• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance Three Idiot's

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,137
115,932
354
Awesome update
लगता है मोहन को अपनी गांड़ में कोई कीड़ा है साला इतना सब होने के बाद भी फिर से रवि से पंगा ले लिया
मोहन जैसे लोग इस धरती पे बोझ है काम के ना काज के ढाई सर अनाज के । महेश ने कमला का सिर फोड़ दिया है लगता है अब जोगिंदर महेश की भी गांड़ तोड़ने वाला है
Let's see what happens...
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,137
115,932
354
Update - 09
━━━━━━━━━━━━━━

कहने के साथ ही रवि पलटा और कमला को जल्दी जल्दी हिलाने डुलाने लगा। कमला नीम बेहोशी की हालत में थी। रवि एकदम से ये सोच कर घबरा गया कि कहीं उसकी चाची मर ही न जाए। वो फ़ौरन ही उठ कर बाहर की तरफ भागा। बाहर इकट्ठा हो गए लोगों को देख कर कहने लगा कि उसकी चाची को अस्पताल ले जाने में कोई मदद कर दो। रवि के कहने पर एक दो लोग आगे आए। जल्दी ही कुछ लोगों की मदद से रवि कमला को ले कर अस्पताल की तरफ चल दिया। उसने अपने एक दोस्त को जोगिंदर के पास इसकी सूचना देने के लिए भेज दिया। आस पास अजीब सी सनसनी फैल गई थी।

अब आगे....


जोगिंदर भैंसों का दूध दुहने में लगा हुआ था कि तभी उसके पास एक लड़का भागते हुए आया और फिर एक ही सांस में उसने जो कुछ बताया उसे सुन कर जोगिंदर के पैरों तले से मानो ज़मीन ही खिसक गई। लड़के को वापस भेज कर वो फ़ौरन ही उठा और मंगू को आवाज़ दे कर बुलाया।

"मैं एक ज़रूरी काम से बाहर जा रहा हूं।" मंगू और बबलू के आते ही जोगिंदर ने कहा____"भैंसों और गायों का दूध निकाल कर कनस्तर में डलवा देना तुम लोग।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू लड़के की बात सुन चुका था इस लिए उसके जाने की बात से वो हैरान नहीं हुआ, बोला____"लेकिन अगर तुम्हें वापस आने में देरी हो गई तो? मेरा मतलब है कि अगर तुम समय से वापस नहीं आए तो फिर उस दूध का क्या करना है?"

"वैसे तो मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।" जोगिंदर ने बेचैन भाव से कुछ सोचते हुए कहा____"पर अगर न आ पाऊं तो सारा दूध घर में रख देना। बाकी तो तुझे पता ही है कि क्या करना है।"

मंगू ने सिर हिलाया तो जोगिंदर तेज़ क़दमों से तबेले से बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू ने राहत की तो सांस ली ही किंतु एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए भी। अभी वो मुस्कुरा ही रहे थे कि तभी जोगिंदर को वापस आता देख चौंके।

"और हां।" वापस आते ही जोगिंदर ने कहा____"उन नमूनों की ख़बर भी रखना। मुझे उन पर ज़रा भी भरोसा नहीं है। वो साले मौका मिलते ही यहां से भाग सकते हैं इस लिए ध्यान रखना कि वो यहां से भागने न पाएं। अगर वो यहां से भागे और वापसी में मुझे वो नज़र नहीं आए तो सोच लेना इसका अंजाम तुम दोनों के लिए भी बहुत बुरा हो सकता है।"

कहने के साथ ही जोगिंदर उनकी कोई बात बिना सुने ही पलटा और किसी तूफ़ान की तरह बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू एक बार फिर से मुस्कुरा उठे।

"मुझे तो लगता है कि उस्ताद को अपनी रांड कमला से ज़्यादा उन नमूनों की फ़िक्र है।" बबलू धीरे से हंसते हुए बोला____"तभी तो उनका ख़याल आते ही वापस आ कर ये सब बोल गया।"

"फिकर तो होगी ही बे।" मंगू ने कहा____"मुफ़्त में काम करने वाले तीन तीन नमूने जो मिल गए हैं उसे।"

"ये भी ठीक कहा तूने।" बबलू ने सिर हिलाया____"वैसे अगर उस्ताद हमें उन लोगों का ध्यान रखने को बोल कर न जाता तो हम लोग उन्हें यहां से भाग जाने को कह सकते थे। उनके लिए ये बढ़िया मौका हो सकता था भाग जाने का।"

"सही कह रहा है तू।" मंगू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"हम उन्हें यहां से भगा देते और बाद में उस्ताद को बोल देते कि वो भाग गए। हमारे पास सफाई देने का मस्त बहाना भी हो जाता। मतलब कि हम उस्ताद से कह देते कि तबेले में हम दोनों ही तो थे और दोनों ही मवेशियों का दूध निकाल रहे थे। ऐसे में हम भला कैसे उन नमूनों पर नज़र रख सकते थे? यानि वो नमूने मौका देख कर फरार हो गए।"

"बिल्कुल।" बबलू ने कहा____"हमारी बातें उस्ताद को समझ में आ ही जातीं। इतना तो वो समझता ही कि हम भला एक ही वक्त पर क्या क्या कर लेते? अगर उन नमूनों पर नज़र रखते तो यहां मवेशियों का दूध कैसे निकाल पाते और अगर यहां मवेशियों का दूध निकालने में लग जाते तो उन नमूनों पर नज़र कैसे रख सकते थे?"

"उस्ताद हाथ मलने के सिवा कुछ न कर पाता भाई।" मंगू ने कहा____"मगर अफ़सोस कि अब ऐसा हो ही नहीं पाएगा। वो बोल कर गया है कि उन पर नज़र रखनी है और वो लोग उसके आने पर उसे नज़र भी आने चाहिए। उन बेचारों की किस्मत ही ख़राब है। साला मस्त मौका था आज उनके लिए यहां से खिसक लेने का।"

"ख़ैर जाने दे।" बबलू ने कहा____"अब तो हमें उन पर नज़र रखनी ही होगी इस लिए उन्हें तबेले में ही बुला लेते हैं। यहां हमारी नज़रों के सामने रहेंगे तो ठीक रहेगा। ऐसे में हम अपना काम भी कर पाएंगे और उन पर नज़र भी रखे रहेंगे। साले सच में ही भाग गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे।"

कुछ ही देर में वो तीनों नमूनों को तबेले में बुला लाए। जगन और संपत तो थकान की वजह से मुर्दा से जान पड़ते थे किंतु मोहन की हालत इसके अलावा भी एक दूसरी वजह से ख़राब थी। मंगू ने उसे धीरे से बता दिया कि उसे फिलहाल चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि कमला किसी वजह से अस्पताल पहुंच गई है। मोहन को ये जान कर राहत तो हुई लेकिन अब वो ये सोचने लगा कि कमला अस्पताल कैसे पहुंच गई होगी?

"अबे तुझे क्या हुआ है बे पांचवीं फेल?" संपत ने मोहन को देखते हुए उससे पूछा____"साले सड़ी गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी?"

"भोसड़ी के गांड़ तोड़ देगा तेरी।" मोहन उसकी बात सुन तैश में आ गया____"अबे सड़ी गांड़ जैसी शकल तो तेरी है, बात करता है लौड़ा।"

"अरे! संपत तुझे पता है।" भैंस का दूध निकाल रहे मंगू ने थोड़ा ऊंची आवाज़ में कहा____"इसने फिर से रवि की गांड़ में उंगली कर दी है आज।"

"क...क्या???" संपत बुरी तरह चौंका, फिर हैरत से मोहन की तरफ देखते हुए बोला____"भोसड़ी के अब क्या कर दिया बे तूने? लौड़े माना कियेला था न तेरे को। अभी समझ आया अपन को कि तूने सडेली गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी।"

"बेटीचोद अब क्या किया है बे तूने?" जगन गुस्से में आया और मोहन का गिरेबान पकड़ कर गुर्राया____"लौड़े क्या बोला है तूने रवि को?"

"अबे अपन ने घंटा कुछ नहीं बोलेला है उसको।" मोहन डर तो गया था किंतु फिर भी पूरी अकड़ और आत्मविश्वास के साथ बोला____"उस लौड़े की ही गांड़ में खुजली हो रेली थी तो अपन ने भी पेल दिया उसको। तुझे तो पता ही है कि अपन भारी डेंजर आदमी है।"

"भोसड़ी के।" जगन को उसकी बात सुन कर इतना गुस्सा आया कि उसने उसे उठा कर एक झटके में कच्ची ज़मीन पर पटक दिया। दर्द के मारे मोहन के हलक से चीख निकल गई। उसे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि जगन उसके साथ ऐसा कर सकता है।

"बेटीचोद तेरी वजह से उस दिन अपन लोग की गांड़ तोड़ कुटाई हो गयेली थी।" जगन उसके ऊपर सवार हो कर गुस्से से चिल्लाया____"और अब फिर से कुटाई होगी अपन लोग की। भोसड़ी के कितनी बार बोला अपन कि ऐसी शेखी मत झाड़ा कर, पर लौड़ा तेरे को तो समझ में ही नहीं आता।"

"अबे जगन छोड़ दे बे उसको।" संपत ने हड़बड़ा कर जल्दी से जगन को पकड़ कर खींचा और फिर बोला____"अब से नहीं करेगा वो ऐसा, छोड़ दें उसे।"

"नहीं अभी ये करेगा लौड़ा।" जगन बेहद गुस्से में था____"अपन लोग लौड़ा ये सोच के इधर गांड़ घिस घिस के मरे जा रेले हैं कि किसी दिन मौका देख के इधर से खिसक लेंगे पर ये लौड़ा अपनी हरकतों से हर बार अपन लोग की कुटाई करवा देता है।"

जगन की बातें सुन मंगू और बबलू भी भैंसों का दूध निकालना छोड़ भागते हुए आ गए। दोनों ने उन्हें अलग किया। मोहन एकदम से ख़ामोश हो गया था किंतु बिगड़े हुए चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि जगन के पटक देने की वजह से उसे कहीं चोट लग गई है जिसके चलते उसे पीड़ा हो रही है।

"सालो अगर तुम लोगों को एक दूसरे की जान ही लेनी है तो कहीं दूर जा कर ले लो।" मंगू गुस्से से चीखते हुए बोला____"मगर यहां नहीं, समझे? जब से आए हो तब से तुम लोगों की वजह से हमारा भी चैन से जीना हराम हो गया है। इतना समझाने के बाद भी अगर तुम लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा तो भाड़ में जाओ तुम तीनों। हम लोग भी अब से तुम्हारी कोई मदद नहीं करेंगे। एक तो काम कर कर के वैसे ही बुरा हाल है दूसरे भूख से जल्दी ही मर जाओगे यहां।"

मंगू की बातों का फ़ौरन ही असर हुआ। जगन का सारा गुस्सा गायब हो गया और वो मंगू के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।

"भाई अपन को माफ़ कर दो।" फिर उसने संजीदा भाव से कहा____"पर यकीन मानो अपन लोग भी यही चाहते हैं कि कोई लफड़ा न हो। बेटीचोद ये सब इसकी वजह से हो रेला है। इसे ही समझ नहीं आ रेला है कि अपन लोग को कैसे रहना चाहिए इधर। ये लौड़ा खुद तो पिटता ही है उल्टा अपन लोग को भी पिटवा देता है। अपन को समझ में नहीं आ रेला है कि इसका क्या करे अपन? पिछली रात इस लौड़े को बुखार आ गयेला था। बेटीचोद अपन की तो जान ही निकल गयेली थी पर इसको क्या? अपन लोग मरे या जिएं।"

कहते कहते जगन रो ही पड़ा। संपत की भी आंखें नम हो गईं। ये देख सहसा मोहन उठा और झपट कर जगन से लिपट गया। अगले ही पल उसकी सिसकियां फिज़ा में गूंजने लगीं। मंगू और बबलू को समझ न आया कि अब क्या बोले? बड़े ही विचित्र थे तीनों। उधर मोहन को अपने से लिपट गया देख जगन ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर आस्तीन से अपने आंसू पोंछने लगा। कुछ देर बाद मंगू और बबलू ने शांत भाव से उन्हें फिर से समझाना शुरू कर दिया।

[][][][][][]

जोगिंदर अपनी मोटर साइकिल से जल्दी ही अस्पताल पहुंच गया। वहां पर उसे रवि मिल गया। पूछने पर रवि ने उसे सारा किस्सा बता दिया कि कैसे उसके चाचा ने उसकी चाची को लाठी से मारा था जिसके चलते कमला का माथा फट गया। रवि का चेहरा ही बता रहा था कि वो बेहद दुखी था। उसकी आंखों में आसूं थे।

"अभी कहां है कमला?" जोगिंदर ने उससे पूछा तो रवि ने हाथ के इशारे से बताया कि डॉक्टर उसे उस तरफ वाले कमरे में ले गए हैं।

जोगिंदर ने देखा उस कमरे के ऊपर लाल रंग का बल्ब जल रहा था। मतलब कमला को ऑपरेशन रूम में ले जाया गया था। ये देख जोगिंदर के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं।

"चाची को कुछ होगा तो नहीं न उस्ताद?" रवि ने दुखी हो कर जोगिंदर से पूछा____"भगवान के लिए मेरी चाची को बचा लो उस्ताद।"

"चिंता मत कर।" जोगिंदर ने उसे दिलासा देते हुए कहा____"कुछ नहीं होगा कमला को। बस ज़रा सी चोट ही तो लगी है उसे। डॉक्टर जल्दी ही उसे ठीक कर देंगे।"

जोगिंदर के ऐसा कहने पर रवि के चेहरे पर राहत के चिन्ह नज़र आए। उसके बाद वो कुछ नहीं बोला। जोगिंदर भी खामोश रहा, ये अलग बात है कि उसके चेहरे पर कई तरह के भावों का आना जाना लगा रहा। कुछ देर बाद जोगिंदर ने रवि को पास ही रखी बेंच पर बैठा दिया और खुद आगे बढ़ गया।

कुछ समय बाद उस कमरे का दरवाज़ा खुला और डॉक्टर बाहर आया तो रवि फ़ौरन ही उठ कर डॉक्टर के पास पहुंच गया। अभी वो डॉक्टर से कुछ कहने ही वाला था कि तभी जोगिंदर भी आ गया। उसने डॉक्टर से कमला के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि मरीज़ अब किसी भी तरह के ख़तरे से बाहर है। ये सुन कर जोगिंदर और रवि दोनों ने ही राहत की सांस ली। डॉक्टर ने बताया कि कमला फिलहाल अभी बेहोशी की हालत में है इस लिए जब उसे होश आ जाएगा तो वो उसे ले जाने की इजाज़त दे देगा।

कमला के इलाज़ में जो खर्च आया उसे जोगिंदर ने अदा कर दिया। अब क्योंकि जोगिंदर अपना काम छोड़ कर आया था इस लिए उसके पास ज़्यादा रुकने का समय भी नहीं था। उसने रवि को कुछ पैसे दिए ताकि वो कोई वाहन कर के कमला को सुरक्षित अस्पताल से घर ले जाए।

जोगिंदर के जाने के कुछ देर बाद ही कमला को दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। ये देख रवि फ़ौरन ही उस कमरे में कमला के पास पहुंच गया। उसने देखा कमला के माथे पर मरहम पट्टी की हुई थी। उसकी आंखें अभी भी बंद थीं। उसको इस हालत में देख रवि की आंखें एक बार फिर से नम हो गईं। कमरे में और भी बिस्तर थे किंतु इस वक्त उनमें कोई नहीं था। रवि कमला के बिस्तर पर ही जा कर बैठ गया और कमला के एक हाथ को अपने हाथ में ले कर उसकी तरफ देखने लगा। अभी वो देख ही रहा था कि तभी कमरे में किसी के आने की आहट हुई जिससे रवि ने गर्दन घुमा कर दरवाज़े की तरफ देखा।

दरवाज़े से उसकी मां निर्मला और कमला की बेटी शालू अंदर दाखिल होती दिखीं। शालू अपनी मां की ऐसी हालत देखते ही भागते हुए आई और अपनी मां से लिपट गई। वो बुरी तरह रोने लगी थी। उधर निर्मला की भी आंखों से आंसू बह चले थे। रवि ने शालू को किसी तरह सम्हाला और उसे कमला से ये कह कर अलग हो जाने को कहा कि इससे उसकी मां को तकलीफ़ हो सकती है। शालू अठारह साल की लड़की थी। जवानी की दहलीज़ को पार कर चुकी थी, ऐसा उसके जिस्म को देख कर लगता था। वो रंगत से अपनी मां की ही तरह थोड़ी सांवली थी किंतु नैन नक्श काफी आकर्षक थे। चेहरे पर दुनिया भर की मासूमियत थी।

आख़िर कुछ समय बाद कमला को होश आया तो सबके चेहरे खिल उठे। खुशी से सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े। कमला की नज़र जब अपनी जेठानी निर्मला पर पड़ी तो वो हल्के से चौंकी और फिर जब उसने उसकी आंखों में आसूं देखे तो उसे ये सोच कर दुख हुआ कि जिस जेठानी पर अक्सर वो धौंस जमा के रखती है वो इस वक्त उसकी ऐसी हालत पर दुखी हो के आंसू बहा रही थी। कमला को एकाएक आत्म ग्लानि सी हुई।

"शुकर है ऊपर वाले का कि तुझे कुछ नहीं हुआ।" निर्मला ने कमला के सिर पर बड़े स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा____"मुझे जब पता चला तो मेरी तो जान ही निकल गई थी। भला क्या ज़रूरत थी तुझे महेश से उलझने की? वो पैसे मांग रहा था तो दे देती उसे।"

"कैसे दे देती दीदी?" कमला ने आहत भाव से कहा____"पैसे क्या किसी पेड़ में उगते हैं जिन्हें मैं पेड़ से तोड़ कर लाती हूं? अरे! मेहनत मजदूरी कर के एक एक रुपिया लाती हूं ताकि उससे घर का खर्चा चला सकूं और थोड़ी बहुत अपनी बेटी के ब्याह के लिए भी इकट्ठा कर सकूं मगर तुम्हारा वो देवर रोज़ उस पैसे को अपनी शराब में उड़ा देता है। अगर उसे पीना ही है तो खुद कमा के पिए। खुद को मेरा मरद कहता है और उसे इतना भी पता नहीं है कि मरद की क्या क्या ज़िम्मेदारियां होती हैं। ना उसे कमाने से मतलब है, ना उसे घर का खर्चा चलाने से मतलब है, मतलब है तो सिर्फ पीने से।"

"मैं सब जानती हूं कमला।" निर्मला ने कहा____"लेकिन ये भी जानती हूं कि वो अब सुधरने वाला भी नहीं है और अगर वो सुधरना भी चाहे तो उसके यार लोग उसे सुधरने नहीं देंगे। तू मुझसे वादा कर कि आज के बाद तू उससे नहीं उलझेगी और ना ही उससे कोई झगड़ा करेगी। अगर इसी तरह झगड़ती रहेगी तो किसी दिन बहुत बुरा हो जाएगा। आज उसने तेरा सिर फोड़ा है किसी दिन इससे भी ज़्यादा बुरा कर देगा वो। नशे में उसे ये पता ही नहीं रहता कि वो किसके साथ क्या कर रहा है? अगर तुझे कुछ हो गया तो तेरे बच्चों का क्या होगा? तेरी जवान बेटी है, क्या उसे अपने शराबी मरद के भरोसे छोड़ जाएगी? अरे! ऊपर वाले ने बेटी दी है तो कहीं न कहीं से उसको ब्याहने का इंतजाम भी वो कर ही देगा।"

"मां सही कह रही है चाची।" रवि ने कहा____"तुम्हें शालू के ब्याह की चिंता नहीं करनी चाहिए और फिर मैं भी तो हूं। वो मेरी भी तो बहन है। क्या तुम ये समझती हो कि मेरा मेरी बहन के प्रति कोई फर्ज़ नहीं है या फिर ये समझती हो कि मैं तुम्हारा कुछ लगता ही नहीं हूं?"

"नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है रवि।" कमला एकाएक दुखी हो कर बोल पड़ी____"तुम सब मेरे अपने ही तो हो।"

"तो फिर अब से तुम्हें ना तो शालू के ब्याह की चिंता करनी है।" रवि ने मजबूत लहजे में कहा____"और ना ही चाचा से लड़ाई झगड़ा करने की ज़रूरत है। तुमसे जितना हो सकता है करो, बाकी मैं तो हूं ही। तुम देखना, जिस दिन शालू का ब्याह होगा उस दिन तमाशा देखने वाले लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। मैं अपनी बहन का ब्याह बड़े धूम धाम से करूंगा।"

"लगता है मेरा बेटा सच में अब बड़ा हो गया है।" कमला ने भाव विभोर दृष्टि से रवि को देखते हुए कहा____"अपने बेटे की ये बात सुन कर अब मैं सच में बेफ़िक्र हो गई हूं।"

"रवि तू जा कर ज़रा डॉक्टर से पूछ कि अब हम कमला को ले जाएं कि नहीं?" निर्मला ने रवि से कहा।

डॉक्टर की इजाज़त मिलते ही रवि कमला को ले कर अस्पताल से चल पड़ा। जोगिंदर ने क्योंकि पैसे दिए थे इस लिए उसने एक ऑटो किया और उसमें बैठ कर सब लोग घर आ गए।

कमला का घर कच्चा ही था जिसमें दो कमरे थे और एक बरामदा। कमला को एक कमरे में बिस्तर पर लेटा दिया रवि ने। महेश घर पर नहीं था। आस पास के लोगों को जब पता चला कि कमला अस्पताल से वापस आ गई है तो कुछ औरतें उसे देखने के लिए उसके घर में आ गईं।

[][][][][][]

"ये तीनों यहां बैठे आराम क्यों फरमा रहे हैं बे बबलू?" जोगिंदर ने तबेले में घुसते ही जब तीनों नमूनों को आराम से बैठे देखा तो गुस्से से दहाड़ उठा। उसकी आवाज़ सुन कर जहां तीनों नमूनों की गाड़ फट गई वहीं मंगू और बबलू भी उछल पड़े।

"इन लोगों को मैंने ही यहां बैठे रहने को कहा था उस्ताद।" बबलू ने फ़ौरन ही जैसे मोर्चा सम्हाला____"वो असल में बात ये थी कि मवेशियों का दूध भी निकालना था और इन लोगों पर नज़र भी रखनी थी। मैंने सोचा दोनों काम एक साथ तो हो नहीं सकते क्योंकि अगर हम मवेशियों का दूध निकालने में ब्यस्त हो जाते तो ये लोग मौका देख कर यहां से भाग जाते। इस लिए मैंने सोचा कि इन्हें यहीं बुला लेता हूं। यहां ये लोग हमारी नज़र में भी रहेंगे और हम अपना काम भी करते रहेंगे।"

"वाह! शाबाश, ये बिल्कुल ठीक किया तूने।" जोगिंदर का गुस्सा एकदम ठंडा पड़ गया, बोला____"तुम्हारी बुद्धिमानी देख कर बहुत खुशी हुई मुझे। ख़ैर एक काम करो, अब से इन लोगों को भी मवेशियों का दूध दुहने का काम दे दो। मैं चाहता हूं कि ये साले आराम करने के लिए ज़मीन पर अपनी गांड़ न रखने पाएं। कोल्हू के बैल की तरह दिन भर पेरते रहो इन नमूनों को।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू ने कहा____"लेकिन उस्ताद मुझे लगता है कि इन लोगों को अभी मवेशियों का दूध निकालना नहीं आएगा तो पहले इन्हें सिखाना पड़ेगा कि दूध कैसे निकाला जाता है?"

"हां ये भी ठीक कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"इन सालों ने अपने अब तक के जीवन में चोरी चकारी के अलावा कोई काम तो किया नहीं है इस लिए इन्हें पहले हर काम करना ही सिखाओ।"

"बिल्कुल उस्ताद।" मंगू ने कहा____"आज तो मवेशियों का दूध निकाला जा चुका है इस लिए कल सुबह से इनकी क्लास शुरू करते हैं।"

"सारा दूध घर में रखवा दिया है न?" जोगिंदर ने बबलू से पूछा____"शहर में एक सेठ से बड़ा ऑर्डर मिला है। उसे बीस किलो खोवा और दस किलो घी चाहिए।"

"हो जाएगा उस्ताद।" मंगू ने सिर हिलाया____"घी तो पुराना भी कुछ रखा हुआ है।"

"हम्म्म्म।" जोगिंदर ने कहा____"ख़ैर, कमला तो अब कुछ दिनों आएगी नहीं इस लिए तुम लोगों को अब थोड़ा ज़्यादा मेहनत करनी होगी। पहले वो खोवा और घी वाला काम कर लेती थी किंतु अब ये सब तुम लोगों को ही करना होगा। बिरजू भी नहीं है यहां, वो साला परसों ही आएगा।"

"टेंशन मत लो उस्ताद।" मंगू ने कहा____"सब हो जाएगा। वैसे सेठ को खोवा और घी कब चाहिए?"

"परसों सुबह देना होगा उसे।" जोगिंदर ने कहा____"सुबह का सारा दूध तो शहर में बेच दिया जाता है। शाम वाले दूध से ही खोवा और घी का निर्माण किया जाता है। इस लिए हमें पूरी कोशिश करनी है कि बीस किलो खोवा और दस किलो घी परसों सुबह तब हो ही जाए।"

"ठीक है उस्ताद।" बबलू ने कहा____"हम पूरी कोशिश करेंगे। वैसे इस काम के लिए एक दो लोग और होते तो थोड़ा आसानी हो जाती हमें।"

"अबे तो ये नमूने किस लिए हैं?" जोगिंदर ने कहा____"इन तीनों से आज रात खोवा औटने का काम करवाओ।"

"इन लोगों के भरोसे ये काम नहीं हो सकता उस्ताद।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"इन लोगों को तो तुम जानते ही हो। अगर इन्होंने कुछ गड़बड़ कर दी तो भारी नुकसान हो सकता है।"

"हां ये भी सही कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"ये साले मेरा नुकसान ज़रूर कर सकते हैं। अच्छा चल ठीक है, मैं एक दो लोगों को पकड़ के लाता हूं इस काम के लिए।"

ये कह कर जोगिंदर ने पहले तीनों नमूनों की तरफ देखा और फिर पलट कर चला गया। उसके जाने के बाद जगन संपत और मोहन ने राहत की थोड़ी नहीं बल्कि तगड़ी सांस ली।

"बेटीचोद एक तो वैसे ही दिन भर काम कर कर के अपन लोग का बुरा हाल हो रेला है।" मोहन अपनी आदत से मजबूर बोल पड़ा____"ऊपर से ये मुछाड़िया रात में भी अपन लोग की गांड़ मार लेने का काम दे दियेला था। अपन सच कहता है, अगर सच में अपन लोग रात में ये काम करते तो पक्का अपन लोग का टिकट ऊपर के लिए कट जाना था। लौड़ा अपन के मरे हुए अम्मा बापू ने बचा लिया अपन लोग को।"

"भोसड़ी के फिर से बोला तू।" जगन ने गुस्से से उसे देखा तो उसने हड़बड़ा कर फ़ौरन ही अपने मुंह पर हाथ रख लिया। ये देख जहां संपत सिर्फ सिर हिला कर रह गया वहीं मंगू और बबलू ये कह कर हंसने लगे कि ये साला नहीं सुधरेगा।

━━━━━━━━━━━━━━
 

the king of strong

Life is too short be happy and stay happy
Banned
3,618
1,112
144
Update - 09
━━━━━━━━━━━━━━

कहने के साथ ही रवि पलटा और कमला को जल्दी जल्दी हिलाने डुलाने लगा। कमला नीम बेहोशी की हालत में थी। रवि एकदम से ये सोच कर घबरा गया कि कहीं उसकी चाची मर ही न जाए। वो फ़ौरन ही उठ कर बाहर की तरफ भागा। बाहर इकट्ठा हो गए लोगों को देख कर कहने लगा कि उसकी चाची को अस्पताल ले जाने में कोई मदद कर दो। रवि के कहने पर एक दो लोग आगे आए। जल्दी ही कुछ लोगों की मदद से रवि कमला को ले कर अस्पताल की तरफ चल दिया। उसने अपने एक दोस्त को जोगिंदर के पास इसकी सूचना देने के लिए भेज दिया। आस पास अजीब सी सनसनी फैल गई थी।

अब आगे....


जोगिंदर भैंसों का दूध दुहने में लगा हुआ था कि तभी उसके पास एक लड़का भागते हुए आया और फिर एक ही सांस में उसने जो कुछ बताया उसे सुन कर जोगिंदर के पैरों तले से मानो ज़मीन ही खिसक गई। लड़के को वापस भेज कर वो फ़ौरन ही उठा और मंगू को आवाज़ दे कर बुलाया।

"मैं एक ज़रूरी काम से बाहर जा रहा हूं।" मंगू और बबलू के आते ही जोगिंदर ने कहा____"भैंसों और गायों का दूध निकाल कर कनस्तर में डलवा देना तुम लोग।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू लड़के की बात सुन चुका था इस लिए उसके जाने की बात से वो हैरान नहीं हुआ, बोला____"लेकिन अगर तुम्हें वापस आने में देरी हो गई तो? मेरा मतलब है कि अगर तुम समय से वापस नहीं आए तो फिर उस दूध का क्या करना है?"

"वैसे तो मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।" जोगिंदर ने बेचैन भाव से कुछ सोचते हुए कहा____"पर अगर न आ पाऊं तो सारा दूध घर में रख देना। बाकी तो तुझे पता ही है कि क्या करना है।"

मंगू ने सिर हिलाया तो जोगिंदर तेज़ क़दमों से तबेले से बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू ने राहत की तो सांस ली ही किंतु एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए भी। अभी वो मुस्कुरा ही रहे थे कि तभी जोगिंदर को वापस आता देख चौंके।

"और हां।" वापस आते ही जोगिंदर ने कहा____"उन नमूनों की ख़बर भी रखना। मुझे उन पर ज़रा भी भरोसा नहीं है। वो साले मौका मिलते ही यहां से भाग सकते हैं इस लिए ध्यान रखना कि वो यहां से भागने न पाएं। अगर वो यहां से भागे और वापसी में मुझे वो नज़र नहीं आए तो सोच लेना इसका अंजाम तुम दोनों के लिए भी बहुत बुरा हो सकता है।"

कहने के साथ ही जोगिंदर उनकी कोई बात बिना सुने ही पलटा और किसी तूफ़ान की तरह बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू एक बार फिर से मुस्कुरा उठे।

"मुझे तो लगता है कि उस्ताद को अपनी रांड कमला से ज़्यादा उन नमूनों की फ़िक्र है।" बबलू धीरे से हंसते हुए बोला____"तभी तो उनका ख़याल आते ही वापस आ कर ये सब बोल गया।"

"फिकर तो होगी ही बे।" मंगू ने कहा____"मुफ़्त में काम करने वाले तीन तीन नमूने जो मिल गए हैं उसे।"

"ये भी ठीक कहा तूने।" बबलू ने सिर हिलाया____"वैसे अगर उस्ताद हमें उन लोगों का ध्यान रखने को बोल कर न जाता तो हम लोग उन्हें यहां से भाग जाने को कह सकते थे। उनके लिए ये बढ़िया मौका हो सकता था भाग जाने का।"

"सही कह रहा है तू।" मंगू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"हम उन्हें यहां से भगा देते और बाद में उस्ताद को बोल देते कि वो भाग गए। हमारे पास सफाई देने का मस्त बहाना भी हो जाता। मतलब कि हम उस्ताद से कह देते कि तबेले में हम दोनों ही तो थे और दोनों ही मवेशियों का दूध निकाल रहे थे। ऐसे में हम भला कैसे उन नमूनों पर नज़र रख सकते थे? यानि वो नमूने मौका देख कर फरार हो गए।"

"बिल्कुल।" बबलू ने कहा____"हमारी बातें उस्ताद को समझ में आ ही जातीं। इतना तो वो समझता ही कि हम भला एक ही वक्त पर क्या क्या कर लेते? अगर उन नमूनों पर नज़र रखते तो यहां मवेशियों का दूध कैसे निकाल पाते और अगर यहां मवेशियों का दूध निकालने में लग जाते तो उन नमूनों पर नज़र कैसे रख सकते थे?"

"उस्ताद हाथ मलने के सिवा कुछ न कर पाता भाई।" मंगू ने कहा____"मगर अफ़सोस कि अब ऐसा हो ही नहीं पाएगा। वो बोल कर गया है कि उन पर नज़र रखनी है और वो लोग उसके आने पर उसे नज़र भी आने चाहिए। उन बेचारों की किस्मत ही ख़राब है। साला मस्त मौका था आज उनके लिए यहां से खिसक लेने का।"

"ख़ैर जाने दे।" बबलू ने कहा____"अब तो हमें उन पर नज़र रखनी ही होगी इस लिए उन्हें तबेले में ही बुला लेते हैं। यहां हमारी नज़रों के सामने रहेंगे तो ठीक रहेगा। ऐसे में हम अपना काम भी कर पाएंगे और उन पर नज़र भी रखे रहेंगे। साले सच में ही भाग गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे।"

कुछ ही देर में वो तीनों नमूनों को तबेले में बुला लाए। जगन और संपत तो थकान की वजह से मुर्दा से जान पड़ते थे किंतु मोहन की हालत इसके अलावा भी एक दूसरी वजह से ख़राब थी। मंगू ने उसे धीरे से बता दिया कि उसे फिलहाल चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि कमला किसी वजह से अस्पताल पहुंच गई है। मोहन को ये जान कर राहत तो हुई लेकिन अब वो ये सोचने लगा कि कमला अस्पताल कैसे पहुंच गई होगी?

"अबे तुझे क्या हुआ है बे पांचवीं फेल?" संपत ने मोहन को देखते हुए उससे पूछा____"साले सड़ी गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी?"

"भोसड़ी के गांड़ तोड़ देगा तेरी।" मोहन उसकी बात सुन तैश में आ गया____"अबे सड़ी गांड़ जैसी शकल तो तेरी है, बात करता है लौड़ा।"

"अरे! संपत तुझे पता है।" भैंस का दूध निकाल रहे मंगू ने थोड़ा ऊंची आवाज़ में कहा____"इसने फिर से रवि की गांड़ में उंगली कर दी है आज।"

"क...क्या???" संपत बुरी तरह चौंका, फिर हैरत से मोहन की तरफ देखते हुए बोला____"भोसड़ी के अब क्या कर दिया बे तूने? लौड़े माना कियेला था न तेरे को। अभी समझ आया अपन को कि तूने सडेली गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी।"

"बेटीचोद अब क्या किया है बे तूने?" जगन गुस्से में आया और मोहन का गिरेबान पकड़ कर गुर्राया____"लौड़े क्या बोला है तूने रवि को?"

"अबे अपन ने घंटा कुछ नहीं बोलेला है उसको।" मोहन डर तो गया था किंतु फिर भी पूरी अकड़ और आत्मविश्वास के साथ बोला____"उस लौड़े की ही गांड़ में खुजली हो रेली थी तो अपन ने भी पेल दिया उसको। तुझे तो पता ही है कि अपन भारी डेंजर आदमी है।"

"भोसड़ी के।" जगन को उसकी बात सुन कर इतना गुस्सा आया कि उसने उसे उठा कर एक झटके में कच्ची ज़मीन पर पटक दिया। दर्द के मारे मोहन के हलक से चीख निकल गई। उसे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि जगन उसके साथ ऐसा कर सकता है।

"बेटीचोद तेरी वजह से उस दिन अपन लोग की गांड़ तोड़ कुटाई हो गयेली थी।" जगन उसके ऊपर सवार हो कर गुस्से से चिल्लाया____"और अब फिर से कुटाई होगी अपन लोग की। भोसड़ी के कितनी बार बोला अपन कि ऐसी शेखी मत झाड़ा कर, पर लौड़ा तेरे को तो समझ में ही नहीं आता।"

"अबे जगन छोड़ दे बे उसको।" संपत ने हड़बड़ा कर जल्दी से जगन को पकड़ कर खींचा और फिर बोला____"अब से नहीं करेगा वो ऐसा, छोड़ दें उसे।"

"नहीं अभी ये करेगा लौड़ा।" जगन बेहद गुस्से में था____"अपन लोग लौड़ा ये सोच के इधर गांड़ घिस घिस के मरे जा रेले हैं कि किसी दिन मौका देख के इधर से खिसक लेंगे पर ये लौड़ा अपनी हरकतों से हर बार अपन लोग की कुटाई करवा देता है।"

जगन की बातें सुन मंगू और बबलू भी भैंसों का दूध निकालना छोड़ भागते हुए आ गए। दोनों ने उन्हें अलग किया। मोहन एकदम से ख़ामोश हो गया था किंतु बिगड़े हुए चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि जगन के पटक देने की वजह से उसे कहीं चोट लग गई है जिसके चलते उसे पीड़ा हो रही है।

"सालो अगर तुम लोगों को एक दूसरे की जान ही लेनी है तो कहीं दूर जा कर ले लो।" मंगू गुस्से से चीखते हुए बोला____"मगर यहां नहीं, समझे? जब से आए हो तब से तुम लोगों की वजह से हमारा भी चैन से जीना हराम हो गया है। इतना समझाने के बाद भी अगर तुम लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा तो भाड़ में जाओ तुम तीनों। हम लोग भी अब से तुम्हारी कोई मदद नहीं करेंगे। एक तो काम कर कर के वैसे ही बुरा हाल है दूसरे भूख से जल्दी ही मर जाओगे यहां।"

मंगू की बातों का फ़ौरन ही असर हुआ। जगन का सारा गुस्सा गायब हो गया और वो मंगू के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।

"भाई अपन को माफ़ कर दो।" फिर उसने संजीदा भाव से कहा____"पर यकीन मानो अपन लोग भी यही चाहते हैं कि कोई लफड़ा न हो। बेटीचोद ये सब इसकी वजह से हो रेला है। इसे ही समझ नहीं आ रेला है कि अपन लोग को कैसे रहना चाहिए इधर। ये लौड़ा खुद तो पिटता ही है उल्टा अपन लोग को भी पिटवा देता है। अपन को समझ में नहीं आ रेला है कि इसका क्या करे अपन? पिछली रात इस लौड़े को बुखार आ गयेला था। बेटीचोद अपन की तो जान ही निकल गयेली थी पर इसको क्या? अपन लोग मरे या जिएं।"

कहते कहते जगन रो ही पड़ा। संपत की भी आंखें नम हो गईं। ये देख सहसा मोहन उठा और झपट कर जगन से लिपट गया। अगले ही पल उसकी सिसकियां फिज़ा में गूंजने लगीं। मंगू और बबलू को समझ न आया कि अब क्या बोले? बड़े ही विचित्र थे तीनों। उधर मोहन को अपने से लिपट गया देख जगन ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर आस्तीन से अपने आंसू पोंछने लगा। कुछ देर बाद मंगू और बबलू ने शांत भाव से उन्हें फिर से समझाना शुरू कर दिया।

[][][][][][]

जोगिंदर अपनी मोटर साइकिल से जल्दी ही अस्पताल पहुंच गया। वहां पर उसे रवि मिल गया। पूछने पर रवि ने उसे सारा किस्सा बता दिया कि कैसे उसके चाचा ने उसकी चाची को लाठी से मारा था जिसके चलते कमला का माथा फट गया। रवि का चेहरा ही बता रहा था कि वो बेहद दुखी था। उसकी आंखों में आसूं थे।

"अभी कहां है कमला?" जोगिंदर ने उससे पूछा तो रवि ने हाथ के इशारे से बताया कि डॉक्टर उसे उस तरफ वाले कमरे में ले गए हैं।

जोगिंदर ने देखा उस कमरे के ऊपर लाल रंग का बल्ब जल रहा था। मतलब कमला को ऑपरेशन रूम में ले जाया गया था। ये देख जोगिंदर के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं।

"चाची को कुछ होगा तो नहीं न उस्ताद?" रवि ने दुखी हो कर जोगिंदर से पूछा____"भगवान के लिए मेरी चाची को बचा लो उस्ताद।"

"चिंता मत कर।" जोगिंदर ने उसे दिलासा देते हुए कहा____"कुछ नहीं होगा कमला को। बस ज़रा सी चोट ही तो लगी है उसे। डॉक्टर जल्दी ही उसे ठीक कर देंगे।"

जोगिंदर के ऐसा कहने पर रवि के चेहरे पर राहत के चिन्ह नज़र आए। उसके बाद वो कुछ नहीं बोला। जोगिंदर भी खामोश रहा, ये अलग बात है कि उसके चेहरे पर कई तरह के भावों का आना जाना लगा रहा। कुछ देर बाद जोगिंदर ने रवि को पास ही रखी बेंच पर बैठा दिया और खुद आगे बढ़ गया।

कुछ समय बाद उस कमरे का दरवाज़ा खुला और डॉक्टर बाहर आया तो रवि फ़ौरन ही उठ कर डॉक्टर के पास पहुंच गया। अभी वो डॉक्टर से कुछ कहने ही वाला था कि तभी जोगिंदर भी आ गया। उसने डॉक्टर से कमला के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि मरीज़ अब किसी भी तरह के ख़तरे से बाहर है। ये सुन कर जोगिंदर और रवि दोनों ने ही राहत की सांस ली। डॉक्टर ने बताया कि कमला फिलहाल अभी बेहोशी की हालत में है इस लिए जब उसे होश आ जाएगा तो वो उसे ले जाने की इजाज़त दे देगा।

कमला के इलाज़ में जो खर्च आया उसे जोगिंदर ने अदा कर दिया। अब क्योंकि जोगिंदर अपना काम छोड़ कर आया था इस लिए उसके पास ज़्यादा रुकने का समय भी नहीं था। उसने रवि को कुछ पैसे दिए ताकि वो कोई वाहन कर के कमला को सुरक्षित अस्पताल से घर ले जाए।

जोगिंदर के जाने के कुछ देर बाद ही कमला को दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। ये देख रवि फ़ौरन ही उस कमरे में कमला के पास पहुंच गया। उसने देखा कमला के माथे पर मरहम पट्टी की हुई थी। उसकी आंखें अभी भी बंद थीं। उसको इस हालत में देख रवि की आंखें एक बार फिर से नम हो गईं। कमरे में और भी बिस्तर थे किंतु इस वक्त उनमें कोई नहीं था। रवि कमला के बिस्तर पर ही जा कर बैठ गया और कमला के एक हाथ को अपने हाथ में ले कर उसकी तरफ देखने लगा। अभी वो देख ही रहा था कि तभी कमरे में किसी के आने की आहट हुई जिससे रवि ने गर्दन घुमा कर दरवाज़े की तरफ देखा।

दरवाज़े से उसकी मां निर्मला और कमला की बेटी शालू अंदर दाखिल होती दिखीं। शालू अपनी मां की ऐसी हालत देखते ही भागते हुए आई और अपनी मां से लिपट गई। वो बुरी तरह रोने लगी थी। उधर निर्मला की भी आंखों से आंसू बह चले थे। रवि ने शालू को किसी तरह सम्हाला और उसे कमला से ये कह कर अलग हो जाने को कहा कि इससे उसकी मां को तकलीफ़ हो सकती है। शालू अठारह साल की लड़की थी। जवानी की दहलीज़ को पार कर चुकी थी, ऐसा उसके जिस्म को देख कर लगता था। वो रंगत से अपनी मां की ही तरह थोड़ी सांवली थी किंतु नैन नक्श काफी आकर्षक थे। चेहरे पर दुनिया भर की मासूमियत थी।

आख़िर कुछ समय बाद कमला को होश आया तो सबके चेहरे खिल उठे। खुशी से सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े। कमला की नज़र जब अपनी जेठानी निर्मला पर पड़ी तो वो हल्के से चौंकी और फिर जब उसने उसकी आंखों में आसूं देखे तो उसे ये सोच कर दुख हुआ कि जिस जेठानी पर अक्सर वो धौंस जमा के रखती है वो इस वक्त उसकी ऐसी हालत पर दुखी हो के आंसू बहा रही थी। कमला को एकाएक आत्म ग्लानि सी हुई।

"शुकर है ऊपर वाले का कि तुझे कुछ नहीं हुआ।" निर्मला ने कमला के सिर पर बड़े स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा____"मुझे जब पता चला तो मेरी तो जान ही निकल गई थी। भला क्या ज़रूरत थी तुझे महेश से उलझने की? वो पैसे मांग रहा था तो दे देती उसे।"

"कैसे दे देती दीदी?" कमला ने आहत भाव से कहा____"पैसे क्या किसी पेड़ में उगते हैं जिन्हें मैं पेड़ से तोड़ कर लाती हूं? अरे! मेहनत मजदूरी कर के एक एक रुपिया लाती हूं ताकि उससे घर का खर्चा चला सकूं और थोड़ी बहुत अपनी बेटी के ब्याह के लिए भी इकट्ठा कर सकूं मगर तुम्हारा वो देवर रोज़ उस पैसे को अपनी शराब में उड़ा देता है। अगर उसे पीना ही है तो खुद कमा के पिए। खुद को मेरा मरद कहता है और उसे इतना भी पता नहीं है कि मरद की क्या क्या ज़िम्मेदारियां होती हैं। ना उसे कमाने से मतलब है, ना उसे घर का खर्चा चलाने से मतलब है, मतलब है तो सिर्फ पीने से।"

"मैं सब जानती हूं कमला।" निर्मला ने कहा____"लेकिन ये भी जानती हूं कि वो अब सुधरने वाला भी नहीं है और अगर वो सुधरना भी चाहे तो उसके यार लोग उसे सुधरने नहीं देंगे। तू मुझसे वादा कर कि आज के बाद तू उससे नहीं उलझेगी और ना ही उससे कोई झगड़ा करेगी। अगर इसी तरह झगड़ती रहेगी तो किसी दिन बहुत बुरा हो जाएगा। आज उसने तेरा सिर फोड़ा है किसी दिन इससे भी ज़्यादा बुरा कर देगा वो। नशे में उसे ये पता ही नहीं रहता कि वो किसके साथ क्या कर रहा है? अगर तुझे कुछ हो गया तो तेरे बच्चों का क्या होगा? तेरी जवान बेटी है, क्या उसे अपने शराबी मरद के भरोसे छोड़ जाएगी? अरे! ऊपर वाले ने बेटी दी है तो कहीं न कहीं से उसको ब्याहने का इंतजाम भी वो कर ही देगा।"

"मां सही कह रही है चाची।" रवि ने कहा____"तुम्हें शालू के ब्याह की चिंता नहीं करनी चाहिए और फिर मैं भी तो हूं। वो मेरी भी तो बहन है। क्या तुम ये समझती हो कि मेरा मेरी बहन के प्रति कोई फर्ज़ नहीं है या फिर ये समझती हो कि मैं तुम्हारा कुछ लगता ही नहीं हूं?"

"नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है रवि।" कमला एकाएक दुखी हो कर बोल पड़ी____"तुम सब मेरे अपने ही तो हो।"

"तो फिर अब से तुम्हें ना तो शालू के ब्याह की चिंता करनी है।" रवि ने मजबूत लहजे में कहा____"और ना ही चाचा से लड़ाई झगड़ा करने की ज़रूरत है। तुमसे जितना हो सकता है करो, बाकी मैं तो हूं ही। तुम देखना, जिस दिन शालू का ब्याह होगा उस दिन तमाशा देखने वाले लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। मैं अपनी बहन का ब्याह बड़े धूम धाम से करूंगा।"

"लगता है मेरा बेटा सच में अब बड़ा हो गया है।" कमला ने भाव विभोर दृष्टि से रवि को देखते हुए कहा____"अपने बेटे की ये बात सुन कर अब मैं सच में बेफ़िक्र हो गई हूं।"

"रवि तू जा कर ज़रा डॉक्टर से पूछ कि अब हम कमला को ले जाएं कि नहीं?" निर्मला ने रवि से कहा।

डॉक्टर की इजाज़त मिलते ही रवि कमला को ले कर अस्पताल से चल पड़ा। जोगिंदर ने क्योंकि पैसे दिए थे इस लिए उसने एक ऑटो किया और उसमें बैठ कर सब लोग घर आ गए।

कमला का घर कच्चा ही था जिसमें दो कमरे थे और एक बरामदा। कमला को एक कमरे में बिस्तर पर लेटा दिया रवि ने। महेश घर पर नहीं था। आस पास के लोगों को जब पता चला कि कमला अस्पताल से वापस आ गई है तो कुछ औरतें उसे देखने के लिए उसके घर में आ गईं।

[][][][][][]

"ये तीनों यहां बैठे आराम क्यों फरमा रहे हैं बे बबलू?" जोगिंदर ने तबेले में घुसते ही जब तीनों नमूनों को आराम से बैठे देखा तो गुस्से से दहाड़ उठा। उसकी आवाज़ सुन कर जहां तीनों नमूनों की गाड़ फट गई वहीं मंगू और बबलू भी उछल पड़े।

"इन लोगों को मैंने ही यहां बैठे रहने को कहा था उस्ताद।" बबलू ने फ़ौरन ही जैसे मोर्चा सम्हाला____"वो असल में बात ये थी कि मवेशियों का दूध भी निकालना था और इन लोगों पर नज़र भी रखनी थी। मैंने सोचा दोनों काम एक साथ तो हो नहीं सकते क्योंकि अगर हम मवेशियों का दूध निकालने में ब्यस्त हो जाते तो ये लोग मौका देख कर यहां से भाग जाते। इस लिए मैंने सोचा कि इन्हें यहीं बुला लेता हूं। यहां ये लोग हमारी नज़र में भी रहेंगे और हम अपना काम भी करते रहेंगे।"

"वाह! शाबाश, ये बिल्कुल ठीक किया तूने।" जोगिंदर का गुस्सा एकदम ठंडा पड़ गया, बोला____"तुम्हारी बुद्धिमानी देख कर बहुत खुशी हुई मुझे। ख़ैर एक काम करो, अब से इन लोगों को भी मवेशियों का दूध दुहने का काम दे दो। मैं चाहता हूं कि ये साले आराम करने के लिए ज़मीन पर अपनी गांड़ न रखने पाएं। कोल्हू के बैल की तरह दिन भर पेरते रहो इन नमूनों को।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू ने कहा____"लेकिन उस्ताद मुझे लगता है कि इन लोगों को अभी मवेशियों का दूध निकालना नहीं आएगा तो पहले इन्हें सिखाना पड़ेगा कि दूध कैसे निकाला जाता है?"

"हां ये भी ठीक कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"इन सालों ने अपने अब तक के जीवन में चोरी चकारी के अलावा कोई काम तो किया नहीं है इस लिए इन्हें पहले हर काम करना ही सिखाओ।"

"बिल्कुल उस्ताद।" मंगू ने कहा____"आज तो मवेशियों का दूध निकाला जा चुका है इस लिए कल सुबह से इनकी क्लास शुरू करते हैं।"

"सारा दूध घर में रखवा दिया है न?" जोगिंदर ने बबलू से पूछा____"शहर में एक सेठ से बड़ा ऑर्डर मिला है। उसे बीस किलो खोवा और दस किलो घी चाहिए।"

"हो जाएगा उस्ताद।" मंगू ने सिर हिलाया____"घी तो पुराना भी कुछ रखा हुआ है।"

"हम्म्म्म।" जोगिंदर ने कहा____"ख़ैर, कमला तो अब कुछ दिनों आएगी नहीं इस लिए तुम लोगों को अब थोड़ा ज़्यादा मेहनत करनी होगी। पहले वो खोवा और घी वाला काम कर लेती थी किंतु अब ये सब तुम लोगों को ही करना होगा। बिरजू भी नहीं है यहां, वो साला परसों ही आएगा।"

"टेंशन मत लो उस्ताद।" मंगू ने कहा____"सब हो जाएगा। वैसे सेठ को खोवा और घी कब चाहिए?"

"परसों सुबह देना होगा उसे।" जोगिंदर ने कहा____"सुबह का सारा दूध तो शहर में बेच दिया जाता है। शाम वाले दूध से ही खोवा और घी का निर्माण किया जाता है। इस लिए हमें पूरी कोशिश करनी है कि बीस किलो खोवा और दस किलो घी परसों सुबह तब हो ही जाए।"

"ठीक है उस्ताद।" बबलू ने कहा____"हम पूरी कोशिश करेंगे। वैसे इस काम के लिए एक दो लोग और होते तो थोड़ा आसानी हो जाती हमें।"

"अबे तो ये नमूने किस लिए हैं?" जोगिंदर ने कहा____"इन तीनों से आज रात खोवा औटने का काम करवाओ।"

"इन लोगों के भरोसे ये काम नहीं हो सकता उस्ताद।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"इन लोगों को तो तुम जानते ही हो। अगर इन्होंने कुछ गड़बड़ कर दी तो भारी नुकसान हो सकता है।"

"हां ये भी सही कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"ये साले मेरा नुकसान ज़रूर कर सकते हैं। अच्छा चल ठीक है, मैं एक दो लोगों को पकड़ के लाता हूं इस काम के लिए।"

ये कह कर जोगिंदर ने पहले तीनों नमूनों की तरफ देखा और फिर पलट कर चला गया। उसके जाने के बाद जगन संपत और मोहन ने राहत की थोड़ी नहीं बल्कि तगड़ी सांस ली।

"बेटीचोद एक तो वैसे ही दिन भर काम कर कर के अपन लोग का बुरा हाल हो रेला है।" मोहन अपनी आदत से मजबूर बोल पड़ा____"ऊपर से ये मुछाड़िया रात में भी अपन लोग की गांड़ मार लेने का काम दे दियेला था। अपन सच कहता है, अगर सच में अपन लोग रात में ये काम करते तो पक्का अपन लोग का टिकट ऊपर के लिए कट जाना था। लौड़ा अपन के मरे हुए अम्मा बापू ने बचा लिया अपन लोग को।"

"भोसड़ी के फिर से बोला तू।" जगन ने गुस्से से उसे देखा तो उसने हड़बड़ा कर फ़ौरन ही अपने मुंह पर हाथ रख लिया। ये देख जहां संपत सिर्फ सिर हिला कर रह गया वहीं मंगू और बबलू ये कह कर हंसने लगे कि ये साला नहीं सुधरेगा।


━━━━━━━━━━━━━━
Nice update bro
 

parkas

Well-Known Member
27,190
60,488
303
Update - 09
━━━━━━━━━━━━━━

कहने के साथ ही रवि पलटा और कमला को जल्दी जल्दी हिलाने डुलाने लगा। कमला नीम बेहोशी की हालत में थी। रवि एकदम से ये सोच कर घबरा गया कि कहीं उसकी चाची मर ही न जाए। वो फ़ौरन ही उठ कर बाहर की तरफ भागा। बाहर इकट्ठा हो गए लोगों को देख कर कहने लगा कि उसकी चाची को अस्पताल ले जाने में कोई मदद कर दो। रवि के कहने पर एक दो लोग आगे आए। जल्दी ही कुछ लोगों की मदद से रवि कमला को ले कर अस्पताल की तरफ चल दिया। उसने अपने एक दोस्त को जोगिंदर के पास इसकी सूचना देने के लिए भेज दिया। आस पास अजीब सी सनसनी फैल गई थी।

अब आगे....


जोगिंदर भैंसों का दूध दुहने में लगा हुआ था कि तभी उसके पास एक लड़का भागते हुए आया और फिर एक ही सांस में उसने जो कुछ बताया उसे सुन कर जोगिंदर के पैरों तले से मानो ज़मीन ही खिसक गई। लड़के को वापस भेज कर वो फ़ौरन ही उठा और मंगू को आवाज़ दे कर बुलाया।

"मैं एक ज़रूरी काम से बाहर जा रहा हूं।" मंगू और बबलू के आते ही जोगिंदर ने कहा____"भैंसों और गायों का दूध निकाल कर कनस्तर में डलवा देना तुम लोग।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू लड़के की बात सुन चुका था इस लिए उसके जाने की बात से वो हैरान नहीं हुआ, बोला____"लेकिन अगर तुम्हें वापस आने में देरी हो गई तो? मेरा मतलब है कि अगर तुम समय से वापस नहीं आए तो फिर उस दूध का क्या करना है?"

"वैसे तो मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।" जोगिंदर ने बेचैन भाव से कुछ सोचते हुए कहा____"पर अगर न आ पाऊं तो सारा दूध घर में रख देना। बाकी तो तुझे पता ही है कि क्या करना है।"

मंगू ने सिर हिलाया तो जोगिंदर तेज़ क़दमों से तबेले से बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू ने राहत की तो सांस ली ही किंतु एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए भी। अभी वो मुस्कुरा ही रहे थे कि तभी जोगिंदर को वापस आता देख चौंके।

"और हां।" वापस आते ही जोगिंदर ने कहा____"उन नमूनों की ख़बर भी रखना। मुझे उन पर ज़रा भी भरोसा नहीं है। वो साले मौका मिलते ही यहां से भाग सकते हैं इस लिए ध्यान रखना कि वो यहां से भागने न पाएं। अगर वो यहां से भागे और वापसी में मुझे वो नज़र नहीं आए तो सोच लेना इसका अंजाम तुम दोनों के लिए भी बहुत बुरा हो सकता है।"

कहने के साथ ही जोगिंदर उनकी कोई बात बिना सुने ही पलटा और किसी तूफ़ान की तरह बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू एक बार फिर से मुस्कुरा उठे।

"मुझे तो लगता है कि उस्ताद को अपनी रांड कमला से ज़्यादा उन नमूनों की फ़िक्र है।" बबलू धीरे से हंसते हुए बोला____"तभी तो उनका ख़याल आते ही वापस आ कर ये सब बोल गया।"

"फिकर तो होगी ही बे।" मंगू ने कहा____"मुफ़्त में काम करने वाले तीन तीन नमूने जो मिल गए हैं उसे।"

"ये भी ठीक कहा तूने।" बबलू ने सिर हिलाया____"वैसे अगर उस्ताद हमें उन लोगों का ध्यान रखने को बोल कर न जाता तो हम लोग उन्हें यहां से भाग जाने को कह सकते थे। उनके लिए ये बढ़िया मौका हो सकता था भाग जाने का।"

"सही कह रहा है तू।" मंगू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"हम उन्हें यहां से भगा देते और बाद में उस्ताद को बोल देते कि वो भाग गए। हमारे पास सफाई देने का मस्त बहाना भी हो जाता। मतलब कि हम उस्ताद से कह देते कि तबेले में हम दोनों ही तो थे और दोनों ही मवेशियों का दूध निकाल रहे थे। ऐसे में हम भला कैसे उन नमूनों पर नज़र रख सकते थे? यानि वो नमूने मौका देख कर फरार हो गए।"

"बिल्कुल।" बबलू ने कहा____"हमारी बातें उस्ताद को समझ में आ ही जातीं। इतना तो वो समझता ही कि हम भला एक ही वक्त पर क्या क्या कर लेते? अगर उन नमूनों पर नज़र रखते तो यहां मवेशियों का दूध कैसे निकाल पाते और अगर यहां मवेशियों का दूध निकालने में लग जाते तो उन नमूनों पर नज़र कैसे रख सकते थे?"

"उस्ताद हाथ मलने के सिवा कुछ न कर पाता भाई।" मंगू ने कहा____"मगर अफ़सोस कि अब ऐसा हो ही नहीं पाएगा। वो बोल कर गया है कि उन पर नज़र रखनी है और वो लोग उसके आने पर उसे नज़र भी आने चाहिए। उन बेचारों की किस्मत ही ख़राब है। साला मस्त मौका था आज उनके लिए यहां से खिसक लेने का।"

"ख़ैर जाने दे।" बबलू ने कहा____"अब तो हमें उन पर नज़र रखनी ही होगी इस लिए उन्हें तबेले में ही बुला लेते हैं। यहां हमारी नज़रों के सामने रहेंगे तो ठीक रहेगा। ऐसे में हम अपना काम भी कर पाएंगे और उन पर नज़र भी रखे रहेंगे। साले सच में ही भाग गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे।"

कुछ ही देर में वो तीनों नमूनों को तबेले में बुला लाए। जगन और संपत तो थकान की वजह से मुर्दा से जान पड़ते थे किंतु मोहन की हालत इसके अलावा भी एक दूसरी वजह से ख़राब थी। मंगू ने उसे धीरे से बता दिया कि उसे फिलहाल चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि कमला किसी वजह से अस्पताल पहुंच गई है। मोहन को ये जान कर राहत तो हुई लेकिन अब वो ये सोचने लगा कि कमला अस्पताल कैसे पहुंच गई होगी?

"अबे तुझे क्या हुआ है बे पांचवीं फेल?" संपत ने मोहन को देखते हुए उससे पूछा____"साले सड़ी गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी?"

"भोसड़ी के गांड़ तोड़ देगा तेरी।" मोहन उसकी बात सुन तैश में आ गया____"अबे सड़ी गांड़ जैसी शकल तो तेरी है, बात करता है लौड़ा।"

"अरे! संपत तुझे पता है।" भैंस का दूध निकाल रहे मंगू ने थोड़ा ऊंची आवाज़ में कहा____"इसने फिर से रवि की गांड़ में उंगली कर दी है आज।"

"क...क्या???" संपत बुरी तरह चौंका, फिर हैरत से मोहन की तरफ देखते हुए बोला____"भोसड़ी के अब क्या कर दिया बे तूने? लौड़े माना कियेला था न तेरे को। अभी समझ आया अपन को कि तूने सडेली गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी।"

"बेटीचोद अब क्या किया है बे तूने?" जगन गुस्से में आया और मोहन का गिरेबान पकड़ कर गुर्राया____"लौड़े क्या बोला है तूने रवि को?"

"अबे अपन ने घंटा कुछ नहीं बोलेला है उसको।" मोहन डर तो गया था किंतु फिर भी पूरी अकड़ और आत्मविश्वास के साथ बोला____"उस लौड़े की ही गांड़ में खुजली हो रेली थी तो अपन ने भी पेल दिया उसको। तुझे तो पता ही है कि अपन भारी डेंजर आदमी है।"

"भोसड़ी के।" जगन को उसकी बात सुन कर इतना गुस्सा आया कि उसने उसे उठा कर एक झटके में कच्ची ज़मीन पर पटक दिया। दर्द के मारे मोहन के हलक से चीख निकल गई। उसे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि जगन उसके साथ ऐसा कर सकता है।

"बेटीचोद तेरी वजह से उस दिन अपन लोग की गांड़ तोड़ कुटाई हो गयेली थी।" जगन उसके ऊपर सवार हो कर गुस्से से चिल्लाया____"और अब फिर से कुटाई होगी अपन लोग की। भोसड़ी के कितनी बार बोला अपन कि ऐसी शेखी मत झाड़ा कर, पर लौड़ा तेरे को तो समझ में ही नहीं आता।"

"अबे जगन छोड़ दे बे उसको।" संपत ने हड़बड़ा कर जल्दी से जगन को पकड़ कर खींचा और फिर बोला____"अब से नहीं करेगा वो ऐसा, छोड़ दें उसे।"

"नहीं अभी ये करेगा लौड़ा।" जगन बेहद गुस्से में था____"अपन लोग लौड़ा ये सोच के इधर गांड़ घिस घिस के मरे जा रेले हैं कि किसी दिन मौका देख के इधर से खिसक लेंगे पर ये लौड़ा अपनी हरकतों से हर बार अपन लोग की कुटाई करवा देता है।"

जगन की बातें सुन मंगू और बबलू भी भैंसों का दूध निकालना छोड़ भागते हुए आ गए। दोनों ने उन्हें अलग किया। मोहन एकदम से ख़ामोश हो गया था किंतु बिगड़े हुए चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि जगन के पटक देने की वजह से उसे कहीं चोट लग गई है जिसके चलते उसे पीड़ा हो रही है।

"सालो अगर तुम लोगों को एक दूसरे की जान ही लेनी है तो कहीं दूर जा कर ले लो।" मंगू गुस्से से चीखते हुए बोला____"मगर यहां नहीं, समझे? जब से आए हो तब से तुम लोगों की वजह से हमारा भी चैन से जीना हराम हो गया है। इतना समझाने के बाद भी अगर तुम लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा तो भाड़ में जाओ तुम तीनों। हम लोग भी अब से तुम्हारी कोई मदद नहीं करेंगे। एक तो काम कर कर के वैसे ही बुरा हाल है दूसरे भूख से जल्दी ही मर जाओगे यहां।"

मंगू की बातों का फ़ौरन ही असर हुआ। जगन का सारा गुस्सा गायब हो गया और वो मंगू के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।

"भाई अपन को माफ़ कर दो।" फिर उसने संजीदा भाव से कहा____"पर यकीन मानो अपन लोग भी यही चाहते हैं कि कोई लफड़ा न हो। बेटीचोद ये सब इसकी वजह से हो रेला है। इसे ही समझ नहीं आ रेला है कि अपन लोग को कैसे रहना चाहिए इधर। ये लौड़ा खुद तो पिटता ही है उल्टा अपन लोग को भी पिटवा देता है। अपन को समझ में नहीं आ रेला है कि इसका क्या करे अपन? पिछली रात इस लौड़े को बुखार आ गयेला था। बेटीचोद अपन की तो जान ही निकल गयेली थी पर इसको क्या? अपन लोग मरे या जिएं।"

कहते कहते जगन रो ही पड़ा। संपत की भी आंखें नम हो गईं। ये देख सहसा मोहन उठा और झपट कर जगन से लिपट गया। अगले ही पल उसकी सिसकियां फिज़ा में गूंजने लगीं। मंगू और बबलू को समझ न आया कि अब क्या बोले? बड़े ही विचित्र थे तीनों। उधर मोहन को अपने से लिपट गया देख जगन ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर आस्तीन से अपने आंसू पोंछने लगा। कुछ देर बाद मंगू और बबलू ने शांत भाव से उन्हें फिर से समझाना शुरू कर दिया।

[][][][][][]

जोगिंदर अपनी मोटर साइकिल से जल्दी ही अस्पताल पहुंच गया। वहां पर उसे रवि मिल गया। पूछने पर रवि ने उसे सारा किस्सा बता दिया कि कैसे उसके चाचा ने उसकी चाची को लाठी से मारा था जिसके चलते कमला का माथा फट गया। रवि का चेहरा ही बता रहा था कि वो बेहद दुखी था। उसकी आंखों में आसूं थे।

"अभी कहां है कमला?" जोगिंदर ने उससे पूछा तो रवि ने हाथ के इशारे से बताया कि डॉक्टर उसे उस तरफ वाले कमरे में ले गए हैं।

जोगिंदर ने देखा उस कमरे के ऊपर लाल रंग का बल्ब जल रहा था। मतलब कमला को ऑपरेशन रूम में ले जाया गया था। ये देख जोगिंदर के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं।

"चाची को कुछ होगा तो नहीं न उस्ताद?" रवि ने दुखी हो कर जोगिंदर से पूछा____"भगवान के लिए मेरी चाची को बचा लो उस्ताद।"

"चिंता मत कर।" जोगिंदर ने उसे दिलासा देते हुए कहा____"कुछ नहीं होगा कमला को। बस ज़रा सी चोट ही तो लगी है उसे। डॉक्टर जल्दी ही उसे ठीक कर देंगे।"

जोगिंदर के ऐसा कहने पर रवि के चेहरे पर राहत के चिन्ह नज़र आए। उसके बाद वो कुछ नहीं बोला। जोगिंदर भी खामोश रहा, ये अलग बात है कि उसके चेहरे पर कई तरह के भावों का आना जाना लगा रहा। कुछ देर बाद जोगिंदर ने रवि को पास ही रखी बेंच पर बैठा दिया और खुद आगे बढ़ गया।

कुछ समय बाद उस कमरे का दरवाज़ा खुला और डॉक्टर बाहर आया तो रवि फ़ौरन ही उठ कर डॉक्टर के पास पहुंच गया। अभी वो डॉक्टर से कुछ कहने ही वाला था कि तभी जोगिंदर भी आ गया। उसने डॉक्टर से कमला के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि मरीज़ अब किसी भी तरह के ख़तरे से बाहर है। ये सुन कर जोगिंदर और रवि दोनों ने ही राहत की सांस ली। डॉक्टर ने बताया कि कमला फिलहाल अभी बेहोशी की हालत में है इस लिए जब उसे होश आ जाएगा तो वो उसे ले जाने की इजाज़त दे देगा।

कमला के इलाज़ में जो खर्च आया उसे जोगिंदर ने अदा कर दिया। अब क्योंकि जोगिंदर अपना काम छोड़ कर आया था इस लिए उसके पास ज़्यादा रुकने का समय भी नहीं था। उसने रवि को कुछ पैसे दिए ताकि वो कोई वाहन कर के कमला को सुरक्षित अस्पताल से घर ले जाए।

जोगिंदर के जाने के कुछ देर बाद ही कमला को दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। ये देख रवि फ़ौरन ही उस कमरे में कमला के पास पहुंच गया। उसने देखा कमला के माथे पर मरहम पट्टी की हुई थी। उसकी आंखें अभी भी बंद थीं। उसको इस हालत में देख रवि की आंखें एक बार फिर से नम हो गईं। कमरे में और भी बिस्तर थे किंतु इस वक्त उनमें कोई नहीं था। रवि कमला के बिस्तर पर ही जा कर बैठ गया और कमला के एक हाथ को अपने हाथ में ले कर उसकी तरफ देखने लगा। अभी वो देख ही रहा था कि तभी कमरे में किसी के आने की आहट हुई जिससे रवि ने गर्दन घुमा कर दरवाज़े की तरफ देखा।

दरवाज़े से उसकी मां निर्मला और कमला की बेटी शालू अंदर दाखिल होती दिखीं। शालू अपनी मां की ऐसी हालत देखते ही भागते हुए आई और अपनी मां से लिपट गई। वो बुरी तरह रोने लगी थी। उधर निर्मला की भी आंखों से आंसू बह चले थे। रवि ने शालू को किसी तरह सम्हाला और उसे कमला से ये कह कर अलग हो जाने को कहा कि इससे उसकी मां को तकलीफ़ हो सकती है। शालू अठारह साल की लड़की थी। जवानी की दहलीज़ को पार कर चुकी थी, ऐसा उसके जिस्म को देख कर लगता था। वो रंगत से अपनी मां की ही तरह थोड़ी सांवली थी किंतु नैन नक्श काफी आकर्षक थे। चेहरे पर दुनिया भर की मासूमियत थी।

आख़िर कुछ समय बाद कमला को होश आया तो सबके चेहरे खिल उठे। खुशी से सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े। कमला की नज़र जब अपनी जेठानी निर्मला पर पड़ी तो वो हल्के से चौंकी और फिर जब उसने उसकी आंखों में आसूं देखे तो उसे ये सोच कर दुख हुआ कि जिस जेठानी पर अक्सर वो धौंस जमा के रखती है वो इस वक्त उसकी ऐसी हालत पर दुखी हो के आंसू बहा रही थी। कमला को एकाएक आत्म ग्लानि सी हुई।

"शुकर है ऊपर वाले का कि तुझे कुछ नहीं हुआ।" निर्मला ने कमला के सिर पर बड़े स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा____"मुझे जब पता चला तो मेरी तो जान ही निकल गई थी। भला क्या ज़रूरत थी तुझे महेश से उलझने की? वो पैसे मांग रहा था तो दे देती उसे।"

"कैसे दे देती दीदी?" कमला ने आहत भाव से कहा____"पैसे क्या किसी पेड़ में उगते हैं जिन्हें मैं पेड़ से तोड़ कर लाती हूं? अरे! मेहनत मजदूरी कर के एक एक रुपिया लाती हूं ताकि उससे घर का खर्चा चला सकूं और थोड़ी बहुत अपनी बेटी के ब्याह के लिए भी इकट्ठा कर सकूं मगर तुम्हारा वो देवर रोज़ उस पैसे को अपनी शराब में उड़ा देता है। अगर उसे पीना ही है तो खुद कमा के पिए। खुद को मेरा मरद कहता है और उसे इतना भी पता नहीं है कि मरद की क्या क्या ज़िम्मेदारियां होती हैं। ना उसे कमाने से मतलब है, ना उसे घर का खर्चा चलाने से मतलब है, मतलब है तो सिर्फ पीने से।"

"मैं सब जानती हूं कमला।" निर्मला ने कहा____"लेकिन ये भी जानती हूं कि वो अब सुधरने वाला भी नहीं है और अगर वो सुधरना भी चाहे तो उसके यार लोग उसे सुधरने नहीं देंगे। तू मुझसे वादा कर कि आज के बाद तू उससे नहीं उलझेगी और ना ही उससे कोई झगड़ा करेगी। अगर इसी तरह झगड़ती रहेगी तो किसी दिन बहुत बुरा हो जाएगा। आज उसने तेरा सिर फोड़ा है किसी दिन इससे भी ज़्यादा बुरा कर देगा वो। नशे में उसे ये पता ही नहीं रहता कि वो किसके साथ क्या कर रहा है? अगर तुझे कुछ हो गया तो तेरे बच्चों का क्या होगा? तेरी जवान बेटी है, क्या उसे अपने शराबी मरद के भरोसे छोड़ जाएगी? अरे! ऊपर वाले ने बेटी दी है तो कहीं न कहीं से उसको ब्याहने का इंतजाम भी वो कर ही देगा।"

"मां सही कह रही है चाची।" रवि ने कहा____"तुम्हें शालू के ब्याह की चिंता नहीं करनी चाहिए और फिर मैं भी तो हूं। वो मेरी भी तो बहन है। क्या तुम ये समझती हो कि मेरा मेरी बहन के प्रति कोई फर्ज़ नहीं है या फिर ये समझती हो कि मैं तुम्हारा कुछ लगता ही नहीं हूं?"

"नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है रवि।" कमला एकाएक दुखी हो कर बोल पड़ी____"तुम सब मेरे अपने ही तो हो।"

"तो फिर अब से तुम्हें ना तो शालू के ब्याह की चिंता करनी है।" रवि ने मजबूत लहजे में कहा____"और ना ही चाचा से लड़ाई झगड़ा करने की ज़रूरत है। तुमसे जितना हो सकता है करो, बाकी मैं तो हूं ही। तुम देखना, जिस दिन शालू का ब्याह होगा उस दिन तमाशा देखने वाले लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। मैं अपनी बहन का ब्याह बड़े धूम धाम से करूंगा।"

"लगता है मेरा बेटा सच में अब बड़ा हो गया है।" कमला ने भाव विभोर दृष्टि से रवि को देखते हुए कहा____"अपने बेटे की ये बात सुन कर अब मैं सच में बेफ़िक्र हो गई हूं।"

"रवि तू जा कर ज़रा डॉक्टर से पूछ कि अब हम कमला को ले जाएं कि नहीं?" निर्मला ने रवि से कहा।

डॉक्टर की इजाज़त मिलते ही रवि कमला को ले कर अस्पताल से चल पड़ा। जोगिंदर ने क्योंकि पैसे दिए थे इस लिए उसने एक ऑटो किया और उसमें बैठ कर सब लोग घर आ गए।

कमला का घर कच्चा ही था जिसमें दो कमरे थे और एक बरामदा। कमला को एक कमरे में बिस्तर पर लेटा दिया रवि ने। महेश घर पर नहीं था। आस पास के लोगों को जब पता चला कि कमला अस्पताल से वापस आ गई है तो कुछ औरतें उसे देखने के लिए उसके घर में आ गईं।

[][][][][][]

"ये तीनों यहां बैठे आराम क्यों फरमा रहे हैं बे बबलू?" जोगिंदर ने तबेले में घुसते ही जब तीनों नमूनों को आराम से बैठे देखा तो गुस्से से दहाड़ उठा। उसकी आवाज़ सुन कर जहां तीनों नमूनों की गाड़ फट गई वहीं मंगू और बबलू भी उछल पड़े।

"इन लोगों को मैंने ही यहां बैठे रहने को कहा था उस्ताद।" बबलू ने फ़ौरन ही जैसे मोर्चा सम्हाला____"वो असल में बात ये थी कि मवेशियों का दूध भी निकालना था और इन लोगों पर नज़र भी रखनी थी। मैंने सोचा दोनों काम एक साथ तो हो नहीं सकते क्योंकि अगर हम मवेशियों का दूध निकालने में ब्यस्त हो जाते तो ये लोग मौका देख कर यहां से भाग जाते। इस लिए मैंने सोचा कि इन्हें यहीं बुला लेता हूं। यहां ये लोग हमारी नज़र में भी रहेंगे और हम अपना काम भी करते रहेंगे।"

"वाह! शाबाश, ये बिल्कुल ठीक किया तूने।" जोगिंदर का गुस्सा एकदम ठंडा पड़ गया, बोला____"तुम्हारी बुद्धिमानी देख कर बहुत खुशी हुई मुझे। ख़ैर एक काम करो, अब से इन लोगों को भी मवेशियों का दूध दुहने का काम दे दो। मैं चाहता हूं कि ये साले आराम करने के लिए ज़मीन पर अपनी गांड़ न रखने पाएं। कोल्हू के बैल की तरह दिन भर पेरते रहो इन नमूनों को।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू ने कहा____"लेकिन उस्ताद मुझे लगता है कि इन लोगों को अभी मवेशियों का दूध निकालना नहीं आएगा तो पहले इन्हें सिखाना पड़ेगा कि दूध कैसे निकाला जाता है?"

"हां ये भी ठीक कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"इन सालों ने अपने अब तक के जीवन में चोरी चकारी के अलावा कोई काम तो किया नहीं है इस लिए इन्हें पहले हर काम करना ही सिखाओ।"

"बिल्कुल उस्ताद।" मंगू ने कहा____"आज तो मवेशियों का दूध निकाला जा चुका है इस लिए कल सुबह से इनकी क्लास शुरू करते हैं।"

"सारा दूध घर में रखवा दिया है न?" जोगिंदर ने बबलू से पूछा____"शहर में एक सेठ से बड़ा ऑर्डर मिला है। उसे बीस किलो खोवा और दस किलो घी चाहिए।"

"हो जाएगा उस्ताद।" मंगू ने सिर हिलाया____"घी तो पुराना भी कुछ रखा हुआ है।"

"हम्म्म्म।" जोगिंदर ने कहा____"ख़ैर, कमला तो अब कुछ दिनों आएगी नहीं इस लिए तुम लोगों को अब थोड़ा ज़्यादा मेहनत करनी होगी। पहले वो खोवा और घी वाला काम कर लेती थी किंतु अब ये सब तुम लोगों को ही करना होगा। बिरजू भी नहीं है यहां, वो साला परसों ही आएगा।"

"टेंशन मत लो उस्ताद।" मंगू ने कहा____"सब हो जाएगा। वैसे सेठ को खोवा और घी कब चाहिए?"

"परसों सुबह देना होगा उसे।" जोगिंदर ने कहा____"सुबह का सारा दूध तो शहर में बेच दिया जाता है। शाम वाले दूध से ही खोवा और घी का निर्माण किया जाता है। इस लिए हमें पूरी कोशिश करनी है कि बीस किलो खोवा और दस किलो घी परसों सुबह तब हो ही जाए।"

"ठीक है उस्ताद।" बबलू ने कहा____"हम पूरी कोशिश करेंगे। वैसे इस काम के लिए एक दो लोग और होते तो थोड़ा आसानी हो जाती हमें।"

"अबे तो ये नमूने किस लिए हैं?" जोगिंदर ने कहा____"इन तीनों से आज रात खोवा औटने का काम करवाओ।"

"इन लोगों के भरोसे ये काम नहीं हो सकता उस्ताद।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"इन लोगों को तो तुम जानते ही हो। अगर इन्होंने कुछ गड़बड़ कर दी तो भारी नुकसान हो सकता है।"

"हां ये भी सही कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"ये साले मेरा नुकसान ज़रूर कर सकते हैं। अच्छा चल ठीक है, मैं एक दो लोगों को पकड़ के लाता हूं इस काम के लिए।"

ये कह कर जोगिंदर ने पहले तीनों नमूनों की तरफ देखा और फिर पलट कर चला गया। उसके जाने के बाद जगन संपत और मोहन ने राहत की थोड़ी नहीं बल्कि तगड़ी सांस ली।

"बेटीचोद एक तो वैसे ही दिन भर काम कर कर के अपन लोग का बुरा हाल हो रेला है।" मोहन अपनी आदत से मजबूर बोल पड़ा____"ऊपर से ये मुछाड़िया रात में भी अपन लोग की गांड़ मार लेने का काम दे दियेला था। अपन सच कहता है, अगर सच में अपन लोग रात में ये काम करते तो पक्का अपन लोग का टिकट ऊपर के लिए कट जाना था। लौड़ा अपन के मरे हुए अम्मा बापू ने बचा लिया अपन लोग को।"

"भोसड़ी के फिर से बोला तू।" जगन ने गुस्से से उसे देखा तो उसने हड़बड़ा कर फ़ौरन ही अपने मुंह पर हाथ रख लिया। ये देख जहां संपत सिर्फ सिर हिला कर रह गया वहीं मंगू और बबलू ये कह कर हंसने लगे कि ये साला नहीं सुधरेगा।


━━━━━━━━━━━━━━
Bahut hi badhiya update diya hai The_InnoCent bhai....
Nice and lovely update....
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
3,247
6,774
159
Update - 08
━━━━━━━━━━━━━━

"अम्मा क़सम भाई।" मोहन झट से बोल पड़ा____"अब से अपन कोई लफड़ा नहीं करेगा।"
"साले तेरे ही पिछवाड़े में सबसे ज़्यादा खुजली होती है।" बबलू ने घूरते हुए उससे कहा____"तेरी ही वजह से तेरे ये दोनों साथी भी कल कूटे गए थे। इस लिए अपना नहीं तो कम से कम अपने इन साथियों का तो ख़याल कर और अपनी खुजली को कुछ दिनों तक शांत रख।"

बबलू की बात सुन कर मोहन ने सिर झुका लिया। उसे भी आभास हो रह था कि सच में उसी की वजह से कल गांड़ कुटाई हुई थी। ख़ैर मंगू और बबलू के जाने के बाद ये तीनों फिर से काम में लग गए।


अब आगे....


मंगू और बबलू की मेहरबानी से तीनों नमूनों को दो ढाई घंटे आराम करने को मिल गया था। असल में दोपहर बाद जोगिंदर तबेले की तरफ आता ही नहीं था बल्कि खुद भी अपने घर में आराम करता था। उसके बाद वो चार या पांच बजे के क़रीब ही तबेले की तरफ आता था। इस बीच सभी मवेशियों को चारा भूसा खिलाना और उन्हें पानी पिलाने की ज़िम्मेदारी उसके मुलाजिमों की होती थी। मवेशियों को पानी पिलाने की व्यवस्था तबेले के दूसरी तरफ थी जहां पर उसने बड़ी बड़ी हउदी बनवा रखी थी। उन हउदियों में ट्यूब वेल से पानी भरा जाता था जोकि पाइप द्वारा ही भरा जाता था। जोगिंदर का ये तबेला उसके अपने ही खेतों पर बना हुआ था जोकि क़रीब एक एकड़ में था। बाकी की ज़मीन पर वो फ़सल उगाता था।

उस वक्त साढ़े चार बजने वाले थे जब मंगू और बबलू ने जा कर तीनों नमूनों को फिर से काम करने के लिए कहा था। हालाकि तीनों में से किसी का भी मन नहीं कर रहा था काम करने का मगर मंगू और बबलू ने उन्हें समझाया कि अगर जोगिंदर को कहीं से पता चल गया कि वो लोग आराम फरमा रहे हैं तो उनके साथ साथ बाकी मुलाजिमों पर भी मुसीबत आ जाएगी। जगन संपत और मोहन के जिस्म काम कर कर के बुरी तरह टूट चुके थे। जीवन में पहली बार ही ऐसा हुआ था उनके साथ। बहरहाल तीनों फिर से काम पर लग गए थे।

जगन और संपत झाड़ झंखाड़ साफ करने में लगे हुए थे जबकि मोहन ट्यूब वेल के पास दूध के बड़े बड़े कनस्तरों की धुलाई करने में लगा हुआ था। मंगू ने उसे बुखार की दवा दी थी जिसके चलते उसे अब काफी आराम था।

"इन बर्तनों में कहीं दाग़ नहीं लगा रहना चाहिए मोहन।" बर्तनों की रगड़ाई कर रहे मोहन के कानों में ये वाक्य पड़ा तो उसने फ़ौरन ही सिर उठा कर सामने देखा। उसके सामने कमला की जेठानी का लड़का रवि खड़ा था और उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुराए जा रहा था। ये देख मोहन पहले तो चौंका किंतु फिर एकदम से उसकी झाँठें सुलग गईं।

"क्या हुआ?" उसे गुस्से में आ गया देख रवि उसके मज़े लेते हुए बोला____"मुझे इतना गुस्से में क्यों देख रहा है भाई? ओह! अच्छा अच्छा याद आया....मैंने तेरा काम नहीं किया और उल्टा तेरी कुटाई भी हो गई। समझ सकता हूं भाई, ऐसे में तो किसी को भी गुस्सा आ सकता है।"

"बेटीचोद, यहां क्या अपनी गांड़ मरवाने आया है बे लौड़े?" मोहन चाह कर भी खुद को ऐसा बोलने से रोक न पाया____"समझ सकता है अपन तेरा भी दुख। लौड़ा अपनी चाची को जोगिंदर से चुदता देख तेरी छोटी सी लुल्ली में करेंट भी नहीं आता होएगा और उल्टा चाहता होएगा कि तेरी छिनाल चाची तेरे को भी चोदने को दे। हाहाहाहा पर वो ससुरी तुझे देती नहीं होगी। अबे कहे को देगी बे? उसे लौड़े से चुदने का शौक है न कि तेरी छुटकी लुल्ली से।"

"मादरचोद ज़ुबान सम्हाल के बात कर।" रवि बुरी तरह तिलमिला कर गुस्से में बोला____"वरना यहीं गांड़ तोड़ दूंगा तेरी। भोसड़ी के उस दिन की कुटाई भूल गया क्या?"

"अबे अपन की छोड़।" मोहन जैसे पूरे रंग में आ गया था, बोला____"तू अपना सोच गाँडू। जोगिंदर उस्ताद तेरी चाची को तो पेलता ही है पर अपन को पक्का यकीन है कि वो तेरी गांड़ भी मारता होएगा हाहाहा।"

"चुप हो जा बेटीचोद।" रवि गुस्से से चीख ही पड़ा____"वरना अभी जा के जोगिंदर को सब बता दूंगा। उसके बाद तुझे पता ही है कि वो तेरा क्या हाल करेगा।"

"मतलब तुझे खुद पर भरोसा ही नहीं है लौड़ा?" मोहन मुस्कुराया____"अपने बाप के बलबूते पर उछल रेला है अपन से? अबे लौड़े तेरे में इतना ही दम है तो अकेले अपन से मुकाबला कर। पर लौड़ा अपन जानता है, तेरे जैसे लुल्ली वाले लोग दूसरों के दम पर ही उछलते हैं। उधर तेरी छिनाल चाची उछलती है और इधर तू।"

"बेटीचोद लगता है तेरी मौत ही आ गई अब।" रवि मारे गुस्से के कांपने लगा था, बोला____"तू यहीं रुक भोसड़ी के। अभी तेरी गांड़ तुड़ाई करवाता हूं मैं।"

"अबे जा बे लौड़े।" मोहन ने हाथ झटकते हुए कहा____"तेरे जैसे लुल्ली वाले क्या ही कर लेंगे अपन का। लौड़ा अपन भी जा जा के सबको बताएगा कि तेरी चाची जोगिंदर से चुदती है और तू भी अपनी मां समान चाची की चूचियां दबाता है।"

मोहन की बात सुन कर रवि ठिठका। उसके चेहरे पर एकाएक चिंता और बेचैनी के भाव उभरते नज़र आए। कुछ पलों तक वो मोहन को देखता रहा फिर गुस्से से बोला____"बताएगा कैसे भोसड़ी के? तू तो यहां से बाहर कहीं जा ही नहीं पाएगा। फालतू में डरा रहा है मुझे। तू रुक साले अब तेरी अच्छे से पेलाई करवाऊंगा मैं।"

कहने के साथ ही रवि तेज़ी से पलट कर चला गया। उसके जाते ही मोहन की हवा निकल गई। उसका सारा जोश एकदम से ठंडा पड़ गया। उसे लगा था कि आज फिर वो रवि पर हावी हो जाएगा और उसे ब्लैकमैल कर लेगा मगर रवि जिस तरह गया था उससे लगता नहीं कि उस पर मोहन की बातों का कोई डर हुआ था।

मोहन एकदम से बुरी तरह परेशान हो गया। चेहरे पर डर और घबराहट पलक झपकते ही उभर आई। गांड़ कुटाई के ख़याल ने उसकी गांड़ का दर्द और भी ज़्यादा बढ़ा दिया। अचानक ही उसे मंगू और बबलू की याद आई तो वो जल्दी से बर्तन छोड़ उनकी तरफ भाग चला। मन ही मन खुद को गालियां भी देता जा रहा____"बेटीचोद, ये अपन ने क्या कर दिया लौड़ा? अगर रवि ने सच में जोगिंदर को सब बता दिया तो लौड़ा बहुत पेलेगा वो अपन को।"

मंगू और बबलू तबेले में थे और वहां पर जोगिंदर के साथ भैंसों का दूध निकालने में लगे हुए थे। तबेले में कमला नहीं थी, वो थोड़ा देरी से आती थी। मोहन भागता हुआ तबेले के पास पहुंचा। उसे रास्ते में कहीं भी रवि नहीं मिला था। तबेले के मुख्य द्वार पर जैसे ही मोहन पहुंचा तो उसकी नज़र एकदम से जोगिंदर पर पड़ गई जिससे उसकी और भी ज़्यादा गांड़ फट गई। चेहरा पसीना पसीना हो गया। बुरी तरह हांफते हुए वो जल्दी से एक तरफ को हुआ और छुप के अंदर मंगू और बबलू को खोजने लगा। जल्दी ही उसकी निगाह मंगू पर पड़ गई। उसने देखा मंगू एक भैंस के पास बैठा था, शायद वो उसका दूध निकाल रहा था। सहसा वो उठा और बाल्टी लिए पीछे की तरफ पलटा। मोहन की सांसें एकदम से थम गईं। वो मंगू को आवाज़ नहीं दे सकता था क्योंकि इससे जोगिंदर भी सुन लेता और उसके बाद यकीनन कुछ ऐसा होता जो उसके पक्ष में अथवा उसके हित में अच्छा नहीं होता।

इसे इत्तेफाक कहें या मोहन की अच्छी किस्मत कि सहसा मंगू की नज़र मोहन पर पड़ गई। उसने हैरानी से मोहन की तरफ देखा। उसके अनुसार मोहन को यहां नहीं होना चाहिए था बल्कि तबेले के आस पास का झाड़ झंखाड़ साफ करने में लगा होना चाहिए था। मंगू ने जैसे ही मोहन को देखा तो मोहन ने झट से उसे अपने पास आने का हाथ से इशारा किया। उसके इशारा करने पर मंगू चौंका और फिर जोगिंदर की तरफ देखते हुए कुछ ही पलों में वो मोहन के पास आ गया।

"अबे तू यहां क्या कर रहा है साले?" मंगू ने धीमी आवाज़ में मोहन को जैसे डांटते हुए कहा____"अगर उस्ताद ने देख लिया तो गांड़ तोड़ देगा तेरी। जा यहां से जल्दी।"

"अपन को बचा लो भाई।" मोहन घबराए हुए लहजे में बोला____"बेटीचोद बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयेली है।"

"क...क्या??" उसकी बात सुन मंगू चौंका, फिर सम्हल कर बोला____"ये क्या कह रहा है बे तू? अब क्या कर दिया तूने?"

मोहन ने सब कुछ बता दिया। सुन कर मंगू के चेहरे पर भी परेशानी उभर आई, बोला____"भोसड़ी के तेरे से सबर नहीं हुआ ना? आख़िर अपनी गांड़ की खुजली के चलते फिर से कर दिया न तूने कांड। अब जा मर भोसड़ी के।"

"अबे अपन को बचा लो भाई।" मोहन ने गिड़गिड़ाते हुए उसके पैर ही पकड़ लिए____"अपन जानता है कि अपन से गड़बड़ हो गएली है पर इसमें अपन की ग़लती नहीं है। वो लौड़ा अपन को गुस्सा दिला दिया तो अपन ने भी अंट शंट बक दिया उसको। अपन को बचा लो भाई, वो लौड़ा अपन को बोल के गएला है कि वो अपन की कुटाई करवाएगा।"

"तू ही बता साले इसमें अब मैं क्या कर सकता हूं?" मंगू ने झल्लाए हुए भाव से कहा____"तुझे बोला था मैंने कि कोई कुछ भी कहे लेकिन तुझे कुछ नहीं बोलना है तब भी साले तू नहीं माना। साले एक नंबर का चूतिया है तू। तूने खुद ही मुसीबत मोल ली है तो अब भुगतने को भी तैयार रह। वो तो चाहता ही था कि तू उसको ऐसा ही कुछ बोले और फिर वो तेरी कुटाई करवाए। नहीं भाई, अब इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता।"

"अबे ऐसा मत कहो भाई।" मंगू की बात सुन मोहन की जान ही निकल गई, बोला____"बस एक बार अपन को बचा लो। अपन अपने मरे हुए अम्मा बापू की क़सम खा के कहता है कि अब से अपन कुछ नहीं करेगा। बस इस बार अपन को बचा लो भाई।"

मोहन बुरी तरह घबराया हुआ था और उधर मंगू खुद भी मौजूदा हालात से बेहद चिंतित हो गया था। उसे खुद कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसे में आख़िर कैसे मोहन को जोगिंदर के क़हर से बचाए?"

[][][][][][]

रवि बुरी तरह तिलमिलाया हुआ था। ये सच है कि वो मोहन से बदला लेना चाहता था क्योंकि उस दिन एक तो मोहन उसका और उसकी चाची के बीच का राज जान गया था दूसरे उसको मजबूर भी कर दिया था उसने। एक तो वैसे ही वो इस बात से बेहद खार खाया हुआ था कि उसकी आंखों के सामने जोगिंदर उसकी चाची को चोदता है और दूसरे मोहन जैसा नमूना भी उसको मजबूर कर के उसकी चाची की चूचियों को दबाने को बोल दिया था। हालाकि कमला अपनी मर्ज़ी से जोगिंदर को अपना जिस्म भोगने दे रही थी लेकिन इसके बावजूद रवि चाहता था कि कमला सिर्फ उसकी बात माने और उसकी ही हो कर रहे। कम उम्र की जवानी का नया जोश और नई मानसिकता थी जिस पर दिमाग़ की जगह दिल के जज़्बात हावी थे।

उस दिन तो उसने मोहन को कुटवा कर बदला ले लिया था लेकिन इतने पर भी मानो उसके दिल को तसल्ली नहीं हुई थी। आज वो अपने अंदर की भड़ास निकालने के साथ साथ मोहन पर हावी होने के लिए भी उसके पास गया था मगर उसकी उम्मीद के विपरीत मोहन उल्टा उस पर ही हावी हो गया था। अगर बात सिर्फ हावी होने की होती तो कदाचित वो सह भी लेता मगर बात एक बार फिर से उसके और उसकी चाची के बीच बने रिश्ते की आ गई थी। मोहन ने अपनी बातों से उसे जलील ही बस नहीं किया था बल्कि उसको नीचा दिखाते हुए उसके अहम को भी ठोकर लगा दी थी।

रवि गुस्से में तिलमिलाया हुआ कमला के घर पहुंचा। उसका इरादा था कि वो कमला को सब कुछ बताएगा जिसे सुनने के बाद कमला सीधा जोगिंदर को बताएगी। उसके बाद जोगिंदर अपने सांडों के द्वारा मोहन की गांड़ तोड़ कुटाई करवा देगा। रवि जैसे ही कमला के घर पहुंचा तो उसे घर की दहलीज पर ही रुक जाना पड़ा। कारण कमला के घर में अलग ही कांड चालू था। कमला का शराबी पति महेश अपनी बीवी कमला पर चीख चिल्ला रहा था और साथ ही मारने की धमकी भी दे रहा था।

"साली कुतिया बहुत ज़ुबान चलाने लगी है तू।" महेश चिल्लाते हुए बोला____"आज तेरी ये ज़ुबान ही काट दूंगा मैं। साली दो पैसे क्या कमाने लगी अपने मरद से ऊंची आवाज़ में बात करने लगी? रुक मादरचोद अभी बताता हूं तुझे। ये बेटीचोद लाठी किधर मर गई?"

महेश शराब के नशे में था, हालाकि उसने ज़्यादा नहीं पी रखी थी लेकिन फिर भी वो अपने पूरे जलाल पर था। नशे में लड़खड़ाता हुआ वो इधर उधर देख रहा था। सहसा उसकी नज़र दीवार के कोने में पड़ी एक छोटी सी लाठी पर ठहर गई। वो झूमता हुआ आगे बढ़ा और लाठी को उठा लिया। महेश की बेटी शालू घर पर नहीं थी, शायद अपनी किसी सहेली के घर गई हुई थी। इधर कमला गुस्से में अपने पति को देखे जा रही थी।

शाम ढलते ही महेश का ये नाटक शुरू हो जाता था और फिर आस पास के लोग तमाशा देखने के लिए धीरे धीरे कर के आने लगते थे। इसी तमाशे को न होने देने के लिए कमला मजबूर हो कर वही करती थी जो उसका पति महेश चाह रहा होता था। आज भी वो उससे पैसे मांगने ही आया था और कमला ने देने से इंकार कर दिया था। उसके बाद महेश का चीखना चिल्लाना और गाली गलौज करना शुरू हो गया था। ऐसा नहीं था कि कमला के पास पैसे नहीं थे लेकिन हर रोज़ शराब में उड़ा देने के लिए नहीं थे। असल में कमला को अब अपनी बेटी के ब्याह की चिंता होने लगी थी जिसके लिए अब वो एक एक पैसा जोड़ने में लग गई थी। वो जानती थी कि उसका पति महा शराबी है और उसे किसी बात से कोई मतलब नहीं है इस लिए अब जो भी करना था उसे ही करना था किंतु महेश उसकी हर उम्मीद को और हर प्रयास को ख़ाक में मिलाने पर जैसे तुला हुआ था। यही वजह थी कि आज उसे भी महेश पर गुस्सा आ गया था। इसके पहले भी वो हजारों बार अपने पति को समझा चुकी थी लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ था। महेश जब तक होश में रहता था तो वो बड़ा अच्छा इंसान बना रहता था और वो भी कमला से बोलता था कि उसे भी हर चीज़ की चिंता है मगर फिर जैसे ही वो घर से बाहर जाता तो उसके शराबी दोस्त उसे मिल जाते और फिर वो सब कुछ भूल जाता था। शराब जब कम पड़ती तो वो अपने दोस्तों के कहने पर सीधा अपनी बीवी के पास आता और उससे पैसे मांगने लगता। कमला बहुत कोशिश करती मगर बात जब बिगड़ने लगती और महेश चीखने चिल्लाने लगता तो वो मजबूर हो जाती थी।

"अब बता कुतिया अपने मरद से जुबान लड़ाएगी तू?" लाठी ले कर अपनी बीवी के पास आते ही महेश नशे में गरजा____"आख़िरी बार कह रहा हूं पैसे दे दे वरना इसी लाठी से आज तेरी खोपड़ी तोड़ दूंगा बेटीचोद।"

"धमकी क्या देता है नासपीटे।" कमला ने गुस्से से चीखते हुए कहा____"तोड़ दे खोपड़ी। मर जाऊंगी तो शराब पीने के लिए भीख मांगते रहना लोगों से। तेरे में तो दो पैसे कमाने का गूदा है नहीं।"

"मादरचोद भीख मांगने का बोलती है।" महेश ने गुस्से में आ कर लाठी को जोर से घुमा दिया। अगले ही पल कमला के हलक से चीख निकल गई। लाठी उसकी बाईं बाजू पर लगी थी। असल में नशे में झूमते महेश का निशाना चूक गया था वरना वार तो उसने कमला की खोपड़ी पर ही किया था।

"मार डाल हरामी।" दर्द होने के बाद भी कमला चीखी____"मेरे जीते जी तो अब तुझे पैसे मिलने से रहे। मुझे मार कर ही आज तू पैसे ले जा पाएगा।"

कमला की बातें किसी शूल की तरह महेश को चुभ गईं। एक तो वो पहले से ही गुस्से में था दूसरे उसकी बातों ने उसे और भी ज़्यादा तिलमिला दिया। उसने गुस्से में एक बार फिर से लाठी को घुमा दिया और इस बार निशाना नहीं चूका। सीधा उसके माथे पर लगा। नतीजा कमला की चीख तो निकली ही किंतु साथ ही उसका माथा भी फट गया। खून की तेज़ धार मांथे से बह चली। कमला अपने एक हाथ से अपना माथा पकड़े लहराई और फिर कुछ ही पलों में धड़ाम से कच्चे फर्श पर जा गिरी।

"ले मादरचोद।" कमला को गिरते देख महेश जैसे खुश होते हुए बोला____"और चला अपने मदद से ज़ुबान....और दे गाली। साली पैसे देने से मना करती है मुझे।"

रवि घर की दहलीज़ पर ही खड़ा था। अपनी चाची का ऐसा हाल देख वो बुरी तरह घबरा गया। वो एकदम से चिल्लाते हुए अंदर की तरफ भागा और कमला के पास पहुंच कर उसे झंझोड़ने लगा। कमला के माथे से खून बहते हुए कच्चे फर्श पर फैलने लगा था। रवि ने देखा कमला दर्द से कराह रही थी।

"ये तुमने क्या कर दिया चाचा?" रवि पलट कर महेश से चीखा____"अगर चाची को कुछ हुआ तो अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिए।"

"भोसड़ी के तू अपने चाचा को धमकी दे रहा है?" महेश रवि पर गरजा____"रुक अभी बताता हूं तुझे।"

कहने के साथ ही महेश ने लाठी घुमा दी लेकिन रवि ने फ़ौरन ही उठ कर उसकी कलाई थाम ली। महेश एक तो शराब के नशे में था दूसरे अंदर से खोखला भी हो चुका था इस लिए रवि ने एक झटके में उसके हाथ से लाठी छीन ली।

"तुम अगर मेरे चाचा न होते तो यहीं जिंदा गाड़ देता तुम्हें।" रवि गुस्से में बोला____"खुद को मरद कहते हो तुम? अरे! मरद वाला कौन सा काम किया है तुमने? अपनी ही बीवी की कमाई पर जी रहे हो तुम और शराब में उड़ाने के लिए उन्हीं से पैसे भी मांगते हो। कुछ तो शर्म करो।"

"बेटीचोद अपने चाचा से जुबान लड़ाता है।" महेश गुस्से में रवि पर झपटा मगर रवि ने उसे ज़ोर से धक्का दे दिया जिसके चलते वो लड़खड़ाते हुए सीधा पीछे दीवार से जा टकराया और फिर भरभरा कर फर्श पर गिर गया।

"मन तो करता है कि जिस लाठी से तुमने चाची का सिर फोड़ दिया है।" रवि ने गुस्से में कहा____"उसी लाठी से मैं तुम्हारा भी सिर फोड़ दूं लेकिन मैं ऐसा करूंगा नहीं। तुम्हारी तरह कायर नहीं हूं मैं।"

कहने के साथ ही रवि पलटा और कमला को जल्दी जल्दी हिलाने डुलाने लगा। कमला नीम बेहोशी की हालत में थी। रवि एकदम से ये सोच कर घबरा गया कि कहीं उसकी चाची मर ही न जाए। वो फ़ौरन ही उठ कर बाहर की तरफ भागा। बाहर इकट्ठा हो गए लोगों को देख कर कहने लगा कि उसकी चाची को अस्पताल ले जाने में कोई मदद कर दो। रवि के कहने पर एक दो लोग आगे आए। जल्दी ही कुछ लोगों की मदद से रवि कमला को ले कर अस्पताल की तरफ चल दिया। उसने अपने एक दोस्त को जोगिंदर के पास इसकी सूचना देने के लिए भेज दिया। आस पास अजीब सी सनसनी फैल गई थी।


━━━━━━━━━━━━━━
Sikke ke do pahlu ko dikha ke ye dhongi baba humare man me Kamala ke liye soft corner create karna chahta he :angry++: jaalsajhi nahi chalegi :protest:
3 namune to pele gaye he,
Sab pele jayenge :buttkick:
Ravi mohan ko pelega
3 namune ravi ko fir Kamala ko
Kamala 3 nsmuno ko
Jogindar 3 namuno ko pelega (firse)
Jogindar ki biwi jogindar ko :roll3:
Sab pele jayenge,bass gaytonde bachega :rolrun:
Update - 09
━━━━━━━━━━━━━━

कहने के साथ ही रवि पलटा और कमला को जल्दी जल्दी हिलाने डुलाने लगा। कमला नीम बेहोशी की हालत में थी। रवि एकदम से ये सोच कर घबरा गया कि कहीं उसकी चाची मर ही न जाए। वो फ़ौरन ही उठ कर बाहर की तरफ भागा। बाहर इकट्ठा हो गए लोगों को देख कर कहने लगा कि उसकी चाची को अस्पताल ले जाने में कोई मदद कर दो। रवि के कहने पर एक दो लोग आगे आए। जल्दी ही कुछ लोगों की मदद से रवि कमला को ले कर अस्पताल की तरफ चल दिया। उसने अपने एक दोस्त को जोगिंदर के पास इसकी सूचना देने के लिए भेज दिया। आस पास अजीब सी सनसनी फैल गई थी।

अब आगे....


जोगिंदर भैंसों का दूध दुहने में लगा हुआ था कि तभी उसके पास एक लड़का भागते हुए आया और फिर एक ही सांस में उसने जो कुछ बताया उसे सुन कर जोगिंदर के पैरों तले से मानो ज़मीन ही खिसक गई। लड़के को वापस भेज कर वो फ़ौरन ही उठा और मंगू को आवाज़ दे कर बुलाया।

"मैं एक ज़रूरी काम से बाहर जा रहा हूं।" मंगू और बबलू के आते ही जोगिंदर ने कहा____"भैंसों और गायों का दूध निकाल कर कनस्तर में डलवा देना तुम लोग।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू लड़के की बात सुन चुका था इस लिए उसके जाने की बात से वो हैरान नहीं हुआ, बोला____"लेकिन अगर तुम्हें वापस आने में देरी हो गई तो? मेरा मतलब है कि अगर तुम समय से वापस नहीं आए तो फिर उस दूध का क्या करना है?"

"वैसे तो मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।" जोगिंदर ने बेचैन भाव से कुछ सोचते हुए कहा____"पर अगर न आ पाऊं तो सारा दूध घर में रख देना। बाकी तो तुझे पता ही है कि क्या करना है।"

मंगू ने सिर हिलाया तो जोगिंदर तेज़ क़दमों से तबेले से बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू ने राहत की तो सांस ली ही किंतु एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए भी। अभी वो मुस्कुरा ही रहे थे कि तभी जोगिंदर को वापस आता देख चौंके।

"और हां।" वापस आते ही जोगिंदर ने कहा____"उन नमूनों की ख़बर भी रखना। मुझे उन पर ज़रा भी भरोसा नहीं है। वो साले मौका मिलते ही यहां से भाग सकते हैं इस लिए ध्यान रखना कि वो यहां से भागने न पाएं। अगर वो यहां से भागे और वापसी में मुझे वो नज़र नहीं आए तो सोच लेना इसका अंजाम तुम दोनों के लिए भी बहुत बुरा हो सकता है।"

कहने के साथ ही जोगिंदर उनकी कोई बात बिना सुने ही पलटा और किसी तूफ़ान की तरह बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू एक बार फिर से मुस्कुरा उठे।

"मुझे तो लगता है कि उस्ताद को अपनी रांड कमला से ज़्यादा उन नमूनों की फ़िक्र है।" बबलू धीरे से हंसते हुए बोला____"तभी तो उनका ख़याल आते ही वापस आ कर ये सब बोल गया।"

"फिकर तो होगी ही बे।" मंगू ने कहा____"मुफ़्त में काम करने वाले तीन तीन नमूने जो मिल गए हैं उसे।"

"ये भी ठीक कहा तूने।" बबलू ने सिर हिलाया____"वैसे अगर उस्ताद हमें उन लोगों का ध्यान रखने को बोल कर न जाता तो हम लोग उन्हें यहां से भाग जाने को कह सकते थे। उनके लिए ये बढ़िया मौका हो सकता था भाग जाने का।"

"सही कह रहा है तू।" मंगू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"हम उन्हें यहां से भगा देते और बाद में उस्ताद को बोल देते कि वो भाग गए। हमारे पास सफाई देने का मस्त बहाना भी हो जाता। मतलब कि हम उस्ताद से कह देते कि तबेले में हम दोनों ही तो थे और दोनों ही मवेशियों का दूध निकाल रहे थे। ऐसे में हम भला कैसे उन नमूनों पर नज़र रख सकते थे? यानि वो नमूने मौका देख कर फरार हो गए।"

"बिल्कुल।" बबलू ने कहा____"हमारी बातें उस्ताद को समझ में आ ही जातीं। इतना तो वो समझता ही कि हम भला एक ही वक्त पर क्या क्या कर लेते? अगर उन नमूनों पर नज़र रखते तो यहां मवेशियों का दूध कैसे निकाल पाते और अगर यहां मवेशियों का दूध निकालने में लग जाते तो उन नमूनों पर नज़र कैसे रख सकते थे?"

"उस्ताद हाथ मलने के सिवा कुछ न कर पाता भाई।" मंगू ने कहा____"मगर अफ़सोस कि अब ऐसा हो ही नहीं पाएगा। वो बोल कर गया है कि उन पर नज़र रखनी है और वो लोग उसके आने पर उसे नज़र भी आने चाहिए। उन बेचारों की किस्मत ही ख़राब है। साला मस्त मौका था आज उनके लिए यहां से खिसक लेने का।"

"ख़ैर जाने दे।" बबलू ने कहा____"अब तो हमें उन पर नज़र रखनी ही होगी इस लिए उन्हें तबेले में ही बुला लेते हैं। यहां हमारी नज़रों के सामने रहेंगे तो ठीक रहेगा। ऐसे में हम अपना काम भी कर पाएंगे और उन पर नज़र भी रखे रहेंगे। साले सच में ही भाग गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे।"

कुछ ही देर में वो तीनों नमूनों को तबेले में बुला लाए। जगन और संपत तो थकान की वजह से मुर्दा से जान पड़ते थे किंतु मोहन की हालत इसके अलावा भी एक दूसरी वजह से ख़राब थी। मंगू ने उसे धीरे से बता दिया कि उसे फिलहाल चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि कमला किसी वजह से अस्पताल पहुंच गई है। मोहन को ये जान कर राहत तो हुई लेकिन अब वो ये सोचने लगा कि कमला अस्पताल कैसे पहुंच गई होगी?

"अबे तुझे क्या हुआ है बे पांचवीं फेल?" संपत ने मोहन को देखते हुए उससे पूछा____"साले सड़ी गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी?"

"भोसड़ी के गांड़ तोड़ देगा तेरी।" मोहन उसकी बात सुन तैश में आ गया____"अबे सड़ी गांड़ जैसी शकल तो तेरी है, बात करता है लौड़ा।"

"अरे! संपत तुझे पता है।" भैंस का दूध निकाल रहे मंगू ने थोड़ा ऊंची आवाज़ में कहा____"इसने फिर से रवि की गांड़ में उंगली कर दी है आज।"

"क...क्या???" संपत बुरी तरह चौंका, फिर हैरत से मोहन की तरफ देखते हुए बोला____"भोसड़ी के अब क्या कर दिया बे तूने? लौड़े माना कियेला था न तेरे को। अभी समझ आया अपन को कि तूने सडेली गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी।"

"बेटीचोद अब क्या किया है बे तूने?" जगन गुस्से में आया और मोहन का गिरेबान पकड़ कर गुर्राया____"लौड़े क्या बोला है तूने रवि को?"

"अबे अपन ने घंटा कुछ नहीं बोलेला है उसको।" मोहन डर तो गया था किंतु फिर भी पूरी अकड़ और आत्मविश्वास के साथ बोला____"उस लौड़े की ही गांड़ में खुजली हो रेली थी तो अपन ने भी पेल दिया उसको। तुझे तो पता ही है कि अपन भारी डेंजर आदमी है।"

"भोसड़ी के।" जगन को उसकी बात सुन कर इतना गुस्सा आया कि उसने उसे उठा कर एक झटके में कच्ची ज़मीन पर पटक दिया। दर्द के मारे मोहन के हलक से चीख निकल गई। उसे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि जगन उसके साथ ऐसा कर सकता है।

"बेटीचोद तेरी वजह से उस दिन अपन लोग की गांड़ तोड़ कुटाई हो गयेली थी।" जगन उसके ऊपर सवार हो कर गुस्से से चिल्लाया____"और अब फिर से कुटाई होगी अपन लोग की। भोसड़ी के कितनी बार बोला अपन कि ऐसी शेखी मत झाड़ा कर, पर लौड़ा तेरे को तो समझ में ही नहीं आता।"

"अबे जगन छोड़ दे बे उसको।" संपत ने हड़बड़ा कर जल्दी से जगन को पकड़ कर खींचा और फिर बोला____"अब से नहीं करेगा वो ऐसा, छोड़ दें उसे।"

"नहीं अभी ये करेगा लौड़ा।" जगन बेहद गुस्से में था____"अपन लोग लौड़ा ये सोच के इधर गांड़ घिस घिस के मरे जा रेले हैं कि किसी दिन मौका देख के इधर से खिसक लेंगे पर ये लौड़ा अपनी हरकतों से हर बार अपन लोग की कुटाई करवा देता है।"

जगन की बातें सुन मंगू और बबलू भी भैंसों का दूध निकालना छोड़ भागते हुए आ गए। दोनों ने उन्हें अलग किया। मोहन एकदम से ख़ामोश हो गया था किंतु बिगड़े हुए चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि जगन के पटक देने की वजह से उसे कहीं चोट लग गई है जिसके चलते उसे पीड़ा हो रही है।

"सालो अगर तुम लोगों को एक दूसरे की जान ही लेनी है तो कहीं दूर जा कर ले लो।" मंगू गुस्से से चीखते हुए बोला____"मगर यहां नहीं, समझे? जब से आए हो तब से तुम लोगों की वजह से हमारा भी चैन से जीना हराम हो गया है। इतना समझाने के बाद भी अगर तुम लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा तो भाड़ में जाओ तुम तीनों। हम लोग भी अब से तुम्हारी कोई मदद नहीं करेंगे। एक तो काम कर कर के वैसे ही बुरा हाल है दूसरे भूख से जल्दी ही मर जाओगे यहां।"

मंगू की बातों का फ़ौरन ही असर हुआ। जगन का सारा गुस्सा गायब हो गया और वो मंगू के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।

"भाई अपन को माफ़ कर दो।" फिर उसने संजीदा भाव से कहा____"पर यकीन मानो अपन लोग भी यही चाहते हैं कि कोई लफड़ा न हो। बेटीचोद ये सब इसकी वजह से हो रेला है। इसे ही समझ नहीं आ रेला है कि अपन लोग को कैसे रहना चाहिए इधर। ये लौड़ा खुद तो पिटता ही है उल्टा अपन लोग को भी पिटवा देता है। अपन को समझ में नहीं आ रेला है कि इसका क्या करे अपन? पिछली रात इस लौड़े को बुखार आ गयेला था। बेटीचोद अपन की तो जान ही निकल गयेली थी पर इसको क्या? अपन लोग मरे या जिएं।"

कहते कहते जगन रो ही पड़ा। संपत की भी आंखें नम हो गईं। ये देख सहसा मोहन उठा और झपट कर जगन से लिपट गया। अगले ही पल उसकी सिसकियां फिज़ा में गूंजने लगीं। मंगू और बबलू को समझ न आया कि अब क्या बोले? बड़े ही विचित्र थे तीनों। उधर मोहन को अपने से लिपट गया देख जगन ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर आस्तीन से अपने आंसू पोंछने लगा। कुछ देर बाद मंगू और बबलू ने शांत भाव से उन्हें फिर से समझाना शुरू कर दिया।

[][][][][][]

जोगिंदर अपनी मोटर साइकिल से जल्दी ही अस्पताल पहुंच गया। वहां पर उसे रवि मिल गया। पूछने पर रवि ने उसे सारा किस्सा बता दिया कि कैसे उसके चाचा ने उसकी चाची को लाठी से मारा था जिसके चलते कमला का माथा फट गया। रवि का चेहरा ही बता रहा था कि वो बेहद दुखी था। उसकी आंखों में आसूं थे।

"अभी कहां है कमला?" जोगिंदर ने उससे पूछा तो रवि ने हाथ के इशारे से बताया कि डॉक्टर उसे उस तरफ वाले कमरे में ले गए हैं।

जोगिंदर ने देखा उस कमरे के ऊपर लाल रंग का बल्ब जल रहा था। मतलब कमला को ऑपरेशन रूम में ले जाया गया था। ये देख जोगिंदर के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं।

"चाची को कुछ होगा तो नहीं न उस्ताद?" रवि ने दुखी हो कर जोगिंदर से पूछा____"भगवान के लिए मेरी चाची को बचा लो उस्ताद।"

"चिंता मत कर।" जोगिंदर ने उसे दिलासा देते हुए कहा____"कुछ नहीं होगा कमला को। बस ज़रा सी चोट ही तो लगी है उसे। डॉक्टर जल्दी ही उसे ठीक कर देंगे।"

जोगिंदर के ऐसा कहने पर रवि के चेहरे पर राहत के चिन्ह नज़र आए। उसके बाद वो कुछ नहीं बोला। जोगिंदर भी खामोश रहा, ये अलग बात है कि उसके चेहरे पर कई तरह के भावों का आना जाना लगा रहा। कुछ देर बाद जोगिंदर ने रवि को पास ही रखी बेंच पर बैठा दिया और खुद आगे बढ़ गया।

कुछ समय बाद उस कमरे का दरवाज़ा खुला और डॉक्टर बाहर आया तो रवि फ़ौरन ही उठ कर डॉक्टर के पास पहुंच गया। अभी वो डॉक्टर से कुछ कहने ही वाला था कि तभी जोगिंदर भी आ गया। उसने डॉक्टर से कमला के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि मरीज़ अब किसी भी तरह के ख़तरे से बाहर है। ये सुन कर जोगिंदर और रवि दोनों ने ही राहत की सांस ली। डॉक्टर ने बताया कि कमला फिलहाल अभी बेहोशी की हालत में है इस लिए जब उसे होश आ जाएगा तो वो उसे ले जाने की इजाज़त दे देगा।

कमला के इलाज़ में जो खर्च आया उसे जोगिंदर ने अदा कर दिया। अब क्योंकि जोगिंदर अपना काम छोड़ कर आया था इस लिए उसके पास ज़्यादा रुकने का समय भी नहीं था। उसने रवि को कुछ पैसे दिए ताकि वो कोई वाहन कर के कमला को सुरक्षित अस्पताल से घर ले जाए।

जोगिंदर के जाने के कुछ देर बाद ही कमला को दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। ये देख रवि फ़ौरन ही उस कमरे में कमला के पास पहुंच गया। उसने देखा कमला के माथे पर मरहम पट्टी की हुई थी। उसकी आंखें अभी भी बंद थीं। उसको इस हालत में देख रवि की आंखें एक बार फिर से नम हो गईं। कमरे में और भी बिस्तर थे किंतु इस वक्त उनमें कोई नहीं था। रवि कमला के बिस्तर पर ही जा कर बैठ गया और कमला के एक हाथ को अपने हाथ में ले कर उसकी तरफ देखने लगा। अभी वो देख ही रहा था कि तभी कमरे में किसी के आने की आहट हुई जिससे रवि ने गर्दन घुमा कर दरवाज़े की तरफ देखा।

दरवाज़े से उसकी मां निर्मला और कमला की बेटी शालू अंदर दाखिल होती दिखीं। शालू अपनी मां की ऐसी हालत देखते ही भागते हुए आई और अपनी मां से लिपट गई। वो बुरी तरह रोने लगी थी। उधर निर्मला की भी आंखों से आंसू बह चले थे। रवि ने शालू को किसी तरह सम्हाला और उसे कमला से ये कह कर अलग हो जाने को कहा कि इससे उसकी मां को तकलीफ़ हो सकती है। शालू अठारह साल की लड़की थी। जवानी की दहलीज़ को पार कर चुकी थी, ऐसा उसके जिस्म को देख कर लगता था। वो रंगत से अपनी मां की ही तरह थोड़ी सांवली थी किंतु नैन नक्श काफी आकर्षक थे। चेहरे पर दुनिया भर की मासूमियत थी।

आख़िर कुछ समय बाद कमला को होश आया तो सबके चेहरे खिल उठे। खुशी से सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े। कमला की नज़र जब अपनी जेठानी निर्मला पर पड़ी तो वो हल्के से चौंकी और फिर जब उसने उसकी आंखों में आसूं देखे तो उसे ये सोच कर दुख हुआ कि जिस जेठानी पर अक्सर वो धौंस जमा के रखती है वो इस वक्त उसकी ऐसी हालत पर दुखी हो के आंसू बहा रही थी। कमला को एकाएक आत्म ग्लानि सी हुई।

"शुकर है ऊपर वाले का कि तुझे कुछ नहीं हुआ।" निर्मला ने कमला के सिर पर बड़े स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा____"मुझे जब पता चला तो मेरी तो जान ही निकल गई थी। भला क्या ज़रूरत थी तुझे महेश से उलझने की? वो पैसे मांग रहा था तो दे देती उसे।"

"कैसे दे देती दीदी?" कमला ने आहत भाव से कहा____"पैसे क्या किसी पेड़ में उगते हैं जिन्हें मैं पेड़ से तोड़ कर लाती हूं? अरे! मेहनत मजदूरी कर के एक एक रुपिया लाती हूं ताकि उससे घर का खर्चा चला सकूं और थोड़ी बहुत अपनी बेटी के ब्याह के लिए भी इकट्ठा कर सकूं मगर तुम्हारा वो देवर रोज़ उस पैसे को अपनी शराब में उड़ा देता है। अगर उसे पीना ही है तो खुद कमा के पिए। खुद को मेरा मरद कहता है और उसे इतना भी पता नहीं है कि मरद की क्या क्या ज़िम्मेदारियां होती हैं। ना उसे कमाने से मतलब है, ना उसे घर का खर्चा चलाने से मतलब है, मतलब है तो सिर्फ पीने से।"

"मैं सब जानती हूं कमला।" निर्मला ने कहा____"लेकिन ये भी जानती हूं कि वो अब सुधरने वाला भी नहीं है और अगर वो सुधरना भी चाहे तो उसके यार लोग उसे सुधरने नहीं देंगे। तू मुझसे वादा कर कि आज के बाद तू उससे नहीं उलझेगी और ना ही उससे कोई झगड़ा करेगी। अगर इसी तरह झगड़ती रहेगी तो किसी दिन बहुत बुरा हो जाएगा। आज उसने तेरा सिर फोड़ा है किसी दिन इससे भी ज़्यादा बुरा कर देगा वो। नशे में उसे ये पता ही नहीं रहता कि वो किसके साथ क्या कर रहा है? अगर तुझे कुछ हो गया तो तेरे बच्चों का क्या होगा? तेरी जवान बेटी है, क्या उसे अपने शराबी मरद के भरोसे छोड़ जाएगी? अरे! ऊपर वाले ने बेटी दी है तो कहीं न कहीं से उसको ब्याहने का इंतजाम भी वो कर ही देगा।"

"मां सही कह रही है चाची।" रवि ने कहा____"तुम्हें शालू के ब्याह की चिंता नहीं करनी चाहिए और फिर मैं भी तो हूं। वो मेरी भी तो बहन है। क्या तुम ये समझती हो कि मेरा मेरी बहन के प्रति कोई फर्ज़ नहीं है या फिर ये समझती हो कि मैं तुम्हारा कुछ लगता ही नहीं हूं?"

"नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है रवि।" कमला एकाएक दुखी हो कर बोल पड़ी____"तुम सब मेरे अपने ही तो हो।"

"तो फिर अब से तुम्हें ना तो शालू के ब्याह की चिंता करनी है।" रवि ने मजबूत लहजे में कहा____"और ना ही चाचा से लड़ाई झगड़ा करने की ज़रूरत है। तुमसे जितना हो सकता है करो, बाकी मैं तो हूं ही। तुम देखना, जिस दिन शालू का ब्याह होगा उस दिन तमाशा देखने वाले लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। मैं अपनी बहन का ब्याह बड़े धूम धाम से करूंगा।"

"लगता है मेरा बेटा सच में अब बड़ा हो गया है।" कमला ने भाव विभोर दृष्टि से रवि को देखते हुए कहा____"अपने बेटे की ये बात सुन कर अब मैं सच में बेफ़िक्र हो गई हूं।"

"रवि तू जा कर ज़रा डॉक्टर से पूछ कि अब हम कमला को ले जाएं कि नहीं?" निर्मला ने रवि से कहा।

डॉक्टर की इजाज़त मिलते ही रवि कमला को ले कर अस्पताल से चल पड़ा। जोगिंदर ने क्योंकि पैसे दिए थे इस लिए उसने एक ऑटो किया और उसमें बैठ कर सब लोग घर आ गए।

कमला का घर कच्चा ही था जिसमें दो कमरे थे और एक बरामदा। कमला को एक कमरे में बिस्तर पर लेटा दिया रवि ने। महेश घर पर नहीं था। आस पास के लोगों को जब पता चला कि कमला अस्पताल से वापस आ गई है तो कुछ औरतें उसे देखने के लिए उसके घर में आ गईं।

[][][][][][]

"ये तीनों यहां बैठे आराम क्यों फरमा रहे हैं बे बबलू?" जोगिंदर ने तबेले में घुसते ही जब तीनों नमूनों को आराम से बैठे देखा तो गुस्से से दहाड़ उठा। उसकी आवाज़ सुन कर जहां तीनों नमूनों की गाड़ फट गई वहीं मंगू और बबलू भी उछल पड़े।

"इन लोगों को मैंने ही यहां बैठे रहने को कहा था उस्ताद।" बबलू ने फ़ौरन ही जैसे मोर्चा सम्हाला____"वो असल में बात ये थी कि मवेशियों का दूध भी निकालना था और इन लोगों पर नज़र भी रखनी थी। मैंने सोचा दोनों काम एक साथ तो हो नहीं सकते क्योंकि अगर हम मवेशियों का दूध निकालने में ब्यस्त हो जाते तो ये लोग मौका देख कर यहां से भाग जाते। इस लिए मैंने सोचा कि इन्हें यहीं बुला लेता हूं। यहां ये लोग हमारी नज़र में भी रहेंगे और हम अपना काम भी करते रहेंगे।"

"वाह! शाबाश, ये बिल्कुल ठीक किया तूने।" जोगिंदर का गुस्सा एकदम ठंडा पड़ गया, बोला____"तुम्हारी बुद्धिमानी देख कर बहुत खुशी हुई मुझे। ख़ैर एक काम करो, अब से इन लोगों को भी मवेशियों का दूध दुहने का काम दे दो। मैं चाहता हूं कि ये साले आराम करने के लिए ज़मीन पर अपनी गांड़ न रखने पाएं। कोल्हू के बैल की तरह दिन भर पेरते रहो इन नमूनों को।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू ने कहा____"लेकिन उस्ताद मुझे लगता है कि इन लोगों को अभी मवेशियों का दूध निकालना नहीं आएगा तो पहले इन्हें सिखाना पड़ेगा कि दूध कैसे निकाला जाता है?"

"हां ये भी ठीक कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"इन सालों ने अपने अब तक के जीवन में चोरी चकारी के अलावा कोई काम तो किया नहीं है इस लिए इन्हें पहले हर काम करना ही सिखाओ।"

"बिल्कुल उस्ताद।" मंगू ने कहा____"आज तो मवेशियों का दूध निकाला जा चुका है इस लिए कल सुबह से इनकी क्लास शुरू करते हैं।"

"सारा दूध घर में रखवा दिया है न?" जोगिंदर ने बबलू से पूछा____"शहर में एक सेठ से बड़ा ऑर्डर मिला है। उसे बीस किलो खोवा और दस किलो घी चाहिए।"

"हो जाएगा उस्ताद।" मंगू ने सिर हिलाया____"घी तो पुराना भी कुछ रखा हुआ है।"

"हम्म्म्म।" जोगिंदर ने कहा____"ख़ैर, कमला तो अब कुछ दिनों आएगी नहीं इस लिए तुम लोगों को अब थोड़ा ज़्यादा मेहनत करनी होगी। पहले वो खोवा और घी वाला काम कर लेती थी किंतु अब ये सब तुम लोगों को ही करना होगा। बिरजू भी नहीं है यहां, वो साला परसों ही आएगा।"

"टेंशन मत लो उस्ताद।" मंगू ने कहा____"सब हो जाएगा। वैसे सेठ को खोवा और घी कब चाहिए?"

"परसों सुबह देना होगा उसे।" जोगिंदर ने कहा____"सुबह का सारा दूध तो शहर में बेच दिया जाता है। शाम वाले दूध से ही खोवा और घी का निर्माण किया जाता है। इस लिए हमें पूरी कोशिश करनी है कि बीस किलो खोवा और दस किलो घी परसों सुबह तब हो ही जाए।"

"ठीक है उस्ताद।" बबलू ने कहा____"हम पूरी कोशिश करेंगे। वैसे इस काम के लिए एक दो लोग और होते तो थोड़ा आसानी हो जाती हमें।"

"अबे तो ये नमूने किस लिए हैं?" जोगिंदर ने कहा____"इन तीनों से आज रात खोवा औटने का काम करवाओ।"

"इन लोगों के भरोसे ये काम नहीं हो सकता उस्ताद।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"इन लोगों को तो तुम जानते ही हो। अगर इन्होंने कुछ गड़बड़ कर दी तो भारी नुकसान हो सकता है।"

"हां ये भी सही कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"ये साले मेरा नुकसान ज़रूर कर सकते हैं। अच्छा चल ठीक है, मैं एक दो लोगों को पकड़ के लाता हूं इस काम के लिए।"

ये कह कर जोगिंदर ने पहले तीनों नमूनों की तरफ देखा और फिर पलट कर चला गया। उसके जाने के बाद जगन संपत और मोहन ने राहत की थोड़ी नहीं बल्कि तगड़ी सांस ली।

"बेटीचोद एक तो वैसे ही दिन भर काम कर कर के अपन लोग का बुरा हाल हो रेला है।" मोहन अपनी आदत से मजबूर बोल पड़ा____"ऊपर से ये मुछाड़िया रात में भी अपन लोग की गांड़ मार लेने का काम दे दियेला था। अपन सच कहता है, अगर सच में अपन लोग रात में ये काम करते तो पक्का अपन लोग का टिकट ऊपर के लिए कट जाना था। लौड़ा अपन के मरे हुए अम्मा बापू ने बचा लिया अपन लोग को।"

"भोसड़ी के फिर से बोला तू।" जगन ने गुस्से से उसे देखा तो उसने हड़बड़ा कर फ़ौरन ही अपने मुंह पर हाथ रख लिया। ये देख जहां संपत सिर्फ सिर हिला कर रह गया वहीं मंगू और बबलू ये कह कर हंसने लगे कि ये साला नहीं सुधरेगा।


━━━━━━━━━━━━━━
:hellrider: inki gaddi aise he ro dho ke he chalti rahegi kya , 😬
 

park

Well-Known Member
11,064
13,313
228
Update - 09
━━━━━━━━━━━━━━

कहने के साथ ही रवि पलटा और कमला को जल्दी जल्दी हिलाने डुलाने लगा। कमला नीम बेहोशी की हालत में थी। रवि एकदम से ये सोच कर घबरा गया कि कहीं उसकी चाची मर ही न जाए। वो फ़ौरन ही उठ कर बाहर की तरफ भागा। बाहर इकट्ठा हो गए लोगों को देख कर कहने लगा कि उसकी चाची को अस्पताल ले जाने में कोई मदद कर दो। रवि के कहने पर एक दो लोग आगे आए। जल्दी ही कुछ लोगों की मदद से रवि कमला को ले कर अस्पताल की तरफ चल दिया। उसने अपने एक दोस्त को जोगिंदर के पास इसकी सूचना देने के लिए भेज दिया। आस पास अजीब सी सनसनी फैल गई थी।

अब आगे....


जोगिंदर भैंसों का दूध दुहने में लगा हुआ था कि तभी उसके पास एक लड़का भागते हुए आया और फिर एक ही सांस में उसने जो कुछ बताया उसे सुन कर जोगिंदर के पैरों तले से मानो ज़मीन ही खिसक गई। लड़के को वापस भेज कर वो फ़ौरन ही उठा और मंगू को आवाज़ दे कर बुलाया।

"मैं एक ज़रूरी काम से बाहर जा रहा हूं।" मंगू और बबलू के आते ही जोगिंदर ने कहा____"भैंसों और गायों का दूध निकाल कर कनस्तर में डलवा देना तुम लोग।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू लड़के की बात सुन चुका था इस लिए उसके जाने की बात से वो हैरान नहीं हुआ, बोला____"लेकिन अगर तुम्हें वापस आने में देरी हो गई तो? मेरा मतलब है कि अगर तुम समय से वापस नहीं आए तो फिर उस दूध का क्या करना है?"

"वैसे तो मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।" जोगिंदर ने बेचैन भाव से कुछ सोचते हुए कहा____"पर अगर न आ पाऊं तो सारा दूध घर में रख देना। बाकी तो तुझे पता ही है कि क्या करना है।"

मंगू ने सिर हिलाया तो जोगिंदर तेज़ क़दमों से तबेले से बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू ने राहत की तो सांस ली ही किंतु एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए भी। अभी वो मुस्कुरा ही रहे थे कि तभी जोगिंदर को वापस आता देख चौंके।

"और हां।" वापस आते ही जोगिंदर ने कहा____"उन नमूनों की ख़बर भी रखना। मुझे उन पर ज़रा भी भरोसा नहीं है। वो साले मौका मिलते ही यहां से भाग सकते हैं इस लिए ध्यान रखना कि वो यहां से भागने न पाएं। अगर वो यहां से भागे और वापसी में मुझे वो नज़र नहीं आए तो सोच लेना इसका अंजाम तुम दोनों के लिए भी बहुत बुरा हो सकता है।"

कहने के साथ ही जोगिंदर उनकी कोई बात बिना सुने ही पलटा और किसी तूफ़ान की तरह बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू एक बार फिर से मुस्कुरा उठे।

"मुझे तो लगता है कि उस्ताद को अपनी रांड कमला से ज़्यादा उन नमूनों की फ़िक्र है।" बबलू धीरे से हंसते हुए बोला____"तभी तो उनका ख़याल आते ही वापस आ कर ये सब बोल गया।"

"फिकर तो होगी ही बे।" मंगू ने कहा____"मुफ़्त में काम करने वाले तीन तीन नमूने जो मिल गए हैं उसे।"

"ये भी ठीक कहा तूने।" बबलू ने सिर हिलाया____"वैसे अगर उस्ताद हमें उन लोगों का ध्यान रखने को बोल कर न जाता तो हम लोग उन्हें यहां से भाग जाने को कह सकते थे। उनके लिए ये बढ़िया मौका हो सकता था भाग जाने का।"

"सही कह रहा है तू।" मंगू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"हम उन्हें यहां से भगा देते और बाद में उस्ताद को बोल देते कि वो भाग गए। हमारे पास सफाई देने का मस्त बहाना भी हो जाता। मतलब कि हम उस्ताद से कह देते कि तबेले में हम दोनों ही तो थे और दोनों ही मवेशियों का दूध निकाल रहे थे। ऐसे में हम भला कैसे उन नमूनों पर नज़र रख सकते थे? यानि वो नमूने मौका देख कर फरार हो गए।"

"बिल्कुल।" बबलू ने कहा____"हमारी बातें उस्ताद को समझ में आ ही जातीं। इतना तो वो समझता ही कि हम भला एक ही वक्त पर क्या क्या कर लेते? अगर उन नमूनों पर नज़र रखते तो यहां मवेशियों का दूध कैसे निकाल पाते और अगर यहां मवेशियों का दूध निकालने में लग जाते तो उन नमूनों पर नज़र कैसे रख सकते थे?"

"उस्ताद हाथ मलने के सिवा कुछ न कर पाता भाई।" मंगू ने कहा____"मगर अफ़सोस कि अब ऐसा हो ही नहीं पाएगा। वो बोल कर गया है कि उन पर नज़र रखनी है और वो लोग उसके आने पर उसे नज़र भी आने चाहिए। उन बेचारों की किस्मत ही ख़राब है। साला मस्त मौका था आज उनके लिए यहां से खिसक लेने का।"

"ख़ैर जाने दे।" बबलू ने कहा____"अब तो हमें उन पर नज़र रखनी ही होगी इस लिए उन्हें तबेले में ही बुला लेते हैं। यहां हमारी नज़रों के सामने रहेंगे तो ठीक रहेगा। ऐसे में हम अपना काम भी कर पाएंगे और उन पर नज़र भी रखे रहेंगे। साले सच में ही भाग गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे।"

कुछ ही देर में वो तीनों नमूनों को तबेले में बुला लाए। जगन और संपत तो थकान की वजह से मुर्दा से जान पड़ते थे किंतु मोहन की हालत इसके अलावा भी एक दूसरी वजह से ख़राब थी। मंगू ने उसे धीरे से बता दिया कि उसे फिलहाल चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि कमला किसी वजह से अस्पताल पहुंच गई है। मोहन को ये जान कर राहत तो हुई लेकिन अब वो ये सोचने लगा कि कमला अस्पताल कैसे पहुंच गई होगी?

"अबे तुझे क्या हुआ है बे पांचवीं फेल?" संपत ने मोहन को देखते हुए उससे पूछा____"साले सड़ी गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी?"

"भोसड़ी के गांड़ तोड़ देगा तेरी।" मोहन उसकी बात सुन तैश में आ गया____"अबे सड़ी गांड़ जैसी शकल तो तेरी है, बात करता है लौड़ा।"

"अरे! संपत तुझे पता है।" भैंस का दूध निकाल रहे मंगू ने थोड़ा ऊंची आवाज़ में कहा____"इसने फिर से रवि की गांड़ में उंगली कर दी है आज।"

"क...क्या???" संपत बुरी तरह चौंका, फिर हैरत से मोहन की तरफ देखते हुए बोला____"भोसड़ी के अब क्या कर दिया बे तूने? लौड़े माना कियेला था न तेरे को। अभी समझ आया अपन को कि तूने सडेली गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी।"

"बेटीचोद अब क्या किया है बे तूने?" जगन गुस्से में आया और मोहन का गिरेबान पकड़ कर गुर्राया____"लौड़े क्या बोला है तूने रवि को?"

"अबे अपन ने घंटा कुछ नहीं बोलेला है उसको।" मोहन डर तो गया था किंतु फिर भी पूरी अकड़ और आत्मविश्वास के साथ बोला____"उस लौड़े की ही गांड़ में खुजली हो रेली थी तो अपन ने भी पेल दिया उसको। तुझे तो पता ही है कि अपन भारी डेंजर आदमी है।"

"भोसड़ी के।" जगन को उसकी बात सुन कर इतना गुस्सा आया कि उसने उसे उठा कर एक झटके में कच्ची ज़मीन पर पटक दिया। दर्द के मारे मोहन के हलक से चीख निकल गई। उसे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि जगन उसके साथ ऐसा कर सकता है।

"बेटीचोद तेरी वजह से उस दिन अपन लोग की गांड़ तोड़ कुटाई हो गयेली थी।" जगन उसके ऊपर सवार हो कर गुस्से से चिल्लाया____"और अब फिर से कुटाई होगी अपन लोग की। भोसड़ी के कितनी बार बोला अपन कि ऐसी शेखी मत झाड़ा कर, पर लौड़ा तेरे को तो समझ में ही नहीं आता।"

"अबे जगन छोड़ दे बे उसको।" संपत ने हड़बड़ा कर जल्दी से जगन को पकड़ कर खींचा और फिर बोला____"अब से नहीं करेगा वो ऐसा, छोड़ दें उसे।"

"नहीं अभी ये करेगा लौड़ा।" जगन बेहद गुस्से में था____"अपन लोग लौड़ा ये सोच के इधर गांड़ घिस घिस के मरे जा रेले हैं कि किसी दिन मौका देख के इधर से खिसक लेंगे पर ये लौड़ा अपनी हरकतों से हर बार अपन लोग की कुटाई करवा देता है।"

जगन की बातें सुन मंगू और बबलू भी भैंसों का दूध निकालना छोड़ भागते हुए आ गए। दोनों ने उन्हें अलग किया। मोहन एकदम से ख़ामोश हो गया था किंतु बिगड़े हुए चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि जगन के पटक देने की वजह से उसे कहीं चोट लग गई है जिसके चलते उसे पीड़ा हो रही है।

"सालो अगर तुम लोगों को एक दूसरे की जान ही लेनी है तो कहीं दूर जा कर ले लो।" मंगू गुस्से से चीखते हुए बोला____"मगर यहां नहीं, समझे? जब से आए हो तब से तुम लोगों की वजह से हमारा भी चैन से जीना हराम हो गया है। इतना समझाने के बाद भी अगर तुम लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा तो भाड़ में जाओ तुम तीनों। हम लोग भी अब से तुम्हारी कोई मदद नहीं करेंगे। एक तो काम कर कर के वैसे ही बुरा हाल है दूसरे भूख से जल्दी ही मर जाओगे यहां।"

मंगू की बातों का फ़ौरन ही असर हुआ। जगन का सारा गुस्सा गायब हो गया और वो मंगू के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।

"भाई अपन को माफ़ कर दो।" फिर उसने संजीदा भाव से कहा____"पर यकीन मानो अपन लोग भी यही चाहते हैं कि कोई लफड़ा न हो। बेटीचोद ये सब इसकी वजह से हो रेला है। इसे ही समझ नहीं आ रेला है कि अपन लोग को कैसे रहना चाहिए इधर। ये लौड़ा खुद तो पिटता ही है उल्टा अपन लोग को भी पिटवा देता है। अपन को समझ में नहीं आ रेला है कि इसका क्या करे अपन? पिछली रात इस लौड़े को बुखार आ गयेला था। बेटीचोद अपन की तो जान ही निकल गयेली थी पर इसको क्या? अपन लोग मरे या जिएं।"

कहते कहते जगन रो ही पड़ा। संपत की भी आंखें नम हो गईं। ये देख सहसा मोहन उठा और झपट कर जगन से लिपट गया। अगले ही पल उसकी सिसकियां फिज़ा में गूंजने लगीं। मंगू और बबलू को समझ न आया कि अब क्या बोले? बड़े ही विचित्र थे तीनों। उधर मोहन को अपने से लिपट गया देख जगन ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर आस्तीन से अपने आंसू पोंछने लगा। कुछ देर बाद मंगू और बबलू ने शांत भाव से उन्हें फिर से समझाना शुरू कर दिया।

[][][][][][]

जोगिंदर अपनी मोटर साइकिल से जल्दी ही अस्पताल पहुंच गया। वहां पर उसे रवि मिल गया। पूछने पर रवि ने उसे सारा किस्सा बता दिया कि कैसे उसके चाचा ने उसकी चाची को लाठी से मारा था जिसके चलते कमला का माथा फट गया। रवि का चेहरा ही बता रहा था कि वो बेहद दुखी था। उसकी आंखों में आसूं थे।

"अभी कहां है कमला?" जोगिंदर ने उससे पूछा तो रवि ने हाथ के इशारे से बताया कि डॉक्टर उसे उस तरफ वाले कमरे में ले गए हैं।

जोगिंदर ने देखा उस कमरे के ऊपर लाल रंग का बल्ब जल रहा था। मतलब कमला को ऑपरेशन रूम में ले जाया गया था। ये देख जोगिंदर के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं।

"चाची को कुछ होगा तो नहीं न उस्ताद?" रवि ने दुखी हो कर जोगिंदर से पूछा____"भगवान के लिए मेरी चाची को बचा लो उस्ताद।"

"चिंता मत कर।" जोगिंदर ने उसे दिलासा देते हुए कहा____"कुछ नहीं होगा कमला को। बस ज़रा सी चोट ही तो लगी है उसे। डॉक्टर जल्दी ही उसे ठीक कर देंगे।"

जोगिंदर के ऐसा कहने पर रवि के चेहरे पर राहत के चिन्ह नज़र आए। उसके बाद वो कुछ नहीं बोला। जोगिंदर भी खामोश रहा, ये अलग बात है कि उसके चेहरे पर कई तरह के भावों का आना जाना लगा रहा। कुछ देर बाद जोगिंदर ने रवि को पास ही रखी बेंच पर बैठा दिया और खुद आगे बढ़ गया।

कुछ समय बाद उस कमरे का दरवाज़ा खुला और डॉक्टर बाहर आया तो रवि फ़ौरन ही उठ कर डॉक्टर के पास पहुंच गया। अभी वो डॉक्टर से कुछ कहने ही वाला था कि तभी जोगिंदर भी आ गया। उसने डॉक्टर से कमला के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि मरीज़ अब किसी भी तरह के ख़तरे से बाहर है। ये सुन कर जोगिंदर और रवि दोनों ने ही राहत की सांस ली। डॉक्टर ने बताया कि कमला फिलहाल अभी बेहोशी की हालत में है इस लिए जब उसे होश आ जाएगा तो वो उसे ले जाने की इजाज़त दे देगा।

कमला के इलाज़ में जो खर्च आया उसे जोगिंदर ने अदा कर दिया। अब क्योंकि जोगिंदर अपना काम छोड़ कर आया था इस लिए उसके पास ज़्यादा रुकने का समय भी नहीं था। उसने रवि को कुछ पैसे दिए ताकि वो कोई वाहन कर के कमला को सुरक्षित अस्पताल से घर ले जाए।

जोगिंदर के जाने के कुछ देर बाद ही कमला को दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। ये देख रवि फ़ौरन ही उस कमरे में कमला के पास पहुंच गया। उसने देखा कमला के माथे पर मरहम पट्टी की हुई थी। उसकी आंखें अभी भी बंद थीं। उसको इस हालत में देख रवि की आंखें एक बार फिर से नम हो गईं। कमरे में और भी बिस्तर थे किंतु इस वक्त उनमें कोई नहीं था। रवि कमला के बिस्तर पर ही जा कर बैठ गया और कमला के एक हाथ को अपने हाथ में ले कर उसकी तरफ देखने लगा। अभी वो देख ही रहा था कि तभी कमरे में किसी के आने की आहट हुई जिससे रवि ने गर्दन घुमा कर दरवाज़े की तरफ देखा।

दरवाज़े से उसकी मां निर्मला और कमला की बेटी शालू अंदर दाखिल होती दिखीं। शालू अपनी मां की ऐसी हालत देखते ही भागते हुए आई और अपनी मां से लिपट गई। वो बुरी तरह रोने लगी थी। उधर निर्मला की भी आंखों से आंसू बह चले थे। रवि ने शालू को किसी तरह सम्हाला और उसे कमला से ये कह कर अलग हो जाने को कहा कि इससे उसकी मां को तकलीफ़ हो सकती है। शालू अठारह साल की लड़की थी। जवानी की दहलीज़ को पार कर चुकी थी, ऐसा उसके जिस्म को देख कर लगता था। वो रंगत से अपनी मां की ही तरह थोड़ी सांवली थी किंतु नैन नक्श काफी आकर्षक थे। चेहरे पर दुनिया भर की मासूमियत थी।

आख़िर कुछ समय बाद कमला को होश आया तो सबके चेहरे खिल उठे। खुशी से सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े। कमला की नज़र जब अपनी जेठानी निर्मला पर पड़ी तो वो हल्के से चौंकी और फिर जब उसने उसकी आंखों में आसूं देखे तो उसे ये सोच कर दुख हुआ कि जिस जेठानी पर अक्सर वो धौंस जमा के रखती है वो इस वक्त उसकी ऐसी हालत पर दुखी हो के आंसू बहा रही थी। कमला को एकाएक आत्म ग्लानि सी हुई।

"शुकर है ऊपर वाले का कि तुझे कुछ नहीं हुआ।" निर्मला ने कमला के सिर पर बड़े स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा____"मुझे जब पता चला तो मेरी तो जान ही निकल गई थी। भला क्या ज़रूरत थी तुझे महेश से उलझने की? वो पैसे मांग रहा था तो दे देती उसे।"

"कैसे दे देती दीदी?" कमला ने आहत भाव से कहा____"पैसे क्या किसी पेड़ में उगते हैं जिन्हें मैं पेड़ से तोड़ कर लाती हूं? अरे! मेहनत मजदूरी कर के एक एक रुपिया लाती हूं ताकि उससे घर का खर्चा चला सकूं और थोड़ी बहुत अपनी बेटी के ब्याह के लिए भी इकट्ठा कर सकूं मगर तुम्हारा वो देवर रोज़ उस पैसे को अपनी शराब में उड़ा देता है। अगर उसे पीना ही है तो खुद कमा के पिए। खुद को मेरा मरद कहता है और उसे इतना भी पता नहीं है कि मरद की क्या क्या ज़िम्मेदारियां होती हैं। ना उसे कमाने से मतलब है, ना उसे घर का खर्चा चलाने से मतलब है, मतलब है तो सिर्फ पीने से।"

"मैं सब जानती हूं कमला।" निर्मला ने कहा____"लेकिन ये भी जानती हूं कि वो अब सुधरने वाला भी नहीं है और अगर वो सुधरना भी चाहे तो उसके यार लोग उसे सुधरने नहीं देंगे। तू मुझसे वादा कर कि आज के बाद तू उससे नहीं उलझेगी और ना ही उससे कोई झगड़ा करेगी। अगर इसी तरह झगड़ती रहेगी तो किसी दिन बहुत बुरा हो जाएगा। आज उसने तेरा सिर फोड़ा है किसी दिन इससे भी ज़्यादा बुरा कर देगा वो। नशे में उसे ये पता ही नहीं रहता कि वो किसके साथ क्या कर रहा है? अगर तुझे कुछ हो गया तो तेरे बच्चों का क्या होगा? तेरी जवान बेटी है, क्या उसे अपने शराबी मरद के भरोसे छोड़ जाएगी? अरे! ऊपर वाले ने बेटी दी है तो कहीं न कहीं से उसको ब्याहने का इंतजाम भी वो कर ही देगा।"

"मां सही कह रही है चाची।" रवि ने कहा____"तुम्हें शालू के ब्याह की चिंता नहीं करनी चाहिए और फिर मैं भी तो हूं। वो मेरी भी तो बहन है। क्या तुम ये समझती हो कि मेरा मेरी बहन के प्रति कोई फर्ज़ नहीं है या फिर ये समझती हो कि मैं तुम्हारा कुछ लगता ही नहीं हूं?"

"नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है रवि।" कमला एकाएक दुखी हो कर बोल पड़ी____"तुम सब मेरे अपने ही तो हो।"

"तो फिर अब से तुम्हें ना तो शालू के ब्याह की चिंता करनी है।" रवि ने मजबूत लहजे में कहा____"और ना ही चाचा से लड़ाई झगड़ा करने की ज़रूरत है। तुमसे जितना हो सकता है करो, बाकी मैं तो हूं ही। तुम देखना, जिस दिन शालू का ब्याह होगा उस दिन तमाशा देखने वाले लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। मैं अपनी बहन का ब्याह बड़े धूम धाम से करूंगा।"

"लगता है मेरा बेटा सच में अब बड़ा हो गया है।" कमला ने भाव विभोर दृष्टि से रवि को देखते हुए कहा____"अपने बेटे की ये बात सुन कर अब मैं सच में बेफ़िक्र हो गई हूं।"

"रवि तू जा कर ज़रा डॉक्टर से पूछ कि अब हम कमला को ले जाएं कि नहीं?" निर्मला ने रवि से कहा।

डॉक्टर की इजाज़त मिलते ही रवि कमला को ले कर अस्पताल से चल पड़ा। जोगिंदर ने क्योंकि पैसे दिए थे इस लिए उसने एक ऑटो किया और उसमें बैठ कर सब लोग घर आ गए।

कमला का घर कच्चा ही था जिसमें दो कमरे थे और एक बरामदा। कमला को एक कमरे में बिस्तर पर लेटा दिया रवि ने। महेश घर पर नहीं था। आस पास के लोगों को जब पता चला कि कमला अस्पताल से वापस आ गई है तो कुछ औरतें उसे देखने के लिए उसके घर में आ गईं।

[][][][][][]

"ये तीनों यहां बैठे आराम क्यों फरमा रहे हैं बे बबलू?" जोगिंदर ने तबेले में घुसते ही जब तीनों नमूनों को आराम से बैठे देखा तो गुस्से से दहाड़ उठा। उसकी आवाज़ सुन कर जहां तीनों नमूनों की गाड़ फट गई वहीं मंगू और बबलू भी उछल पड़े।

"इन लोगों को मैंने ही यहां बैठे रहने को कहा था उस्ताद।" बबलू ने फ़ौरन ही जैसे मोर्चा सम्हाला____"वो असल में बात ये थी कि मवेशियों का दूध भी निकालना था और इन लोगों पर नज़र भी रखनी थी। मैंने सोचा दोनों काम एक साथ तो हो नहीं सकते क्योंकि अगर हम मवेशियों का दूध निकालने में ब्यस्त हो जाते तो ये लोग मौका देख कर यहां से भाग जाते। इस लिए मैंने सोचा कि इन्हें यहीं बुला लेता हूं। यहां ये लोग हमारी नज़र में भी रहेंगे और हम अपना काम भी करते रहेंगे।"

"वाह! शाबाश, ये बिल्कुल ठीक किया तूने।" जोगिंदर का गुस्सा एकदम ठंडा पड़ गया, बोला____"तुम्हारी बुद्धिमानी देख कर बहुत खुशी हुई मुझे। ख़ैर एक काम करो, अब से इन लोगों को भी मवेशियों का दूध दुहने का काम दे दो। मैं चाहता हूं कि ये साले आराम करने के लिए ज़मीन पर अपनी गांड़ न रखने पाएं। कोल्हू के बैल की तरह दिन भर पेरते रहो इन नमूनों को।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू ने कहा____"लेकिन उस्ताद मुझे लगता है कि इन लोगों को अभी मवेशियों का दूध निकालना नहीं आएगा तो पहले इन्हें सिखाना पड़ेगा कि दूध कैसे निकाला जाता है?"

"हां ये भी ठीक कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"इन सालों ने अपने अब तक के जीवन में चोरी चकारी के अलावा कोई काम तो किया नहीं है इस लिए इन्हें पहले हर काम करना ही सिखाओ।"

"बिल्कुल उस्ताद।" मंगू ने कहा____"आज तो मवेशियों का दूध निकाला जा चुका है इस लिए कल सुबह से इनकी क्लास शुरू करते हैं।"

"सारा दूध घर में रखवा दिया है न?" जोगिंदर ने बबलू से पूछा____"शहर में एक सेठ से बड़ा ऑर्डर मिला है। उसे बीस किलो खोवा और दस किलो घी चाहिए।"

"हो जाएगा उस्ताद।" मंगू ने सिर हिलाया____"घी तो पुराना भी कुछ रखा हुआ है।"

"हम्म्म्म।" जोगिंदर ने कहा____"ख़ैर, कमला तो अब कुछ दिनों आएगी नहीं इस लिए तुम लोगों को अब थोड़ा ज़्यादा मेहनत करनी होगी। पहले वो खोवा और घी वाला काम कर लेती थी किंतु अब ये सब तुम लोगों को ही करना होगा। बिरजू भी नहीं है यहां, वो साला परसों ही आएगा।"

"टेंशन मत लो उस्ताद।" मंगू ने कहा____"सब हो जाएगा। वैसे सेठ को खोवा और घी कब चाहिए?"

"परसों सुबह देना होगा उसे।" जोगिंदर ने कहा____"सुबह का सारा दूध तो शहर में बेच दिया जाता है। शाम वाले दूध से ही खोवा और घी का निर्माण किया जाता है। इस लिए हमें पूरी कोशिश करनी है कि बीस किलो खोवा और दस किलो घी परसों सुबह तब हो ही जाए।"

"ठीक है उस्ताद।" बबलू ने कहा____"हम पूरी कोशिश करेंगे। वैसे इस काम के लिए एक दो लोग और होते तो थोड़ा आसानी हो जाती हमें।"

"अबे तो ये नमूने किस लिए हैं?" जोगिंदर ने कहा____"इन तीनों से आज रात खोवा औटने का काम करवाओ।"

"इन लोगों के भरोसे ये काम नहीं हो सकता उस्ताद।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"इन लोगों को तो तुम जानते ही हो। अगर इन्होंने कुछ गड़बड़ कर दी तो भारी नुकसान हो सकता है।"

"हां ये भी सही कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"ये साले मेरा नुकसान ज़रूर कर सकते हैं। अच्छा चल ठीक है, मैं एक दो लोगों को पकड़ के लाता हूं इस काम के लिए।"

ये कह कर जोगिंदर ने पहले तीनों नमूनों की तरफ देखा और फिर पलट कर चला गया। उसके जाने के बाद जगन संपत और मोहन ने राहत की थोड़ी नहीं बल्कि तगड़ी सांस ली।

"बेटीचोद एक तो वैसे ही दिन भर काम कर कर के अपन लोग का बुरा हाल हो रेला है।" मोहन अपनी आदत से मजबूर बोल पड़ा____"ऊपर से ये मुछाड़िया रात में भी अपन लोग की गांड़ मार लेने का काम दे दियेला था। अपन सच कहता है, अगर सच में अपन लोग रात में ये काम करते तो पक्का अपन लोग का टिकट ऊपर के लिए कट जाना था। लौड़ा अपन के मरे हुए अम्मा बापू ने बचा लिया अपन लोग को।"

"भोसड़ी के फिर से बोला तू।" जगन ने गुस्से से उसे देखा तो उसने हड़बड़ा कर फ़ौरन ही अपने मुंह पर हाथ रख लिया। ये देख जहां संपत सिर्फ सिर हिला कर रह गया वहीं मंगू और बबलू ये कह कर हंसने लगे कि ये साला नहीं सुधरेगा।


━━━━━━━━━━━━━━
Nice and superb update....
 

kas1709

Well-Known Member
9,349
9,869
173
Update - 09
━━━━━━━━━━━━━━

कहने के साथ ही रवि पलटा और कमला को जल्दी जल्दी हिलाने डुलाने लगा। कमला नीम बेहोशी की हालत में थी। रवि एकदम से ये सोच कर घबरा गया कि कहीं उसकी चाची मर ही न जाए। वो फ़ौरन ही उठ कर बाहर की तरफ भागा। बाहर इकट्ठा हो गए लोगों को देख कर कहने लगा कि उसकी चाची को अस्पताल ले जाने में कोई मदद कर दो। रवि के कहने पर एक दो लोग आगे आए। जल्दी ही कुछ लोगों की मदद से रवि कमला को ले कर अस्पताल की तरफ चल दिया। उसने अपने एक दोस्त को जोगिंदर के पास इसकी सूचना देने के लिए भेज दिया। आस पास अजीब सी सनसनी फैल गई थी।

अब आगे....


जोगिंदर भैंसों का दूध दुहने में लगा हुआ था कि तभी उसके पास एक लड़का भागते हुए आया और फिर एक ही सांस में उसने जो कुछ बताया उसे सुन कर जोगिंदर के पैरों तले से मानो ज़मीन ही खिसक गई। लड़के को वापस भेज कर वो फ़ौरन ही उठा और मंगू को आवाज़ दे कर बुलाया।

"मैं एक ज़रूरी काम से बाहर जा रहा हूं।" मंगू और बबलू के आते ही जोगिंदर ने कहा____"भैंसों और गायों का दूध निकाल कर कनस्तर में डलवा देना तुम लोग।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू लड़के की बात सुन चुका था इस लिए उसके जाने की बात से वो हैरान नहीं हुआ, बोला____"लेकिन अगर तुम्हें वापस आने में देरी हो गई तो? मेरा मतलब है कि अगर तुम समय से वापस नहीं आए तो फिर उस दूध का क्या करना है?"

"वैसे तो मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।" जोगिंदर ने बेचैन भाव से कुछ सोचते हुए कहा____"पर अगर न आ पाऊं तो सारा दूध घर में रख देना। बाकी तो तुझे पता ही है कि क्या करना है।"

मंगू ने सिर हिलाया तो जोगिंदर तेज़ क़दमों से तबेले से बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू ने राहत की तो सांस ली ही किंतु एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए भी। अभी वो मुस्कुरा ही रहे थे कि तभी जोगिंदर को वापस आता देख चौंके।

"और हां।" वापस आते ही जोगिंदर ने कहा____"उन नमूनों की ख़बर भी रखना। मुझे उन पर ज़रा भी भरोसा नहीं है। वो साले मौका मिलते ही यहां से भाग सकते हैं इस लिए ध्यान रखना कि वो यहां से भागने न पाएं। अगर वो यहां से भागे और वापसी में मुझे वो नज़र नहीं आए तो सोच लेना इसका अंजाम तुम दोनों के लिए भी बहुत बुरा हो सकता है।"

कहने के साथ ही जोगिंदर उनकी कोई बात बिना सुने ही पलटा और किसी तूफ़ान की तरह बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू एक बार फिर से मुस्कुरा उठे।

"मुझे तो लगता है कि उस्ताद को अपनी रांड कमला से ज़्यादा उन नमूनों की फ़िक्र है।" बबलू धीरे से हंसते हुए बोला____"तभी तो उनका ख़याल आते ही वापस आ कर ये सब बोल गया।"

"फिकर तो होगी ही बे।" मंगू ने कहा____"मुफ़्त में काम करने वाले तीन तीन नमूने जो मिल गए हैं उसे।"

"ये भी ठीक कहा तूने।" बबलू ने सिर हिलाया____"वैसे अगर उस्ताद हमें उन लोगों का ध्यान रखने को बोल कर न जाता तो हम लोग उन्हें यहां से भाग जाने को कह सकते थे। उनके लिए ये बढ़िया मौका हो सकता था भाग जाने का।"

"सही कह रहा है तू।" मंगू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"हम उन्हें यहां से भगा देते और बाद में उस्ताद को बोल देते कि वो भाग गए। हमारे पास सफाई देने का मस्त बहाना भी हो जाता। मतलब कि हम उस्ताद से कह देते कि तबेले में हम दोनों ही तो थे और दोनों ही मवेशियों का दूध निकाल रहे थे। ऐसे में हम भला कैसे उन नमूनों पर नज़र रख सकते थे? यानि वो नमूने मौका देख कर फरार हो गए।"

"बिल्कुल।" बबलू ने कहा____"हमारी बातें उस्ताद को समझ में आ ही जातीं। इतना तो वो समझता ही कि हम भला एक ही वक्त पर क्या क्या कर लेते? अगर उन नमूनों पर नज़र रखते तो यहां मवेशियों का दूध कैसे निकाल पाते और अगर यहां मवेशियों का दूध निकालने में लग जाते तो उन नमूनों पर नज़र कैसे रख सकते थे?"

"उस्ताद हाथ मलने के सिवा कुछ न कर पाता भाई।" मंगू ने कहा____"मगर अफ़सोस कि अब ऐसा हो ही नहीं पाएगा। वो बोल कर गया है कि उन पर नज़र रखनी है और वो लोग उसके आने पर उसे नज़र भी आने चाहिए। उन बेचारों की किस्मत ही ख़राब है। साला मस्त मौका था आज उनके लिए यहां से खिसक लेने का।"

"ख़ैर जाने दे।" बबलू ने कहा____"अब तो हमें उन पर नज़र रखनी ही होगी इस लिए उन्हें तबेले में ही बुला लेते हैं। यहां हमारी नज़रों के सामने रहेंगे तो ठीक रहेगा। ऐसे में हम अपना काम भी कर पाएंगे और उन पर नज़र भी रखे रहेंगे। साले सच में ही भाग गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे।"

कुछ ही देर में वो तीनों नमूनों को तबेले में बुला लाए। जगन और संपत तो थकान की वजह से मुर्दा से जान पड़ते थे किंतु मोहन की हालत इसके अलावा भी एक दूसरी वजह से ख़राब थी। मंगू ने उसे धीरे से बता दिया कि उसे फिलहाल चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि कमला किसी वजह से अस्पताल पहुंच गई है। मोहन को ये जान कर राहत तो हुई लेकिन अब वो ये सोचने लगा कि कमला अस्पताल कैसे पहुंच गई होगी?

"अबे तुझे क्या हुआ है बे पांचवीं फेल?" संपत ने मोहन को देखते हुए उससे पूछा____"साले सड़ी गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी?"

"भोसड़ी के गांड़ तोड़ देगा तेरी।" मोहन उसकी बात सुन तैश में आ गया____"अबे सड़ी गांड़ जैसी शकल तो तेरी है, बात करता है लौड़ा।"

"अरे! संपत तुझे पता है।" भैंस का दूध निकाल रहे मंगू ने थोड़ा ऊंची आवाज़ में कहा____"इसने फिर से रवि की गांड़ में उंगली कर दी है आज।"

"क...क्या???" संपत बुरी तरह चौंका, फिर हैरत से मोहन की तरफ देखते हुए बोला____"भोसड़ी के अब क्या कर दिया बे तूने? लौड़े माना कियेला था न तेरे को। अभी समझ आया अपन को कि तूने सडेली गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी।"

"बेटीचोद अब क्या किया है बे तूने?" जगन गुस्से में आया और मोहन का गिरेबान पकड़ कर गुर्राया____"लौड़े क्या बोला है तूने रवि को?"

"अबे अपन ने घंटा कुछ नहीं बोलेला है उसको।" मोहन डर तो गया था किंतु फिर भी पूरी अकड़ और आत्मविश्वास के साथ बोला____"उस लौड़े की ही गांड़ में खुजली हो रेली थी तो अपन ने भी पेल दिया उसको। तुझे तो पता ही है कि अपन भारी डेंजर आदमी है।"

"भोसड़ी के।" जगन को उसकी बात सुन कर इतना गुस्सा आया कि उसने उसे उठा कर एक झटके में कच्ची ज़मीन पर पटक दिया। दर्द के मारे मोहन के हलक से चीख निकल गई। उसे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि जगन उसके साथ ऐसा कर सकता है।

"बेटीचोद तेरी वजह से उस दिन अपन लोग की गांड़ तोड़ कुटाई हो गयेली थी।" जगन उसके ऊपर सवार हो कर गुस्से से चिल्लाया____"और अब फिर से कुटाई होगी अपन लोग की। भोसड़ी के कितनी बार बोला अपन कि ऐसी शेखी मत झाड़ा कर, पर लौड़ा तेरे को तो समझ में ही नहीं आता।"

"अबे जगन छोड़ दे बे उसको।" संपत ने हड़बड़ा कर जल्दी से जगन को पकड़ कर खींचा और फिर बोला____"अब से नहीं करेगा वो ऐसा, छोड़ दें उसे।"

"नहीं अभी ये करेगा लौड़ा।" जगन बेहद गुस्से में था____"अपन लोग लौड़ा ये सोच के इधर गांड़ घिस घिस के मरे जा रेले हैं कि किसी दिन मौका देख के इधर से खिसक लेंगे पर ये लौड़ा अपनी हरकतों से हर बार अपन लोग की कुटाई करवा देता है।"

जगन की बातें सुन मंगू और बबलू भी भैंसों का दूध निकालना छोड़ भागते हुए आ गए। दोनों ने उन्हें अलग किया। मोहन एकदम से ख़ामोश हो गया था किंतु बिगड़े हुए चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि जगन के पटक देने की वजह से उसे कहीं चोट लग गई है जिसके चलते उसे पीड़ा हो रही है।

"सालो अगर तुम लोगों को एक दूसरे की जान ही लेनी है तो कहीं दूर जा कर ले लो।" मंगू गुस्से से चीखते हुए बोला____"मगर यहां नहीं, समझे? जब से आए हो तब से तुम लोगों की वजह से हमारा भी चैन से जीना हराम हो गया है। इतना समझाने के बाद भी अगर तुम लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा तो भाड़ में जाओ तुम तीनों। हम लोग भी अब से तुम्हारी कोई मदद नहीं करेंगे। एक तो काम कर कर के वैसे ही बुरा हाल है दूसरे भूख से जल्दी ही मर जाओगे यहां।"

मंगू की बातों का फ़ौरन ही असर हुआ। जगन का सारा गुस्सा गायब हो गया और वो मंगू के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।

"भाई अपन को माफ़ कर दो।" फिर उसने संजीदा भाव से कहा____"पर यकीन मानो अपन लोग भी यही चाहते हैं कि कोई लफड़ा न हो। बेटीचोद ये सब इसकी वजह से हो रेला है। इसे ही समझ नहीं आ रेला है कि अपन लोग को कैसे रहना चाहिए इधर। ये लौड़ा खुद तो पिटता ही है उल्टा अपन लोग को भी पिटवा देता है। अपन को समझ में नहीं आ रेला है कि इसका क्या करे अपन? पिछली रात इस लौड़े को बुखार आ गयेला था। बेटीचोद अपन की तो जान ही निकल गयेली थी पर इसको क्या? अपन लोग मरे या जिएं।"

कहते कहते जगन रो ही पड़ा। संपत की भी आंखें नम हो गईं। ये देख सहसा मोहन उठा और झपट कर जगन से लिपट गया। अगले ही पल उसकी सिसकियां फिज़ा में गूंजने लगीं। मंगू और बबलू को समझ न आया कि अब क्या बोले? बड़े ही विचित्र थे तीनों। उधर मोहन को अपने से लिपट गया देख जगन ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर आस्तीन से अपने आंसू पोंछने लगा। कुछ देर बाद मंगू और बबलू ने शांत भाव से उन्हें फिर से समझाना शुरू कर दिया।

[][][][][][]

जोगिंदर अपनी मोटर साइकिल से जल्दी ही अस्पताल पहुंच गया। वहां पर उसे रवि मिल गया। पूछने पर रवि ने उसे सारा किस्सा बता दिया कि कैसे उसके चाचा ने उसकी चाची को लाठी से मारा था जिसके चलते कमला का माथा फट गया। रवि का चेहरा ही बता रहा था कि वो बेहद दुखी था। उसकी आंखों में आसूं थे।

"अभी कहां है कमला?" जोगिंदर ने उससे पूछा तो रवि ने हाथ के इशारे से बताया कि डॉक्टर उसे उस तरफ वाले कमरे में ले गए हैं।

जोगिंदर ने देखा उस कमरे के ऊपर लाल रंग का बल्ब जल रहा था। मतलब कमला को ऑपरेशन रूम में ले जाया गया था। ये देख जोगिंदर के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं।

"चाची को कुछ होगा तो नहीं न उस्ताद?" रवि ने दुखी हो कर जोगिंदर से पूछा____"भगवान के लिए मेरी चाची को बचा लो उस्ताद।"

"चिंता मत कर।" जोगिंदर ने उसे दिलासा देते हुए कहा____"कुछ नहीं होगा कमला को। बस ज़रा सी चोट ही तो लगी है उसे। डॉक्टर जल्दी ही उसे ठीक कर देंगे।"

जोगिंदर के ऐसा कहने पर रवि के चेहरे पर राहत के चिन्ह नज़र आए। उसके बाद वो कुछ नहीं बोला। जोगिंदर भी खामोश रहा, ये अलग बात है कि उसके चेहरे पर कई तरह के भावों का आना जाना लगा रहा। कुछ देर बाद जोगिंदर ने रवि को पास ही रखी बेंच पर बैठा दिया और खुद आगे बढ़ गया।

कुछ समय बाद उस कमरे का दरवाज़ा खुला और डॉक्टर बाहर आया तो रवि फ़ौरन ही उठ कर डॉक्टर के पास पहुंच गया। अभी वो डॉक्टर से कुछ कहने ही वाला था कि तभी जोगिंदर भी आ गया। उसने डॉक्टर से कमला के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि मरीज़ अब किसी भी तरह के ख़तरे से बाहर है। ये सुन कर जोगिंदर और रवि दोनों ने ही राहत की सांस ली। डॉक्टर ने बताया कि कमला फिलहाल अभी बेहोशी की हालत में है इस लिए जब उसे होश आ जाएगा तो वो उसे ले जाने की इजाज़त दे देगा।

कमला के इलाज़ में जो खर्च आया उसे जोगिंदर ने अदा कर दिया। अब क्योंकि जोगिंदर अपना काम छोड़ कर आया था इस लिए उसके पास ज़्यादा रुकने का समय भी नहीं था। उसने रवि को कुछ पैसे दिए ताकि वो कोई वाहन कर के कमला को सुरक्षित अस्पताल से घर ले जाए।

जोगिंदर के जाने के कुछ देर बाद ही कमला को दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। ये देख रवि फ़ौरन ही उस कमरे में कमला के पास पहुंच गया। उसने देखा कमला के माथे पर मरहम पट्टी की हुई थी। उसकी आंखें अभी भी बंद थीं। उसको इस हालत में देख रवि की आंखें एक बार फिर से नम हो गईं। कमरे में और भी बिस्तर थे किंतु इस वक्त उनमें कोई नहीं था। रवि कमला के बिस्तर पर ही जा कर बैठ गया और कमला के एक हाथ को अपने हाथ में ले कर उसकी तरफ देखने लगा। अभी वो देख ही रहा था कि तभी कमरे में किसी के आने की आहट हुई जिससे रवि ने गर्दन घुमा कर दरवाज़े की तरफ देखा।

दरवाज़े से उसकी मां निर्मला और कमला की बेटी शालू अंदर दाखिल होती दिखीं। शालू अपनी मां की ऐसी हालत देखते ही भागते हुए आई और अपनी मां से लिपट गई। वो बुरी तरह रोने लगी थी। उधर निर्मला की भी आंखों से आंसू बह चले थे। रवि ने शालू को किसी तरह सम्हाला और उसे कमला से ये कह कर अलग हो जाने को कहा कि इससे उसकी मां को तकलीफ़ हो सकती है। शालू अठारह साल की लड़की थी। जवानी की दहलीज़ को पार कर चुकी थी, ऐसा उसके जिस्म को देख कर लगता था। वो रंगत से अपनी मां की ही तरह थोड़ी सांवली थी किंतु नैन नक्श काफी आकर्षक थे। चेहरे पर दुनिया भर की मासूमियत थी।

आख़िर कुछ समय बाद कमला को होश आया तो सबके चेहरे खिल उठे। खुशी से सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े। कमला की नज़र जब अपनी जेठानी निर्मला पर पड़ी तो वो हल्के से चौंकी और फिर जब उसने उसकी आंखों में आसूं देखे तो उसे ये सोच कर दुख हुआ कि जिस जेठानी पर अक्सर वो धौंस जमा के रखती है वो इस वक्त उसकी ऐसी हालत पर दुखी हो के आंसू बहा रही थी। कमला को एकाएक आत्म ग्लानि सी हुई।

"शुकर है ऊपर वाले का कि तुझे कुछ नहीं हुआ।" निर्मला ने कमला के सिर पर बड़े स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा____"मुझे जब पता चला तो मेरी तो जान ही निकल गई थी। भला क्या ज़रूरत थी तुझे महेश से उलझने की? वो पैसे मांग रहा था तो दे देती उसे।"

"कैसे दे देती दीदी?" कमला ने आहत भाव से कहा____"पैसे क्या किसी पेड़ में उगते हैं जिन्हें मैं पेड़ से तोड़ कर लाती हूं? अरे! मेहनत मजदूरी कर के एक एक रुपिया लाती हूं ताकि उससे घर का खर्चा चला सकूं और थोड़ी बहुत अपनी बेटी के ब्याह के लिए भी इकट्ठा कर सकूं मगर तुम्हारा वो देवर रोज़ उस पैसे को अपनी शराब में उड़ा देता है। अगर उसे पीना ही है तो खुद कमा के पिए। खुद को मेरा मरद कहता है और उसे इतना भी पता नहीं है कि मरद की क्या क्या ज़िम्मेदारियां होती हैं। ना उसे कमाने से मतलब है, ना उसे घर का खर्चा चलाने से मतलब है, मतलब है तो सिर्फ पीने से।"

"मैं सब जानती हूं कमला।" निर्मला ने कहा____"लेकिन ये भी जानती हूं कि वो अब सुधरने वाला भी नहीं है और अगर वो सुधरना भी चाहे तो उसके यार लोग उसे सुधरने नहीं देंगे। तू मुझसे वादा कर कि आज के बाद तू उससे नहीं उलझेगी और ना ही उससे कोई झगड़ा करेगी। अगर इसी तरह झगड़ती रहेगी तो किसी दिन बहुत बुरा हो जाएगा। आज उसने तेरा सिर फोड़ा है किसी दिन इससे भी ज़्यादा बुरा कर देगा वो। नशे में उसे ये पता ही नहीं रहता कि वो किसके साथ क्या कर रहा है? अगर तुझे कुछ हो गया तो तेरे बच्चों का क्या होगा? तेरी जवान बेटी है, क्या उसे अपने शराबी मरद के भरोसे छोड़ जाएगी? अरे! ऊपर वाले ने बेटी दी है तो कहीं न कहीं से उसको ब्याहने का इंतजाम भी वो कर ही देगा।"

"मां सही कह रही है चाची।" रवि ने कहा____"तुम्हें शालू के ब्याह की चिंता नहीं करनी चाहिए और फिर मैं भी तो हूं। वो मेरी भी तो बहन है। क्या तुम ये समझती हो कि मेरा मेरी बहन के प्रति कोई फर्ज़ नहीं है या फिर ये समझती हो कि मैं तुम्हारा कुछ लगता ही नहीं हूं?"

"नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है रवि।" कमला एकाएक दुखी हो कर बोल पड़ी____"तुम सब मेरे अपने ही तो हो।"

"तो फिर अब से तुम्हें ना तो शालू के ब्याह की चिंता करनी है।" रवि ने मजबूत लहजे में कहा____"और ना ही चाचा से लड़ाई झगड़ा करने की ज़रूरत है। तुमसे जितना हो सकता है करो, बाकी मैं तो हूं ही। तुम देखना, जिस दिन शालू का ब्याह होगा उस दिन तमाशा देखने वाले लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। मैं अपनी बहन का ब्याह बड़े धूम धाम से करूंगा।"

"लगता है मेरा बेटा सच में अब बड़ा हो गया है।" कमला ने भाव विभोर दृष्टि से रवि को देखते हुए कहा____"अपने बेटे की ये बात सुन कर अब मैं सच में बेफ़िक्र हो गई हूं।"

"रवि तू जा कर ज़रा डॉक्टर से पूछ कि अब हम कमला को ले जाएं कि नहीं?" निर्मला ने रवि से कहा।

डॉक्टर की इजाज़त मिलते ही रवि कमला को ले कर अस्पताल से चल पड़ा। जोगिंदर ने क्योंकि पैसे दिए थे इस लिए उसने एक ऑटो किया और उसमें बैठ कर सब लोग घर आ गए।

कमला का घर कच्चा ही था जिसमें दो कमरे थे और एक बरामदा। कमला को एक कमरे में बिस्तर पर लेटा दिया रवि ने। महेश घर पर नहीं था। आस पास के लोगों को जब पता चला कि कमला अस्पताल से वापस आ गई है तो कुछ औरतें उसे देखने के लिए उसके घर में आ गईं।

[][][][][][]

"ये तीनों यहां बैठे आराम क्यों फरमा रहे हैं बे बबलू?" जोगिंदर ने तबेले में घुसते ही जब तीनों नमूनों को आराम से बैठे देखा तो गुस्से से दहाड़ उठा। उसकी आवाज़ सुन कर जहां तीनों नमूनों की गाड़ फट गई वहीं मंगू और बबलू भी उछल पड़े।

"इन लोगों को मैंने ही यहां बैठे रहने को कहा था उस्ताद।" बबलू ने फ़ौरन ही जैसे मोर्चा सम्हाला____"वो असल में बात ये थी कि मवेशियों का दूध भी निकालना था और इन लोगों पर नज़र भी रखनी थी। मैंने सोचा दोनों काम एक साथ तो हो नहीं सकते क्योंकि अगर हम मवेशियों का दूध निकालने में ब्यस्त हो जाते तो ये लोग मौका देख कर यहां से भाग जाते। इस लिए मैंने सोचा कि इन्हें यहीं बुला लेता हूं। यहां ये लोग हमारी नज़र में भी रहेंगे और हम अपना काम भी करते रहेंगे।"

"वाह! शाबाश, ये बिल्कुल ठीक किया तूने।" जोगिंदर का गुस्सा एकदम ठंडा पड़ गया, बोला____"तुम्हारी बुद्धिमानी देख कर बहुत खुशी हुई मुझे। ख़ैर एक काम करो, अब से इन लोगों को भी मवेशियों का दूध दुहने का काम दे दो। मैं चाहता हूं कि ये साले आराम करने के लिए ज़मीन पर अपनी गांड़ न रखने पाएं। कोल्हू के बैल की तरह दिन भर पेरते रहो इन नमूनों को।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू ने कहा____"लेकिन उस्ताद मुझे लगता है कि इन लोगों को अभी मवेशियों का दूध निकालना नहीं आएगा तो पहले इन्हें सिखाना पड़ेगा कि दूध कैसे निकाला जाता है?"

"हां ये भी ठीक कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"इन सालों ने अपने अब तक के जीवन में चोरी चकारी के अलावा कोई काम तो किया नहीं है इस लिए इन्हें पहले हर काम करना ही सिखाओ।"

"बिल्कुल उस्ताद।" मंगू ने कहा____"आज तो मवेशियों का दूध निकाला जा चुका है इस लिए कल सुबह से इनकी क्लास शुरू करते हैं।"

"सारा दूध घर में रखवा दिया है न?" जोगिंदर ने बबलू से पूछा____"शहर में एक सेठ से बड़ा ऑर्डर मिला है। उसे बीस किलो खोवा और दस किलो घी चाहिए।"

"हो जाएगा उस्ताद।" मंगू ने सिर हिलाया____"घी तो पुराना भी कुछ रखा हुआ है।"

"हम्म्म्म।" जोगिंदर ने कहा____"ख़ैर, कमला तो अब कुछ दिनों आएगी नहीं इस लिए तुम लोगों को अब थोड़ा ज़्यादा मेहनत करनी होगी। पहले वो खोवा और घी वाला काम कर लेती थी किंतु अब ये सब तुम लोगों को ही करना होगा। बिरजू भी नहीं है यहां, वो साला परसों ही आएगा।"

"टेंशन मत लो उस्ताद।" मंगू ने कहा____"सब हो जाएगा। वैसे सेठ को खोवा और घी कब चाहिए?"

"परसों सुबह देना होगा उसे।" जोगिंदर ने कहा____"सुबह का सारा दूध तो शहर में बेच दिया जाता है। शाम वाले दूध से ही खोवा और घी का निर्माण किया जाता है। इस लिए हमें पूरी कोशिश करनी है कि बीस किलो खोवा और दस किलो घी परसों सुबह तब हो ही जाए।"

"ठीक है उस्ताद।" बबलू ने कहा____"हम पूरी कोशिश करेंगे। वैसे इस काम के लिए एक दो लोग और होते तो थोड़ा आसानी हो जाती हमें।"

"अबे तो ये नमूने किस लिए हैं?" जोगिंदर ने कहा____"इन तीनों से आज रात खोवा औटने का काम करवाओ।"

"इन लोगों के भरोसे ये काम नहीं हो सकता उस्ताद।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"इन लोगों को तो तुम जानते ही हो। अगर इन्होंने कुछ गड़बड़ कर दी तो भारी नुकसान हो सकता है।"

"हां ये भी सही कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"ये साले मेरा नुकसान ज़रूर कर सकते हैं। अच्छा चल ठीक है, मैं एक दो लोगों को पकड़ के लाता हूं इस काम के लिए।"

ये कह कर जोगिंदर ने पहले तीनों नमूनों की तरफ देखा और फिर पलट कर चला गया। उसके जाने के बाद जगन संपत और मोहन ने राहत की थोड़ी नहीं बल्कि तगड़ी सांस ली।

"बेटीचोद एक तो वैसे ही दिन भर काम कर कर के अपन लोग का बुरा हाल हो रेला है।" मोहन अपनी आदत से मजबूर बोल पड़ा____"ऊपर से ये मुछाड़िया रात में भी अपन लोग की गांड़ मार लेने का काम दे दियेला था। अपन सच कहता है, अगर सच में अपन लोग रात में ये काम करते तो पक्का अपन लोग का टिकट ऊपर के लिए कट जाना था। लौड़ा अपन के मरे हुए अम्मा बापू ने बचा लिया अपन लोग को।"

"भोसड़ी के फिर से बोला तू।" जगन ने गुस्से से उसे देखा तो उसने हड़बड़ा कर फ़ौरन ही अपने मुंह पर हाथ रख लिया। ये देख जहां संपत सिर्फ सिर हिला कर रह गया वहीं मंगू और बबलू ये कह कर हंसने लगे कि ये साला नहीं सुधरेगा।


━━━━━━━━━━━━━━
Nice update...
 

Sanju@

Well-Known Member
4,710
18,919
158
Update - 09
━━━━━━━━━━━━━━

कहने के साथ ही रवि पलटा और कमला को जल्दी जल्दी हिलाने डुलाने लगा। कमला नीम बेहोशी की हालत में थी। रवि एकदम से ये सोच कर घबरा गया कि कहीं उसकी चाची मर ही न जाए। वो फ़ौरन ही उठ कर बाहर की तरफ भागा। बाहर इकट्ठा हो गए लोगों को देख कर कहने लगा कि उसकी चाची को अस्पताल ले जाने में कोई मदद कर दो। रवि के कहने पर एक दो लोग आगे आए। जल्दी ही कुछ लोगों की मदद से रवि कमला को ले कर अस्पताल की तरफ चल दिया। उसने अपने एक दोस्त को जोगिंदर के पास इसकी सूचना देने के लिए भेज दिया। आस पास अजीब सी सनसनी फैल गई थी।

अब आगे....


जोगिंदर भैंसों का दूध दुहने में लगा हुआ था कि तभी उसके पास एक लड़का भागते हुए आया और फिर एक ही सांस में उसने जो कुछ बताया उसे सुन कर जोगिंदर के पैरों तले से मानो ज़मीन ही खिसक गई। लड़के को वापस भेज कर वो फ़ौरन ही उठा और मंगू को आवाज़ दे कर बुलाया।

"मैं एक ज़रूरी काम से बाहर जा रहा हूं।" मंगू और बबलू के आते ही जोगिंदर ने कहा____"भैंसों और गायों का दूध निकाल कर कनस्तर में डलवा देना तुम लोग।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू लड़के की बात सुन चुका था इस लिए उसके जाने की बात से वो हैरान नहीं हुआ, बोला____"लेकिन अगर तुम्हें वापस आने में देरी हो गई तो? मेरा मतलब है कि अगर तुम समय से वापस नहीं आए तो फिर उस दूध का क्या करना है?"

"वैसे तो मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।" जोगिंदर ने बेचैन भाव से कुछ सोचते हुए कहा____"पर अगर न आ पाऊं तो सारा दूध घर में रख देना। बाकी तो तुझे पता ही है कि क्या करना है।"

मंगू ने सिर हिलाया तो जोगिंदर तेज़ क़दमों से तबेले से बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू ने राहत की तो सांस ली ही किंतु एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए भी। अभी वो मुस्कुरा ही रहे थे कि तभी जोगिंदर को वापस आता देख चौंके।

"और हां।" वापस आते ही जोगिंदर ने कहा____"उन नमूनों की ख़बर भी रखना। मुझे उन पर ज़रा भी भरोसा नहीं है। वो साले मौका मिलते ही यहां से भाग सकते हैं इस लिए ध्यान रखना कि वो यहां से भागने न पाएं। अगर वो यहां से भागे और वापसी में मुझे वो नज़र नहीं आए तो सोच लेना इसका अंजाम तुम दोनों के लिए भी बहुत बुरा हो सकता है।"

कहने के साथ ही जोगिंदर उनकी कोई बात बिना सुने ही पलटा और किसी तूफ़ान की तरह बाहर निकल गया। उसके जाते ही मंगू और बबलू एक बार फिर से मुस्कुरा उठे।

"मुझे तो लगता है कि उस्ताद को अपनी रांड कमला से ज़्यादा उन नमूनों की फ़िक्र है।" बबलू धीरे से हंसते हुए बोला____"तभी तो उनका ख़याल आते ही वापस आ कर ये सब बोल गया।"

"फिकर तो होगी ही बे।" मंगू ने कहा____"मुफ़्त में काम करने वाले तीन तीन नमूने जो मिल गए हैं उसे।"

"ये भी ठीक कहा तूने।" बबलू ने सिर हिलाया____"वैसे अगर उस्ताद हमें उन लोगों का ध्यान रखने को बोल कर न जाता तो हम लोग उन्हें यहां से भाग जाने को कह सकते थे। उनके लिए ये बढ़िया मौका हो सकता था भाग जाने का।"

"सही कह रहा है तू।" मंगू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"हम उन्हें यहां से भगा देते और बाद में उस्ताद को बोल देते कि वो भाग गए। हमारे पास सफाई देने का मस्त बहाना भी हो जाता। मतलब कि हम उस्ताद से कह देते कि तबेले में हम दोनों ही तो थे और दोनों ही मवेशियों का दूध निकाल रहे थे। ऐसे में हम भला कैसे उन नमूनों पर नज़र रख सकते थे? यानि वो नमूने मौका देख कर फरार हो गए।"

"बिल्कुल।" बबलू ने कहा____"हमारी बातें उस्ताद को समझ में आ ही जातीं। इतना तो वो समझता ही कि हम भला एक ही वक्त पर क्या क्या कर लेते? अगर उन नमूनों पर नज़र रखते तो यहां मवेशियों का दूध कैसे निकाल पाते और अगर यहां मवेशियों का दूध निकालने में लग जाते तो उन नमूनों पर नज़र कैसे रख सकते थे?"

"उस्ताद हाथ मलने के सिवा कुछ न कर पाता भाई।" मंगू ने कहा____"मगर अफ़सोस कि अब ऐसा हो ही नहीं पाएगा। वो बोल कर गया है कि उन पर नज़र रखनी है और वो लोग उसके आने पर उसे नज़र भी आने चाहिए। उन बेचारों की किस्मत ही ख़राब है। साला मस्त मौका था आज उनके लिए यहां से खिसक लेने का।"

"ख़ैर जाने दे।" बबलू ने कहा____"अब तो हमें उन पर नज़र रखनी ही होगी इस लिए उन्हें तबेले में ही बुला लेते हैं। यहां हमारी नज़रों के सामने रहेंगे तो ठीक रहेगा। ऐसे में हम अपना काम भी कर पाएंगे और उन पर नज़र भी रखे रहेंगे। साले सच में ही भाग गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे।"

कुछ ही देर में वो तीनों नमूनों को तबेले में बुला लाए। जगन और संपत तो थकान की वजह से मुर्दा से जान पड़ते थे किंतु मोहन की हालत इसके अलावा भी एक दूसरी वजह से ख़राब थी। मंगू ने उसे धीरे से बता दिया कि उसे फिलहाल चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि कमला किसी वजह से अस्पताल पहुंच गई है। मोहन को ये जान कर राहत तो हुई लेकिन अब वो ये सोचने लगा कि कमला अस्पताल कैसे पहुंच गई होगी?

"अबे तुझे क्या हुआ है बे पांचवीं फेल?" संपत ने मोहन को देखते हुए उससे पूछा____"साले सड़ी गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी?"

"भोसड़ी के गांड़ तोड़ देगा तेरी।" मोहन उसकी बात सुन तैश में आ गया____"अबे सड़ी गांड़ जैसी शकल तो तेरी है, बात करता है लौड़ा।"

"अरे! संपत तुझे पता है।" भैंस का दूध निकाल रहे मंगू ने थोड़ा ऊंची आवाज़ में कहा____"इसने फिर से रवि की गांड़ में उंगली कर दी है आज।"

"क...क्या???" संपत बुरी तरह चौंका, फिर हैरत से मोहन की तरफ देखते हुए बोला____"भोसड़ी के अब क्या कर दिया बे तूने? लौड़े माना कियेला था न तेरे को। अभी समझ आया अपन को कि तूने सडेली गांड़ जैसी शकल क्यों बना रखेली है अपनी।"

"बेटीचोद अब क्या किया है बे तूने?" जगन गुस्से में आया और मोहन का गिरेबान पकड़ कर गुर्राया____"लौड़े क्या बोला है तूने रवि को?"

"अबे अपन ने घंटा कुछ नहीं बोलेला है उसको।" मोहन डर तो गया था किंतु फिर भी पूरी अकड़ और आत्मविश्वास के साथ बोला____"उस लौड़े की ही गांड़ में खुजली हो रेली थी तो अपन ने भी पेल दिया उसको। तुझे तो पता ही है कि अपन भारी डेंजर आदमी है।"

"भोसड़ी के।" जगन को उसकी बात सुन कर इतना गुस्सा आया कि उसने उसे उठा कर एक झटके में कच्ची ज़मीन पर पटक दिया। दर्द के मारे मोहन के हलक से चीख निकल गई। उसे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि जगन उसके साथ ऐसा कर सकता है।

"बेटीचोद तेरी वजह से उस दिन अपन लोग की गांड़ तोड़ कुटाई हो गयेली थी।" जगन उसके ऊपर सवार हो कर गुस्से से चिल्लाया____"और अब फिर से कुटाई होगी अपन लोग की। भोसड़ी के कितनी बार बोला अपन कि ऐसी शेखी मत झाड़ा कर, पर लौड़ा तेरे को तो समझ में ही नहीं आता।"

"अबे जगन छोड़ दे बे उसको।" संपत ने हड़बड़ा कर जल्दी से जगन को पकड़ कर खींचा और फिर बोला____"अब से नहीं करेगा वो ऐसा, छोड़ दें उसे।"

"नहीं अभी ये करेगा लौड़ा।" जगन बेहद गुस्से में था____"अपन लोग लौड़ा ये सोच के इधर गांड़ घिस घिस के मरे जा रेले हैं कि किसी दिन मौका देख के इधर से खिसक लेंगे पर ये लौड़ा अपनी हरकतों से हर बार अपन लोग की कुटाई करवा देता है।"

जगन की बातें सुन मंगू और बबलू भी भैंसों का दूध निकालना छोड़ भागते हुए आ गए। दोनों ने उन्हें अलग किया। मोहन एकदम से ख़ामोश हो गया था किंतु बिगड़े हुए चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि जगन के पटक देने की वजह से उसे कहीं चोट लग गई है जिसके चलते उसे पीड़ा हो रही है।

"सालो अगर तुम लोगों को एक दूसरे की जान ही लेनी है तो कहीं दूर जा कर ले लो।" मंगू गुस्से से चीखते हुए बोला____"मगर यहां नहीं, समझे? जब से आए हो तब से तुम लोगों की वजह से हमारा भी चैन से जीना हराम हो गया है। इतना समझाने के बाद भी अगर तुम लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा तो भाड़ में जाओ तुम तीनों। हम लोग भी अब से तुम्हारी कोई मदद नहीं करेंगे। एक तो काम कर कर के वैसे ही बुरा हाल है दूसरे भूख से जल्दी ही मर जाओगे यहां।"

मंगू की बातों का फ़ौरन ही असर हुआ। जगन का सारा गुस्सा गायब हो गया और वो मंगू के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।

"भाई अपन को माफ़ कर दो।" फिर उसने संजीदा भाव से कहा____"पर यकीन मानो अपन लोग भी यही चाहते हैं कि कोई लफड़ा न हो। बेटीचोद ये सब इसकी वजह से हो रेला है। इसे ही समझ नहीं आ रेला है कि अपन लोग को कैसे रहना चाहिए इधर। ये लौड़ा खुद तो पिटता ही है उल्टा अपन लोग को भी पिटवा देता है। अपन को समझ में नहीं आ रेला है कि इसका क्या करे अपन? पिछली रात इस लौड़े को बुखार आ गयेला था। बेटीचोद अपन की तो जान ही निकल गयेली थी पर इसको क्या? अपन लोग मरे या जिएं।"

कहते कहते जगन रो ही पड़ा। संपत की भी आंखें नम हो गईं। ये देख सहसा मोहन उठा और झपट कर जगन से लिपट गया। अगले ही पल उसकी सिसकियां फिज़ा में गूंजने लगीं। मंगू और बबलू को समझ न आया कि अब क्या बोले? बड़े ही विचित्र थे तीनों। उधर मोहन को अपने से लिपट गया देख जगन ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर आस्तीन से अपने आंसू पोंछने लगा। कुछ देर बाद मंगू और बबलू ने शांत भाव से उन्हें फिर से समझाना शुरू कर दिया।

[][][][][][]

जोगिंदर अपनी मोटर साइकिल से जल्दी ही अस्पताल पहुंच गया। वहां पर उसे रवि मिल गया। पूछने पर रवि ने उसे सारा किस्सा बता दिया कि कैसे उसके चाचा ने उसकी चाची को लाठी से मारा था जिसके चलते कमला का माथा फट गया। रवि का चेहरा ही बता रहा था कि वो बेहद दुखी था। उसकी आंखों में आसूं थे।

"अभी कहां है कमला?" जोगिंदर ने उससे पूछा तो रवि ने हाथ के इशारे से बताया कि डॉक्टर उसे उस तरफ वाले कमरे में ले गए हैं।

जोगिंदर ने देखा उस कमरे के ऊपर लाल रंग का बल्ब जल रहा था। मतलब कमला को ऑपरेशन रूम में ले जाया गया था। ये देख जोगिंदर के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं।

"चाची को कुछ होगा तो नहीं न उस्ताद?" रवि ने दुखी हो कर जोगिंदर से पूछा____"भगवान के लिए मेरी चाची को बचा लो उस्ताद।"

"चिंता मत कर।" जोगिंदर ने उसे दिलासा देते हुए कहा____"कुछ नहीं होगा कमला को। बस ज़रा सी चोट ही तो लगी है उसे। डॉक्टर जल्दी ही उसे ठीक कर देंगे।"

जोगिंदर के ऐसा कहने पर रवि के चेहरे पर राहत के चिन्ह नज़र आए। उसके बाद वो कुछ नहीं बोला। जोगिंदर भी खामोश रहा, ये अलग बात है कि उसके चेहरे पर कई तरह के भावों का आना जाना लगा रहा। कुछ देर बाद जोगिंदर ने रवि को पास ही रखी बेंच पर बैठा दिया और खुद आगे बढ़ गया।

कुछ समय बाद उस कमरे का दरवाज़ा खुला और डॉक्टर बाहर आया तो रवि फ़ौरन ही उठ कर डॉक्टर के पास पहुंच गया। अभी वो डॉक्टर से कुछ कहने ही वाला था कि तभी जोगिंदर भी आ गया। उसने डॉक्टर से कमला के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि मरीज़ अब किसी भी तरह के ख़तरे से बाहर है। ये सुन कर जोगिंदर और रवि दोनों ने ही राहत की सांस ली। डॉक्टर ने बताया कि कमला फिलहाल अभी बेहोशी की हालत में है इस लिए जब उसे होश आ जाएगा तो वो उसे ले जाने की इजाज़त दे देगा।

कमला के इलाज़ में जो खर्च आया उसे जोगिंदर ने अदा कर दिया। अब क्योंकि जोगिंदर अपना काम छोड़ कर आया था इस लिए उसके पास ज़्यादा रुकने का समय भी नहीं था। उसने रवि को कुछ पैसे दिए ताकि वो कोई वाहन कर के कमला को सुरक्षित अस्पताल से घर ले जाए।

जोगिंदर के जाने के कुछ देर बाद ही कमला को दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। ये देख रवि फ़ौरन ही उस कमरे में कमला के पास पहुंच गया। उसने देखा कमला के माथे पर मरहम पट्टी की हुई थी। उसकी आंखें अभी भी बंद थीं। उसको इस हालत में देख रवि की आंखें एक बार फिर से नम हो गईं। कमरे में और भी बिस्तर थे किंतु इस वक्त उनमें कोई नहीं था। रवि कमला के बिस्तर पर ही जा कर बैठ गया और कमला के एक हाथ को अपने हाथ में ले कर उसकी तरफ देखने लगा। अभी वो देख ही रहा था कि तभी कमरे में किसी के आने की आहट हुई जिससे रवि ने गर्दन घुमा कर दरवाज़े की तरफ देखा।

दरवाज़े से उसकी मां निर्मला और कमला की बेटी शालू अंदर दाखिल होती दिखीं। शालू अपनी मां की ऐसी हालत देखते ही भागते हुए आई और अपनी मां से लिपट गई। वो बुरी तरह रोने लगी थी। उधर निर्मला की भी आंखों से आंसू बह चले थे। रवि ने शालू को किसी तरह सम्हाला और उसे कमला से ये कह कर अलग हो जाने को कहा कि इससे उसकी मां को तकलीफ़ हो सकती है। शालू अठारह साल की लड़की थी। जवानी की दहलीज़ को पार कर चुकी थी, ऐसा उसके जिस्म को देख कर लगता था। वो रंगत से अपनी मां की ही तरह थोड़ी सांवली थी किंतु नैन नक्श काफी आकर्षक थे। चेहरे पर दुनिया भर की मासूमियत थी।

आख़िर कुछ समय बाद कमला को होश आया तो सबके चेहरे खिल उठे। खुशी से सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े। कमला की नज़र जब अपनी जेठानी निर्मला पर पड़ी तो वो हल्के से चौंकी और फिर जब उसने उसकी आंखों में आसूं देखे तो उसे ये सोच कर दुख हुआ कि जिस जेठानी पर अक्सर वो धौंस जमा के रखती है वो इस वक्त उसकी ऐसी हालत पर दुखी हो के आंसू बहा रही थी। कमला को एकाएक आत्म ग्लानि सी हुई।

"शुकर है ऊपर वाले का कि तुझे कुछ नहीं हुआ।" निर्मला ने कमला के सिर पर बड़े स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा____"मुझे जब पता चला तो मेरी तो जान ही निकल गई थी। भला क्या ज़रूरत थी तुझे महेश से उलझने की? वो पैसे मांग रहा था तो दे देती उसे।"

"कैसे दे देती दीदी?" कमला ने आहत भाव से कहा____"पैसे क्या किसी पेड़ में उगते हैं जिन्हें मैं पेड़ से तोड़ कर लाती हूं? अरे! मेहनत मजदूरी कर के एक एक रुपिया लाती हूं ताकि उससे घर का खर्चा चला सकूं और थोड़ी बहुत अपनी बेटी के ब्याह के लिए भी इकट्ठा कर सकूं मगर तुम्हारा वो देवर रोज़ उस पैसे को अपनी शराब में उड़ा देता है। अगर उसे पीना ही है तो खुद कमा के पिए। खुद को मेरा मरद कहता है और उसे इतना भी पता नहीं है कि मरद की क्या क्या ज़िम्मेदारियां होती हैं। ना उसे कमाने से मतलब है, ना उसे घर का खर्चा चलाने से मतलब है, मतलब है तो सिर्फ पीने से।"

"मैं सब जानती हूं कमला।" निर्मला ने कहा____"लेकिन ये भी जानती हूं कि वो अब सुधरने वाला भी नहीं है और अगर वो सुधरना भी चाहे तो उसके यार लोग उसे सुधरने नहीं देंगे। तू मुझसे वादा कर कि आज के बाद तू उससे नहीं उलझेगी और ना ही उससे कोई झगड़ा करेगी। अगर इसी तरह झगड़ती रहेगी तो किसी दिन बहुत बुरा हो जाएगा। आज उसने तेरा सिर फोड़ा है किसी दिन इससे भी ज़्यादा बुरा कर देगा वो। नशे में उसे ये पता ही नहीं रहता कि वो किसके साथ क्या कर रहा है? अगर तुझे कुछ हो गया तो तेरे बच्चों का क्या होगा? तेरी जवान बेटी है, क्या उसे अपने शराबी मरद के भरोसे छोड़ जाएगी? अरे! ऊपर वाले ने बेटी दी है तो कहीं न कहीं से उसको ब्याहने का इंतजाम भी वो कर ही देगा।"

"मां सही कह रही है चाची।" रवि ने कहा____"तुम्हें शालू के ब्याह की चिंता नहीं करनी चाहिए और फिर मैं भी तो हूं। वो मेरी भी तो बहन है। क्या तुम ये समझती हो कि मेरा मेरी बहन के प्रति कोई फर्ज़ नहीं है या फिर ये समझती हो कि मैं तुम्हारा कुछ लगता ही नहीं हूं?"

"नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है रवि।" कमला एकाएक दुखी हो कर बोल पड़ी____"तुम सब मेरे अपने ही तो हो।"

"तो फिर अब से तुम्हें ना तो शालू के ब्याह की चिंता करनी है।" रवि ने मजबूत लहजे में कहा____"और ना ही चाचा से लड़ाई झगड़ा करने की ज़रूरत है। तुमसे जितना हो सकता है करो, बाकी मैं तो हूं ही। तुम देखना, जिस दिन शालू का ब्याह होगा उस दिन तमाशा देखने वाले लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। मैं अपनी बहन का ब्याह बड़े धूम धाम से करूंगा।"

"लगता है मेरा बेटा सच में अब बड़ा हो गया है।" कमला ने भाव विभोर दृष्टि से रवि को देखते हुए कहा____"अपने बेटे की ये बात सुन कर अब मैं सच में बेफ़िक्र हो गई हूं।"

"रवि तू जा कर ज़रा डॉक्टर से पूछ कि अब हम कमला को ले जाएं कि नहीं?" निर्मला ने रवि से कहा।

डॉक्टर की इजाज़त मिलते ही रवि कमला को ले कर अस्पताल से चल पड़ा। जोगिंदर ने क्योंकि पैसे दिए थे इस लिए उसने एक ऑटो किया और उसमें बैठ कर सब लोग घर आ गए।

कमला का घर कच्चा ही था जिसमें दो कमरे थे और एक बरामदा। कमला को एक कमरे में बिस्तर पर लेटा दिया रवि ने। महेश घर पर नहीं था। आस पास के लोगों को जब पता चला कि कमला अस्पताल से वापस आ गई है तो कुछ औरतें उसे देखने के लिए उसके घर में आ गईं।

[][][][][][]

"ये तीनों यहां बैठे आराम क्यों फरमा रहे हैं बे बबलू?" जोगिंदर ने तबेले में घुसते ही जब तीनों नमूनों को आराम से बैठे देखा तो गुस्से से दहाड़ उठा। उसकी आवाज़ सुन कर जहां तीनों नमूनों की गाड़ फट गई वहीं मंगू और बबलू भी उछल पड़े।

"इन लोगों को मैंने ही यहां बैठे रहने को कहा था उस्ताद।" बबलू ने फ़ौरन ही जैसे मोर्चा सम्हाला____"वो असल में बात ये थी कि मवेशियों का दूध भी निकालना था और इन लोगों पर नज़र भी रखनी थी। मैंने सोचा दोनों काम एक साथ तो हो नहीं सकते क्योंकि अगर हम मवेशियों का दूध निकालने में ब्यस्त हो जाते तो ये लोग मौका देख कर यहां से भाग जाते। इस लिए मैंने सोचा कि इन्हें यहीं बुला लेता हूं। यहां ये लोग हमारी नज़र में भी रहेंगे और हम अपना काम भी करते रहेंगे।"

"वाह! शाबाश, ये बिल्कुल ठीक किया तूने।" जोगिंदर का गुस्सा एकदम ठंडा पड़ गया, बोला____"तुम्हारी बुद्धिमानी देख कर बहुत खुशी हुई मुझे। ख़ैर एक काम करो, अब से इन लोगों को भी मवेशियों का दूध दुहने का काम दे दो। मैं चाहता हूं कि ये साले आराम करने के लिए ज़मीन पर अपनी गांड़ न रखने पाएं। कोल्हू के बैल की तरह दिन भर पेरते रहो इन नमूनों को।"

"ठीक है उस्ताद।" मंगू ने कहा____"लेकिन उस्ताद मुझे लगता है कि इन लोगों को अभी मवेशियों का दूध निकालना नहीं आएगा तो पहले इन्हें सिखाना पड़ेगा कि दूध कैसे निकाला जाता है?"

"हां ये भी ठीक कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"इन सालों ने अपने अब तक के जीवन में चोरी चकारी के अलावा कोई काम तो किया नहीं है इस लिए इन्हें पहले हर काम करना ही सिखाओ।"

"बिल्कुल उस्ताद।" मंगू ने कहा____"आज तो मवेशियों का दूध निकाला जा चुका है इस लिए कल सुबह से इनकी क्लास शुरू करते हैं।"

"सारा दूध घर में रखवा दिया है न?" जोगिंदर ने बबलू से पूछा____"शहर में एक सेठ से बड़ा ऑर्डर मिला है। उसे बीस किलो खोवा और दस किलो घी चाहिए।"

"हो जाएगा उस्ताद।" मंगू ने सिर हिलाया____"घी तो पुराना भी कुछ रखा हुआ है।"

"हम्म्म्म।" जोगिंदर ने कहा____"ख़ैर, कमला तो अब कुछ दिनों आएगी नहीं इस लिए तुम लोगों को अब थोड़ा ज़्यादा मेहनत करनी होगी। पहले वो खोवा और घी वाला काम कर लेती थी किंतु अब ये सब तुम लोगों को ही करना होगा। बिरजू भी नहीं है यहां, वो साला परसों ही आएगा।"

"टेंशन मत लो उस्ताद।" मंगू ने कहा____"सब हो जाएगा। वैसे सेठ को खोवा और घी कब चाहिए?"

"परसों सुबह देना होगा उसे।" जोगिंदर ने कहा____"सुबह का सारा दूध तो शहर में बेच दिया जाता है। शाम वाले दूध से ही खोवा और घी का निर्माण किया जाता है। इस लिए हमें पूरी कोशिश करनी है कि बीस किलो खोवा और दस किलो घी परसों सुबह तब हो ही जाए।"

"ठीक है उस्ताद।" बबलू ने कहा____"हम पूरी कोशिश करेंगे। वैसे इस काम के लिए एक दो लोग और होते तो थोड़ा आसानी हो जाती हमें।"

"अबे तो ये नमूने किस लिए हैं?" जोगिंदर ने कहा____"इन तीनों से आज रात खोवा औटने का काम करवाओ।"

"इन लोगों के भरोसे ये काम नहीं हो सकता उस्ताद।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"इन लोगों को तो तुम जानते ही हो। अगर इन्होंने कुछ गड़बड़ कर दी तो भारी नुकसान हो सकता है।"

"हां ये भी सही कहा तूने।" जोगिंदर ने सिर हिलाया____"ये साले मेरा नुकसान ज़रूर कर सकते हैं। अच्छा चल ठीक है, मैं एक दो लोगों को पकड़ के लाता हूं इस काम के लिए।"

ये कह कर जोगिंदर ने पहले तीनों नमूनों की तरफ देखा और फिर पलट कर चला गया। उसके जाने के बाद जगन संपत और मोहन ने राहत की थोड़ी नहीं बल्कि तगड़ी सांस ली।

"बेटीचोद एक तो वैसे ही दिन भर काम कर कर के अपन लोग का बुरा हाल हो रेला है।" मोहन अपनी आदत से मजबूर बोल पड़ा____"ऊपर से ये मुछाड़िया रात में भी अपन लोग की गांड़ मार लेने का काम दे दियेला था। अपन सच कहता है, अगर सच में अपन लोग रात में ये काम करते तो पक्का अपन लोग का टिकट ऊपर के लिए कट जाना था। लौड़ा अपन के मरे हुए अम्मा बापू ने बचा लिया अपन लोग को।"

"भोसड़ी के फिर से बोला तू।" जगन ने गुस्से से उसे देखा तो उसने हड़बड़ा कर फ़ौरन ही अपने मुंह पर हाथ रख लिया। ये देख जहां संपत सिर्फ सिर हिला कर रह गया वहीं मंगू और बबलू ये कह कर हंसने लगे कि ये साला नहीं सुधरेगा।


━━━━━━━━━━━━━━
Nice and superb update
लगता है ये मोहन नही सुधरेगा इसके चक्कर में संपत और जगन मारे जाते हैं इस तरह तो ये जोगिंदर के यहा ही अपनी गांड़ घिसेंगे
 
Top