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ये सही किया आपने शुभम भाई , कमला के दूध की जगह भैंस का दूध दुहवा दिया मोहन लाल से । और सिर्फ मोहन लाल से ही क्यों बल्कि दोनो लफंगों से भी।
खैर , भैंस के साथ प्रैक्टिस कर ले , आगे चलकर यही हुनर इनके बहुत काम आएगा।
Joginder hi bas kyo......Aapka bhi to yahi haal hai bhaiya ji. Yaha aap bhi sabko goodh gyaan dete firte hain magar ghar me bhabhi ji ke saamne aapka sara gyaan hawa ho jata hai. Btw jogindar ke liye kaha gaya shlok aapki apni practical situation ko zaahir karta hai naजोगिन्दर पहलवान भी उन्ही मर्दों जैसा लगा जो अखाड़े मे तो मर्द बने फिरते है लेकिन अगर बीबी की बात आए तो " त्वमेय माता च पिता त्वमेय , त्वमेय बंधु च सखा त्वमेय , त्वमेय विद्या द्रविड़म् त्वमेय त्वमेय सर्वम् देव देव " की जाप करने लगते है।
Sarla Mahi Maurya ki kahaniyo ki hot mahila kirdaar hai, is kahani me sarla nahi nirmala haiजिस तरह से जोगिन्दर पहलवान सरला के बाद उसकी जेठानी निर्मला को भी हवस भरी नजरों से ताड़ रहा था उससे लगता है कि इस कहानी के प्रायः महिलाओ का असल हीरो वही बनेगा।
Thanksबहुत खुबसूरत अपडेट शुभम भाई। आउटस्टैंडिंग अपडेट।
Aayegi....ek din zarur aayegi,लेकिन भाई इनको ये बात समझ में नहीं आ रही है अभी
Biwi ke saamne bahut hi kam log hote hain jo mard bane rahte hain....biwi to devi durga samaan hoti hai jo mard roopi sher ki sawaari karti haiAwesome update
तीनो नमूनो से भैंस का दूध निकलवा दिया ये अच्छा किया कम से कम कुछ तो सीख रहे हैं मोहन की शेख चिल्ली वाली आदत नही जाने वाली । जोगिंदर कमला के बाद निर्मला को भी हवस भरी निगाहों से ताड़ रहा है लेकिन अब लगता है उसे निर्मला नही मिलने वाली है ऐसे तो जोगिंदर मर्द बनता फिरता है लेकिन बीवी के सामने भीगी बिल्ली बन गया है
Nice and superb update....Update - 12
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"अबे छोड़ दे बे मर जाएगा अपन।" कमरे में जैसे ही तीनों पहुंचे तो जगन ने मोहन को दबोच कर उसका गला पकड़ लिया जिस पर छटपटाते हुए मोहन चीखा____"बेटीचोद क्या हो गएला है बे तुझे? साले अपन के पीछे ही क्यों पड़ गएला है बे लौड़े? आह...छोड़ दे लौड़े।"
"नहीं छोड़ेगा अपन तुझे।" जगन गुस्से से गुर्राया____"भोसड़ी के जब किसी चमत्कार के माफिक उस्ताद की बीवी अपन लोग को जाने का बोल रेली थी तो तू ये क्यों बोल रेला था कि अपन लोग कहीं नहीं जाएंगे, हां? भोसड़ी के तुझे यहां रह कर अपनी गांड़ कुटाई करवाने में बड़ा मज़ा आ रेला है तो तू खुद रुक जाता अपन लोग को क्यों लपेटा लौड़े?"
"अबे बात तो सुन ले लौड़े।" मोहन उससे छूटने की नाकाम कोशिश करते हुए चीखा____"अपन ने वैसा इस लिए बोलेल था क्योंकि अपन के भेजे में एक मस्त पिलान आ गएला था। लौड़े सुनेगा तो तू भी खुश हो जाएगा बे।"
"अबे जगन छोड़ दे यार इस चिंदी चोर को।" संपत ने झट से आ कर जगन से कहा____"लौड़ा कहीं सच में ही न मर जाए बे।"
"मरता है तो मर जाए लौड़ा।" जगन ने कहा____"इसकी वजह से अपन लोग की जाने कितनी बार फोकट में कुटाई हो गयेली है और ये लौड़ा अभी भी यहीं रुकने को बोल रेला था।"
"अबे बोल दिया तो क्या हो गएला है बे?" संपत ने जगन को खींच कर मोहन से अलग करते हुए कहा____"अपन लोग कौन सा इसके कहने से रुक जाएंगे। इस लौड़े को अगर यहीं रह कर अपनी गांड़ घिसनी है तो इसे रहने दे बे यहां।"
जगन जैसे ही दूर हुआ तो मोहन अपनी गर्दन को सहलाते हुए गहरी गहरी सांसें लेने लगा। उसका पूरा चेहरा सुर्ख पड़ गया था।
"बेटीचोद मार ही दियेला था अपन को।" फिर अपनी आदत से मजबूर वो बोल उठा____"लौड़ा अपन को पल में भैंसे में बैठा यमराज दिख गएला था। अगर थोड़ी देर हो जाती तो पक्का वो मुछाड़िया ले ही जाता अपन को।"
"भोसड़ी के अब चुप रहेगा या फिर से जगन को बोल दे अपन तेरा गला दबाने को?" संपत ने आंखें दिखाते हुए मोहन से कहा।
"तू तो लौड़ा चाहता ही यही है कि वो अपन को मार दे।" मोहन ने तैश में कहा____"भोसड़ी के जिस दिन अपन सच्ची में मर जाएगा न तो रोएगा अपन के लिए।"
मोहन को एकाएक ही भावुक हो गया देख संपत ने कुछ बोलना ठीक नहीं समझा। वो जगन को लिए कमरे के एक तरफ बैठ गया। अपनी गर्दन को सहलाते हुए मोहन भी उन दोनों से थोड़ा दूर बैठ गया। कुछ देर के लिए कमरे में ख़ामोशी छा गई।
"वैसे तेरे बित्ती भर के भेजे में कौन सा पिलान आएला था बे?" संपत ने मोहन की तरफ देखते हुए पूछा____"जिसके लिए तू यहीं रह कर अपनी गांड़ घिसने को बोल रेला था।"
"घंटा कुछ नहीं बताएगा अपन।" मोहन ने रूठ कर दूसरी तरफ मुंह फेरते हुए कहा____"लौड़ा जब देखो अपन का टेंटुआ पकड़ लेता है ये चिंदी चोर। अपन सबसे छोटा है और बिना मां बाप का है इस लिए अपन को मार देना चाहते हैं बेटीचोद।"
"अच्छा माफ़ कर दे बे लौड़े।" मोहन की रुआंसी आवाज़ सुन कर जगन जल्दी ही उसके पास आ कर प्यार से बोला____"चल बता तेरे भेजे में उस वक्त कैसा पिलान आ गएला था?"
"तू सच्ची में जानना चाहता है?" मोहन एकदम से खुश हो कर उसकी तरफ पलट कर बोला तो जगन ने मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दिया। मोहन ने संपत की तरफ बड़े ही अनोखे अंदाज़ में देखा और फिर मुस्कुरा उठा। ये देख संपत का माथा ठनका।
"भोसड़ी के अपन को देख के मुस्कुरा क्यों रेला है बे?" संपत ने उसे घूरते हुए कहा____"अब बताता क्यों नहीं लौड़े कि कैसा पिलान आयला था तेरे दो टके के भेजे में? साला पांचवीं फेल।"
"तू चुप कर बे।" जगन ने पलट कर संपत को डांटा____"वरना अबकी बार तेरा टेंटुआ दबा देगा अपन।" कहने के साथ ही वो मोहन की तरफ घूमा और फिर कहा____"तू बता बे लौड़े अपना पिलान।"
"अबे अपन के भेजे में इस बार गांड़ फाड़ देने के माफिक पिलान आयला है बे।" मोहन ने एकाएक गर्व से अपना सीना चौड़ा करते हुए कहा____"तभी तो अपन उस वक्त बोल रेला था कि अपन लोग यहीं रहेंगे।"
"अबे भोसड़ी के पिलान बता लौड़े।" संपत ने झल्ला कर कहा____"फोकट में भेजा क्यों चाट रेला है अपन का?"
"अबे अपन को तेरा सडे़ला भेजा चाटने का झांठ बराबर भी शौक नहीं है लौड़े।" मोहन ने हिकारत जैसे भाव चेहरे पर ला कर कहा____"हां तो अपन बोल रेला था कि अपन के भेजे में मस्त पिलान आएला था।"
"और वो कब बताएगा तू लौड़े?" जगन का सब्र मानों जवाब दे गया इस लिए गुस्से से बोला____"भोसड़ी के तेरे इसी नाटक की वजह से अपन को तेरे पे गुस्सा आ जाता है। बेटीचोद इतनी देर से पिलान पिलान का माला जप रेला है पर बता नहीं रेला है कि कैसा पिलान आएला था तेरे भेजे में?"
"एक तो बेटीचोद तेरे को गुस्सा ही बड़ा जल्दी आता है लौड़ा।" मोहन ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"अच्छा सुन, अपन उस समय यहीं रहने को इस लिए बोल रेला था कि अपन को बदला लेने का है।"
"भोसड़ी के ये क्या बोल रेला है तू?" जगन ने आंखें फैला कर उसे घूरा____"इसका मतलब लौड़ा तू फिर से अपन लोग की कुटाई करवाना चाहता है।"
"अबे इस पांचवीं फेल को इसके अलावा और आता ही क्या है बे?" संपत ने कहा____"वो लौड़ा मंगू सही बोलता है कि इसकी गांड़ में कुछ ज़्यादा ही खुजली होती है।"
"तू न चुप ही रह भोसड़ी के।" मोहन उस पर चढ़ दौड़ा____"लौड़े अपनी गाड़ जैसा मुंह फाड़ने से पहले अपन की पूरी बात तो सुन ले।"
"अपन सुन रहा है न लौड़े।" जगन ने मोहन की तरफ गुस्से से देखा____"तो तू अपन को बता ना भोसड़ी के।"
"देख, उस्ताद की मालदार बीवी ने तो बोल ही दियेला है कि अपन लोग चाहे तो इधर से जा सकते हैं।" मोहन ने जैसे समझाना शुरू किया____"यानि अब से अपन लोग आज़ाद हैं। लौड़ा अब ये अपन लोग की मर्ज़ी है कि यहां रहें या ना रहें और काम करें या न करें।"
"हां तो?" जगन को जैसे समझ न आया____"अपन का मतलब है कि वो तो अपन लोग वैसे भी नहीं करेंगे। इसमें तेरा पिलान कहां है लौड़े?"
"अबे अपन वही तो समझा रेला है बे।" मोहन ने अपने माथे पर हथेली मारते हुए कहा____"अपन का पिलान ये है कि जाने से पहले अपन लोग को अपनी गांड़ तोड़ कुटाई का बदला ले के जाने का है।"
"और बदले के चक्कर में अपन लोग की कुटाई भी हो जाने का है।" संपत बोल पड़ा____"देख ले बे जगन इसका पिलान। ये लौड़ा अपन लोग की फिर से कुटाई करवाने का सोच रेला है।"
"अबे ऐसा कुछ नहीं सोच रेला है अपन।" मोहन ने कहा____"अपन की बात को समझने की कोशिश करो लौड़ो। तुम लोग भूल रेले हो कि बिरजू उस्ताद ने अपन लोग से क्या बोलेला था। वो बोल के गएला था कि उस्ताद की बीवी को यहां लाएगा और फिर उस्ताद की बीवी के आने से अपन लोग का कुटाई वाला लफड़ा तो दूर होएगा ही पर साथ में वो उस्ताद का भी क्रिया कर्म करेगी।"
"हां तो?" जगन की बुद्धि जैसे चकरा ही गई, बोला____"उस्ताद की बीवी का तेरे पिलान से क्या मतलब है?"
"बेटीचोद सच्ची बोलता है संपत।" मोहन ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"लौड़ा तू पूरा का पूरा ही शून्य बुद्धि है।"
"भोसड़ी के ज़्यादा बोलेगा तो एक कंटाप लगा देगा तेरे कान के नीचे।" जगन ने आंख दिखाते हुए कहा____"अच्छे से बता इसमें तेरा पिलान किधर है?"
"अबे बिरजू ने अपन लोग को बताएला था न कि उस्ताद अपनी बीवी से डरता है।" मोहन ने कहा____"तो अपन लोग अब उसी का फ़ायदा उठाएंगे। अपन का मतलब है कि उस्ताद को धमका कर अपन लोग उससे अपन लोग की कुटाई का बदला लेंगे। उसके बाद अपन उसकी रण्डी कमला से भी बदला लेंगे। वो लौड़ी उस्ताद की वजह से ही इतना उछल रेली थी। अब उस्ताद की बीवी आ गएली है तो वो अपन लोग का घंटा कुछ नहीं कर पाएगी जबकि अपन लोग उसका बहुत कुछ कर सकते हैं। क्या बोलता है, अपन का प्लान मस्त है ना?"
"अपन सच्ची में बोल रेला है जगन।" संपत ने हैरानी से जगन को देखते हुए कहा____"ये लौड़ा सच में अपन लोग की फिर से कुटाई करवाएगा।"
"अबे तू फट्टू का फट्टू ही रहेगा लौड़े।" मोहन ने जैसे उसे धिक्कारते हुए कहा____"मान लिया अपन की ही ग़लती की वजह से अपन लोग की कुटाई हुई पर ये भी तो सोच लौड़े कि क्या अपन लोग ने सच में इतना बड़ा गुनाह कियेला था कि अपन लोग की इतनी ज़्यादा कुटाई करवाई उस मुछाड़िए ने? अबे इतना ही नहीं उस कमला ने अपन लोग को अपने यार से कुटवाया। अपन ने तो रवि से बस इतना ही बोलेला था कि अपन को भी उसकी चाची की चूचियों को दबाने का है। बेटीचोद वो खुद को सती सावित्री बनती है मगर अपने ही भतीजे के साथ ग़लत काम कर रेली थी। लौड़ा वो करे तो सब सही और अपन कुछ बोले तो गलत? नहीं बे, अपन तो उस बेटीचोद से बदला ले के रहेगा और उससे ही बस नहीं, अपन उस्ताद से भी बदला लेगा। जितनी गांड़ तोड़ कुटाई उसने अपन लोग की करवाई है उसका बदला तो अपन लेगा ही लेगा उस ठरकी से।"
"बात तो सही बोल रेला है ये।" संपत ने सिर हिलाते हुए कहा____"अपन लोग ने तो बस छोटी सी ग़लती की थी लौड़े और उस बेटीचोद ने अपन लोग की तबीयत से बजवाई। लौड़ा सही बोल रेला है ये मोहन। अपन को तो इन लोग से बदला तो लेनाइच चाहिए।"
"अबे ये सब तो ठीक है।" जगन ने कहा____"पर इसकी वजह से अगर उल्टा अपन लोग ही कूट दिए गए तो?"
"अबे ऐसा कुछ नहीं होएगा।" मोहन ने मजबूती से कहा____"तू ये क्यों भूल रेला है कि मंगू बबलू और बिरजू ने अपन लोग की मदद करने को बोलेला है।"
"भोसड़ी के तुझे बड़ा भरोसा है उन लोगों पर।" संपत ने कहा____"लौड़े वो लोग जोगिंदर के पाले हुए कुत्ते हैं। वो लोग अपन लोग का ना तो साथ देंगे और न मदद करेंगे। तू लौड़ा उन पर भरोसा कर के अगर किसी से बदला लेने का सोचेगा तो पक्का पेला जाएगा।"
"लौड़े संपत की बात में दम है बे।" जगन ने सिर हिला कर कहा____"बेटीचोद सच में वो लोग अपने उस्ताद के खिलाफ़ अपन लोग की कोई मदद नहीं करेंगे। तू बदला लेने का सोच भी मत लौड़े। अपन लोग अब आज़ाद हो गएले हैं तो कहीं भी चले जाएंगे। वैसे भी अपन को अब इधर गोबर नहीं उठाने का है।"
जगन की बात सुन कर मोहन सोच में पड़ गया। सच तो ये था कि उसे अपने प्लान पर पूरा भरोसा था और ये भी भरोसा था कि जगन और संपत उसका प्लान सुन कर वही करेंगे जो वो चाहता है मगर यहां तो ऐसा हुआ ही नहीं। मोहन एकाएक ही निराश हो गया। वो सच में कमला और जोगिंदर से बदला लेना चाहता था और इस सबसे ज़्यादा वो कमला की बेटी शालू के साथ मज़ा भी करना चाहता था मगर अब लग रहा था कि उसकी चाहत मिट्टी में मिल गई है।
"बेटीचोद तुम लोग सालो नामर्द हो।" फिर वो एकदम से खिसिया कर बोल पड़ा____"लौड़ा गांड़ कुटाई के डर से भाग रेले हो इधर से। साला अपन लोग से अच्छे तो मंगू लोग हैं जो यहां मस्त मलाई मार रेले हैं। बेटीचोद कमला की बेटी को भी पेलते हैं वो लोग और अपन लोग साला फट्टू हैं जो इधर से दुम दबा के भाग लेने का सोच रेले हैं। मादरचोद लानत है अपन लोग पर और अपन लोग के ऐसे जीने पर। ठीक है बे, तुम लोग को इधर से जाने का है तो जाओ बेटीचोदो पर अपन घंटा नहीं जाएगा इधर से। लौड़ा या तो अपन बदला लेगा या फिर यहीं मर जाएगा।"
मोहन के द्वारा खुन्नस में कही गई ये बातें सुन कर जगन और संपत सन्नाटे में आ गए थे। हैरत से आंखें फाड़े वो दोनों उसे ही देखने लगे थे। इधर मोहन ये सब बोलने के बाद पलटा और कमरे में ही एक तरफ जा कर लेट गया।
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शाम पांच बजे के क़रीब मंगू के उठाने पर ही तीनों उठे। जगन और संपत तो अलसाए हुए नज़र आए किंतु मोहन फ़ौरन ही उठ कर कमरे से बाहर चला गया। ये देख जगन और संपत दोनों ही चौंके। एक दूसरे को देखने के बाद वो दोनों भी जल्दी ही उठे और फिर कमरे से बाहर निकल गए। इधर मोहन ने उन दोनों से कोई बात करना तो दूर उनकी तरफ देखा तक नहीं था। संपत समझ गया कि वो दोनों से नाराज़ है।
"अबे देख उस लौड़े को।" जगन ने आगे मंगू के साथ चले जा रहे मोहन की तरफ देखते हुए संपत से कहा____"बेटीचोद कितना फुर्ती से उस लौड़े के साथ जा रेला है। भोसड़ी का इतना फुर्ती तो उसने काम करने में भी नहीं दिखाई थी।"
"अबे वो सब छोड़।" संपत ने कहा____"और ये बता तू यहां रुकेगा या नहीं?"
"क्या मतलब है तेरा बे?" जगन ने उसे घूर कर देखा____"अपन क्यों रुकेगा इधर? लौड़े इतना अच्छा मौका मिलेला है तो अपन तो जाएगा इधर से।"
"तो क्या तू मोहन को यहीं छोड़ के चला जाएगा बे?" संपत ने संजीदगी से उसकी तरफ देखा।
"वो लौड़ा खुद ही आ जाएगा।" जगन ने लापरवाही से कहा____"बेटीचोद जब वो देखेगा कि अपन लोग जा रेले हैं तो डर के मारे खुद ही पीछे पीछे दौड़ा आएगा।"
"और अगर न आया तो?" संपत ने कहा___"अपन को यकीन हो गएला है कि वो यहीं रुकेगा और लौड़ा जब तक वो बदला नहीं ले लेगा तब तक इधर से कल्टी नहीं मारेगा। भले ही बेटीचोद की गाड़ फट जाए।"
"मादरचोद मरवाएगा ये लौड़ा अपन लोग को।" जगन ने दांत पीसते हुए कहा____"लौड़े को बदला लेने का भूत सवार हो गएला है।"
"अबे अपन को लगता है कि अपन लोग को भी उसके साथ इधर रुकना चाहिए।" संपत ने कहा____"आख़िर वो भाई है अपन लोग का। वैसे भी अब हालात बदल गएले हैं। अपन लोग एक दो दिन रुक के देखेंगे और फिर मोहन को ले के निकल लेंगे इधर से।"
जगन ने हां में सिर हिला दिया। वैसे भी वो मोहन पर भले ही चाहे कितना ही गुस्सा हो जाए मगर उसे अकेला छोड़ के जाने का वो सोच भी नहीं सकता था। ख़ैर जल्दी ही वो तबेले में पहुंच गए।
तबेले में जोगिंदर को न पा कर तीनों ही थोड़ा हैरान हुए क्योंकि मवेशियों का दूध निकालने का समय था और वो इस वक्त तबेले में ही होता था। तभी जगन और संपत की नज़र जोगिंदर की बीवी प्रीतो पर पड़ी। दोनों देखते ही रह गए उसे।
प्रीतो दिखने में बहुत ज़्यादा सुंदर तो नहीं थी लेकिन कमला और निर्मला से कहीं ज़्यादा साफ थी। उसकी उमर यही कोई तीस या बत्तीस के आस पास थी। जाट की बेटी थी इस लिए जिस्म तंदुरुस्त था। लंबी कद काठी और कसा हुआ बदन, जिसमें मोटापा नाम की चीज़ नहीं थी। नैन नक्श काफी तीखे थे। उसकी आंखों में आंखें डालने का साहस मंगू जैसे सांड भी नहीं कर सकते थे। जोगिंदर अपनी बीवी प्रीतो से इतना डरता तो नहीं था लेकिन उसके ना रहने पर जो उसने कमला के साथ संबंध बना लिए थे उसके चलते वो डरने लगा था, दूसरे वो उससे इस बात पर भी थोड़ा कमज़ोर पड़ जाता था कि हज़ार कोशिश के बाद भी वो प्रीतो को मां नहीं बना सका था। उसकी इस कमज़ोरी की वजह से प्रीतो उसे बहुत ताने मारती थी और न जाने क्या क्या बोलती रहती थी। एक तो बदनाम करने की धमकी ऊपर से अपने भाइयों से कुटवाने की बात बोल कर प्रीतो उस पर पूरी तरह हावी हो चुकी थी। इस सबके बाद भी वो दिल की बुरी नहीं थी। उसके अंदर कहीं न कहीं अच्छाई और नेक नीयती भी थी। अगर वो ऐसी न होती तो कब का जोगिंदर को छोड़ कर किसी और से ब्याह कर लेती मगर उसने ऐसा नहीं किया था।
"मालकिन उस्ताद नहीं आए अभी तक?" मंगू ने प्रीतो की तरफ देखते हुए थोड़ा झिझक कर पूछा तो प्रीतो ने कहा____"तुम्हारा उस्ताद यहां तब तक नहीं आएगा जब तक कि वो मेरे घर को अच्छी तरह साफ सुथरा नहीं कर देता। मेरे ना रहने पर बहुत गंदगी फैला रखी थी उसने इस लिए अब वो उसी गंदगी को साफ करने में लगा हुआ है। यहां वो सिर्फ दूध के कनस्तर लेने आएगा और फिर सारा दूध शहर बेचने जाएगा। बाकी का काम हम लोग यहां खुद ही कर लेंगे। तुम्हें कोई समस्या तो नहीं है न?"
"बिल्कुल नहीं मालकिन।" बबलू ने मन ही मन खुश होते हुए कहा____"हमें तो तुम्हारे यहां रहने से अच्छा ही लग रहा है।"
"अच्छा।" प्रीतो ने उसकी तरफ देखा____"वो क्यों भला?"
"वो इस लिए कि उस्ताद में और तुम में ज़मीन आसमान का फर्क है मालकिन।" बबलू ने फ़ौरन ही बात को बदलते हुए कहा____"उस्ताद हम लोगों से भयंकर काम करवाते हैं और ऊपर से दिन भर हम लोगों पर चिल्लाते रहते हैं। उन्होंने आज तक हम में से किसी से प्यार से बात तक नहीं की। ऐसी ऐसी गालियां देते हैं कि बताने में भी शर्म आती है।"
"चिंता मत करो।" प्रीतो ने तीखे भाव से कहा____"अब से वो तुम लोगों पर न तो चिल्लाएगा और ना ही गालियां देगा। ख़ैर अब चलो मवेशियों का दूध भी निकालना है।" कहने के साथ ही प्रीतो पलटी तो उसकी नज़र सहसा तीनों नमूनों पर पड़ गई।
"अरे! तुम लोग गए नहीं अभी?" प्रीतो ने हैरानी से तीनों को देखते हुए पूछा।
"व...वो अपन यहीं रहेगा।" मोहन झट से हकलाते हुए बोल पड़ा____"यहीं रह के अपन काम करेगा और चार पैसा कमाएगा। इसके पहले अपन ने कभी ईमानदारी से कोई काम नहीं कियेला था। मतलब कि अपन लोग चोरी चकारी करते थे और इसकी वजह से अपन लोग की रोज कुटाई होती थी।"
"हां इन दोनों ने बताया मुझे तुम लोगों के बारे में।" प्रीतो ने सिर हिलाते हुए कहा____"अच्छा ठीक है, अगर तुम लोगों को यहीं रहना है और ईमानदारी से काम करके चार पैसे कमाना है तो ये अच्छी बात है। वैसे क्या क्या काम कर लेते हो तुम लोग?"
"वो अपन लोग अभी सीख रेले हैं।" मोहन ने नज़रें चुराते हुए कहा____"पहले कभी काम नहीं कियेला था न तो अपन लोग को कोई काम नहीं आता।"
"कोई बात नहीं।" प्रीतो ने कहा____"धीरे धीरे सब सीख जाओगे। तक तक तुम लोग वो करो जो अभी कर रहे थे।"
मोहन ने हां में सिर हिला दिया। उसके बाद प्रीतो बाल्टी ले कर एक भैंस के पास बैठ गई। मंगू और बबलू भी एक एक बाल्टी ले कर एक एक भैंस के पास जा बैठे। जगन और संपत तो आगे बढ़ गए जबकि मोहन प्रीतो के सामने भैंस के दूसरी तरफ खड़ा रहा।
इस तरफ से प्रीतो का सिर तो नहीं दिख रहा था किंतु गर्दन से नीचे का भाग ज़रूर दिख रहा था। प्रीतो ने गुलाबी सलवार सूट पहन रखा था। दुपट्टे को उसने अपनी क़मर में बांधा हुआ था। भैंस के पास बैठे होने की वजह से उसके दोनों घुटने मुड़े हुए थे जो सीधा उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबाए जा रहे थे। दबने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां कुर्ते के चौड़े गले से बाहर की तरफ कुछ ज़्यादा ही निकली आ रहीं थी। एकाएक ही मोहन की नजर उसके दूध जैसे गोरे गोलों पर पड़ी तो जैसे वहीं चिपका कर रह गई। मोहन के पूरे जिस्म में झुरझूरी होने लगी।
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Nice update.....Update - 11
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जोगिंदर ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी बीवी यूं अचानक से किसी जिन्न की तरह प्रगट हो जाएगी। एकाएक ही उसे एहसास हुआ कि उसने अपनी बीवी के ना रहने पर अब तक जो कुछ किया है वो अब नहीं हो सकेगा और अगर प्रीतो को कमला के बारे में पता चल गया तो जाने वो क्या करेगी उसके साथ। जोगिंदर को एकदम से ऐसा लगा जैसे उसके सिर पर पूरा आसमान ही टूट कर गिर पड़ा है।
अब आगे.....
तीनों नमूने तबेले के दूसरी तरफ काम में लगे हुए थे जबकि उनकी निगरानी कर रहे मंगू और बबलू एक पेड़ के नीचे बैठे ताश खेल रहे थे। मोहन का क्योंकि संपत से जल्दी ही झगड़ा हो जाता था इस लिए जगन ने उसे अकेले ही कुछ दूरी पर काम करने को कह दिया था। मोहन अपनी धुन में लगा हुआ था। आज तीनों ही खुश थे क्योंकि भैंस का दूध निकालने का अनोखा काम जो किया था। मोहन अपनी धुन में लगा ही हुआ था कि सहसा उसकी नज़र शालू पर पड़ गई। वो अपना काम भूल कर एकटक उसे ही देखने लगा।
शालू प्रीतो के कहने पर अब वापस अपने घर जा रही थी किंतु रास्ता इधर से ही था इस लिए वो इस तरफ ही चली आ रही थी। शालू को देख मोहन के होठों पर मुस्कान उभर आई। उसने उसे आज पहली बार ही देखा था किंतु इतना वो समझ गया था कि वो कमला की बेटी है और इतना ही नहीं उसके गुरु बिरजू की माल भी है। एकाएक ही मोहन के दिलो दिमाग़ में उसे देख बड़े ही रोमांचकारी एहसास जागृत हो उठे। उसने फ़ौरन ही नज़र घुमा कर मंगू और बबलू की तरफ देखा। वो दोनों ताश खेलने में मशरूफ थे। उसके बाद मोहन ने एक नज़र जगन और संपत की तरफ डाली। वो दोनों भी अपने काम में लगे हुए थे। ये देख मोहन के मन में जाने क्या आया कि पहले तो उसने जल्दी जल्दी अपने कपड़ों की धूल झाड़ कर खुद को ठीक किया और फिर एकदम बड़े ही स्टाइल में खड़ा हो गया।
शालू जब थोड़ा क़रीब आई तो उसकी भी नज़र मोहन पर पड़ गई जिससे वो थोड़ा असहज सी नज़र आने लगी। नीले रंग के सलवार कुर्ते में वो कोई हूर की परी तो नहीं लग रही थी लेकिन जवान लड़की थी इस लिए आकर्षण ज़रूर था उसमें। मोहन जैसे नमूने के लिए तो वो हूर की परी ही थी। इधर मोहन जल्दी जल्दी सोचने लगा कि उसे क्या करना चाहिए जिससे ये कच्ची कली उसके प्रेम जाल में फंस जाए? एकाएक ही उसके मन में कोई विचार आया तो वो खुश हो गया।
"कितना हसीन चेहरा ओ हो, कितनी प्यारी आंखें आ हा हा।" शालू जैसे ही उसके थोड़ा पास आ गई तो मोहन उसे देखते हुए झट से गाने लगा____"कितना हसीन चेहरा ओ हो, कितनी प्यारी आंखें आ हा हा। कितनी प्यारी आंखें हैं आंखों से छलकता प्यार। कुदरत ने बनाया होगा फुर्सत से तुझे मेरे यार।"
मोहन का गाना सुन शालू पहले तो हड़बड़ा गई किन्तु फिर एकदम से घबराते हुए तेज़ तेज़ क़दमों से आगे बढ़ने लगी। उसकी धड़कनें धाड़ धाड़ कर के बजने लगीं थी। यूं तो मोहन के बेसुरे गाने में कोई ख़ास बात नहीं थी किंतु गाने के शब्दों ने शालू को जैसे ये बता दिया था कि वो गाने के माध्यम से उसकी तारीफ़ कर रहा है। शालू जैसी भोली भाली लड़की एकदम से सिकुड़ सी गई थी। फिर जाने क्या सोच कर उसके नर्म मुलायम होठों पर मुस्कान उभर आई जिसे छुपाते हुए वो जल्दी ही मोहन से दूर निकल गई। उसने एक बार भी पलट कर पीछे नहीं देखा या ये कहें पीछे देखने की उसमें हिम्मत ही नहीं हुई।
"बेटीचोद ये भी अपनी मां की तरह अपन का काट गई लौड़ा।" मोहन ने बुरा सा मुंह बनाते हुए जैसे खुद से ही कहा____"लगता है अपन का गाना उसके भेजे में घुसाइच नहीं।"
"अबे ओ मजनू।" पीछे से मंगू की आवाज़ सुन मोहन एकदम से हड़बड़ा गया और जल्दी से पीछे की तरफ घूमा। उधर मंगू ने उसके क़रीब आ कर कहा____"तेरे गांड़ में फिर से खुजली होने लगी है क्या?"
"न...नहीं तो।" मोहन सकपकाते हुए बोल पड़ा____"ऐसा क्यों बोल रेले हो अपन को?"
"भोसड़ी के।" मंगू के पीछे से बबलू बोल पड़ा____"हमें क्या अंधा समझता है तू? साले अभी तू कमला की लौंडिया को देख के जिस तरह हीरो बन कर बेसुरा गा रहा था न वो देखा है हमने। साले उसका ख़याल अपने मन से जितना जल्दी हो सके निकाल दे वरना ऐसी गांड़ तुड़ाई होगी कि हगते नहीं बनेगा।"
"अबे अपन कोई हीरो वीरों नहीं बन रेला था।" मोहन ने हाथ को नचाते हुए कहा____"वो तो अपन को एक गाना याद आ गएला था तो अपन ने कुमार शानू के माफिक चेंप दिया। लौड़ा तुम लोग ने फोकट में ही भाषण सुना दिएला अपन को। अबे अक्खा दुनिया जानती है कि अपन भारी शरीफ़ आदमी है।".
"तू कितना शरीफ़ है ये हम अच्छी तरह जानते हैं साले।" मंगू ने आंखें दिखाते हुए कहा____"एक बात अच्छी तरह जान खोल कर सुन ले। ये हेरोगीरी दिखाना छोड़ दे वरना तबीयत से पेला जाएगा। वैसे भी वो बिरजू का माल है, अगर बिरजू को पता चला कि तूने उसकी माल को लाइन मारने को कोशिश की है तो वो तेरी गांड़ फाड़ देगा, समझा?"
"लौड़ा गाना भी नहीं गाने देते अपन को।" मोहन ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"बेटीचोद जिसको देखो अपन की गांड़ ही तोड़ने की बात कर रेला है। अबे कभी अपन की गांड़ सिलने की भी बात करो।"
मोहन की बात सुन कर मंगू और बबलू न चाहते हुए भी हंस पड़े। उन्हें हंसते देख मोहन का डर एकदम से दूर हो गया।
"वैसे लौंडिया मस्त है बे?" मोहन ने मुस्कुराते हुए दोनों की तरफ देखा____"अपन को राप्चिक लगी। बेटीचोद बिरजू उस्ताद के तो मज़े हैं बे।"
"मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तेरी जल्दी ही गांड़ तोड़ कुटाई होने वाली है?" मंगू ने अजीब भाव से मोहन को देखा।
"अबे ये क्या बोल रेले हो बे?" मोहन एकदम से घबरा गया।
"जिस तरह की तू हरकतें कर रहा है न।" मंगू ने कहा____"उससे तेरी गांड़ तुड़ाई नहीं होगी तो क्या होगी? साले हज़ार बार समझा चुका हूं कि अपनी गांड़ की खुजली को शांत रख, फिर भी नहीं मान रहा तू।"
"अब क्या कर दियेला है इसने मंगू भाई?" जगन ने पास आते ही पूछा तो मोहन ये सोच कर और भी घबरा गया कि कहीं जगन सच जान कर उसको पेलने न लगे।
"अबे अपन लोग तो मज़ाक कर रेले हैं इधर।" मोहन ने जगन को जैसे समझाते हुए कहा____"तू जा लौड़े अपना काम कर।"
"भोसड़ी के।" जगन ने उसे आंखें दिखाते हुए कहा____"यहीं पटक देगा अपन तुझे। अपन को पूरा यकीन है कि तूने फिर से कुछ कियेला है।"
मंगू और बबलू ने जब देखा कि मामला बिगड़ने वाला है तो उसने फ़ौरन ही दोनों को अलग किया और सख़्त लहजे में काम करने को कह दिया। जब वो अपने अपने काम में लग गए तो वो और बबलू भी वापस पेड़ के नीचे जा कर ताश खेलने लगे।
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जोगिंदर चौधरी दोपहर को आराम करना चाहता था लेकिन प्रीतो ने उसे कमरे में जाने ही नहीं दिया था। वो बड़े आराम से कुर्सी में बैठी थी और जोगिंदर को हुकुम पे हुकुम दिए जा रही थी। मसलन ये करो, वो करो, यहां का कचरा उठा कर बाहर फेंको, उधर का भंगार उठा कर किसी कबाड़ी वाले को दे दो। जाने कितने ही ऐसे काम थे जिसे वो जोगिंदर से करवाए जा रही थी। जोगिंदर ने कई बार ये कहा कि वो एक दो दिन में सब कुछ चकाचक कर देगा मगर प्रीतो नहीं मान रही थी। उसका कहना था कि घर की सारी गंदगी उसे आज ही दूर करनी होगी।
जोगिंदर आज से पहले कभी इस तरह अपनी बीवी का गुलाम नहीं बना था किंतु आज बना हुआ था। ऐसा इस लिए क्योंकि उसके मन में चोर था। अपनी बीवी की गैर मौजूदगी में जो कांड उसने किए थे उसकी वजह से उसकी फटी पड़ी थी। रह रह कर ये ख़याल उसे अंदर तक हिला देता था कि अगर प्रीतो को उसके कांडों का पता चल गया तो क्या होगा?
"तुम तो कह रहे थे कि मेरे ना रहने पर तुम्हारा यहां बहुत बुरा हाल था?" सहसा प्रीतो की इस बात से काम में लगा जोगिंदर चौंका, उधर प्रीतो ने आगे कहा____"जबकि तुम्हें देख कर तो कहीं से भी ये नहीं लगता कि तुम यहां बुरे हाल में थे।"
"य...ये तू क्या कह रही है प्रीत?" जोगिंदर प्रीतो को प्यार से प्रीत बोलता था____"तेरे बिना सच में यहां मेरा बुरा हाल था। न खाने पीने का कोई टाइम था और ना ही किसी और चीज़ का। बस ये समझ ले कि तेरे बिना किसी तरह जी रहा था मैं।"
"शुकर है कि मेरे बिना मर नहीं गए तुम।" प्रीतो ने तिरछी नज़र से उसे देखते हुए कहा____"वैसे जिस लड़की ने मेरा झोला थाम रखा था उसने मुझे काफी कुछ बताया है।"
"क...क...क्या बताया है उसने?" जोगिंदर बुरी तरह हकलाते हुए पूछ बैठा। एकदम से ही उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं।
"यही कि तुमने उसकी मां को यहां काम पर रखा हुआ है।" प्रीतो ने कहा____"इतना ही नहीं वही तुम्हारे लिए हर टाइम का इस घर में आ कर खाना भी बनाती है।"
"ह... हां..व...वो मैंने उसे अभी कुछ समय पहले ही यहां काम करने के लिए रखा था।" जोगिंदर के चेहरे पर ढेर सारा पसीना उभर आया था। अपने अंदर की घबराहट को किसी तरह शांत करने का प्रयास करते हुए बोला____"हालाकि मैंने उसे तबेले का काम करने के लिए रखा था। बेचारी ग़रीब थी। मुझसे काम मांग रही थी तो मैंने उसे तबेले में काम करने के लिए रख दिया था। बाद में मुझे उसी से पता चला कि वो खोवा और घी बनाने का काम भी कर लेती है तो मैंने उसे इस काम में भी लगा दिया। एक दिन उसने मुझे बेवक्त खाना खाते हुए देखा तो उसने पूछा कि क्या मैं यहां अकेला रहता हूं जिसकी वजह से मुझे खुद ही खाना बना कर खाना पड़ता है तो मैंने कहा हां। मेरी बात सुन कर उसने कहा कि वो मेरे लिए खाना बना सकती है। मैंने सोचा कि ये अच्छा ही है क्योंकि एक तो मुझसे खाना बनाना आता ही नहीं था और दूसरे अगर मैं किसी तरह जला हुआ या अधपका बना भी लेता था तो उसे खाने का मन ही नहीं करता था। बस उस दिन से वो मेरे कहने पर यहां मेरे लिए खाना भी बनाने लगी। बहुत अच्छे स्वभाव की औरत है वो।"
"अच्छा।" प्रीतो ने कहा____"उसके स्वभाव का ही बस पता है तुम्हें या कुछ और भी पता है?"
"क..क...क्या मतलब है तेरा?" जोगिंदर की मानों सांसे अटक ही गईं थी।
"मतलब तो कोई ख़ास नहीं है।" प्रीतो ने उसकी तरफ ध्यान से देखते हुए कहा____"पर तुम इतना हकला क्यों रहे हो और तो और तुम्हें देख कर ऐसा भी लग रहा है जैसे तुम किसी बात से परेशान भी हो गए हो। सच सच बताओ, कुछ छुपा रहे हो क्या मुझसे?"
"न...न नहीं तो।" जोगिंदर को एकाएक ही एहसास हुआ जैसे प्रीतो उसकी बीवी नहीं बल्कि उसका काल है। खुद की हालत को सम्हालने का प्रयास करते हुए बोला____"भ...भला मैं क्यों परेशान होऊंगा? म...मैं तो एकदम ठीक हूं और तुझसे भला क्या छुपाऊंगा मैं?"
"अगर छुपाना भी चाहोगे न तो छुपा नहीं पाओगे मुझसे।" प्रीतो ने सख़्त लहजे में कहा____"प्रीतो नाम है मेरा। मैं जल्दी ही पता कर लूंगी कि मेरी गैर मौजूदगी में तुमने यहां क्या क्या किया है।"
जोगिंदर से कुछ कहते ना बन पड़ा। एकाएक ही उसे अपनी आंखों के सामने अंधेरा सा छाता नज़र आया। उसने जल्दी से खुद को सम्हाला और काम में लग गया। उधर प्रीतो के होठों पर उसकी हालत को देख बड़ी ही गहरी मुस्कान उभर आई थी।
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"तुम लोग यहां पेड़ की छांव में आराम से बैठे ताश खेल रहे हो।" मंगू और बबलू के पास पहुंचते ही प्रीतो ने गुस्से में उनसे कहा तो वो दोनों ही उछल पड़े। वो ताश खेलने में इतना खोए हुए थे कि उन्हें प्रीतो के आ जाने का पता भी नहीं चला था। उधर प्रीतो ने उसी गुस्से में आगे कहा____"और उन बेचारों से इतनी कड़ी धूप में काम करवा रहे हो, हां?"
"म...म मालकिन अ..आप यहां?" मंगू आश्चर्य से प्रीतो को देख कर हकलाते हुए बोला____"आप यहां कब आई मालकिन?"
"मैंने जो पूछा है उसका जवाब दो पहले।" प्रीतो ने आंखें दिखाते हुए कहा____"उन बेचारों से इतनी कड़ी धूप में काम क्यों करवा रहे हो तुम दोनों?"
"ह...हम नहीं करवा रहे मालकिन।" बबलू प्रीतो को देख बड़ा खुश हुआ था, अतः झट से बोल पड़ा____"वो लोग तो उस्ताद के हुकुम से इतनी कड़ी धूप में काम कर रहे हैं। हम दोनों तो बस उस्ताद के कहने पर उनकी निगरानी कर रहे हैं यहां।"
"निगरानी??" प्रीतो के माथे पर सिलवटें उभर आईं, बोली____"मगर क्यों? उनकी निगरानी करने को क्यों कहा तुम्हारे उस्ताद ने?"
मंगू और बबलू ने संक्षेप में उन तीनों नमूनों की कहानी बता दी। जिसे सुन कर प्रीतो पहले तो बड़ा हैरान नज़र आई किंतु फिर एकदम से उसके चेहरे पर गुस्से के भाव नज़र आने लगे।
"उन बेचारों को इतनी बड़ी सज़ा दे रहा है तुम्हारा उस्ताद?" प्रीतो गुस्से में बोली____"वो इंसान है या कसाई? ख़ैर उसका तो मैं बाद में हिसाब करूंगी पहले तुम उन लड़कों को बुलाओ यहां।"
मंगू और बबलू ने फ़ौरन ही प्रीतो के कहे अनुसार तीनों नमूनों को आवाज़ दे कर बुला लिया। वो तीनों थके हारे तथा पसीने से तर चेहरा लिए जल्दी ही आ गए। मंगू और बबलू के पास किसी मालदार औरत को खड़े देख तीनों की ही आंखें आश्चर्य से फट गईं। उधर प्रीतो ने जब तीनों को बड़े ध्यान से देखना शुरू किया तो तीनों ही असहज हो गए और नज़रें चुराने लगे।
"देखो तो क्या हाल हो गया है इन बेचारों का।" प्रीतो ने तीनों की हालत देख कर कहा____"इतना जुलुम तो कोई अपने दुश्मन के साथ भी नहीं करता जितना तुम्हारे उस्ताद ने इन बेचारों पर कर रखा है।"
प्रीतो के मुख से अपने लिए ये सब सुन कर तीनों नमूनों को बड़ी हैरानी हुई। उन्हें समझ में न आया कि ये औरत आख़िर है कौन और उन्हें देख कर उनके बारे में ऐसा क्यों बोल रही है? तीनों ने मंगू और बबलू की तरफ देखा तो मंगू ने इशारे से उन्हें चुप रहने को कहा। उसे एकाएक ही इस बात की चिंता हो उठी थी कि तीनों नमूने प्रीतो के सामने कोई उटपटांग हरकत ना कर दें जिससे प्रीतो के दिल में जन्मी उनके प्रति इतनी हमदर्दी पलक झपकते ही गुस्से में बदल जाए।
"क्या नाम हैं तुम लोगों के?" प्रीतो ने तीनों की तरफ देखते हुए इस बार बड़े ही नम्र भाव से पूछा तो तीनों ने एक बार फिर से मंगू और बबलू की तरफ देखा। मंगू ने पलकें झपका कर इशारा कर दिया कि बता दो जो भी वो पूछ रही है।
"म...मोह...न।" अपनी आदत से मजबूर मोहन सबसे पहले हकलाते हुए बोल पड़ा____"अपन का नाम मोहन है।"
"अपन संपत है।"
"जगन।" आख़िर में जगन ने कहा____"अपन का नाम जगन है।"
"हम्म।" प्रीतो तीनों के बोलने के तरीकों से थोड़ा हैरान हुई किंतु फिर बोली____"अब से तुम लोगों को इस तरह काम करने की कोई ज़रूरत नहीं है, समझ गए ना?"
"स....समझ तो गएला है अपन।" मोहन अपने साथियों में से किसी को मौका दिए बिना ख़ुद ही बोल पड़ा____"पर अपन लोग अगर काम नहीं करेंगे तो उस्ताद अपन लोग की गां.....अपन का मतलब है कि उस्ताद अपन लोग की कुटाई करवा देगा इन लोग से।"
मंगू और बबलू की सांसें उस वक्त अटक गईं थी जब मोहन अपने बड़बोलेपन की झोंक में गांड़ शब्द बोले दे रहा था। वो तो अच्छा हुआ कि ऐन वक्त पर उसको खुद ही अपने शब्द का एहसास हो गया था और फिर उसने बात को सम्हाल लिया था वरना यकीनन इसी वक्त उसने अपनी गांड़ तोड़ कुटाई का प्रबंध खुद ही कर लिया था।
"तुम्हें अब अपने उस्ताद से डरने की ज़रूरत नहीं है।" प्रीतो ने कहा____"तुम्हारे उस्ताद को जितनी मनमानी करनी थी कर ली। अब उसका हिसाब किताब मैं करूंगी।"
प्रीतो की ये बात सुन कर मोहन तो चकित हुआ ही उसके साथ जगन और संपत भी आंखें फाड़ कर उसे देखन लगे थे। उन्हें समझ न आया कि उस्ताद का हिसाब किताब करने की बात कहने वाली ये औरत आख़िर है कौन?
"मालकिन सही कह रही हैं मोहन।" तीनों की उलझन का आभास होते ही बबलू ने कहा____"तुम्हें अभी पता नहीं है कि ये कौन हैं। अरे! ये हमारी मालकिन हैं, हमारे उस्ताद की धरम पत्नी।"
बबलू की बात सुन कर तीनों नमूने एकाएक ही जैसे आसमान से धरती पर गिरे। दिलो दिमाग़ में इतनी देर से जो उलझन रूपी भूचाल खड़ा हुआ था वो अब जा कर शांत हुआ। संपत को सहसा याद आया कि बिरजू ने उस्ताद की बीवी को यहां लाने की बात कही थी। इसका मतलब ये वही है। ये सोचते ही उसके चेहरे पर खुशी की चमक आ गई।
"अरे! मूर्खों मालकिन को प्रणाम तो करो।" मंगू ने तीनों को आंखें दिखाते हुए ये कहा तो तीनों ने जल्दी जल्दी हाथ जोड़ कर प्रीतो को प्रणाम किया जिससे प्रीतो के गुलाबी होठों पर मुस्कान उभर आई।
"अगर तुम लोग यहां से जाना चाहते हो तो जा सकते हो।" फिर उसने कहा____"और अगर यहीं रहना चाहते हो तो रहो। अब से तुम लोगों से कोई भी इस तरह काम नहीं करवाएगा और हां यहां रह कर मेहनत करोगे तो तुम लोगों को मेहनत का फल भी मिलेगा। मतलब कि पैसा भी मिलेगा तुम लोगों को, जैसे बाकी लोगों को मिलता है।"
प्रीतो की बात सुन कर इस बार तीनों नमूनों की आंखें हज़ार वॉट के बल्ब की तरह चमकने लगीं। यहां से जाने की बात सुन कर वो तीनों बड़ा खुश हुए। पहली बार उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी पिंजरे से अब वो आज़ाद हो गए हैं। तीनों की ही आंखें भर आईं। डबडबाई आंखों से तीनों ने एक दूसरे की तरफ देखा।
"अबे जगन अपन लोग आज़ाद हो गए बे।" संपत खुशी से बोल पड़ा____"अब अपन लोग यहां से कहीं भी जा सकते हैं।"
"हां बे।" जगन भी खुशी से बोल उठा____"अब अपन लोग को न तो उस्ताद से डरने की ज़रूरत है और ना ही यहां काम करने की।"
"वो सब तो ठीक है बे।" मोहन कुछ सोचते हुए बोला____"पर अपन लोग इधर से कहीं नहीं जाएंगे, यहीं रहेंगे।"
"भोसड़ी के।" जगन एकदम गुस्सा हो कर बोल पड़ा____"यहां से क्यों नहीं जाएंगे बे? यहां क्या तू अपनी गां....?"
"चुप हो जाओ बे।" जगन का वाक्य पूरा होने से पहले ही मंगू जल्दी से बोल पड़ा____"सालो कम से कम मालकिन के सामने तो झगड़ा मत करो। क्या सोचेंगी ये तुम लोगों के बारे में कि कैसे जाहिल हो तुम लोग।"
मंगू की बात सुन तीनों ने सिर झुका लिया। प्रीतो तीनों के बोलने के अंदाज़ पर चकित थी। उसे समझ नहीं आ रहा था की तीनों लड़के किस तरह के हैं?
"म... माफ़ कर दो मालकिन।" जगन ने सिर झुकाए हुए ही कहा____"अपन को तुम्हारे सामने ऐसा नहीं बोलना चाहिए था।"
"हां...ठीक है ठीक है।" प्रीतो ने कहा____"तुम लोगों का जो मन करे वो करो लेकिन अभी काम कर कर के थक गए होगे न तुम लोग इस लिए जा कर थोड़ा आराम कर लो। उसके बाद तुम लोगों को जहां जाना हो चले जाना।"
प्रीतो की बात सुन कर तीनों ने सिर हिलाया और फिर वो एक साथ एक तरफ को बढ़ते चले गए। उनके जाने के बाद प्रीतो ने मंगू और बबलू की तरफ देखा। उन दोनों ने प्रीतो को बताया कि वो तीनों लड़के असल में किस तरह के हैं। वो दिखने में भले ही उनके जैसे ही हैं लेकिन तीनों में अकल नाम की चीज़ बहुत कम है। यही वजह है कि वो अपनी हरकतों की वजह से अक्सर ही मुसीबत में पड़ जाते हैं। प्रीतो ये जान कर बड़ा हैरान थी और साथ ही ये सोचने लगी थी कि क्या इस दुनिया में ऐसे भी लोग हो सकते हैं?
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Nice update....Update - 12
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"अबे छोड़ दे बे मर जाएगा अपन।" कमरे में जैसे ही तीनों पहुंचे तो जगन ने मोहन को दबोच कर उसका गला पकड़ लिया जिस पर छटपटाते हुए मोहन चीखा____"बेटीचोद क्या हो गएला है बे तुझे? साले अपन के पीछे ही क्यों पड़ गएला है बे लौड़े? आह...छोड़ दे लौड़े।"
"नहीं छोड़ेगा अपन तुझे।" जगन गुस्से से गुर्राया____"भोसड़ी के जब किसी चमत्कार के माफिक उस्ताद की बीवी अपन लोग को जाने का बोल रेली थी तो तू ये क्यों बोल रेला था कि अपन लोग कहीं नहीं जाएंगे, हां? भोसड़ी के तुझे यहां रह कर अपनी गांड़ कुटाई करवाने में बड़ा मज़ा आ रेला है तो तू खुद रुक जाता अपन लोग को क्यों लपेटा लौड़े?"
"अबे बात तो सुन ले लौड़े।" मोहन उससे छूटने की नाकाम कोशिश करते हुए चीखा____"अपन ने वैसा इस लिए बोलेल था क्योंकि अपन के भेजे में एक मस्त पिलान आ गएला था। लौड़े सुनेगा तो तू भी खुश हो जाएगा बे।"
"अबे जगन छोड़ दे यार इस चिंदी चोर को।" संपत ने झट से आ कर जगन से कहा____"लौड़ा कहीं सच में ही न मर जाए बे।"
"मरता है तो मर जाए लौड़ा।" जगन ने कहा____"इसकी वजह से अपन लोग की जाने कितनी बार फोकट में कुटाई हो गयेली है और ये लौड़ा अभी भी यहीं रुकने को बोल रेला था।"
"अबे बोल दिया तो क्या हो गएला है बे?" संपत ने जगन को खींच कर मोहन से अलग करते हुए कहा____"अपन लोग कौन सा इसके कहने से रुक जाएंगे। इस लौड़े को अगर यहीं रह कर अपनी गांड़ घिसनी है तो इसे रहने दे बे यहां।"
जगन जैसे ही दूर हुआ तो मोहन अपनी गर्दन को सहलाते हुए गहरी गहरी सांसें लेने लगा। उसका पूरा चेहरा सुर्ख पड़ गया था।
"बेटीचोद मार ही दियेला था अपन को।" फिर अपनी आदत से मजबूर वो बोल उठा____"लौड़ा अपन को पल में भैंसे में बैठा यमराज दिख गएला था। अगर थोड़ी देर हो जाती तो पक्का वो मुछाड़िया ले ही जाता अपन को।"
"भोसड़ी के अब चुप रहेगा या फिर से जगन को बोल दे अपन तेरा गला दबाने को?" संपत ने आंखें दिखाते हुए मोहन से कहा।
"तू तो लौड़ा चाहता ही यही है कि वो अपन को मार दे।" मोहन ने तैश में कहा____"भोसड़ी के जिस दिन अपन सच्ची में मर जाएगा न तो रोएगा अपन के लिए।"
मोहन को एकाएक ही भावुक हो गया देख संपत ने कुछ बोलना ठीक नहीं समझा। वो जगन को लिए कमरे के एक तरफ बैठ गया। अपनी गर्दन को सहलाते हुए मोहन भी उन दोनों से थोड़ा दूर बैठ गया। कुछ देर के लिए कमरे में ख़ामोशी छा गई।
"वैसे तेरे बित्ती भर के भेजे में कौन सा पिलान आएला था बे?" संपत ने मोहन की तरफ देखते हुए पूछा____"जिसके लिए तू यहीं रह कर अपनी गांड़ घिसने को बोल रेला था।"
"घंटा कुछ नहीं बताएगा अपन।" मोहन ने रूठ कर दूसरी तरफ मुंह फेरते हुए कहा____"लौड़ा जब देखो अपन का टेंटुआ पकड़ लेता है ये चिंदी चोर। अपन सबसे छोटा है और बिना मां बाप का है इस लिए अपन को मार देना चाहते हैं बेटीचोद।"
"अच्छा माफ़ कर दे बे लौड़े।" मोहन की रुआंसी आवाज़ सुन कर जगन जल्दी ही उसके पास आ कर प्यार से बोला____"चल बता तेरे भेजे में उस वक्त कैसा पिलान आ गएला था?"
"तू सच्ची में जानना चाहता है?" मोहन एकदम से खुश हो कर उसकी तरफ पलट कर बोला तो जगन ने मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दिया। मोहन ने संपत की तरफ बड़े ही अनोखे अंदाज़ में देखा और फिर मुस्कुरा उठा। ये देख संपत का माथा ठनका।
"भोसड़ी के अपन को देख के मुस्कुरा क्यों रेला है बे?" संपत ने उसे घूरते हुए कहा____"अब बताता क्यों नहीं लौड़े कि कैसा पिलान आयला था तेरे दो टके के भेजे में? साला पांचवीं फेल।"
"तू चुप कर बे।" जगन ने पलट कर संपत को डांटा____"वरना अबकी बार तेरा टेंटुआ दबा देगा अपन।" कहने के साथ ही वो मोहन की तरफ घूमा और फिर कहा____"तू बता बे लौड़े अपना पिलान।"
"अबे अपन के भेजे में इस बार गांड़ फाड़ देने के माफिक पिलान आयला है बे।" मोहन ने एकाएक गर्व से अपना सीना चौड़ा करते हुए कहा____"तभी तो अपन उस वक्त बोल रेला था कि अपन लोग यहीं रहेंगे।"
"अबे भोसड़ी के पिलान बता लौड़े।" संपत ने झल्ला कर कहा____"फोकट में भेजा क्यों चाट रेला है अपन का?"
"अबे अपन को तेरा सडे़ला भेजा चाटने का झांठ बराबर भी शौक नहीं है लौड़े।" मोहन ने हिकारत जैसे भाव चेहरे पर ला कर कहा____"हां तो अपन बोल रेला था कि अपन के भेजे में मस्त पिलान आएला था।"
"और वो कब बताएगा तू लौड़े?" जगन का सब्र मानों जवाब दे गया इस लिए गुस्से से बोला____"भोसड़ी के तेरे इसी नाटक की वजह से अपन को तेरे पे गुस्सा आ जाता है। बेटीचोद इतनी देर से पिलान पिलान का माला जप रेला है पर बता नहीं रेला है कि कैसा पिलान आएला था तेरे भेजे में?"
"एक तो बेटीचोद तेरे को गुस्सा ही बड़ा जल्दी आता है लौड़ा।" मोहन ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"अच्छा सुन, अपन उस समय यहीं रहने को इस लिए बोल रेला था कि अपन को बदला लेने का है।"
"भोसड़ी के ये क्या बोल रेला है तू?" जगन ने आंखें फैला कर उसे घूरा____"इसका मतलब लौड़ा तू फिर से अपन लोग की कुटाई करवाना चाहता है।"
"अबे इस पांचवीं फेल को इसके अलावा और आता ही क्या है बे?" संपत ने कहा____"वो लौड़ा मंगू सही बोलता है कि इसकी गांड़ में कुछ ज़्यादा ही खुजली होती है।"
"तू न चुप ही रह भोसड़ी के।" मोहन उस पर चढ़ दौड़ा____"लौड़े अपनी गाड़ जैसा मुंह फाड़ने से पहले अपन की पूरी बात तो सुन ले।"
"अपन सुन रहा है न लौड़े।" जगन ने मोहन की तरफ गुस्से से देखा____"तो तू अपन को बता ना भोसड़ी के।"
"देख, उस्ताद की मालदार बीवी ने तो बोल ही दियेला है कि अपन लोग चाहे तो इधर से जा सकते हैं।" मोहन ने जैसे समझाना शुरू किया____"यानि अब से अपन लोग आज़ाद हैं। लौड़ा अब ये अपन लोग की मर्ज़ी है कि यहां रहें या ना रहें और काम करें या न करें।"
"हां तो?" जगन को जैसे समझ न आया____"अपन का मतलब है कि वो तो अपन लोग वैसे भी नहीं करेंगे। इसमें तेरा पिलान कहां है लौड़े?"
"अबे अपन वही तो समझा रेला है बे।" मोहन ने अपने माथे पर हथेली मारते हुए कहा____"अपन का पिलान ये है कि जाने से पहले अपन लोग को अपनी गांड़ तोड़ कुटाई का बदला ले के जाने का है।"
"और बदले के चक्कर में अपन लोग की कुटाई भी हो जाने का है।" संपत बोल पड़ा____"देख ले बे जगन इसका पिलान। ये लौड़ा अपन लोग की फिर से कुटाई करवाने का सोच रेला है।"
"अबे ऐसा कुछ नहीं सोच रेला है अपन।" मोहन ने कहा____"अपन की बात को समझने की कोशिश करो लौड़ो। तुम लोग भूल रेले हो कि बिरजू उस्ताद ने अपन लोग से क्या बोलेला था। वो बोल के गएला था कि उस्ताद की बीवी को यहां लाएगा और फिर उस्ताद की बीवी के आने से अपन लोग का कुटाई वाला लफड़ा तो दूर होएगा ही पर साथ में वो उस्ताद का भी क्रिया कर्म करेगी।"
"हां तो?" जगन की बुद्धि जैसे चकरा ही गई, बोला____"उस्ताद की बीवी का तेरे पिलान से क्या मतलब है?"
"बेटीचोद सच्ची बोलता है संपत।" मोहन ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"लौड़ा तू पूरा का पूरा ही शून्य बुद्धि है।"
"भोसड़ी के ज़्यादा बोलेगा तो एक कंटाप लगा देगा तेरे कान के नीचे।" जगन ने आंख दिखाते हुए कहा____"अच्छे से बता इसमें तेरा पिलान किधर है?"
"अबे बिरजू ने अपन लोग को बताएला था न कि उस्ताद अपनी बीवी से डरता है।" मोहन ने कहा____"तो अपन लोग अब उसी का फ़ायदा उठाएंगे। अपन का मतलब है कि उस्ताद को धमका कर अपन लोग उससे अपन लोग की कुटाई का बदला लेंगे। उसके बाद अपन उसकी रण्डी कमला से भी बदला लेंगे। वो लौड़ी उस्ताद की वजह से ही इतना उछल रेली थी। अब उस्ताद की बीवी आ गएली है तो वो अपन लोग का घंटा कुछ नहीं कर पाएगी जबकि अपन लोग उसका बहुत कुछ कर सकते हैं। क्या बोलता है, अपन का प्लान मस्त है ना?"
"अपन सच्ची में बोल रेला है जगन।" संपत ने हैरानी से जगन को देखते हुए कहा____"ये लौड़ा सच में अपन लोग की फिर से कुटाई करवाएगा।"
"अबे तू फट्टू का फट्टू ही रहेगा लौड़े।" मोहन ने जैसे उसे धिक्कारते हुए कहा____"मान लिया अपन की ही ग़लती की वजह से अपन लोग की कुटाई हुई पर ये भी तो सोच लौड़े कि क्या अपन लोग ने सच में इतना बड़ा गुनाह कियेला था कि अपन लोग की इतनी ज़्यादा कुटाई करवाई उस मुछाड़िए ने? अबे इतना ही नहीं उस कमला ने अपन लोग को अपने यार से कुटवाया। अपन ने तो रवि से बस इतना ही बोलेला था कि अपन को भी उसकी चाची की चूचियों को दबाने का है। बेटीचोद वो खुद को सती सावित्री बनती है मगर अपने ही भतीजे के साथ ग़लत काम कर रेली थी। लौड़ा वो करे तो सब सही और अपन कुछ बोले तो गलत? नहीं बे, अपन तो उस बेटीचोद से बदला ले के रहेगा और उससे ही बस नहीं, अपन उस्ताद से भी बदला लेगा। जितनी गांड़ तोड़ कुटाई उसने अपन लोग की करवाई है उसका बदला तो अपन लेगा ही लेगा उस ठरकी से।"
"बात तो सही बोल रेला है ये।" संपत ने सिर हिलाते हुए कहा____"अपन लोग ने तो बस छोटी सी ग़लती की थी लौड़े और उस बेटीचोद ने अपन लोग की तबीयत से बजवाई। लौड़ा सही बोल रेला है ये मोहन। अपन को तो इन लोग से बदला तो लेनाइच चाहिए।"
"अबे ये सब तो ठीक है।" जगन ने कहा____"पर इसकी वजह से अगर उल्टा अपन लोग ही कूट दिए गए तो?"
"अबे ऐसा कुछ नहीं होएगा।" मोहन ने मजबूती से कहा____"तू ये क्यों भूल रेला है कि मंगू बबलू और बिरजू ने अपन लोग की मदद करने को बोलेला है।"
"भोसड़ी के तुझे बड़ा भरोसा है उन लोगों पर।" संपत ने कहा____"लौड़े वो लोग जोगिंदर के पाले हुए कुत्ते हैं। वो लोग अपन लोग का ना तो साथ देंगे और न मदद करेंगे। तू लौड़ा उन पर भरोसा कर के अगर किसी से बदला लेने का सोचेगा तो पक्का पेला जाएगा।"
"लौड़े संपत की बात में दम है बे।" जगन ने सिर हिला कर कहा____"बेटीचोद सच में वो लोग अपने उस्ताद के खिलाफ़ अपन लोग की कोई मदद नहीं करेंगे। तू बदला लेने का सोच भी मत लौड़े। अपन लोग अब आज़ाद हो गएले हैं तो कहीं भी चले जाएंगे। वैसे भी अपन को अब इधर गोबर नहीं उठाने का है।"
जगन की बात सुन कर मोहन सोच में पड़ गया। सच तो ये था कि उसे अपने प्लान पर पूरा भरोसा था और ये भी भरोसा था कि जगन और संपत उसका प्लान सुन कर वही करेंगे जो वो चाहता है मगर यहां तो ऐसा हुआ ही नहीं। मोहन एकाएक ही निराश हो गया। वो सच में कमला और जोगिंदर से बदला लेना चाहता था और इस सबसे ज़्यादा वो कमला की बेटी शालू के साथ मज़ा भी करना चाहता था मगर अब लग रहा था कि उसकी चाहत मिट्टी में मिल गई है।
"बेटीचोद तुम लोग सालो नामर्द हो।" फिर वो एकदम से खिसिया कर बोल पड़ा____"लौड़ा गांड़ कुटाई के डर से भाग रेले हो इधर से। साला अपन लोग से अच्छे तो मंगू लोग हैं जो यहां मस्त मलाई मार रेले हैं। बेटीचोद कमला की बेटी को भी पेलते हैं वो लोग और अपन लोग साला फट्टू हैं जो इधर से दुम दबा के भाग लेने का सोच रेले हैं। मादरचोद लानत है अपन लोग पर और अपन लोग के ऐसे जीने पर। ठीक है बे, तुम लोग को इधर से जाने का है तो जाओ बेटीचोदो पर अपन घंटा नहीं जाएगा इधर से। लौड़ा या तो अपन बदला लेगा या फिर यहीं मर जाएगा।"
मोहन के द्वारा खुन्नस में कही गई ये बातें सुन कर जगन और संपत सन्नाटे में आ गए थे। हैरत से आंखें फाड़े वो दोनों उसे ही देखने लगे थे। इधर मोहन ये सब बोलने के बाद पलटा और कमरे में ही एक तरफ जा कर लेट गया।
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शाम पांच बजे के क़रीब मंगू के उठाने पर ही तीनों उठे। जगन और संपत तो अलसाए हुए नज़र आए किंतु मोहन फ़ौरन ही उठ कर कमरे से बाहर चला गया। ये देख जगन और संपत दोनों ही चौंके। एक दूसरे को देखने के बाद वो दोनों भी जल्दी ही उठे और फिर कमरे से बाहर निकल गए। इधर मोहन ने उन दोनों से कोई बात करना तो दूर उनकी तरफ देखा तक नहीं था। संपत समझ गया कि वो दोनों से नाराज़ है।
"अबे देख उस लौड़े को।" जगन ने आगे मंगू के साथ चले जा रहे मोहन की तरफ देखते हुए संपत से कहा____"बेटीचोद कितना फुर्ती से उस लौड़े के साथ जा रेला है। भोसड़ी का इतना फुर्ती तो उसने काम करने में भी नहीं दिखाई थी।"
"अबे वो सब छोड़।" संपत ने कहा____"और ये बता तू यहां रुकेगा या नहीं?"
"क्या मतलब है तेरा बे?" जगन ने उसे घूर कर देखा____"अपन क्यों रुकेगा इधर? लौड़े इतना अच्छा मौका मिलेला है तो अपन तो जाएगा इधर से।"
"तो क्या तू मोहन को यहीं छोड़ के चला जाएगा बे?" संपत ने संजीदगी से उसकी तरफ देखा।
"वो लौड़ा खुद ही आ जाएगा।" जगन ने लापरवाही से कहा____"बेटीचोद जब वो देखेगा कि अपन लोग जा रेले हैं तो डर के मारे खुद ही पीछे पीछे दौड़ा आएगा।"
"और अगर न आया तो?" संपत ने कहा___"अपन को यकीन हो गएला है कि वो यहीं रुकेगा और लौड़ा जब तक वो बदला नहीं ले लेगा तब तक इधर से कल्टी नहीं मारेगा। भले ही बेटीचोद की गाड़ फट जाए।"
"मादरचोद मरवाएगा ये लौड़ा अपन लोग को।" जगन ने दांत पीसते हुए कहा____"लौड़े को बदला लेने का भूत सवार हो गएला है।"
"अबे अपन को लगता है कि अपन लोग को भी उसके साथ इधर रुकना चाहिए।" संपत ने कहा____"आख़िर वो भाई है अपन लोग का। वैसे भी अब हालात बदल गएले हैं। अपन लोग एक दो दिन रुक के देखेंगे और फिर मोहन को ले के निकल लेंगे इधर से।"
जगन ने हां में सिर हिला दिया। वैसे भी वो मोहन पर भले ही चाहे कितना ही गुस्सा हो जाए मगर उसे अकेला छोड़ के जाने का वो सोच भी नहीं सकता था। ख़ैर जल्दी ही वो तबेले में पहुंच गए।
तबेले में जोगिंदर को न पा कर तीनों ही थोड़ा हैरान हुए क्योंकि मवेशियों का दूध निकालने का समय था और वो इस वक्त तबेले में ही होता था। तभी जगन और संपत की नज़र जोगिंदर की बीवी प्रीतो पर पड़ी। दोनों देखते ही रह गए उसे।
प्रीतो दिखने में बहुत ज़्यादा सुंदर तो नहीं थी लेकिन कमला और निर्मला से कहीं ज़्यादा साफ थी। उसकी उमर यही कोई तीस या बत्तीस के आस पास थी। जाट की बेटी थी इस लिए जिस्म तंदुरुस्त था। लंबी कद काठी और कसा हुआ बदन, जिसमें मोटापा नाम की चीज़ नहीं थी। नैन नक्श काफी तीखे थे। उसकी आंखों में आंखें डालने का साहस मंगू जैसे सांड भी नहीं कर सकते थे। जोगिंदर अपनी बीवी प्रीतो से इतना डरता तो नहीं था लेकिन उसके ना रहने पर जो उसने कमला के साथ संबंध बना लिए थे उसके चलते वो डरने लगा था, दूसरे वो उससे इस बात पर भी थोड़ा कमज़ोर पड़ जाता था कि हज़ार कोशिश के बाद भी वो प्रीतो को मां नहीं बना सका था। उसकी इस कमज़ोरी की वजह से प्रीतो उसे बहुत ताने मारती थी और न जाने क्या क्या बोलती रहती थी। एक तो बदनाम करने की धमकी ऊपर से अपने भाइयों से कुटवाने की बात बोल कर प्रीतो उस पर पूरी तरह हावी हो चुकी थी। इस सबके बाद भी वो दिल की बुरी नहीं थी। उसके अंदर कहीं न कहीं अच्छाई और नेक नीयती भी थी। अगर वो ऐसी न होती तो कब का जोगिंदर को छोड़ कर किसी और से ब्याह कर लेती मगर उसने ऐसा नहीं किया था।
"मालकिन उस्ताद नहीं आए अभी तक?" मंगू ने प्रीतो की तरफ देखते हुए थोड़ा झिझक कर पूछा तो प्रीतो ने कहा____"तुम्हारा उस्ताद यहां तब तक नहीं आएगा जब तक कि वो मेरे घर को अच्छी तरह साफ सुथरा नहीं कर देता। मेरे ना रहने पर बहुत गंदगी फैला रखी थी उसने इस लिए अब वो उसी गंदगी को साफ करने में लगा हुआ है। यहां वो सिर्फ दूध के कनस्तर लेने आएगा और फिर सारा दूध शहर बेचने जाएगा। बाकी का काम हम लोग यहां खुद ही कर लेंगे। तुम्हें कोई समस्या तो नहीं है न?"
"बिल्कुल नहीं मालकिन।" बबलू ने मन ही मन खुश होते हुए कहा____"हमें तो तुम्हारे यहां रहने से अच्छा ही लग रहा है।"
"अच्छा।" प्रीतो ने उसकी तरफ देखा____"वो क्यों भला?"
"वो इस लिए कि उस्ताद में और तुम में ज़मीन आसमान का फर्क है मालकिन।" बबलू ने फ़ौरन ही बात को बदलते हुए कहा____"उस्ताद हम लोगों से भयंकर काम करवाते हैं और ऊपर से दिन भर हम लोगों पर चिल्लाते रहते हैं। उन्होंने आज तक हम में से किसी से प्यार से बात तक नहीं की। ऐसी ऐसी गालियां देते हैं कि बताने में भी शर्म आती है।"
"चिंता मत करो।" प्रीतो ने तीखे भाव से कहा____"अब से वो तुम लोगों पर न तो चिल्लाएगा और ना ही गालियां देगा। ख़ैर अब चलो मवेशियों का दूध भी निकालना है।" कहने के साथ ही प्रीतो पलटी तो उसकी नज़र सहसा तीनों नमूनों पर पड़ गई।
"अरे! तुम लोग गए नहीं अभी?" प्रीतो ने हैरानी से तीनों को देखते हुए पूछा।
"व...वो अपन यहीं रहेगा।" मोहन झट से हकलाते हुए बोल पड़ा____"यहीं रह के अपन काम करेगा और चार पैसा कमाएगा। इसके पहले अपन ने कभी ईमानदारी से कोई काम नहीं कियेला था। मतलब कि अपन लोग चोरी चकारी करते थे और इसकी वजह से अपन लोग की रोज कुटाई होती थी।"
"हां इन दोनों ने बताया मुझे तुम लोगों के बारे में।" प्रीतो ने सिर हिलाते हुए कहा____"अच्छा ठीक है, अगर तुम लोगों को यहीं रहना है और ईमानदारी से काम करके चार पैसे कमाना है तो ये अच्छी बात है। वैसे क्या क्या काम कर लेते हो तुम लोग?"
"वो अपन लोग अभी सीख रेले हैं।" मोहन ने नज़रें चुराते हुए कहा____"पहले कभी काम नहीं कियेला था न तो अपन लोग को कोई काम नहीं आता।"
"कोई बात नहीं।" प्रीतो ने कहा____"धीरे धीरे सब सीख जाओगे। तक तक तुम लोग वो करो जो अभी कर रहे थे।"
मोहन ने हां में सिर हिला दिया। उसके बाद प्रीतो बाल्टी ले कर एक भैंस के पास बैठ गई। मंगू और बबलू भी एक एक बाल्टी ले कर एक एक भैंस के पास जा बैठे। जगन और संपत तो आगे बढ़ गए जबकि मोहन प्रीतो के सामने भैंस के दूसरी तरफ खड़ा रहा।
इस तरफ से प्रीतो का सिर तो नहीं दिख रहा था किंतु गर्दन से नीचे का भाग ज़रूर दिख रहा था। प्रीतो ने गुलाबी सलवार सूट पहन रखा था। दुपट्टे को उसने अपनी क़मर में बांधा हुआ था। भैंस के पास बैठे होने की वजह से उसके दोनों घुटने मुड़े हुए थे जो सीधा उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबाए जा रहे थे। दबने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां कुर्ते के चौड़े गले से बाहर की तरफ कुछ ज़्यादा ही निकली आ रहीं थी। एकाएक ही मोहन की नजर उसके दूध जैसे गोरे गोलों पर पड़ी तो जैसे वहीं चिपका कर रह गई। मोहन के पूरे जिस्म में झुरझूरी होने लगी।
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