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Incest बैलगाड़ी,,,,,

rohnny4545

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हेलो दोस्तों आज मैं फिर ने कहा शुरू करने जा रहा हूं कि आप लोगों को पसंद आएगी,,,, कमेंट जरूर करीएगा,,

1,, हरिया,,
2, मधु,,,(हरिया की बीवी)
3, गुलाबी ( हरिया की बहन)
4, राजू (हरिया का बेटा)
5, लाला
6,, सोनी,,,(लाला की छोटी बहन)
7,कमला चाची,,,
8, श्याम,,,(गांव का बिगड़ैल लड़का))
9, मुन्ना,,,(राजू का दोस्त)
10,रमा (कमला चाची की बहू)
11, झुमरी,( श्याम की बहन)
12 विक्रम सिंह, जमींदार
 
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rohnny4545

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यह उस समय की कहानी है जब यातायात के लिए मोटर गाड़ियां ना के बराबर थी उस समय केवल तांगे या बेल गाड़ियां चला करती थी,,,,,,,, यातायात के लिए यही एक रोजगारी का साधन था,,,। और यही एक जरिया भी था एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने का,,,।

बेल के पैरों में बंधे घुंघरू और गले में बजी घंटी की आवाज से पूरी सड़क गूंज रही थी,,, हरिया अपने बेल को जोर से हंकारते हुए रेलवे स्टेशन की तरफ ले जा रहा था,,,, क्योंकि स्टेशन पर गाड़ी आने वाली थी और समय पर पहुंच जाने पर सवारियां मिल जाया करती थी जिससे उसका गुजर-बसर हो जाता था,,,, लेकिन आज थोड़ी देर हो चुकी थी इसलिए समय पर पहुंचने के लिए हरिया बेल को जोर-जोर से हंकार रहा था लेकिन उस पर चाबुक बिल्कुल भी नहीं चला रहा था,,,, क्योंकि हरिया के लिए बेल उसकी रोजी-रोटी थी जिसकी बदौलत वह अपने बच्चों का पेट भर रहा था,,,,।


चल बेटा मोती आज बहुत देर हो गई है अगर समय पर हम स्टेशन नहीं पहुंचेंगे तो हमें सवारी नहीं मिलेगी ,,, सवारी नहीं मिली तो पैसे नहीं मिलेंगे पर पैसे नहीं मिले तो तू तो अच्छी तरह से जानता है,,,,, लाला के पैसे चुकाने,, बड़ी बेटी की शादी के लिए जो पैसे दिए थे उसके एवज में, जमीन गिरवी पड़ी है और तुझे भी तो लाला से पैसे उधार लेकर ही खरीद कर लाया हुं,,, और अगर पैसे नहीं कमाऊंगा तो लाला को क्या चुकाऊंगा,,,,
(इतना सुनते ही हरिया का बेल जान लगा कर दौड़ने लगा ,,,)

शाबाश बेटा,,,, एक तेरा ही तो सहारा है ,,,, ऊपर भगवान और नीचे तु,,,, शाबाश मोती यह हुई ना बात,,,, शाबाश बेटा,,,,
(और थोड़ी ही देर में हरिया की बेल गाड़ी स्टेशन के बाहर खड़ी हो गई और हरिया खुद बैलगाड़ी से नीचे उतर कर,,, सवारी लेने के लिए आगे बढ़ चला गाड़ी आ चुकी थी और धीरे-धीरे सवारी स्टेशन से बाहर निकल रही थी,,,, हरिया की किस्मत अच्छी थी जल्द ही उसे सवारी भी मिल गई,,, और सवारी को उसके गंतव्य स्थान पर ले जाने के लिए 8 आना किराया तय किया गया,,,, खुशी-खुशी हरिया उस सवारी का सामान लेकर बैलगाड़ी में रखने लगा,,,)


अरे वाह हरिया तुझे तो सवारी भी मिल गई मुझे तो लगा था कि आज तु नहीं आएगा,,,,,,,(दूसरा बैलगाड़ी वाला जो कि काफी समय से वहीं बैठा था उसे सवारी नहीं मिली थी वह बोला)


अरे कैसे नहीं आता यही तो हमारी रोजी-रोटी है ,,अगर नहीं आएंगे तो फिर काम कैसे चलेगा और तू चिंता मत कर तुझे भी सवारी मिल जाएगी,,,,(उस सवारी के आखिरी सामान को भी बैलगाड़ी में रखते हुए हरीया बोला,,,,, सवारी भी बेल गाड़ी में बैठ गया था,,, और वह बोला,,)


अरे भाई जल्दी चलो देर हो रही है,,,।



हां हां साहब चल रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही हरिया बेल गाड़ी पर बैठ गया और बैल को हांकने लगा,,,, एक तरफ कोयले का इंजन सीटी बजाता हुआ और काला काला धुआं उगलता हुआ आगे बढ़ने लगा और दूसरी तरफ हरिया का बेल कच्ची सड़क पर अपने पैरों में बंधे घुंघरू को बजाने लगा,,,,,, सवारी और गाड़ीवान का वैसे तो किसी भी तरह से रिश्ता नहीं होता लेकिन फिर भी दोनों के बीच औपचारिक रूप से बातचीत होती रहती है उसी तरह सेहरिया और सवारी के बीच भी औपचारिक रूप से बातचीत हो रही थी ताकि समय जल्दी से कट जाए और अपने गंतव्य स्थान पर जल्द से जल्द पहुंचा जा सके,,,,। हरिया उस सवारी को लेकर उसे गंतव्य स्थान पर पहुंच चुका था और अपने हाथों से उसका सारा सामान उतार कर उसके घर के आंगन में भी रख दिया था और उस से किराया लेकर,,, मुस्कुराते हुए वापस फिर गाड़ी पर बैठ गया और उसे अपने घर की तरफ हांक दिया,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते रात हो चुकी थी,,, वैसे तो हरिया को कोई भी बुरी लत नहीं थी केवल बीड़ी पीता था जिसकी वजह से उसे खांसी की भी शिकायत थी,,, 42 वर्षीय हरिया बेहद चुस्त पुस्ट तो नहीं था फिर भी गठीला बदन का जरूर था,,,,,,,

बैलगाड़ी को खड़ी करके उसमें से बेल को अलग करके उसे छोटी सी झोपड़ी में जो की बेल के लिए ही बनाया था उसने काम किया और उसके आगे चारा रख दिया और एक बाल्टी पानी भी,,,।


का बेटा और आराम कर,,,,
(इतना कहकर वह अपने घर के आंगन में खटिया गिरा कर बैठ गया और बीडी निकालकर दिया सलाई से उसे जला लिया और पीना शुरू कर दिया,,,, और अपनी बीवी को आवाज लगाया,,,,)

मधु ओ मधु,,,,, कहां हो एक गिलास पानी लेते आना तो,,,
(इतना कहकर बीड़ी फूंकने लगा,,,, मधु उसकी बीवी का नाम था जो कि 3 बच्चों की मां थी और बड़ी बेटी की शादी भी कर दी थी एक बच्चा छोटा था और एक जवान हो रहा था,,,, अपने पति की आवाज सुनते ही रसोई बना रही मधु,,, अपनी ननद गुलाबी को आवाज देते हुए बोली,,, जो की सूखी लकड़ियां लेने के लिए बगल वाले इंधन घर में गई हुई थी,,, मधु की आवाज सुनते ही सूखी लकड़ियों को दोनों हाथों में उठा कर बोली,,,)

आई भाभी,,,(और ईतना कहते ही वह जल्दी से सूखी लकड़ी के पास पहुंच गई और उसे नीचे रखते हुए बोली,,)

लो भाभी आ गई,,,।


अरे आ नहीं गई,,, देख तेरे भैया आए हैं और पानी मांग रहे हैं,,जा जरा एक गिलास पानी दे देना तो,,,,,,


ठीक है भाभी,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह एक गिलास पानी लेकर अपने बड़े भाई हरिया के पास आ गई और बोली,,)


लो भैया पानी,,,,


अरे गुलाबी तू,,,,,(इतना कहने के साथ ही बची हुई बीडी को बुझा कर फेंकते हुए पानी का गिलास थाम लिया और बोला,,) मुन्ना कहां है,,,?


वह तो सो रहा है,,,,


और राजु,,,,
 
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Babulaskar

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एक बेहद लाजवाब और अनोखी कहानी का प्रारंभ हुया। आप की पिछ्ली कोई भी कहानी मैं ने नहीं पड़ी। लेकिन इस एक अपडेट से आप ने अपनी असलियत जाहिर कर दिया है, आप कहानी को किस तरह सजाते संवारते हैं।
मात्र एक अपडेट से ही आप ने पाठकों के सामने कहानी के छवि को स्पष्ट कर दिया। और साथ ही बातों बातों में सारी जानकारियां भी दे डाली। वाह क्या कहने।
मैं इसी तरह के रायटर का गुणग्राहक बन जाता हुँ। साथ हूँ आखिर तक। बने रहिए।
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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:congrats:for new story
 

rohnny4545

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एक बेहद लाजवाब और अनोखी कहानी का प्रारंभ हुया। आप की पिछ्ली कोई भी कहानी मैं ने नहीं पड़ी। लेकिन इस एक अपडेट से आप ने अपनी असलियत जाहिर कर दिया है, आप कहानी को किस तरह सजाते संवारते हैं।
मात्र एक अपडेट से ही आप ने पाठकों के सामने कहानी के छवि को स्पष्ट कर दिया। और साथ ही बातों बातों में सारी जानकारियां भी दे डाली। वाह क्या कहने।
मैं इसी तरह के रायटर का गुणग्राहक बन जाता हुँ। साथ हूँ आखिर तक। बने रहिए।
Dhanyawad
 

nickname123

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यह उस समय की कहानी है जब यातायात के लिए मोटर गाड़ियां ना के बराबर थी उस समय केवल तांगे या बेल गाड़ियां चला करती थी,,,,,,,, यातायात के लिए यही एक रोजगारी का साधन था,,,। और यही एक जरिया भी था एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने का,,,।

बेल के पैरों में बंधे घुंघरू और गले में बजी घंटी की आवाज से पूरी सड़क गूंज रही थी,,, हरिया अपने बेल को जोर से हंकारते हुए रेलवे स्टेशन की तरफ ले जा रहा था,,,, क्योंकि स्टेशन पर गाड़ी आने वाली थी और समय पर पहुंच जाने पर सवारियां मिल जाया करती थी जिससे उसका गुजर-बसर हो जाता था,,,, लेकिन आज थोड़ी देर हो चुकी थी इसलिए समय पर पहुंचने के लिए हरिया बेल को जोर-जोर से हंकार रहा था लेकिन उस पर चाबुक बिल्कुल भी नहीं चला रहा था,,,, क्योंकि हरिया के लिए बेल उसकी रोजी-रोटी थी जिसकी बदौलत वह अपने बच्चों का पेट भर रहा था,,,,।


चल बेटा मोती आज बहुत देर हो गई है अगर समय पर हम स्टेशन नहीं पहुंचेंगे तो हमें सवारी नहीं मिलेगी ,,, सवारी नहीं मिली तो पैसे नहीं मिलेंगे पर पैसे नहीं मिले तो तू तो अच्छी तरह से जानता है,,,,, लाला के पैसे चुकाने,, बड़ी बेटी की शादी के लिए जो पैसे दिए थे उसके एवज में, जमीन गिरवी पड़ी है और तुझे भी तो लाला से पैसे उधार लेकर ही खरीद कर लाया हुं,,, और अगर पैसे नहीं कमाऊंगा तो लाला को क्या चुकाऊंगा,,,,
(इतना सुनते ही हरिया का बेल जान लगा कर दौड़ने लगा ,,,)

शाबाश बेटा,,,, एक तेरा ही तो सहारा है ,,,, ऊपर भगवान और नीचे तु,,,, शाबाश मोती यह हुई ना बात,,,, शाबाश बेटा,,,,
(और थोड़ी ही देर में हरिया की बेल गाड़ी स्टेशन के बाहर खड़ी हो गई और हरिया खुद बैलगाड़ी से नीचे उतर कर,,, सवारी लेने के लिए आगे बढ़ चला गाड़ी आ चुकी थी और धीरे-धीरे सवारी स्टेशन से बाहर निकल रही थी,,,, हरिया की किस्मत अच्छी थी जल्द ही उसे सवारी भी मिल गई,,, और सवारी को उसके गंतव्य स्थान पर ले जाने के लिए 8 आना किराया तय किया गया,,,, खुशी-खुशी हरिया उस सवारी का सामान लेकर बैलगाड़ी में रखने लगा,,,)


अरे वाह हरिया तुझे तो सवारी भी मिल गई मुझे तो लगा था कि आज तु नहीं आएगा,,,,,,,(दूसरा बैलगाड़ी वाला जो कि काफी समय से वहीं बैठा था उसे सवारी नहीं मिली थी वह बोला)


अरे कैसे नहीं आता यही तो हमारी रोजी-रोटी है ,,अगर नहीं आएंगे तो फिर काम कैसे चलेगा और तू चिंता मत कर तुझे भी सवारी मिल जाएगी,,,,(उस सवारी के आखिरी सामान को भी बैलगाड़ी में रखते हुए हरीया बोला,,,,, सवारी भी बेल गाड़ी में बैठ गया था,,, और वह बोला,,)


अरे भाई जल्दी चलो देर हो रही है,,,।



हां हां साहब चल रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही हरिया बेल गाड़ी पर बैठ गया और बैल को हांकने लगा,,,, एक तरफ कोयले का इंजन सीटी बजाता हुआ और काला काला धुआं उगलता हुआ आगे बढ़ने लगा और दूसरी तरफ हरिया का बेल कच्ची सड़क पर अपने पैरों में बंधे घुंघरू को बजाने लगा,,,,,, सवारी और गाड़ीवान का वैसे तो किसी भी तरह से रिश्ता नहीं होता लेकिन फिर भी दोनों के बीच औपचारिक रूप से बातचीत होती रहती है उसी तरह सेहरिया और सवारी के बीच भी औपचारिक रूप से बातचीत हो रही थी ताकि समय जल्दी से कट जाए और अपने गंतव्य स्थान पर जल्द से जल्द पहुंचा जा सके,,,,। हरिया उस सवारी को लेकर उसे गंतव्य स्थान पर पहुंच चुका था और अपने हाथों से उसका सारा सामान उतार कर उसके घर के आंगन में भी रख दिया था और उस से किराया लेकर,,, मुस्कुराते हुए वापस फिर गाड़ी पर बैठ गया और उसे अपने घर की तरफ हांक दिया,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते रात हो चुकी थी,,, वैसे तो हरिया को कोई भी बुरी लत नहीं थी केवल बीड़ी पीता था जिसकी वजह से उसे खांसी की भी शिकायत थी,,, 42 वर्षीय हरिया बेहद चुस्त पुस्ट तो नहीं था फिर भी गठीला बदन का जरूर था,,,,,,,

बैलगाड़ी को खड़ी करके उसमें से बेल को अलग करके उसे छोटी सी झोपड़ी में जो की बेल के लिए ही बनाया था उसने काम किया और उसके आगे चारा रख दिया और एक बाल्टी पानी भी,,,।


का बेटा और आराम कर,,,,
(इतना कहकर वह अपने घर के आंगन में खटिया गिरा कर बैठ गया और बीडी निकालकर दिया सलाई से उसे जला लिया और पीना शुरू कर दिया,,,, और अपनी बीवी को आवाज लगाया,,,,)

मधु ओ मधु,,,,, कहां हो एक गिलास पानी लेते आना तो,,,
(इतना कहकर बीड़ी फूंकने लगा,,,, मधु उसकी बीवी का नाम था जो कि 3 बच्चों की मां थी और बड़ी बेटी की शादी भी कर दी थी एक बच्चा था और एक जवान हो रहा था,,,, अपने पति की आवाज सुनते ही रसोई बना रही मधु,,, अपनी ननद गुलाबी को आवाज देते हुए बोली,,, जो की सूखी लकड़ियां लेने के लिए बगल वाले इंधन घर में गई हुई थी,,, मधु की आवाज सुनते ही सूखी लकड़ियों को दोनों हाथों में उठा कर बोली,,,)

आई भाभी,,,(और ईतना कहते ही वह जल्दी से सूखी लकड़ी के पास पहुंच गई और उसे नीचे रखते हुए बोली,,)

लो भाभी आ गई,,,।


अरे आ नहीं गई,,, देख तेरे भैया आए हैं और पानी मांग रहे हैं,,जा जरा एक गिलास पानी दे देना तो,,,,,,


ठीक है भाभी,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह एक गिलास पानी लेकर अपने बड़े भाई हरिया के पास आ गई और बोली,,)


लो भैया पानी,,,,


अरे गुलाबी तू,,,,,(इतना कहने के साथ ही बची हुई बीडी को बुझा कर फेंकते हुए पानी का गिलास थाम लिया और बोला,,) मुन्ना कहां है,,,?


वह तो सो रहा है,,,,


और भोला,,,,
nice build up
 

Mass

Well-Known Member
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Congratulations on your new story Rohnny Bhai..am sure, this will also be a blockbuster story just like Barsaat ki Raat & Rishton ki Dor.
Excellent start to the story.
Look forward to the next update and characters of the story.
 

Naik

Well-Known Member
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एक बेहद लाजवाब और अनोखी कहानी का प्रारंभ हुया। आप की पिछ्ली कोई भी कहानी मैं ने नहीं पड़ी। लेकिन इस एक अपडेट से आप ने अपनी असलियत जाहिर कर दिया है, आप कहानी को किस तरह सजाते संवारते हैं।
मात्र एक अपडेट से ही आप ने पाठकों के सामने कहानी के छवि को स्पष्ट कर दिया। और साथ ही बातों बातों में सारी जानकारियां भी दे डाली। वाह क्या कहने।
मैं इसी तरह के रायटर का गुणग्राहक बन जाता हुँ। साथ हूँ आखिर तक। बने रहिए।
CONGRATULATIONS brother nayi kahani k liye
Kia behtareen shuruwat ki kahani bhai
Maza aa gaya padh ker
Aapki baki kahaniyo. Ki tarah yeh bhi dhamal machayegi
 
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