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कैसे कैसे परिवार: Chapter 70 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७०: जीवन के गाँव में शालिनी ७
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पात्र परिचय
अध्याय ७०: जीवन के गाँव में शालिनी ७
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Hott?झलकी ३
इसमें मैने नाम नहीं दिए हैं जिससे कुछ सस्पेनस बना रहे.
"हाँ मम्मी, ऐसे ही मेरा लंड चूसो. तुम कितने अच्छे से चूसती हो, आह" मम्मी १ अपने घुटनो के बाल बैठी हुई थी और बेटे १ का तना हुआ लंड चूस रही थी. वो इस समय नंगी थी. वो सब इस समय नंगे थे. मम्मी १ और २, बेटा १ और २.
मम्मी २ अपने बेटे (२) का लंड बड़ी बेसब्री से चूस रही थी. दोनो मम्मियों के मुँह से स्लर्प की अश्लील आवाज़ें निकल रही थीं.
मम्मी १ खड़ी हुई और उसने अपने बेटे को लेटने का आदेश दिया. बेटा १ अपने तने हुए सीधे खड़े मूसल लंड को पकड़कर लेट गया. उसकी माँ ने दोनों पैर उसके इर्द गिर्द रखे और धीरे धीरे उसके लंड पर अपनी भभकती हुई चूत को रखा और धाप के साथ बैठ गई. पिछले एक दिन से इन चारों की यही कामलीला चल रही थी. दोनों बेटों ने कॉलेज जाने की आवश्यकता नहीं समझी, न उनकी माताओं ने इस बात पर कोई शिकायत की. दोनो माताओं को एक दूसरे के प्रति एक नया अगाध आकर्षण लग रहा था. इन दोनों की जिस्म की प्यास एक ही स्तर की थी. किस्मत से उन्हें घर में ही ऐसे लौडे मिल गये थे अब कोई चिंता नहीं थी. मम्मी१ अपने कूल्हों ही घूमते हुए अपने बेटे के लंड पर तेज़ी से अपनी शरीर की ऊपर नीचे करने लगी.
"चोदमुझे मादरचोद. चोद मुझे." मम्मी १ आगे झुकी और अपने बेटे के मजबूत कंधों का सहारा लेकर अपनी गति बढ़ाने लगी. वो अपने कूल्हे तेज़ी से उछाल रही थी. वो तेज़ी से पूरा लंड लेने के लिए नीचे जाती, कूल्हे घुमाती थोड़ा ठहरती और फिर ऊपर चली जाती. उसने दूसरी ओर मम्मी 2 और बेटे 2 की ओर भूखी नज़रों से देखा. मम्मी २ को समझ आ गया.
उसने बेटे २ के लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और अपने मुँह से निकल कर कहा,"ओके, बेटा. अब अच्छे लड़के की तरह जाओ तुम भी आंटी को चोदो."
बेटा २ अपने तने हुए लौडे की भद्दे तरीके से हिलाते हुए मम्मी १ के पास पहुँचा. मम्मी १ बेटे १ के लंड पर पूरी बैठ गई और अपनी चुचियाँ उसके सिने से लगाकर उसे बेतहाशा चूमने लगी.
"मेरी गान्ड में पेल अपना लोडा." उसने चुंबन तोड़कर हाँफते हुआ कहा. बेटे २ ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे थोड़ा और आगे झुकाया. उसने मम्मी १ के नितंबों को अलग किया जिससे उसकी गान्ड का संकरा छेद खुल गया और हल्के हल्के खुलने बंद होने लगा. बेटे २ के चेहरे पर एक वहशियाना मुस्कराहट आ गई. उसने अपना मुँह गान्ड के पास लेजा कर उसपर थूका और एक उंगली से थोड़ा अंदर किया.
"किस का इंतज़ार कर रहा है हरामख़ोर?" मम्मी १ से अब रहा नहीं जा रहा था. ये सुनकर बेटे २ की मुस्कान ने हवस का रूप ले लिया.
उसने अपना लंड मम्मी १ ही गान्ड के छेड़ पर रखा और एक ही झटके में अंदर पेल दिया.
"मर गई रे." मम्मी १ की चीख निकल गई. इस समय उसके आगे पीछे दोनों के छेद विशालकाय लौड़ों से भरे हुए थे. साँस तक लेने की जगह नहीं थी.
Niceझलकी 4
आज उसका जन्मदिन था. पूरे दिन वो यही इंतज़ार करती रही की उसे लोग बधाई देंगे. पर सब अपने अपने काम में लगे रहे. जब शाम के ४ बजे तो उसने दुखी मन से अपने पति की शराब की बोतल निकली. वो पीने की आदि नहीं थी. पर उसके आँसू रुक नहीं रहे थे. एक पेग बनाकर वो सोफे पर जाकर बैठ गई , रेडियो पर गाने लगाकर वो सुनने लगी.
अचानक संगीत रुक गया. नशे के खुमार में उसे अपनी चूत में चल रही उंगली को एकदम से बाहर निकल दिया. आँखें खोलकर उनसे अपने आप को साइड में लगे शीशे में देखा और अपने को नंगा पाकर चौंक गई. "ये मैं क्या कर रही हूँ?"
तभी उसे एक परछाईं दिखी, एक आदमी की परछाईं.
"क कौन है?" उसे लगा कोई उसके घर में घुस गया है और उसका बलात्कार होने वाला है.
वो आदमी सामने आकर खड़ा हो गया. लीना ने चैन की साँस ली. पर वो अचानक घबरा गयी. वो अभी भी नंगी ही थी.
"राहुल भैया! आप यहाँ क्या कर रहे हो?"
"तुम्हें क्या लगा था की में तुम्हारा जन्मदिन भूल जाऊँगा? ऐसा कभी हुआ है? हॅपी बर्थडे, शालू."
"मैं खुद ही भूल गई थी." अपनी झेंप मिटाने के लिए बोली.
उसे फिर ध्यान आया की वो अभी भी नंगी ही थी. जब उसने राहुल को उसके शरीर को घूरते देखा तो वो शर्म से लाल हो गई.
"मुझे कुछ पहन लेने दो."
"तुम तो अपने बर्थडे सूट में ही हो, और क्या पहानोगी? और यही सही है क्योंकि आज में तुम्हे वो उपहार देना चाहता हूँ जो में सालों से देना चाहता था."
शालू को कुछ समझ नहीं आया, वो भौचक्की से निर्वस्त्र ही खड़ी रही और अपने भाई के अगले कदम का इंतज़ार करने लगी.
"शालू, अपनी आँखें बंद करो, ये सच में अद्भुत उपहार है."
शालू ने ऐसा ही किया. उसे कपड़ों की आवाज़ आई, जैसे कोई कुछ खोल रहा हो.
"आँखे खोलो, शालू."
शालू ने आँखे खोलीं तो वो फटी की फटी रह गयीं. राहुल अब उसकी ही तरह नंगा था.
"ये क्या मज़ाक है"
"तुम्हें तो इसे चूसने बहुत पसंद था न?"
"राहुल, उस समय को वर्षों बीत चुके हैं."
"तो आज उसे फिर से जी लो."
जैसे ही शालू ने झुककर राहुल कन लंड अपने मुँह में लिया, किचन का दरवाज़ा भड़ाक से खुला. शालू को लगा की वो बेहोश हो जाएगी.
"हॅपी बर्थडे!" चारों ने एक स्वर में गाया.
चारों: उसका बेटा, बेटी, पति और भतीजा. वो भूले नहीं थे उन्होने उसे सर्प्राइज़ दिया था. सर्प्राइज़ बर्थडे पार्टी. क्योंकि वो चारों भी नंगे थे.
"मम्मी, तुम ने सही समझा. ये तुम्हारे बर्थडे की सर्प्राइज़ पार्टी है. घरेलू चुदाई पार्टी."
और पाँचों ने शालू को अपनी बाहों में ले लिया.
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झलकी 2
सुरेखा सिंह का मन बहुत उदास था. वो अपने पति को ऐयरपोर्ट छोढ़कर अपने घर वापिस जा रही थी. उसके पति को किसी काम से १ महीने के लिए विदेश जाना था. उन दोनों के बीच में पिछले दो महीनों से कोई शारीरिक संबंध नहीं हुआ था. वो अपनी २० साल की शादी से पूरी तरह से असंतुष्ट थी. पर उसे कोई और राह भी नहीं दिख रही थी. उसके दोनों बच्चे सजल और संजना अब बड़े हो चुके थे और कॉलेज में थे.
सुरेखा जानती थी की इस आयु में भी वो इतनी आकर्षक थी की पुरुषों को आकृष्ट करती थी. पुरुष अक्सर उसके नितंब निहारा करते थे. पर अगर कोई आँख गढ़ाकर देखता था तो वो थी उसकी सुडोल और भारी चुचियाँ. अपने ऑफीस के कई पुरुषों को वो किसी भी तरह का भाव नहीं देती थी. उसने कभी भी अपने पति से बेवफ़ाई नहीं की. पर उसके बर्ताव से वो अब उचट चुकी थी.
वो अपने माता पिता को देखकर आश्चर्य करती थी की वो आज तक एक दूसरे सो कितना प्यार करते थे. दोनों की शादी उस समय के अनुसार बहुत छोटी आयु में ही हो गई थी. वो दोनों अभी भी स्वस्थ और सक्रिय थे. उसकी जुड़वा बहन सुप्रिया की भी शादी बहुत दिन नहीं चली थी. दो बच्चे होने के कुछ साल में ही उसका तलाक़ हो गया था. पर सुरेखा ने तलाक़ के कुछ दिनों के बाद कभी उसे दुखी नहीं देखा. उसने अपना सारा समय अपने काम और अपने बच्चों की देखभाल में लगा दिया था.
कुछ सोचते हुए उसने अपनी कार अपने पिता के घर की ओर मोड़ दी. घर पर कोई था नहीं और वो बहुत बेचैन थी. उसे ये देखकर खुशी हुई की सुप्रिया की कार भी वहीं थी. आज वो अपनी माँ और बहन से कुछ सलाह लेने का मन बना चुकी थी. ये अच्छा ही हुआ कि दोनों साथ मिल गयीं. उसने घंटी बजाई पर कोई उत्तर न मिलने पर अपनी चाबी से दरवाजा खोला और अंदर चली गयी. वो अपनी माँ को पुकारने ही वाली थी की उसे ऊपर के कमरे से सिसकारियाँ सुनाई दीं. उत्सुकता वश वो दबे पाँव उपर की ओर बढ़ने लगी और अपने माता पिता के कमरे को ओर जाने लगी.
"उूउउह, और अंदर, और ज़ोर से." सुरेखा ने अपनी माँ की आवाज़ को पहचान लिया. वो अपनी हँसी दबाते हुए सोचने लगी की दोनों दोपहर में चुदाई कर रहे हैं.
"मैं बाद में आ जाऊंगी, अभी इन्हे आनंद लेने दूं" सोचकर वो पलटी, फिर ये सोचकर की थोड़ी जासूसी की जाए, वो बढ़ी तो देखा की दरवाज़ा पूरा बंद नहीं था. बचपन की शरारत याद करते हुए उसने पल्ला थोड़ा सा खोला और अंदर झाँका.
उसकी माँ निर्वस्त्र थी और अपने लाल होठों से अपने पति की लंबा और मोटा लंड चूस रही थी. सुरेखा ने अपने सूखे होठों पर जीभ फिराई. उसकी माँ पिता के अंडकोष हल्के हाथों से दबा रही थी. उसके पिता का सिर ऊपर पीछे था और चेहरा आनंद विभोर था.
अपनी माँ को लंड चुसते हुए देखकर सुरेखा को कोई आश्चर्य नहीं हुआ. पर उसे झटका लगा जब उसने ये जाना की वो दोनों अकेले नहीं थे. एक और आदमी था जो उसकी माँ शीला की पीछे से एक विशाल लंड से चुदाई कर रहा था.
वो कोई और नहीं, सुप्रिया का बड़ा बेटा निखिल था!
Jabarjast next ka intjar haiझलकी ३
इसमें मैने नाम नहीं दिए हैं जिससे कुछ सस्पेनस बना रहे.
"हाँ मम्मी, ऐसे ही मेरा लंड चूसो. तुम कितने अच्छे से चूसती हो, आह" मम्मी १ अपने घुटनो के बाल बैठी हुई थी और बेटे १ का तना हुआ लंड चूस रही थी. वो इस समय नंगी थी. वो सब इस समय नंगे थे. मम्मी १ और २, बेटा १ और २.
मम्मी २ अपने बेटे (२) का लंड बड़ी बेसब्री से चूस रही थी. दोनो मम्मियों के मुँह से स्लर्प की अश्लील आवाज़ें निकल रही थीं.
मम्मी १ खड़ी हुई और उसने अपने बेटे को लेटने का आदेश दिया. बेटा १ अपने तने हुए सीधे खड़े मूसल लंड को पकड़कर लेट गया. उसकी माँ ने दोनों पैर उसके इर्द गिर्द रखे और धीरे धीरे उसके लंड पर अपनी भभकती हुई चूत को रखा और धाप के साथ बैठ गई. पिछले एक दिन से इन चारों की यही कामलीला चल रही थी. दोनों बेटों ने कॉलेज जाने की आवश्यकता नहीं समझी, न उनकी माताओं ने इस बात पर कोई शिकायत की. दोनो माताओं को एक दूसरे के प्रति एक नया अगाध आकर्षण लग रहा था. इन दोनों की जिस्म की प्यास एक ही स्तर की थी. किस्मत से उन्हें घर में ही ऐसे लौडे मिल गये थे अब कोई चिंता नहीं थी. मम्मी१ अपने कूल्हों ही घूमते हुए अपने बेटे के लंड पर तेज़ी से अपनी शरीर की ऊपर नीचे करने लगी.
"चोदमुझे मादरचोद. चोद मुझे." मम्मी १ आगे झुकी और अपने बेटे के मजबूत कंधों का सहारा लेकर अपनी गति बढ़ाने लगी. वो अपने कूल्हे तेज़ी से उछाल रही थी. वो तेज़ी से पूरा लंड लेने के लिए नीचे जाती, कूल्हे घुमाती थोड़ा ठहरती और फिर ऊपर चली जाती. उसने दूसरी ओर मम्मी 2 और बेटे 2 की ओर भूखी नज़रों से देखा. मम्मी २ को समझ आ गया.
उसने बेटे २ के लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और अपने मुँह से निकल कर कहा,"ओके, बेटा. अब अच्छे लड़के की तरह जाओ तुम भी आंटी को चोदो."
बेटा २ अपने तने हुए लौडे की भद्दे तरीके से हिलाते हुए मम्मी १ के पास पहुँचा. मम्मी १ बेटे १ के लंड पर पूरी बैठ गई और अपनी चुचियाँ उसके सिने से लगाकर उसे बेतहाशा चूमने लगी.
"मेरी गान्ड में पेल अपना लोडा." उसने चुंबन तोड़कर हाँफते हुआ कहा. बेटे २ ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे थोड़ा और आगे झुकाया. उसने मम्मी १ के नितंबों को अलग किया जिससे उसकी गान्ड का संकरा छेद खुल गया और हल्के हल्के खुलने बंद होने लगा. बेटे २ के चेहरे पर एक वहशियाना मुस्कराहट आ गई. उसने अपना मुँह गान्ड के पास लेजा कर उसपर थूका और एक उंगली से थोड़ा अंदर किया.
"किस का इंतज़ार कर रहा है हरामख़ोर?" मम्मी १ से अब रहा नहीं जा रहा था. ये सुनकर बेटे २ की मुस्कान ने हवस का रूप ले लिया.
उसने अपना लंड मम्मी १ ही गान्ड के छेड़ पर रखा और एक ही झटके में अंदर पेल दिया.
"मर गई रे." मम्मी १ की चीख निकल गई. इस समय उसके आगे पीछे दोनों के छेद विशालकाय लौड़ों से भरे हुए थे. साँस तक लेने की जगह नहीं थी.