Update 3
दीदी- पापा अब ये क्या है की नए नाम से नए रिश्ते को मानना होगा
पापा- क्या कर सकते हैं बेटा उनका हुक्म है
मै - पर पापा सब बदल जाएगा
पापा- तुम दोनों को अपने पुराने तरीके से मानने का हक है
मम्मी- जी पर सबको तो ठीक है मगर दिया को दीदी और आपको पापाजी कैसे
पापा- करना पडेगा अंजलि आखिर सच भी तो यही है
दीदी पेपर पढ रही थी तभी यह क्या है पापा
पापा मम्मी- क्या
दीदी- इसमे लिखा है की सारी संपत्ति जब मम्मी और श्रेय के नाम हंस्तातरित होगी जब इनकी संतान होगी और श्रेयांश का राज्याभिषेक होगा
मै - क्या यह क्या बकवास है
पापा- मुझे पता है और पिताजी ने कहा था न की दोनों को अब जिंदगी एक साथ जीनी है और जब शादी होगी तो कभी न कभी यह भी होगा ही
दीदी- आपको यह गलत नही लग रहा
पापा- मैने सब सोच समझकर ही सब किया है और मैरा बेटा और अंजलि है तो मै क्यू परेशान होए हा थोडा गुस्सा है पर वो खुद पर है
मम्मी- मै समझ सकती हूँ जी मेरे लिए भी यह आसान नहीं होगा
पापा - देखो अंजू तुम एक पतिव्रता संस्कारी औरत हो तो तुम यह रिश्ता भी निष्ठा से निभाना और श्रेय बेटा अपनी मम्मी को हमेशा सम्मान देना और और अच्छे बेटे के साथ अच्छे पति के सारे फर्ज निभाना और जो खुशी मुझसे नही मिली वो भी देना वादा करो
मै- मै हमेशा मम्मी का ख्याल रखूगा और सारी खुशी दूंगा फिर हम अपने अपने कमरे मे चले गए
फिर ऐसे ही शादी की तैयारी जारी रही
दादी- अमरेन्द्र बेटा देख शादी के लिए कपडे शादी का जोडा गहने और मंगल सूत्र लेने जाना होगा एक काम कर अंजलि तू और श्रेयांश और दिया और सुलोचना को ले जा
पापा- ठीक है मा
बुआ - मा दुल्हन ऐसे दूल्हे के साथ जाए शादी से पहले
दीदी- वो उसकी मा भी है तो यह जरूरी है मा ही खरीदारी करती है बेटे बहु की
फिर हम खरीदारी करने चले गए मै और मम्मी पापा चुप चाप थे
दीदी- मम्मी श्रेय की शादी की शाॅपिग करने जा रहे है बहत एक्साइटेड हूं मै तो घाघरा पहनेगी वो डिजायनर मनीष मल्होत्रा वाला
बुआ- दिया अब वो तुम्हारी मम्मी नही है भाभी है तो वही कहो
दीदी- अभी तो मम्मी ही है शादी नही हुई है अभी
बुआ- पर आदत डाल लो क्यू भईया
पापा-हा ठीक ही है
फिर हम माल पहुंच गए सबसे पहले हम कपडे की दुकान में गए
दुकानदार अरे अमरेन्द्र जी कैसे है आप आइए बताइए क्या दिखाऊ सुना है आपके बेटे की शादी है और आपके राजपरिवार का अगला राजा बनने वाला है
पापा- हा श्रेयांश अंकल को नमस्ते करो
मैंने उन्हे नमस्ते करा और फिर बुआ बोली
इन दोनों नए जोडा के लिए कपडे दिखाओ
सेल्समैन- सर आपके लिए यह बहुत बढिया रहेगा
मै - मम्मी देखो यह ठीक है
सेल्समैन - (मन मे ) अभी वो आंटी तो इन्हें दूल्हा दुल्हन कह रही थी और ये मम्मी लगता बहुत बडा झोल है
फिर मम्मी ने एक ड्रेस पसंद की और मैने फाइनल कर दिया
सेल्समैन मालिक के पास जाकर - सर आप जानते है न उन लोगो को वो लडका उस औरत को मम्मी कह रहा है और वो और कह रही है उनके दोनो की शादी है
मालिक- अरे वो राजपरिवार से है और उनके यहा रिवाज है
सेल्समैन- ऐसा कैसा रिवाज
मालिक- तेरे को क्या हमे तो बस अपना काम करना है जा काम कर फिर बुआ और दीदी मम्मी के कपडे लेने लगे
दीदी- देखो सबसे महंगी और डिजाईनर शादी का लहंगा दिखाओ महारानी है ये
फिर सबसे अच्छा और महंगा लहंगा लिया 10 लाख का
मम्मी- इतना महंगा लहंगा रहने दे एक दिन के लिए इतना खर्च
दीदी- आप रानी हो और बेस्ट नही होगा मै कभी किसी की शादी मे पहन लूंगी
फिर वो पैक करवा दिया फिर हम कहने खरीदने गए
पापा- एक मंगल सूत्र दिखाना
फिर उसने एक मंगल सूत्र दिखाया
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दीदी- श्रेय यह कैसा है बता
मै - अच्छा है
दीदी- ठीक है इसे पैक करदो कितने का है 14 लाख
मम्मी- क्या रहने दे कोई दूसरा दिखाओ
दीदी- आप रहने दो श्रेय ने पसंद किया है और आपको तो हमेशा ही पहनना है और आप को आम नही महारानी हो
फिर मुझे एक हार पसंद आया
मै- दीदी ये हार कैसा है
दीदी बहुत अच्छा
मै- मम्मी पर अच्छा लगेगा
दीदी- हा मगर अभी मत देना शादी के दिन देना सरप्राइज
मै - भइया ऐसे दो हार पैक कर दो
दीदी- दूसरा किसके लिए
मै - आपके लिए और कौन है
दीदी- मै भी सोच रही थी थैंक्स छोटे भईया कितने का है दोनों
दुकानदार- 45,लाख
दीदी- क्या
मै - रहने दो दीदी वैसे भी पैसे तो दादाजी देंगे
फिर हम बापस घर आ गए
फिर रात को मेरे दोस्त कुश का फोन आया
कुश- कैसा है भाई तूने एक फोन भी नही किया
मै - हा भाई थोडा फस गया था बता कैसा है और स्कूल में कैसा है और सब नोट बना लेना ताकि मै तुझसे ले सकूँ
कुश - वो छोड यह बता तू राजा बन रहा है और तेरी शादी हो रही है तूने बताया नही और अपने दोस्तों को बुलाया भी नही
मै - तुझे किसने बताया
कुश- मेरे पापा को प्रिंसिपल ने वो आए थे न तेरे महल मे
मै - और क्या बताया
कुश- बस इतने ही क्या कुछ और भी है
मै - क्या बताऊँ क्या हो रहा है और क्यों नही बताया और किस मुंह से बताऊँ
कुश- क्या बात है कुछ सीरियस है पापा तो क। रहे थे की दादाजी से तुझे 8000 करोड़ की दौलत मिली है
मै - हा मिली तो है मगर बात वो नही है हम फस गए है
कुश- मतलब
मै - भाई जानता मेरी शादी किससे हो रही है
कुश - किससे
मै - मम्मी से
कुश- क्या बकवास कर रहा है तू पर कैसे और
मै - भाई मजबूरी है हमारे राजपरिवार की प्रथा है बरना हमारी कुर्बानी दे देंगे और यहपहलेहो भी चुका है
कुश- पर भाई आंटी के साथ कैसे तू और तुम दोनों पति पत्नी
मै - क्या कर सकते है और इसलिए नही बताया की तुम लोग मेरे बारे मे क्या सोचेगे कही मुझसे दोस्ती न तोड़ दो
कुश,- भाई ऐसा नही है और मै तेरे साथ हमेशा हू तू फिक्र मत कर
मै - थैंक्स भाई अगर तू आना चाहे तो आ सकता है वैसे सब खत्म होने के बाद मै कोशिश करूगा जल्दी शहर आने की
कुश- ठीक है चल बाद मे बात करते हे
फिर उसने फोन रख दिया और फिर मै भी सोच गया
ऐसे ही कुछ दिन निकल गए और शादी कल थी और आज मेहंदी की रस्म थी
नानी- देखो अंजलि के हाथ मे अच्छी सी मेहंदी लगाओ
मेहंदी वाली- नाम क्या लिखना है
दादी- श्रेयांश लिखो
फिर उनको मेहंदी लग गई वो सोच रही थी की उनके हाथ में मेरे नाम की मेहंदी है क्या से क्या हो गया
फिर वो दिन आ गया शादी का सारी सजावट हो गई थी और सारे मेहमान भी आ गए थे बहुत ही रोनक थी
सभी बहुत खुश लग रहे थे पर पापा नही वो वैसे तो सबके सामने अच्छे से स्वागत और काम कर रहे थे मगर मन से दुखी थे और हो भी क्यू न जिस पत्नी से वो बहुत प्यार करते थे उसकी शादी उसी के बेटे से हो रही थी वही दादाजी बहुत खुश थे की उनको उनका उत्तराधिकारी मिल जाएगा आज बही मम्मी अपने कमरे मे तैयार हो रही थी उनको चाची मामी और दीदी तैयार कर रही थी
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मामी - देखो दीदी जो होना था हो गया अब आज से आप नई जिंदगी मे कदम रखने वाली है तो उसके बारे मे सोचो और खुश रहो नही तो आपका चेहरा देखकर श्रेयांश भी उदास हो जाएगा और उसे लगेगा की वो गलत कर रहा है
दीदी- हा मम्मी और जो हो गया उसे भूल जाओ और श्रेय के साथ एक नई जिंदगी की शुरुआत करो और वो अभी छोटा भी है तो आपको ही उसे संभालना है
मम्मी- ठीक कह रहे हो आप लोग पर क्या करू श्रेय से तो बोल दिया की सब ठीक है मगर जानती हू की गलत है आखिर मेरा बेटा है और उसके पापा का भी दुख है वो बताते नही मगर अंदर से बहुत दुखी है वैसे कहा है वो
दीदी- पापा बाहर मेहमानों को संभाल रहे है
फिर मम्मी तैयार हो गई
वही दूसरे कमरे मै तैयार हो रहा था फिर मामा जी ने मुझे बुलाया चलिए आपको पिताजी मंडप मे बुला रहे है फिर बुआ मुझे लेकर मंडप मे आ गई मै मंडप मे बैठ
गया मुझे बहुत अजीब लग रहा था की सभी लोग आए है और सब खुश है पर मै अभी भी कंन्फूज और थोडा दुखी था पर मम्मी ने कहा है की हम बस एक और रिश्ते में बंध रहे बांकी पहले हम मा बेटे ही रहेंगे तो मै थोडा ठीक हू मैने देखा तो प्रिंसिपल सर भी आए है मैने सोचा अब स्कूल में पता चल गया तो सब क्या सोचेगे वही पापा भी खडे थे वो नार्मल लग तपः थे मगर अंदर से बहुत दुखी थे उतने मे पंडित जी ने कहा बधु को बुलाओ तो नानी मम्मी के कमरे मे गई
नानी- चलो अंजू तुम्हे पंडित जी बुला रहे है
मम्मी सहम गई की आखिर वो पल आ ही गया उनके कदम रूक गए वो सोचने लगी की क्या मै सही कर रही हू अपने बेटे की जिंदगी बर्बाद तो नही कर रही मेरी उम्र भी है फिर उनके दिमाग में आया की अगर नही करेगी तो श्रेय और उसके पापा की जिंदगी ही नही बेचेगी फिर उन्होंने अपने आप को समझाएगा सिर दीदी और मामी उनको लेकर मंडप मे आने लगी सब उन्हें देख रहे थे वो बहुत सुन्दर लग रही थी
मै भी पहली बार मम्मी को इतनी गौर से देख रहा था वो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी फिर मम्मी मेरे बगल मे आकर बैठ गई फिर शादी की रस्म शुरू हो गई और पंडित जी मंत्र पडने लगे मै और मम्मी दोनों ही असमंजस में थे पर हम कुछ कर भी तो नहीं सकते थे फिर पंडित जी ने हमे फेरो के लिए उठने को कहा
पंडित जी- अब मै जो भी वचन कहूँगा तुम दोनों को एक दूसरे को देना होगा हर फेरे के साथ
मेरे लिए यह नया था मगर मम्मी जानती थी वो सोच रही थी की अब मेरे उपर दो जिम्मेदारी आ गई है एक मा की और एक पत्नी की
फिर फेरे शुरू हुए
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पहला फेरा - मै सदैव अपने पति/पत्नी की रक्षा करूगा/करूंगी
दूसरा फेरा - मै तन मन से सारे अधिकार दूंगा/ दूंगी
तीसरा फेरा - मेरे लिए अपने साथी मर्जी सबसे पहले होगी
चौथा फेरा - मै हमेशा अपने पति/पत्नी को सम्मान दूंगा/दूंगी
पांचवा फेरा - मेरे ऊपर मेरे पति/पत्नी का पुरा अधिकार रहेगा तथा वो मेरे लिए सबसे पहले रहेंगे
छठा फेरा - हर फैसले मे एक दूसरे के साथ रहेंगे
सातवा फेरा - मै हर खुशी अपने साथी को दूंगा- दूंगी और अपने गृहस्थी को पूर्ण करूंगी
मम्मी-(मन मे) आज से मैने जो वचन लिए है उसे निभाना ही मेरा धर्म है और अपने दोनों रिश्ते को बराबर संतुलन बनाना कर्तव्य है
मै - यार अबसे मुझे मम्मी की हर खुशी के ख्याल रखना है चाहे कुछ भी हो
फिर हम बैठ गए फिर पंडित जी ने मुझे मंगल सूत्र पहनाने को कहा
फिर दीदी ने मुझे मंगल सूत्र दिया और मै पहनाने लगा
मम्मी- अब मेरे गले मे श्रेय के नाम का मंगल सूत्र डर गया है
मै - (मन मै) अब मम्मी और मै एक नए बंधन मे बंध गए है
फिर पंडित जी मांग भरने को कहा
तो मैने सिंदूर को उठा तो लिया मगर मेरे हाथ रूक गए मै सोचने लगा क्या ये सही है सब मुझे देख रहे थे की क्या हुआ मम्मी भी मुझे देख रही थी वो समझ गई की क्या बात है मगर क्या कहे फिर दादाजी ने कहा श्रेयांश मांग मे सिंदूर भरो फिर मैने जल्दी से मांग भर दी और मम्मी ने आखिर बंद कर ली
exhausted smileys
औ, पंडित जी ने कहा शादी संपन्न हए आज से आप पति पत्नी है
मम्मी- ( मन मे) आखिर वो हो ही गया जो नही होना था मेरा बेटा अब सिर्फ़ मेरा बेटा नही रहा पति भी हो गया है और मुझे यह एक पतिव्रता औरत की त,ह निभाना है
मै- यार यह क्या मम्मी और मै पति पत्नी पता नही मै कैसे दो रिश्ते को निभा पाएगा
फिर पंडित जी ने कहा दुल्हन सबसे पहले अपने पति का आशीर्वाद ले
यह सुनकर मै दंग रह गया और मम्मी भी की कैसे अपने बेटे से आशीर्वाद ले