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Romance ZARA KA PYAR

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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204
Update1

खट-खट, खट-खट, दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैं उनींदा सा उठा, दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी!

झट से मैंने पूछा कि कौन सी उंगली से दरवाजा खटखटाया था?
तो उसने अपनी पहली उंगली सामने कर दी.

मैं उसे पकड़ कर फूंक मारने लगा तो उसने अपना हाथ छुड़ाया और अंदर आकर अपना सामान रखने लगी.

मैं तब तक बिस्तर पर आ बैठा था वो भी मेरे बिल्कुल सामने कुर्सी डाल कर बैठ गयी! भयंकर गुस्से में, खा जाने वाली निगाहों से मुझे देखते हुए!

हां! रात को शराब पी थी … लेकिन नशे में इतना बड़ा कौनसा कांड कर दिया कि ये हैदराबाद से दिल्ली आ पहुंची?

ये सोचकर मैं अंदर तक सिहर गया! पता नहीं कहां कहां से पसीना छूटने लगा!
बचा-खुचा हैंगओवर भी दुम दबाकर भाग निकला मुझे अकेले छोड़ उस शेरनी के आगे!
जो अब मेरा क्या हाल करने वाली थी मुझे नहीं पता!

उसने कुछ कहने के लिए जैसे ही मुंह खोला तो मैंने पहले ही कह दिया कि सॉरी यार गलती हो गयी और अब फूटा परमाणु बम से भी घातक ज़ारा बम!
ज़ारा- नहीं गलती और आप? आप तो कभी गलती करते ही नहीं! आप तो सिर्फ मीठी-मीठी बातें करते हो! अरे गलती तो मुझसे हुई है और वो भी बहुत बड़ी कि आप से दिल लगा बैठी!

उसकी जली-कटी सुनकर मुझे भी थोड़ा गुस्सा आया और मैंने भी कह दिया- क्यों लगाया था मुझसे दिल? मैंने तो मना किया था और आज भी कर रहा हूं!

मैंने अपनी बात खत्म भी नहीं की थी कि ज़ारा लगी रोने … और मैं भी पत्थर दिल मुंह फेर लिया!

वो रोते-रोते उठी मेरा चेहरा लिया अपने हाथों में और मेरी आंखों में देखकर कहने लगी- ये जो आपने अभी कहा वो दिल से कहा है? ईमान से कहा है?
मैं- जितने दिल और ईमान से तुमने कहा!

अब बैठ गयी मेरे पास भर लिया बांहों में और लगी चूमने! चेहरे का कोई हिस्सा ऐसा नहीं छोड़ा जहां चूमा ना हो!

मैं- मुझे ये तो बताओ कि तुम तो अगले हफ्ते आने वाली थी आज क्यों आयी हो?
ज़ारा- पहले आप मेरे एक सवाल का जवाब दें!
मैं- पूछो!

ज़ारा- मैंने सुना है कि शराब पीने के बाद कोई झूठ नहीं बोलता!
क्या ये सच है?
मैं- हां बिल्कुल सच है!

मेरे इतना कहते ही उसने मुझे फिर से बांहों में भर लिया!
ज़ारा- पता है आपने कल क्या किया?
मैं- यार … अब जो भी किया मैं तो पहले ही सॉरी बोल चुका हूं!

ज़ारा- आपने कल रात शराब पीकर मेरे पास फोन किया और मुझे यहां बुलाने के लिए पता है क्या कहा?
मैं- मैंने तुम्हें बुलाया था? और क्या कहा?
ज़ारा- जान!
मैं- हां बताओ क्या कहा?

ज़ारा- जान! जान कहा मुझे पहली बार आपने! इसलिए मुझे आना पड़ा!
मैं- हैं? तो ये कौनसी बड़ी बात हो गई?
ज़ारा- आपके लिए तो कुछ भी बड़ा नहीं लेकिन कोई मेरे दिल से पूछे? मैं तो हमेशा तरसती रही हूं आपके प्यार के लिये!

मैं- मैं तुम्हें प्यार करता हूं या नहीं? ये बिस्तर इस बात का गवाह है!
ज़ारा- आप हैं ना पत्थर थे, पत्थर हो और पत्थर ही रहोगे!
ये क्या हाल बना रखा है? ग्यारह बज चुके हैं अभी तक नहाये भी नहीं! हायल्ला! मैं क्यों गयी थी आपको अकेले छोड़कर! चलो उठो और नहा लो, मैं तब तक चाय बनाती हूं!

वो चली किचन में और मैं बाथरूम में नहाने!

दोस्तो, यह कोई कहानी नहीं है बल्कि मेरे जीवन का हिस्सा है. इसे मैं बिल्कुल वैसा ही लिखना चाहता था जैसे ये बीता है!
इसमें केवल प्रेम है, विशुद्ध प्रेम! ये मोहब्बत है ज़ारा की!
इतनी टूटकर मोहब्बत की उसने! शायद कोई नहीं कर सकता!

खैर, अब मैं नहा चुका था और ज़ारा आई चाय और ऑमलेट लेकर और लगी अपने हाथ से खिलाने मुझे!
नाश्ते के बाद वो बर्तन रखकर वापस आई!

अब देखा उसे गौर से!
नीले रंग का हाफ स्लीव कुर्ता, सफेद चुस्त पाजामी, कूल्हों से नीचे तक के बाल, काली आंखें, गोरा रंग!
देखता ही रह गया!

हर बार यही होता है! उसके हुस्न के जाल में उलझ कर रह जाता हूं फिर उसी से रास्ता पूछना पड़ता है बाहर निकलने का!

वो है ही इतनी खूबसूरत कि कोई भी उलझ जाये!

बैठी मेरे पास और बांहों में भर कर लगी किस करने!
चूमते-चूमते ही मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मैंने भी उसके कपड़े उतार दिये लेकिन पैंटी छोड़ दी!

ज़ारा- ये पैंटी क्यों छोड़ दी जान?
मैं- इसे तुम खुद उतारना!
ज़ारा- अच्छा! ये बात है तो ज़ारा का वादा है कि पैंटी आप ही निकालोगे … मैं नहीं!
मैं- चलो देखते हैं कौन जीतता है?

इतना कहकर मैं चूमने लगा उसके बूब्स को! बड़ी-बड़ी चूचियां और उनके गुलाबी निप्पल!
ज़ारा सीत्कार उठी- आह! जान जोर से, एक हफ्ते से तड़प रही हूं! जोर से दबाओ आह … आह …
मैं- मैं भी तो तड़प रहा था तुम्हारी आह सुनने के लिए!

ज़ारा- आह! सी … मेरी चूत मचल रही है!
मैं- मेरा भी लंड मचल रहा है!

अब वो हुयी पीछे और मेरा लंड पकड़कर मुंह में भर लिया और लगी चूसने! अपनी जीभ से लंड की मालिश सी करने लगी!

ज़ारा को अचानक जैसे कुछ याद आया और वो उठकर 69 की पोजीशन में आ गयी और मेरा लंड पकड़कर बोली- आपने कहा था ना कि पैंटी तुम खुद उतारना!
मैं- हां!
ज़ारा- अब देखते हैं पैंटी कौन उतारेगा!
और फिर से गपागप लंड चूसने लगी!

बताओ ऐसी जिद कौन करता है? लेकिन ये करती है!
अब उसकी जिद के सामने मैंने घुटने टेक दिये!
उतार दी पैंटी!

उसने मेरे लंड को हल्का सा काटकर अपनी जीत की घोषणा की तो मैं मुस्कुरा कर रह गया!

अब उसकी चूत और गांड मेरी आंखों के सामने थी मैंने मुंह में भर ली उसकी गुलाबी चूत और उसकी गांड के भूरे छेद पर अंगूठा फिराने लगा!
ज़ारा- आह! हां जान खा जाओ मेरी चूत को इसने तड़पा रखा है मुझे!
मैं- तुम भी इस लंड को खा जाओ ये भी तुम्हें ही याद कर रहा था!

मेरे इतना कहते ही ज़ारा ने पूरा लंड मुंह में ले लिया और लगी चूसने!
इधर मैं उसकी चूत को चाटने लगा.

थोड़ी देर बाद उसने लंड को छोड़ा और उठकर लंड पर अपनी चूत टिका दी.
मैंने नीचे से धक्का मारना चाहा तो रोक दिया- क्या बात? आपको बड़ी जल्दी है!
मैं- इतनी हसीन चूत अगर लंड पर टिकी हो तो किसे जल्दी नहीं होगी?
ज़ारा- अच्छा ये बात है?
मैं- हां यही बात है!

जैसे ही मैंने कहा ज़ारा एकदम लंड पर बैठ गयी और तभी चीखकर खड़ी हो गई!
ज़ारा- ये बड़ा हो गया है क्या?
मैं- क्यों क्या हुआ?
ज़ारा- दर्द हुआ!

मैं- अरे कुछ नहीं है. चलो तुम नीचे आओ मैं ऊपर से करता हूं!

ज़ारा- नहीं, आज तो मैं ही चोदूंगी. एक हफ्ते बाद मिले हो आप!
और ये कहकर फिर से अपनी चूत में लंड घुसा लिया और होने लगी ऊपर-नीचे- आह … जान, आह आह!

थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद ज़ारा उठी और घोड़ी बन गई, मैंने पीछे से लंड घुसाया!
ज़ारा- आह! जान जल्दी-जल्दी करो चोद दो मुझे बुरी तरह आह … आह …

थोड़ी देर बाद मैंने उसे नीचे किया और खुद ऊपर आ गया.
अब ज़ारा ने मेरा लंड पकड़कर चूत पर लगाया और मैंने एकदम झटका मारा सीधा पूरा का पूरा अंदर!

ज़ारा- आह! जानू चोद दो फाड़ दो मेरी चूत को!
और मेरी कमर पर पैर लपेट लिये.

कुछ देर ताबड़तोड़ चुदकर ज़ारा बोली- आह! जान मैं आ रही हूं और तेज करो और तेज ऊं … आ … ह!
और हम दोनों साथ में झड़ गये!

ज़ारा मुझसे लिपट गई और किस करने लगी फिर मैंने उसे नैपकिन दिये तो उसने पहले मेरा लंड पोंछा फिर अपनी चूत और नंगी ही मेरे पास लेट गई.
मैं- मजा आया?
उसने शरमा कर मुंह फेर लिया.

मैंने उसका चेहरा अपनी ओर किया- बताओ! मजा आया?
ज़ारा- जान! आपके साथ हमेशा ही मजा आता है!
मैं- तो फिर चाय पिला दो!

ज़ारा- पता है इस शहर में रहकर मुझे दो लतें लगी हैं!
मैं- कौन सी?
ज़ारा- पहले आप और दूसरी चाय!

ये कहते-कहते वो उठी और कुछ ढूंढने लगी!

ज़ारा- मेरी ब्रा-पेंटी कहां है?
मैं- ब्रा पेंटी! लेकिन क्यों?
ज़ारा- मुझे चाय बनाने जाना है!
मैं- ज़ारा तुम्हें इस बंद मकान में कौन देखेगा मेरे अलावा?
ज़ारा- ओह सॉरी हैदराबाद!

मैं- अब चाय तो बना लो!
और वो नंगी ही किचन में चली गई!

जो ज़ारा को एक नजर भी देख ले वो दीवाना तो हो ही जाता है!

आशिक का कौल निभाने या अपनी आंखों को गरमाने मैं भी जा पहुंचा रसोई में … जहां वो नंगी ही चाय बना रही थी!
मैं उसके नंगे कूल्हों पर हाथ फिराने लगा और बीच में जब कूल्हों के बीच उंगली घुसायी तो ज़ारा उचक पड़ी!

शरारती सी मुस्कान फैल गई उसके सुर्ख होठों पर- क्यों जनाब क्या इरादा है?
लेकिन मैं उसके होठों और मुस्कान में फंसा क्या कह पाता?

मैं- तेरे हुस्न को देखा, तेरी आंखों में डूबा,
कौन बचायेगा ईन सागर की लहरों से!

ज़ारा- जनाब शायराना मूड में हैं!
मैं- कोई आदमी शायराना मूड में कब होता है?
ज़ारा- हटो चाय बन गई है, मैं डालकर लाती हूं तब बात करेंगे इस शायराना मूड पर!

दोस्तो, मेरा जीवन उसके साथ इतना हसीन और रोमांचक रहा है कि कभी-कभी मैं खुद यकीन नहीं कर पाता कि ये सब सच है या सपना!

शायद वक्त उसकी सभी यादों को मिटा दे लेकिन एक चीज कभी नहीं मिट सकती!
जब हम दोनों बिछोह की कगार पर खड़े थे और अंदर से किर्च-किर्च हुआ लेकिन बाहर से मजबूत दिखने का नाटक करते हुये मैं ज़ारा को लगातार तीन दिनों तक समझा रहा था कि जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है! मैं तुम्हारी जिंदगी का एक पड़ाव था! अब वक्त इस पड़ाव से आगे बढ़ने का है.
और उस वक्त उसकी आंखों में जो मोटे-मोटे आंसू आते थे शायद वक्त भी उन्हें भुला ना पाये!

आप लोग भी सोच रहे होंगे कि मैं कहां ये प्यार-मोहब्बत की बातें ले बैठा?
तो दोस्तो, एक बात गांठ बांध लो कि जहां प्यार है वहीं संभोग होता है! बिना प्यार या तो वेश्यावृति होती है या फिर बलlत्कार!
खैर, मूल बात पर चलते हैं!

वो एक ट्रे में चाय लेकर आई.
मैंने उसके हाथ से ट्रे लेकर एक कप उसे दिया और दूसरा खुद लेकर ट्रे रख दी!

ज़ारा- क्यों जनाब! शेर खत्म हो गये या बाकी हैं मुझ नाचीज के लिए?
मैं- हां ज़ारा, शेर खत्म हो गये. और मैं एक अहम मसले पर तुमसे बात करना चाहता हूं!
ज़ारा- यही कि ज़ारा मुझे छोड़ कर चली क्यों नहीं जातीं, यही ना?
मैं- ज़ारा मेरी बात तो …


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Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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Update 2

आप मेरी गांड चोदना चाहते हो ना? आज मैं तैयार हूँ … मुझे दर्द होगा, होने दो! मैं कितना भी चीखूं-चिल्लाऊं लेकिन आप मत रुकना! समझ गये?



[/QUOTE]
ज़ारा मेरी बात बीच में ही काट कर गुस्से में फुनकती हुई बोली- आप एक बात कान खोल कर सुन लीजिये! आज है ना? आज तो फैसला हो ही जायेगा! आपने हजारों बार मुझसे ये बात की है और हर बार मैंने मना किया है! लेकिन, अब ये आखिरत है कि आप आइंदा ये बात नहीं करेंगे क्योंकि मैं आपको छोड़कर नहीं जाने वाली!

दोस्तो, ये बात कहते-कहते वो रोने लगी!

अब मैंने उसे मेरे पास खींचा और छाती से लगाकर उसकी पीठ सहलाने लगा. वो मेरे कंधे को गीला करती रही!

मैं- ज़ारा! मेरा वो मतलब नहीं था!
ज़ारा- तो क्या मतलब था?
मैं- पहले नॉर्मल हो जाओ!

उसे उठाकर मैंने सोफे पर बिठाया और उससे कुछ दूरी बनाते हुए मैं भी बैठ गया.
ये देख वो फिर रोने लगी!

ज़ारा- हां बैठ गये ना मुझसे दूर! याल्ला! क्यों ये ही आदमी लिखा था मेरी किस्मत में?
मैं- मेरी बात तो सुनो जरा!
ज़ारा- क्या बात सुनूं? कोई अपनी गर्लफ्रेंड से इतना दूर भी बैठता है?

मैं- सुनो तो जरा …
ज़ारा- क्या सुनूं? वही आपकी घिसी-पिटी पुरानी बातें?
मैं- तुम पहले नॉर्मल हो जाओ!
ज़ारा- मैं तो नॉर्मल हूं लेकिन आप अबनॉर्मल हो गये हो!

अब पहली बार मुझे चिल्लाना पड़ा उस पर- ज़ारा! किसने कहा कि तुम मेरी महबूबा हो और मैं तुम्हारा आशिक?
ज़ारा- क्या मैं आपकी महबूबा नहीं हूं? अरे ये कहने से पहले कुछ सोच तो लेते!
ज़ारा फिर रोने लगी तो मुझे नर्म पड़ना पड़ा!

मैं- यार एक बात बताओ मैं तुम्हारे साथ कभी बाहर गया हूं?
ज़ारा- नहीं, बल्कि मैं तो कहती हूं कि चलो!

मैं- तुमने कभी ये सोचा कि मैं क्यों नहीं जाता?
ज़ारा- कंजूस भी तो हो आप! शायद इसलिए नहीं जाते!

मैं- ज़ारा, तुम मेरे लिए एक मैना जैसी हो जिसे मैंने पाला है! फर्क तुम में और एक परिंदे में सिर्फ इतना है कि परिंदा रोज कमाता है तो खाता है वहीं तुम एक अमीर बाप की बेटी हो!
ज़ारा- मतलब मेरे पापा अमीर हैं इसलिए आप मेरे साथ बाहर नहीं जाते?

मैं- ज़ारा पहले सुनो! समझो! फिर कुछ कहो! तुम्हारे पापा अमीर हैं और तुम खूबसूरत भी तो हो! जब मेरे साथ बाहर निकलोगी पता है दुनिया क्या कहेगी? मैं पतला-दुबला सा ऊपर से बदसूरत और कहां तुम बला की हसीन! कोई व्यवहार ही नहीं बनता!

ज़ारा- कोई भी व्यवहार मुझे आपसे अलग नहीं कर सकता!
मैं- कानून तो कर सकता है ना?
ज़ारा- कानून मुझे आपसे तो अलग कर देगा लेकिन मेरी रूह को तो नहीं कर सकता! और एक बात कहूं कि अलहैदगी की बातें आप ना ही करो तो सही है!

इतना कहकर ज़ारा मेरी गोद में चढ़ गयी और किस करने लगी!
कौन मर्द होगा जिसका इतनी खूबसूरत लड़की की चूत के नीचे लंड नहीं खड़ा हो!

मैं किस कर रहा था और उसके गोरे कूल्हों पर भी हाथ फिरा रहा था अचानक मैंने उसकी गांड में उंगली कर दी तो वो उछल पड़ी और मेरे गाल पर काट खाया!
ज़ारा- क्यों शायराना हुये थे?
मैं- ज़ारा, यार तेरी गांड चोदने का मन था!
ज़ारा- तो चोद लो!

मैं- मेरी जान! तुम्हें बहुत ज्यादा दर्द होगा! तकलीफ होगी!
ज़ारा- आपको मजा आयेगा ना?
मैं- आयेगा! लेकिन तुम्हारी तकलीफ को कैसे सहन करूंगा?
ज़ारा- यही सोच कर कि ज़ारा खुद अपनी गांड चुदवाना चाहती है!

मैं- तुम्हें बहुत दर्द होगा!
ज़ारा- अगर आपका लंड होगा तो मैं बर्दाश्त कर लूंगी लेकिन कोई और मेरी गांड की सील तोड़े ये मुझे गवारा नहीं!

मैं- ज़ारा … अभी भी सोच लो बहुत ज्यादा दर्द होगा!
ज़ारा- चूत फटने से भी ज्यादा?
मैं- नहीं … लेकिन शायद उतना ही!
ज़ारा- तो डालिये आप! क्या हमारी सुहागरात भूल गये हैं?
मैं- तुम उस रात को सुहागरात ना ही कहो तो बेहतर है!
ये सुनते ही वो मेरी गोद से उतरकर नीचे खड़ी हो गयी!

ज़ारा- मुझे पता है और यकीन भी है कि आप मोहब्बत का ‘म’ भी नहीं जानते!
मैं- हां! मैं ‘म’ शायद नहीं जानता लेकिन मोहब्बत को तुमसे ज्यादा जानता हूं!
ज़ारा- हां वो तो जानेंगे ही आखिरकार फिलॉस्फर जो ठहरे! पता नहीं कितनी लड़कियों के साथ बिस्तर गर्म किया होगा?

ये सुनकर आया मुझे गुस्सा! मैं उठा और खींच कर दिया एक थप्पड़ उसके गाल पर!
मैं- ज़ारा! क्या कह रही हो?
वो एक हाथ से गाल सहलाती हुयी रोने लगी और नीचे बैठ गयी- फिलॉस्फर करते हैं ऐसा मैंने तो इसलिए कहा था!

अब इतना हसीन नंगा बदन आपके सामने घुटनों पर झुका हो और हसीना की आंखों में मोटे मोटे आंसू हों तो किसी का भी पिघल जाना लाजमी है तो मैं नीचे बैठकर उसके आंसू पौंछने लगा!

मैं- ज़ारा मैं इस धरती पर केवल दो से प्यार करता हूं!
ज़ारा- मुझे क्या पता?
मैं- तुम उन दो में से एक हो! और तुम्हारे सिर पर हाथ रख कर कसम खाता हूं कि मैं किसी तीसरी के साथ आज तक भी बिस्तर पर नहीं गया! अब तुम चाहो तो मेरा यकीन करो नहीं तो नहीं!

ये सुनते ही वो एकदम से खड़ी हुई और मुझे बांहों में भर लिया! चूमने लगी इधर से उधर, चेहरे का कोई हिस्सा नहीं छोड़ा!

मैं- क्या हुआ इतनी वाइल्ड तो कभी नहीं हुई तुम?
ज़ारा- आज आपने दोहरी खुशी दी है इसलिए जानेमन!
मैं- दोहरी खुशी! लेकिन कौन सी?

ज़ारा- आज की ही तारीख में मुझे जान का कहा था और आज की ही तारीख में आप मुझे अपना प्यार भी कह रहे हो! दूसरा ही सही! मेरे लिए काफी है!
ये सब सुनकर मेरा कलेजा जैसे फट पड़ा!
इतनी मोहब्बत! इतना प्यार!
हे भगवान मैं काबिल नहीं हूं किसी भी तरह से!
क्यों ज़ारा मेरी जिंदगी में डाल दी भगवन?
और वो भी ऐसी ज़ारा जो इतना टूटकर प्यार करती है!
आपका फैसला आपके हाथ!

अब ज़ारा के चेहरे पर एक अलग ही नूर था! वो फिर से मेरी गोद में चढ़ गयी!

ज़ारा- आप मेरी गांड चोदना चाहते हैं ना?
मैं- तुम इतनी जल्दी क्यों मान जाती हो?
ज़ारा- क्योंकि मैं आपसे रूठ ही नहीं सकती!

मैं- मतलब?
ज़ारा- देखिए आज भी आप यकीन तो करने से रहे लेकिन प्यार है आपसे और सच्चा प्यार!
मैं- ज़ारा …
ज़ारा- श्ह … अब कुछ मत बोलो!

और ज़ारा मेरी गोद से नीचे उतर कर लंड चूसने लगी.
कभी गले तक ले जाए! कभी टट्टे चूसे! मतलब कुल मिलाकर चुदाई का माहौल बना दिया!

अब मेरे से रहा नहीं गया तो मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटाया और जैसे ही उसकी चूत पर लंड रखना चाहा तो उसने चूत पर हाथ रख लिया!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- आप कुछ भूल रहे हो!
मैं- क्या?
ज़ारा- आप तो मेरी गांड चोदने वाले थे?

मैं- ज़ारा …
ज़ारा- दर्द होगा, होने दो! मैं कितना भी चीखूं-चिल्लाऊं लेकिन आप मत रुकना! समझ गये?

मैं- ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी! क्रीम लेकर आओ!
ज़ारा- क्रीम का क्या करना है?
मैं- कुंवारी गांड को चोदने से पहले उसे चुदने के लिए तैयार करना पड़ता है!
ज़ारा- ओह! हां याद आया! आपने कामसूत्र में पढ़ाया था! अभी लाती हूं!

मैंने माथे पर हाथ मारा, वो बिस्तर से उतरी और रुक गयी!
ज़ारा- लेकिन एक बात बताइये? ऋषि वात्स्यायन ने तो गुदामैथुन को कुदरत के खिलाफ कहा था!

मैं- ये बात कामसूत्र में नहीं कोकशास्त्र में थी और कोका पंडित ने क्या कहा था गुदामैथुन के बारे में भूल गयी? डफर!
ज़ारा- ओह! हां उन्होंने कहा था कि वक्त के साथ तौर-तरीके भी बदलते हैं!

मैं- अब कान पकड़वाकर मारूं डंडे तुम्हें?
ज़ारा- सॉरी जान, सॉरी! मैं क्रीम लेकर आती हूं!
और वो भागती चली गयी अपने कमरे में! कुछ ही देर में क्रीम लेकर आ गयी!

ज़ारा- क्या करना है इसका?
मैं- मुझे दो और छाती के बल लेट जाओ!

ज़ारा छाती के बल लेट गई और मैंने उसके कूल्हे फैलाये तो सामने दिखा भूरा-कत्थई रंग का गांड का छेद!
मैंने उसकी गांड में क्रीम की ट्यूब का मुंह घुसाया और आधी ट्यूब उसी गांड में ही खाली कर दी!
वो थोड़ा सा उचकी!

अब थोड़ी सी क्रीम अपनी उंगली पर लगाई!
मैं- ज़ारा!
ज़ारा- जी?
मैं- मैं तुम्हारी गांड में उंगली डाल रहा हूं! तुम से सिकोड़ना मत बस बाहर की तरफ फैलाती रहना और अपनी क्लिट को सहलाती रहो!
ज़ारा- ठीक है!

अब मैंने उसकी गांड में उंगली डाली!
मैं- दर्द तो नहीं हुआ?
ज़ारा- अभी तो नहीं!

अब मैंने दो उंगलियां डालने की कोशिश की तो ज़ारा चिहुंक गयी!
ज़ारा- जान हल्का-हल्का दर्द हो रहा है!
मैं- अभी कुछ देर होगा फिर मजा आने लगेगा!

अब मैंने तीन उंगलियों का शंकु बनाकर डाला तो वो उचक गयी!
ज़ारा- दर्द हो रहा है!
मैं- थोड़ा तो बर्दाश्त करना ही पड़ेगा!
ज़ारा- ज्यादा हो रहा है!
मैं- अभी होगा, बाद में मजा भी आएगा!

ज़ारा- ठीक है डालो आप! लेकिन एक बात याद रखना!
मैं- क्या?
ज़ारा- आज आप मुझ पर कोई रहम नहीं करेंगे और मेरी गांड चोदेंगे मतलब चोदेंगे!
मैं- ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी!

अब मैंने उसकी गांड में तीनों उंगलियां डाल दीं! उसे दर्द हुआ, वो चीखी लेकिन मैं नहीं रुका और ना ही उसने रोका!
मैं उंगलियां अंदर-बाहर करता रहा और वो अपनी क्लिट को सहलाती रही!

कुछ देर बाद वो बोली- जान मुझे अभी लंड चाहिये! आह … आप कहीं भी डालो लेकिन मुझे लंड चाहिये!
मैं- चूत में डालने से तो तुम खुद मना कर चुकी हो!
ज़ारा- चूस लूंगी!
मैं- लेकिन मैं तो नहीं चुसाऊंगा!
ज़ारा- तो मेरी गांड में डाल दो!
मैं- पक्का?
ज़ारा- हां जान डाल दो! अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है!
मैं- तो घोड़ी बन जाओ!

ज़ारा घुटनों के बल हो गयी और मैं उसकी गांड के छेद पर लंड फिराने लगा! जैसे ही गांड के निशाने पर लंड होता वो पीछे धक्का देती लेकिन मैं लंड को हटा लेता!
दो-तीन बार ऐसा हुआ तो वो ठुनक पड़ी- जान डाल दो ना!
मैं- हां अब डालूंगा!

और ज़ारा की गांड के छेद पर लंड का सुपारा टिकाया तो ज़ारा ने पीछे की तरफ झटका दिया!
मैं- क्या इतनी जल्दी है?
ज़ारा- बहुत ज्यादा!
मैं- मरने की?
ज़ारा- आपके लंड से मरूंगी तो सुकून ही मिलेगा!

मैं- इतनी जल्दी ना कर ज़ारा!

वो रुकी तो मैंने लंड घुसाना शुरू किया उसकी गांड में!
ज़ारा- जानू दर्द हो रहा है!
मैं- अभी तो सुपारा गया है!
थोड़ा और धकेला!

ज़ारा- बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है!
मैं- अभी तो थोड़ा सा गया है!
ज़ारा- कितना बचा है?
मैं- आधे से ज्यादा!

एक और झटका मारा और आधा अंदर!
ज़ारा- आ … जा … न … मैं मर जाऊंगी!
मैं- तुमने ही कहा था मेरे लंड से मरोगी तो सुकून पाओगी!

ये कहकर एक और झटका मारा और आधे से ज्यादा घुसा दिया ज़ारा की गांड में!

वो चीखी-चिल्लाई … लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया!

ज़ारा- कितना बचा जान?
मैं- लगभग एक इंच!
ज़ारा- तो इसे क्यों छोड़ा? जब सारा लिया है तो?
मैं- लो फिर एक इंच!

क्योंकि उसकी गांड को मैंने बहुत ज्यादा चिकना और चुदने के लिये तैयार कर दिया था इसलिए उसे दर्द तो हुआ लेकिन बहुत ज्यादा नहीं!

ज़ारा- आह जान! यही तो जन्नत है कि आपसे चुद रही हूं!

लगभग बीस-पच्चीस मिनट ज़ारा की गांड चुदायी चली कभी मैं धक्के मारता कभी वो अपनी गांड झटकती!

मैं- ज़ारा … मैं आ रहा हूं पलट जाओ!
ज़ारा- नहीं जान … मुंह में और चूत में तो मैंने आपको महसूस किया है आज गांड में भी महसूस करना चाहती हूं!

कुछ और झटके मारने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया!

वो लेट गयी और बिना लंड निकाले ही मैं भी उसके ऊपर ही लेट गया!

कुछ देर बाद जब लंड मुरझा कर बाहर आ गया तो मैं उसके कान में बोला- सुनो! ज़ारा?
ज़ारा- हां!
मैं- शाम हो गयी है!
ज़ारा- तो?
मैं- अरे शाम की चाय का वक्त हो गया है!

ज़ारा- तो मैं क्या करूं जान?
मैं- उठो चाय बना लो!
ज़ारा- नहीं उठ सकती!
मैं- क्यों नहीं उठ सकती?
ज़ारा- क्योंकि आप मेरे ऊपर हो!
मैं- ओह सॉरी!

और मैं उसके ऊपर से उठकर साइड में हो गया अब ज़ारा उठी और उठते ही एक दर्दीली आह भरकर वापस बैठ गई!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- गांड में बहुत दर्द हो रहा है
 
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mashish

BHARAT
8,032
25,909
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Update 2

आप मेरी गांड चोदना चाहते हो ना? आज मैं तैयार हूँ … मुझे दर्द होगा, होने दो! मैं कितना भी चीखूं-चिल्लाऊं लेकिन आप मत रुकना! समझ गये?
ज़ारा मेरी बात बीच में ही काट कर गुस्से में फुनकती हुई बोली- आप एक बात कान खोल कर सुन लीजिये! आज है ना? आज तो फैसला हो ही जायेगा! आपने हजारों बार मुझसे ये बात की है और हर बार मैंने मना किया है! लेकिन, अब ये आखिरत है कि आप आइंदा ये बात नहीं करेंगे क्योंकि मैं आपको छोड़कर नहीं जाने वाली!

दोस्तो, ये बात कहते-कहते वो रोने लगी!

अब मैंने उसे मेरे पास खींचा और छाती से लगाकर उसकी पीठ सहलाने लगा. वो मेरे कंधे को गीला करती रही!

मैं- ज़ारा! मेरा वो मतलब नहीं था!
ज़ारा- तो क्या मतलब था?
मैं- पहले नॉर्मल हो जाओ!

उसे उठाकर मैंने सोफे पर बिठाया और उससे कुछ दूरी बनाते हुए मैं भी बैठ गया.
ये देख वो फिर रोने लगी!

ज़ारा- हां बैठ गये ना मुझसे दूर! याल्ला! क्यों ये ही आदमी लिखा था मेरी किस्मत में?
मैं- मेरी बात तो सुनो जरा!
ज़ारा- क्या बात सुनूं? कोई अपनी गर्लफ्रेंड से इतना दूर भी बैठता है?

मैं- सुनो तो जरा …
ज़ारा- क्या सुनूं? वही आपकी घिसी-पिटी पुरानी बातें?
मैं- तुम पहले नॉर्मल हो जाओ!
ज़ारा- मैं तो नॉर्मल हूं लेकिन आप अबनॉर्मल हो गये हो!

अब पहली बार मुझे चिल्लाना पड़ा उस पर- ज़ारा! किसने कहा कि तुम मेरी महबूबा हो और मैं तुम्हारा आशिक?
ज़ारा- क्या मैं आपकी महबूबा नहीं हूं? अरे ये कहने से पहले कुछ सोच तो लेते!
ज़ारा फिर रोने लगी तो मुझे नर्म पड़ना पड़ा!

मैं- यार एक बात बताओ मैं तुम्हारे साथ कभी बाहर गया हूं?
ज़ारा- नहीं, बल्कि मैं तो कहती हूं कि चलो!

मैं- तुमने कभी ये सोचा कि मैं क्यों नहीं जाता?
ज़ारा- कंजूस भी तो हो आप! शायद इसलिए नहीं जाते!

मैं- ज़ारा, तुम मेरे लिए एक मैना जैसी हो जिसे मैंने पाला है! फर्क तुम में और एक परिंदे में सिर्फ इतना है कि परिंदा रोज कमाता है तो खाता है वहीं तुम एक अमीर बाप की बेटी हो!
ज़ारा- मतलब मेरे पापा अमीर हैं इसलिए आप मेरे साथ बाहर नहीं जाते?

मैं- ज़ारा पहले सुनो! समझो! फिर कुछ कहो! तुम्हारे पापा अमीर हैं और तुम खूबसूरत भी तो हो! जब मेरे साथ बाहर निकलोगी पता है दुनिया क्या कहेगी? मैं पतला-दुबला सा ऊपर से बदसूरत और कहां तुम बला की हसीन! कोई व्यवहार ही नहीं बनता!

ज़ारा- कोई भी व्यवहार मुझे आपसे अलग नहीं कर सकता!
मैं- कानून तो कर सकता है ना?
ज़ारा- कानून मुझे आपसे तो अलग कर देगा लेकिन मेरी रूह को तो नहीं कर सकता! और एक बात कहूं कि अलहैदगी की बातें आप ना ही करो तो सही है!

इतना कहकर ज़ारा मेरी गोद में चढ़ गयी और किस करने लगी!
कौन मर्द होगा जिसका इतनी खूबसूरत लड़की की चूत के नीचे लंड नहीं खड़ा हो!

मैं किस कर रहा था और उसके गोरे कूल्हों पर भी हाथ फिरा रहा था अचानक मैंने उसकी गांड में उंगली कर दी तो वो उछल पड़ी और मेरे गाल पर काट खाया!
ज़ारा- क्यों शायराना हुये थे?
मैं- ज़ारा, यार तेरी गांड चोदने का मन था!
ज़ारा- तो चोद लो!

मैं- मेरी जान! तुम्हें बहुत ज्यादा दर्द होगा! तकलीफ होगी!
ज़ारा- आपको मजा आयेगा ना?
मैं- आयेगा! लेकिन तुम्हारी तकलीफ को कैसे सहन करूंगा?
ज़ारा- यही सोच कर कि ज़ारा खुद अपनी गांड चुदवाना चाहती है!

मैं- तुम्हें बहुत दर्द होगा!
ज़ारा- अगर आपका लंड होगा तो मैं बर्दाश्त कर लूंगी लेकिन कोई और मेरी गांड की सील तोड़े ये मुझे गवारा नहीं!

मैं- ज़ारा … अभी भी सोच लो बहुत ज्यादा दर्द होगा!
ज़ारा- चूत फटने से भी ज्यादा?
मैं- नहीं … लेकिन शायद उतना ही!
ज़ारा- तो डालिये आप! क्या हमारी सुहागरात भूल गये हैं?
मैं- तुम उस रात को सुहागरात ना ही कहो तो बेहतर है!
ये सुनते ही वो मेरी गोद से उतरकर नीचे खड़ी हो गयी!

ज़ारा- मुझे पता है और यकीन भी है कि आप मोहब्बत का ‘म’ भी नहीं जानते!
मैं- हां! मैं ‘म’ शायद नहीं जानता लेकिन मोहब्बत को तुमसे ज्यादा जानता हूं!
ज़ारा- हां वो तो जानेंगे ही आखिरकार फिलॉस्फर जो ठहरे! पता नहीं कितनी लड़कियों के साथ बिस्तर गर्म किया होगा?

ये सुनकर आया मुझे गुस्सा! मैं उठा और खींच कर दिया एक थप्पड़ उसके गाल पर!
मैं- ज़ारा! क्या कह रही हो?
वो एक हाथ से गाल सहलाती हुयी रोने लगी और नीचे बैठ गयी- फिलॉस्फर करते हैं ऐसा मैंने तो इसलिए कहा था!

अब इतना हसीन नंगा बदन आपके सामने घुटनों पर झुका हो और हसीना की आंखों में मोटे मोटे आंसू हों तो किसी का भी पिघल जाना लाजमी है तो मैं नीचे बैठकर उसके आंसू पौंछने लगा!

मैं- ज़ारा मैं इस धरती पर केवल दो से प्यार करता हूं!
ज़ारा- मुझे क्या पता?
मैं- तुम उन दो में से एक हो! और तुम्हारे सिर पर हाथ रख कर कसम खाता हूं कि मैं किसी तीसरी के साथ आज तक भी बिस्तर पर नहीं गया! अब तुम चाहो तो मेरा यकीन करो नहीं तो नहीं!

ये सुनते ही वो एकदम से खड़ी हुई और मुझे बांहों में भर लिया! चूमने लगी इधर से उधर, चेहरे का कोई हिस्सा नहीं छोड़ा!

मैं- क्या हुआ इतनी वाइल्ड तो कभी नहीं हुई तुम?
ज़ारा- आज आपने दोहरी खुशी दी है इसलिए जानेमन!
मैं- दोहरी खुशी! लेकिन कौन सी?

ज़ारा- आज की ही तारीख में मुझे जान का कहा था और आज की ही तारीख में आप मुझे अपना प्यार भी कह रहे हो! दूसरा ही सही! मेरे लिए काफी है!
ये सब सुनकर मेरा कलेजा जैसे फट पड़ा!
इतनी मोहब्बत! इतना प्यार!
हे भगवान मैं काबिल नहीं हूं किसी भी तरह से!
क्यों ज़ारा मेरी जिंदगी में डाल दी भगवन?
और वो भी ऐसी ज़ारा जो इतना टूटकर प्यार करती है!
आपका फैसला आपके हाथ!

अब ज़ारा के चेहरे पर एक अलग ही नूर था! वो फिर से मेरी गोद में चढ़ गयी!

ज़ारा- आप मेरी गांड चोदना चाहते हैं ना?
मैं- तुम इतनी जल्दी क्यों मान जाती हो?
ज़ारा- क्योंकि मैं आपसे रूठ ही नहीं सकती!

मैं- मतलब?
ज़ारा- देखिए आज भी आप यकीन तो करने से रहे लेकिन प्यार है आपसे और सच्चा प्यार!
मैं- ज़ारा …
ज़ारा- श्ह … अब कुछ मत बोलो!

और ज़ारा मेरी गोद से नीचे उतर कर लंड चूसने लगी.
कभी गले तक ले जाए! कभी टट्टे चूसे! मतलब कुल मिलाकर चुदाई का माहौल बना दिया!

अब मेरे से रहा नहीं गया तो मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटाया और जैसे ही उसकी चूत पर लंड रखना चाहा तो उसने चूत पर हाथ रख लिया!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- आप कुछ भूल रहे हो!
मैं- क्या?
ज़ारा- आप तो मेरी गांड चोदने वाले थे?

मैं- ज़ारा …
ज़ारा- दर्द होगा, होने दो! मैं कितना भी चीखूं-चिल्लाऊं लेकिन आप मत रुकना! समझ गये?

मैं- ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी! क्रीम लेकर आओ!
ज़ारा- क्रीम का क्या करना है?
मैं- कुंवारी गांड को चोदने से पहले उसे चुदने के लिए तैयार करना पड़ता है!
ज़ारा- ओह! हां याद आया! आपने कामसूत्र में पढ़ाया था! अभी लाती हूं!

मैंने माथे पर हाथ मारा, वो बिस्तर से उतरी और रुक गयी!
ज़ारा- लेकिन एक बात बताइये? ऋषि वात्स्यायन ने तो गुदामैथुन को कुदरत के खिलाफ कहा था!

मैं- ये बात कामसूत्र में नहीं कोकशास्त्र में थी और कोका पंडित ने क्या कहा था गुदामैथुन के बारे में भूल गयी? डफर!
ज़ारा- ओह! हां उन्होंने कहा था कि वक्त के साथ तौर-तरीके भी बदलते हैं!

मैं- अब कान पकड़वाकर मारूं डंडे तुम्हें?
ज़ारा- सॉरी जान, सॉरी! मैं क्रीम लेकर आती हूं!
और वो भागती चली गयी अपने कमरे में! कुछ ही देर में क्रीम लेकर आ गयी!

ज़ारा- क्या करना है इसका?
मैं- मुझे दो और छाती के बल लेट जाओ!

ज़ारा छाती के बल लेट गई और मैंने उसके कूल्हे फैलाये तो सामने दिखा भूरा-कत्थई रंग का गांड का छेद!
मैंने उसकी गांड में क्रीम की ट्यूब का मुंह घुसाया और आधी ट्यूब उसी गांड में ही खाली कर दी!
वो थोड़ा सा उचकी!

अब थोड़ी सी क्रीम अपनी उंगली पर लगाई!
मैं- ज़ारा!
ज़ारा- जी?
मैं- मैं तुम्हारी गांड में उंगली डाल रहा हूं! तुम से सिकोड़ना मत बस बाहर की तरफ फैलाती रहना और अपनी क्लिट को सहलाती रहो!
ज़ारा- ठीक है!

अब मैंने उसकी गांड में उंगली डाली!
मैं- दर्द तो नहीं हुआ?
ज़ारा- अभी तो नहीं!

अब मैंने दो उंगलियां डालने की कोशिश की तो ज़ारा चिहुंक गयी!
ज़ारा- जान हल्का-हल्का दर्द हो रहा है!
मैं- अभी कुछ देर होगा फिर मजा आने लगेगा!

अब मैंने तीन उंगलियों का शंकु बनाकर डाला तो वो उचक गयी!
ज़ारा- दर्द हो रहा है!
मैं- थोड़ा तो बर्दाश्त करना ही पड़ेगा!
ज़ारा- ज्यादा हो रहा है!
मैं- अभी होगा, बाद में मजा भी आएगा!

ज़ारा- ठीक है डालो आप! लेकिन एक बात याद रखना!
मैं- क्या?
ज़ारा- आज आप मुझ पर कोई रहम नहीं करेंगे और मेरी गांड चोदेंगे मतलब चोदेंगे!
मैं- ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी!

अब मैंने उसकी गांड में तीनों उंगलियां डाल दीं! उसे दर्द हुआ, वो चीखी लेकिन मैं नहीं रुका और ना ही उसने रोका!
मैं उंगलियां अंदर-बाहर करता रहा और वो अपनी क्लिट को सहलाती रही!

कुछ देर बाद वो बोली- जान मुझे अभी लंड चाहिये! आह … आप कहीं भी डालो लेकिन मुझे लंड चाहिये!
मैं- चूत में डालने से तो तुम खुद मना कर चुकी हो!
ज़ारा- चूस लूंगी!
मैं- लेकिन मैं तो नहीं चुसाऊंगा!
ज़ारा- तो मेरी गांड में डाल दो!
मैं- पक्का?
ज़ारा- हां जान डाल दो! अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है!
मैं- तो घोड़ी बन जाओ!

ज़ारा घुटनों के बल हो गयी और मैं उसकी गांड के छेद पर लंड फिराने लगा! जैसे ही गांड के निशाने पर लंड होता वो पीछे धक्का देती लेकिन मैं लंड को हटा लेता!
दो-तीन बार ऐसा हुआ तो वो ठुनक पड़ी- जान डाल दो ना!
मैं- हां अब डालूंगा!

और ज़ारा की गांड के छेद पर लंड का सुपारा टिकाया तो ज़ारा ने पीछे की तरफ झटका दिया!
मैं- क्या इतनी जल्दी है?
ज़ारा- बहुत ज्यादा!
मैं- मरने की?
ज़ारा- आपके लंड से मरूंगी तो सुकून ही मिलेगा!

मैं- इतनी जल्दी ना कर ज़ारा!

वो रुकी तो मैंने लंड घुसाना शुरू किया उसकी गांड में!
ज़ारा- जानू दर्द हो रहा है!
मैं- अभी तो सुपारा गया है!
थोड़ा और धकेला!

ज़ारा- बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है!
मैं- अभी तो थोड़ा सा गया है!
ज़ारा- कितना बचा है?
मैं- आधे से ज्यादा!

एक और झटका मारा और आधा अंदर!
ज़ारा- आ … जा … न … मैं मर जाऊंगी!
मैं- तुमने ही कहा था मेरे लंड से मरोगी तो सुकून पाओगी!

ये कहकर एक और झटका मारा और आधे से ज्यादा घुसा दिया ज़ारा की गांड में!

वो चीखी-चिल्लाई … लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया!

ज़ारा- कितना बचा जान?
मैं- लगभग एक इंच!
ज़ारा- तो इसे क्यों छोड़ा? जब सारा लिया है तो?
मैं- लो फिर एक इंच!

क्योंकि उसकी गांड को मैंने बहुत ज्यादा चिकना और चुदने के लिये तैयार कर दिया था इसलिए उसे दर्द तो हुआ लेकिन बहुत ज्यादा नहीं!

ज़ारा- आह जान! यही तो जन्नत है कि आपसे चुद रही हूं!

लगभग बीस-पच्चीस मिनट ज़ारा की गांड चुदायी चली कभी मैं धक्के मारता कभी वो अपनी गांड झटकती!

मैं- ज़ारा … मैं आ रहा हूं पलट जाओ!
ज़ारा- नहीं जान … मुंह में और चूत में तो मैंने आपको महसूस किया है आज गांड में भी महसूस करना चाहती हूं!

कुछ और झटके मारने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया!

वो लेट गयी और बिना लंड निकाले ही मैं भी उसके ऊपर ही लेट गया!

कुछ देर बाद जब लंड मुरझा कर बाहर आ गया तो मैं उसके कान में बोला- सुनो! ज़ारा?
ज़ारा- हां!
मैं- शाम हो गयी है!
ज़ारा- तो?
मैं- अरे शाम की चाय का वक्त हो गया है!

ज़ारा- तो मैं क्या करूं जान?
मैं- उठो चाय बना लो!
ज़ारा- नहीं उठ सकती!
मैं- क्यों नहीं उठ सकती?
ज़ारा- क्योंकि आप मेरे ऊपर हो!
मैं- ओह सॉरी!

और मैं उसके ऊपर से उठकर साइड में हो गया अब ज़ारा उठी और उठते ही एक दर्दीली आह भरकर वापस बैठ गई!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- गांड में बहुत दर्द हो रहा है
[/QUOTE]
good update but sex kuch jayeda nahi hai kya
 
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Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

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Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
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Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



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Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
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