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Romance Wo Lal Bag Wali (Completed)

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Raanjhanaa

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मुश्किल से 10 मिनिट में मयूर अपनी चिर परिचित स्टाइल में रेडी था, मि

मिलने के लिए. रात का गुस्सा खीज, और दर्द की जगह एक खुशी और उसे चेहरे पर साफ झलक रहा था, मिसेस फ्रेडरिक मयूर की माँ ने देखा उनका लड़का मपूर अधीरता से कार में बैठा और कार गोली की तरह होटल के कंपाउंड से बहार निकल गयी। उसने अपना वादा निभाया और 15 मिनिट में उसकी कार बस स्टैंड के पास शॉप पर पहुची, रागिनी ने हाथ उठा कर इशारा किया, और कार की अगली सीट पर मयूर के पास

आ कर बैठ गई कार बस स्टैंड पार करके दून ले जाने वाली पुमावदार ढलान पर नागिन की
 

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मिलने के लिए, शत का गुस्सा, बीज, और दर्द की जगह एक खुशी और उत्साह उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था, मिसेस प्रेंडरिक मयूर की माँ ने देखा उनका लड़का मयूर अचीरता से कार में बैठा और कार गोली की तरह होटल के कपाउड से बहार निकल गयी।

उसने अपना वादा निभाया और 15 मिनिट में उसकी कार बस स्टैंड के पाल गौप पर पहुची रागिनी ने हाथ उठा कर इशारा किया, और कार की अगली सीट पर मयूर के पास आकर बैठ गई, कार बस स्टैंड पार करके दून ले जाने वाली घुमावदार इलान पर नागिन की तरह चलने लगी

कार की खिड़की में से ठी हवा नै माहौल को नशीला बना दिया था, सड़क के एक और पण्ड तो दूसरी और गहरी घाटी थी, पहाड़ी पर फूली का जाल बिछा था, थोड़ी थोड़ी दुरी पर उतरती हुई पानी की धाराय करने का रूप ले चुकी थी, और दूसरी और ढलान में बड़े बड़े बिड के पेड़, और घास के मैदान तो कही नदिया प्रकृति की सुन्दरता का अद्भुत नजर पेश कर रही थी

मयूर ने रागिनी की आँखों में देखते हुए कहा - तो तुम सरेंडर करती हो की हम एक दूजे के लिए बने है या मुझे और जंग लड़नी पड़ेगी।

माहौल का असर कहो, या सच्चा वाला प्यार रागिनी ने इस बार अपने दिमाग को बिच में नहीं आने दिया और मन से कहा- मैं अपने आपको और नहीं रोका सकती. मैं समप्ण करती हैं- उसके चेहरे पर मंतोष के भाव और हलकी मुस्कान थी। ये हुई न बात-मपूर ने दुशी से अपना हाथ कार के स्टीयरिंग पे मारा।

पुमावदार रोड का हर टर्न बहुत खतरनाक था पर कपूर इन रार्ती का खिलाडी था, लसावर देहरादून के पास एक छोटा सा गाँव था जहाँ हर साल तरावर का मेला लगता था, खूबसूरत नजावें, कल कल करते झरने और नदियों को पार करते करते वो लखबर पहुच गये पारम्परिक परिधान पहने महिला पुरुष गीत संगीत और रंग बिरंगे झंडों से सजा ये त्योहार

रागिनी की जिन्दगी के यादगार लम्हों में से एक साबित हुआ, महा मौजूद एक महिला ने जिद की और उन दोनों को भी गढ़वाली परिधान पहना दिए वो एक रंग बिरंगा पहनाया था, जिसमें वो पूरी तरह गढ़वाली ही लग रहे थे डांस, मली, शाने पिने और म्यूजिक में दिन कम बीत गया पता ही नहीं पाता।

रागिनी ने कहा- चलो मार झुले में हलले है।

मान ने कहा- तुम कोई बच्ची हो क्या जो पाने में झुतोगी " वो एक बड़ा गोल पहिये जैसा झुला था जो बहुत ऊचाई तक जाता था और फिर लौट कर आ जाता था. पर रागिनी की जिद के आगे मपूर की एक न चली और वो झूले के दो टिनिट खरीद लाया

बो टीमीट लेकर लाइन में लग गये. मेले में उस समय बहुत भीड़ थी, और उनके आगे भी कई लोग झाले की लाइन में लगकर अपने नंबर का इंतजार कर रहे थे, ने अपना एक राण्ड पूरा किया और पिर झूले वाला पुरानी सवारी को उतार कर नई सवारी को झूले में बिठा रहा था
 

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बिठारहा था।

घोड़ी ही देर में उनका नंबर भी आ गया और फेरी व्हील लाने पर लटकते एक पिंजरेनुमा केबिन में बैठ गये, केबिन पर नम्बर लिखा था 17. उनके बैठते ही अला योजा और ऊपर हुआ और झूले वाले ने उनके निचे वाले केबिन में पहले से बैठी झुला झूल चुकी सवारी को उतार कर दूसरी सवारी बिठाई, फिर उसके अगले केबिन में तीसरी बारी अभी सीमारे नम्बर की सवारी बैठी भी नहीं थी की रागिनी की नजर निये गयी और उसका चेहरा डर से सफेद पड़ गया, उसने फौरन केबिन की बिटकनी खोली और नि्दे छलांग लगा दी।

किसी पैसेंजर ने ऐसा पहली बार किया था झलेवाला फौरन रागिनी के पास पहुया - क्या कर रही हो मेडम रागिनी में कहा - मुझे नहीं झुलना तुम झुला रोको, और आकाश को निचे उतरने का इशारा

किया. आकाश भी फौरन निचे उतरा और उसने रागिनी का हाथ पकड़कर पूछा - क्या

हुआ रागिनी ?

रागिनी ने कहा- मुझे नहीं झुलना तुम चलो यहाँ से

दोनों एक दुसरे का हाथ पकड़कर झुले के प्लेटफार्म से निचे उतरे और रागिनी ने कहा - हमे फौरन यहाँ से चलना चाहिए ये जगह हमारे लिए ठीक नहीं है।

असमंजस में फंसे मयूर ने कहा - ओके मुझे अपना सामान जो मैंने झूले वाले के पास रखवाया था वो तो ले लेने दो

रागिनी ने मपूर का हाथ कना कर पा रखा था, वो लगभग उससे चिपक कर चल रही थी, उसके हाथ में उसका लाल हैण्णा बेग था, एक हाथ में मयूर का हाथ तो दुसरे हाथ में अपना हैण्ड बेग

मयूर ने झूले वाले के काउंटर पे उसका दिया टोकन दिया जो उसने सामान रखते समय उसको दिया था और अपना सामान उठाने लगा, तब तक झाले में सारी सवारिया बैठ चुकी थी ले वाले में झूले को स्टार्ट किया और एक्सीलेटर को फुल स्पीड पर कर दिया. मुला पूरी तेजी से ऊपर की और बड़ा और जैसे ही 17 नो का केबिन असमान में पहुचा वो तेजी से निचे आने लगा और एक तेज आवाज के साथ जमीन पर गिर गया

मयूर और रागिनी ने सले के केबिन को ऊपर को जमीन पर गिरते देखा, और दोनों की जान हलक में आ गयी, मेले में अफरातफरी मच गयी, ऐसा पहली बार हुआ था की पहिये वाले फेरी व्हील झूले का कोई केबिन अपने झूले से अलग होकर निचे गिरा हो ?

रागिनी ने चौमी आवाज में कहा-ये वही केबिन है जिसमे हम बैठे 17 नम्बर

मयूर ने जवाब दिया - सही का खतरा और उसे तेरी काई वाला याद आया, फिर उसे रागिनी का डरा हुआ चेजारा याद आया और फिर उसे याद आया की आज अगर रागिनी उस झूले में से नहीं उतरी होती तो वो दोनों भी जमीन पर पड़े केबिन में मरे पड़े होते।

चारो और अफरा तफरी मची थी. मयूर ने रामिनी से पुछा - तुम्हें कैसे पता चला कि दो केबिन टूटने वाला है ?

रागिनी मे कहा - मैंने उन दोनों की देख लिया था, मेरी आान खतरे मैं है, प्लीज मयूर मुझे यहाँ से जल्दी बहार निकालो।

भीड़ को चीरते हुए वो दोनों मेले से बहार जाने के रास्ते की और दौड़ रहे थे, उनके साथ कई लोग जल्दी से जल्दी बहार निकलना चाहते थे. दौड़ते हुए मपूर ने रागिनी से पूछा - कौन दोनों रागिनी मेरी बात का जवाबो ।

उसका चेहरा पत्थर की तरह सखा हो चुका था, कोई भाव नहीं न इन न कोई चिंता सपाट बेहरा, जिसे कोई नहीं पढ़ सकता मयूर ने पहले भी उस चेहरे को देखा था तब जब वो अपने पापा के बारे में बात कर रही थी।
 
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बहार निकलते हुए वो तेजी से अपनी कार की तरफ बढ़े अभी दो कार के पास ही पहुचे थे कि मयूर को अपने पीछे कुछ कदमो की आहट सुनाई दी उसने मुड़कर देखा दी गुढे जैसे दिखाने वाले आदमी जिन्होंने मनेक पेंट और बाइट शर्ट पहन रखा था, उनकी और बढ़ रहे थे, और तभी उसे उनमें से एक के हाथ में बड़ा सा चाकू दिखाई दिया उसकी आखे आक्षर्य से फैल गयी, दोनों उनकी और बढ़ रहे थे।

गुंडों को अपनी और बढ़ते देखा वो सकपका गया आज का दिन बहुत आचर्य जनक या पिन उसने देखा रागिनी ने उन दोनों को अपनी और बढ़ते हुए देखा और अपने साल हैण्ड बेग की चैन खोली और उसमें से दही किताब निकाली जो वो अपने साथ लेकर आई थी उसने किताब के एक हिस्से को विशेष अंदाज में व्याया वाहा शायद वह कोई खटका था और किताब दो हिस्सों में खुल गई, मपूर की आँश तम आश्चर्य में फट गयी जब उसने देखा की किताब-किताब नही होकर एक बॉक्स थी जिसमे एक रिवाल्चर धी, जो पलक झपकते ही रागिनी की हामो में आ गयी. मपूर ने देखा रागिनी का चेहरा फत्पर की तरह

दोनों गुझे रिवालार की उपस्थिति में अनजान उन दोनों की और लपक रहे थे, जैसे ही बो पास में आये मयूर को समझते देर नहीं लगी की अगर उसने कुछ नहीं किया तो रागिनी गोती चला देगी वो तुरंत एक्शन में आया, तब तक दोनों उनके काफी करीब आ चुके थे उसने एक हाथ से रागिनी का हाथ पकड़ा और उससे ऊपर कर दिया, गोली चलने की हाली सी आवाज वातावरण में गूंज गयो गोली गुंडे को लगने की बजाय असमान में कही बली गई, तब तक चाकू वाले गुडे को रिवाल्वर की उपस्थिति का पता चला और उसने देखा, मपूर ने रागिनी का रिवाल्वर वाला हाय कसा के पका रखा है और रिवाल्वर की नाल आसमान की और है, उसने अच्छा मौका देख कर चाकू से रागिनी की और वार किया |

अपने खाती दुसरे हाथ से मयूर ने उसके चाकू वाले हाथ की कलाई पकड़ी और उसे रागिनी तक पहुंचने को रोक दिया, और रागिनी का हाथ छोड़ कर अपने दुसरे हाथ को आजाद किया और एक मुक्का यात वाले की नाक पर माना, यो दर्द में अपनी नाक पकड़ कर दोहरा हो गया और जमीन पर बैठ गया, दुसरे गुंडे ने अपना हाथ मपूर की और बढ़ाया, पर मयूर ने पीछे झुकते हुए अपने सीधे हाथ की दोनों पहली उगलिया उसकी दोनों आँखों में घुसेड दी। उसने हाय मर गया की चीख के साथ अपनी दोनों आखों को आपनी दोनों हतियों से ढक लिया और वही बैठ गया

तभी पहला गुंडा जिसकी नाक पर गहरी चोट लगी थी, गुन्से से उठा और मयूर की तरफ बामपूर ने अब अपनी पालाइंग किक का इस्तेमाल किया और उसकी दोनों टांगों के विध

में अपने असली बाटा के जूते कि आगे की नोक उसके गुप्तांगों पर दे मार दी. अब वो दर्द से चीख रहा था चोट बहुत करारी थी,

मपूर ने रागिनी को कहा- अब पे न बैग से सांस ले सकता है और न ही मूत्र विसर्जन कर सकता है. ये दोनों तो गये काम से चलो यहाँ से भागो।

पुलिस इंस्पेक्टर तन्यल जो अपने दल बल के साथ मेले में जफनीह कर मेले का लुफ्त उठा रहा था, एकाएक मची अफरा तफरी से हाई अलर्ट पे आ गया उसने अपने वायरलेस सेट पर अंदर पूछा- क्या हुआ, उसे जवाब मिला एक शाने का केबिन ले भी टूटकर असमान से जमीन पर गिर गया है, और दो लोग गंभीर रूप से घायल है, तभी तन्पल की नजर मेले के मुख्य द्वार के बहार पड़ी और उसने वो पूरा वाकिया देखा कि कैसे दो गुडे एक जवान जोड़े को मारने दौड़े और उसकी ऑडे तब फिल गयी जब लडकी ने इम्पोरेर पिस्टल निकाल ली, और लड़के ने खून खराबा रोकते हुए उन दोनों की आँखे, नाक और न जाने क्या-क्या तोड़ दिया।

यो वायरलेस पर चिल्लाया - कुछ जवान फौरन बहार निकलने के रामों पर पहुची और खुद भी उन दोनों की तरफ दौड़ पड़ा।
 
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मयूर ने इंस्पेक्टर को अपनी और भाग कर आते हुए देखा और मन ही मन कहा – कुए से निकले और खाई में गिरे, उन्हें किसी भी सूरत मैं पुलिस के हत्थे नही चढ़ना है, उसका दिमाग तेजी से चल रहा था, मेला एक मैदान मैं था, जिसका एक मात्र बाहर निकलने का गेट एक सकरी गली में निकलता था, जो की कुछ दूर जाकर मेन रोड पर मिलती थी, अगर वो मेन रोड तक पहुच जाये तो वहा से भागना आसान था, फिर पुलिस उनको नही पकड़ सकती थी, उसने कार की तरफ देखा परन्तु उस गली में अब मेले में से बाहर निकलने वालो की भीड़ बढ़ चुकी थी, और उस सकरी गली मैं कार का निकलना मुश्किल था, अब उनके सामने एक ही रास्ता था की किसी तरह वो भीड़ में शामिल होकर गुम हो जाये, उसने देखा रागिनी ने अपनी पिस्तौल किताब में और किताब अपने लाल हैण्ड बेग में डाल ली थी, वो अब भागने के लिए रेडी थे,वो कार के पीछे की और खड़े थे इंस्पेक्टर भी उनसे चंद कदमो की दुरी पर था और कार के पीछे वाली साइड बढ़ा, मयूर ने रागिनी का हाथ पकड़ा वो कार के पीछे से कार के आगे बढ़े लगभग चंद्राकर चक्कर लगा कर वो गेट के बाहर आ रही भीड़ में शामिल हो गये |

इंस्पेक्टर ने दोनों को कार के पीछे से आगे जाते हुए देखा और जब तक वो कार के पीछे जहाँ रागिनी और मयूर खड़े थे पहुचा तब तक वो आगे जा कर कार की साइड में चल रही भीड़ में शामिल हो गये, लगभग चंद कदमो की दुरी इंस्पेक्टर तन्यल को भारी पड गयी, उसने उनको भीड़ में शामिल होकर गुम होते देखा, और समझ गया इस भीड़ मैं उनको ढून्ढ्ना आसन नही था | उसने अपने साथ आये दो जवानों को इशारा किया और गली के किनारे पर जहा से वो सकरी गली मेन रोड पर मिलती है, के दोनों तरफ बैरियर लगा कर कर खड़े हो गये |
 
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मयूर भीड़ में शामिल हो कर धीरे धीरे गली के मुहाने पर पहुच रहा था, तभी उसे इंस्पेक्टर तन्यल दिखाई दिया वो उसके बहुत करीब पहुच चुके थे, इंस्पेक्टर अपने वायरलेस सिस्टम में चिल्ला रहा था, - एक लोकल लड़का और लडकी है जिन्होंने पारम्परिक ड्रेस पहन रखी है, लडके ने काली जैकेट सफ़ेद पेंट और सर पर लाल टोपी लगा रखी है और लडकी ने एम्ब्रायडरी का लाल जैकेट और काली स्कर्ट, दोनों जैसे ही दिखे उनको रोक लो |

मयूर ने अनुमान लगाया की इंस्पेक्टर उनको उनकी ड्रेस से पहचानने का प्रयास कर रहा है, उसने आगे नही बढने का फैसला लिया और रागिनी का हाथ पकड़ कर वापिस मेले के अन्दर जाने वाले गेट की तरफ मुड़ गया |

मेले में से भीड़ तेजी से कम हो रही थी, अगर वो यहाँ से जल्दी नही निकले तो भीड़ के छंटते ही तुरंत पकड़ में आ जायेंगे |

दोनों एक तम्बू के पीछे गये और अपने पारम्परिक परिधान, जो उनको एक महिला दुकानदार ने पहनाये थे उतार दिया, अब उनको उनके कपड़ो से तो इंस्पेक्टर नही पहचान सकता था, पर अब उसके सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई थी, उनको जल्दी से जल्दी यहाँ से निकल कर देहरादून पहुचना था जो की इस गाँव से लगभग 8 किलोमीटर दूर था, अँधेरा हो चूका था और दून तक पहुचने की एक ही पहाड़ी सड़क थी अगर वो उस मुख्य सड़क पर पैदल भी चलेंगे तो आसानी से पकड़े जायगे, वो कार नही ले जा सकता था, क्योकि उसको इंस्पेक्टर ने देख लिया था और उसमे उनको आसानी से पकड़ा जा सकता था, दूसरा रास्ता था जो पहाड़ी ढलान का था पर वो जंगली इलाका था और जंगलो से जाना खतरनाक हो सकता था |

उसका दिमाग तेजी से चल रहा था, तभी उसे दूर एम्बुलेंस के सायरन बजने की आवाज आई और उसने अपनी कार की दिशा में देखा, वहा दोनों गुंडों में से एक गायब था जबकि दूसरा जिसकी आँख पे मयूर ने वार किया था अभी भी बेहोश पड़ा था, उसके पास एक पुलिस जवान खड़ा था जिसकी ड्यूटी उसको एम्बुलेंस में डालने की थी |

मयूर, रागिनी का हाथ पकड़ कर तेजी से उस गुंडे के पास पहुचा और पुलिस वाले से पूछा - क्या हुआ इन्हें, इनकी ये हालत किसने की ?

पुलिस वाले ने दोनों को देखा दोनों बाहरी लोग लग रहे थे उसने कहा – लगता है इसकी किसी लोकल लोगो से झड़प हो गई और उन्होंने इसका ये हाल कर दिया, क्या तुम जानते हो इसको ?

मयूर ने कहा – हाँ मेरा मसूरी में होटल है और ये मेरे होटल में ठहरा था, हम सब साथ में मेला देखने आये और वो झूले का केबिन टूट गया, अफरा तफरी में सब अलग अलग हो गये मैं इंस्पेक्टर साहेब के पास गया था और उन्होंने मुझे यहाँ पहुचाया है, इसको तो हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा, क्या तुमने एम्बुलेंस को फ़ोन कर दिया ?

पुलिस वाला उनकी बात से आश्वस्त लग रहा था उसकने कहा – एम्बुलेंस आती ही होगी |

इतनी देर में सायरन बजाती एम्बुलेंस आ गयी, एम्बुलेंस से उतरे दो मेल नर्स ने गुंडे को स्ट्रेचर पर डाला और एम्बुलेंस में डाल दिया, पहले दोनों मेल नर्स एम्बुलेंस में चढ़े और फिर पुलिस वाला और फिर मयूर और रागिनी |

क्या आप भी हमारे साथ चलेंगे – पुलिस वाले ने दोनों से पूछा

हाँ हम भी चलेंगे, ये परदेशी है, मेरे भरोसे यहाँ तक आये थे, हमको साथ ही जाना होगा – मयूर ने जवाब दिया |

मुझे साहेब से पूछना पड़ेगा उसने वायरलेस का बटन ओन किया – सर घायल पड़े आदमी को बाहर से एम्बुलेंस में डाल दिया है क्या उसके साथ वालो को भी साथ मैं हॉस्पिटल ले जाऊ ?

इंस्पेक्टर तन्यल की नजरे उस समय लाल टोपी, काली जाकेट वाले लडके को ढूंढने में लगी थी, उसे लगा साथ वालो से मतलब वो दोनों गुंडों को ले जाने की बात पूछ रहा है |

उसने जवाब दिया – हाँ उन दोनों को साथ में ले जाओ |

पुलिस जवान ने – सहमती से सर हिलाया और एम्बुलेंस को आगे बढने का इशारा किया |
 
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