साधना,,, आराधना और संजू के साथ साथ घर के सभी सदस्य नहा चुके थे,,,, सुहानी और संजू की बड़ी मम्मी मिलकर खाना तैयार कर ली थी और जल्दी-जल्दी खाना परोस रही थी वह जानती थी कि जिस हालात में वह तीनों गांव में आए हैं उससे वह तीनों एकदम थक चुके होंगे,,, और भूख भी बड़ी जोरों की लगी होगी और यह सच ही था तीनों को बड़े जोरों की भूख लगी हुई थी क्योंकि शाम को ही वह लोग गांव पहुंच चुके थे लेकिन तूफानी बारिश के चलते रात भर होने खंडहर में बिताना पड़ा था,,,, ऐसा नहीं था कि तूफानी बारिश में तीनों एकदम परेशान हो गए थे यह तूफानी बारिश तीनों की जिंदगी में एक नया सुकून लेकर आई थी जिसका आनंद तीनों ने भरपूर लिया था अगर तूफानी तेज बारिश ना होती और वह गांव की छोर पर खंडहर ना होता तो शायद तीनों के रिश्ते अभी भी मर्यादा में रहते हैं लेकिन तूफानी बारिश ने उस खंडहर ने तीनों के बीच की मर्यादा की दीवार को पानी में बाहर ले गया था जिससे तीनों खुश भी थे क्योंकि तीनों यही चाहते भी थे कि उन तीनों के बीच किसी भी प्रकार की दीवार ना रहे,,,,
संजू खाना खा रहा था लेकिन उसके दिमाग में अजीब सी हलचल हो रही थी क्योंकि कुछ देर पहले ही उसने एक जवान खूबसूरत लड़की को नहाते हुए देखा था उसके नितंबों का आकार गीले कपड़ों में और भी ज्यादा उभार दार नजर आ रहा था,,,,,,, संजू औरतों के चक्कर में खासकर के घरेलू औरतों की सौगात में पूरी तरह से जवान मर्द बन चुका था और ऐसा मर्द जो अपनी आंख से ही खूबसूरत औरतों की जवानी के पन्नों को पलट पलट कर पढ़ लेता था,,,, और संजू अपनी मामा की लड़की लल्ली के खूबसूरत बदन के खूबसूरत पन्ना को अपनी आंखों से पढ़ने की भरपूर कोशिश किया था जिसमें वह सफल भी हो गया था उसे इस बात का अंदाजा लग गया था कि लल्ली के रूप में एक खूबसूरत लड़की उसके इर्द-गिर्द है,,, उसे कैसे हासिल करना है संजू अच्छी तरह से जानता था भले ही वह अपने मामा के घर विवाह में आया था एक मेहमान के तौर पर ,,,, लेकिन सबसे पहले वह एक मर्द था और उसके मामा की लड़की एक जवान खूबसूरत औरत जिसकी खूबसूरती का रसपान करना संजू की फितरत में था संजू किसी भी तरह से अपनी मामा की लड़की को अपने काबू में करना चाहता था और उसे पूरा विश्वास था कि वह जरूर अपनी मामा की लड़की पर काबू कर लेगा,,,,, संजू के लिए अब मां बहन मौसी मामी कोई भी रिश्ता किसी भी तरह से खास ना होकर बिस्तर तक सीमित रह गया था,,,, आते जाते खाना परोस ते हुए वह केवल लल्ली को ही देख रहा था लल्ली का खूबसूरत गुलाबी चेहरा उसकी आंखों में बस गया था छातीयो का आकार की शोभा बढ़ा रहे दोनों संतरे के आकार में ही थे जिससे संजू को समझते देर नहीं लगी की लल्ली खेली खाई हुई लड़की बिल्कुल भी नहीं है और ऐसी लड़की के साथ चुदाई करने में अद्भुत शांति और सुख प्राप्त होता है,,,,,,,,,
अरे और लो बेटा तुम तो कुछ खा ही नहीं रहे हो हट्टा कट्टा जवान शरीर है लेकिन खाने के नाम पर,,,,, लो लो दो पूरी और ले लो
नहीं नहीं बस करिए मामी,,,,, बहुत हो गया है,,,,
अरे अभी तो कुछ भी नहीं हुआ है इतना तो हमारे घर के बच्चे खा लेते हैं,,,(संजू के नानकुर करने के बावजूद भी संजू की बड़ी मम्मी दो पुरिया उसकी थाली में डाल ही थी थाली में डालते समय वह थोड़ा सा नीचे की तरफ झुक गई थी जिससे संजू की नजर उसकी मदमस्त कर देने वाली गोल गोल छाती पर गई थी जो कि ब्लाउज में से बाहर आने के लिए तड़प रही थी कुछ पल के लिए संजू की नजर अपनी बड़ी मामी की भरी हुई छातियों पर ही टिकी रह गई और वह तुरंत मौके की नजाकत को समझते हुए नीचे नजर झुका कर पूरी लेकर सब्जी से खाना शुरु कर दिया लेकिन अब उसकी भूख एकदम से बढ़ गई थी अपने मामा के घर में चोदने लायक एक से एक औरत उसे नजर आ रही थी,,,,, बड़ी मम्मी आराधना और साधना को भी जबरदस्ती खिला रही थी कि तभी बाहर से किसी के बुलाने की आवाज आई और वह भोजन कराने की जिम्मेदारी मंझली मामी मतलब की सुहानी को सौंप कर घर के बाहर चली गई,,,,,
अरे दीदी तुम तो कुछ लो,,,, तुम भी कुछ नहीं खा रही हो,,,, शहर में लगता है कि तुम लोग केवल पिज़्ज़ा बर्गर और नूडल्स खा खा कर पेट भरते हुए इसीलिए पौष्टिक आहार खा नहीं पाते,,,,
अरे नहीं नहीं सुहानी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है सिर्फ इतना ज्यादा खाने की आदत नहीं है ना,,,
लेकिन यहां तो खाना होगा,,,,(इतना कहने के साथ ही सुहानी नीचे की तरफ झुक कर खीर के पतीले को उठाने लगी और ऐसा करते हुए उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड ठीक संजू की आंखों के सामने थी और उसकी गांड से संजू के चेहरे की दूरी महज 1 फीट की थी,,, और वह झुकी हुई थी शादीशुदा होने के नाते उसकी गांड का घेराव मदमस्त कर देने वाला था संजू पल भर के लिए अपनी मंझली मामी की गांड को देखता ही रह गया और अपने मन में सोचने लगा कि काश उसकी मामी बिना कपड़ों के उसके सामने इस तरह से झुकी हुई होती तो अब तक वह पीछे से अपने मोटे लंड को उसकी चूत में डालकर उद्घाटन कर दिया होता,,,,, पल भर के लिए ही वह खीर के पति लोग को उठाने के लिए चुकी थी और तुरंत खड़ी हो गई लेकिन इतने में ही संजू एकदम मस्त हो गया था,,,, बड़े बड़े चम्मच से वह सब की थाली में खीर खिला रही थी और सिर्फ संजू के सामने झुक कर वह बड़े चम्मच से खीर को उसकी थाली में गिराते हुए बोली,,,,)
तुम्हें खीर कैसी लगी,,,,
(वह भी ठीक संजू की मामी की तरह झुकी हुई थी उसकी भी मत मत कर देने वाली चूचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर निकलने के लिए आतुर थी और औपचारिक रूप से संजू की नजर सुहानी की मदमस्त कर देने वाली चुचियों पर चली गई उसकी बड़ी मम्मी ने तो इस पर ध्यान नहीं देती लेकिन सुहानी ने संजू की नजरों को अपनी और तुरंत अपनी साड़ी को ठीक करने लगी संजू भी मौके की नजाकत को समझते हुए खीर को चम्मच से मुंह में डालते हुए बोला,,,)
फिर किसने बनाया है मामी,,,,
मैंने बनाया है,,,,,
कसम से आज तक मैंने इतनी स्वादिष्ट खीर कभी नहीं खाया तुम्हारे हाथों में तो जादू है मामी,,,,,,
(अपनी तारीफ सुनकर सुहानी एकदम से खुश हो गई और मंद मंद मुस्कुराने लगी और पल भर में ही वह संजू की तरफ आकर्षित होने लगी संजू भी बार-बार उसके खाने की तारीफ कर रहा था जिसे सुन सुनकर सुहानी मन ही मन प्रसन्न हुए जा रही थी,,,, खाना खा लेने के बाद एक बार फिर से संजू सुहानी के हाथों की तारीफ करते हुए अपनी मां से बोला)
मम्मी एक बात कहूं बुरा मत मानना मैं चाहता हूं कि जब शादी के बाद हम लोग अपने घर चलें तो सुहानी मामी से खीर बनाने की रेसिपी जरूर सीख लेना क्योंकि वहां तो सुहानी मामी के हाथों की खीर खाने को मिलेगी नहीं,,,,
अरे तू ऐसा करना बेटा सुहानी को भी अपने साथ ले जाना शहर रोज बनाकर खिलाएगी,,,,(साधना एकदम से चुटकी लेते हुए बोली तो संजू भी तपाक से बोला)
काश मामी हम लोगों के साथ चल पाती तो मजा आ जाता चलोगी मामी,,,,
ना बाबा ना मैं तो यही ठीक हूं तुम्हें खाने का मन करे तो साल 6 महीना में आ जाया करो,,,,
अब तो आना ही पड़ेगा मामी तुम्हारे हाथों की खीर खाने के लिए,,,,,,,,,,,
मैं तो बहुत थक गई हूं और मीठी खीर खाकर तो मुझे नींद आ रही है,,,(आराधना अंगड़ाई लेते हुए बोली तो उसके सुर में सुर मिलाते हुए साधना भी बोली)
हारे आराधना मेरा भी बदन बहुत दर्द कर रहा है,,,,
(दोनों की बातें सुनकर संजू अपने मन में बोला शाली दोनों रात भर पेलवाओगी तो बदन तो दर्द करेगा ही,,,, और सुहानी उन दोनों की बातों को सुनकर तपाक से बोली,,)
कोई बात नहीं दीदी आप लोगों के रहने का इंतजाम ऊपर वाले कमरे में कर दिया गया है क्योंकि ऊपर वाला कमरा काफी बड़ा है और उसमें दो बेड है संजू और आप दोनों के लिए बेहतर होगा,,,,।
(एक ही कमरे में तीनों के रहने का इंतजाम के बारे में सुनकर ही संजू के साथ-साथ आराधना और साधना की भी आंखों में चमक आ गई वह तीनों मन ही मन प्रसन्न होने लगे और संजू तो एकदम खुश होते हुए बोला)
अच्छा की मामी तुमने कि हम लोगों का रहने का इंतजाम एक ही कमरे में कर दी वरना दिक्कत हो जाती है सामान इधर,,, हम लोग उधर,,, हम कहां कहां ढूंढते फिरते,,,
इसीलिए तो चलो मैं तीनों को आपका कमरा दिखा दुं,,,
(इतना कहने के साथ ही सुहानी आगे आगे चलने लगी सामान पहले से ही कमरे में पहुंचा दिया गया था,,,, देखते-देखते सुहानी सीढ़ियां चढ़ने लगी और सीढ़ियां चढ़ते समय उसकी गांड इतनी मादकता भरी चाल चल रही थी कि जिसे देखकर संजू के लंड में ऐठन हो रही थी,,,, संजू की निगाहें अपनी मामी की गदराई गांड पर ही टिकी हुई थी,,,, वहां पागलों की तरह प्यासी नजरों से अपनी मामी की गांड देख रहा था जो कि साड़ी में कैद होने के बावजूद भी और साड़ी उसकी मामी ने इतनी कसी हुई पहनी थी कि गांड का पोर पोर उभरकर नजर आ रहा था,,,,, जिसे देखते हुए बहुत अपने पेंट के आगे वाले भाग को हाथ से दबाकर शांत करने की कोशिश कर रहा था,,,,,
देखते ही देखते सुहानी उन तीनों को उनके कमरे तक ले आई और कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश करते हुए बोली,,,,
आप लोग आने वाले हो इसलिए भैया ने पहले से ही इस कमरे को साफ करवा दिया है,,,,(इतना सुनकर तीनों भी कमरे में प्रवेश किया कमरा काफी बड़ा था और दोनों कोने पर दो बिस्तर लगे हुए थे जिसे देखते ही संजू अपनी मां और मौसी को देखकर अपनी सुहानी मौसी से नजर बचाकर आंख मार दिया जिसका मतलब दोनों बहने अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए दोनों का चेहरा शर्म से शुर्ख लाल हो गया,,,,)
अब आप लोग आराम करो मुझे बहुत काम है,,,,
ठीक है सुभानी तुम जाओ अभी तो हम लोग थके हुए हैं बाद में काम में हाथ जरूर बटाएंगे,,,,
लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही है मामी और वैसे भी मेरी जानकारी के मुताबिक में पहली बार गांव आया हूं इसलिए मुझे गांव के रहन सहन के बारे में अच्छी तरह से जानना है और इस तरह से मैं तुम्हारी थोड़ी मदद भी कर सकूंगा,,,।
सच्ची,,,(सुहानी मुस्कुराते हुए बोली)
तो क्या मैं मजाक थोड़ी कर रहा हूं है ना मम्मी थोड़ा-बहुत गांव के बारे में भी तो जानना जरूरी है,,,,
हां संजू तू ठीक कह रहा है अगर तुझे आराम नहीं करना है तो जा अपनी मम्मी के साथ थोड़ा बहुत काम करा ले वैसे भी विवाह वाला घर है ढेर सारे काम होते हैं अगर तू काम में हाथ बटाएगा तो अच्छा ही रहेगा,,,,
तो चलो संजू अब तो दीदी ने भी इजाजत दे दिया है,,,,,
(इतना कहने के साथ ही सुहानी और संजू दोनों कमरे से बाहर आ गए,,,, सुहानी रह रह कर संजू के कद काठी की तरफ देख रही थी जो कि बेहद गठीला और कसरती बदन था ना चाहते हुए भी सुहानी अपने पति के कद काठी की तुलना अपने भांजे के साथ कर रही थी जिसमें उसका पति बिल्कुल भी फिट नहीं बैठ रहा था क्योंकि उसका पति संजू से कम लंबाई और गठीला बदन का बिल्कुल भी नहीं था जैसा कि सुहानी अपने मन में अपने पति को लेकर कल्पना किया करती थी,,,,, ना जाने क्यों वह संजू की तरफ उसके व्यक्तित्व की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी इसीलिए तो संजू को आराम करने के लिए रोकने की जगह वह उसकी बात मान कर अपने साथ लेकर आई थी लेकिन इसमें संजू की ही चला की थी वह किसी ना किसी बहाने अपनी मामी के समीप रहना चाहता था,,,, क्योंकि संजू औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि अगर औरत का प्यार पाना है अगर उनकी दोनों टांगों के बीच जगह बनानी है तो उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा उन्हें अपनी बातों से कुछ लाना होगा उनकी तारीफ करना होगा यह सब तिकड़म संजू अच्छी तरह से जानता था और वही अपनी मामी पर आजमा भी रहा था,,,,)
संजू तुम यहीं रुको मैं छत पर कपड़े डाल कर आती हूं,,,,
अरे मामी यह क्या मैं तो तुम्हारी मदद करने के लिए आया हूं ना फिर मुझे यहां क्यों रोक रही हो चलो मैं भी चलता हूं,,,, कपड़े कहां है,,,,
अरे वह रहे ना दो बाल्टी में,,,
ठीक है मामी,,,(इतना कहने के साथ ही संजू दोनों बाल्टी को बड़े आराम से उठा लिया जो कि गीले कपड़ों के ढेर से बहुत भारी थी लेकिन संजू बड़े आराम से उसे दोनों हाथों में उठा लिया था जिसे देखकर सुहानी हैरान भी थी क्योंकि उसका पति एक बाल्टी करके छत पर ले जाता था लेकिन संजू था कि दोनों बाल्टी को एक साथ उठा लिया था शायद सुहानी इस बात को नहीं जानती थी कि बाल्टी क्या वह तो भारी-भरकम खूबसूरत औरतों को अपनी गोद में उठाकर बिना थके बिना डगमगाए उनकी चूत में लंड डालकर उनकी चुदाई भी कर सकता था,,, और उसकी इस मर्दानगी का उदाहरण खुद उसकी मां और उसकी मौसी थी,,,,)
बाप रे संजू तुम तो दोनों हाथ में बाल्टी उठा लिए,,, थक जाओगे एक एक बाल्टी ले चलते हैं एक तुम पकड़ो एक में पकड़ती हूं,,,,
क्या मामी तुम भी भांजे के होते हुए तुम बाल्टी उठाओगी ऐसा कभी हो सकता है क्या,,,, मुझे कोई तकलीफ नहीं हो रही है तुम चलो मैं पीछे पीछे चलता हूं,,,,,(संजू जानबूझकर अपनी मामी को आगे आगे चलने के लिए बोल रहा था क्योंकि वह जानता था कि छत पर जाने के लिए सीढ़ियां चढ़ना होगा और सीढ़ियां चढ़ते समय उसकी मामी की मदमस्त गदराई गांड और भी ज्यादा जानलेवा नजर आने लगती थी,,,, और ऐसा ही हुआ सुहानी तो संजू की बात सुनकर एकदम गद गद हुए जा रही थी क्योंकि इस तरह से तो उसकी मदद आज तक किसी ने नहीं किया था उसके पति ने भी नहीं लेकिन संजू के बोलने का तरीका उसकी मदद करने की चाहत देखकर सुहानी बहुत खुश हो रही थी और उसकी बात मानते हुए आगे आगे चलते हुए वह सीढीया चढ़ने लगी और एक बार फिर से अनजाने में ही सुहानी अपनी गोल गोल भारी भरकम गदर आई गांड के दर्शन अपने भांजे को कराने लगी भले ही साड़ी के ऊपर से ही सही लेकिन संजू अपनी नजरों से ही अपनी मामी की साड़ी को भेदता हुआ उसकी गांड में उतर जा रहा था,,,, संजू का मन तो कर रहा था कि वह पीछे से अपनी मामी को पकड़ ले और उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी गोल-गोल कहां पर अपना लंड रगड़ रगड़ कर अपनी प्यास को बुझा ले,,,,, लेकिन इतनी जल्दबाजी दीखाना ठीक नहीं था,,,, देखते ही देखते दोनों छत पर पहुंच चुके थे,,,, छत काफी बड़ा था और घर काफी ऊंचा इसलिए यहां से सारा गांव नजर आ रहा था दूर दूर तक लहराते खेत बड़े-बड़े पेड़ और वह नहर जिसमें बरसात का सारा पानी बह रहा था और अभी भी साफ नजर आ रहा था,,,, दोनों बाल्टी को नीचे रखकर संजू चारों तरफ देखने लगा गांव काफी खूबसूरत था जिसे देखकर संजू एकदम खुश हुआ जा रहा था वह अपनी मामी से बोला,,,,।
सच में मामी गांव कितना खूबसूरत है,,,,, कितनी हरियाली कितनी शांति है चारों तरफ पंछियों की आवाज सुनाई दे रही है और शहर में तो केवल गाड़ियों का शोर ही सुनाई देता है,,,,
तभी तो गांव में पहुंचकर सब लोग सारी चिंता भूल जाते हैं और एकदम मगन हो जाते हैं,,,,(इतना कहते हुए सुहानी बाल्टी में से कपड़े लेकर रस्सी पर डालने लगी और संजू भी मदद करने लगा,,,, देखते ही देखते काफी कपड़े रस्सी पर दोनों मिलकर डाल दिए थे लेकिन अभी भी बाल्टी में कपड़े थे संजू ने बाल्टी में हाथ डाला और उसमें से कपड़ा निकालना लेकिन वह गिला कपड़ा पेंटी थी संजू से हाथ में लेकर गोल गोल इधर-उधर घुमा कर उसे देखने की कोशिश कर रहा था पेंटी के हाथ में आते ही संजू के लंड में अकड़न सी बढ़ने लगी थी,,,वह पेंटिं इतना तो वह जानता ही था कि ना तो उसकी मम्मी की थी और ना ही उसकी मौसी की तो इतना तेज था कि वहां पेंटी उसकी दोनों मामी में से किसी एक की थी इसीलिए संजू उसकी चौड़ाई को देखकर गांड के आकार के बारे में सोच रहा था और पल भर में उसे इस बात का एहसास हो गया था कि वह पेंटी उसकी बड़ी मामी की भी नहीं थी क्योंकि बड़ी मामी की गांड को ज्यादा बड़ी-बड़ी थी और इस पेंटी का आकार उसका घेराव संजू की मंझली मामी की गांड के आकार से मिलता-जुलता था संजू ने इतना तो अंदाजा लगा लिया था कि उसके हाथ में आई पेंटी किसी और की नहीं बल्कि सुहानी मामी की थी,,,, संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी वह पेंटी को रस्सी पर डाल पाता इससे पहले ही सुहानी की नजर संजू के हाथों में आई पेंटी पर पड़ गई और वह एकदम से संजू की तरह लगती हो लगभग लगभग झपटते हुए संजू के हाथ में से अपनी पैंटी को ले ली,,,, और अपने हाथ में लेकर छुपाते हुए धड़कते दिल के साथ बोली,,,)
हाय दैया यह क्या कर रहे हो,,,,,,
मैंने क्या किया मामी,,,,(संजू जानबूझकर अनजान बनता हुआ बोला)
तुम इस तरह के कपड़े मत लिया करो अपने हाथ में,,,(गहरी सांस लेते हुए सुहानी बोली ,,)
इसमें क्या हो गया मामी,,,,
अरे बुद्धू इस तरह के कपड़े लड़के अपने हाथ में नहीं लेते,,,,
वही तो मैं पूछ रहा हूं इसमें क्या हो गया,,,, बाकी के भी तो औरतों के ही कपड़े थे मैंने उसे भी तो राशिफल डाला ना,,,
समझने की कोशिश करो संजू इस तरह के कपड़े औरतें किसी को दिखाती नहीं है,,,,
(संजू सब कुछ जान रहा था लेकिन फिर भी अनजान बनता हुआ बोला)
क्या मामी इन कपड़ों में क्या खास है जो औरतें दिखाती नहीं है,,,,
(वाकई में सुहानी संजू के हाथों में अपनी पेंटी आ जाने की वजह से शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,,, वह एकदम सहज रुप से शर्मा रही थी और संजू जानबूझकर अनजान बनने का नाटक कर रहा था,,,)
खास है शहर में चलता होगा लेकिन यहां नहीं चलता संजू ,,,,
सच कह रही हो मामी शहर में तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलता,,,,, मैं खुद कभी कपड़े डालते समय इस तरह के कपड़े भी रस्सी पर सुखाने के लिए डाल देता हूं,,,,
हाय दैया सच में,,,,
हां क्यों क्या हुआ,,,?(संजू जानबूझकर अपनी मामी से इस तरह की बातें कर रहा था जबकि वह कभी भी इस तरह के कपड़ों को शहर में भी रस्सी कर सुखाने के लिए डाला ही नहीं था,,,, संजू के मुंह से इतना सुनते ही सुहानी हंसने लगी लेकिन उसकी हंसी में भी शर्म की झलक साफ नजर आ रही थी,,, सुहानी को इस तरह से हंसता हुआ देखकर संजू भी मुस्कुराते हुए बोला)
अच्छा बताओ मामी क्या कहते हैं इसे,,,,
धत् मुझे शर्म आती है इस तरह से कोई नाम भी लेता है क्या,,,,?
क्यों इसका नाम नहीं है क्या अच्छा यह बात बताओ जब दुकान पर जाती हो तो इसे खरीदने के लिए क्या कहकर मांगती हो,,,,
हम इसे खरीदने के लिए जाते ही नहीं है इसे तो तुम्हारे मामा ही खरीद कर लाते हैं दुकान पर जाकर इस तरह से मांगने में हमें शर्म आती है,,,,
चलो कोई बात नहीं यह तो बता दो इसे कहती क्या हो,,,,।
(संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी सुहानी मामी की उपस्थिति में इस तरह की बातें करते हुए संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी खास करके उसके लंड की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि सुहानी का मुस्कुराना भी बेहद उत्तेजित कर दे रहा था संजू की बात सुनकर सुहानी बोली,,,)
धत् मुझे बहुत शर्म आती है,,,
क्या मामी गांव की बोली भाषा रहन-सहन सीखने के लिए ही तो मैं आराम करने की जगह तुम्हारी मदद करने के लिए आया हूं और तुम हो कि मुझे कुछ भी सीखा नहीं रही हो,,,
अरे यह भी कोई सीखने की बात है,,,
क्यों नहीं मानी अगर मान लो कि मेरी शादी गांव की किसी लड़की से हो गई और मैं उसकी बात को समझ नहीं पाया तो दिक्कत हो जाएगी ना,,,
अरे तो क्या हुआ वह तुम्हें अच्छी तरह से समझा देगी आखिर बीवी है और एक बीवी को अपने पति से कुछ भी कहने में शर्म महसूस नहीं होती समझे,,,,,
लेकिन मुझे तो बता दो मामी,,,
तुम बहुत जिद करते हो,,,,, अच्छा मैं तुम्हें बता देती हूं लेकिन इस बारे में किसी को कहना नहीं कि मैंने तुम्हें इस तरह का कुछ बताई हुं,,
मां कसम किसी को नहीं कहूंगा,,,।
(संजू के भोलेपन को उसके व्यक्तित्व को और उसके खूबसूरत चेहरे को देखकर सुहानी कहीं ना कहीं उसकी तरफ आकर्षित हुए जा रही थी इसीलिए तो इस तरह की बातें करने में ना जाने क्यों उसे भी आनंद की अनुभूति हो रही थी और वह संजू की बात मानते हुए बोली)
इसे हम लोग कच्छी कहते हैं,,,,
ककककक,कच्छी,,,,,, क्या बात है,,,,(संजू एकदम से आश्चर्य जताते हुए बोला और वैसे भी इस शब्द को सुनकर ना जाने इस शब्द में कैसा एहसास था कि इस शब्द को सुनकर ही संजू के लंड की अकड़ कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी)
हां इसे हम लोग कच्छी कहते हैं,,,
लेकिन हमारे यहां तो इसे पेंटी कहते हैं,,,,
कहते होंगे शहर वाले गांव वाले तो इसे कच्छी ही कहते हैं,,,, तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या,,, देसी भाषा,,,
नहीं नहीं मम्मी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इस शब्द को तो सुनकर बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,
तुम्हारी मम्मी नहीं बताई क्या,,,?
यह भी कोई बताने वाली बात है क्या,,,,
चलो कोई बात नहीं अब तो पता चल गया ना तुम्हें,,,(इतना कहने के साथ ही सुहानी संजू की नजर से बचा कर अपनी पेंटी को अपनी साड़ी के नीचे दाल भी सूखने के लिए यह देखकर संजू बोला)
क्या मामी अपनी कच्छी को साड़ी के नीचे सूखने के लिए रख दी हो ऐसे सुख पाएगी क्या,,,,
सूख जाएगी हम लोग तो इसी तरह से सुखाते हैं,,,,
(तभी संजू बाल्टी में हाथ डालने के लिए नीचे झुका ही था कि सुहानी जोर से बोली)
रुक जाओ संजू,,,,(इतना सुनते ही संजु एकदम से रुक गया,,, उसे समझ में नहीं आया कि ऐसा वह क्यों बोली कि तभी वह जल्दी से आइ और बाल्टी में से तुरंत अपनी ब्रा निकाली और बोली,,,)
अभी तो तुम इसे भी हाथ में ले लेते,,,
तो इसमें कौन सा भूचाल आ जाने वाला था,,, अच्छा यह बताओ इसे क्या कहते हैं,,,
इसे ब्रा ही कहते हैं,,,,(इतना कहते हुए सुहानी अपनी ब्रा को भी अपनी साड़ी के नीचे सूखने के लिए डाल दी और संजू बोला)
चलो अच्छा ही हुआ कि इसे ब्रा ही कहते हैं नहीं तो मुझे लगा कि ईसे कुछ और कहते होंगे,,,,,,
क्या लगा तुम्हें क्या कहते होंगे,,,,
जाने दो मामी,,,,
नहीं नहीं बोलो क्या लगा तुम्हें,,,,
(सुहानी को भी इस तरह की बातें नहीं आनंद आने लगा था इसलिए संजू भी बेझिझक, बोला,,,)
मुझे लगा कि इसे गांव में चूची छुपा वन वस्त्र कहते होंगे,,,,
क्या कहा तुमने,,,,
चूची छुपा वन वस्त्र,,,,,
हाय दइया,,,(अपने चेहरे पर शर्म से हाथ रखते हुए) बड़े बेशर्म हो तुम,,,,
बेशर्मी की क्या बात है मैं तो सिर्फ बता रहा हूं,,,,, अच्छा मामी क्या दिन भर तुम इसी तरह से काम करती रहती हो,,,,(जानबूझकर संजू बात की दिशा को मोड़ते हुए बोला क्योंकि वह जो बोलना चाहता था वह बोल दिया था और उसका प्रभाव वह अपनी मामी के चेहरे पर देख रहा था जो कि शर्म से लाल हो चुका था)
तो क्या इस घर में आराम कहां मिलता है दिन भर सुबह से उठ जाओ बस काम काम काम जब तक सो नहीं जाते तब तक काम करना ही पड़ता है,,,,,, खेत खलियान गाय भैंस का तबेला फिर दूध निकालना उसे एक बर्तन में इकट्ठा करना कपड़े धोना सब्जियों को तोड़कर लाना उसे बाजार में ले जाकर तुम्हारे मामा बेचते हैं लेकिन करना मुझे ही सब कुछ पड़ता है,,,,
और बड़ी मामी,,,,
वह भी बहुत काम करती है लेकिन मैं उन्हें करने नहीं देती अच्छा नहीं लगता ना कि मेरे होते हुए उन्हें काम करना पड़े,,,
क्या बात है मामी तुम्हारी जैसी सोच अगर सब औरतों की हो जाए तो घर में झगड़ा ही खत्म हो जाए मैं तो भगवान से दुआ करूंगा कि,,, मुझे भी भले गांव की लड़की से शादी करना पड़े लेकिन तुम्हारी जैसी बीवी हो तो जिंदगी सुधर जाए,,,,।
(इतना सुनते ही सुहानी के गाल शर्म से लाल हो गए और वह बात का रुख बदलते हुए हाथ के इशारे से दूर खेतों के बीच बड़े मकान को दिखाते हुए बोली,,,)
वह दूर बड़ा मकान देख रहे हो,,,
हां बहुत खूबसूरत लग रहा है हरे हरे खेतों के बीच,,,,
वह घर तुम्हारे छोटे मामा और मामी का है,,,,
क्या कह रही हो मामी,,,, लेकिन ऐसा कैसे हो गया,,,
तेरे छोटे मामा की संगत खराब हो गई थी शराब जुआ यही सब दिनचर्या हो गई थी,,,,, एक दिन अपना खुद का धंधा करने के लिए बड़े भैया से पैसे मांगने लगे लेकिन भैया उनकी हरकत से वाकिफ थे इसलिए पैसा देने से इंकार कर दिया और तुम्हारी छोटी मामी थोड़ी झगड़ालू किस्म की है लड़ झगड़ कर अपना हिस्सा लेकर वह खेत में घर बनाकर रहने लगे तब से बोलने का का संबंध खत्म हो चुका है तेरे छोटे मामा बहुत अच्छे हैं लेकिन तेरी मामी की वजह से वह कुछ बोल नहीं पाते,,,,, विवाह को 5 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक बच्चे नहीं है इसलिए तेरे छोटे मामा को और भी ज्यादा दिक्कत होती है,,,,,
तुम्हें अच्छा लगा था मामी जब छोटे मामा अलग हुए थे,,,,
मैं 2 दिन तक रोती रही गई थी कुछ खाई ना पी,,, ऋतु के हाथ जोड़े पांव पकड़ो लेकिन वह नहीं मानी मैं तो भगवान से प्रार्थना करती हूं कि ऐसा कौन सा दिन होता कि सब लोग एक होकर साथ में रहते,,,,
तुम्हारी इच्छा जरूर पूरी होगी मामी,,,,,, चलो अब धूप ज्यादा है नीचे चलते हैं,,,,(इतना कहने के साथ ही संजू सीढीओ की तरफ चलने लगा और सुहानी भी जैसे उस तरफ कदम बढ़ाई,,,,, उसका पैर नीचे पड़ी रस्सी में फस गया और वह एकदम से लड़खड़ा गई,,,, वह गिरने ही वाली थी कि ऐन मौके पर संजू की नजर पड़ गई और मैं फुर्ती दिखाता हुआ अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मामी को थाम लिया और उसे गिरने से बचा रहे हैं लेकिन ऐसा करते हुए उसके दोनों हाथ उसकी मदमस्त कर देने वाली चूची ऊपर आ गई थी जिसे संजू संभालते संभालते उसे पकड़ने की कोशिश में उसकी चूची को पकड़ लिया था जिसका एहसास सुहानी को संभालने पर हो गया था और वह इस स्थिति में पूरी तरह से शर्मसार हो चुकी थी वह एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई थी अपनी दोनों चुचियों को वह अपने भांजे के हाथों में महसूस कर चुकी थी और ऐसा पहली बार था कि जब उसकी दोनों चूचियां किसी अनजान मर्द की हाथों में आ चुकी थी इस पल को महसूस करके सुहानी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह शर्म से पानी पानी में जा रही थी और वह शर्म का पानी उसकी चूत से टपकने लगा था क्योंकि इस तरह सेवा एकदम उत्तेजित भी हो चुकी थी,,, और इस बात का एहसास संजू को भी अच्छी तरह से था वह जानता था कि अपनी मामी को गिरने से बचाने में उसकी दोनों हथेली उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियों पर चली गई थी जिसे वह संभालते हुए अनजाने में ही अपनी हथेलियों का दबाव चुचियों पर कुछ ज्यादा बढ़ा दिया था इस बात का एहसास होते ही उसके लंड में भी हरकत होने लगी थी लेकिन वह तुरंत अनजान बनता हुआ बोला ,,,,।
क्या मामी तुम भी संभाल कर चला करो ,,, मैं ना होता तो अभी तो गिर गई होती,,,,
यह पता नहीं किसने रस्सी बीच में रख दिया है,,,,
रुको मैं इसे एक जगह रख देता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू मोटी रस्सी को इकट्ठा करके छत के कोने में रख दिया और फिर दोनों छत से नीचे उतर गए अपनी छोटी मामी को लाइन में लाने का प्रयास संजू ने शुरू कर दिया था और किसी हद तक वह कामयाब होता नजर आ रहा था)