अरे भाई! कैसा awkward moment है ये!
पहली बार... शायद पहली बार विक्रम ने अपने बाप से तर्क वितर्क किया हो!
अभी तक तो वो जी हुज़ूर वाले mode में था!
इतना जानने पर भी अगर वो अनु को बचाने की कोशिश न करे, तो एक तरह से वो खूनी ही है।
जान-बूझ कर किसी निर्दोष की हत्या होने देना, ख़ास कर तब जब आप हत्या को रोकने में सक्षम हैं, महापाप है।
शायद यहीं से वो भैरव से दूर होने की कोशिश करे?
सोचो - जिनके घर आना चाहती है, जिनकी स्वीकृति चाहती है, वो उसकी हत्या करना चाहते हैं।
अनु बचेगी कैसे, यह देखने वाली बात रहेगी।
"
डर कर खड़ा हो जाता है"
पढ़ते ही मन में शैतानी विचार आ गए!
स्साला है बड़ा फ़ट्टू! ये बात तो नकचढ़ी ने सही समझी है।
सुहागरात में वो ही इसका घूँघट उठाएगी - इतना तय है!
लगता है इसी प्रोजेक्ट में पहली बड़ी चोट लगेगी खेत्रपालों को!
धन की चोट सबसे गहरी होती है।
ये बड़ी रहस्य वाली बात हो गई! किसकी तक़दीर?
ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि भैरव को रोणा की बार बार की नाकामी दिखाई न दी हो! क्या पता, रोणा की ही तक़दीर का फ़ैसला हो जाए!
ये बल्लभ बड़ा सालार हो सकता है भैरव की सेना का!
ये सब तो ठीक है, लेकिन लगता ही नहीं कि अनु को बचाने को ले कर कोई urgency है वीर में!
वो विश्व को पूरी बात ही नहीं बता रहा है। और तो और, उसको अनु के ऊपर घर से ही होने वाले हमले का कोई ज्ञान ही नहीं है।
शायद विक्रम उसको बताएगा। मामला बड़ा रोचक हुआ जा रहा है दादा!
दारूण दारूण!