मयूर भीड़ में शामिल हो कर धीरे धीरे गली के मुहाने पर पहुच रहा था, तभी उसे इंस्पेक्टर तन्यल दिखाई दिया वो उसके बहुत करीब पहुच चुके थे, इंस्पेक्टर अपने वायरलेस सिस्टम में चिल्ला रहा था, - एक लोकल लड़का और लडकी है जिन्होंने पारम्परिक ड्रेस पहन रखी है, लडके ने काली जैकेट सफ़ेद पेंट और सर पर लाल टोपी लगा रखी है और लडकी ने एम्ब्रायडरी का लाल जैकेट और काली स्कर्ट, दोनों जैसे ही दिखे उनको रोक लो |
मयूर ने अनुमान लगाया की इंस्पेक्टर उनको उनकी ड्रेस से पहचानने का प्रयास कर रहा है, उसने आगे नही बढने का फैसला लिया और रागिनी का हाथ पकड़ कर वापिस मेले के अन्दर जाने वाले गेट की तरफ मुड़ गया |
मेले में से भीड़ तेजी से कम हो रही थी, अगर वो यहाँ से जल्दी नही निकले तो भीड़ के छंटते ही तुरंत पकड़ में आ जायेंगे |
दोनों एक तम्बू के पीछे गये और अपने पारम्परिक परिधान, जो उनको एक महिला दुकानदार ने पहनाये थे उतार दिया, अब उनको उनके कपड़ो से तो इंस्पेक्टर नही पहचान सकता था, पर अब उसके सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई थी, उनको जल्दी से जल्दी यहाँ से निकल कर देहरादून पहुचना था जो की इस गाँव से लगभग 8 किलोमीटर दूर था, अँधेरा हो चूका था और दून तक पहुचने की एक ही पहाड़ी सड़क थी अगर वो उस मुख्य सड़क पर पैदल भी चलेंगे तो आसानी से पकड़े जायगे, वो कार नही ले जा सकता था, क्योकि उसको इंस्पेक्टर ने देख लिया था और उसमे उनको आसानी से पकड़ा जा सकता था, दूसरा रास्ता था जो पहाड़ी ढलान का था पर वो जंगली इलाका था और जंगलो से जाना खतरनाक हो सकता था |
उसका दिमाग तेजी से चल रहा था, तभी उसे दूर एम्बुलेंस के सायरन बजने की आवाज आई और उसने अपनी कार की दिशा में देखा, वहा दोनों गुंडों में से एक गायब था जबकि दूसरा जिसकी आँख पे मयूर ने वार किया था अभी भी बेहोश पड़ा था, उसके पास एक पुलिस जवान खड़ा था जिसकी ड्यूटी उसको एम्बुलेंस में डालने की थी |
मयूर, रागिनी का हाथ पकड़ कर तेजी से उस गुंडे के पास पहुचा और पुलिस वाले से पूछा - क्या हुआ इन्हें, इनकी ये हालत किसने की ?
पुलिस वाले ने दोनों को देखा दोनों बाहरी लोग लग रहे थे उसने कहा – लगता है इसकी किसी लोकल लोगो से झड़प हो गई और उन्होंने इसका ये हाल कर दिया, क्या तुम जानते हो इसको ?
मयूर ने कहा – हाँ मेरा मसूरी में होटल है और ये मेरे होटल में ठहरा था, हम सब साथ में मेला देखने आये और वो झूले का केबिन टूट गया, अफरा तफरी में सब अलग अलग हो गये मैं इंस्पेक्टर साहेब के पास गया था और उन्होंने मुझे यहाँ पहुचाया है, इसको तो हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा, क्या तुमने एम्बुलेंस को फ़ोन कर दिया ?
पुलिस वाला उनकी बात से आश्वस्त लग रहा था उसकने कहा – एम्बुलेंस आती ही होगी |
इतनी देर में सायरन बजाती एम्बुलेंस आ गयी, एम्बुलेंस से उतरे दो मेल नर्स ने गुंडे को स्ट्रेचर पर डाला और एम्बुलेंस में डाल दिया, पहले दोनों मेल नर्स एम्बुलेंस में चढ़े और फिर पुलिस वाला और फिर मयूर और रागिनी |
क्या आप भी हमारे साथ चलेंगे – पुलिस वाले ने दोनों से पूछा
हाँ हम भी चलेंगे, ये परदेशी है, मेरे भरोसे यहाँ तक आये थे, हमको साथ ही जाना होगा – मयूर ने जवाब दिया |
मुझे साहेब से पूछना पड़ेगा उसने वायरलेस का बटन ओन किया – सर घायल पड़े आदमी को बाहर से एम्बुलेंस में डाल दिया है क्या उसके साथ वालो को भी साथ मैं हॉस्पिटल ले जाऊ ?
इंस्पेक्टर तन्यल की नजरे उस समय लाल टोपी, काली जाकेट वाले लडके को ढूंढने में लगी थी, उसे लगा साथ वालो से मतलब वो दोनों गुंडों को ले जाने की बात पूछ रहा है |
उसने जवाब दिया – हाँ उन दोनों को साथ में ले जाओ |
पुलिस जवान ने – सहमती से सर हिलाया और एम्बुलेंस को आगे बढने का इशारा किया |