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Romance Wo Lal Bag Wali (Completed)

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Raanjhanaa

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एम्बुलेंस सकरी गली पार करके उसके मुहाने पर पहुची जहाँ इंस्पेक्टर अपने मतहतो के साथ एक लोकल लडके और लडकी को ढूंढ रहा था, मयूर और रागिनी की धडकने तेज चल रही थी अगर इंस्पेक्टर ने एम्बुलेंस के अन्दर की स्थिति का जायजा लेने का फैसला किया तो उनका पकड़ा जाना निश्चित था, एम्बुलेंस धीरे धीरे करके इंस्पेक्टर के सामने पहुंच रही थी, और उनकी धडकने तेज हो रही थी |

जैसे ही एम्बुलेंस इंस्पेक्टर के सामने पहुची तभी उसे एक लड़का दिखाई दिया जो पारम्परिक वेशभूषा मैं था, उसने अपने साथ वाले पुलिस जवान को उस लडके को रोकने का इशारा किया, और उसको गौर से देखा, उसको मयूर का चेहरा अच्छी तरह से याद था, उसने लडके को जाने का इशारा किया, इतनी देर में एम्बुलेंस उसके सामने से होती हुए गली का मुहाना पार कर के मेन रोड पर आ चुकी थी, कुछ ही देर में वो देहरादून जाने वाली मुख्य सड़क पर आ गई और घुमावदार रास्ते से होती हुई तेजी से देहरादून की और बढ़ चली |

रागिनी का चेहरा पथराया हुआ था, उसने जिन्दगी मैं पहली बार प्यार को महसूस किया था, जब वो छोटी थी और उसकी माँ जिन्दा थी, फिर उसकी माँ की हत्या हो गई और वो फिर अकेली हो गई, और आज उसकी हत्या का भी प्रयास हो रहा था, उसका अतीत उसका पिछा छोड़ने को तैयार नहीं था, उसने अपने जिन्दगी मैं सिवाय सुकून और प्यार के कुछ नहीं माँगा था, उसने मयूर की तरफ देखा – तुमने क्यों मेरे लिए अपनी जिन्दगी जोखिम मैं डाल दी, तुम नही जानते तुम किन लोगो से दुश्मनी ले रहे हो, उसने एम्बुलेंस में अपने पास बैठे मयूर के कंधे पे अपना सर रख दिया और उसका पथराया चेहरा एक मासूम लडकी में तब्दील हो गया, उसके चेहरे पर सुरक्षा और इत्मिनान का भाव साफ दिखाई पड़ रहा था |

इंस्पेक्टर तन्यल मेले के बाहर सकरी गली के मुहाने पर उन दोनों को ढूंढ रहा था, तभी काली पेंट वाला गुंडा उसके सामने आया, उसे देखते ही तन्यल का चेहरा सख्त हो गया – तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?

सुन इंस्पेक्टर – गुंडे ने अपनी नाक पकड़ते हुए तन्यल के हाथ मैं दो हजार के नोटों की एक गड्डी रखते हुए बोला – उन दोनों को पकड़ कर केस रजिस्टर करो, ये पचास हजार है, बाकि के चार लाख तुझे उन दोनों को पकड़ने के बाद मिल जायेंगे |

उसने एक सेकंड नोटों की गड्डी को देखा वाकई में असली नोट थे लाल लाल - क्या बकवास है ये ? तन्यल गुर्याया – और उसने ऊपर देखा पर काली पेंट वाला गुंडा वहा से जा चूका था |

उसने नोटों की गड्डी अपनी जेब में डाल ली |

मेला ग्राउंड लगभग खाली हो चूका था, लोग अपने घरो को जा चुके थे, भीड़ छंट चुकी थी, पर इंस्पेक्टर तन्यल को वो दोनों नहीं मिले, आखिर वो गये कहा – उसने मन ही मन सोचा और दोनों जवानों को वही रुकने का इशारा करके खुद मेले ग्राउंड की और बढ़ा तभी एक लोकल दुकानदार महिला उसके पास पहुची और हक्लाती बोली – मैंने एक परदेशी लडके और लडकी को गढ़वाली ड्रेस किराये पर दी थी, अफरातफरी मची थी और इस बीच वो मेरी ड्रेस ले कर भाग गये, वो बहुत महंगी ड्रेसेस थी, मेरा हजारो का नुकसान हो गया |

इंस्पेक्टर एकटक उस महिला को देख रहा था – तो वो दोनों लोकल लोग नही थे, वो सैलानी थे, तभी मैं कहूँ, लोकल लड़की के हाथ में तमंचा कहा से आ गया, और उसे अपनी भूल का अहसास हुआ, वो दोनों लोकल ड्रेस उतार कर आसानी से बाहर निकल गये होंगे |

उसने दुकानदार महिला से कहा – चिंता मत करो तुम्हारी ड्रेस तुमको यही कही से मिल जाएगी, और वायरलेस सेट निकाल कर चिल्लाने लगा – कॉपी दोनों भागे हुए लडके लडकी लोकल नही है, सैलानी है, अब उनका हुलिया फिर से बोल रहा हु, दून जाने वाले रस्ते की सभी पेट्रोल गाडियों को सतर्क किया जाता है, एक लड़का और एक सैलानी लडकी जिसके हाथ में लाल पर्स है जहा भी दिखे पकड़कर पिस्तौल जब्त करे और उनको हिरासत में ले | आई रिपीट |

जब इंस्पेक्टर ये मेसेज वायरलेस पर दे रहा था उसके कुछ देर पहले ही एम्बुलेंस दून पहुच चुकी थी और मयूर ने पहाड़ी रास्ता खतम होते ही एक चौराहे पर एम्बुलेंस रुकवा कर पुलिस वाले को कहा – हम दस मिनिट में हॉस्पिटल पहुच रहे है, मुझे एटीएम से पैसे निकलवाने है, हम कुछ ही देर में हॉस्पिटल पहुंच जायेंगे - और दोनों एम्बुलेंस से उतर गये |

पुलिस वाले ने अपने साहेब का मेसेज वायरलेस पर सुना और उसे सांप सूंघ गया, उसकी आँखों के सामने लाल बेग घूम गया, एक लड़का एक लडकी, दोनों सैलानी, लडकी के हाथ में लाल हैण्ड बेग और उसने वायरलेस पे बोला – सर आपके आदेश से मैं एम्बुलेंस में एक लड़का और एक लडकी को ले कर आया हूँ जो पिछले चौराहे पर उतर गये, लडकी के हाथ में लाल हेन्द्बेग जिसपर बारीक़ हीरे की डिजाईन बनी हुई थी |

इंस्पेक्टरों तन्यल जो दून के रास्ते और उस इलाके में सर्चिंग चालू कर उन दोनों को पकड़ने के बारे मैं सोच रहा था, पास पड़ी कुर्सी पर हताश हो कर बैठ गया, पिछले 30 साल की उसकी पुलिस की नौकरी में किसी ने उसे इस तरह से बेवकूफ नहीं बनाया था, वो भी उसके सुपीरियर के सामने क्योकि वायरलेस के मेसेज पुरे जिले में सर्कुलेट होते है और हर छोटा बड़ा अधिकारी उन मेसेजेस को सुनता है, उसे लगा मानो वायरलेस से कई सारी हंसने की आवाजे आ रही थी |

एक बार वो दोनों उसके हत्थे चढ़ जाये फिर उनकी सारी होशियारी निकालता हूँ |

उसको एम्बुलेंस के साथ गये पुलिस जवान पर भी गुस्सा आ गया वो वायरलेस में चिल्लाया – क्या कर रहे हो, तुम उन दोनों को अपने साथ ले कर गये ही क्यों, तुमको नही पता हम उनको ढूंढ रहे है ?

जवान ने जवाब दिया – सर उन्होंने मुझसे कहा कि वो घायल के साथ है और आपने उनको एम्बुलेंस में घायल के साथ जाने का कहा है, फिर मैंने वायरलेस पर आपकी परमिशन भी ली थी, आपने कहा उन दोनों को ले जाओ |

फिर बेइज्जती – तन्यल के मन ही मन कहा जाओ उनको फ़ौरन ढूंढो वो कहा है |

सर वो पिछले चौराहे पर उतर गये |
 
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तुम वायरलेस ले कर उनके पीछे जाओ और देखो अगर वो उसी चौराहे पर कही मिलते है, मैं अभी वही आ रहा हूँ, वो क्या पुलिस को मजाक समझते है |

उसे अपने सुपीरियर के सामने अपनी इज्जत बचानी थी, पूरा डिपार्टमेंट उसपर हंसेगा कि दो जवान छोरे – छोरी उसका बैंड – बजा बजा कर चले गये |

पुलिस जवान एम्बुलेंस से उतरा और पैदल ही पिछले चौराहे पर पहुचा उसने वहाँ आसपास देखा और उन दोनों का कही पता नही था, उसने एक पान वाले को उनका हुलिया बताया और पान वाले ने कहा वो दोनों एक टैक्सी में बैठ कर गये है, टैक्सी अपने स्टैंड की ही है उनको छोड़ कर वापिस यही आएगी |

उसने वायरलेस पर तन्यल को मेसेज किया, संतुष्ट होकर तन्यल ने कहा तुम वापिस एम्बुलेंस के पास जाओ आगे मैं देख लूँगा |

जवान एम्बुलेंस तक आया उसने दरवाजा खोला, पीछे लेटा घायल गुंडा स्ट्रेचर से गायब था |

मयूर का दिमाग तेजी से चल रहा था, जब वो एम्बुलेंस से उतरे तो रात गहरा रही थी और दून की सड़के सुनसान पड़ी थी,

उसने रागिनी से कहा - हम रात सड़क पर नही गुजार सकते, न रेलवे स्टेशन, न बस स्टैंड हमको सर छुपाने का कोई ठिकाना जल्दी से ढूँढना पड़ेगा |

वो इस इलाके से अच्छी तरह से वाकिफ था, उसने एक टैक्सी की तरफ इशारा किया और दोनों उस टैक्सी में सवार हो गये, मयूर ने कहा – गाँधी सरकेल |

वो दोनों होटल के रिसेप्शन पर पहुचे और उन्होंने एक रूम की डिमांड की | रिसेप्शनिस्ट ने उनको एक रूम की चाभी दी और ऊपर जाने का रास्ता बताया, उसने देखा लडकी के गले में पटटे से बंधा लाल बैग लटक रहा था, और वो अपने काम पर लग गया |

दिन भर की दौड़ भाग से थके दोनों रूम में पहुचे जिसमे एक पलंग और छोटा सोफे लगा था, उन्होंने खाना आर्डर किया, खाया और रागिनी ने पूछा – तुम कहा सोओगे ?

तुम्हारे साथ – उसने शरारत से जवाब दिया |
मैं तुम्हारे साथ नही सो सकती, तुमको अकेले ही सोना पड़ेगा |

मैं गद्दा जमीन पर बिछा लूँगा तुम पलंग पर सो जाओ – उसने जवाब दिया

रागिनी ने सहमती से सर हिलाया और पलंग के एक हिस्से में सो गई |

मयूर ने अपनी गादी जमीन पर बिछाई और लाइट बंद करके सो गया |

मुश्किल से 15 मिनिट ही हुए थे की उसे किसी के स्पर्श का अहसास हुआ, वो रागिनी थी, वो मयूर के पास आई और उसकी बांहों में सिमट गई और फिर वो दोनों एक दुसरे में समां गये |

तन्यल की फिछले २० साल की पुलिस की नौकरी में इलाके का सबसे चुस्त, मुस्तैद पुलिस वाला माना जाता था, उन दोनों की वजह से उसकी पूरी प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, उसने इसे प्रतिष्ठा का विषय बना लिया था |

वो अब तक मेले के बाहर ही था, जब उसे पता चला की वो दोनों तो एम्बुलेंस से भागने में सफल हो गये है, वो वायरलेस में चिल्लाया – जल्दी से सब गाड़ी में बैठो हमको दून पहुचना है, और उन दोनों को पकड़ना है |

सारे पुलिस वाले स्थिति की गम्भीरता और तन्यल की मानसिक स्थिति को समझ चुके थे, तेजी से जीप की तरफ दौड़े, उधर तन्यल ने जीप के ड्राईवर को निचे उतारा और ड्राइविंग सीट संभाल ली, उसने जीप स्टार्ट की, तब तक उसके साथी पुलिस वाले अपने अपने डंडे, सम्भालते हुए जीप तक आ चुके थे |

30 सेकंड के अन्दर सब जीप मैं बैठ जाओ नहीं तो यही छोड़ दूंगा – वो चिल्लाया और उसने हल्के से एक्सीलेटर को दबाया | जीप धीरे धीरे आगे बढ़ी और पुलिस वाले चलती जीप में ही जीप में चढने लगे, जैसे ही तन्यल की घड़ी में 30 सेकंड पुरे हुए उसने जीप का एक्सिलेटर पूरी ताकत से दबा दिया, आखरी बचे 2 पुलिस वाले जीप के पीछे लटके ही रह गये, जिनको बाकि पुलिस कर्मियों ने कैसे तैसे जीप के अन्दर लिया |

तन्यल ने हिसाब लगाया उसकी जीप इन पहाड़ी रास्तो पे 5 मिनिट मैं 1 किलोमीटर का सफर तय करती है, जहा वो दोनों उतरे है वो जगह यहाँ से 6 किलोमीटर है, इस हिसाब से उसको उस चौराहे तक पहुचने में 30 मिनिट का समय लगेगा, उसने किसी भी मोड़ पर एक्सीलेटर से अपना पांव नहीं हटाया, पीछे बैठे पुलिस कर्मियों कि जान पर बन आई थी |

जीप तेजी से उस चौराहे पर रुकी जहा एम्बुलेंस के साथ आया पुलिस कर्मी उनका इंतजार कर रहा था – वो टैक्सी वाला जो उन दोनों को ले कर गया अब तक आया या नही ?

अभी तक नही आया |

ठीक है तुम पैदल मेला ग्राउंड तक जाओ और अपनी ड्यूटी तब तक वही करना जब तक मैं न बोलू और सुनो किसी और गाड़ी मैं लिफ्ट लेकर वहां मत जाना बल्कि पैदल ही जाना ठीक है ?

जी सर – उस पुलिस वाले ने कहा वो समझ गया था उसको 6 किलोमीटर पैदल चलने की सजा मिली है |

जीप मैं बैठे बैठे ही उसने पान वाले को बुलाया – वो टैक्सी वाला अब तक क्यों नही आया ?

यही आएगा साहेब कही नही जायेगा वो यही से चलता है |

तभी उनको एक ऑटो आता दिखाई दिया और पान वाले ने कहा – आ गया आपका ऑटो |

टैक्सी पास आई और उसके रुकने के पहले ही तन्यल ने जोर से पूछा – उन दोनों लडके लडकी को कहा छोड़ कर आया है ?

टैक्सी वाले ने टैक्सी बंद की और दौड़ता हुआ जीप के पास आया और बोला – कौन वो जिनको अभी ले गया था, उनको अगले चौराहे पर गाँधी सर्कल के पास छोड़ा है |

वो वहां से कहा गये कुछ देखा था – हा अजीब थे दोनों मेरी टैक्सी से उतर कर दूसरी टैक्सी में चढ़ गये, मैं वहा सवारी के लिए रुका था नहीं तो मुझे पता ही नही चलता, जहा जाना था मेरी ही टैक्सी में चले जाते, टैक्सी बदलने के क्या जरूरत थी ?

तुम उस दूसरी टैक्सी वाले को जानते हो ?

वो नई चली एको फ्रेंडली टैक्सी थी ग्रीन कलर की, अभी ऐसी कम ही है यहाँ, बस इतना ही जानता हूँ |
 
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तन्यल ने जीप आगे बढाई एक हाथ से स्टीयरिंग पकड़ा और दुसरे हाथ से वायरलेस पर चिल्लाया – आल पुलिस पार्टी अलर्ट एक लड़का एक लडकी एको फ्रेंडली ग्रीन टैक्सी मैं चकमा दे कर भाग रहे है, हर ग्रीन एको फ्रेंडली टैक्सी वाले से पूछताछ की जाये, लडकी के हाथ में लाल बेग है |

तन्यल ने मन ही मन सोचा – लड़का बड़ा चालक है, एक ही टैक्सी लेने की बजाय टैक्सी बदल बदल कर घूम रहा है, कितना भी चालक हो पुलिस से नही बच सकता, एक बार वो दोनों हाथ आ जाये फिर बताता हु पुलिस के साथ लुका छिपी खेलने का क्या अंजाम होता है |

वो गाँधी सर्कल चौराहे पर पहुचे, पूरा चौराहा सुनसान पड़ा था, उसने चारो और नजर घुमाई, कोई क्लू मिलने की उम्मीद नही थी, इक्का दुक्का वाहन निकल रहे थे, तभी उसकी नजर चौराहे के किनारे सोये एक भिखारी पर पड़ी उसने जीप उसके पास ली, निचे उतरा और भिखारी को उठा कर पूछा – अभी यहाँ से एक टैक्सी में एक लड़का लड़की गए है ?

भिखारी नींद में था – हाँ तो ?

वो कहा गये है ? – मुझे क्या मालूम - पुलिस से वो पहले ही खफा था |

तन्यल को अपनी गलती का अहसास हुआ उसने गलत सवाल पूछा था – वो टैक्सी जिसमे वो दोनों गये है, उस टैक्सी वाले को जानते हो ?

हाँ वो अपना रमेश है, मेरे को कभी कभी भीख देता है, यही खड़ा रहता है स्टैंड पर |

तुम्हारे पास उसका मोबाइल नम्बर है ?

ये क्या होता है मोबाइल ?

बड़ी मुश्किल से अपने गुस्से को काबू करते हुए उसने पूछा – देख ये रमेश जिसकी टैक्सी में बैठ के वो दोनों गये है कहा रहता है सीधे सीधे बता ?

भिखारी ने कुछ देर सोचा और बोला - मुझे नही पता वो कहा रहता है ?

तन्यल निराश होने लगा – फिर उसने भिखारी से पूछा तू उसके बारे में कुछ जानता है वो बता

भिखारी ने कहा – मुझे क्या मिलेगा ?

तेरी तो – तन्यल ने बड़ी मुश्किल से अपने हाथ को रोका और अपनी जेब से एक 50 का नोट निकाल कर भिखारी की और बढ़ाया – जल्दी बता ?

भिखारी ने 50 का नोट झपटा और बोला – ज्यादा तो नही पर वो बेवडा है, रोज शराब पिता है, और उनको छोड़ने के बाद शराब के अड्डे पर ही जायेगा |

तन्यल ने गुस्से से कहा – अब सारे शराब के अड्डो पे कौन जायेगा तेरा बाप, चल 50 का नोट वापिस कर |

9426 ये नम्बर है उसकी ऑटो का |

तन्यल ने ख़ुशी से उसके हाथ में एक 50 का नोट और रख दिया |

भिखारी ने सोचा – काश उसको पूरी दून के ऑटो के नंबर पता होते तो वो करोडपति हो जाता |

तन्यल ने वायरलेस पर मेसेज किया – आल पार्टी रीड 9426 नम्बर की एको फ्रेंडली, ग्रीन कलर की टैक्सी को ढूंढे और मुझे मेसेज करो जल्दी |

रात भर हर पुलिस वाला हर शराब के अड्डे, बस स्टैंड और सभी पब्लिक प्लेस पर 9426 ऑटो को ढूंढ रहा था, टैक्सी यूनियन के ऑफिस से 9426 नो. के ऑटो का पता निकाला गया और उसके घर तन्यल खुद पहुचा, पर वो घर नहीं आया था | अपना नम्बर उसकी पत्नी को देने के बाद तन्यल ने कहा – जैसे ही वो आये मुझे फ़ोन करना |

सुबह लगभग 5 बजे रमेश भाई रेलवे स्टेशन के पीछे अपनी ऑटो की पिछली सीट पर शराब के नशे में धुत पड़े मिले, तुरंत तन्यल को मेसेज किया गया, तन्यल उन दोनों को ढूंढने की बेताबी में लगभग अपना आपा खो बैठा था, तुरन्त रेलवे स्टेशन के पीछे पड़े रमेश के पास पहुचा, उसने टैक्सी वाले को बेसुध पड़ा देखा जो उसके किसी प्रश्न का जवाब देने की स्थिति में नही था, उसने जीप में से ठंडी पानी की बोतल निकली और पूरी बोतल उसके चेहरे पे उड़ेल दी, वो हडबडा कर उठा और एक भद्दी गली देकर फिर सो गया, तन्यल ने एक जोर का झापट उसके गाल पे दिया और वो गाल सम्भालता हुआ उठा, तन्यल ने उसका गिरेबान पकड़ कर पूछा – कल रात को तुमने एक लडके और लडकी को गाँधी सर्कल से कहा छोड़ा था ?

वो बुदबुदाया – मैंने कल दो जोड़ो को छोड़ा था आप किसकी बात कर रहे हो |

तन्यल ने कहा – वो लडकी जिसके हाथ में लाल हैण्ड बेग था |

मून मून होटल – टैक्सी ड्राईवर बडबड़ाया और फिर सो गया |

तन्यल तेजी से जीप के में चढ़ा और चिल्लाया – मून मून होटल चलो

पीछे बैठे आई जी के जासूस पुलिस के एक जवान रणवीर ने सोचा – आखिर ये तन्यल उन लडके लडकी में इतनी ज्यादा रूचि क्यों ले रहा है ?

तन्यल मून मून होटल के बारे में सबकुछ जनता था, उसे पता था की ये होटल वेश्याओ और लडके लडकियों को कुछ घंटो के लिए रूम किराये पर देता है, वहाँ उनके लिए छुपना बहुत आसान है क्योकि उस होटल में किसी से कोई आइडेंटिटी नही मांगी जाती |
 
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मून मून होटल शहर के बाहर एक बड़े फार्म हाउस के बीच में बना हुआ पुराने ज़माने का स्ट्रक्चर था जिसे रंग रोगन कर रहने लायक कमरों में तब्दील कर दिया गया था, होटल तक पहुचने के लिए मेन रोड से लगभग आधा किलोमीटर अंदर प्राइवेट रोड पे जाना पड़ता था, और अन्दर जाने वाले हर वाहन को होटल की पर्सनल सिक्यूरिटी चेक पोस्ट से हो कर गुजरना पड़ता था |

होटल के गेट पे पहुचते ही तन्यल सिक्यूरिटी गार्ड पर गुराया – जल्दी से बैरिएर खोल और गाडी को आगे जाने दे |

सिक्यूरिटी गार्ड रजिस्टर लेकर जीप के पास गया और बोला – इंट्री कर दो सर नौकरी का सवाल है |

तेरी तो – पुलिस की इंट्री मांग रहा है, साले नाटक बंद कर और दरवाजा खोल |

सिक्यूरिटी गार्ड तेजी से अपने केबिन में अन्दर गया, और उसी समय होटल की बिजली बंद हो गई |

गार्ड ने कहा – सर बिना लाइट के ये गेट नही खुल सकता, जब तक होटल का जनरेटर चालू नही हो जाता आपको यही रुकना पड़ेगा |

लगता है पुलिस का डर खत्म हो गया है लोगो में – तन्यल ने सोचा और जीप में बैठा बैठा बैचेनी से लाइट के आने का इंतजार करने लगा |

लगभग 10 मिनिट ऐसे ही गुजर गये और तभी उसके दिमाग में ख्याल आया, वो जीप से उतरा और सिक्यूरिटी गार्ड के केबिन में गया, - साले तूने अंदर फ़ोन लगा कर बोल दिया की बाहर पुलिस आई है |

नही साहब यहाँ कोई फ़ोन नहीं है न मेरे पास मोबाइल है आप चाहो तो चेक कर लो |

तो फिर दरवाजा क्यों नही खोल रहा ? जल्दी खोल

तभी लाइट आ गयी और वो जीप में बैठा, अभी जीप थोड़ी दूर ही पहुच पाई थी की सामने से एक बड़ा टेम्पो तेजी से उनकी और आते हुए दिखाई दीया, रास्ता संकरा था और दोनों गाड़िया एक साथ नही क्रॉस हो सकती थी, तन्यल के मुंह से कराह निकल गई, वो जल्दी से जल्दी उन दोनों तक पहुच कर उनको अरेस्ट करना चाहता था, पर एक के बाद एक रूकावटे सामने आती जा रही थी, रात लगभग 8 बजे से शुरू हुआ ये चूहे बिल्ली का खेल थमने का नाम ही नही ले रहा था |

उसने टेम्पो वाले से चिल्ला कर कहा – कहा घुसा चला आ रहा है, गाड़ी पीछे ले बेवकूफ |

टेम्पो वाला भी गुस्से से चिल्लाया – मैं नहीं तुम घुस रहे हो, और तमीज से बात कर, मेरी पहुच बहुत ऊपर तक है |

है भगवान – तन्यल ने मन ही मन कहा, - कल रात से आज सुबह तक उसकी जितनी इज्जत खराब हुई थी इतनी तो उसके पूरी पुलिसिया जीवन में नहीं हुई थी, वो गुस्से से जीप से उतरा और गाड़ी की ड्राइविंग सीट पे पहुचा – बता तेरी गाड़ी मैं क्या है, जल्दी खोल दरवाजा |

और अगर न खोलू तो क्या कर लोगे ?

साले तेरी सारी नेतागिरी थाने की खूंटी पे टांग के रात भर तेरी खाल उधेड़ दूंगा जल्दी खोल गाड़ी मैं कौन है |

ठीक है साहेब नाराज क्यों होते हो देख लो पूरी गाड़ी – और उसने दरवाजा खोल दिया

तन्यल ने टेम्पो में नजर डाली, सीट के निचे देखा, पूरा लोडिंग टेम्पो खाली पड़ा था, अब उसका गुस्सा और भी बढ़ गया, जल्दी पीछे ले नही तो यही चमड़ी उधेड़ दूंगा |

टेम्पो वाले ने कहा मेरी गाड़ी में रिवर्स गियर नही है |

तेरी तो – तन्यल चिल्लाया और अपनी जीप के ड्राईवर को जीप पीछे लेने का इशारा किया जीप पीछे हुई और टेम्पो आगे बढ़ा इस पूरी प्रक्रिया में 15 मिनिट और गुजर गये |

जब तक रास्ता साफ हुआ और तन्यल रिसेप्शन पर पहुचा उसका सब्र का बांध टूट चूका था, आधे किलोमीटर की दुरी तय करने के उसके पुरे 30 मिनिट लग गये थे और मेले से यहाँ तक की 8 किलोमीटर की दुरी तय करने में पूरी रात लग गई थी उसने रिसेप्शन पर बैठे आदमी को देखा और जोर पूछा – क्या यहाँ पर कल रात को कोई लड़का और लडकी आये थे दोनों सैलानी थे, लोकल रेगुलर नही |

कल दो तीन कपल आये तो थे पर वो तो कुछ ही घंटो में रूम खाली कर के चले गये |

क्या उनमे से कोई लाल हैण्ड बेग वाली लडकी थी ? चल बता तेरा रजिस्टर |

अब रिसेप्शनिस्ट समझ चूका था की झूठ बोलने का कोई फायदा नही आज साहब उन दोनों को पकड़ने की कसम ले कर आये है उसने जवाब दिया – हा सर वो 308 रूम मैं है
 
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तन्यल ने उसको घुरा और तेजी से दो दी सीढिया लांघता हुआ ऊपर की और बढ़ा, उसने तीसरे माले पर पहुच कर ही साँस ली और 308 नम्बर कमरे के सामने पहुचा और दरवाजे को जोर से ठोकर मारी, दरवाजा आसानी से खुल गया, उसने अन्दर देखा कमरा पूरी तरह खाली था |

उसने पुरे कमरे का मुआवना किया और मन ही मन कहा – गये 5 लाख़ हाथ से !

उसने वायरलेस निकाला और फिर चिल्लाया – मून मून होटल के आसपास जितने भी जवान जोड़े सड़क पर दिखाई दे उनको रोक कर गिरफ्तार करो खास करके एक लडकी जिसने लाल हैण्ड बेग अपने गले में टांग रखा है आल पुलिस पार्टी अलर्ट |

मून मून होटल का मालिक एक चालक व्यापारी था, उसने शहर के बाहर फालतू पड़ी इस प्रॉपर्टी से पैसे कमाने का घटिया रास्ता निकला था, उसने पुलिस की रेड पड़ने की स्थिति मैं बचने का एक नायब रास्ता ढूढ़ लिया था, जैसे ही पुलिस की जीप होटल के आधा किलोमीटर बाहर मेन गेट पर पहुची, वहा बैठे सिक्यूरिटी गार्ड ने अन्दर होटल के कमरों मैं लगा सायरन बजा दिया, और अन्दर पूरा होटल अलर्ट हो गया, फिर सामने से आता टेम्पो और उसमे रिवर्स गियर नही होना सब केवल पुलिस को रोके रखने का प्लान था, ताकि अन्दर सभी वेश्याओ और जोड़ो को बाहर सुरक्षित निकाला जा सके |

दिन भर की थकान के बाद मयूर की सुरक्षित और आरामदायक बांहों में रागिनी बच्चों की तरह निश्चिन्त सो रही थी, उसकी नींद खुली तब सायरन की आवाज पुरे कमरे मैं गूंज रही थी, उस समय सुबह के 5 बज रहे थे, और सायरन काफी देर से बज रहा था, कोई जोर जोर से दरवाजा भड़क रहा था, वो आवाज बहुत डरावनी थी, उसने मयूर को उठाया, मयूर ने आवाज को फ़ौरन पहचान लिया, वो अपने दोस्तों के साथ इस होटल मैं पहले भी आ चूका था, उसने रागिनी से कहा – पुलिस की रेड | जल्दी सामान समेटो और भागो यहाँ से |

रागिनी ने कहा – हमारे पास जो भी सामान है सब खुल्ला पड़ा है और एक शरारती मुस्कान उसके चेहरे पर उभर आई |

जब वो बाहर निकले तब तक निश्चित ही देर हो चुकी थी, क्योकि मयूर ने नोटिस किया की उस समय कोरिडोर में कोई भी नहीं था सिवाय उनके, सारे कमरे पहले ही खाली हो चुके थे, वास्तव मैं ये बिलकुल सही था जब उनकी नींद खुली तब तन्यल होटल के रिसेप्शन पर खड़ा था |


जब वो रूम से बाहर निकले तब तक तन्यल सीढिया चढ़ रहा था, उन दोनों को अगर भागना था तो एक मात्र रास्ता वो सीढिया ही थी जिनसे निचे उतर कर वो पीछे के रास्ते से जंगलो में जा सकते थे, और उस एक मात्र रास्ते से तन्यल ऊपर आ रहा था और बहुत सम्भावना थी की उन दोनों की भिडंत तन्यल सो हो जाये |

मयूर जब निचे उतरने की सीढियों के मुहाने पर पहुचा और उसने तन्यल को ऊपर चढ़ते देखा तो उसका दिल धक् से रह गया उसने देखा वो बहुत तेजी से दो दो सीढिया चढ़कर ऊपर आ रहे थे, उसने इधर उधर नजर डाली और उसे सीढियों के पास वाश रूम दिखाई दिया उसने रागिनी का हाथ पकड़ा और वो दोनों वाश रूम में घुस गये, तन्यल ऊपर आया और सीधा रूम नो.. 308 पे गया, मयूर ने वाशरूम का दरवाजा खोल कर देखा, तन्यल और उसके साथ आये पुलिस वाले रूम के अन्दर जा चुके थे, उसने रागिनी का हाथ थाम रखा था फ़ौरन बाहर निकलने के लिए दरवाजा खोला वो बाहर निकलने ही वाले थे कि तभी उनके रूम में घुसे पुलिस वालो में से एक बाहर आया, और वाश रूम की तरफ बढ़ा, उनका दिल फिर तेजी से धडकने लगा, धीरे धीरे उसके जूतों की आवाज उनके करीब आ रही थी, किसी भी सेकंड उनका सामना उस पुलिस वाले से हो सकता था, पुलिस वाला वाश रूम तक आया, और उसने वाशरूम के दरवाजे का नकुचा पकड़ कर निचे की और दबाया, मयूर तैयार था, तभी पुलिस वाले ने देखा, जिस वाशरूम में वो जा रहा था, उसके ऊपर एक लेडीज स्टीकर लगा था, उसने नकुचा छोड़ दिया और उसके बिलकुल पास में एक और दरवाजे का नकुचा खोला जिसपर जेंट्स का स्टीकर लगा था, खोला और अन्दर चला गया

दोनों ने वाशरूम के दरवाजे पर लगे कांच में से सबकुछ देखा, मयूर ने रागिनि का हाथ पकड़ा और फुर्ती से बाहर निकला, एक एक सेकंड कीमती था, ज्यादा देर वहा रुकना ठीक नही था, उनको रिस्क लेकर जल्दी से जल्दी बाहर निकलना था- वो तेजी से सीढियों से निचे उतरे तभी तन्यल भी बाहर आया, पर कुछ सेकंड के फासले से वो उन दोनों को नही देख सका, दोनों पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर होटल की दिवार के सहारे खड़े हो गये, उन्होंने देखा पीछे एक मैदान था जिसके बाद जंगल, तभी उन्हें तन्यल की आवाज सुनाई दी मून मून होटल के आसपास जितने भी जवान जोड़े सड़क पर दिखाई दे उनको रोक कर गिरफ्तार करो खास करके एक लडकी जिसने लाल हैण्ड बेग अपने गले में टांग रखा है आल पुलिस पार्टी अलर्ट |
उन दोनों ने एक दुसरे की और देखा और तेजी से मैदान मैं दौड़ लगा दी, तन्यल पीछे के दरवाजे की और बढ़ा और उसने बाहर देखा, पर उसे वह कोई नहीं दिखाई दिया, दोनों मैदान पार कर जंगली झाड़ियो के पीछे छुप चुके थे |

तन्यल गुस्से से आग बबूला हो रहा था, वो जितना पांच लाख के पास जाता था उतना ही वो उससे दूर होते जाते थे, वो होटल के रिसेप्शनिस्ट पर गुराया – जल्दी से तेरे सीसीटीवी फुटेज में उन दोनों के फोटो निकाल और मुझे दे, वर्ना आज तेरी खैर नहीं |

रिसेप्शनिस्ट उन दोनों लड़का लडकी को याद कर के सोच रहा था – जरुर उन्होंने किसी का मर्डर किया होगा या बैंक लूटी होगी तभी इंस्पेक्टर इतना उतावला हो रहा है |

उसने सीसीटीवी फुटेज कंप्यूटर में लिया और एक प्रिंट तन्यल को दी |

तन्यल ने प्रिंट देखा और चौक गया फुटेज में लड़का तो साफ दिख रहा था पर लडकी ने अपना मुंह लाल हैण्ड बेग से ढक रखा था – उसके मुंह से सिटी निकल गई, - लडकी को मालूम था यहाँ सीसीटीवी लगा है और बड़ी सफाई से उसने अपना फोटो नही आने दिया, ये कौन हो सकती है ?

झाड़ियो के पीछे एक पेड़ की ओट में मयूर रागिनी की गोद मैं लेटा था, उसने कहा – जब तक बाहर रोड पर चहल पहल नही हो जाती हम यहाँ से नहीं निकल सकते, पकड़े जायेंगे, अभी पाच – छे घंटे ये झाडिया ही अपनी होटल और ये झाडिया ही अपना घर है |

रागिनी ने मयूर के बालो में हाथ फिराते हुए बोला – मयूर कैसे भी करके हमे दिल्ली पहुचना है वहा ये पुलिस वाला हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता है |

तन्यल ने उन दोनों का प्रिंटआउट अपने पास खड़े सिपाही को दिया और कहा – इसकी 1000 फोटो कॉपी करवाओ और शहर के हर कोने मैं इन दोनों के पोस्टर लगवा दो |

झाड़ियो के पीछे बैठे बैठे रागिनी एक टक मयूर को ही देख रही थी उसने सोचा – मैंने तुमको किस मुसीबत में फसा दिया मयूर, मेरे साथ साथ तुम्हारी भी जान पर बन आई है |

ऐसे ही बैठे बैठे दिन के 11 बज गये. होटल के बाहर वाली रोड पे ट्रैफिक बढ़ रहा था, मयूर ने रागिनी से कहा – ये सही समय है हमे यहाँ से निकल चलना चाहिए, हम स्टेशन जायेंगे और वहा से दिल्ली कि ट्रेन पकड़ लेंगे, पर हमे अलग अलग जाना होगा क्योकि पुलिस हम दोनों को साथ मैं तलाश रही है, अगर हम अलग अलग जायेंगे तो किसी को शक नही होगा, रागिनी ने सहमती से सर हिलाया और बोली – मैं रेलवे स्टेशन पहुच कर तुम्हारा इंतजार टिगिट खिड़की के पास करूंगी तुम वही आ जाना |

मयूर रेलवे स्टेशन पर सबसे पहले पहुचा पर वहा पुलिस वाले मुस्तेदी से गेट पे खड़े थे, उसने मुख्य गेट से अन्दर जाने की बजाय मॉल गोदाम से ही अन्दर जाना उचित समझा, वो धीरे धीरे करते मॉल गोदाम को पार कर स्टेशन के अन्दर प्लेटफार्म पे गया और फिर वहा से टिगिट खिड़की तक पहुचा, उसने अपनी जेब से पैसे निकले और उसका दिल धक् से रह गया – टिगिट खिड़की के बाहर एक थम्बे पर उसका साफ और रागिनी का लाल हैण्ड बेग से ढका फोटो लगा था, उसके मुंह से एक आह निकल गई और पहली बार उसके चेहरे पर झुंझलाहट के भाव उभरे, पुलिस बड़ी तेजी से उसके आगे आगे चल रही थी, उसको फोटो देखते, देख एक और लडके ने फोटो देखा और फिर मयूर की और देखा उसका चेहरा आश्चर्य से सफेद हो गया |

मयूर को अपने पहचाने जाने का अहसास हो गया था वो तेजी से बाहर की और बढ़ा, उसको पहचानने वाले ने इधर उधर देखा और पास खड़े पुलिस वाले के पास जाकर उसकी दिशा में इशारा किया |

मयूर स्टेशन से बाहर निकला और उसे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा कि क्यों उसने रागिनी को अपने से अलग किया, अब वो उसे कैसे ढूंढेंगा ?

रागिनी टैक्सी से उतरी और सीधी स्टेशन के अन्दर टीगीट खिड़की पर पहुची और उसकी नजर खम्बे पर लगे मयूर और उसके पोस्टर पर पड़ी, और उसका चेहरा भय से पिला पड़ गया |

वो बाहर आई और उसने चारो तरफ नजर दौड़ाई, मयूर उसे दूर - दूर तक नही दिखाई पड़ रहा था |

उधर अपना फोटो स्टेशन में लगा देखने के बाद मयूर स्टेशन के सामने एक घटिया से रेस्तरां में कार्नर की टेबल पर लगभग छुप कर बैठ गया, उसने वेटर से एक प्लेट पोहा और चाय लाने का कहा, तभी उसकी नजर रागिनी पर पड़ी वो एक ऑटो से उतरी और तेज कदमो से चलती हुई, स्टेशन के गेट के अंदर दाखिल हो गई – वो जरुर टिगिट खिड़की के पास मेरा इंतजार करेगी पर अन्दर जाना उसके लिए खतरे से खाली नही होगा - उसने सोचा – अजीब मुसीबत है, अब क्या करू, कंही पुलिस रागिनी को पकड़ न ले |

तभी रेस्तरा में एक गरीब सा दिखने वाला लड़का आया और उसने तुड़ा मुड़ा 10 का नोट निकाल कर रेस्तरा वाले से कहा – एक प्लेट पोहा,

शायद ये लड़का स्टेशन पर ही रहता है – और उसके दिमाग में एक तरकीब सूझी
उसने लडके के पास जा कर पचास रूपये का नोट बढ़ाते हुए कहा – क्या मेरा एक काम करोगो ?

नोट देखते ही लडके के चेहरे पर चमक आ गई – क्या ? उसने पूछा

स्टेशन में टिगिट खिड़की के पास एक मेडम खड़ी होगी जिनके हाथ में लाल पर्स है, उनको बोलना मैं उनका इंतजार यहाँ कर रहा हूँ, जब तुम ये काम करके वापस आओगे तो तुम्हे ऐसा ही पचास का एक और नोट दूंगा |

लडके ने सहमती से सर हिलाया, पचास का नोट जेब में डाला और तेजी से रोड पार करके स्टेशन के गेट मैं दाखिल हुआ |
 
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तन्यल ने उसको घुरा और तेजी से दो दी सीढिया लांघता हुआ ऊपर की और बढ़ा, उसने तीसरे माले पर पहुच कर ही साँस ली और 308 नम्बर कमरे के सामने पहुचा और दरवाजे को जोर से ठोकर मारी, दरवाजा आसानी से खुल गया, उसने अन्दर देखा कमरा पूरी तरह खाली था |

उसने पुरे कमरे का मुआवना किया और मन ही मन कहा – गये 5 लाख़ हाथ से !

उसने वायरलेस निकाला और फिर चिल्लाया – मून मून होटल के आसपास जितने भी जवान जोड़े सड़क पर दिखाई दे उनको रोक कर गिरफ्तार करो खास करके एक लडकी जिसने लाल हैण्ड बेग अपने गले में टांग रखा है आल पुलिस पार्टी अलर्ट |

मून मून होटल का मालिक एक चालक व्यापारी था, उसने शहर के बाहर फालतू पड़ी इस प्रॉपर्टी से पैसे कमाने का घटिया रास्ता निकला था, उसने पुलिस की रेड पड़ने की स्थिति मैं बचने का एक नायब रास्ता ढूढ़ लिया था, जैसे ही पुलिस की जीप होटल के आधा किलोमीटर बाहर मेन गेट पर पहुची, वहा बैठे सिक्यूरिटी गार्ड ने अन्दर होटल के कमरों मैं लगा सायरन बजा दिया, और अन्दर पूरा होटल अलर्ट हो गया, फिर सामने से आता टेम्पो और उसमे रिवर्स गियर नही होना सब केवल पुलिस को रोके रखने का प्लान था, ताकि अन्दर सभी वेश्याओ और जोड़ो को बाहर सुरक्षित निकाला जा सके |

दिन भर की थकान के बाद मयूर की सुरक्षित और आरामदायक बांहों में रागिनी बच्चों की तरह निश्चिन्त सो रही थी, उसकी नींद खुली तब सायरन की आवाज पुरे कमरे मैं गूंज रही थी, उस समय सुबह के 5 बज रहे थे, और सायरन काफी देर से बज रहा था, कोई जोर जोर से दरवाजा भड़क रहा था, वो आवाज बहुत डरावनी थी, उसने मयूर को उठाया, मयूर ने आवाज को फ़ौरन पहचान लिया, वो अपने दोस्तों के साथ इस होटल मैं पहले भी आ चूका था, उसने रागिनी से कहा – पुलिस की रेड | जल्दी सामान समेटो और भागो यहाँ से |

रागिनी ने कहा – हमारे पास जो भी सामान है सब खुल्ला पड़ा है और एक शरारती मुस्कान उसके चेहरे पर उभर आई |

जब वो बाहर निकले तब तक निश्चित ही देर हो चुकी थी, क्योकि मयूर ने नोटिस किया की उस समय कोरिडोर में कोई भी नहीं था सिवाय उनके, सारे कमरे पहले ही खाली हो चुके थे, वास्तव मैं ये बिलकुल सही था जब उनकी नींद खुली तब तन्यल होटल के रिसेप्शन पर खड़ा था |


जब वो रूम से बाहर निकले तब तक तन्यल सीढिया चढ़ रहा था, उन दोनों को अगर भागना था तो एक मात्र रास्ता वो सीढिया ही थी जिनसे निचे उतर कर वो पीछे के रास्ते से जंगलो में जा सकते थे, और उस एक मात्र रास्ते से तन्यल ऊपर आ रहा था और बहुत सम्भावना थी की उन दोनों की भिडंत तन्यल सो हो जाये |

मयूर जब निचे उतरने की सीढियों के मुहाने पर पहुचा और उसने तन्यल को ऊपर चढ़ते देखा तो उसका दिल धक् से रह गया उसने देखा वो बहुत तेजी से दो दो सीढिया चढ़कर ऊपर आ रहे थे, उसने इधर उधर नजर डाली और उसे सीढियों के पास वाश रूम दिखाई दिया उसने रागिनी का हाथ पकड़ा और वो दोनों वाश रूम में घुस गये, तन्यल ऊपर आया और सीधा रूम नो.. 308 पे गया, मयूर ने वाशरूम का दरवाजा खोल कर देखा, तन्यल और उसके साथ आये पुलिस वाले रूम के अन्दर जा चुके थे, उसने रागिनी का हाथ थाम रखा था फ़ौरन बाहर निकलने के लिए दरवाजा खोला वो बाहर निकलने ही वाले थे कि तभी उनके रूम में घुसे पुलिस वालो में से एक बाहर आया, और वाश रूम की तरफ बढ़ा, उनका दिल फिर तेजी से धडकने लगा, धीरे धीरे उसके जूतों की आवाज उनके करीब आ रही थी, किसी भी सेकंड उनका सामना उस पुलिस वाले से हो सकता था, पुलिस वाला वाश रूम तक आया, और उसने वाशरूम के दरवाजे का नकुचा पकड़ कर निचे की और दबाया, मयूर तैयार था, तभी पुलिस वाले ने देखा, जिस वाशरूम में वो जा रहा था, उसके ऊपर एक लेडीज स्टीकर लगा था, उसने नकुचा छोड़ दिया और उसके बिलकुल पास में एक और दरवाजे का नकुचा खोला जिसपर जेंट्स का स्टीकर लगा था, खोला और अन्दर चला गया

दोनों ने वाशरूम के दरवाजे पर लगे कांच में से सबकुछ देखा, मयूर ने रागिनि का हाथ पकड़ा और फुर्ती से बाहर निकला, एक एक सेकंड कीमती था, ज्यादा देर वहा रुकना ठीक नही था, उनको रिस्क लेकर जल्दी से जल्दी बाहर निकलना था- वो तेजी से सीढियों से निचे उतरे तभी तन्यल भी बाहर आया, पर कुछ सेकंड के फासले से वो उन दोनों को नही देख सका, दोनों पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर होटल की दिवार के सहारे खड़े हो गये, उन्होंने देखा पीछे एक मैदान था जिसके बाद जंगल, तभी उन्हें तन्यल की आवाज सुनाई दी मून मून होटल के आसपास जितने भी जवान जोड़े सड़क पर दिखाई दे उनको रोक कर गिरफ्तार करो खास करके एक लडकी जिसने लाल हैण्ड बेग अपने गले में टांग रखा है आल पुलिस पार्टी अलर्ट |
उन दोनों ने एक दुसरे की और देखा और तेजी से मैदान मैं दौड़ लगा दी, तन्यल पीछे के दरवाजे की और बढ़ा और उसने बाहर देखा, पर उसे वह कोई नहीं दिखाई दिया, दोनों मैदान पार कर जंगली झाड़ियो के पीछे छुप चुके थे |

तन्यल गुस्से से आग बबूला हो रहा था, वो जितना पांच लाख के पास जाता था उतना ही वो उससे दूर होते जाते थे, वो होटल के रिसेप्शनिस्ट पर गुराया – जल्दी से तेरे सीसीटीवी फुटेज में उन दोनों के फोटो निकाल और मुझे दे, वर्ना आज तेरी खैर नहीं |

रिसेप्शनिस्ट उन दोनों लड़का लडकी को याद कर के सोच रहा था – जरुर उन्होंने किसी का मर्डर किया होगा या बैंक लूटी होगी तभी इंस्पेक्टर इतना उतावला हो रहा है |

उसने सीसीटीवी फुटेज कंप्यूटर में लिया और एक प्रिंट तन्यल को दी |

तन्यल ने प्रिंट देखा और चौक गया फुटेज में लड़का तो साफ दिख रहा था पर लडकी ने अपना मुंह लाल हैण्ड बेग से ढक रखा था – उसके मुंह से सिटी निकल गई, - लडकी को मालूम था यहाँ सीसीटीवी लगा है और बड़ी सफाई से उसने अपना फोटो नही आने दिया, ये कौन हो सकती है ?

झाड़ियो के पीछे एक पेड़ की ओट में मयूर रागिनी की गोद मैं लेटा था, उसने कहा – जब तक बाहर रोड पर चहल पहल नही हो जाती हम यहाँ से नहीं निकल सकते, पकड़े जायेंगे, अभी पाच – छे घंटे ये झाडिया ही अपनी होटल और ये झाडिया ही अपना घर है |

रागिनी ने मयूर के बालो में हाथ फिराते हुए बोला – मयूर कैसे भी करके हमे दिल्ली पहुचना है वहा ये पुलिस वाला हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता है |

तन्यल ने उन दोनों का प्रिंटआउट अपने पास खड़े सिपाही को दिया और कहा – इसकी 1000 फोटो कॉपी करवाओ और शहर के हर कोने मैं इन दोनों के पोस्टर लगवा दो |

झाड़ियो के पीछे बैठे बैठे रागिनी एक टक मयूर को ही देख रही थी उसने सोचा – मैंने तुमको किस मुसीबत में फसा दिया मयूर, मेरे साथ साथ तुम्हारी भी जान पर बन आई है |

ऐसे ही बैठे बैठे दिन के 11 बज गये. होटल के बाहर वाली रोड पे ट्रैफिक बढ़ रहा था, मयूर ने रागिनी से कहा – ये सही समय है हमे यहाँ से निकल चलना चाहिए, हम स्टेशन जायेंगे और वहा से दिल्ली कि ट्रेन पकड़ लेंगे, पर हमे अलग अलग जाना होगा क्योकि पुलिस हम दोनों को साथ मैं तलाश रही है, अगर हम अलग अलग जायेंगे तो किसी को शक नही होगा, रागिनी ने सहमती से सर हिलाया और बोली – मैं रेलवे स्टेशन पहुच कर तुम्हारा इंतजार टिगिट खिड़की के पास करूंगी तुम वही आ जाना |

मयूर रेलवे स्टेशन पर सबसे पहले पहुचा पर वहा पुलिस वाले मुस्तेदी से गेट पे खड़े थे, उसने मुख्य गेट से अन्दर जाने की बजाय मॉल गोदाम से ही अन्दर जाना उचित समझा, वो धीरे धीरे करते मॉल गोदाम को पार कर स्टेशन के अन्दर प्लेटफार्म पे गया और फिर वहा से टिगिट खिड़की तक पहुचा, उसने अपनी जेब से पैसे निकले और उसका दिल धक् से रह गया – टिगिट खिड़की के बाहर एक थम्बे पर उसका साफ और रागिनी का लाल हैण्ड बेग से ढका फोटो लगा था, उसके मुंह से एक आह निकल गई और पहली बार उसके चेहरे पर झुंझलाहट के भाव उभरे, पुलिस बड़ी तेजी से उसके आगे आगे चल रही थी, उसको फोटो देखते, देख एक और लडके ने फोटो देखा और फिर मयूर की और देखा उसका चेहरा आश्चर्य से सफेद हो गया |

मयूर को अपने पहचाने जाने का अहसास हो गया था वो तेजी से बाहर की और बढ़ा, उसको पहचानने वाले ने इधर उधर देखा और पास खड़े पुलिस वाले के पास जाकर उसकी दिशा में इशारा किया |

मयूर स्टेशन से बाहर निकला और उसे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा कि क्यों उसने रागिनी को अपने से अलग किया, अब वो उसे कैसे ढूंढेंगा ?

रागिनी टैक्सी से उतरी और सीधी स्टेशन के अन्दर टीगीट खिड़की पर पहुची और उसकी नजर खम्बे पर लगे मयूर और उसके पोस्टर पर पड़ी, और उसका चेहरा भय से पिला पड़ गया |
 

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वो बाहर आई और उसने चारो तरफ नजर दौड़ाई, मयूर उसे दूर - दूर तक नही दिखाई पड़ रहा था |

उधर अपना फोटो स्टेशन में लगा देखने के बाद मयूर स्टेशन के सामने एक घटिया से रेस्तरां में कार्नर की टेबल पर लगभग छुप कर बैठ गया, उसने वेटर से एक प्लेट पोहा और चाय लाने का कहा, तभी उसकी नजर रागिनी पर पड़ी वो एक ऑटो से उतरी और तेज कदमो से चलती हुई, स्टेशन के गेट के अंदर दाखिल हो गई – वो जरुर टिगिट खिड़की के पास मेरा इंतजार करेगी पर अन्दर जाना उसके लिए खतरे से खाली नही होगा - उसने सोचा – अजीब मुसीबत है, अब क्या करू, कंही पुलिस रागिनी को पकड़ न ले |

तभी रेस्तरा में एक गरीब सा दिखने वाला लड़का आया और उसने तुड़ा मुड़ा 10 का नोट निकाल कर रेस्तरा वाले से कहा – एक प्लेट पोहा,

शायद ये लड़का स्टेशन पर ही रहता है – और उसके दिमाग में एक तरकीब सूझी
उसने लडके के पास जा कर पचास रूपये का नोट बढ़ाते हुए कहा – क्या मेरा एक काम करोगो ?

नोट देखते ही लडके के चेहरे पर चमक आ गई – क्या ? उसने पूछा

स्टेशन में टिगिट खिड़की के पास एक मेडम खड़ी होगी जिनके हाथ में लाल पर्स है, उनको बोलना मैं उनका इंतजार यहाँ कर रहा हूँ, जब तुम ये काम करके वापस आओगे तो तुम्हे ऐसा ही पचास का एक और नोट दूंगा |

लडके ने सहमती से सर हिलाया, पचास का नोट जेब में डाला और तेजी से रोड पार करके स्टेशन के गेट मैं दाखिल हुआ |

रागिनी ने अपनी बेग से ढकी फोटो और मयूर की पूरी फोटो देखी, और वो टिगिट खिड़की के पीछे लगी लम्बी लाइन के पीछे भीड़ में छुप कर खड़ी हो गई, उसको पक्का मालूम था, मयूर यंहा जरुर आएगा |

टिगिट खिड़की के पास एक पुलिस वाले की आखे मेटल डिटेक्टर की तरह हर आने जाने वाले का गौर से मुआयना कर रही थी, लड़का पुलिस वाले के सामने से टिगिट खिड़की तक पहुचा जिस पर उसने कोई ध्यान नही दिया |

छोटा लड़का जिसे स्टेशन पर सब छोटू के नाम से बुलाते थे एक अनाथ लड़का था, जिसका कोई नहीं था, उसने कुछ देर आसपास लाल बेग वाली मेडम को तलाशा पर वो उसे नहीं दिखाई दी, अगर उसने उन अंकल का मेसेज मेडम तक नही पहुचाया तो सौ रूपये कमाने का चांस उसके हाथ से जा सकता था, उसने कुछ देर इंतजार किया लेकिन मेडम नहीं दिखाई दी, वो वापिस जाने के लिए मुड़ा, उसके दिमाग में पचास रूपये लेकर भागने का विचार आया, पर उसका जमीर इसकी इजाजत नही दे रहा था |

उसकी नजर पुलिस वाले पर पड़ी, और उसने सोचा – इन पुलिस वाले अंकल ने जरुर किसी लाल बेग वाली मेडम को देखा होगा- और उसने पुलिस वाले के पास जा कर पूछा – क्या आपने यहाँ लाल बेग वाली किसी लडकी को देखा है ?

कमाल है ? पुलिस वाले ने सोचा जिस लाल बेग वाली लड़की को पूरा डिपार्टमेंट ढूंढ रहा है, उसको ये छोटा सा लड़का भी ढूंढ रहा है – उसने पूछा – क्यों ढूंढ रहे हो उसको ?

और लडके ने मयूर के बारे में उसे बताया, पुलिसवाला लडके को लेकर स्टेशन के गेट के बाहर आया लडके ने उसको रेस्तरां की तरफ इशारा किया जहा मयूर बैठा था, उसने वायरलेस उठाया और कुछ बोलता हुआ तेजी से रेस्तरा की और बढ़ गया |

मयूर ने जेसे ही लडके को स्टेशन के अन्दर जाते देखा उसने सावधानी बरतते हुए अपनी पोजीशन बदली और रेस्तरा के पास पड़ी कुछ अतिक्रमण की गुमटियों में से एक के पीछे चला गया, वहा से वो स्टेशन के गेट पर आसानी से नजर रख सकता था |

मयूर ने पुलिस वाले के साथ उस लडके को स्टेशन के गेट से बाहर आते देखा और उसने देखा लडके ने उस रेस्तरा की तरफ इशारा किया था जिधर थोड़ी देर पहले वो बैठा था |

जैसे ही पुलिस वाले रेस्तरा में घुसे, वो गुमटी को ओट में से निकला और उसने देखा की जिस गुमटी की ओट में वो खड़ा था वो एक हेयर सेलून था, उस समय हेयर कट करने की उस दुकान मैं कोई नहीं था, उसने अपनी दाढ़ी पर हाथ फिराया जो कुछ हद तक बढ़ गई थी, वो तुरंत हेयर सेलून के अन्दर घुसा और खाली पड़ी सेलून की कुर्सी पर बैठा गया, दुकानदार से उसने कहा – शेविंग करना है |

दुकानदार ने उसे एक कला चोंगा पहनाया ताकि उसके कपड़ो पर बाल न लगे, मयूर ने देखा सेलून में जिस कांच के सामने वो बैठ कर दाढ़ी बनवा रह था उसमे से पीछे मैंन रोड सहित स्टेशन का गेट साफ दिखाई पड़ता था, अगर रागिनी उस गेट से जाएगी तो उसे दिखाई देगी

दुकानदार ने ब्रश से उसके चेहरे पर क्रीम लगाया और उसका चेहरा सफेद झाग से ढक गया, तभी एक पुलिस वाला वहां आया उसने अन्दर झांक कर देखा और मयूर को गौर से देखा, मयूर का दिल तेजी से धड़क रहा था पर उसके चेहरे पर लगे साबुन से पुलिसवाला उसे पहचान नही पाया और आगे निकल गया |

टिगिट खिड़की पर टिगिट लेने वालो की लाइन के पीछे खड़ी रागिनी की नजर गेट पे खड़े पुलिस वाले पर थी, उसने पुलिस वाले को एक लडके से बात करते देखा फिर पुलिस जवान को तेजी से बाहर जाते देखा, उसने अनुमान लगाया मयूर ने शायद उनका पोस्टर पहले ही देख लिया हो और वो बाहर कही उसका इंतजार कर रहा हो, वो बाहर निकली और गेट के पास उसे वो छोटा लड़का दिखाई दिया |

लडके ने लाल बेग वाली मेडम को देखा और बोला – क्या आप उन लम्बे गौरे, नीली आखो वाले अंकल जी को ढूंढ रही हो ?

रागिनी की साँस अन्दर की अन्दर ही रह गयी उसने हां में सर ऊपर निचे किया |

लडके ने रेस्तरा के डायरेक्शन में इशारा किया और कहा – पुलिस भी उन अंकलजी को ढूंढते गई है, उनसे मुझे पचास रूपये लेने है |

रागिनी ने अपने पर्स में से 100 का नोट निकला और कहा – हिसाब बराबर

वो बाहर निकली

कटिंग कि दूकान पर अपनी दाढ़ी बनवाते हुए, अपनी कुर्सी के सामने की और लगे कांच में से मयूर गेट पर नजर रखे हुए था, उसने देखा रागिनी बाहर निकली और रेस्तरा की और बढ़ रही है, वो पुलिस वालो के पास में से निकली पर किसी ने उसकी और ध्यान नही दिया क्योकि वो तो अब किसी नीली आखो वाले आदमी को ढूंढ रहे थे |

उस समय तक मयूर की दाढ़ी आधी बन चुकी थी, उसने अपने सामने लगे कांच में से देखा धीरे धीरे चलते रागिनी कटिंग की दुकान के सामने से गुजरी, उसके चेहरे पर उदासी साफ झलक रही थी, उसने फ़ौरन एक कपड़ा उठाया अपने चेहरे से साबुन पोछा और दुकानदार द्वारा पहनाया लबादा उतारा और एक निश्चित दुरी बनाते हुए रागिनी के पीछे पीछे चलने लगा |

इस अनजान शहर में अब उसका कोई नही है – रागिनी का मन गमगीन हो रहा था – उसकी आँखे मयूर को चारो और तलाश कर रही थी, धीरे धीरे चलते चलते वो स्टेशन से थोड़ी दूर निकल गयी, और एक सुनसान गली में मुड़ गई, उसे मयूर से अलग नही होना था – उसके चेरे पर पछतावा और उदासी के मिले जुले भाव थे, क्या पता वो अभी कहाँ होगा, वो अपनी धुन में सुनसान गली में चली जा रही थी, तभी उसे लगा कोई उसका पिछा कर रहा है, उसने मुड़ कर देखा उसके बिलकुल पीछे मयूर खड़ा था, उसे देखते ही उसकी आँखों में ख़ुशी के आंसू झलक पड़े और वो दौड़ कर मयूर के गले लग गई, दोनों कुछ देर तक इसी तरह एक दुसरे से चिपके रहे फिर रागिनी ने मयूर के गालो पर हाथ फेरा और पूछा – ये कौन सी फैशन है आधी दाढ़ी की – और वो दोनों खिलखिला कर हस पड़े |

वापस मिलने की ख़ुशी में वो भूल गये थे की उनके पीछे पुलिस और गुंडे पड़े है, उनका ध्यान टुटा और रागिनी ने कहा – कैसे भी कर के हमको दिल्ली पहुचना है |

मयूर ने कहा – चिंता मत करो रागिनी, जब वापिस मिल गये है तो दिल्ली दूर नही है |
 
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ध्यान टुटा और रागिनी ने कहा- कैसे भी कर के हमको दिल्ली पहुचना है। मयूर ने कहा चिंता मत करो रागिनी, जब वापिस मिल गये है तो दिल्ली टूर नही है

वो वापिस स्टेशन की तरफ आये और टैक्सी स्टैंड की और बड़े जहा एक टैक्सी वाला अपनी टैक्सी को पानी से साफ कर रहा था, उसने उन दोनों को देखा और बोला कहा चलना है?

उन्होंने कहा -दिल्ली,

टैक्सी वाले ने दोनों को गौर से देखा और बोला जल्दी गाड़ी में बैठी - और दरवाजा खोल दिया।

दोनों फौरन टैक्सी में सवार हुए और टैक्सी शहरी ट्रैफिक पीछे छोडती हुई दिल्ली जाने वाले

पहाड़ी रास्ते पर आ गई।

टैक्सी ड्राईवर ने ट्रैफिक निकलते ही टैक्सी एक तरफ रोकी और पीछे बैठे दोनों को देखकर कहा - दिल्ली तक जाने के पुरे 50.000 लगेगे, गहाँ तक तुमको ले आया हु आगे तुम्हारी मर्जी

मयूर का मन संशय से भर गया-इतने ज्यादा क्यों ?

टैक्सी वाले ने बोला - तुम दोनों ने किया क्या है, पूरी पुलिस फोर्स तुमको ऐसे ढूंढ रही है जैसे तुम इस देश के सबसे बड़े क्रिमिनल हो

वही हुआ जिसका डर था - मयूर ने कहा - पर तुमने हमको पहचाना कैसे "

हमको स्पष्ट आईर मिले है - एक लाल स्लिंग देग वाली लड़की और नीली आखो वाला लड़का जहाँ कही भी मिले फौरन पुलिस को इत्तिला करो, मैंने तुमको यहाँ तक ला कर कितना बड़ा खतरा मोल लिया है, तुम सोच भी नहीं सकते, तुमने ऐसा किया क्या है, घर से भाग कर आये हो ?

रागिनी बोली - तुमको जितने पैसे चाहिए, ले लेना हमको जल्दी से जल्दी दिल्ली तक पहुचा दो

ड्राईवर नै अक्सिलेटर पर पैर मारा और गाड़ी दिल्ली के रास्ते की और ढलान उतरने लगी। तन्यल को कुछ देर के लिए नींद आ गयी थी, वो रात भर का जगा हुआ था, उसने उठते ही अपने डिप्टी से पूरा घटनाक्रम समझा और सोचा - बहुत चालक है, वो पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन का उपयोग यहाँ से भागने में नहीं करेंगे, वो सीधा टैक्सी स्टैंड पहुचा और

पार्किंग की पर्ची काटने वाले के पास जाकर बोला - क्या पहाँ से सुबह कोई टैक्सी हायर हुई है ?

यहाँ से तो रोज बहुत सारी टैक्सी हायर होती है साहब आप किसकी बात कर रहे हो ?

फिर मजाक तन्यल ने सोचा यहाँ हमारी नींद हराम हो रही है और इसे पता ही नही है की हम किसको डूब रहे है. उसने कहा - एक लड़का और एक लड़की जिसके हाथ में लाल लिंग बेग है जो उसके कंधे पर लटका है।

टैक्सी यूनियन की पर्ची काटने वाले को ध्यान आपा-हा साहब एक गाडी, लगभग । घंटा पहले गई है, जिसमें एक कपल गया है, लड़का हीरो जैसा और लड़की तो अब क्या बोलू साब, मेरा ध्यान उसी पर था, और उसके हाथ में लाल बेग भी था! पर अब तक वो गाड़ी टोल भी क्रॉस कर गई होगी।

तन्यल ने गाड़ी का नम्बर लिया और टोल पर फोन किया. सुनो 2000 नो की टैक्सी जैसे ही तुम्हारे टोल पर आये उसे रोकने की कोशिश करना और सावधानी से उनके पास पिस्तौल है।
 
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Raanjhanaa

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पैसे नही है

खुल्ले की चिंता मत कर तू जल्दी दरवाजा खोल -उसने टोल पर्ची काटने वाले से कहा। टोल वाले लड़के ने अपनी मशीन में टोल नाके के टोल वसूल होने का बटन दबाया और उसके प्रिंटर में से पर्ची निकली, उसने पर्ची फाड़ी और मयूर के हाथ में दी, बटन दबते ही टोल का दरवाजा खुला और गाड़ी आगे बढ़ी, तभी गेट के पास खड़ा लड़का जो टोल के लॅड लाइन नम्बर पे किसी से बात कर रहा था ने ड्राईवर को रुकने का इशारा किया।

मयूर ने उसको अपनी और बढ़ते देखा, और ड्राईवर से बोला, जल्दी गाड़ी निकालो और गाड़ी राकेट की तरह टोल का गेट पार करते हुए हाईवे पर दौड़ने लगी।

मयूर ने रागिनी से कहा - तुमको पता है पुलिस तुमको किस नाम से जानती है? रागिनी ने न में सर हिलाया और पूछा क्या?

लाल स्लिंग बेग वाली लड़की - और दोनों खिलखिला फीकी हसी हसने लगे, अन्दर ही अन्दर दोनों जानते थे की पुलिस उनके पीछे अब हाथ घो के पड़ चुकी है।

उनके टोल नाके से आगे निकलने की सूचना मिलते ही तन्यल ने टोल नाके के पास खड़ी पुलिस की जीप की लोकेशन पता की और उसको आईर किया की वो जल्दी से जल्दी उस सफेद कार टैक्सी को पीछे जाकर उन दोनों को पकड़े

मयूर को खतरे का अहसास हो गया था, तो पुलिस को पता चल चूका है की हम इस टैक्सी में है, उसने ड्राईवर से पूछा अगला टोल नाका कितनी दूर है उसने जवाब दिया - लगभग 60 किलो मीटर दूर उसने कहा - ठीक है

सन्यल अपनी जिन्दगी में कभी इतना नही भागता, अगर वो उसके धाने की सीमा से पार हो गये थे तो उसकी ड्यूटी खतम पर नोटों की गद्दया उसको भागने पर मजबूर कर रही थी उसने सोचा- ये पैसा तो मैं पूरी मेहनत से ही कमा रही हूँ. दोनों खूब दुइवा रहे है मुझको, और उसने ड्राईवर को डेल्ही रोड पर गाड़ी लेने को कहा

उसने अगले टोल नाके पर फोन किया और सफेद टैक्सी का नम्बर देते हुए वहां तैनात

सुरक्षा कर्मियों को हिदायत दी की जैसे ही ये गाडी टोल पर आये इसको रोक कर रखना

और हा लड़की के पास पिस्तौल है, जरा सावधानी से काम लेना। कुछ देर बाद उसके पास टोल नाके से फोन आया सर हमने उस गाड़ी को रोक लिया है। उसने कहा में कुछ ही देर में बह पहुच रहा हूँ तुम उनको जाने मत देना

भागता दौड़ता सन्पल दुसरे न. के टोल नाके तक पहुचा, उसने अपने होल्स्टर से पिस्तौल निकली और कार के पास गया, अन्दर केवल टैक्सी ड्राईवर बैठा था जो तन्यल को खौफ की नजरो से देख रहा था, सिट के पीछे पड़ा था लाल स्लिंग बेग, जिसमे से कुछ चिल्लर

निकलकर सीट पर बिखरी पड़ी थी।

तन्पल उसपर चिल्लाया - वो दोनों कहा है।

टैक्सी ड्राईवर ने कहा - सर वो तो 10 किलोमीटर पहले ही गाड़ी से उतर गये
 
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Raanjhanaa

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टैक्सी ड्राईवर ने कहा- सर वो तो 10 किलोमीटर पहले ही गाड़ी से उतर गये।

दोनों कुछ देर तक एक दुसरे को देखते रहे, फिर तन्यात मुड़ा और पहाड़ी रस्ते पर निचे देखने लगा, यहाँ से उसके पाने सीमा समाप्त होती है, वो आगे कुछ नहीं कर सकता। मयूर ने गाड़ी 10 किलोमीटर पहले ही रुकना ली थी वो जनता या तन्यत अगले टोल पर फोन करेगा, टैक्सी से उतरकर रागिनी से दोला -हमको कुछ दूर पैदल ही चलना पड़ेगा ये

सडक पहाड़ का चक्कर लगा कर वापिस वहा निचे आती है. - उसने निचे जाती धुमावदार

सहक की और इशारा किया आगर हम इस पगडंडी में चलेंगे तो हमको पुरे पहाड़ का

चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा और हम जल्दी पहुंच जायेंगे, और पुलिस भी हमको उस कार में ही इंडती रहेगी गो पहाड़ से सीधे पगडण्डी उतरे और पापिस हाई पर आ गये, दो मिनिट यही बड़े रहे

और उनको एक वॉल्वो बस आती हुई दिखाई दी, रागिनी ने अपने हाथ को सामने का इशारा

बस को किया

बस के ड्राईवर को बस बीये में रोकने की इजाजत नहीं थी, पर एक शहरी लडकी को इस जंगल में देवा कर उसमे मदद का भाव जागा और उसने बस रोक दी, दोनों दौड़कर उस बस में पड़ गये, पीछे रह गया तन्यत और उनके सामने टैक्सी द्वाईर, उसकी कहानी सुनने के बाद तन्यल ने उसको कहा - आज के बाद मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना
 
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