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Kaali is to marry in 3 years. Guess what happens


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Lefty69

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Ajju Landwalia

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Curiousbull prasha_tam Dino123s Ajju Landwalia urc4me Indu use reeya batliwala Hardwrick22 Nimesh Am@n Dharmendra Kumar Patel mkgpkr Real@Reyansh

Sorry to tag you friends but I seem to suffer from writer's block. The story seems too slow but don't know how to speed it up.

Please give me your suggestions or send me message in inbox.

Update ki frequency badha do aap Bhai, naye readers apne aap judte chale jayenge........

Both update are awesome

Keep posting Bro
 

Lefty69

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Update ki frequency badha do aap Bhai, naye readers apne aap judte chale jayenge........

Both update are awesome

Keep posting Bro
Thank you for your continued support and reply.

Do send me some suggestions
 
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story kharach khup mast ahe....n me ky suchna denar? itakya changlya story writting mde n changlya writter mde chuk kadhnya evda motha nhi me...ata next update yei prynt tumcha bakicha story vachun gheto...mla tumchi ban zaleli story de intrest ahe...to kuthe milel vachyla
 

Lefty69

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अमर ने रात को खाना खाने से पहले काली की पढ़ाई का जायजा लिया और फिर उसकी बेहतर होती सेहत को देखा। रात के खाने के बाद काली ने चुपके से अपने बाहर के कपड़े उतारे और ब्रा पैंटी में अमर के बगल में लेट गई।


अमर ने हक्क से काली को अपने नीचे दबाया तो वह शर्मा गई। अमर ने काली के माथे को चूमा तो वह ठंडी आह भरते हुए शरमाई। अमर ने नीचे सरकते हुए काली की भोएं और आंखों को चूमा।काली की सांसे तेज़ हो गई। अमर ने अपने होठों को काली की नाक की नोक पर लाते हुए उसे हल्के से चूसा और काली सिहर उठी।


अमर के होठों ने आखिरकार अपने गुलाम के होठों को छू लिया और काली ने एक हल्की उत्तेजित आह भरते हुए अमर को पुकारा। अमर से रहा नहीं जा रहा था। अमर ने काली को चूमते हुए उसकी जुल्फों में अपनी उंगलियां पिरोई।

काली ने अनजाने में अपने पैरों को फैला कर अपने तपते बदन से अमर को बांध लिया।


अमर ने काली को बालों को अपने बाएं हाथ से पकड़ कर अपने होठों से उस पर कब्जा करते हुए अपने दाएं हाथ से काली की ब्रा खोली। काली के मम्मे पिछले हफ्ते भर में ही फूलने लगे थे और जल्द ही वह नए ब्रा के लिए बड़े होने वाले थे।

अमर ने काली के मम्मे को दबाते हुए उसकी चूची को सहलाया और काली गर्माकर आहें भरने लगी। काली की मासूम गरम आहें सुनकर अमर का खून खौल उठा।

अमर ने काली की पैंटी को उतारना शुरू किया। काली ने चौंक कर अमर को रोकते हुए उसका हाथ पकड़ा।

काली, “नहीं मालिक!! आज नही!! वहां सब गंदा है!!”

अमर ने गहरी सांस लेकर अपने आप को काबू करते हुए, “इस में गंदा कुछ नही। यह एक आम और नैसर्गिक प्रक्रिया है। उल्टा इस वक्त को कई सदियों से सुरक्षित माना गया है क्योंकि इस समय पर संभोग से बच्चा होने की संभावना बहुत कम होती है। इस समय पर अगर औरत का स्खलन होता है तो उसे आसानी का एहसास होता है।”

काली शर्माकर, “तो अब आप मुझे अपना बनाएंगे?”


अमर ने अपने माथे से काली के पसीने छूट माथे को छूकर, “नहीं काली!! यह अब भी खतरनाक होगा। (काली ने ठंडी आह भरी और अमर मुस्कुराया) सच में, मैं खुद अपना वादा तोड़ने के बेहद करीब हूं!”

काली की जवानी अमर की यह बात सुनकर खुश हो गई। अमर की उंगलियों ने अब तक खून और उत्तेजना के रस से भीगे जवानी के झरने का स्त्रोत ढूंढ लिया था।

अमर की लंबी अनुभवी उंगलियों ने काली की कच्ची कली की फूली हुई पंखुड़ियों को सहलाकर फैलाते हुए उसकी आह निकाली। काली ने शर्माकर अमर को गले लगाया और अमर ने अपनी उंगलियों को धीरे धीरे और कुशलता से चलाते हुए काली के बदन को जलाना शुरू किया।

काली की आहें जल्द ही तेज होने लगी और काली का बदन अकड़ने लगा। काली ने अमर के कान में जवानी की चीख निकाली और झड़ गई। अमर को अपनी उंगलियों पर रस की बौछार महसूस हुई और उसका बदन जल उठा।


अमर ने तेजी से अपनी पैंट उतार दी और काली के कुंवारे बदन को देख कर ललचाते हुए रुक गया। अमर के बदन का हर कण उसे पुकार कर बता रहा था कि वह काली के गर्मी में अपनी भूख मिटा ले।

अमर ने काली के बेसुध चेहरे को देखा और उसे एक खयाल आया। अमर ने अपने घुटनों को काली की बगलों में रखा और अपना लंबा लौड़ा नीचे किया।

अमर ने अपने लौड़े से काली के होठों को खोला और अपने लौड़े को काली की गीली गर्मी में भर दिया। काली ने अमर के सुपाड़े को अपने गले में आते हुए महसूस किया और वह जाग गई।


अमर अब कोई डॉक्टर नहीं था और ना ही वह एक शरीफ सुसंकृत आदमी।अमर बस एक जवान मर्द था जो अब अपना वीर्य उड़ाने को बेताब हो चुका था।

अमर ने काली के सर के नीचे अपना दाहिना हाथ सरका कर अपनी पकड़ बनाई। अमर ने फिर अपनी कमर को उठाते हुए काली का सर अपने लौड़े के साथ उठाया।


काली को समझ नही आ रहा था कि मालिक करना क्या चाहते हैं।

अमर ने फिर बाएं हाथ से bed को कस कर पकड़ा और दाएं हाथ से काली का पूरा सर अपने लौड़े पर दबाकर उसके मुंह चोदने लगा। काली की आंखों में आंसू जमा हो गए जब अमर के लौड़े ने उसके गले के अंदर प्रवेश किया।

काली ने एक अच्छे गुलाम की तरह अपने मालिक का साथ दिया और अपनी जीभ को हिलाते हुए अमर के लौड़े को चाटना जारी रखा। अमर तेजी से अपनी गुलाम का सर हिलाते हुए अपने गुलाम का मुंह चोद रहा था। अमर को इस एहसास में चुधाई जैसा मजा आ रहा था।

जल्द ही अमर की कमर भी ताल से हिलने लगी। अब काली के होठों को छूते हुए अमर का सुपाड़ा रुकता और फिर तेजी से काली के गले में जा कर धंस जाता। काली अपने मालिक का साथ देते हुए दुबारा उत्तेजित हो गई।


काली ने मालिक की कल रात की हरकतें याद करते हुए अपनी बाएं हाथ की दो लंबी उंगलियों को अपनी गांड़ में डाला और दाएं हाथ की उंगलियों से अपनी चूत को सहलाया।


अमर ने काली को अपने नीचे दुबारा झड़ते हुए पाया और खुद झड़ने लगा।


काली की चूत में से दुबारा यौन फव्वारे उड़ने लगे और उसकी जीभ को अमर के गाढ़े खारे घोल ने रंग दिया। अमर ने आह भरते हुए काली के सर को थोड़ा ढीला छोड़ा और उसे सांस लेने की इजाजत मिली।


कुछ देर बाद अमर ने नीचे सरक कर काली को अपनी बाहों में लिया तो काली शर्माकर उस से लिपट गई।


अमर, “माफ करना काली। मैं अपना आपा खो बैठा!”


काली मुस्कुराकर, “आप का आपा खोना मजेदार था मालिक। आप ने मुझे खुश तो किया पर मुझे भी आप को खुश करने का मौका दिया।”


अमर ने काली के होठों को चूमा पर काली ने उस से दूरी बनाते हुए उतना शुरू किया। अमर ने वजह पूछी तो काली ने कहा को दोनों की मस्ती में सैनिटरी नैपकिन अपनी जगह से हिल गया है और कल सुबह चादर धोने की जरूरत से बेहतर वह नया सैनिटरी नैपकिन पहन के आए।


अमर अपने बिस्तर में लेट कर छत को देखते हुए मुस्कुराया। वह सच में एक औरत के साथ जी रहा था।
 
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