Updated kuch der me aane wala hai bhai .intezaar hain dost...
Super update...abhi to jhumri ka deewana ho gaya he....Updated,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, 3
गांव की कच्ची रास्तों पर अभि का पैर सिर्फ राजन की घर की ओर बढ़ रहा था । उसे आज सुबह की घटना जहन से उतरा नही था । आज झुमरी उसकी लक्ष्य बन गई थी । उसे कुछ भी करके राजन के घर पहुंचना था । करीब गांव के कुछ घर पार करने के बाद अभि राजन के घर के सामने था । पुष्षा ( झुमरी की बेटी) झाड़ू लगा रही थी । जिससे उसके झुकने के कारण उसके सूट के बड़े गले से उसकी चूची का हिस्सा दिख रहा था । अभि उन चूची के जोड़ो में खो सा गया। सुबह से उसको कामुक करने वाली महिलाए मिल रही थी। पुष्पा अभि को देख कर झाड़ू लगाना बंद कर दिया ।
पुष्पा :- अरे अभि तू खड़ा क्यों है आ बैठ ।
अभि :- कुछ नही दीदी । वो राजन नही दिख रहा है ।
पुष्पा :- ओह तो तू राजन से मिलने आया है । अपनी दीदी से तो कभी नही मिलने आता है ।
अभि:- दीदी वो खेत में काम देखने और पशुओं को चराने में समय निकल जाता है । वैसे राजन घर पर नही है क्या ?
पुष्पा :- नही वह सुबह ही बुआ के घर निकल गया । बुआ के घर काम था । और उधर से ही उसे बीज लाना है ।
अभि:- ठीक है दीदी तो मैं चलता हु ।
पुष्पा :- अरे रुक तो सही चाय पी ले तो जाना ।
अभि:- नही दीदी मै घर से पी कर आ रहा हु।
तभी स्नानघर से झुमरी अपनी पेटीकोट अपने छाती तक चढ़ा कर बाहर निकली । उसके बड़े बड़े चूची इस समय कयामत लग रही। पेटीकोट जांघ से थोड़े नीचे थे । अगर अगर हल्की से हवा भी आए तो संवर्ग दिख जायेगा । बाहर बैठा अभि ही हालत पतली हो गई थी । वह सिर्फ झुमरी को देखने में मस्त था । उसकी नजर अब पास में बैठी पुष्पा पर बिल्कुल भी नही था । झुमरी भी तुरंत कमरे में घुस गई ।
पुष्पा :- क्यों मां को खाने की इरादा है क्या ?
अभी अपने बगल में खाट (चारपाई) पर बैठी पुष्पा की आवाज सुनकर अपने दुनिया में वापस आ गया । अब उसे बहुत ज्यादा शर्म महसूस हो रहा था। क्योंकि बगल में बेटी बैठी है और उसकी मां को अंगो को आखों से भाई साहब रसपान कर रहे है ।
अब अभी कुछ बोलने की हालत में नही था । पुष्पा भी हालत समझ रही थी इसलिए वह अभी के करीब आकर बोली ।
पुष्पा :- बोल ना ।
अभि :- वो दीदी पता नही , मेरी नजर गलती से काकी पर पड़ गया था ।
पुष्पा भी अभी को तंग करने के लिए उसे बिल्कुल सट कर बैठ है । अब उसकी बाया चूची अभि के हाथ पर टच होने लगा था। इसका महसूस अभी को भी हो गया था । वह पहले से ही गरम था ऊपर से पुष्पा की चूची जो बिल्कुल उसकी मां के आकार हा कुछ छोटा अब अभी के कंधे को रगड़ रहा था। उसकी चूची के निप्पल लगता था अभि के कंधे में छेद करने को बिल्कुल तैयार थे । जो पूरी तरह कड़ा हो गए थे। पुष्पा की हालत भी कुछ अभि के जैसा था । वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी । क्योंकि अब उसकी चूचियां रगड़ने की रफ्तार कुछ तेज हो रही थी ।
पुष्पा :- बोल ना अभि खायेगा ।
अभी अब बिल्कुल बोलने की कगार पर नही था। उसके साथ यह खेल आज पहली बार पुष्पा खेल रही थी। पर पुष्पा की नजर अभी पर बहुत दिनो से थी । तभी झुमरी भी अपने कपड़े पहन कर बाहर आने लगी।
झुमरी :- अरे कलमुही यह वर्तन को कौन साफ करेगा ।
झुमरी की आवाज सुन कर पुष्पा और अभि हवस की दुनिया से वापस आज चुके । पुष्पा बिना कुछ बोले सीधे वर्तन समेटने लगी । अब अभि निकलना चाहता था पर वह कुछ सोच कर रुक गया ।
अभि :- काकी वो खेतो में पानी कब चलेगा।
झुमरी :- अब राजन ही चलाएगा। अब बुआई भी शुरू हो गई है ।
झुमरी अभि के पास आकर खाट पर बैठ गई । पुष्पा भी एक गिलास में चाय लेकर झुमरी के सामने रख कर चली गई । आज पुष्पा अपने मां को मन ही मन में गाली दे रही थी। पर छोड़ो जब लेखक चाहेगा तभी “पुष्पा झुकेगी”
झुमरी :- अभि तू नही पिएगा ।
(अभि मन में :- काकी मै तो दिन रात पीने को तैयार हु ।अगर तू इन दोनो दुधखाने की दरवाजा खोल दे तो )
अभि:- नही काकी वो घर से ही पी कर आ रहा हु ।
झुमरी :- वैसे भी तू तो चाय नही पिता है । तुझे तो दूध चाहिए ।
अभि:- हां काकी जबतक गईया दूध देती है तब तक मिलता है नही तो फिर इंतजार करो ।
झुमरी :- मेरी वाली गाय का भी 8 महीने की डेट हो गया है ।
अभि:- काकी तेरी गाय इस बार बछिया ही देगी ।
झुमरी :- भगवान की लीला है ।
अभि:- ठीक है काकी अब चलता हु बहुत देर हो गया धर से निकले हुए ।
झुमरी :- अरे रुक तो सही खाना खा के जा ।
अभि:- नही काकी फिर कभी खा लूंगा ।
अभी अब झुमरी से घर से निकल से फिर अपने घर के कच्चे रास्ते पर आ गया । आज झुमरी के घर हुई घटना को सोच कर अभि मस्त हो रहा था । आज अगर झुमरी थोड़ी देर बाद आती तो अभि पुष्पा के कड़क और गोल गुलम्ब चूची को कस कर रगड़ देता। अभी अपने सोच में गुम था । उसे पता ही नही चला कब वह घर पहुंच गया ।
घर घुसते ही उसे अलग खुशी मिली । उसकी मां उसपर बरस पड़ी ।
माया :- तू अब तक कहा पर था ।
अभि :- मां वो मै राजन के घर गया था ।
माया :- बैल जितना हो गया अब घर का कुछ काम वाम को करना नही है सिर्फ लाफंडू जैसा झूमता रहता है ।
अभि:- मां तू इतना गुस्सा क्यों कर रही है। वो खेत का इंजन ( पानी वाला ) चालू करना था इसलिए राजन को बुलाने गया था ।
माया :- हां तुझे तो एक बहाना मिल गया ना अब ।
माया और अभि की नोक झोंक सुनकर अनु और अमीषा हस रही थी। उन्हे पता था माया जितना प्यार अभि को कोई नही करता है । वह सिर्फ वैसे ही डांट रही थी । अभि अमीषा और अनु को हंसता देख कर । उन्हे गुस्सा से देखने लगा । अब अनु और अमीषा और जोर से हसने लगी ।
माया :- जा जाकर मुंह हाथ धो ले और खाना खा ।
अभी बिना कुछ जवाब दिए सीधे नल पर निकल गया ।
Thanks friendSuper update...abhi to jhumri ka deewana ho gaya he....
nice update..!!Updated,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, 3
गांव की कच्ची रास्तों पर अभि का पैर सिर्फ राजन की घर की ओर बढ़ रहा था । उसे आज सुबह की घटना जहन से उतरा नही था । आज झुमरी उसकी लक्ष्य बन गई थी । उसे कुछ भी करके राजन के घर पहुंचना था । करीब गांव के कुछ घर पार करने के बाद अभि राजन के घर के सामने था । पुष्षा ( झुमरी की बेटी) झाड़ू लगा रही थी । जिससे उसके झुकने के कारण उसके सूट के बड़े गले से उसकी चूची का हिस्सा दिख रहा था । अभि उन चूची के जोड़ो में खो सा गया। सुबह से उसको कामुक करने वाली महिलाए मिल रही थी। पुष्पा अभि को देख कर झाड़ू लगाना बंद कर दिया ।
पुष्पा :- अरे अभि तू खड़ा क्यों है आ बैठ ।
अभि :- कुछ नही दीदी । वो राजन नही दिख रहा है ।
पुष्पा :- ओह तो तू राजन से मिलने आया है । अपनी दीदी से तो कभी नही मिलने आता है ।
अभि:- दीदी वो खेत में काम देखने और पशुओं को चराने में समय निकल जाता है । वैसे राजन घर पर नही है क्या ?
पुष्पा :- नही वह सुबह ही बुआ के घर निकल गया । बुआ के घर काम था । और उधर से ही उसे बीज लाना है ।
अभि:- ठीक है दीदी तो मैं चलता हु ।
पुष्पा :- अरे रुक तो सही चाय पी ले तो जाना ।
अभि:- नही दीदी मै घर से पी कर आ रहा हु।
तभी स्नानघर से झुमरी अपनी पेटीकोट अपने छाती तक चढ़ा कर बाहर निकली । उसके बड़े बड़े चूची इस समय कयामत लग रही। पेटीकोट जांघ से थोड़े नीचे थे । अगर अगर हल्की से हवा भी आए तो संवर्ग दिख जायेगा । बाहर बैठा अभि ही हालत पतली हो गई थी । वह सिर्फ झुमरी को देखने में मस्त था । उसकी नजर अब पास में बैठी पुष्पा पर बिल्कुल भी नही था । झुमरी भी तुरंत कमरे में घुस गई ।
पुष्पा :- क्यों मां को खाने की इरादा है क्या ?
अभी अपने बगल में खाट (चारपाई) पर बैठी पुष्पा की आवाज सुनकर अपने दुनिया में वापस आ गया । अब उसे बहुत ज्यादा शर्म महसूस हो रहा था। क्योंकि बगल में बेटी बैठी है और उसकी मां को अंगो को आखों से भाई साहब रसपान कर रहे है ।
अब अभी कुछ बोलने की हालत में नही था । पुष्पा भी हालत समझ रही थी इसलिए वह अभी के करीब आकर बोली ।
पुष्पा :- बोल ना ।
अभि :- वो दीदी पता नही , मेरी नजर गलती से काकी पर पड़ गया था ।
पुष्पा भी अभी को तंग करने के लिए उसे बिल्कुल सट कर बैठ है । अब उसकी बाया चूची अभि के हाथ पर टच होने लगा था। इसका महसूस अभी को भी हो गया था । वह पहले से ही गरम था ऊपर से पुष्पा की चूची जो बिल्कुल उसकी मां के आकार हा कुछ छोटा अब अभी के कंधे को रगड़ रहा था। उसकी चूची के निप्पल लगता था अभि के कंधे में छेद करने को बिल्कुल तैयार थे । जो पूरी तरह कड़ा हो गए थे। पुष्पा की हालत भी कुछ अभि के जैसा था । वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी । क्योंकि अब उसकी चूचियां रगड़ने की रफ्तार कुछ तेज हो रही थी ।
पुष्पा :- बोल ना अभि खायेगा ।
अभी अब बिल्कुल बोलने की कगार पर नही था। उसके साथ यह खेल आज पहली बार पुष्पा खेल रही थी। पर पुष्पा की नजर अभी पर बहुत दिनो से थी । तभी झुमरी भी अपने कपड़े पहन कर बाहर आने लगी।
झुमरी :- अरे कलमुही यह वर्तन को कौन साफ करेगा ।
झुमरी की आवाज सुन कर पुष्पा और अभि हवस की दुनिया से वापस आज चुके । पुष्पा बिना कुछ बोले सीधे वर्तन समेटने लगी । अब अभि निकलना चाहता था पर वह कुछ सोच कर रुक गया ।
अभि :- काकी वो खेतो में पानी कब चलेगा।
झुमरी :- अब राजन ही चलाएगा। अब बुआई भी शुरू हो गई है ।
झुमरी अभि के पास आकर खाट पर बैठ गई । पुष्पा भी एक गिलास में चाय लेकर झुमरी के सामने रख कर चली गई । आज पुष्पा अपने मां को मन ही मन में गाली दे रही थी। पर छोड़ो जब लेखक चाहेगा तभी “पुष्पा झुकेगी”
झुमरी :- अभि तू नही पिएगा ।
(अभि मन में :- काकी मै तो दिन रात पीने को तैयार हु ।अगर तू इन दोनो दुधखाने की दरवाजा खोल दे तो )
अभि:- नही काकी वो घर से ही पी कर आ रहा हु ।
झुमरी :- वैसे भी तू तो चाय नही पिता है । तुझे तो दूध चाहिए ।
अभि:- हां काकी जबतक गईया दूध देती है तब तक मिलता है नही तो फिर इंतजार करो ।
झुमरी :- मेरी वाली गाय का भी 8 महीने की डेट हो गया है ।
अभि:- काकी तेरी गाय इस बार बछिया ही देगी ।
झुमरी :- भगवान की लीला है ।
अभि:- ठीक है काकी अब चलता हु बहुत देर हो गया धर से निकले हुए ।
झुमरी :- अरे रुक तो सही खाना खा के जा ।
अभि:- नही काकी फिर कभी खा लूंगा ।
अभी अब झुमरी से घर से निकल से फिर अपने घर के कच्चे रास्ते पर आ गया । आज झुमरी के घर हुई घटना को सोच कर अभि मस्त हो रहा था । आज अगर झुमरी थोड़ी देर बाद आती तो अभि पुष्पा के कड़क और गोल गुलम्ब चूची को कस कर रगड़ देता। अभी अपने सोच में गुम था । उसे पता ही नही चला कब वह घर पहुंच गया ।
घर घुसते ही उसे अलग खुशी मिली । उसकी मां उसपर बरस पड़ी ।
माया :- तू अब तक कहा पर था ।
अभि :- मां वो मै राजन के घर गया था ।
माया :- बैल जितना हो गया अब घर का कुछ काम वाम को करना नही है सिर्फ लाफंडू जैसा झूमता रहता है ।
अभि:- मां तू इतना गुस्सा क्यों कर रही है। वो खेत का इंजन ( पानी वाला ) चालू करना था इसलिए राजन को बुलाने गया था ।
माया :- हां तुझे तो एक बहाना मिल गया ना अब ।
माया और अभि की नोक झोंक सुनकर अनु और अमीषा हस रही थी। उन्हे पता था माया जितना प्यार अभि को कोई नही करता है । वह सिर्फ वैसे ही डांट रही थी । अभि अमीषा और अनु को हंसता देख कर । उन्हे गुस्सा से देखने लगा । अब अनु और अमीषा और जोर से हसने लगी ।
माया :- जा जाकर मुंह हाथ धो ले और खाना खा ।
अभी बिना कुछ जवाब दिए सीधे नल पर निकल गया ।
भाई कहानी तो बहुत अच्छी है आपकी हीरो को थोड़ा तेज करो कहानी में क्या हीरो थोड़ा डब्बू के सम का लग रहा है मुझे बाकी आप की कहानी है बड़े भाई और भाई इसको हिंदी में ही चलने देना दूसरों के बहकावे में आकर अंग्रेजी में मत करना क्योंकि जो गांव की कहानियां रहती है उसको हिंदी में ही पढ़ने में ज्यादा मजा आता अब दूसरे अपडेट का बेसब्री से इंतजार है भाई हीरो को थोड़ा तेज करो