• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मजबूरी या जरूरत

Aamirpqrs

Member
109
186
43
Kya gjb likhte ho bhai ❤️ kuch aisa likho naa age ki Aradhana aur sadhna ka purana koi Yaar ya apne kisi rishte dar ke sath hot moments ho. Is type ke thode thode twist daalo bhai please bht maja aayega.
Bhai itni behtareen story ki kyun vaat lgane ka suggestion de rahe
Ye incest story hai
Aur iska ek hero hai isliye best kahani haiii..
Ma mosi ko dusron k saath sulakar puri story ki band baj jaayegi
Kyunki theme ye nahin hai story ki..
Xforum ki sabse behatreen incest story wohi rahin hain
Jismein bas hero hi apni heroins k saath sex kare
Ismein zyada alag karne ki koshish ki toh log gali denge writer ko
Aur story ko bahut se log chod denge..
Jabki abhi ye story aisi chal rahi k log story ko baar baar pad rahe hain👍
 
Last edited:

Ajju Landwalia

Well-Known Member
2,625
10,571
159
साधना,,, आराधना और संजू के साथ साथ घर के सभी सदस्य नहा चुके थे,,,, सुहानी और संजू की बड़ी मम्मी मिलकर खाना तैयार कर ली थी और जल्दी-जल्दी खाना परोस रही थी वह जानती थी कि जिस हालात में वह तीनों गांव में आए हैं उससे वह तीनों एकदम थक चुके होंगे,,, और भूख भी बड़ी जोरों की लगी होगी और यह सच ही था तीनों को बड़े जोरों की भूख लगी हुई थी क्योंकि शाम को ही वह लोग गांव पहुंच चुके थे लेकिन तूफानी बारिश के चलते रात भर होने खंडहर में बिताना पड़ा था,,,, ऐसा नहीं था कि तूफानी बारिश में तीनों एकदम परेशान हो गए थे यह तूफानी बारिश तीनों की जिंदगी में एक नया सुकून लेकर आई थी जिसका आनंद तीनों ने भरपूर लिया था अगर तूफानी तेज बारिश ना होती और वह गांव की छोर पर खंडहर ना होता तो शायद तीनों के रिश्ते अभी भी मर्यादा में रहते हैं लेकिन तूफानी बारिश ने उस खंडहर ने तीनों के बीच की मर्यादा की दीवार को पानी में बाहर ले गया था जिससे तीनों खुश भी थे क्योंकि तीनों यही चाहते भी थे कि उन तीनों के बीच किसी भी प्रकार की दीवार ना रहे,,,,

संजू खाना खा रहा था लेकिन उसके दिमाग में अजीब सी हलचल हो रही थी क्योंकि कुछ देर पहले ही उसने एक जवान खूबसूरत लड़की को नहाते हुए देखा था उसके नितंबों का आकार गीले कपड़ों में और भी ज्यादा उभार दार नजर आ रहा था,,,,,,, संजू औरतों के चक्कर में खासकर के घरेलू औरतों की सौगात में पूरी तरह से जवान मर्द बन चुका था और ऐसा मर्द जो अपनी आंख से ही खूबसूरत औरतों की जवानी के पन्नों को पलट पलट कर पढ़ लेता था,,,, और संजू अपनी मामा की लड़की लल्ली के खूबसूरत बदन के खूबसूरत पन्ना को अपनी आंखों से पढ़ने की भरपूर कोशिश किया था जिसमें वह सफल भी हो गया था उसे इस बात का अंदाजा लग गया था कि लल्ली के रूप में एक खूबसूरत लड़की उसके इर्द-गिर्द है,,, उसे कैसे हासिल करना है संजू अच्छी तरह से जानता था भले ही वह अपने मामा के घर विवाह में आया था एक मेहमान के तौर पर ,,,, लेकिन सबसे पहले वह एक मर्द था और उसके मामा की लड़की एक जवान खूबसूरत औरत जिसकी खूबसूरती का रसपान करना संजू की फितरत में था संजू किसी भी तरह से अपनी मामा की लड़की को अपने काबू में करना चाहता था और उसे पूरा विश्वास था कि वह जरूर अपनी मामा की लड़की पर काबू कर लेगा,,,,, संजू के लिए अब मां बहन मौसी मामी कोई भी रिश्ता किसी भी तरह से खास ना होकर बिस्तर तक सीमित रह गया था,,,, आते जाते खाना परोस ते हुए वह केवल लल्ली को ही देख रहा था लल्ली का खूबसूरत गुलाबी चेहरा उसकी आंखों में बस गया था छातीयो का आकार की शोभा बढ़ा रहे दोनों संतरे के आकार में ही थे जिससे संजू को समझते देर नहीं लगी की लल्ली खेली खाई हुई लड़की बिल्कुल भी नहीं है और ऐसी लड़की के साथ चुदाई करने में अद्भुत शांति और सुख प्राप्त होता है,,,,,,,,,

अरे और लो बेटा तुम तो कुछ खा ही नहीं रहे हो हट्टा कट्टा जवान शरीर है लेकिन खाने के नाम पर,,,,, लो लो दो पूरी और ले लो

नहीं नहीं बस करिए मामी,,,,, बहुत हो गया है,,,,


अरे अभी तो कुछ भी नहीं हुआ है इतना तो हमारे घर के बच्चे खा लेते हैं,,,(संजू के नानकुर करने के बावजूद भी संजू की बड़ी मम्मी दो पुरिया उसकी थाली में डाल ही थी थाली में डालते समय वह थोड़ा सा नीचे की तरफ झुक गई थी जिससे संजू की नजर उसकी मदमस्त कर देने वाली गोल गोल छाती पर गई थी जो कि ब्लाउज में से बाहर आने के लिए तड़प रही थी कुछ पल के लिए संजू की नजर अपनी बड़ी मामी की भरी हुई छातियों पर ही टिकी रह गई और वह तुरंत मौके की नजाकत को समझते हुए नीचे नजर झुका कर पूरी लेकर सब्जी से खाना शुरु कर दिया लेकिन अब उसकी भूख एकदम से बढ़ गई थी अपने मामा के घर में चोदने लायक एक से एक औरत उसे नजर आ रही थी,,,,, बड़ी मम्मी आराधना और साधना को भी जबरदस्ती खिला रही थी कि तभी बाहर से किसी के बुलाने की आवाज आई और वह भोजन कराने की जिम्मेदारी मंझली मामी मतलब की सुहानी को सौंप कर घर के बाहर चली गई,,,,,

अरे दीदी तुम तो कुछ लो,,,, तुम भी कुछ नहीं खा रही हो,,,, शहर में लगता है कि तुम लोग केवल पिज़्ज़ा बर्गर और नूडल्स खा खा कर पेट भरते हुए इसीलिए पौष्टिक आहार खा नहीं पाते,,,,


अरे नहीं नहीं सुहानी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है सिर्फ इतना ज्यादा खाने की आदत नहीं है ना,,,


लेकिन यहां तो खाना होगा,,,,(इतना कहने के साथ ही सुहानी नीचे की तरफ झुक कर खीर के पतीले को उठाने लगी और ऐसा करते हुए उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड ठीक संजू की आंखों के सामने थी और उसकी गांड से संजू के चेहरे की दूरी महज 1 फीट की थी,,, और वह झुकी हुई थी शादीशुदा होने के नाते उसकी गांड का घेराव मदमस्त कर देने वाला था संजू पल भर के लिए अपनी मंझली मामी की गांड को देखता ही रह गया और अपने मन में सोचने लगा कि काश उसकी मामी बिना कपड़ों के उसके सामने इस तरह से झुकी हुई होती तो अब तक वह पीछे से अपने मोटे लंड को उसकी चूत में डालकर उद्घाटन कर दिया होता,,,,, पल भर के लिए ही वह खीर के पति लोग को उठाने के लिए चुकी थी और तुरंत खड़ी हो गई लेकिन इतने में ही ‌ संजू एकदम मस्त हो गया था,,,, बड़े बड़े चम्मच से वह सब की थाली में खीर खिला रही थी और सिर्फ संजू के सामने झुक कर वह बड़े चम्मच से खीर को उसकी थाली में गिराते हुए बोली,,,,)


तुम्हें खीर कैसी लगी,,,,
(वह भी ठीक संजू की मामी की तरह झुकी हुई थी उसकी भी मत मत कर देने वाली चूचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर निकलने के लिए आतुर थी और औपचारिक रूप से संजू की नजर सुहानी की मदमस्त कर देने वाली चुचियों पर चली गई उसकी बड़ी मम्मी ने तो इस पर ध्यान नहीं देती लेकिन सुहानी ने संजू की नजरों को अपनी और तुरंत अपनी साड़ी को ठीक करने लगी संजू भी मौके की नजाकत को समझते हुए खीर को चम्मच से मुंह में डालते हुए बोला,,,)

फिर किसने बनाया है मामी,,,,


मैंने बनाया है,,,,,

कसम से आज तक मैंने इतनी स्वादिष्ट खीर कभी नहीं खाया तुम्हारे हाथों में तो जादू है मामी,,,,,,
(अपनी तारीफ सुनकर सुहानी एकदम से खुश हो गई और मंद मंद मुस्कुराने लगी और पल भर में ही वह संजू की तरफ आकर्षित होने लगी संजू भी बार-बार उसके खाने की तारीफ कर रहा था जिसे सुन सुनकर सुहानी मन ही मन प्रसन्न हुए जा रही थी,,,, खाना खा लेने के बाद एक बार फिर से संजू सुहानी के हाथों की तारीफ करते हुए अपनी मां से बोला)

मम्मी एक बात कहूं बुरा मत मानना मैं चाहता हूं कि जब शादी के बाद हम लोग अपने घर चलें तो सुहानी मामी से खीर बनाने की रेसिपी जरूर सीख लेना क्योंकि वहां तो सुहानी मामी के हाथों की खीर खाने को मिलेगी नहीं,,,,

अरे तू ऐसा करना बेटा सुहानी को भी अपने साथ ले जाना शहर रोज बनाकर खिलाएगी,,,,(साधना एकदम से चुटकी लेते हुए बोली तो संजू भी तपाक से बोला)

काश मामी हम लोगों के साथ चल पाती तो मजा आ जाता चलोगी मामी,,,,

ना बाबा ना मैं तो यही ठीक हूं तुम्हें खाने का मन करे तो साल 6 महीना में आ जाया करो,,,,


अब तो आना ही पड़ेगा मामी तुम्हारे हाथों की खीर खाने के लिए,,,,,,,,,,,


मैं तो बहुत थक गई हूं और मीठी खीर खाकर तो मुझे नींद आ रही है,,,(आराधना अंगड़ाई लेते हुए बोली तो उसके सुर में सुर मिलाते हुए साधना भी बोली)

हारे आराधना मेरा भी बदन बहुत दर्द कर रहा है,,,,
(दोनों की बातें सुनकर संजू अपने मन में बोला शाली दोनों रात भर पेलवाओगी तो बदन तो दर्द करेगा ही,,,, और सुहानी उन दोनों की बातों को सुनकर तपाक से बोली,,)

कोई बात नहीं दीदी आप लोगों के रहने का इंतजाम ऊपर वाले कमरे में कर दिया गया है क्योंकि ऊपर वाला कमरा काफी बड़ा है और उसमें दो बेड है संजू और आप दोनों के लिए बेहतर होगा,,,,।
(एक ही कमरे में तीनों के रहने का इंतजाम के बारे में सुनकर ही संजू के साथ-साथ आराधना और साधना की भी आंखों में चमक आ गई वह तीनों मन ही मन प्रसन्न होने लगे और संजू तो एकदम खुश होते हुए बोला)

अच्छा की मामी तुमने कि हम लोगों का रहने का इंतजाम एक ही कमरे में कर दी वरना दिक्कत हो जाती है सामान इधर,,, हम लोग उधर,,, हम कहां कहां ढूंढते फिरते,,,

इसीलिए तो चलो मैं तीनों को आपका कमरा दिखा दुं,,,
(इतना कहने के साथ ही सुहानी आगे आगे चलने लगी सामान पहले से ही कमरे में पहुंचा दिया गया था,,,, देखते-देखते सुहानी सीढ़ियां चढ़ने लगी और सीढ़ियां चढ़ते समय उसकी गांड इतनी मादकता भरी चाल चल रही थी कि जिसे देखकर संजू के लंड में ऐठन हो रही थी,,,, संजू की निगाहें अपनी मामी की गदराई गांड पर ही टिकी हुई थी,,,, वहां पागलों की तरह प्यासी नजरों से अपनी मामी की गांड देख रहा था जो कि साड़ी में कैद होने के बावजूद भी और साड़ी उसकी मामी ने इतनी कसी हुई पहनी थी कि गांड का पोर पोर उभरकर नजर आ रहा था,,,,, जिसे देखते हुए बहुत अपने पेंट के आगे वाले भाग को हाथ से दबाकर शांत करने की कोशिश कर रहा था,,,,,

देखते ही देखते सुहानी उन तीनों को उनके कमरे तक ले आई और कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश करते हुए बोली,,,,

आप लोग आने वाले हो इसलिए भैया ने पहले से ही इस कमरे को साफ करवा दिया है,,,,(इतना सुनकर तीनों भी कमरे में प्रवेश किया कमरा काफी बड़ा था और दोनों कोने पर दो बिस्तर लगे हुए थे जिसे देखते ही संजू अपनी मां और मौसी को देखकर अपनी सुहानी मौसी से नजर बचाकर आंख मार दिया जिसका मतलब दोनों बहने अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए दोनों का चेहरा शर्म से शुर्ख लाल हो गया,,,,)

अब आप लोग आराम करो मुझे बहुत काम है,,,,

ठीक है सुभानी तुम जाओ अभी तो हम लोग थके हुए हैं बाद में काम में हाथ जरूर बटाएंगे,,,,

लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही है मामी और वैसे भी मेरी जानकारी के मुताबिक में पहली बार गांव आया हूं इसलिए मुझे गांव के रहन सहन के बारे में अच्छी तरह से जानना है और इस तरह से मैं तुम्हारी थोड़ी मदद भी कर सकूंगा,,,।

सच्ची,,,(सुहानी मुस्कुराते हुए बोली)

तो क्या मैं मजाक थोड़ी कर रहा हूं है ना मम्मी थोड़ा-बहुत गांव के बारे में भी तो जानना जरूरी है,,,,


हां संजू तू ठीक कह रहा है अगर तुझे आराम नहीं करना है तो जा अपनी मम्मी के साथ थोड़ा बहुत काम करा ले वैसे भी विवाह वाला घर है ढेर सारे काम होते हैं अगर तू काम में हाथ बटाएगा तो अच्छा ही रहेगा,,,,

तो चलो संजू अब तो दीदी ने भी इजाजत दे दिया है,,,,,

(इतना कहने के साथ ही सुहानी और संजू दोनों कमरे से बाहर आ गए,,,, सुहानी रह रह कर संजू के कद काठी की तरफ देख रही थी जो कि बेहद गठीला और कसरती बदन था ना चाहते हुए भी सुहानी अपने पति के कद काठी की तुलना अपने भांजे के साथ कर रही थी जिसमें उसका पति बिल्कुल भी फिट नहीं बैठ रहा था क्योंकि उसका पति संजू से कम लंबाई और गठीला बदन का बिल्कुल भी नहीं था जैसा कि सुहानी अपने मन में अपने पति को लेकर कल्पना किया करती थी,,,,, ना जाने क्यों वह संजू की तरफ उसके व्यक्तित्व की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी इसीलिए तो संजू को आराम करने के लिए रोकने की जगह वह उसकी बात मान कर अपने साथ लेकर आई थी लेकिन इसमें संजू की ही चला की थी वह किसी ना किसी बहाने अपनी मामी के समीप रहना चाहता था,,,, क्योंकि संजू औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि अगर औरत का प्यार पाना है अगर उनकी दोनों टांगों के बीच जगह बनानी है तो उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा उन्हें अपनी बातों से कुछ लाना होगा उनकी तारीफ करना होगा यह सब तिकड़म संजू अच्छी तरह से जानता था और वही अपनी मामी पर आजमा भी रहा था,,,,)

संजू तुम यहीं रुको मैं छत पर कपड़े डाल कर आती हूं,,,,

अरे मामी यह क्या मैं तो तुम्हारी मदद करने के लिए आया हूं ना फिर मुझे यहां क्यों रोक रही हो चलो मैं भी चलता हूं,,,, कपड़े कहां है,,,,


अरे वह रहे ना दो बाल्टी में,,,

ठीक है मामी,,,(इतना कहने के साथ ही संजू दोनों बाल्टी को बड़े आराम से उठा लिया जो कि गीले कपड़ों के ढेर से बहुत भारी थी लेकिन संजू बड़े आराम से उसे दोनों हाथों में उठा लिया था जिसे देखकर सुहानी हैरान भी थी क्योंकि उसका पति एक बाल्टी करके छत पर ले जाता था लेकिन संजू था कि दोनों बाल्टी को एक साथ उठा लिया था शायद सुहानी इस बात को नहीं जानती थी कि बाल्टी क्या वह तो भारी-भरकम खूबसूरत औरतों को अपनी गोद में उठाकर बिना थके बिना डगमगाए उनकी चूत में लंड डालकर उनकी चुदाई भी कर सकता था,,, और उसकी इस मर्दानगी का उदाहरण खुद उसकी मां और उसकी मौसी थी,,,,)

बाप रे संजू तुम तो दोनों हाथ में बाल्टी उठा लिए,,, थक जाओगे एक एक बाल्टी ले चलते हैं एक‌ तुम पकड़ो एक में पकड़ती हूं,,,,


क्या मामी तुम भी भांजे के होते हुए तुम बाल्टी उठाओगी ऐसा कभी हो सकता है क्या,,,, मुझे कोई तकलीफ नहीं हो रही है तुम चलो मैं पीछे पीछे चलता हूं,,,,,(संजू जानबूझकर अपनी मामी को आगे आगे चलने के लिए बोल रहा था क्योंकि वह जानता था कि छत पर जाने के लिए सीढ़ियां चढ़ना होगा और सीढ़ियां चढ़ते समय उसकी मामी की मदमस्त गदराई गांड और भी ज्यादा जानलेवा नजर आने लगती थी,,,, और ऐसा ही हुआ सुहानी तो संजू की बात सुनकर एकदम गद गद हुए जा रही थी क्योंकि इस तरह से तो उसकी मदद आज तक किसी ने नहीं किया था उसके पति ने भी नहीं लेकिन संजू के बोलने का तरीका उसकी मदद करने की चाहत देखकर सुहानी बहुत खुश हो रही थी और उसकी बात मानते हुए आगे आगे चलते हुए वह सीढीया चढ़ने लगी और एक बार फिर से अनजाने में ही सुहानी अपनी गोल गोल भारी भरकम गदर आई गांड के दर्शन अपने भांजे को कराने लगी भले ही साड़ी के ऊपर से ही सही लेकिन संजू अपनी नजरों से ही अपनी मामी की साड़ी को भेदता हुआ उसकी गांड में उतर जा रहा था,,,, संजू का मन तो कर रहा था कि वह पीछे से अपनी मामी को पकड़ ले और उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी गोल-गोल कहां पर अपना लंड रगड़ रगड़ कर अपनी प्यास को बुझा ले,,,,, लेकिन इतनी जल्दबाजी दीखाना ठीक नहीं था,,,, देखते ही देखते दोनों छत पर पहुंच चुके थे,,,, छत काफी बड़ा था और घर काफी ऊंचा इसलिए यहां से सारा गांव नजर आ रहा था दूर दूर तक लहराते खेत बड़े-बड़े पेड़ और वह नहर जिसमें बरसात का सारा पानी बह रहा था और अभी भी साफ नजर आ रहा था,,,, दोनों बाल्टी को नीचे रखकर संजू चारों तरफ देखने लगा गांव काफी खूबसूरत था जिसे देखकर संजू एकदम खुश हुआ जा रहा था वह अपनी मामी से बोला,,,,।

सच में मामी गांव कितना खूबसूरत है,,,,, कितनी हरियाली कितनी शांति है चारों तरफ पंछियों की आवाज सुनाई दे रही है और शहर में तो केवल गाड़ियों का शोर ही सुनाई देता है,,,,


तभी तो गांव में पहुंचकर सब लोग सारी चिंता भूल जाते हैं और एकदम मगन हो जाते हैं,,,,(इतना कहते हुए सुहानी बाल्टी में से कपड़े लेकर रस्सी पर डालने लगी और संजू भी मदद करने लगा,,,, देखते ही देखते काफी कपड़े रस्सी पर दोनों मिलकर डाल दिए थे लेकिन अभी भी बाल्टी में कपड़े थे संजू ने बाल्टी में हाथ डाला और उसमें से कपड़ा निकालना लेकिन वह गिला कपड़ा पेंटी थी संजू से हाथ में लेकर गोल गोल इधर-उधर घुमा कर उसे देखने की कोशिश कर रहा था पेंटी के हाथ में आते ही संजू के लंड में अकड़न सी बढ़ने लगी थी,,,वह पेंटिं इतना तो वह जानता ही था कि ना तो उसकी मम्मी की थी और ना ही उसकी मौसी की तो इतना तेज था कि वहां पेंटी उसकी दोनों मामी में से किसी एक की थी इसीलिए संजू उसकी चौड़ाई को देखकर गांड के आकार के बारे में सोच रहा था और पल भर में उसे इस बात का एहसास हो गया था कि वह पेंटी उसकी बड़ी मामी की भी नहीं थी क्योंकि बड़ी मामी की गांड को ज्यादा बड़ी-बड़ी थी और इस पेंटी का आकार उसका घेराव संजू की मंझली मामी की गांड के आकार से मिलता-जुलता था संजू ने इतना तो अंदाजा लगा लिया था कि उसके हाथ में आई पेंटी किसी और की नहीं बल्कि सुहानी मामी की थी,,,, संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी वह पेंटी को रस्सी पर डाल पाता इससे पहले ही सुहानी की नजर संजू के हाथों में आई पेंटी पर पड़ गई और वह एकदम से संजू की तरह लगती हो लगभग लगभग झपटते हुए संजू के हाथ में से अपनी पैंटी को ले ली,,,, और अपने हाथ में लेकर छुपाते हुए धड़कते दिल के साथ बोली,,,)

हाय दैया यह क्या कर रहे हो,,,,,,

मैंने क्या किया मामी,,,,(संजू जानबूझकर अनजान बनता हुआ बोला)

तुम इस तरह के कपड़े मत लिया करो अपने हाथ में,,,(गहरी सांस लेते हुए सुहानी बोली ,,)

इसमें क्या हो गया मामी,,,,

अरे बुद्धू इस तरह के कपड़े लड़के अपने हाथ में नहीं लेते,,,,

वही तो मैं पूछ रहा हूं इसमें क्या हो गया,,,, बाकी के भी तो औरतों के ही कपड़े थे मैंने उसे भी तो राशिफल डाला ना,,,

समझने की कोशिश करो संजू इस तरह के कपड़े औरतें किसी को दिखाती नहीं है,,,,
(संजू सब कुछ जान रहा था लेकिन फिर भी अनजान बनता हुआ बोला)

क्या मामी इन कपड़ों में क्या खास है जो औरतें दिखाती नहीं है,,,,
(वाकई में सुहानी संजू के हाथों में अपनी पेंटी आ जाने की वजह से शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,,, वह एकदम सहज रुप से शर्मा रही थी और संजू जानबूझकर अनजान बनने का नाटक कर रहा था,,,)

खास है शहर में चलता होगा लेकिन यहां नहीं चलता संजू ,,,,


सच कह रही हो मामी शहर में तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलता,,,,, मैं खुद कभी कपड़े डालते समय इस तरह के कपड़े भी रस्सी पर सुखाने के लिए डाल देता हूं,,,,

हाय दैया सच में,,,,

हां क्यों क्या हुआ,,,?(संजू जानबूझकर अपनी मामी से इस तरह की बातें कर रहा था जबकि वह कभी भी इस तरह के कपड़ों को शहर में भी रस्सी कर सुखाने के लिए डाला ही नहीं था,,,, संजू के मुंह से इतना सुनते ही सुहानी हंसने लगी लेकिन उसकी हंसी में भी शर्म की झलक साफ नजर आ रही थी,,, सुहानी को इस तरह से हंसता हुआ देखकर संजू भी मुस्कुराते हुए बोला)

अच्छा बताओ मामी क्या कहते हैं इसे,,,,

धत् मुझे शर्म आती है इस तरह से कोई नाम भी लेता है क्या,,,,?

क्यों इसका नाम नहीं है क्या अच्छा यह बात बताओ जब दुकान पर जाती हो तो इसे खरीदने के लिए क्या कहकर मांगती हो,,,,

हम इसे खरीदने के लिए जाते ही नहीं है इसे तो तुम्हारे मामा ही खरीद कर लाते हैं दुकान पर जाकर इस तरह से मांगने में हमें शर्म आती है,,,,


चलो कोई बात नहीं यह तो बता दो इसे कहती क्या हो,,,,।
(संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी सुहानी मामी की उपस्थिति में इस तरह की बातें करते हुए संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी खास करके उसके लंड की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि सुहानी का मुस्कुराना भी बेहद उत्तेजित कर दे रहा था संजू की बात सुनकर सुहानी बोली,,,)

धत् मुझे बहुत शर्म आती है,,,

क्या मामी गांव की बोली भाषा रहन-सहन सीखने के लिए ही तो मैं आराम करने की जगह तुम्हारी मदद करने के लिए आया हूं और तुम हो कि मुझे कुछ भी सीखा नहीं रही हो,,,

अरे यह भी कोई सीखने की बात है,,,

क्यों नहीं मानी अगर मान लो कि मेरी शादी गांव की किसी लड़की से हो गई और मैं उसकी बात को समझ नहीं पाया तो दिक्कत हो जाएगी ना,,,


अरे तो क्या हुआ वह तुम्हें अच्छी तरह से समझा देगी आखिर बीवी है और एक बीवी को अपने पति से कुछ भी कहने में शर्म महसूस नहीं होती समझे,,,,,


लेकिन मुझे तो बता दो मामी,,,

तुम बहुत जिद करते हो,,,,, अच्छा मैं तुम्हें बता देती हूं लेकिन इस बारे में किसी को कहना नहीं कि मैंने तुम्हें इस तरह का कुछ बताई हुं,,

मां कसम किसी को नहीं कहूंगा,,,।
(संजू के भोलेपन को उसके व्यक्तित्व को और उसके खूबसूरत चेहरे को देखकर सुहानी कहीं ना कहीं उसकी तरफ आकर्षित हुए जा रही थी इसीलिए तो इस तरह की बातें करने में ना जाने क्यों उसे भी आनंद की अनुभूति हो रही थी और वह संजू की बात मानते हुए बोली)

इसे हम लोग कच्छी कहते हैं,,,,

ककककक,कच्छी,,,,,, क्या बात है,,,,(संजू एकदम से आश्चर्य जताते हुए बोला और वैसे भी इस शब्द को सुनकर ना जाने इस शब्द में कैसा एहसास था कि इस शब्द को सुनकर ही संजू के लंड की अकड़ कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी)

हां इसे हम लोग कच्छी कहते हैं,,,

लेकिन हमारे यहां तो इसे पेंटी कहते हैं,,,,

कहते होंगे शहर वाले गांव वाले तो इसे कच्छी ही कहते हैं,,,, तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या,,, देसी भाषा,,,

नहीं नहीं मम्मी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इस शब्द को तो सुनकर बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,


तुम्हारी मम्मी नहीं बताई क्या,,,?

यह भी कोई बताने वाली बात है क्या,,,,

चलो कोई बात नहीं अब तो पता चल गया ना तुम्हें,,,(इतना कहने के साथ ही सुहानी संजू की नजर से बचा कर अपनी पेंटी को अपनी साड़ी के नीचे दाल भी सूखने के लिए यह देखकर संजू बोला)

क्या मामी अपनी कच्छी को साड़ी के नीचे सूखने के लिए रख दी हो ऐसे सुख पाएगी क्या,,,,


सूख जाएगी हम लोग तो इसी तरह से सुखाते हैं,,,,
(तभी संजू बाल्टी में हाथ डालने के लिए नीचे झुका ही था कि सुहानी जोर से बोली)

रुक जाओ संजू,,,,(इतना सुनते ही संजु एकदम से रुक गया,,, उसे समझ में नहीं आया कि ऐसा वह क्यों बोली कि तभी वह जल्दी से आइ और बाल्टी में से तुरंत अपनी ब्रा निकाली और बोली,,,)

अभी तो तुम इसे भी हाथ में ले लेते,,,

तो इसमें कौन सा भूचाल आ जाने वाला था,,, अच्छा यह बताओ इसे क्या कहते हैं,,,

इसे ब्रा ही कहते हैं,,,,(इतना कहते हुए सुहानी अपनी ब्रा को भी अपनी साड़ी के नीचे सूखने के लिए डाल दी और संजू बोला)

चलो अच्छा ही हुआ कि इसे ब्रा ही कहते हैं नहीं तो मुझे लगा कि ईसे कुछ और कहते होंगे,,,,,,

क्या लगा तुम्हें क्या कहते होंगे,,,,

जाने दो मामी,,,,

नहीं नहीं बोलो क्या लगा तुम्हें,,,,
(सुहानी को भी इस तरह की बातें नहीं आनंद आने लगा था इसलिए संजू भी बेझिझक, बोला,,,)

मुझे लगा कि इसे गांव में चूची छुपा वन वस्त्र कहते होंगे,,,,

क्या कहा तुमने,,,,

चूची छुपा वन वस्त्र,,,,,


हाय दइया,,,(अपने चेहरे पर शर्म से हाथ रखते हुए) बड़े बेशर्म हो तुम,,,,


बेशर्मी की क्या बात है मैं तो सिर्फ बता रहा हूं,,,,, अच्छा मामी क्या दिन भर तुम इसी तरह से काम करती रहती हो,,,,(जानबूझकर संजू बात की दिशा को मोड़ते हुए बोला क्योंकि वह जो बोलना चाहता था वह बोल दिया था और उसका प्रभाव वह अपनी मामी के चेहरे पर देख रहा था जो कि शर्म से लाल हो चुका था)

तो क्या इस घर में आराम कहां मिलता है दिन भर सुबह से उठ जाओ बस काम काम काम जब तक सो नहीं जाते तब तक काम करना ही पड़ता है,,,,,, खेत खलियान गाय भैंस का तबेला फिर दूध निकालना उसे एक बर्तन में इकट्ठा करना कपड़े धोना सब्जियों को तोड़कर लाना उसे बाजार में ले जाकर तुम्हारे मामा बेचते हैं लेकिन करना मुझे ही सब कुछ पड़ता है,,,,

और बड़ी मामी,,,,

वह भी बहुत काम करती है लेकिन मैं उन्हें करने नहीं देती अच्छा नहीं लगता ना कि मेरे होते हुए उन्हें काम करना पड़े,,,


क्या बात है मामी तुम्हारी जैसी सोच अगर सब औरतों की हो जाए तो घर में झगड़ा ही खत्म हो जाए मैं तो भगवान से दुआ करूंगा कि,,, मुझे भी भले गांव की लड़की से शादी करना पड़े लेकिन तुम्हारी जैसी बीवी हो तो जिंदगी सुधर जाए,,,,।
(इतना सुनते ही सुहानी के गाल शर्म से लाल हो गए और वह बात का रुख बदलते हुए हाथ के इशारे से दूर खेतों के बीच बड़े मकान को दिखाते हुए बोली,,,)

वह दूर बड़ा मकान देख रहे हो,,,


हां बहुत खूबसूरत लग रहा है हरे हरे खेतों के बीच,,,,


वह घर तुम्हारे छोटे मामा और मामी का है,,,,

क्या कह रही हो मामी,,,, लेकिन ऐसा कैसे हो गया,,,

तेरे छोटे मामा की संगत खराब हो गई थी शराब जुआ यही सब दिनचर्या हो गई थी,,,,, एक दिन अपना खुद का धंधा करने के लिए बड़े भैया से पैसे मांगने लगे लेकिन भैया उनकी हरकत से वाकिफ थे इसलिए पैसा देने से इंकार कर दिया और तुम्हारी छोटी मामी थोड़ी झगड़ालू किस्म की है लड़ झगड़ कर अपना हिस्सा लेकर वह खेत में घर बनाकर रहने लगे तब से बोलने का का संबंध खत्म हो चुका है तेरे छोटे मामा बहुत अच्छे हैं लेकिन तेरी मामी की वजह से वह कुछ बोल नहीं पाते,,,,, विवाह को 5 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक बच्चे नहीं है इसलिए तेरे छोटे मामा को और भी ज्यादा दिक्कत होती है,,,,,

तुम्हें अच्छा लगा था मामी जब छोटे मामा अलग हुए थे,,,,

मैं 2 दिन तक रोती रही गई थी कुछ खाई ना पी,,, ऋतु के हाथ जोड़े पांव पकड़ो लेकिन वह नहीं मानी मैं तो भगवान से प्रार्थना करती हूं कि ऐसा कौन सा दिन होता कि सब लोग एक होकर साथ में रहते,,,,


तुम्हारी इच्छा जरूर पूरी होगी मामी,,,,,, चलो अब धूप ज्यादा है नीचे चलते हैं,,,,(इतना कहने के साथ ही संजू सीढीओ की तरफ चलने लगा और सुहानी भी जैसे उस तरफ कदम बढ़ाई,,,,, उसका पैर नीचे पड़ी रस्सी में फस गया और वह एकदम से लड़खड़ा गई,,,, वह गिरने ही वाली थी कि ऐन मौके पर संजू की नजर पड़ गई और मैं फुर्ती दिखाता हुआ अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मामी को थाम लिया और उसे गिरने से बचा रहे हैं लेकिन ऐसा करते हुए उसके दोनों हाथ उसकी मदमस्त कर देने वाली चूची ऊपर आ गई थी जिसे संजू संभालते संभालते उसे पकड़ने की कोशिश में उसकी चूची को पकड़ लिया था जिसका एहसास सुहानी को संभालने पर हो गया था और वह इस स्थिति में पूरी तरह से शर्मसार हो चुकी थी वह एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई थी अपनी दोनों चुचियों को वह अपने भांजे के हाथों में महसूस कर चुकी थी और ऐसा पहली बार था कि जब उसकी दोनों चूचियां किसी अनजान मर्द की हाथों में आ चुकी थी इस पल को महसूस करके सुहानी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह शर्म से पानी पानी में जा रही थी और वह शर्म का पानी उसकी चूत से टपकने लगा था क्योंकि इस तरह सेवा एकदम उत्तेजित भी हो चुकी थी,,, और इस बात का एहसास संजू को भी अच्छी तरह से था वह जानता था कि अपनी मामी को गिरने से बचाने में उसकी दोनों हथेली उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियों पर चली गई थी जिसे वह संभालते हुए अनजाने में ही अपनी हथेलियों का दबाव चुचियों पर कुछ ज्यादा बढ़ा दिया था इस बात का एहसास होते ही उसके लंड में भी हरकत होने लगी थी लेकिन वह तुरंत अनजान बनता हुआ बोला ,,,,।




क्या मामी तुम भी संभाल कर चला करो ,,, मैं ना होता तो अभी तो गिर गई होती,,,,


यह पता नहीं किसने रस्सी बीच में रख दिया है,,,,

रुको मैं इसे एक जगह रख देता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू मोटी रस्सी को इकट्ठा करके छत के कोने में रख दिया और फिर दोनों छत से नीचे उतर गए अपनी छोटी मामी को लाइन में लाने का प्रयास संजू ने शुरू कर दिया था और किसी हद तक वह कामयाब होता नजर आ रहा था)


Wah rohnny4545 Bhai,

Ekdum mast update post kiya he................lagta he gaanv me sanju ka sar kadhahi me sabhi ungliya ghee me rehne wali he............ek sath itni chuto ka intezaam hone laga he

Keep posting Bhai
 

Sanju@

Well-Known Member
4,220
17,314
143
वासना और तूफानी बारिश से भरी हुई रात गुजर चुकी थी लेकिन यह रात दोनों के जीवन की नई शुरुआत थी दोनों बहने ही नहीं बल्कि संजू के लिए भी एक नई शुरुआत थी तीनों एक-दूसरे के राजदार जो बन गए थे,,,, साधना यही सोच रही थी कि वह अपनी चालाकी से आज आराधना की आंखों के सामने ही उसके बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपने जीवन की एक नई शुरुआत की है जबकि वह यह बात नहीं जानती थी कि उसकी और संजू के बीच की कामलीला को आराधना खुद अपनी आंखों से देख चुकी है लेकिन आराधना भी अब उस बात को उखेडना नहीं चाहती थी क्योंकि,,,, इसी बहाने आराधना भी अपनी बहन की आंखों के सामने पहली बार अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपने सुखे जीवन में पहली बार बहार ले आई थी,,,,,,,,

बरसात बंद हो चुकी थी,,, पंछियों के शोर के साथ ही सबसे पहले संजू की नींद खुली और फिर वह मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी मारो अपनी मौसी को भी जगा दिया हालांकि इस समय भी तीनों संपूर्ण रूप से लगना वस्था में थे उन दोनों की मदमस्त कर देने वाली नंगी जवानी को देखकर और खास करके उनकी बड़ी-बड़ी कारण को देखकर एक बार फिर से संजू के लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था लेकिन,, लेकिन वह इस समय उचित जगह पर नहीं था रात की बात कुछ और थी लेकिन सुबह हो रही थी धीरे-धीरे अंधेरा दूर हो रहा था और गांव जवार में अक्सर लोग इसी समय पर उठकर खेतों की तरफ चल देते हैं इसलिए इस स्थिति में यहां पर दोनों औरतों की चुदाई करना बिल्कुल भी ठीक नहीं था अगर दोनों कमरे में होती तो बात कुछ और होती इसलिए अपना मन मार कर राजू ने जल्दी से दोनों को जगाया और दोनों एकदम से उठ कर बैठ गए,,,,, उठते ही साधना और आराधना खंडहर के बाहर देखने लगी धीरे-धीरे उजाला हो रहा था इसलिए वह दोनों की छत से खड़ी हो गई क्योंकि गांव की भौगोलिक प्रक्रिया से वह लोग भली-भांति अवगत थे,,,,,


जल्दी-जल्दी आराधना और साधना दोनों ने कपड़े पहनना शुरू कर दिया आराधना तो रात को उतारे हुए कपड़े पहन रही थी जो कि समय तेज हवा के कारण सूख चुके थे लेकिन साधना सलवार और कुर्ती नहीं पहनना चाहती थी वह गांव में साड़ी पहन कर जाना चाहती थी क्योंकि वो जानती थी कि उसका बदन थोड़ा भारी हो चुका था जोकि सलवार कमीज में गांव वाले उचित नहीं समझते थे वैसे भी शादीशुदा हो चुकी थी जवान लड़की की मां थी इसलिए इस उमर में गांव में सलवार कमीज पहनना लोग उचित नहीं समझते थे वह भी बैग में से साड़ी निकाल कर पहनती वैसे भी उसका भी यही मानना था कि औरत की असली सुंदरता केवल साड़ी में ही उभर कर सामने आती है और वाकई में ऐसा ही था साड़ी पहनने के बाद साधना की खूबसूरती में चार चांद लग जाते थे और आराधना तो वैसे ही पूनम का चांद थी,,,,

तीनों एक एक बैग लेकर खंडहर से बाहर निकल गए रात को इतनी तूफानी बारिश थी लेकिन कहीं पानी का नामोनिशान नहीं था संजू अपने मन में सोचने लगा कि साधना मौसी सही कह रही थी कि बगल के नहर में सारा पानी चला जाता है और ऐसा ही था हां थोड़ा बहुत कीचड़ हो चुका था जिस पर संभाल संभाल कर तीनों पर रखते हुए आगे बढ़ रहे थे,,,,, वातावरण में पूरी तरह से ठंड खा चुकी थी वैसे भी सुबह का समय होने की वजह से और गांव में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आ रही थी इसकी बदौलत वातावरण में कुदरती ठंडक फैली हुई थी जिसका आनंद तीनों ले रहे थे,,,, आराधना थोड़ा कीचड़ में बचकर चल रही थी जिसकी वजह से ऐसा लग रहा था कि जैसे वह हल्का-हल्का लंगड़ा रही है,,, इसलिए साधना चुटकी लेते हुए बोली,,,।

बहुत दिनों बाद और बहुत ज्यादा मोटा और लंबा चूत में गया है ना इसके लिए आराधना को चलने में तकलीफ हो रही है,,,,
(अपनी बड़ी बहन की बात सुनते ही आराधना शर्म से पानी पानी होने लगी वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही संजू बोला)

क्या सच में मम्मी चलने में तकलीफ हो रही है,,,

नहीं रे ऐसा कुछ भी नहीं है दीदी तो बस बातें बनाने में माहिर है,,,,


नहीं नहीं मैं बातें नहीं बना रही हूं मैं सच कह रही हूं रात को संजू इतनी जोर जोर से तेरी चूत में धक्का लगा रहा था कि मुझे तो लग रहा था कि तु ठीक से खड़ी नहीं हो पाएगी लेकिन तेरे में भी बहुत कम है अच्छा ही है संजू को अपने लंड के टक्कर की चूत मिली है,,,,

क्या दीदी तुम भी अभी कोई सुन लेगा तो गजब हो जाएगा,,,


अरे कोई सुन कैसे लेगा कोई दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है,,,,,

मौसी अभी गांव कितनी दूर है,,,,

बस बस आ गया 10 मिनट और,,,,, बहुत सालों बाद गांव आई हूं लेकिन पूरा रास्ता पता है,,,


हां दीदी सच कह रही हो इन रास्तों को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे कल ही की बात हो हम दोनों इसी रास्ते से होकर स्कूल जाया करते थे खेला करते थे वक्त भी कितनी तेजी से गुजर जाता है ना दीदी,,,


सच कह रही आराधना ऐसा लगता है कि बचपन का ही दिन सबसे खूबसूरत था,,,,

नहीं मौसी ऐसा नहीं है सबसे खूबसूरत दिन तो जवानी का है तभी तो रात भर मेरे लंड पर कूद रही थी तुम दोनों ऐसा मजा ले रही थी कि पूछो मत क्या ऐसा मजा बचपन में आता है क्या,,,,


हां यह बात तो तू सच कह रहा है संजू बचपन का भी अलग मजा था लेकिन जवानी का भी कुछ अलग ही मजा है और तेरे जैसा लंड मिल जाए तो फिर जवानी कि किस्मत खुल जाए,,,,


कोई बात नहीं मौसी अब तो मुझे तुम दोनों की जवानी की किस्मत खोलने में बहुत मजा आएगा,,,

बाप रे यह लड़का तो एक ही रात में एकदम बेशर्म हो गया है इसकी जगह कोई और होता तो कब से ढेर हो गया होता लेकिन यह था कि घोड़े की तरह दौड़ रहा था जब तक हम दोनों का पानी निकाल नहीं लिया तब तक इसका खुदका नहीं निकला,,,,, वैसे सच सच बताना संजू अपने लंड पर कौन से तेल की मालिश करता है,,,


क्या दीदी तुम भी,,,,

अरे नहीं यार इतना पूछना तो बनता है ना ताकि मैं भी तेरे जीजा के लंड पर उसी तेल की मालिश कर सकूं और मुझे भी तेरे जीजा इसी तरह का मजा दे सके,,,,


मौसा जी का छोटा है क्या मौसी,,,


छोटा और मोटा तो छोड़ संजू अब तो तेरे मौसा जी का खड़ा ही नहीं होता बड़ी मुश्किल से खड़ा करती हु लेकिन फिर ढेर हो जाते हैं,,,,

कोई बात नहीं अब मेरे से काम चला लेना वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दो मैं अपने लंड पर किसी भी तेल की मालिश नहीं करता इसीलिए तो एकदम दमदार है,,,,

बस कर संजू एकदम बेशर्म हो गया है तू,,,,, देख गांव दिखाई दे रहा है अब इस तरह की बात मत कर,,,,

थोड़ी ही देर में तीनों गांव के अंदर प्रवेश कर गए और गांव के छोर पर संजू के मामा जी का घर था,,,,, थोड़ी ही देर में तीनों घर पर पहुंच चुके थे घर काफी बड़ा था तीन मंजिलें का घर का गांव में होने के बावजूद भी घर काफी खूबसूरत बना हुआ था जिसकी उम्मीद संजू को बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए तो अपने मामा का घर देखते ही वह खुशी से झूम उठा,,,,

बाबरी मम्मी मौसी क्या सच में तुम लोगों का मायका इतना खूबसूरत है मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कितना बड़ा घर होगा,,,

अरे बुद्धू हम लोग खानदानी है समझा,,,,,(साधना मुस्कुराते हुए बोली,,,,, तीनों घर के सामने अपना बैग नीचे जमीन पर रखते हैं इधर-उधर देखने लगे कि तभी घर के पीछे से संजू के मामा निकलते हुए नजर आए और साधना जोर से चिल्लाई,,,,

भैया,,,,
(इतना सुनते ही वह इंसान एकदम से खुश हो गया और वह तीनों की तरफ आगे बढ़ता हुआ ,, वही से आवाज लगाता हुआ चिल्लाया,,,)

अरे लल्ली की मां,,,,, देखो कौन आया है,,,,,,
(इतना कहते हुए बड़ा एकदम से वह तीनों के करीब पहुंच गया और तीनों बारी-बारी से पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगे,,, संजू भी अपने मामा जी का पैर छूते हुए प्रणाम किया तो,,,, संजू के बावजूद को पकड़कर वह एकदम खुशी जताते हुए उसे खड़ा किए और बोले,,,)

जुग जुग जियो बेटा,,,, तुम तो एकदम जवान हो गए हो शादी करने के लायक,,,,(अपने मामा की बात सुनकर संजू शर्मा गया और मुस्कुराने लगा,,, तब तक दरवाजा खोल कर अंदर से खूबसूरत औरत बाहर आई उसके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी जिसे देखते हैं साथ में और आराधना उसे भाभी करके संबोधन किया और वह दोनों खुद उस औरत की तरफ आगे बढ़ गई और उस औरत के पैर छूकर उसके भी आशीर्वाद लिए,,,,,)

आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई,,,


भाभी पूछो मत,,,, अरे संजू वहा खड़ा क्या कर रहा है तेरी बड़ी मामी है पैर छू,,,,(आराधना संजू को समझाते हुए बोली तो संजू मुस्कुराता हुआ अपनी मम्मी की तरफ आगे बढ़ गया और पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगा तो उसकी मम्मी एकदम खुशी जताते हुए उसे अपने गले से लगा ले क्योंकि वह अपने भांजे को बचपन में देखी थी और अब तक देख रही थी तो को एकदम से जवान हो गया था इसीलिए उसे गले लगाते हुए बोली,,,)

मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है आराधना कि अपना संजू है कितना छोटा सा था जब तक यहां से लेकर गई थी उसके बाद अब आ रहा है,,,, शैतान अपनी मामी की याद नहीं आती तुझे,,,

आती है मामी लेकिन क्या करें यह आने का कुछ बहाना ही नहीं मिल रहा था और अब दीदी की शादी है तो आप सब से मिलने का मौका भी मिल गया,,,,


बहुत बड़ा हो गया,,,,
(अपनी मामी को देखकर संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह पल भर में ही अपनी मामी के बदन के भूगोल को अपनी नजरों से नापने की कोशिश कर रहा था जिस तरह से वह अपने गले लगा ली थी उसकी दोनों छातियां पपाया की तरह उसकी छाती से जाकर एकदम से रगड़ खाई थी और उस रगड़ को महसूस करके संजू का केला अकड़ने लगा था,,,,, संजू इतना तो अंदाजा लगा लिया था कि ब्लाउज के अंदर के उसकी मामी के दोनों खरबूजे बहुत ही बेहतरीन होंगे और अपनी मामी की गदराई जवानी देख कर संजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,,,)

चलो चलो पहले घर में चलकर थोड़ा फ्रेश हो जाओ तब बातें करते हैं,,,,(इतना कहने के साथ ही संजू की मामी दरवाजे की तरफ घूम गई हो घर के अंदर जाने लगी पीछे से अपनी मामी की गदराई जवानी को देखकर संजू की हालत खराब होने लगी,,, उसकी बड़ी बड़ी गांड और वह भी उभरी हुई देख कर ही संजू की हालत पतली हो रही थी संजू ने अंदाजा लगा लिया था कि उसकी मम्मी 40 के करीब की थी और इस उम्र में औरतों की जवानी कुछ ज्यादा ही उफान मारती है जैसा कि खुद उसकी मां और मौसी की,,,, घर में प्रवेश करते करते संजू की मामी आवाज लगाते हुए बोली,,,)

मोहन अरे वो मोहन देख तो कौन आया है,,,,, जा जा कर जल्दी सामान घर में लेकर आ जा,,,,(संजू की मामी के इतना कहने के साथ ही अंदर से हाथ में बाल्टी लेकर आ रहे शख्स ने तुरंत घर के बाहर आकर आराधना और साधना दोनों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और फिर साधना संजू से बोली,,,)

संजू है तेरे बीच वाले मामा हैं मोहन मामा,,,
(इतना सुनते ही संजू आगे बढ़कर अपने मामा के पैर छुए और उसके मोहन मामा भी एकदम खुश होते हुए बोले)

मुन्ना अब कितना बड़ा हो गया है,,, अगर दीदी लल्ली बिटिया की शादी ना पड़ती तो शायद तुम लोग गांव में आते ही नहीं,,


नहीं रे मोहन ऐसी कोई बात नहीं है तू तो जानता है कि शहर में किसी के पास समय नहीं रहता मैं दूसरों के लिए ना खुद अपनों के लिए इतनी भागा थोड़ी होती है कि दो वक्त की रोटी पढ़ाई बस इसी में जिंदगी गुजर जाती है,,,,

ठीक है दीदी तुम सब अंदर चलो मैं सामान लेकर आता हूं,,,,,

अरे सुहानी कहां है,,,,

वह अपने कमरे में है दीदी,,,,,
(सुहानी का नाम सुनते ही संजू आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखने लगा तो आराधना मुस्कुराते हुए बोली)

तेरी बीच वाली मामी ,,,,

मम्मी तुम्हारे इतने रिश्तेदार हैं कितने भाई हैं लेकिन तुमने कभी बताई ही नहीं,,,,


अरे पगले तेरे एक और मामा और मामी ने सबसे छोटे वीर तेरे मामा का नाम है और रितु तेरी छोटी मामी का नाम है,,,, हां मोहन वह दोनों कहां है,,,,


क्या बताऊं दीदी वह दोनों हम लोगों के साथ नहीं रहते वह दोनों खेतों में घर बनवाए हैं वहीं पर रहते हैं,,,

क्या कह रहे हो मोहन,,,

मैं सच कह रहा हूं दीदी,,,,,,, वीर की बीवी झगड़ालू किसंम की है उसकी किसी की नहीं बनती थी इसलिए वह वीर को लेकर अलग हो गई हो खेत वाली जमीन पर घर बनाकर रहती है,,,,,,,

यह कैसे हो गया दीदी,,,(आराधना साधना से बोली तो वह भी आश्चर्य जताते हुए बोली)

पता नहीं कैसे मुझे भी तो अभी पता चल रहा है,,,,

चलो दीदी यह सब छोड़ो चल कर नहा लो सफर में थक गए होगे,,,,,
(थोड़ी ही देर में सभी लोग घर के मेहमान कच्छ में एकत्रित हो गए वहीं पर बैग रखकर कुछ देर तक वहीं पर बैठ गए,,,, संजू के बड़े मामा बोले,,,)

अच्छा तुम लोग को तकलीफ तो नहीं हुई ना सफर के दौरान अगर बता दिए होते तो मुख्य सड़क तक गाड़ी भेज दिए होते लेकिन तुम लोगों ने कुछ बताया ही नहीं,,,


क्या बताते भैया हम लोग तो कल शाम को ही गांव पहुंच गए थे,,,, बस से उतरे तभी बारिश शुरू हो गई थी,,,, आपको इतना फोन लगाएं लेकिन फोन बंद बता रहा था,,,, और फिर इतनी तेज बारिश शुरू हो गई,,, हम तीनों भी में लगे करे तो क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था फिर भी देख ले कर हम लोग मुख्य सड़क से गांव की तरफ जाने लगे और बारिश और हवा इतनी तेज हो गई कि अब चलना मुश्किल हो जा रहा था अच्छा हुआ कि तभी हमें वह सड़क के किनारे वाला खंडहर नजर आया और हम लोग खंडहर में चले गए,,,, और फिर रात भर वही जागकर समय बिताए हैं,,,,

क्या कह रही हो साधना खंडहर में,,,


हां भैया और क्या करते ,,,, इतनी तेज बारिश हो रही थी इतनी तेज हवा चल रही थी कि चलना मुश्किल हो रहा था इतना अंधेरा था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो करते क्या,,,,
Sanju k mama ki ladki lalli g8shalkhane me


साधना तुम तीनों यहां आने पर इतनी मुसीबत सही हो मुझे बिल्कुल भी एहसास होता तो मैं गाड़ी भेज दी होती लेकिन 2 दिन से इधर भी लाइन कट है इसलिए मोबाइल चार्ज नहीं हो पाया,,,,,,,,,(संजू की बड़ी मामी अपनी तरफ से माफी मांगने की मुद्रा में ही बोली उसे इस बात का खेद था कि उन लोगों की वजह से ही उन तीनों को इतनी मुसीबत सहना पड़ा,,,,, और संजू की मम्मी और मामा दोनों उन तीनों से माफी मांग कर बात को आईगई कर दी और वैसे भी खंडहर में रुकने वाली बात को लेकर साधना और आराधना को किसी बात का खेत नहीं था क्योंकि दोनों जिंदगी का सबसे बेहतरीन पल खंडहर में गुजार चुके थे,,,, कुछ देर और बातें करने के बाद संजू की बड़ी मामी खाना बनाने चली गई थी और साथ में सुहानी मामी जो कि थोड़ी देर बाद सब से मिलने के लिए आई थी और वह भी बहुत खुश नजर आ रही थी सुभानी की खूबसूरती देखकर संजू भी उत्साहित था,,,,,, संजू अपनी दोनों मामी से मिलकर बहुत खुश था क्योंकि जिस तरह से वह औरतों के प्रति आकर्षित होता जा रहा था अपनी दोनों मामी को देखकर वह पहली नजर में ही दोनों के प्रति आकर्षित हो गया था और अपने मन में यह सोचने लगा था कि काश उसकी दोनों मामी अपनी जवानी का मजा चखा देती तो आनंद ही आनंद हो जाता,,,,,,

थोड़ी ही देर में सब लोग नहाने के लिए चले गए,,,,, अभी तक संजू ने लल्ली को नहीं देखा था जिसके विवाह में वह शहर से गांव आया था इतना तो उसे एहसास हो ही गया था कि जब बड़ी मामी इतनी जवानी से भरी हुई है तो उनकी लड़की भी ठीक उसी की तरह ही होगी,,,,,,
बड़ा घर होने के साथ-साथ नहाने के लिए भी अलग-अलग व्यवस्था थी घर के पीछे भी नहाने की व्यवस्था थी,,,,, संजू भी जल्द से जल्द नहा लेना चाहता था और आराम करना चाहता था क्योंकि रात भर की मेहनत और जागने के बाद उसका बदन दर्द कर रहा था और इसीलिए वह घर के पीछे नहाने के लिए आगे बढ़ गया जहां पर जाने के लिए खुद उसके बड़े वाले मामा बोले थे,,,,,

संजू अपने बैग में से अपने कपड़े निकाल कर और ब्रस और ट्यूब निकालकर दांत साफ करते हुए घर के पीछे पहुंच गया,,,,,, गांव में होने की वजह से पीछे वाला भाग चारों तरफ मोटे मोटे लकड़ी का घेराव बनाकर गिरा हुआ था और चारों तरफ घनी झाड़ियां लगाई हुई थी जिससे एक दीवार की तरह ही नजर आती थी घर के पीछे की खूबसूरती देखकर संजू बहुत ज्यादा परेशान हो रहा था गांव का पूरा वातावरण उसे बहुत अच्छा लग रहा था,,,,, धीरे-धीरे संजू हैंडपंप की तरफ आगे बढ़ने लगा जो कि तीनों तरफ से दीवार थी और एक तरफ से पर्दा लगा हुआ था और वह परदा बंद था,,,,, संजू छोटे से गुसल खाने के करीब पहुंच गया और जैसे ही पर्दे को हटाया और पर्दे को हटाते ही जो नजारा उसकी आंखों के सामने दिखाई दिया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,,,,

संजू की जगह और कोई होता तो उसका भी यही हाल होता जो संजू का था संजू ले जैसे पर्दा हटाया सामने ही गुसल खाने के अंदर एक खूबसूरत लड़की नहाते हुए नजर आई जिसके बदन पर केवल कमीज थी सलवार उतार कर वह पानी में भिगो दी थी और गीली तमीज होने की वजह से उसके बदन से एकदम से चिपक ही गई थी उसकी गोल-गोल मादकता भरी कांड पर कमीज चिपकने की वजह से उसकी गोलाकार गांड का आकार पूरी तरह से गीले कपड़े में उभर कर सामने आ रहा था जिसे देखकर संजू का लंड एकदम बगावत पर उतर आया था,,,,,

इस नजारे को देखकर तो संजू की हालत खराब हो गई वह लड़की बार-बार बाल्टी में से लोटा भर भर कर पानी अपने ऊपर डाल रही थी और खड़ी होकर हेडपंप भी चला रहे थे ऐसे हालात में उसकी गोल-गोल गांड में अजीब सी थिरकन हो रही थी,,,, संजू की नजर हट नहीं रही थी वह पर्दे को हटाकर गुसल खाने में थे रखती हुई जवानी को देख रहा था गीली कमीज में उस खूबसूरत लड़की की गोलाकार नितंब उसकी जवानी की कहानी कह रहे थे जिसके हर एक शब्द को पढ़ने के लिए संजू मचल रहा था तभी वह लड़की एकदम से पलटी और संजू को देखते ही एकदम से चूक गई और उसके हाथ से लौटा नीचे गिर गया और वह अपने हाथ से ही अपनी हथेली से ही अपनी छाती की शोभा बढ़ा रही दोनों जवानी को छुपाने की कोशिश करते हुए बोली,,,,)

हाय तू कौन है रे और तू इधर कैसे आ गया,,,,

ममममम ,,,,, मेरा नाम संजु है,,, और मैं अपने मामा के घर अपनी बहन की शादी में आया हूं,,,,।
(इतना सुनते ही उसे समझ में आ गया और वह एकदम से शर्मा गई और बोली)

मेरी ही शादी में तुम आए हो मेरा नाम लल्ली है,,,


दददद,,,दीदी ,,,,, सॉरी दीदी मैं गलती से इधर आ गया मुझे मालूम नहीं था,,,,,तततत तुम नहा लो फिर मैं नहाता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही संजु गुसल खाने से थोड़ा दूर जाकर खड़ा हो गया और जानबूझकर ब्रश करने का नाटक करने लगा,,,, अंदर गुसल खाने में लल्ली पहले तो थोड़ा गुस्सा कर रही थी लेकिन जब भी समझ गई कि अनजाने में सब कुछ हुआ है तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई,,,, वह एक नजर अपने आप पर डाली तो खुद उसे अपनी हालत को देखकर सरवन महसूस होने लगी वह समझ सकती थी कि उससे पर क्या गुजरी होगी इस हालत में उसे देखकर,,,,, मैं थोड़ी देर में जल्दी से नहा कर वह अपने कपड़े जो साथ में लाई थी उसे पहनकर बाहर निकल आई और संजू की तरफ एक नजर डाल कर मुस्कुराते हुए घर की ओर चली गई संजू उसे जाता हुआ देखता रहा उसकी मटकती हुई गांड देखकर उसका लंड टनटना गया था और फिर वह भी गुसल खाने में नहाने के लिए घुस गया,,,,)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है साधना और आराधना कामुक बाते करते हुए अपने घर पहुंचती हैं वहा उसकी भाभी उनका स्वागत करती हैं अपनी दोनो मामी और लल्ली को नहाते देखकर संजू का लन्ड खड़ा हो जाता है अब तो संजू को 3 नई चूत मिलने वाली है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,220
17,314
143
वासना और तूफानी बारिश से भरी हुई रात गुजर चुकी थी लेकिन यह रात दोनों के जीवन की नई शुरुआत थी दोनों बहने ही नहीं बल्कि संजू के लिए भी एक नई शुरुआत थी तीनों एक-दूसरे के राजदार जो बन गए थे,,,, साधना यही सोच रही थी कि वह अपनी चालाकी से आज आराधना की आंखों के सामने ही उसके बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपने जीवन की एक नई शुरुआत की है जबकि वह यह बात नहीं जानती थी कि उसकी और संजू के बीच की कामलीला को आराधना खुद अपनी आंखों से देख चुकी है लेकिन आराधना भी अब उस बात को उखेडना नहीं चाहती थी क्योंकि,,,, इसी बहाने आराधना भी अपनी बहन की आंखों के सामने पहली बार अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपने सुखे जीवन में पहली बार बहार ले आई थी,,,,,,,,

बरसात बंद हो चुकी थी,,, पंछियों के शोर के साथ ही सबसे पहले संजू की नींद खुली और फिर वह मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी मारो अपनी मौसी को भी जगा दिया हालांकि इस समय भी तीनों संपूर्ण रूप से लगना वस्था में थे उन दोनों की मदमस्त कर देने वाली नंगी जवानी को देखकर और खास करके उनकी बड़ी-बड़ी कारण को देखकर एक बार फिर से संजू के लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था लेकिन,, लेकिन वह इस समय उचित जगह पर नहीं था रात की बात कुछ और थी लेकिन सुबह हो रही थी धीरे-धीरे अंधेरा दूर हो रहा था और गांव जवार में अक्सर लोग इसी समय पर उठकर खेतों की तरफ चल देते हैं इसलिए इस स्थिति में यहां पर दोनों औरतों की चुदाई करना बिल्कुल भी ठीक नहीं था अगर दोनों कमरे में होती तो बात कुछ और होती इसलिए अपना मन मार कर राजू ने जल्दी से दोनों को जगाया और दोनों एकदम से उठ कर बैठ गए,,,,, उठते ही साधना और आराधना खंडहर के बाहर देखने लगी धीरे-धीरे उजाला हो रहा था इसलिए वह दोनों की छत से खड़ी हो गई क्योंकि गांव की भौगोलिक प्रक्रिया से वह लोग भली-भांति अवगत थे,,,,,


जल्दी-जल्दी आराधना और साधना दोनों ने कपड़े पहनना शुरू कर दिया आराधना तो रात को उतारे हुए कपड़े पहन रही थी जो कि समय तेज हवा के कारण सूख चुके थे लेकिन साधना सलवार और कुर्ती नहीं पहनना चाहती थी वह गांव में साड़ी पहन कर जाना चाहती थी क्योंकि वो जानती थी कि उसका बदन थोड़ा भारी हो चुका था जोकि सलवार कमीज में गांव वाले उचित नहीं समझते थे वैसे भी शादीशुदा हो चुकी थी जवान लड़की की मां थी इसलिए इस उमर में गांव में सलवार कमीज पहनना लोग उचित नहीं समझते थे वह भी बैग में से साड़ी निकाल कर पहनती वैसे भी उसका भी यही मानना था कि औरत की असली सुंदरता केवल साड़ी में ही उभर कर सामने आती है और वाकई में ऐसा ही था साड़ी पहनने के बाद साधना की खूबसूरती में चार चांद लग जाते थे और आराधना तो वैसे ही पूनम का चांद थी,,,,

तीनों एक एक बैग लेकर खंडहर से बाहर निकल गए रात को इतनी तूफानी बारिश थी लेकिन कहीं पानी का नामोनिशान नहीं था संजू अपने मन में सोचने लगा कि साधना मौसी सही कह रही थी कि बगल के नहर में सारा पानी चला जाता है और ऐसा ही था हां थोड़ा बहुत कीचड़ हो चुका था जिस पर संभाल संभाल कर तीनों पर रखते हुए आगे बढ़ रहे थे,,,,, वातावरण में पूरी तरह से ठंड खा चुकी थी वैसे भी सुबह का समय होने की वजह से और गांव में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आ रही थी इसकी बदौलत वातावरण में कुदरती ठंडक फैली हुई थी जिसका आनंद तीनों ले रहे थे,,,, आराधना थोड़ा कीचड़ में बचकर चल रही थी जिसकी वजह से ऐसा लग रहा था कि जैसे वह हल्का-हल्का लंगड़ा रही है,,, इसलिए साधना चुटकी लेते हुए बोली,,,।

बहुत दिनों बाद और बहुत ज्यादा मोटा और लंबा चूत में गया है ना इसके लिए आराधना को चलने में तकलीफ हो रही है,,,,
(अपनी बड़ी बहन की बात सुनते ही आराधना शर्म से पानी पानी होने लगी वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही संजू बोला)

क्या सच में मम्मी चलने में तकलीफ हो रही है,,,

नहीं रे ऐसा कुछ भी नहीं है दीदी तो बस बातें बनाने में माहिर है,,,,


नहीं नहीं मैं बातें नहीं बना रही हूं मैं सच कह रही हूं रात को संजू इतनी जोर जोर से तेरी चूत में धक्का लगा रहा था कि मुझे तो लग रहा था कि तु ठीक से खड़ी नहीं हो पाएगी लेकिन तेरे में भी बहुत कम है अच्छा ही है संजू को अपने लंड के टक्कर की चूत मिली है,,,,

क्या दीदी तुम भी अभी कोई सुन लेगा तो गजब हो जाएगा,,,


अरे कोई सुन कैसे लेगा कोई दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है,,,,,

मौसी अभी गांव कितनी दूर है,,,,

बस बस आ गया 10 मिनट और,,,,, बहुत सालों बाद गांव आई हूं लेकिन पूरा रास्ता पता है,,,


हां दीदी सच कह रही हो इन रास्तों को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे कल ही की बात हो हम दोनों इसी रास्ते से होकर स्कूल जाया करते थे खेला करते थे वक्त भी कितनी तेजी से गुजर जाता है ना दीदी,,,


सच कह रही आराधना ऐसा लगता है कि बचपन का ही दिन सबसे खूबसूरत था,,,,

नहीं मौसी ऐसा नहीं है सबसे खूबसूरत दिन तो जवानी का है तभी तो रात भर मेरे लंड पर कूद रही थी तुम दोनों ऐसा मजा ले रही थी कि पूछो मत क्या ऐसा मजा बचपन में आता है क्या,,,,


हां यह बात तो तू सच कह रहा है संजू बचपन का भी अलग मजा था लेकिन जवानी का भी कुछ अलग ही मजा है और तेरे जैसा लंड मिल जाए तो फिर जवानी कि किस्मत खुल जाए,,,,


कोई बात नहीं मौसी अब तो मुझे तुम दोनों की जवानी की किस्मत खोलने में बहुत मजा आएगा,,,

बाप रे यह लड़का तो एक ही रात में एकदम बेशर्म हो गया है इसकी जगह कोई और होता तो कब से ढेर हो गया होता लेकिन यह था कि घोड़े की तरह दौड़ रहा था जब तक हम दोनों का पानी निकाल नहीं लिया तब तक इसका खुदका नहीं निकला,,,,, वैसे सच सच बताना संजू अपने लंड पर कौन से तेल की मालिश करता है,,,


क्या दीदी तुम भी,,,,

अरे नहीं यार इतना पूछना तो बनता है ना ताकि मैं भी तेरे जीजा के लंड पर उसी तेल की मालिश कर सकूं और मुझे भी तेरे जीजा इसी तरह का मजा दे सके,,,,


मौसा जी का छोटा है क्या मौसी,,,


छोटा और मोटा तो छोड़ संजू अब तो तेरे मौसा जी का खड़ा ही नहीं होता बड़ी मुश्किल से खड़ा करती हु लेकिन फिर ढेर हो जाते हैं,,,,

कोई बात नहीं अब मेरे से काम चला लेना वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दो मैं अपने लंड पर किसी भी तेल की मालिश नहीं करता इसीलिए तो एकदम दमदार है,,,,

बस कर संजू एकदम बेशर्म हो गया है तू,,,,, देख गांव दिखाई दे रहा है अब इस तरह की बात मत कर,,,,

थोड़ी ही देर में तीनों गांव के अंदर प्रवेश कर गए और गांव के छोर पर संजू के मामा जी का घर था,,,,, थोड़ी ही देर में तीनों घर पर पहुंच चुके थे घर काफी बड़ा था तीन मंजिलें का घर का गांव में होने के बावजूद भी घर काफी खूबसूरत बना हुआ था जिसकी उम्मीद संजू को बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए तो अपने मामा का घर देखते ही वह खुशी से झूम उठा,,,,

बाबरी मम्मी मौसी क्या सच में तुम लोगों का मायका इतना खूबसूरत है मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कितना बड़ा घर होगा,,,

अरे बुद्धू हम लोग खानदानी है समझा,,,,,(साधना मुस्कुराते हुए बोली,,,,, तीनों घर के सामने अपना बैग नीचे जमीन पर रखते हैं इधर-उधर देखने लगे कि तभी घर के पीछे से संजू के मामा निकलते हुए नजर आए और साधना जोर से चिल्लाई,,,,

भैया,,,,
(इतना सुनते ही वह इंसान एकदम से खुश हो गया और वह तीनों की तरफ आगे बढ़ता हुआ ,, वही से आवाज लगाता हुआ चिल्लाया,,,)

अरे लल्ली की मां,,,,, देखो कौन आया है,,,,,,
(इतना कहते हुए बड़ा एकदम से वह तीनों के करीब पहुंच गया और तीनों बारी-बारी से पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगे,,, संजू भी अपने मामा जी का पैर छूते हुए प्रणाम किया तो,,,, संजू के बावजूद को पकड़कर वह एकदम खुशी जताते हुए उसे खड़ा किए और बोले,,,)

जुग जुग जियो बेटा,,,, तुम तो एकदम जवान हो गए हो शादी करने के लायक,,,,(अपने मामा की बात सुनकर संजू शर्मा गया और मुस्कुराने लगा,,, तब तक दरवाजा खोल कर अंदर से खूबसूरत औरत बाहर आई उसके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी जिसे देखते हैं साथ में और आराधना उसे भाभी करके संबोधन किया और वह दोनों खुद उस औरत की तरफ आगे बढ़ गई और उस औरत के पैर छूकर उसके भी आशीर्वाद लिए,,,,,)

आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई,,,


भाभी पूछो मत,,,, अरे संजू वहा खड़ा क्या कर रहा है तेरी बड़ी मामी है पैर छू,,,,(आराधना संजू को समझाते हुए बोली तो संजू मुस्कुराता हुआ अपनी मम्मी की तरफ आगे बढ़ गया और पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगा तो उसकी मम्मी एकदम खुशी जताते हुए उसे अपने गले से लगा ले क्योंकि वह अपने भांजे को बचपन में देखी थी और अब तक देख रही थी तो को एकदम से जवान हो गया था इसीलिए उसे गले लगाते हुए बोली,,,)

मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है आराधना कि अपना संजू है कितना छोटा सा था जब तक यहां से लेकर गई थी उसके बाद अब आ रहा है,,,, शैतान अपनी मामी की याद नहीं आती तुझे,,,

आती है मामी लेकिन क्या करें यह आने का कुछ बहाना ही नहीं मिल रहा था और अब दीदी की शादी है तो आप सब से मिलने का मौका भी मिल गया,,,,


बहुत बड़ा हो गया,,,,
(अपनी मामी को देखकर संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह पल भर में ही अपनी मामी के बदन के भूगोल को अपनी नजरों से नापने की कोशिश कर रहा था जिस तरह से वह अपने गले लगा ली थी उसकी दोनों छातियां पपाया की तरह उसकी छाती से जाकर एकदम से रगड़ खाई थी और उस रगड़ को महसूस करके संजू का केला अकड़ने लगा था,,,,, संजू इतना तो अंदाजा लगा लिया था कि ब्लाउज के अंदर के उसकी मामी के दोनों खरबूजे बहुत ही बेहतरीन होंगे और अपनी मामी की गदराई जवानी देख कर संजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,,,)

चलो चलो पहले घर में चलकर थोड़ा फ्रेश हो जाओ तब बातें करते हैं,,,,(इतना कहने के साथ ही संजू की मामी दरवाजे की तरफ घूम गई हो घर के अंदर जाने लगी पीछे से अपनी मामी की गदराई जवानी को देखकर संजू की हालत खराब होने लगी,,, उसकी बड़ी बड़ी गांड और वह भी उभरी हुई देख कर ही संजू की हालत पतली हो रही थी संजू ने अंदाजा लगा लिया था कि उसकी मम्मी 40 के करीब की थी और इस उम्र में औरतों की जवानी कुछ ज्यादा ही उफान मारती है जैसा कि खुद उसकी मां और मौसी की,,,, घर में प्रवेश करते करते संजू की मामी आवाज लगाते हुए बोली,,,)

मोहन अरे वो मोहन देख तो कौन आया है,,,,, जा जा कर जल्दी सामान घर में लेकर आ जा,,,,(संजू की मामी के इतना कहने के साथ ही अंदर से हाथ में बाल्टी लेकर आ रहे शख्स ने तुरंत घर के बाहर आकर आराधना और साधना दोनों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और फिर साधना संजू से बोली,,,)

संजू है तेरे बीच वाले मामा हैं मोहन मामा,,,
(इतना सुनते ही संजू आगे बढ़कर अपने मामा के पैर छुए और उसके मोहन मामा भी एकदम खुश होते हुए बोले)

मुन्ना अब कितना बड़ा हो गया है,,, अगर दीदी लल्ली बिटिया की शादी ना पड़ती तो शायद तुम लोग गांव में आते ही नहीं,,


नहीं रे मोहन ऐसी कोई बात नहीं है तू तो जानता है कि शहर में किसी के पास समय नहीं रहता मैं दूसरों के लिए ना खुद अपनों के लिए इतनी भागा थोड़ी होती है कि दो वक्त की रोटी पढ़ाई बस इसी में जिंदगी गुजर जाती है,,,,

ठीक है दीदी तुम सब अंदर चलो मैं सामान लेकर आता हूं,,,,,

अरे सुहानी कहां है,,,,

वह अपने कमरे में है दीदी,,,,,
(सुहानी का नाम सुनते ही संजू आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखने लगा तो आराधना मुस्कुराते हुए बोली)

तेरी बीच वाली मामी ,,,,

मम्मी तुम्हारे इतने रिश्तेदार हैं कितने भाई हैं लेकिन तुमने कभी बताई ही नहीं,,,,


अरे पगले तेरे एक और मामा और मामी ने सबसे छोटे वीर तेरे मामा का नाम है और रितु तेरी छोटी मामी का नाम है,,,, हां मोहन वह दोनों कहां है,,,,


क्या बताऊं दीदी वह दोनों हम लोगों के साथ नहीं रहते वह दोनों खेतों में घर बनवाए हैं वहीं पर रहते हैं,,,

क्या कह रहे हो मोहन,,,

मैं सच कह रहा हूं दीदी,,,,,,, वीर की बीवी झगड़ालू किसंम की है उसकी किसी की नहीं बनती थी इसलिए वह वीर को लेकर अलग हो गई हो खेत वाली जमीन पर घर बनाकर रहती है,,,,,,,

यह कैसे हो गया दीदी,,,(आराधना साधना से बोली तो वह भी आश्चर्य जताते हुए बोली)

पता नहीं कैसे मुझे भी तो अभी पता चल रहा है,,,,

चलो दीदी यह सब छोड़ो चल कर नहा लो सफर में थक गए होगे,,,,,
(थोड़ी ही देर में सभी लोग घर के मेहमान कच्छ में एकत्रित हो गए वहीं पर बैग रखकर कुछ देर तक वहीं पर बैठ गए,,,, संजू के बड़े मामा बोले,,,)

अच्छा तुम लोग को तकलीफ तो नहीं हुई ना सफर के दौरान अगर बता दिए होते तो मुख्य सड़क तक गाड़ी भेज दिए होते लेकिन तुम लोगों ने कुछ बताया ही नहीं,,,


क्या बताते भैया हम लोग तो कल शाम को ही गांव पहुंच गए थे,,,, बस से उतरे तभी बारिश शुरू हो गई थी,,,, आपको इतना फोन लगाएं लेकिन फोन बंद बता रहा था,,,, और फिर इतनी तेज बारिश शुरू हो गई,,, हम तीनों भी में लगे करे तो क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था फिर भी देख ले कर हम लोग मुख्य सड़क से गांव की तरफ जाने लगे और बारिश और हवा इतनी तेज हो गई कि अब चलना मुश्किल हो जा रहा था अच्छा हुआ कि तभी हमें वह सड़क के किनारे वाला खंडहर नजर आया और हम लोग खंडहर में चले गए,,,, और फिर रात भर वही जागकर समय बिताए हैं,,,,

क्या कह रही हो साधना खंडहर में,,,


हां भैया और क्या करते ,,,, इतनी तेज बारिश हो रही थी इतनी तेज हवा चल रही थी कि चलना मुश्किल हो रहा था इतना अंधेरा था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो करते क्या,,,,
Sanju k mama ki ladki lalli g8shalkhane me


साधना तुम तीनों यहां आने पर इतनी मुसीबत सही हो मुझे बिल्कुल भी एहसास होता तो मैं गाड़ी भेज दी होती लेकिन 2 दिन से इधर भी लाइन कट है इसलिए मोबाइल चार्ज नहीं हो पाया,,,,,,,,,(संजू की बड़ी मामी अपनी तरफ से माफी मांगने की मुद्रा में ही बोली उसे इस बात का खेद था कि उन लोगों की वजह से ही उन तीनों को इतनी मुसीबत सहना पड़ा,,,,, और संजू की मम्मी और मामा दोनों उन तीनों से माफी मांग कर बात को आईगई कर दी और वैसे भी खंडहर में रुकने वाली बात को लेकर साधना और आराधना को किसी बात का खेत नहीं था क्योंकि दोनों जिंदगी का सबसे बेहतरीन पल खंडहर में गुजार चुके थे,,,, कुछ देर और बातें करने के बाद संजू की बड़ी मामी खाना बनाने चली गई थी और साथ में सुहानी मामी जो कि थोड़ी देर बाद सब से मिलने के लिए आई थी और वह भी बहुत खुश नजर आ रही थी सुभानी की खूबसूरती देखकर संजू भी उत्साहित था,,,,,, संजू अपनी दोनों मामी से मिलकर बहुत खुश था क्योंकि जिस तरह से वह औरतों के प्रति आकर्षित होता जा रहा था अपनी दोनों मामी को देखकर वह पहली नजर में ही दोनों के प्रति आकर्षित हो गया था और अपने मन में यह सोचने लगा था कि काश उसकी दोनों मामी अपनी जवानी का मजा चखा देती तो आनंद ही आनंद हो जाता,,,,,,

थोड़ी ही देर में सब लोग नहाने के लिए चले गए,,,,, अभी तक संजू ने लल्ली को नहीं देखा था जिसके विवाह में वह शहर से गांव आया था इतना तो उसे एहसास हो ही गया था कि जब बड़ी मामी इतनी जवानी से भरी हुई है तो उनकी लड़की भी ठीक उसी की तरह ही होगी,,,,,,
बड़ा घर होने के साथ-साथ नहाने के लिए भी अलग-अलग व्यवस्था थी घर के पीछे भी नहाने की व्यवस्था थी,,,,, संजू भी जल्द से जल्द नहा लेना चाहता था और आराम करना चाहता था क्योंकि रात भर की मेहनत और जागने के बाद उसका बदन दर्द कर रहा था और इसीलिए वह घर के पीछे नहाने के लिए आगे बढ़ गया जहां पर जाने के लिए खुद उसके बड़े वाले मामा बोले थे,,,,,

संजू अपने बैग में से अपने कपड़े निकाल कर और ब्रस और ट्यूब निकालकर दांत साफ करते हुए घर के पीछे पहुंच गया,,,,,, गांव में होने की वजह से पीछे वाला भाग चारों तरफ मोटे मोटे लकड़ी का घेराव बनाकर गिरा हुआ था और चारों तरफ घनी झाड़ियां लगाई हुई थी जिससे एक दीवार की तरह ही नजर आती थी घर के पीछे की खूबसूरती देखकर संजू बहुत ज्यादा परेशान हो रहा था गांव का पूरा वातावरण उसे बहुत अच्छा लग रहा था,,,,, धीरे-धीरे संजू हैंडपंप की तरफ आगे बढ़ने लगा जो कि तीनों तरफ से दीवार थी और एक तरफ से पर्दा लगा हुआ था और वह परदा बंद था,,,,, संजू छोटे से गुसल खाने के करीब पहुंच गया और जैसे ही पर्दे को हटाया और पर्दे को हटाते ही जो नजारा उसकी आंखों के सामने दिखाई दिया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,,,,

संजू की जगह और कोई होता तो उसका भी यही हाल होता जो संजू का था संजू ले जैसे पर्दा हटाया सामने ही गुसल खाने के अंदर एक खूबसूरत लड़की नहाते हुए नजर आई जिसके बदन पर केवल कमीज थी सलवार उतार कर वह पानी में भिगो दी थी और गीली तमीज होने की वजह से उसके बदन से एकदम से चिपक ही गई थी उसकी गोल-गोल मादकता भरी कांड पर कमीज चिपकने की वजह से उसकी गोलाकार गांड का आकार पूरी तरह से गीले कपड़े में उभर कर सामने आ रहा था जिसे देखकर संजू का लंड एकदम बगावत पर उतर आया था,,,,,

इस नजारे को देखकर तो संजू की हालत खराब हो गई वह लड़की बार-बार बाल्टी में से लोटा भर भर कर पानी अपने ऊपर डाल रही थी और खड़ी होकर हेडपंप भी चला रहे थे ऐसे हालात में उसकी गोल-गोल गांड में अजीब सी थिरकन हो रही थी,,,, संजू की नजर हट नहीं रही थी वह पर्दे को हटाकर गुसल खाने में थे रखती हुई जवानी को देख रहा था गीली कमीज में उस खूबसूरत लड़की की गोलाकार नितंब उसकी जवानी की कहानी कह रहे थे जिसके हर एक शब्द को पढ़ने के लिए संजू मचल रहा था तभी वह लड़की एकदम से पलटी और संजू को देखते ही एकदम से चूक गई और उसके हाथ से लौटा नीचे गिर गया और वह अपने हाथ से ही अपनी हथेली से ही अपनी छाती की शोभा बढ़ा रही दोनों जवानी को छुपाने की कोशिश करते हुए बोली,,,,)

हाय तू कौन है रे और तू इधर कैसे आ गया,,,,

ममममम ,,,,, मेरा नाम संजु है,,, और मैं अपने मामा के घर अपनी बहन की शादी में आया हूं,,,,।
(इतना सुनते ही उसे समझ में आ गया और वह एकदम से शर्मा गई और बोली)

मेरी ही शादी में तुम आए हो मेरा नाम लल्ली है,,,


दददद,,,दीदी ,,,,, सॉरी दीदी मैं गलती से इधर आ गया मुझे मालूम नहीं था,,,,,तततत तुम नहा लो फिर मैं नहाता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही संजु गुसल खाने से थोड़ा दूर जाकर खड़ा हो गया और जानबूझकर ब्रश करने का नाटक करने लगा,,,, अंदर गुसल खाने में लल्ली पहले तो थोड़ा गुस्सा कर रही थी लेकिन जब भी समझ गई कि अनजाने में सब कुछ हुआ है तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई,,,, वह एक नजर अपने आप पर डाली तो खुद उसे अपनी हालत को देखकर सरवन महसूस होने लगी वह समझ सकती थी कि उससे पर क्या गुजरी होगी इस हालत में उसे देखकर,,,,, मैं थोड़ी देर में जल्दी से नहा कर वह अपने कपड़े जो साथ में लाई थी उसे पहनकर बाहर निकल आई और संजू की तरफ एक नजर डाल कर मुस्कुराते हुए घर की ओर चली गई संजू उसे जाता हुआ देखता रहा उसकी मटकती हुई गांड देखकर उसका लंड टनटना गया था और फिर वह भी गुसल खाने में नहाने के लिए घुस गया,,,,)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है साधना और आराधना कामुक बाते करते हुए अपने घर पहुंचती हैं वहा उसकी भाभी उनका स्वागत करती हैं अपनी दोनो मामी और लल्ली को नहाते देखकर संजू का लन्ड खड़ा हो जाता है अब तो संजू को 3 नई चूत मिलने वाली है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,220
17,314
143
साधना,,, आराधना और संजू के साथ साथ घर के सभी सदस्य नहा चुके थे,,,, सुहानी और संजू की बड़ी मम्मी मिलकर खाना तैयार कर ली थी और जल्दी-जल्दी खाना परोस रही थी वह जानती थी कि जिस हालात में वह तीनों गांव में आए हैं उससे वह तीनों एकदम थक चुके होंगे,,, और भूख भी बड़ी जोरों की लगी होगी और यह सच ही था तीनों को बड़े जोरों की भूख लगी हुई थी क्योंकि शाम को ही वह लोग गांव पहुंच चुके थे लेकिन तूफानी बारिश के चलते रात भर होने खंडहर में बिताना पड़ा था,,,, ऐसा नहीं था कि तूफानी बारिश में तीनों एकदम परेशान हो गए थे यह तूफानी बारिश तीनों की जिंदगी में एक नया सुकून लेकर आई थी जिसका आनंद तीनों ने भरपूर लिया था अगर तूफानी तेज बारिश ना होती और वह गांव की छोर पर खंडहर ना होता तो शायद तीनों के रिश्ते अभी भी मर्यादा में रहते हैं लेकिन तूफानी बारिश ने उस खंडहर ने तीनों के बीच की मर्यादा की दीवार को पानी में बाहर ले गया था जिससे तीनों खुश भी थे क्योंकि तीनों यही चाहते भी थे कि उन तीनों के बीच किसी भी प्रकार की दीवार ना रहे,,,,

संजू खाना खा रहा था लेकिन उसके दिमाग में अजीब सी हलचल हो रही थी क्योंकि कुछ देर पहले ही उसने एक जवान खूबसूरत लड़की को नहाते हुए देखा था उसके नितंबों का आकार गीले कपड़ों में और भी ज्यादा उभार दार नजर आ रहा था,,,,,,, संजू औरतों के चक्कर में खासकर के घरेलू औरतों की सौगात में पूरी तरह से जवान मर्द बन चुका था और ऐसा मर्द जो अपनी आंख से ही खूबसूरत औरतों की जवानी के पन्नों को पलट पलट कर पढ़ लेता था,,,, और संजू अपनी मामा की लड़की लल्ली के खूबसूरत बदन के खूबसूरत पन्ना को अपनी आंखों से पढ़ने की भरपूर कोशिश किया था जिसमें वह सफल भी हो गया था उसे इस बात का अंदाजा लग गया था कि लल्ली के रूप में एक खूबसूरत लड़की उसके इर्द-गिर्द है,,, उसे कैसे हासिल करना है संजू अच्छी तरह से जानता था भले ही वह अपने मामा के घर विवाह में आया था एक मेहमान के तौर पर ,,,, लेकिन सबसे पहले वह एक मर्द था और उसके मामा की लड़की एक जवान खूबसूरत औरत जिसकी खूबसूरती का रसपान करना संजू की फितरत में था संजू किसी भी तरह से अपनी मामा की लड़की को अपने काबू में करना चाहता था और उसे पूरा विश्वास था कि वह जरूर अपनी मामा की लड़की पर काबू कर लेगा,,,,, संजू के लिए अब मां बहन मौसी मामी कोई भी रिश्ता किसी भी तरह से खास ना होकर बिस्तर तक सीमित रह गया था,,,, आते जाते खाना परोस ते हुए वह केवल लल्ली को ही देख रहा था लल्ली का खूबसूरत गुलाबी चेहरा उसकी आंखों में बस गया था छातीयो का आकार की शोभा बढ़ा रहे दोनों संतरे के आकार में ही थे जिससे संजू को समझते देर नहीं लगी की लल्ली खेली खाई हुई लड़की बिल्कुल भी नहीं है और ऐसी लड़की के साथ चुदाई करने में अद्भुत शांति और सुख प्राप्त होता है,,,,,,,,,

अरे और लो बेटा तुम तो कुछ खा ही नहीं रहे हो हट्टा कट्टा जवान शरीर है लेकिन खाने के नाम पर,,,,, लो लो दो पूरी और ले लो

नहीं नहीं बस करिए मामी,,,,, बहुत हो गया है,,,,


अरे अभी तो कुछ भी नहीं हुआ है इतना तो हमारे घर के बच्चे खा लेते हैं,,,(संजू के नानकुर करने के बावजूद भी संजू की बड़ी मम्मी दो पुरिया उसकी थाली में डाल ही थी थाली में डालते समय वह थोड़ा सा नीचे की तरफ झुक गई थी जिससे संजू की नजर उसकी मदमस्त कर देने वाली गोल गोल छाती पर गई थी जो कि ब्लाउज में से बाहर आने के लिए तड़प रही थी कुछ पल के लिए संजू की नजर अपनी बड़ी मामी की भरी हुई छातियों पर ही टिकी रह गई और वह तुरंत मौके की नजाकत को समझते हुए नीचे नजर झुका कर पूरी लेकर सब्जी से खाना शुरु कर दिया लेकिन अब उसकी भूख एकदम से बढ़ गई थी अपने मामा के घर में चोदने लायक एक से एक औरत उसे नजर आ रही थी,,,,, बड़ी मम्मी आराधना और साधना को भी जबरदस्ती खिला रही थी कि तभी बाहर से किसी के बुलाने की आवाज आई और वह भोजन कराने की जिम्मेदारी मंझली मामी मतलब की सुहानी को सौंप कर घर के बाहर चली गई,,,,,

अरे दीदी तुम तो कुछ लो,,,, तुम भी कुछ नहीं खा रही हो,,,, शहर में लगता है कि तुम लोग केवल पिज़्ज़ा बर्गर और नूडल्स खा खा कर पेट भरते हुए इसीलिए पौष्टिक आहार खा नहीं पाते,,,,


अरे नहीं नहीं सुहानी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है सिर्फ इतना ज्यादा खाने की आदत नहीं है ना,,,


लेकिन यहां तो खाना होगा,,,,(इतना कहने के साथ ही सुहानी नीचे की तरफ झुक कर खीर के पतीले को उठाने लगी और ऐसा करते हुए उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड ठीक संजू की आंखों के सामने थी और उसकी गांड से संजू के चेहरे की दूरी महज 1 फीट की थी,,, और वह झुकी हुई थी शादीशुदा होने के नाते उसकी गांड का घेराव मदमस्त कर देने वाला था संजू पल भर के लिए अपनी मंझली मामी की गांड को देखता ही रह गया और अपने मन में सोचने लगा कि काश उसकी मामी बिना कपड़ों के उसके सामने इस तरह से झुकी हुई होती तो अब तक वह पीछे से अपने मोटे लंड को उसकी चूत में डालकर उद्घाटन कर दिया होता,,,,, पल भर के लिए ही वह खीर के पति लोग को उठाने के लिए चुकी थी और तुरंत खड़ी हो गई लेकिन इतने में ही ‌ संजू एकदम मस्त हो गया था,,,, बड़े बड़े चम्मच से वह सब की थाली में खीर खिला रही थी और सिर्फ संजू के सामने झुक कर वह बड़े चम्मच से खीर को उसकी थाली में गिराते हुए बोली,,,,)


तुम्हें खीर कैसी लगी,,,,
(वह भी ठीक संजू की मामी की तरह झुकी हुई थी उसकी भी मत मत कर देने वाली चूचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर निकलने के लिए आतुर थी और औपचारिक रूप से संजू की नजर सुहानी की मदमस्त कर देने वाली चुचियों पर चली गई उसकी बड़ी मम्मी ने तो इस पर ध्यान नहीं देती लेकिन सुहानी ने संजू की नजरों को अपनी और तुरंत अपनी साड़ी को ठीक करने लगी संजू भी मौके की नजाकत को समझते हुए खीर को चम्मच से मुंह में डालते हुए बोला,,,)

फिर किसने बनाया है मामी,,,,


मैंने बनाया है,,,,,

कसम से आज तक मैंने इतनी स्वादिष्ट खीर कभी नहीं खाया तुम्हारे हाथों में तो जादू है मामी,,,,,,
(अपनी तारीफ सुनकर सुहानी एकदम से खुश हो गई और मंद मंद मुस्कुराने लगी और पल भर में ही वह संजू की तरफ आकर्षित होने लगी संजू भी बार-बार उसके खाने की तारीफ कर रहा था जिसे सुन सुनकर सुहानी मन ही मन प्रसन्न हुए जा रही थी,,,, खाना खा लेने के बाद एक बार फिर से संजू सुहानी के हाथों की तारीफ करते हुए अपनी मां से बोला)

मम्मी एक बात कहूं बुरा मत मानना मैं चाहता हूं कि जब शादी के बाद हम लोग अपने घर चलें तो सुहानी मामी से खीर बनाने की रेसिपी जरूर सीख लेना क्योंकि वहां तो सुहानी मामी के हाथों की खीर खाने को मिलेगी नहीं,,,,

अरे तू ऐसा करना बेटा सुहानी को भी अपने साथ ले जाना शहर रोज बनाकर खिलाएगी,,,,(साधना एकदम से चुटकी लेते हुए बोली तो संजू भी तपाक से बोला)

काश मामी हम लोगों के साथ चल पाती तो मजा आ जाता चलोगी मामी,,,,

ना बाबा ना मैं तो यही ठीक हूं तुम्हें खाने का मन करे तो साल 6 महीना में आ जाया करो,,,,


अब तो आना ही पड़ेगा मामी तुम्हारे हाथों की खीर खाने के लिए,,,,,,,,,,,


मैं तो बहुत थक गई हूं और मीठी खीर खाकर तो मुझे नींद आ रही है,,,(आराधना अंगड़ाई लेते हुए बोली तो उसके सुर में सुर मिलाते हुए साधना भी बोली)

हारे आराधना मेरा भी बदन बहुत दर्द कर रहा है,,,,
(दोनों की बातें सुनकर संजू अपने मन में बोला शाली दोनों रात भर पेलवाओगी तो बदन तो दर्द करेगा ही,,,, और सुहानी उन दोनों की बातों को सुनकर तपाक से बोली,,)

कोई बात नहीं दीदी आप लोगों के रहने का इंतजाम ऊपर वाले कमरे में कर दिया गया है क्योंकि ऊपर वाला कमरा काफी बड़ा है और उसमें दो बेड है संजू और आप दोनों के लिए बेहतर होगा,,,,।
(एक ही कमरे में तीनों के रहने का इंतजाम के बारे में सुनकर ही संजू के साथ-साथ आराधना और साधना की भी आंखों में चमक आ गई वह तीनों मन ही मन प्रसन्न होने लगे और संजू तो एकदम खुश होते हुए बोला)

अच्छा की मामी तुमने कि हम लोगों का रहने का इंतजाम एक ही कमरे में कर दी वरना दिक्कत हो जाती है सामान इधर,,, हम लोग उधर,,, हम कहां कहां ढूंढते फिरते,,,

इसीलिए तो चलो मैं तीनों को आपका कमरा दिखा दुं,,,
(इतना कहने के साथ ही सुहानी आगे आगे चलने लगी सामान पहले से ही कमरे में पहुंचा दिया गया था,,,, देखते-देखते सुहानी सीढ़ियां चढ़ने लगी और सीढ़ियां चढ़ते समय उसकी गांड इतनी मादकता भरी चाल चल रही थी कि जिसे देखकर संजू के लंड में ऐठन हो रही थी,,,, संजू की निगाहें अपनी मामी की गदराई गांड पर ही टिकी हुई थी,,,, वहां पागलों की तरह प्यासी नजरों से अपनी मामी की गांड देख रहा था जो कि साड़ी में कैद होने के बावजूद भी और साड़ी उसकी मामी ने इतनी कसी हुई पहनी थी कि गांड का पोर पोर उभरकर नजर आ रहा था,,,,, जिसे देखते हुए बहुत अपने पेंट के आगे वाले भाग को हाथ से दबाकर शांत करने की कोशिश कर रहा था,,,,,

देखते ही देखते सुहानी उन तीनों को उनके कमरे तक ले आई और कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश करते हुए बोली,,,,

आप लोग आने वाले हो इसलिए भैया ने पहले से ही इस कमरे को साफ करवा दिया है,,,,(इतना सुनकर तीनों भी कमरे में प्रवेश किया कमरा काफी बड़ा था और दोनों कोने पर दो बिस्तर लगे हुए थे जिसे देखते ही संजू अपनी मां और मौसी को देखकर अपनी सुहानी मौसी से नजर बचाकर आंख मार दिया जिसका मतलब दोनों बहने अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए दोनों का चेहरा शर्म से शुर्ख लाल हो गया,,,,)

अब आप लोग आराम करो मुझे बहुत काम है,,,,

ठीक है सुभानी तुम जाओ अभी तो हम लोग थके हुए हैं बाद में काम में हाथ जरूर बटाएंगे,,,,

लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही है मामी और वैसे भी मेरी जानकारी के मुताबिक में पहली बार गांव आया हूं इसलिए मुझे गांव के रहन सहन के बारे में अच्छी तरह से जानना है और इस तरह से मैं तुम्हारी थोड़ी मदद भी कर सकूंगा,,,।

सच्ची,,,(सुहानी मुस्कुराते हुए बोली)

तो क्या मैं मजाक थोड़ी कर रहा हूं है ना मम्मी थोड़ा-बहुत गांव के बारे में भी तो जानना जरूरी है,,,,


हां संजू तू ठीक कह रहा है अगर तुझे आराम नहीं करना है तो जा अपनी मम्मी के साथ थोड़ा बहुत काम करा ले वैसे भी विवाह वाला घर है ढेर सारे काम होते हैं अगर तू काम में हाथ बटाएगा तो अच्छा ही रहेगा,,,,

तो चलो संजू अब तो दीदी ने भी इजाजत दे दिया है,,,,,

(इतना कहने के साथ ही सुहानी और संजू दोनों कमरे से बाहर आ गए,,,, सुहानी रह रह कर संजू के कद काठी की तरफ देख रही थी जो कि बेहद गठीला और कसरती बदन था ना चाहते हुए भी सुहानी अपने पति के कद काठी की तुलना अपने भांजे के साथ कर रही थी जिसमें उसका पति बिल्कुल भी फिट नहीं बैठ रहा था क्योंकि उसका पति संजू से कम लंबाई और गठीला बदन का बिल्कुल भी नहीं था जैसा कि सुहानी अपने मन में अपने पति को लेकर कल्पना किया करती थी,,,,, ना जाने क्यों वह संजू की तरफ उसके व्यक्तित्व की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी इसीलिए तो संजू को आराम करने के लिए रोकने की जगह वह उसकी बात मान कर अपने साथ लेकर आई थी लेकिन इसमें संजू की ही चला की थी वह किसी ना किसी बहाने अपनी मामी के समीप रहना चाहता था,,,, क्योंकि संजू औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि अगर औरत का प्यार पाना है अगर उनकी दोनों टांगों के बीच जगह बनानी है तो उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा उन्हें अपनी बातों से कुछ लाना होगा उनकी तारीफ करना होगा यह सब तिकड़म संजू अच्छी तरह से जानता था और वही अपनी मामी पर आजमा भी रहा था,,,,)

संजू तुम यहीं रुको मैं छत पर कपड़े डाल कर आती हूं,,,,

अरे मामी यह क्या मैं तो तुम्हारी मदद करने के लिए आया हूं ना फिर मुझे यहां क्यों रोक रही हो चलो मैं भी चलता हूं,,,, कपड़े कहां है,,,,


अरे वह रहे ना दो बाल्टी में,,,

ठीक है मामी,,,(इतना कहने के साथ ही संजू दोनों बाल्टी को बड़े आराम से उठा लिया जो कि गीले कपड़ों के ढेर से बहुत भारी थी लेकिन संजू बड़े आराम से उसे दोनों हाथों में उठा लिया था जिसे देखकर सुहानी हैरान भी थी क्योंकि उसका पति एक बाल्टी करके छत पर ले जाता था लेकिन संजू था कि दोनों बाल्टी को एक साथ उठा लिया था शायद सुहानी इस बात को नहीं जानती थी कि बाल्टी क्या वह तो भारी-भरकम खूबसूरत औरतों को अपनी गोद में उठाकर बिना थके बिना डगमगाए उनकी चूत में लंड डालकर उनकी चुदाई भी कर सकता था,,, और उसकी इस मर्दानगी का उदाहरण खुद उसकी मां और उसकी मौसी थी,,,,)

बाप रे संजू तुम तो दोनों हाथ में बाल्टी उठा लिए,,, थक जाओगे एक एक बाल्टी ले चलते हैं एक‌ तुम पकड़ो एक में पकड़ती हूं,,,,


क्या मामी तुम भी भांजे के होते हुए तुम बाल्टी उठाओगी ऐसा कभी हो सकता है क्या,,,, मुझे कोई तकलीफ नहीं हो रही है तुम चलो मैं पीछे पीछे चलता हूं,,,,,(संजू जानबूझकर अपनी मामी को आगे आगे चलने के लिए बोल रहा था क्योंकि वह जानता था कि छत पर जाने के लिए सीढ़ियां चढ़ना होगा और सीढ़ियां चढ़ते समय उसकी मामी की मदमस्त गदराई गांड और भी ज्यादा जानलेवा नजर आने लगती थी,,,, और ऐसा ही हुआ सुहानी तो संजू की बात सुनकर एकदम गद गद हुए जा रही थी क्योंकि इस तरह से तो उसकी मदद आज तक किसी ने नहीं किया था उसके पति ने भी नहीं लेकिन संजू के बोलने का तरीका उसकी मदद करने की चाहत देखकर सुहानी बहुत खुश हो रही थी और उसकी बात मानते हुए आगे आगे चलते हुए वह सीढीया चढ़ने लगी और एक बार फिर से अनजाने में ही सुहानी अपनी गोल गोल भारी भरकम गदर आई गांड के दर्शन अपने भांजे को कराने लगी भले ही साड़ी के ऊपर से ही सही लेकिन संजू अपनी नजरों से ही अपनी मामी की साड़ी को भेदता हुआ उसकी गांड में उतर जा रहा था,,,, संजू का मन तो कर रहा था कि वह पीछे से अपनी मामी को पकड़ ले और उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी गोल-गोल कहां पर अपना लंड रगड़ रगड़ कर अपनी प्यास को बुझा ले,,,,, लेकिन इतनी जल्दबाजी दीखाना ठीक नहीं था,,,, देखते ही देखते दोनों छत पर पहुंच चुके थे,,,, छत काफी बड़ा था और घर काफी ऊंचा इसलिए यहां से सारा गांव नजर आ रहा था दूर दूर तक लहराते खेत बड़े-बड़े पेड़ और वह नहर जिसमें बरसात का सारा पानी बह रहा था और अभी भी साफ नजर आ रहा था,,,, दोनों बाल्टी को नीचे रखकर संजू चारों तरफ देखने लगा गांव काफी खूबसूरत था जिसे देखकर संजू एकदम खुश हुआ जा रहा था वह अपनी मामी से बोला,,,,।

सच में मामी गांव कितना खूबसूरत है,,,,, कितनी हरियाली कितनी शांति है चारों तरफ पंछियों की आवाज सुनाई दे रही है और शहर में तो केवल गाड़ियों का शोर ही सुनाई देता है,,,,


तभी तो गांव में पहुंचकर सब लोग सारी चिंता भूल जाते हैं और एकदम मगन हो जाते हैं,,,,(इतना कहते हुए सुहानी बाल्टी में से कपड़े लेकर रस्सी पर डालने लगी और संजू भी मदद करने लगा,,,, देखते ही देखते काफी कपड़े रस्सी पर दोनों मिलकर डाल दिए थे लेकिन अभी भी बाल्टी में कपड़े थे संजू ने बाल्टी में हाथ डाला और उसमें से कपड़ा निकालना लेकिन वह गिला कपड़ा पेंटी थी संजू से हाथ में लेकर गोल गोल इधर-उधर घुमा कर उसे देखने की कोशिश कर रहा था पेंटी के हाथ में आते ही संजू के लंड में अकड़न सी बढ़ने लगी थी,,,वह पेंटिं इतना तो वह जानता ही था कि ना तो उसकी मम्मी की थी और ना ही उसकी मौसी की तो इतना तेज था कि वहां पेंटी उसकी दोनों मामी में से किसी एक की थी इसीलिए संजू उसकी चौड़ाई को देखकर गांड के आकार के बारे में सोच रहा था और पल भर में उसे इस बात का एहसास हो गया था कि वह पेंटी उसकी बड़ी मामी की भी नहीं थी क्योंकि बड़ी मामी की गांड को ज्यादा बड़ी-बड़ी थी और इस पेंटी का आकार उसका घेराव संजू की मंझली मामी की गांड के आकार से मिलता-जुलता था संजू ने इतना तो अंदाजा लगा लिया था कि उसके हाथ में आई पेंटी किसी और की नहीं बल्कि सुहानी मामी की थी,,,, संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी वह पेंटी को रस्सी पर डाल पाता इससे पहले ही सुहानी की नजर संजू के हाथों में आई पेंटी पर पड़ गई और वह एकदम से संजू की तरह लगती हो लगभग लगभग झपटते हुए संजू के हाथ में से अपनी पैंटी को ले ली,,,, और अपने हाथ में लेकर छुपाते हुए धड़कते दिल के साथ बोली,,,)

हाय दैया यह क्या कर रहे हो,,,,,,

मैंने क्या किया मामी,,,,(संजू जानबूझकर अनजान बनता हुआ बोला)

तुम इस तरह के कपड़े मत लिया करो अपने हाथ में,,,(गहरी सांस लेते हुए सुहानी बोली ,,)

इसमें क्या हो गया मामी,,,,

अरे बुद्धू इस तरह के कपड़े लड़के अपने हाथ में नहीं लेते,,,,

वही तो मैं पूछ रहा हूं इसमें क्या हो गया,,,, बाकी के भी तो औरतों के ही कपड़े थे मैंने उसे भी तो राशिफल डाला ना,,,

समझने की कोशिश करो संजू इस तरह के कपड़े औरतें किसी को दिखाती नहीं है,,,,
(संजू सब कुछ जान रहा था लेकिन फिर भी अनजान बनता हुआ बोला)

क्या मामी इन कपड़ों में क्या खास है जो औरतें दिखाती नहीं है,,,,
(वाकई में सुहानी संजू के हाथों में अपनी पेंटी आ जाने की वजह से शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,,, वह एकदम सहज रुप से शर्मा रही थी और संजू जानबूझकर अनजान बनने का नाटक कर रहा था,,,)

खास है शहर में चलता होगा लेकिन यहां नहीं चलता संजू ,,,,


सच कह रही हो मामी शहर में तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलता,,,,, मैं खुद कभी कपड़े डालते समय इस तरह के कपड़े भी रस्सी पर सुखाने के लिए डाल देता हूं,,,,

हाय दैया सच में,,,,

हां क्यों क्या हुआ,,,?(संजू जानबूझकर अपनी मामी से इस तरह की बातें कर रहा था जबकि वह कभी भी इस तरह के कपड़ों को शहर में भी रस्सी कर सुखाने के लिए डाला ही नहीं था,,,, संजू के मुंह से इतना सुनते ही सुहानी हंसने लगी लेकिन उसकी हंसी में भी शर्म की झलक साफ नजर आ रही थी,,, सुहानी को इस तरह से हंसता हुआ देखकर संजू भी मुस्कुराते हुए बोला)

अच्छा बताओ मामी क्या कहते हैं इसे,,,,

धत् मुझे शर्म आती है इस तरह से कोई नाम भी लेता है क्या,,,,?

क्यों इसका नाम नहीं है क्या अच्छा यह बात बताओ जब दुकान पर जाती हो तो इसे खरीदने के लिए क्या कहकर मांगती हो,,,,

हम इसे खरीदने के लिए जाते ही नहीं है इसे तो तुम्हारे मामा ही खरीद कर लाते हैं दुकान पर जाकर इस तरह से मांगने में हमें शर्म आती है,,,,


चलो कोई बात नहीं यह तो बता दो इसे कहती क्या हो,,,,।
(संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी सुहानी मामी की उपस्थिति में इस तरह की बातें करते हुए संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी खास करके उसके लंड की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि सुहानी का मुस्कुराना भी बेहद उत्तेजित कर दे रहा था संजू की बात सुनकर सुहानी बोली,,,)

धत् मुझे बहुत शर्म आती है,,,

क्या मामी गांव की बोली भाषा रहन-सहन सीखने के लिए ही तो मैं आराम करने की जगह तुम्हारी मदद करने के लिए आया हूं और तुम हो कि मुझे कुछ भी सीखा नहीं रही हो,,,

अरे यह भी कोई सीखने की बात है,,,

क्यों नहीं मानी अगर मान लो कि मेरी शादी गांव की किसी लड़की से हो गई और मैं उसकी बात को समझ नहीं पाया तो दिक्कत हो जाएगी ना,,,


अरे तो क्या हुआ वह तुम्हें अच्छी तरह से समझा देगी आखिर बीवी है और एक बीवी को अपने पति से कुछ भी कहने में शर्म महसूस नहीं होती समझे,,,,,


लेकिन मुझे तो बता दो मामी,,,

तुम बहुत जिद करते हो,,,,, अच्छा मैं तुम्हें बता देती हूं लेकिन इस बारे में किसी को कहना नहीं कि मैंने तुम्हें इस तरह का कुछ बताई हुं,,

मां कसम किसी को नहीं कहूंगा,,,।
(संजू के भोलेपन को उसके व्यक्तित्व को और उसके खूबसूरत चेहरे को देखकर सुहानी कहीं ना कहीं उसकी तरफ आकर्षित हुए जा रही थी इसीलिए तो इस तरह की बातें करने में ना जाने क्यों उसे भी आनंद की अनुभूति हो रही थी और वह संजू की बात मानते हुए बोली)

इसे हम लोग कच्छी कहते हैं,,,,

ककककक,कच्छी,,,,,, क्या बात है,,,,(संजू एकदम से आश्चर्य जताते हुए बोला और वैसे भी इस शब्द को सुनकर ना जाने इस शब्द में कैसा एहसास था कि इस शब्द को सुनकर ही संजू के लंड की अकड़ कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी)

हां इसे हम लोग कच्छी कहते हैं,,,

लेकिन हमारे यहां तो इसे पेंटी कहते हैं,,,,

कहते होंगे शहर वाले गांव वाले तो इसे कच्छी ही कहते हैं,,,, तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या,,, देसी भाषा,,,

नहीं नहीं मम्मी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इस शब्द को तो सुनकर बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,


तुम्हारी मम्मी नहीं बताई क्या,,,?

यह भी कोई बताने वाली बात है क्या,,,,

चलो कोई बात नहीं अब तो पता चल गया ना तुम्हें,,,(इतना कहने के साथ ही सुहानी संजू की नजर से बचा कर अपनी पेंटी को अपनी साड़ी के नीचे दाल भी सूखने के लिए यह देखकर संजू बोला)

क्या मामी अपनी कच्छी को साड़ी के नीचे सूखने के लिए रख दी हो ऐसे सुख पाएगी क्या,,,,


सूख जाएगी हम लोग तो इसी तरह से सुखाते हैं,,,,
(तभी संजू बाल्टी में हाथ डालने के लिए नीचे झुका ही था कि सुहानी जोर से बोली)

रुक जाओ संजू,,,,(इतना सुनते ही संजु एकदम से रुक गया,,, उसे समझ में नहीं आया कि ऐसा वह क्यों बोली कि तभी वह जल्दी से आइ और बाल्टी में से तुरंत अपनी ब्रा निकाली और बोली,,,)

अभी तो तुम इसे भी हाथ में ले लेते,,,

तो इसमें कौन सा भूचाल आ जाने वाला था,,, अच्छा यह बताओ इसे क्या कहते हैं,,,

इसे ब्रा ही कहते हैं,,,,(इतना कहते हुए सुहानी अपनी ब्रा को भी अपनी साड़ी के नीचे सूखने के लिए डाल दी और संजू बोला)

चलो अच्छा ही हुआ कि इसे ब्रा ही कहते हैं नहीं तो मुझे लगा कि ईसे कुछ और कहते होंगे,,,,,,

क्या लगा तुम्हें क्या कहते होंगे,,,,

जाने दो मामी,,,,

नहीं नहीं बोलो क्या लगा तुम्हें,,,,
(सुहानी को भी इस तरह की बातें नहीं आनंद आने लगा था इसलिए संजू भी बेझिझक, बोला,,,)

मुझे लगा कि इसे गांव में चूची छुपा वन वस्त्र कहते होंगे,,,,

क्या कहा तुमने,,,,

चूची छुपा वन वस्त्र,,,,,


हाय दइया,,,(अपने चेहरे पर शर्म से हाथ रखते हुए) बड़े बेशर्म हो तुम,,,,


बेशर्मी की क्या बात है मैं तो सिर्फ बता रहा हूं,,,,, अच्छा मामी क्या दिन भर तुम इसी तरह से काम करती रहती हो,,,,(जानबूझकर संजू बात की दिशा को मोड़ते हुए बोला क्योंकि वह जो बोलना चाहता था वह बोल दिया था और उसका प्रभाव वह अपनी मामी के चेहरे पर देख रहा था जो कि शर्म से लाल हो चुका था)

तो क्या इस घर में आराम कहां मिलता है दिन भर सुबह से उठ जाओ बस काम काम काम जब तक सो नहीं जाते तब तक काम करना ही पड़ता है,,,,,, खेत खलियान गाय भैंस का तबेला फिर दूध निकालना उसे एक बर्तन में इकट्ठा करना कपड़े धोना सब्जियों को तोड़कर लाना उसे बाजार में ले जाकर तुम्हारे मामा बेचते हैं लेकिन करना मुझे ही सब कुछ पड़ता है,,,,

और बड़ी मामी,,,,

वह भी बहुत काम करती है लेकिन मैं उन्हें करने नहीं देती अच्छा नहीं लगता ना कि मेरे होते हुए उन्हें काम करना पड़े,,,


क्या बात है मामी तुम्हारी जैसी सोच अगर सब औरतों की हो जाए तो घर में झगड़ा ही खत्म हो जाए मैं तो भगवान से दुआ करूंगा कि,,, मुझे भी भले गांव की लड़की से शादी करना पड़े लेकिन तुम्हारी जैसी बीवी हो तो जिंदगी सुधर जाए,,,,।
(इतना सुनते ही सुहानी के गाल शर्म से लाल हो गए और वह बात का रुख बदलते हुए हाथ के इशारे से दूर खेतों के बीच बड़े मकान को दिखाते हुए बोली,,,)

वह दूर बड़ा मकान देख रहे हो,,,


हां बहुत खूबसूरत लग रहा है हरे हरे खेतों के बीच,,,,


वह घर तुम्हारे छोटे मामा और मामी का है,,,,

क्या कह रही हो मामी,,,, लेकिन ऐसा कैसे हो गया,,,

तेरे छोटे मामा की संगत खराब हो गई थी शराब जुआ यही सब दिनचर्या हो गई थी,,,,, एक दिन अपना खुद का धंधा करने के लिए बड़े भैया से पैसे मांगने लगे लेकिन भैया उनकी हरकत से वाकिफ थे इसलिए पैसा देने से इंकार कर दिया और तुम्हारी छोटी मामी थोड़ी झगड़ालू किस्म की है लड़ झगड़ कर अपना हिस्सा लेकर वह खेत में घर बनाकर रहने लगे तब से बोलने का का संबंध खत्म हो चुका है तेरे छोटे मामा बहुत अच्छे हैं लेकिन तेरी मामी की वजह से वह कुछ बोल नहीं पाते,,,,, विवाह को 5 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक बच्चे नहीं है इसलिए तेरे छोटे मामा को और भी ज्यादा दिक्कत होती है,,,,,

तुम्हें अच्छा लगा था मामी जब छोटे मामा अलग हुए थे,,,,

मैं 2 दिन तक रोती रही गई थी कुछ खाई ना पी,,, ऋतु के हाथ जोड़े पांव पकड़ो लेकिन वह नहीं मानी मैं तो भगवान से प्रार्थना करती हूं कि ऐसा कौन सा दिन होता कि सब लोग एक होकर साथ में रहते,,,,


तुम्हारी इच्छा जरूर पूरी होगी मामी,,,,,, चलो अब धूप ज्यादा है नीचे चलते हैं,,,,(इतना कहने के साथ ही संजू सीढीओ की तरफ चलने लगा और सुहानी भी जैसे उस तरफ कदम बढ़ाई,,,,, उसका पैर नीचे पड़ी रस्सी में फस गया और वह एकदम से लड़खड़ा गई,,,, वह गिरने ही वाली थी कि ऐन मौके पर संजू की नजर पड़ गई और मैं फुर्ती दिखाता हुआ अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मामी को थाम लिया और उसे गिरने से बचा रहे हैं लेकिन ऐसा करते हुए उसके दोनों हाथ उसकी मदमस्त कर देने वाली चूची ऊपर आ गई थी जिसे संजू संभालते संभालते उसे पकड़ने की कोशिश में उसकी चूची को पकड़ लिया था जिसका एहसास सुहानी को संभालने पर हो गया था और वह इस स्थिति में पूरी तरह से शर्मसार हो चुकी थी वह एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई थी अपनी दोनों चुचियों को वह अपने भांजे के हाथों में महसूस कर चुकी थी और ऐसा पहली बार था कि जब उसकी दोनों चूचियां किसी अनजान मर्द की हाथों में आ चुकी थी इस पल को महसूस करके सुहानी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह शर्म से पानी पानी में जा रही थी और वह शर्म का पानी उसकी चूत से टपकने लगा था क्योंकि इस तरह सेवा एकदम उत्तेजित भी हो चुकी थी,,, और इस बात का एहसास संजू को भी अच्छी तरह से था वह जानता था कि अपनी मामी को गिरने से बचाने में उसकी दोनों हथेली उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियों पर चली गई थी जिसे वह संभालते हुए अनजाने में ही अपनी हथेलियों का दबाव चुचियों पर कुछ ज्यादा बढ़ा दिया था इस बात का एहसास होते ही उसके लंड में भी हरकत होने लगी थी लेकिन वह तुरंत अनजान बनता हुआ बोला ,,,,।




क्या मामी तुम भी संभाल कर चला करो ,,, मैं ना होता तो अभी तो गिर गई होती,,,,


यह पता नहीं किसने रस्सी बीच में रख दिया है,,,,

रुको मैं इसे एक जगह रख देता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू मोटी रस्सी को इकट्ठा करके छत के कोने में रख दिया और फिर दोनों छत से नीचे उतर गए अपनी छोटी मामी को लाइन में लाने का प्रयास संजू ने शुरू कर दिया था और किसी हद तक वह कामयाब होता नजर आ रहा था)
बहुत ही शानदार और कामुक अपडेट है गांव में आते ही संजू ने अपनी मझली मामी को पटाना शुरू कर दिया है संजू की सभी उंगली घी में है संजू को थोड़ी बहुत मेहनत करनी पड़ेगी
 

Tiger 786

Well-Known Member
5,719
20,878
173
आराधना को बड़ी बेसब्री से शाम होने का इंतजार था वह अपने बच्चों को अपनी जॉब के बारे में बताना चाहती थी वह काफी खुश नजर आ रही थी लेकिन जो कुछ भी वह इंटरव्यू देने के बाद घर पर आकर की थी उसके बारे में सोच कर उसकी हालत खराब हो जा रही थी क्योंकि आज वह कल्पना‌ में अपने बेटे के साथ थी और अपने बेटे के साथ की कल्पना करके वह जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव अपने तन बदन में कर रही थी वह एहसास आराधना के लिए अद्भुत था,,,वह कभी सोची नहीं थी कि वह अपने बेटे के बारे में इस तरह की कल्पना करेगी लेकिन कुछ दिनों से जिस तरह के हालात घर के अंदर बदल रहे थे उसे देखते हुए ना जाने क्यों वह खुद अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुई जा रही थी,,,, वह अपने बेटे की बातों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसकी बातों में उसकी हरकतों में उसके लिए प्यार और एहसास दोनों था वह उसकी परवाह करता था उसके बारे में सोचता था,,,,आराधना अच्छी तरह से समझ रही थी कि जो कुछ भी उसके उसके पति के बीच में हो रहा था संजू नहीं चाहता था कि वह इस तरह की जिंदगी जिए संजू उसे दुनिया की हर खुशी देना चाहता था उसे प्यार से रखना चाहता था लेकिन इसके बदले में संजू उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता था जो कि मां और बेटे के बीच में इस तरह के नाजायज संबंध सही बिल्कुल भी नहीं थे ना तो खुद की नजरों में ना ही दुनिया की नजरों में,,,,।

लेकिन इस बात से आराधना इंकार भी नहीं कर सकती थी कि उसके पति से उसे अब किसी प्रकार की खुशियां संतुष्टि नहीं मिल रही थी उसका पति उससे मैं तो प्यार भरी बातें करता था ना ही प्यार करता था और तो और ना तो उसकी परवाह करता था अगर इंसान अच्छी तरह से कमाता ना होऔर ना ही औरतों को अच्छी तरह से खिला पाता हूं लेकिन उसकी परवाह करता हूं उसकी इज्जत करता हूं उससे बेशुमार प्यार करता हो तो औरत के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात और कुछ नहीं होती वहां दुनिया की हर खुशी को त्याग कर अपने पति के पहलू में अपनी जिंदगी बिता लेना चाहती है लेकिन यहां तो ना तो पति का प्यार था और ना ही अच्छे जीने के लिए जिंदगी,,,,,इसलिए अपने पति से विमुख होकर ना जाने क्यों उसका आकर्षण अपने बेटे की तरफ बढ़ता जा रहा था,,,, आराधना यह बात अच्छी तरह से समझ रही थी कि मर्द तो आखिर मर्द ही होता है किसी चीज के बदले में उसे कुछ न कुछ फायदा चाहिए जरूर होता है और उसे अपने बेटे के पक्ष में भी यही नजर आ रहा था उसका बेटा उसकी परवाह करता था उसका ख्याल रखा था उसे तकलीफ देना नहीं चाहता था लेकिन बदले में वह भी चाहता तो उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार ही,,,, आराधना अपने बेटे से दूरी बनाकर रहती थी क्योंकि औरत वह बाद में थी पहले एक मां थी लेकिन यह बात संजू बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा था वह बेटा होने के बावजूद भी उसके साथ अपने आप को मर्द के रूप में देता था और अपनी मां को एक औरत के रूप में,,,, आराधना अपने मन में सोच रही थी कि उस दिन रात को वह सही समय पर अपने बेटे के बाहों में से अलग हो गई वरना उस दिन वह अपनी मर्यादा को लांघ गई होती,,, और एक बार जब वह मर्यादा की दीवार को लांघ जाती तो उसके लिए वापस आना मुश्किल हो जाता,,,,। आराधना किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रही थी वह बीच मझधार में फंसी हुई थी चारों तरफ से किनारा तो नजर आ रहा था लेकिन वहां तक पहुंचने की कोई राह नजर नहीं आ रही थी और ना ही वहां पहुंचने की उसकी हिम्मत हो रही थी,,, वाह अपनी चाहत और भावनाओं के घेरे में घिरी हुई थी,,,,, एक तरफ उसे अपने बेटे की हरकत ठीक नहीं लगती थी वह नहीं चाहती थी कि उसका बेटा आगे बढ़े और दूसरी तरफ वह अपने बेटे की तरफ आकर्षित भी हुई जा रही थी,,, हद तो आज हो गई थी जब वह अपने ही नंगे बदन को देखकर उत्तेजित हो गई और उत्तेजित अवस्था में अपनी उंगली को अपनी चुत में डालकर अपने बेटे के बारे में कल्पना करने लगी,,,, और कल्पना में उसकी खुद की उंगली उसे उसके बेटे का लंड महसूस होने लगा जिसे कल्पना में उसका बेटा उसकी मांसल चिकनी कमर पर थाम कर अपने लंड को उसकी चूत में डालकर उसे चोद रहा था और उसके लिए यह कल्पना बेहद अद्भुत और अवर्णनीय थी अपने बेटे के बारे में इस तरह की कल्पना करके वह झड़ चुकी थी,,,,।
आराधना अपने बच्चों का इंतजार करती हो यही सोच रही थी कि जब कल्पना में अपने बेटे के साथ उसे इतना आनंद की अनुभूति हुई तो अगर यह सब वास्तविक का रूप ले ले तो उसका क्या हाल होगा,,,,,,आराधना चित्र से जानती थी कि उसे समझाने की उसके बेटे ने लाख कोशिश कर चुका था लेकिन वो टस का मस नहीं हुई थी,,,उसके बेटे ने उसे यह भी समझाने की कोशिश किया था कि दुनिया की नजर में या पाप होगा लेकिन चारदीवारी के अंदर जो कुछ भी हो रहा है वह किसे पता चलने वाला है और इसमें वह भी खुश और वो भी खुश ,,,,,,, आराधना अपने मन में चारदीवारी के अंदर वाली बात को बड़ी गहराई से सोच रही थी वह अपने मन में अनजाने में ही इस बात पर गौर कर रही थी कि उसके बेटे के कहे अनुसार अगर चारदीवारी के अंदर उन दोनों के बीच कुछ होता है तो यह बात वास्तव में कहां किसी को पता चलने वाली है और ऐसे में उसे शारीरिक सुख भी मिल जाएगा जिसके लिए वह तरस तो रही है लेकिन कर कुछ नहीं रही है लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि नहीं यह गलत है चारदीवारी के अंदर भी अगर वह अपनी बेटी के साथ संबंध बना लेती है तो अगर घर का ही सदस्य कोई अपनी आंखों से देख लिया तो क्या होगा,,,,

यह सब ख्याल उसकी अंतरात्मा को पूरी तरह से झकझोर कर रख दे रहा था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन इन सभी ख्यालों के चलते उसकी टांगों के बीच की पतली दरार फिर से गीली होने लगी थी,,, अपनी चूत की नमी आराधना को भी तरोताजा कर जाती थी उसे इस बात का अहसास होने लगता था कि अभी भी उसमें बहुत कुछ बाकी है,,,,।

Aaradhna


मोहिनी और संजू के आने का समय हो गया था आराधना खाना बनाने की तैयारी करने लगी थी वह बहुत खुश थी क्योंकि उसे 12000 की जॉब लगी थी और जॉब पर आने जाने के लिए स्कूटी भी मिल रही थी,,, जिससे आने जाने का किराया बस जाता वरना किराया बचाने के लिए पैदल आना जाना पड़ता,,,,,,,


दूसरी तरफ मोहिनी घर लौटते समय रात वाली बात को याद करके पूरी तरह से उत्तेजित में जा रही थी रात को जो कुछ भी हुआ था उसकी युक्ति पूरी तरह से काम कर गई थी,, बस उसके भाई ने थोड़ी सी और ज्यादा हिम्मत दिखाने की कोशिश नहीं कर पाया वरना,,,पहली बार मैं उसके भाई का लंड उसकी चूत के अंदर होता और वह जिंदगी में पहली बार चुदाई का सुख प्राप्त कर लेती,,,,, लेकिन रात का नशा आप ही किसके तन बदन में छाया हुआ था वह रात वाली बात को याद करके एकदम गदगद हुए जा रहे थे कैसे उसके भाई ने उसकी चूत को अपनी हथेली में लेकर सहलाया था,,,और कैसे अपनी जी उस में डाल कर उसके रस को चाट रहा था यह देखना मोहिनी के लिए बेहद अचरज भरा था लेकिन अपने भाई की हरकत से और पूरी तरह से मदहोश हो गई थी उसकी नस-नस में मदहोशी का नशा भरने लगा था एक पल के लिए तो उसमें ऐसा लग रहा था कि वह अपने भाई के सिर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दें,,,,ऊफफ वह एहसास गजब का था,,,, सड़क पर चलते हुए मोहिनी यही सोच रही थी कि उसकी सबसे अच्छी सहेली रोहिणी की युक्ति उसके ऊपर काम करी कि नहीं यह तो वह नहीं जानती लेकिन उसकी बताई युक्ति उसके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही थी वह इस युक्ति को और ज्यादा आजमाना चाहती थी क्योंकि वह किसी भी सूरत में अपने भाई के लंड को अपनी चूत के अंदर लेना चाहती थी,,,।

मां और बेटी में इस मामले में बहुत फर्क नजर आ रहा था एक तरफ मां की जो अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध बनाने से कतरा रही थी वह नहीं चाहती थी कि वहां अपनी मर्यादा से आगे निकल कर जाएं अपनी बेटी के ही साथ शारीरिक संबंध बनाकर मां बेटे के बीच के रिश्ते को कलंकित करें और दूसरी तरफ मोहिनी थी जो कि किसी भी सूरते हाल में अपने भाई के साथ संबंध बनाकर चुदाई का सुख भोगना चाहती थी,,, उसे लोक लाज शर्म किसी का भी डर बिल्कुल भी नहीं था भाई बहन के पवित्र रिश्ते को तार-तार करने का भी दुख उसमें जरा भी नहीं था बल्कि वहां तो एक औरत और मर्द के बीच के संबंध का मजा लेना चाहती थी,,,,,, और इसी प्रयास में वह अपना प्रयास जारी रखना चाहती थी,,,,।

संजू भी रात के बारे में ही सोच रहा था वह यह सोच रहा था कि अगर रोज उसकी बहन फ्रॉक पहनकर सोए तो कितना मजा आ जाए,,,। पहली बार संजू किसी जवान लड़की की चूत देखा था और वह भी अपनी बहन की अब तक उसने केवल अपनी मौसी की चूत देखा था और उसे चोदा भी था,,,अपनी बहन की चूत का काम रस पीकर जिस तरह का नशा संजू के तन बदन में चढ़ने लगा था उस नशे में वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,,,,,सड़क पर चलते हुए संजू उस पल को याद करके रोमांचित हुआ जा रहा था जब वह हिम्मत दिखाते हुए अपनी बहन के दोनों टांगों के बीच आकर अपनी खड़े लंड को उसकी चूत की दरार पर लगा रहा था उस समय उसके तन बदन में जो उत्पात हो रहा था वह बता नहीं सकता था संजू का मन उस समय अपना लंड पूरा का पूरा अपनी बहन की चूत में डाल देने को कर रहा था,,, लेकिन अपनी मौसी की दो बार की चुदाई से थोड़ा बहुत अनुभव संजू को हो गया था वह अपनी बहन की चूत का छेद देख कर समझ गया था कि बिना उसके सहकार के उसका मोटा तगड़ा लंड चूत में घुसने वाला नहीं है,,,इसीलिए केवल संजू अपने लंड को अपनी बहन की चूत पकड़ कर ही अपना पानी निकाल दिया था लेकिन इतना भी संजू के लिए बहुत था,,,, अब वह अपने मन में सोचने लगा कि क्या वाकई में रोज उसकी बहन बिना चड्डी के सोती है वहअंदर कुछ नहीं पहनती अगर ऐसा है तो उसे फिर से वही खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा,,, और यह सोच कर सही रोमांचित हो उठा,,, थोड़ी ही देर में वह भी घर पर पहुंच गया अभी अभी कुछ देर पहले ही मोहिनी घर पर पहुंची थी और हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो रही थी,,,,, संजू के भी घर पर पहुंच जाने की वजह से मोहिनी के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि अब वह अपनी भाई की उपस्थिति में अजीब सा अनुभव करने लगी थी वह अपने भाई से नजर मिलाने में शर्म महसूस कर रही थी,,, और संजू का भी यही हाल था यह जानते हुए भी कि जो कुछ भी उसने किया है वह मोहिनी को बिल्कुल भी पता नहीं है क्योंकि वह बेहद गहरी नींद में सोती है फिर भी संजू अपनी बहन से नजर मिलाने में कतरा रहा था,,,।


दोनों हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो चुके थे,,, आराधना तुरंत मिठाई का डिब्बा लेकर आई और डीपी को खोलते हुए दोनों के आंखें मिठाई का डब्बा करते हुए बोली,,,।


लो तुम दोनों मुंह मीठा करो,,,,
(आराधना की बात सुनकर मोहिनी और संजू दोनों अच्छे से एक दूसरे की तरफ देखते हुए अपनी मां से एक साथ बोले,,)

यह किस खुशी में,,,,


पहले तुम दोनों मिठाई लो तो सही,,,,
(संजू और मोहिनी दोनों मिठाई के डिब्बे में से मिठाई निकालकर खाते हुए अपनी मां की तरफ से से देखने लगे तो उन दोनों की उत्सुकता को खत्म करते हुए आराधना बोली,,)

मुझे बहुत ही अच्छी जॉब मिल गई है और वह भी कंप्यूटर चलाने की ऑफिस में और ज्यादा दूर भी नहीं है 10 मिनट का रास्ता है,,,और तो और कंपनी मुझे कंपनी की स्कूटी भी कह रही है आने जाने के लिए किराया भी बच जाएगा,,,(आराधना किसी और सामान के लिए अपने बच्चों को बिल्कुल भी मौका नहीं देना चाहती थी इसलिए एक ही सांस में सब कुछ बता दी और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) और हां तनख्वाह है 12000,,,,,

क्या,,,?(मोहिनी आश्चर्य जताते हुए बोली,,)


12000 अब हमें किसी से भी पैसे उधार लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी,,,,,( आराधना अपनी खुशी व्यक्त करते हुए बोली,,, मोहिनी और संजू अभी भी आश्चर्य में थे इतनी जल्दी नौकरी के लिए और वह भी ₹12000,,,,दोनों अभी भी आश्चर्य से आराधना की तरफ भी देख रहे थे तो आराधना बोली,,)

क्यों क्या हुआ तुम दोनों को खुशी नहीं हुई,,,


नहीं मम्मी बहुत खुशी हुई लेकिन थोड़ा अजीब लग रहा है तुम कभी नौकरी नहीं किए और घर चलाने की वजह से पहली बार जॉब करना पड़ रहा है,,,(संजू सांत्वना दर्शाते हुए भोला और संजू की यही बात आराधना को बहुत अच्छी लगती थी कि वह उसकी फिक्र बहुत करता था लेकिन उसकी बात को सुनते समय आराधना का ध्यान उसकी नजरों पर भी था संजू उसकी चूचियों की तरफ घूर रहा था,,,जो कि साड़ी का पल्लू थोड़ा सा नीचे होने की वजह से ब्लाउज में से उसकी चूचियों की गहराई एकदम साफ नजर आ रहे थे अपनी छातियों पर नजर जाते ही आराधना संजू की नजरों की वजह से शर्म से पानी पानी होने लगे वह अपने मन में सोचने लगी कि यह लड़का कभी भी कहीं भी शुरू हो जाता है,,,, आनन-फानन में अपने बेटे के बातों का जवाब देते हुए आराधना बोली,,)

मुझे कोई दिक्कत नहीं है ऐसा तो है नहीं कि औरतें नौकरी नहीं करती मैं जहां काम करने जा रही हूं वहां पर ज्यादातर औरतें ही है,, इसलिए ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,, तुम दोनों मिठाई खाओ मैं जल्दी जल्दी खाना बना लेती हूं,,,,(इतना कहकर आराधना रसोई घर में चली गई,,, और मोहिनी आश्चर्य से संजू की तरफ देखते हुए बोली,,)

मम्मी जोब कर पाएगी,,,


क्यों नहीं कर पाएगी जरूर कर पाएंगी,,,,
((इतना कहते हो संजू एक नजर अपनी बहन के ऊपर डाला तो देखा कि उसकी बहन आज फ्रॉक नहीं पहनी थी सलवार कमीज पहनी थी लेकिन सलवार समीज में भी वह पूरी तरह से कयामत लग रही थी,,,, अपनी बहन के ऊपर एक नजर डालने के बाद वह अपने कमरे में चला गया और वहां जाकर थोड़ी पढ़ाई करने लगा,,,, मोहिनी कमरे में नहीं गई बल्कि रसोई घर में जाकर अपनी मां का हाथ बटाने लगी ,,
Awesome update
 

Tiger 786

Well-Known Member
5,719
20,878
173
,, आराधना खाना बनाते हुए अपने पति के बारे में सोच रही थी कि वह अपने पति को क्या जवाब देगी क्या बोलेगी कैसे समझाएंगी,,,लेकिन वह मन में ठान चुकी थी कि चाहे जो हो जाए वह यह जॉब को करके ही रहेगी,,, क्योंकि महीने के अंत में मिलने वाली तनख्वाह के बारे में वह पहले से ही सोच विचार कर रखी थी उन पैसों से वह घर के लिए बहुत कुछ करना चाहती थी और अधिकांशतः तौर पर वह अपनी घर की जरूरतों को पूरी करके अपने परिवार का जीवन यापन करना चाहती थी,,,,,,,,



आज खुशी के मारे आराधना ने सब्जी पूरी और खीर बनाई थी,,,,,,, खाने का समय हो गया था इसलिए आराधना अपने दोनों बच्चों को बुलाकर खुद साथ में बैठकर खाने लगी तो है पहले साथ में बैठकर खाना नहीं खाती थी अपने पति का इंतजार करती रहती थी और अपने पति के साथ ही खाना खाती थी लेकिन अपने पति के व्यवहार और उसके बेरुखी के कारण उसने अपने जीवन में धीरे-धीरे परिवर्तन लाना शुरू कर दी थी,,,, और अपने पति का इंतजार किए बिना ही अपने बच्चों के साथ खाना खाने लगी थीं,,,,,, थाली में पड़ी मीठी खीर की कटोरी को देखकर संजू को अपनी बहन की गुलाबी चूत याद आ रही थी एकदम फुली हुई कसी हुई और मालपुए के मीठे रस से भरा हुआ,,,,, अपनी बहन की गुलाबी चूत याद आते ही,,, संजू के मुंह में पानी आने लगा था और जिस तरह से संजू खीर से भरी हुई कटोरी को अपनी बहन की चूत को याद करके देख रहा था उसे देखते हुए आराधना बोली,,,।)

संजू तेरे मुंह में पानी आ रहा है ना खीर देख कर,,, ज्यादा इंतजार करने की जरूरत नहीं है खाना शुरु कर दे,,,।


हां हां खाता हूं,,,(अपनी मां की बात सुनते ही संजु हकलाहट भरे स्वर में बोला,,,वह अपनी मां को कैसे समझा था कि उसे खीर देखकर नहीं बल्कि अपनी बहन की चूत को याद करके मुंह में पानी आ रहा है,,,, वकील नहीं बल्कि अपनी बहन की चूत का रस पीना चाहता था,,,, मोहिनी भी संजू की तरफ देख रही थी,,,, और अपने भाई के भोले चेहरे को देख कर मोहिनी अपने मन में सोचने लगी कि सीधा-साधा दिखने वाला उसका भाई एक लड़की की चूत देखकर कैसा मदहोश हो गया था,,,,अपने भाई के इस तरह के चरित्र पर उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन क्या करें जो कुछ भी रात को हुआ था उसी से इनकार करना अपनी नामुमकिन था,,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की हालत औरत के अंगों को देखकर हमेशा खराब हो जाती है और वह तो अपने भाई को सीधे-सीधे आसमान की सैर पर प्ले गई थी अपनी चूत दिखा कर,,,




ऐसे में उसका भाई क्या दुनिया का कोई भी मर्द होता तो मदहोश होकर पिघल जाता और वही उसके भाई ने भी किया था बस अपने लंड को उसकी चूत में डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाया,,, था,,, अपने भाई की उस हरकत को याद करके मोहिनी की चूत के इर्द-गिर्द चीटियां रेंगने लगी उसे अपनी चूत में खुजली महसूस होने लगी,,,वह अपने भाई की जीभ को फिर से अपनी चूत पर और चूत के अंदर महसूस करना चाहती थी,,,, उस पल को याद करके मोहिनी की चूत अपने आप गीली होना शुरू हो गई थी,,,,।

आराधना के साथ-साथ संजु और मोहीनी ने भी खाना खाना शुरु कर दिया था लेकिन संजु इस बात से बेचैन हुआ जा रहा था कि,,,आज उसकी बहन में फ्रॉक की जगह सलवार कमीज पहनी थी,,,, और यह देखकर संजु के अरमानों पर पानी फिर गया था,,, ऐसा नहीं था कि मोहीनी के फ्रॉक ना पहनने का मलाल केवल संजू को ही था,,,, मोहिनी भी फ्रॉक ना पहनने की वजह से खुद हैरान थी क्योंकि वह आज भी फ्रॉक कहना चाहती थी लेकिन आनन-फानन में उसे याद नहीं रहा और वह अनजाने मेरी सलवार कमीज पहन ली थी अब उसके लिए दिक्कत इस बात की हो गई थी कि वह अगर वापस अपनी सलवार कमीज उतारकर फ्रोक पहनती तो संजू को इस बात का साफ हो सकता था कि उसकी बहन जो कुछ भी कर रही है जानबूझकर कर रही है और मोहिनी ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि उसके भाई को जरा सा भी शक हो कि वह जानबूझकर फ्रॉक के अंदर चड्डी नहीं पहनती,,,, मोहिनी को लगने लगा कि आज की रात वह अपने मन की नहीं कर पाएगी,,, इसलिए अपने मन को मार कर सारा ध्यान भोजन ग्रहण करने में लगा दी खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था शायद आज जो मिलने की खुशी में उसकी मां की आंखों से और भी ज्यादा स्वादिष्ट खाना बन गया था,,,,,।



खाना खा लेने के बाद आराधना बर्तन मांजने लगी और मोहिनी घर में झाड़ू लगाने लगी अभी तक अशोक घर पर नहीं आया था,,,,, अभी आराधना बर्तन मांज ही रही थी कि अशोक घर में दाखिल होते ही,,, आराधना से जोर से बोला,,,।


या मैं क्या सुन रहा हूं,,,, तुम जॉब करोगी,,,,


हां अब बिल्कुल ठीक सुने हैं,,,(आराधना उसी तरह से बैठे हुए ही अशोक की तरफ देख कर बोली)


क्या तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम अब मुझसे पूछे बिना ही जॉब करोगी घर से बाहर निकलोगी,,,


क्या करूं मजबूरी हो गई है,,, तुम्हें पता भी है कि 3 महीनों से घर कैसे चल रहा है आपने घर पर 3 महीने से तनख्वाह दिए हो कि नहीं,,,,


instagram pic grabber


देख मैं कुछ सुनना नहीं चाहता,,,,
(संजू और मोहिनी खड़े होकर हैरानी से सब कुछ देख रहे थे और अशोक अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) तू यह जॉब बिल्कुल भी नहीं करेगी,,,


मैं यह जॉब करके रहूंगी हम लोगों को पैसे की जरूरत है और तुम से पूरा नहीं पड़ रहा है,,,,,,(इतना कहते हुए आराधना अपनी जगह पर खड़ी हो गई,,, और आराधना का जवाब सुनकर अशोक जल भुन जा रहा था,,, वह आराधना की बातें सुनकर गुस्से से बोला)

पैसे नहीं पूरे पड रहे हैं या कुछ और,,,(इतना कहते हुए अशोक आराधना के बिल्कुल करीब पहुंच गया और उसकी वहां पकड़ कर बोला) देख रहा हूं कुछ दिनों से तेरे तेवर बदले बदले नजर आ रहे हैं,,,, मेरे से पूरा नहीं पड़ रहा है तो बाहर चुदवाने के लिए जोब का बहाना बना रही है,,,,।


यह क्या कह रहे हैं आप कुछ तो शर्म करिए मोहिनी और संजू खड़े हैं,,,,।
(मोहिनी तो अपने पापा के मुंह से चुदवाने जैसे शब्दों को सुनकर एकदम हक्की बक्की रह गई क्योंकि उसने आज तक अपने पापा की मुंह से इस तरह के शब्दों को नहीं सुनी थी जो कि अक्सर रातों को ही होती थी और वह घोड़े बेच कर सो रही होती थी लेकिन आज वह जाग रही थी अपने पापा के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर एकदम हैरान संजू भी हैरान हो गया था क्योंकि आज उसके पापा मोहिनी की मौजूदगी में इस तरह की बातें कर रहा था,,,,)




अरे तो क्या हुआ खड़े हैं तो खड़े रहने दे आखिरकार बच्चों को भी तो पता चले उनकी मां क्या गुल खिलाती है,,, किस-किस का लेती फिरती है,,,,,
(इस बार आराधना एकदम गुस्से में आ गई और एकदम क्रोधित होते हुए बोली,,,)


अशोक,,,, तुम को शर्म नहीं आती इस तरह की बातें करते हुए,,,,।

शर्म,,,, सर मैं तो तुझे आनी ही चाहिए हरामजादी,,, दूसरों का लंड तुझे पसंद आ रहा है,,, हरामी कुत्तिया,,,(इतना कहने के साथ ही अशोक ने जोर से आराधना को धक्का मारा और वह दो कदम पीछे जाकर गिरने ही वाली थी कि ,, सही समय पर फुर्ती दिखाते हुए,,, संजू अपनी मां को अपने हाथों में थाम लिया और उसे गिरने से बचा लिया अपने पापा की हरकत पर मोहिनी पूरी तरह से हथ भ्रत हो गई वह एकदम से घबरा गई वह रोने लगी,,,,संजू सोच रहा था कि सब कुछ बातों से हल हो जाएगा लेकिन उसे बीच-बचाव करना ही पड़ा अपनी मां को गिरने से बचाते हुए उसका हाथ अनजाने में ही उसकी चूची पर आ गया था जिसे सहारा देते समय वाह अपनी मां को उठाते हुए अनजाने में ही चूची को जोर से दबा दिया था पहले तो उसे लगा था कि शायद उसकी मां की बांह उसके हाथ में आ गई हैलेकिन दबाते ही उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसके हाथों में तो उसकी मां की चूची आ गई थी,,,, जल्दी से अपनी मां को खड़ी की और अपने हाथ को जल्दी से ऊंची पर से हटा दिया क्योंकि मोहिनी वहीं मौजूद थी,,,, और अपनी मां को संभालते हुए बोला,,,)

पापा मम्मी पर इल्जाम लगाते हुए पहले कभी सोचा है कि 3 महीनों से घर का खर्चा कैसे चल रहा है घर में राशन है कि खत्म हो गया है दूधवाले उधार दे रहे हैं कि नहीं,,,, इन सब के बारे में कभी सोचे हो मैं जानता हूं,,,,मम्मी मौसी के पास से उधार पैसे लेकर आई थी तब जाकर घर का राशन आया वरना सब को भूखे ही सोना पड़ता तुम्हारा क्या है तू तो दारु पी के पेट भर लेते हो,,,,,


संजू ,,,देख रहा हूं तू बहुत अपनी मां की तरफदारी करने लगा है तेरी मां ने तुझे भी कुछ दिखा दी है क्या या कुछ दे दी है,,,।
(मोहिनी तो अपने पापा की यह बात सुनकर एकदम सनन है कि उसे उम्मीद नहीं थी कि उसके पापा इस तरह से बातें करेंगे अपने पापा के कहने का मतलब को मोहिनी अच्छी तरह से समझ रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा उसके बड़े भाई पर इस तरह से इल्जाम लगा रहे हैं वह आंखें फाड़ सब कुछ देख रही थी और आराधना रोने लगी थी,,,, यह सब सुनकर और देख कर संजू का पारा और ज्यादा गरम हो गया वह आगे बढ़ा और अपने पापा का गिरेबान पकड़कर बोला,,,,)

बस कर अगर एक शब्द भी आकर बोला तो यहीं पर बाप बेटी का रिश्ता खत्म कर दूंगा,,, जैसा तू खुद है वैसा ही तुझे दिखाई देता है,,,, और रही बात जॉब करने की तो मम्मी है जॉब करके रहेगी मैं भी देखता हूं कौन रोकता है,, दे मम्मी को इस तरह से घुट घुट कर जीते हुए नहीं देखना चाहता उसे भी पूरा हक है अपनी जिंदगी आजादी से जीने का,,,,
(आराधना अपने बेटे की बात सुन रही थी और हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी उसका बेटा देखते ही देखते बहुत बड़ा हो गया था जो कि उसकी खुशियों के बारे में बातें कर रहा था उसकी आजादी के बारे में सोच रहा था,,,,अशोक संजू की पकड़ से पूरी तरह से हैरान था उसे इस बात का अंदाजा हो गया था कि आप संजू उससे ज्यादा तगड़ा और मजबूत हो चुका है उसके साथ झगड़ा करने में अपनी ही बेज्जती करने के बराबर है इसलिए वह गुस्से से संजू का हाथ छुड़ाते हुए बोला,,,,)

भाड़ में जाओ तुम लोग,,,,,
(और इतना कहकर कमरे से बाहर निकल गया संजू मोहिनी और आराधना में से किसी ने भी उसे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया,,,, आराधना रोते हुए कमरे की दहलीज पर बैठ गई थी और आंसू बहा रही थी उसे देखकर मानी उसके पास जाकर उसे चुप कराने लगी,,, संजू भी उन दोनों के पास जाकर बैठ गया और अपनी मां को समझाते हुए बोला,,,)

बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी सब कुछ ठीक हो जाएगा तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है,,,, तुम्हें भी खुलकर जीने का हक है,,, हम दोनों की तरफ से किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है हम लोग भी यही चाहते हैं कि तुम्हें जॉब करो और अपनी जिंदगी बेहतर करो,,,, क्योंकि घर में जो कुछ भी होता है इसे भूलने का बस यही तरीका है,,,,।
(संजू की बातों को सुनकर आराधना को धीरे बदलने लगी उसे सांत्वना मिलने लगी कि उसका बेटा और उसकी बेटी उसके बारे में अच्छा ही सोच रहे थे,,,, थोड़ी देर बाद आराधना अपने कमरे में चली गई,,,, और संजू और मोहिनी भी अपने कमरे में आ गए संजू के अरमानों पर तो पहले से ही मोहिनी ने ठंडा पानी गिरा दी थी सलवार समीज पहनकर वही सोच रहा था कि अगर आज भी मोहिनी फ्रॉक पहन कर सोएगी तो आज वह फिर से अपनी बहन की चूत का रसपान करेगा और उसमें लंड डालने की कोशिश करेगा,,,लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था दोनों बैठ कर अपने पापा के बारे में बातें कर रहे थे मोहिनी पहली बार अपने पापा के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर पूरी तरह से हैरान थी क्योंकि उसके पापा सीधे सीधे समझी और उसकी मां के बीच गलत संबंध के बारे में बोल रहे थे ,,,, मोहिनी हैरान होते हुए अपने भाई से बोली,,,)


क्या मेरे सो जाने के बाद यही सब होता था घर में,,,!


हां,,, मोहिनी रोज रात को यही सब होता था,,,,।
(संजू अपनी बहन को बहुत कुछ बताना चाहता था जो कुछ भी रात को होता था वह खुल कर बताना चाहता था लेकिन इतना सुनकर ही मोहनी रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर संजु समझ गया कि आगे बढ़ाना ठीक नहीं हैकाफी देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रह गया और कब दोनों को नींद आ गई पता ही नहीं चला,,,, सवेरे उठकर आराधना रात को जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाना चाहती थी आज उसकी जॉब का पहला दिन था इसलिए जल्दी से आहत होकर नाश्ता और खाना दोनों तैयार कर चुकी थी क्योंकि वह लेट नहीं होना चाहती थी,,,,,,,, लेकिन नहाने के बाद अपने ब्लाउज का बटन बंद करते समय उसे रात वाली अपने बेटे की हरकत याद आ गई जब हो उसे उठाने के चक्कर में उसकी चूची को दबाते हुए उसे उठा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रात को संजू के यहां पर जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था या जानबूझकर,,,, यही सब सोचकर उसके तन बदन में झनझनाहट सी फैलने लगी थी क्योंकि उसे संभालने के चक्कर में संजु ने बड़ी जोर से चूची को दबाया था जो कि अनजाने में ही उसके हाथ में आ गई थी और यही आराधना नहीं समझ पा रही थी कि ,, संजू ने जो कुछ भी किया जानबूझकर किया या अनजाने में,,,,।

जॉब का आज पहला दिन था इसलिए आराधना हल्का सा मेकअप की थी और बला की खूबसूरत लग रही थी जिसे देखकर मोहिनी भी हैरान हो गई थी वह अपनी मां को देखते हुए बोली,,,।

वाह मम्मी तुम तो आज बहुत खूबसूरत लग रही हो,,,

चल रहने दे जल्दी से नाश्ता कर और कॉलेज के लिए जा तुझे भी देर हो रही होगी,,,,


इतनी भी देर नहीं हो रही हैं,, मैं समय पर पहुंच जाऊंगी,,, और तुम भी समय पर ऑफिस पहुंच जाना आज पहला दिन है ना,,,

हां मैं भी यही सोच रही हो और वैसे भी आज ऑफिस आने जाने के लिए स्कूटी मिल जाएगी तो आराम रहेगा,,,,, मैं तुझे भी तेरे कॉलेज छोड़ दूंगी,,,,


यह तो बहुत अच्छा रहेगा,,,,
(इतना क्या करवा नाश्ता करने लगी और सब्जी भी आकर नाश्ता करने लगा वह अपनी मां की खूबसूरती को अपनी आंखों से पी रहा था आज उसकी मां और भी ज्यादा बला की खूबसूरत लग रही थी लेकिन मोहिनी की मौजूदगी में वहां अपनी मां से उसकी खूबसूरती की तारीफ नहीं कर पा रहा था,,,,, थोड़ी देर में मोहिनी और संजु कॉलेज जाने के लिए निकल गए,,, और उसके बाद आराधना भी बड़ी प्रसन्नता के साथ घर से बाहर ऑफिस जाने के लिए निकल गई,,,,शाम को जब वह घर लौटी तो बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि ऑफिस से उसे स्कूटी मिली थी और भाई स्कूटी बड़े आराम से चला कर घर पर लेकर आई थी इस बात की खुशी उसे और ज्यादा थी,,,, अपनी बड़ी बड़ी गांड स्कूटी की सीट पर रखने में उसे पहले तो बहुत ही अजीब लग रहा था और तन बदन में उत्तेजना का एहसास भी हो रहा था,,,,।

आराधना को जॉब करते 10 दिन गुजर चुके थे इन 10 दिनों में वह बड़े अच्छे से अपना काम संभाल ली थी,, संजय को भी अच्छा हो गया था घर में स्कूटी होने की वजह से हुआ अभी शाम को सब्जी वगैरह लेने के लिए निकल जाता था और उसी बहाने घूम भी लेता था,,, संजू और मोहीनी का भी काम नहीं बन पा रहा था, मोहिनी का महावारी शुरू हो गया था और वह इस दौरान कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहती थी,,,,।

आराधना की तबीयत थोड़ा नरम पड़ने की वजह से वह आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर आ गई थी,,,
Shandar update
 

Tiger 786

Well-Known Member
5,719
20,878
173
आराधना की तबीयत नरम की इसलिए वह आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर पहुंच चुकी थी,,,संजू घर पर लौटा तो घर के बाहर स्कूटी खड़ी देख कर उसे लगा कि आज उसकी मां जल्दी आ गई होगी इसलिए दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर प्रवेश किया तो देखा कि,,, कमरे के बाहर ही दरवाजे पर उसकी मां बैठी हुई थी उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए संजू बोला,,।

क्या हुआ मम्मी आज ऑफिस से जल्दी आ गई,,,

हां बेटा आज थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो जल्दी घर पर आ गई,,,।
(तबीयत खराब होने की सुनते ही संजु एकदम चिंतित हो गयातुरंत अपना बैग रखकर अपनी मां के पास आ गया और उसके माथे पर हाथ रख कर देखने लगा कि क्या हुआ है,,, माथे पर हाथ रखते ही उसे गर्माहट का अहसास हुआ तो वह चिंतित भरे स्वर में बोला,,)

तुम्हें तो बुखार है,,,,


हां थोड़ा बुखार आ गया है लेकिन मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,,


चलो मैं तुम्हें दवाखाने ले चलता हूं,,,,


शाम होने दे तब चलेंगे अभी मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,


रुको मैं तुम्हारा सर दबा देता हूं,,, बाम लगाकर,,,, बम कहां पर है,,,

वही अंदर अलमारी के ड्रोवर में होगा,,,


एक काम करो मम्मी तुम अंदर कमरे में चलो मैं बाम लगाकर मालिश कर देता हूं आराम हो जाएगा,,,



(अपने बेटे को इतना चिंता करते हुए देखकर आराधना को बहुत खुशी हो रही थी कि चलो कोई तो है उसकी सुनने वाला उसकी फिक्र करने वाला जब से आराधना जॉब करने लगी थी तब से अशोक घर पर बहुत कम आने लगा था और इस बात की चिंता आराधना को अब बिल्कुल नहीं थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह कभी नहीं सुधरने वाला,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना अपनी जगह से खड़ी हुई और अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई संजू भी अपनी मां के कमरे में गया और अलमारी खोलकर ड्रोवर में से बाम निकाल लिया,,,,,, और अपनी मां के करीब आकर उसके सिरहाने बैठ गया,,,, बम का ढक्कन खोलते हुए संजू अपनी मां से बोला,,)

ज्यादा दर्द कर रहा है क्या,,?

हां बहुत दर्द कर रहा हैं,,,


चिंता मत करो 5 मिनट में आराम हो जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा सा दाम अपनी उंगली पर लेकर आना वापस बामको पास में पड़े टेबल पर रखी है और अपनी उंगली से अपनी मां के माथे मैं बाम लगाने लगा,,, संजू हल्के हाथों से अपनी मां के माथे में बाम लगा रहा था कि तभी उसकी नजर अपनी मां की छातीयो पर गई,,, अपनी मां की छातियों को देखकर राजु की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि आराधना की इच्छा होती है उसे उसके साड़ी का पल्लू हट चुका था और उसके ऊपर का एक बटन खुला हुआ था भारी-भरकम मदमस्त कर देने वाली चूचियां ब्लाउज में कैद एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,,,

राजू के दिल की धड़कन पल भर में ही तेज हो गई थी,,,आराधना को इस बारे में बिल्कुल भी आभास नहीं था क्योंकि उसकी तबीयत नरम होने की वजह से और सर दर्द की वजह से उसका सारा ध्यान उसके सर पर ही था,,, संजू की आंखों में पल भर में ही चार बोतलों का नशा छाने लगा,,, वह अपनी मां की कदर आई हुई चूचियों को ब्लाउज में कैद देख रहा था जोकि चुचियों के हिसाब से ब्लाउज का साइज थोड़ा छोटा होने की वजह से चुचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब नजर आ रही थी,, और ऊपर का पहला बटन खुला होने की वजह से संजू को उसकी मां की चूचियों के बीच की गहरी लकीर एकदम साफ नजर आ रही थी जो कि बेहद मादकता का रूप लिए हुए थी,,, पीठ के बल लेट होने की वजह से आराधना की चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी और उसका आधे से ज्यादा भाग ब्लाउज के बाहर झांक रहा था,,,, संजू का मन बहुत ललच रहा था,,, अपनी मां की चूचियों को छूने के लिए,,, बेहद अद्भुत नजारा बना हुआ था संजू अपनी मां के सर की मालिश कर रहा था और उसकी नजरें मां की चूचियों का टिकी हुई थी,,, इस बात से बेखबर आराधना आंखों को बंद करके लेटी हुई थी,,,, कुछ देर तक इसी तरह से आंखों से ही अपनी मां की मदमस्त जवानी का रसपान करते हुए संजू बोला,,,।

अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,?




थोड़ा-थोड़ा आराम लग रहा है।(आंखों को बंद किए हुए आराधना बोली,,, संजू अपनी मां से भले उसकी तबीयत के बारे में सोच रहा था लेकिन उसकी नजरें उसकी चूचियों पर ही टिकी हुई थी जो कि सांसो की लय के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,, यह नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,,,संजू अपने मन में सोच रहा था कि काश उसे अपनी मां की सूचियों की मालिश करने का मौका मिल जाता तो कितना मजा आ जाता ,,, ऐसा नहीं था कि संजू की नजर पहली बार अपनी मां की चूचियों पर गई थी संजू कई बार अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख चुका था जाने अनजाने में उसके अंगों को छू भी चुका था,,,,, उसकी नंगी चूचीयो के साथ-साथ उसकी रसीली चूत के भी दर्शन कर चुका था,,लेकिन जब आपकी मां की आंखों को देखता था तो उसे पहली बार का ही मजा आता है इसलिए तो इस समय भी उसकी हालत खराब होती जा रही थी ब्लाउज का पहला पत्र खुला होने की वजह से पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी चूचियां ब्लाउज में से बाहर की तरफ लचक गई थी और यही संजू के तन बदन में आग भी लगा रही थी,,,,वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए उसके सिर की मालिश करने के साथ-साथ अपनी आंखों से उसकी चुचियों का रस भी पी रहा था,,,,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके पापा से बिल्कुल भी खुश नहीं है ना तो,,,,, सामाजिक जीवन में और ना ही शारीरिक,,,।

संजू अपनी मौसी की हालत को अच्छी तरह से समझता था जिस तरह से उसकी मौसी ने उसके साथ संबंध बनाकर अपनी प्यास बुझाई थी उसे देखते हुए संजू को इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों को भी भूख के साथ-साथ तन की भी खूब लगती है और वह अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मां को भी इसी की जरूरत है उसकी मां को भी तन की भूख जरूर लगती होगी परंतु,,, सामाजिक मर्यादा और अपने संस्कारों की वजह से उसकी मर्यादा की दीवार को लांघ नहीं पा रही है,,,, वरना बरसात वाली रात को ही रिश्तो के बीच की डोरी तार तार हो जाती,,,,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर कोशिश की जाए हालांकि वह पूरी कोशिश कर भी रहा था लेकिन हार नहीं मान रहा था वह जानता था कि एक न एक दिन जरूर उसकी मां अपने तन की प्याज की खातिर उसकी शरण में जरूर आएगी जैसा कि उसकी मौसी,,,, यही सब सोचकर राजू अपनी मां की चूची को स्पर्श करना चाहता था उसे दबाना चाहता था लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमें हो नहीं पा रही थी,,,,,,,

इस बात का आभास संजू को अच्छी तरह से था कि जो कुछ भी वह अपनी मां से चाहता है उसकी मां को भली-भांति पता है वह सब कुछ जानती है कि उसका बेटा उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता है उसे चोदना चाहता हैं और इसी के चलते वह अपनी मां की चूची को छूकर पकड़ कर देखना चाहता था कि उसकी में क्या कहती हैं,,,, यही सोचकर संजू अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा अपनी मां की चूची को पकड़ने के लिए,,,,,, आराधना की आंखें अभी भी बंद थी संजू एक हाथ से अपने मां के माथे की मालिश कर रहा था और दूसरे हाथ को उसकी चूची की तरफ आगे बढ़ा रहा था कि तभी आराधना की आंख खुल गई और संजू ने तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच लिया,,,, ऐसा लग रहा था कि आराधना को आराम हो गया था उसके चेहरे की संतुष्टि बता रही थी,,,,। आराधना की आंख खुलते ही संजू बोला।।


अब कैसा लग रहा है मम्मी,,?


अब तो बिल्कुल भी दर्द नहीं कर रहा है,,,, तेरे हाथों में तो जादू है,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसका ध्यान अपनी छातियों पर गया तो वह एकदम से सिहर उठीउसे इस बात का आभास हुआ कि साड़ी का पल्लू उसकी छातियों पर से हट गया है और उसकी खुली छातियां एकदम नजर आ रही है और ऊपर से ब्लाउज का ऊपर का बटन भी खुला हुआ है जिसमें से उसकी चूचियों का आधा भाग लचक कर बाहर की तरफ निकला हुआ है यह देखते ही वहतिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ भी देख रहा था और का आभास होते ही उसकी दोनों टांगों के बीच कंपन सा महसूस होने लगा,,, प्रभात तुरंत अपने साड़ी के पल्लू से अपनी छातियों को ढक ली,,, अपनी मां की हरकत को देख कर संजू समझ गया था कि उसकी मां को आभास हो गया कि वह उसकी चूचियों को ही देख रहा है इसलिए उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला,,,)

जादू मेरे हाथों में नहीं है बल्कि इस बाम में है,,, इसकी वजह से ही तुम्हारे सर का दर्द ठीक हुआ है,,,


फिर भी बारिश तो तू नहीं किया है ना इसलिए सारा श्रेय तुझे ही जाता है,,,,।
(जिस तरह से संजू आराधना के सिरहाने बैठकर उसके सर की मालिश कर रहा था उस पर बाम लगा रहा था यह देखते हुए आराधना मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसका बेटा उसका बहुत ख्याल रख रहा था इस समय तो उसके पति से भी ज्यादा,,,ना जाने क्यों यह जानते हुए भी कि उसका बेटा उसके खूबसूरत बदन की तरफ आकर्षित होकर अपने मन में उसे चोदने की भावना रखता है फिर भी आराधना अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी बस किसी भी तरह से उन दोनों के बीच की मर्यादा की डोर को टूटने नहीं देना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी जिस तरह से उसका बेटा बाम लगाते समय भी उसकी चूचियों को घूर रहा था यह देखकर उसे अंदाजा लग गया था कि उसका बेटा किस कदर उसे चोदने की उसे पाने की भावना रखता है,,,,, संजू सर की मालिश करना बंद कर दिया था क्योंकि उसकी मां को आराम मिल गया था लेकिन अभी भी बुखार बरकरार था और धीरे-धीरे बड़े भी रहा था और बदन में दर्द भी हो रहा था इसलिए आराधना बोली,,,।


सर दर्द तो ठीक हो गया है लेकिन बुखार अभी भी है,,, तो जाकर मेडिकल से बुखार की कोई टेबलेट लेकर आ जा,,,

नहीं नहीं बिना डॉक्टर के दिखाएं इस तरह से दवा नहीं लेनी चाहिए,,,


नहीं-नहीं तू एक टेबलेट ला दे मुझे आराम हो जाएगा,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं चलो मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर चलता हूं,,,



नहीं मैं नहीं जाऊंगी तू जिद मत कर संजु,,,


तुम समझ नहीं रही हो मम्मी गोली खाने से बुखार उतर गया और बाद में फिर चड गया तब क्या करोगी ,,,


अरे तू कैसी बातें करता है,,,


नहीं मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं सच कह रहा हूं अब तुम जोब भी करती हो इसलिए तुम्हारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है,,,, ऐसे नहीं चलने वाला है मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर जाकर ही रहूंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही आराधना ने कभी सोची नहीं थी और उसका बेटा बिस्तर पर से ही उसकी दोनों टांगों के बीच और उसके गर्दन के बीच हाथ डालकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,)


अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, अरे रहने दे,,, गिर जाऊंगी,,,,,,,,
(लेकिन संजू कहां मानने वाला था,,, वह अपनी मां को गोद में उठा चुका था बेहद अद्भुत और अवर्णनीय नजारा थाअपनी मां को गोद में उठाने से पहले संजू ने भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां को गोद में उठा लेगा,,,, संजू की बाजुओं का दम देखकर आराधना एकदम से हैरान हो चुकी थी,,, उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे अपनी गोद में एकदम आराम से उठा लीया है,,, और संजु अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही उसे कमरे से बाहर वाले कमरे तरफ ले जाने लगा था,,,,, आराधना के चेहरे पर आश्चर्य के भाव नजर आ रहे थे इस तरह से तो उसके पति ने भी कभी अपनी गोद में नही उठाया था और ना ही उसे उठाने लायक भी था क्योंकि अशोक शरीर से उतना दमखम वाला नहीं था,,, इसलिए तो अपने बेटे के दम पर उसे नाज हो रहा था,,, संजू तो पहले से ही अपनी मां की सूचियों को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जिसकी वजह से पहले उसका लंड खड़ा हो गया था और इस समय जानबूझकर अपनी मां को इस तरह से गोद में उठाया हुआ था कि उसका खड़ा लंड जो की पैंट में तंबू बनाया हुआ था,, वह सीधे-सीधे नीचे से आराधना की गांड में चुभ रहा था पहले तो अफरा तफरी में आराधना का ध्यान उस तरफ बिल्कुल भी नहीं गया लेकिन जैसे-जैसे उसे अपनी गांड पर कुछ चुभता हुआमहसूस हुआ तो वैसे ही उसका ध्यान उस ओर गया तो उसे अंदाजा लगाते देर नहीं लगी कि उसकी गांड पर जो कुछ भी चुभ रहा है वह कुछ और नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड है इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, औरआराधना को जिस तरह से संजू ने बिना जानकारी दी उसे अपनी गोद में उठा लिया था उससे आराधना पूरी तरह से सिहर उठी थी उसके तन बदन में उत्तेजना की लाश दौड़ने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना काम कर रही थी कि तभी अपने बेटे के लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस करते ही उसके सब्र का बांध टूट गया,,, और उसकी बुर से छल छलाकर मदन रस बहने लगा,,, आराधना झड़ने लगी थी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी,,, अपने बेटे के संसर्ग में आकर यह उसका पहला स्खलन था,, जो कि बेहद कामुकता से भरा हुआ था आराधना के जीवन का यह पहला स्खलन था जो कि बिना कुछ किए ही वह झड़ गई थी,,,, आराधना की सांसे बेहद गहरी चल रही थी संजु को तो इस बात का एहसास तक नहीं ताकि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां का पानी निकल गया है वापस जानबूझकर अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां की गांड से रगड़ रहा था उसे ऐसा करने में अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,,,,, संजु अपनी मां को गोद में उठाएखड़ा था क्योंकि उसे भी अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था क्योंकि उसका आनंद सीधे-सीधे उसकी मां की नरम नरम गांड पर चुभ रहा था,,, आराधना झड़ चुकी थी उसके मदन रस्सी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, उसे अपनी चूत पर गुस्सा आ रहा था कि बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाई और बहने लगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।

अरे मुझे नीचे उतारेगा भी या ईसी तरह से गोद में उठाए हुए ही क्लीनिक लेकर जाएगा,,,,।

(इतना सुनते ही संजू मुस्कुराते अपनी मां को नीचे उतार दिया और उसकी मां बोली,,,)

तू यहीं रुक मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,(इतना कहकर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन बाथरूम में जाते-जाते तिरछी नजर अपने बेटे की पेंट की तरफ डाली तो अपने बेटे के पेंट में अपने तंबू को देखकर एकदम हैरान रह गई,,, बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाथरूम में घुस गई,,,।)
Bohot badiya update
 

Tiger 786

Well-Known Member
5,719
20,878
173
आराधना की हालत पूरी तरह से खराब थी उसने कभी सपने भी नहीं सोची थी कि उसके बेटे की हरकत की वजह से इस कदर उसकी चूत अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाएगी और अपना काम रस छोड़ने लगेगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में ही झड़ गई थी,,, बेहद अद्भुत और आवरणीय अविस्मरणीय वह पल था जब आराधना अपनी बेटे की गोद में अपना काम रस छोड़ते हुए झड़ रही थी,,,, उसकी बेटी को तो इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां ने पानी छोड़ दी है,,, आराधना की गहरी चलती सांसे एक बात का सबूत थी कि संजू के लंड की चुभन साधना अपनी गांड पर बर्दाश्त नहीं कर पाई थी और झड़ गई थी,,,,, पहले तो यह की आराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसे इस तरह से अपनी गोद में उठा लिया और उसकी गोद में चाहते ही ना जाने कि उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि इस तरह से उसके पति ने भी कभी उसे अपनी गोद में उठाकर इधर से उधर नहीं ले गया था ,,,। अपने बेटे की ताकत और हरकत देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से सरोबोर हो चुकी थी,,उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी पूछने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार में तो मानो भूचाल सा आ गया था,,,
Sanju or uski ma


और बची खुची कसर को संजू के लंड की चुभन ने पूरा कर दिया था,,,जैसे ही संजू को इस बात का अहसास हुआ कि उसकी गोल-गोल कांड पर उसके बेटे का लंड चुभ रहा है इस बात के एहसास से ही उसकी चुत पानी फेंकना शुरू कर दी थी,,,, और वह अद्भुत सुख में अपने पूरे वजूद को पिघलते हुए महसूस कर रही थी,,,, आज तक इस तरह से आराधना का पानी नहीं निकला था इसलिए तो वह हैरान थी उसकी चड्डी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसीलिए वह फ्रेश होने का बहाना करके बाथरूम में घुस गई थी और बाथरूम का दरवाजा बंद करते ही वह अपनी साड़ी उठाकर सबसे पहले अपनी नजरों को अपनी चड्डी पर घुमाने लगी थी आगे का पूरा भाग पूरी तरह से पानी से सरोवर हो चुका था,,, अजीब से चिपचिपाहट महसूस करते हुए आराधना अपनी चड्डी को अपने हाथों से उतारने लगी और अगले ही पल वह अपनी चड्डी उतार कर उसे अपने हाथों में लेकर चारों तरफ घुमा कर देखने लगी आज उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला था और तन बदन में अजीब सी सनसनी दौड़ गई थी,,,,।



इस अद्भुत मुठभेड़ में जो कुछ भी हुआ था उसी से हैरानी के साथ-साथ आराधना पूरी तरह से संतुष्टि का अहसास भी कर रही थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लग गई थी और वह नीचे बैठ कर के साफ करने लगी थी और उसकी गुलाबी चूत से इतनी तीव्रता से उसका नमकीन रस बाहर निकल रहा था कि उसमें से आ रही सीटी की आवाज बाहर खड़े संजू के कानों में एकदम साफ तौर पर सुनाई दे रही थी जिसे सुनकर संजू पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि बाथरूम में उसकी मां मुत रही है,,,पल भर में ही संजू बाथरूम के अंदर के दृश्य की कल्पना अपने मन मस्तिष्क में करने लगा था वह अपने मन में सोचने लगा था कि कैसे उसकी मां बाथरूम में घुसते ही बाथरूम का दरवाजा बंद कर ली होगी और अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी गोरी गोरी गांड से चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका कर बैठ गई होगी,,, और अपनी गुलाबी चूत के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार मार रही होगी,,,,इस तरह की कल्पना करते ही संजू उत्तेजना से भर गया था उसे लगने लगा था कि कहीं उसका लावा ना निकल जाए बड़ी मुश्किल से वह संभाले हुए था और अंदर बाथरूम में आराधना पेशाब करते हुए बाथरूम में घुसते घुसते जिस तरह के दृश्य को अपनी आंखों से देखी थी उसके बारे में सोच सोच कर पूरी तरह से हैरान थी संजू के पेंट में अद्भुत तंबू बना हुआ था जिसे देखकर आराधना समझ गई थी कि उसके बेटे के पेंट में उसका हथियार कमजोर नहीं बल्कि बेहद दमदार है जिसकी जुबान वहां अपनी गांड पर करके झड़ गई थी सिर्फ इतने से ही उसका यह हाल था तो अगर उसका बेटा अपने लंड को उसकी चूत में डालने का तब उसका क्या हाल होगा वह तो पानी पानी हो जाएगी,,,यह ख्याल मन में आते ही शर्म के मारे उसके गाल लाल हो गए क्योंकि अनजाने में ही यह ख्याल उसके मन में आया था कि उसके बेटे का लंड उसकी चूत में जाएगा,,,,।
Sanju or uski ma



आराधना,,, पेशाब कर चुकी थी और जल्दी जल्दी अपनी चड्डी को पानी से धोकर वही रस्सी पर टांग दी थी दूसरी चड्डी बाथरूम में नहीं थी इसलिए वह ऐसे ही अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके बाथरूम से बाहर निकल गई आज वह साड़ी के नीचे चड्डी नहीं पहनी थी,,,, जैसे ही आराधना बाथरूम से बाहर निकले संजू बोला,,,।



अब चले,,,

तू बगैर लिए जाएगा तो नहीं इसलिए जाना ही पड़ेगा चल,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों मां-बेटे घर से बाहर निकल कर दरवाजा बंद करके ताला लगा दी है और संजू स्कूटी चालू करके अपनी मां के पीछे बैठने का इंतजार करने लगा दरवाजे पर ताला लगाकर आराधना अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर स्कूटी पर बैठ गई और बैठने की वजह से आराधना का बदन संजू के बदन से एकदम सट गया,,,, एहसास संजू के साथ-साथ आराधना के भी तन बदन में आग लगाने लगा था,,,,)

बैठ गई हो मम्मी,,,


हां,,(अपना एक हाथ संजू के कंधे पर रखकर) अब चल,,,

(इतना सुनते ही संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया,,, साड़ी पहने होने की वजह से आराधना अपनी दोनों टांगों को एक तरफ करके बैठी थी जिसकी वजह से संजू को उतना मजा नहीं आ रहा था जितना कि अगर वह दोनों टांगों को दोनों तरफ करके बैठती,,, इस तरह से बैठने से संजीव अपनी पीठ पर अपनी मां की चुचियों का दबाव अच्छी तरह से महसूस कर पाता,, लेकिन इस समय ऐसा संभव बिल्कुल भी नहीं था,,, थोड़ी ही देर में दोनों क्लीनिक पहुंच गए,,,दोपहर का समय होने की वजह से क्लीनिक पर बिल्कुल भी भीड़ नहीं थी इसलिए ज्यादा ही नंबर आ गया और दोनों डॉक्टर के केबिन में चले गए,,,, डॉक्टर तकरीबन 40 साल का था,,, उसकी नजर जैसे ही आराधना पर पड़ी वह उसे देखता ही रह गया ऐसा लग रहा था कि जैसे पहली बार कोई खूबसूरत औरत उसकी क्लीनिक में आई थी,,,, डॉक्टर की गलती इसमें बिल्कुल भी नहीं थी आराधना के बदन की बनावट और उसका व्यक्तित्व ही ऐसा था कि कोई भी उसकी तरफ आकर्षित हो जाता था लेकिन डॉक्टर को ईस समय आराधना की बड़ी बड़ी चूची आकर्षित कर रही थी,,,,,, डॉक्टर ने दोनों को कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और दोनों मां-बेटे टेबल के सामने कुर्सी पर बैठ गए,,)




क्या तकलीफ है,,,?

जी डॉक्टर साहब मेरी मम्मी को आज बहुत तेज बुखार है सर भी दर्द कर रहा था लेकिन सर अभी दर्द नहीं कर रहा है,,,
(डॉक्टर संजु की बात को सुन रहा था लेकिन उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि इतने बड़े लड़के की यह औरत मां है क्योंकि उसके बदन की बनावट,, इस तरह की थी कि लगता ही नहीं था कि उसका इतना बड़ा बेटा भी होगा,,,, डॉक्टर की नजर बार-बार आराधना की छातियों पर चली जा रही थी,,,, संजू की बात सुनकर डॉक्टर अपनी कुर्सी से खड़ा होता हुआ बोला,,,)

चलिए उस टेबल पर लेट जाइए चेकअप करना पड़ेगा,,,,
(आराधना इतना सुनते ही अपनी जगह से खड़ी हुई और चुपचाप जाकर उस टेबल पर लेट गई जो कि पेशेंट के लिए ही रखा गया था जिस पर पेशेंट का चेकअप होता था,,,,, डॉक्टर टेबल के करीब गया आराधना पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी उन्नत छातियां पीठ के बल लेट होने की वजह से विशाल रूप धारण करके पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज में फैल चुकी थी वह तो अच्छा था कि ऊपर साड़ी का पल्लू था वरना ऐसी हालत में देखकर डॉक्टर का पानी निकल गया होता,,, डॉ आराधना की बड़ी-बड़ी छातियां और से खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए ब्लड प्रेशर नापने वाले कंपास को खोल कर उस पट्टे को आराधना कि बांह पर लपेटने लगा,,, डॉक्टर की किस्मत इसलिए बहुत अच्छी थी कि वह अपने पैसे के अनुसार आराधना को छू सकता था उसकी खूबसूरत बदन को स्पर्श कर सकता,,, इसलिए उसकी बांह पर पट्टा लपेट ते हुए डॉक्टर को उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, पीछे कुर्सी पर बैठकर संजू देख रहा था उसका ध्यान डॉक्टर पर बिल्कुल भी नहीं था कि डॉक्टर उसकी मां को गंदी नजर से देख रहा है,,, ब्लड प्रेशर के पट्टे में हवा भरते हुए एक नजर थर्मामीटर पर डालते हुए,,, बोला,,)



बीपी तो एकदम सही है,,,,(इतना कहते हुए पट्टा को वापस करने लगा,,, और पट्टे को निकालते समय बोला) आपका नाम क्या है,,,


आराधना,,,


जी आराधना जी,,,, अपना बीपी एकदम कंप्लीट है कोई दिक्कत नहीं है,,,, बस थोड़ा सा बुखार लग रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही वह आल्हा को अपने कान में लगाकर लेकर उसकी नोब को जानबूझकर ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी छातियों पर लगाकर उसका बुखार नापने लगा,,, आराधना शर्मा से सीहरने लगी थी संजू कुर्सी पर बैठकर यह सब देख रहा था लेकिन जो कुछ भी डॉक्टर कर रहा था संजू को अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन वह कर भी क्या सकता था सिर्फ देखने के सिवाय और डॉक्टर था कि लोग को ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुचियों पर दबाकर उसकी गर्मी को नाप रहा था पेंट के अंदर डॉक्टर के लंड में भी हरकत करना शुरू कर दिया था,,, गोल गोल बड़ी सूचियों को डॉक्टर अपने आला के नोब से दबा रहा था और ऐसा करने से डॉक्टर को इस बात का एहसास हुआ कि आराधना की बड़ी-बड़ी चूचियां वास्तव में कितनी नरम गरम है डॉक्टर का मन तो कर रहा था कि अपने हाथों से आराधना के ब्लाउज का सारा बटन खोल कर उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु कर दें लेकिन डॉक्टर होने के नाते ऐसा करना मुनासिब बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी चेकअप करने के बहाने डॉक्टर ने उसकी चुचियों कोब्लाउज के ऊपर से ही छूने का सुख प्राप्त कर लिया था,,,,,।

डॉक्टर को मजा आ रहा था तो आराधना कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि डॉक्टर जानबूझकर उस लोग को कुछ ज्यादा ही जोर से दबा रहा था जिससे ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियां दब जा रही थी इससे पहले भी वह दूसरे क्लीनिक पर जा चुकी थी लेकिन इस तरह से किसी भी डॉक्टर ने उसका चेकअप नहीं किया था जिस तरह से यह डॉक्टर उसका चेकअप कर रहा था इसलिए तो आराधना कि तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,, आराधना की कसमसाहटऔर उलझन और ज्यादा बढ़ गई जब डॉक्टर ने उसे गहरी गहरी सांसें लेने के लिए बोला,,,, डॉक्टर जानबूझ कर उसे गहरी सांस लेने के लिए बोल रहा था क्योंकि डॉ आराधना की बड़ी-बड़ी चुचियों को उठते बैठते हुए अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहता था ,,, डॉक्टर के कहे अनुसार आराधना गहरी गहरी सांस लेने लगी और ऐसा करने पर उसकी छातियों पर जो तूफान उठने लगा उसे देखकर डॉक्टर के हौसले पस्त होने लगे उसके पेंट में गदर सा मचने लगाऔर देखते ही देखते हैं उसके पैंट के आगे वाले भाग में अच्छा-खासा तंबू बन गया जो कि उस पर अभी किसी की नजर नहीं गई थी,,,, जब जब आराधना गहरी सांस अंदर की तरफ जाती थी तब तक उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ऊपर की तरफ फुटबॉल की तरह उठा रही थी जिसे लपक ने के लिए डॉक्टर पूरी तरह से लालायित नजर आ रहा था लेकिन वह आराधना के फुटबॉल नुमा चुचियों को लपक ने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा था,,, क्योंकि ऐसा करना उसके हित में बिल्कुल भी नहीं था उठती बैठती चुचियों पर अपने आला का नॉब लगाकर डॉक्टर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगा था,,,, 30 से 40 सेकंड के काम में डॉक्टर ने पूरा 5 मिनट लगा दिया था वह आराधना की चुचियों से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था,,,, अपने मन को मार कर डॉक्टर आल्हा को अपने काम से हटाकर अपने गले में लगाते हुए आराधना से बोला,,,।)

आराधना जी बुखार थोड़ा ज्यादा है इसलिए आपको टेबलेट तो दे ही रहा हूं लेकिन इंजेक्शन भी लगाना पड़ेगा,,,


नहीं नहीं डॉक्टर साहब इंजेक्शन से मुझे बहुत डर लगता है,,,


देखिए इंजेक्शन तो तुम्हें लगवाना ही पड़ेगा वरना अभी तो तुम्हारा बुखार उतर जाएगा लेकिन दो-तीन दिन बाद फिर से तुम्हें और तेज बुखार चलेगा क्योंकि तुम्हारा बुखार मलेरिया के असर का है,,,पर अगर तुम नहीं चाहती इंजेक्शन लगवाने के लिए तो मैं जिद नहीं करता हूं लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि तुम्हें सही सलाह देना,,,,
(इतना सुनते ही संजू से रहा नहीं गया और वह अपनी जगह से उठकर डॉक्टर से बोला)


कोई बात नहीं डॉक्टर आप इंजेक्शन लगा दीजिए,,,

(संजू की बात सुनते ही डॉक्टर की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था,,,)

नहीं संजू यह क्या कर रहा है तू मुझे इंजेक्शन से बहुत डर लगता है,,,


मम्मी इंजेक्शन से आराम भी चल जाएगा,,, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,।

(डॉक्टर सुई लगाने के लिए इंजेक्शन तैयार करने लगा,,, आराधना उठ कर बैठ गई थी वह अपने साड़ी का पल्लू ठीक करके अपनी बांह आगे किए हुए थी डॉक्टर सीरीज में दवा भरकर जैसे ही आराधना के पास आया तो उसे बैठा हुआ देखकर बोला,,,)

हाथ में नहीं लगाना है लेट जाओ,,,
(इतना सुनते ही आराधना संजू की तरफ देखने लगी तो आराधना के मन की बात को समझते हुए डॉक्टर बोला)

देखो यह मलेरिया से संबंधित इंजेक्शन है अगर हाथ में लगा दिया तो हाथ बहुत दर्द करेगा और तुम से हाथ उठाया नहीं जाएगा,,,,


तब तो तकलीफ हो जाएगी डॉक्टर साहब,,, नहीं नहीं आप ऐसा कीजिए कमर पर लगा दीजिए,,,(संजू अपना अभी प्राय देते हुए बोला तो डॉक्टर बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)


कमर में नहीं कुल्हे में,,,,
(इतना सुनते ही आराधना के होश उड़ गए जिस तरह की हरकत डॉक्टर ने ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुचियों के साथ किया था उसे देखते हुए उसे लगने लगा कि डॉक्टर के मन में कुछ और चल रहा है लेकिन क्या करें वह डॉक्टर था और वह पेशेंट थी,,, डॉक्टर जो कहता है उसे मानना ही था,,,। इसलिए संजू बोला,,,)

ठीक है मम्मी तुम लेट जाओ चिंता मत करो मैं हूं ना,,,

(आराधना को इंजेक्शन से बहुत डर लगता था और वहां अपने बेटे की बात मानते हुए पेट के बल लेट गई हालांकि उसे कमर के साइड लेटना था लेकिन घबराहट में वहां पेट के बल लेट चुकी थी जिससे उसकी भारी-भरकम गांड एकदम उभर कर सामने नजर आ रही थी जिसे देखकर डॉक्टर के मुंह में पानी आ रहा था और यही हाल संजू का भी था क्योंकि जिस तरह से टेबल पर उसकी मां पेट के बल लेटी हुई थी उसकी भारी-भरकम गोल-गोल गांड संजू की आंखों के सामने नाच रही थी और साड़ी इतने कस के बाद ही हुई थी कि साड़ी के ऊपर से ही नितंबों का पूरा भूगोल साफ नजर आ रहा था उसके आकार और निखार दोनों उभर कर सामने आ रहे थे,,,,।

आराधना की चिकनी मांसल कमर देख कर डॉक्टर का ईमान पर चलने लगा था उसके बीच की गहरी पतली दरार तो डॉक्टर के होश उड़ा रही थी,,, डॉक्टर का मन अपने दोनों हाथों से आराधना की चिकनी कमर पकड़ने को कर रहा था उसकी बड़ी-बड़ी गण को अपने दोनों हाथ के लिए में भर-भर कर दबाने को कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकना शायद उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था बस वहां आराधना की खूबसूरती को अपनी आंखों से पी सकता था,,,,,,

डॉक्टर सिरिंज में दवा भरकर इंजेक्शन तैयार कर चुका था वह संजू को आराधना की साड़ी को थोड़ा नीचे करने के लिए बोला,,, डॉक्टर का बस चलता तो वह कमर से नहीं बल्कि नीचे से साड़ी को कमर तक उठा देता और उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर शायद एकदम मदहोश हो जाता,,,, डॉक्टर की बात सुनते हीसंजू आगे बढ़ा और अपनी मां की कमर पर की साड़ी को नीचे की तरफ खींचने लगा था कि डॉक्टर अच्छे से उसके कोणों पर इंजेक्शन लगा सके,,, लेकिन साड़ी इतनी कसके बांधी हुई थी कि संजू से ठीक से नीचे खींची नहीं जा रही थी,,, तो डॉक्टर ही आगे बढ़कर आराधना की चिकनी कमर को छूते हुए आराधना की कमर पर की साड़ी को अपनी उंगली को उसकी कमर पर बनी साड़ी के अंदर डालते हुए उसे अच्छे से हथेली से पकड़ लिया,, कमर की गोरी चिकनी नरमाहट को अपनी उंगली पर महसूस करते ही डॉक्टर के तन बदन में आग लगने लगी वह लंबी सांस लेते हुए आराधना की साड़ी को थोड़ा नीचे की तरफ सरकाया तो साड़ी आराम से कमर से नीचे सरक गई और ऐसा करने से,,, डॉक्टर की आंखों के सामने आराधना की नितंबों की दरार के ऊपरी वाला हिस्सा जो की गोल बिंदु के रूप में नजर आ रहा था वह नजर आने लगा उसे देखते ही डॉक्टर एकदम से सुध बुध खो दियाशायद इस तरह से उसने आज तक किसी भी औरत को इंजेक्शन लगाने का प्रयास नहीं किया था आराधना को देखकर उसका ईमान डोलने लगा था और वह इसीलिए हाथ में लगाने की वजाय उसकी गांड पर इंजेक्शन लगाने जा रहा था,,,,डॉक्टर को आराधना की गांड की दरार एकदम साफ नजर आ रही थी और वह भी ऊपर हिस्से की जहां से गांड की शुरुआत होती है और यह है संजू की देख रहा था संजू की हालत तो खराब होने लगी थी लेकिन जैसे ही संजू की नजर डॉक्टर के पेंट के आगे वाले भाग पर गई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि उसमे तंबू बना हुआ था जोकी संजू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां की गांड को देखकर डॉक्टर का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था संजू को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस बात का गर्व हो रहा था कि उसकी मां की खूबसूरती देखकर डॉक्टर से सहन नहीं हो रहा था उसकी जवानी डॉक्टर बर्दाश्त नहीं कर पा रहा,,, था,,,।

आराधना पेट के बल अपनी आंखों को बंद किए हुए लेटी थी,, वह चाहती थी जल्द से जल्द डॉक्टर उसे इंजेक्शन लगा दे ताकि वह इंजेक्शन से होने वाले दर्द से निजात पा सके,,, डॉक्टर अपने हाथ में इंजेक्शन लेकर आराधना को लगाने के लिए तैयार था आराधना की गोरी गोरी बड़ी-बड़ी गांड की चमक डॉक्टर की आंखों में साफ नजर आ रही थी,,, अगर इस समय संजू उसके साथ ना होता तो शायद वह आराधना की गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे छूने का और भी ज्यादा सुख प्राप्त कर लेता,,,,।

डॉक्टर अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए आराधना को इंजेक्शन लगाने लगा और जैसे ही सिरिंज को आराधना की गांड में अंदर की तरफ धंसायावैसे ही आराधना के मुंह से आह निकल गई
इस तरह से डॉ आराधना को इंजेक्शन लगाते हुए




और संजू ने तुरंत अपनी मां की टांग को पकड़कर उसे सांत्वना देने लगा कि बस हो गया,,, और देखते ही देखते डॉक्टर ने सीरीज की सारी दवा को आराधना की गांड में प्रवेश करा दिया,,,और धीरे से सुई को बाहर निकाल कर अपने अंगूठे से उस जगह को गोल-गोल दबाकर उसे उसी तरह से छोड़ दिया,,, और सिरिंज को कूड़े में फेंकते हुए बोला,,,।


आप अपनी साड़ी ठीक कर लीजिए,,(और इतना कहने के साथ ही वह वापस अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया और दवा देने लगा,,,, थोड़ी देर में आराधना भी अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके टेबल पर से नीचे उतर गई और दोनों मां-बेटे दवा लेकर क्लीनिक से बाहर निकल गए और जाते-जाते डॉक्टर आराधना की कसी हुई काम को देखकर पेंट के ऊपर से अपने लंड को मसलने लगा,,,, दोनों दवा लेकर क्लीनिक से बाहर निकल चुके थे और संजू स्कूटी पर बैठा कर अपनी मां को घर पर लेकर आ गया,,,)
Fantastic update
 
Top