बेहतरीन4
अगली सुबह जब काली की गांड़ पर अमर का लौड़ा चुभा तो उसने अपने दबते हुए मम्मे पर से अपने मालिक का हाथ हटाया और चुपके से बाहर आ गई। आज उसे मालिक को संतोष दिलाने की वजह से अपनी औरत होने पर गुरुर हो रहा था पर शर्म भी आ रही थी।
शायद यही हाल अमर का भी था जो बिना कुछ बोले नाश्ता कर हॉस्पिटल के लिए चला गया। काली ने गुनगुनाते हुए अपने काम पुरे किए और दोपहर का खाना बनाने की शुरुवात करते हुए पढ़ाई शुरू कर दी।
दोपहर को अमर ने खाना खाने के लिए आते हुए यह तय किया था की वह काली को कल रात की करतूत के लिए डांटेगा। लेकिन काली ने उसे मौका न देते हुए अपनी पढ़ाई की बात की और बात वहीं पर रह गई। अमर ने काली को अच्छे खाने के साथ कसरत के फायदे बताए और कुछ आसान घरेलू कसरत के प्रकार करने का सुझाव दिया।
उस रात का खाना खाकर जब दोनों अपना दिन खत्म करने की तयारी करने लगे तब दोनों में आस थी और कुछ डर भी। उत्सुकता थी पर हिचकिचाहट भी।
काली हिचकिचाते हुए, “मालिक, कुछ पूछ सकती हूं?”
अमर, “हां, पूछो!”
काली, “कल रात जो सफेद गाढ़ा रस निकला उसी से बच्चा बनता है?”
अमर, “हां काली, उसके औरत के गर्भ में जाने से बच्चा बन सकता है।”
काली डरकर, “कल रात को वह रस उड़ कर मेरे हाथ, नाक और कुछ छीटें होठों पर भी गिर गई थी। शायद कुछ रस मेरे अंदर चला गया है!”
अमर मुस्कुराकर, “नहीं, उस से कुछ नहीं होता! औरत का गर्भ उसकी योनि मार्ग से जुड़ा होता है। जब तक वीर्य औरत की योनि के अंदर नहीं जाता वह गर्भ तक नहीं पहुंच सकता। इसी लिए मेरी गर्लफ्रेंड… सिर्फ योनि में से बच्चा होने का खतरा होता है।”
काली, “यह योनि क्या है?”
अमर हंस पड़ा, “तुमने मेरा रस निकालता अंग देखा ना? (काली ने अपने सर को हिलाकर हां कहा) लेकिन उसी जगह पर तुम्हारे पास छेद है। (काली ने शर्माकर हां कहा) और उस छेद पर पतली झिल्ली भी है। (काली ने फिर सर हिलाकर हां कहा) यही योनि है!”
काली, “तो TV पर औरतें जब रस को… अलग तरह से लेती हैं तो उन्हें डर नहीं होता?”
अमर, “कई बीमारियां हैं जो वीर्य या यौन रसों से फैलती हैं। बस बच्चा पैदा होने का खतरा योनि से वीर्य को दूर रखने से टल जाता है।”
काली, “अगर मर्दों को रस बहाने से संतोष मिलता है तो वह फिर औरतों को बच्चा क्यों देते हैं?”
अमर, “जैसे मर्दों को रस बहाने से संतोष मिलता है वैसे ही औरतों को भी अपनी योनि में मर्द को लेने से संतोष मिलता है। यही प्रकृति का तरीका है जिस से वंश बनता है।”
काली, “तो अगर कल की तरह आप को संतोष दिलाया गया तो आप को मुझे पेट से करने का कोई खतरा नहीं होगा। लेकिन मेरी झिल्ली फाड़ने से पहले मेरी गोलियों का असर शुरू होना चाहिए। है ना?”
अमर बेचारा क्या करता? बस हां में सर हिला कर लेट गया।
काली जब अमर के पास बैठ गई तो वह अपनी आंखें बंद कर सोया हुआ था। काली ने हिम्मत की और चुप चाप अपने मालिक की नाइट पैंट उतार दी। जब अमर सोते रहा तो काली मुस्कुराई और उसने अपने मालिक का लौड़ा कल रात की तरह सहलाना शुरू किया।
अमर ने अपनी आहों पर निश्चय से काबू रखा पर सांसों की गति उसके भेद खोलती रही।
काली ने नटखट मुस्कान के साथ मालिक के लौड़े को अपनी गरम हथेलियों में भर लिया। काली अमर के लौड़े पर हल्की पर पक्की पकड़ बनाकर रुक गई।
अमर की सांस अटक गई और काली ने अपने हाथों को हिलाना शुरु किया। अमर ने अपनी आहें दबाने की जितनी कोशिश की काली उतनी ही जोर से अपने हाथों को हिलाकर उसे मजा देती। आखिर में अमर की तोप में से अंधाधुंध गोलीबारी हुई और अमर के बदन पर पसीने की महीन परत के साथ वीर्य के कुछ दाग पड़ गए।
काली ने अपनी हथेली और आस पास पड़े गाढ़े मलाई को अमर के पेट पर डाला। अमर की आंखें चौंकने से खुल गई जब उसे काली के होठों का एहसास अपने पेट पर हुआ।
अमर देखता रहा जब काली उसकी आंखों में देखते हुए अपनी जीभ से बिल्ली की तरह उसकी मलाई चाट कर चट कर गई। जब अपने होठों पर अपनी जीभ घुमाकर काली मुस्कुराई तो अमर ने अपने नसीब का एहसान माना। काली अमर से चिपक कर लेट गई और जल्द ही सो गई।
अमर अब भी समझ नहीं पा रहा था कि क्या अभी अभी उसके साथ जबरदस्ती हुई थी?
Superb and Fantastic4
अगली सुबह जब काली की गांड़ पर अमर का लौड़ा चुभा तो उसने अपने दबते हुए मम्मे पर से अपने मालिक का हाथ हटाया और चुपके से बाहर आ गई। आज उसे मालिक को संतोष दिलाने की वजह से अपनी औरत होने पर गुरुर हो रहा था पर शर्म भी आ रही थी।
शायद यही हाल अमर का भी था जो बिना कुछ बोले नाश्ता कर हॉस्पिटल के लिए चला गया। काली ने गुनगुनाते हुए अपने काम पुरे किए और दोपहर का खाना बनाने की शुरुवात करते हुए पढ़ाई शुरू कर दी।
दोपहर को अमर ने खाना खाने के लिए आते हुए यह तय किया था की वह काली को कल रात की करतूत के लिए डांटेगा। लेकिन काली ने उसे मौका न देते हुए अपनी पढ़ाई की बात की और बात वहीं पर रह गई। अमर ने काली को अच्छे खाने के साथ कसरत के फायदे बताए और कुछ आसान घरेलू कसरत के प्रकार करने का सुझाव दिया।
उस रात का खाना खाकर जब दोनों अपना दिन खत्म करने की तयारी करने लगे तब दोनों में आस थी और कुछ डर भी। उत्सुकता थी पर हिचकिचाहट भी।
काली हिचकिचाते हुए, “मालिक, कुछ पूछ सकती हूं?”
अमर, “हां, पूछो!”
काली, “कल रात जो सफेद गाढ़ा रस निकला उसी से बच्चा बनता है?”
अमर, “हां काली, उसके औरत के गर्भ में जाने से बच्चा बन सकता है।”
काली डरकर, “कल रात को वह रस उड़ कर मेरे हाथ, नाक और कुछ छीटें होठों पर भी गिर गई थी। शायद कुछ रस मेरे अंदर चला गया है!”
अमर मुस्कुराकर, “नहीं, उस से कुछ नहीं होता! औरत का गर्भ उसकी योनि मार्ग से जुड़ा होता है। जब तक वीर्य औरत की योनि के अंदर नहीं जाता वह गर्भ तक नहीं पहुंच सकता। इसी लिए मेरी गर्लफ्रेंड… सिर्फ योनि में से बच्चा होने का खतरा होता है।”
काली, “यह योनि क्या है?”
अमर हंस पड़ा, “तुमने मेरा रस निकालता अंग देखा ना? (काली ने अपने सर को हिलाकर हां कहा) लेकिन उसी जगह पर तुम्हारे पास छेद है। (काली ने शर्माकर हां कहा) और उस छेद पर पतली झिल्ली भी है। (काली ने फिर सर हिलाकर हां कहा) यही योनि है!”
काली, “तो TV पर औरतें जब रस को… अलग तरह से लेती हैं तो उन्हें डर नहीं होता?”
अमर, “कई बीमारियां हैं जो वीर्य या यौन रसों से फैलती हैं। बस बच्चा पैदा होने का खतरा योनि से वीर्य को दूर रखने से टल जाता है।”
काली, “अगर मर्दों को रस बहाने से संतोष मिलता है तो वह फिर औरतों को बच्चा क्यों देते हैं?”
अमर, “जैसे मर्दों को रस बहाने से संतोष मिलता है वैसे ही औरतों को भी अपनी योनि में मर्द को लेने से संतोष मिलता है। यही प्रकृति का तरीका है जिस से वंश बनता है।”
काली, “तो अगर कल की तरह आप को संतोष दिलाया गया तो आप को मुझे पेट से करने का कोई खतरा नहीं होगा। लेकिन मेरी झिल्ली फाड़ने से पहले मेरी गोलियों का असर शुरू होना चाहिए। है ना?”
अमर बेचारा क्या करता? बस हां में सर हिला कर लेट गया।
काली जब अमर के पास बैठ गई तो वह अपनी आंखें बंद कर सोया हुआ था। काली ने हिम्मत की और चुप चाप अपने मालिक की नाइट पैंट उतार दी। जब अमर सोते रहा तो काली मुस्कुराई और उसने अपने मालिक का लौड़ा कल रात की तरह सहलाना शुरू किया।
अमर ने अपनी आहों पर निश्चय से काबू रखा पर सांसों की गति उसके भेद खोलती रही।
काली ने नटखट मुस्कान के साथ मालिक के लौड़े को अपनी गरम हथेलियों में भर लिया। काली अमर के लौड़े पर हल्की पर पक्की पकड़ बनाकर रुक गई।
अमर की सांस अटक गई और काली ने अपने हाथों को हिलाना शुरु किया। अमर ने अपनी आहें दबाने की जितनी कोशिश की काली उतनी ही जोर से अपने हाथों को हिलाकर उसे मजा देती। आखिर में अमर की तोप में से अंधाधुंध गोलीबारी हुई और अमर के बदन पर पसीने की महीन परत के साथ वीर्य के कुछ दाग पड़ गए।
काली ने अपनी हथेली और आस पास पड़े गाढ़े मलाई को अमर के पेट पर डाला। अमर की आंखें चौंकने से खुल गई जब उसे काली के होठों का एहसास अपने पेट पर हुआ।
अमर देखता रहा जब काली उसकी आंखों में देखते हुए अपनी जीभ से बिल्ली की तरह उसकी मलाई चाट कर चट कर गई। जब अपने होठों पर अपनी जीभ घुमाकर काली मुस्कुराई तो अमर ने अपने नसीब का एहसान माना। काली अमर से चिपक कर लेट गई और जल्द ही सो गई।
अमर अब भी समझ नहीं पा रहा था कि क्या अभी अभी उसके साथ जबरदस्ती हुई थी?
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