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Kaali is to marry in 3 years. Guess what happens


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Dharmendra Kumar Patel

Nude av or dp not allowed. Edited
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रोमांचक अपडेट अगले अपडेट की प्रतीक्षा रहेगी
 

Lefty69

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1

Dr अमर अगले दिन शाम को 9 बजे हॉस्पिटल में से बाहर निकले तो गेट पर काली को देख कर दंग रह गए।


काली अपनी पोटली सीने से लगाए हाथ जोड़कर उसका इंतजार कर रही थी। अमर ने काली को पकड़कर अपनी गाड़ी में बिठाया और तेजी से वहां से निकल गया।


काली ने अपने हाथ बढ़ाए और अमर को उसके हजार रुपए लौटाए। अमर ने अपने माथे पर हाथ मार लिया और हक्का बक्का काली को देखता रहा।


अमर (गाड़ी सड़क किनारे लगाकर), “तुम यहां क्या कर रही हो?”


काली खुद्दारी से, “अपना सौदा पूरा कर रही हूं, मालिक। आप ने मुझे खरीदा है। अब आप का मुझ पर अधिकार है!”


अमर हजार रुपए दिखाकर लगभग चीखते हुए, “तुम अपने घर जा सकती थी!”


काली चुपके से, “मैं चोर नही हूं! नमक हराम भी नहीं!”


अमर अपने आप को काबू करते हुए दुबारा पैसे दिखाकर, “तुमने दो दिनों में कुछ खाया है?”


काली ने सर हिलाकर मना करते हुए, “आप ने बताया नहीं की पैसे किस लिए थे। मैं आप की इजाजत के बगैर कुछ नहीं कर सकती।”


अमर ने उसके हमेशा के होटल में गाड़ी रोकी। होटल में जाते ही उसके लिए खाने की थाली लाई गई। अमर ने काली के लिए भी एक थाली मंगवाई।


काली चुपके से, “आप मेरे साथ क्या करेंगे?”


अमर, “पहले खाना खाने को कहूंगा और फिर तुम्हें अपने घर ले जाऊंगा।”


काली, “आप की बीवी मुझे लेगी?”


अमर गुस्से से दबी आवाज में, “मेरी कोई बीवी नही! ना ही कभी बीवी होने वाली है!”


काली अपना सर हां मैं हिलाकर, “इसी लिए आप ने मुझे खरीदा!”


अमर, “देखो… (आस पास देख कर) इस बारे में बाद में बात करेंगे!”


दोनों चुपचाप खाना खाकर होटल से बाहर निकल गए। अमर काली को अपने घर ले आया तो काली अमर के घर को देखती रह गई।


अमर एक 1 बेडरूम हॉल किचन में रहता था पर पिछले 3 सालों से औरत का ना होना साफ दिख रहा था। अमर के लिए उसका घर बस सोने की एक जगह बन कर रह गई थी।

71612579

अमर ने किचन में से कूड़ा सरकाते हुए काली को वहां अपना बिस्तर लगाने के लिए कहा और खुद अपने कमरे को अंदर से बंद कर सो गया। अमर को 5 साल बाद अपने घर में एक जवान लड़की का होना अजीब लग रहा था। अमर के मन में एक शैतान उसे चिढ़ा रहा था कि यह लड़की अब उसकी गुलाम है। अब अमर को देर रात को हिलाकर सोने की जरूरत नहीं।


अमर ने अपने कमरे में लगे TV पर पोर्न फिल्म लगाई और मूठ मारने लगा लेकिन काली से आवाज छुपाने के लिए उसने आवाज कम रखी। अमर हिलाने लगा पर उसे बार बार बाहर किचन में सोती काली याद आती और वह रुक जाता। आखिर में अमर ने TV बंद कर दिया और 3 सालों में पहली बार बिना मूठ मारे सो गया।


सुबह 6 बजे अमर उठा तो उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। उसका पूरा घर साफ होकर चमक रहा था। किचन ऐसे सजा था मानो अभी वहां पर खाना बनाने की शुरुवात हो। किचन की फर्श पर एक पतली चुनरी फैलाए उस पर थकी हुई काली सो रही थी। जाहिर सी बात थी कि जब वह मूठ मार रहा था काली जाग कर उसके घर को साफ कर रही थी।


काली सोते हुए बिलकुल बच्ची जैसी लग रही थी। उसकी ढीली कमीज बता रही थी कि यह किसी और से मिली पुरानी कमीज थी। कमीज का गला एक ओर मुड़ने से खुला रह गया था और काली की छोटी कसी हुई चूची और उसके ऊपर का काला अंगूर साफ दिख रहा था।


अपनी वहशी नजर से मासूम काली को बचाने के लिए अमर ने नीचे देखा। सोते हुए ठंड की वजह से काली ने अपने पैरों को मोड़ कर ऊपर उठाया था। काली की कमीज उठकर उसके सांवले रंग का कसा हुआ पेट और नीचे की ओर मूढ़ता अंग अनजाने में प्रदर्शित कर रही थी। काली की कमीज की तरह उसकी सलवार भी किसी और की उतरन थी। काली की सलवार उसकी पतली गांड़ पर खींच कर चिपकी हुई थी जिसमें से अंदर की खराब पुरानी पैंटी की लकीरें दिख रही थीं।


अमर ने काली के ऊपर एक चादर डाली तो वह हड़बड़ाकर जाग गई। अमर को अपने ऊपर देख कर काली ने खुद को छोटा कर लिया और माफी मांगने लगी।

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काली, “माफ कीजिए मालिक! मैं देर तक सोई! मैं अभी चाय बनाती हूं! एक मौका और दीजिए मालिक!”


अमर को इस डर से कांपती लड़की को देख कर अपने आप पर गुस्सा आया पर अंदर से शैतान सजा के मजेदार तरीके सुझाने लगा।


अमर, “तुम्हें डरने की कोई बात नही। तुमने कल रात को काफी मेहनत की है। देखो मैं सिर्फ सुबह की चाय घर पर लेता हूं। बाकी खाना बाहर होता है। लेकिन मैं पैसे छोड़ कर जा रहा हूं। तुम अपने खाने के लिए सामान भर लो। (कुछ सोच कर) कोई पूछे तो बताना की मैंने तुम्हें घर संभालने के लिए नौकरी पर रखा है और आज रात का खाना मैं घर पर खाऊंगा।”


अमर नहाकर बाहर आया तब तक काली ने उसके लिए चाय और बिस्किट रखे। अमर के जोर देने पर काली ने भी चाय बिस्किट लिए पर वह अमर के साथ कुर्सी पर बैठने को तयार नहीं थी। अमर कुर्सी पर बैठ कर बिस्किट के स्वाद का मजा लेती मासूम काली को देखता रहा। काली चाय में बिस्किट डुबोने के लिए झुकती और उसकी कमीज के गले से काले अंगूरों की जोड़ी अमर के साथ आंख मिचौली खेलती।


अमर ने उसी पल एक और फैसला किया।


अमर, “काली, तुम्हारी पोटली दिखाना!”


काली ने अपनी पूरी संपत्ति अमर के सामने चाय की मेज पर रख दी। अमर ने पोटली में देखा तो वहां वादे के मुताबिक काली के स्कूल के कागज थे। काली 18 साल की बालिक थी जिसे अमर कल रात का जमा माल बिस्किट की तरह खिला सकता था।


अमर ने अपने शैतानी विचारों को दबाकर काली के कपड़े देखे।


अमर, “काली, अब तुम मेरी गुलाम हो तो तुम मेरी जिम्मेदारी भी हो। तुम्हें न केवल ढंग के कपड़ों की जरूरत है पर सही पोषण और पढ़ाई की भी जरूरत है।”


काली सोचते हुए, “गाड़ी में फुलवा दीदी ने कहा था कि मर्द बस औरत को चोदना चाहते हैं। क्या यह पोषण और पढ़ाई उसका हिस्सा है?”


अमर ने कराहते हुए अपने जोरों से धड़कते 7 इंची लौड़े को दबाया और घुटी हुई हंसी निकलने दी।


अमर, “मुझे भरी हुई औरत पसंद है, सुखी टहनी भी तुम्हें देख कर शरमा जाए। रही बात पढ़ाई की तो, मेरे लिए यहां कागजात आ सकते हैं जिनके लिए तुम्हें दस्तखत करने के साथ उन्हें पढ़ना भी पड़ेगा।”


काली ने अपने सर को हिलाकर हां कहा तो अमर ने काली को दोपहर को तयार रहने को कहा। आज दोपहर काली के लिए नौकरों के हिसाब से कपड़े लिए जाने थे।


अमर ने दिए सामान की सूची लेकर काली अमर के पीछे पीछे बाहर निकली और कई किलो का सामान लेकर मालिक के घर लौटी। इतना सामान और इतना पैसा उसने एक साथ कभी देखा नहीं था।


अमर दोपहर को अपने घर 3 साल बाद आया था। अमर के आते की काली ने उसे खाना परोसा और खुद नीचे बैठ कर खाने लगी। खाना खाने के बाद अमर ने काली की ठीक डॉक्टरी जांच की ओर उसे कुछ टिके लगाए। अमर ने काली से कहा की उसे अपना वजन कुछ 15 किलो बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए काली को हर रोज सब्जियों के साथ खाने में दूध और पनीर रखना होगा।


काली के लिए यह सब अजीब और नया था। पर उसे असली धक्का तो कपड़े खरीदते हुए लगा।


अमर के साथ दुकान में जाकर कपड़ों की कीमत सुनकर काली लगभग बाहर दौड़ गई। अमर ने न केवल काली के लिए कपड़े खरीदे पर दुकान में काम करती लडकी के साथ भेजकर उसके लिए छोटे छोटे कपड़े भी खरीदे। उन छोटे कपड़ों को देख कर काली समझ गई कि मालिक उसके भरने का इंतजार नहीं करने वाले।


अमर ने काली को घर छोड़ा और वापस हॉस्पिटल लौट गया। शाम को हॉस्पिटल का काफी स्टाफ आपस में बोल रहा था कि शायद बड़े डॉक्टर साहब को कोई मिल गई है। साहब आज दोपहर को बाहर गए थे और शाम को भी देर तक रुकने को तयार नहीं है। सारा स्टाफ इस बात से हैरान था पर खुश भी।


शाम के 9 बजे अमर की गाड़ी हॉस्पिटल से निकली और बिना होटल में रुके सीधे उसके घर पहुंची। अमर नहीं जानता था कि उसे क्या देखने को मिलेगा और यह उसके लिए एक अनोखी बात थी।


अमर ने अपने घर में कदम रखा तो खाने की महक ने उसे लगभग धराशाई कर दिया। अमर को देख काली शर्माकर मुस्कुराई और खाना परोसने की तयारी करने लगी। अमर ने नहाकर कपड़े बदलते हुए अपने लौड़े पर कुछ देर ठंडा पानी डाल कर उस पर काबू पाया।


काली नीचे बैठने लगी तो अमर ने उसे आदेश दिया की वह उसके साथ बैठ कर खाना खाए। दोनों खाना खाने लगे और अमर ने काली के दिनचर्या के बारे में पूछा।


काली, “दोपहर को लौटने के बाद वैसे तो काम करने के लिए कुछ बचा नहीं था। इस लिए मैंने रसोईघर में खाने की किताब पढ़ी, खाना पकाने की तयारी की, आपके कपड़े धोए और बाकी वक्त में आपका कमरा साफ़ किया।”


काली के चेहरे का रंग और उसकी आंखें बता रही थी कि उसने अमर के कमरे में चलते TV की वीडियो को देखा था। अमर ने सोचा की यह लड़की होशियार लगती है और अगर यह घर में अकेली रही तो कोई इसे फुसलाने की कोशिश कर सकता है।


अमर, “पिछले 3 साल मैं यहां अकेला था तो शायद कुछ आदतें मुझे भी बदलनी होगी! खैर, मुझे लगता है की तुम्हारी उम्र के हिसाब से तुम्हें अपनी दसवीं कक्षा की पढ़ाई कर उसका इम्तिहान देना चाहिए।”


काली, “आप को अपनी गुलाम के लिए बदलने की कोई जरूरत नहीं है। मैं अपने गांव की सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी लड़कियों में से एक थी पर अगर आप चाहते हैं तो मैं इम्तिहान देने को तयार हूं।”


अमर मुस्कुराया और काली यह देख कर शरमा गई। अमर ने खाना खाने के बाद काली को बताया की उसे रसोई घर के फर्श पर नहीं सोना चाहिए और जब काली खाने के बर्तन रखने रसोई में गई तो उसने सोफे पर काली के सोने की जगह बनाई।


अमर बिना कुछ कहे अपने कमरे में चला गया और अपने बेड पर लेट कर छत को ताकने लगा। एक जवान लड़की पर मिल्कियत होना ऐसी ताकत थी जिसे काबू में रखना बेहद मुश्किल था। अमर ने अपनी आंखे बंद कर ली पर उसके सामने काली का बदन आ रहा था। अमर की तड़पती जवानी उसे यह सोचने पर मजबूर कर रही थी कि काली बिना उन मैले पुराने कपड़ों की कैसी होंगी।


अमर ने अपने मन को काबू में रखते हुए आह भरी जब उसे अपने कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज आई। अमर ने सोचा की काली कल सुबह के नाश्ते के बारे में पूछने आई थी तो उसने अपनी आंखें खोल कर अपने आप को तड़पाने से रोक लिया।


अमर आंखें बंद रख कर, “क्या हुआ काली?”


काली ने उसके बगल में खड़े होकर चुपके से, “मैं रसोई घर का काम कर चुकी हूं। क्या मुझे गद्दे पर सोना है?”


अमर गहरी सांस लेकर, “हां, तुम्हें आज से गद्दे पर ही सोना है।”


काली चुपके से, “मालिक, मैं तयार हूं!”


अमर काली की बात से चौंक गया और उसकी आंखे खुल गई। अमर के सामने काली खड़ी थी और अमर के अंदर का शैतान नाचने लगा।

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Lefty69

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रोमांचक अपडेट अगले अपडेट की प्रतीक्षा रहेगी
Thank you for returning to my collection and welcome to the story.

Please do send me your suggestions and ideas
 
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Ho sake to Fulwa ki tarah kali ki jindgi narak mat banana.
Kahani ek mazedaar start hua hai. Kali aage jaakar ek saktisali mahila ban sakti hai.
 

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Dr अमर अगले दिन शाम को 9 बजे हॉस्पिटल में से बाहर निकले तो गेट पर काली को देख कर दंग रह गए।


काली अपनी पोटली सीने से लगाए हाथ जोड़कर उसका इंतजार कर रही थी। अमर ने काली को पकड़कर अपनी गाड़ी में बिठाया और तेजी से वहां से निकल गया।


काली ने अपने हाथ बढ़ाए और अमर को उसके हजार रुपए लौटाए। अमर ने अपने माथे पर हाथ मार लिया और हक्का बक्का काली को देखता रहा।


अमर (गाड़ी सड़क किनारे लगाकर), “तुम यहां क्या कर रही हो?”


काली खुद्दारी से, “अपना सौदा पूरा कर रही हूं, मालिक। आप ने मुझे खरीदा है। अब आप का मुझ पर अधिकार है!”


अमर हजार रुपए दिखाकर लगभग चीखते हुए, “तुम अपने घर जा सकती थी!”


काली चुपके से, “मैं चोर नही हूं! नमक हराम भी नहीं!”


अमर अपने आप को काबू करते हुए दुबारा पैसे दिखाकर, “तुमने दो दिनों में कुछ खाया है?”


काली ने सर हिलाकर मना करते हुए, “आप ने बताया नहीं की पैसे किस लिए थे। मैं आप की इजाजत के बगैर कुछ नहीं कर सकती।”


अमर ने उसके हमेशा के होटल में गाड़ी रोकी। होटल में जाते ही उसके लिए खाने की थाली लाई गई। अमर ने काली के लिए भी एक थाली मंगवाई।


काली चुपके से, “आप मेरे साथ क्या करेंगे?”


अमर, “पहले खाना खाने को कहूंगा और फिर तुम्हें अपने घर ले जाऊंगा।”


काली, “आप की बीवी मुझे लेगी?”


अमर गुस्से से दबी आवाज में, “मेरी कोई बीवी नही! ना ही कभी बीवी होने वाली है!”


काली अपना सर हां मैं हिलाकर, “इसी लिए आप ने मुझे खरीदा!”


अमर, “देखो… (आस पास देख कर) इस बारे में बाद में बात करेंगे!”


दोनों चुपचाप खाना खाकर होटल से बाहर निकल गए। अमर काली को अपने घर ले आया तो काली अमर के घर को देखती रह गई।


अमर एक 1 बेडरूम हॉल किचन में रहता था पर पिछले 3 सालों से औरत का ना होना साफ दिख रहा था। अमर के लिए उसका घर बस सोने की एक जगह बन कर रह गई थी।

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अमर ने किचन में से कूड़ा सरकाते हुए काली को वहां अपना बिस्तर लगाने के लिए कहा और खुद अपने कमरे को अंदर से बंद कर सो गया। अमर को 5 साल बाद अपने घर में एक जवान लड़की का होना अजीब लग रहा था। अमर के मन में एक शैतान उसे चिढ़ा रहा था कि यह लड़की अब उसकी गुलाम है। अब अमर को देर रात को हिलाकर सोने की जरूरत नहीं।


अमर ने अपने कमरे में लगे TV पर पोर्न फिल्म लगाई और मूठ मारने लगा लेकिन काली से आवाज छुपाने के लिए उसने आवाज कम रखी। अमर हिलाने लगा पर उसे बार बार बाहर किचन में सोती काली याद आती और वह रुक जाता। आखिर में अमर ने TV बंद कर दिया और 3 सालों में पहली बार बिना मूठ मारे सो गया।


सुबह 6 बजे अमर उठा तो उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। उसका पूरा घर साफ होकर चमक रहा था। किचन ऐसे सजा था मानो अभी वहां पर खाना बनाने की शुरुवात हो। किचन की फर्श पर एक पतली चुनरी फैलाए उस पर थकी हुई काली सो रही थी। जाहिर सी बात थी कि जब वह मूठ मार रहा था काली जाग कर उसके घर को साफ कर रही थी।


काली सोते हुए बिलकुल बच्ची जैसी लग रही थी। उसकी ढीली कमीज बता रही थी कि यह किसी और से मिली पुरानी कमीज थी। कमीज का गला एक ओर मुड़ने से खुला रह गया था और काली की छोटी कसी हुई चूची और उसके ऊपर का काला अंगूर साफ दिख रहा था।


अपनी वहशी नजर से मासूम काली को बचाने के लिए अमर ने नीचे देखा। सोते हुए ठंड की वजह से काली ने अपने पैरों को मोड़ कर ऊपर उठाया था। काली की कमीज उठकर उसके सांवले रंग का कसा हुआ पेट और नीचे की ओर मूढ़ता अंग अनजाने में प्रदर्शित कर रही थी। काली की कमीज की तरह उसकी सलवार भी किसी और की उतरन थी। काली की सलवार उसकी पतली गांड़ पर खींच कर चिपकी हुई थी जिसमें से अंदर की खराब पुरानी पैंटी की लकीरें दिख रही थीं।


अमर ने काली के ऊपर एक चादर डाली तो वह हड़बड़ाकर जाग गई। अमर को अपने ऊपर देख कर काली ने खुद को छोटा कर लिया और माफी मांगने लगी।

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काली, “माफ कीजिए मालिक! मैं देर तक सोई! मैं अभी चाय बनाती हूं! एक मौका और दीजिए मालिक!”


अमर को इस डर से कांपती लड़की को देख कर अपने आप पर गुस्सा आया पर अंदर से शैतान सजा के मजेदार तरीके सुझाने लगा।


अमर, “तुम्हें डरने की कोई बात नही। तुमने कल रात को काफी मेहनत की है। देखो मैं सिर्फ सुबह की चाय घर पर लेता हूं। बाकी खाना बाहर होता है। लेकिन मैं पैसे छोड़ कर जा रहा हूं। तुम अपने खाने के लिए सामान भर लो। (कुछ सोच कर) कोई पूछे तो बताना की मैंने तुम्हें घर संभालने के लिए नौकरी पर रखा है और आज रात का खाना मैं घर पर खाऊंगा।”


अमर नहाकर बाहर आया तब तक काली ने उसके लिए चाय और बिस्किट रखे। अमर के जोर देने पर काली ने भी चाय बिस्किट लिए पर वह अमर के साथ कुर्सी पर बैठने को तयार नहीं थी। अमर कुर्सी पर बैठ कर बिस्किट के स्वाद का मजा लेती मासूम काली को देखता रहा। काली चाय में बिस्किट डुबोने के लिए झुकती और उसकी कमीज के गले से काले अंगूरों की जोड़ी अमर के साथ आंख मिचौली खेलती।


अमर ने उसी पल एक और फैसला किया।


अमर, “काली, तुम्हारी पोटली दिखाना!”


काली ने अपनी पूरी संपत्ति अमर के सामने चाय की मेज पर रख दी। अमर ने पोटली में देखा तो वहां वादे के मुताबिक काली के स्कूल के कागज थे। काली 18 साल की बालिक थी जिसे अमर कल रात का जमा माल बिस्किट की तरह खिला सकता था।


अमर ने अपने शैतानी विचारों को दबाकर काली के कपड़े देखे।


अमर, “काली, अब तुम मेरी गुलाम हो तो तुम मेरी जिम्मेदारी भी हो। तुम्हें न केवल ढंग के कपड़ों की जरूरत है पर सही पोषण और पढ़ाई की भी जरूरत है।”


काली सोचते हुए, “गाड़ी में फुलवा दीदी ने कहा था कि मर्द बस औरत को चोदना चाहते हैं। क्या यह पोषण और पढ़ाई उसका हिस्सा है?”


अमर ने कराहते हुए अपने जोरों से धड़कते 7 इंची लौड़े को दबाया और घुटी हुई हंसी निकलने दी।


अमर, “मुझे भरी हुई औरत पसंद है, सुखी टहनी भी तुम्हें देख कर शरमा जाए। रही बात पढ़ाई की तो, मेरे लिए यहां कागजात आ सकते हैं जिनके लिए तुम्हें दस्तखत करने के साथ उन्हें पढ़ना भी पड़ेगा।”


काली ने अपने सर को हिलाकर हां कहा तो अमर ने काली को दोपहर को तयार रहने को कहा। आज दोपहर काली के लिए नौकरों के हिसाब से कपड़े लिए जाने थे।


अमर ने दिए सामान की सूची लेकर काली अमर के पीछे पीछे बाहर निकली और कई किलो का सामान लेकर मालिक के घर लौटी। इतना सामान और इतना पैसा उसने एक साथ कभी देखा नहीं था।


अमर दोपहर को अपने घर 3 साल बाद आया था। अमर के आते की काली ने उसे खाना परोसा और खुद नीचे बैठ कर खाने लगी। खाना खाने के बाद अमर ने काली की ठीक डॉक्टरी जांच की ओर उसे कुछ टिके लगाए। अमर ने काली से कहा की उसे अपना वजन कुछ 15 किलो बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए काली को हर रोज सब्जियों के साथ खाने में दूध और पनीर रखना होगा।


काली के लिए यह सब अजीब और नया था। पर उसे असली धक्का तो कपड़े खरीदते हुए लगा।


अमर के साथ दुकान में जाकर कपड़ों की कीमत सुनकर काली लगभग बाहर दौड़ गई। अमर ने न केवल काली के लिए कपड़े खरीदे पर दुकान में काम करती लडकी के साथ भेजकर उसके लिए छोटे छोटे कपड़े भी खरीदे। उन छोटे कपड़ों को देख कर काली समझ गई कि मालिक उसके भरने का इंतजार नहीं करने वाले।


अमर ने काली को घर छोड़ा और वापस हॉस्पिटल लौट गया। शाम को हॉस्पिटल का काफी स्टाफ आपस में बोल रहा था कि शायद बड़े डॉक्टर साहब को कोई मिल गई है। साहब आज दोपहर को बाहर गए थे और शाम को भी देर तक रुकने को तयार नहीं है। सारा स्टाफ इस बात से हैरान था पर खुश भी।


शाम के 9 बजे अमर की गाड़ी हॉस्पिटल से निकली और बिना होटल में रुके सीधे उसके घर पहुंची। अमर नहीं जानता था कि उसे क्या देखने को मिलेगा और यह उसके लिए एक अनोखी बात थी।


अमर ने अपने घर में कदम रखा तो खाने की महक ने उसे लगभग धराशाई कर दिया। अमर को देख काली शर्माकर मुस्कुराई और खाना परोसने की तयारी करने लगी। अमर ने नहाकर कपड़े बदलते हुए अपने लौड़े पर कुछ देर ठंडा पानी डाल कर उस पर काबू पाया।


काली नीचे बैठने लगी तो अमर ने उसे आदेश दिया की वह उसके साथ बैठ कर खाना खाए। दोनों खाना खाने लगे और अमर ने काली के दिनचर्या के बारे में पूछा।


काली, “दोपहर को लौटने के बाद वैसे तो काम करने के लिए कुछ बचा नहीं था। इस लिए मैंने रसोईघर में खाने की किताब पढ़ी, खाना पकाने की तयारी की, आपके कपड़े धोए और बाकी वक्त में आपका कमरा साफ़ किया।”


काली के चेहरे का रंग और उसकी आंखें बता रही थी कि उसने अमर के कमरे में चलते TV की वीडियो को देखा था। अमर ने सोचा की यह लड़की होशियार लगती है और अगर यह घर में अकेली रही तो कोई इसे फुसलाने की कोशिश कर सकता है।


अमर, “पिछले 3 साल मैं यहां अकेला था तो शायद कुछ आदतें मुझे भी बदलनी होगी! खैर, मुझे लगता है की तुम्हारी उम्र के हिसाब से तुम्हें अपनी दसवीं कक्षा की पढ़ाई कर उसका इम्तिहान देना चाहिए।”


काली, “आप को अपनी गुलाम के लिए बदलने की कोई जरूरत नहीं है। मैं अपने गांव की सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी लड़कियों में से एक थी पर अगर आप चाहते हैं तो मैं इम्तिहान देने को तयार हूं।”


अमर मुस्कुराया और काली यह देख कर शरमा गई। अमर ने खाना खाने के बाद काली को बताया की उसे रसोई घर के फर्श पर नहीं सोना चाहिए और जब काली खाने के बर्तन रखने रसोई में गई तो उसने सोफे पर काली के सोने की जगह बनाई।


अमर बिना कुछ कहे अपने कमरे में चला गया और अपने बेड पर लेट कर छत को ताकने लगा। एक जवान लड़की पर मिल्कियत होना ऐसी ताकत थी जिसे काबू में रखना बेहद मुश्किल था। अमर ने अपनी आंखे बंद कर ली पर उसके सामने काली का बदन आ रहा था। अमर की तड़पती जवानी उसे यह सोचने पर मजबूर कर रही थी कि काली बिना उन मैले पुराने कपड़ों की कैसी होंगी।


अमर ने अपने मन को काबू में रखते हुए आह भरी जब उसे अपने कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज आई। अमर ने सोचा की काली कल सुबह के नाश्ते के बारे में पूछने आई थी तो उसने अपनी आंखें खोल कर अपने आप को तड़पाने से रोक लिया।


अमर आंखें बंद रख कर, “क्या हुआ काली?”


काली ने उसके बगल में खड़े होकर चुपके से, “मैं रसोई घर का काम कर चुकी हूं। क्या मुझे गद्दे पर सोना है?”


अमर गहरी सांस लेकर, “हां, तुम्हें आज से गद्दे पर ही सोना है।”


काली चुपके से, “मालिक, मैं तयार हूं!”


अमर काली की बात से चौंक गया और उसकी आंखे खुल गई। अमर के सामने काली खड़ी थी और अमर के अंदर का शैतान नाचने लगा।


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अब अमर का अगला कदम क्या होगा
 

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Ho sake to Fulwa ki tarah kali ki jindgi narak mat banana.
Kahani ek mazedaar start hua hai. Kali aage jaakar ek saktisali mahila ban sakti hai.
Fulva ki kahani uski apni thi, aap ke anusar Kaali ka kya hoga?
 

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Fulva ki kahani uski apni thi, aap ke anusar Kaali ka kya hoga?
I think make kali a influencial lady . Right now she got all available resources in the name of her master.

Her master should shape her tobe a good lover . And great woman.
I just want to see a girl with dark past to a great future.
As u say in the previous update she has the higher literacy in her village. Mean she is determine to learn new thing.

Or may be dr.amar use her as a weapon because who know he also have some past.
 
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