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Kaali is to marry in 3 years. Guess what happens


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Lefty69

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I think make kali a influencial lady . Right now she got all available resources in the name of her master.

Her master should shape her tobe a good lover . And great woman.
I just want to see a girl with dark past to a great future.
As u say in the previous update she has the higher literacy in her village. Mean she is determine to learn new thing.

Or may be dr.amar use her as a weapon because who know he also have some past.
Amar is a good fellow who had bad relationship. He will not abuse even his slave. Indeed he didn't want to own a slave in the first place.

If you read Fulva's story, you will find that 3 years from now Kaali is not only owner of a small boutique but also respectably married. She also joins the club of influential ladies with फुलवा and is part of Fulwa's charity.
 

Lefty69

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prasha_tam

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अमर का गला सूख गया था और लौड़ा फुल गया था। काली हिचकिचाते हुए bed के किनारे बैठ गई और अमर ने उसे खींच कर अपने नीचे दबाने की आस को बड़ी मुश्किल से काबू किया।


अमर घुटि हुई आवाज में, “तुम क्या कर रही हो?”


काली अपने अधनंगे बदन पर हाथ फेरते हुए, “आप ही ने यह कपड़े मुझे दिलाए थे! मैं आप के हुकुम से गद्दे पर सोने आई हूं।”


अमर ने अपने लौड़े पर अपनी चादर दबाकर, “बाहर सोफे के गद्दे पर तुम्हारे सोने का इंतजाम कर दिया है। तुम वहां सो जाओ!”


काली सोचते हुए, “तो वह जो TV पर आप कल रात देख रहे थे वह आप मेरे साथ नहीं करना चाहते? (अमर ने सर ना में हिलाकर झूठ कहा) क्या आप को साहूकार की तरह लड़के पसंद हैं?”


अमर चौंक कर, “नहीं!… देखो काली… तुम कुंवारी हो। तुम्हारी पहली… तुम किसी खास के साथ अपना पहला अनुभव… मतलब…”


काली की आंखों में आंसू भर आए। उसने अपना सर झुकाकर हां कहा।


काली, “मैं समझ गई। फुलवा दीदी की झिल्ली भी एक डॉक्टर ने 2 बार सील कर उसे तीन बार कुंवारी बनाकर बेचा था। आप भी मुझे बेचने के लिए लाए हो!”


काली उठने लगी तो अमर ने उसे पकड़ कर अपने पास बिठाया।


अमर, “काली, मैं कसम खाकर कहता हूं कि मैं तुम्हें नहीं बेचने वाला। लेकिन मैं अब दुबारा शादी नहीं करने वाला और तुम्हारा पहला अनुभव किसी ऐसे के साथ होना चाहिए जो तुम्हारे साथ अपनी पूरी जिंदगी गुजरे।”


काली, “क्या आप की बीवी के पास जाने से पहले आप लड़की से अंजान थे?”


अमर, “नहीं, कॉलेज में मेरी girlfriend थी।”


काली, “क्या वह लड़की कुंवारी थी?”


अमर सवालों की दिशा पहचानकर, “नहीं! पर इसका मतलब…”


काली, “तो अमीर लोगोंको पहली बार की अहमियत नहीं होती? या यह अहमियत सिर्फ मेरे लिए है?”


अमर गुस्से में, “आखिर चाहती क्या हो मुझसे?”


काली गहरी सांस लेकर, “मुझे यकीन दिलाइए की आप मुझे रण्डी बना कर बार बार नहीं बेचेंगे!”


अमर, “वही तो कर रहा हूं! ठीक है, बताओ क्या करने से तुम्हें विश्वास होगा?”


काली डरकर, “मेरी झिल्ली फाड़ दीजिए। मुझे बिकने लायक मत रखना! मैं आप की गुलाम हूं, मुझे अपना बनाइए!”


अमर की सब्र का बांध टूट रहा था। उसके अंदर का जानवर सामने की मादा पर झपटने के लिए गुर्रा रहा था।


अमर गहरी सांस लेकर, “काली, अगर मैं तुम्हारे साथ वह सब कर दूं तो तुम पेट से हो सकती हो। (दिमाग तेजी से दौड़ते हुए) कोई अपनी गुलाम से बच्चा नहीं चाहता और मैं दुबारा शादी नहीं करने वाला! इस लिए मैं तुम्हें नहीं ले सकता।”


काली चुपके से, “गांव में भी बच्चा गिराए जाने के बारे में मैंने सुना है। बच्चा ना होने के लिए दवा भी होती है।”


अमर डॉक्टर की तरह समझाते हुए, “बच्चा गिराना बेहद दर्दनाक और खतरनाक काम होता है। गोलियां आसन और सुरक्षित होती हैं पर उन्हें मासिक धर्म शुरू होने पर शुरू करना होता है। गोलियों को असर करने में एक महीने का वक्त लगता है। समझी?”


काली, “इसका मतलब, आप मेरी दूसरी मासिक धर्म के बाद मेरी झिल्ली फाड़ेंगे।”


अमर काली को टालते हुए, “उस से पहले तुम्हारे साथ करना मेरे लिए खतरनाक होगा।”


काली, “क्या औरत की झिल्ली फाड़े बगैर मर्द मजा ले सकते हैं? (अमर को हक्काबक्का देख कर) TV की औरतें मर्द के साथ कई तरीके से करते हुए दिखी।”


अमर जानता था कि जवान लड़की अगर इस सवाल का जवाब ढूंढने निकले तो जवाब देने के लिए मर्दों की कतारें लग जाएंगी।


अमर, “देखो, मर्द जब औरत के साथ वह काम करता है तो उसके गुप्त अंग में से एक रस निकलता है। इस रस से औरत को गर्भ रह जाता है और उसके निकलने पर मर्द को खुशी या संतोष का अनुभव होता है। जब औरत नहीं होती या औरत उस रस को अपने अंदर लेकर खतरा मोल नहीं लेना चाहती तब रस को अलग तरह से निकालकर मर्द संतोष का अनुभव कर सकता है।”


काली, “क्या आप मुझे दिखाएंगे की आप को बिना औरत के संतोष कैसे मिलता है?”


अमर हिचकिचाया तो काली, “आप को मेरा चेहरा पसंद नही तो आप TV लगा कर वह देख सकते हो। मुझे बुरा नहीं लगेगा।”


अमर, “काली, तुम जैसी हो, अच्छी हो! मैने ऐसे कभी…”


काली, “कॉलेज की लड़की के सामने कभी किया नहीं था? या बीवी के सामने?”


अमर, “किया था पर…”


काली, “मैं पराई हूं… आप जिसे बेचोगे उसे यह अनुभव मिलना चाहिए…”


अमर, “रुको!!… ठीक है!!… (अपनी अंडरवियर उतार कर) सिर्फ देखना! कुछ भी करना मना है!”



अमर के 7 इंच लंबे 3 इंच मोटे खंबे को छत की ओर इशारा करते हुए देख कर काली दंग रह गई थी।


काली, “मेरे छोटे भाई का इतना सा है, आप का ऐसे कैसे हो गया?”


अमर हंसकर, “जवानी के साथ इंसान के बदन में कुछ बदलाव होते हैं। तुम भी तो कुछ बदली होगी?”


काली ने अपने हाथ को बढ़ाकर एक उंगली से लौड़े के जड़ के नीचे की चिकनी त्वचा को छू लिया और अमर ने ऐसे आवाज निकली मानो उसे जल गया हो।


काली, “मेरे यहां पर काफी घने और घुंगराले बाल हैं। क्या मर्दों को नहीं होते?”


अमर, “मेरी कॉलेज गर्लफ्रेंड को उन से तकलीफ होती थी तो मैंने उन्हें साफ करना शुरू किया।”


काली सोचते हुए, “उन बालों से भला क्या तकलीफ होती है? आपका भी मासिक धर्म में खून निकलता है क्या?”


अमर, “नहीं!! चूसते हुए उसके नाक में गुदगुदी होती थी और कभी कभी मुंह में बाल आ जाते थे!”


काली की फैली आंखें और खुला मुंह बता रहा था की अमर ने यह बता कर बहुत बड़ी गलती कर दी थी।


अमर, “बहुत हुआ!… बाहर जाकर सो जाओ!!”


काली ने अपने सर को झुकाया और बाहर चली गई। अमर देर तक करवटें बदलता रहा पर नींद उस से कोसों दूर थी। आखिरकार थक कर आधे घंटे बाद अमर बाहर गया तो उसने देखा की काली नीचे जमीन पर बैठी अपने घुटनों को अपने सीने से लगाकर सिसक रही थी।

अमर ने काली के कंधे पर हाथ रखा तो वह चौंक कर देखने लगी। काली की आंखों से बहते आंसू देख अमर पिघल गया।


काली, “माफ करना मालिक! मैं आप को जगाना नहीं चाहती थी।”


अमर, “तुमने मुझे नहीं जगाया। बताओ, क्यों रो रही हो?”


काली, “मुझे अकेले में डर लगता है।”


अमर ने कुछ देर के लिए सोचा और फिर गहरी सांस लेकर मानो हिम्मत जुटाई। अमर ने कपड़ों के थैली में से एक गाउन निकाला और काली को कैसे पहनना है वह दिखाया।


अमर, “तुम मेरे साथ मेरे गद्दे पर सो सकती हो पर मुझे बिल्कुल छूना नही! समझी?”


काली ने गाउन पहन कर अपना सर हिलाकर हां कहा।


जब अमर पेशाब कर अपने गद्दे पर लौटा तो काली गद्दे के एक कोने में दूसरी तरफ मुंह कर लेटी हुई थी। अमर भी चुपचाप लेट गया।


दोनों को पता भी नहीं चला की कब नींद उन पर हावी हो गई।
Bhaut Bhadiyaa :applause: Khani Mast Jhaa Rahee Hee 👌🤘
Keep It Up 👍
Waiting For Next Update :bounce:
:party::peace:
 

Lefty69

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एक अरसे बाद अमर को नींद खुलते हुए कुछ अजीब एहसास हो रहा था। अमर को लगा जैसे उसने किसी गद्दे को पकड़ लिया था पर यह गद्दा पकड़ से छूट रहा था। नींद में अमर मुस्कुराया जब उसके नाक में गुदगुदी हुई और कुछ बदबू आ गई।


अमर के ऊपर मानो बर्फ के पानी की टंकी खाली हो गई और उसने अपनी बाहों में से काली को बाहर निकलने दिया। अमर ने पाया की उसके साथ उसका लौड़ा भी पूरी तरह जाग उठा था।


काली बाहर भाग गई और अमर को सोचना पड़ा की नींद में वह काली के साथ क्या कर चुका था। अपने गुस्से से लाल लौड़े और भरी हुई गोटियों को महसूस कर अमर ने तय किया की जो भी हुआ था वह शायद उतना बुरा नहीं था।


काली ने जवानी का पहला गुलाबी सपना देखकर गरमाए बदन पर ठंडा पानी छिड़का और अपने आप को समझाया की गुलाम का कोई भविष्य नहीं होता। काली ने अपने सुबह के कपड़े पहने और चाय नाश्ता लेकर मालिक के लिए तयार हो गई।


अमर ने काली को अपने साथ बैठ कर दूध पीने का आग्रह किया और फिर दोपहर के खाने के लिए आने का वादा कर हॉस्पिटल के लिए चला गया। काली ने अपने मालिक को शरीफ आदमी माना था पर नींद में से जागते हुए उसे अपने मम्मे दबाने और अपनी गांड़ पर फूला हुआ लौड़ा रगड़े जाने का एहसास किसी अनजानी भूख की याद दिला रहा था।


काली को याद आया की मालिक ने कल रात TV चलाया नही था और उस से कुतुहल रहा नहीं गया। काली ने चुपके से TV चलाया और मन लगाकर वहां की औरत के कारनामे सीखने लगी।


दोपहर को अमर घर लौटा तो उसने खाना खाते हुए काली को सही पोषण की याद दिलाते हुए ज्यादा पनीर खाने को कहा। खाना खाने के बाद अमर ने काली को उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा। काली ने बताया की वह 7वी कक्षा तक पढ़ी थी लेकिन गांव में इस से ज्यादा पढ़ाई का कोई इंतजाम नहीं था।


अमर ने काली को व्यस्त रखते हुए पराए मर्दों से फुसलाए जाने से बचाने का रास्ता खोज लिया था। अमर ने काली को 7वी से 10वी कक्षा की किताबें देते हुए कहा की वह एक साल में इन सब को सिख कर परीक्षा की तयारी कर ले। काली अपनी सुप्त ईच्छा को पूरा होते देख खुशी से झूम उठी।


शाम को खाना खाते हुए अमर ने काली से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा और उसे सवाल भी पूछे। काली ने पढ़ाई शुरू कर दी है यह जानकर अमर को अच्छा लगा। रात को सोने के लिए अमर अपने गद्दे पर लेट गया तो काली चुपके से उसके बगल में बैठ गई।


काली ने फिर से सिर्फ ब्रा और पैंटी पहनी थी और गाउन बगल में रखा था।


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अमर, “काली! यह क्या कर रही हो!! मैंने कहा था कि मैं तुम्हें नहीं ले सकता!! अपना गाउन पहन लो!!”


काली मुस्कुराते हुए, “मालिक को संतोष देना गुलाम का काम ही नहीं बल्कि फर्ज होता है। आप कल रात से संतोष लिए बगैर हैं। मैं आप को संतोष दिलाकर गाउन पहनूंगी!”


अमर हक्काबक्का देखता रह गया और काली ने अपने लंबी उंगलियों से उसकी नाइट पैंट उतार दी। अमर का खंबा छत की ओर बढ़ कर धड़क रहा था। अमर ने काली को रोकने की आखरी कोशिश की तो काली ने आगे बढ़कर उसके होठों पर अपनी उंगली रख दी। ऐसा करते हुए काली को आगे झुकना पड़ा और उसके तेजी से भरते मम्मे अमर के पेट पर दब गए। अमर की बोलती अपने आप बंद हो गई।


काली, “आप मेरी झिल्ली फाड़ कर मुझे पेट से नहीं कर सकते पर संतोष के लिए यह करना जरूरी नहीं! बस आपका रस निकलना जरूरी है। आप चाहिए तो अपनी आंखें बंद कर लीजिए!”


काली वापस से अमर की कमर के पास सीधे बैठ गई और उसके हाथ अमर के सीने पर से होते हुए उसकी नंगी कमर पर पहुंच गए।


अमर को एहसास हुआ कि काली के हाथ उसकी गर्लफ्रेंड या बीवी के तरह नरम नहीं थे पर उन पर बचपन से कड़ी मेहनत से घट्टे बने थे। यह खुरतरा मगर प्यार से होता स्पर्श अपने आप में अनोखा और नया अनुभव था।


काली ने मुस्कुराहट के पीछे अपने डर को छुपाते हुए हिम्मत जुटाई और अमर के धड़कते लौड़े की जड़ को सहलाते हुए उसके पैरों के बीच में बने थैले को छू लिया। अमर की आह निकली और डर के पार से काली समझ गई की इस से मालिक को मजा आ रहा है।


काली की उंगलियों ने उस थैले को हल्के से उठाया, टटोला और उसके अंदर की दो बड़ी गोटियों को महसूस किया। अमर की आहें बता रही थी कि वह किसी और बात का इंतजार कर रहा था इस लिए काली ने अपने लक्ष को बदला।


गोटियों के थैले से एक पतली लकीर नीचे जाते हुए मालिक की गांड़ तक जा रही थी। काली ने अपनी उंगली की नोक से उस लकीर को छूते हुए भूरे छेद को छू लिया। अमर के विरोध का स्वर सुन वह समझ गई कि उसकी दिशा गलत थी। काली तो वैसे भी जानती थी कि पीछे का छेद रस नहीं छोड़ता।


काली ने लकीर का पीछा करते हुए ऊपर उठना शुरू किया। लकीर गांड़ पर से गोटियों के झुर्रिदार थैले की जड़ तक पहुंची। फिर दो गोटियों के बीच में से होते हुए वह लकीर धड़कते लौड़े की जड़ तक आकर गायब हो गई।


काली ने देखा की लौड़े की जड़ पर जहां लकीर खत्म हो गई थी वहीं से एक मोटी नस ऊपर उठ रही थी। काली ने अपनी उंगली से उस मोटी नस को दबाया और अमर की आह निकल गई।


काली ने इस मजेदार नस को उंगली से दबाकर ऊपर उठना जारी रखा और वह लौड़े के शिश्न पर पहुंच गई। काली ने पाया की उसकी उंगली लौड़े के अंदर से पारदर्शी द्रव की एक मोटी बंद को ऊपर ले आई थी। काली ने उस बूंद को धड़कते लौड़े के उछलते शिश्न पर फैलाया तो अमर लगभग रो पड़ा।


काली की हिम्मत बढ़ी और अपने अमर की आंखें बंद हैं यह देख कर उस बूंद के बचे हुए हिस्से को अपने उंगली पर से सूंघ लिया। उस चिपचिपे द्रव को कोई गंध नहीं थी।


क्या यही बच्चा बनाने वाला रस है? क्या एक बूंद से बच्चा बन सकता है यह सोचते हुए काली की उंगलियों अमर के लौड़े को छू गई। अमर कराह उठा और काली ने अपनी उंगलियों से अमर के लौड़े को सहलाना जारी रखा।


अमर उत्तेजना में तड़प रहा था जब काली को फिल्म की औरत याद आई। काली ने अपनी उंगलियों को अमर के लौड़े की जड़ पर लपेट लिया और अपने दूसरे हाथ को भी आगे बढ़ाया। जल्द ही दोनों हथेलियों ने अमर के लौड़े को मुट्ठियों में हल्के से दबाया था जिस से अमर की सांसें तेज हो गई।


काली ने दुबारा हिम्मत जुटाकर अपने हाथ ऊपर सरकाते हुए अमर के शिश्न को अपने अंगूठे के नीचे दबाते हुए लौड़े की जड़ को खुला छोड़ दिया। अमर ने आह भरी और काली ने अपनी हथेलियों को झट से पहले की जगह लाया।


अमर कराह उठा और काली ने अपने हाथों को वापस उठाया। काली जल्द ही समझ गई की मालिक को इस ऊपर नीचे होती हथेलियों से मजा आ रहा था और जितनी तेजी से वह ऐसा करती मालिक उतना ही ज्यादा कराहता।


अमर अपने पिछले दोनों संबंधों में इतना उत्तेजित नहीं हुआ था। अमर आह भरते हुए अपनी कमर उठाने लगा। काली को भी उत्सुत्का थी जिस से वह तेजी से अपनी हथेलियों हिला रही थी।


अमर का बदन कांपने लगा और अकड़न जैसे होने लगी। काली की हथेलियां अमर के लौड़े के जड़ पर रुक गई। अमर का लौड़ा जैसे फट पड़ा और गाढ़े वीर्य की लंबी रस्सियां तेजी से उड़ती हुई काली के हाथों और अमर के पेट पर बरसने लगी।


काली मूर्ति की तरह देखती रह गई। धीरे धीरे रस्सियां छोटी होकर बूंदे बनकर काली के हाथों पर से बह कर नीचे के गद्दे पर गिरने लगी। काली ने अपनी उंगलियों को खोला और अपनी हथेलियों को अमर के लौड़े से हटाया। कुछ और बूंदें बहाकर अमर का लौड़ा रुक गया।


काली ने अपनी हथेलियों पर जमा रस को सूंघा। वह गाढ़ा रस कुछ खारा हो सकता था पर काली में उसे चखने की हिम्मत नहीं थी। यह यकीनन बच्चा बनाने वाला रस था।


अमर ने उठ कर अपने पेट को tissue paper से साफ कर लिया और फिर काली के हाथों को भी पोंछ दिया।


अमर ने काली से कहा कि उसने अमर को बहुत खुशी दी थी और अब उन्हें सोना चाहिए। काली ने देखा की अमर का लौड़ा सिकुड़ कर छोटा हो रहा था।


डरी हुई काली गाउन पहनना भूल गई और चुप चाप अमर के बगल में सो गई।
 

Lefty69

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