोके से गिरा दिया। असुर उस गड्ढे से छलांग लगा कर निकल ना पाए उसके लिए उन आदिवासियों ने नोकीले भालों से बना एक ऐसा जाल उस गड्ढे के ऊपर लगा दिया कि उनके छलांग लगाते ही वो नोकीले भाले असुरों के सर में घुस जाए और उनकी ऊँचाई भी असुरों के कद से अधिक थी ताकि उनका हाथ भी उस जाल तक ना पहुँचे।

अब हम्जा और आदिवासियों का महल में प्रवेश करने का रास्ता साफ था। बस हम्जा को उस भयंकर संगा का भय था जिसे उसने तब देखा था जब वो अकेला आया था। और इस समय वो कही नज़र नहीं आ रहा था।

पर हम्जा एक चीज़ के बारे में नहीं जानता था कि वो भी इस महल में उसको मिल सकती है। कसरू...

जब आदिवासियों का दल हम्जा के साथ महल में प्रवेश कर लेता है। तो सैकड़ों कसरू उन पर जगह-जगह से हमला कर देते है। कुछ ही देर में महल के जमीन पर रक्त ही रक्त दिखाई देने लगा कसरुओ ने वहाँ भयंकर उत्पाद मचा दिया, वो किसी आदि वासी का हाथ खा गए तो किसी का पूरा पैर चबा गए, इस दृश्यों को देख आदिवासी भी भय भीत हो गए और उन छोटे दरिंदों के आगे घुटने टेकने ही वाले थे के हम्जा ने असामान्य बल दिखा कर उनको आश्चर्य में डाल दिया साथ ही उन्हें लड़ने का नया साहस भी दिया, उन असुरों का रंग हरा होता है। ये बात सब को पता थी पर उनको मारते समय पहली बार उनको दिखा की इनका रक्त भी पतला और हरा होता है। जैसे किसी पौधे को निचोड़ कर देखने में निकलता है। फिर क्या अब वो आदिवासियों के सामने भयंकर कसरू नहीं थे बल्कि केवल जंगली पौधे के समान हो गए थे।

सभी कसरुओ का अंत करते करते कई आदिवासी घायल हो गए और कई परलोक सिधार गए। बचे कुछ आदिवासी,

तो उनको हम्जा ने घायल ओ की सहायता के लिए वही रोक दिया और खुद अकेला आगे बढ़ने लगा।

धीरे धीरे हम्जा आगे बढ़ता हुआ उस महल के आँगन में आ पहुँचा। जहाँ पर उसने देखा कि उस महल में एक नहीं सैकड़ों संगा मौजूद है। जो सारे के सारे उस आँगन में एकत्रित थे। वो सभी किसी रस्म के प्रारम्भ होने की प्रतीक्षा कर रहे थे।

वही एक कोने में उसको अम्बाला भी नज़र आई और उसको भी एक संगा ने जकड़ रखा था। और अम्बाला असहाय दुखी भाव से निरन्तर आँसू बहाए एक ही दिशा में देखे जा रही थी। उस ओर जब हम्जा ने देखा तो वहाँ का दृश्य देख कर उसकी रूह कांप उठी उसका कलेजा तड़प गया। उस ओर एक व्यक्ति आकाश की ओर देखता हुआ एक खंजर ले कर खड़ा था जिसके निशाने पर हम्जा का नन्हा सा बच्चा था और ये व्यक्ति और कोई नहीं वही था जिसने राजा भानु और उनकी पत्नी को अंधकार की सहायता लेने की सलाह दी थी। इस दृश्य को देखने भर से हम्जा के भीतर क्रोध की अग्नि इतनी अधिक भड़क उठी की उसकी नसों का रक्त अँधेरे में जुगनू के समान चमकने लगा। अचानक हम्जा ने पाया कि गोर से देखने पर उसको सभी संगाओ में एक काला हृदय भी दिखाई देने लगा हम्जा को समझ में आ गया कि अब उसको करना क्या है। पर तभी वो अंधकार का पुजारी जिस क्षण की प्रतीक्षा कर रहा था वो हो गया और वो खंजर को ऊपर उठाता हुआ बच्चे को मारने वाला था कि हम्जा अपने दोनों हथेलियों पर गहरा जख्म करके चीखता हुआ उसकी ओर बढ़ने लगा। हम्जा की आवाज़ ने उस तांत्रिक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया, जिस पर तांत्रिक हम्जा को पागलों की तरह अपनी ओर आता और बीच में आने वाले प्रत्येक संगा के हृदय को अपने हाथों से निकाल कर उनको भस्म करता हुआ दिखा, हम्जा इतनी तेजी से उन संगाओ के हृदय को बाहर निकाल कर उनको मार रहा था कि देख कर लगता बस अब पहुँचा और अब पहुँचा, इस बात को भाँप कर तांत्रिक तेजी से उस बच्चे पर दोबारा वार कर देता है। और इस बार वो अपने हाथ नहीं रोकता उसका वार खाली नहीं जाता, लेकिन उसका वार बच्चे को ना लग कर अम्बाला के पीठ में लगा क्योंकि अपने सन्तान की रक्षा के लिए अम्बाला बिना डरे खुद आगे बढ़ कर अपने प्राण त्याग देती है। ठीक वैसे ही जैसे संसार की हर माता करती है। अपनी जान से भी अधिक बढ़कर एक माता के लिए संतान के सिवा और हो भी क्या सकता है। हम्जा के लिए इस दृश्य ने मानो समय को रोक सा दिया,

वो अपनी संतान से बेशक प्यार करता है। पर उतना ही प्रेम अम्बाला के लिए भी उसके भीतर था। न जाने कैसे-कैसे सपने देखे थे हम्जा ने अम्बाला के साथ भविष्य के,

वो सब क्षण भर में चकनाचूर हो गए। अब हम्जा दुगनी ताकत और तेजी से अपने बच्चे के लिए आगे बढ़ता है। और उस तांत्रिक के बच्चे पर फिर से वार करने से पहले उन सभी संगाओ को मार कर तांत्रिक तक पहुँच जाता है। तांत्रिक पर हम्जा द्वारा किया हुआ एक हाथ का वार इतना भयंकर था कि वो बुरी तरह घायल हो कर दूर जा गिरा,

हम्जा अम्बाला को जल्दी से अपनी बाँहों में भरता हुआ उसको जगाने की भरपूर कोशिश करता है। उसको पगलों की तरह चूमता है। रोते हुए बोलता है। मैं तुम्हें लेने आ गया हूँ अब सब ठीक हो जाएगा। मगर अम्बाला कुछ नहीं बोलती, वो कुछ बोलने योग्य ही नहीं बची थी। उसकी आंखें पथरा गई थी उसका शरीर निर्जीव पड़ा था।

अब तक कबीले का मुखिया भी यहाँ हम्जा को देखने आ पहुंचा था, मगर हम्जा का अम्बाला के प्रति प्रेम देख कर उसकी भी आंखें नम हो गई। हम्जा को इतना अधिक टूटा हुआ दुःखी देख कर मुखिया उसको समझाने के उद्देश्य से उसको अम्बाला मर चुकी है। ये बोलता है। पर उसकी बात सुनने की जगह हम्जा उलटा उसको ही क्रोध वश धक्का देकर घायल कर देता है। तभी वो शिशु रोने लगा,

जिसकी आवाज़ ने हम्जा को थोड़ा शांत किया। हम्जा अपने बच्चे को उठा कर ले जाने लगा तभी वो तांत्रिक घायल अवस्था में ही जोर से बोला " तुम इस बालक को जंगल से बहार नहीं ले जा सकते यदि ऐसा किया तो तुम्हारी आत्मा सदैव के लिये अंधकार की हो जायेगी,

हम्जा उस तांत्रिक की बात पर उसे कुछ ना बोल कर मुखिया की ओर देखता है। जैसे उस तांत्रिक का वध करने का आदेश दे रहा हो। और उसके संकेत को मुखिया बखूबी समझ कर उस तांत्रिक का सर धड़ से एक ही वार में अलग कर देता है।

इतना बोल हम्जा चुप हो गया और उसकी चुप्पी के साथ ही पूरा महल शांत हो कर सोच में डूब गया। किसी के पास बोलने के या कुछ पूछने के लिए शब्द नहीं थे। अगर कुछ था तो वहाँ उपस्थित लोगों की आंखों में आंसू।

उनकी इस खामोशी को तोड़ने के लिए एक सैनिक दौड़ता हुआ वहाँ आ पहुँचा और बेहद घबरा कर बोला " महाराज वो.. वो...वहाँ..

इतना सुन कर हम्जा नरसिम्हा से बेहद भावुक हो कर बोलता है।

" नरसिम्हा मेरा समय आ गया है और मेरा जाना जरूरी है। बस मेरी तुमसे हाथ जोड़ कर विनती है। अपने भतीजे को अपनी सगी संतान कि तरह पालना।

नरसिम्हा परेशान हो कर बोला " पर कहा...?

हम्जा " इस का जल्द ही तुम्हें पता चल जाएगा पहले मुझे अंतिम बार अपने पुत्र के दर्शन करा दो।

ये बोल कर दोनों जन उस कक्ष में गए जहाँ हम्जा का बेटा सो रहा था हम्जा उसको हसरत भरी निगाहों से ऐसे निहारता है। जैसे कह रहा हो काश हम कुछ और समय साथ बिता पाते मेरे बेटे। कुछ देर इसी तरह देखने के बाद हम्जा तेजी से नरसिम्हा को अपने साथ महल के बहार ले आता है। उससे अंतिम बार गले लग कर रोते हुए बोलता है। मुझे डर लग रहा है भाई लेकिन मुझे वचन दो कुछ भी हो जाये तुम मेरे पुत्र का साथ नहीं छोड़ोगे।

नरसिम्हा " नहीं छोडूंगा।

इतने में तीन लोग काले कपड़े पहने महल के द्वार की ओर आते दिखाई पड़ते है। नरसिम्हा देखता है। जो जो सिपाही उनको महल में प्रवेश करने से रोकता है। वो लोग केवल उसको घूरते है। और देखते ही देखते वो सैनिक पत्थर के हो जाते है। निर्जीव मूर्ति के भांति,

इस दृश्य को देख कर नरसिम्हा के भीतर जो खोफ पैदा होता है। वो नरसिम्हा के चेहरे पर साफ देखा जा सकता था। इस भय को देख हम्जा नरसिम्हा से बोला " यदि मैं इनके साथ न गया तो ये दोनों राज्यों को देखते ही देखते शमशान में परिवर्तित कर देंगे और इन्हें रोकना मेरी क्षमता से बहार है। इसलिये मुझे जाना होगा।

इससे पहले नरसिम्हा कुछ पूछे हम्जा तेजी से उन तीन लोगों के पास पहुँचता है। जिसपर उनमें से एक हम्जा की गर्दन को अपने मजबूत हाथों से पकड़ कर एक जोर का झटका देता है और हम्जा का शरीर वही गिर जाता है। मगर उसकी आत्मा को अब भी उन अज्ञात लोगों ने अपने हाथों में पकड़ रखा था। जिसको घसीट कर वो वापिस जंगल की ओर ले जा रहे थे। नरसिम्हा ये सब साफ साफ अपनी आंखों से होते हुए देख पा रहा था। पर वो कुछ ना कर सका, हम्जा का शरीर वहीं पड़ा राख में परिवर्तित हो गया।

हम्जा जनता था। उसको आज का दिन देखना है। इसलिए वो अपने बेटे को सुरक्षित करने और अपने लोगों को अपनी कहाँनी सुनाने आया था। जो कि वो पूरा कर चुका था।

समाप्त
fantastic update bhai
 
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Damon_Salvatore

I am vengeance
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
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Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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