• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

Mr. X
3,907
15,300
144
Last edited:

Kala Nag

Mr. X
3,907
15,300
144
Pass 1234 मित्र आपको पसंद आया है कहानी
अच्छी बात है
जुड़े रहिए कहानी जितना आगे बढ़ेगा रोमांच उतना ही अपने चरम पर पहुंचेगा
 
Last edited:

Kala Nag

Mr. X
3,907
15,300
144
👉पांचवां अपडेट
------------------
एक आलीशान बंगलों में एक बड़ी सी गाड़ी आती है l एक आदमी शूट बूट पहने उतरता है l वह उस बंगले में लगे नाम का फलक देखता है जिसमें लिखा है *THE HELL" वह आदमी एक गहरी सांस छोड़ता है और वहाँ खड़े एक गार्ड से पूछता है - युवराज विक्रम सिंह क्षेत्रपाल जी हैं....
गार्ड - हाँ हैँ अपने जीम में व्यस्त हैं....
आदमी - जीम कहाँ पर है....
गार्ड हाथ उठाकर एक तरफ दिखाता है l वह आदमी तेजी से जीम के तरफ भागता हुआ जाता है l
जैसे ही वह जीम के भीतर आता है तो देखता है विक्रम सिंह एक पंच बैग पर किक बॉक्सिंग प्रेक्टिस कर रहा है l पास एक कुर्सी पर वीर बैठकर जूस पी रहा है l और कुछ दूर दस से बारह गार्ड्स खड़े हुए हैं l
उस आदमी को देखते ही वीर - अरे क्या बात है.... कंस्ट्रक्शन किंग्स KK... यहाँ कैसे आना हुआ....
KK - वह युवराज जी से काम है...
विक्रम - क्या काम है....
KK- वह कुछ दिन हुए हैं... एक गुंडा मुझे.... परेशान कर रहा है...
विक्रम - क्या कर रहा है...?
KK- रेत की ख़ुदाई की टेंडर इस बार ना डालने के लिए दबाव बना रहा था.... मैंने सोचा कि मैं उससे निपट लूँगा... पर लगता है वह किसी की संरक्षण में ऐसा कर रहा है... क्यूंकि अब NH Bybass टेंडर भी ना डालने को बोल रहा है...
मैंने उसे आपके बारे में आगाह किया था... पर उसने उल्टा आपको देख लेने की....
इतना ही कहा था KK विक्रम के पंच व किकस में तेजी और ताकत बढ़ गया l
विक्रम - और कुछ....
KK - हाँ अगर मैंने इसबार टेंडर की प्रक्रिया में हिस्सा लिया तो वह मेरी बेटी को उठा लेगा... ऐसा बोला...
विक्रम - तुम क्या चाहते हो...
KK - मैं तो आपका सेवक हूँ... मैं क्या चाह सकता हूँ...(दोनों हाथ जोड़ कर) मेरी बिजनैस आपकी कृपा छाया में फल फुल रहा है.... मैं जानता हूँ यह सब आइकॉन ग्रुप्स वालों की है जो ओड़िशा में आपके पैरालल ताकत बनने की कोशिश में हैं...
विक्रम अब अपनी पुरी ताकत से पंच मारता है l अब वह गार्ड्स से टवेल ले कर अपना चेहरा साफ करता है और पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और KK को पूछता है - भोषड़ी के मैंने पूछा तू क्या चाहता है...
KK - थूक निगल कर युवराज जी आप मुझे इस मुसीबत से निकाल दीजिए...... बदले में आप मुझसे कुछ भी मांग लीजिए...
विक्रम गुस्से से कुर्सी से उठता है और KK को अपने हाथ से एक धक्का लगाता है, पास पड़े एक बड़े से आर्म चेयर में KK गिरता है l विक्रम अपना दाहिना पैर उठा का सीधे KK के टट्टों पर रख देता है l KK की आंखें दर्द से बड़ी हो जाती हैं l
विक्रम - पहली बात जो पूछा जाए उसका जबाव दे..... (KK के टट्टों पर दबाव और बढ़ाता है, KK चिल्ला नहीं रहा है,पर असहनीय दर्द चेहरे पर झलकता है) भोषड़ी के हम क्षेत्रपाल हैं.... जिस क्षेत्र में पाँव रख दें वह क्षेत्र हमारा हो जाता है....... हम पैसों के लिए नहीं अपनी अहंकार के लिए जीते हैं... और हम इसके बदले सरकार व लोगों से टैक्स लेते हैं...... (गोटियों पर दबाव बढ़ाते हुए) हमारा हाथ कभी आसमान नहीं देखता है.... हमारा हाथ हमेशा ज़मीन की और देखता है....

हम किसीसे मांगते नहीं है..... हम या तो दे देते हैं या फिर छीन लेते हैं.....
साले दो टके का इंसान मुझे मांगने को बोल रहा है....

KK - (दर्द से कराहते हुए) गलती हो गई युवराज..... माफ़ कर दीजिए.....
विक्रम अपना पैर उठा देता है और पास खड़े एक गार्ड को - ऐ जूस पीला रे इसको....
गार्ड तुरंत KK को जूस बढ़ाता है पर KK मना कर देता है l हाथ जोड़ कर विक्रम को देखता है l विक्रम पूछता है - क्या नाम था उस गुंडे का....
KK- सुरा....

विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड भागते हुए पंच बैग तक जाता है और पंच बैग का जिप खोल देता है l KK की आँखे हैरानी से चौड़ी हो जाती है l पंच बैग के अंदर एक अधमरा आदमी गिरता है l
KK- ये... य... यह तो सुरा है....
वीर - हाँ तो.... तू क्षेत्रपाल के राज में क्षेत्रपाल के शरण में है... बच्चा तुझ पर कैसे कोई आपदा आ सकती है...
क्यूँकी क्षेत्रपाल के भक्तों के लिए युवराज सदैव आपदा प्रबंधन का भार सम्भाले हुए रहते हैं....
KK - मुझे माफ कर दीजिए... थोड़ा डर गया था...
विक्रम - लोग डर के मारे औकात भूल जाते हैं यह पहली बार देखा....
KK - सॉरी अब आप हुकुम कीजिए....

वीर - हाँ तो बारंग और आठगड़ रोड पर तेरा जो एकाम्र रिसॉर्ट है वह राजा साहब भैरव सिंह क्षेत्रपाल के नाम कर दे.....
KK - पर वह तो दो सौ करोड़ की है...
विक्रम उसे घूरता है
KK - ठीक है ठीक है मैं उसका कागजात बनवा देता हूँ...
अंदर उसी समय आते हुए पिनाक - और बहुत जल्द करना.... राजा साहब दो तीन दिन में भुवनेश्वर आने वाले हैं....
KK पिनाक को देखते ही सर झुका कर नमस्कार करता है और सबसे इजाज़त लेकर वहाँ से निकल जाता है....
विक्रम - कहिए छोटे राजा जी... कैसे आना हुआ
पिनाक - यह याद है ना रंग महल खाली रहे यह राजा साहब को पसंद नहीं
विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड एक फाइल को लाकर विक्रम के हाथ में देता है l विक्रम वह फाइल पिनाक के हाथ में देता है l पिनाक वह फाइल हाथ ले कर खोलता है तो उस में एक खूबसूरत लड़की की फोटो दिखती है l

पिनाक - यह कौन है.... यह इस सुरा की महबूबा है.... एक बी ग्रेड की मॉडल और म्यूजिक वीडियोज़ में कमर हिलाती है...
पिनाक - अच्छी है... चलो राजा साहब खुश हो जाएं बस..
वीर - (गार्ड्स को इशारा कर कहता है) अरे इसको देखो यह जिंदा है या नहीं...
गार्ड्स उसे चेक कर कहते हैं जिंदा है पर हालत बहुत खराब है.
विक्रम - इसे और इसकी महबूबा दोनों को राजगड़ पार्सल कर दो...
कुछ गार्ड्स सुरा को स्ट्रैचर पर डाल कर ले जाते हैं l उनके जाते ही एक गार्ड अंदर आकर वीर के कान कुछ कहता है l
वीर - (उस गार्ड को कहता है) जाओ बुलाओ उसे....
गार्ड बाहर जा कर एक लड़के को लेकर वापस आता है l वीर उसे एक चिट्ठी दे कर कहता है - जाओ ESS ऑफिस जाओ वहाँ पर तुम्हें भर्ती कर लेंगे...

वह लड़का यह सुन कर वीर के पैरों में गिर जाता है l वीर उसे दिलासा दे कर गार्ड के साथ भेज देता है l विक्रम और पिनाक उसे सवालिया दृष्टि से देखते हैं तो वह कहता है
वीर - वह हमारी पार्टी का एक कार्यकर्ता का बेटा है.... बिचारा अनाथ हो गया उसकी एक विधवा माँ है और एक छोटी बहन है.... इसलिए मैंने उसे नौकरी में लगा दिआ....

पिनाक - सच सच बोलो राज कुमार आपको किसी का डर है क्या...
वीर - क्या बात कर रहे हैं... मुझे किसका दर वह तो एक कार्यकर्ता था दिन रात पार्टी के सेवा में लगा हुआ था एक दिन अपना घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी बीवी मेरे साथ लगी हुई थी l बेचारा मुझे बहुत गाली दिआ... मुझे उसका दुख देखा नहीं गया..... तब उसने अपने आपको फांसी लगा ली... मेरा मतलब है कि मैंने उसके दुख को महसुस कर उसे पंखे से टांग कर मुक्ति दे दी...
पिनाक - ह्म्म्म्म मतलब उसकी बीवी बहुत कड़क है क्या....
वीर - मैं आपकी स्टेनो, सेक्रेटरी के बारे में कभी नहीं पूछा है....
पिनाक - वह पर्सनल है....
वीर - यह भी पर्सनल है और वह कोई रंग महल की नहीं.....
विक्रम - ठीक है... अब बहस बंद कीजिए....
दोनों चुप हो जाते हैं, फिर पिनाक कहता है - अच्छा मैं जाता हूँ पार्टी के काम से l

इतना कह कर पिनाक निकल जाता है और दोनों भाई घर के भीतर चले जाते हैं, और ड्रॉइंग रूम में आकर कुछ बात कर रहे होते हैं कि कॉलेज से नंदिनी घर के अंदर पहुंचती है तो पाती है ड्रॉइंग हॉल में विक्रम वीर के साथ बैठ कर कुछ डिस्कस कर रहा है l नंदिनी को देखते ही - कैसा रहा आज का पहला दिन...
नंदिनी - बहुत ही अच्छा... जैसा सोचा था उससे कहीं बेहतर...
वीर - अच्छा कोई दोस्त वोस्त बनाए की नहीं....?
नंदिनी उन दोनों को गौर से देखती है और फिर कहती है - क्षेत्रपाल परिवार से दोस्ती कौन कर सकता है युवराज जी.... सब हम से ऐसी दूरी बना रहे हैं जैसे समाज में लोग अछूतों से रखता है....
वीर - बहुत बढ़ीआ यह लोग बहुत छोटे व ओछे होते हैं... तभी तो प्रिन्सिपल से कहा कि आपका परिचय सिर्फ़ स्टूडेंट्स तक ही नहीं बल्कि सभी लेक्चरर को भी दे देने के लिए....
ताकि कोई अपना औकात ना भूले...
नंदिनी - जी राजकुमार जी... क्या अब मैं अंदर जाऊँ....
वीर - हाँ हाँ जाइए.... और पढ़ाई में ध्यान दे या ना दें आप पास तो आप हो ही जाएंगी... बस अपना एटिट्यूड बनाएं रखें....
नंदिनी - जी जरूर...
इतना कह कर नंदिनी घर के अंदर चली जाती है l
विक्रम - तुम्हें क्या लगता है राजकुमार... नंदिनी सच कह रही है..
वीर - वह झूठ क्यूँ बोलेगी... वैसे भी मैंने सुबह प्रिन्सिपल को अच्छे से समझा दिया है.....
विक्रम - हाँ वह तो है... फिर भी अपनी तसल्ली के लिए हर दस पंद्रह दिन में एक बार कॉलेज का चक्कर लगाते रहना...
वीर - जी युवराज...
नंदिनी शुभ्रा के रूम में आती है l शुभ्रा विस्तर पर बैठ कर कोई मैगाजिन पढ़ रही थी l शुभ्रा को देख कर खुशी से झूमती हुई नाचते हुए शुभ्रा के पास आती है
नंदिनी - आ हा आह भाभी क्या बताऊँ आज कॉलेज में कितना मजा आया...
शुभ्रा - वह तो तुझे देखते ही पता चल गया है.... अच्छा बता आज कॉलेज में क्या क्या हुआ...
नंदिनी आज कॉलेज में क्या क्या हुआ सब बता देती है l सब सुनने के बाद शुभ्रा - यह रॉकी कुछ ज्यादा ही तेज है
नंदिनी - हाँ अपनी गाड़ी बिना ब्रेक के दौड़ा रहा है...

शुभ्रा- नंदिनी के चेहरे को गौर से देखती है जैसे खुशी के मारे एक तेज नुर झलक रही थी l उसके गालों को हाथों में ले कर कहती है - रुप कितनी खुश है तु... पर ध्यान रखना अपना..... पहली बार तु सही मायनों में घर से बाहर निकली है.... बाहर की दुनिया जितनी अच्छी दिखती या लगती है... उतनी ही छलावे होती हैं....
नंदिनी - भाभी मैंने रुप बन कर जितना देखा देख लीआ.... आज नंदिनी बन कर देखा जिंदगी में रुप ने कितना कुछ खोया है...जितना नंदिनी ने एक दिन में पाया है..... और रही दुनिया की बात तो वह मुझे तोल ने दीजिए... और आप तो मेरे साथ हो ना मेरी सबसे अच्छी सहेली....
यह सुन कर शुभ्रा उसे गले से लगा लेती है l
इसी तरह पंद्रह दिन ऐसे ही गुजर जाते हैं l
जैल के ऑफिस में तापस अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ है तभी एक संत्री एक लेटर ला कर देता है l लेटर पढ़ते ही संत्री को कहता है - अरे जाओ उन्हें अंदर लाओ... कलसे तुम लोगों को उन्ही की ड्यूटी बजानी है...
संत्री तापस को सैल्यूट कर बाहर निकल जाता है और एक पचास वर्षीय आदमी के साथ अंदर आता है l
तापस उस आदमी को देख कर बहुत खुश होता है और उसे सैल्यूट करता है बदले में वह आदमी भी उसे सैल्यूट करता है और कहता है - जान निसार खान रिपोर्टिंग सर...
फ़िर सैल्यूट तोड़ कर दोनों एक दूसरे के गले मिलते हैं l
तापस-क्या बात है खान बहुत दिनों बाद मिले... कैसे हो मेरे दोस्त... आओ बैठो यार...

खान - हाँ बहुत दिनों बाद मिले तो है (बैठते हुए) पर यह क्या.... (हैरानी से) तुम अभी से VRS ले रहे हो...
तापस - अरे यार अब नौकरी में रह कर क्या करूंगा l पुस्तैनी घर और जमीन को कब तक किसी और के भरोसे देख भाल में छोड़ सकते हैं l
खान - क्या यार मुझसे भी छुपा रहा है... हाँ बताना नहीं चाहता तो बात अलग है....
तापस - देख... हम पति पत्नी बहुत कमाया है पर हमारी कमाई खाने वाला कोई है ही नहीं.....मैं इसलिए उब गया हूँ नौकरी बजाते बजाते... मुझसे अब आगे हो नहीं पाएगा दोस्त....
खान - यार सेनापति हम पुलिस ट्रेनिंग समय से दोस्त हैं.... और जितना मैं तुझे जानता था.... तु कभी इतना कमज़ोर तो नहीं था....
तापस- उम्र मेरे दोस्त उम्र... मैं और मेरी पत्नी जिसके लिए इतना कमाया वह हमारे जीवन से चला गया हमे बेसहारा कर.... अब घर और जीवन में हम पति पत्नी एक दुसरे के सहारा बने हुए हैं.... ना अब अपनी नौकरी खिंच पा रहा हूँ और ना ही प्रतिभा अपनी वकालत नामा....
खान - समझ सकता हूँ यार... सॉरी अगर दिल दुखा तो...
तापस - छोड़ यार.... अच्छा क्यूँ न तु एक राउंड ले ले मैं तब तक चार्ज हैंड ओवर फाइल तैयार कर लेता हूँ...
खान - (हंसते हुए) तुझे चार्ज हैंड ओवर करने की जल्दी पड़ी है...
तापस - अरे यार आज मैं जल्दी घर जाना चाहता हूँ.... इतने वर्षो बाद मुझे लगना चाहिए कि घर जैल सुपरिटेंडेंट नहीं जैल से छूट कर तापस सेनापति जा रहा है....
दोनों साथ हंसते हैं l तापस बेल बजता है तो उसका अर्दली आता है l तापस उसे कहता है - तुम्हारे नए साहब को राउंड पर ले जाओ....
खान - अच्छा मैं राउंड से आता हूँ..... फ़िर बात करते हैं....
खान और अर्दली बाहर निकल जाते हैं और तापस फाइल बनाने में लग जाता है l
उधर कॉलेज की कैन्टीन में नंदिता अपनी कुछ दोस्तों के साथ बैठी थी l अब उसके सिर्फ बनानी ही नहीं बल्कि और तीन दोस्त बन चुके हैं l सारे के सारे कैन्टीन में मजे से बात कर रहे हैं l कैन्टीन में जितने भी लड़के थे सब बड़ी आशा भरी नजर से नंदिता को देख रहे हैं कि कास इस हसीना की नजरें इनायत हो जाए l तभी वीर कैन्टीन आता है जिसे देख कर जितने भी स्टूडेंट्स थे सभी धीरे धीरे खिसक गए, नंदिता के दोस्त भी l वीर आकर सीधे नंदिता के सामने बैठता है और पूछता है - कहिए राज कुमारी जी पढ़ाई कैसी चल रही है l
नंदिता - अच्छी चल रही है...
वीर - ह्म्म्म्म कुछ दोस्त बनालिए हैं तुमने l
नंदिता - सिर्फ़ चार दोस्त वह भी मैंने बनाएं हैं l वरना मुझसे दोस्ती कोई कर ही नहीं रहा है यहां पर l
वीर - हाँ तो दोस्त बनाने की जरूरत ही क्या है...आप अपनी पढ़ाई एंजॉय करो...
नंदिता - सुबह नौ बजे से दो पहर तीन बजे तक अकेले.... छह घंटे तक अकेले किसी से बात ना करूँ सिर्फ लेक्चर सुनूँ या लाइब्रेरी में बैठूं...
वीर - अच्छा चलो ठीक है... पर दोस्ती इतनी रखो की तुम्हें कोई अपने घर ना बुलाए....
नंदिता - जी...
वीर - ह्म्म्म्म अच्छा कोई लड़का तुमसे दोस्ती नहीं की है अब तक....
नंदिता - किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि कोई मुझसे दोस्ती करे... बात करने से ही कन्नी काट कर निकल जाते हैं...
वीर - (अपनी भौवें उठा कर) क्यूँ तुम्हें लड़कों से बात करने की क्यूँ जरूरत पड़ रही है....
नंदिता - जरूरत.... कैन्टीन में, लाइब्रेरी में या क्लास में किसी को अगर साइड देने को कहते ही ऐसे गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सिंग...
वीर - हा हा हा हा... अच्छी बात है... अच्छा मैं चलता हूँ... कोई तकलीफ़ हो तो मुझे फोन कर देना...
इतना कह कर वीर चला जाता है l वैसे कॉलेज में सबको यह मालुम था कि यह लड़की ज़रूर खास है जिसे विक्रम सिंह क्षेत्रपाल व वीर सिंह क्षेत्रपाल छोड़ने आए थे l बहुतों ने कोशिस की पता लगाने की पर क्यूंकि नंदिता ने प्रिन्सिपल के ज़रिए सेट कर दिया था इसलिए किसको ज्यादा कुछ पता लगा नहीं l वीर के जाने के बाद भी जब कैन्टीन में कोई नहीं आया तो नंदिता बिल दे कर क्लास की और निकल पड़ी l
उधर जैल के अंदर खान अर्दली के साथ राउंड ले रहा था l सारे बैरक घुम लेने के बाद स्किल डेवलपमेंट वर्क शॉप पहुंचा जहां सरकार द्वारा कैदी सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत क़ैदियों को काम सिखाया जाता है l खान ने देखा एक कैदी कुछ क़ैदियों को कारपेंटरी के बारे में सीखा रहा है l
खान - यह कौन है.. जगन..
अर्दली उर्फ़ जगन - साहब यह विश्वा है...
खान - कितने सालों से है...
जगन - सात सालों से... और दो महीने बाद रिहाई है उसकी...
खान - कैदी सुधार कार्यक्रम को बड़े अच्छे से निभा रहा है....
जगन - सर यह बहुत ही अच्छा आदमी है....
खान - क्या बात है... एक कैदी की इतनी तारीफ....
जगन - वैसी बात नहीं है सर... मैंने तो सच ही कहा है...
खान - अच्छा यह बताओ अर्दली को घर में होना चाहिए तुम यहाँ क्या कर रहे हो
जगन - वह सर उनके बेटे के देहांत के बाद सेनापति सर क्वार्टर में दो ही कमरे इस्तमाल करते हैं... उन्होंने कहा कि मैं उनके कुछ काम सिर्फ ऑफिस मैं ही कर दिआ करूँ......
खान - ह्म्म्म्म वैसे तुम्हारी नौकरी यहाँ पर कैसे लगी
जगन - मेरे पिता हेल्पर कांस्टेबल थे ड्यूटी के दौरान उनकी देहांत हुई तो कंपेसेसन के तहत सेनापति सर ने ही मुझे यहाँ लगवा दिया था और मुझसे कहा भी था के जाने से पहले मुझे हेल्पर कांस्टेबल बना कर ही जायेंगे....
खान - अगर सेनापति ने कहा है तो वह जरूर तुम्हारे लिए जरूर करेगा.... वैसे विश्वा की और क्या खासियत है....
जगन - सर विश्वा ने इसी जैल में रहकर अपना ग्रैजुएशन खतम किया और अपनी वकालत भी जैल में रहकर पुरी की है...
खान - क्या.... ह्म्म्म्म... इंट्रेस्टिंग... जैल में रह कर वकालत किया है...
जगन - अब क्या बताऊँ सर बस आदमी बहुत अच्छा है और सबकी मदत को हमेशा तैयार रहता है...
खान - इतना ही अच्छा है तो यहाँ चक्की पीसने आया क्यूँ... ह्म्म्म्म
जगन - किस्मत साहब किस्मत
खान - क्या मतलब है तुम्हारा....
जगन - सर अच्छे बर्ताव के लिए विश्वा का नाम सिफारिश किया जाने वाला था... जब विश्वा को मालुम हुआ तो सेनापति सर को ऐसा करने से मना कर दिया... सेनापति सर ने वज़ह पुछा तो विश्वा ने कहा कि उसे कानून से इंसाफ़ चाहिए ना रहम ना एहसान या हमदर्दी...
खान - ओह.... ह्म्म्म्म... अच्छा यह बताओ के यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ जगन - एक बार सर जी के घर गया था तो उन्हें मैडम जी से कहते सुना था....
खान - अच्छा आपके सेनापति सर वक्त से पहले रिटायर्मेंट क्यूँ ले रहे हैं....
जगन -पता नहीं पर मुझे लगता है उसकी वजह भी विश्वा है सर....
खान का मुहँ खुला रह जाता है l जैसे जगन ने कोई बम फोड़ दिया हो l
खान - क.. का... क्या.....
जगन - जी सर विश्वा चूँकि दो महीने बाद जैल से छुट रहा है.... तो प्लान करके सेनापति सर रिटायर्मेंट ले रहे हैं... ऐसा मुझे लगता है..
खान - क्यूँ... मेरा मतलब.. आख़िर क्यूँ... विश्वा से क्या संबंध...
जगन - सेनापति सर बेवजह उससे लगाव नहीं रखे हैं...
खान सवालिया नजरों से देखता है
जगन - विश्वा ने जैल में एक बड़ा कांड होने से पहले सेनापति सर को आगाह किया था और फ़िर जब उससे भी बड़ा कांड हुआ तब सेनापति सर ही नहीं बहुत से पुलिस वालों की जान भी बचाया था... इसलिए विश्वा से उनका बहुत लगाव भी है और जुड़ाव भी...
खान आपनी आँखे सिकुड़ कर जगन को ऐसे देख रहा था, जैसे जगन कोई झूठ बोल रहा हो, पर जगन बिना कोई शिकन चेहरे पर लाए कहने लगा
जगन - सर आप जान कर हैरान रह जाएंगे विश्वा को सजा कराने वाली कोई और नहीं... बल्कि सेनापति सर की पत्नी ही थीं.. जिन्होंने विश्वा के खिलाफ़ मुकद्दमा लड़ा और उसे सजा दिलाई...
खान - अरे रुको यार... झटके पर झटके दिए जा रहे हो... एक दिन में इतना सब कुछ हज़म नहीं हो सकता है भाई...
चलो पहले सेनापति को रिलीव करते हैं...
फिर दोनों ऑफिस के तरफ चल पड़ते हैं l
उधर कॉलेज कैन्टीन में रॉकी आ पहुंचता है देखता है कैन्टीन पूरा खाली पड़ा है l तो वह वहाँ के एक वेटर से पूछता है - क्यूँ रे गोलू.. यह कैन्टीन ऐसे खाली खाली क्यूँ लग रहा है... अपना कोई बंदा भी नहीं दिख रहा है....
गोलू - रॉकी भाई... वह प्रेसिडेंट वीर सिंह जी आए थे... इसलिए सभी उठ कर चले गए..
रॉकी - अच्छा... वह क्यूँ आया था यहाँ...
गोलू - क्या पता क्यूँ आया था... वह बस उस नए लड़की से बात कर रहा था... एक बात बोलूँ भाई... वीर सिंह से बात करते सबकी फटती है.. पर क्या लड़की थी वह वीर सिंह के आंखों में आंखें डाल कर बात कर रही थी....
रॉकी - ह्म्म्म्म...
गोलू - मेरे को तो लगता है.... कि वह जरूर वीर सिंह की कोई आइटम होगी....
रॉकी - अबे मुहँ सम्भाल अपना... वीर सिंह की पहचान की है वह.... वीर उसे अपना बहन मानता है... समझा और हाँ यह राज अपने अंदर ही रख किसीको बोला... तो वीर सिंह तुझे बीच से फाड़ देगा...
गोलू अपना हाथ अपने मुहँ पर ले कर चुप रहने के लिए अपना सर हिलाता है l
रॉकी - कैन्टीन से बाहर आ कर सब दोस्तों को फोन पर कॉन्फ्रेंसिंग में लेकर कहता है - मेरे चड्डी बड्डी कमीनों... आज शाम हमारे होटल में मेरी प्राइवेट शूट में तुम सालों के लिए पार्टी है.. आ जाना....मिशन नंदिनी को ऑपरेट करना है...
इतना कह कर अपना फोन जेब में रखता है और अपनी गाड़ी से बाहर निकल जाता है l उधर जैसे ही क्लास में नंदिनी आती है सारे स्टूडेंट्स एक दम से चुप हो जाते हैं l नंदिनी देखती है बनानी के आखों में भी डर है l नंदिनी चुप चाप अपनी सीट पर बैठ जाती है l थोड़ी देर बाद एक लेक्चरर आता है और पढ़ाना शुरू करता है l नंदिनी इस बार देखती है कि लेक्चरर भी नजरें मिलने से कतरा रहा है l किसी तरह क्लास खतम होता है तो लेक्चरर के साथ सारे स्टूडेंट्स जल्दी जल्दी क्लास रूम से निकल जाते हैं l क्लास में नंदिनी अकेली बैठी हुई है, उसे बुरा भी लग रहा है, वह सर उठाकर अपनी चारों और देखती है और कुछ सोच में डुब जाती है, उधर रॉकी आज रात की पार्टी में अपने दोस्तों के साथ मिशन नंदिनी को कैसे आगे बढाए उस प्लान के बारे में सोच रहा है और जैल से तापस जा चुका है और उसकी कुर्सी पर अब खान बैठा हुआ है l चार्ज हैंड ओवर के बाद तापस तुरंत निकल गया l अब जगन ने खान के मन में क्युरोसिटी जगा दिया था कि सेनापति को एक कैदी से इतना जुड़ाव हो गया है कि उसकी रिहाई के चलते सेनापति अपनी नौकरी से VRS ले लिया है, और उसी कैदी को सज़ा भी सेनापति की बीवी ने करवाया था l
खान - या आल्हा पता लगाना पड़ेगा माजरा क्या है....
यह कह कर अपनी सोच में गुम हो जाता है
 
Last edited:

Jaguaar

Prime
17,679
60,240
244
👉पांचवां अपडेट
------------------
एक आलीशान बंगलों में एक बड़ी सी गाड़ी आती है l एक आदमी शूट बूट पहने उतरता है l वह उस बंगले में लगे नाम का फलक देखता है जिसमें लिखा है *THE HELL" वह आदमी एक गहरी सांस छोड़ता है और वहाँ खड़े एक गार्ड से पूछता है - युवराज विक्रम सिंह क्षेत्रपाल जी हैं....
गार्ड - हाँ हैँ अपने जीम में व्यस्त हैं....
आदमी - जीम कहाँ पर है....
गार्ड हाथ उठाकर एक तरफ दिखाता है l वह आदमी तेजी से जीम के तरफ भागता हुआ जाता है l
जैसे ही वह जीम के भीतर आता है तो देखता है विक्रम सिंह एक पंच बैग पर किक बॉक्सिंग प्रेक्टिस कर रहा है l पास एक कुर्सी पर वीर बैठकर जूस पी रहा है l और कुछ दूर दस से बारह गार्ड्स खड़े हुए हैं l
उस आदमी को देखते ही वीर - अरे क्या बात है.... कंस्ट्रक्शन किंग्स KK... यहाँ कैसे आना हुआ....
KK - वह युवराज जी से काम है...
विक्रम - क्या काम है....
KK- वह कुछ दिन हुए हैं... एक गुंडा मुझे.... परेशान कर रहा है...
विक्रम - क्या कर रहा है...?
KK- रेत की ख़ुदाई की टेंडर इस बार ना डालने के लिए दबाव बना रहा था.... मैंने सोचा कि मैं उससे निपट लूँगा... पर लगता है वह किसी की संरक्षण में ऐसा कर रहा है... क्यूंकि अब NH Bybass टेंडर भी ना डालने को बोल रहा है...
मैंने उसे आपके बारे में आगाह किया था... पर उसने उल्टा आपको देख लेने की....
इतना ही कहा था KK विक्रम के पंच व किकस में तेजी और ताकत बढ़ गया l
विक्रम - और कुछ....
KK - हाँ अगर मैंने इसबार टेंडर की प्रक्रिया में हिस्सा लिया तो वह मेरी बेटी को उठा लेगा... ऐसा बोला...
विक्रम - तुम क्या चाहते हो...
KK - मैं तो आपका सेवक हूँ... मैं क्या चाह सकता हूँ...(दोनों हाथ जोड़ कर) मेरी बिजनैस आपकी कृपा छाया में फल फुल रहा है.... मैं जानता हूँ यह सब आइकॉन ग्रुप्स वालों की है जो ओड़िशा में आपके पैरालल ताकत बनने की कोशिश में हैं...
विक्रम अब अपनी पुरी ताकत से पंच मारता है l अब वह गार्ड्स से टवेल ले कर अपना चेहरा साफ करता है और पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और KK को पूछता है - भोषड़ी के मैंने पूछा तू क्या चाहता है...
KK - थूक निगल कर युवराज जी आप मुझे इस मुसीबत से निकाल दीजिए...... बदले में आप मुझसे कुछ भी मांग लीजिए...
विक्रम गुस्से से कुर्सी से उठता है और KK को अपने हाथ से एक धक्का लगाता है, पास पड़े एक बड़े से आर्म चेयर में KK गिरता है l विक्रम अपना दाहिना पैर उठा का सीधे KK के टट्टों पर रख देता है l KK की आंखें दर्द से बड़ी हो जाती हैं l
विक्रम - पहली बात जो पूछा जाए उसका जबाव दे..... (KK के टट्टों पर दबाव और बढ़ाता है, KK चिल्ला नहीं रहा है,पर असहनीय दर्द चेहरे पर झलकता है) भोषड़ी के हम क्षेत्रपाल हैं.... जिस क्षेत्र में पाँव रख दें वह क्षेत्र हमारा हो जाता है....... हम पैसों के लिए नहीं अपनी अहंकार के लिए जीते हैं... और हम इसके बदले सरकार व लोगों से टैक्स लेते हैं...... (गोटियों पर दबाव बढ़ाते हुए) हमारा हाथ कभी आसमान नहीं देखता है.... हमारा हाथ हमेशा ज़मीन की और देखता है....

हम किसीसे मांगते नहीं है..... हम या तो दे देते हैं या फिर छीन लेते हैं.....
साले दो टके का इंसान मुझे मांगने को बोल रहा है....

KK - (दर्द से कराहते हुए) गलती हो गई युवराज..... माफ़ कर दीजिए.....
विक्रम अपना पैर उठा देता है और पास खड़े एक गार्ड को - ऐ जूस पीला रे इसको....
गार्ड तुरंत KK को जूस बढ़ाता है पर KK मना कर देता है l हाथ जोड़ कर विक्रम को देखता है l विक्रम पूछता है - क्या नाम था उस गुंडे का....
KK- सुरा....

विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड भागते हुए पंच बैग तक जाता है और पंच बैग का जिप खोल देता है l KK की आँखे हैरानी से चौड़ी हो जाती है l पंच बैग के अंदर एक अधमरा आदमी गिरता है l
KK- ये... य... यह तो सुरा है....
वीर - हाँ तो.... तू क्षेत्रपाल के राज में क्षेत्रपाल के शरण में है... बच्चा तुझ पर कैसे कोई आपदा आ सकती है...
क्यूँकी क्षेत्रपाल के भक्तों के लिए युवराज सदैव आपदा प्रबंधन का भार सम्भाले हुए रहते हैं....
KK - मुझे माफ कर दीजिए... थोड़ा डर गया था...
विक्रम - लोग डर के मारे औकात भूल जाते हैं यह पहली बार देखा....
KK - सॉरी अब आप हुकुम कीजिए....

वीर - हाँ तो बारंग और आठगड़ रोड पर तेरा जो एकाम्र रिसॉर्ट है वह राजा साहब भैरव सिंह क्षेत्रपाल के नाम कर दे.....
KK - पर वह तो दो सौ करोड़ की है...
विक्रम उसे घूरता है
KK - ठीक है ठीक है मैं उसका कागजात बनवा देता हूँ...
अंदर उसी समय आते हुए पिनाक - और बहुत जल्द करना.... राजा साहब दो तीन दिन में भुवनेश्वर आने वाले हैं....
KK पिनाक को देखते ही सर झुका कर नमस्कार करता है और सबसे इजाज़त लेकर वहाँ से निकल जाता है....
विक्रम - कहिए छोटे राजा जी... कैसे आना हुआ
पिनाक - यह याद है ना रंग महल खाली रहे यह राजा साहब को पसंद नहीं
विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड एक फाइल को लाकर विक्रम के हाथ में देता है l विक्रम वह फाइल पिनाक के हाथ में देता है l पिनाक वह फाइल हाथ ले कर खोलता है तो उस में एक खूबसूरत लड़की की फोटो दिखती है l

पिनाक - यह कौन है.... यह इस सुरा की महबूबा है.... एक बी ग्रेड की मॉडल और म्यूजिक वीडियोज़ में कमर हिलाती है...
पिनाक - अच्छी है... चलो राजा साहब खुश हो जाएं बस..
वीर - (गार्ड्स को इशारा कर कहता है) अरे इसको देखो यह जिंदा है या नहीं...
गार्ड्स उसे चेक कर कहते हैं जिंदा है पर हालत बहुत खराब है.
विक्रम - इसे और इसकी महबूबा दोनों को राजगड़ पार्सल कर दो...
कुछ गार्ड्स सुरा को स्ट्रैचर पर डाल कर ले जाते हैं l उनके जाते ही एक गार्ड अंदर आकर वीर के कान कुछ कहता है l
वीर - (उस गार्ड को कहता है) जाओ बुलाओ उसे....
गार्ड बाहर जा कर एक लड़के को लेकर वापस आता है l वीर उसे एक चिट्ठी दे कर कहता है - जाओ ESS ऑफिस जाओ वहाँ पर तुम्हें भर्ती कर लेंगे...

वह लड़का यह सुन कर वीर के पैरों में गिर जाता है l वीर उसे दिलासा दे कर गार्ड के साथ भेज देता है l विक्रम और पिनाक उसे सवालिया दृष्टि से देखते हैं तो वह कहता है
वीर - वह हमारी पार्टी का एक कार्यकर्ता का बेटा है.... बिचारा अनाथ हो गया उसकी एक विधवा माँ है और एक छोटी बहन है.... इसलिए मैंने उसे नौकरी में लगा दिआ....

पिनाक - सच सच बोलो राज कुमार आपको किसी का डर है क्या...
वीर - क्या बात कर रहे हैं... मुझे किसका दर वह तो एक कार्यकर्ता था दिन रात पार्टी के सेवा में लगा हुआ था एक दिन अपना घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी बीवी मेरे साथ लगी हुई थी l बेचारा मुझे बहुत गाली दिआ... मुझे उसका दुख देखा नहीं गया..... तब उसने अपने आपको फांसी लगा ली... मेरा मतलब है कि मैंने उसके दुख को महसुस कर उसे पंखे से टांग कर मुक्ति दे दी...
पिनाक - ह्म्म्म्म मतलब उसकी बीवी बहुत कड़क है क्या....
वीर - मैं आपकी स्टेनो, सेक्रेटरी के बारे में कभी नहीं पूछा है....
पिनाक - वह पर्सनल है....
वीर - यह भी पर्सनल है और वह कोई रंग महल की नहीं.....
विक्रम - ठीक है... अब बहस बंद कीजिए....
दोनों चुप हो जाते हैं, फिर पिनाक कहता है - अच्छा मैं जाता हूँ पार्टी के काम से l

इतना कह कर पिनाक निकल जाता है और दोनों भाई घर के भीतर चले जाते हैं, और ड्रॉइंग रूम में आकर कुछ बात कर रहे होते हैं कि कॉलेज से नंदिनी घर के अंदर पहुंचती है तो पाती है ड्रॉइंग हॉल में विक्रम वीर के साथ बैठ कर कुछ डिस्कस कर रहा है l नंदिनी को देखते ही - कैसा रहा आज का पहला दिन...
नंदिनी - बहुत ही अच्छा... जैसा सोचा था उससे कहीं बेहतर...
वीर - अच्छा कोई दोस्त वोस्त बनाए की नहीं....?
नंदिनी उन दोनों को गौर से देखती है और फिर कहती है - क्षेत्रपाल परिवार से दोस्ती कौन कर सकता है युवराज जी.... सब हम से ऐसी दूरी बना रहे हैं जैसे समाज में लोग अछूतों से रखता है....
वीर - बहुत बढ़ीआ यह लोग बहुत छोटे व ओछे होते हैं... तभी तो प्रिन्सिपल से कहा कि आपका परिचय सिर्फ़ स्टूडेंट्स तक ही नहीं बल्कि सभी लेक्चरर को भी दे देने के लिए....
ताकि कोई अपना औकात ना भूले...
नंदिनी - जी राजकुमार जी... क्या अब मैं अंदर जाऊँ....
वीर - हाँ हाँ जाइए.... और पढ़ाई में ध्यान दे या ना दें आप पास तो आप हो ही जाएंगी... बस अपना एटिट्यूड बनाएं रखें....
नंदिनी - जी जरूर...
इतना कह कर नंदिनी घर के अंदर चली जाती है l
विक्रम - तुम्हें क्या लगता है राजकुमार... नंदिनी सच कह रही है..
वीर - वह झूठ क्यूँ बोलेगी... वैसे भी मैंने सुबह प्रिन्सिपल को अच्छे से समझा दिया है.....
विक्रम - हाँ वह तो है... फिर भी अपनी तसल्ली के लिए हर दस पंद्रह दिन में एक बार कॉलेज का चक्कर लगाते रहना...
वीर - जी युवराज...
नंदिनी शुभ्रा के रूम में आती है l शुभ्रा विस्तर पर बैठ कर कोई मैगाजिन पढ़ रही थी l शुभ्रा को देख कर खुशी से झूमती हुई नाचते हुए शुभ्रा के पास आती है
नंदिनी - आ हा आह भाभी क्या बताऊँ आज कॉलेज में कितना मजा आया...
शुभ्रा - वह तो तुझे देखते ही पता चल गया है.... अच्छा बता आज कॉलेज में क्या क्या हुआ...
नंदिनी आज कॉलेज में क्या क्या हुआ सब बता देती है l सब सुनने के बाद शुभ्रा - यह रॉकी कुछ ज्यादा ही तेज है
नंदिनी - हाँ अपनी गाड़ी बिना ब्रेक के दौड़ा रहा है...

शुभ्रा- नंदिनी के चेहरे को गौर से देखती है जैसे खुशी के मारे एक तेज नुर झलक रही थी l उसके गालों को हाथों में ले कर कहती है - रुप कितनी खुश है तु... पर ध्यान रखना अपना..... पहली बार तु सही मायनों में घर से बाहर निकली है.... बाहर की दुनिया जितनी अच्छी दिखती या लगती है... उतनी ही छलावे होती हैं....
नंदिनी - भाभी मैंने रुप बन कर जितना देखा देख लीआ.... आज नंदिनी बन कर देखा जिंदगी में रुप ने कितना कुछ खोया है...जितना नंदिनी ने एक दिन में पाया है..... और रही दुनिया की बात तो वह मुझे तोल ने दीजिए... और आप तो मेरे साथ हो ना मेरी सबसे अच्छी सहेली....
यह सुन कर शुभ्रा उसे गले से लगा लेती है l
इसी तरह पंद्रह दिन ऐसे ही गुजर जाते हैं l
जैल के ऑफिस में तापस अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ है तभी एक संत्री एक लेटर ला कर देता है l लेटर पढ़ते ही संत्री को कहता है - अरे जाओ उन्हें अंदर लाओ... कलसे तुम लोगों को उन्ही की ड्यूटी बजानी है...
संत्री तापस को सैल्यूट कर बाहर निकल जाता है और एक पचास वर्षीय आदमी के साथ अंदर आता है l
तापस उस आदमी को देख कर बहुत खुश होता है और उसे सैल्यूट करता है बदले में वह आदमी भी उसे सैल्यूट करता है और कहता है - जान निसार खान रिपोर्टिंग सर...
फ़िर सैल्यूट तोड़ कर दोनों एक दूसरे के गले मिलते हैं l
तापस-क्या बात है खान बहुत दिनों बाद मिले... कैसे हो मेरे दोस्त... आओ बैठो यार...

खान - हाँ बहुत दिनों बाद मिले तो है (बैठते हुए) पर यह क्या.... (हैरानी से) तुम अभी से VRS ले रहे हो...
तापस - अरे यार अब नौकरी में रह कर क्या करूंगा l पुस्तैनी घर और जमीन को कब तक किसी और के भरोसे देख भाल में छोड़ सकते हैं l
खान - क्या यार मुझसे भी छुपा रहा है... हाँ बताना नहीं चाहता तो बात अलग है....
तापस - देख... हम पति पत्नी बहुत कमाया है पर हमारी कमाई खाने वाला कोई है ही नहीं.....मैं इसलिए उब गया हूँ नौकरी बजाते बजाते... मुझसे अब आगे हो नहीं पाएगा दोस्त....
खान - यार सेनापति हम पुलिस ट्रेनिंग समय से दोस्त हैं.... और जितना मैं तुझे जानता था.... तु कभी इतना कमज़ोर तो नहीं था....
तापस- उम्र मेरे दोस्त उम्र... मैं और मेरी पत्नी जिसके लिए इतना कमाया वह हमारे जीवन से चला गया हमे बेसहारा कर.... अब घर और जीवन में हम पति पत्नी एक दुसरे के सहारा बने हुए हैं.... ना अब अपनी नौकरी खिंच पा रहा हूँ और ना ही प्रतिभा अपनी वकालत नामा....
खान - समझ सकता हूँ यार... सॉरी अगर दिल दुखा तो...
तापस - छोड़ यार.... अच्छा क्यूँ न तु एक राउंड ले ले मैं तब तक चार्ज हैंड ओवर फाइल तैयार कर लेता हूँ...
खान - (हंसते हुए) तुझे चार्ज हैंड ओवर करने की जल्दी पड़ी है...
तापस - अरे यार आज मैं जल्दी घर जाना चाहता हूँ.... इतने वर्षो बाद मुझे लगना चाहिए कि घर जैल सुपरिटेंडेंट नहीं जैल से छूट कर तापस सेनापति जा रहा है....
दोनों साथ हंसते हैं l तापस बेल बजता है तो उसका अर्दली आता है l तापस उसे कहता है - तुम्हारे नए साहब को राउंड पर ले जाओ....
खान - अच्छा मैं राउंड से आता हूँ..... फ़िर बात करते हैं....
खान और अर्दली बाहर निकल जाते हैं और तापस फाइल बनाने में लग जाता है l
उधर कॉलेज की कैन्टीन में नंदिता अपनी कुछ दोस्तों के साथ बैठी थी l अब उसके सिर्फ बनानी ही नहीं बल्कि और तीन दोस्त बन चुके हैं l सारे के सारे कैन्टीन में मजे से बात कर रहे हैं l कैन्टीन में जितने भी लड़के थे सब बड़ी आशा भरी नजर से नंदिता को देख रहे हैं कि कास इस हसीना की नजरें इनायत हो जाए l तभी वीर कैन्टीन आता है जिसे देख कर जितने भी स्टूडेंट्स थे सभी धीरे धीरे खिसक गए, नंदिता के दोस्त भी l वीर आकर सीधे नंदिता के सामने बैठता है और पूछता है - कहिए राज कुमारी जी पढ़ाई कैसी चल रही है l
नंदिता - अच्छी चल रही है...
वीर - ह्म्म्म्म कुछ दोस्त बनालिए हैं तुमने l
नंदिता - सिर्फ़ चार दोस्त वह भी मैंने बनाएं हैं l वरना मुझसे दोस्ती कोई कर ही नहीं रहा है यहां पर l
वीर - हाँ तो दोस्त बनाने की जरूरत ही क्या है...आप अपनी पढ़ाई एंजॉय करो...
नंदिता - सुबह नौ बजे से दो पहर तीन बजे तक अकेले.... छह घंटे तक अकेले किसी से बात ना करूँ सिर्फ लेक्चर सुनूँ या लाइब्रेरी में बैठूं...
वीर - अच्छा चलो ठीक है... पर दोस्ती इतनी रखो की तुम्हें कोई अपने घर ना बुलाए....
नंदिता - जी...
वीर - ह्म्म्म्म अच्छा कोई लड़का तुमसे दोस्ती नहीं की है अब तक....
नंदिता - किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि कोई मुझसे दोस्ती करे... बात करने से ही कन्नी काट कर निकल जाते हैं...
वीर - (अपनी भौवें उठा कर) क्यूँ तुम्हें लड़कों से बात करने की क्यूँ जरूरत पड़ रही है....
नंदिता - जरूरत.... कैन्टीन में, लाइब्रेरी में या क्लास में किसी को अगर साइड देने को कहते ही ऐसे गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सिंग...
वीर - हा हा हा हा... अच्छी बात है... अच्छा मैं चलता हूँ... कोई तकलीफ़ हो तो मुझे फोन कर देना...
इतना कह कर वीर चला जाता है l वैसे कॉलेज में सबको यह मालुम था कि यह लड़की ज़रूर खास है जिसे विक्रम सिंह क्षेत्रपाल व वीर सिंह क्षेत्रपाल छोड़ने आए थे l बहुतों ने कोशिस की पता लगाने की पर क्यूंकि नंदिता ने प्रिन्सिपल के ज़रिए सेट कर दिया था इसलिए किसको ज्यादा कुछ पता लगा नहीं l वीर के जाने के बाद भी जब कैन्टीन में कोई नहीं आया तो नंदिता बिल दे कर क्लास की और निकल पड़ी l
उधर जैल के अंदर खान अर्दली के साथ राउंड ले रहा था l सारे बैरक घुम लेने के बाद स्किल डेवलपमेंट वर्क शॉप पहुंचा जहां सरकार द्वारा कैदी सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत क़ैदियों को काम सिखाया जाता है l खान ने देखा एक कैदी कुछ क़ैदियों को कारपेंटरी के बारे में सीखा रहा है l
खान - यह कौन है.. जगन..
अर्दली उर्फ़ जगन - साहब यह विश्वा है...
खान - कितने सालों से है...
जगन - सात सालों से... और दो महीने बाद रिहाई है उसकी...
खान - कैदी सुधार कार्यक्रम को बड़े अच्छे से निभा रहा है....
जगन - सर यह बहुत ही अच्छा आदमी है....
खान - क्या बात है... एक कैदी की इतनी तारीफ....
जगन - वैसी बात नहीं है सर... मैंने तो सच ही कहा है...
खान - अच्छा यह बताओ अर्दली को घर में होना चाहिए तुम यहाँ क्या कर रहे हो
जगन - वह सर उनके बेटे के देहांत के बाद सेनापति सर क्वार्टर में दो ही कमरे इस्तमाल करते हैं... उन्होंने कहा कि मैं उनके कुछ काम सिर्फ ऑफिस मैं ही कर दिआ करूँ......
खान - ह्म्म्म्म वैसे तुम्हारी नौकरी यहाँ पर कैसे लगी
जगन - मेरे पिता हेल्पर कांस्टेबल थे ड्यूटी के दौरान उनकी देहांत हुई तो कंपेसेसन के तहत सेनापति सर ने ही मुझे यहाँ लगवा दिया था और मुझसे कहा भी था के जाने से पहले मुझे हेल्पर कांस्टेबल बना कर ही जायेंगे....
खान - अगर सेनापति ने कहा है तो वह जरूर तुम्हारे लिए जरूर करेगा.... वैसे विश्वा की और क्या खासियत है....
जगन - सर विश्वा ने इसी जैल में रहकर अपना ग्रैजुएशन खतम किया और अपनी वकालत भी जैल में रहकर पुरी की है...
खान - क्या.... ह्म्म्म्म... इंट्रेस्टिंग... जैल में रह कर वकालत किया है...
जगन - अब क्या बताऊँ सर बस आदमी बहुत अच्छा है और सबकी मदत को हमेशा तैयार रहता है...
खान - इतना ही अच्छा है तो यहाँ चक्की पीसने आया क्यूँ... ह्म्म्म्म
जगन - किस्मत साहब किस्मत
खान - क्या मतलब है तुम्हारा....
जगन - सर अच्छे बर्ताव के लिए विश्वा का नाम सिफारिश किया जाने वाला था... जब विश्वा को मालुम हुआ तो सेनापति सर को ऐसा करने से मना कर दिया... सेनापति सर ने वज़ह पुछा तो विश्वा ने कहा कि उसे कानून से इंसाफ़ चाहिए ना रहम ना एहसान या हमदर्दी...
खान - ओह.... ह्म्म्म्म... अच्छा यह बताओ के यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ जगन - एक बार सर जी के घर गया था तो उन्हें मैडम जी से कहते सुना था....
खान - अच्छा आपके सेनापति सर वक्त से पहले रिटायर्मेंट क्यूँ ले रहे हैं....
जगन -पता नहीं पर मुझे लगता है उसकी वजह भी विश्वा है सर....
खान का मुहँ खुला रह जाता है l जैसे जगन ने कोई बम फोड़ दिया हो l
खान - क.. का... क्या.....
जगन - जी सर विश्वा चूँकि दो महीने बाद जैल से छुट रहा है.... तो प्लान करके सेनापति सर रिटायर्मेंट ले रहे हैं... ऐसा मुझे लगता है..
खान - क्यूँ... मेरा मतलब.. आख़िर क्यूँ... विश्वा से क्या संबंध...
जगन - सेनापति सर बेवजह उससे लगाव नहीं रखे हैं...
खान सवालिया नजरों से देखता है
जगन - विश्वा ने जैल में एक बड़ा कांड होने से पहले सेनापति सर को आगाह किया था और फ़िर जब उससे भी बड़ा कांड हुआ तब सेनापति सर ही नहीं बहुत से पुलिस वालों की जान भी बचाया था... इसलिए विश्वा से उनका बहुत लगाव भी है और जुड़ाव भी...
खान आपनी आँखे सिकुड़ कर जगन को ऐसे देख रहा था, जैसे जगन कोई झूठ बोल रहा हो, पर जगन बिना कोई शिकन चेहरे पर लाए कहने लगा
जगन - सर आप जान कर हैरान रह जाएंगे विश्वा को सजा कराने वाली कोई और नहीं... बल्कि सेनापति सर की पत्नी ही थीं.. जिन्होंने विश्वा के खिलाफ़ मुकद्दमा लड़ा और उसे सजा दिलाई...
खान - अरे रुको यार... झटके पर झटके दिए जा रहे हो... एक दिन में इतना सब कुछ हज़म नहीं हो सकता है भाई...
चलो पहले सेनापति को रिलीव करते हैं...
फिर दोनों ऑफिस के तरफ चल पड़ते हैं l
उधर कॉलेज कैन्टीन में रॉकी आ पहुंचता है देखता है कैन्टीन पूरा खाली पड़ा है l तो वह वहाँ के एक वेटर से पूछता है - क्यूँ रे गोलू.. यह कैन्टीन ऐसे खाली खाली क्यूँ लग रहा है... अपना कोई बंदा भी नहीं दिख रहा है....
गोलू - रॉकी भाई... वह प्रेसिडेंट वीर सिंह जी आए थे... इसलिए सभी उठ कर चले गए..
रॉकी - अच्छा... वह क्यूँ आया था यहाँ...
गोलू - क्या पता क्यूँ आया था... वह बस उस नए लड़की से बात कर रहा था... एक बात बोलूँ भाई... वीर सिंह से बात करते सबकी फटती है.. पर क्या लड़की थी वह वीर सिंह के आंखों में आंखें डाल कर बात कर रही थी....
रॉकी - ह्म्म्म्म...
गोलू - मेरे को तो लगता है.... कि वह जरूर वीर सिंह की कोई आइटम होगी....
रॉकी - अबे मुहँ सम्भाल अपना... वीर सिंह की पहचान की है वह.... वीर उसे अपना बहन मानता है... समझा और हाँ यह राज अपने अंदर ही रख किसीको बोला... तो वीर सिंह तुझे बीच से फाड़ देगा...
गोलू अपना हाथ अपने मुहँ पर ले कर चुप रहने के लिए अपना सर हिलाता है l
रॉकी - कैन्टीन से बाहर आ कर सब दोस्तों को फोन पर कॉन्फ्रेंसिंग में लेकर कहता है - मेरे चड्डी बड्डी कमीनों... आज शाम हमारे होटल में मेरी प्राइवेट शूट में तुम सालों के लिए पार्टी है.. आ जाना....मिशन नंदिनी को ऑपरेट करना है...
इतना कह कर अपना फोन जेब में रखता है और अपनी गाड़ी से बाहर निकल जाता है l उधर जैसे ही क्लास में नंदिनी आती है सारे स्टूडेंट्स एक दम से चुप हो जाते हैं l नंदिता देखती है बनानी के आखों में भी डर है l नंदिता चुप चाप अपनी सीट पर बैठ जाती है l थोड़ी देर बाद एक लेक्चरर आता है और पढ़ाना शुरू करता है l नंदिता इस बार देखती है कि लेक्चरर भी नजरें मिलने से कतरा रहा है l किसी तरह क्लास खतम होता है तो लेक्चरर के साथ सारे स्टूडेंट्स जल्दी जल्दी क्लास रूम से निकल जाते हैं l क्लास में नंदिता अकेली बैठी हुई है, उसे बुरा भी लग रहा है, वह सर उठाकर अपनी चारों और देखती है और कुछ सोच में डुब जाती है, उधर रॉकी आज रात की पार्टी में अपने दोस्तों के साथ मिशन नंदिता को कैसे आगे बढाए उस प्लान के बारे में सोच रहा है और जैल से तापस जा चुका है और उसकी कुर्सी पर अब खान बैठा हुआ है l चार्ज हैंड ओवर के बाद तापस तुरंत निकल गया l अब जगन ने खान के मन में क्युरोसिटी जगा दिया था कि सेनापति को एक कैदी से इतना जुड़ाव हो गया है कि उसकी रिहाई के चलते सेनापति अपनी नौकरी से VRS ले लिया है, और उसी कैदी को सज़ा भी सेनापति की बीवी ने करवाया था l
खान - या आल्हा पता लगाना पड़ेगा माजरा क्या है....
यह कह कर अपनी सोच में गुम हो जाता है
Superbbb Updateee
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
23,341
49,630
259
👉पांचवां अपडेट
------------------
एक आलीशान बंगलों में एक बड़ी सी गाड़ी आती है l एक आदमी शूट बूट पहने उतरता है l वह उस बंगले में लगे नाम का फलक देखता है जिसमें लिखा है *THE HELL" वह आदमी एक गहरी सांस छोड़ता है और वहाँ खड़े एक गार्ड से पूछता है - युवराज विक्रम सिंह क्षेत्रपाल जी हैं....
गार्ड - हाँ हैँ अपने जीम में व्यस्त हैं....
आदमी - जीम कहाँ पर है....
गार्ड हाथ उठाकर एक तरफ दिखाता है l वह आदमी तेजी से जीम के तरफ भागता हुआ जाता है l
जैसे ही वह जीम के भीतर आता है तो देखता है विक्रम सिंह एक पंच बैग पर किक बॉक्सिंग प्रेक्टिस कर रहा है l पास एक कुर्सी पर वीर बैठकर जूस पी रहा है l और कुछ दूर दस से बारह गार्ड्स खड़े हुए हैं l
उस आदमी को देखते ही वीर - अरे क्या बात है.... कंस्ट्रक्शन किंग्स KK... यहाँ कैसे आना हुआ....
KK - वह युवराज जी से काम है...
विक्रम - क्या काम है....
KK- वह कुछ दिन हुए हैं... एक गुंडा मुझे.... परेशान कर रहा है...
विक्रम - क्या कर रहा है...?
KK- रेत की ख़ुदाई की टेंडर इस बार ना डालने के लिए दबाव बना रहा था.... मैंने सोचा कि मैं उससे निपट लूँगा... पर लगता है वह किसी की संरक्षण में ऐसा कर रहा है... क्यूंकि अब NH Bybass टेंडर भी ना डालने को बोल रहा है...
मैंने उसे आपके बारे में आगाह किया था... पर उसने उल्टा आपको देख लेने की....
इतना ही कहा था KK विक्रम के पंच व किकस में तेजी और ताकत बढ़ गया l
विक्रम - और कुछ....
KK - हाँ अगर मैंने इसबार टेंडर की प्रक्रिया में हिस्सा लिया तो वह मेरी बेटी को उठा लेगा... ऐसा बोला...
विक्रम - तुम क्या चाहते हो...
KK - मैं तो आपका सेवक हूँ... मैं क्या चाह सकता हूँ...(दोनों हाथ जोड़ कर) मेरी बिजनैस आपकी कृपा छाया में फल फुल रहा है.... मैं जानता हूँ यह सब आइकॉन ग्रुप्स वालों की है जो ओड़िशा में आपके पैरालल ताकत बनने की कोशिश में हैं...
विक्रम अब अपनी पुरी ताकत से पंच मारता है l अब वह गार्ड्स से टवेल ले कर अपना चेहरा साफ करता है और पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और KK को पूछता है - भोषड़ी के मैंने पूछा तू क्या चाहता है...
KK - थूक निगल कर युवराज जी आप मुझे इस मुसीबत से निकाल दीजिए...... बदले में आप मुझसे कुछ भी मांग लीजिए...
विक्रम गुस्से से कुर्सी से उठता है और KK को अपने हाथ से एक धक्का लगाता है, पास पड़े एक बड़े से आर्म चेयर में KK गिरता है l विक्रम अपना दाहिना पैर उठा का सीधे KK के टट्टों पर रख देता है l KK की आंखें दर्द से बड़ी हो जाती हैं l
विक्रम - पहली बात जो पूछा जाए उसका जबाव दे..... (KK के टट्टों पर दबाव और बढ़ाता है, KK चिल्ला नहीं रहा है,पर असहनीय दर्द चेहरे पर झलकता है) भोषड़ी के हम क्षेत्रपाल हैं.... जिस क्षेत्र में पाँव रख दें वह क्षेत्र हमारा हो जाता है....... हम पैसों के लिए नहीं अपनी अहंकार के लिए जीते हैं... और हम इसके बदले सरकार व लोगों से टैक्स लेते हैं...... (गोटियों पर दबाव बढ़ाते हुए) हमारा हाथ कभी आसमान नहीं देखता है.... हमारा हाथ हमेशा ज़मीन की और देखता है....

हम किसीसे मांगते नहीं है..... हम या तो दे देते हैं या फिर छीन लेते हैं.....
साले दो टके का इंसान मुझे मांगने को बोल रहा है....

KK - (दर्द से कराहते हुए) गलती हो गई युवराज..... माफ़ कर दीजिए.....
विक्रम अपना पैर उठा देता है और पास खड़े एक गार्ड को - ऐ जूस पीला रे इसको....
गार्ड तुरंत KK को जूस बढ़ाता है पर KK मना कर देता है l हाथ जोड़ कर विक्रम को देखता है l विक्रम पूछता है - क्या नाम था उस गुंडे का....
KK- सुरा....

विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड भागते हुए पंच बैग तक जाता है और पंच बैग का जिप खोल देता है l KK की आँखे हैरानी से चौड़ी हो जाती है l पंच बैग के अंदर एक अधमरा आदमी गिरता है l
KK- ये... य... यह तो सुरा है....
वीर - हाँ तो.... तू क्षेत्रपाल के राज में क्षेत्रपाल के शरण में है... बच्चा तुझ पर कैसे कोई आपदा आ सकती है...
क्यूँकी क्षेत्रपाल के भक्तों के लिए युवराज सदैव आपदा प्रबंधन का भार सम्भाले हुए रहते हैं....
KK - मुझे माफ कर दीजिए... थोड़ा डर गया था...
विक्रम - लोग डर के मारे औकात भूल जाते हैं यह पहली बार देखा....
KK - सॉरी अब आप हुकुम कीजिए....

वीर - हाँ तो बारंग और आठगड़ रोड पर तेरा जो एकाम्र रिसॉर्ट है वह राजा साहब भैरव सिंह क्षेत्रपाल के नाम कर दे.....
KK - पर वह तो दो सौ करोड़ की है...
विक्रम उसे घूरता है
KK - ठीक है ठीक है मैं उसका कागजात बनवा देता हूँ...
अंदर उसी समय आते हुए पिनाक - और बहुत जल्द करना.... राजा साहब दो तीन दिन में भुवनेश्वर आने वाले हैं....
KK पिनाक को देखते ही सर झुका कर नमस्कार करता है और सबसे इजाज़त लेकर वहाँ से निकल जाता है....
विक्रम - कहिए छोटे राजा जी... कैसे आना हुआ
पिनाक - यह याद है ना रंग महल खाली रहे यह राजा साहब को पसंद नहीं
विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड एक फाइल को लाकर विक्रम के हाथ में देता है l विक्रम वह फाइल पिनाक के हाथ में देता है l पिनाक वह फाइल हाथ ले कर खोलता है तो उस में एक खूबसूरत लड़की की फोटो दिखती है l

पिनाक - यह कौन है.... यह इस सुरा की महबूबा है.... एक बी ग्रेड की मॉडल और म्यूजिक वीडियोज़ में कमर हिलाती है...
पिनाक - अच्छी है... चलो राजा साहब खुश हो जाएं बस..
वीर - (गार्ड्स को इशारा कर कहता है) अरे इसको देखो यह जिंदा है या नहीं...
गार्ड्स उसे चेक कर कहते हैं जिंदा है पर हालत बहुत खराब है.
विक्रम - इसे और इसकी महबूबा दोनों को राजगड़ पार्सल कर दो...
कुछ गार्ड्स सुरा को स्ट्रैचर पर डाल कर ले जाते हैं l उनके जाते ही एक गार्ड अंदर आकर वीर के कान कुछ कहता है l
वीर - (उस गार्ड को कहता है) जाओ बुलाओ उसे....
गार्ड बाहर जा कर एक लड़के को लेकर वापस आता है l वीर उसे एक चिट्ठी दे कर कहता है - जाओ ESS ऑफिस जाओ वहाँ पर तुम्हें भर्ती कर लेंगे...

वह लड़का यह सुन कर वीर के पैरों में गिर जाता है l वीर उसे दिलासा दे कर गार्ड के साथ भेज देता है l विक्रम और पिनाक उसे सवालिया दृष्टि से देखते हैं तो वह कहता है
वीर - वह हमारी पार्टी का एक कार्यकर्ता का बेटा है.... बिचारा अनाथ हो गया उसकी एक विधवा माँ है और एक छोटी बहन है.... इसलिए मैंने उसे नौकरी में लगा दिआ....

पिनाक - सच सच बोलो राज कुमार आपको किसी का डर है क्या...
वीर - क्या बात कर रहे हैं... मुझे किसका दर वह तो एक कार्यकर्ता था दिन रात पार्टी के सेवा में लगा हुआ था एक दिन अपना घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी बीवी मेरे साथ लगी हुई थी l बेचारा मुझे बहुत गाली दिआ... मुझे उसका दुख देखा नहीं गया..... तब उसने अपने आपको फांसी लगा ली... मेरा मतलब है कि मैंने उसके दुख को महसुस कर उसे पंखे से टांग कर मुक्ति दे दी...
पिनाक - ह्म्म्म्म मतलब उसकी बीवी बहुत कड़क है क्या....
वीर - मैं आपकी स्टेनो, सेक्रेटरी के बारे में कभी नहीं पूछा है....
पिनाक - वह पर्सनल है....
वीर - यह भी पर्सनल है और वह कोई रंग महल की नहीं.....
विक्रम - ठीक है... अब बहस बंद कीजिए....
दोनों चुप हो जाते हैं, फिर पिनाक कहता है - अच्छा मैं जाता हूँ पार्टी के काम से l

इतना कह कर पिनाक निकल जाता है और दोनों भाई घर के भीतर चले जाते हैं, और ड्रॉइंग रूम में आकर कुछ बात कर रहे होते हैं कि कॉलेज से नंदिनी घर के अंदर पहुंचती है तो पाती है ड्रॉइंग हॉल में विक्रम वीर के साथ बैठ कर कुछ डिस्कस कर रहा है l नंदिनी को देखते ही - कैसा रहा आज का पहला दिन...
नंदिनी - बहुत ही अच्छा... जैसा सोचा था उससे कहीं बेहतर...
वीर - अच्छा कोई दोस्त वोस्त बनाए की नहीं....?
नंदिनी उन दोनों को गौर से देखती है और फिर कहती है - क्षेत्रपाल परिवार से दोस्ती कौन कर सकता है युवराज जी.... सब हम से ऐसी दूरी बना रहे हैं जैसे समाज में लोग अछूतों से रखता है....
वीर - बहुत बढ़ीआ यह लोग बहुत छोटे व ओछे होते हैं... तभी तो प्रिन्सिपल से कहा कि आपका परिचय सिर्फ़ स्टूडेंट्स तक ही नहीं बल्कि सभी लेक्चरर को भी दे देने के लिए....
ताकि कोई अपना औकात ना भूले...
नंदिनी - जी राजकुमार जी... क्या अब मैं अंदर जाऊँ....
वीर - हाँ हाँ जाइए.... और पढ़ाई में ध्यान दे या ना दें आप पास तो आप हो ही जाएंगी... बस अपना एटिट्यूड बनाएं रखें....
नंदिनी - जी जरूर...
इतना कह कर नंदिनी घर के अंदर चली जाती है l
विक्रम - तुम्हें क्या लगता है राजकुमार... नंदिनी सच कह रही है..
वीर - वह झूठ क्यूँ बोलेगी... वैसे भी मैंने सुबह प्रिन्सिपल को अच्छे से समझा दिया है.....
विक्रम - हाँ वह तो है... फिर भी अपनी तसल्ली के लिए हर दस पंद्रह दिन में एक बार कॉलेज का चक्कर लगाते रहना...
वीर - जी युवराज...
नंदिनी शुभ्रा के रूम में आती है l शुभ्रा विस्तर पर बैठ कर कोई मैगाजिन पढ़ रही थी l शुभ्रा को देख कर खुशी से झूमती हुई नाचते हुए शुभ्रा के पास आती है
नंदिनी - आ हा आह भाभी क्या बताऊँ आज कॉलेज में कितना मजा आया...
शुभ्रा - वह तो तुझे देखते ही पता चल गया है.... अच्छा बता आज कॉलेज में क्या क्या हुआ...
नंदिनी आज कॉलेज में क्या क्या हुआ सब बता देती है l सब सुनने के बाद शुभ्रा - यह रॉकी कुछ ज्यादा ही तेज है
नंदिनी - हाँ अपनी गाड़ी बिना ब्रेक के दौड़ा रहा है...

शुभ्रा- नंदिनी के चेहरे को गौर से देखती है जैसे खुशी के मारे एक तेज नुर झलक रही थी l उसके गालों को हाथों में ले कर कहती है - रुप कितनी खुश है तु... पर ध्यान रखना अपना..... पहली बार तु सही मायनों में घर से बाहर निकली है.... बाहर की दुनिया जितनी अच्छी दिखती या लगती है... उतनी ही छलावे होती हैं....
नंदिनी - भाभी मैंने रुप बन कर जितना देखा देख लीआ.... आज नंदिनी बन कर देखा जिंदगी में रुप ने कितना कुछ खोया है...जितना नंदिनी ने एक दिन में पाया है..... और रही दुनिया की बात तो वह मुझे तोल ने दीजिए... और आप तो मेरे साथ हो ना मेरी सबसे अच्छी सहेली....
यह सुन कर शुभ्रा उसे गले से लगा लेती है l
इसी तरह पंद्रह दिन ऐसे ही गुजर जाते हैं l
जैल के ऑफिस में तापस अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ है तभी एक संत्री एक लेटर ला कर देता है l लेटर पढ़ते ही संत्री को कहता है - अरे जाओ उन्हें अंदर लाओ... कलसे तुम लोगों को उन्ही की ड्यूटी बजानी है...
संत्री तापस को सैल्यूट कर बाहर निकल जाता है और एक पचास वर्षीय आदमी के साथ अंदर आता है l
तापस उस आदमी को देख कर बहुत खुश होता है और उसे सैल्यूट करता है बदले में वह आदमी भी उसे सैल्यूट करता है और कहता है - जान निसार खान रिपोर्टिंग सर...
फ़िर सैल्यूट तोड़ कर दोनों एक दूसरे के गले मिलते हैं l
तापस-क्या बात है खान बहुत दिनों बाद मिले... कैसे हो मेरे दोस्त... आओ बैठो यार...

खान - हाँ बहुत दिनों बाद मिले तो है (बैठते हुए) पर यह क्या.... (हैरानी से) तुम अभी से VRS ले रहे हो...
तापस - अरे यार अब नौकरी में रह कर क्या करूंगा l पुस्तैनी घर और जमीन को कब तक किसी और के भरोसे देख भाल में छोड़ सकते हैं l
खान - क्या यार मुझसे भी छुपा रहा है... हाँ बताना नहीं चाहता तो बात अलग है....
तापस - देख... हम पति पत्नी बहुत कमाया है पर हमारी कमाई खाने वाला कोई है ही नहीं.....मैं इसलिए उब गया हूँ नौकरी बजाते बजाते... मुझसे अब आगे हो नहीं पाएगा दोस्त....
खान - यार सेनापति हम पुलिस ट्रेनिंग समय से दोस्त हैं.... और जितना मैं तुझे जानता था.... तु कभी इतना कमज़ोर तो नहीं था....
तापस- उम्र मेरे दोस्त उम्र... मैं और मेरी पत्नी जिसके लिए इतना कमाया वह हमारे जीवन से चला गया हमे बेसहारा कर.... अब घर और जीवन में हम पति पत्नी एक दुसरे के सहारा बने हुए हैं.... ना अब अपनी नौकरी खिंच पा रहा हूँ और ना ही प्रतिभा अपनी वकालत नामा....
खान - समझ सकता हूँ यार... सॉरी अगर दिल दुखा तो...
तापस - छोड़ यार.... अच्छा क्यूँ न तु एक राउंड ले ले मैं तब तक चार्ज हैंड ओवर फाइल तैयार कर लेता हूँ...
खान - (हंसते हुए) तुझे चार्ज हैंड ओवर करने की जल्दी पड़ी है...
तापस - अरे यार आज मैं जल्दी घर जाना चाहता हूँ.... इतने वर्षो बाद मुझे लगना चाहिए कि घर जैल सुपरिटेंडेंट नहीं जैल से छूट कर तापस सेनापति जा रहा है....
दोनों साथ हंसते हैं l तापस बेल बजता है तो उसका अर्दली आता है l तापस उसे कहता है - तुम्हारे नए साहब को राउंड पर ले जाओ....
खान - अच्छा मैं राउंड से आता हूँ..... फ़िर बात करते हैं....
खान और अर्दली बाहर निकल जाते हैं और तापस फाइल बनाने में लग जाता है l
उधर कॉलेज की कैन्टीन में नंदिता अपनी कुछ दोस्तों के साथ बैठी थी l अब उसके सिर्फ बनानी ही नहीं बल्कि और तीन दोस्त बन चुके हैं l सारे के सारे कैन्टीन में मजे से बात कर रहे हैं l कैन्टीन में जितने भी लड़के थे सब बड़ी आशा भरी नजर से नंदिता को देख रहे हैं कि कास इस हसीना की नजरें इनायत हो जाए l तभी वीर कैन्टीन आता है जिसे देख कर जितने भी स्टूडेंट्स थे सभी धीरे धीरे खिसक गए, नंदिता के दोस्त भी l वीर आकर सीधे नंदिता के सामने बैठता है और पूछता है - कहिए राज कुमारी जी पढ़ाई कैसी चल रही है l
नंदिता - अच्छी चल रही है...
वीर - ह्म्म्म्म कुछ दोस्त बनालिए हैं तुमने l
नंदिता - सिर्फ़ चार दोस्त वह भी मैंने बनाएं हैं l वरना मुझसे दोस्ती कोई कर ही नहीं रहा है यहां पर l
वीर - हाँ तो दोस्त बनाने की जरूरत ही क्या है...आप अपनी पढ़ाई एंजॉय करो...
नंदिता - सुबह नौ बजे से दो पहर तीन बजे तक अकेले.... छह घंटे तक अकेले किसी से बात ना करूँ सिर्फ लेक्चर सुनूँ या लाइब्रेरी में बैठूं...
वीर - अच्छा चलो ठीक है... पर दोस्ती इतनी रखो की तुम्हें कोई अपने घर ना बुलाए....
नंदिता - जी...
वीर - ह्म्म्म्म अच्छा कोई लड़का तुमसे दोस्ती नहीं की है अब तक....
नंदिता - किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि कोई मुझसे दोस्ती करे... बात करने से ही कन्नी काट कर निकल जाते हैं...
वीर - (अपनी भौवें उठा कर) क्यूँ तुम्हें लड़कों से बात करने की क्यूँ जरूरत पड़ रही है....
नंदिता - जरूरत.... कैन्टीन में, लाइब्रेरी में या क्लास में किसी को अगर साइड देने को कहते ही ऐसे गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सिंग...
वीर - हा हा हा हा... अच्छी बात है... अच्छा मैं चलता हूँ... कोई तकलीफ़ हो तो मुझे फोन कर देना...
इतना कह कर वीर चला जाता है l वैसे कॉलेज में सबको यह मालुम था कि यह लड़की ज़रूर खास है जिसे विक्रम सिंह क्षेत्रपाल व वीर सिंह क्षेत्रपाल छोड़ने आए थे l बहुतों ने कोशिस की पता लगाने की पर क्यूंकि नंदिता ने प्रिन्सिपल के ज़रिए सेट कर दिया था इसलिए किसको ज्यादा कुछ पता लगा नहीं l वीर के जाने के बाद भी जब कैन्टीन में कोई नहीं आया तो नंदिता बिल दे कर क्लास की और निकल पड़ी l
उधर जैल के अंदर खान अर्दली के साथ राउंड ले रहा था l सारे बैरक घुम लेने के बाद स्किल डेवलपमेंट वर्क शॉप पहुंचा जहां सरकार द्वारा कैदी सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत क़ैदियों को काम सिखाया जाता है l खान ने देखा एक कैदी कुछ क़ैदियों को कारपेंटरी के बारे में सीखा रहा है l
खान - यह कौन है.. जगन..
अर्दली उर्फ़ जगन - साहब यह विश्वा है...
खान - कितने सालों से है...
जगन - सात सालों से... और दो महीने बाद रिहाई है उसकी...
खान - कैदी सुधार कार्यक्रम को बड़े अच्छे से निभा रहा है....
जगन - सर यह बहुत ही अच्छा आदमी है....
खान - क्या बात है... एक कैदी की इतनी तारीफ....
जगन - वैसी बात नहीं है सर... मैंने तो सच ही कहा है...
खान - अच्छा यह बताओ अर्दली को घर में होना चाहिए तुम यहाँ क्या कर रहे हो
जगन - वह सर उनके बेटे के देहांत के बाद सेनापति सर क्वार्टर में दो ही कमरे इस्तमाल करते हैं... उन्होंने कहा कि मैं उनके कुछ काम सिर्फ ऑफिस मैं ही कर दिआ करूँ......
खान - ह्म्म्म्म वैसे तुम्हारी नौकरी यहाँ पर कैसे लगी
जगन - मेरे पिता हेल्पर कांस्टेबल थे ड्यूटी के दौरान उनकी देहांत हुई तो कंपेसेसन के तहत सेनापति सर ने ही मुझे यहाँ लगवा दिया था और मुझसे कहा भी था के जाने से पहले मुझे हेल्पर कांस्टेबल बना कर ही जायेंगे....
खान - अगर सेनापति ने कहा है तो वह जरूर तुम्हारे लिए जरूर करेगा.... वैसे विश्वा की और क्या खासियत है....
जगन - सर विश्वा ने इसी जैल में रहकर अपना ग्रैजुएशन खतम किया और अपनी वकालत भी जैल में रहकर पुरी की है...
खान - क्या.... ह्म्म्म्म... इंट्रेस्टिंग... जैल में रह कर वकालत किया है...
जगन - अब क्या बताऊँ सर बस आदमी बहुत अच्छा है और सबकी मदत को हमेशा तैयार रहता है...
खान - इतना ही अच्छा है तो यहाँ चक्की पीसने आया क्यूँ... ह्म्म्म्म
जगन - किस्मत साहब किस्मत
खान - क्या मतलब है तुम्हारा....
जगन - सर अच्छे बर्ताव के लिए विश्वा का नाम सिफारिश किया जाने वाला था... जब विश्वा को मालुम हुआ तो सेनापति सर को ऐसा करने से मना कर दिया... सेनापति सर ने वज़ह पुछा तो विश्वा ने कहा कि उसे कानून से इंसाफ़ चाहिए ना रहम ना एहसान या हमदर्दी...
खान - ओह.... ह्म्म्म्म... अच्छा यह बताओ के यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ जगन - एक बार सर जी के घर गया था तो उन्हें मैडम जी से कहते सुना था....
खान - अच्छा आपके सेनापति सर वक्त से पहले रिटायर्मेंट क्यूँ ले रहे हैं....
जगन -पता नहीं पर मुझे लगता है उसकी वजह भी विश्वा है सर....
खान का मुहँ खुला रह जाता है l जैसे जगन ने कोई बम फोड़ दिया हो l
खान - क.. का... क्या.....
जगन - जी सर विश्वा चूँकि दो महीने बाद जैल से छुट रहा है.... तो प्लान करके सेनापति सर रिटायर्मेंट ले रहे हैं... ऐसा मुझे लगता है..
खान - क्यूँ... मेरा मतलब.. आख़िर क्यूँ... विश्वा से क्या संबंध...
जगन - सेनापति सर बेवजह उससे लगाव नहीं रखे हैं...
खान सवालिया नजरों से देखता है
जगन - विश्वा ने जैल में एक बड़ा कांड होने से पहले सेनापति सर को आगाह किया था और फ़िर जब उससे भी बड़ा कांड हुआ तब सेनापति सर ही नहीं बहुत से पुलिस वालों की जान भी बचाया था... इसलिए विश्वा से उनका बहुत लगाव भी है और जुड़ाव भी...
खान आपनी आँखे सिकुड़ कर जगन को ऐसे देख रहा था, जैसे जगन कोई झूठ बोल रहा हो, पर जगन बिना कोई शिकन चेहरे पर लाए कहने लगा
जगन - सर आप जान कर हैरान रह जाएंगे विश्वा को सजा कराने वाली कोई और नहीं... बल्कि सेनापति सर की पत्नी ही थीं.. जिन्होंने विश्वा के खिलाफ़ मुकद्दमा लड़ा और उसे सजा दिलाई...
खान - अरे रुको यार... झटके पर झटके दिए जा रहे हो... एक दिन में इतना सब कुछ हज़म नहीं हो सकता है भाई...
चलो पहले सेनापति को रिलीव करते हैं...
फिर दोनों ऑफिस के तरफ चल पड़ते हैं l
उधर कॉलेज कैन्टीन में रॉकी आ पहुंचता है देखता है कैन्टीन पूरा खाली पड़ा है l तो वह वहाँ के एक वेटर से पूछता है - क्यूँ रे गोलू.. यह कैन्टीन ऐसे खाली खाली क्यूँ लग रहा है... अपना कोई बंदा भी नहीं दिख रहा है....
गोलू - रॉकी भाई... वह प्रेसिडेंट वीर सिंह जी आए थे... इसलिए सभी उठ कर चले गए..
रॉकी - अच्छा... वह क्यूँ आया था यहाँ...
गोलू - क्या पता क्यूँ आया था... वह बस उस नए लड़की से बात कर रहा था... एक बात बोलूँ भाई... वीर सिंह से बात करते सबकी फटती है.. पर क्या लड़की थी वह वीर सिंह के आंखों में आंखें डाल कर बात कर रही थी....
रॉकी - ह्म्म्म्म...
गोलू - मेरे को तो लगता है.... कि वह जरूर वीर सिंह की कोई आइटम होगी....
रॉकी - अबे मुहँ सम्भाल अपना... वीर सिंह की पहचान की है वह.... वीर उसे अपना बहन मानता है... समझा और हाँ यह राज अपने अंदर ही रख किसीको बोला... तो वीर सिंह तुझे बीच से फाड़ देगा...
गोलू अपना हाथ अपने मुहँ पर ले कर चुप रहने के लिए अपना सर हिलाता है l
रॉकी - कैन्टीन से बाहर आ कर सब दोस्तों को फोन पर कॉन्फ्रेंसिंग में लेकर कहता है - मेरे चड्डी बड्डी कमीनों... आज शाम हमारे होटल में मेरी प्राइवेट शूट में तुम सालों के लिए पार्टी है.. आ जाना....मिशन नंदिनी को ऑपरेट करना है...
इतना कह कर अपना फोन जेब में रखता है और अपनी गाड़ी से बाहर निकल जाता है l उधर जैसे ही क्लास में नंदिनी आती है सारे स्टूडेंट्स एक दम से चुप हो जाते हैं l नंदिनी देखती है बनानी के आखों में भी डर है l नंदिनी चुप चाप अपनी सीट पर बैठ जाती है l थोड़ी देर बाद एक लेक्चरर आता है और पढ़ाना शुरू करता है l नंदिनी इस बार देखती है कि लेक्चरर भी नजरें मिलने से कतरा रहा है l किसी तरह क्लास खतम होता है तो लेक्चरर के साथ सारे स्टूडेंट्स जल्दी जल्दी क्लास रूम से निकल जाते हैं l क्लास में नंदिनी अकेली बैठी हुई है, उसे बुरा भी लग रहा है, वह सर उठाकर अपनी चारों और देखती है और कुछ सोच में डुब जाती है, उधर रॉकी आज रात की पार्टी में अपने दोस्तों के साथ मिशन नंदिनी को कैसे आगे बढाए उस प्लान के बारे में सोच रहा है और जैल से तापस जा चुका है और उसकी कुर्सी पर अब खान बैठा हुआ है l चार्ज हैंड ओवर के बाद तापस तुरंत निकल गया l अब जगन ने खान के मन में क्युरोसिटी जगा दिया था कि सेनापति को एक कैदी से इतना जुड़ाव हो गया है कि उसकी रिहाई के चलते सेनापति अपनी नौकरी से VRS ले लिया है, और उसी कैदी को सज़ा भी सेनापति की बीवी ने करवाया था l
खान - या आल्हा पता लगाना पड़ेगा माजरा क्या है....
यह कह कर अपनी सोच में गुम हो जाता है
बहुत ही बेहतरीन कहानी मान्यवर।।
 

parkas

Prime
23,049
52,960
258
👉पांचवां अपडेट
------------------
एक आलीशान बंगलों में एक बड़ी सी गाड़ी आती है l एक आदमी शूट बूट पहने उतरता है l वह उस बंगले में लगे नाम का फलक देखता है जिसमें लिखा है *THE HELL" वह आदमी एक गहरी सांस छोड़ता है और वहाँ खड़े एक गार्ड से पूछता है - युवराज विक्रम सिंह क्षेत्रपाल जी हैं....
गार्ड - हाँ हैँ अपने जीम में व्यस्त हैं....
आदमी - जीम कहाँ पर है....
गार्ड हाथ उठाकर एक तरफ दिखाता है l वह आदमी तेजी से जीम के तरफ भागता हुआ जाता है l
जैसे ही वह जीम के भीतर आता है तो देखता है विक्रम सिंह एक पंच बैग पर किक बॉक्सिंग प्रेक्टिस कर रहा है l पास एक कुर्सी पर वीर बैठकर जूस पी रहा है l और कुछ दूर दस से बारह गार्ड्स खड़े हुए हैं l
उस आदमी को देखते ही वीर - अरे क्या बात है.... कंस्ट्रक्शन किंग्स KK... यहाँ कैसे आना हुआ....
KK - वह युवराज जी से काम है...
विक्रम - क्या काम है....
KK- वह कुछ दिन हुए हैं... एक गुंडा मुझे.... परेशान कर रहा है...
विक्रम - क्या कर रहा है...?
KK- रेत की ख़ुदाई की टेंडर इस बार ना डालने के लिए दबाव बना रहा था.... मैंने सोचा कि मैं उससे निपट लूँगा... पर लगता है वह किसी की संरक्षण में ऐसा कर रहा है... क्यूंकि अब NH Bybass टेंडर भी ना डालने को बोल रहा है...
मैंने उसे आपके बारे में आगाह किया था... पर उसने उल्टा आपको देख लेने की....
इतना ही कहा था KK विक्रम के पंच व किकस में तेजी और ताकत बढ़ गया l
विक्रम - और कुछ....
KK - हाँ अगर मैंने इसबार टेंडर की प्रक्रिया में हिस्सा लिया तो वह मेरी बेटी को उठा लेगा... ऐसा बोला...
विक्रम - तुम क्या चाहते हो...
KK - मैं तो आपका सेवक हूँ... मैं क्या चाह सकता हूँ...(दोनों हाथ जोड़ कर) मेरी बिजनैस आपकी कृपा छाया में फल फुल रहा है.... मैं जानता हूँ यह सब आइकॉन ग्रुप्स वालों की है जो ओड़िशा में आपके पैरालल ताकत बनने की कोशिश में हैं...
विक्रम अब अपनी पुरी ताकत से पंच मारता है l अब वह गार्ड्स से टवेल ले कर अपना चेहरा साफ करता है और पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और KK को पूछता है - भोषड़ी के मैंने पूछा तू क्या चाहता है...
KK - थूक निगल कर युवराज जी आप मुझे इस मुसीबत से निकाल दीजिए...... बदले में आप मुझसे कुछ भी मांग लीजिए...
विक्रम गुस्से से कुर्सी से उठता है और KK को अपने हाथ से एक धक्का लगाता है, पास पड़े एक बड़े से आर्म चेयर में KK गिरता है l विक्रम अपना दाहिना पैर उठा का सीधे KK के टट्टों पर रख देता है l KK की आंखें दर्द से बड़ी हो जाती हैं l
विक्रम - पहली बात जो पूछा जाए उसका जबाव दे..... (KK के टट्टों पर दबाव और बढ़ाता है, KK चिल्ला नहीं रहा है,पर असहनीय दर्द चेहरे पर झलकता है) भोषड़ी के हम क्षेत्रपाल हैं.... जिस क्षेत्र में पाँव रख दें वह क्षेत्र हमारा हो जाता है....... हम पैसों के लिए नहीं अपनी अहंकार के लिए जीते हैं... और हम इसके बदले सरकार व लोगों से टैक्स लेते हैं...... (गोटियों पर दबाव बढ़ाते हुए) हमारा हाथ कभी आसमान नहीं देखता है.... हमारा हाथ हमेशा ज़मीन की और देखता है....

हम किसीसे मांगते नहीं है..... हम या तो दे देते हैं या फिर छीन लेते हैं.....
साले दो टके का इंसान मुझे मांगने को बोल रहा है....

KK - (दर्द से कराहते हुए) गलती हो गई युवराज..... माफ़ कर दीजिए.....
विक्रम अपना पैर उठा देता है और पास खड़े एक गार्ड को - ऐ जूस पीला रे इसको....
गार्ड तुरंत KK को जूस बढ़ाता है पर KK मना कर देता है l हाथ जोड़ कर विक्रम को देखता है l विक्रम पूछता है - क्या नाम था उस गुंडे का....
KK- सुरा....

विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड भागते हुए पंच बैग तक जाता है और पंच बैग का जिप खोल देता है l KK की आँखे हैरानी से चौड़ी हो जाती है l पंच बैग के अंदर एक अधमरा आदमी गिरता है l
KK- ये... य... यह तो सुरा है....
वीर - हाँ तो.... तू क्षेत्रपाल के राज में क्षेत्रपाल के शरण में है... बच्चा तुझ पर कैसे कोई आपदा आ सकती है...
क्यूँकी क्षेत्रपाल के भक्तों के लिए युवराज सदैव आपदा प्रबंधन का भार सम्भाले हुए रहते हैं....
KK - मुझे माफ कर दीजिए... थोड़ा डर गया था...
विक्रम - लोग डर के मारे औकात भूल जाते हैं यह पहली बार देखा....
KK - सॉरी अब आप हुकुम कीजिए....

वीर - हाँ तो बारंग और आठगड़ रोड पर तेरा जो एकाम्र रिसॉर्ट है वह राजा साहब भैरव सिंह क्षेत्रपाल के नाम कर दे.....
KK - पर वह तो दो सौ करोड़ की है...
विक्रम उसे घूरता है
KK - ठीक है ठीक है मैं उसका कागजात बनवा देता हूँ...
अंदर उसी समय आते हुए पिनाक - और बहुत जल्द करना.... राजा साहब दो तीन दिन में भुवनेश्वर आने वाले हैं....
KK पिनाक को देखते ही सर झुका कर नमस्कार करता है और सबसे इजाज़त लेकर वहाँ से निकल जाता है....
विक्रम - कहिए छोटे राजा जी... कैसे आना हुआ
पिनाक - यह याद है ना रंग महल खाली रहे यह राजा साहब को पसंद नहीं
विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड एक फाइल को लाकर विक्रम के हाथ में देता है l विक्रम वह फाइल पिनाक के हाथ में देता है l पिनाक वह फाइल हाथ ले कर खोलता है तो उस में एक खूबसूरत लड़की की फोटो दिखती है l

पिनाक - यह कौन है.... यह इस सुरा की महबूबा है.... एक बी ग्रेड की मॉडल और म्यूजिक वीडियोज़ में कमर हिलाती है...
पिनाक - अच्छी है... चलो राजा साहब खुश हो जाएं बस..
वीर - (गार्ड्स को इशारा कर कहता है) अरे इसको देखो यह जिंदा है या नहीं...
गार्ड्स उसे चेक कर कहते हैं जिंदा है पर हालत बहुत खराब है.
विक्रम - इसे और इसकी महबूबा दोनों को राजगड़ पार्सल कर दो...
कुछ गार्ड्स सुरा को स्ट्रैचर पर डाल कर ले जाते हैं l उनके जाते ही एक गार्ड अंदर आकर वीर के कान कुछ कहता है l
वीर - (उस गार्ड को कहता है) जाओ बुलाओ उसे....
गार्ड बाहर जा कर एक लड़के को लेकर वापस आता है l वीर उसे एक चिट्ठी दे कर कहता है - जाओ ESS ऑफिस जाओ वहाँ पर तुम्हें भर्ती कर लेंगे...

वह लड़का यह सुन कर वीर के पैरों में गिर जाता है l वीर उसे दिलासा दे कर गार्ड के साथ भेज देता है l विक्रम और पिनाक उसे सवालिया दृष्टि से देखते हैं तो वह कहता है
वीर - वह हमारी पार्टी का एक कार्यकर्ता का बेटा है.... बिचारा अनाथ हो गया उसकी एक विधवा माँ है और एक छोटी बहन है.... इसलिए मैंने उसे नौकरी में लगा दिआ....

पिनाक - सच सच बोलो राज कुमार आपको किसी का डर है क्या...
वीर - क्या बात कर रहे हैं... मुझे किसका दर वह तो एक कार्यकर्ता था दिन रात पार्टी के सेवा में लगा हुआ था एक दिन अपना घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी बीवी मेरे साथ लगी हुई थी l बेचारा मुझे बहुत गाली दिआ... मुझे उसका दुख देखा नहीं गया..... तब उसने अपने आपको फांसी लगा ली... मेरा मतलब है कि मैंने उसके दुख को महसुस कर उसे पंखे से टांग कर मुक्ति दे दी...
पिनाक - ह्म्म्म्म मतलब उसकी बीवी बहुत कड़क है क्या....
वीर - मैं आपकी स्टेनो, सेक्रेटरी के बारे में कभी नहीं पूछा है....
पिनाक - वह पर्सनल है....
वीर - यह भी पर्सनल है और वह कोई रंग महल की नहीं.....
विक्रम - ठीक है... अब बहस बंद कीजिए....
दोनों चुप हो जाते हैं, फिर पिनाक कहता है - अच्छा मैं जाता हूँ पार्टी के काम से l

इतना कह कर पिनाक निकल जाता है और दोनों भाई घर के भीतर चले जाते हैं, और ड्रॉइंग रूम में आकर कुछ बात कर रहे होते हैं कि कॉलेज से नंदिनी घर के अंदर पहुंचती है तो पाती है ड्रॉइंग हॉल में विक्रम वीर के साथ बैठ कर कुछ डिस्कस कर रहा है l नंदिनी को देखते ही - कैसा रहा आज का पहला दिन...
नंदिनी - बहुत ही अच्छा... जैसा सोचा था उससे कहीं बेहतर...
वीर - अच्छा कोई दोस्त वोस्त बनाए की नहीं....?
नंदिनी उन दोनों को गौर से देखती है और फिर कहती है - क्षेत्रपाल परिवार से दोस्ती कौन कर सकता है युवराज जी.... सब हम से ऐसी दूरी बना रहे हैं जैसे समाज में लोग अछूतों से रखता है....
वीर - बहुत बढ़ीआ यह लोग बहुत छोटे व ओछे होते हैं... तभी तो प्रिन्सिपल से कहा कि आपका परिचय सिर्फ़ स्टूडेंट्स तक ही नहीं बल्कि सभी लेक्चरर को भी दे देने के लिए....
ताकि कोई अपना औकात ना भूले...
नंदिनी - जी राजकुमार जी... क्या अब मैं अंदर जाऊँ....
वीर - हाँ हाँ जाइए.... और पढ़ाई में ध्यान दे या ना दें आप पास तो आप हो ही जाएंगी... बस अपना एटिट्यूड बनाएं रखें....
नंदिनी - जी जरूर...
इतना कह कर नंदिनी घर के अंदर चली जाती है l
विक्रम - तुम्हें क्या लगता है राजकुमार... नंदिनी सच कह रही है..
वीर - वह झूठ क्यूँ बोलेगी... वैसे भी मैंने सुबह प्रिन्सिपल को अच्छे से समझा दिया है.....
विक्रम - हाँ वह तो है... फिर भी अपनी तसल्ली के लिए हर दस पंद्रह दिन में एक बार कॉलेज का चक्कर लगाते रहना...
वीर - जी युवराज...
नंदिनी शुभ्रा के रूम में आती है l शुभ्रा विस्तर पर बैठ कर कोई मैगाजिन पढ़ रही थी l शुभ्रा को देख कर खुशी से झूमती हुई नाचते हुए शुभ्रा के पास आती है
नंदिनी - आ हा आह भाभी क्या बताऊँ आज कॉलेज में कितना मजा आया...
शुभ्रा - वह तो तुझे देखते ही पता चल गया है.... अच्छा बता आज कॉलेज में क्या क्या हुआ...
नंदिनी आज कॉलेज में क्या क्या हुआ सब बता देती है l सब सुनने के बाद शुभ्रा - यह रॉकी कुछ ज्यादा ही तेज है
नंदिनी - हाँ अपनी गाड़ी बिना ब्रेक के दौड़ा रहा है...

शुभ्रा- नंदिनी के चेहरे को गौर से देखती है जैसे खुशी के मारे एक तेज नुर झलक रही थी l उसके गालों को हाथों में ले कर कहती है - रुप कितनी खुश है तु... पर ध्यान रखना अपना..... पहली बार तु सही मायनों में घर से बाहर निकली है.... बाहर की दुनिया जितनी अच्छी दिखती या लगती है... उतनी ही छलावे होती हैं....
नंदिनी - भाभी मैंने रुप बन कर जितना देखा देख लीआ.... आज नंदिनी बन कर देखा जिंदगी में रुप ने कितना कुछ खोया है...जितना नंदिनी ने एक दिन में पाया है..... और रही दुनिया की बात तो वह मुझे तोल ने दीजिए... और आप तो मेरे साथ हो ना मेरी सबसे अच्छी सहेली....
यह सुन कर शुभ्रा उसे गले से लगा लेती है l
इसी तरह पंद्रह दिन ऐसे ही गुजर जाते हैं l
जैल के ऑफिस में तापस अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ है तभी एक संत्री एक लेटर ला कर देता है l लेटर पढ़ते ही संत्री को कहता है - अरे जाओ उन्हें अंदर लाओ... कलसे तुम लोगों को उन्ही की ड्यूटी बजानी है...
संत्री तापस को सैल्यूट कर बाहर निकल जाता है और एक पचास वर्षीय आदमी के साथ अंदर आता है l
तापस उस आदमी को देख कर बहुत खुश होता है और उसे सैल्यूट करता है बदले में वह आदमी भी उसे सैल्यूट करता है और कहता है - जान निसार खान रिपोर्टिंग सर...
फ़िर सैल्यूट तोड़ कर दोनों एक दूसरे के गले मिलते हैं l
तापस-क्या बात है खान बहुत दिनों बाद मिले... कैसे हो मेरे दोस्त... आओ बैठो यार...

खान - हाँ बहुत दिनों बाद मिले तो है (बैठते हुए) पर यह क्या.... (हैरानी से) तुम अभी से VRS ले रहे हो...
तापस - अरे यार अब नौकरी में रह कर क्या करूंगा l पुस्तैनी घर और जमीन को कब तक किसी और के भरोसे देख भाल में छोड़ सकते हैं l
खान - क्या यार मुझसे भी छुपा रहा है... हाँ बताना नहीं चाहता तो बात अलग है....
तापस - देख... हम पति पत्नी बहुत कमाया है पर हमारी कमाई खाने वाला कोई है ही नहीं.....मैं इसलिए उब गया हूँ नौकरी बजाते बजाते... मुझसे अब आगे हो नहीं पाएगा दोस्त....
खान - यार सेनापति हम पुलिस ट्रेनिंग समय से दोस्त हैं.... और जितना मैं तुझे जानता था.... तु कभी इतना कमज़ोर तो नहीं था....
तापस- उम्र मेरे दोस्त उम्र... मैं और मेरी पत्नी जिसके लिए इतना कमाया वह हमारे जीवन से चला गया हमे बेसहारा कर.... अब घर और जीवन में हम पति पत्नी एक दुसरे के सहारा बने हुए हैं.... ना अब अपनी नौकरी खिंच पा रहा हूँ और ना ही प्रतिभा अपनी वकालत नामा....
खान - समझ सकता हूँ यार... सॉरी अगर दिल दुखा तो...
तापस - छोड़ यार.... अच्छा क्यूँ न तु एक राउंड ले ले मैं तब तक चार्ज हैंड ओवर फाइल तैयार कर लेता हूँ...
खान - (हंसते हुए) तुझे चार्ज हैंड ओवर करने की जल्दी पड़ी है...
तापस - अरे यार आज मैं जल्दी घर जाना चाहता हूँ.... इतने वर्षो बाद मुझे लगना चाहिए कि घर जैल सुपरिटेंडेंट नहीं जैल से छूट कर तापस सेनापति जा रहा है....
दोनों साथ हंसते हैं l तापस बेल बजता है तो उसका अर्दली आता है l तापस उसे कहता है - तुम्हारे नए साहब को राउंड पर ले जाओ....
खान - अच्छा मैं राउंड से आता हूँ..... फ़िर बात करते हैं....
खान और अर्दली बाहर निकल जाते हैं और तापस फाइल बनाने में लग जाता है l
उधर कॉलेज की कैन्टीन में नंदिता अपनी कुछ दोस्तों के साथ बैठी थी l अब उसके सिर्फ बनानी ही नहीं बल्कि और तीन दोस्त बन चुके हैं l सारे के सारे कैन्टीन में मजे से बात कर रहे हैं l कैन्टीन में जितने भी लड़के थे सब बड़ी आशा भरी नजर से नंदिता को देख रहे हैं कि कास इस हसीना की नजरें इनायत हो जाए l तभी वीर कैन्टीन आता है जिसे देख कर जितने भी स्टूडेंट्स थे सभी धीरे धीरे खिसक गए, नंदिता के दोस्त भी l वीर आकर सीधे नंदिता के सामने बैठता है और पूछता है - कहिए राज कुमारी जी पढ़ाई कैसी चल रही है l
नंदिता - अच्छी चल रही है...
वीर - ह्म्म्म्म कुछ दोस्त बनालिए हैं तुमने l
नंदिता - सिर्फ़ चार दोस्त वह भी मैंने बनाएं हैं l वरना मुझसे दोस्ती कोई कर ही नहीं रहा है यहां पर l
वीर - हाँ तो दोस्त बनाने की जरूरत ही क्या है...आप अपनी पढ़ाई एंजॉय करो...
नंदिता - सुबह नौ बजे से दो पहर तीन बजे तक अकेले.... छह घंटे तक अकेले किसी से बात ना करूँ सिर्फ लेक्चर सुनूँ या लाइब्रेरी में बैठूं...
वीर - अच्छा चलो ठीक है... पर दोस्ती इतनी रखो की तुम्हें कोई अपने घर ना बुलाए....
नंदिता - जी...
वीर - ह्म्म्म्म अच्छा कोई लड़का तुमसे दोस्ती नहीं की है अब तक....
नंदिता - किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि कोई मुझसे दोस्ती करे... बात करने से ही कन्नी काट कर निकल जाते हैं...
वीर - (अपनी भौवें उठा कर) क्यूँ तुम्हें लड़कों से बात करने की क्यूँ जरूरत पड़ रही है....
नंदिता - जरूरत.... कैन्टीन में, लाइब्रेरी में या क्लास में किसी को अगर साइड देने को कहते ही ऐसे गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सिंग...
वीर - हा हा हा हा... अच्छी बात है... अच्छा मैं चलता हूँ... कोई तकलीफ़ हो तो मुझे फोन कर देना...
इतना कह कर वीर चला जाता है l वैसे कॉलेज में सबको यह मालुम था कि यह लड़की ज़रूर खास है जिसे विक्रम सिंह क्षेत्रपाल व वीर सिंह क्षेत्रपाल छोड़ने आए थे l बहुतों ने कोशिस की पता लगाने की पर क्यूंकि नंदिता ने प्रिन्सिपल के ज़रिए सेट कर दिया था इसलिए किसको ज्यादा कुछ पता लगा नहीं l वीर के जाने के बाद भी जब कैन्टीन में कोई नहीं आया तो नंदिता बिल दे कर क्लास की और निकल पड़ी l
उधर जैल के अंदर खान अर्दली के साथ राउंड ले रहा था l सारे बैरक घुम लेने के बाद स्किल डेवलपमेंट वर्क शॉप पहुंचा जहां सरकार द्वारा कैदी सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत क़ैदियों को काम सिखाया जाता है l खान ने देखा एक कैदी कुछ क़ैदियों को कारपेंटरी के बारे में सीखा रहा है l
खान - यह कौन है.. जगन..
अर्दली उर्फ़ जगन - साहब यह विश्वा है...
खान - कितने सालों से है...
जगन - सात सालों से... और दो महीने बाद रिहाई है उसकी...
खान - कैदी सुधार कार्यक्रम को बड़े अच्छे से निभा रहा है....
जगन - सर यह बहुत ही अच्छा आदमी है....
खान - क्या बात है... एक कैदी की इतनी तारीफ....
जगन - वैसी बात नहीं है सर... मैंने तो सच ही कहा है...
खान - अच्छा यह बताओ अर्दली को घर में होना चाहिए तुम यहाँ क्या कर रहे हो
जगन - वह सर उनके बेटे के देहांत के बाद सेनापति सर क्वार्टर में दो ही कमरे इस्तमाल करते हैं... उन्होंने कहा कि मैं उनके कुछ काम सिर्फ ऑफिस मैं ही कर दिआ करूँ......
खान - ह्म्म्म्म वैसे तुम्हारी नौकरी यहाँ पर कैसे लगी
जगन - मेरे पिता हेल्पर कांस्टेबल थे ड्यूटी के दौरान उनकी देहांत हुई तो कंपेसेसन के तहत सेनापति सर ने ही मुझे यहाँ लगवा दिया था और मुझसे कहा भी था के जाने से पहले मुझे हेल्पर कांस्टेबल बना कर ही जायेंगे....
खान - अगर सेनापति ने कहा है तो वह जरूर तुम्हारे लिए जरूर करेगा.... वैसे विश्वा की और क्या खासियत है....
जगन - सर विश्वा ने इसी जैल में रहकर अपना ग्रैजुएशन खतम किया और अपनी वकालत भी जैल में रहकर पुरी की है...
खान - क्या.... ह्म्म्म्म... इंट्रेस्टिंग... जैल में रह कर वकालत किया है...
जगन - अब क्या बताऊँ सर बस आदमी बहुत अच्छा है और सबकी मदत को हमेशा तैयार रहता है...
खान - इतना ही अच्छा है तो यहाँ चक्की पीसने आया क्यूँ... ह्म्म्म्म
जगन - किस्मत साहब किस्मत
खान - क्या मतलब है तुम्हारा....
जगन - सर अच्छे बर्ताव के लिए विश्वा का नाम सिफारिश किया जाने वाला था... जब विश्वा को मालुम हुआ तो सेनापति सर को ऐसा करने से मना कर दिया... सेनापति सर ने वज़ह पुछा तो विश्वा ने कहा कि उसे कानून से इंसाफ़ चाहिए ना रहम ना एहसान या हमदर्दी...
खान - ओह.... ह्म्म्म्म... अच्छा यह बताओ के यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ जगन - एक बार सर जी के घर गया था तो उन्हें मैडम जी से कहते सुना था....
खान - अच्छा आपके सेनापति सर वक्त से पहले रिटायर्मेंट क्यूँ ले रहे हैं....
जगन -पता नहीं पर मुझे लगता है उसकी वजह भी विश्वा है सर....
खान का मुहँ खुला रह जाता है l जैसे जगन ने कोई बम फोड़ दिया हो l
खान - क.. का... क्या.....
जगन - जी सर विश्वा चूँकि दो महीने बाद जैल से छुट रहा है.... तो प्लान करके सेनापति सर रिटायर्मेंट ले रहे हैं... ऐसा मुझे लगता है..
खान - क्यूँ... मेरा मतलब.. आख़िर क्यूँ... विश्वा से क्या संबंध...
जगन - सेनापति सर बेवजह उससे लगाव नहीं रखे हैं...
खान सवालिया नजरों से देखता है
जगन - विश्वा ने जैल में एक बड़ा कांड होने से पहले सेनापति सर को आगाह किया था और फ़िर जब उससे भी बड़ा कांड हुआ तब सेनापति सर ही नहीं बहुत से पुलिस वालों की जान भी बचाया था... इसलिए विश्वा से उनका बहुत लगाव भी है और जुड़ाव भी...
खान आपनी आँखे सिकुड़ कर जगन को ऐसे देख रहा था, जैसे जगन कोई झूठ बोल रहा हो, पर जगन बिना कोई शिकन चेहरे पर लाए कहने लगा
जगन - सर आप जान कर हैरान रह जाएंगे विश्वा को सजा कराने वाली कोई और नहीं... बल्कि सेनापति सर की पत्नी ही थीं.. जिन्होंने विश्वा के खिलाफ़ मुकद्दमा लड़ा और उसे सजा दिलाई...
खान - अरे रुको यार... झटके पर झटके दिए जा रहे हो... एक दिन में इतना सब कुछ हज़म नहीं हो सकता है भाई...
चलो पहले सेनापति को रिलीव करते हैं...
फिर दोनों ऑफिस के तरफ चल पड़ते हैं l
उधर कॉलेज कैन्टीन में रॉकी आ पहुंचता है देखता है कैन्टीन पूरा खाली पड़ा है l तो वह वहाँ के एक वेटर से पूछता है - क्यूँ रे गोलू.. यह कैन्टीन ऐसे खाली खाली क्यूँ लग रहा है... अपना कोई बंदा भी नहीं दिख रहा है....
गोलू - रॉकी भाई... वह प्रेसिडेंट वीर सिंह जी आए थे... इसलिए सभी उठ कर चले गए..
रॉकी - अच्छा... वह क्यूँ आया था यहाँ...
गोलू - क्या पता क्यूँ आया था... वह बस उस नए लड़की से बात कर रहा था... एक बात बोलूँ भाई... वीर सिंह से बात करते सबकी फटती है.. पर क्या लड़की थी वह वीर सिंह के आंखों में आंखें डाल कर बात कर रही थी....
रॉकी - ह्म्म्म्म...
गोलू - मेरे को तो लगता है.... कि वह जरूर वीर सिंह की कोई आइटम होगी....
रॉकी - अबे मुहँ सम्भाल अपना... वीर सिंह की पहचान की है वह.... वीर उसे अपना बहन मानता है... समझा और हाँ यह राज अपने अंदर ही रख किसीको बोला... तो वीर सिंह तुझे बीच से फाड़ देगा...
गोलू अपना हाथ अपने मुहँ पर ले कर चुप रहने के लिए अपना सर हिलाता है l
रॉकी - कैन्टीन से बाहर आ कर सब दोस्तों को फोन पर कॉन्फ्रेंसिंग में लेकर कहता है - मेरे चड्डी बड्डी कमीनों... आज शाम हमारे होटल में मेरी प्राइवेट शूट में तुम सालों के लिए पार्टी है.. आ जाना....मिशन नंदिनी को ऑपरेट करना है...
इतना कह कर अपना फोन जेब में रखता है और अपनी गाड़ी से बाहर निकल जाता है l उधर जैसे ही क्लास में नंदिनी आती है सारे स्टूडेंट्स एक दम से चुप हो जाते हैं l नंदिनी देखती है बनानी के आखों में भी डर है l नंदिनी चुप चाप अपनी सीट पर बैठ जाती है l थोड़ी देर बाद एक लेक्चरर आता है और पढ़ाना शुरू करता है l नंदिनी इस बार देखती है कि लेक्चरर भी नजरें मिलने से कतरा रहा है l किसी तरह क्लास खतम होता है तो लेक्चरर के साथ सारे स्टूडेंट्स जल्दी जल्दी क्लास रूम से निकल जाते हैं l क्लास में नंदिनी अकेली बैठी हुई है, उसे बुरा भी लग रहा है, वह सर उठाकर अपनी चारों और देखती है और कुछ सोच में डुब जाती है, उधर रॉकी आज रात की पार्टी में अपने दोस्तों के साथ मिशन नंदिनी को कैसे आगे बढाए उस प्लान के बारे में सोच रहा है और जैल से तापस जा चुका है और उसकी कुर्सी पर अब खान बैठा हुआ है l चार्ज हैंड ओवर के बाद तापस तुरंत निकल गया l अब जगन ने खान के मन में क्युरोसिटी जगा दिया था कि सेनापति को एक कैदी से इतना जुड़ाव हो गया है कि उसकी रिहाई के चलते सेनापति अपनी नौकरी से VRS ले लिया है, और उसी कैदी को सज़ा भी सेनापति की बीवी ने करवाया था l
खान - या आल्हा पता लगाना पड़ेगा माजरा क्या है....
यह कह कर अपनी सोच में गुम हो जाता है
Nice and excellent update...
 

Kala Nag

Mr. X
3,907
15,300
144
Nice and excellent update...
धन्यबाद मित्र
ऐसे ही उत्साह बढ़ाते रहिए
 
  • Like
Reactions: mashish

Kala Nag

Mr. X
3,907
15,300
144
बहुत ही बेहतरीन कहानी मान्यवर।।
धन्यबाद मित्र
आपका उत्साह बढ़ाना कहानी को अंजाम तक पहुंचायेगा
 
  • Like
Reactions: mashish
9,481
39,872
218
IMG-20211028-153542
SYNOPSIS

अहंकार के संरक्षण में अत्याचार, अनाचार, दुराचार, व्याभिचार पलता है.....

अहंकार के परछाई में अच्छाई छुप जाती है l अहंकार जो अपने वर्चस्व के लिए न्याय, सत्य धर्म को कुचल के रखने की कोशिश करता रहता है,
उसी अहंकार को अगर रूप व स्वरुप दें तो वह भैरव सिंह क्षेत्रपाल कहलाएगा जिसे पुरा राज्य राजा साहब के नाम से संबोधन करता है l भैरव सिंह क्षेत्रपाल का रौब रुतबा व दखल राज्य के शासन व प्रशासन तंत्र में भीतर तक है l
वह इतनी हैसियत रखता है कि जब चाहे राज्य की सरकार की स्थिति को डांवाडोल कर सकता है l
ऐसे ही व्यक्तित्व से भीड़ जाता है एक आम आदमी विश्व प्रताप महापात्र जिसे लोग विश्वा कहते हैं l उसी धर्म युद्ध में विश्वा भारी कीमत भी चुकाता है l

युद्ध में हथियार ही स्थिर व स्थाई रहता है जब कि हथियार चलाने वाले व हथियार से मरने वाले यानी कि हथियार के पीछे वाला व हथियार के सामने वालों की स्थान व पात्र काल के अनुसार बदलते रहते हैं, जिसके कारण युद्ध के परिणाम प्रभावित होता है l

जो कल हथियार को ले कर शिकार कर रहा था आज उसी हथियार से वह खुद शिकार हो रहा है l

इसी धर्म युद्ध के यही दो मुख्य किरदार हैं l बाकी सभी इनके सह किरदार हैं l इन्हीं के युद्ध का प्रतिफल ही "विश्वरूप" है l
यह कहानी सम्पूर्ण रूप से काल्पनिक है l इसके स्थान, पात्र व घटनायें सभी मेरी कल्पना ही है जो किसी जिवित या मृत व्यक्ति अथवा स्थान से किसी भी प्रकार से संबंधित नहीं है l

चूंकि मैं ओड़िशा से हूँ इसलिए इस कहानी का भौगोलिक विवरण एवं चरित्र चित्रण व संचालन ओड़िशा के पहचान से करूंगा l

मित्रों साथ जुड़े रहें
मैं अगले रवि वार को पहला अंक प्रस्तुत करूंगा l


🙏 🙏 🙏 धन्यवाद🙏🙏🙏
अद्भुत विश्लेषण ।
 
  • Like
Reactions: mashish
9,481
39,872
218
👉पहला अपडेट
————————

मित्रों चूंकि रवि वार को मैं बहुत व्यस्त रहने वाला हूँ इसलिए मैं आज ही पहला अपडेट प्रस्तुत कर रहा हूं l


सेंट्रल जेल भुवनेश्वर
आधी रात का समय है l बैरक नंबर 3 कोठरी नंबर 11 में फर्श पर पड़े बिस्तर पर एक कैदी छटपटा रहा है बदहवास सा हो रहा है जैसे कोई बुरा सपना देख रहा है....


सपने में......

एक नौजवान को दस हट्टे कट्टे पहलवान जैसे लोग एक महल के अंदर दबोच रखे हुए हैं
इतने में एक आदमी महल के सीढियों से नीचे उतर कर आता है l शायद वह उस महल का मालिक है, जिसके पहनावे, चाल व चेहरे से कठोरता व रौब झलक रहा है l

वह आदमी उस नौजवान को देख कर कहता है
आदमी - तेरी इतनी खातिरदारी हुई फिर भी तेरी हैकड़ी नहीं गई तेरी गर्मी भी नहीं उतरी l अबे हराम के जने पुरे यशपुर में लोग जिस चौखट के बाहर ही अपना घुटने व नाक रगड़ कर बिना पीठ दिखाए वापस लौट जाते हैं l तुने हिम्मत कैसे की इसे लांघ कर भीतर आने की l

वह नौजवान उन आदमियों के चंगुल से छूटने की फ़िर कोशिश करता है l इतने में एक आदमी जो शायद उन पहलवानों का लीडर था एक घूंसा मारता है जिसके वजह से वह नौजवान का शरीर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है l

जिसे देखकर उस घर का मालिक के चेहरे का भाव और कठोर हो जाता है, फिर उस नौ जवान को कहता है - बहुत छटपटा रहा है मुझ तक पहुंचने के लिए l बे हरामी सुवर की औलाद तू मेरा क्या कर लेगा या कर पाएगा l

इतना कह कर वह पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और उन आदमियों से इशारे से उस नौजवान को छोड़ने के लिए कहता है l

वह नौजवान छूटते ही नीचे गिर जाता है बड़ी मुश्किल से अपना सर उठा कर उस घर के मालिक की तरफ देखता है l
जैसे तैसे खड़ा होता है और पूरी ताकत से कुर्सी पर बैठे आदमी पर छलांग लगा देता है l पर यह क्या उसका शरीर हवा में ही अटक जाता है l वह देखता है कि उसे हवा में ही वह दस लोग फिरसे दबोच लिया है l वह नौजवान हवा में हाथ मारने लगता है पर उसके हाथ उस कुर्सी पर बैठे आदमी तक नहीं पहुंच पाते l यह देखकर कुर्सी पर बैठा उस आदमी के चेहरे पर एक हल्की सी सर्द मुस्कराहट नाच उठता है l जिससे वह नौजवान भड़क कर चिल्लाता है - भैरव सिंह......


भैरव सिंह उन पहलवानों के लीडर को पूछता है - भीमा,
भीमा-ज - जी मालिक l
भैरव सिंह - हम कौन हैं l


भीमा- मालिक, मालिक आप हमारे माईबाप हैं, अन्न दाता हैं हमारे, आप तो हमारे पालन हार हैं l

भैरव सिंह - देख हराम के जने देख यह है हमारी शख्सियत, हम पूरे यशपुर के भगवान हैं और हमारा नाम लेकर हमे सिर्फ वही बुला सकता है जिसकी हमसे या तो दोस्ती हो या दुश्मनी l वरना पूरे स्टेट में हमे राजा साहब कह कर बुलाया जाता है l तू यह कैसे भूल गया बे कुत्ते, गंदी नाली के कीड़े l

वह नौजवान चिल्लाता है - आ - आ हा......... हा.. आ

भैरव सिंह - चर्बी उतर गई मगर अभी भी तेरी गर्मी उतरी नहीं है l जब चीटियों के पर निकल आने से उन्हें बचने के लिए उड़ना चाहिए ना कि बाज से पंजे लड़ाने चाहिए l
छिपकली अगर पानी में गिर जाए तो पानी से निकलने की कोशिश करनी चाहिए ना कि मगरमच्छ को ललकारे l तेरी औकात क्या है बे....
ना हमसे दोस्ती की हैसियत है और ना ही दुश्मनी के लिए औकात है तेरी
तु किस बिनाह पर हम से दुश्मनी करने की सोच लिया l हाँ आज अगर हमे छू भी लेता तो हमारे बराबर हो जाता कम-से-कम दुश्मनी के लिए l

इतना कह कर भैरव सिंह खड़ा होता है और सीढियों के तरफ मुड़ कर जाने लगता है l सीढ़ियां चढ़ते हुए कहता है

भैरव सिंह - अब तू जिन के चंगुल में फंसा हुआ है वह हमारे पालतू हैं जो हमारी सुरक्षा के पहली पंक्ति हैं l हमारे वंश का वैभव, हमरे नाम का गौरव पूरे राज्य में हमे वह रौब वह रुतबा व सम्मान प्रदान करते हैं कि समूचा राज्य का शासन व प्रशासन का सम्पूर्ण तंत्र न केवल हमे राजा साहब कहता है बल्कि हमारी सुरक्षा के लिए जी जान लगा देते हैं l तू जानता है हमारा वंश के परिचय ही हमे पूरे राज्य के समूचा तंत्र वह ऊचाई दे रखा है.....

इतना कह कर भैरव सिंह सीढ़ियों पर रुक जाता है और मुड़ कर फिर से नौजवान के तरफ देख कर बोलता है

भैरव सिंह - जिस ऊचाई में हमे तू तो क्या तेरे आने वाली सात पुश्तें भी मिलकर सर उठा कर देखने की कोशिश करेंगे तो तुम सब के रीढ़ की हड्डीयां टुट जाएंगी l
देख हम कहाँ खड़ा हैं देख, सर उठा कर देख सकता है तो देख l

नौजवान सर उठाकर देखने की कोशिश करता है ठीक उसी समय उसके जबड़े पर भीमा घूंसा जड़ देता है l
वह नौजवान के मुहँ से खून की धार निकलने लगता है l


भैरव सिंह - हम तक पहुंचते पहुंचते हमारी पहली ही पंक्ति पर तेरी यह दशा है l तो सोच हम तक पहुंचने के लिए तुझे कितने सारे पंक्तियाँ भेदने होंगे और उन्हें तोड़ कर हम तक कैसे पहुँचेगा l चल आज हम तुझे हमारी सारी पंक्तियों के बारे जानकारी मिलेगी l तुझे मालूम था तू किससे टकराने की ज़ुर्रत कर रहा है पर मालूम नहीं था कि वह हस्ती वह शख्सियत क्या है l आज तु भैरव सिंह क्षेत्रपाल का विश्वरूप देखेगा l तुझे मालूम होगा जिससे टकराने की तूने ग़लती से सोच लीआ था उसके विश्वरूप के सैलाब के सामने तेरी हस्ती तेरा वज़ूद तिनके की तरह कैसे बह जाएगा l

नहीं...


कह कर वह कैदी चिल्ला कर उठ जाता है l उसके उठते ही हाथ लग कर बिस्तर के पास कुछ किताबें छिटक कर दूर पड़ती है और इतने में एक संत्री भाग कर आता है और कोठरी के दरवाजे पर खड़े हो कर नौजवान से पूछता है - क्या हुआ विश्वा l

विश्वा उस संत्री को बदहवास हो कर देखता है फ़िर चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान ले कर कहता है - क.. कुछ नहीं काका एक डरावना सपना आया था इसलिए थोड़ा नर्वस फिल हुआ तो चिल्ला बैठा l

संत्री - हा हा हा, सपना देख कर डर गए l चलो कोई नहीं यह सुबह थोड़े ही है जो सच हो जाएगा l हा हा हा हा

विश्वा धीरे से बुदबुदाया - वह सच ही था काका जो सपने में आया था l एक नासूर सच l

संत्री - कुछ कहा तुमने

विश्वा - नहीं काका कुछ नहीं l

इतने में दरवाजे के पास पड़ी एक किताब को वह संत्री उठा लेता है और एक दो पन्ने पलटता है फिर कहता है

संत्री - वाह विश्वा यह चौपाया तुमने लिखा है l बहुत बढ़िया है..

काल के द्वार पर इतिहास खड़ा है
प्राण निरास जीवन कर रहा हाहाकार है
अंधकार चहुंओर घनघोर है
प्रातः की प्रतीक्षा है चंद घड़ी दूर भोर है

वाह क्या बात है बहुत अच्छे पर विश्वा यह कानून की किताब है इसे ऐसे तो ना फेंको l


विश्वा - सॉरी काका अगली बार ध्यान रखूँगा क्यूंकि वह सिर्फ कानून की किताब नहीं है मेरे लिए भगवत गीता है l

संत्री - अच्छा अच्छा अब सो जाओ l कल रात ड्यूटी पर भेंट होगी l शुभरात्रि l

विश्वा - शुभरात्रि

इतना कहकर विश्वा संत्री से किताब लेकर अपने बिस्तर पर आके लेट जाता है l

×××××××××××××××××××××
सुबह सुबह का समय एक सरकारी क्वार्टर में प्रातः काल का जगन्नाथ भजन बज रहा है l एक पचास वर्षीय व्यक्ति दीवार पर लगे एक नौजवान के तस्वीर के आगे खड़ा है l इतने में एक अड़तालीस वर्षीय औरत आरती की थाली लिए उस कमरे में प्रवेश करती है और उस आदमी को कहती है - लीजिए आरती ले लीजिए l

आदमी का ध्यान टूटता है और वह आरती ले लेता है l फ़िर वह औरत थाली लेकर भीतर चली जाती है l
वह आदमी जा कर सीधे डायनिंग टेबल पर बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद वह औरत भी आकर उसके पास बैठ जाती है और कहती है - क्या हुआ सुपरिटेंडेंट साब अभी से भूक लग गई क्या आपको l अभी तो हमे पूरी जाना है फ़िर जगन्नाथ दर्शन के बाद आपको खाना मिलेगा l
आदमी - जानता हूँ भाग्यवान तुम तो जनती हो l आज का दिन मुझे मेरे नाकामयाबी याद दिलाता रहता है l

औरत - देखिए वक्त ने हमसे एक बेटा छीना तो एक को बेटा बना कर लौटाया भी तो है l और आज का दिन हम कैसे भूल सकते हैं l उसीके याद में ही तो हम आज बच्चों के, बूढ़ों के आश्रम को जा रहे हैं l

आदमी - हाँ ठीक कह रहे हो भाग्यवान l अच्छा तुम तो तैयार लग रही हो l थोड़ा चाय बना दो मैं जा कर ढंग के कपड़े पहन कर आता हूँ l फिर पीकर निकालते हैं l

इतना कह कर वह आदमी वहाँ से अपने कमरे को निकाल जाता है l
इतने में वह औरत उठ कर किचन की जा रही थी कि कॉलिंग बेल बजती है l तो अब वह औरत बाहर के दरवाजे के तरफ मुड़ जाती है l दरवाजा खोलती है तो कोई नहीं था नीचे देखा तो आज का न्यूज पेपर मिला उसे उठा कर मुड़ती है तो उसे दरवाजे के पास लगे लेटते बॉक्स पर कुछ दिखता है l वह लेटर बॉक्स खोलते ही उसे एक खाकी रंग की सरकारी लिफाफा मिलता है l जिस पर पता तापस सेनापति जेल सुपरिटेंडेंट लिखा था, और वह पत्र डायरेक्टर जनरल पुलिस के ऑफिस से आया था l

वह औरत चिट्ठी खोल कर देखती है l चिट्ठी को देखते ही उसकी आँखे आश्चर्य से बड़ी हो जाती है l वह गुस्से से घर में घुसती है और अपने पति चिठ्ठी दिखा कर पूछती है यह क्या है...?
पहला अपडेट बहुत ही जबरदस्त था । कैदी ने जो कविता लिखी थी वह तो गजब ही था ।
एक सलाह देना चाहता हूं । कहानी पास्ट टेंस में लिखनी चाहिए और डायलॉग प्रजेंट टेंस में ।
जैसे कि इस अपडेट की शुरुआत हुई थी - " आधी रात का समय है "
यहां पर होना चाहिए था -" आधी रात का वक़्त था "
मतलब पास्ट टेंस में ।
और डायलॉग तो लाजवाब लिखा ही है आपने ।

एकाध दिन में पढ़कर रेभो देने की कोशिश करता हूं भाई । आपकी हिंदी सच में बहुत ही बेहतरीन है ।
 
Top